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Incest कैसे कैसे परिवार

prkin

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rrakesh262

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prkin

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Thanks Man.
Tonight I may post for Disha ki Sasural also.
 
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prkin

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I always appreciate your efforts.

इवान भाई,
बहुत दिन बाद आपको हमारी याद आई.
😍😍😍
 
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TharkiPo

I'M BACK
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छठा घर: दिया और आकाश पटेल
अध्याय ६.३
भाग ६


*********

अब तक:

दो नगरों के चार कमरों में चुदाई की पूरी भूमिका बन चुकी थी.
दिया के घर पर आलोक और कनिका की चुदाई का एक क्रम पूर्ण हो चुका है. वहीं दिया की भी डबल चुदाई एक बार हो चुकी है. देखते हैं उधर उसकी बहन सिया के घर पर क्या चल रहा है, क्योंकि ऐसा तो हो नहीं सकता कि इस कहानी में कोई बिना चुदाई के छूट जाये.
पर अब सिया और हितेश, माँ और बेटा एक दूसरे के साथ मिलन के लिए बेचैन हो रहे थे. सिया की कुलबुलाती चूत भी हितेश को संदेश दे रही थी, जो इस अल्प आयु में भी स्त्री के अंगों की सांकेतिक भाषा पढ़ने में निपुण हो चला था.
नीलम समझ गयी कि चंद्रेश और प्रकाश के साथ एक लम्बी रात का आरम्भ हो चुका है.

*******
अब आगे:

*******

सिया का घर:

सिया और हितेश:



सिया की कुलबुलाती चूत भी हितेश को संदेश दे रही थी, जो इस अल्प आयु में भी स्त्री के अंगों की सांकेतिक भाषा पढ़ने में निपुण हो चला था. कुछ समय तक अपनी माँ की चूत को प्रेम से देखने के बाद हितेश ने अपने लंड को पकड़ा और सिया की चूत पर लगाया. सिया ने एक गहरी साँस ली और बिना कुछ बोले अपने होंठों से कहा “डाल दे.”
हितेश वैसे भी अब रुकने वाला तो था नहीं, पर सिया के इस निशब्द संकेत ने उसे अपने लंड को अंदर डालते हुए अनुभव किया. माँ बेटे के आनंद का इस समय कोई पर्याय नहीं था.

अभी लंड का केवल टोपा ही अंदर गया था, पर दोनों एक शांति का अनुभव कर रहे थे. एक अवधि के बाद के मिलाप से दोनों आनंदित थे. हितेश का लंड एक धीमी गति के साथ सिया की चूत को बेधता चला गया. सिया उसे प्रेम भरी दृष्टि से देखती रही और होनी चूत में उसके लंड का आव्हान करती रही. हितेश जब रुका तो उसका लंड उसकी माँ की चूत में पूरा समाया हुआ था.

हितेश रुक गया और दोनों एक दूसरे के गुप्तांगों के स्पंदन का आभास करते रहे. कोई शीघ्रता नहीं थी. न किसी ने आना था, न किसी ने टोकना, न उन्हें कहीं जाना ही था आज की रात. एक दूसरे की आँखों में देखते हुए हितेश का अपनी माँ के प्रति प्रेम उमड़ पड़ा. वो आगे झुका और उसने सिया के होंठों से अपने होंठ मिला लिए. लंड को चूत में डाले हुए दोनों एक दूसरे को चूमने में व्यस्त हो गए. अचानक ही हितेश ने अपने लंड को बाहर खींचा और सिया के होंठों को चूमते हुए एक लम्बे धक्के के साथ उसे फिर अंदर पेल दिया.

हितेश को सिया के होंठों का कम्पन अपने होंठों पर अनुभूत हुआ. उसने अपनी जीभ को सिया के मुंह में डाला और अब उनका चुंबन माँ बेटे से अधिक प्रेमियों की श्रेणी में स्थापित हो गया. सिया ने भी हितेश की जीभ को चूसते हुए अपनी स्वीकृति दर्शाई. हितेश अब सिया की लम्बे पर धीमे और सधे हुए धक्कों से कर रहा था. सिया ने अपने दोनों मम्मों को अपने हाथों से ही मसलना आरम्भ कर दिया. हितेश दुविधा में पड़ गया. अगर वो अपनी माँ के मम्मों पर ध्यान देता तो अवश्य ही चुंबन तोड़ना पड़ता. वो इतना अनुभवी भी नहीं था कि चुदाई और चुम्बन के साथ सिया के मम्मे मसल सकता.

सिया ने उसकी इस दुविधा को स्वयं ही दूर कर दिया. उसने हितेश के बाएँ हाथ को अपने स्तन पर रखा और अपना हाथ हटाकर उसके सिर पर रख दिया. अब सिया हितेश के सिर को पकड़े थी और उनके होंठ अभी भी जुड़े हुए थे. हितेश दाएँ हाथ के सहारे उसकी चुदाई कर रहा था और बाएँ हाथ से उसके मम्मों को मसल रहा था. पर इस कारण चुदाई की गति क्षीण हो चली थी. कुछ देर तक यही स्थिति बनी रही.

सिया ने ये समझते हुए कि ऐसा आसन अनुपयोगी है, अपना हाथ हितेश के सिर से हटाया और उसे बोली कि मेरे मम्मे निचोड़ दो. हितेश के चेहरे के आनंद को देखकर सिया को भी लगा कि हितेश भी यही चाहता था. हितेश ने अपने दोनों हाथ सिया के मम्मों पर जमाये और उन्हें मसलते हुए अपनी चुदाई की गति तीव्र कर दी. अब सिया को सच्चा सुख मिल रहा था. एक ओर उसकी चूचियों पर आक्रमण हो रहा था वहीं दूसरी ओर उसकी चूत को भी अपने बेटे के लंड का सुख मिल रहा था.

बहुत समय तक हितेश सिया की इसी आसन में चुदाई करता रहा. दोनों को मानो थकान का बोध भी नहीं था. सिया की चूत अब पानी से लबालब हो चुकी थी और हितेश के लंड के अंदर बाहर होने उसे उसकी थापों की ध्वनि भी बदल चुकी थी. हितेश ने आसन बदलने के लिए सिया से आग्रह किया और सिया ने उसकी बात को मानते हुए तुरंत ही घोड़ी का आसन ले किया. हितेश ने पास पड़े अपने अंडरवियर से सिया की चूत को पोंछा और फिर अपने लंड को उसकी चूत में फिर से पेल दिया। चूत पोंछने के कारण कुछ सीमा तक फिर से तंग लग रही थी और हितेश को चुदाई का आनंद फिर से प्राप्त होने लगा.

इस आसन में वैसे भी वो अधिक नियंत्रण में था और उसका लाभ उठाते हुए वो अपने धक्कों को प्रभावशाली रूप से सिया की चूत में मारने में सफल हो रहा था. सिया को भी इस आसन में अधिक आनंद मिल रहा था क्योंकि पिछले आसन में पाँवों को फ़ैलाने से उसे थकान सी हो चली थी. वो रह रह कर पीछे देखती और हितेश से और गहरी चुदाई करने के लिए आग्रह करती. हितेश अपनी गति और धक्कों की लम्बाई को संभावित रूप से बढ़ा रहा था, पर उसकी सीमा अब समाप्त हो चुकी थी. सिया की भी चूत का रस एक बार फिर से उसी तेजी से निकल रहा था और उन दोनों के संसर्ग मार्ग से गिरता हुआ बिस्तर को गीला कर रहा था.

हितेश से अब और रुका न गया और उसने एक चिंघाड़ के साथ सिया की चूत को अपने वीर्य से भर दिया. सिया भी बिस्तर पर लुढ़क गयी और उसके ऊपर ही हितेश भी जा गिरा.

“तुम्हारा हुआ न, मम्मी?’ हितेश ने पूछा.
“मेरा तो पहले ही हो चुका था, वो तो तेरे लिए ही इतनी देर तक टिकी रही, नहीं तो तू फिर मुझे अलग हो जाता.”

हितेश ने सिया की गर्दन को चूमा और फिर उसके साथ ही लेट गया.

“मैं अलग नहीं हूँ, पर पढ़ाई पूरी किये बिना भी अब नहीं आ सकता. बस अब कुछ और महीनों की ही तो बात है, फिर यहीं लौट आयूंगा और पापा का बिज़नेस में हाथ बाटूंगा.” दोनों यूँ ही लेटे हुए बात कर रहे थे.

“हाँ, उन्हें भी अब तेरी आवश्यकता पड़ेगी, अगर तेरे चाचा चले गए तो. अब तक उनका बहुत सहारा था.”
“मैं समझता हूँ, पर मुझे लगता है कि चाचा के जाने और मेरे आने के मध्य अधिक समय नहीं रहेगा. कुछ दिन तक तो पापा को कठिनाई होगी, पर एक बात और भी है जो अपने अब तक नहीं सोची.” हितेश ने मुस्कुराकर कहा.

“क्या नहीं सोचा, बदमाश!”
“यही कि न जाने कितने वर्षों बाद उस अवधि में आप और पापा अकेले रहेंगे. उस समय का सदुपयोग करना. अब तक हम सबके लिए आप दोनों त्याग करते रहे, अब किसी को बीच में मत आने देना.”

सिया सोच में पड़ गयी. ये सच था. हितेश के जन्म के दो वर्ष बाद से वो और चंद्रेश कभी अकेले नहीं रहे थे. चंद्रेश के पिता की मृत्यु के बाद प्रकाश उनके ही पास जो आ गया था. उसने अपने बेटे को देखा.

“सच कह रहा है, तेरी बात से तो लगता है की तेरे चाचा को जल्दी से जल्दी भगा देना चाहिए. और मैं स्वयं इनके काम में साथ दूंगी. कुछ तो कर ही लूँगी.”

“मम्मी, आप बहुत कुछ कर लोगी. सबसे बड़ी बात ये होगी कि पापा को किसी भी समस्या या कठिनाई में उनके सबसे घनिष्ठ मित्र का साथ रहेगा. ये और भी अच्छा होगा.”

“बेटा, सच में तू बहुत बुद्धिमान है. और हम दोनों के लिए इतना चिंतन करता है. तो इसी बात पर अब मेरी गांड को भी थोक डाल. तेरी प्रतीक्षा में बहुत व्याकुल सी हो गयी है.”

“हाँ हाँ जैसे आज चाचा ने नहीं मारी हो. पर सच में मुझे भी इसकी बहुत याद आती है.”

“तो चल फिर पहले इसे चाटकर अपने अनुकूल बना और फिर पेल दे.” सिया ने वही घोड़ी का आसन फिर से ले लिया और अपनी गांड को लहराकर हितेश को आमंत्रित किया.

हितेश ने अपनी माँ की आँखों में मंडराती वासना और प्रेम की छाया देखि और उसके होंठों को चूमकर उठा और सिया की गांड के पीछे आ गया. सिया की गांड दोपहर की चुदाई के कारण अभी भी कुछ खुली हुई थी पर हितेश को इससे कोई अरुचि नहीं हुई. उसने सिया के नितंबों पर अपनी जीभ से वार किया और एक गोलाकार आकृति में उसकी गांड के छल्ले तक पहुंच गया. सिया ने एक आह भरी और हितेश ने अपने हाथों से उसकी गांड को फैलाते हुए अपनी जीभ से उसे छेड़ दिया.

कुछ ही पल में उसकी जीभ सिया की गांड के भीतर थी और सिया की सिसकियाँ तेज हो रही थीं. अपनी माँ की गांड को कुछ समय तक अपनी जीभ से अनुकूल करने के पश्चात् हितेश ने अपने लंड को सहलाया. उसका लंड आने वाले सुख की कामना से तना हुआ था और फिर अपने मुंह से कुछ थूक निकालकर हितेश ने अपने लंड के टोपे पर लगाया. सिया अब उसके लंड की प्रतीक्षा में थी. और हितेश ने उसकी कामना पूरा करते हुए अपने लंड को उसकी मखमल जैसी गांड पर लगा दिया.

“कैसे मरवाना है अपनी गांड मम्मी?”
“जोर से. नहीं तो दोपहर की चुदाई की खुजली मिटेगी नहीं.”
“जैसा आप कहो.”

और इसी के साथ हितेश ने एक शानदार धक्का मारा और उसका लंड सिया की गांड को चीरता हुआ अंदर चला गया. सिया कुलबुलाकर रह गई. और हितेश ने अब उसकी गांड को बिना दया भावना के पूरी शक्ति के साथ छेदना आरम्भ कर दिया. सिया की खुजली का उपचार अब उसका बेटा उसी रूप में कर रहा था जैसा उसकी इच्छा थी.

हितेश की चक्रवाती गति के आगे सिया ने हाथ डाल दिए और वो भी अपनी गांड का सत्यानाश करने में हितेश का साथ देने लगी. अपनी गांड को पीछे उछालते हुए वो अब हितेश के हर धक्के का बराबर उत्तर दे रही थी. हितेश को अपनी माँ की गांड मारने का अवसर बहुत दिनों के बाद मिला था. उसकी इच्छा तो थी कि वो इसे प्रेम पूर्वक चोदे पर दोपहर की चुदाई के कारण सिया की वासना चरम पर थी. हितेश किसी भी आज्ञाकारी पुत्र के समान अपनी माँ की इच्छा के सामने नतमस्तक था और उसकी गांड को सम्पूर्ण मनोबल और शक्ति के साथ चोद रहा था.

सिया की सिसकारियां अब चीखों में परिवर्तित हो चुकी थीं और हितेश को उनसे और भी अधिक प्रोत्साहन मिल रहा था. अपनी अनियमित और प्रचंड गति से उसने सिया की गांड के तार खोल दिए थे. सिया की इस प्रकार से गांड मारते हुए हितेश ने कोई दस मिनट और लिए. और उसके बाद उसके शरीर ने भी उसे उत्तर दे दिया. उसका लंड सिया की गांड में फूलने लगा और सिया भी जान गई कि अब हितेश झड़ने के निकट पहुंच गया है.

“मुझे अपने लंड का रस का स्वाद देना अब. अंदर मत छोड़ देना.”
“ओके, मम्मी.”

हितेश इसके बाद कोई चार मिनट ही और टिक पाया फिर उसने गति तोड़कर अपने लंड को सिया की गांड में से बाहर निकाल लिया. सिया के सामने जब तक पहुंचता, सिया ने एक पलटी ली और फिर सीधी होते हुए बैठ गई. उसके सामने हितेश का सना हुआ लंड नाच रहा था. उसे बिना हाथ से छुए सिया ने जीभ से चाटा और साफ होने के बाद हाथ में लेकर अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.

हितेश का लंड फिर से फूलने पिचकने लगा और फिर उसे अपना लावा सिया के मुंह में छोड़ दिया. एक बार झड़ चुकने के कारण इस बार मात्रा इतनी ही थी कि सिया सरलता से पी सके और उसने पूरा स्वाद लेकर अपने पुत्र के वीर्य को ग्रहण किया. लंड के शांत होने के बाद उसने एक बार उसे चूमा और चाटकर हितेश को प्रेम से देखा.

“बहुत अच्छा किया जो तू घर आ गया. आज पूरी रात अपनी माँ को चोदकर निहाल कर देना.”

“इसमें कोई शंका ही नहीं कि ऐसा ही होगा. अगर कल आप सीधी चल पायीं तो मेरे लिए शर्म की बात होगी.”

“मुझे भी यही आशा है. वैसे नीलम की स्थिति तो और भी बुरी होने के संभावना है. तेरे चाचा आज कुछ अलग मूड में हैं.”

“फिर तो उनकी खैर नहीं.”

दोनों माँ बेटे इस बात पर हंस पड़े और फिर उठकर बाथरूम में चले गए.



क्रमशः
Behatareen Update dekhte hain neelam ka kya haal hone wala hai... Bechari do bhaiyon ke beech fansi hui hai
 

prkin

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