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Incest कैसे कैसे परिवार

prkin

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अध्याय १७: आठवाँ घर - स्मिता और विक्रम शेट्टी २
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स्मिता का घर
आज की सुबह :



घर में मेहुल को छोड़कर सभी लोग बाहर जाने के लिए बन संवर रहे थे. आज उनके समुदाय का मासिक मिलन समारोह था. हर बार की तरह पहले प्रबंधन समिति के ५ सदस्य उन परिवारों से मिलेंगे जिनके पुत्र या पुत्री अगले महीने २० वर्ष के होने वाले थे. इसमें ये निर्धारित करने का प्रयास किया जाता था कि क्या वे समुदाय में सम्मिलित होने योग्य हैं या नहीं. समुदाय में ये देखा गया था कि कुछ परिवार इसमें कुछ अधिक समय लेते थे और उनकी संतानें कुछ महीनों बाद सम्मिलित होती थीं.

इसके बाद एक नया परिवार जो जुड़ने वाला था उसका परिचय कराया जायेगा. किसी भी परिवार को जोड़ने के पहले उनके बारे में बहुत गहन छानबीन की जाती है, जिसमें ३ से ५ महीने निकल जाते हैं. और इस परिवार को प्रस्तावित करने वाले परिवार से भी इस पूरी पड़ताल के समय पैनी आंख रखी जाती है. ये अत्यंत आवश्यक था क्योंकि सभी शहर में प्रख्यात नागरिक थे और किस भी प्रकार का प्रतिकूल समाचार या कुप्रचार उन्हें नष्ट कर सकती थी.

मेहुल को समझा दिया गया था कि उसे अगले महीने से सम्मिलित करने का प्रस्ताव वो देने वाले हैं. मेहुल ने इसके लिए स्वीकृति दे दी थी. मेहुल भी तैयार हो रहा था बाहर जाने के लिए, पर किसी अन्य स्थान पर.

१०.३० बजे सब निकल गए. पहले अन्य सदस्य और अंत में मेहुल.

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सुजाता का घर
पिछले सप्ताह:



अविरल जैसे ही अपने ऑफिस से घर में अंदर आया तो उसकी ऑंखें भौंचक्की रह गयीं. सोफे पर ही उसकी पत्नी सुजाता झुकी हुई थी और उसका बेटा विवेक उसे पीछे से चोद रहा था.

अविरल: “ये कुछ अधिक खुलापन नहीं है? कम से कम कमरे में जा सकते हो. कोई आ गया तो?”

सुजाता: “आता तो घंटी बजता. आपकी तरह चाबी नहीं है उसके पास. दरवाजा लॉक तो कर ही दिया था.”

अविरल: “पर फिर भी…”

सुजाता: “ फिर भी कुछ नहीं.” उसकी आवाज़ में थोड़ी खीज थी. “आप आज जल्दी निकल गए बिना कुछ किये हुए. विवेक जब कॉलेज से आया तो इसे भी चुदाई की तीव्र इच्छा थी. तो बिना समय गंवाए हमने यहीं आसन जमा लिया. आप जाकर नहा लो, तब तक हम भी निपट लेंगे.”

अविरल सिर हिलता हुआ अपने कमरे में चला गया. सुजाता की चुदास दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी. उसकी जितनी भी चुदाई करो, उसकी भूख बढ़ती ही थी. कभी कभी तो बाप बेटे दोनों से चुदवाकर भी वो प्यासी रह जाती थी. काश कोई ऐसा मिल जाये जो इसे शांत करे कुछ नियंत्रण में लाये. वो नहा कर निकला तो सुजाता कमरे में आ चुकी थी. उसने अविरल के होंठ चूमे।

सुजाता: “आपको बुरा लगा न. ठीक है, मैं आगे से बाहर नहीं करुँगी. पर क्या करूँ स्वयं को रोकना कभी कभी कठिन हो जाता है.”

अविरल: “श्रेया के घर का क्या समाचार है?”

सुजाता: “स्मिता से बात हुई थी. मेहुल अब ठीक है. स्मिता कल उसे यहाँ भेजेगी. पर वो स्नेहा को इस प्रकार से देखने के बाद दुखी है. स्नेहा को उससे बात तो करनी ही होगी. तभी कुछ ठीक होगा. वो तो स्नेहा पर लट्टू है, पर स्नेहा उसके शर्मीले और सीधे स्वभाव के कारण उस पर अधिक ध्यान नहीं देती.”

अविरल: “पता नहीं क्यों, मैं जब उससे मिलता हूँ तो मुझे एक अनुभूति होती है जैसे वो कुछ छुपा रहा है. और जैसे वो जो दिखाता है, वो उसका सच्चा रूप नहीं है. और तुम तो जानती हो मैं किसी के चरित्र के बारे में अक्सर सही ही सोचता हूँ. अगर वो कल आ रहा है, तो मैं तुम्हे थोड़ा संभल कर रहने की राय दूंगा.”

सुजाता: “जैसा आप ठीक समझो. चलिए आपकी ड्रिंक के लिए सब रख दिया है, कुछ देर आराम करिये फिर खाना परोस दूंगी. आपकी रूचि का खाना बनवाया है.”

अविरल ने कपड़े पहने और सुजाता के साथ बाहर आ गया. बाहर विवेक उसकी प्रतीक्षा कर रहा था.

विवेक: “डैड, आई एम सॉरी, आज के लिए.”

अविरल उसका हाथ थामकर: “जाहे कुछ भी हो, इस प्रकार का प्रदर्शन सही नहीं है. सुजाता ने भी आगे से ऐसा न करने का वचन दिया है. मैं तुमसे भी यही चाहूंगा.”

विवेक: “यस डैड. आई ऑल्सो प्रॉमिस.”

अविरल: “कूल. लेट अस गेट ए ड्रिंक एंड वाच सम न्यूज़.”

तीनों बैठक में आ गए. सुजाता सबकी ड्रिंक्स के लिए ट्रे लेकर आयी और बनाकर हाथों में सौंपी. फिर सब समाचार देखने में व्यस्त हो गए.

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स्मिता का घर
पिछले सप्ताह, अगली सुबह


स्मिता से ठीक से चलते नहीं बन रहा था. उसने क्रीम लगाकर स्वयं को थोड़ा ठीक किया. उसने बिस्तर पर सोते हुए अपने बेटे की ओर देखा. उसका लंड इस समय भी बहुत भयावह लग रहा था. उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गई. सुजाता की तो अब शामत आएगी. अपने आप को बड़ा चुड़क्कड़ समझती है. एक बार मेरे बेटे का लंड उसकी गांड में जायेगा तो सारी अकड़ निकल जाएगी.

सम्बन्धी होते हुए भी नारी सुलभ ईर्ष्या के कारण उसकी सुजाता से एक अनकही अनबन थी. सुजाता जहाँ स्वयं को अधिक सुंदर और चुदाई में अधिक प्रवीण मानती थी. स्नेहा के विचार उससे भिन्न थे परन्तु वो कुछ कहती नहीं थी. पर अब उसके पास वो हथियार था जिसकी चोट से सुजाता की नींव हिलने वाली थी. उसने झुकते हुए मेहुल के लंड पर एक चुम्बन लिया और उसके टोपे को चाट लिया. मेहुल ने एक अंगड़ाई ली.

स्मिता: “अब उठ जा, सब ये सोच रहे होंगे कि ये माँ बेटे क्या कर रहे हैं.”

मेहुल ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया.

मेहुल: “यही कि आप मुझे अभी कुछ और सिखा रही हो. सबके मन बड़ी शांति अनुभव कर रहे होंगे, ये सोचकर कि आपने मुझे सांचे में ढाल लिया है.”

स्मिता: “उन्हें ये नहीं पता कि मैं अब तेरे सांचे में ढल चुकी हूँ और कमरे के अंदर तेरी दासी हूँ.”

मेहुल: “नहीं, मॉम. वो कल की बात थी. आप कभी मेरी दासी नहीं बनोगी. आप तो मेरी जान हो. मैं तो कल आपको सरप्राइस देने के लिए ये सब कह रहा था.”

स्मिता: “और अगर मैं कहूँ कि मुझे तुम्हारा वो रूप अच्छा लगा तो.”

मेहुल: “तो हम ये खेल इसी प्रकार से खेल सकते हैं.”

स्मिता: “मेरी एक बात मानेगा.” स्मिता ने षड्यंत्रकारी आवाज़ में कहा.

मेहुल: “मॉम, तुम्हें पूछने की भी कोई आवश्यकता नहीं है. मैंने आज तक तुम्हे किसी बात के लिए मना किया है. बताओ किसका खून करना है.”

स्मिता ने मेहुल के मुंह पर हाथ रखा: “ये क्या कह रहा है. शुभ शुभ बोल. मैं चाहती हूँ कि तू सुजाता को अपनी दासी बना ले. उसे अपना daasi बना ले. वो मुझे बहुत अकड़ दिखती है, बहुत बनती है मेरे सामने.”

मेहुल अपने शर्मीले और सरल रूप में परिवर्तित हो गया, “मैं ये सब कैसे कर सकता हूँ. मैं तो छोटा सा, नन्हा सा बच्चा हूँ.”

दोनों खिलखिला पड़े. फिर मेहुल गंभीर हो गया.

“मॉम, हम जब परसों उनके घर जायेंगे तो आप मुझे उन्हें सौंपकर चली आना. ये कहना कि आप तो कुछ सीखा नहीं पायीं अब वो ही कुछ सीखा सकती है. उन्हें लगेगा कि वो आपसे श्रेष्ठ है. उसके बाद मैं उन्हें सबक सिखाऊंगा. अगर आप वहां रहेंगी, तो मैं जानता हूँ कि आपको उन पर दया आ जाएगी और सारा खेल बिगड़ जायेगा.”

स्मिता खुश होकर: “ये ठीक है. अच्छा पाठ पढ़ाना उसे चुड़ैल को.”

मेहुल कुछ सोचकर: “मॉम. मैं कल आपको दो वीडियो कैमरे दूंगा. आप उसे उनके कमरे में छुपा देना. मैं चाहता हूँ कि आपके पास ये प्रमाण रहे कि वो मेरी दासी बन चुकी हैं.”

मेहुल: “मॉम, एक बात और. जब तुम अपना कैमरा लगाने जाओ, तो एक बार ये अवश्य देखना कि कहीं कोई अन्य कैमरा तो नहीं लगा हुआ.”

स्मिता: “ऐसा कौन करेगा?”

मेहुल: “अविरल अंकल. मुझे विश्वास है कि उस कमरे में कम से कम एक और कैमरा होगा.”

स्मिता: “अगर हुआ तो?”

मेहुल: “उसकी बैटरी निकाल देना. मैं खेल की समाप्ति पर फिर लगा दूंगा. अगर कोई ये सोचता है कि उसे हमारे विरुद्ध कोई साक्ष्य मिल सकता है, तो उसे गलत सिद्ध करना हमारा कर्तव्य है.”

स्मिता: “मेहुल, मुझे तुमसे अब कुछ डर सा लग रहा है.”

मेहुल: “डोंट वरी, मॉम मेरे लिए सारी दुनिया से अधिक अपना परिवार प्यारा है. मैं किसी को इस पर आंच नहीं लाने दूँगा।”

स्मिता की ख़ुशी का अब कोई अंत नहीं था. वो मेहुल के षड्यंत्र की भागीदार बनाने के लिए तुरंत मान गई. इसके बाद दोनों बाथरूम में जाकर निवृत्त हुए और फिर सबसे मिलने के लिए बैठक में चले गए. मेहुल ने अपना सीधेपन का मुखौटा लगा लिया.

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सुजाता का घर
पिछले सप्ताह:



खाने के समय स्नेहा भी पहुँच गई. सबने बैठ कर खाना खाया और बातें चलती रहीं. हालाँकि अविरल के प्रयासों के बाद भी हर बार विषय मेहुल की ओर ही जा रहा था था. स्नेहा ने ये बात साफ की कि उसे मेहुल केवल इसीलिए अच्छा नहीं लगता है क्योंकि वो उसे एक दब्बू लड़का समझती थी.

अविरल: “स्नेहा, मैं कुछ देर पहले सुजाता को यही समझा रहा था. मेरे विचार से मेहुल जो प्रदर्शित करता है, उसका असली चेहरा वो नहीं है. अगर उसे ये बात पता लगी कि तुम उससे चिढ़ती हो, तो न जाने क्यों मुझे तुम्हारे लिए एक डर की भावना आती है. क्या तुमने कभी उसका अपमान किया है?”

स्नेहा: “नहीं, मैं उसे इसीलिए सहन करती हूँ क्योंकि वो श्रेया दीदी का देवर है. पर जैसे वो मेरे पीछे पालतू कुत्ते के समान दुम हिलाता है, कई बार तो उसकी गांड पर लात मारने का मन करता है. मुझे तो लगता है कि उसका लंड भी ३-४ इंच से बड़ा नहीं होगा. साला भड़वा.”

अविरल ये भाषा सुनकर स्तब्ध रह गया. उसे स्नेहा के लिए एक अंजाना सा डर सताने लगा.

अविरल: “स्नेहा, मैं चाहूंगा कि तुम अपनी इन भावनाओं पर अंकुश लगाओ. देर सवेर तुम्हें उसके साथ चुदाई करनी ही है. ये हमारे समुदाय का नियम है. अगर इस प्रकार की भावना रहेगी तो हम बहुत कठिनाई में आ सकते है. जहाँ तक मेरा विचार है, सुजाता के पास वो कल आएगा. श्रेया और महक के बाद तुम्हें ही उसके साथ चुदाई करनी है. तो अगले ६-७ दिनों में या तो अपनी सोच बदलो, या समुदाय से निष्काषित होने के लिए तैयार रहो.”

स्नेहा ने समझ लिया कि अविरल बहुत गंभीर हैं. उसने समय की मांग को समझ कर अपने आप को नियंत्रित करने का वादा किया. अविरल ने भी चैन की साँस ली. पर उसे अभी भी एक अदृश्य भय सता रहा था. उसने अपने कमरे में वीडियो रिकॉर्डर रखने का निश्चय किया. वो देखना चाहता था कि मेहुल का असली रूप क्या है. स्नेहा ने हालाँकि अपना वादा किया था पर उसे इसपर टिकने का कोई भी विचार नहीं था. पर वो नहीं जान रही थी कि ऐसा करने से वो अपने लिए कितनी बड़ी समस्या खड़ी कर रही है.

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स्मिता का घर
पिछले सप्ताह, अगली सुबह



स्मिता और मेहुल जैसे भी बैठक में पहुंचे सब उठ खड़े हुए. सबसे पहले महक दौड़कर अपने भाई के गले लग गई. “भैया, आई एम सो हैप्पी.” उसके मेहुल के गाल पर एक चुम्बन लिया और फिर उसके गले लगी.

उसने कुछ देर में उसे छोड़ा तो मोहन ने उसे गले लगाया. “आई एम हैप्पी फॉर यू ब्रो। वेलकम टू योर न्यू लाइफ.”

फिर विक्रम ने भी इसी सन्देश के साथ उसे गले लगाया. अंत में श्रेया महक के समान उसके गले से लगी और उसके गाल को चूमकर बोली, “क्यों देवर जी, मेरा नंबर कब आएगा?” मेहुल ने झेंपने का स्वांग किया.

मेहुल: “मैं क्या जानूँ भाभी आप ही बताना.”

श्रेया: “मम्मीजी खुश तो हो गयीं न?”

मेहुल: “मैं क्या जानूँ आप उनसे ही पूछो.”

“ए देवर भाभी, एक दूसरे को छोड़ो और चलो नाश्ता करो. बहुत देर हो रही है.” विक्रम ने कहा.

नाश्ता करने के बाद सब अपने काम पर निकल पड़े और मेहुल कॉलेज के लिए. अब श्रेया और स्मिता अकेली ही थीं. कुछ समय किचन इत्यादि का काम करने के बाद श्रेया स्मिता के पास आकर बैठ गयी.

“कैसा रहा माँ जी?”

स्मिता बताना तो सच चाहती थी पर उसे मेहुल की बात याद थी.

“ठीक ही था. अभी और सिखाना पड़ेगा. सुजाता ही आगे की शिक्षा देगी तो ठीक रहेगा. मुझसे बहुत शर्मा रहा था.”

ये सुनकर श्रेया को अपनी माँ पर बहुत गर्व हुआ. उसने ये न समझते हुए कि ऐसा करना सही है या नहीं तुरंत सुजाता को फोन लगा लिया. स्मिता भीतर से तिलमिला उठी. वो तो अच्छा हुआ कि सुजाता ने फोन नहीं उठाया नहीं तो वो अवश्य ही कुछ कर बैठती. कुछ देर में श्रेया ने कहा कि वो नहा कर आती है और फिर खाना बनाएगी. स्मिता टीवी पर अपना कोई सीरियल देखने लगी. अभी श्रेया नहा कर निकली ही थी कि उसकी माँ का फोन आ गया.

सुजाता: “हेलो श्रेया, फोन किया था.”

श्रेया: “हाँ मॉम, मैंने मम्मीजी से पूछा कि कल मेहुल के साथ कैसा रहा. तो कह रही थीं कि उसे सीखना पड़ेगा. फिर कहने लगीं कि उनसे तो मेहुल शर्मा रहा था, इसीलिए आप सिखाएंगी तो अच्छा रहेगा.”

सुजाता: “सिखाऊंगी उसे. अभी भी एक लौंडा ट्रेनिंग पर है. अपनी चूत और गांड चाटना पहले सिखाऊंगी. ऐसे सीधे लड़के को तो मैं अपना दास बनाकर रहूंगी, जैसा इसे बना लिया है. हो सका तो विवेक से चुदवाकर उससे सफाई कराऊँगी.”

श्रेया: “मॉम, ऐसा कुछ मत करना जिससे मुझे इस घर में कठिनाई हो जाये. अभी कौन है तुम्हारी ट्रेनिंग में?”

सुजाता: “तू चिंता न कर, ये सब अभी नहीं, एक बार मेरे सांचे में उतर गया तब. ये अपनी शीतल का बेटा है, केशव। शीतल ने भेजा है सीखने के लिए.”

श्रेया: “माँ, फोन मत काटना, जरा मैं सुनूँ तो कैसे ट्रैन करती हो.”

सुजाता हँसते हुए: “अच्छा मैं फोन रख रही हूँ.”

ये कहकर सुजाता ने फोन एक ओर रख दिया पर बंद नहीं किया. अब श्रेया को साफ सुनाई दे रहा था.

सुजाता: “हाँ बेटा, ऐसे ही चाटते है, अच्छे से खोल मेरी गांड। हाँ अब अपनी जीभ अंदर कर.”

केशव: “आंटी, ये गन्दा है.”

सुजाता: “भोसड़ी वाले, तेरी माँ की चूत नहीं चाटता है क्या?

केशव: “चाटता हूँ.”

सुजाता: “और गांड?”

केशव: “नहीं.”

सुजाता: “तभी तेरी माँ तुझे अच्छा मादरचोद नहीं बना पाई और सिखाने के लिए इधर भेज दिया. अब नखरे मत कर और डाल अपनी जीभ अंदर और अच्छे से चाट, नहीं तो….”

अब श्रेया के फोन रख दिया, उसके भी मन में भी चुदाई की इच्छा उठ गई थी. उसने हल्का सा गाउन पहना और बैठक में चली गई.

श्रेया स्मिता के पास जा बैठी. “मम्मी का फोन आया था. मैंने बताई आपकी बात. कह रही थीं कि उन्हें मेहुल भैया को सिखाने में ख़ुशी ही होगी.” बड़ी सफाई से उसने पूरी बात छुपा ली.

स्मिता सीधे देखते हुए बोली, “हाँ, वही सही सिखाएगी, सही सही.” स्मिता ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा.

श्रेया: “मम्मीजी, अभी आप कुछ कर रही हैं क्या?”

स्मिता समझ गई. “क्यों, तेरी चूत में खुजली हो रही है क्या?”

श्रेया: “जी, आप तो समझती ही हैं.”

स्मिता: “जा, मेरी अलमारी से डिल्डो लेकर आजा, दोनों एक दूसरे को मजा देते हैं.”

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सुजाता का घर:


आज मेहुल और स्मिता घर आने वाले थे. सुजाता ने स्वयं को बना संवार कर बहुत भड़काऊ कपड़े पहने हुए थे. उसने अपनी झांटे और बगल को आज ही फिर से साफ किया था. घर में उसके सिवाय कोई और नहीं था. इस समय उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी. उसकी चूत आने वाले आनंद के अंदेशे में पानी छोड़ रही थी. इतने में ही घंटी बजी. सुजाता ने लपक कर दरवाजा खोला तो पाया कि स्मिता और मेहुल ही हैं. उसने स्मिता को गले लगाया और उसके गाल पर चुम्बन लिया. इसके बाद उसने मेहुल को भी गले लगाया.

सुजाता: “आओ, आओ. मैं तुम्हारी ही राह देख रही थी.”

स्मिता: “क्या हमें आने में देर हो गई?”

सुजाता: “नहीं, नहीं. मैं ही कुछ उत्सुक हो रही थी. आज एक नया लौड़ा जो मिलने वाला है.”

स्मिता: “श्रेया तो बता रही थी कि तुम आजकल केशव को ट्रैन कर रही हो.”

सुजाता: “हाँ, पर उसकी बात और है. मेहुल तो अपने घर का बेटा है. इसे तो मैं ऐसा प्यार करना सिखाऊंगी कि ये सबसे तेज चुड़क्कड़ बनेगा नए लड़कों में से.”

स्मिता: “वैसे तुम्हारे इस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से कितने चुड़क्कड़ निकले हैं.”

सुजाता गर्व से: “मैंने गिनना छोड़ दिया है. अरे अंदर तो आओ।”

सब अंदर चले आते हैं और बैठक में बैठ जाते हैं. स्मिता अपने रोल के अनुसार सुजाता को बताती है कि मेहुल का पारिवारिक सम्भोग में उद्घाटन तो हो चुका है, पर उसके शर्मीले स्वभाव के कारण स्मिता उसे कुछ सीखा नहीं पाती है.

“इसीलिए मैंने सोचा कि तुमसे अच्छा और कौन होगा जो ये शुभ कार्य करे. अपने ही घर में जब इतनी अनुभवी शिक्षिका है तो बाहर क्यों जाना. और अगले महीने इसे समुदाय में भी सम्मिलित जो होना है. कहीं हंसी न उड़े इसकी.”

सुजाता उठकर मेहुल के पास बैठी और उसके गाल पर हाथ फिराते हुए बोली: “मेरे ऊपर से निकला कोई भी हंसी का पात्र नहीं बनता.”

स्मिता: “पर मेहुल ने एक शर्त रखी है. अगर वो मानोगी तभी वो आगे बढ़ेगा अन्यथा मेरे साथ लौट जायेगा.”

सुजाता: “कैसी शर्त?”

स्मिता: “ये कि जब तक ये घर की अन्य स्त्रियों के साथ चुदाई नहीं कर लेता, तुम इसके प्रदर्शन के बारे में किसी से भी नहीं बोलोगी. अन्यथा हमारे संबंधों में टूटने की भी स्थिति आ सकती है.”

सुजाता समझी कि मेहुल बहुत कमजोर होगा और संभवतः उसका लंड भी छोटा होगा इसीलिए ऐसी शर्त रखी है. उसने बिना झिझक के इसे स्वीकार कर लिया.

इस बार स्मिता ने कठोर शब्दों में कहा: “किसी से नहीं अर्थात किसी से भी नहीं. अगर हमें पता चला कि तुमने इसका उल्लंघन किया है तो श्रेया को इस घर से नाता हमेशा के लिए तोड़ना होगा या हमारे घर से.”

सुजाता समझ गई कि स्मिता बहुत गंभीर है, क्योंकि इस स्वर में उसने कभी भी उससे बात नहीं की थी. सुजाता ने फिर विश्वास दिलाया कि उसे अपने वचन को तोड़ने का कोई भी अभिप्राय नहीं है. जब स्मिता जान गई कि मछली जाल में फंस चुकी है तो उसने बाथरूम जाने के लिए कहा.

स्मिता: “अगर तुम्हे कोई आपत्ति न हो तो मैं उस कमरे में जाकर देखना चाहती हूँ कि सब ठीक है.”

सुजाता ने कहा कि वो उसके कमरे में चली जाये. स्मिता ने उस कमरे में जाकर अच्छा सा स्थान देखकर दो कैमरे लगा दिए और उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग चालू कर दी. दोनों ८ घंटे तक रिकॉर्ड कर सकते थे. फिर उसने अन्य कैमरे की तलाश की और उसे एक कैमरा मिल गया. मेहुल के बताये अनुसार उसने उस कैमरे की बैटरी निकली और कैमरे के पीछे रख दी. फिर वो बाथरूम में गई और मुंह धोकर बाहर आ गई. उसने मेहुल को अंगूठे से संकेत दिया कि काम पूरा हो गया है.

स्मिता: “सुजाता, अब मैं जाना चाहूंगी. अपने बेटे को तुम्हे सौंप कर जा रही हूँ. इसका ध्यान रखना. अरे मेहुल जरा सुनो तो.”

मेहुल उसके पास गया तो स्मिता ने उसे तीनों कैमरे के स्थान बता दिए. इसके बाद उसने दरवाजा खोला और सहर्ष अपने घर की ओर चल पड़ी.

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सुजाता इस समय फूली नहीं समा रही थी. उसके वश में आने वाला ये चौथा लड़का होगा. और इसे वश में करने में उसे सबसे अधिक आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा. उसे इस बात से कोई संकोच नहीं था कि वो उसकी बेटी का देवर है. मेहुल भी कुछ कुछ उसका स्वभाव समझ चुका था. वहीँ उसकी माँ ने उसे न भूलने वाला सबक सीखने का भी आदेश दिया था. और उसने अपनी माँ के अपमान का बदला तो लेना ही था. पर इससे पहले उसे कुछ और भी जानना था. और अभी.

“आंटी जी, एक बात तो बताइये, प्लीज.” उसने सकुचाने का स्वांग किया.

“पूछो”

“ये स्नेहा मेरे बारे में क्या सोचती है?” अगर सुजाता ने सच कहना था तो यही समय था. उसको चोदने के बाद उससे सच की अपेक्षा नहीं थी. और सुजाता अपने अभिमान में कि वो मेहुल को अपना दास बनाएगी, सच कह बैठी. उसने ये सोचा कि लड़के को झटका देने का यही सही समय है.

सुजाता: “वो तुमसे बहुत चिढ़ती है. अब तुम हो ही ऐसे दब्बू और डरपोक. कोई भी तुम्हारा सम्मान क्यों करेगा. वो तो श्रेया न हो तो तुम्हें अच्छे से पाठ पढ़ाये. अरे भोंदू, लड़की को लड़के में दम दिखना चाहिए. जो तू कुत्ते के समान उसके पीछे लार गिराता घूमता है, ये जान ले वो कभी तुझे घास नहीं डालने वाली.”

तो ये थी सच्चाई. अब एक प्रश्न और था.

“और श्रेया भाभी?”

“वो तो तुझे बहुत चाहती है. जब तेरा इस सब में सम्मिलित होने का निर्णय हुआ, तो मुझे बोली थीं कि माँ देखना मैं मेहुल भैया को ऐसा तेज बनाऊंगी कि सब दंग रह जायेंगे. तुझ पर जान छिड़कती है.”

“हम्म्म, चलो अब सब कुछ साफ हो गया.” मेहुल ने मन में सोचा.

सुजाता: “और कुछ पूछना है या तेरी ट्रेनिंग शुरू करें?”

मेहुल: “यहाँ?

सुजाता: “अरे भोंदू, यहाँ नहीं, मेरे कमरे में.”

मेहुल अपने लिए निकले अपशब्दों को खून का घूँट पी कर सह रहा था. उसने अपनी माँ के साथ अपने अपमान का भी बदला लेना था.

उधर अविरल का मन अपने ऑफिस में बहुत बेचैन था. उसे डर था कि कुछ अनहोनी घटने को है. उसने अपना फोन निकला और सुजाता को कॉल किया. सुजाता ने फोन पर अविरल का नाम देखा और उसे उत्तर नहीं दिया. बल्कि उसने मेहुल को अपने पीछे आने का आदेश दिया. दोनों सुजाता के कमरे में चले गए और सुजाता के फोन ने भी बजना बंद कर दिया. सुजाता ने कमरा बंद किया.

सुजाता और मेहुल दोनों एक दूसरे को शिकार के रूप में ताक रहे थे. अब इसमें से एक ही की जीत निश्चित थी, और वो अभी भी भीगी बिल्ली ही बना हुआ था. बंद कमरे में सुजाता एक सिंगल सोफे पर महारानी के समान जाकर बैठ गयी.

सुजाता: “मेहुल, तुमने तो सुन ही लिया है कि मैंने कई लड़कों को चुदाई की विद्या सिखाई है. मैं तुम्हें भी वही ज्ञान दूंगी. पर उसके लिए तुम्हें शिक्षण समाप्त न होने तक मेरे दास की तरह रहना होगा. उसके बाद तुम स्वतंत्र हो जाओगे.”

मेहुल: “इसमें समय कितना लगेगा?

सुजाता: “तीन महीने.”

मेहुल: “या जब तक मैं सीख न जाऊं.”

दोनों ने इसका अर्थ अलग समझा. सुजाता समझी कि मेहुल अधिक समय लेगा, जबकि मेहुल आज ही सुजाता का मालिक बनने के लिए आतुर था.

मेहुल: “आंटीजी, क्या मैं आपसे एक अनुरोध कर सकता हूँ”

सुजाता: “बोलो.”

मेहुल: “मुझे काजल लगाए हुए महिलाएं बहुत भाती है, तो क्या आप भी लगा सकती हो.”

सुजाता: “हाँ, लगा लेती हूँ.”

सुजाता अपनी ड्रेसिंग टेबल पर गयी और काजल लगाकर लौट आयी.

मेहुल: “आप बहुत सुंदर लग रही हो, एकदम अप्सरा जैसी. अब बताइये क्या करना है. ”

सुजाता: “इसके लिए तुम्हें सबसे पहले मेरे पैरों में स्थान लेना है, और मेरे दोनों पैरों को तलवे सहित पूरा चाटकर साफ करना है. उसके बाद मैं अगला चरण बताऊंगी.” ये कहकर सुजाता ने अपने सुंदर पैर आगे बढ़ा दिए.

मेहुल उन्हें देखकर उनकी सुंदरता पर लट्टू हो गया. पर मेहुल के लिए ये कुछ नया नहीं था. उसकी अनगिनत प्रशिक्षिकाओं में से एक ने उसे इस कला में भी निपुण किया था. और आज उस कला को एक नए साथी पर आजमाने का समय था. मेहुल ने एक पांव उठाकर उसके अंगूठे को चूसना शुरू किया और क्रमशः उसने उस पूरे पांव को अपने थूक से गीला करके चाट और चूस कर साफ किया. यही क्रिया उसने दूसरे पैर के साथ भी की. सुजाता जहाँ उसे डांट कर, गाली देकर अपनी श्रेष्ठता दिखाना चाहती थी, वासना की लहरों में बहने लगी. इस लड़के में दासता के सब गुण हैं, ये सोचकर उसने अब अगले चरण में जाने का निश्चय किया.

सुजाता: “अगला चरण होता है, औरत की चूत और गांड को चाटना। चूत चाटना तो बहुत लोग कर लेते हैं, पर गांड चाटने में कुछ ही निपुण हो पाते हैं.”

मेहुल: “पर आंटी जी, मेरे लंड का नंबर कब आएगा?”

सुजाता उसकी ओर उलाहना भरी दृष्टि से देखकर: “आज तो मैं तेरे लंड को केवल हाथ से झड़ा दूंगी. शेष समय तुझे बस मेरी गांड और चूत ही चाटना है आज. अगली बार, हुआ तो तेरे लंड को चूस दूंगी. ये मत भूल कि तू मेरा दास है. मैं जो कहूँगी, वही होगा.”

मेहुल डरने का अभिनय करते हुए: “जी आंटी।”

सुजाता: “और अब तू मेरे कपड़े निकाल और उन्हें अच्छे से संभाल कर वहां पर रख.”

ये कहकर सुजाता खड़ी हुई और एक मादक सी अंगड़ाई ली. मेहुल ने पास जाकर उसके नाममात्र के वस्त्रों को उसके सुन्दर मखमली शरीर से अलग किया और संभालकर बताये हुए स्थान पर रख दिया. ये करते हुए उसने एक पैनी दृष्टि से उन स्थानों का अवलोकन किया जहाँ पर उसके कैमरे थे. उसने पाया कि वे पूरा विवरण अच्छे से रिकॉर्ड कर रहे हैं. उसने ये भी तय कर लिया कि उसे किस कोण से सुजाता के अभिमान को तोडना है.

सुजाता इस बार बड़े सोफे पर बैठी और अपने पांव फैला लिए. उसकी चिकनी सपाट चूत बहुत ही लुभावनी लग रही थी. मेहुल ने निश्चय किया कि जब वो अपने कर्मकांड से निपटेगा तब इसकी सुंदरता ऐसी नहीं रह पायेगी. और फिर आंख सुजाता की गांड पर पड़ी. उस संकरी गली में लगता था बहुत राही नहीं गए थे. या अपनी छाप नहीं छोड़ पाए थे. इतनी चुड़क्कड़ औरत की गांड की कसावट देखकर उसे आश्चर्य हुआ और उसने निश्चय किया कि आज ही वो उसके भी बल निकाल देगा. अभी १२ भी नहीं बजे थे और उसके पास ५ घंटे थे. पर अभी उसने इस दासता और सिधाई का मुखौटा कुछ देर और लगाकर रखना था.

बस कुछ और देर….

मेहुल: “आंटीजी, क्या मैं भी अपने कुछ कपड़े निकल लूँ, बैठने में कठिनाई हो रही है.”

सुजाता: “ठीक है, पूरे मत निकाल देना. बनियान और अंडरवियर पहने रखना।”

मेहुल: “जी, आंटीजी.”

मेहुल ने अपने कपड़े एक ओर रखे और सुजाता की जांघों के बीच स्थान ले लिया. उसका असली चमत्कार अब आरम्भ करने वाला था. सुजाता उसकी जीभ और उँगलियों की कला से अवगत होने वाली थी. ये सम्भव था कि उसे समझ आ जाये कि वो उतना नौसिखिया नहीं है जितना उसने सोचा था. पर ये खतरा तो उठाना आवश्यक ही था. मेहुल ने सुजाता की जांघें कुछ और फैलायीं और एक गहरी साँस में चूत की पहली सुगंध भर ली. फिर उसने जीभ से उसकी चूत की फांकों को चाटना शुरू किया.

सुजाता ने मेहुल के इस कदम पर एक आह भरी और अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया वो देखना चाहती थी कि इस लड़के में कितना दम है. मेहुल ने चूत के बाहरी हिस्से को अच्छे से चाटकर सुजाता की चूत का मुंह खोला और उस पर फूंक मारी। सुजाता को एक नयी ही अनुभूति हुई. और इससे पहले कि वो कुछ कहती मेहुल की जीभ ने अपना रास्ता खोजकर अंदर प्रवेश कर लिया था और वो अपनी जीभ से अंदर की परतों को चाट कर छेड़ रहा था. उसकी चूत चाटने की कला नयी तो नहीं थी, पर विकसित अवश्य थी. सुजाता की चूत भी इस नए आगंतुक का स्वागत अपने बहाव से कर रही थी. बहती चूत से मेहुल बिलकुल भी विमुख नहीं हुआ, अपितु उसने अपनी पहुंच और भी अंदर तक बढ़ा ली.

अब मेहुल ने अपने गियर बदले. अगर सुजाता उसके लंड से साक्षात्कार नहीं करेगी, तो सारा बना बनाया प्लान चौपट हो जायेगा. और इसके लिए आवश्यक था उसे एक ऐसे शीर्ष पर ले जाना किसके लिए वो मेहुल को कुछ प्रोत्साहन दे और उसके लंड का दर्शन करे. मेहुल ने अपनी दो उँगलियों को सुजाता की बहती चूत में डुबाया और फिर उसके नितम्बों के नीचे हाथ करते हुए उसकी गांड के छेद को खुजाने लगा. सुजाता फिर एक नयी ऊंचाई की ओर उड़ चली. जब मेहुल ने ऊँगली के पानी को गांड के छेद पर मल दिया तो उसने दोबारा चूत के पानी से उसे भिगोया. और इस बार गांड में छोटी ऊँगली प्रविष्ट कर दी.

सुजाता उछल पड़ी. उसकी चूत भी नयी धाराएं छोड़ने को तत्पर थी, कि मेहुल ने अपने होंठों के बीच सुजाता के भग्नाशे को लिया और जोर से मसल दिया. अगर चूत का कोई प्रतिरोध था भी, तो वो समाप्त हो गया. सुजाता का निचला शरीर एक फुट से अधिक ऊपर उछला. पर मेहुल इस प्रतिक्रिया के लिए तैयार था और उसने अपने लक्ष्य से न जीभ हटाई, न उँगलियाँ. बल्कि गांड की ऊँगली सुजाता के नीचे की ओर गिरते ही पूरी अंदर चली गई. इस बार मेहुल ने चूत के अंदर जीभ को सरपट दौड़ते हुए भग्नाशे को दाँतों से दबा दिया. सुजाता चीख पड़ी और संभवतः कुछ सेकण्ड के लिए अचेत हो गई. उसकी चूत नदी के समान बहे जा रही थी और मेहुल उस जल से अपनी प्यास बुझा रहा था. जब सुजाता सचेत हुई तो मेहुल ने अपनी ऊँगली गांड से निकाली और भग्नाशे को चूमकर चूत के चारों ओर चाटकर साफ कर दिया.

मेहुल: “आंटीजी, मैंने ठीक तो किया न?”

सुजाता: “अरे दुष्ट, बहुत अच्छा किया. किसने सिखाया तुझे? बहुत ही अच्छा मजा आया.”

मेहुल: “आंटीजी, बस ब्लू फिल्मों से ही सीखा है. आंटीजी, अगर अच्छा हुआ है तो अपने विद्यार्थी को कुछ पुरुस्कार दीजिये.”

सुजाता कुछ सोचकर: “सच में तुझे कुछ तो मिलना ही चाहिए. वैसे भी मैं तेरे लंड की मुठ मरने वाली तो हूँ ही. आज उतना ही करूंगी, पर अगली बार चूस भी दूंगी. और अभी तुझे मुझे अपनी गांड भी चटवानी है.”

मेहुल: “आंटीजी, आप जब बोलेंगी, मैं आपकी गांड चाट दूंगा. अभी आप मुझे मेरा पुरुस्कार दे दीजिये, बहुत दर्द हो रहा है.”

सुजाता: “ठीक है. अभी अपने पास समय भी है. चल अपने बाकी कपड़े निकाल। तेरी मुठ मार देती हूँ.”

मेहुल ने पहले बनियान और फिर अंडरवियर उतार फेंका. इसके साथ ही उसका विकराल लौड़ा सुजाता के चेहरे के सामने लहरा उठा. सुजाता की ऑंखें फट गयीं. और मेहुल ने अपना मुखौटा उतार फेंका. अब वो कामदानव का मिश्रित रूप ले चुका था. बस कुछ ही समय में सुजाता इसकी निर्ममता का उदाहरण देखने वाली थी. उसके बचने का एक ही उपाय था. और मेहुल उसे वो उपाय न करने देने के लिए कटिबद्ध था.

सुजाता: “इतना बड़ा लंड है तेरा.”

मेहुल: “जी आंटीजी. क्यों आपको अच्छा नहीं लगा?”

सुजाता: “नहीं नहीं. ऐसा नहीं है. और तूने स्मिता की चुदाई भी की थी इससे?”

मेहुल: “जी आंटीजी. पर मम्मी को तो अच्छा लगा था.”

ये सुजाता के अभिमान पर चोट थी.

सुजाता: “मेरे विचार से जब मैं इससे चुदूँगी तब मुझे भी मजा ही आएगा. पर चल अभी मैं इसे मुठ मार देती हूँ.”

मेहुल: “जैसा आप चाहो. मैं तो आपका दास हूँ. पर मम्मी ने तो मुंह में भी लिया था. आप शायद न ले पाओ .....”

मेहुल ने अपना अंतिम अस्त्र छोड़ा. अगर सुजाता इसे मुंह में ले ली तो आज उसका अवस्था दया करने वाली होने वाली थी. पर जैसा कहा गया है, “विनाश काले, विपरीत बुद्धि.” तो सुजाता ने भी इस चुनौती को स्वीकार कर लिया.

सुजाता: “मेरे विचार से स्मिता को कठिनाई हुई होगी. पर चल मैं थोड़ा चूस ही देती हूँ. तू भी क्या याद रखेगा.” सुजाता हार मानने को तैयार नहीं थी. और ये सुनकर मेहुल की आँखों का रंग बदल गया. उसके अंदर का राक्षस पूर्ण रूप से जग गया. बस …

और सुजाता ने मेहुल के लंड को अपने मुंह में डाला और बाहरी रूप से पुचकारने लगी. उसने जैसे ही लंड को थोड़ा सा अंदर लिया, मेहुल ने अपने पत्ते खोल दिए. अपमान का बदला लेने का समय आ चुका था और शिकार उसके जाल में स्वयं फंस गया था. उसने सुजाता के सिर के पीछे हाथ रखा. सुजाता ने अपनी ऑंखें ऊपर करके इसका अभिप्राय समझना चाहा. उसकी ऑंखें मेहुल से मिलीं और उसने उन आँखों में जो देखा उससे उसका अस्तित्व हिल गया. उसने लंड को मुंह से निकालने का प्रयास किया. पर मेहुल की शक्तिशाली पकड़ उसके आगे बहुत अधिक थी. मेहुल ने एक कुटिल मुस्कान के साथ उसे देखा.

मेहुल: “आंआंआंआंआंआंटी जी…” और इसी के साथ एक झटके के साथ अपने हाथ से सुजाता का सिर अपने लंड की ओर खींचा और अपनी कमर के झटके से अपने लंड को सुजाता के मुंह में पेल दिया. लंड गले से भी आगे तक उतर गया और सुजाता साँस न ले सकने के कारण छटपटाने लगी. उसकी आँखों से आंसू निकल आये.

मेहुल ने लंड को गले तक दबाकर रखते हुए १० तक गिनती गिनी और फिर लंड को बाहर निकाल लिया जिससे कि सुजाता साँस ले पाए. सुजाता के चेहरे पर अब आंसुओं से मिलकर काजल बह रहा था. मेहुल ने उसे साँस सँभालने का समय दिया और फिर अपने लंड को उसके मुंह में डालने लगा. सुजाता ने डर से मुंह खोल दिया और मेहुल ने वही प्रक्रिया अपनायी.

मेहुल: “आंआंआंआंआंआंटी जी, आन.. टी…जी. आपका दास आपकी सेवा में लगा है आंटी जी.” लंड बाहर निकालकर फिर वही क्रम २ बार और दोहराया. उसके बाद मेहुल ने अपना लंड बाहर निकला और सुजाता के मुंह पर उसे मारने लगा. सुजाता इस समय कोई उत्तर देने की स्थिति में नहीं थी. मेहुल ये समझता था और उसने सुजाता के लिए ही उत्तर दे दिया.

मेहुल: “आंटीजी, आपका कुछ न कहना ही आपकी सहमति है. और क्या है न आपका ये दास अब आपकी चूत की सेवा करने की आज्ञा मांग रहा है. तो बिस्तर पर ही चलते है.” मेहुल ने अपना हाथ सुजाता के सिर से हटाया ही नहीं था.

और इस बार उसने सुजाता को बालों से पकड़ा और बिस्तर की ओर धीमी गति से चल पड़ा. सुजाता को समय से होश आ गया और वो बालों को बचाने के लिए अपने हाथ और पांवो के बल मेहुल के पीछे कुतिया के जैसे चल पड़ी. मेहुल बाल खींच नहीं रहा था, पर सुजाता को डर था कि अगर उसने नानुकुर की तो ये भी संभव है.

बिस्तर के पास जाने के बाद मेहुल खड़ा हो गया और मुड़कर सुजाता की आँखों में देखकर बोला: “आंटीजी, जाकर थोड़ा वेसलीन या कोई अन्य जैल ले आईये. अगर नहीं है तो जो भी तेल आप लगाती हैं उसे ले आइये. मुझे पता नहीं है कहाँ रखा है, नहीं तो ये दास आपको ऐसा कष्ट नहीं देता.”

सुजाता लड़खड़ाते हुए उठी और वेसलीन क्रीम ले आयी.

मेहुल: “अब थोड़ा इस लौड़े को चूस लीजिये और इस पर ये क्रीम लगा दीजिये.”

सुजाता ने उसके लंड को जितना संभव हो सका चूसा और क्रीम से लथपथ कर दिया. ये सोचकर कि इस क्रीम उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ने से बचा सकेगी.

मेहुल: “आप बहुत अच्छी मालकिन हैं, आंटीजी. चलिए अब बिस्तर पर लेट जाइये. जो आप अगले दिनों के लिए सोच रखी थीं, उस कार्यक्रम को क्यों न आज ही कर लें जिससे आप मेरी क्षमता को देख सकें और मेरे प्रशिक्षण में किन बिंदुओं पर ध्यान देना हो उसे आप गहराई से नाप सकें.”

सुजाता ने अब स्वयं को अपने भाग्य के हाथों सौंप दिया था. उसकी आँखों से आंसू बहकर काजल को भी उसके चेहरे पर बहा रहे थे. वो अपने पति और बच्चों को याद करते हुए बिस्तर पर लेट गई. मेहुल ने उसकी दशा को समझ लिया पर अब रुकना सम्भव नहीं था. सुजाता को उसका स्थान दिखाना आवश्यक था. उसने सुजाता के दोनों पांव चौड़े किये और क्रीम की शीशी से उसकी चूत में क्रीम डालकर दो उँगलियों से उसे चारों ओर मल दिया. जब उसने पाया कि सुजाता की चूत उपयुक्त रूप से चिकनी हो गई है तो उसने उसकी जांघों के बीच स्थान लिया.

“आंटीजी, आपने मुझे सेवा का अवसर प्रदान किया, इसीलिए आपका ये दास आपकी आज हर तरह से और हर छेद में सेवा अर्पण करेगा.”

कहते हुए मेहुल ने अपने लंड को सुजाता की चूत पर रखा और बहुत ही संयम के साथ दबाव बनाने लगा. पहले उसके टोपे ने लक्ष्य भेदा और फिर उसके पीछे शेष लंड आगे बढ़ने लगा. कोई पांच से छः इंच अंदर जाने के बाद मेहुल ठहर गया. सुजाता ने भी गहरी साँस ली. अभी तक सब सामान्य था. सम्भव है कि अब ये ठीक से ही चोदे. वैसे लौड़ा है भी काफी चौड़ा, मेरी चूत फैला दी इसने. उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव आ गए. काजल की कालिख से पुते चेहरे के होते हुए भी मेहुल ने इन्हें पढ़ लिया.

“आंटीजी, आपने मेरी मम्मी का अपमान करके बड़ी गलती की. क्या है न आप मुझे कुछ भी कहो, मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता. पर मम्मी का ये अपमान, मैं सहन नहीं कर सकता.”

“मुझे क्षमा कर दे, बेटा. मैं स्मिता से भी क्षमा मांगूगी. मैं आत्म-मुग्ध होकर अपने नशे में इतनी खो गई थी कि अपने पराये का भी ध्यान नहीं रखा.”

मेहुल अब अपने लंड को बहुत धीमी गति से चूत में आगे पीछे चला रहा था.

“आपका नशा इतना था कि आप अपनी बेटी के देवर को दास बनाना चाहती थीं. आपने स्नेहा को कभी ये नहीं समझाया कि उसकी सोच सही नहीं है. आंटीजी, ऐसे नशे को सदैव के लिये उतारना आवश्यक है.”

ये कहकर मेहुल ने टोपे को अंदर रखकर शेष लौड़े को बाहर खींचा, उसने सुजाता के दोनों मम्मों को हाथ में लिया और जोर से भींचते हुए एक लम्बा करारा धक्का मारा. कमरा सुजाता की चीख से सहम गया. सुजाता तड़प रही थी और अपने हाथ पांव हर ओर फेंक रही थी. मेहुल उसके मम्मों को बेदर्दी से मसले जा रहा था.

मेहुल: “दासी मैं बनाता हूँ आंटीजी, दास नहीं बनता हूँ.”

सुजाता की आँखों के आगे तारे नाच रहे थे. उसे लग रहा था कि किसी ने उसकी चूत के न जाने कितने भाग कर दिए है. ऐसा दर्द तो उसे अपनी पहली चुदाई में भी नहीं हुआ था. ये तो अच्छा था कि अब मेहुल रुका हुआ था और उसकी चूत को अभ्यस्त होने दे रहा था. कुछ समय के बाद सुजाता की आँखों के आंसू सूख गए और काजल की कालिख ने उसके सुंदर चेहरे पर एक अजीब सा चित्र बना दिया था. उसने दयनीय दृष्टि से मेहुल को देखा.

सुजाता: “मुझे क्षमा कर दो, बेटा। मुझ पर दया करो. मेरे बच्चे क्या करेंगे मेरे बिना. मैं मर गयी तो तुम्हें भी जेल हो जाएगी. मुझे मत मार.”

मेहुल: “अरे रे रे रे, आंटीजी, मेरी मालकिन होकर आप ऐसे बोल रही हैं. ऐसे कैसे चलेगा.”

जब मेहुल ने भांप लिया कि सुजाता की पीड़ा कम हो रही है, इसीलिए वो इतना कुछ बोल पा रही है तो उसने अपने लंड को सुजाता की फटी पड़ी चूत में चलना शुरू किया. पहले उसने बहुत ही धीमी गति रखी. जब उसे लगा कि चूत ने अपने रस से रास्ते को सरल बना दिया है, तो उसने गति बढ़ा दी. चूत के पानी छोड़ने से सुजाता को भी अब पीड़ा में कमी लग रही थी और उसके अंतरंग भागों में एक अनजानी सी अनुभूति हो रही थी. एक मीठी कसक जो उसने पहले कभी अनुभव नहीं की थी. संभवतः ये मेहुल के विकराल लौड़े की पहुँच ही थी जिसने उसके अनछुए हिस्सों को भी सहला दिया था.

सुजाता के चेहरे आते आनंद और पीड़ा की भावों को मेहुल पढ़ने में सक्षम था. उसने अपनी गति को बढ़ाया और अब वो लौटकर दुर्दांत चुदाई में जुट गया. सुजाता एक गुड़िया के समान उसके इन भीषण आक्रमण को झेल रही थी. उसके चूत को जिस प्रकार मथा जा रहा था वो उसकी कल्पना के परे था और उसे अब इसमें आनंद आने लगा था. अचानक उसकी ऑंखें कामोतकर्ष की अधिकता से बंद हो गयीं. उसे पता भी नहीं चला कि वो चिल्ला रही है.

“मार ले मेरी चूत, फाड़ डाल इसे. बहुत सताती है. आज इसकी प्यास मिटा दे. बस और नहीं सह सकती. चोद डाल मुझे. मैं तेरी दासी बन गयी. सौ लोगों के सामने तेरा लंड चूसूंगी. सूसू पियूँगी तेरा. जो तू कहेगा सो करुँगी. बस मुझे चोदना बंद मत करना. मरते दम तक मुझे चोदना।”

मेहुल भी सुजाता के इस आत्मसमर्पण से खुश हो गया. वो यही सुनने के लिए आतुर था.

“आंटीजी, तो आप मेरी दासी बनने के लिए उत्सुक हो.”

“हाँ बेटा। मैं तो तेरी दासी हो गई और स्नेहा को भी बनवा दूंगी. मेरे मालिक को बुरा भला कहती है. तू मेरा मालिक पहले है और वो मेरी बेटी बाद में. चोद दे मुझे. बस चोदते रह.”

अब सुजाता की चूत से इतना पानी बहे जा रहा था कि वो बीच बीच में झड़ते हुए कुछ सेकंड के लिए अचेत हो जाती थी. फिर सचेत में आते ही फिर बड़बड़ाने लगती. उसका मानसिक संतुलन मानो खो गया हो. शरीर की भूख ने उसकी बुद्धि हर ली थी. पर इस बार जब वो झड़कर बेहोश हुई तो उसका शरीर कांपते हुए जैसे एक तंद्रा में चला गया. वो इस अवस्था में कोई दो से तीन मिनट तक रही. और फिर उसका शरीर ढीला पड़ गया. मेहुल ने उसकी इस अवस्था को समझा और अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया. वो अभी भी नहीं झड़ पाया था. वो उठकर खड़ा हुआ और अपने द्वारा किये हुए संहार का अवलोकन करने लगा. सुजाता का पूरा शरीर लाल हो चुका था. हमेशा अत्यंत सुंदर लगने वाली वो स्त्री इस समय एक अश्लील लग रही थी. उसकी फटी हुई चूत अभी भी अपना रस बहा रही थी.

मेहुल ने उठकर अपना फोन उठाया और सुजाता के इस अवस्था में कई चित्र लिए. सुजाता ने आंख खोली और उसकी ओर देखकर मुस्कुराई. और चित्र लिए गए. फिर मेहुल ने वीडियो ऑन किया और पूरे शरीर का एक एक हिस्सा फिल्माया, विशेषकर चूत जो अभी भी अपने सामान्य आकार में नहीं आयी थी. सुजाता ने अपनी उँगलियाँ अपनी चूत पर लगायीं तो उसकी ऑंखें फ़ैल गयीं. फिर उसने बहते हुए रस को लिया और अपने चेहरे पर मला.

“मालिक, जब आपका रस पियूँगी और मुंह पर मलूँगी, तब मुझे शांति मिलेगी.”

मेहुल ने फोन बंद कर दिया, और बोला: “ तुम्हारी ये इच्छा भी अवश्य पूरी होगी, क्यूंकि तुमने मेरी दासता को स्वीकारा है. तो मालिक होने कारण मेरा भी ये दायित्व है कि मैं तुम्हारा ध्यान रखूं. जाओ अपना चेहरा धोकर आओ.”

सुजाता ने बाथरूम में जाकर अपना चेहरा देखा तो उसे घिन आ गयी. उसने अच्छे से उसे साफ किया और फिर मूत्र विसर्जन के बाद अपने शरीर पर एक दृष्टि डाली. उसकी वासना आज शांत हो गई थी. पर उसे नहीं लगता था कि मेहुल अभी रुकने वाला है. उसके हाथ अकस्मात ही उसकी गांड पर चले गए. मेहुल ने इसकी भी माँ चोदनी ही है. उसके शरीर में एक सिहरन हुई. फिर वो एक स्वप्न के भांति चलती हुई शयनकक्ष में लौट आयी. अब मेहुल बाथरूम में चला गया.

सुजाता खड़ी रही, उसका लाल हुआ नंगा शरीर बहुत ही मादक लग रहा था. मेहुल बाथरूम से आकर उसी सिंगल सोफे पर बैठा जिस पर पहले सुजाता बैठी थी. सुजाता समझ गई कि ये संकेत है कि पासा अब पलट चुका है. पर उसे इसमें कोई समस्या नहीं लगी. पहली बार किसी ने उसके शरीर को तोड़ने वाली चुदाई की थी. और उसकी चूत अभी भी इस चुदाई के असर से कुलबुला रही थी.

सुजाता: “मेहुल बेटा, क्या बियर पियेगा?”

मेहुल: “हाँ, लेकर आओ.”

सुजाता अपना गाउन डालने लगी तो मेहुल ने रोक दिया. “ऐसे ही जाओ. वैसे भी घर खाली ही है.”

सुजाता उसी अवस्था में किचन से बियर और कुछ अल्पाहार लेकर आयी.

मेहुल: “वैसे खाने में क्या बनाया है आज?”

सुजाता ने ध्यान किया कि अब मेहुल उसे आंटी नहीं बुला रहा है.

सुजाता: “ चिकन करी.”

मेहुल: “ठीक है, बाद में खाएंगे.”

ये कहकर उसने बियर का एक घूँट लिया. सुजाता उसके पांवों के बीच में बैठ गयी और फिर उसके लंड को मुंह में लेकर चाटने लगी. मेहुल ने उसके सिर पर हाथ फिराया.

“आप बहुत अच्छी दासी बनोगी. पर उसके लिए आपको मेरे पांव चाटकर साफ करने होंगे.”

सुजाता ने अपनी बात को उस पर ही विपरीत पड़ते देख अचरज किया. पर उसने लंड को छोड़कर निखिल के पांव चाटकर उन्हें साफ कर दिया. निखिल ने उसके सिर पर थप्पी देकर उसे शाबाशी दी.

मेहुल: “अब जरा अपनी जीभ से मेरी गांड को भी साफ करो.”

ये कहकर मेहुल सोफे पर उलट कर लेट गया. सुजाता बिना कुछ कहे अपने कर्तव्य का पालन किया. फिर मेहुल सीधा बैठ गया और दोबारा बियर के घूँट लेने लगा. सुजाता ने उसके अकड़ते लंड को फिर से चूसना चूरू कर दिया.

मेहुल: “तुम्हारा घर का नाम क्या है?”

सुजाता: “अविरल मुझे कभी कभी सूजी बुलाते हैं.”

मेहुल: “अच्छा नाम है, सूजी डार्लिंग.”

जब मेहुल ने बियर समाप्त की तो समय देखा. अभी २.२० हुए थे. सूजी डार्लिंग की गांड के यज्ञ का समय आ चुका था.

मेहुल: “सूजी डार्लिंग, अब जब तुम मेरी दासी बन चुकी हो तो तुम्हें मुझे पूर्ण रूप से समर्पित करना होगा.”

सुजाता समझ गई कि मेहुल किस ओर संकेत कर रहा है.

“जी”

“और इसके लिए आवश्यक है कि तुम मुझे अपने अन्य दो छेद भी भेंट करो. तुम्हारे मुंह में तो मेरा लंड जा नहीं पाया, इसका मैं दूसरा उपाय करूंगा. पर तुम्हारी गांड की भेंट तुम्हें ही मुझे अर्पण करनी होगी.”

सुजाता खड़ी हो गयी और बहुत हिम्मत के साथ बिस्तर पर बैठी और उसने शीशी से क्रीम निकालकर अपनी गांड में डाली और दो उँगलियों से उसे जितना संभव था खोलकर चिकना कर लिया. उसके बाद उसने बिस्तर पर घोड़ी का आसन किया और मुड़कर मेहुल की ओर देखकर बोली.

“मेरे मालिक. आपकी दासी सूजी आपको अपनी गांड की भेंट अर्पण करना चाहती है. मेरे मालिक, मेरी इस भेंट को स्वीकार करें और मुझे अपनी दासी के रूप में अपना लें.”

मेहुल प्रसन्न हो गया. वीडियो में इतने अच्छा संवाद उसने सोचा नहीं था. उसे इस बात का भी ध्यान हुआ कि उसने अभी तक अपनी माँ की गांड नहीं मारी है. मेहुल ने खड़े होकर बिस्तर पर से क्रीम अपने लंड पर मली और गांड मारने के सबसे प्रचलित आसन में स्थिति ले ली. सुजाता ने अपने जीवन के लिए प्रार्थना की और उसे फिर उसके परिवार के सदस्यों की याद आ गयी. तभी उसे अपनी गांड में कोई मोटी वस्तु के जाने का अनुभव हुआ. उसकी तन्द्रा टूटी और वो लौटकर वर्तमान में आ गयी. उसे याद आया की मेहुल अब उसकी गांड मारने में मग्न है. उसने साँस रोकी और दाँत भींचकर आने वाली पीड़ा की प्रतीक्षा करने लगी.

मेहुल अपने लंड को सुजाता की गांड में बहुत संयम के साथ एक एक मिलीमीटर करके उतार रहा था. उसका क्रोध अब बहुत कुछ शांत हो चुका था. सुजाता के समर्पण के पश्चात उसे अधिक कष्ट देने में कोई लाभ नहीं था. अपितु उनकी इस दासता से वो बहुत कुछ पा सकता था. और यही सोच थी जिसने सुजाता की गांड को उस बर्बादी से बचा लिया था. इसी प्रकार कुछ समय में मेहुल के लंड ने अपना स्थान सुजाता की पूरी गांड में स्थापित कर लिया.

“सूजी डार्लिंग, तुम्हारी गांड की भेंट स्वीकार कर ली गयी है. मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ जो तुमने मुझे इस प्रकार से मुझे अपनी गांड अर्पित की है. पर अब इसके अच्छे से चोदने का भी समय चुका है. मैं जितना हो सके उतने प्यार से इसे चोदने का प्रयास करूँगा पर अगर तुम्हें कष्ट हो तो मुझे बताना अवश्य.”

ये कहकर मेहुल अपने मूसल को सुजाता की गांड में चलाने लगा. एक मंथर गति से चुदाई करते हुए उसने धीरे धीरे गति बढ़ा दी. सुजाता के झड़ने का क्रम फिर से आरम्भ हो गया. उसकी गांड में इतना बड़ा लौड़ा आज तक नहीं गया था और आश्चर्य ये था की उसे किंचित मात्र भी पीड़ा नहीं हुई थी. उसकी गांड में एक विचित्र सी जलन हो रही थी जो एक लहर के समान आ और जा रही थी. उसकी गांड को खोलने वाले इस बलशाली लौड़े ने उसके रोम रोम को पुलकित किया हुआ था. और जैसे जैसे मेहुल ने गति बढ़ाई वैसे वैसे उसके आनंद में बढ़ोत्तरी होती गयी. उसकी चूत भी उसके इस आनंद में उसकी साथिन थी और अपने रस की नहर बहाये जा रही थी.

सुजाता एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी और देखते ही देखते उसके शरीर ने एक भीषण स्खलन से स्वयं को तृप्त किया. अब मेहुल भी झड़ने के करीब था और उसने सुजाता की गांड को पेलना बंद नहीं किया और जब वो झड़ गया उसके भी बहुत देर तक वो गांड को मथता रहा. फिर बहुत ही ध्यान से अपने लौड़े को खुली हुई गांड से बाहर निकाल लिया. उसका लंड वीर्य और अन्य रस से गीला था. उसने उठकर अपने फोन से सुजाता की खुली गांड और उससे टपकते हुए वीर्य का फोटो लिया और छोटा सा वीडियो बनाया. फिर उसने सुजाता को बैठने की आज्ञा दी.

“सूजी डार्लिंग. अब समय है तुम्हारे तीसरे छेद की भेंट स्वीकारने का. आओ और मेरे लंड को चाटकर साफ करो. ध्यान रहे कि ये किस स्थान से निकला है.”

सुजाता सकपका गई. उसने ऐसी आशा नहीं की थी, पर उसे पता था कि मना करने का कोई प्रश्न ही नहीं था. उसने अपनी जीभ बढ़कर लंड को चाटते हुए बिलकुल साफ कर दिया. मेहुल ने नीचे देखकर उसके इस कार्य की प्रशंसा की.

“सूजी डार्लिंग, तुम सचमुच में मेरी सबसे अच्छी दासी बनोगी. आओ अब मैं तुम्हे अपने पानी से चिन्हित कर दूँ.”

ये कहते हुए उसने सुजाता को उठाया और बाथरूम में ले गया. वहां उसने सुजाता को बाथटब में लेटने की आज्ञा दी.

सुजाता के लेटने के बाद मेहुल ने अपने लंड का निशाना लगाया और बोला: “सूजी डार्लिंग, तुम तो जानती हो कि कुत्ता किस प्रकार से अपनी कुटिया को चिन्हित करता है. चूँकि उनका सर्वश्रेष्ठ संवेदनशाली अंग उनकी नाक होती है और सूँघने की क्षमता मुख्य संवेदन, तो वो इस प्रकार से अपनी कुतिया को अपनाता और उस पर अपना स्वामित्व स्थापित करता है.”

उसे चेहरे से लेकर पूरे शरीर पर अपने मूत्र से नहला दिया. सुजाता कुछ न कह सकी पर जब ये परित्याग समाप्त हुआ तो उसे एक असीम सुख और रोमांच की अनुभूति हुई.

“धन्यवाद, मेरे स्वामी.”

“सूजी डार्लिंग. में तुम्हे अपने दासी के रूप में स्वीकार करता हूँ. अब तुम स्नान करो और फिर सब कुछ वैसे ही सामान्य हो जायेगा.”

स्नान करके जब सुजाता बाहर आयी तो मेहुल अपने कपडे पहन चुका था. उसने अपने दोनों कैमरे भी निकालकर अपने बैग में रख लिए थे. तीसरे कैमरे की बैटरी भी लगा दी पर उसे बंद ही छोड़ दिया था.

“आंटीजी, मुझे विश्वास है कि आपको मेरे साथ आनंद आया होगा.”

“मेहुल, मैं बता नहीं सकती इस आनंद को. अकल्पनीय था.”

“पर आपको शर्त याद है न? एक भी शब्द किसी ने नहीं कहना है जब तक मम्मी आपको अनुमति नहीं देतीं.”

“अच्छे से याद है. और मैं कभी नहीं चाहूंगी कि तुम मुझसे रुष्ट हो.”

सुजाता ने अपने सामान्य वस्त्र पहमे और दोनों बैठक में आ गए. ४ बज कर निकल चुके थे स्मिता ने ४.३० आने का समय दिया था. सुजाता ने खाना लगाया और दोनों ने सामान्य बातें करते हुए खाना समाप्त किया. उसके बाद चाय का पानी चढ़ाया और जब तक चाय बनी स्मिता भी आ गयी.

सुजाता ने चाय दी हुए स्मिता से कहा, “दीदी, मुझे क्षमा करना, मैं आपको कई पर अपमानित कर चुकी हूँ. आपके बेटे ने मुझे आज इसकी सजा दे दी है. आगे से मैं ऐसी भूल कभी नहीं करूंगी.” ये कहकर सुजाता स्मिता के पांवों से लिपट गयी.

स्मिता ने उसे उठाकर गले लगाया.

“जो अपनी गलती मान लेता है, उसे क्षमा करना ही होता है. मुझे विश्वास है की अब हमारे सम्बन्ध पहले से अधिक मधुर होंगे. पर तुम्हें अपने वादे पर टिकना होगा अन्यथा ठीक नहीं होगा.”

सुजाता ने विश्वास दिलाया और फिर दूसरी बातें करते हुए चाय समाप्त हो गई और स्मिता मेहुल को लेकर घर चली गई. सुजाता उन्हें जाते हुए देखती रही और अपनी गांड सहलाते हुए अपने घर में आ गई. और साथ ही साथ अविरल भी घर आ गया.


क्रमशः
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ABHISHEK TRIPATHI

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आठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी
अध्याय ८.२

भाग १

स्मिता का घर
आज की सुबह :


घर में मेहुल को छोड़कर सभी लोग बाहर जाने के लिए बन संवर रहे थे. आज उनके समुदाय का मासिक मिलन समारोह था. हर बार की तरह पहले प्रबंधन समिति के ५ सदस्य उन परिवारों से मिलेंगे जिनके पुत्र या पुत्री अगले महीने २० वर्ष के होने वाले थे. इसमें ये निर्धारित करने का प्रयास किया जाता था कि क्या वे समुदाय में सम्मिलित होने योग्य हैं या नहीं. समुदाय में ये देखा गया था कि कुछ परिवार इसमें कुछ अधिक समय लेते थे और उनकी संतानें कुछ महीनों बाद सम्मिलित होती थीं. इसके बाद एक नया परिवार जो जुड़ने वाला था उसका परिचय कराया जायेगा. किसी भी परिवार को जोड़ने के पहले उनके बारे में बहुत गहन छानबीन की जाती है, जिसमें ३ से ५ महीने निकल जाते हैं. और इस परिवार को प्रस्तावित करने वाले परिवार से भी इस पूरी पड़ताल के समय पैनी आंख रखी जाती है. ये अत्यंत आवश्यक था क्योंकि सभी शहर में प्रख्यात नागरिक थे और किस भी प्रकार का प्रतिकूल समाचार या बदनामी उन्हें बर्बाद कर सकती थी.

मेहुल को समझा दिया गया था कि उसे अगले महीने से सम्मिलित करने का प्रस्ताव वो देने वाले हैं. मेहुल ने इसके लिए स्वीकृति दे दी थी. मेहुल भी तैयार हो रहा था बाहर जाने के लिए, पर किसी अन्य स्थान पर.

१०.३० बजे सब निकल गए. पहले अन्य सदस्य और अंत में मेहुल.

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सुजाता का घर
पिछले सप्ताह:


अविरल जैसे ही अपने ऑफिस से घर में अंदर आया तो उसकी ऑंखें भौंचक्की रह गयीं. सोफे पर ही उसकी पत्नी सुजाता झुकी हुई थी और उसका बेटा विवेक उसे पीछे से चोद रहा था.

अविरल: “ये कुछ अधिक खुलापन नहीं है? कम से कम कमरे में जा सकते हो. कोई आ गया तो?”
सुजाता: “आता तो घंटी बजता. आपकी तरह चाबी नहीं है उसके पास. दरवाजा लॉक तो कर ही दिया था.”
अविरल: “पर फिर भी…”
सुजाता: “ फिर भी कुछ नहीं.” उसकी आवाज़ में थोड़ी खीज थी. “आप आज जल्दी निकल गए बिना कुछ किये हुए. विवेक जब कॉलेज से आया तो इसे भी चुदाई की तीव्र इच्छा थी. तो बिना समय गंवाए हमने यहीं आसन जमा लिया. आप जाकर नहा लो, तब तक हम भी निपट लेंगे.”

अविरल सिर हिलता हुआ अपने कमरे में चला गया. सुजाता की चुदास दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी. उसकी जितनी भी चुदाई करो, उसकी भूख बढ़ती ही थी. कभी कभी तो बाप बेटे दोनों से चुदवाकर भी वो प्यासी रह जाती थी. काश कोई ऐसा मिल जाये जो इसे शांत करे कुछ नियंत्रण में लाये. वो नहा कर निकला तो सुजाता कमरे में आ चुकी थी. उसने अविरल के होंठ चूमे।

सुजाता: “आपको बुरा लगा न. ठीक है, मैं आगे से बाहर नहीं करुँगी. पर क्या करूँ अपने आप को रोकना कभी कभी कठिन हो जाता है.”

अविरल: “श्रेया के घर का क्या समाचार है?”

सुजाता: “स्मिता से बात हुई थी. मेहुल अब ठीक है. स्मिता कल उसे यहाँ भेजेगी. पर वो स्नेहा को इस प्रकार से देखने के बाद उदास है. स्नेहा को उससे बात तो करनी ही होगी. तभी कुछ ठीक होगा. वो तो स्नेहा पर लट्टू है, पर स्नेहा उसके शर्मीले और सीधे स्वभाव के कारण उस पर अधिक ध्यान नहीं देती.”

अविरल: “पता नहीं क्यों, मैं जब उससे मिलता हूँ तो मुझे एक अनुभूति होती है जैसे वो कुछ छुपा रहा है. और जैसे वो जो दिखाता है, वो उसका सच्चा रूप नहीं है. और तुम तो जानती हो मैं किसी के चरित्र के बारे में अक्सर सही ही सोचता हूँ. अगर वो कल आ रहा है, तो मैं तुम्हे थोड़ा संभल कर रहने की राय दूंगा.”

सुजाता: “जैसा आप ठीक समझो. चलिए आपकी ड्रिंक के लिए सब रख दिया है, कुछ देर आराम करिये फिर खाना परोस दूंगी. आपकी पसंद का खाना बनवाया है.”

अविरल ने कपड़े पहने और सुजाता के साथ बाहर आ गया. बाहर विवेक उसकी प्रतीक्षा कर रहा था.

विवेक: “डैड, आई एम सॉरी, आज के लिए.”

अविरल उसका हाथ थामकर: “जाहे कुछ भी हो, इस प्रकार का प्रदर्शन सही नहीं है. सुजाता ने भी आगे से ऐसा न करने का वादा किया है. मैं तुमसे भी यही चाहूंगा.”

विवेक: “यस डैड. आई ऑल्सो प्रॉमिस.”

अविरल: “कूल. लेट अस गेट ए ड्रिंक एंड वाच सम न्यूज़.”
तीनों बैठक में आ गए. सुजाता सबकी ड्रिंक्स के लिए ट्रे लेकर आयी और बनाकर हाथों में सौंपी. फिर सब समाचार देखने में व्यस्त हो गए.

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स्मिता का घर
पिछले सप्ताह, अगली सुबह



स्मिता से ठीक से चलते नहीं बन रहा था. उसने क्रीम लगाकर अपने को थोड़ा ठीक किया. उसने बिस्तर पर सोते हुए अपने बेटे की ओर देखा. उसका लंड इस समय भी बहुत भयानक लग रहा था. उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गई. सुजाता की तो अब शामत आएगी. अपने आप को बड़ा चुड़क्कड़ समझती है. एक बार मेरे बेटे का लंड उसकी गांड में जायेगा तो सारी अकड़ निकल जाएगी. सम्बन्धी होते हुए भी नारी सुलभ ईर्ष्या के कारण उसकी सुजाता से एक अनकही अनबन थी. सुजाता जहाँ अपने आपको अधिक सुंदर और चुदाई में अधिक प्रवीण मानती थी स्नेहा के विचार उससे भिन्न थे परन्तु वो कुछ कहती नहीं थी. पर अब उसके पास वो हथियार था जिसकी चोट से सुजाता की नींव हिलने वाली थी. उसने झुकते हुए मेहुल के लंड पर एक चुम्बन लिया और उसके टोपे को चाट लिया. मेहुल ने एक अंगड़ाई ली.

स्मिता: “अब उठ जा, सब ये सोच रहे होंगे कि ये माँ बेटे क्या कर रहे हैं.”
मेहुल ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया.
मेहुल: “यही कि तुम मुझे अभी कुछ और सिखा रही हो. सबके मन बड़ी शांति अनुभव कर रहे होंगे, ये सोचकर कि तुमने मुझे सांचे में ढाल लिया है.”
स्मिता: “उन्हें ये नहीं पता कि मैं अब तेरे सांचे में ढल चुकी हूँ और कमरे के अंदर तेरी दासी हूँ.”
मेहुल: “नहीं, मॉम. वो कल की बात थी. आप कभी मेरी दासी नहीं बनोगी. आप तो मेरी जान हो. मैं तो कल आपको सरप्राइस देने के लिए ये सब कह रहा था.”
स्मिता: “और अगर मैं कहूँ कि मुझे तुम्हारा वो रूप अच्छा लगा तो.”
मेहुल: “तो हम ये खेल इसी प्रकार से खेल सकते हैं.”
स्मिता: “मेरी एक बात मानेगा.” स्मिता ने षड्यंत्रकारी आवाज़ में कहा.
मेहुल: “मॉम, तुम्हें पूछने की भी कोई आवश्यकता नहीं है. मैंने आज तक तुम्हे किसी बात के लिए मना किया है. बताओ किसका खून करना है.”
स्मिता ने मेहुल के मुंह पर हाथ रखा: “ये क्या कह रहा है. शुभ शुभ बोल. मैं चाहती हूँ कि तू सुजाता को अपनी दासी बना ले. उसे अपना गुलाम बना ले. वो मुझे बहुत अकड़ दिखती है, बहुत बनती है मेरे सामने.”
मेहुल अपने शर्मीले और सरल रूप में परिवर्तित हो गया, “मैं ये सब कैसे कर सकता हूँ. मैं तो छोटा सा, नन्हा सा बच्चा हूँ.”

दोनों खिलखिला पड़े. फिर मेहुल गंभीर हो गया.

“मॉम, हम जब परसों उनके घर जायेंगे तो आप मुझे उन्हें सौंपकर चली आना. ये कहना कि आप तो कुछ सीखा नहीं पायीं अब वो ही कुछ सीखा सकती है. उन्हें लगेगा कि वो आपसे श्रेष्ठ है. उसके बाद मैं उन्हें सबक सिखाऊंगा. अगर आप वहां रहेंगी, तो मैं जानता हूँ कि आपको उन पर दया आ जाएगी और सारा खेल बिगड़ जायेगा.”

स्मिता खुश होकर: “ये ठीक है. अच्छा पाठ पढ़ाना उसे चुड़ैल को.”

मेहुल कुछ सोचकर: “मॉम. मैं कल आपको दो वीडियो कैमरे दूंगा. आप उसे उनके कमरे में छुपा देना. मैं चाहता हूँ कि आपके पास ये प्रमाण रहे कि वो मेरी दासी बन चुकी हैं.”

मेहुल: “मॉम, एक बात और. जब तुम अपना कैमरा लगाने जाओ, तो एक बार ये अवश्य देखना कि कहीं कोई अन्य कैमरा तो नहीं लगा हुआ.”

स्मिता: “ऐसा कौन करेगा?”
मेहुल: “अविरल अंकल. मुझे विश्वास है कि उस कमरे में कम से कम एक और कैमरा होगा.”
स्मिता: “अगर हुआ तो?”
मेहुल: “उसकी बैटरी निकल देना. मैं खेल की समाप्ति पर फिर लगा दूंगा. अगर कोई ये सोचता है कि उसे हमारे विरुद्ध कोई साक्ष्य मिल सकता है, तो उसे गलत सिद्ध करना हमारा कर्तव्य है.”
स्मिता: “मेहुल, मुझे तुमसे अब कुछ डर सा लग रहा है.”
मेहुल: “डोंट वरी, मॉम मेरे लिए सारी दुनिया से अधिक अपना परिवार प्यारा है. मैं किसी को इस पर आंच नहीं लाने दूँगा।”

स्मिता की ख़ुशी का अब कोई अंत नहीं था. वो मेहुल के षड्यंत्र की भागीदार बनाने के लिए तुरंत मान गई. इसके बाद दोनों बाथरूम में जाकर निवृत्त हुए और फिर सबसे मिलने के लिए बैठक में चले गए. मेहुल ने अपना सीधेपन का मुखौटा लगा लिया.

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सुजाता का घर
पिछले सप्ताह:


खाने के समय स्नेहा भी पहुँच गई. सबने बैठ कर खाना खाया और बातें चलती रहीं. हालाँकि अविरल के प्रयासों के बाद भी हर बार विषय मेहुल की ओर ही जा रहा था था. स्नेहा ने ये बात साफ की कि उसे मेहुल केवल इसीलिए पसंद नहीं है क्योंकि वो उसे एक दब्बू लड़का समझती थी.

अविरल: “स्नेहा, मैं कुछ देर पहले सुजाता को यही समझा रहा था. मेरे विचार से मेहुल जो प्रदर्शित करता है, उसका असली चेहरा वो नहीं है. अगर उसे ये बात पता लगी कि तुम उससे चिढ़ती हो, तो न जाने क्यों मुझे तुम्हारे लिए एक डर की भावना आती है. क्या तुमने कभी उसका अपमान किया है?”

स्नेहा: “नहीं, मैं उसे इसीलिए सहन करती हूँ क्योंकि वो श्रेया दीदी का देवर है. पर जैसे वो मेरे पीछे पालतू कुत्ते के समान दम हिलाता है, कई बार तो उसकी गांड पर लात मरने का मन करता है. मुझे तो लगता है कि उसका लंड भी ३-४ इंच से बड़ा नहीं होगा. साला भड़वा.”

अविरल ये भाषा सुनकर स्तब्ध रह गया. उसे स्नेहा के लिए एक अंजाना सा डर सताने लगा.

अविरल: “स्नेहा, मैं चाहूंगा कि तुम अपनी इन भावनाओं पर अंकुश लगाओ. देर सवेर तुम्हें उसके साथ चुदाई करनी ही है. ये हमारे समुदाय का नियम है. अगर इस प्रकार की भावना रहेगी तो हम बहुत कठिनाई में आ सकते है. जहाँ तक मेरा विचार है, सुजाता के पास वो कल आएगा. श्रेया और महक के बाद तुम्हें ही उसके साथ चुदाई करनी है. तो अगले ६-७ दिनों में या तो अपनी सोच बदलो, या समुदाय से निष्काषित होने के लिए तैयार रहो.”

स्नेहा ने समझ लिया कि अविरल बहुत गंभीर हैं. उसने समय की मांग को समझ कर अपने आप को नियंत्रित करने का वादा किया. अविरल ने भी चैन की साँस ली. पर उसे अभी भी एक अदृश्य भय सता रहा था. उसने अपने कमरे में वीडियो रिकॉर्डर रखने का निश्चय किया. वो देखना चाहता था कि मेहुल का असली रूप क्या है. स्नेहा ने हालाँकि अपना वादा किया था पर उसे इसपर टिकने का कोई भी विचार नहीं था. पर वो नहीं जान रही थी कि ऐसा करने से वो अपने लिए कितनी बड़ी समस्या खड़ी कर रही है.

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स्मिता का घर
पिछले सप्ताह, अगली सुबह


स्मिता और मेहुल जैसे भी बैठक में पहुंचे सब उठा खड़े हुए. सबसे पहले महक दौड़कर अपने भाई के गले लग गई. “भैया, आई एम सो हैप्पी.” उसके मेहुल के गाल पर एक चुम्बन लिया और फिर उसके गले लगी.

उसने कुछ देर में उसे छोड़ा तो मोहन ने उसे गले लगाया. “आई एम हैप्पी फॉर यू ब्रो। वेलकम टू योर न्यू लाइफ.”

फिर विक्रम ने भी इसी सन्देश के साथ उसे गले लगाया. अंत में श्रेया महक के समान उसके गले से लगी और उसके गाल को चूमकर बोली, “क्यों देवर जी, मेरा नंबर कब आएगा?” मेहुल ने झेंपने का स्वांग किया.

मेहुल: “मैं क्या जानूँ भाभी आप ही बताना.”
श्रेया: “मम्मीजी खुश तो हो गयीं न?”
मेहुल: “मैं क्या जानूँ आप उनसे ही पूछो.”

“ए देवर भाभी, एक दूसरे को छोड़ो और चलो नाश्ता करो. बहुत देर हो रही है.” विक्रम ने कहा.

नाश्ता करने के बाद सब अपने काम पर निकल पड़े और मेहुल कॉलेज के लिए. अब श्रेया और स्मिता अकेली ही थीं. कुछ समय किचन इत्यादि का काम करने के बाद श्रेया स्मिता के पास आकर बैठ गयी.

“कैसा रहा माँ जी?”
स्मिता बताना तो सच चाहती थी पर उसे मेहुल की बात याद थी.
“ठीक ही था. अभी और सिखाना पड़ेगा. सुजाता ही आगे की शिक्षा देगी तो ठीक रहेगा. मुझसे बहुत शर्मा रहा था.”

ये सुनकर श्रेया को अपनी माँ पर बहुत गर्व हुआ. उसने ये न समझते हुए कि ऐसा करना सही है या नहीं तुरंत सुजाता को फोन लगा लिया. स्मिता भीतर से तिलमिला उठी. वो तो अच्छा हुआ कि सुजाता ने फोन नहीं उठाया नहीं तो वो अवश्य ही कुछ कर बैठती.

कुछ देर में श्रेया ने कहा कि वो नहा कर आती है और फिर खाना बनाएगी. स्मिता टीवी पर अपना कोई सीरियल देखने लगी. भी श्रेया नहा कर निकली ही थी कि उसकी माँ का फोन आ गया.

सुजाता: “हेलो श्रेया, फोन किया था.”
श्रेया: “हाँ मॉम, मैंने मम्मीजी से पूछा कि कल मेहुल के साथ कैसा रहा. तो कह रही थीं कि उसे सीखना पड़ेगा. फिर कहने लगीं कि उनसे तो मेहुल शर्मा रहा था, इसीलिए आप सिखाएंगी तो अच्छा रहेगा.”

सुजाता: “सिखाऊंगी उसे. अभी भी एक लौंडा ट्रेनिंग पर है. अपनी चूत और गांड चाटना पहले सिखाऊंगी. ऐसे सीधे लड़के को तो मैं अपना गुलाम बनाकर रहूंगी, जैसा इसे बना लिया है. हो सका तो विवेक से चुदवाकर उससे सफाई कराऊँगी.”

श्रेया: “मॉम, ऐसा कुछ मत करना जिससे मुझे इस घर में कठिनाई हो जाये. अभी कौन है तुम्हारी ट्रेनिंग में?”

सुजाता: “तू चिंता न कर, ये सब अभी नहीं, एक बार मेरे सांचे में उतर गया तब. ये अपनी शीतल का बेटा है, केशव। शीतल ने भेजा है सीखने के लिए.”

श्रेया: “माँ, फोन मत काटना, जरा मैं सुनूँ तो कैसे ट्रैन करती हो.”

सुजाता हँसते हुए: “अच्छा मैं फोन रख रही हूँ.”
ये कहकर सुजाता ने फोन एक ओर रख दिया पर बंद नहीं किया. अब श्रेया को साफ सुनाई दे रहा था.
सुजाता: “हाँ बीटा, ऐसे ही चाटते है, अच्छे से खोल मेरी गांड। हाँ अब अपनी जीभ अंदर कर.”
केशव: “आंटी, ये गन्दा है.”
सुजाता: “भोसड़ी वाले, तेरी माँ की चूत नहीं चाटता है क्या?
केशव: “चाटता हूँ.”
सुजाता: “और गांड?”
केशव: “नहीं.”
सुजाता: तभी तेरी माँ तुझे अच्छा मादरचोद नहीं बना पाई और इधर भेज दिया. अब नखरे मत कर और डाल अपनी जीभ अंदर और अच्छे से चाट, नहीं तो….”
अब श्रेया के फोन रख दिया, उसके भी मन में भी चुदाई की इच्छा उठ गई थी. उसने हल्का सा गाउन पहना और बैठक में चली गई.

श्रेया स्मिता के पास जा बैठी. “मम्मी का फोन आया था. मैंने बताई आपकी बात. कह रही थीं कि उन्हें मेहुल भैया को सीखने में ख़ुशी ही होगी.” बड़ी सफाई से उसने पूरी बात छुपा ली.
स्मिता सीधे देखते हुए बोली, “हाँ, वही सही सिखाएगी सही सही.” स्मिता ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा.

श्रेया: “मम्मीजी, अभी आप कुछ कर रही हैं क्या?”
स्मिता समझ गई. “क्यों, तेरी चूत में खुजली हो रही है क्या?”
श्रेया: “जी, आप तो समझती ही हैं.”
स्मिता: “जा, मेरी अलमारी से डिल्डो लेकर आजा, दोनों एक दूसरे को मजा देते हैं.”

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सुजाता का घर:

आज मेहुल और स्मिता सुजाता के घर आने वाले थे. सुजाता ने अपने आप को बना संवार कर बहुत भड़काऊ कपड़े पहने हुए थे. उसने अपनी झांटे और बगल को आज ही फिर से साफ किया था. घर में उसके सिवाय कोई और नहीं था. इस समय उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी. उसकी चूत आने वाले आनंद के अंदेशे में पानी छोड़ रही थी. इतने में ही घंटी बजी. सुजाता ने लपक कर दरवाजा खोला तो पाया की स्मिता और मेहुल ही हैं. उसने स्मिता को गले लगाया और उसके गाल पर चुम्बन लिया. इसके बाद उसने मेहुल को भी गले लगाया.

सुजाता: “आओ, आओ. मैं तुम्हारी ही राह देख रही थी.”
स्मिता: “क्या हमें आने में देर हो गई?”
सुजाता: “नहीं, नहीं. मैं ही कुछ उत्सुक हो रही थी. आज एक नया लौड़ा जो मिलने वाला है.”
स्मिता: “श्रेया तो बता रही थी कि तुम आजकल केशव को ट्रैन कर रही हो.”
सुजाता: “हाँ, पर उसकी बात और है. मेहुल तो अपने घर का बेटा है. इसे तो मैं ऐसा प्यार करना सिखाऊंगी कि ये सबसे तेज चुड़क्कड़ बनेगा नए लड़कों में से.”
स्मिता: “वैसे तुम्हारे इस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से कितने चुड़क्कड़ निकले हैं.”
सुजाता गर्व से: “मैंने गिनना छोड़ दिया है. अरे अंदर तो आओ।”

सब अंदर चले आते हैं और बैठक में बैठ जाते हैं.
स्मिता अपने रोल के अनुसार सुजाता को बताती है कि मेहुल का पारिवारिक सम्भोग में उद्घाटन तो हो चूका है, पर उसके शर्मीले स्वभाव के कारण स्मिता उसे कुछ सीखा नहीं पाती है.
“इसीलिए मैंने सोचा कि तुमसे अच्छा और कौन होगा जो ये शुभ कार्य करे. घर के घर में ही जब इतनी अनुभवी शिक्षिका है तो बाहर क्यों जाना. और अगले महीने इसे समुदाय में भी सम्मिलित जो होना है. कहीं हंसी न उड़े इसकी.”

सुजाता उठकर मेहुल के पास बैठी और उसके गाल पर हाथ फिराते हुए बोली: “मेरे ऊपर से निकला कोई भी हंसी का पात्र नहीं बनता.”

स्मिता: “पर मेहुल ने एक शर्त रखी है. अगर वो मानोगी तभी वो आगे बढ़ेगा अन्यथा मेरे साथ लौट जायेगा.”
सुजाता: “कैसी शर्त?”
स्मिता: “ये कि जब तक ये घर की सभी स्त्रियों के साथ चुदाई नहीं कर लेता, तुम इसके प्रदर्शन के बारे में किसी से भी नहीं बोलोगी. अन्यथा हमारे संबंधों में टूटने की भी स्थिति आ सकती है.”

सुजाता समझी कि मेहुल बहुत कमजोर होगा और संभवतः उसका लंड भी छोटा होगा इसीलिए ऐसी शर्त रखी है. उसने बिना झिझक के इसे स्वीकार कर लिया.
इस बार स्मिता ने कठोर शब्दों में कहा: “किसी से नहीं अर्थात किसी से भी नहीं. अगर हमें पता चला कि तुमने इसका उल्लंघन किया है तो श्रेया को इस घर से नाता हमेशा के लिए तोड़ना होगा या हमारे घर से.”

सुजाता समझ गई कि स्मिता बहुत गंभीर है, क्योंकि इस स्वर में उसने कभी भी उससे बात नहीं की थी. सुजाता ने फिर विश्वास दिलाया कि उसे अपने वादे को तोड़ने का कोई भी अभिप्राय नहीं है. जब स्मिता जान गई कि मछली जाल में फंस चुकी है तो उसने बाथरूम जाने के लिए कहा.

स्मिता: “अगर तुम्हे कोई आपत्ति न हो तो मैं उस कमरे में जाकर देखना चाहती हूँ कि सब ठीक है.”

सुजाता ने कहा कि वो उसके कमरे में चली जाये. स्मिता ने उस कमरे में जाकर अच्छा सा स्थान देखकर दो कैमरे लगा दिए और उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग चालू कर दी. दोनों ८ घंटे तक रिकॉर्ड कर सकते थे. फिर उसने अन्य कैमरे की तलाश की और उसे एक कैमरा मिल गया. मेहुल के बताये अनुसार उसने उस कैमरे की बैटरी निकली और कैमरे के पीछे रख दी. फिर वो बाथरूम में गई और मुंह धोकर बाहर आ गई. उसने मेहुल को अंगूठे से संकेत दिया कि काम पूरा हो गया है.

स्मिता: “सुजाता, अब मैं जाना चाहूंगी. अपने बेटे को तुम्हे सौंप कर जा रही हूँ. इसका ध्यान रखना. अरे मेहुल जरा सुनो तो.”

मेहुल उसके पास गया तो स्मिता ने उसे तीनों कैमरे के स्थान बता दिए. इसके बाद उसने दरवाजा खोला और बहुत ख़ुशी के साथ घर की ओर चल पड़ी.

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सुजाता इस समय फूली नहीं समा रही थी. उसके वश में आने वाला ये चौथा लड़का होगा. और इसे वश में करने में उसे सबसे अधिक आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा. उसे इस बात से कोई संकोच नहीं था कि वो उसकी बेटी का देवर है. मेहुल भी कुछ कुछ उसका स्वभाव समझ चुका था. वहीँ उसकी माँ ने उसे न भूलने वाला सबक सीखने का भी आदेश दिया था. और उसने अपनी माँ के अपमान का बदला तो लेना ही था. पर इससे पहले उसे कुछ और भी जानना था. और अभी.

“आंटी जी, एक बात तो बताइये, प्लीज.” उसने सकुचाने का स्वांग किया.
“पूछो”
“ये स्नेहा मेरे बारे में क्या सोचती है?” अगर सुजाता ने सच कहना था तो यही समय था. उसको छोड़ने के बाद उससे सच की अपेक्षा नहीं थी. और सुजाता अपने अभिमान में कि वो मेहुल को अपना गुलाम बनाएगी, सच कह बैठी. उसने ये सोचा कि लड़के को झटका देने का यही सही समय है.

सुजाता: “वो तुमसे बहुत चिढ़ती है. अब तुम हो ही ऐसे दब्बू और डरपोक. कोई भी तुम्हारा सम्मान क्यों करेगा. वो तो श्रेया न हो तो तुम्हें अच्छे से पाठ पढ़ाये. अरे भोंदू, लड़की को लड़के में दम दिखना चाहिए. जो तू कुत्ते के समान उसके पीछे लार गिराता घूमता है, ये जान ले वो कभी तुझे घास नहीं डालने वाली.”

तो ये थी सच्चाई. अब एक प्रश्न और था.

“और श्रेया भाभी?”
“वो तो तुझे बहुत चाहती है. जब तेरा इस सब में सम्मिलित होने का निर्णय हुआ, तो मुझे बोली थीं कि माँ देखना मैं मेहुल भैया को ऐसा तेज बनाऊंगी कि सब दंग रह जायेंगे. तुझ पर जान छिड़कती है.”

“हम्म्म, चलो अब सब कुछ साफ हो गया.” मेहुल ने मन में सोचा.

सुजाता: “और कुछ पूछना है या तेरी ट्रेनिंग शुरू करें?”
मेहुल: “यहाँ?
सुजाता: “अरे भोंदू, यहाँ नहीं, मेरे कमरे में.”

मेहुल अपने लिए निकले अपशब्दों को खून का घूँट पी कर सह रहा था. उसने अपनी माँ के साथ अपने अपमान का भी बदला लेना था.

उधर अविरल का मन अपने ऑफिस में बहुत बेचैन था. उसे डर था कि कुछ अनहोनी घटने को है. उसने अपना फोन निकला और सुजाता को कॉल किया. सुजाता ने फोन पर अविरल का नाम देखा और उसे उत्तर नहीं दिया. बल्कि उसने मेहुल को अपने पीछे आने का आदेश दिया. दोनों सुजाता के कमरे में चले गए और सुजाता के फोन ने भी बजना बंद कर दिया. सुजाता ने कमरा बंद किया.

सुजाता और मेहुल दोनों एक दूसरे को शिकार के रूप में ताक रहे थे. अब इसमें से एक ही जीत सकता था और वो अभी भी भीगी बिल्ली ही बना हुआ था. बंद कमरे में सुजाता एक सिंगल सोफे पर महारानी के समान जाकर बैठ गयी.

सुजाता: “मेहुल, तुमने तो सुन ही लिया है कि मैंने कई लड़कों को चुदाई की विद्या सिखाई है. मैं तुम्हें भी वही ज्ञान दूंगी. पर उसके लिए तुम्हें शिक्षण समाप्त न होने तक मेरे गुलाम की तरह रहना होगा. उसके बाद तुम स्वतंत्र हो जाओगे.”

मेहुल: “इसमें समय कितना लगेगा?
सुजाता: “तीन महीने.”
मेहुल: “या जब तक मैं सीख न जाऊं.”
दोनों ने इसका अर्थ अलग समझा. सुजाता समझी कि मेहुल अधिक समय लेगा, जबकि मेहुल आज ही सुजाता का मालिक बनने के लिए आतुर था.

मेहुल: “आंटीजी, क्या मैं आपसे एक अनुरोध कर सकता हूँ”
सुजाता: “बोलो.”
मेहुल: “मुझे काजल लगाए हुए महिलाएं बहुत भाती है, तो क्या आप भी लगा सकती हो.”
सुजाता: “हाँ, लगा लेती हूँ.”

सुजाता अपनी ड्रेसिंग टेबल पर गयी और काजल लगाकर लौट आयी.

मेहुल: “आप बहुत सुंदर लग रही हो, एकदम अप्सरा जैसी. अब बताइये क्या करना है. ”

सुजाता: “इसके लिए तुम्हें सबसे पहले मेरे पैरों में स्थान लेना है, और मेरे दोनों पैरों को तलवे सहित पूरा चाटकर साफ करना है. उसके बाद मैं अगला चरण बताऊंगी.” ये कहकर सुजाता ने अपने सुंदर पैर आगे बढ़ा दिए.

मेहुल उन्हें देखकर उनकी सुंदरता पर लट्टू हो गया. पर मेहुल के लिए ये कुछ नया नहीं था. उसकी अनगिनत प्रशिक्षिकाओं में से एक ने उसे इस कला में भी निपुण किया था. और आज उस कला को एक नए साथी पर आजमाने का समय था. मेहुल ने एक पांव उठाकर उसके अंगूठे को चूसना शुरू किया और क्रमशः उसने उस पूरे पांव को अपने थूक से गीला करके चाट और चूस कर साफ किया. यही क्रिया उसने दूसरे पैर के साथ भी की. सुजाता जहाँ उसे डांट कर, गाली देकर अपनी श्रेष्ठता दिखाना चाहती थी, वासना की लहरों में बहने लगी. इस लड़के में गुलामी के सब गुण हैं, ये सोचकर उसने अब अगले चरण में जाने का निश्चय किया.

सुजाता: “अगला चरण होता है, औरत की चूत और गांड को चाटना। चूत चाटना तो बहुत लोग कर लेते हैं, पर गांड चाटने में कुछ ही निपुण हो पाते हैं.”

मेहुल: “पर आंटी जी, मेरे लंड का नंबर कब आएगा?”

सुजाता उसकी ओर उलाहना भरी दृष्टि से देखकर: “आज तो मैं तेरे लंड को केवल हाथ से झड़ा दूंगी. बाकी समय तुझे बस मेरी गांड और चूत ही चाटना है आज. अगली बार, हुआ तो तेरे लंड को चूस दूंगी. ये मत भूल कि तू मेरा दास है. मैं जो कहूँगी, वही होगा.”

मेहुल डरने का अभिनय करते हुए: “जी आंटी।”

सुजाता: “और अब तू मेरे कपड़े निकाल और उन्हें अच्छे से संभाल कर वहां पर रख.”

ये कहकर सुजाता खड़ी हुई और एक मादक सी अंगड़ाई ली. मेहुल ने पास जाकर उसके नाममात्र के वस्त्रों को उसके सुन्दर मखमली शरीर से अलग किया और संभालकर बताये हुए स्थान पर रख दिया. ये करते हुए उसने एक पैनी दृष्टि से उन स्थानों का अवलोकन किया जहाँ पर उसके कैमरे थे. उसने पाया कि वे पूरा विवरण अच्छे से रिकॉर्ड कर रहे हैं. उसने ये भी तय कर लिया कि उसे किस कोण से सुजाता के अभिमान को तोडना है.

सुजाता इस बार बड़े सोफे पर बैठी और अपने पांव फैला लिए. उसकी चिकनी सपाट चूत बहुत ही लुभावनी लग रही थी. पर जब वो अपने कर्मकांड से निपटेगा तब इसकी सुंदरता ऐसी नहीं रह पायेगी. और फिर आंख सुजाता की गांड पर पड़ी. उस संकरी गली में लगता था बहुत राही नहीं गए थे. या अपनी छाप नहीं छोड़ पाए थे. इतनी चुड़क्कड़ औरत की गांड की कसावट देखकर उसे आश्चर्य हुआ और उसने निश्चय किया कि आज ही वो उसके भी बल निकाल देगा. अभी १२ भी नहीं बजे थे और उसके पास ५ घंटे थे. पर अभी उसने इस गुलामी और सिधाई का मुखौटा कुछ देर और लगाकर रखना था.

बस कुछ और देर….

मेहुल: “आंटीजी, क्या मैं भी अपने कुछ कपड़े निकल लूँ, बैठने में कठिनाई हो रही है.”
सुजाता: “ठीक है, पूरे मत निकाल देना. बनियान और अंडरवियर पहने रखना।”
मेहुल: “जी, आंटीजी.”

मेहुल ने अपने कपड़े एक ओर रखे और सुजाता की जांघों के बीच स्थान ले लिया. उसका असली जादू अब शुरू होने वाला था. सुजाता उसकी जीभ और उँगलियों के जादू से अवगत होने वाली थी. ये सम्भव था कि उसे समझ आ जाये कि वो उतना नौसिखिया नहीं है जितना उसने सोचा था. पर ये खतरा तो उठाना आवश्यक ही था. मेहुल ने सुजाता की जांघें कुछ और फैलायीं और एक गहरी साँस में चूत की पहली सुगंध भर ली. फिर उसने जीभ से उसकी चूत की फांकों को चाटना शुरू किया.

सुजाता ने मेहुल के इस कदम पर एक आह भरी और अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया वो देखना चाहती थी कि इस लड़के में कितना दम है. मेहुल ने चूत के बाहरी हिस्से को अच्छे से चाटकर सुजाता की चूत का मुंह खोला और उस पर फूंक मारी। सुजाता को एक नयी ही अनुभूति हुई. और इससे पहले कि वो कुछ कहती मेहुल की जीभ ने अपना रास्ता खोजकर अंदर प्रवेश कर लिया. वो अपनी जीभ से अंदर की परतों को चाट कर छेड़ रहा था. उसकी चूत चाटने की कला नयी तो नहीं थी, पर विकसित अवश्य थी. सुजाता की चूत भी इस नए आगंतुक का स्वागत अपने बहाव से कर रही थी. बहती चूत से मेहुल बिलकुल भी विमुख नहीं हुआ, अपितु उसने अपनी पहुंच और भी अंदर तक बढ़ा ली.

अब मेहुल ने अपने गियर बदले. अगर सुजाता उसके लंड से साक्षात्कार नहीं करेगी, तो सारा बना बनाया प्लान चौपट हो जायेगा. और इसके लिए आवश्यक था उसे एक ऐसे शीर्ष पर ले जाना किसके लिए वो मेहुल को कुछ प्रोत्साहन दे और उसके लंड का दर्शन करे. मेहुल ने अपनी दो उँगलियों को सुजाता की बहती चूत में डुबाया और फिर उसके नितम्बों के नीचे हाथ करते हुए उसकी गांड के छेद को खुजाने लगा. सुजाता फिर एक नयी ऊंचाई की ओर उड़ चली. जब मेहुल ने ऊँगली के पानी को गांड के छेद पर मल दिया तो उसने दोबारा चूत के पानी से उसे भिगोया. और इस बार गांड में छोटी ऊँगली प्रविष्ट कर दी.

सुजाता उछल पड़ी. उसकी चूत भी नयी धाराएं छोड़ने को तत्पर थी, कि मेहुल ने अपने होंठों के बीच सुजाता के भग्नाशे को लिया और जोर से मसल दिया. अगर चूत का कोई प्रतिरोध था भी, तो वो समाप्त हो गया. सुजाता का निचला शरीर एक फुट से अधिक ऊपर उछला. पर मेहुल इस प्रतिक्रिया के लिए तैयार था और उसने अपने लक्ष्य से न जीभ हटाई, न उँगलियाँ. बल्कि गांड की ऊँगली सुजाता के नीचे की ओर गिरते ही पूरी अंदर चली गई. इस बार मेहुल ने चूत के अंदर जीभ को सरपट दौड़ते हुए भग्नाशे को दाँतों से दबा दिया. सुजाता चीख पड़ी और संभवतः कुछ सेकण्ड के लिए बेहोश हो गई. उसकी चूत नदी के समान बहे जा रही थी और मेहुल उस जल से अपनी प्यास बुझा रहा था. जब सुजाता होश में आयी तो मेहुल ने अपनी ऊँगली गांड से निकाली और भग्नाशे को चूमकर चूत के चारों ओर चाटकर साफ कर दिया.

मेहुल: “आंटीजी, मैंने ठीक तो किया न?”
सुजाता: “अरे दुष्ट, बहुत अच्छा किया. किसने सिखाया तुझे? बहुत ही अच्छा मजा आया.”
मेहुल: “आंटीजी, बस ब्लू फिल्मों से ही सीखा है. आंटीजी, अगर अच्छा हुआ है तो अपने विद्यार्थी को कुछ पुरुस्कार दीजिये.”
सुजाता कुछ सोचकर: “सच में तुझे कुछ तो मिलना ही चाहिए. वैसे भी मैं तेरे लंड की मुठ मरने वाली तो हूँ ही. आज उतना ही करूंगी, पर अगली बार चूस भी दूंगी. और अभी तुझे मुझे अपनी गांड भी चटवानी है.”
मेहुल: “आंटीजी, आप जब बोलेंगी, मैं आपकी गांड चाट दूंगा. अभी आप मुझे मेरा पुरुस्कार दे दीजिये, बहुत दर्द हो रहा है.”

सुजाता: “ठीक है. अभी अपने पास समय भी है. चल अपने बाकी कपड़े निकाल। तेरी मुठ मार देती हूँ.”

मेहुल ने पहले बनियान और फिर अंडरवियर उतार फेंका. इसके साथ ही उसका विकराल लौड़ा सुजाता के चेहरे के सामने लहरा उठा. सुजाता की ऑंखें फट गयीं. और मेहुल ने अपना मुखौटा उतार फेंका. अब वो एक वहशी का रूप ले चुका था. बस कुछ ही समय में सुजाता इसकी निर्ममता का उदाहरण देखने वाली थी. उसके बचने का एक ही उपाय था. और मेहुल उसे वो उपाय न करने देने के लिए कटिबद्ध था.

सुजाता: “इतना बड़ा लंड है तेरा.”
मेहुल: “जी आंटीजी. क्यों आपको अच्छा नहीं लगा?”
सुजाता: “नहीं नहीं. ऐसा नहीं है. और तूने स्मिता की चुदाई भी की थी इससे?”
मेहुल: “जी आंटीजी. पर मम्मी को तो अच्छा लगा था.”

ये सुजाता के अभिमान पर चोट थी.

सुजाता: “मेरे विचार से जब मैं इससे चुदूँगी तब मुझे भी मजा ही आएगा. पर चल अभी मैं इसे मुठ मार देती हूँ.”
मेहुल: “जैसा आप चाहो. मैं तो आपका गुलाम हूँ. पर मम्मी ने तो मुंह में भी लिया था. आप शायद न ले पाओ .....”

मेहुल ने अपना अंतिम अस्त्र छोड़ा. अगर सुजाता इसे मुंह में ले ली तो आज उसका हालत दया करने लायक होने वाली थी. पर जैसा कहा गया है, “विनाश काळा, विपरीत बुद्धि.” तो सुजाता ने भी इस चुनौती को स्वीकार कर लिया.

सुजाता: “मेरे विचार से स्मिता को कठिनाई हुई होगी. पर चल मैं थोड़ा चूस ही देती हूँ. तू भी क्या याद रखेगा.” सुजाता हार मानने को तैयार नहीं थी. और ये सुनकर मेहुल की आँखों का रंग बदल गया. उसके अंदर का राक्षस पूर्ण रूप से जग गया. बस …

और सुजाता ने मेहुल के लंड को अपने मुंह में डाला और बाहरी रूप से पुचकारने लगी. उसने जैसे ही लंड को थोड़ा सा अंदर लिया, मेहुल ने अपने पत्ते खोल दिए. अपमान का बदला लेने का समय आ चुका था और शिकार उसके जाल में स्वयं फंस गया था. उसने सुजाता के सिर के पीछे हाथ रखा. सुजाता ने अपनी ऑंखें ऊपर करके इसका अभिप्राय समझना चाहा. उसकी ऑंखें मेहुल से मिलीं और उसने उन आँखों में जो देखा उससे उसका अस्तित्व हिल गया. उसने लंड को मुंह से निकालने का प्रयास किया. पर मेहुल की शक्तिशाली पकड़ उसके आगे बहुत अधिक थी. मेहुल ने एक कुटिल मुस्कान के साथ उसे देखा.

मेहुल: “आंआंआंआंआंआंटी जी…” और इसी के साथ एक झटके के साथ अपने हाथ से सुजाता का सिर अपने लंड की ओर खींचा और अपनी कमर के झटके से अपने लंड को सुजाता के मुंह में पेल दिया. लंड गले से भी आगे तक उतर गया और सुजाता साँस न ले सकने के कारण छटपटाने लगी. उसकी आँखों से आंसू निकल आये.

मेहुल ने लंड को गले तक दबाकर रखते हुए १० तक गिनती गिनी और फिर लंड को बाहर निकाल लिया जिससे कि सुजाता साँस ले पाए. सुजाता के चेहरे पर अब आंसुओं से मिलकर काजल बह रहा था. मेहुल ने उसे साँस सँभालने का समय दिया और फिर अपने लंड को उसके मुंह में डालने लगा. सुजाता ने डर से मुंह खोल दिया और मेहुल ने वही प्रक्रिया अपनायी.

मेहुल: “आंआंआंआंआंआंटी जी, आन.. टी…जी. आपका गुलाम आपकी सेवा में लगा है आंटी जी.” लंड बाहर निकालकर फिर वही क्रम २ बार और चला. उसके बाद मेहुल ने अपना लंड बाहर निकला और सुजाता के मुंह पर उससे थप्पड़ मारने लगा. सुजाता इस समय कोई उत्तर देने की स्थिति में नहीं थी. मेहुल ये समझता था और उसने सुजाता के लिए ही उत्तर दे दिया.

मेहुल: “आंटीजी, आपका कुछ न कहना ही आपकी सहमति है. और क्या है न आपका ये गुलाम अब आपकी चूत की सेवा करने की आज्ञा मांग रहा है. तो बिस्तर पर ही चलते है.” मेहुल ने अपना हाथ सुजाता के सिर से हटाया ही नहीं था.

और इस बार उसने उसे बालों से पकड़ा और बिस्तर की ओर धीमी गति से चल पड़ा. सुजाता को समय से होश आ गया और वो अपने हाथ और पांवो के बल मेहुल के पीछे कुतिया के जैसे चल पड़ी. मेहुल बाल खींच नहीं रहा था, पर सुजाता को डर था कि अगर उसने नानुकुर की तो ये भी संभव है.

बिस्तर के पास जाने के बाद मेहुल खड़ा हो गया और मुड़कर सुजाता की आँखों में देखकर बोला: “आंटीजी, जाकर थोड़ा वेसलीन या कोई अन्य जैल ले आईये. अगर नहीं है तो जो भी तेल आप लगती हैं उसे ले आइये. मुझे पता नहीं है कहाँ रखा है, नहीं तो ये गुलाम आपको ऐसा कष्ट नहीं देता.”

सुजाता लड़खड़ाते हुए उठी और वेसलीन क्रीम ले आयी.

मेहुल: “अब थोड़ा इस लौड़े को चूस लीजिये और इस पर ये क्रीम लगा दीजिये.”

सुजाता ने उसके लंड को जितना संभव हो सका चूसा और क्रीम से लथपथ कर दिया. ये सोचकर कि इस क्रीम से उसकी चूत की धज्जियाँ नहीं उड़ेंगी.

मेहुल: “आप बहुत अच्छी मालकिन हैं, आंटीजी. चलिए अब बिस्तर पर लेट जाइये. जो आप अगले दिनों के लिए सोच रखी थीं, उस कार्यक्रम को क्यों न आज ही कर लें जिससे आप मेरी क्षमता को देख सकें और मेरे प्रशिक्षण में किन बिंदुओं पर ध्यान देना हो उसे आप गहराई से नाप सकें.”

सुजाता ने अब स्वयं को अपने भाग्य के हाथों सौंप दिया था. उसकी आँखों से आंसू बहकर काजल को भी उसके चेहरे पर बहा रहे थे. वो अपने पति और बच्चों को याद करते हुए बिस्तर पर लेट गई. मेहुल ने उसकी दशा को समझ लिया पर अब रुकना सम्भव नहीं था. सुजाता को अपना स्थान दिखाना ही था. उसने सुजाता के दोनों पांव चौड़े किये और क्रीम की शीशी से उसकी चूत में क्रीम डालकर दो उँगलियों से उसे चारों ओर मल दिया. जब उसने पाया कि सुजाता की चूत उपयुक्त रूप से चिकनी हो गई है तो उसने उसकी जांघों के बीच स्थान लिया.
“आंटीजी, आपने मुझे सेवा का अवसर प्रदान किया, इसीलिए आपका ये गुलाम आपकी आज हर तरह से और हर छेद में सेवा अर्पण करेगा.”

कहते हुए मेहुल ने अपने लंड को सुजाता की चूत पर रखा और बहुत ही संयम के साथ दबाव बनाने लगा. पहले उसके टोपे ने लक्ष्य भेदा और फिर उसके पीछे शेष लंड आगे बढ़ने लगा. कोई पांच से छः इंच अंदर जाने के बाद मेहुल ठहर गया. सुजाता ने भी गहरी साँस ली. अभी तक सब सामान्य था. सम्भव है कि अब ये ठीक से ही चोदे. वैसे लौड़ा है भी काफी चौड़ा, मेरी चूत फैला दी इसने. उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव आ गए. काजल की कालिख में भी मेहुल ने इन्हें पढ़ लिया.
“आंटीजी, आपने मेरी मम्मी का अपमान करके बड़ी गलती की. क्या है न आप मुझे कुछ भी कहो, मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता. पर मम्मी का ये अपमान, मैं सहन नहीं कर सकता.”
“मुझे माफ़ कर दे, मेहुल. मैं स्मिता से भी माफ़ी मांगूगी. मैं अपने नशे में इतनी खो गई थी कि अपने पराये का भी ध्यान नहीं रखा.”
मेहुल अब अपने लंड को बहुत धीमी गति से चूत में आगे पीछे चला रहा था.
“आपका नशा इतना था कि आप अपनी बेटी के देवर को गुलाम बनाना चाहती थीं. आपने स्नेहा को कभी ये नहीं समझाया कि उसकी सोच सही नहीं है. आंटीजी, ऐसे नशे को सदैव के लये उतारना आवश्यक है.”

ये कहकर मेहुल ने टोपे को अंदर रखकर शेष लौड़े को बाहर खींचा, उसने सुजाता के दोनों मम्मों को हाथ में लिया और जोर से भींचते हुए एक लम्बा करारा धक्का मारा. कमरा सुजाता की चीख से सहम गया. सुजाता तड़प रही थी और अपने हाथ पांव हर ओर फेंक रही थी. मेहुल उसके मम्मों को बेदर्दी से मसले जा रहा था.

मेहुल: “गुलाम मैं बनाता हूँ आंटीजी, बनता नहीं हूँ.”

सुजाता की आँखों के आगे तारे नाच रहे थे. उसे लग रहा था कि किसी ने उसकी चूत के न जाने कितने भाग कर दिए है. ऐसा दर्द तो उसे अपनी पहली चुदाई में भी नहीं हुआ था. ये तो अच्छा था कि अब मेहुल रुका हुआ था और उसकी चूत को अभ्यस्त होने दे रहा था. कुछ समय के बाद सुजाता की आँखों के आंसू सूख गए और काजल की कालिख ने उसके सुंदर चेहरे पर एक अजीब सा चित्र बना दिया था. उसने दयनीय दृष्टि से मेहुल को देखा.

सुजाता: “मुझे माफ़ कर दो बेटा। मुझ पर दया करो. मेरे बच्चे क्या करेंगे मेरे बिना. मैं मर गयी तो तुम्हें भी जेल हो जाएगी. मुझे मत मार.”

मेहुल: “अरे रे रे रे, आंटीजी, मेरी मालकिन होकर आप ऐसे बोल रही हैं. ऐसे कैसे चलेगा.”

मेहुल ने भांप लिया था कि सुजाता की पीड़ा कम हो चुकी है, इसीलिए वो इतना कुछ बोल पायी. उसने अपने लंड को सुजाता की फटी पड़ी चूत में चलना शुरू किया. पहले उसने बहुत ही धीमी गति रखी. जब उसे लगा कि चूत ने अपने रस से रास्ते को सरल बना दिया है, तो उसने गति बढ़ा दी. चूत के पानी छोड़ने से सुजाता को भी अब पीड़ा में कमी लग रही थी और उसके अंतरंग भागों में एक अनजानी सी अनुभूति हो रही थी. एक मीठी कसक जो उसने पहले कभी अनुभव नहीं की थी. संभवतः ये मेहुल के विकराल लौड़े की पहुँच ही थी जिसने उसके अनछुए हिस्सों को भी सहला दिया था.

सुजाता के चेहरे आते आनंद और पीड़ा की भावों को मेहुल पढ़ने में सक्षम था. उसने अपनी गति को बढ़ाया और अब वो लौटकर दुर्दांत चुदाई में जुट गया. सुजाता एक गुड़िया के समान उसके इन भीषण आक्रमण को झेल रही थी. उसके चूत को जिस प्रकार मथा जा रहा था वो उसकी कल्पना के परे था और उसे अब इसमें आनंद आने लगा था. अचानक उसकी ऑंखें कामोतकर्ष की अधिकता से बंद हो गयीं. उसे पता भी नहीं चला की वो चिल्ला रही है.

“मार ले मेरी चूत, फाड़ डाल इसे. बहुत सताती है. आज इसकी प्यास मिटा दे. बस और नहीं सह सकती. चोद डाल मुझे. मैं तेरी गुलाम बन गयी. १०० लोगों के सामने तेरा लंड चूसूंगी. सूसू पियूँगी तेरा. जो तू कहेगा सो करुँगी. बस मुझे चोदना बंद मत करना. मरते दम तक मुझे चोदना।”

मेहुल भी सुजाता के इस आत्मसमर्पण से खुश हो गया. वो यही सुनने के लिए आतुर था.

“आंटीजी, तो आप मेरी गुलाम बनने के लिए तैयार हो.”
“हाँ बेटा। मैं तो तेरी गुलाम हो गई और स्नेहा को भी बनवा दूंगी. मेरे मालिक को बुरा भला कहती है. तू मेरा मालिक पहले है और वो मेरी बेटी बाद में. चोद दे मुझे. बस चोदते रह.”

अब सुजाता की चूत से इतना पानी बहे जा रहा था कि वो बीच बीच में झड़ते हुए कुछ सेकंड के लिए बेहोश हो जाती. फिर होश में आते ही फिर बड़बड़ाने लगती. उसका मानसिक संतुलन मानो खो गया हो. शरीर की भूख ने उसकी बुद्धि हर ली थी. पर इस बार जब वो झड़कर बेहोश हुई तो उसका शरीर कांपते हुए जैसे एक तंद्रा में चला गया. वो इस अवस्था में कोई दो से तीन मिनट तक रही. और फिर उसका शरीर ढीला पड़ गया. मेहुल ने उसकी इस अवस्था को समझा और अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया. वो अभी भी नहीं झड़ पाया था. वो उठकर खड़ा हुआ और अपने द्वारा किये हुए संहार का अवलोकन करने लगा. सुजाता का पूरा शरीर लाल हो चुका था. हमेशा अत्यंत सुंदर लगने वाली वो स्त्री इस समय एक अश्लील लग रही थी. उसकी फटी हुई चूत अभी भी अपना रस बहा रही थी.

मेहुल ने उठकर अपना फोन उठाया और सुजाता के इस अवस्था में कई चित्र लिए. सुजाता ने आंख खोली और उसकी ओर देखकर मुस्कुराई. और चित्र लिए गए. फिर मेहुल ने वीडियो ऑन किया और पूरे शरीर का एक एक हिस्सा फिल्माया, विशेषकर चूत जो अभी भी अपने सामान्य आकार में नहीं आयी थी. सुजाता ने अपनी उँगलियाँ अपनी चूत पर लगायीं तो उसकी ऑंखें फ़ैल गयीं. फिर उसने बहते हुए रस को लिया और अपने चेहरे पर मला.

“मेहुल, जब तुम्हारा रस पियूँगी और मुंह पर मलूँगी, तब मुझे शांति मिलेगी.”

मेहुल ने फोन बंद कर दिया, और बोला: “ आपकी इच्छा अवश्य पूरी होगी. चलिए अब आप अपना चेहरा धो लीजिये।”

सुजाता ने बाथरूम में जाकर अपना चेहरा देखा तो उसे घिन आ गयी. उसने अच्छे से उसे साफ किया और फिर मूत्र विसर्जन के बाद अपने शरीर पर एक दृष्टि डाली. उसकी वासना आज शांत हो गई थी. पर उसे नहीं लगता था कि मेहुल अभी रुकने वाला है. उसके हाथ अकस्मात ही उसकी गांड पर चले गए. मेहुल ने इसकी भी माँ चोदनी ही है. उसके शरीर में एक सिहरन हुई. फिर वो एक स्वप्न के भांति चलती हुई शयनकक्ष में लौट आयी. अब मेहुल बाथरूम में चला गया.

सुजाता खड़ी रही, उसका लाल हुआ नंगा शरीर बहुत ही मादक लग रहा था. मेहुल बाथरूम से आकर उसी सिंगल सोफे पर बैठा जिस पर पहले सुजाता बैठी थी. सुजाता समझ गई कि ये संकेत है कि पासा अब पलट चूका है. पर उसे इसमें कोई समस्या नहीं लगी. पहली बार किसी ने उसके शरीर को तोड़ने वाली चुदाई की थी. और उसकी चूत अभी भी इस चुदाई के असर से कुलबुला रही थी.

सुजाता: “मेहुल बेटा, क्या बियर पियेगा?”
मेहुल: “हाँ लेकर आओ.”
सुजाता अपना गाउन डालने लगी तो मेहुल ने रोक दिया. “ऐसे ही जाओ. वैसे भी घर खाली ही है.”

सुजाता उसी अवस्था में किचन से बियर और कुछ अल्पाहार लेकर आयी.

मेहुल: “वैसे खाने में क्या बनाया है आज?”

सुजाता ने ध्यान किया कि अब मेहुल उसे आंटी नहीं बुला रहा है.

सुजाता: “ चिकन करी.”
मेहुल: “ठीक है, बाद में खाएंगे.”

ये कहकर उसने बियर का एक घूँट लिया. सुजाता उसके पांवों के बीच में बैठ गयी और फिर उसके लंड को मुंह में लेकर चाटने लगी. मेहुल ने उसके सिर पर हाथ फिराया.

“आप बहुत अच्छी दासी बनोगी. पर उसके लिए आपको मेरे पांव चाटकर साफ करने होंगे.”

सुजाता ने अपनी बात को उस पर ही विपरीत पड़ते देख अचरज किया. पर उसने लंड को छोड़कर निखिल के पांव चाटकर उन्हें साफ कर दिया. निखिल ने उसके सिर पर थप्पी देकर उसे शाबाशी दी.

मेहुल: “अब जरा अपनी जीभ से मेरी गांड को भी साफ करो.”

ये कहकर मेहुल सोफे पर उलट कर लेट गया. सुजाता बिना कुछ कहे अपने कर्तव्य का पालन किया. फिर मेहुल सीधा बैठ गया और दोबारा बियर के घूँट लेने लगा. सुजाता ने उसके अकड़ते लंड को फिर से चूसना चूरू कर दिया.

मेहुल: “तुम्हारा घर का नाम क्या है?”
सुजाता: “अविरल मुझे कभी कभी सूजी बुलाते हैं.”
मेहुल: “अच्छा नाम है, सूजी डार्लिंग.”

जब मेहुल ने बियर समाप्त की तो समय देखा. अभी २.२० हुए थे. सूजी डार्लिंग की गांड के यज्ञ का समय आ चुका था.

मेहुल: “सूजी डार्लिंग, अब जब तुम मेरी दासी बन चुकी हो तो तुम्हें मुझे पूर्ण रूप से समर्पित करना होगा.”
सुजाता समझ गई कि मेहुल किस ओर संकेत कर रहा है.
“जी”
“और इसके लिए आवश्यक है कि तुम मुझे अपने अन्य दो छेद भी भेंट करो. तुम्हारे मुंह में तो मेरा लंड जा नहीं पाया, इसका मैं दूसरा उपाय करूंगा. पर तुम्हारी गांड की भेंट तुम्हें ही मुझे अर्पण करनी होगी.”

सुजाता खड़ी हो गयी और बहुत हिम्मत के साथ बिस्तर पर बैठी और उसने शीशी से क्रीम निकालकर अपनी गांड में डाली और दो उँगलियों से उसे जितना संभव था खोलकर चिकना कर लिया. उसके बाद उसने बिस्तर पर घोड़ी का आसन किया और मुड़कर मेहुल की ओर देखकर बोली.

“मेरे मालिक. आपकी दासी सूजी आपको अपनी ये गांड भेंट करना चाहती है. मेरे मालिक, मेरी इस भेंट को स्वीकार करें और मुझे अपना लें.”

मेहुल प्रसन्न हो गया. वीडियो में इतने अच्छा संवाद उसने सोचा नहीं था. उसे इस बात का भी ध्यान हुआ कि उसने अभी तक अपनी माँ की गांड नहीं मारी है. उसका भी समय आएगा जल्दी. ये सोचते हुए मेहुल ने खड़े होकर बिस्तर पर से क्रीम अपने लंड पर मली और गांड मारने के सबसे प्रचलित आसन में स्थिति ले ली.

सुजाता ने अपने जीवन के लिए प्रार्थना की और उसे फिर उसके परिवार के सदस्यों की याद आ गयी. तभी उसे अपनी गांड में कोई मोटी वस्तु के जाने का अनुभव हुआ. उसकी तन्द्रा टूटी और वो लौटकर वर्तमान में आ गयी. उसे याद आया की मेहुल अब उसकी गांड मारने में मग्न है. उसने साँस रोकी और दाँत भींचकर आने वाली पीड़ा की प्रतीक्षा करने लगी.

मेहुल अपने लंड को सुजाता की गांड में बहुत संयम के साथ एक एक मिलीमीटर करके उतार रहा था. उसका क्रोध अब बहुत कुछ शांत हो चुका था. सुजाता के समर्पण के पश्चात उसे अधिक कष्ट देने में कोई लाभ नहीं था. अपितु उनकी इस गुलामी से वो बहुत कुछ पा सकता था. और यही सोच थी जिसने सुजाता की गांड को उस बर्बादी से बचा लिया था. इसी प्रकार कुछ समय में मेहुल के लंड ने अपना स्थान सुजाता की पूरी गांड में स्थापित कर लिया.

“सूजी डार्लिंग, तुम्हारी गांड की भेंट स्वीकार कर ली गयी है. मैं तुमसे बहुत खुश हूँ जो तुमने मुझे इस प्रकार से मुझे ये सौंपी है. पर अब इसके अच्छे से चोदने का भी समय चुका है. मैं जितना हो सके उतने प्यार से इसे चोदने पर अगर तुम्हें दर्द हो तो मुझे बताना अवश्य.”

ये कहकर मेहुल अपने मूसल को सुजाता की गांड में चलाने लगा. एक मंथर गति से चुदाई करते हुए उसने धीरे धीरे गति बढ़ा दी. सुजाता के झड़ने का क्रम फिर से आरम्भ हो गया. उसकी गांड में इतना बड़ा लौड़ा आज तक नहीं गया था और आश्चर्य ये था की उसे किंचित मात्र भी पीड़ा नहीं हुई थी. उसकी गांड में एक विचित्र सी जलन हो रही थी जो एक लहर के समान आ और जा रही थी. उसकी गांड को खोलने वाले इस बलशाली लौड़े ने उसके रोम रोम को पुलकित किया हुआ था. और जैसे जैसे मेहुल ने गति बढ़ाई वैसे वैसे उसके आनंद में बढ़ोत्तरी होती गयी. उसकी चूत भी उसके इस आनंद में उसकी साथिन थी और अपने रस की नहर बहाये जा रही थी.

सुजाता एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी और देखते ही देखते उसके शरीर ने एक भीषण स्खलन से अपने आप को तृप्त किया. अब मेहुल भी झड़ने के करीब था और उसने सुजाता की गांड को पेलना बंद नहीं किया और जब वो झड़ गया उसके भी बहुत देर तक वो गांड को मथता रहा. फिर बहुत ही ध्यान से अपने लौड़े को खुली हुई गांड से बाहर निकाल लिया. उसका लंड वीर्य और अन्य रस से गीला था. उसने उठकर अपने फोन से सुजाता की खुली गांड और उससे टपकते हुए वीर्य का फोटो लिया और छोटा सा वीडियो बनाया. फिर उसने सुजाता को बैठने की आज्ञा दी.

“सूजी डार्लिंग. अब समय है तुम्हारे तीसरे छेद की भेंट का. आओ और मेरे लंड को चाटकर साफ करो. ध्यान रहे कि ये किस स्थान से निकला है.”

सुजाता सकपका गई. उसने ऐसी आशा नहीं की थी, पर उसे पता था कि मना करने का कोई प्रश्न ही नहीं था. उसने अपनी जीभ बढ़कर लंड को चाटते हुए बिलकुल साफ कर दिया. मेहुल ने नीचे देखकर उसके इस कार्य की प्रशंसा की.

“सूजी डार्लिंग, तुम सचमुच में मेरी सबसे अच्छी गुलाम बनोगी. आओ अब मैं तुम्हे अपने पानी से चिन्हित कर दूँ.”

ये कहते हुए उसने सुजाता को उठाया और बाथरूम में ले गया. वहां उसने सुजाता को बाथटब में लेटने की आज्ञा दी. उसके लेटने के बाद मेहुल ने अपने लंड का निशाना लगाया और उसे चेहरे से लेकर पूरे शरीर पर अपने मूत्र से नहला दिया. सुजाता कुछ न कह सकीपर जब ये परित्याग समाप्त हुआ तो उसे एक असीम सुख और रोमांच की अनुभूति हुई.

“धन्यवाद, मेरे मालिक.”
“सूजी डार्लिंग. में तुम्हे अपने गुलाम के रूप में स्वीकार करता हूँ. अब तुम स्नान करो और फिर सब कुछ वैसे ही सामान्य हो जायेगा.”

स्नान करके जब सुजाता बाहर आयी तो मेहुल अपने कपडे पहन चुका था. उसने अपने दोनों कैमरे भी निकालकर अपने बैग में रख लिए थे. तीसरे कैमरे की बैटरी भी लगा दी पर उसे बंद ही छोड़ दिया था.

“आंटीजी, मुझे विश्वास है कि आपको मेरे साथ आनंद आया होगा.”
“मेहुल, मैं बता नहीं सकती इस आनंद को. अकल्पनीय था.”
“पर आपको शर्त याद है न? एक भी शब्द किसी ने नहीं कहना है जब तक मम्मी आपको अनुमति नहीं देतीं.”
“अच्छे से याद है. और मैं कभी नहीं चाहूंगी कि तुम मुझसे रुष्ट हो.”

सुजाता ने अपने सामान्य वस्त्र पहमे और दोनों बैठक में आ गए. ४ बज कर निकल चुके थे स्मिता ने ४.३० आने का समय दिया था. सुजाता ने खाना लगाया और दोनों ने सामान्य बातें करते हुए खाना समाप्त किया. उसके बाद चाय का पानी चढ़ाया और जब तक चाय बनी स्मिता भी आ गयी.

सुजाता ने चाय दी हुए स्मिता से कहा, “दीदी, मुझे क्षमा करना, मैं आपको कई पर अपमानित कर चुकी हूँ. आपके बेटे ने मुझे आज इसकी सजा दे दी है. आगे से मैं ऐसी भूल कभी नहीं करूंगी. ये कहकर सुजाता स्मिता के पांवों से लिपट गयी.

स्मिता ने उसे उठाकर गले लगाया.
“जो अपनी गलती मान लेता है, उसे क्षमा करना ही होता है. मुझे विश्वास है की अब हमारे सम्बन्ध पहले से अधिक मधुर होंगे. पर तुम्हें अपने वादे पर टिकना होगा अन्यथा ठीक नहीं होगा.”

सुजाता ने विश्वास दिलाया और फिर दूसरी बातें करते हुए चाय समाप्त हो गई और स्मिता मेहुल को लेकर घर चली गई. सुजाता उन्हें जाते हुए देखती रही और अपनी गांड सहलाते हुए अपने घर में आ गई. और साथ ही साथ अविरल भी घर आ गया.

भाग दो में जारी रहेगा
Lajawab update.??..mehul n dhagha khol dia sujata ka..bahut pauchi hui chez h..mehul
 

satabdi

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OMG! What a wonderful episode! Specially the character of Sujata and her family have mesmerized me. Please continue and thanks for this splendid update. Have a nice day.
 
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bhai apki kahani bahut jabardast hai..............aur sabse hatke bhi

alag-alg background ke itne sare parivar aur unse jude naukar-rishtedar-dost
sabko dhire-dhire ek sootr mein bandhna
kisi chamatkari kshamta se kam nahi

lekhan-kala ki drishti se apki kahani advitya hai
ab tak aisi kahani dusri nahi padhi meine.............

samay ka abhav hone se sabko review nahi de pata......ap bhi bache huye hain abhi :hehe:

jald hi review deta hu.............. 8.2 ka part 2 de do...........
wahin review de deta hu

once more :applause: for your writing skills
 

prkin

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viewers ko mat dekho bhai, abhi to writers ka bhi interest thanda hai................
kuchh ham jaise log hi bache hain yahan

..............baaki to IPL pe betting (satta) lagane me busy hain.......................
ab paisa laga rahe hain to match hi nahi..........prediction tak.............sabkuchh dekhna padega

IPL..................World's largest Casino
 
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