- 5,387
- 6,114
- 189
कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
Please read and give your views.
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
Please read and give your views.
Last edited:
Update Posted.Take your time..
Update Posted.Bhai family me piss drinking ka v khel hona chahiye maza aaega.... please bhai story update kro
Thanks Bhai..sorry kehne ki zaroorat nahi hain..aap busy the..i can understand. Thanks a lot for the update..padh kar comment karta hoonMass Bhai,
Sorry for delay.
Update Posted.
Please enjoy and give comments.
That will help me give quicker updates.
बहुत ही रोचक और कामुक अपडेट। लगता है मेहुल ने शोनाली को फोन किया था आदेश और प्रस्ताव के लिए।आठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी
अध्याय ८.३.९
************
अब तक:
महक की अपने भावी ससुर और सास के साथ चुदाई का एक क्रम हो चुका था. सुजाता के घर में दूसरा क्रम समाप्त हुआ था. नूतन अभी तक मेहुल के क्लब की सदस्य महिलाओं के चुदाई के प्रति झुकाव से अवगत करा रही थी और इस शृंखला में अभी कुछ और रहस्य बताये जाने शेष थे.
अब आगे:
************
नूतन और मेहुल:
नूतन ने अगला वीडियो आरम्भ करने से पहले मेहुल से कहा कि वो आँखें बंद रखे और जब वो कहे तब खोले.
नूतन: “मैं ये तुम्हें आरम्भ से नहीं दिखाना चाहती. कुछ आगे करने के बाद दिखाऊँगी।”
मेहुल: “अब और कितने दिखाओगी, कब से तुम्हारी मखमली गांड की आशा से मेरा लंड तेदेपा रहा है.”
नूतन: “इसीलिए मैं तुम्हें पूरे नहीं दिखा रही, क्लब में महिलाओं की क्या रूचि है ये जानना भी आवश्यक है. ये और अगला वीडियो कुछ विशेष विकृतियों के बारे में है. इनके लिए हम केवल उन्हीं रोमियो को चुनते हैं जो ये खेल खेल सकते हैं. अन्यथा नहीं.”
मेहुल ने समझते हुए, “ठीक है. पर अब तक मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा जो मेरे लिए कठिन हो.”
नूतन: “ये अच्छा है, पर अब आँखें बंद करो.”
मेहुल ने आँखें बंद कर लीं और नूतन ने सही स्थान पर वीडियो लेकर रोका और मेहुल से ऑंखें खोलने के लिए कहा।
कमरा अभी खाली ही था, पर शीघ्र ही बाथरूम का द्वार खुला और उसमें से एक स्त्री बाहर निकली. उसके आँखों पर एक मुखौटा था. वो नंगी तो थी ही, पर वो इस समय घुटनों के बल चल रही थी, और तो और उसके गले में एक पट्टा बंधा हुआ था, जैसे कुत्तों को बंधा जाता है. उस पट्टे की रस्सी किसी के हाथ में थी. जब वो कमरे में आगे आई तो उसके पीछे एक पुरुष था जो उस पट्टे को पकड़े हुए था. उसने भी मुखौटा पहना था और वो भी नंगा ही था.
उनके आगे आने पर मेहुल ने देखा कि कमरे में इस बार गद्दा बिस्तर पर तो था ही, एक नीचे भी बिछा हुआ था. वो स्त्री उस गद्दे पर आकर रुक गई और अपना मुंह नीचे करके कुत्ते के समान ही बैठ गई. नूतन ने मेहुल को देखा तो उसने मेहुल की आँखों में एक विषैली चमक देखी। उस स्त्री के सामने उस पुरुष ने एक स्टूल रखा और उसपर बैठ गया.
“तुम जानती हो न कि आज तुम्हें तुम्हारे व्यवहार का दंड मिलेगा?”
“जी.”
“बहुत अच्छा. तुम जानती हो कि तुम्हारे दण्ड का क्या नियम है. तो अब आरम्भ करते हैं.”
“ये पति पत्नी हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं ये तुम्हें आगे देखकर पता चल जायेगा.” नूतन ने समझाया.
उस महिला ने अपना चेहरा उठाया और फिर अपने पति के पैर चाटने लगी. दोनों पैरों को चाटने के बाद उसने ऊपर देखा तो पति का लंड अब पूरे आक्रोश में था. पति ने स्टूल को आगे किया और लंड को पत्नी के मुंह के सामने ले आया. अपने मुंह में लेकर चूसते हुए पत्नी के मुंह से गप्प गप्प की ध्वनि आ रही थी. परन्तु अधिक देर तक चूसने का अवसर नहीं दिया गया.
“इतना पर्याप्त है, अब तुम्हारे दण्ड का समय आ गया है.”
ये सुनकर पत्नी ने अपने कूल्हे ऊपर उठा लिए. पति उठकर उसके पीछे गया और उसकी चूत में उँगलियाँ डालकर उसे चोदने लगा. पत्नी के मुंह से सिसकियाँ निकलने लगीं. अपनी उँगलियों को बाहर निकलकर पति ने लंड को उसकी चूत में एक ही धक्के में डाल दिया. पत्नी आगे की और गिर पड़ी, पर तुरंत संभलकर पूर्व आसन में आ गई.
“गुड गर्ल.” पति ने कहा और उसे तेजी से चोदने लगा. पर इस बार भी उसने अधिक देर तक चुदाई नहीं की. लंड बाहर निकाला और उँगलियों से चूत से ढ़ेर सारे रस को बटोरकर पत्नी की गांड पर लगाया. पत्नी कसमसाने लगी.
“वैसे तो तुम्हारी गांड सूखी ही मारनी चाहिए, पर आज तुमपर मुझे दया आ गई है.” पति ने कहा और फिर अपने लंड को गंद पर लगाया और पहले कुछ इंच तक बहुत धीरे से लंड डाला। फिर अचानक एक ही बार में एक धक्के में ही पूरा लंड पेल दिया. पत्नी फिर आगे गिर गई पर इस बार उठी नहीं। पति पूरी शक्ति के साथ उसकी गांड मारने में जुटा रहा.
मेहुल को समझ नहीं आ रहा था कि इसके लिए उन्हें नूतन के घर आने की क्या आवश्यकता पड़ी थी. दस मिनट की दमदार चुदाई के बाद जब पति झड़ने को हुआ तो उसने लंड को बाहर निकाला और फिर से स्टूल पर जा बैठा. पत्नी ने सिर उठाकर उसके लंड को मुंह में लिया और चाटने लगी. तभी कमरे का द्वार खुला और दो रोमियो अंदर आ गए.
“आओ, इस रंडी ने मुझसे छल किया है. और अब इसे दण्ड दिया जा रहा है. क्या तुम दोनों भी मेरी सहायता करोगे.”
“जी, सर.” बताएं क्या करना है.”
तुम्हारे सामने इसकी चूत और गांड है, तो चोदो जी भर कर. आज हम तीनों इसे चोद चोद कर इसके किये का भुगतान करेंगे.”
दोनों रोमियो शीघ्र ही नंगे हो गए. उन्हें पहले ही बता दिया गया था कि उनकी भूमिका क्या है. एक रोमियो नीचे लेटा और पत्नी को दूसरे ने सहारा देकर उसके लंड पर बैठा दिया. इसके बाद दूसरे ने अपने लंड पर जैल लगाया और उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया. पति ने अपने लंड को फिर से मुंह में डाला और अब तीनों उसे चोदने में व्यस्त हो गए.
नूतन ने वीडियो आगे बढ़ाया तीनों पुरुष उसे चोदते रहे, पर केवल पति के ही लंड को उसके मुंह में जाने का सौभाग्य मिला. पति ने आगे भी उसकी चूत और गांड मारी, और इस समय एक रोमियो अलग खड़ा रहा. चुदाई लगभग दो घंटे चली, बीच में विराम भी लिया गया, पर पत्नी को केवल एक बार बाथरूम जाने की अनुमति मिली और वो घुटनों के बल ही गई और आई.
चुदाई समाप्त हुई तो पति ने दोनों रोमियो को जाने के लिए कहा और पत्नी को रस्सी से लेकर पहले जैसे बाथरूम में ले गया. इसके कुछ देर बाद दोनों बाहर आये तो वो अब नंगे तो थे पर मुखौटे नहीं थे. मेहुल दोनों को पहचान गया. वो महिला एक सम्मानित विधायक थी जो महिला सशक्तिकरण की पक्षधर थी. मेहुल को इस अपवाद पर हंसी आ गई.
“बाहर जो दिखते हैं लोग, वैसे होते नहीं. ये अपने पति की अधीनता से संतुष्ट होती हैं. और ये क्लब कभी नहीं जातीं। केवल पहले दिन ही इंटरव्यू के लिए गई थीं, और उसके बाद कभी नहीं. यहाँ या अन्य दो क्लब प्रबंधक के घर ही जाती हैं. अपने पति के सामने या साथ ही चुदवाती हैं. मुंह में पति के सिवा किसी का लंड नहीं लेतीं। पति को इन्हें दूसरों से चुदवाती देखने में आनंद आता है.”
“सच में संसार में किस किस प्रकार के लोग रहते हैं और कैसी कुंठाओं से ग्रस्त हैं.” मेहुल ने कहा और नूतन ने वीडियो बंद कर दिया.
“एक बात है, आप आगे अगर कोई और वीडियो चलाने वाली हैं तो पहले मेरे लंड को चूसकर शांत कर दें. कब से अपनी गांड की कल्पना से तना हुआ है.” मेहुल ने कहा और इसे नूतन ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
नूतन मेहुल के लंड चूसने में जुट गई और मेहुल आँखें बंद किये हुए अब तक के देखे हुए वीडियो का मन ही मन विश्लेषण करने लगा. ये तो उसे समझ आ ही गया था कि क्लब में स्त्रियों की न केवल काम वासना को तृप्त किया जाता था, बल्कि उनकी कुंठाओं का भी पोषण किया जाता था. उसे केवल एक ही चिंता थी कि इस प्रकार की स्त्रियों के समागम के पश्चात क्या रोमियो अपने जीवन में आगे जाकर कभी सादे सेक्स का आनंद ले पाएंगे? वो स्वयं इस बात का उदाहरण था. परन्तु उसने इस विषय को कभी और सोचने के लिए छोड़ दिया. वैसे भी अब समुदाय में सम्मिलित होने के बाद सादे सेक्स के अवसर कम ही रहने वाले थे. उसके परिवार की ही जीवनशैली सादी तो किसी भी प्रकार से नहीं थी.
नूतन ने उसके लंड को चूसकर उसका रस पी लिया और फिर मेहुल के साथ बैठ गई.
“कुछ आराम मिला?”
मेहुल ने हामी भरी तो नूतन ने फिर से रिमोट उठा लिया.
“फिर से आँखें बंद करो. ये भी कुछ कुछ पिछले जैसा ही है पर एक बड़ा परिवर्तन है.”
मेहुल ने आँखें बंद कर लीं पर उसे समझ आ गया कि इस बार क्या होगा.
सुनीति का घर:
सुनीति और महक अब एक दूसरे से खुल गए थे. आशीष भी अपनी पत्नी के अपनी भावी बड़ी बहू के साथ के वार्तालाप को सुन रहा था. उसे आज ये आभास हुआ था कि उसके पिता या उसके ससुर को किस प्रकार की भावना रही होगी जब उन दोनों का विवाह निश्चित हुआ था. उसके मन में आनंद की एक नई लौ थी. सुनीति और महक बातें कर रही थीं जैसे एक परिवार में जुड़ने पर उसके बारे में बताया जाता है.
सुनीति, “मैं तुम्हारी मम्मी से बात करूंगी कि जब तक विवाह सम्पन्न नहीं होता तब तक वो तुम्हें इसी प्रकार से सप्ताह में एक या दो दिन हमारे पास आने की अनुमति दे दें.”
“दो तीन दिनों में मेरे माता पिता भी यहीं आ रहे हैं. कई वर्षों के बाद उन्होंने यहाँ आना स्वीकार किया है, पुराने विचारों के कारण अब तक रुके हुए थे. पर इस बार जब पापाजी, यानि इनके पिताजी जब गाँव गए तो उन्हें मनाने में सफल रहे थे. अभी तो केवल दो माह के लिए आने के लिए माने हैं, पर हम सब यही चाहते हैं कि वे अब यहीँ रहें. देखें क्या होता है. सम्भव है कि तुमसे मिलने के बाद वे इस पर विचार करें. उन्हें भी अपने नातियों के बच्चों से खेलने का मन तो करेगा ही.” सुनीति ने मुस्कुरा कर कहा तो महक शर्मा गई.
“अरे सुनीति, कहाँ अभी से इस फूल सी बच्ची को माँ का दायित्व देना चाहती हो. अभी तो इसके खाने खेलने के दिन हैं.” आशीष ने हँसते हुए कहा.
“मुझे पता है आपके खेल का अर्थ. आपको तो बस एक ही ध्यान रहता है.”
“मेरा वो तात्पर्य नहीं था, पर अगर इतनी सुंदर स्त्रियां सामने हों तो ऐसा न सोचना भी एक अपराध ही, है न महक?” आशीष ने कहा.
“जी पापाजी.” महक ने कहा.
“क्या? तुम एक बार में ही इनका पक्ष लेने लगीं? मेरे बारे में कोई सोच नहीं है?” सुनीति ने गंभीर स्वर में कहा.
महक घबरा गई कि ये क्या हो गया, कहाँ पति पत्नी के बीच में फंस गई. वो कुछ कहने ही वाली थी कि सुनीति और आशीष ठहाके मार कर हंसने लगे.
“अरे तुम घबराओ मत. ये तो हमारे ठिठोली करने का ढंग है.”
ये सुनकर महक शांत हुई और सुनीति के सीने में मुंह छुपा लिया.
“वैसे अगले सप्ताह तुम्हारी भेंट इनके पिता और मेरे माता पिता से होगी, अन्य सबसे भी तुम उचित रूप से मिलोगी.” सुनीति के इस कथन से महक को कुछ आभास हो गया कि ये मिलन किस प्रकार का होगा.
इसके बाद सुनीति ने अपने और आशीष के माता पिता के बारे में बताया. उनकी घनिष्ठ मित्रता और गाँव में उनके मित्र समूह के बारे में भी बताया. महक जो कभी गाँव में नहीं रही थी ये सुनकर अचरज में पड़ गई कि वे सब अपने गाँव में इतने वर्षों से इस प्रकार से उन्मुक्त सेक्स का आनंद ले रहे थे.
“गाँव को इतना पिछड़ा मत समझो. वो कई मापदंडों में नगरों से भी आगे हैं. वैसे तो मुझे अपने परिवार और उनके मित्रों के ही बारे में पता है, पर आश्चर्य नहीं होगा कि ये अन्य परिवारों के बीच भी चलता हो. वहाँ भी कई मित्र मंडलियाँ हैं. वैसे मेरी माँ तुमसे मिलकर बहुत प्रसन्न होंगी. उन्हें तो कबसे अपने नातियों की बहुओं के आने की प्रतीक्षा है. उन्हें ये तो पता है कि असीम का विवाह तय हो गया है, पर ये नहीं पता कि तुम्हारे परिवार की सोच भी वैसी ही है. उन्हें कुछ आशंका है कि आगे क्या होगा. अगले सप्ताह तुमसे मिलकर वो दुविधा भी मिट जाएगी.”
इस बार आशीष बोला, “पापा और सुनीति के पिता बहुत पुराने मित्र हैं. मेरी माँ के देहांत के बाद उन्हें यहां लाने के लिए हमें बहुत प्रयास करने पड़े. आज भी वो निरंतर अपने गाँव जाते रहते हैं. उनका बहाना तो ये होता है कि खेत खलिहान देखने जा रहे हैं, पर उन्हें वहाँ अपने मित्रों के साथ रहना अधिक भाता है.”
सुनीति अब अपने हाथ को नीचे ले जाकर महक की चूत से खेल रही थी. उसने देख लिया था कि अब आशीष भी अगली चुदाई के लिए आतुर हैं. और इस बार अवश्य ही वो अपनी भावी बहू की गांड ही मारने के इच्छुक होंगे. सुनीति को पता था कि आज उसे अपने सुख का त्याग करके महक और आशीष को अधिक समय देना होगा.
फिर वो ये सोचकर मुस्कुरा उठी कि इसकी भरपाई वो कल करेगी. और उसके बाद तो उसके पिता भी आ ही जायेंगे. कितने दिन हो गए उनसे मिले हुए. ये सोचते हुए उसकी चूत में पानी आ गया. उसके महक की चूत में एक ऊँगली डाली और रस से भीगी उस ऊँगली से महक की गांड को कुरेदा. महक ने अपने कूल्हे उठाकर उन्हें सहायता की.
“गांड मरवाना अच्छा लगता है?” सुनीति ने पूछा.
“जी. बहुत.” महक ने भी बेझिझक उत्तर दिया.
“तो तेरी ये इच्छा आज तेरे पापाजी पूरी करेंगे और उसके बाद परिवार के सारे पुरुष. उन सबको भी गांड मारने में बहुत आनंद आता है.” ये कहकर सुनीति ने गांड में ऊँगली डाल कर घुमाई. “सुनिए, बहूरानी भी गांड मारने में रूचि रखती है, तो क्या आप…”
“बिलकुल, नेकी और पूछ पूछ.”
ये सुनकर महक हंस पड़ी और सुनीति ने कहा, “देखा, क्या कहा था मैंने?” फिर आशीष से बोली कि वो बाथरूम से जैल ले आये. आशीष अपने लंड को हिलाते हुए बाथरूम से जैल ले आया.
“अब महक को मेरी चूत का रस पीने दो और आप उसकी गांड मारो. थोड़ा प्रेम से मारना बहू है हमारी.”
हालाँकि महक कहना तो चाहती थी कि जैसे मन हो वैसे मारो, पर उसने चुप रहना ही भला समझा. अगर आशीष जोर से मारेंगे तो अच्छा ही होगा.
आशीष उठकर बाथरूम में गया और लौटा तो उसके हाथ में जैल की एक ट्यूब थी. अब तक सुनीति लेट गई थी और महक उसकी चूत पर झुकी हुई थी. महक की सुंदर गांड इस समय ऊपर उठी हुई थी और आशीष को आमंत्रण दे रही थी. पर वो समझता था कि इस समय उसे महक की गांड को प्रेम से मारना है. उसे विश्वास था कि महक कड़ाई से गांड मरवाने का भी अनुभव रखती होगी, परन्तु उसे उसी प्रकार से प्रस्तुत होना था जैसे विक्रम अपनी बेटी के साथ होता था.
महक की गांड पर हाथ फिराते हुए उसे अग्रिमा और भाग्या की गांड की याद आ ही गई. वो भी इसी प्रकार से सुडौल और सुंदर थीं. समुदाय में उनके प्रवेश को इतने दिन भी नहीं हुए थे कि उसे अन्य लड़कियों की गांड का आनंद मिल पाता पर उसे मधु जी की पोती मान्या की गांड का भी ध्यान आया जो सम्भवतः सबसे तंग थी. अपने सामने परोसी हुई गांड को देखकर आशीष के मुंह में पानी भर आया. उसने ट्यूब को एक ओर रखा और महक के नितंब फैलाकर उसके गांड के छेद को खोल दिया. बाहर भूरी दिखने वाली गांड अंदर से गुलाबी रंग लिए हुए थी. अपनी जीभ से उसने उसे छेड़ा तो महक के शरीर के कम्पन ने उसे और आगे बढ़ने के लिए उत्साहित किया.
इस बार उसने अपनी जीभ को महक की गांड के ऊपर घुमाया और फिर अंदर डाल दिया. महक की प्रतिक्रिया से सुनीति समझ गई कि आशीष क्या कर रहा है. उसने आशीष की ओर देखा.
“ कैसा स्वाद है बहू का?”
“मीठा तो नहीं है, पर बहुत अलग है. तुम्हें लेना है?”
“अभी नहीं. आपके रस से मिले स्वाद को चखूँगी। वैसे महक चाहे तो मेरी गांड का स्वाद चख सकती है.”
महक समझ गई कि उससे क्या अपेक्षित है, पर उसने अभी अपना ध्यान सासू माँ की चूत पर ही रखा. सुनीति ने उसके सिर पर प्रेम से हाथ घुमाया, पर कुछ बोली नहीं. आशीष अब महक की गांड को अच्छे से चाट चुका था और अब उसके लिए ठहरना भी सम्भव न था. उसने ट्यूब को लिया और महक की गांड में अच्छे से डाला और अपनी उँगलियों से उसे अंदर तक मिला दिया. इसके बाद अपने लंड पर उसने पर्याप्त जैल लगाया. अब वो अपनी भावी बहू की गांड मारने के लिए आतुर था. अंगूठे से उसे खोलकर उसने तंगी का अनुमान लगाया. और अपने लंड को महक की गांड पर रखा.
अभी आशीष ने लंड गांड के छेद पर लगाया ही था कि सुनीति ने उसे रोक दिया.
“सुनिए, ऐसा करते हैं कि मैं उलटी हो जाती हूँ, और मैं महक की चूत का ध्यान रखती हूँ और आप गांड पर केंद्रित रहिये.”
“ये भी सही है.” आशीष ने कहा, हालाँकि इस समय उसे रोकने के कारण उसे कुछ क्रोध भी आया.
कुछ ही पल में नई स्थिति में सुनीति और महक आ गयीं और आशीष ने चैन की साँस ली. पर अब उसे कुछ देर और रुका पड़ा जब तक भावी सास बहू एक दूसरे में डूब नहीं गयीं. इसके बाद उसने फिर कुछ जैल अपने लंड पर लगाया और महक की गांड को अंगूठे से खोला और फिर अपने लंड को उसकी गांड पर रखा. किसी प्रकार का नया व्यवधान न पड़ जाये, इसी सोच के साथ उसने शीघ्रतिशीघ्र अपने लंड का सुपाड़ा अंदर धकेल दिया. उफ्फ, क्या गांड थी और उससे बहती हुई ऊष्मा से उसके लंड को मानो एक भट्टी में प्रवेश करने का अनुभव हुआ. तंग, सुडौल, मखमली और गर्म, महक की गांड के बारे में उसके यही विचार मन में कौंधे.
महक के मुंह से एक हल्की सी आह निकली, परन्तु उसने अपनी सास की चूत से मुंह को हटाया नहीं. बल्कि लंड के अंदर जाते ही उसकी जीभ ने सुनीति की चूत में और भीतर तक प्रवेश कर लिया. सुनीति ने उसके सिर पर हाथ फेरा और आशीष को संकेत किया कि वो अब किले को जीत ले. आशीष की आँखें चमक उठीं और उसने इस बार लंड पर और अधिक दबाव डाला और इस बार उसका लंड महक की गांड में अंदर घुसता गया जैसे मक्खन पर छुरी चलती है.
कुछ ही पलों में उसके पूरे लंड ने महक की गांड की गहराई को नाप लिया था. अब उसने हल्के धक्कों के साथ महक की गांड मारनी आरम्भ की. उसे अपनी बेटी अग्रिमा की गांड की तंगी और महक की गांड में बहुत समानता लग रही थी. अपनी बेटी की गांड के बारे में सोचते ही उसका लंड और फनफना उठा और उसने गति बढ़ा ही. महक को भी अब आनंद आने लगा. उसके मन की इच्छा जो गांड तेजी से मरवाने की थी वो अब पूरी होती दिख रही थी.
महक अपनी जीभ से सुनीति की चूत को अंदर तक चाट रही थी. महक की कुशलता और अपने पति के चेहरे पर आनंद के भावों से सुनीति भाव विभोर हो गई. महक सुनीति की चूत को न केवल प्रेम से चाट और चूस रही थी, बल्कि उसके द्वारा छोड़े जा रहे रस की हर बूँद पर अपना अधिकार जमा रही थी.
आशीष के धक्के अब महक की आशा के अनुरूप हो गए थे. उसे अपनी गांड में एक लम्बे मोटे लंड से जो संवेदना की इच्छा थी वो पूर्णतया पूरी हो रही थी. उसकी अपनी चूत भी इसकी साक्षी थी. और इस रस को पीने में सुनीति पीछे नहीं थी. सुनीति के लिए उस मधुर रस का पान सरल था क्योंकि महक की चूत द्वारा छोड़ी हर बूँद उसके ही मुंह में जा रही थी. अपनी जीभ के महक की चूत में अंदर तक डालकर सुनीति केवल अपने होंठों से ही उसे चूस रही थी. जीभ से होता हुआ महक की चूत का रस उसके मुंह में जा रहा था.
हर बूँद का स्वाद उसे प्राप्त हो रहा था. हालाँकि आशीष के धक्कों की बढ़ती हुई गति से इस स्थिति को बनाये रखने में उसे अत्यधिक परिश्रम करना पड़ रहा था. परन्तु वो अनुभवी थी और उसने अपने हाथ महक की गांड पर रखे हुए थे, आशीष के हाथों से सटकर जिसके कारण कुछ सीमा तक वो अपने परिश्रम में सफल हो रही थी.
भावी सास ससुर के साथ इस मिलन में उसे अपार आनंद मिल रहा था. उसे विश्वास था कि परिवार के अन्य जन भी चुदाई में इतने ही पारंगत होंगे. जिन्हें इस प्रकार की शिक्षा मिली हो, वो उपयुक्त प्रेमी सिद्ध होंगे.
“ओह, पापा जी. खोल दीजिये मेरी गांड. प्लीज अपना पानी मेरी गांड में ही छोड़ना. नहीं तो इसकी जलन नहीं मिटेगी.” महक ने विनती करते हुए अपना मुंह सुनीति की चूत से हटाकर बोला.
“चिंता न करो बहूरानी, तुम्हारी गांड को अच्छे से सींच दूँगा। तुम्हारी जलन दूर हो जाएगी. वैसे भी अब मैं झड़ने ही वाला हूँ.”
कुछ और धक्कों के बाद आशीष ने अपने रस से महक की गांड को भर दिया. सुनीति और महक भी झड़ गए पर यथास्थिति में ही एक दूसरे की चूत को चाटते रहे. आशीष ने अपने लंड को बाहर निकाला तो महक की खुली गांड से रस बहता हुआ नीचे सुनीति के मुंह में भी चला गया. पर सुनीति ने कोई आपत्ति नहीं की और जो मिला उसे ग्रहण कर लिया. कोई पाँच सात मिनट के बाद दोनों संतुष्ट हो कर एक दूसरे से हट गयीं. महक उठकर खड़ी हुई तो उसकी गांड से आशीष के बहते रस ने सुनीति के चेहरे और वक्ष पर एक धारा छोड़ दी.
एक ओर बैठकर महक ने अपनी उँगलियाँ से गांड को साफ किया और प्रेम से अपने भावी सास ससुर को देखा. वो भी उसे उसी भावना से देख रहे थे. सुनीति ने अपने पति के रस को जहाँ जहाँ गिरा था अपने अंग पर मल लिया. महक ने उठकर सुनीति और आशीष के होंठ चूमे.
“आपने मुझे जो अपने परिवार में स्वीकार किया है, उसकी मैं ऋणी हूँ, और कभी आपके परिवार की प्रतिष्ठा को कम नहीं होने दूँगी, ये मेरा वचन है.”
“हम भी तुम्हारे जैसी बहू पाकर प्रसन्न हैं. हम सब जीवन के हर सुख दुःख में साथ रहेंगे. अब चलो बाथरूम में सफाई कर लेते हैं और फिर सोते हैं. सुबह जल्दी उठना है क्योंकि पापाजी गाँव जा रहे हैं.”
नूतन और मेहुल:
नूतन ने मेहुल को आँखें खोलने के लिए कहा और इस बार टीवी पर अलग दृश्य था. दो महिलाएं खड़ी हुई थीं और उनके सामने दो गद्दे बिछे थे जिस पर दो पुरुष घुटनों के बल बैठे हुए थे. सब नंगे ही थे. महिलाओं की आयु ४५ वर्ष के निकट थी, परन्तु अधिक अंतर नहीं था उन दोनों में. देखने में सुंदर थीं, शारीरिक रूप से भी आकर्षक थीं. पुरुष भी स्वस्थ और बलिष्ठ थे. दोनों के लंड भी किसी अनुपात में छोटे तो नहीं ही थे.
“ये दोनों बहनें हैं और क्लब के दूसरी ओर के नगर में रहते हैं. इन्हें तुम सम्भवतः नहीं पहचानते होंगे. दोनों हमारी क्लब की सदस्य हैं.” नूतन ने बताया.
“कोई फैमिली डिस्काउंट मिला है क्या?” मेहुल ने हँसते हुए पूछा.
“ये तो तुम्हें शोनाली से ही पूछना होगा.” नूतन ने भी हंसकर बोला।
बड़ी बहन दोनों पुरुषों से सम्बोधित थी, “अब तुम दोनों यहीं बैठकर हम दोनों की चुदाई देखोगे. कुछ बोलना नहीं है, चुपचाप देखना कैसे बड़े बड़े लौड़े तुम्हारी पत्नियों के हर छेद की माँ चोदने वाले हैं. आज हम दोनों की भरपूर चुदाई होने वाली है. जैसे तुम दोनों नहीं कर सकते.”
मेहुल को ये बड़ा तिरस्कारपूर्ण लगा. उसने नूतन को देखा, पर उसने कुछ नहीं कहा. इसके बाद कमरे में नूतन का प्रवेश हुआ और उसके पीछे चार रोमियो आ गए. बड़ी बहन ने नूतन से कोई प्रश्न करना ही चाहा था कि नूतन ने उसे ठहरने का संकेत दिया और वो स्त्री चुप हो गई. चारों रोमियो अंदर आये और दोनों को चूमा और फिर अपने कपड़े उतारने लगे. नूतन बाहर चली गई. दोनों स्त्रियां बिस्तर पर बैठ गयीं और दो दो रोमियो उनके सामने जा खड़े हुए. लौडों को तौल कर उन्होंने अपने पतियों पर फिर कुछ कटाक्ष किया और एक एक करके लंड चूसने लगीं.
रोमियो भी उनके पतियों को ताने दे रहे थे. पर दोनों पति चुप ही थे. कुछ ही देर में नूतन फिर से आयी और इस बार वो दो और रोमियो को ले कर आयी थी. बड़ी बहन ने नूतन का आभार माना और लंड चूसने में जुट गई. दोनों रोमियो भी नंगे होकर पुरुषों के सामने लंड हिलाते हुए बिस्तर पर पीछे जाकर उन दोनों बहनों के मम्मे दबाने लगे और गर्दन तथा कान चाटने लगे.
इसके बाद चुदाई का महासंग्राम जो आरम्भ हुआ तो मेहुल को उन दोनों महिलाओं की क्षमता पर आश्चर्य हुआ. नूतन वीडियो बीच बीच में आगे कर रही थी पर फिर भी जिन भिन्न भिन्न आसनों में उन दोनों की भीषण चुदाई हुई वो किसी उच्च कोटि के पुरुस्कार के लिए चयनित किया जा सकता था. क्लब के छह रोमियो ने हर सम्भव मिश्रण में उन दोनों की भरपूर चुदाई तो की ही, परन्तु जिस प्रकार से वो सभी उन दोनों पतियों की अवहेलना और अपमान कर रहे थे वो उनके प्रति सहानुभूति उत्पन्न कर रहा था.
वीडियो दो घंटे के निकट था पर नूतन ने उसे पच्चीस मिनट में ही दिखा दिया. जब उन दोनों को चुदाई समाप्त हुई तो रोमियो निकल गए और वो दोनों महिलाएं बिस्तर पर एक दूसरे को चूमती और चाटती रहीं. फिर वे दोनों उठीं और बाथरूम में चली गयीं.
“अब एक रोचक दृश्य भी देखो और सुनो.” नूतन ने मेहुल से कहा.
जब दोनों महिलाएं बाथरूम से आयीं तो वो नंगी ही थीं और सोफे पर बैठ गयीं.
“आज बहुत आनंद आया. आप दोनों को भी आया?” बड़ी बहन ने पूछा.
“हाँ, मस्त चुदाई की है तुम दोनों की.” उसके पति ने उत्तर दिया जिसका उसके साढ़ू ने समर्थन किया.
“अब आप दोनों के आनंद लेने का समय है.” छोटी ने कहा. तभी नूतन ने प्रवेश किया. इस बार वो नंगी ही थी.
“नूतन, तुम्हारा आभार है जो तुमने इतना अच्छा प्रबंध किया. अब हमारे पतियों को भी कुछ सुख की आशा है.”
“अवश्य. मैं तो कब से इसकी प्रतीक्षा कर रही हूँ. पर आज आप बहुत समय तक लगे रहे.”
नूतन ने उन दोनों पतियों को उठाया और बिस्तर पर ले गई. इसके बाद दोनों ने मिलकर नूतन को चोदा और मेहुल ने अनुभव किया कि वो इसमें सक्षम थे और किसी भी प्रकार से उन्नीस नहीं थे. वो क्यों इस प्रकार के अपमान को सह रहे थे ये उसे समझ नहीं आया. पर मनुष्य की विकृतियों की थाह समझना असम्भव है. नूतन की चुदाई करने के बाद दोनों महिलाओं ने नूतन की चूत और गांड में से अपने पतियों के रस को साफ किया. फिर नूतन बाहर चली गई.
दोनों पति भी सोफे पर बैठे और छोटी बहन ने एक अलमारी से शराब निकाली और चारों ने दो दो पेग पिए.
इस बीच कुछ बातें और भी हुईं.
छोटी, “आज मेनका आ रही है, तो आप दोनों को आज अपनी बेटी को चोदने का अवसर मिलेगा.”
बड़ा, “ओह, धन्यवाद। सच में वो मस्त चुदवाती है. तो क्या आज रात तुम दोनों?”
बड़ी, “हाँ, अपने बेटों से चुदने का जो आनंद है उसकी कोई तुलना नहीं है.”
इसके बाद नूतन ने वीडियो बंद कर दी. उसकी गांड अब चुदने के लिए लालायित थी. एक अंतिम वीडियो जिसे विशेषकर शोनाली ने दिखने को कहा था वो अपनी गांड की खुजली मिटने के बाद दिखा देगी.
नूतन ने जब ये मेहुल को बताया तो उसकी बाँछे खिल गयीं. बहुत देर से तड़प रहा था वो इस गांड को मारने के लिए. उसके लंड ने एक अंगड़ाई ली तो नूतन खिलखिला उठी.
“लगता है ये भी अब आतुर है.”
“होगा नहीं, इतनी देर से आप वीडियो पर वीडियो दिखाए जा रही हो. वो तो मैं ही हूँ जो इस दण्ड को सहन कर रहा हूँ.”
“सॉरी मेहुल, पर ये भी आवश्यक ही था. शोनाली ने क्यों तुम्हें आज ही सब समझाने के लिए कहा था ये मुझे नहीं पता, क्योंकि इसके लिए रोमियो को अलग से बुलाया जाता है.”
मेहुल को समझ आ रहा था कि शोनाली ने ऐसा क्यों किया था. पर वो नूतन को बता नहीं सकता था. शोनाली उसकी थाह नापना चाहती थी.
“अब मुझे भी तुम्हारे लंड को अपनी गांड में लेने के लिए देर नहीं करनी है.” ये कहते हुए उसने पास की टेबल के संदर से एक जैल की ट्यूब निकालकर मेहुल को थमा दी. फिर उसने घोड़ी का आसन ले लिया और अपनी गांड को मटकाते हुए घुमाने लगी. मेहुल उसके पीछे गया और उसकी थिरकती गांड को देखकर सम्मोहित हो गया. इस आयु में भी नूतन की गांड के कसाव बने हुए थे. उसके चिकने नितम्बों पर हाथ फिराते हुए वो अपने लक्ष्य को साधने के लिए उत्सुक था.
नूतन उसे छेड़ने के लिए अपनी गांड के छेद को खोल और सिकोड़ रही थी. मेहुल से अब रहा नहीं गया. उसने नूतन के नितम्ब पकड़े और उसे रोक दिया. उसके मुंह में पानी आ गया. और उसकी जीभ ने नूतन की गांड के भूरे छेद को छेड़ा. नूतन कराह उठी. गांड को चाटते हुए मेहुल अपनी उँगलियों से उसे खोलने का प्रयत्न कर रहा था. नूतन मोटे लम्बे लौड़े लेने की अनुभवी थी और उसकी गांड को खुलने में अधिक परिश्रम भी नहीं लगा. खुलते ही मेहुल की जीभ ने उसे अंदर तक सहलाया। दो तीन मिनट तक वो उसकी गांड को इसी प्रकार से प्रेम करता रहा फिर उसने जैल से उसे भरा और अपने लंड पर भी समुचित मात्रा में जैल लगा लिया.
नूतन अब मेहुल के बलशाली लंड से अपनी गांड का सत्यानाश होने के लिए तड़प रही थी. मेहुल ने उसकी गांड के दोनों ओर हाथ रखे और अपने लंड को गांड के छेद पर लगाते हुए दबाव बनाना आरम्भ किया. पक्क की ध्वनि के साथ उसके लंड का टोपा पहली बाधा सरलता से पार कर गया. उसने अपने लंड पर नूतन की गांड को संकुचित होता अनुभव किया. कुछ समय यूँ ही रुककर उसने फिर से दबाव डाला और लंड की यात्रा आगे की ओर चल पड़ी. नूतन ने सोचा था कि मेहुल रुक रुक कर लंड अंदर डालेगा, पर हुआ इसका विपरीत ही. मेहुल बिना रुके समान दबाव के साथ उसकी गांड में पूरा लंड समाने तक आगे बढ़ता रहा. और अंत में रुक गया.
नूतन ने एक गहरी साँस भरी. कालिया के नाग के बाद आज पहली बार उसे अपनी गांड पूर्ण रूप से भरी हुई अनुभव हो रही थे. ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कि एक मिलीमीटर का भी स्थान अछूता न था. ये गांड मारेगा कैसे? उसके मन में प्रश्न उठा. और इसका भी समाधान तुरंत ही हो गया. मेहुल ने अपने लंड को बहुत प्रेम से बाहर खींचा और इस बार जब उसने अंदर डाला तो नूतन की गांड की मानो धज्जियाँ ही उड़ गयीं.
“ओह माँ! उई माँ. मर गई रे!” नूतन के मुंह से निकला.
परन्तु अब मेहुल के वश में उसकी गांड थी. उसके बच निकलने के हर प्रयास को मेहुल के मजबूत हाथों ने निरस्त्र कर दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद मेहुल ने फिर उसकी गांड से लंड निकालकर अंदर की ओर धकेला. नूतन को कुछ कष्ट हुआ, पर कुछ ही क्षणों में उसकी गांड इस आगंतुक का मानो स्वागत करने के लिए खुलने लगी. मेहुल को भी ये आभास हो गया और उसने अपने लंड को नूतन की गांड में पिस्टन के समान चलाना आरम्भ कर दिया.
नूतन की गांड में अब जलन का स्थान एक नै अनुभूति ने ले लिया था. मेहुल गांड मारने का बहुत अनुभवी खिलाडी था. जिन महिलाओं ने उसकी शिक्षा की थी, उन्होंने हर प्रकार के व्यवधान और प्रतिक्रिया के लिए भी उसे शिक्षित किया था. किस गांड को कितनी गति, शक्ति और गहराई से मारा जाना चाहिए, वो इसमें निपुण हो चुका था. नूतन की गांड में लंड के तीन चार बार के भ्रमण से ही उसे पता चल गया था कि नूतन को कैसी चुदाई आनंद देगी.
और नूतन भी अब उसकी इस शिक्षा का आनंद ले रही थी. कुछ रोमियो केवल अपने लंड के बड़े होने के घमंड में ही इतने चूर होते थे कि वे दनादन गांड मारने लगते थे. नूतन ने कभी उनको दुबारा अवसर नहीं दिया था, हालाँकि उन्हें ये अवश्य समझाकर भेजा था कि वे क्या गलत कर रहे थे. मेहुल को इस प्रकार से उसकी गांड को एक वाद्य यंत्र के समान बजाते हुए उसे मेहुल की सामर्थ्य और परिपक्वता पर आश्चर्य हुआ.
मेहुल अब एक सधी हुई गति से नूतन की गांड मार रहा था. वो अपनी गति और गहराई को रह रह कर बदल भी रहा था जिससे नूतन और उसे दोनों को इस मिलन का असीम आनंद मिल रहा था. नूतन ने अपने एक हाथ से अपने भगनाशे को छेड़ना प्रारम्भ किया और पल भर में ही वो झड़ गई. उसके झड़ते ही मेहुल ने अपनी गति बदली और इसके पहले कि नूतन पूरी सम्भलती उसे और गहराई तक चोदने लगा.
नूतन की अब सिसकारियां और आनंद भरी सितकरों ने मेहुल को और प्रोत्साहित किया। फिर अचानक मेहुल ने नूतन से कहा कि वो आसन बदलना चाहता है. इस बार नूतन अपनी पीठ के बल लेटी और मेहुल ने फिर से उसकी गांड मारनी आरम्भ कर दी. नूतन के दोनों पैरों को पकड़कर उसने मोड़ दिया जिसके कारण लंड की चोट अब और विकट हो गई. दस मिनट तक नूतन की इस आसन में गांड मारने के बाद नूतन अनगिनत बार झड़ चुकी थी और उसकी चूत के रस ने मेहुल के लंड के ऊपर अपने पानी छोड़ा था, जो अब मेहुल के लंड के माध्यम से उसकी गांड में भी जा चुका था और राह सरल हो गई थी.
मेहुल ने बताया कि अब वो भी झड़ने वाला है तो नूतन ने कुछ न कहा. मेहुल ने इसका अर्थ ये माना कि वो गांड में ही पानी छोड़ सकता है. और कुछ और देर में उसने अपने पानी से नूतन की गांड को लबलब भर दिया. कुछ समय ठहर कर अपने लंड को नूतन की गांड से निकाला और फिर नूतन के पाँव सीधे किया और उसके साथ जाकर लेट गया.
“कैसा लगा?”
“अद्भुत.” ये कहते हुए नूतन ने उसके सीने में अपना सिर छुपा लिया. मेहुल उसके बालों को सहलाता रहा और उसे लगा कि नूतन सो गई है. पर कुछ ही देर में नूतन हिली और फिर उठ गई. बाथरूम की ओर जाती हुई नूतन की मटकती गांड को देखकर मेहुल का लंड फिर अकड़ गया.
नूतन लौटी तो उसने तुरंत रिमोट उठाया.
शोनाली ने मुझे कहा है तुम्हें एक वीडियो दिखाने के लिए, और इसे अंत में ही दिखाना था.” ये कहते हुए वो मेहुल के साथ बैठी और वीडियो खोजने लगी, फिर उसने वीडियो चलाया. मेहुल ये तो समझ गया था कि शोनाली उसे ये वीडियो किसी विशिष्ट अभिप्राय से ही दिखाना चाहती थीं. परन्तु जो उसने देखा तो वो सकते में आ गया. उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं लाये पर उसे शोनाली के इस वीडियो के चयन का अभिप्राय समझ आ गया था.
उस वीडियो में तीसरे बंगले की मालकिन शीला थीं, जो इस आयु में भी चुदाई में अग्रणी थीं. उनके साथ पार्थ की माँ सुमति थी. वीडियो में सामान्य सामूहिक चुदाई का खेल चला था. शीला क्लब की सदस्या थीं, पर सुमति नहीं थी. इसी कारण वे दोनों नूतन के घर पर ये खेल खेल रही थीं. उनकी चुदाई में चार रोमियो थे और लगभग एक घंटे इस चुदाई का कार्यक्रम चला था. मेहुल ने अब भली भांति समझ लिया था था कि पार्थ और समर्थ अंकल के घर भी पारिवारिक चुदाई का खेल चलता है. और उसे शोनाली के इस रहस्योद्घाटन का तात्पर्य भी समझ आ गया था.
वीडियो देखने के बाद टीवी बंद कर दिया गया और मेहुल ने नूतन की एक बार और भीषण चुदाई की और फिर दोनों सो गए.
अगले दिन सुबह:
मेहुल:
मेहुल ग्यारह बजे नूतन के घर से निकला. अपनी कार में अपने पास रखे बैग को देखकर वो मुस्कुराया. उसने नूतन से कुछ सेक्स के खिलौने लिए थे, उधार पर. इसका मूल्य उसे उन्हें लौटाने पर चुकाना था. आज सुबह भी मेहुल ने नूतन को निर्बाध दो घंटे चोदा था. उसकी चूत और गांड की ऐसी दुगति की थी कि जब वो निकल रहा था तो नूतन बिस्तर पर नंगी निढ़ाल पड़ी थी और उसकी चूत और गांड से मेहुल का रस बह रहा था. उसने एक क्षीण मुस्कान के साथ मेहुल को बाय कहा था.
मेहुल ने अपना फोन उठाया और एक कॉल लगाई.
“मेहुल?”
“हाँ, घर में कौन है?”
“अभी तो सब बाहर हैं, तुम आ रहे हो क्या?” उस ओर से प्रश्न आया.
“हाँ, और आपको मुझे कैसे दरवाजे पर मिलना है, ये जानती हैं न आप?”
“हाँ, बिलकुल बिलकुल.”
“ठीक है, मैं पंद्रह मिनट में आ रहा हूँ. मेरे पास आपके लिए एक आदेश भी है और एक प्रस्ताव भी.” ये कहकर मेहुल ने फोन बंद किया और कार को नए गंतव्य की ओर मोड़ लिया.
महक:
सुनीति ने महक को प्रातः शीघ्र ही उठा दिया क्योंकि जीवन उनके गाँव जा रहे थे. महक ने स्नान किया और वस्त्र पहनकर सुनीति के साथ बैठक में चली गई. जीवन जाने के लिए बैठे थे, उनके साथ में सलोनी भी खड़ी थी. सलोनी के भाव देखकर ही पता चल रहा था कि उसकी रात में अच्छे से चुदाई हुई है.
“पापा, क्या आप इस बार भी सलोनी को लेकर जा रहे हैं?” सुनीति ने जीवन के पाँव छूकर पूछा.
“हाँ अपने माँ बाप से मिल लेगी ये भी. इसके बाद तो हम लोग न जाने कब जाएँ.”
“हाँ ये बात तो है. लगता है रात में अच्छे से कूटा है इस बेचारी को. गाड़ी में सोने दीजियेगा इसे.”
“अरे गाड़ी में तो इसे मैं छूता भी नहीं हूँ. क्यों सलोनी?”
“जी बाबूजी. वैसे आज मैं सीधे अपने घर ही जाऊँगी।”
“हाँ हाँ. इस बार तुम उनके ही पास रहना.”
महक ने उनके पाँव छुए तो जीवन ने उसे आशीर्वाद दिया.
“महक बिटिया, आज मुझे जाना न होता तो तुझे मैं आज घर न लौटने देता. पर जब लौटूँगा तब हम अवश्य मिलेंगे.”
“जी बाबूजी.”
इतने में आशीष भी आ गए और उन्होंने ड्राइवर से कहकर बड़ी गाड़ी निकलवा दी और सामान उसमे रख दिया. चाय और नाश्ता करने के बाद जीवन और सलोनी निकल गए. महक भी कुछ देर और ठहरी फिर अपने घर की ओर चल दी. घर में अब तक कोई भी और उठा नहीं था.
क्रमशः
Thanks Bhai..sorry kehne ki zaroorat nahi hain..aap busy the..i can understand. Thanks a lot for the update..padh kar comment karta hoon
बहुत ही रोचक और कामुक अपडेट। लगता है मेहुल ने शोनाली को फोन किया था आदेश और प्रस्ताव के लिए।
Bohot mast maza aayga bhai
Agla update jaldi do