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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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Fantastic superb update...कैसे कैसे परिवार
मिश्रण २.१
भाग २
पिछले भाग से आगे
A2 समुदाय का मिलन समारोह
मधुजी ने फिर से माइक संभाला।
“साथियों, मुझे आशा है कि अपने पिछले चरण की चुदाई में आनंद लिया होगा. मुझे तो सिद्दार्थ ने बहुत दबा कर चोदा है और मेरी गांड में अभी भी सुरसुरी हो रही है. जिन भी महिलाओं ने सिद्धार्थ का लौड़ा अपने गांड में नहीं लिया है, मैं उन्हें इस कमी को अति शीघ्र सुधारने का सुझाव देती हूँ.”
“अब जैसा आप सब जानते हैं, अगला चरण खुला चरण है. परन्तु क्योंकि आज हमने एक विवाह संपन्न किया है, इसीलिए दूल्हे की माँ लिपि जी ने एक अनुरोध किया है जिसे हमने स्वीकार किया है. जिन भी साथी पुरुषों के हाथों पर उन्होंने एक अंक लिखा है, वे सभी लिपि जी दूल्हे की माँ, माया जी दुल्हन की माँ और सबसे अंत में रेनू जो दुल्हन है को चोदने के लिए आमंत्रित हैं. मैं राणा परिवार से अनुरोध करुँगी कि वे स्टेज से नीचे आ जाएँ जिससे कि इन तीनों सुंदरियों को वहां आने का अवसर मिले.”
जीवन अपने परिवार के साथ नीचे उतर गया. मधुजी ने दो लड़कों को नीचे से एक पलंग उठाकर स्टेज पर लगाने के लिए कहा और ये कार्य तुरंत ही सम्पन्न हो गया. लिपि, माया और रेनू एक एक पलंग से सम्मुख खड़ी हो गयीं.
“अन्य कार्यक्रम सदैव के समान रहेगा और अब आप में से कोई भी किसी की भी चुदाई करने के लिए उन्मुक्त है. बस ये ध्यान रहे कि वो आपके अपने परिवार का सगा न हो. इस चरण का समय भी सवा घंटा है. और ये आज का आखिरी कार्यक्रम है. तो जिन्होंने लिपि जी से नंबर लिया है वो स्टेज पर जाएँ और अन्य सभी एक दूसरे के साथ मनमाना आनंद उठायें.”
ये कहकर उन्होंने माइक नीचे रखा और जीवन की ओर चल पड़ीं.
जीवन के सामने जाकर उन्होंने अपने चोगे को उतार फेंका और उनकी आँखों में आंखे डालकर पूछा, “जीवन साहब, क्या आपमें इस बुढ़िया की नसें ढीली करने का साहस है.”
जीवन मुस्कुराकर अपने चोगे को निकालते हुए बोला, “इसका निर्णय तो आप ही कर सकती हैं, परन्तु मैं प्रयास करने में पीछे नहीं रहूंगा.” ये कहते हुए उसने मधुजी को अपनी बाँहों में लेकर एक प्रगाढ़ चुंबन दिया.
परिवार के अन्य सदस्य ये देखकर कि वे भी अब अन्य लोगों से मिलन कर सकते हैं तितर बितर हो गए. असीम और कुमार दोनों मध्यम आयु की स्त्रियों को ढूंढ रहे थे, क्योंकि उनके आकलन में वही सबसे अधिक आतुरता से चुदवाती हैं. और उनकी ऑंखें स्मिता से मिलीं जो एक व्यक्ति से बात कर रही थी. स्मिता ने आँखों के माध्यम से उन्हें आमंत्रित किया और वे दोनों उसके समीप पहुँच गए. समीप पहुँच कर दोनों ने स्मिता का अभिवादन किया.
असीम: “हैलो आंटीजी, आपको यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई.”
स्मिता:”मुझे भी एक सुखद आश्चर्य हुआ. पर हम यहाँ समय व्यर्थ नहीं कर सकते, हम लोग एक दो दिन में मिलते हैं और आगे की बात वहीँ करेंगे. अभी तो मुझे तुम दोनों से वही उपचार चाहिए जो तुमने सुनीति को दिया था. ठीक है?”
ये कहकर स्मिता ने अपना चोगा निकाल फेंका और असीम और कुमार के लौडों को उनके चोगे के बाहर से ही दबा दिया. उसे इस बात से ख़ुशी मिली के ये दोनों मेहुल से बस कुछ ही कम थे. और इनके लंड से गांड मरवाने के बाद रात में मेहुल का लंड झेलना आसान हो जायेगा. असीम और कुमार को अपने चोगे हटाने में अधिक समय नहीं लगा. स्मिता उन दोनों के लंड एक एक हाथ में पकड़कर निकटतम खाली पलंग पर बैठ गयी और उन्हें चूसने लगी.
असीम के लंड को चूसते हुए उसने कहा, “हम्म्म इसमें तो अभी भी सुनीति की गांड की महक आ रही है.”
असीम कुछ झेंप गया, “मैंने उनकी गांड मारने के बाद लंड धोया नहीं. सॉरी आंटी।”
स्मिता: “कोई बात नहीं,मैं भी जल्दी ही सुनीति को अपनी गांड का स्वाद चखाऊँगी. ये बताओ तुममे से कौन गांड मारेगा?”
असीम बोल उठा: “कुमार. मैंने तो अभी ही मॉम की गांड मारी है. अब इसे अवसर मिलना चाहिए.”
स्मिता: “भाई हो तो ऐसा, कुमार?”
कुमार: “जी, आंटीजी. पर अब क्या हम आपकी चूत और गांड का स्वाद ले लें ?”
स्मिता: “वैसे तो मुझे इसमें आनंद आता.” फिर आसपास देखते हुए कि कोई सुने न, “पर मेरा साथी बस मेरी चूत और गांड की चाटता रहा था पीछे चरण में. तो इसीलिए, मैं तो अब असली चुदाई के लिए अधिक उत्सुक हूँ.”
ये कहकर उसने असीम को पलंग पर धक्का देते हुए लिटाया और उसके लंड पर चढ़कर सवारी कर ली. पूरे लंड को अच्छे से घुसा लेने के बाद उसने कुमार को संकेत दिया कि वो भी अब सवार हो जाये.
श्रेया और स्नेहा एक साथ अपने लिए किसी लंड को ढूंढ रही थीं. उनका ये हर मिलन का नियम सा था. उनकी ऑंखें दो लोगों पर जाकर रुकी। आशीष हर ओर चल रहे दुराचार को विस्मित आँखों से देख रहा था. और उसके कुछ ही दूर पर नव-विवाहिता रेनू के पिता भी किसी को ढूंढ रहे थे. स्नेहा ने श्रेया को कोहनी मारकर उन दोनों की ओर संकेत किया. श्रेया ने तुरंत स्नेहा को रेनू के पिता को पकड़ने के लिए कहा और स्वयं आशीष की ओर चल पड़ी. आशीष ने उसे आते देखा और उसकी आँखों का आश्चर्य और बढ़ गया.
“नमस्ते अंकल, आपको यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई. मैं चाहूंगी कि आपका स्वागत मैं और स्नेहा पूरी रीति के अनुसार करें.”
आशीष को कुछ सूझ नहीं रहा था. उसने श्रेया के बढे हाथ को थमा और श्रेया के पीछे एक पलंग पर जाकर ठहर गया.
“बस अब स्नेहा आ जाये तो स्वागत आरम्भ करेंगे.” ये कहते हुए उसने आशीष के चोगे को खोला और उसे नीचे डाल दिया. “लो, ये स्नेहा भी आ गयी.” स्नेहा रेनू के पिता के साथ आ रही थी.
“जैन अंकल, इनसे मिलिए, ये हैं हमारे पडोसी राणा अंकल” श्रेया ने दोनों पुरुषों का परिचय कराया.
“हेलो, अंकित जैन.” रेनू के पिता ने आशीष का हाथ मिलते हुए कहा. उसे इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी कि आशीष इस समय नंगा खड़ा था. हालाँकि आशीष को इस प्रकार से किसी से पहली बार मिलने में झिझक हो रही थी.
“हेलो, मैं आशीष राणा. मुझे भी आपसे मिलकर ख़ुशी हुई. वैसे इस ख़ुशी को ये दोनों प्यारी बहनें और भी बढ़ने वाली हैं. वैसे आप चाहें तो इनके बाद ऊपर स्टेज पर जा सकते हैं. मेरी पत्नी माया आपका स्वागत करेगी, और आपका बिना नंबर के भी नंबर लगा देगी.” अंकित अपने इस मजाक पर हंस पड़ा. पर अंकित यहाँ नहीं रुका. उसने आगे झुकते हुए एक षड्यंत्रकारी स्वर में पूछा, “या आप मेरी बेटी रेनू को चोदना अधिक पसंद करेंगे? अगर ऐसा है तो आपको उसकी सास की अनुमति लेनी होगी. परन्तु वहां भी कोई समस्या नहीं आएगी.”
“अंकित अंकल, आप व्यर्थ में हमारा समय क्यों नष्ट कर रहे हैं. आपके घर तो आज रात भर चुदाई पार्टी है. अभी हमारी ओर ध्यान दीजिये.” स्नेहा ने रुष्ट होकर कहा और अंकित का चोगा निकाल फेंका. श्रेया और स्नेहा ने फिर अपने चोगे भी उतारे और अपने संगमरमरी शरीरों का उन दोनों को प्रदर्शन किया. आशीष के लिए अब ठहरना असंभव था. उसने श्रेया को अपनी बाँहों में जकड कर उसे चूमते हुए बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत में अपना मुंह डाल दिया. ये तो समुदाय के नियमों का ही प्रभाव था कि सभी स्त्रियां पिछले चरण के पश्चात अपनी चूत और गांड को अच्छे से साफ कर चुकी थीं नहीं तो पता नहीं उसके मुंह में किसका रस जाता. स्नेहा ने अंकित के लंड पर धावा बोला और उसे मुंह में लेकर चाटने में व्यस्त हो गई.
सुजाता बहुत उत्सुक हो रही थी. स्टेज पर काफी पुरुषों के चले जाने से वैसे भी हॉल में कमी हो चुकी थी. और कुछ भाग्यशाली स्त्रियों ने अपने साथी भी पा लिए थे. वो अपने चारों ओर चल रहे वासना के नंगे नाच को केवल देख ही पा रही थी क्योंकि उसे कोई नहीं मिला था. जो उपलब्ध थे उसके साथ से भूख शांत होने के स्थान पर और भड़कने की संभावना अधिक थी. समुदाय की स्त्रियों में कुछ महीनों से एक असहजता सी थी. कुछ पुरुष जो समुदाय की उत्पत्ति के समय पुरुषार्थ में उपयुक्त थे, समय के साथ उनकी ये शक्ति क्षीण हो चुकी थी. इस कारण ये सात पुरुष अपने साथी को संतुष्ट करने में असमर्थ थे. समस्या ये थी कि नियमानुसार किसी भी सदस्य को आने से रोका नहीं जा सकता था. और ये महानुभाव स्वयं रुकने के लिए उत्सुक नहीं थे.
इस बात की चर्चा पिछली प्रबंधन समिति में हुई थी और इस बात को गंभीरता से सोचा गया था. समुदाय के इस नियम को परिवर्तित करने के दूरगामी परिणाम होने के कारण इसे न बदलने का निर्णय हुआ था. परन्तु, एक सदस्य ने समुदाय में प्रवेश की आयु को २० वर्ष से घटाकर १९ वर्ष करने का सुझाव दिया था. गणना करने से ये सामने आया था कि इससे ९ लड़के और ४ लड़कियां प्रवेश के लिए योग्य घोषित की जा सकेंगी. परन्तु ये निर्णय केवल समिति नहीं ले सकती थी. इसी कारण आज समापन पर एक प्रश्नावली सभी अभिवाहकों को दी जा रही थी जिसमे इसमें उनकी सहमति और आपत्ति का लेखन करना था. इसे अगले सप्ताहांत तक समिति के किसी भी सदस्य को सौंपा जाना था जिससे कि समिति अगली चर्चा में इस पर निर्णय ले सके.
पर सुजाता को आज के लिए लौड़े की खोज थी. अंततः उसने स्टेज के नीचे प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया. उसके विचार से ऊपर से उतरते किसी जवान लौंडे को वो पकड़कर अपनी प्यास बुझा लेगी. और अगर उसके भाग्य ने साथ दिया तो दो भी मिल सकते हैं. तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा. पीछे मुड़ी तो महक थी और उसके साथ में सिद्दार्थ था (जिसने मधुजी की पहली चुदाई की थी).
“आंटीजी, चलिए, सिद्धार्थ और मैं आपके अकेलेपन को दूर कर देंगे. और अगर मधुजी का सुझाव मानेंगी तो आपकी गांड की खुजली इसका लौड़ा मिटा देगा.” महक उसके हाथ को थामकर सिद्धार्थ के साथ निकट खाली पलंग की ओर ले गयी. सुजाता ने पीछे मुड़कर स्टेज पर चल रहे चुदाई के खेल पर एक दृष्टि डाली और महक के साथ चल पड़ी.
स्टेज पर जिसे देखकर सुजाता मुड़ी थी वो अपने आप में एक वासना का नंगा नाच था. स्टेज पर कई पुरुष खड़े हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे. इस समय स्टेज पर दोनों परिवार की बेटियां भी इस सामूहिक सम्भोग में सम्मिलित हो गयी थीं, परन्तु वे चुदाई में शामिल नहीं थीं. उनका कार्य अपने परिवार की चुदती हुई तीनों स्त्रियों की चूत और गांड को साफ सुथरा रखने का था. वे शांति से एक ओर खड़ी हुई थीं. अभी उनके कार्य स्थगित था. इस समय लिपि, माया और रेनू तीनों को तीन तीन आदमी चोद रहे थे. हर एक चूत, गांड और मुंह में लौड़े लेकर चुदवा रही थीं. ऐसा दृश्य समुदाय के इतिहास में पहली बार देखने मिल रहा था और हॉल में उपस्थित सभी लोग बीच बीच में उस ओर अवश्य देख रहे थे.
तीनों की आनंदकारी चीत्कारें हॉल में गूंज रही थीं. ये एक देखने वाली बात थी कि माया और लिपि की ओर लड़के आकर्षित थे जबकि अधेड़ पुरुष रेनू पर अधिक आसक्त थे. अब तक तीनों स्त्रियां न जाने कितने लौड़े निपटा चुकी थीं. और अब फिर रेनू की गांड में पानी छोड़ते हुए एक पुरुष खड़ा हुआ और अपने आधे मुरझाये लंड को झुलाते हुए स्टेज से उतर गया. रेनू की बड़ी बहन जिसका पति नीचे हॉल में किसी की चुदाई कर रहा था आगे बढ़ी और उसने रेनू की उछलती गांड में अपना मुंह डाला और उससे बहता हुआ वीर्य चाट कर साफ किया और अंदर भी सफाई कर दी. रेनू की गांड अगले लौड़े के लिए तैयार थी, परन्तु उसकी बहन ने किसी को भी आगे बढ़ने से रोक दिया. जब रेनू की चूत में अपना रस छोड़कर उसके नीचे का आदमी हटा तब उसकी बहन ने उसकी चूत को भी उसी प्रकार से साफ किया और फिर अगले दो पुरुषों को आमंत्रित किया.
दूसरी और माया की भी गांड में पानी छोड़कर एक लड़का खड़ा हुआ और स्टेज से उतर गया. इस बार दूल्हे की बहन ने सफाई की और फिर उसी प्रकार से चूत की बारी आने पर उसे भी साफ किया और दो और सदस्यों को आमंत्रित कर लिया. यही क्रम वहां पर बेरोकटोक चलता रहा.
स्मिता अब असीम और कुमार से एक साथ चुदवाकर आनंद विभोर हो रही थी. उसकी चूत और गांड में एक एक लंड था और उसे दोनों बहुत जोरदार और शक्ति के साथ चोद रहे थे. स्मिता के मन से आज की रात मेहुल के साथ बिताने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया क्योंकि उसकी वर्तमान की डबल चुदाई उसके तन और मन दोनों को तृप्त कर रही थी.
श्रेया और स्नेहा भी अपने हिस्से की चुदाई में व्यस्त थीं. आशीष और अंकित उनकी भी मस्त चुदाई कर रहे थे. उधर सुजाता की दर्द और आनंद की चीखें निकल नहीं पा रही थीं क्यूंकि महक ने उनके मुंह को अपनी चूत में दबाया हुआ था. सिद्धार्थ के मोटा लम्बा लौड़ा सुजाता की गांड का वही हाल कर रहा था जो मधुजी ने सुझाया था. सुजाता ये सोचकर कि पिछले दिनों में उसकी गांड में ऐसे मोटे तगड़े दो लंड गए हैं कि उसका जीवन सार्थक हो गया था. जीवन ने अपने वचन को पूरा करते हुए जब मधुजी की चूत की गांठें खोल दीं तो उन्होंने लगे हाथ गांड को भी ढीला करने का निश्चय किया.
स्टेज पर चल रहा लरिकर्म भी अब समाप्ति की ओर था और अंतिम टोली चुदाई कर रही थी. समय समाप्ति की घंटी ने सबको चौंका दिया. मधुजी जो इस समय सीधे लेती हुई थीं और जीवन उनकी गांड की कसावट को ढीला कर रहे थे किसी प्रकार दोबारा माइक को पकड़ीं.
गांड मरवाते हुए ये उनके जीवन की पहली घोषणा थी, “मेर्रे साथियोऊं आज की घघोषणा विशेष्ष है क्योंकिकी अभी भीई मेरीइ इ गांड में लंड है. परर्र मैं ईसीई अवस्था में आज के कार्यक्रम्म की समाप्ति कीईई घघ्घोषणा करररती हूँ. आअह”
अन्य जुड़े हुए जोड़े भी धीरे धीरे एक दूसरे से अलग हुए. कुछ समय तक लोग अपने स्थान पर ही बैठे रहे और फिर अपने चोगे पहनते हुए एक एक करके स्नानघर की ओर चल दिए. स्टेज पर दोनों बेटियों ने माया, लिपि और रेनू को सहारा देकर उठाया और उनके चोगे पहनकर उन्हें भी स्नानघर की ओर ले गयीं. स्नान करते हुए लोगों ने अपने परस्पर मिलने के कार्यक्रम तय किया और फिर अपने कपड़े पहनकर नयी प्रकाशित पत्रिका को लिया और बाहर लॉन में चले गए.
लॉन में रेनू और दूल्हे के पिता ने सभी को रात की चुदाई पार्टी का आमंत्रण दिया, परन्तु ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कम ही सज्जन और सन्नारियां पहुचेंगी. दोनों समधियों ने विचार विमर्श करने के बाद दो सप्ताह बाद एक और पार्टी का आयोजन करने की घोषणा की क्योंकि नव-विवाहित जोड़ा कल कुछ दिनों के लिए हनीमून पर जा रहा था. इसके बाद कुछ और औपचारिकताओं के पश्चात् सब अपने घरों के लिए निकल पड़े.
B2 कामिनी का पूर्ण सदस्यता का इंटरव्यू समापन
कुछ ही समय बाद कमरे का दरवाजा खुला और पार्थ ने प्रवेश किया. कामिनी की दिल की धड़कन उसे देखकर रुक ही गयी. वो वहीँ जड़वत बैठी रही और पार्थ को अपने ओर बढ़ते हुए देखती रही. पार्थ उसके पास पंहुचा और उसकी ओर मुस्कुरा कर देखने लगा.
“हैलो कामिनी मैडम, आप कैसी हैं?”
“मैं ठीक हूँ. अच्छी हूँ. बहुत अच्छी.”
पार्थ ने अपना हाथ आगे किया और कामिनी ने उसे थामा और पार्थ ने उसे खींचते हुए खड़ा किया. उसके चेहरे पर झूलते हुए बालों की लट को हटाया और उसके होंठों को चूम लिया. कामिनी उसकी बाँहों में खो गयी. पार्थ ने भी उसे अपनी बाँहों में बाँधे रखा. कुछ पलों के बाद कामिनी उसकी बाँहों से अलग हुई. और इस बार उसने पार्थ के होंठों को चूमा और ये चुम्बन और भी गहरा होता गया. पार्थ ने भी उसका साथ दिया और उसके हाथ कामिनी की कमर पर कस गए. उसके स्तन पार्थ के मजबूत सीने में दब रहे थे.
“पार्थ तुमसे दूर रहकर मुझे तुम्हारी बहुत याद आयी.”
“पर अभी इतने दिन तो नहीं हुए.”
“पता नहीं, बस तुम्हारे बिना कुछ खाली खाली सा लग रहा था.”
“कोई बात नहीं, उस खाली स्थान को आज फिर भर देंगे. आप पीने के लिए क्या लेंगी?”
“जो भी तुम लोगे.” कामिनी सच में एक १८ वर्ष की प्रेमाकुल लड़की के समान व्यव्हार कर रही थी.
पार्थ बार से दो बियर ले आया और एक कामिनी को थमा दी. दोनों बियर पीने लगे.
पार्थ को कामिनी को कुछ समझाना था, और उसे लगा कि ये सही समय है.
“कामिनी जी. मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ. आप इसे किसी और संदर्भ में नहीं लेना.”
“ओके.”
“हमारा क्लब स्त्रियों को संतुष्टि करने के लिए है. हम किसी भी स्त्री सदस्य को प्रेम की दृष्टि से नहीं देख सकते. इसका मुख्य कारण ईर्ष्या है. आज अगर मैं आपसे प्रेम करने लगूँगा तो देर सवेर आपके मेरे अन्य सदस्य महिलाओं के साथ जाने पर ईर्ष्या होगी. दूसरा, अधिकतर महिलाएं जो अभी विवाहित हैं, जैसे कि आप, और हमारे क्लब की सदस्य हैं, वे अपने परिवार से आज भी उतना ही प्रेम करती हैं. अगर इस प्रकार से वो प्यार के चक्कर में पड़ीं तो न सिर्फ वो अपने परिवार बल्कि हमारे क्लब को भी नष्ट कर सकती है.”
“मैं ये नहीं कह रहा कि हम एक दूसरे से दूर रहें, ऐसा संभव भी नहीं है, परन्तु, आपको अन्य रोमियो के साथ भी इसी प्रकार के आनंद की अनुभूति होगी जो मेरे साथ हुई है. मेरे कहने का अर्थ सरल है. आप यहाँ आनंद लेने के लिए आइये, सम्बन्ध मत बनाइये, यही सबके लिए ठीक होगा.”
“और ऐसा नहीं है कि आप पहली महिला हैं जिनसे मैं ये कह रहा हूँ. अगर पहले दिन मुझे बाहर न जाना पड़ता तो मैं आपको ये बात उस दिन ही बता देता. और शोनाली जी ने ये बात हर रोमियो को भी समझाई है. आशा है आप मेरे कथन को सही मायने में लेंगी.”
कामिनी: “तुम सच कह रहे हो पार्थ. सच तो ये है कि यहाँ से जाने के एक दो दिन बाद से कल तक मैंने तुम्हारे बारे में सोचा ही नहीं था. तो अब वो करें जिसके लिए आज मैं यहाँ आयी हूँ, मेरे इंटरव्यू के लिए.”
“ये हुई न बात.”
“मैंने दी हुई क्रीम लगा ली है. और एक बात और..”
“क्या”
“कल रात मैंने अपने पति से अपनी गांड का उद्घाटन करवा लिया है. मैं नहीं चाहती थी कि मैं ऐसा कुछ भी करूँ जो मैंने उनके साथ नहीं किया है.”
“ये अपने सही किया, और अब आप समझ रही होंगी कि हमारे क्लब में प्रेम के झमेले में पड़ने का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि आप अपने पति से ही प्यार करती हैं.”
“ये सच है.”
पार्थ मन ही मन ये सोच रहा था कि उस समय क्या होगा जब कामिनी दो पुरुषों से चुदवाने के लिए तत्पर होगी, या किसी और महिला के साथ लेस्बियन सम्भोग करेगी, क्योंकि क्लब में ये बहुत सामान्य घटनाएं थीं. पर अधिक विचार न करते हुए उसने जो मिल रहा था उसे भोगने का निश्चय किया. उसने बियर एक और रखी और कामिनी का हाथ पकड़ते हुए खड़ा कर दिया. कामिनी के ऊपर उसकी बातों का प्रभाव अवश्य पड़ा था क्योंकि इस बार उसने पार्थ के सीने से न लगकर उसके होंठों को चूम लिया. एक दूसरे को चूमते हुए पार्थ ने कामिनी के गाउन को उसके शरीर से अलग कर दिया. पर क्योंकि वो अभी भी पूरे कपडे पहने हुआ था तो कामिनी ने चुम्बन को तोड़ा और उसकी वस्त्र निकालने लगी.
कुछ ही क्षणों में पार्थ भी कामिनी के समान ही नंगा हो चूका था. उसने कामिनी के नितम्बों को पकड़कर अपनी ओर खींचा और बिना दर्शाये हुए कामिनी की गांड पर हाथ फिराया. उसने गांड से उभरे हुए प्लग को अपने हाथों से छुआ और उसे संतुष्टि हुई कि कामिनी ने उनके निर्देशों का अक्षरतः पालन किया है. दोबारा चुम्बन में संलग्न होते हुए वो धीरे से कामिनी को बिस्तर की ओर ले चला. बिस्तर के पास पहुँच कर उसने कामिनी को बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत में अपना मुंह डालकर उसे चाटने लगा. कामिनी पहले ही उत्तेजित थी और पार्थ के इस उपक्रम ने उसे स्वतः ही स्खलित कर दिया. पार्थ ने उसके रस को पीते हुए उसकी गांड को ऊपर उठाया. और उसके नितम्बों को मसलने लगा.
इसके बाद पार्थ खड़ा हो गया और अपने भव्य लंड को कामिनी के चेहरे के सामने ले गया. कामिनी ने निसंकोच उसे अपने मुंह में लिया और उसे चाटने और चूसने लगी. जब लंड अच्छी तरह से कड़क हो गया तो पार्थ ने उसे मुंह से निकाल लिया. फिर उसने साइड टेबल से जैल की एक ट्यूब निकाली और बिस्तर पर रख ली.
पार्थ: “पहले मैं आपकी चूत की चुदाई करूंगा. और इसके बाद आपकी गांड की.”
कामिनी ने स्वीकृति में अपना सिर हिलाया. और पार्थ ने अपने लंड को कामिनी की चूत पर लगा दिया. वैसे तो वो दूसरी बार किसी भी सदस्या की तीव्र चुदाई करता था, पर उसे पता था कि कामिनी को उस स्तर पर पहुँचने में अभी और कुछ दिन या महीने लग सकते हैं. उसने मन में क्लब के रोमियो को ये निर्देश देने का निर्णय लिया कि वे उसकी आज्ञा के बिना कामिनी की ताबड़तोड़ और तेज चुदाई नहीं करेंगे। ये विचार करते हुए पार्थ प्रेम पूर्वक अपने लंड को कामिनी की कसी चूत में उतारने लगा. उसे कामिनी को अपने पूरे लंड से भरने में कोई ५ मिनट से अधिक लगे. कामिनी ने भी कोई अधीरता नहीं दिखाई और जब पूरा लंड घुस गया तब एक गहरी साँस छोड़कर अपने धैर्य का परिचय दिया.
संभवतः उस क्रीम ने कामिनी की इन्द्रियों को उपयुक्त रूप से शिथिल कर दिया था. पार्थ ये भी जनता था की क्रीम का असर अब तक समाप्त होने लगा होगा और कामिनी को अपनी गांड में संवेदना लौटती हुई अनुभव होगी. वो चाहता था कि कामिनी इस संसर्ग में आनंद प्राप्त करे और आगे के लिए इस प्रकार के सम्भोग के लिए लालायित रहे. क्लब की अधिकतर सदस्याएं जिनकी गांड का उद्घाटन क्लब में ही हुआ था (पार्थ के द्वारा) अब गांड मरवाने के लिए तत्पर रहती थीं. उसके क्लब के रोमियो इसीलिए भी खुश रहते थे कि उन्हें हर गांड में अपने लंड को डालने का सौभाग्य प्राप्त था.
पार्थ को अपना लंड इस समय किसी जलती हुई भट्टी में डला हुआ प्रतीत हो रहा था. उसने कामिनी की गांड को अपने लंड पर कसते हुए अनुभव किया तो वो समझ गया कि क्रीम का असर अब क्षणिक ही है. और इसी विचार के साथ उसने कामिनी की गांड में अपने लंड को हल्के हल्के चलना शुरू किया जिससे कि प्रभाव समापत होने तक कामिनी की गांड थोड़ी खुल जाये और वो इस चुदाई का भरपूर आनंद ले पाए. इस समय उसका पूरा ध्यान कामिनी के आनंद और संतुष्टि पर था. अब तक उसने इतनी अक्षत गांडे को खोला था कि वो इस विद्या का पारखी हो चुका था. इस क्रीम और प्लग के कारण उसे पहली बाधा को दूर करने में बहुत सफलता मिली थी. और जब एक बार उसका लंड अंदर बैठ जाता था तो महिलाओं का रहा सहा विरोध भी समाप्त हो जाता था.
कामिनी को अब अपनी गांड में कुछ मोटी सी वस्तु का अनुभव होने लगा था. ये तो वो भी जानती थी कि पार्थ का लंड अंदर है, पर उसने उसे अंदर प्रवेश करते हुए अनुभव ही नहीं किया था. अब उसे भी प्लग और क्रीम का तात्पर्य समझ आया. संवेदना लौटने पर उसे अपनी गांड में तीव्र जलन हुई. उसने अपनी गांड को उस जलन को दूर करने के लिए कसने का प्रयास किया तो पाया की एक विशाल मांसपिंड उसे इस कार्य में असमर्थ कर रहा है. पार्थ इन सब से अवगत था और उसने अपने लंड की गति कुछ तेज की जिससे कि कामिनी की जलन कम हो सक। कामिनी ने इस नए आगंतुक की अपनी गांड में चल रही यात्रा पर ध्यान दिया और उसकी घटती हुई जलन ने उसे कुछ सांत्वना दी. पार्थ के लंड ने अपनी गति को उतना ही रखा, वो कामिनी की प्रतिक्रिया देख रहा था. अभी तेजी का समय नहीं आया था. ये समय कामिनी को जलन और दर्द से बाहर निकालकर सुख और आनंद की ओर ले जाने का था.
कामिनी को अब अपनी गांड में चलते हुए लंड का पूरा अनुभव हो रहा था. उसकी संवेदनशीलता भी अब लौट चुकी थी और उसे एक अलग ही अनुभूति हो रही थी जो जीवन में उसे कभी नहीं हुई थी. अचानक उसे अपनी गांड में खुजली सी होने लगी. पर मोटे लौड़े के अंदर फंसे होने के कारण वो कुछ भी करने में असमर्थ थी.
पार्थ: “क्या आपकी गांड में खुजली हो रही है?”
कामिनी:” हाँ, पर तुम्हे कैसे पता?”
पार्थ: “अनुभव. आपकी पहली कोरी गांड नहीं है जिसे इस क्रीम लगाने के बाद मैंने मारा हो. मैं जानता हूँ कि अब आप मेरे लंड को अपनी गांड में चलता हुआ अनुभव कर रही हैं. क्या आप अब इस खुजली को दूर करना चाहेंगी?”
कामिनी: “हाँ, पर कैसे?”
पार्थ: “उसकी चिंता आप छोड़िये, मैं हूँ न.”
ये कहते हुए पार्थ ने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और लगभग पूरे लौड़े को बाहर निकालकर कामिनी की गांड में लम्बे और शक्तिशाली धक्कों की बौछार कर दी.”
कामिनी ने ऐसा सुख अभी सपने में भी सोचा नहीं था. शनेः शनैः उसकी गांड में चल रही खुजली ने एक नयी अनुभूति को स्थान दे दिया. और वो आनंद की अधिकता से अचेत सी हो गयी. उसे ये भी पता नहीं लगा कि वो इतना जोर से चिल्ला रही थी की अगर कमरा बंद या साउंड प्रूफ न होता तो सारा क्लब उसकी इस आनंदकारी चीत्कारों को सुन लेता. पार्थ ने अपने पहले के विचार बदल लिए थे. उसे अब ये ज्ञात हो गया कि कामिनी अब ऐसी और चुदाई के लिए लालायित रहेगी और इसका पहला भोग उसे ही लगाने मिला था. वो पूरी शक्ति और सामर्थ्य से इस कसी गांड में अपने लंड से आक्रमण कर रहा था, और कामिनी न जाने किस शक्ति के वशीभूत उसे और अधिक तेज और गहराई से चोदने के लिए प्रेरित कर रही थी.
अचानक ही कामिनी ने एक गगनभेदी चीख के साथ अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया. वो झड़ रही थी और उसके काँपते थरथराते शरीर का अब अपने ऊपर कोई वश नहीं था. ये कामोत्तेजना का चरम था, जिसे पाने की लालसा में मनुष्य अपना जीवन बिता देता है. आज उसने एक ऐसा शीर्ष देखा था जिसे अब वो रोज ढूंढने और पाने की राह पर चलने वाली थी. पार्थ भी अब अपने अंत पर आ चुका था. उसने कामिनी की गांड को अपने लंड के द्वारा खुलते और बाद होते देखा और फिर एक चिंघाड़ के साथ अपना जीवन द्रव्य कामिनी की गांड की भेंट चढ़ा दिया. अपनी गांड में गिरते हुए हुए इस पानी से कामिनी की गांड को एक शांति मिली और कामिनी को एक असीम तृप्ति.
न चाहते हुए भी कामिनी अब उस राह पर निकल पड़ी जहाँ अब उसे हर दिन ऐसी ही चुदाई की लालसा रहेगी. पार्थ भी अब ये समझ गया था कि आज उसने एक ऐसी आग लगाई है जो कभी न बुझने वाली प्यास को जन्म दे चुकी है. आज कामिनी उसके वश में थी. और वो क्लब की एक और चुड़क्कड़ सदस्या बन चुकी थी जो लंड के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती थी. पार्थ ने इसे जांचने हेतु अपने लंड को कामिनी की गांड से निकालकर उसके होंठों से स्पर्श किया. कामिनी बिना झिझक उसके लंड को चाटने लगी और पार्थ को एक वासनामयी दृष्टि से देखकर लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. पार्थ संतुष्ट था कि उसके स्तबल में एक और घोड़ी जुड़ गयी है जो उसपर सदा के लिए समर्पित है.
अपने लंड को साफ करवाने के बाद पार्थ ने अपने लंड को बाहर निकाला और बाथरूम में जाकर एक छोटा सा स्नान किया. बाहर निकलने पर उसने कामिनी को बाथरूम के लिए प्रतीक्षा में पाया और कामिनी ने भी अंदर जाकर स्नान किया. बाहर आकर वो सोफे पर वैसे ही नंगी बैठ गयी.
कामिनी: “जीवन में मैंने बहुत कुछ अनुभव खो दिए. पर पिछली बार और आज तुमने मुझे उन सुखों से मिलाया जिनकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. और अब मुझे लगता है कि मुझे वे सारे सुख लेने चाहिए. मैं सेक्स के हर आयाम और हर विकृति का अनुभव करना चाहती हूँ. मुझे आशा है कि इस क्लब में मेरी ये यात्रा जारी रहेगी.”
पार्थ ने उठकर उसके होंठ चूमे और टेबल पर रखे हुए फॉर्म पर कामिनी की सदस्यता को स्वीकृति देखा हस्ताक्षर किया. फिर उसने एक बार कामिनी को अपनी बाँहों में लेकर चूमा और उसे भविष्य के लिए शुभकामनायें देकर बाहर चला गया. कामिनी कुछ देर बैठी हुई अपने आगे के जीवन के बारे में विचार करती रही, फिर उसने भी कपड़े पहने और एक नए भविष्य के लिए उस कमरे से बाहर निकल गयी.
आगे भाग तीन में.
कैसे कैसे परिवार
मिश्रण २.१
भाग २
पिछले भाग से आगे
A2 समुदाय का मिलन समारोह
मधुजी ने फिर से माइक संभाला।
“साथियों, मुझे आशा है कि अपने पिछले चरण की चुदाई में आनंद लिया होगा. मुझे तो सिद्दार्थ ने बहुत दबा कर चोदा है और मेरी गांड में अभी भी सुरसुरी हो रही है. जिन भी महिलाओं ने सिद्धार्थ का लौड़ा अपने गांड में नहीं लिया है, मैं उन्हें इस कमी को अति शीघ्र सुधारने का सुझाव देती हूँ.”
“अब जैसा आप सब जानते हैं, अगला चरण खुला चरण है. परन्तु क्योंकि आज हमने एक विवाह संपन्न किया है, इसीलिए दूल्हे की माँ लिपि जी ने एक अनुरोध किया है जिसे हमने स्वीकार किया है. जिन भी साथी पुरुषों के हाथों पर उन्होंने एक अंक लिखा है, वे सभी लिपि जी दूल्हे की माँ, माया जी दुल्हन की माँ और सबसे अंत में रेनू जो दुल्हन है को चोदने के लिए आमंत्रित हैं. मैं राणा परिवार से अनुरोध करुँगी कि वे स्टेज से नीचे आ जाएँ जिससे कि इन तीनों सुंदरियों को वहां आने का अवसर मिले.”
जीवन अपने परिवार के साथ नीचे उतर गया. मधुजी ने दो लड़कों को नीचे से एक पलंग उठाकर स्टेज पर लगाने के लिए कहा और ये कार्य तुरंत ही सम्पन्न हो गया. लिपि, माया और रेनू एक एक पलंग से सम्मुख खड़ी हो गयीं.
“अन्य कार्यक्रम सदैव के समान रहेगा और अब आप में से कोई भी किसी की भी चुदाई करने के लिए उन्मुक्त है. बस ये ध्यान रहे कि वो आपके अपने परिवार का सगा न हो. इस चरण का समय भी सवा घंटा है. और ये आज का आखिरी कार्यक्रम है. तो जिन्होंने लिपि जी से नंबर लिया है वो स्टेज पर जाएँ और अन्य सभी एक दूसरे के साथ मनमाना आनंद उठायें.”
ये कहकर उन्होंने माइक नीचे रखा और जीवन की ओर चल पड़ीं.
जीवन के सामने जाकर उन्होंने अपने चोगे को उतार फेंका और उनकी आँखों में आंखे डालकर पूछा, “जीवन साहब, क्या आपमें इस बुढ़िया की नसें ढीली करने का साहस है.”
जीवन मुस्कुराकर अपने चोगे को निकालते हुए बोला, “इसका निर्णय तो आप ही कर सकती हैं, परन्तु मैं प्रयास करने में पीछे नहीं रहूंगा.” ये कहते हुए उसने मधुजी को अपनी बाँहों में लेकर एक प्रगाढ़ चुंबन दिया.
परिवार के अन्य सदस्य ये देखकर कि वे भी अब अन्य लोगों से मिलन कर सकते हैं तितर बितर हो गए. असीम और कुमार दोनों मध्यम आयु की स्त्रियों को ढूंढ रहे थे, क्योंकि उनके आकलन में वही सबसे अधिक आतुरता से चुदवाती हैं. और उनकी ऑंखें स्मिता से मिलीं जो एक व्यक्ति से बात कर रही थी. स्मिता ने आँखों के माध्यम से उन्हें आमंत्रित किया और वे दोनों उसके समीप पहुँच गए. समीप पहुँच कर दोनों ने स्मिता का अभिवादन किया.
असीम: “हैलो आंटीजी, आपको यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई.”
स्मिता:”मुझे भी एक सुखद आश्चर्य हुआ. पर हम यहाँ समय व्यर्थ नहीं कर सकते, हम लोग एक दो दिन में मिलते हैं और आगे की बात वहीँ करेंगे. अभी तो मुझे तुम दोनों से वही उपचार चाहिए जो तुमने सुनीति को दिया था. ठीक है?”
ये कहकर स्मिता ने अपना चोगा निकाल फेंका और असीम और कुमार के लौडों को उनके चोगे के बाहर से ही दबा दिया. उसे इस बात से ख़ुशी मिली के ये दोनों मेहुल से बस कुछ ही कम थे. और इनके लंड से गांड मरवाने के बाद रात में मेहुल का लंड झेलना आसान हो जायेगा. असीम और कुमार को अपने चोगे हटाने में अधिक समय नहीं लगा. स्मिता उन दोनों के लंड एक एक हाथ में पकड़कर निकटतम खाली पलंग पर बैठ गयी और उन्हें चूसने लगी.
असीम के लंड को चूसते हुए उसने कहा, “हम्म्म इसमें तो अभी भी सुनीति की गांड की महक आ रही है.”
असीम कुछ झेंप गया, “मैंने उनकी गांड मारने के बाद लंड धोया नहीं. सॉरी आंटी।”
स्मिता: “कोई बात नहीं,मैं भी जल्दी ही सुनीति को अपनी गांड का स्वाद चखाऊँगी. ये बताओ तुममे से कौन गांड मारेगा?”
असीम बोल उठा: “कुमार. मैंने तो अभी ही मॉम की गांड मारी है. अब इसे अवसर मिलना चाहिए.”
स्मिता: “भाई हो तो ऐसा, कुमार?”
कुमार: “जी, आंटीजी. पर अब क्या हम आपकी चूत और गांड का स्वाद ले लें ?”
स्मिता: “वैसे तो मुझे इसमें आनंद आता.” फिर आसपास देखते हुए कि कोई सुने न, “पर मेरा साथी बस मेरी चूत और गांड की चाटता रहा था पीछे चरण में. तो इसीलिए, मैं तो अब असली चुदाई के लिए अधिक उत्सुक हूँ.”
ये कहकर उसने असीम को पलंग पर धक्का देते हुए लिटाया और उसके लंड पर चढ़कर सवारी कर ली. पूरे लंड को अच्छे से घुसा लेने के बाद उसने कुमार को संकेत दिया कि वो भी अब सवार हो जाये.
श्रेया और स्नेहा एक साथ अपने लिए किसी लंड को ढूंढ रही थीं. उनका ये हर मिलन का नियम सा था. उनकी ऑंखें दो लोगों पर जाकर रुकी। आशीष हर ओर चल रहे दुराचार को विस्मित आँखों से देख रहा था. और उसके कुछ ही दूर पर नव-विवाहिता रेनू के पिता भी किसी को ढूंढ रहे थे. स्नेहा ने श्रेया को कोहनी मारकर उन दोनों की ओर संकेत किया. श्रेया ने तुरंत स्नेहा को रेनू के पिता को पकड़ने के लिए कहा और स्वयं आशीष की ओर चल पड़ी. आशीष ने उसे आते देखा और उसकी आँखों का आश्चर्य और बढ़ गया.
“नमस्ते अंकल, आपको यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई. मैं चाहूंगी कि आपका स्वागत मैं और स्नेहा पूरी रीति के अनुसार करें.”
आशीष को कुछ सूझ नहीं रहा था. उसने श्रेया के बढे हाथ को थमा और श्रेया के पीछे एक पलंग पर जाकर ठहर गया.
“बस अब स्नेहा आ जाये तो स्वागत आरम्भ करेंगे.” ये कहते हुए उसने आशीष के चोगे को खोला और उसे नीचे डाल दिया. “लो, ये स्नेहा भी आ गयी.” स्नेहा रेनू के पिता के साथ आ रही थी.
“जैन अंकल, इनसे मिलिए, ये हैं हमारे पडोसी राणा अंकल” श्रेया ने दोनों पुरुषों का परिचय कराया.
“हेलो, अंकित जैन.” रेनू के पिता ने आशीष का हाथ मिलते हुए कहा. उसे इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी कि आशीष इस समय नंगा खड़ा था. हालाँकि आशीष को इस प्रकार से किसी से पहली बार मिलने में झिझक हो रही थी.
“हेलो, मैं आशीष राणा. मुझे भी आपसे मिलकर ख़ुशी हुई. वैसे इस ख़ुशी को ये दोनों प्यारी बहनें और भी बढ़ने वाली हैं. वैसे आप चाहें तो इनके बाद ऊपर स्टेज पर जा सकते हैं. मेरी पत्नी माया आपका स्वागत करेगी, और आपका बिना नंबर के भी नंबर लगा देगी.” अंकित अपने इस मजाक पर हंस पड़ा. पर अंकित यहाँ नहीं रुका. उसने आगे झुकते हुए एक षड्यंत्रकारी स्वर में पूछा, “या आप मेरी बेटी रेनू को चोदना अधिक पसंद करेंगे? अगर ऐसा है तो आपको उसकी सास की अनुमति लेनी होगी. परन्तु वहां भी कोई समस्या नहीं आएगी.”
“अंकित अंकल, आप व्यर्थ में हमारा समय क्यों नष्ट कर रहे हैं. आपके घर तो आज रात भर चुदाई पार्टी है. अभी हमारी ओर ध्यान दीजिये.” स्नेहा ने रुष्ट होकर कहा और अंकित का चोगा निकाल फेंका. श्रेया और स्नेहा ने फिर अपने चोगे भी उतारे और अपने संगमरमरी शरीरों का उन दोनों को प्रदर्शन किया. आशीष के लिए अब ठहरना असंभव था. उसने श्रेया को अपनी बाँहों में जकड कर उसे चूमते हुए बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत में अपना मुंह डाल दिया. ये तो समुदाय के नियमों का ही प्रभाव था कि सभी स्त्रियां पिछले चरण के पश्चात अपनी चूत और गांड को अच्छे से साफ कर चुकी थीं नहीं तो पता नहीं उसके मुंह में किसका रस जाता. स्नेहा ने अंकित के लंड पर धावा बोला और उसे मुंह में लेकर चाटने में व्यस्त हो गई.
सुजाता बहुत उत्सुक हो रही थी. स्टेज पर काफी पुरुषों के चले जाने से वैसे भी हॉल में कमी हो चुकी थी. और कुछ भाग्यशाली स्त्रियों ने अपने साथी भी पा लिए थे. वो अपने चारों ओर चल रहे वासना के नंगे नाच को केवल देख ही पा रही थी क्योंकि उसे कोई नहीं मिला था. जो उपलब्ध थे उसके साथ से भूख शांत होने के स्थान पर और भड़कने की संभावना अधिक थी. समुदाय की स्त्रियों में कुछ महीनों से एक असहजता सी थी. कुछ पुरुष जो समुदाय की उत्पत्ति के समय पुरुषार्थ में उपयुक्त थे, समय के साथ उनकी ये शक्ति क्षीण हो चुकी थी. इस कारण ये सात पुरुष अपने साथी को संतुष्ट करने में असमर्थ थे. समस्या ये थी कि नियमानुसार किसी भी सदस्य को आने से रोका नहीं जा सकता था. और ये महानुभाव स्वयं रुकने के लिए उत्सुक नहीं थे.
इस बात की चर्चा पिछली प्रबंधन समिति में हुई थी और इस बात को गंभीरता से सोचा गया था. समुदाय के इस नियम को परिवर्तित करने के दूरगामी परिणाम होने के कारण इसे न बदलने का निर्णय हुआ था. परन्तु, एक सदस्य ने समुदाय में प्रवेश की आयु को २० वर्ष से घटाकर १९ वर्ष करने का सुझाव दिया था. गणना करने से ये सामने आया था कि इससे ९ लड़के और ४ लड़कियां प्रवेश के लिए योग्य घोषित की जा सकेंगी. परन्तु ये निर्णय केवल समिति नहीं ले सकती थी. इसी कारण आज समापन पर एक प्रश्नावली सभी अभिवाहकों को दी जा रही थी जिसमे इसमें उनकी सहमति और आपत्ति का लेखन करना था. इसे अगले सप्ताहांत तक समिति के किसी भी सदस्य को सौंपा जाना था जिससे कि समिति अगली चर्चा में इस पर निर्णय ले सके.
पर सुजाता को आज के लिए लौड़े की खोज थी. अंततः उसने स्टेज के नीचे प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया. उसके विचार से ऊपर से उतरते किसी जवान लौंडे को वो पकड़कर अपनी प्यास बुझा लेगी. और अगर उसके भाग्य ने साथ दिया तो दो भी मिल सकते हैं. तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा. पीछे मुड़ी तो महक थी और उसके साथ में सिद्दार्थ था (जिसने मधुजी की पहली चुदाई की थी).
“आंटीजी, चलिए, सिद्धार्थ और मैं आपके अकेलेपन को दूर कर देंगे. और अगर मधुजी का सुझाव मानेंगी तो आपकी गांड की खुजली इसका लौड़ा मिटा देगा.” महक उसके हाथ को थामकर सिद्धार्थ के साथ निकट खाली पलंग की ओर ले गयी. सुजाता ने पीछे मुड़कर स्टेज पर चल रहे चुदाई के खेल पर एक दृष्टि डाली और महक के साथ चल पड़ी.
स्टेज पर जिसे देखकर सुजाता मुड़ी थी वो अपने आप में एक वासना का नंगा नाच था. स्टेज पर कई पुरुष खड़े हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे. इस समय स्टेज पर दोनों परिवार की बेटियां भी इस सामूहिक सम्भोग में सम्मिलित हो गयी थीं, परन्तु वे चुदाई में शामिल नहीं थीं. उनका कार्य अपने परिवार की चुदती हुई तीनों स्त्रियों की चूत और गांड को साफ सुथरा रखने का था. वे शांति से एक ओर खड़ी हुई थीं. अभी उनके कार्य स्थगित था. इस समय लिपि, माया और रेनू तीनों को तीन तीन आदमी चोद रहे थे. हर एक चूत, गांड और मुंह में लौड़े लेकर चुदवा रही थीं. ऐसा दृश्य समुदाय के इतिहास में पहली बार देखने मिल रहा था और हॉल में उपस्थित सभी लोग बीच बीच में उस ओर अवश्य देख रहे थे.
तीनों की आनंदकारी चीत्कारें हॉल में गूंज रही थीं. ये एक देखने वाली बात थी कि माया और लिपि की ओर लड़के आकर्षित थे जबकि अधेड़ पुरुष रेनू पर अधिक आसक्त थे. अब तक तीनों स्त्रियां न जाने कितने लौड़े निपटा चुकी थीं. और अब फिर रेनू की गांड में पानी छोड़ते हुए एक पुरुष खड़ा हुआ और अपने आधे मुरझाये लंड को झुलाते हुए स्टेज से उतर गया. रेनू की बड़ी बहन जिसका पति नीचे हॉल में किसी की चुदाई कर रहा था आगे बढ़ी और उसने रेनू की उछलती गांड में अपना मुंह डाला और उससे बहता हुआ वीर्य चाट कर साफ किया और अंदर भी सफाई कर दी. रेनू की गांड अगले लौड़े के लिए तैयार थी, परन्तु उसकी बहन ने किसी को भी आगे बढ़ने से रोक दिया. जब रेनू की चूत में अपना रस छोड़कर उसके नीचे का आदमी हटा तब उसकी बहन ने उसकी चूत को भी उसी प्रकार से साफ किया और फिर अगले दो पुरुषों को आमंत्रित किया.
दूसरी और माया की भी गांड में पानी छोड़कर एक लड़का खड़ा हुआ और स्टेज से उतर गया. इस बार दूल्हे की बहन ने सफाई की और फिर उसी प्रकार से चूत की बारी आने पर उसे भी साफ किया और दो और सदस्यों को आमंत्रित कर लिया. यही क्रम वहां पर बेरोकटोक चलता रहा.
स्मिता अब असीम और कुमार से एक साथ चुदवाकर आनंद विभोर हो रही थी. उसकी चूत और गांड में एक एक लंड था और उसे दोनों बहुत जोरदार और शक्ति के साथ चोद रहे थे. स्मिता के मन से आज की रात मेहुल के साथ बिताने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया क्योंकि उसकी वर्तमान की डबल चुदाई उसके तन और मन दोनों को तृप्त कर रही थी.
श्रेया और स्नेहा भी अपने हिस्से की चुदाई में व्यस्त थीं. आशीष और अंकित उनकी भी मस्त चुदाई कर रहे थे. उधर सुजाता की दर्द और आनंद की चीखें निकल नहीं पा रही थीं क्यूंकि महक ने उनके मुंह को अपनी चूत में दबाया हुआ था. सिद्धार्थ के मोटा लम्बा लौड़ा सुजाता की गांड का वही हाल कर रहा था जो मधुजी ने सुझाया था. सुजाता ये सोचकर कि पिछले दिनों में उसकी गांड में ऐसे मोटे तगड़े दो लंड गए हैं कि उसका जीवन सार्थक हो गया था. जीवन ने अपने वचन को पूरा करते हुए जब मधुजी की चूत की गांठें खोल दीं तो उन्होंने लगे हाथ गांड को भी ढीला करने का निश्चय किया.
स्टेज पर चल रहा लरिकर्म भी अब समाप्ति की ओर था और अंतिम टोली चुदाई कर रही थी. समय समाप्ति की घंटी ने सबको चौंका दिया. मधुजी जो इस समय सीधे लेती हुई थीं और जीवन उनकी गांड की कसावट को ढीला कर रहे थे किसी प्रकार दोबारा माइक को पकड़ीं.
गांड मरवाते हुए ये उनके जीवन की पहली घोषणा थी, “मेर्रे साथियोऊं आज की घघोषणा विशेष्ष है क्योंकिकी अभी भीई मेरीइ इ गांड में लंड है. परर्र मैं ईसीई अवस्था में आज के कार्यक्रम्म की समाप्ति कीईई घघ्घोषणा करररती हूँ. आअह”
अन्य जुड़े हुए जोड़े भी धीरे धीरे एक दूसरे से अलग हुए. कुछ समय तक लोग अपने स्थान पर ही बैठे रहे और फिर अपने चोगे पहनते हुए एक एक करके स्नानघर की ओर चल दिए. स्टेज पर दोनों बेटियों ने माया, लिपि और रेनू को सहारा देकर उठाया और उनके चोगे पहनकर उन्हें भी स्नानघर की ओर ले गयीं. स्नान करते हुए लोगों ने अपने परस्पर मिलने के कार्यक्रम तय किया और फिर अपने कपड़े पहनकर नयी प्रकाशित पत्रिका को लिया और बाहर लॉन में चले गए.
लॉन में रेनू और दूल्हे के पिता ने सभी को रात की चुदाई पार्टी का आमंत्रण दिया, परन्तु ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कम ही सज्जन और सन्नारियां पहुचेंगी. दोनों समधियों ने विचार विमर्श करने के बाद दो सप्ताह बाद एक और पार्टी का आयोजन करने की घोषणा की क्योंकि नव-विवाहित जोड़ा कल कुछ दिनों के लिए हनीमून पर जा रहा था. इसके बाद कुछ और औपचारिकताओं के पश्चात् सब अपने घरों के लिए निकल पड़े.
B2 कामिनी का पूर्ण सदस्यता का इंटरव्यू समापन
कुछ ही समय बाद कमरे का दरवाजा खुला और पार्थ ने प्रवेश किया. कामिनी की दिल की धड़कन उसे देखकर रुक ही गयी. वो वहीँ जड़वत बैठी रही और पार्थ को अपने ओर बढ़ते हुए देखती रही. पार्थ उसके पास पंहुचा और उसकी ओर मुस्कुरा कर देखने लगा.
“हैलो कामिनी मैडम, आप कैसी हैं?”
“मैं ठीक हूँ. अच्छी हूँ. बहुत अच्छी.”
पार्थ ने अपना हाथ आगे किया और कामिनी ने उसे थामा और पार्थ ने उसे खींचते हुए खड़ा किया. उसके चेहरे पर झूलते हुए बालों की लट को हटाया और उसके होंठों को चूम लिया. कामिनी उसकी बाँहों में खो गयी. पार्थ ने भी उसे अपनी बाँहों में बाँधे रखा. कुछ पलों के बाद कामिनी उसकी बाँहों से अलग हुई. और इस बार उसने पार्थ के होंठों को चूमा और ये चुम्बन और भी गहरा होता गया. पार्थ ने भी उसका साथ दिया और उसके हाथ कामिनी की कमर पर कस गए. उसके स्तन पार्थ के मजबूत सीने में दब रहे थे.
“पार्थ तुमसे दूर रहकर मुझे तुम्हारी बहुत याद आयी.”
“पर अभी इतने दिन तो नहीं हुए.”
“पता नहीं, बस तुम्हारे बिना कुछ खाली खाली सा लग रहा था.”
“कोई बात नहीं, उस खाली स्थान को आज फिर भर देंगे. आप पीने के लिए क्या लेंगी?”
“जो भी तुम लोगे.” कामिनी सच में एक १८ वर्ष की प्रेमाकुल लड़की के समान व्यव्हार कर रही थी.
पार्थ बार से दो बियर ले आया और एक कामिनी को थमा दी. दोनों बियर पीने लगे.
पार्थ को कामिनी को कुछ समझाना था, और उसे लगा कि ये सही समय है.
“कामिनी जी. मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ. आप इसे किसी और संदर्भ में नहीं लेना.”
“ओके.”
“हमारा क्लब स्त्रियों को संतुष्टि करने के लिए है. हम किसी भी स्त्री सदस्य को प्रेम की दृष्टि से नहीं देख सकते. इसका मुख्य कारण ईर्ष्या है. आज अगर मैं आपसे प्रेम करने लगूँगा तो देर सवेर आपके मेरे अन्य सदस्य महिलाओं के साथ जाने पर ईर्ष्या होगी. दूसरा, अधिकतर महिलाएं जो अभी विवाहित हैं, जैसे कि आप, और हमारे क्लब की सदस्य हैं, वे अपने परिवार से आज भी उतना ही प्रेम करती हैं. अगर इस प्रकार से वो प्यार के चक्कर में पड़ीं तो न सिर्फ वो अपने परिवार बल्कि हमारे क्लब को भी नष्ट कर सकती है.”
“मैं ये नहीं कह रहा कि हम एक दूसरे से दूर रहें, ऐसा संभव भी नहीं है, परन्तु, आपको अन्य रोमियो के साथ भी इसी प्रकार के आनंद की अनुभूति होगी जो मेरे साथ हुई है. मेरे कहने का अर्थ सरल है. आप यहाँ आनंद लेने के लिए आइये, सम्बन्ध मत बनाइये, यही सबके लिए ठीक होगा.”
“और ऐसा नहीं है कि आप पहली महिला हैं जिनसे मैं ये कह रहा हूँ. अगर पहले दिन मुझे बाहर न जाना पड़ता तो मैं आपको ये बात उस दिन ही बता देता. और शोनाली जी ने ये बात हर रोमियो को भी समझाई है. आशा है आप मेरे कथन को सही मायने में लेंगी.”
कामिनी: “तुम सच कह रहे हो पार्थ. सच तो ये है कि यहाँ से जाने के एक दो दिन बाद से कल तक मैंने तुम्हारे बारे में सोचा ही नहीं था. तो अब वो करें जिसके लिए आज मैं यहाँ आयी हूँ, मेरे इंटरव्यू के लिए.”
“ये हुई न बात.”
“मैंने दी हुई क्रीम लगा ली है. और एक बात और..”
“क्या”
“कल रात मैंने अपने पति से अपनी गांड का उद्घाटन करवा लिया है. मैं नहीं चाहती थी कि मैं ऐसा कुछ भी करूँ जो मैंने उनके साथ नहीं किया है.”
“ये अपने सही किया, और अब आप समझ रही होंगी कि हमारे क्लब में प्रेम के झमेले में पड़ने का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि आप अपने पति से ही प्यार करती हैं.”
“ये सच है.”
पार्थ मन ही मन ये सोच रहा था कि उस समय क्या होगा जब कामिनी दो पुरुषों से चुदवाने के लिए तत्पर होगी, या किसी और महिला के साथ लेस्बियन सम्भोग करेगी, क्योंकि क्लब में ये बहुत सामान्य घटनाएं थीं. पर अधिक विचार न करते हुए उसने जो मिल रहा था उसे भोगने का निश्चय किया. उसने बियर एक और रखी और कामिनी का हाथ पकड़ते हुए खड़ा कर दिया. कामिनी के ऊपर उसकी बातों का प्रभाव अवश्य पड़ा था क्योंकि इस बार उसने पार्थ के सीने से न लगकर उसके होंठों को चूम लिया. एक दूसरे को चूमते हुए पार्थ ने कामिनी के गाउन को उसके शरीर से अलग कर दिया. पर क्योंकि वो अभी भी पूरे कपडे पहने हुआ था तो कामिनी ने चुम्बन को तोड़ा और उसकी वस्त्र निकालने लगी.
कुछ ही क्षणों में पार्थ भी कामिनी के समान ही नंगा हो चूका था. उसने कामिनी के नितम्बों को पकड़कर अपनी ओर खींचा और बिना दर्शाये हुए कामिनी की गांड पर हाथ फिराया. उसने गांड से उभरे हुए प्लग को अपने हाथों से छुआ और उसे संतुष्टि हुई कि कामिनी ने उनके निर्देशों का अक्षरतः पालन किया है. दोबारा चुम्बन में संलग्न होते हुए वो धीरे से कामिनी को बिस्तर की ओर ले चला. बिस्तर के पास पहुँच कर उसने कामिनी को बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत में अपना मुंह डालकर उसे चाटने लगा. कामिनी पहले ही उत्तेजित थी और पार्थ के इस उपक्रम ने उसे स्वतः ही स्खलित कर दिया. पार्थ ने उसके रस को पीते हुए उसकी गांड को ऊपर उठाया. और उसके नितम्बों को मसलने लगा.
इसके बाद पार्थ खड़ा हो गया और अपने भव्य लंड को कामिनी के चेहरे के सामने ले गया. कामिनी ने निसंकोच उसे अपने मुंह में लिया और उसे चाटने और चूसने लगी. जब लंड अच्छी तरह से कड़क हो गया तो पार्थ ने उसे मुंह से निकाल लिया. फिर उसने साइड टेबल से जैल की एक ट्यूब निकाली और बिस्तर पर रख ली.
पार्थ: “पहले मैं आपकी चूत की चुदाई करूंगा. और इसके बाद आपकी गांड की.”
कामिनी ने स्वीकृति में अपना सिर हिलाया. और पार्थ ने अपने लंड को कामिनी की चूत पर लगा दिया. वैसे तो वो दूसरी बार किसी भी सदस्या की तीव्र चुदाई करता था, पर उसे पता था कि कामिनी को उस स्तर पर पहुँचने में अभी और कुछ दिन या महीने लग सकते हैं. उसने मन में क्लब के रोमियो को ये निर्देश देने का निर्णय लिया कि वे उसकी आज्ञा के बिना कामिनी की ताबड़तोड़ और तेज चुदाई नहीं करेंगे। ये विचार करते हुए पार्थ प्रेम पूर्वक अपने लंड को कामिनी की कसी चूत में उतारने लगा. उसे कामिनी को अपने पूरे लंड से भरने में कोई ५ मिनट से अधिक लगे. कामिनी ने भी कोई अधीरता नहीं दिखाई और जब पूरा लंड घुस गया तब एक गहरी साँस छोड़कर अपने धैर्य का परिचय दिया.
संभवतः उस क्रीम ने कामिनी की इन्द्रियों को उपयुक्त रूप से शिथिल कर दिया था. पार्थ ये भी जनता था की क्रीम का असर अब तक समाप्त होने लगा होगा और कामिनी को अपनी गांड में संवेदना लौटती हुई अनुभव होगी. वो चाहता था कि कामिनी इस संसर्ग में आनंद प्राप्त करे और आगे के लिए इस प्रकार के सम्भोग के लिए लालायित रहे. क्लब की अधिकतर सदस्याएं जिनकी गांड का उद्घाटन क्लब में ही हुआ था (पार्थ के द्वारा) अब गांड मरवाने के लिए तत्पर रहती थीं. उसके क्लब के रोमियो इसीलिए भी खुश रहते थे कि उन्हें हर गांड में अपने लंड को डालने का सौभाग्य प्राप्त था.
पार्थ को अपना लंड इस समय किसी जलती हुई भट्टी में डला हुआ प्रतीत हो रहा था. उसने कामिनी की गांड को अपने लंड पर कसते हुए अनुभव किया तो वो समझ गया कि क्रीम का असर अब क्षणिक ही है. और इसी विचार के साथ उसने कामिनी की गांड में अपने लंड को हल्के हल्के चलना शुरू किया जिससे कि प्रभाव समापत होने तक कामिनी की गांड थोड़ी खुल जाये और वो इस चुदाई का भरपूर आनंद ले पाए. इस समय उसका पूरा ध्यान कामिनी के आनंद और संतुष्टि पर था. अब तक उसने इतनी अक्षत गांडे को खोला था कि वो इस विद्या का पारखी हो चुका था. इस क्रीम और प्लग के कारण उसे पहली बाधा को दूर करने में बहुत सफलता मिली थी. और जब एक बार उसका लंड अंदर बैठ जाता था तो महिलाओं का रहा सहा विरोध भी समाप्त हो जाता था.
कामिनी को अब अपनी गांड में कुछ मोटी सी वस्तु का अनुभव होने लगा था. ये तो वो भी जानती थी कि पार्थ का लंड अंदर है, पर उसने उसे अंदर प्रवेश करते हुए अनुभव ही नहीं किया था. अब उसे भी प्लग और क्रीम का तात्पर्य समझ आया. संवेदना लौटने पर उसे अपनी गांड में तीव्र जलन हुई. उसने अपनी गांड को उस जलन को दूर करने के लिए कसने का प्रयास किया तो पाया की एक विशाल मांसपिंड उसे इस कार्य में असमर्थ कर रहा है. पार्थ इन सब से अवगत था और उसने अपने लंड की गति कुछ तेज की जिससे कि कामिनी की जलन कम हो सक। कामिनी ने इस नए आगंतुक की अपनी गांड में चल रही यात्रा पर ध्यान दिया और उसकी घटती हुई जलन ने उसे कुछ सांत्वना दी. पार्थ के लंड ने अपनी गति को उतना ही रखा, वो कामिनी की प्रतिक्रिया देख रहा था. अभी तेजी का समय नहीं आया था. ये समय कामिनी को जलन और दर्द से बाहर निकालकर सुख और आनंद की ओर ले जाने का था.
कामिनी को अब अपनी गांड में चलते हुए लंड का पूरा अनुभव हो रहा था. उसकी संवेदनशीलता भी अब लौट चुकी थी और उसे एक अलग ही अनुभूति हो रही थी जो जीवन में उसे कभी नहीं हुई थी. अचानक उसे अपनी गांड में खुजली सी होने लगी. पर मोटे लौड़े के अंदर फंसे होने के कारण वो कुछ भी करने में असमर्थ थी.
पार्थ: “क्या आपकी गांड में खुजली हो रही है?”
कामिनी:” हाँ, पर तुम्हे कैसे पता?”
पार्थ: “अनुभव. आपकी पहली कोरी गांड नहीं है जिसे इस क्रीम लगाने के बाद मैंने मारा हो. मैं जानता हूँ कि अब आप मेरे लंड को अपनी गांड में चलता हुआ अनुभव कर रही हैं. क्या आप अब इस खुजली को दूर करना चाहेंगी?”
कामिनी: “हाँ, पर कैसे?”
पार्थ: “उसकी चिंता आप छोड़िये, मैं हूँ न.”
ये कहते हुए पार्थ ने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और लगभग पूरे लौड़े को बाहर निकालकर कामिनी की गांड में लम्बे और शक्तिशाली धक्कों की बौछार कर दी.”
कामिनी ने ऐसा सुख अभी सपने में भी सोचा नहीं था. शनेः शनैः उसकी गांड में चल रही खुजली ने एक नयी अनुभूति को स्थान दे दिया. और वो आनंद की अधिकता से अचेत सी हो गयी. उसे ये भी पता नहीं लगा कि वो इतना जोर से चिल्ला रही थी की अगर कमरा बंद या साउंड प्रूफ न होता तो सारा क्लब उसकी इस आनंदकारी चीत्कारों को सुन लेता. पार्थ ने अपने पहले के विचार बदल लिए थे. उसे अब ये ज्ञात हो गया कि कामिनी अब ऐसी और चुदाई के लिए लालायित रहेगी और इसका पहला भोग उसे ही लगाने मिला था. वो पूरी शक्ति और सामर्थ्य से इस कसी गांड में अपने लंड से आक्रमण कर रहा था, और कामिनी न जाने किस शक्ति के वशीभूत उसे और अधिक तेज और गहराई से चोदने के लिए प्रेरित कर रही थी.
अचानक ही कामिनी ने एक गगनभेदी चीख के साथ अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया. वो झड़ रही थी और उसके काँपते थरथराते शरीर का अब अपने ऊपर कोई वश नहीं था. ये कामोत्तेजना का चरम था, जिसे पाने की लालसा में मनुष्य अपना जीवन बिता देता है. आज उसने एक ऐसा शीर्ष देखा था जिसे अब वो रोज ढूंढने और पाने की राह पर चलने वाली थी. पार्थ भी अब अपने अंत पर आ चुका था. उसने कामिनी की गांड को अपने लंड के द्वारा खुलते और बाद होते देखा और फिर एक चिंघाड़ के साथ अपना जीवन द्रव्य कामिनी की गांड की भेंट चढ़ा दिया. अपनी गांड में गिरते हुए हुए इस पानी से कामिनी की गांड को एक शांति मिली और कामिनी को एक असीम तृप्ति.
न चाहते हुए भी कामिनी अब उस राह पर निकल पड़ी जहाँ अब उसे हर दिन ऐसी ही चुदाई की लालसा रहेगी. पार्थ भी अब ये समझ गया था कि आज उसने एक ऐसी आग लगाई है जो कभी न बुझने वाली प्यास को जन्म दे चुकी है. आज कामिनी उसके वश में थी. और वो क्लब की एक और चुड़क्कड़ सदस्या बन चुकी थी जो लंड के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती थी. पार्थ ने इसे जांचने हेतु अपने लंड को कामिनी की गांड से निकालकर उसके होंठों से स्पर्श किया. कामिनी बिना झिझक उसके लंड को चाटने लगी और पार्थ को एक वासनामयी दृष्टि से देखकर लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. पार्थ संतुष्ट था कि उसके स्तबल में एक और घोड़ी जुड़ गयी है जो उसपर सदा के लिए समर्पित है.
अपने लंड को साफ करवाने के बाद पार्थ ने अपने लंड को बाहर निकाला और बाथरूम में जाकर एक छोटा सा स्नान किया. बाहर निकलने पर उसने कामिनी को बाथरूम के लिए प्रतीक्षा में पाया और कामिनी ने भी अंदर जाकर स्नान किया. बाहर आकर वो सोफे पर वैसे ही नंगी बैठ गयी.
कामिनी: “जीवन में मैंने बहुत कुछ अनुभव खो दिए. पर पिछली बार और आज तुमने मुझे उन सुखों से मिलाया जिनकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. और अब मुझे लगता है कि मुझे वे सारे सुख लेने चाहिए. मैं सेक्स के हर आयाम और हर विकृति का अनुभव करना चाहती हूँ. मुझे आशा है कि इस क्लब में मेरी ये यात्रा जारी रहेगी.”
पार्थ ने उठकर उसके होंठ चूमे और टेबल पर रखे हुए फॉर्म पर कामिनी की सदस्यता को स्वीकृति देखा हस्ताक्षर किया. फिर उसने एक बार कामिनी को अपनी बाँहों में लेकर चूमा और उसे भविष्य के लिए शुभकामनायें देकर बाहर चला गया. कामिनी कुछ देर बैठी हुई अपने आगे के जीवन के बारे में विचार करती रही, फिर उसने भी कपड़े पहने और एक नए भविष्य के लिए उस कमरे से बाहर निकल गयी.
आगे भाग तीन में.