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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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Hamlog hamesa aapke sath hai bas aap story ko complete kijiyega and story achhi chal rahi hai aur aaj aapne bahut achha update diya hai so thank you so much for your Update
Bechari neelam... Par khushi ki baat hai kuch der ke liye santushti to miliछठा घर: दिया और आकाश पटेल
अध्याय ६.३
भाग ७
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अब तक:
दो नगरों के चार कमरों में चुदाई की पूरी भूमिका बन चुकी थी.
दिया के घर पर आलोक और कनिका की चुदाई का एक क्रम पूर्ण हो चुका है. वहीं दिया की भी डबल चुदाई एक बार हो चुकी है. देखते हैं उधर उसकी बहन सिया के घर पर क्या चल रहा है, क्योंकि ऐसा तो हो नहीं सकता कि इस कहानी में कोई बिना चुदाई के छूट जाये.
सिया और हितेश माँ बेटे का मिलन हो चुका था. और अब हम देखते हैं कि नीलम, चंद्रेश और प्रकाश ने क्या किया.
नीलम समझ गयी कि चंद्रेश और प्रकाश के साथ एक लम्बी रात का आरम्भ हो चुका है.
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अब आगे:
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सिया का घर:
नीलम, चंद्रेश और प्रकाश:
सिया और हितेश नीलम के बारे में बात करके कुछ देर तक बैठे हुए सोचते रहे. उनके मन में एक ही विचार थे. बात ये थी कि प्रकाश अकेलेपन से अब कुछ खिन्न रहने लगा था. और इसी कारण कुछ सीमा तक उसका व्यक्तित्व भी अब कुछ कठोर और आक्रोशित सा हो चला था. सिया के साथ भी वो कई बार कुछ अधिक निर्मम चुदाई करता था, परन्तु चंद्रेश उसे कुछ कुछ वश में रखता था. सिया का पति होने के कारण वो सिया की रक्षा के लिए वचनबद्ध जो था. परन्तु आज नीलम उनके साथ थी. और जहाँ तक सिया ने सही समझा था उसका मुख्य कारण यही था कि चंद्रेश प्रकाश को नीलम के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहता था. और हितेश अभी उस स्थिति में नहीं था कि प्रकाश को कुछ भी करने से रोक सके.
चंद्रेश ने प्रकाश को भी ये बात समझाई कि नीलम घर की अथिति है और प्रकाश को स्वयं पर अंकुश रखना होगा. चंद्रेश ने समझाया कि वो उसे एक सीमा तक नहीं रोकेगा, परन्तु अगर उसके कहने पर भी प्रकाश नहीं रुका तो वो उसी समय इस कार्यक्रम को समाप्त कर देगा. प्रकाश ने अपने बड़े भाई की बात को स्वीकार किया और उसे विश्वास दिलाया कि वो उसकी आज्ञा का उल्लंघन कदापि नहीं करेगा. इस सहमति के पश्चात चंद्रेश और प्रकाश उस कमरे में चले गए जहाँ नीलम रुकी थी. नीलम सम्भवतः अभी बाथरूम में थी, क्योंकि कमरा खाली था. चंद्रेश ने देखा कि टेबल पर एक बोतल और तीन ग्लास रखे थे. एक में कुछ पेय शेष था पर अन्य दो ग्लास उलटे थे.
उसने प्रकाश को देखा और प्रकाश ने आगे बढ़कर तीनों ग्लास में नए पेग बना दिए. नीलम के ग्लास में कम शराब डाली थी क्योंकि उसे पता नहीं था कि उसकी क्षमता कितनी है और वो अब तक कितना पी चुकी थी. उसी समय बाथरूम के द्वार के खुलने की आहट हुई और नीलम बाहर निकली. उसने स्नान किया था और मात्र एक तौलिये में ही लिपटी हुई थी. उसे किसी और के कमरे में होने का ज्ञान नहीं था और उन दोनों को देखकर वो हतप्रभ रह गयी.
“हमने समय नष्ट न करने का निर्णय लिया और जल्दी आ गए. तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है न?” चंद्रेश ने पूछा.
“नहीं भाईसाहब, बस थोड़ा चौंक गई. आपने नई ड्रिंक बना ली है. ये अच्छा किया. अब ये बताइये कि मैं कपड़े पहनूँ या ये तौलिया ही पर्याप्त है.”
“मैं इसे तुम्हारे ऊपर छोड़ता हूँ, जिसमे तुम्हें सुविधा लगे. हाँ अगर तुम इस तौलिये में रहना चाहती हो तो हम भी वैसे ही रहना चाहेंगे.”
“तब तो आप लोग भी बाथरूम में जाकर यही पहन लीजिये. दीदी ने बड़े सारे तौलिये रख छोड़े हैं.”
चंद्रेश और प्रकाश भी कुछ देर में तौलिये पहनकर आ गए और तीनों ने बैठते हुए चीयर्स किया और अपने पेग की चुस्की लेने लगे.
चंद्रेश ने प्रकाश पर अपना ध्यान लगाया हुआ था. आज उसे प्रकाश कुछ अधिक उत्तेजित लग रहा था. पर उसने आरम्भ में कुछ न करने का निर्णय लिया. उसे नहीं पता था कि नीलम किस प्रकार के व्यभिचार से संतुष्ट होती है. स्वाभाविक दिखने वाले लोग भी चुदाई के समय कई बार अलग ही रूप धारण कर लेते हैं, इसीलिए उसने प्रतीक्षा करने में ही भलाई समझी. दो पेग पी लेने के बाद दोनों भाई अपने बीच में बैठी नीलम के शरीर से खेलने लगे. जहाँ चंद्रेश ने उसके मम्मों को अपने हाथों में लिया वहीं प्रकाश के हाथ नीलम के तौलिये को हटाकर उसकी चूत को रगड़ रहे थे. नीलम भी इसके कारण अब चुदासी हो उठी थी और वो अपनी गांड मटका रही थी.
चंद्रेश ने नीलम के तौलिये को अलग किया और अपने मुंह से उसके मम्मों को चूसने लगा. नीलम ने एक हाथ से उसके सिर को दबा लिया, पर बहुत हल्के से, इसी कारण चंद्रेश एक एक करके दोनों चूचियों को चूसने में लगा रहा. वहीं अब प्रकाश की ऊँगली नीलम की चूत में जाकर उसे चोद रही थी. नीलम की चूत की सुगंध से कमरा महक उठा था. प्रकाश ने अपने भाई को देखा और फिर खड़ा हो गया. उसके अपना तौलिया हटा दिया और उसका लंड उछलकर सामने आ गया. नीलम ने अपने मुंह के सामने लंड देखा तो उसकी लार टपक गई, पर चंद्रेश के बीच में रहते हुए वो कुछ कर नहीं सकती थी. चंद्रेश ने इस समस्या का समाधान किया और वो भी उठ गया और तौलिया हटाकर नंगा हो गया. अब नीलम के सामने दो लौड़े नाच रहे थे.
दोनों भाई उसके दो ओर खड़े हो गए और नीलम ने उनके लौंड़ों को चाटकर उनका स्वाद लिया. इस स्वाद से वो भलीभांति परिचित थी. कुछ देर तक यूँ ही चाटने के बाद वो एक एक करके दोनों लौंड़ों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. पहले एक को चूसती फिर दूसरे को. उसकी इस क्रिया में धीरे धीरे गति बढ़ रही थी और उसके साथ ही दोनों लौंड़ों का तनाव भी. अचानक जैसे ही उसने प्रकाश के लंड को मुंह में लिया, प्रकाश ने उसके सिर को पकड़ा और अपना पूरा लंड उसके मुंह में घुसा दिया. इस कारण नीलम की साँस रुक सी गई, परन्तु वो इस प्रकार से भी लंड चूस चुकी थी, इसीलिए आरम्भिक आश्चर्य के बाद उसने अपने गले को खोला और प्रकाश के लंड का स्वागत किया. चंद्रेश के लंड को उसने अब हाथों से सहलाना आरम्भ किया.
प्रकाश नीलम के मुंह को अब तीव्रता से चोद रहा था, पर उसका आक्रोश इस बात पर बढ़ रहा था कि नीलम किसी प्रकार से भी आहत नहीं लग रही थी, बल्कि वो इसे बड़ी सरलता से झेल रही थी. प्रकाश ने नीलम के बालों को पकड़ा और इस बार अपना लंड स्थाई रखते हुए उसके बालों से पकड़कर नीलम के मुंह को अपने लंड पर बाहर अंदर करने लगा. इस बार नीलम को कुछ असुविधा हुई और उसकी गुं गुं की ध्वनि ने चेताया कि उसे कठिनाई हो रही है. प्रकाश के आक्रोश में कुछ कमी हुई, पर वो बिना रुके नीलम के चेहरे की चुदाई करता रहा. जब चंद्रेश को लगा कि इतना बहुत है तो उसने प्रकाश को कहा कि उसे भी अपना लंड चुसवाना है. प्रकाश ने संकेत समझा और अपने लंड को नीलम के मुंह से निकाला और उसके दोनों गालों पर थप्पड़ के समान मारा और हट गया.
चंद्रेश ने नीलम को देखा तो उसकी आँखों में आँसू थे, पर ये उसकी साँस रुकने के कारण निकले थे. नीलम ने पलटते हुए चंद्रेश के लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी. पर अभी नीलम को चूसते हुए कुछ ही देर हुई थी कि प्रकाश बोल उठा, “बिस्तर पर चलते हैं.” नीलम ने जैसे ही अपने मुंह से चंद्रेश का लंड निकाला उसे अपने बालों में एक झटका सा लगा और प्रकाश उसे बालों से खींचकर बिस्तर को ओर ले गया. हालाँकि नीलम ने बहुत शीघ्र वस्तुस्थिति को समझ लिया था और वो तुरंत ही घुटनों के बल बिस्तर की ओर चल दी थी, पर उस झटके के कारण उसे कुछ दर्द हुआ और अब इस प्रकार खींचे जाने पर भी हो रहा था. सौभाग्य से बिस्तर पास में था और नीलम की ये दुर्दशा शीघ्र ही दूर हो गयी. वो बिस्तर पर चढ़ी ही थी कि प्रकाश ने उसे घोड़ी बनने का आदेश दिया. नीलम ने बिना आपत्ति किये हुए आसन लिया.
चंद्रेश समझ गया था कि क्या होने वाला है, पर वो भी नीलम की सहन शीलता को देखना चाहता था. अभी तक नीलम ने ऐसा कुछ नहीं दर्शाया था कि उसे किसी भी कृत्य में आपत्ति है. वो बिस्तर पर चढ़ा और नीलम के सामने बैठ गया. नीलम ने उसके लंड को अपने मुंह में लिया और अपना पूर्व बाधित कर को फिर आरम्भ कर दिया. उसे अभी भी अपने बालों में हल्का सा दर्द था, पर इससे पहले कि वो इसके लिए चिंतन करती उसे अपनी गांड के छेद पर कुछ छूता हुआ अनुभव हुआ. उसे ये समझने में देर नहीं लगी कि प्रकाश उसकी गांड को चाट रहा है. और इस आनंद से उसकी गांड लुप लुप करने लगी और प्रकाश ने भी अपनी जीभ के प्रहार को तेज कर दिया.
चंद्रेश ने नीलम के सिर पर हाथ रखा और उसे अपने लंड पर केंद्रित किया. नीलम के पीछे प्रकाश खड़ा हुआ और नीलम को इस बात की भनक भी न लग पाई. प्रकाश ने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया पर नीलम की गांड को यूँ ही रहने दिया. उसे सुखी गांड मारने में अधिक आनंद आता था, हालाँकि गांड मरवाने वाली स्त्री को कई बार इसमें अत्यधिक कष्ट होता था. पर प्रकाश इस बात से अनिभिज्ञ रहता था या यूँ समझें कि वो इसका नाटक करता था. प्रकाश ने नीलम की गांड पर अपने लंड को लगाया ही था कि चंद्रेश ने अपने लंड को नीलम के मुंह से निकाला और नीलम के सर को कुछ और जोर से पकड़ लिया.
नीलम को अब कुछ कुछ समझ आने लगा था कि क्या हो रहा है. उसने अपनी गांड को हटाने का प्रयास किया पर प्रकाश ने उसकी गांड में अपने लंड को डाल दिया था. अभी क्योंकि केवल सुपाड़ा ही प्रविष्ट हुआ था तो नीलम को कुछ असहजता अवश्य हुई, पर उसने समय की गंभीरता को देखते हुए अपनी गांड को बिलकुल ढीला छोड़ दिया. ये उसकी बुद्धिमता ही थी कि उसने समय से इस कार्य को सम्पूर्ण किया क्योंकि अगले ही पल प्रकाश ने लंड को कुछ बाहर खींचते हुए एक दुर्दांत धक्का मारा और उसके आधे से अधिक लंड ने नीलम की गांड को चीरते हुए अंदर प्रवेश कर लिया.
नीलम ने अपने होंठ भींच लिए और इस दर्द को सहन करने की चेष्टा करने लगी. चंद्रेश ने भी नीलम के मुंह से अपने लंड को निकलकर बुद्दिमानी की थी अन्यथा उसका लंड नीलम के दाँतों से दबकर चोटिल हो सकता था. चंद्रेश नीलम से किसी प्रकार की याचना की अपेक्षा कर रहा था, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था. दूसरी ओर प्रकाश ने फिर अपने लंड को बाहर निकालते हुए एक और शक्तिशाली धक्का मारा और इस बार उसका लंड नीलम की गांड में पूरा बैठ गया.
नीलम की गांड में एक तेज जलन सी हुई और पीड़ा से उसका शरीर ऐंठ गया. उसके दाँत अब तक भींचे ही हुए थे और वो स्वयं को संयत करने का प्रयास कर रही थी. पर गांड से उठती हुई पीड़ा की लहरें और एक तीव्र जलन उसके मन मस्तिष्क के ऊपर अब एक अँधेरे का आवरण पहना रही थी. उसने फिर से अपनी गांड को हटाने का प्रयास किया, पर इसका अब कोई लाभ नहीं था. उसकी गांड में प्रकाश का लंड जमा हुआ था और निकलने की कोई आशा भी नहीं थी.
उसके दाँत अब ठिठुरते हुए से बज रहे थे. प्रकाश ने अपने लंड को बिना हिलाये इसी अवस्था में कुछ तक रहने दिया. नीलम की पीड़ा कुछ कम हुई और उसे अपने आसपास का ज्ञान हुआ. उसे एक अत्यंत सुखद सी सांत्वना देती हुई ध्वनि सुनाई दी.
“बस हो गया, नीलम. बस हो गया.” ये चंद्रेश का स्वर था और इसे सुनकर नीलम को भी कुछ सांत्वना मिली. उसकी गांड की जलन और पीड़ा अब सहने के स्थिति में थी. उसके मुंह से एक कराह सी निकली और उसकी साँस धीरे धीरे सामान्य हो चली.
प्रकाश ने नीलम की स्थिति को समझा और फिर अपने लंड को बाहर निकाला और एक ही धक्के में फिर अंदर कर दिया. नीलम की चीख ने इस बार कमरे को हिला दिया। पर प्रकाश अब पाशविक रूप ले चुका था और वो अपने लंड की पूरी लम्बाई और चौड़ाई से नीलम की आहत गांड पर आघात पर आघात किये जा रहा था. नीलम अब पीड़ा की पराकाष्ठा पर कर चुकी थी और शनैः शनैः आनंद के सागर में प्रवेश कर रही थी. इस समय वो ऐसी स्थिति में थी जहाँ पर पीड़ा और आनंद का समागम होता है. कभी सुख कभी पीड़ा.
नीलम ने कुछ देर बाद चंद्रेश के लंड को ढूंढा और फिर से उसे चूसने लगी. प्रकाश का लंड अब उसकी गांड में उतनी पीड़ा नहीं दे रहा था और उसे अब कुछ कुछ आनंद की अनुभूति भी हो रही थी. चंद्रेश के लंड को चूसने से उसे जो रही सही पीड़ा थी उसका भी भान नहीं रहा. प्रकाश ने जब देखा कि नीलम उसके लंड से व्यथित नहीं है तो उसने इस खेल को अगले चरण में ले जाने का निर्णय लिया.
“भैया, आप भी आ जाओ, नीलम की चूत भी तो सुलग रही होगी चुदाई के लिए. उसे क्यों नहीं चोदते आप?” प्रकाश ने चंद्रेश से कहा.
चंद्रेश ने नीलम के सिर पर हाथ रखा और धीमे से उसके मुंह को अपने लंड पर से हटाया. नीलम ने भी कोई आनाकानी नहीं की. चंद्रेश ने प्रकाश को संकेत किया तो प्रकाश ने अपने लंड को नीलम की गांड से निकाला और नीलम को उठने के लिए कहा. नीलम उठी तो चंद्रेश लेट गया और फिर नीलम ने अपनी चूत को चंद्रेश के लंड के ऊपर साधा और बैठती चली गई. उसे चंद्रेश के पूरे लंड को अंदर लेने में कोई दुविधा नहीं हुई.
नीलम ने चंद्रेश के लंड पर कुछ देर उछलकर जब उसे अपनी चूत में सही से बैठा लिया तो वो आगे झुक गई. वो जानती थी कि प्रकाश की इच्छा क्या थी और वो स्वयं इन दोनों भाइयों से दोहरी चुदाई करना चाह रही थी. कई दिनों के सन्यास ने उसकी कामोत्तेजना को भड़का दिया था और दोपहर में हितेश से चुदने के बाद भी उसके शरीर की आग ठंडी नहीं हुई थी.
“जैसे ये कभी ठंडी होगी भी.” उसने मन ही मन सोचा और प्रकाश के आक्रमण के लिए तैयार हो गई. प्रकाश भी इसी समय की प्रतीक्षा में था. ऐसा कम ही होता था कि एक ही दिन में उसे दो दो स्त्रियों के साथ दोहरी चुदाई का अवसर मिले और उसमे भी उसे दोनों बार गांड मारने मिले. उसने अपने लंड को नीलम की खुली हुई गांड पर रखा और इस बार भी एक तगड़े झटके के साथ ही पूरे लौड़े को गांड में उतार दिया. नीलम अब उसकी इस पाशविक सोच को समझ चुकी थी और उसने एक चीख के साथ उसके लंड का स्वागत किया.
“चोदो अब मुझे तुम दोनों मादरचोद. फाड़ दो मेरी चूत और गांड. देखूं तो क्या सोचकर सिया दीदी तुम दोनों से हर दिन मरवाती हैं.” उसने दोनों को छेड़ने के उद्देश्य से ये सब कहा था. और जैसी अपेक्षा थी उसका परिणाम भी वही हुआ. चंद्रेश जो अब तक उसका सहायक था इस बात से वो भी चिढ़ गया. उसने अपने लंड को उसकी चूत में तीव्रता से अंदर बाहर करना आरम्भ किया. प्रकाश तो पहले से ही आक्रोशित था तो उसपर इस कथन ने आग में घी डालने का काम किया.
अब नीलम की चूत और गांड की दोनों ओर से भयंकर धुनाई हो रही थी. उसकी चीखों ने कमरे में आतंक सा मचाया हुआ था. उसकी चीखें इतनी तेज थीं कि घर के दूसरे कोने में भी उनका रुदन सुनाई दे रहा था. हितेश और सिया ने एक दूसरे को देखा और सिया ने बोला कि लगता है तेरी नीलम मौसी की आज पलंग तोड़ चुदाई हो रही है. हितेश ने भी उसकी हाँ में हाँ मिले और अपने लंड से सिया की चूत में हल चलाने में कोई कमी नहीं की,
नीलम को कुछ क्षणों के लिए लगा था कि उसने इन दोनों को चढ़कर गलती कर दी है. पर फिर उसके शरीर ने इस निर्मम चुदाई से आनंद के अवशेष निकाल लिए. और धीरे धीरे वो अवशेष बढ़ते गए और उसके पूरे व्यक्तित्व को आनंद के महासागर में ले गए. नीलम की चीखों ने अब आनंद की सिसकारियों और किलकारियों को स्थान दे दिया था. दोनों भाई एक सधी ताल में उसे चोद रहे थे और नीलम उस बहाव में बह रही थी. आनंद की पराकाष्ठा अगर किसी स्त्री को अर्जित करनी हो तो उसे अपनी चूत और गांड में एक साथ लौंडों से चुदाई करवानी चाहिए. आरम्भ में इसमें अवश्य कठिनाई हो सकती है, परन्तु इसका अंत केवल चूत या गांड मरवाने से कहीं अधिक होता है.
यही नीलम को अब अनुभव हो रहा था. उसकी चूत और गांड के बीच की झिल्ली जिसे अकेला लौड़ा कभी उस प्रकार नहीं घिस सकता था, दो लौंड़ों के उसके दो ओर होने के कारण पूरा ध्यान मिल रहा था. चंद्रेश और प्रकाश भी एक दूसरे के लौड़े के साथ अंदर मिलाप कर रहे थे और उन्हें भी अत्यधिक आनंद मिल रहा था. प्रकाश चूँकि बहुत समय से चुदाई कर रहा था तो उससे अब रुका नहीं जा रहा था. उसने तेज धक्कों के साथ नीलम की गांड में अपना पानी छोड़ ही दिया. उसके बाद भी वो उसकी गांड में लंड चलाता रहा जिसके कारण उसका रस झाग के रूप में नीलम की गांड के बाहर निकलने लगा. जब तक उसके लंड में शक्ति रही उसने धक्के लगाए पर उसके बाद अपने सिकुड़ते लंड को बाहर निकाल कर हट गया.
उसके हटते ही चंद्रेश ने नीलम की कमर को पकड़ कर बिना अपने लंड को बाहर निकाले पलटी मारी और अब नीलम नीचे थी और वो ऊपर. इस आसन में वो अब और भी तीव्र चुदाई कर सकता था और नीलम की चूत को अपने जीजा की शक्ति का फिर से उदाहरण मिला. चंद्रेश के लंड ने नीलम के कई ऐसे स्थानों को छुआ जो उसे ज्ञात भी नहीं था कि उसकी चूत में उपस्थित थे. चंद्रेश का लंड बहुत अधिक बड़ा नहीं था, परन्तु उसकी चुदाई की कला का ही ये जादू था कि उससे चुदने वाली हर स्त्री को यही अनुभव होता थे. कला, शक्ति और गहराई से चुदाई करने में चंद्रेश का कोई पर्याय नहीं था.
नीलम झड़ते झड़ते अब तक चुकी थी, पर उसे अपनी चूत की गर्मी को दूर करने के लिए भीतर सिंचाई भी करवानी थी. उसने भी अपनी कमर उछालकर चंद्रेश का साथ दिया. इसके फलस्वरूप, इस चुदाई का अंत अगले दस मिनट में हुआ जब चंद्रेश के लंड के रस ने नीलम की प्यासी चूत की धरती पर वर्षा की और उसे ठंडा कर दिया.
झड़ने के उपरांत चंद्रेश भी हट गया और सोफे पर प्रकाश के पास जाकर बैठ गया. नीलम बहुत देर तक यूँ ही पड़ी रही और अपने दोनों छेदों से उठ रही आनंद की लहरों का सुख लेती रही. फिर वो भी उठी और दोनों चुड़क्कड़ भाइयों को देखा जो अब सोफे पर बैठे पेग मार रहे थे. उसने उनके मुरझाये लौंड़ों को देखा जो अब भी उसके रस से चमक रहे थे. वो उठी और उनके सामने बैठकर उनके लौंडों को चाटने लगी. अपने दोनों छेदों के स्वाद पाने के बाद उसने सिर ऊपर उठाकर उन्हें देखा. चंद्रेश के हाथ में उसके लिए एक पेग था. नीलम ने उसे लिया और एक ही घूँट में समाप्त कर दिया।
चंद्रेश उसके लिए एक और पेग बनाने लगा, नीलम उठकर उन दोनों को सरका कर उनके बीच में बैठ गई.
“बहुत दिन बाद ऐसी चुदाई हुई है. बहुत मजा आया आप दोनों के साथ.” अपने अगले पेग को लेते हुए उसने कहा.
“हम दोनों को भी.”
“अब अगले राउंड के लिए आपको कितना समय चाहिए” नीलम ने उनसे हँसते हुए पूछा.
“लालची.” चंद्रेश ने कहा, “बस कुछ ही देर ठहरो फिर तुम्हारी माँ चोद देंगे.”
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इस प्रकार से दो नगरों के चार कमरों में चुदाई की शृंखला पूर्ण हुई. अगले तीन दिनों तक नीलम और सिया की चंद्रेश, प्रकाश और हितेश ने भरपूर चुदाई की. उसके बार वो योजना के अनुसार नीलम को लेकर उसके घर के लिए निकल पड़े. प्रकाश को अभी ज्ञात नहीं था पर उसके जीवन में एक बड़ा परिवर्तन आने वाला था. उसने नए नगर में व्यवसाय को स्थापित करने की योजना को सहर्ष स्वीकार कर लिया था. उसके मन में ये भी विचार था कि अब सिया अगर छूट भी गई तो दिया और कनिका जो मिल जाएँगी. फिर उसका ध्यान आकाश और आकार की सेक्रेटरी की ओर भी गया. उसे विश्वास था कि उसे उन दोनों के साथ भी चुदाई का अवसर अवश्य मिल जायेगा.
“वैसे भी मैंने भाई भाभी को कभी अकेले नहीं रहने दिया. अब ये दोनों भी एक दूसरे के साथ मन लगाकर रह पाएंगे.” उसे मन में एक विचित्र सी शांति का अनुभव हुआ. “काश मेरा भी कोई साथी होता जिसके लिए मेरा भी जीवन समर्पित होता.”
उसके मन की इच्छा कितने शीघ्र पूर्ण होने वाली थी अगर उसे इसका आभास होता तो उसकी मन की शांति में संतुष्टि भी जुड़ जाती.
चार घंटे बाद पाँचों नीलम के बंगले पर पहुंच गए.
क्रमशः अगले परिवार की ओर