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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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शानदार अपडेटपाँचवा घर: शोनाली और जॉय चटर्जी
अध्याय ५.२
शोनाली का घर:
आज चटर्जी परिवार में बहुत अधिक हलचल थी. सभी बहुत व्यस्त थे और जल्दी में भी. शोनाली को दिंची क्लब जाना था, कल के आयोजन की तैयारी हेतु. सुमति को शीला ने घर बुलाया था, संभवतः शादी के बारे में कुछ बात करने के लिए. सागरिका और पारुल को सुप्रिया ने शॉपिंग के लिए आमंत्रित किया था. इस बार उसकी छोटी बहन सुरेखा भी साथ रहने वाली थी. सागरिका सुरेखा से पहली बार मिल रही थी. सुरेखा की बेटी संजना के आने की भी सम्भावना थी.
पार्थ को कुछ आर्थिक निर्णय लेने थे. अगले सप्ताह उन्होंने एक बॉलीवुड अभिनेत्री का एक शो रखा था. उसे ये देखना था कि उनकी फीस कैसे दी जाएगी. हालाँकि उन्होंने सभी सदस्यों की राय ली थी और उन्होंने इस शो की लिए अलग से धनराशि के लिए सहमति दी थी. पर ये राशि पूरी फीस से कम थी और आज उसे अग्रिम राशि भेजनी भी थी. उसने शाम को मामा से सलाह लेने पर विचार किया.
जॉय की आज रिचर्ड और उसके साले जैसन के साथ गोष्ठी थी. उनकी कम्पनी कई दिनों से निर्यात के नए अवसर ढूंढ रही थी. रिचर्ड ने कुछ दिनों पहले उसे बताया था कि उसका साला जैसन भारत अपने वयवसाय के लिए आ रहा है. जॉय ने उन्हें अपने ऑफिस में चर्चा के लिए आमंत्रित किया था और आज सुबह १० बजे उन्हें आना था.
अब चूँकि सभी जाने की जल्दी में थे तो हड़बड़ी और अफरा तफरी का वातावरण था. ९ बजे से एक एक करके सब निकलने लगे. जॉय और शोनाली सबसे पहले गए. जॉय को अपनी कम्पनी के सहयोगियों के साथ कार्यनीति पर चर्चा करनी थी. शोनाली को पहुँचने में समय लगना था और उसे दो और लोगों को साथ ले जाना था.
सुमति और पार्थ १० बजे के आसपास निकले. सुमति को तो साथ के घर ही जाना था, परन्तु पार्थ को आज बहुत चक्कर लगाने थे. उसने कुछ सोचकर निखिल को अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया. दो संपन्न परिवारों के वंश के कारण उन्हें वस्तुतः इस अल्पायु ऋण मिलने में सरलता होती.
सबसे अंत में पारुल और सागरिका निकले, उनका पूरे दिन केवल एक ही काम था - अपने पिता के धन को व्यय करना.
**********
शोनाली:
शोनाली ने अपने साथ सोनम और सचिन को लिया और क्लब की ओर गाड़ी दौड़ा दी. रास्ते में सबने क्या क्या आयोजित करना है इसके बारे में चर्चा की. अब चूँकि ये क्लब के पूर्णतया अंदरूनी आयोजन था, अधिक समय नहीं लगना था. परन्तु पार्थ और शोनाली सदैव हर बिंदु पर ध्यान रखते थे और किसी प्रकार की कमी उन्हें पसंद नहीं थे. मुख्य समस्या दोपहर के भोजन को लेकर थी. क्योंकि ये सिमरन का पुरुस्कार समारोह था तो उसके द्वारा केटरिंग नहीं की जा सकती थी.
अंत में ये निश्चय हुआ कि खाने का आयोजन किया तो सिमरन के ही साथ जाये पर अलग स्थान पर और दो महिला सदस्य उसे लाने और परोसने में सहायता करें. सोनम ने इसके लिए अपना सहयोग देने का आश्वासन दिया. सचिन ने कहा कि वो अपनी माँ रमोना से पूछ सकता है, परन्तु फिर हसंते हुए बोला कि अगर उसे पता चलेगा कि ऐसा भी कुछ संभव है, तो वो भरसक प्रयत्न करेगी इसी प्रकार का पुरुस्कार जीतने के लिए. इस बात पर सब हंस पड़े.
कुछ ही देर में क्लब पहुंचे जहाँ इस सप्ताह की रिसेप्शनिस्ट मंजुला ने उनका स्वागत किया. सोनम ने मंजुला से बात की और उसे कल के आयोजन में सोनम की सहायता के लिए प्रतिबद्ध कर लिया. उसके बाद शोनाली ने सिमरन से बात करके अपनी राय रखी. सिमरन ने उसे मान लिया और कहा कि वो आज ही सारा प्रयोजन कर लेगी. उसने एक बार शोनाली को धन्यवाद दिया कि उन्होंने अपनी बात को पूरा करने का साहस दिखाया. इस बात पर शोनाली ने चुटकी ली कि साहस तो सिमरन का है जो ऐसे खेल के लिए मान गई.
अब उन्हें दो महिलाओं को सफाई के लिए भी नियुक्त करना था. अब अगर १६ रोमियो एक अकेली महिला की चुदाई करने वाले थे तो उस महिला के गुप्तांगों को अधिक गीला और चौड़ा होने से भी रोकना होगा. इसके लिए क्लब की दो सदस्यों का चयन करना था जिन्हें चूत और गांड चाटकर कामरस पीने में आनंद आता हो. इसके लिए जब चर्चा हुई तो मंजुला ने वर्षा रेड्डी और एंजेला मैथ्यू के नाम सुझाये.
वर्षा एक राजनीतिज्ञ थी और नारी सशक्तिकरण के लिए बहुत प्रसिद्द थी. उसका बाहरी आडम्बर वाले चेहरे से पुरुषों के प्रति केवल अपशब्द ही सुनाई देते थे. पर बंद कमरे में उसका रूप अलग था जिससे क्लब के सदस्य भली भांति परिचित थे. एंजेला एक प्रकार से अस्थायी सदस्य थी. वो पुलिस के एक अति उच्च अधिकारी की पत्नी थी. परन्तु क्योंकि उनका स्थानांतरण कभी भी हो जाता था इसीलिए उसे “जब तक शहर में हैं” की श्रेणी में सदस्य्ता दी गई थी. उसका वीर्यप्रेम अद्भुत था. मंजुला ने इन दोनों महिलाओं से फोन पर बात की और उन्हें कल के कार्यक्रम के बारे में और इसमें उनकी भूमिका के सम्बन्ध में सहमति मांगी. जैसा अपेक्षित था दोनों ने इसके लिए अत्यंत प्रसन्नता से हामी भर दी.
अब जब सब कुछ सेट था तो सबने अंदर जाकर कुछ देर और मंत्रणा की और फिर वापिस शहर की ओर निकल पड़े.
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सुमति:
सुमति जब शीला के घर पहुंची तो केवल समर्थ और शीला ही घर पर थे. शीला ने उसका बड़े प्रेम से स्वागत किया. अंदर जाने के बाद शीला ने सबके लिए जूस लाया और सब बैठ गए. अधिकतर चर्चा विवाह की तैयारी से सम्बंधित थी. शीला ने सुमति को कुछ संकेत दिए जो वो चाहती थी कि ध्यान में रखे जाएँ. दहेज़ की कोई भी बात नहीं थी और समर्थ और शीला ने इसके लिए कठोर शब्दों में मना कर दिया. हालाँकि ये बात निश्चित हुई कि दोनों परिवार मिलकर नवविवाहितों को एक घर खरीद कर देंगे. इसके लिए सुप्रिया की भी सहमति थी, परन्तु निखिल इससे किसी भी प्रकार से सहमत नहीं था. अंत में इसे निवेश समझकर निखिल ने स्वीकार कर लिया था. जिस घर के बारे में बात थी वो एक विशाल अपार्टमेंट था जो सुप्रिया के घर से अधिक दूर नहीं था.
इसके अतिरिक्त शीला ने ये भी बता दिया कि पूरा खर्चे का वहां दोनों परिवार मिलकर करेंगे.
शीला: “सुमति, हमारा जो भी कुछ है, इन बच्चों का ही है. अगर आज सुप्रिया की बेटी होती तो भी हम यही करते. इसीलिए, इसमें किसी प्रकार का संकोच करने की आवश्यकता नहीं है. हम इस विवाह को आर्थिक सम्बन्ध नहीं अपितु पारिवारिक सम्बन्ध बना रहे हैं.”
सुमति ने उनके विचार जॉय और शोनाली के समक्ष रखने का वादा किया. सुमति ने अपने साथ रखी डायरी में सब लिख लिया.
शीला: “आओ अब मैं तुम्हें अपने घर का टूर करवाती हूँ.”
ये कहते हुए उसने सुमति का हाथ पकड़कर उसे घर के अंदर ले गई.
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पार्थ और निखिल:
पार्थ और निखिल निर्धारित समय से अपने गंतव्य पर पहुंच गए. इस समय वो रूचि आहूजा के समक्ष बैठे थे. रूचि नगर की सबसे बड़ी फाइनेंसर थी. हर महीने वो लगभग १० से १५ करोड़ की फाइनेंसिंग करती थी. वो ४५ वर्ष की एक परिपक्व विधवा थी. उसके पति का निधन कोई ३ वर्ष पहले एक दुर्घटना में हो गया था. दबी हुई आवाज़ में लोग इसमें रूचि का हाथ होने का आकलन करते थे, परन्तु कभी किसी ने इस पर कोई शक नहीं जताया. अपने पति की अथाह संपत्ति को पाने के बाद रूचि ने अपने इस व्यापार का और विस्तार कर लिया था. कुछ लोगों का कहना था की वो बॉलीवुड और कन्नड़ फिल्म जगत में भी फाइनैंस करती थी.
रूचि ने कुर्सी में पीछे झुकते हुए दोनों की ओर देखा, “तो आपको ५० लाख रूपये चाहिए, २ सप्ताह के लिए. आप जानते हो कि मेरी ब्याज दर क्या है?”
पार्थ: “जी मैडम, हमें पता है और हम उसे स्वीकार करते हैं.”
रूचि: “मैंने तुम्हारे बिज़नेस के बारे में पता लगाया है. जो तथ्य तुम दुनिया से छुपा सकते हो, वो मुझसे छुपा नहीं है. काफी नया तरीका है तुम्हारा. आई ऍम इम्प्रेस्ड.”
पार्थ: “थैंक यू मैडम”
रूचि: “मुझे तुमसे एक दूसरी डील करनी है. मैं चाहती हूँ कि मैं तुम्हारे इस क्लब में पार्टनर बनूँ. मैं २६% हिस्सा लेने के लिए इच्छुक हूँ.”
पार्थ का दिमाग घूम गया. उसने ये स्थिति के बारे में तो विचार भी नहीं किया था.
पार्थ: “मुझे अपने पार्टनर से पूछना पड़ेगा.”
रूचि: “पूछना भी चाहिए. मैंने तुम्हारे पूरे बिज़नेस का आकलन किया है और जमीन और अन्य सभी संसाधनों का कुल मूल्य ६ करोड़ के लगभग है. पर जैसा तुम समझते हो, इसकी बाजार कीमत लगभग ९ से १० करोड़ हो सकती है. मैं इस बिज़नेस में २.५ करोड़ लगाने की इच्छा रखती हूँ. तुम्हारी बैलेंस शीट ये दिखाती है कि अभी ये उपक्रम ४० लाख के नुकसान में है. बैंक के ऋण की दर भी अधिक है. मेरे इस निवेश से तुम्हारा नुकसान समाप्त हो जायेगा और जो आगे के तुम्हारे विस्तार के जो लक्ष्य है, उसे भी जल्दी पूरा कर पाओगे.”
पार्थ सोच में पड़ गया. “मैडम क्या मुझे सोचने के लिए एक दिन का समय मिल सकता है?”
रूचि: “ये डील तुम्हारे इस ऑफिस में रहने तक ही है. यहाँ से निकलने के बाद ये प्रस्ताव समाप्त हो जायेगा. हाँ मैं जो ऋण लेने आये हो, वो मैं अवश्य दूँगी.”
पार्थ गहरी सोच में था. उसने निखिल की ओर देखा. अब चूँकि निखिल बचपन से बिज़नेस के बारे में सुनता आ रहा था उसने इस प्रस्ताव का सही मूल्य समझ लिया.
निखिल: “मैडम, अगर हम स्वीकार करेंगे, तो इस निवेश के अतिरिक्त और भी जो व्यय हैं, उन्हें कैसे करेंगे?”
रूचि: “इस राशि से तुम्हारे व्यय कम होंगे. नुकसान पूरा होने के पश्चात् तुम्हारे पास २.१ करोड़ बचेंगे. बैंक का लोन इस समय (एक पेपर पढ़ते हुए) ९० लाख बकाया है, जिसका वार्षिक ऋण ११ लाख के आसपास है. अगर ये ऋण चूका दो तो भी तुम्हारे पास 1.२ करोड़ बचेंगे और हर वर्ष ११ लाख भी बचेंगे. क्लब जिस प्रकार से चल रहा है, वैसे ही चलेगा, पर हर तीन महीने में मेरी टीम ऑडिट करेगी. कुल आय का २६% मेरा होगा.”
निखिल ने धीरे से पार्थ का हाथ दबाकर उसे स्वीकृति देने के लिए संकेत दिया.
पार्थ: “मुझे स्वीकार है.”
रूचि: “पर मेरी कुछ और भी शर्तें हैं.”
पार्थ: “कैसी शर्त.”
रूचि खिलखिला पड़ी. “घबरा मत बच्चे. तुम्हारे क्लब के रोमियो मैं जब भी इच्छा करुँगी, मेरी सेवा में उपस्थित होंगे. क्लब में तो मैं आऊंगी नहीं, तो उन्हें मेरे घर पर ही आकर मुझे संतुष्ट करना होगा. कब कितने रोमियो आएंगे ये मेरी इच्छा पर निर्भर होगा.”
पार्थ: “अन्य दिनों में तो इसमें कोई कठिनाई नहीं है, परन्तु जब क्लब के विशेष समारोह होते हैं उन दो दिनों ये संभव नहीं हो पायेगा.”
रूचि मुस्कुराते हुए: “कोई चिंता नहीं. मैं इतना तो अपने आप को बहला ही सकती हूँ. तो बताओ, क्या ये डील पक्की की जाये?”
पार्थ ने हामी भरी तो रूचि ने एक अग्रीमेंट अपने दराज से निकाला।
“इसे ध्यान से पढ़ लो. और इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो. मैं बिज़नेस में धोखा नहीं करती यही मेरी सफलता का रहस्य है.” फिर निखिल की ओर सीखकर, “तुम चाहो तो समर्थ से विचार विमर्श कर सकते हो.”
उसने रिमोट से एक दरवाजा खोला जिसमे एक सभा कक्ष था. “वहां बैठकर तुम लोग अपना निर्णय करो, मैं एक घंटे में तुम्हें मिलूंगी. पर इस कमरे से बाहर जाने की तुम्हे अनुमति नहीं है. आवश्यक होने पर बाथरूम उस कक्ष से ही संलग्न है.”
पार्थ और निखिल उस कमरे में गए और रूचि ने उसे लॉक कर दिया. निखिल ने अपने नाना को फोन लगाया और सारी स्थिति समझाई। फिर उनके मांगने पर एग्रीमेंट को व्हाट्स ऐप से उन्हें भेज दिया. लगभग ४० मिनट में समर्थ का फोन आया. उसने अपने वकील से सलाह ली थी और उसने इसे सही पाया था. समर्थ ने पार्थ को हस्ताक्षर करने की सलाह दी. अब समय भी पूरा हो चला था. कुछ ही मिनटों में क्लिक की ध्वनि से सभाकक्ष का द्वार खुल गया. पार्थ और निखिल बाहर आये.
“क्या कहा समर्थ ने?”
“उन्हें ये अग्रीमेंट उचित लगा है.”
“जैसा मैंने कहा, मैं धंधे में धोखा नहीं करती.”
पार्थ और रूचि ने एग्रीमेंट पर साइन किया, फिर निखिल और रूचि की सेक्रेटरी ने गवाहों के स्थान पर साइन किये. सेक्रेटरी ने दो प्रतियां बनायीं और उसमें से एक पार्थ को सौंप दी. फिर वो कमरा बंद करके अपने स्थान पर चली गई. रूचि ने अपनी चेक बुक निकाली और २.५ करोड़ का चेक काटकर पार्थ को सौंप दिया.
पार्थ और निखिल दोनों बोल पड़े: “थैंक यू, रूचि मैडम.”
रूचि मुस्कुराई. “ये तो हुई धंधे की बात. अब इतने बड़े निर्णय के लिए कुछ मनोरंजन भी होना चाहिए, क्यों?”
पार्थ और निखिल ने बिना कुछ सोचे सिर हाँ में हिलाया.
“वेरी गुड़.” ये कहकर रूचि ने अपने रिमोट से एक बटन दबाया और उसके पीछे की दीवार दो पाटों में बँट गई.
उस दीवार के पीछे एक सुसज्जित शयन कक्ष था.
रूचि ने इंटरकॉम से अपनी सेक्रेटरी को कॉल किया: “एक घंटे तक मैं व्यस्त हूँ. नो कॉल्स, नो विज़िटर्स। ओके?”
रूचि अपनी कुर्सी से उठकर अंदर जाते हुए बोली,” ओके, बॉयज़, फॉलो मी.”
**********
सास बहू और शॉपिंग:
सागरिका और पारुल सुप्रिया के ऑफिस पहुंचे. सुप्रिया ने अपने ऑफिस में आमंत्रित किया और सुरेखा को भी बुला लिया. सागरिका और पारुल ने सुप्रिया और सुरेखा के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। सुरेखा दोनों बहनों के सौंदर्य पर मुग्ध हो गई. चारों महिलाएं ऑफिस से निकलीं. उन्होंने अपनी सेक्रेटरी को कहा कि अगर कोई आवश्यक काम पड़े तो मोबाइल पर कॉल करे, अन्यथा वो लोग आज वापिस नहीं आएंगे.
सुप्रिया: “शोनाली का फोन आया था. वो भी ३ बजे के पहले हमारे पास पहुँच जाएगी. कह रही थी कि तुम्हें क्रेडिट कार्ड दिया है शॉपिंग के लिए. तो चलकर कुछ शॉपिंग भी करेंगे और कुछ मस्ती भी.”
सागरिका और पारुल दोनों बहुत खुश हुए. ऐसी सास सबको मिले जो मित्र अधिक थी. सब एक मॉल में गए और लगभग दो घंटे खूब घूमे, शॉपिंग की, खाया पिया और अच्छा समय बिताया. जब तीन बजने को हुए तो सुप्रिया ने कहा कि अब घर चलते हैं वहीँ गपशप करेंगे. सब गाड़ी में बैठकर सुप्रिया के घर चल पड़े. बीच ही में शोनाली की कॉल आ गई. सुप्रिया ने उसे भी घर पर ही पहुँचने का आमंत्रण दिया. घर पहुंचकर सबने अपने शॉपिंग के बैग डाइनिंग टेबल पर लगा दिए. सुरेखा अपने सैंडल उतारकर अपने पांव दबाने लगी. सागरिका तुरंत उसके सामने नीचे बैठी और उसके पाँवों की मालिश करने लगी. सुरेखा की आनंद और आराम से ऑंखें बंद हो गयीं.
तभी पारुल ने सुप्रिया से कहा, “आप भी बैठो, मैं आपके पैरों की मालिश करती हूँ. सुप्रिया को उस पर बहुत प्यार आ गया. उसने पारुल के गाल चूमे और सोफे पर बैठ गई. पारुल सुप्रिया के पाँवों की मालिश करने लगी. कुछ क्षणों के लिए सुप्रिया और सुरेखा की आंख लग गई. उन्हें सोता छोड़कर, पारुल और सागरिका किचन में गए और सबके लिए चाय का प्रबंध करने लगे. साथ ही उन्होंने कुछ हल्का सा अल्पाहार भी बना लिया. जब तक ये सब हुआ तब तक सुरेखा और सुप्रिया की आंख भी खुल गई. दोनों एक दूसरे को देखकर खिलखिलाने लगीं.
इतने में चाय नाश्ता आ गया और जैसे इसी समय की प्रतीक्षा हो रही हो, घर की घंटी बजी और शोनाली ने घर में प्रवेश किया. उसने डाइनिंग टेबल पर लगे शॉपिंग बैग देखे तो आश्चर्य में पड़ गई.
सुप्रिया: “ये सब इनके नहीं हैं. मेरे और सुरेखा के भी हैं.” ये कहते हुए उसने शोनाली को गले लगाकर उसके गाल चूमे. “आओ सुरेखा से मिलो.”
शोनाली सुरेखा के गले लगी और दोनों हाथ पकड़कर एक ओर बैठकर बातें करने लगीं. दोनों लड़कियों ने सबको चाय नाश्ता दिया। इस सब में ४ बजने को आ गए थे.
सुप्रिया ने कहा कि वो बियर पीने के मूड में है, क्या कोई उसका साथ देगा. सुरेखा ने हाँ की और फिर शोनाली ने भी अपनी सहमति दे दी. सुप्रिया उठने लगी तो सागरिका ने उसे रोका, “आप बता दो, मैं लेकर आती हूँ.” सुप्रिया ने उसे बताया तो सागरिका पारुल के साथ बियर लेने चली गई. सुप्रिया की ऑंखें छलक गयीं. आज तक किसी ने उसके काम में हाथ नहीं बंटाया था. उसने शोनाली को फिर से गले लगा लिया.
शोनाली: “दीदी, आप अब भावुक मत हो. मेरी बेटी सब संभाल लेगी. अब आपका आराम करने का समय आ चुका है.”
ये कहते हुए शोनाली ने सुप्रिया के होंठ चूम लिए. सुप्रिया के तन बदन में जैसे आग लग गई. उसने उस चुम्बन का उत्तर एक और चुम्बन से दिया. कुछ ही क्षणों में सुप्रिया और शोनाली के शरीर गुत्थमगुत्था हो गए. सुरेखा ये सब देख रही थी और उसके शरीर में भी भूख जाग गयी. सागरिका ने ये सब देखा तो उसने पारुल को संकेत किया और दोनों बहनें सुरेखा की ओर अग्रसर हुईं और उसे अपने बाहुपाश में ले लिया. सागरिका सुरेखा के होंठ चूम रही थी तो पारुल ने उसकी गर्दन और कानों पर अपनी जीभ का जादू चलाया.
शोनाली ने सुप्रिया के वस्त्र निकलते हुए उसे नंगा कर दिया और उसके मम्मे चूसने लगी. पारुल ने जब ये देखा तो उसने सुप्रिया के सामने बैठकर उसके पांव फैलाये और अपनी जीभ से उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया. सुप्रिया इस दोहरे आघात से बेबस हो गई और उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया. पारुल ने उसके पांवों को और फैलाकर अपने आक्रमण में तेजी कर दी. अब वो सुप्रिया की चूत के अंदर तक अपनी जीभ घुसा कर उसे चोद रही थी. इसके साथ उसने अपने बाएं हाथ के अंगूठे और ऊँगली से भगनासे को मसलते हुए दाएं हाथ की एक ऊँगली सुप्रिया की गांड के छेद पर हल्के से सहलाने लगी. शोनाली हर मिनट एक स्तन को चूसती फिर दूसरे को, फिर सुप्रिया के होंठ चूसती. सुप्रिया आनंद की लहरों में बह रही थी.
उधर सागरिका ने सुरेखा को निर्वस्त्र कर दिया था. पर चटर्जी परिवार की तीनों महिलाएं अभी भी अपने पूरे वस्त्र पहने थीं. सागरिका ने सुरेखा को बड़े प्रेम से सोफे पर बैठाया, फिर उसके पांव चौड़े करते हुए उसकी चूत में अपना चेहरा छुपा लिया. शोनाली अचानक खड़ी हो गई और उसने अपने कपड़े आनन फानन में उतार फेंके. उसने सुप्रिया का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया और फिर स्वयं पारुल के पीछे से उसकी गांड को चाटने लगी. उसकी जीभ पारुल की मखमली गांड से उसकी चूत के बीच की यात्रा करने लगी.
सुप्रिया ने उन्हें रुकने का संकेत दिया और वो जमीन पर लेट गई, फिर उसने सागरिका को अपनी और खींचा और उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया. अब शोनाली की बारी थी. उसने सबको एक गोलाकार क्रम में आने का सुझाव दिया और देखते ही देखते एक नए व्यूह की रचना हो गई. पारुल सुरेखा की चूत चाट रही थी. सुप्रिया पारुल की, शोनाली सुप्रिया की सागरिका शोनाली की और सुरेखा ने सागरिका की चूत में अपना चेहरा गढाया हुआ था.
पांचों इस बात से अनिभिज्ञ थे कि उन्हें इस अवस्था में अचंभित आँखों से एक लड़की देख रही थी. और वो कोई और नहीं, संजना थी !
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जॉय का दिन:
जॉय ने अपने ऑफिस पहुँच कर अपने अतिथियों के आगमन का आयोजन किया. १० बजे रिचर्ड और जैसन पहुँच गए. सभी मिलकर सभाकक्ष में चले गए. जॉय के बॉस ने आकर सबका स्वागत किया और उन्हें दोपहर के भोज के लिए आमंत्रित किया और आगे की चर्चा के लिए छोड़कर अपने काम पर चले गए.
चर्चा में ये तय किया गया कि जॉय की कंपनी के उत्पादों को जैसन की कंपनी अपने देश में बेचेगी. इसके ऊपर जो कमीशन है, वो भी तय किया गया. इसी के साथ जैसन भी अपनी कंपनी के कुछ उत्पादों को भारत में बेचने के लिए उत्सुक था. इसके लिए रिचर्ड की कंपनी जॉय की कंपनी के साथ अनुबंध करेगी और उसका सहयोग करेगी. चर्चा बहुत सफल रही और तीनों पक्षों ने एक दूसरे के साथ काम करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किये. इसके बाद जॉय के बॉस के साथ सभी एक पांच सितारा होटल में भोजन हेतु गए और उन्हें चर्चा और अनुबंध से अवगत कराया. बॉस ने सबको बधाई दी. इसके बाद बॉस अपने काम पर चले गए परन्तु ये तीनों वहीँ कुछ देर और बैठे.
जैसन के मन में कुछ चल रहा था, उसे जॉय के हाव भाव से ये प्रतीत हो रहा था कि वो एक खिलाड़ी प्रवत्ति का पुरुष है. एक तो जॉय की सेक्रेटरी के साथ कुछ अधिक खुला बर्ताव और कुछ जॉय की हर आती जाती स्त्री या लड़की का पीछे करती हुई ऑंखें उसे ये विश्वास दिला रही थीं कि ये रंगीन आदमी है. जब जॉय ने बाथरूम जाने की अनुमति ली तब उसकी अनुपस्थिति में जैसन ने अपनी राय रिचर्ड को बताई. रिचर्ड ने उसकी बात को स्वीकारा और कहा कि उसे जॉय और उसकी पत्नी के बारे में कुछ उड़ती हुई बातें सुनाई दी हैं. जैसन के पूछने पर रिचर्ड ने थोड़ा कुछ बताया कि तब तक जॉय लौट आया.
अब जैसन ने बात आगे बढ़ाई , “हम चाहेंगे कि अगर संभव हो सके तो हम दोनों, आप और आपकी पत्नी को अपने घर आमंत्रित करना चाहते हैं. दिन आप तय कर लें, समय शाम ७ बजे का रखें.”
जॉय ने अपने फोन में अपने कैलेंडर को देखकर शुक्रवार अथवा शनिवार का दिन उचित बताया. “परन्तु मुझे शोनाली से भी पूछना पड़ेगा. अगर वो सहमत होगी तो ये दिन ठीक रहेगा.”
रिचर्ड और जैसन ने इस बात को स्वीकार किया और जॉय ने रात में उन्हें अवगत कराने के लिए कहा. इसके बाद सब लोग उठे. जॉय अपने ऑफिस चला गया और रिचर्ड और जैसन अपने घर. शाम को उन्हें अपने अन्य पार्टनर्स के साथ दूसरी पार्टी से मिलने जाना था.
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सुमति:
शीला अपने घर का पूरा भ्रमण करवाने के बाद सुमति को वापिस बैठक में ले गई.
शीला: “इन्होने पूरे घर को वीडियो कैमरों से लैस किया हुआ है. हाँ बाथरूम छोड़ दिए है.”
समर्थ हंसने लगा.
शीला: “और हमारे घर में एक लाइब्रेरी है, जिसकी चाबी केवल इनके ही पास है. बस वही एक स्थान है जो तुमने नहीं देखा.”
समर्थ: “शीला, चाबी ले लो. सुमति तो अब अपने ही घर की सदस्य है. जाओ इसे दिखा लाओ. अगर इच्छा होगी तो मैं भी आ जाऊंगा.”
शीला चाबी लेकर सुमति को बेसमेंट में ले गई. कमरे में प्रवेश करते ही सुमति चकित रह गई. कमरे की एक दीवार पर दर्जनों टीवी लगे हुए थे. उनके सामने सोफे लगे हुए थे और अन्य दीवारें अलमारियों के प्रकार थीं. शीला ने एक अलमारी खोलकर सुमति को दिखाई.
“इन्होनें पिछले कुछ सालों के वीडियो संभाल कर रखे हैं. पहले सीडी में थे, फिर डीवीडी बनाये. और पिछले साल सबको इन्होने हार्ड डिस्क में स्थानांतरित कर दिया.”
“ये किस चीज़ के वीडियो हैं, माँ जी?” हालाँकि सुमति कुछ कुछ समझ चुकी थी पर पूछना ही ठीक समझा.
“चुदाई के, हमारे घर के अंदर के. संभवतः चुदाई का ऐसा कोई प्रकरण नहीं जिसे रिकॉर्ड करके सहेजा न गया हो. इन्हें कभी कभार पुराने वृत्तांत देखने का मन करता है. आओ मैं तुम्हें कुछ पुराने प्रकरण दिखती हूँ.”
ये कहकर शीला ने एक डिस्क निकाली।
“हम्म्म, ये कोई ७ साल पहले की है. देखें क्या है इसमें?” ये कहकर शीला ने एक मशीन में वो डिस्क लगाई और उसके साथ में लगा टीवी चालू कर दिया.
वीडियो की क्वालिटी इतनी अच्छी तो नहीं थी पर कुछ ही समय में सब पात्र समझ आ गए. नीचे लेती हुई सुप्रिया के मुंह के ऊपर शीला की चूत थी और सुप्रिया उसे चूस रही थी. और शीला की पीछे से समर्थ अपना तगड़ा लंड उसकी गांड में डालकर कर जोरदार चुदाई कर रहे थे.
“ओह, लगता है, शुरू में इन्होनें वीडियो चालू नहीं किया था.”
सुमति बोली, “माँ जी, मुझे वो दिखाओ न जिसमे आपके दोनों नाती हों.”
“तब तो दो साल पहले वाले देखने होंगे. रुको, मैं निकालती हूँ.” ये कहकर शीला ने उस समय की एक डिस्क निकाली और बदलकर लगा दी. पुरानी डिस्क उसने यथास्थान लौटा दी.
जब वीडियो चला तो कुछ समय तो अलग अलग दृश्य आते रहे. अचानक शीला ने एक स्थान पर रोक कर फॉरवर्ड करना बंद कर दिया. ये शीला और समर्थ का शयनकक्ष था. और इस समय उसमें शीला और समर्थ अकेले थे.
सुमति ने प्रश्न भरी आँखों से शीला को देखा, तो शीला मुस्कराने लगी.
“जैसे कोई लड़की अपनी पहली चुदाई नहीं भूलती, वैसे ही मैं वो दिन नहीं भूल सकती जब मेरे तीनों सबसे प्यारे पुरुषों ने मुझे एक साथ चोदा था. ये देखकर मुझे वो दिन दोबारा याद आ जायेगा.”
और तत्क्षण कमरे में नंगी सुप्रिया ने प्रवेश किया. उसकी चूत से बहता हुआ रस साफ दिखाई दे रहा था.
“मम्मी, ये सम्भालो अपने नाती. मुझे चोद चोद कर अधमरा कर दिया इन दोनों ने. पर इनके लौड़े हैं कि झुकते ही नहीं.”
उसके पीछे नितिन और निखिल ने नंगे ही प्रवेश किया.
और उसी समय उस कमरे में समर्थ भी आ गए.
“कौन सी वीडियो देख रहे हो?”
“जब आप तीनों ने मुझे पहली बार एक साथ चोदा था.”
“अच्छा।” ये कहकर समर्थ ने अपनी पैंट उतारी और सोफे पर बैठ गए.
“मुझे सुमति की याद आ रही थी. ये लंड बहुत अच्छा चूसती है.”
शीला समझ गई की अब वीडियो देखना संभव नहीं होगा. पर उसने बंद नहीं किया और आगे बढ़कर सुमति के कपडे निकालने शुरू कर दिए. समर्थ भी अब अपने ऊपर के कपड़े निकाल चुके थे. शीला उनके सामने झुकी और उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. अब शीला ने अपने कपड़े उतारे और एक ओर की अलमारी से कोई १० इंच लम्बा एक नकली लंड निकला. उसने उस लंड को सुमति की चूत पर घिसना चालू कर दिया. सुमति की चूत पनिया गई और शीला ने पूरा लंड धीरे धीरे अंदर पेल दिया.
कुछ ही समय में शीला के हाथ तेजी से चल रहे थे. सुमति की चूत नदी के समान बह रही थी और उसका मुंह समर्थ के लंड पर उसी गति से चल रहा था जितनी शीला के हाथ. समर्थ ने सुमति के सिर पर हाथ फेरा और उसे रोक दिया.
“तेरी गांड मारने का बहुत मन है. पर यहाँ नहीं, चल कमरे में चलते हैं.” सुमति अपने कपड़े उठाने लगी तो शीला बोली, “अरे समय मत ख़राब करो. ये बाद में ले लेना.”
कमरा बंद करके तीनों नंगे ही शीला के शयनकक्ष में चले गए. कमरे में शीला लेट गई और सुमति को संकेत किया तो सुमति ने उलटे होकर शीला की चूत में अपना मुंह डाल दिया. अपने सामने सुमति की चूत को थोड़ा सा चाटने के पश्चात् शीला ने डिल्डो दोबारा उसकी चूत में डाल दिया और धीमी गति से उसकी चुदाई करने लगी. समर्थ ने साइड टेबल से वेसलीन निकाला और अपने लंड पर मल लिया. फिर उसने सुमति की गांड को खोलते हुए उसमे अच्छी खासी मात्रा ट्यूब से भर दी. अब जैसे ही समर्थ ने अपने लंड को सुमति की गांड पर लगाया, शीला ने पूरा का पूरा डिल्डो अंदर डाल कर पकड़ लिया और सुमति की चूत पर अपनी जीभ चलाने लगी.
समर्थ ने अपने लंड का दबाव बनाया और सुमति की गांड ने फैलकर उसका स्वागत किया. जब सुपाड़ा अंदर चला गया तो समर्थ ने दबाव बढ़ाते हुए ४ इंच लंड और अंदर डाल दिया. सुमति की चूत में फंसा डिल्डो अब तंग होने लगा था. उसने अपनी सांस रोकी हुई थी, वो जानती थी कि अब समर्थ पूरे लंड को पेलने वाला है. शीला ने सुमति का सिर पकड़कर अपनी चूत में घुसा लिया और उसी क्षण समर्थ ने एक तगड़े झटके के साथ पूरा लंड सुमति की गांड में पेल दिया. अगर शीला ने डिल्डो को पकड़ा न होता तो वो अवश्य ही बाहर निकल जाता. पर शीला के अनुभव ने इस परिस्थिति को पहले ही समझ लिया था. शीला एक हाथ से डिल्डो को दबाये हुए थी और एक से सुमति की सिर को. सुमति की गूँ गूँ की ध्वनि शीला की जांघों के बीच ही दबकर रह गई थी.
समर्थ ने अब अपने पसंदीदा कृत्य अपना ध्यान केंद्रित किया.
समर्थ: “वाह, क्या टाइट गांड है इसकी. सच में इसे चोदकर बहुत मजा आता है.”
शीला: “आप तो गांड के रसिया हो. ऐसी कोई गांड है जिसे आपको चोदने में मजा नहीं आता हो?”
समर्थ हंस पड़ा और अपने धक्कों से सुमति की गांड का कीमा बनाने में जुटा रहा. सुमति भी अब संभल गई थी और उसने शीला की चूत पर ध्यान केंद्रित किया और जो जादू उसने सुप्रिया को दिखाया था वही शीला पर भी किया. शीला अद्भुत अनुभूति से जल्द ही सुमति के मुंह में अपना रस बिखेरने लगी. समर्थ के हर धक्के के साथ सुमति की जीभ शीला की चूत के और भीतर तक चली जाती. सुमति उसे घुमाती और समर्थ के लंड बाहर निकलते हुए उसकी जीभ शीला के अंदरूनी हिस्से को चाटते हुए बाहर आती और फिर धक्के के साथ वापिस अंदर चली जाती.
शीला ने भी अब अपने हाथ के डिल्डो को सुमति की चूत में अंदर बाहर करना शुरू किया. अब सुमति के दोनों छेदों में चुदाई हो रही थी. उसकी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी. गांड की खुजली तो समर्थ का लंड मिटा रहा था, पर चूत का नकली लंड उसे वो सुख नहीं दे पा रहा था. शीला को वस्तुतः ये समझ में आया. उसने समर्थ को हटने को कहा और फिर लेटने को. जब समर्थ लेट गए तो सुमति को अपनी गांड उसके लंड पर रखने के लिए शीला ने आदेश दिया. सुमति ने समर्थ के लंड पर गांड के छेद को टिकाया और पूरे लंड को अंदर ले लिया. अब शीला ने डिल्डो को दोबारा से सुमति की चूत में डाल दिया और अपने हाथों से तेज गति से चुदाई प्रारम्भ कर दी. समर्थ ने भी अपनी पूर्व गति को पाया और अब सुमति की दुगनी चुदाई होने लगी.
पर चाहे मनुष्य कितना भी हृष्ट-पुष्ट क्यों न हो, पर आयु फिर भी अपना अंकुश रखती है. समर्थ भी अब अधिक देर नहीं टिक सकते थे. पर उन्हें ये भी पता था कि झड़ना तो सुमति की गांड के अंदर ही है. यही हुआ समर्थ के लंड का उबलता हुआ लावा सुमति की फटी गांड को सींचते हुए उसे ठंडा कर रहा था. अपना पूरा माल अंदर छोड़कर जैसे ही लंड बाहर निकाला शीला ने डिल्डो को चूत से निकालकर गांड में डालकर उसे सील कर दिया. फिर उसने समर्थ के लंड को बहुत प्रेम के साथ चाटकर साफ किया और चमक उठने के बाद उसे चूम लिया.
फिर उसने सुमति की गांड से डिल्डो निकाला और अपने मुंह से उसे चाटकर साफ किया और समर्थ के रस को अपने मुंह में भर लिया. फिर वो उठी और सुमति के मुंह से मुंह लगाकर उसने आधा रस सुमति को समर्पित कर दिया. सुमति को ये प्रसाद अत्यंत ही रुचिकर लगा और शीला और वो बहुत समय तक एक दूसरे लिपटी हुई एक दूसरे को चुम्बनों से भिगोती रहीं।
अंत में सुमति ने घर जाने की अनुमति मांगी. सब अपने कपड़े लेने के लिए वीडियो कक्ष में गए. समर्थ ने जो डिस्क लगी थी उसे निकाल कर सुमति को दिया।
समर्थ: “आज तक कभी इनमें से कुछ भी बाहर नहीं गया है. मैं आज पहली बार एक अपवाद कर रहा हूँ. इसे संभाल कर रखना और किसी अन्य को बिल्कुल भी न देना. और मेरा अर्थ है किसी को भी. और जल्दी ही इसे वापिस लेकर देना.”
सुमति: “अगर मैं किसी के साथ देखना चाहूँ तो?”
समर्थ: “अपने कमरे में, अपने सामने. मुझे विश्वास है तुम मेरी अवहेलना नहीं करोगी.”
सुमति: “कभी नहीं.”
ये कहकर सुमति ने डिस्क अपने पर्स में राखी, दोनों के गले लगी और पांव छूकर अपने घर चली गई.
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पार्थ और निखिल:
निखिल और पार्थ दोनों मेमनों के सामान रूचि के पीछे चल दिए.
रूचि ने उस कक्ष के बाथरूम में जाते हुए बोली: “मुझे खुली भाषा में बात करने की आदत है. मैं नहा कर आयूंगी और तुम दोनों को भी नहाना होगा. नहाने के बाद शरीर मत पोंछना, मुझे भीगे हुए शरीर अच्छे लगते है, विशेषकर चुदाई के समय. तो अपने कपडे उतारो, यूँ गई और यूँ आई.”
पार्थ और निखिल ने अभी कपड़े निकाले ही थे कि रूचि बाथरूम से बाहर आ गई. उसका सुन्दर तराशा हुआ भीगा शरीर कमरे के उजाले में चमक रहा था. दोनों उसे आँखें फाड़े देख रहे थे. रूचि के चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कान थी. वो जानती थी कि वो बहुत सुन्दर है और बहुत भूखी भी.
“जाओ, मेरे सूखने के पहले वापिस आओ। “ ये कहकर वो एक लम्बे शीशे के आगे खड़े होकर अपने शरीर को देखकर मुग्ध हो रही थी. उसने अपनी चूत पर हाथ फिराया, बिलकुल चिकनी और मुलायम. दो साल पहले उसने वहां लेसर से बाल निकलवाए थे. अपनी फांकों को खोलकर उसने अंदर के गुलाबी छेद को एक ऊँगली से छुआ और उसे अपने होठों पर लेकर चखा। इतने में ही पार्थ और निखिल बाहर आ गए. दोनों के शरीर से पानी टपक रहा था.
“हम्म, बिल्कुल जैसा मुझे पसंद है. अब एक को मेरी चूत को चाटने का काम करना है. कौन करेगा?”
दोनों कुछ नहीं बोले. रूचि ने नाटकीय रूप से अपना हाथ गोल गोल घुमाया और निखिल की ओर ऊँगली करते हुए कहा: “तुम”
और फिर पार्थ की और देखकर बोली: “मैं तुम्हारे लंड का स्वाद लेना चाहूंगी.”
ये कहते हुए वो एक लम्बी लॉउन्ज कुर्सी पर पांव फैलाकर अधलेटी मुद्रा में बैठ गई. निखिल ने नीचे बैठकर उसकी चिकनी चूत का अवलोकन किया. पार्थ ने अपने लंड को रूचि के मुंह से लगाया.
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चूतों की शृंखला:
संजना का मुंह आश्चर्य से खुला हुआ था और वो कुछ बोलना तो चाहती थी, पर उसकी बोलती ही बंद हो गई थी. अब सुप्रिया मौसी ने उसे ये तो बताया था कि उसकी माँ लेस्बियन सम्बन्ध में पहले लीन हो चुकी थीं, पर आज अपनी आँखों से देखने पर भी उसे विश्वास नहीं हो पा रहा था. अंततः उसे अपनी वाणी प्राप्त हो ही गई.
“मम्मी ! मौसी !” उसकी हल्की टूटती हुई पुकार ने अचानक सबका ध्यान उसकी ओर आकर्षित किया. सुरेखा के तो जैसे पांवों के नीचे से जमीन ही निकल गई. पर सुप्रिया की चतुर बुद्धि ने यहाँ भी स्थिति को समझ लिया.
“ओह, माई स्वीट स्वीट संजू. तुम बिल्कुल सही समय पर आयी हो.” सुप्रिया ने उठकर संजना की ओर बढ़ते हुए कहा. “जैसा कि तुम देख रही हो ये हमारा पारिवारिक भोग चल रहा है. और मुझे विश्वास है कि तुम्हारी मिठास के लिए सब आतुर होंगे. पर पहले आओ, मैं तुम्हें अपने नए सम्बन्धियों से अवगत करा दूँ.”
सुप्रिया ने सबका परिचय कराया और सबको संजना से परिचित करवाया. संजना इस बात से ज्यादा विस्मित थी कि सुरेखा ने अपने आप को छुपाने या उसे कुछ समझाने की कोई चेष्टा नहीं की.
“संजना को मैंने अभी कुछ ही दिन पहले चखा था. पहली बार.” ये कहते हुए सुप्रिया ने संजना के वस्त्र निकालने का क्रम प्रारम्भ किया. “सच कहूँ, तो मुझे सुरेखा की याद दिला दी मेरी इस गुड़िया ने. मैंने इससे ये वादा लिया था कि ये किसी भी आदमी से मेरी अनुमति के बिना संसर्ग नहीं करेगी.” अब तक संजना के ऊपर के वस्त्र निकल चुके थे. सुप्रिया ने उसके सामने बैठकर उसके निचले वस्त्र निकालने का उपक्रम शुरू किया. “पर मैंने ये वादा नहीं लिया था कि वो किसी स्त्री से संसर्ग नहीं करेगी.”
वस्त्रहीन संजना के हाथ पकड़कर उसने उसे सुरेखा के आगे खड़ा कर दिया.
“मैंने मौसी के रूप में जो मिठास चखी है, उसकी माँ होने के कारण क्यों न तुम भी उसका रसपान करो.”
ये कहकर उसने संजना को वहीँ छोड़ दिया. और अन्य तीनों की ओर बढ़ती हुई बोली, “हम अपना खेल चालू रखते है.”
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पार्थ और निखिल:
रूचि बड़े चाव से पार्थ का लंड चाट रही थी.
रूचि: “मुझे लम्बे मोटे लौड़े बहुत पसंद हैं, पर उनका उपलभ्ध होना एक समस्या है. और आज तो मेरे हाथ में ऐसे दो दो अस्त्र हैं. ऑफिस में अधिक कुछ नहीं कर पाएंगे, पर मैं तुम्हें अपने घर आमंत्रित करना चाहूंगी.”
पार्थ: “अब आप हमारी पार्टनर हो, आपकी ख़ुशी और संतुष्टि हमारी प्राथमिकता रहेगी. आप अगर एक दिन पहले बता दें तो हम दोनों उपस्थित हो जायेंगे. परन्तु अगर क्लब का कोई कार्य हुआ तो हमें क्षमा करियेगा.”
“हम्म्म, क्लब में तो अब मेरा भी निवेश है, मैं क्योंकर अपना नुकसान करुँगी. क्या तुम दो दिन बाद मेरे बंगले पर आ सकते हो.”
“हाँ, ये संभव है. पर आज भी आपको अपने कौशल का प्रमाण देना चाहते हैं. अपने एक घंटा हमें दिया है, चलिए इसका सदुपयोग करें.”
निखिल अब चूत के पाट खोलकर उसमे अपनी जीभ से खुदाई कर रहा था. उसे इस उम्र की स्त्रियों को क्या अच्छा लगता है, भली भांति पता था. आखिर उसकी पहली शिक्षिका भी रूचि की आयु की ही थी. और उसके दिए हुए पाठ्यक्रम में चूत की चुसाई को अतिरिक्त महत्त्व दिया गया था. निखिल ने रूचि की चूत और उसके आसपास के स्थान को अपने हाथ, होंठ, उँगलियों और दाँतों से हर संभव प्रकार से उत्तेजित किया हुआ था. रूचि अपनी कमर और गांड उछाल कर निखिल के इस आक्रमण को प्रोत्साहित कर रही थी.
रूचि के भग्नासे पर निखिल की थिरकती उँगलियाँ एक लहर के समान चल रही थी. उँगलियाँ चूत के अंदर जाकर स्थान बनातीं और उस रिक्त स्थान को निखिल की जीभ शीघ्र ही भर देती. सांप की जीभ के समान चंचल निखिल की जीभ रूचि के रोम रोम को प्रफुल्लित कर रही थी. उसका रस बह कर उनके गीले शरीरों को और भी भीगा रहा था. पर ये नहीं था कि रूचि केवल अपने सुख में लीन थी. उसने भी पार्थ के लंड पर इतना प्रेम बरसाया हुआ था कि वो अब लोहे के समान तन चुका था. जैसे ही रूचि ने हल्की चीख के साथ अपना पानी निखिल के मुंह में छोड़ा, पार्थ ने अपने लंड को रूचि के मुंह से निकाल लिया.
“रूचि मैडम, अब हमारी परीक्षा का अगला पेपर लिखना है. अगर आपको आपत्ति न हो तो मैं आपकी इस मखमली चूत को चोदना चाहता हूँ. और अगर आप निखिल को अपने इस सुन्दर और सेक्सी मुंह से कुछ देर चाटकर उसे भी मेरी तरह सुख देंगी तो अच्छा रहेगा.”
“ओह, श्योर. मैं भी अब चुदाई के लिए रेडी हूँ. पर हम यहाँ नहीं, बिस्तर पर खेलेंगे.”
रूचि उस कुर्सी से इठलाती हुई उठी और बिस्तर पर जाकर लेट गई.
पार्थ और निखिल उसके ये नखरे देखकर मुस्कुरा दिए और एक सहमति में संकेत किया.
पार्थ: “रूचि मैडम, आपको कैसी चुदाई पसंद है. हम आपकी वैसे ही सेवा करेंगे.” पार्थ जानता था कि रूचि जैसी आत्मविश्वासी महिला ये कभी नहीं स्वीकारेगी कि उसे कोई हरा सकता है.
रूचि: “जितना तुम दोनों के लौंड़ों में दम है, उतनी ताकत से चोदकर दिखाओ मुझे.” विनाश काले विपरीत बुद्धि.
पार्थ ने उसे KBC की तरह एक अवसर और दिया.
“मैडम आपको तकलीफ न हो जाये. आप एक बार और विचार कर लें.”
ये सुनकर रूचि के तन बदन में आग लग गई कि कल के छोकरे मुझे डराने चले हैं.
“अबे सुन, तेरे जैसे लंड मैं तब से ले रही हूँ जब से मैं १९ साल की हुई थी. हाँ तुम्हारे उन सबकी तुलना में कुछ अधिक बड़े हैं, पर मैं भी कोई कच्ची कली नहीं हूँ. दिखाओ मुझे अपनी सबसे जोरदार चुदाई का नमूना. मैं भी तो जानूँ कि मैंने पैसा नाली में तो नहीं फेंके.”
अब पार्थ को क्रोध आ गया, पर उसने अपने आपको संयत किया और एक बड़ी ही सधे स्वर में बोला, “रूचि मैडम, अब आप जब ऐसे चैलेंज दे रही हैं, तो हम भी चाहेंगे कि ये चुदाई हम अपने तरीके से करें. हम जैसे चाहेंगे आपको मानना होगा. नहीं तो इस चुनौती का कोई अर्थ नहीं.”
रूचि अब अपने घमंड के घोड़े से चाहकर भी नहीं उतर सकती थी. हालाँकि उसे लगा कि वस्तुतः उसने गलत लोगों से पन्गा ले लिया है, पर पीछे होना उसकी शान के विपरीत था.
“मुझे स्वीकार है, अब समय मत बर्बाद करो, देखें तुम किस खेत की मूली हो.”
पार्थ और निखिल ने एक दूसरे को देखा और थम्ब्स अप किया कि मुर्गी ने दाना चुग लिया.
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संजना का मात्र प्रेम:
सुरेखा ने अपना हाथ बढाकर संजना को अपने पास खींचकर बैठा लिया.
“तुम मौसी के घर इस समय कैसे आ गयीं.”
“वो मौसी ने मुझे ये सब सिखाया है अभी कुछ दिनों में. मेरा मन कर रहा था तो मैंने सोचा कि मौसी अकेली होंगी तो हम दोनों….”
“अरे मेरी प्यारी गुड़िया रानी. तुझे पता है, हम दोनों कई वर्ष तक एक दूसरे के साथ रोज संसर्ग करते थे. जब नानी ने हमें अलग कमरा देने के लिए कहा, तब भी हम साथ ही रहीं. मौसी शादी के बाद अलग चली गयीं और हमारा ये सम्बन्ध भी समाप्त हो गया. मौसी के तलाक के बाद उन्होंने मुझे फिर साथ होने का निमंत्रण दिया था, परन्तु तब तक मेरी भी शादी हो गई थी. तो सब कुछ वहीँ समाप्त हो गया. पर कुछ दिन पहले, निखिल की शादी तय होने के लगभग एक सप्ताह पूर्व हम फिर से साथ आ गए.”
“और पापा, उनका क्या?”
सुरेखा ने अन्य लोगों की ओर संकेत किया और कहा कि ये बात हम घर पर करेंगे.
“पर अभी मैं भी तुम्हारा अमृत चखना चाहती हूँ.” ये कहते हुए सुरेखा ने अपने होंठ संजना के होठों से मिला दिए. कुछ ही क्षणों में माँ बेटी एक दूसरे में विलीन हो गए.
सुरेखा ने संजना को सोफे पर बैठने के लिया कहा और फिर उसके पांव फैलाकर अपना चेहरा उसकी कमसिन बुर में छुपा लिया.
“उफ्फ्फ ये सुगंध.” सुरेखा ने मन में सोचा. फिर उसने अपनी जीभ को संजना की योनि पर फिराया और वहां पर कामोत्तेजना से उत्पन्न नमी का चटकारा लिया. “उफ्फ्फ ये स्वाद. मैं कितनी भाग्यशाली हूँ जो मुझे इस कच्ची कली का रस प्राप्त हुआ है.” इस विचार के साथ उसने अपने पूरे मातृप्रेम के साथ उस कमसिन कुंवारी बुर पर अपनी जीभ का प्रहार तीव्र कर दिया. अपने हाथों से उस अमृतकलश के पट खोले और अपनी लपलपाती हुई जीभ से उसके अंदर प्रवेश किया. अंदर उस अमृतसुधा में उसकी जीभ एक एक किनारे को छूते हुए अपने लिए जीवनसुधा एकत्रित कर रही थी.
संजना जो इसके पहले सुप्रिया के संसर्ग से इस प्रणाली से अनिभिज्ञ तो न थी पर उसे अपनी माँ के प्रेम की थाह अब अनुभव हो रही थी. उसने अपनी माँ के बालों में प्यार से हाथ फिराने के साथ अपनी पतली बाली कमर को मटकाना शुरू किया. उसकी इस प्रतिक्रिया से उसकी जांघों के बीच छुपी उसकी माँ मन ही मन मुस्कुरा उठी. अब उसकी बेटी पूर्ण रूप से यौवन में पदापर्ण कर चुकी थी. और वो समय दूर नहीं था जब वो अपना कौमार्य किसी पुरुष को सौंप देगी. और तब इस झरने के पानी का स्वाद और सुगंध दोनों बदल जायेंगे. अगर उसका बस चलता और उसमे ऐसी शक्ति होती तो वो इस जल को एक ऐसी शीशी में बंद कर लेती जिसका वो जीवन भर स्वाद लेती.
संजना एक नयी नवेली खिलाड़िन थी. और उसे इस प्यार की चूमा चाटी ने स्वतः ही अपने चरम पर पहुंचा दिया. और उसने एक रुदन के साथ अपनी माँ की मुंह में अमृतवर्षा कर दी. वात्स्ल्य से भरपूर उसकी माँ ने एक बूँद का भी तिरिस्कार नहीं किया. जब संजना का झड़ना थम गया तो तब उसने अपना खिला और भीगा चेहरा अपनी बेटी की चूत से हटाया.
“सच में संजू. तेरा स्वाद अनुपम है. आज तू मेरे ही साथ सोना. हमें कई वर्षों की दूरी को समाप्त करना है.”
सुप्रिया ने ये सुना तो बहुत प्रसन्न हुई. उसने इस कली को फूल बनाने में एक अहम् योगदान जो किया था. कुछ देर में ही माँ बेटी ने सबसे विदा ली. अन्य सभी स्त्रियां भी अब अपने घर जाने को व्याकुल थीं. तो एक दूसरे को चूमकर सब अपने गंतव्य की ओर निकल गए.
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पार्थ और निखिल:
रूचि अपने आपको मानसिक रूप से तैयार कर रही थी. निखिल अपने लटकते हुए लंड को लेकर रूचि के मुंह के सामने आ गया और रूचि को अपना मुंह खोलने को कहा. रूचि ने अपने मुंह को खोलकर अपनी जीभ से निखिल के टोपे पर चमकते हुए मदन रस की बूंदों को चाट लिया और अपना सिर उठाकर निखिल की ओर देखा और मुस्कुराई. निखिल ने भी उसकी इस मुस्कराहट का उत्तर दिया. अब रूचि ने अपने मुंह में लंड को लिया और चूसने लगी. लंड की चौड़ाई अधिक होने के कारण उसे अपने मुंह को सामान्य से अधिक खोलना पड़ रहा था.
उसकी चूत पर भी एक भारी भरकम लंड दस्तक दे रहा था. वो लंड इस समय चूत की लम्बाई पर अपने टोपे से घिसाई कर रहा था. और उस चूत ने अपने ऊपर आने वाले संकट को समझते हुए और अपने लिए रास्ता सरल करते हुए ढेरों पानी को छिड़क दिया था. अचानक पार्थ के चेहरे पर एक पाशविक भाव आया, अगर रूचि इस समय उसे देखती तो संभवतः इस क्रीड़ा को तुरंत रोक देती. पर निखिल ने उसके मन को भटकाया हुआ था, और यही अपनी शक्ति से आश्वस्त रूचि के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ.
“रूचि मैडम!” पार्थ ने पुकारा. रूचि ने अपने मुंह में लंड रखते हुए उसकी और वासनामय आँखों से देखा. पर ये पुकार रूचि के लिए नहीं थी, निखिल के लिए थी. रूचि की ऑंखें एक क्षण के लिए पार्थ से मिलीं और उसकी शरीर भय से सिहर उठा. पर अब बहुत देर हो चुकी थी.
निखिल ने अचानक ही उसका सिर पकड़ा और अपने पूरे लंड को उसके मुंह में धकेल दिया. रूचि की ऑंखें फ़ैल गयीं और आंसुओं से लथपथ होने लगीं. पर उसके अहंकार पर असली आक्रमण पार्थ ने किया जब उसने एक ही लम्बे और शक्तिशाली धक्के में अपना लगभग तीन चौथाई लौड़ा उसकी चूत में गाढ़ दिया. रूचि छटपटाने लगी. उसके आँसू थम नहीं रहे थे. पर इन दोनों शक्तिशाली युवा चुदाई मशीनों के समक्ष उसका प्रतिरोध नगण्य था. पार्थ ने अपने लंड को लगभग पूरा बाहर खींचा और अगले ही धक्के में अपने पूरे मूसल को रूचि की ओखली में जड़ दिया. निखिल ने अपने लंड को बाहर निकाला जिससे रूचि का दम न घुट जाये. रूचि के आँसू अविरल बह रहे थे. पर अब वो सांस ले सकती थी. उसने दया भरी दृष्टि से पार्थ की ओर देखा पर उसे समझ आ गया कि उन आँखों में दया नहीं एक पैशाचिक चमक थी.
उसने अपने आप को अब भाग्य के भरोसे छोड़ दिया.
पार्थ ने अपनी निर्दयता का परिचय देते हुए रूचि को अपने लंड की पूरी लम्बाई से ताबड़तोड़ गति से चोदना प्रारम्भ किया. रूचि निखिल के लंड को इन झटकों के कारण सही प्रकार से चूस भी नहीं पा रही थी. निखिल ने पार्थ को थोड़ी सहजता के लिए कहा तो पार्थ ने अपनी गति कुछ कम कर दी, केवल इतनी कि रूचि निखिल के लंड का भी आनंद ले पाए.
इस घनघोर चुदाई ने रूचि के पोर पोर को खोल दिया था. उसकी चूत अपनी खाल बचने के लिए पानी के धार छोड़ रही थी. रूचि ने जीवन में ऐसी चुदाई कभी नहीं करवाई थी. पर ये भी था कि उसके साथी उससे डरते भी थे और इसीलिए उसे बहुत सहजता से ही चोदते थे. पर आज रूचि ने इन्हे ललकार कर उस सुख को पाया था जो उसे आज तक प्राप्त नहीं हुआ था. उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी. इस कारण अब पार्थ का मूसल भी अब बड़ी सरलता से उसमे परेड कर रहा था. जब पार्थ को लगा कि उसका पानी छूट न जाये तो उसने अपने लंड को बाहर खींचा और निखिल को बागडोर सँभालने का न्योता दिया.
निखिल ने अपने लंड को रूचि के मुंह से निकले और रूचि की खुली चूत के गीलेपन को देखकर एक तौलिये से उसकी चूत को पोछकर कुछ सुखा दिया. उसके बाद उसने पार्थ के ही समान एक लम्बे झटके से अपने लंड को अंदर पेल दिया. अब चूँकि रूचि की चूत में पार्थ का आवागमन हो चूका था तो निखिल के पूरे लंड को भी वो एक ही धक्के में डकार गई. पार्थ ने रूचि को उसके रस से सना अपना लंड चूसने के लिए दिया जिसे रूचि ने बड़ी अधीरता से अपने मुंह में ले लिया। और इस बार निखिल ने अपने जोरदार धक्कों से रूचि की ईमारत हिला दी. पर उसने गति इतनी ही रखी कि पार्थ अपने लंड को रूचि से चुसवा पाए.
पर पार्थ ने ऐसा कोई दया का कार्य नहीं किया वो रूचि के मुंह को चूत समझ कर चोदने लगा. पर अब रूचि भी इस खेल का आनंद उठा रही थी. आज उसने अनुभव किया था कि जिनसे वो अब तक चुदवाती आयी थी वो पहली कक्षा के विद्यार्धी थे और जो आज उसे चोद रहे हैं वो उनसे बहुत आगे. उसके मन में क्लब के अन्य रोमियो से भी चुदने की इच्छा बल पकड़ने लगी. इन सबके बीच उसकी चूत का झड़ना अबाधित था. न जाने कितने वर्षों की प्यास थी जो उसकी चूत के आँसू मिटा रहे थे. पर अंत में उसके शरीर ने हाथ डाल ही दिए. एक फौहारे के साथ उसकी चूत ने एक लम्बी पिचकारी सी मारी और वो ठंडी होकर ढीली पड़ गई.
पार्थ और निखिल का भी अब समय पूरा हो चुका था, पर वो रूचि को अपने प्यार के रस से नहलाना चाहते थे जिससे उसे ये दिन सदैव याद रहे. निखिल अपने लंड को चूत ने निकालकर रूचि के चेहरे के पास आ गया और अपने हाथों से मुठ मारने लगा. उधर पार्थ ने मुंह को तब तक चोदा जब तक कि पक्का न हो गया कि वो झड़ने वाला है. इसके बाद उसने भी अपने लंड को निकाल लिया. दोनों मित्रों ने एक साथ अपने लौंड़ों से रूचि के चेहरे पर गाढ़ा सफ़ेद पानी सींचना शुरू किया. जब चेहरा भर गया तो उसके स्तनों पर भी छिड़क दिया. अंत में पार्थ ने अपने लंड को रूचि के मुंह में डालकर साफ करने के लिए कहा. उसके बाद निखिल ने भी अपने लंड की सफाई करवाई.
इसके बाद दोनों मित्र खड़े होकर अपने संपन्न कार्य का आकलन करने लगे. उनके वीर्य से भीगी सुन्दर रूचि अब उन्हें और भी रुचिकर लग रही थी. इस समय वो एक अति संपन्न और बड़ी व्यवसाई न होकर एक सस्ती वेश्या प्रतीत हो रही थी. रूचि ने कुछ समय बाद अपनी आंख खोलकर उन दोनों को उसे इस स्थिति में देखते हुए पाया.
“क्या देख रहे हो? ऐसा माल पहले नहीं भोगा होगा.”
पार्थ और निखिल ने उत्तर देना आवश्यक नहीं समझा, क्योंकि ये धंधे की बात थी पर हामी में सर हिला दिया.
“तुम चुदाई बहुत अच्छी करते हो. मेरा घर के लिए निमंत्रण अभी भी है. और इस बार... “ रूचि ने अपनी ऊँगली से एक थक्के वीर्य को लिया और अपनी गांड में उस ऊँगली से डाला. ‘’... इस छेद का भी स्वाद दूंगी.”
अब ऐसा प्रलोभन हो और कोई न करे ऐसा हो ही नहीं सकता.
“चलो अब नहा कर साफ हो जाओ. अपनी एक घंटे की छुट्टी समाप्ति पर है. तीनों साथ ही नहा लेते हैं.”
तीनों जल्दी से नहाये और कमरे से बाहर निकले. रूचि ने रिमोट से कमरे को लॉक किया. फिर इंटरकॉम उठाया.
“आधे घंटे और रुकना फिर अगले अपॉइंटमेंट वाले को भेजना. और घर जाने के पहले मेरे कमरे की सफाई कर देना और कपड़े बदलकर जाते हुए लॉन्ड्री में देती जाना.”
फिर उसने पार्थ को देखा, “ मुझे तुम्हारे साथ बिज़नेस करना रास आएगा. पहली बार मैं कोई बिज़नेस आनंद के लिए करूंगी.”
पार्थ: “रूचि मैडम. आप क्यों नहीं उस अभिनेत्री के शो को देखने आतीं? और कुछ बातें और....”
रूचि: “सोचकर बताती हूँ. और क्या बात है?”
पार्थ: “आप क्यों नहीं हमारी चयन समिति में शामिल हो जातीं? पार्टनर होने के कारण हर दूसरे नए रोमियो का इंटरव्यू आपको लेना होगा। और इंटरव्यू का तात्पर्य होता है प्रार्थी की चुदाई की तकनीक और क्षमता का आकलन.”
रूचि: “ओह, तो तुम मुझे रिश्वत दे रहे हो. मैं इस बारे में भी सोचकर ही बताऊंगी. पर प्रस्ताव अच्छा है. और क्या बात है.”
पार्थ: “कल क्लब में एक विशेष आयोजन है, ११ बजे से. हमें शुशी होगी अगर आप आ सकें तो. एक तो आप क्लब की व्यवस्था देख लेंगी. और कल सभी रोमियो उपस्थित होंगे और आप उनकी क्षमता को देख सकती है. इससे आपको अपने लिए सेवादार चुनने में मदद होगी.”
रूचि: “हम्म्म तब तो कल छुट्टी ही लेनी होगी. मैं प्रयास करुँगी आने का. अरे प्रयास नहीं, मैं अवश्य आऊंगी. पर किसी से अभी मिलूंगी नहीं. वो सब बाद में. क्लब की व्यवस्था इत्यादि भी मैं किसी और दिन देखूँगी. पर अब प्लीज मुझे क्षमा करो, मुझे अब दूसरे कार्य भी संपन्न करने है. तुम दोनों का धन्यवाद, मुझे इतना सुख देने के लिए.”
पार्थ ने अपना ब्रीफ़केस खोलकर चेक किया और देखा कि चैक ठीक से रखा है. तभी रूचि ने रिमोट उठाया और पार्थ को अपने पीछे दरवाजा खुलने की आहत सुनाई दी.
“थैंक यू, रूचि मैडम.” कहते हुए पार्थ और निखिल वहां से निकल गए.
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शोनाली का घर:
शाम हो चुकी थी. सारे पंछी लौट कर घर पहुँच चुके थे.
बैठक में बैठे सब भोजन के पहले की ड्रिंक ले रहे थे.
पार्थ ने सबको नयी पार्टनर और फाइनेंस के बारे में बताया. जॉय को बहुत गर्व हुआ कि पार्थ ने रूचि जैसी शक्तिशाली स्त्री को अपना पार्टनर बनाया है. इसके बाद उनके क्लब की सफलता निश्चित थी.
जॉय ने जैसन के साथ हुई नयी संधि के बारे में बताया और शोनाली से पूछा कि वो कब जाना चाहेगी. शोनाली ने उसे सोचकर बताने के लिया कहा.
सुमति ने शादी की तैयारी से समर्थ और शीला के संतुष्ट होने का शुभ समाचार दिया. सब इस बात से बहुत प्रसन्न हो गए.
शोनाली ने फिर सागरिका और पारुल के साथ सुप्रिया के घर का प्रकरण बताया और सुरेखा और उसकी बेटी के अद्वितीय सौंदर्य की भरपूर प्रशंसा की. ये सुनकर सबके मन ललचा गए और उनके मुंह में पानी आ गया.
फिर सबने भोजन किया और कुछ समय के लिए टीवी पर कुछ कार्यक्रम देखे.
“हम्म्म्म, तो सभी लोग किसी न किसी खेल में व्यस्त रहे आज, मुझे छोड़कर.” जॉय ने हँसते हुए कहा.
“ओह, पापा ! अगर दिन सूना गया है तो क्या हुआ. हम आपकी रात रंगीन करेंगे.” सागरिका और पारुल ने एक स्वर में कहा.
दोनों ने उठकर जॉय का हाथ लिया और लगभग घसीटते हुए उसे अपने कमरे में ले जाने लगीं. अचानक पारुल ने पीछे मुड़कर देखा.
“बुआ, आप भी आ ही जाओ. आपको डबल प्रसाद खिलाएंगी हम दोनों बहनें.”
सुमति तपाक से उठी और अपने होंठों पर जीभ फिरते हुए उन तीनों के पीछे चल पड़ी.
“मामी, अब आप किसके बिस्तर पर चुदना चाहोगी? अपने या मेरे?”
शोनाली बिना कुछ बोले पार्थ का हाथ पकड़कर अपने कमरे में चली गई.
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बॉलीवुड अभिनेत्री का शयनकक्ष:
वो सुन्दर अभिनेत्री इस समय एक मोटे लंड पर उठक बैठक कर रही थी. लंड की पूरी चौड़ी के कारण उसकी चूत पूरी फैली हुई थी और इसमें उसे बहुत आनंद आ रहा था.
“सच में हरजीत, तेरा अपना पारिश्रमिक लेने का ये तरीका मुझे बेहद पसंद है. मैं तो चाहूंगी कि तुम ऐसे ही मेरे लिए शो का आयोजन करते रहो.”
“मैडम, जब तक आप अपनी इस चूत का लालच मेरे लिए रखेंगी, तब तक मैं आपको काम की कमी नहीं होने दूंगा.”
ये वही हरजीत था जो विशेष शो इन दोनों के लिए आयोजित करता था और इस उद्योग के गुप्त नियमों के आधार पर उसे एक रात का सहवास प्राप्त था. पर आज अभिनेत्री के मन में कुछ और भी इच्छा थी. उसने सोफे पर नंगे बैठे अपने पति की ओर देखा तो उसका लंड इस समय पूरे जोश में था. अभिनेत्री का मन उसके प्रति प्रेम से भावुक हो उठा.
“जानू , क्यों नहीं तुम अपने लंड को मेरी गांड में डाल लेते. मुझे विश्वास है कि हरजीत को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी.”
हरजीत: “यस, बॉस. आई एम ओके विथ देट”
विवाह से पहले अभिनेत्री ने बहुतेरे लोगों से गांड मरवाई थी. आखिर इस उद्योग में सबका गांड मारना ही सबका उद्देश्य होता है. पर शादी के बाद उसने अपनी गांड केवल अपने पति के लंड के लिए सुरक्षित कर दी थी. हालाँकि इसके कारण उसके हाथ से कुछ फ़िल्में छूट गयीं, पर उसने अपने वचन को नहीं तोड़ा.
प्रौढ़ अभिनेता ने साइड टेबल से वेसलीन निकली और अपनी सुन्दर पत्नी के पीछे आ गया. और कुछ ही समय में वो अतिसुन्दर फिल्मों में चरित्रवान दिखने वाली अभिनेत्री दो लौंड़ों से चुद रही थी. और आने वाले अपने गैंग-बैंग की कल्पना कर रही थी.
क्रमशः
ये अभिनेत्री का क्या चक्कर है ?
अगला अप्डेट समय से पहले आएगा ना जैसा की आपने बोला था ...कहानी की स्पीड बढ़ाने कोइनका चक्कर आपको मिश्रण २ में पता लगेगा। तब तक ऐसे ही चलेगा।
अगला अप्डेट समय से पहले आएगा ना जैसा की आपने बोला था ...कहानी की स्पीड बढ़ाने को
good start
3,5 and last one i.e 8th one is my favouriteThank you, which episode did you like the most till now and which family?