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Incest कैसे कैसे परिवार

prkin

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prkin

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1) Arpita Chatterjee & Prosenjit ( 40 & 48 ), son Trishanjit
2) Rachana Banerjee & Prabal ( 45 & 48 ), son Pranil

Very juicy couples. Let me see, if I can fit them in any future editions.
Message me some outline of your idea in direct message.
 

TharkiPo

I'M BACK
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छठा घर: दिया और आकाश पटेल
अध्याय ६.२

पिछले भाग से आगे:

नीलम के बंगले में:


जब लड़कों ने रमोना की गांड का प्रस्ताव सुना तो उनकी बांछें खिल उठीं. अब ये नहीं था कि उनमें से किसी ने गांड नहीं मारी थी, पर एक नयी गांड में अपने लंड को पेलने का सपना सबका होता है. पर उन्हें ये भी लग रहा था कि रमोना शायद कुछ अधिक नशे में है. यही सोचकर सचिन उसके पास गया.

सचिन: “मॉम, मेरे विचार से अब आपको और नहीं पीनी चाहिए. नहीं तो आपको चुदाई का असली आनंद नहीं आएगा.” सचिन जानता था कि केवल यही एक कारण था जिसके कारण रमोना पीने पर लगाम लगाती. उसने कई बार उसे इतना धुत देखा था कि वो चलने या बोलने तक में असमर्थ थी. और ये उसके साथी हितेश के साथ अनर्थ होता.
रमोना: ”मेरा लाल, माँ का कितना ध्यान रखता है. ठीक है अब कुछ देर के लिए कुछ नहीं पियूँगी.”

सभी उठकर खाने में मग्न हो गए. अच्छी शराब और अच्छी चुदाई से सबकी भूख चमक उठी थी. तब रमोना से दिया ने पूछा कि क्या उसके मन में कुछ और भी खेल हैं?

रमोना ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा: “यार मेरा तो हर समय खेलने का ही मन करता है. पर मैं आज अपनी गांड पर शर्त लगवाना चाहती हूँ. वैसे तो हितेश ही मेरी गांड मारने का सही हक़दार होना चाहिए, पर मैं एक दूसरा खेल सोच रही हूँ.”

ये सुनकर हितेश का मुंह उतर गया. रमोना उसे देखकर खिलखिलाने लगी.

“खेल ये है, कि हम चारों स्त्रियों को एक पर्ची में नंबर मिलेगा १ से ४ तक. और खाने के बाद जब भी हम अगला राउंड खेलेंगे उसमें हम अपने अपने साथी का लंड चूसकर झड़ायेंगे. जो पहले झड़ेगा उसे १ नंबर वाली की गांड मिलेगी और जो अंत में उसे ४ वाली की. पर किसका क्या नंबर है ये तुम लड़कों को कोई नहीं बताएगा जिससे तुम लोग कोई बेईमानी न करो. अगर दो स्त्रियां आपस में बदलना चाहें तो वो एक दूसरे से बदल लेंगे. कैसा है ये आइडिया खेल का.”

सबने कुछ देर सोचा फिर इस प्रस्ताव को पारित कर दिया. और फिर खाने पर टूट पड़े.

**********

घर पर:

मेधा को कुछ सुझाई नहीं पड़ रहा था. कौन हैं ये लोग? कैसा है ये परिवार? बेटी बाप और ताऊ का वीर्य चाटती है और इस प्रकार दर्शाती है जैसे ये सामान्य बात हो. और ये भी साफ था कि निशा को इस बारे में पता था. इतनी जल्दी जल्दी शराब पीने से उसे वैसे भी नशा होने लगा था. पर तभी घर की घंटी बजी और उसका ध्यान उस ओर गया. उसने जल्दी से उठकर अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोला. रेस्त्रां से खाना आ गया था. उसने पार्सल लिया और अपने पर्स से पैसे निकालकर डिलीवरी बॉय को दिए. ये तो अच्छा था कि दरवाजे से अंदर का दृश्य नहीं दिख सकता था नहीं तो डिलीवरी वाला भी लंड खड़ा करके जाता. फिर उसने किचन में जाकर खाना बर्तनों में डाला और प्लेट इत्यादि को डाइनिंग टेबल पर सजाया और खाना भी लगा दिया.

इस पूरे समय में निशा दोनों भाइयों के बीच में बैठी चुहल करती रही. जब खाना लग गया तो निशा उठी और नंगी ही घर के अंदर चली गयी. कोई ५-७ मिनट में वो कनिका के साथ वापिस लौटी. कनिका ने अपनी खाली बियर की बोतल को फेंक कर फ्रिज से एक नयी बोतल निकली और उसे खोल कर एक ही घूँट में आधी पी ली.
“उफ्फ्फ्फ़, क्या गर्मी हो रही है. ए सी भी काम नहीं कर पा रहा.”
“कुछ तो गर्मी तुम्हारे पापा और ताऊजी ने भी बढ़ाई हुई है.” निशा ने हँसते हुए कहा.
“आंटी, आप जहाँ हो वहां गर्मी अपने आप हो जाती है.” कनिका ने भी उसका उसी स्वर में उत्तर दिया. उसने अपनी बियर अगले ही घूँट में समाप्त कर दी.
“आप क्या पी रही हो आंटी? मेरा मतलब लौड़े के रस के आलावा.”
अब जहाँ मेधा इस आदान प्रदान को आश्चर्य से देख सुन रही थी, वहीँ निशा खिलखिला उठी.
“व्हिस्की. मुझे बियर का नशा पसंद नहीं और इसके बाद मुझे सुस्ती भी आती है. और इन दोनों के साथ सुस्त होना मानो अपनी ऐसी तैसी करवाना है. खाना खा लें?”
“ओह, श्योर. खाने के बाद और बियर लूंगी.”
“खाने के बाद?”
“पीने और चुदने के लिए मेरा कोई नियम नहीं है.” दोनों इस बात पर फिर खिलखिला उठीं.

अब तक आकाश और आकार खाने की टेबल पर बैठ चुके थे और मेधा उन्हें परोस रही थी.
कनिका ने मेधा का हाथ पकड़ा और कुर्सी पर बैठाया, “आप बैठो, मैं परोसती हूँ.”

कुछ ही समय में सब खाने में मग्न हो गए. खाना शाकाहारी था और उनके प्रिय रेस्ट्रॉं से था. कुछ ही देर में सबने मन भर के भोजन किया और फिर स्त्रियों ने मिलकर सब सफाई की. फिर सब बैठक में जाकर टीवी देखने लगे.

आकाश: “कनिका, क्या हुआ तुम मम्मी के पास जाने के स्थान पर यहाँ क्यों आ गयीं.”
कनिका: “ताऊजी, वहां मम्मी और चाची अपने मजे के लिए जाती हैं. मेरे रहने से उनके लिए कमी होती है. यही सोचकर मैं घर ही आ गयी.”

मेधा अभी भी इस परिवार के बीच में संबंधों को नहीं समझी थी. निशा ने कनिका को संकेत किया तो कनिका बोल उठी: “निशा आंटी और मेधा दीदी, आइये मेरे कमरे में मैं कुछ दिखाना चाहती हूँ आप दोनों को.”

तीनों कनिका के कमरे में चले गए. कमरा बंद करके कनिका और निशा ने मेधा को प्रेम से बैठाया और समझाने लगे.

निशा: “मेधा, तुम्हें कुछ अचरज ही रहा होगा कि इस घर में सब सेक्स के बारे में इतना खुल कर क्यों बात कर लेते है. ये परिवार स्वच्छंद विचारों में विश्वास रखता है. और कोई भी किसी के साथ भी सेक्स कर सकता है.”

कनिका ने मोर्चा सँभालते हुए बात आगे बढ़ाई, “ये जीवनशैली सामाजिक नियमों के विपरीत है, और इसीलिए इस विषय में अधिक लोगों को नहीं पता है. आज तुम्हें जो पता लगा है, हम विश्वास करते हैं कि इसे तुम केवल अपने तक ही रखोगी. वैसे भी कोई तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं करेगा, पर हम नहीं समझते कि इसकी आवश्यकता पड़ेगी.”

मेधा: “नहीं, इसकी आवश्यकता नहीं है. मेरे ऊपर सर के इतने उपकार हैं कि मैं जीवन पर्यन्त नहीं उतार सकती. उनके साथ छल तो कदापि नहीं करूंगी.”

निशा और कनिका ने उसे एक साथ बाँहों में भर लिया और बड़े प्यार से उसे चूमने लगे. इसके बाद वे लौटकर बैठक में आ गए और बैठ गए.

कनिका: “डैड, अब आपका क्या कार्यक्रम है?”

आकाश और आकार की ऑंखें मेधा की ओर मुड़ गयीं. मेधा के शरीर में सिहरन हुई.

“मेरे विचार से अब हम दोनों मेधा की सवारी करना चाहेंगे,” आकाश ने कहा.
“एक साथ” आकार ने जोड़ा.

निशा: “मैं इसे तैयार करती हूँ.”
कनिका: “मैं कुछ देर देखना चाहूंगी.”

आकाश: : “नो प्रॉब्लम.”

निशा उठी और मेधा के और अपने कपडे निकालने लगी.

**********

नीलम के बंगले में:

खाने के बाद सब लोग आराम से बैठ कर बातें करने लगे. रमोना का भी नशा कुछ कम हो गया और वो भी अब ठीक से बात कर पा रही थी. सचिन और हितेश के कहने पर और ड्रिंक्स न लेने का निर्णय हुआ. अगर कोई चाहता तो सोने के पहले पी सकता था. अचानक दिया का फोन बज उठा. वो फोन लेकर कमरे से बाहर चली गई. लौटी तो गहरे सोच में थी.

“हितेश, क्या तुम्हारे कॉलेज की छुट्टी है कुछ दिनों?”
“नहीं तो, मौसी. पर हाँ विश्वविद्यालय के कुछ कॉलेज बंद हैं २ सप्ताह के लिए, परीक्षा की तैयारी के लिए. पर हमारे कॉलेज में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. पर बात क्या है ?”
“अरे कुछ नहीं. चल मजा करते हैं.”

रमोना किचन में जाकर एक कागज और कलम ले आई और उसने चार पर्चियां बना दीं. स्त्रियों ने एक एक करके पर्ची में अपना नंबर पढ़ा और रमोना को लौटा दिया. रमोना ने नंबर के साथ नाम लिखा और किचन में जाकर कहीं रख दिया. अब कपड़े तो किसी ने पहने थे नहीं और लड़के पर्ची निकलते देखते ही वापिस टनटना गए थे. सोफे पर बैठकर वो अपने तने हुए लंड सहला रहे थे. हर स्त्री ने अपने निर्धारित साथी के सामने बैठकर उसके लंड को प्यार से पुचकारते हुए चूमने, चाटने और चूसने का कार्यक्रम शुरू कर दिया. लड़के अपने भाग्य पर इतराते हुए अपनी साथी महिला का जोश बढ़ा रहे थे.

इस बार के खेल में कोई प्रतियोगिता का पुट नहीं था, क्योंकि किसी को नहीं पता था कि किस गांड में कौन सा लंड जाने वाला है. इसी कारण सब आनंद ले रहे थे. स्त्रियां बहुत प्यार और पुचकार से लंड पी रही थीं, जैसे कि कोई पसंद की आइसक्रीम चाट रही हों. लड़कों को भी कोई जल्दी तो थी नहीं. आज वो स्त्रियों के दास जो थे. लंड, टोपा, टट्टे और कभी कभी गांड को चाटती हुई महिलाएं अब अपने भी उत्तेजित हो रही थी. कमरे में अगर लड़कों के रस की गंध थी तो चूतों से झरते पानी की भी मादक सुगंध व्याप्त थी. आलोक वो पहला लड़का था जो झड़ा. असली में वो बैठे हुए लंड तो चुसवा ही रहा था पर उसके सामने बैठे हितेश के लंड को चूसती रमोना की गांड ने उसे इतना आकर्षित किया कि वो जल्दी ही झड़ गया.

उसके बाद एक एक करते हुए हितेश, पुनीत और अंत में सचिन भी झड़ गए. सबके लौंड़ों के पानी ने गले सींचे और अपनी साथिन की प्यास बुझाई. अब ये देखना था कि किस लंड के भाग्य में किसकी गांड लिखी थी. सो रमोना उठकर किचन में गई और पर्चियां उठा लाई. उसने जिस नंबर से लड़के झड़े थे उस नंबर की पर्ची उन्हें सौंप दी. और फिर कहा कि वो अपने साथिन का नाम घोषित करें. और जब नाम पढ़े गए तो सभी आश्चर्य में आ गए.

आलोक: “प्रीति”
हितेश: “रमोना”
पुनीत: “नीलम”
सचिन: “दिया”

आश्चर्य इसीलिए था कि सबको अपने ही साथी का नंबर मिला था. ऐसा चमत्कार कैसे हुआ, कोई नहीं समझ पाया. पर अगले राउंड के पहले कुछ रुकना आवश्यक था, अधिक नहीं पर इतना कि लंड सही तरह से खड़े हो पाएं. गांड में पेलने के लिए लंड ज्यादा सख्त होना चाहिए.

नीलम ने आलोक और हितेश को स्टोर रूम से गद्दे ले कर आने के लिया कहा. इनके साथ पुनीत और सचिन भी गए और गद्दे, उसके लिए चादरें और तकिये लेकर आये और उन्हें बीचों बीच बिछा दिया. उसके बाद आलोक किचन से सरसों के तेल से भरी एक पिचकारी वाली बोतल ले आया. अब सब तैयार था: गद्दे बिछे हुए थे, तेल की शीशी भरी हुई थी, लौड़े गांड फाड़ने को तत्पर थे और गांड वालियाँ उत्सुकता से अपनी गांड में खुजली कर रही थीं. ये खेल अब शुरू होने वाला था.

**********

घर पर:

“तुम बहुत सुन्दर हो, मेधा दीदी.” कनिका ने उठकर अपने कपड़े उतारते हुए कहा. “मैं चाहूंगी कि आप मुझे अपना स्वाद चखने दें.”

ये कहते हुए कनिका मेधा के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसने अपने मुंह को मेधा की चूत पर जड़ दिया. अब वो अपनी जीभ से किसी कुत्ते की भांति मेधा की चूत चाट रही थी. निशा ने भी अवसर देखकर मेधा के पीछे घुटनों के बल बैठकर अपना मुंह उसकी गांड में घुसा दिया और अपनी लपलपाती हुई जीभ से उसकी गांड के छेद को चाटने लगी. कनिका ने मेधा के नितम्ब पकड़कर उसे अपने मुंह की और खींचा और उसकी चूत में अपनी जीभ का प्रवेश कर दिया. नितम्ब खींचने से मेधा का गांड का छेद कुछ और खुल गया और इसका लाभ उठाकर निशा ने अपनी जीभ उसमे धकेल दी. आकाश और आकार ये दृश्य देखकर पागल से हो गए और उनके लौड़े और अधिक तन गए. मेधा को खड़ा होने में परेशानी हो रही थी. उसका शरीर एक अद्भुत अनुभूति से काँप रहा था.

कुछ ही देर में कनिका और निशा ने मेधा के दोनों छेद अच्छे से गीले और चिकने कर दिए. उसे छोड़कर अब दोनों आकाश और आकार की ओर बढ़ीं और उनके लंड अपने मुंह में लेकर उन्हें भी अच्छे से गीला और चिकना कर दिया.

“डैड, आप नीचे लेटो.” कनिका ने आकाश को कहा.

आकाश लेट गया और निशा हाथ पकड़कर मेधा को लेकर आयी और उसे आकाश के लंड को अपनी चूत में लेने के लिए कहा. मेधा ने अपने पैर आकाश के दोनों ओर किये और फिर उसके लंड पर बैठती गई. देखते ही देखते आकाश का पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक जम गया. मेधा सांस रोके अपने ऊपर होने वाले इस दुहरे आक्रमण की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही थी. अब बारी थी आकार की. निशा ने अपने उंगलियों में थोड़ी वेसलीन लगाई और मेधा की गांड पर रख दी. अंदर डालने का कार्य आकार को करना था. आकार ने अपने लंड को मेधा की फैलती सिकुड़ती गांड पर रखा और हलके से दबाव के साथ सुपाड़े को प्रविष्ट कर दिया. मेधा थोड़ी कुनमुनाई. पर कोई विरोध नहीं किया. आकार ने हल्के धीमे दबाव को बनाये रखा और उसका लंड शनैः शनैः मेधा की गांड में अपनी उपस्थिति बढ़ता गया.

जब दो तिहाई लंड मेधा की गांड को नाप चूका था, तब आकार ने अपने लंड को बाहर खींचा और हल्के धक्के लगते हुए और गहराई तय की. फिर उसने अपने लंड को बाहर खींचकर एक हल्का मगर शक्तिशाली धक्का दिया और मेधा की चीख के साथ उसकी गांड को चीरते हुए पूरे लंड का झंडा गाढ़ दिया. मेधा हल्के हल्के सुबक रही थी, पर विरोध अभी भी नहीं था. उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसके दोनों छेद किन्ही विशाल मूसलों से भर दिए गए हों. पर उसे पता था कि ये केवल प्रारम्भ था. असली गांड कुटाई तो अब होनी थी.

आकाश अब नीचे से चूत में लंड आगे पीछे करने लगा. आकार रुका रहा और मेधा को दो लंडों का सुख एक ओर के घर्षण में आ रहा था. फिर आकाश ठहर गया और इस बार आकार ने लंड मेधा की गांड में आगे पीछे करने लगा. कुछ समय तक यूँ ही चलता रहा, पहले आकाश चूत पेलता फिर आकार गांड. फिर ये क्रम बदल गया. इस बार जब आकाश ने चूत में लंड चलाया तो साथ साथ आकार ने भी साथ दिया. अब दोनों के लंड एक साथ अंदर और बाहर हो रहे थे. मेधा के आनंद की अति हो चुकी थी. पिछली बार इन भाइयों से उसे बहुत बेरहमी से चोदा था, पर आज जिस प्रकार से चोद रहे थे वो सच में आनंद दे रहा था.

उधर कनिका और निशा आपस में लिपटे हुए थे और एक दूसरे की चूत पी रहे थे. रह रह कर दोनों इस तिकड़ी पर भी दृष्टि डाल लेते, परन्तु आपस में ही उन्हें अनंत सुख मिल रहा था. मेधा की चूत अब बहुत रस बहा रही थी और ये बहकर आकाश की जांघों पर फ़ैल रहा था. इसके कारण घर्षण कुछ काम हो गया था. और इसका एक उपाय यह था कि ताल बदली जाये. संकेत पाने पर आकार अपने लंड को अब आकाश के विपरीत चलाने लगा. जब आकाश लंड डालता तब आकार निकालता और इसी लय में दोनों भाई मेधा को चोद रहे थे. मेधा पर भी अब एक मदहोशी सी झा रही थी. वो अलग अपनी गांड उछाल रही थी.

अचानक मेधा का शरीर अकड़ गया और वो ऊल जलूल चीखती हुई ढेर हो गई. उसकी चूत से निकले फौहारे ने इस बार आकाश और आकार दोनों को भिगा दिया था.

ये देखकर कि मेधा झड़ चुकी है निशा और कनिका ने अपने खेल पर विराम लगाया और दोनों मेधा के एक एक ओर चली आयीं। भाई लोग समझ गए और सबसे पहले आकार ने अपने लंड को मेधा की गांड से निकाला और निशा के मुंह में डाल दिया. निशा उसे बड़े प्रेम से चूम चाटकर दोबारा मेधा की गांड में डलवा दी. इस पुरे समय आकाश ने चोदना बंद नहीं किया था. पर जब आकार ने लंड अंदर डाला तो उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया। इस बार कनिका ने उसे चूम चाट कर प्यार किया और मेधा की चूत में लौटा दिया. इस क्रम से मेधा के शरीर और मन की शृंखला बाधित हो गई. वो इसमें अपूर्व आनंद ले रही थी, परन्तु उसके झड़ने के लायक उसकी चूत में अब रस बाकी न था.

अंततः आकार ने अपना माल मेधा को गांड में समर्पित कर दिया पर अपने लंड को वहीँ गड़ाए रखा. जस आकाश ने अपना पानी मेधा की चूत में छोड़ दिया, तब जाकर दोनों भाई मेधा से अलग हुए. मेधा वहीँ पर ढह गई. और कनिका उसके ऊपर टूट पड़ी. चूत और गांड से बहते कामरस का पूरा सेवन करने के पश्चात् ही कनिका ने अपना सिर ऊपर किया. निशा दोनों भाइयों के लौड़े और उनके टट्टों और जांघों पर बिखरे हुए मेधा के रस को चाट रही थी. जब कुछ बाकि न बचा तो कनिका और निशा ने एक दूसरे का गहरा चुम्बन लेकर रसों का आदान प्रदान किया और फिर वहीँ लेट गयीं.

आकाश और आकार बाथरूम गए और लौटते हुए अपने लिए ड्रिंक बनाते हुए आये. फिर मेधा के पास जाकर उसको बड़े प्यार से सहलाते हुए पूछा कि वो ठीक तो है.

मेधा: “सर, ऐसा आनंद मुझे कभी कल्पना में भी प्राप्त नहीं हुआ. आप लोग सच में कमाल हैं.”

ये सुनकर दोनों भाइयों से संतोष की सांस ली. अब ये लड़की हमारे साथ नियमित चुदाई करेगी.

कुछ देर बाद सब सोने ले लिए चल पड़े. मेधा आकार के साथ चली गई और निशा आकाश के साथ.

"पर डैड और ताऊजी, कल सुबह मुझे भी ऐसी ही चुदना है.” कहते हुए कनिका अपने कमरे में चली गई.

**********

नीलम के बंगले में:

औरतों ने अपना स्थान ले लिया, सबने घोड़ी का आसन ग्रहण किया हुआ था और सिर को तकिये पर लगाया हुआ था. इससे उनका पिछवाड़ा ऊपर उठा हुआ था और गांड उभरी हुई थी. पहले नीलम, फिर प्रीति, फिर दिया और रमोना एक दूसरे को देख सकती थीं क्योंकि उनके चेहरे एक दूसरे के सामने थे. अब सारे लड़कों ने अपनी अपनी गांड के पीछे अपना स्थान लिया. पुनीत नीलम के पीछे, आलोक प्रीति के, हितेश रमोना के और अंत में सचिन दिया की गांड के पीछे खड़ा हो गया.
आलोक ने अपने हाथ एक हाथ से प्रीति की गांड को फैलाया और दूसरे हाथ से अपने हाथ में उपस्थित तेल की शीशी के नोक से प्रीति की गांड में उपयुक्त मात्रा में तेल भर दिया. उसने प्रीति के नितम्बों को थोड़ा हिलाया जिससे कि तेल अंदर चला जाये. जो तेल बाहर निकला उसने अपने हाथ में लेकर उसे अपने लंड के टोपे पर लगा लिया. फिर उसने बोतल हितेश को दी जिसने समान उपक्रम के साथ रमोना की गांड ने तेल डाला और अपने लंड पर भी लगे. यही प्रणाली सचिन और पुनीत ने भी अपनाई। अब चारों लौड़े अपने लक्ष्य को भेदने के लिए तत्पर थे. और उन्हें ये दिख रहा था कि उनके सामने उपस्थित गांड भी खुलकर और बंद होकर उनके इस आगंतुक की प्रतीक्षा में थी.
चार लंड अपने लक्ष्य के मुंह पर अपने हथियार को लगाए और दबाव बनाते हुए अपने टोपे को उस तंग गली में प्रविष्ट कर दिया. चारों स्त्रियां ने जो इस आगमन के लिए उत्सुक थीं, एक गहरी साँस ली. उनकी इच्छा जो पूरी होने वाली थी.

धीरे धीरे लंड अपने अपने लक्ष्य को भेदने लगे. हर गांड इस प्रतीक्षा में थी कि कब उसकी गहराई भरी जाएगी. लंड बिना रुके अपनी लम्बाई को गांड की गहराई से नाप रहे थे. औरतों में से कुछ बेचैन होने लगीं थीं, वो चाहती थीं कि जल्द ही उनकी चुदाई शुरू हो, पर लड़कों के मन में ऐसा कोई विचार नहीं था. गांड मारने के सुख में से सबसे अप्रतिम आनंद लंड को पहली बार अंदर डालने का ही होता है. जैसे जैसे एक एक मिलीमीटर लंड का रास्ता तय होता है, लंड में एक अभिन्न सी अनुभूति होती है. एक एक करके लंड अपनी जड़ तक जा समाये, पर सचिन अभी भी लगा हुआ था. जिनकी ऑंखें दिया को देख रही थीं वो उसके चेहरे पर पीड़ा भरे आनंद के भाव देखतीं. दिया की गांड में इतना मोटा और लम्बा लौड़ा कभी नहीं गया था, हालाँकि उसने खेला बहुतों से था. पर फिर उसके चेहरे पर कुछ सांत्वना के भाव दिखाई दिए. सचिन के पूरे लंड ने उसकी गांड पर अपना अधिकार जमा लिया था.

लंड अब गांड के अंदर अपना आवागमन प्रारम्भ कर चुके थे. छोटे और हल्के धक्कों से लंड अपनी राह आसान कर रहे थे. ये सर्वविदित था कि ये केवल तूफ़ान के पहले की शांति है. कुछ ही समय में ये शांति टूटेगी और तूफ़ान उनकी गांड की धज्जियाँ उड़ा देगा. पर उनके इस पूरे आयोजन का प्रयोजन ही ये था. उन सबको अपनी गांड प्यार से नहीं बल्कि दमदार तरीके से मरवाने का शौक था. और ये पूरा प्रेम का नाटक बस कुछ ही क्षणों के लिए था. रमोना जैसी महा चुड़क्कड़ औरत से ये सब प्रेम प्यार अब सहन नहीं हो रहा था.

“गांड ऐसे ही हिजड़े की तरह मारता है क्या? कुछ तो दम दिखा.” हितेश के तन बदन में जैसे आग लग गई. उसने अपने पूरे लंड को निकला और एक जानदार धक्के में अंदर पेल दिया.
“ये हुई न बात, अब लगा कुछ हो रहा है. अब मिटा मेरी गांड की खुजली. अगर तू जरा भी हल्का पड़ा तो तेरा लंड काटकर खा जाऊंगी कच्चा ही.”

हितेश ने भी अब अपना अमानवीय रूप धारण कर लिया. और उसके धक्के लम्बे और तेज हो गए. रमोना की गांड का रोम रोम आनंद से चीख पड़ा. उसकी आनंदभरी सीत्कारों और चीखों से कमरा भर गया. और उसके साथ एक एक करके अन्य महिलाएं भी जुड़ गयी. सबसे अधिक दर्दनाक चीख दिया की थीं. उसकी गांड में ऐसा मूसल कभी नहीं गया था. और उसे कोई जल्दी नहीं थी गांड की धज्जियाँ उड़वाने की, वो तो पहले वाली गति से ही संतुष्ट थी, पर रमोना के कारण उसे भी उसी दरिंदगी को झेलना पड़ रहा था. सचिन ने ये सोचा था कि दिया भी उसकी माँ की तरह ही उसके लंड पर झूम उठेगी. पर उसके लिए अभी समय था. दिया की चीखों में आनंद कम और पीड़ा अधिक थी. अन्य दो महिलाएं भी इसी नौका में थीं पर उनकी गांड में सचिन जैसा लंड नहीं था.

अब ऐसा भी नहीं था कि लड़कों को गांड मारने मिली थी तो उन्होंने चूत का ध्यान नहीं रखा था. चूत में किसी ने एक तो किसी ने दो उँगलियाँ डाली हुई थीं और उन्हें वो अंदर बाहर कर रहे थे, जितना संभव हो पा रहा था. चारों औरतें अब दो तीन बार झड़ चुकी थीं और आनंद की चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थीं.

अचानक ही पुनीत ने नीलम के भग्नाशे को अपनी उँगलियों से मसल दिया. नीलम को जैसे बिजली का झटका सा लगा और वो चीखती हुई एक बार फिर झड़ गई और उसके पानी से नीचे बिछा बिस्तर और गद्दे भीग गए. उसकी गांड पुनीत के लंड को अपने अंदर सामने के लिए सिकुड़ गयी और इसका परिणाम ये हुआ कि पुनीत भी अपने चरम पर जा पहुंचा. वो अपने आप को रोक न पाया और उसने नीलम की गांड में अपने लंड का रस छोड़ दिया. नीलम और पुनीत वहीँ ढेर हो गए. पुनीत का लंड अभी भी उसकी गांड में ही था. दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए थे. नीलम ने उसे चूमने के लिए सिर घुमाया और दोनों एक दूसरे के साथ चुम्बन में लीन हो गए.

रमोना जो इन सबसे अधिक अनुभवी थी उसने हितेश के लंड पर अपनी गांड से चुसाव करना शुरू किया. अब हितेश का लंड उसकी गांड में और भी सट कर और तंग होकर जाने लगा. रमोना की चूत जितना पानी छोड़ सकती थी छोड़ चुकी थी. अब वो लौड़े का पानी पीने के लिए उत्सुक थी. हितेश ने जब अनुभव किया कि वो अब अधिक समय नहीं टिक पायेगा तो वो रमोना की चूत, विशेषकर उसके भग्नाशे को जोर जोर से रगड़ने लगा. रमोना के शरीर ने उसके इस विचार को कि वो अब और नहीं झड़ सकती गलत सिद्ध कर दिया. और हितेश ने जैसे ही अपने गाढ़े वीर्य से उसकी गांड को सींचा, उस गर्म संवेदना और चूत पर प्रहार से रमोना इस बार काँपते हुए झड़ने लगी. उसके शरीर ने अब उसका साथ छोड़ दिया और वो उसी स्थिति में आनंद से कराहते और सुबकते हुए ढीली पड़ गई. हितेश ने धीरे से अपना वीर्य और गांड के रस से सना हुआ लंड बाहर निकाला और रमोना के ही पास लेट गया. रमोना ने उसके चेहरे को हाथ में लिया और चूमने लगी.

आलोक और सचिन भी बहुत पीछे नहीं रहे और उन्होंने भी प्रीति और दिया की गांड में अपना पानी छोड़ा और उनके साथ लेटकर प्रेमालाप करने लगे. कुछ समय पश्चात् औरतों से सफाई के लिए बाथरूम की राह ली और लड़कों ने भी एक दूसरे बाथरूम का प्रयोग किया. बाहर आने के बाद चादरें उठाकर धोने के लिए डाल दी गयीं और गद्दे और तकिये वापिस स्टोर में लौटा दिए. सबको प्यास लगी हुई थी तो इस बार दिया ने सबके लिए बियर खोल ली. उसकी चाल की लचक बता रही थी कि सचिन के लंड ने भीतर तक आघात किया है. पर उसके चेहरे पर छाई लालिमा और चमक इससे मिली संतुष्टि को भी दर्शा रही थी.

सबने अपनी बियर समाप्त होने के बाद सोने के लिए अपने कमरे की ओर प्रस्थान किया. कल सुबह एक नया दिन था और कुछ तो नया होने की आशंका थी.

**********

घर पर:

सुबह होने पर सबने नाश्ता किया और उसके बाद मेधा और निशा ने अपने घर जाने की अनुमति मांगी. दोनों को अपने कुछ काम करने थे. कुछ ही समय में वे नहा धोकर घर चली गयीं. आकाश और आकार भी अपने कुछ काम में व्यस्त हो गए. कनिका कुछ समय के लिए बाहर चली गई. खाने के लिए उसने कहा कि वो कुछ पैक करवाते हुए आएगी और इसीलिए घर में शांति थी. दोनों भाई टीवी पर एक मैच चल रहा था उसे देखने लगे और कुछ देर के लिए सोफे पर ही बैठे हुए सो गए. उठने के बाद दोनों अपने कमरे में जाकर लेट गए और वहीँ पर टीवी पर कुछ कार्यक्रम देखने लगे.

दोपहर १ बजे के बाद कनिका भी लौट आयी और सबके लिए खाना परोसा. सबने प्रेम पूर्वक खाना खाया. फिर कनिका अपने कमरे में चली गई. जाने के पहले उसने ३ बजे दोनों को तैयार रहने के लिए कहा. सबने अपने कमरे में जाकर कुछ समय निकला और ३ बजे लौटकर बैठक में आ गए. कनिका सबसे अंत में आयी और उसने बस एक झीनी सी नाइटी पहनी थी और ये विदित हो रहा था कि उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना है. आकाश और आकार के लौड़े टनटना गए. इसका अर्थ यही था कि कनिका ने जो कल डबल चुदाई की इच्छा व्यक्त की थी वो उसके लिए गंभीर थी.

‘क्या हुआ कनिका, तुम्हारा क्या विचार है?” आकाश ने पूछा.
“ताऊजी, मैंने कल ये निश्चय किया कि मैं भी इस डबल चुदाई का मजा लेने के लिए तैयार हूँ.”
“पर अभी तक तो तुम मना करती आयी थीं. तुम्हारी मम्मी और ताई तो कब से ये आनंद ले रही हैं.”

“अब देखिये तो आप लोग मेरी चूत और गांड दोनों ही मार चुके हैं और मुझे इसमें मजा भी बहुत आता है. पर कभी दोनों एक साथ नहीं मरवाई हैं. मुझे डर लगता था, मम्मी और ताई जी बहुत अनुभवी हैं और वर्षों से ये सब कर रही हैं. दूसरे आप लोग जिस प्रकार से उनकी चुदाई करते थे उससे भी मुझे डर लगता था.”
“फिर अब क्यों?”

“कल मैंने जब आप दोनों को मेधा दीदी को यही सुख इतने प्यार से देते हुए देखा तो मैंने भी इसका आनंद लेने का प्रण किया. पर वैसे ही प्यार और संयम से जो अपने कल दिखाया था.”

“तुम जैसे चाहोगी, वैसे ही करेंगे.”

ये सुनकर कनिका का चेहरा खिल उठा. वो मटकते हुए आकाश और आकार के सामने खड़ी हो गई. उसने सधे हाथों से बड़े ही कामुक अंदाज में अपने उस झीने गाउन की डोरी खोली और कन्धों को झटका. गाउन धरती पर धराशयी हो गया. दोनों भाई इस शरीर को कई बार देख और भोग चुके थे, पर आज के इस दृश्य ने उनके शरीर में आग लगा दी. दोनों ने अपनी टी-शर्ट उतार फेंकी. कनिका उसी मादक चल के साथ आगे आयी और उसने दोनों के बीच में स्थान ले लिया.

“मेरे प्यारे पापा और ताऊजी, आज मुझे वही सुख दीजिये जो घर और बाहर की हर स्त्री को आप मिलकर देते है.” ये कहते हुए उसने एक एक करके दोनों के होंठ चूमे और नीचे उनके शॉर्ट्स पर हाथ फेरने लगी.

दोनों भाइयों के इससे अधिक निमंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं थी. उन्होंने तुरंत अपने शॉर्ट्स को उतार फेंका और कनिका के एक एक स्तन को अपने मुंह में लेकर भूखे बच्चे के समान चूसने लगे. कनिका भी कहाँ पीछे रहने वाली थी. उसने अपने दोनों हाथ एक एक लंड पर रखे और उनके ऊपर हाथ चलने लगी. पहले से ही तने लंड अब फटने की कगार पर जा पहुंचे. कनिका ने दोनों को अपने मम्मों से अलग किया और आकाश के लंड को अपने मुंह में लेकर भूखी भिखारन की तरह चूसने लगी, फिर उसने आकार के लंड को मुंह में लिया और उसे भी चूसने लगी. कुछ देर यूँ ही वो बदल बदल कर लंड चूसती रही. पर आकार ने उसे रोक दिया.

आकार ने उसे सोफे पर लेटने के लिए कहा और उसके पैर फैलाकर उसकी चूत में अपना मुंह डालकर चाटने लगा. आकाश ने कनिका के चेहरे के दोनों ओर पांव रखते हुए उसे अपना लंड प्रस्तुत किया. कनिका ने उसे अपने मुंह में लिया और इस बार चाटते हुए चूसना भी शुरू किया. कमरे में इस समय वासना का उन्माद था. आकाश का लंड कनिका के मुंह में था तो आकार का मुंह कनिका की चूत की खुदाई कर रहा था.

परन्तु आकाश ने ये त्रिकोण को तोड़ दिया और अपने लंड को कनिका के मुंह से निकाला और उसने कनिका और आकार को शयनकक्ष में चलने के लिए कहा. वहां जाते ही आकाश ने कनिका को उसके मुंह पर बैठकर उसके लंड को चूसने के लिए कहा, जिसे 69 का आसन कहा जाता है. जब कनिका ने ये आसन लेते हुए आकाश का लंड चूसने लगी तो आकार ने उसकी उठी हुई गांड पर अपना ध्यान केंद्रित किया. उसकी उभरी हुई गांड के बीचों बीच बने सितारे को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया. उसने अपना मुंह उस सितारे पर लगाया और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा. इस आक्रमण से कनिका की गांड का छेद स्वतः ही खुलने बंद होने लगा.

उसकी जीभ उस कुलबुलाते छेद को अपनी नोक से छेड़ने लगी तो स्वाभाविक रूप से वो अब फ़ैल गया. आकार ने अपने हाथों से उसकी गांड के पाट खोलकर अपनी जीभ से धीरे धीरे अंदर विचरण करना शुरू किया. कनिका चिहुंक पड़ी. उसे अपने पिता की इस योग्यता का कई बार अनुभव हो चुका था और वो हर बार की तरह इस बार भी इस कला की प्रशंसा करने से नहीं चूकी.

“पापा, सच में आप जैसे गांड चाटते हो न, इतना मजा आता है कि मैं बता नहीं सकती. इतनी मीठी सी गुदगुदी होती है कि लगता है मैं स्वर्ग में हूँ.”

“तुम्हारी गांड है ही इतनी स्वादिष्ट कि कितना भी इसे चाटो, मन नहीं भरता. पर अब ये बताओ की तुम किसका लंड अपनी गांड में लेना पसंद करोगी?”

“पापा, इस बार तो आपका ही. ताऊजी, आप नाराज़ तो नहीं हो रहे हो?”
“अरे तुझसे मैं कभी नाराज़ हो सकता हूँ, आज नहीं तो कल सही. हम कहाँ जा रहे हैं?” आकाश ने उसे विश्वास दिलाया.
आकार: “तो फिर सही आसन लिया जाये?”

ये सुनकर आकाश सीधा लेट गया और उसका लंड ऊपर की ओर तन कर खड़ा हो गया. कनिका ने अपनी चूत को उसके लंड की सीध में लिया और उसके ऊपर बैठते हुए उसे निगल लिया. उसकी चूत इतनी रसीली हो चुकी थी की उसे पूरा लंड लेने में अधिक समय नहीं लगा. एक बार जब उसकी चूत में लंड अच्छे से जम गया तब आकाश ने उसकी कमर पकड़कर उसे आगे झुकाया जिससे उसकी गांड ऊपर उठ जाये. कनिका ने आगे झुककर आकाश के होंठों से अपने होंठ लगा दिए. और जब ये चुम्बन चल रहा था, तब आकार ने अपने लंड पर और कनिका की चूत में तेल अच्छे से मला और ऊँगली से ये तय किया कि कनिका की गांड उसके लंड के लिए तैयार थी.

इसके बाद आकार ने अपने लंड को कनिका की गांड पर रखा और दबाव दिया. उसका सुपाड़ा कुछ प्रतिरोध के पश्चात् गांड में प्रविष्ट हो गया. कनिका के मुंह से एक हल्की सी हूक निकली. पर आकाश के होंठ उसे अपने में बांधे हुए थे. आकार ने अपने दबाव को कम नहीं किया, लगातार वो अपने लंड को कनिका की गांड में बढ़ाता रहा. जब उसका लंड लगभग आधा अंदर चला गया तब आकार रुक गया. वो कनिका को कुछ समय देना चाहता था इस दोहरे हमले के द्वारा हो रहे किसी भी पीड़ा या असुविधा से अपने आपको को अभ्यस्त करने का. कुछ समय उसी प्रकार ठहर कर कनिका की प्रतिक्रिया को देखता रहा. जब उसे लगा कि कनिका को कोई परेशानी नहीं है, तो उसने दोबारा अपने लंड को अंदर धकेलना शुरू कर दिया. और कुछ ही समय में उसके लंड ने कनिका की गांड को पूरा भर दिया.

ये नया अनुभव कनिका की कल्पना के परे था. उसे आज अपनी माँ और ताईजी का इस दुहरी चुदाई से प्यार समझ आ रहा था. अगर दो लंड उसके अंदर सिर्फ ठहरे हुए इतना आनंद दे रहे थे, तो आगे आने वाले सुख का कोई पर्याय नहीं होगा.

“पापा, ताऊजी, अब आप मुझे चोदिये. पर प्लीज प्यार से. मुझे इस ऊंचाई से भी ऊपर जाना है. और मुझे विश्वास है कि आप दोनों मुझे आनंद का वो शिखर स्पर्श करवाएंगे जो मेरे स्वप्न में भी कभी नहीं आया होगा.”

आकाश अपने लंड को अब कनिका की चूत में एक सधी हुई लय में चलने लगा. आकाश और आकार ने वही प्रक्रिया अपनाई जो उन्होंने मेधा के लिए अपनायी थी. पहले आकाश अपने लंड से चूत पेलता, फिर आकार अपने लंड से गांड. ऐसा करने से कनिका के दोनों छेद और बीच की झिल्ली ने अपने आपको इसके अनुकूल ढाल लिया. और अब उसे और अधिक सुख की कामना होने लगी.

कनिका के बदलते भावों को देखकर दोनों भाइयों ने भी अपनी ताल बदली और अब वो एक लंड अंदर और एक बाहर करने लगे. गति सामान्य से कम रखी, जिसके कारण कनिका का रोम रोम प्रज्वलित हो उठा. उसने आकाश को गहरे चुम्बनों से लथपथ कर दिया. दोनों भाई इस प्रकार की चुदाई के प्रवीण महारथी थे. उन्होंने अपनी गाड़ियों के गियर बदले और अब एक साथ दोनों लंड अंदर बाहर विचरण करने लगे. कनिका स्वयं को भूल चुकी थी. उसका मस्तिष्क अब केवल उसकी चूत और गांड की भावनाओं पर ही केंद्रित था, मानो बाकी अंगों का कोई स्थान ही न हो. अन्य अंग जैसे शिथिल हो गए थे. कनिका की आँखों के आगे ब्रह्मांड के सभी तारे घूम रहे थे. अलग अलग चमक और अलग अलग रंग लिए हुए.

आकाश और आकार अब अपनी गति भी बढ़ा चुके थे, कनिका इस मंथन में पिसती हुई एक अकल्पनीय कामोन्माद से व्यथित थी. उसकी आँखों के आगे के तारे कभी झिलमिलाकर तो कभी बस यूँ ही ठहर कर उसे ब्रह्मांड की यात्रा में ले चले थे. दोनों भाई उसकी इस खोई हुई मति का पूरा लाभ उठा रहे थे और आप एक दूसरे के विपरीत दिशा में पूरी गति और शक्ति से लंड चला रहे थे. अचानक जैसे कनिका के आँखों के आगे से वो चमकती हुई वस्तुएं लुप्त हो गयीं और उसे अपने शरीर के निचले हिस्से में से कुछ अलग सा होता हुआ प्रतीत हुआ. उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया परन्तु निचले शरीर से स्त्राव रुक नहीं रहा था. उसे कुछ ज्ञान न था कि उसे क्या हो रहा है. वो एक झूले पर थी और कभी आगे तो कभी पीछे से कोई उसे धकेल रहा था.

आकाश और आकार ने कनिका के उन्माद और उत्सर्ग की इस अधिकता को समझ लिया और दोनों ने तेज और गहरे धक्कों के साथ कनिका के दोनों छेद अपने सफ़ेद रस से भर दिए. कनिका को ये लगा कि जैसे उसके सूखे निचले शरीर में किसी ने पानी से उसकी जलन दूर की हो. ये जल ठंडा भी था और गर्म भी. पतला भी, गाढ़ा भी. ऐसा क्या था जो उसकी भूख और प्यास दोनों मिटा रहा था. वो मूर्छा की स्थिति में भी उसके शरीर से बहते हुए रस के स्त्राव और उसमे प्रवेश करते हुए रस के मिलाप का अनुभव तो कर रही थी, पर वो कुछ भी समझ पाने की अवस्था में न थी.

वो आगे की ओर झुककर गिर गयी. आकाश ने उसकी कमर पकड़कर उसे संभाला और आकार ने अपने लंड को उसकी खुली फटी गांड में से धीरे धीरे बाहर खींच लिया. फिर वो हट कर खड़ा हो गया. आकाश ने कनिका की कमर पकड़कर एक कुलाटी लगाई और वो उसके ऊपर आ गया. दो तीन बार अपने लंड को चलाने के बाद उसने भी अपने लंड को बाहर निकला और आकार के पास खड़ा हो गया.

“लगता है इसका भी नीलम वाला ही हाल हुआ है, जब उसकी पहली बार डबलिंग की थी.”
“हाँ, बेटी माँ पर ही गई है. चलो इसके मुंह पर पानी छिड़ककर इसे इस संसार में लौटा लाते हैं.”

आकार ने पानी के कुछ छींटे कनिका के चेहरे पर मारे तो वो हड़बड़ाकर उठ गई.
“मैं कहाँ हूँ? कौन हो आप लोग? और ऐसे क्यों खड़े हो?”

दोनों भाई मुस्कुराते रहे. कनिका के मस्तिष्क में जब लहू प्रवाहित हुआ तो उसे जैसे सब याद आने लगा.

“पापा, ताऊजी. क्या सचमुच.”
दोनों भाइयों ने हाँ में सिर हिलाया.

“मैं मूर्ख थी जो इतने दिनों से इसे टाल रही थी. पर अब नहीं. मैं क्या सच में मर कर जीवित हुई हूँ?” कनिका ने दोनों हाथों से एक एक लंड पकडकर पूछा.

“लगता तो यही है. वेलकम बैक.”

कनिका बिना उत्तर दिए उन लौडों को चूसने लगी जिसने उसे ये असीम सुख दिया था, बिना इस विचार के कि वो इसके पहले किस गली से निकले थे.

**********

नीलम के बंगले में:

सुबह सभी लोग आराम से ही उठे. किसी को कोई जल्दी तो थी नहीं. कुछ लंड चाटे गए, कुछ चूतें चाटी गयी. कुछ चुदी तो कुछ अनचुदी ही नाश्ते के लिए आ गयीं. सब बड़े ही अनौपचारिक रूप में बैठे और नाश्ता किया. इसके बाद दिया ने जैसे बम्ब फोड़ा.

“कल जो फोन आया था, वो मेरी किट्टी की सहेली सबीना का था. उसे पता है कि हम लोग यहाँ हैं और उसने आने की जिद की है. शायद वो आने ही वाली हो कुछ देर में.” ये कहते हुए दिया ने सबीना के बारे में बताया कि किस प्रकार उसके जेठ के तीन लड़के उसके घर में रहते हैं और माँ बेटी को चोदते है.

“कह रही थी कि कल से उनके कॉलेज परीक्षा की तैयारी के लिए २ हफ्ते के लिए बंद हैं और वो तीनों अपने घर गए हुए है. इसीलिए वो यहाँ आ रही है.”

ये सुनकर जहाँ लड़कों की बांछे खिल गयीं वहीँ महिलाओं के चेहरे उतर गए.

“प्लीज, मैं उसे मना नहीं कर सकती हूँ. हम एक दूसरे के राज जानते हैं, और सब समझ सकते हो कि ये बातें बाहर जाने का क्या अर्थ है.” सबने सिर हिलाकर माना कि ये बहुत हानिकारक होगा.

“पर एक बात और है, जो सबको अटपटी और शायद बुरी लगे.”
“अब और क्या बचा है?” नीलम ने चिढ़कर पूछा.
“नीलम, प्लीज. मैं भी तुम्हारी तरह इस बात से अधिक खुश नहीं हूँ. मैंने सोचा था कि वो अपना मन बदल लेगी, पर उसने सुबह फिर आने की पुष्टि कर दी. रियली सॉरी।”
“ठीक है, भाभी. अब जो है सो है. आप कुछ कह रही थीं इस सबीना के बारे में.”

“हाँ, क्या है न वो गालियाँ बहुत देती है. क्यों न हम उसे फटाफट चुदवाकर भेज दें और फिर अपना आनंद लें. शाम वापिस घर लौट चलेंगे.”

सबने सलाह करके यही सही समझा की चारों लड़कों को उस पर छोड़ देंगे और फिर उसे भागने का प्रयास करेंगे. नाश्ते के बाद सब नहाने और तैयार होने के लिए चले गए.

नहाने के बाद सब लौटकर आये ही थे कि एक कार रुकने की आवाज़ आयी और फिर घंटी बजी.

दिया उठते हुए बोली, “सबीना ही होगी. इसे जल्दी भगाना होगा.”

दरवाज़ा खोलने पर एक अति सुन्दर, पर थोड़ी गुदाज मध्यम आयु की स्त्री ने प्रवेश किया और दिया के गले लग गयी और उसे चूमने लगी.
“दिया, दिया, दिया, मेरी प्यारी सखी. तू तो बड़ी निखरी हुई लग रही है. लगता है खूब चुदाई हुई है तेरी.”
दिया का चेहरा लाल हो गया.
“सबीना, आ जा अंदर. सबसे मिलती हूँ तुझे.”

दिया अंदर आयी और सबसे सबीना का परिचय कराया. लड़कों के मुंह से लार टपकने लगी. औरतों के मुंह पर कोई भाव नहीं थे.

“क्या हुआ सबीना, मेरी याद कैसे आ गई तुझे? और सना कहाँ है. मैं तो सोची थी कि तेरे साथ ही आएगी.”

अब सबीना ने जो बोलना शुरू किया तो सबके छक्के छूट गए.

“अरे यार, तू तो जानती है की मेरे मादरचोद जेठ के तीनों हरामजादे लौंडे इतने दिन से मेरे घर में पढाई के बहाने रुके हुए थे. पिल्ले साले पढाई न जाने कब करते थे, जब देखो तब मेरे और सना पर चढ़े रहते थे. सुबह उठते ही चूत और गांड मारकर भोसड़ी वाले लाल कर देते थे. और कॉलेज से लौटकर फिर पिल जाते थे. मेरी तो गांड का इंडिया गेट बना गए बहनचोद.”

सबकी इस बात पर हंसी छूट गयी, पर सबीना के चेहरे को देखकर सबने अपनी हंसी रोक ली.

“कल साले रंडी की औलाद बोले कि कॉलेज बंद है दो हफ्ते के लिए तो अम्मी ने बुलाया है. मैंने कहा कि रहने दो यहीं घर में रहकर पढाई करो तो बोले नहीं अम्मी कह रही थी कि दो हफ्ते उसकी चुदाई करने के लिए. कहने लगे बड़ी बेताब हो रही है. आखिर में न माने और चले गए माँ के लौड़े. और तो और भोसड़ी वाले सना को भी साथ ले गए. और वो भी बहन की लौड़ी बड़ी इठलाती हुई बाय अम्मी कहकर चली गई.”

“चल अच्छा है, अब तुझे दो हफ्ते तो आराम मिला. रोज़ रोज़ चुदने से तेरा हाल ख़राब हो गया होगा.”

“चुदवाने से भी कभी हालत खराब होती है. कल से चूत और गांड सूनी और सूखी है मेरी. मेरा चेहरा देख कैसा उतर गया है. मुझे तो वजन भी कम हो गया लगता है.”

दिया ने व्यंग से उत्तर दिया,”हाँ दिख तो रहा है की सूख गयी हो बिल्कुल।”

सबीना के कटाक्ष को समझा नहीं और अपनी बात फिर शुरू कर दी.
“फिर मुझे कल शाम को ध्यान आया कि तू नीलम भाभी के घर आयी हुई है, चुदाई के कार्यक्रम के लिए, तो मैंने भी अपनी चुदाई के लिए तेरे पास आने का तय किया. सुन, तेरे पास ये चार चार लौड़े है. कुछ देर चुदवा दे इनसे, तेरा बड़ा कर्म होगा. बड़ी दुआयें मिलेंगी.”

दिया ने कुछ सोचने का नाटक किया.

“ऐसा है सबीना. मुझसे तेरी ये हालत देखी नहीं जा रही.” फिर नीलम, प्रीति और रमोना की ओर देखकर. “क्यों न हम इस दुखी आत्मा को इन चारों के साथ एक ही बार में चुदवा दें जिससे इसकी तृप्ति हो जाये और फिर ये अपने घर सुकून से लौट सके.”
पहले निश्चित किये अनुसार सबने हामी भर ली.

सबीना ने दिया का चेहरा फिर चूम लिए.
“तेरी जैसी सहेली ऊपर वाला सबको दे. तुझे बड़ी बरक्कत मिलेगी.” ये कहते हुए सबीना खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने लगी.

“यहाँ?” दिया आश्चर्य से पूछ बैठी.
“अरे अब तुझसे क्या छुपाना. तुम सब भी तो मिलकर चुदवाती हो.”
फिर हतप्रभ बैठे लड़कों को देखकर. “तुम भोसड़ी वालों को क्या में सोने से जड़ा न्योता भेजूं. आ जाओ जल्दी से. फिर न जाने कब मुझे लौड़े मिलेंगे.”

लड़कों में यकायक तत्परता आ गयी और सब पलक झपकते ही नंगे हो गए.

सबीना ने जब उन्हें देखा तो उसका मुंह खुला रह गया.

“क्या लौड़े हैं इन मादरचोदों के. अगर ये मुझे मिल जाएँ तो मैं उन तीनों हरामियों को वहीँ अपनी अम्मी की झांटों में लिपटे रहने के लिए कह दूंगी. दिया, क्या तुम सच में इस सबसे चुदवाती हो?”

दिया ने सिर हिलाकर हाँ कहा तो सबीना बोल पड़ी, ”तुम्हे किस्मत से ऐसे लौड़े मिले हैं. मैंने तो बस इनके सपने ही देखें हैं आज तक.”

चारों लड़कों ने अब तक सबीना को घेर लिया था.

“आंटी, आप मम्मी की दोस्त हो तो आपको खुश करना हमारा कर्तव्य है. आप विश्वास कीजिये कि आज की चुदाई के बाद आप हमारे सिवाय किसी से चुदवाने नहीं जाएँगी.”

ये कहते हुए आलोक ने सबीना के कन्धों पर हाथ रखा और उसे नीचे बैठा दिया. अब सबीना की आँखों के सामने चार विशाल तने हुए लंड थे.

“आंटी, देखें आप कितना अच्छा लंड चूस सकती हैं. चिंता मत करना, हम झड़ने वाले नहीं हैं आपको चोदे बिना.”

सबीना भूखी शेरनी की तरह एक एक करके लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. फिर हितेश उसके पीछे गया और उसकी गांड पर हाथ रखकर उसे ऊपर घोड़ी की अवस्था में लेकर छोड़ दिया. सबीना के मुंह से लंड नहीं निकला और वो एक विक्षिप्त स्त्री की तरह लौडों को चाट रही थी. अन्य सभी स्त्रियां इस खेल को देख रही थीं. वो सबीना की प्यास को समझ सकती थीं.

हितेश ने घुटनों के बल बैठकर सबीना की चूत में एक ही झटके में अपना पूरा लंड पेल दिया. सबीना चीख उठी पर उसने दोबारा लंड चूसना शुरू कर दिया. हितेश ने कोई दस बारह धक्के लगाए और खड़ा हो गया. इस बार पुनीत ने अपने लंड को अंदर डाला और उसी प्रकार दस बारह धक्के मारकर हट गया. सचिन ने अब अपने लंड को अंदर डाला तो सबीना की ऑंखें निकल गयीं. उसके मुंह से लंड छूट गया.

“ये लंड है या मूसल?”
‘आंटी, लंड ही है. अभी तो इसने आपकी गांड की भी सैर करनी है. आप लंड चूसो.” सचिन ने उसे आज्ञा दी.

सबीना फिर से लंड चूसने में व्यस्त हो गई. सचिन ने दस बारह धक्कों के बाद आलोक के लिए स्थान खाली किया. सबीना के मुंह में अब हितेश का लंड आया और उसमे से उसे अपनी चूत की भी खुशबु आयी. पर उसने बिना रुके अपना काम चालू रखा.

एक बार इस क्रम के बाद अब दूसरा राउंड शुरू हुआ. इस बार लड़कों ने सबीना की चूत में ज्यादा देर तक, लगभग ५ मिनट तक एक लड़के ने चुदाई की. रस से लथपथ सबीना की चूत अब बह सी रही थी.

और यही कारण था कि जब तीसरा राउंड आया तो हितेश ने अपने लंड को सबीना की गांड पर सेट किया और एक लम्बा शॉट मारा. सबीना की रूह काँप गई. उसके मुंह से लंड छूट गया और उसकी दर्द भरी चीख ने चारों औरतों के पसीने छुड़ा दिए. पर हितेश ने अपना लक्ष्य साधा हुआ था और उसका अपने पथ से हटने का कोई इरादा नहीं था. वो लम्बे और तेज धक्कों के साथ सबीना की गांड को लगभग ५ मिनट मारने के बाद ही अलग हुआ.

पुनीत ने सबीना की खुली हुई गांड पर थूका और अपने लंड को लगाकर उसी बेदर्दी से धक्का मारा जैसा कि हितेश का था. इस बार सबीना भी तैयार थी और उसने लंड चूसना बंद नहीं किया. अब गांड जब खुल गई थी तो उसे भी मजा आने लगा था. पुनीत ने ५ मिनट ले पश्चात् सचिन के लिए स्थान छोड़ दिया.

“आंटी, जिसे आप मूसल कह रही थीं अब आपकी गांड की ओखली में जाने वाला है.”

सबीना ने मुंह से लंड निकले बिना अपनी स्वीकृति दे दी. और सचिन ने कुछ दया भाव रखते हुए उसकी गांड में धीरे धीरे पूरा लंड पेल दिया.
“बेटीचोद, ये लौड़ा तो मुझे दस्त लगवा देगा. थोड़ा धीरे पेलना भोसड़ी वाले. तेरी माँ की गांड नहीं है ये.”

सचिन ने कुछ समय तो उसकी बात को रखा पर जैसे ही उसे आवागमन में आसानी होने लगी, तब उसने पूरा लंड को बाहर खिंचा और एक निर्मम धक्के के साथ पूरे लंड से गांड फाड़ दी. सबीना इस बार छटपटा उठी पर तीन जोड़े हाथ उसे थामे हुए थे और वो उनकी गिरफ्त से न छूट पाई. अंततः उसकी गांड इस लंड के आकार से आदी हो गई. सचिन के जोरदार और पाशविक धक्कों ने सबीना की गांड के वो सब छेद खोल दिए थे जो इतने सालों से बंद थे. ५ मिनट होने के बाद सचिन ने अपने लंड को अलग किया. आलोक ने अपना स्थान लिया. और उधर हितेश ने गांड से निकले हुए लंड को सबीना के मुंह में पेल दिया. अगर सबीना को कोई आपत्ति थी भी तो उसने दर्शाई नहीं. आलोक ने सबीना की गांड को ५ मिनट मारने के बाद अपना स्थान छोड़ दिया.

उसने पीछे मुड़कर अपनी माँ की ओर देखा तो दिया ने दो हाथों के संकेत से डबल चुदाई के लिए बताया। आलोक ने अपने साथियों को ये चेताया. इस बार सबने अपने लंड सबीना से साफ करवाने के बाद उसे खड़े होने के लिए कहा. सबीना काँपते पैरों पर खड़ी हुई.

सचिन लेट गया और पुनीत ने सबीना को उसके लंड पर सवार होने का आदेश दिया. सबीना समझ गई कि अब उसके साथ क्या होने वाला है. उसने दिया की ओर देखा पर दिया दूसरी ही ओर देख रही थी. सबीना ने सचिन के लंड पर सवारी पूरी की. इतने में दो हाथों ने उसके कन्धों को दबाकर आगे की ओर झुका दिया. और उसे अपनी गांड के ऊपर फिर से दबाव लगा और पक्क्क की आवाज़ से एक लौड़ा उसकी गांड में घुस गया.

उसे पीछे देखकर ये जानने का भी मौका नहीं मिला कि गांड में किसका लंड था क्योंकि पुनीत ने सामने आकर उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया और ऐसे धक्के लगाने लगा जैसे कि वो मुंह न हो चूत हो. लैंड उसके गले को छू रहा था. अचानक उसकी आँखों के सामने आलोक आया और उसने भी अपने लंड को उसकी आँखों के आगे लहराया. पुनीत ने हटकर आलोक को उसकी मुंह की चुदाई करने का अवसर प्रदान किया. अब ये तो साफ हो गया कि हितेश उसकी गांड में था. हुए दोनों मुश्तंडे बेरोकटोक अपनी पूरी ताकत से उसके दोनों छेदों को दुह रहे थे. अभी तक जिन लौडों से सबीना चुदी थी वो बहुत हद तक सामान्य थे. पर अब उसकी कुटाई सही तरह से ऐसे लौंड़ों से हो रही थी जो ऍम आदमी की नसीब नहीं होते.

वो इस समय एक अलग ही दुनिया में थी. उसने कभी इस निर्ममता और इतने सुख की कल्पना भी नहीं की थी. अपने भतीजों से चुदवाने में जो मजा था आज वो क्षीण हो चुका था. सचिन और हितेश उसकी ऐसी चुदाई कर रहे थे कि किसी की भी रूह कांप जाती. अचानक हितेश ने अपना लंड बाहर निकाला और सबीना के सामने आ खड़ा हुआ. कुछ ही पलों में गांड के खालीपन को आलोक ने अपने लंड से भर दिया और उसी तेजी और ताकत से चुदाई चालू रही. फिर तो क्या था, यही एक क्रम बन गया. एक लंड निकलता और दूसरा उसका स्थान ले लेता. निकला हुआ लंड अपना स्थान सबीना के मुंह में बनता. बस यही एक कमी थी कि सचिन का स्थान नहीं बदल रहा था.

सबीना झड़ते हुए अब बेजान हो चुकी थी. और यही समय था जब उन दरिंदों ने उसे ऐसा खेल दिखाया कि सब भौचक्के रह गए. इस बार जब हितेश के हटने का समय हुआ तो वो हटा नहीं बल्कि उसने थोड़ी जगह बनाई और आलोक ने भी अपने लंड को सबीना की गांड में डाल दिया. पुनीत से सबीना के मुंह में लंड डालकर उसके सिर को दबा रखा था, इसीलिए सबीना कुछ भी न कर सकीय. उसकी चूत में एक और गांड में दो लंड थे. पर ये अधिक समय तो हो नहीं सकता था, इसीलिए हितेश ने अपने लंड को निकाल लिया और सबीना के मुंह में पेल दिया.

ये खेल तब तक चला जब तक हर लड़का अपने गंतव्य तक नहीं पहुँच गया. पर जैसे ही उसे लगा कि उसका होने वाला है, वो अलग होकर खड़ा हो गया. कुछ ही समय में तीनों हटकर खड़े थे. सचिन ने सबीना को पलटी मारते हुए नीचे किया और १० १५ भयंकर धक्के मारकर वो भी हट गया. चारों ने सबीना के इर्दगिर्द एक गोला बनाया और अपने लंड मुठियाने लगे. लगभग बेसुध पड़ी सबीना एक मूर्छित सी अवस्था में थी. पर उसकी आंख अचानक ही खुल गई, जब उसे अपने ऊपर पानी गिरता हुआ अनुभव किया. पर उसे कुछ ही क्षणों में ये ज्ञात हो गया कि ये पानी साधारण पानी नहीं बल्कि लौडों की टूटियों से निकलता कामरस है जो उसके चेहरे और स्तनमण्डल पर बहाया जा रहा है.

जब लड़के झड़ चुके तो वो हटकर एक सोफे पर बैठ गए और आपस में बातें करने लगे. ये विदित हुआ कि सब सबीना से इस तरह अपने आप आने पर गुस्सा थे और उसे सबक सीखना चाहते थे. उन्हें सबीना को चोदने में कोई आपत्ति नहीं थी पर प्रीति और रमोना जो पहली बार आये थे उनके लिए ये गलत था. चारों ने मिलकर उसे और सबक सीखने का प्रण किया.

कुछ देर में सभीना के शरीर में हलचल हुई तो पुनीत ने उसे सहारा देकर उठाया और उसे बाथरूम की ओर ले चला. अन्य ३ भी पीछे हो लिए.

पुनीत ने सबीना को बाथ टब में लिटाया और कहा, “आंटी, हम सबके लंड का पानी एक बार अपने मुंह में ले लो.”
अर्धमूर्छित सी सबीना मान गई. पुनीत ने अपने लंड को उसके मुंह में डाला और अपना पेशाब उसके मुंह में छोड़ने लगा. सबीना आनाकानी करने लगी पर बाक़ी तीन लड़कों ने उसके हाथ पैर पकड़ लिए. फिर किसी ने उसके चेहरे तो किसी ने उसके मम्मों पर पेशाब करना शुरू किया. जब सब हटे तो सबीना के मुंह और पूरे शरीर पर पेशाब लगी हुई थी.

सचिन ने टब में पानी चलते हुए कहा, “आंटी, अगर आप हमें अलग से बुलातीं तो भी हम आपको पूरा मजा देते. पर अपने हमारे घरेलू उत्सव में इस प्रकार नहीं आना चाहिए था.”

सबीना को अपनी गलती का अहसास हुआ. उसने कहा,”मुझे माफ़ करो. पर मुझे एक पल भी इस चुदाई और तुम्हारे इस आखिरी खेल से परेशानी नहीं हुई. मैं चाहूंगी की तुम चारों जल्द से जल्द मेरे घर आकर मुझे इसी प्रकार से चोदो। मैं दिया से भी माफ़ी मांग लूंगी.”

ये सुनकर लड़के सबीना को स्नान के लिए छोड़कर लौट गए.

कुछ समय बाद सबीना बाहर निकली और अपने कपड़े पहनने लगी. उसके बाद वो दिया के पास गई और उसके दोनों हाथ पकड़ कर बोली, “दिया, मुझे माफ़ करना, मैं तुम लोगों के कार्यक्रम में इस प्रकार से घुस गई. मैं ये अवश्य कहूँगी कि जो आज सुख और जो पाठ इन लड़कों ने मुझे दिया है, उसने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. मैं यही कहूँगी, कि हमारी दोस्ती की खातिर, उन लड़कों को मेरे घर आने की इज़ाज़त दे दो. सच में मेरी ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई.”

दिया ने उसे विश्वास दिलाया कि वो नाराज़ नहीं है और चारों से सबीना की चुदाई नियमित रूप से करने के लिए कहेगी. सबीना ने उसके सर को चूमा और अपने घर चली गई.

कुछ देर में खाने के बाद चुदाई का आखिरी दौर चालू हुआ. और इस बार चारों महिलाओं की डबल चुदाई की गई. फिर शाम ६ बजे नीलम ने घर को लॉक किया और सब अपने घर चले गए.


क्रमशः
बहुत ही ज़बरदस्त चुदाई का दृश्य बनाया दोस्त,
 
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satabdi

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Very juicy couples. Let me see, if I can fit them in any future editions.
Message me some outline of your idea in direct message.
Have no idea about 'direct message', I mean how to proceed. Thanks.
 
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Jassybabra

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Nice update
 

Vkmax

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Keep go
 

prkin

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Made some good progress last night. So I think the update should come on time.

No ideas from anyone? (Except satabdi)?
 

Evanstonehot

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D नाम की अभिनेत्री अभी अभी ड्रग्स के केस में फँसी है , ये अभिनेत्री इस कहानी की तो नही है ???
 
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prkin

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D नाम की अभिनेत्री अभी अभी ड्रग्स के केस में फँसी है , ये अभिनेत्री इस कहानी की तो नही है ???


Shhhhh!
Aur uska husband bhi adhed nahin hai.
 
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