रात के अँधेरे में नशे के हालत में घर पहुंचा, मेरे अंदर का डर मेरे ऊपर हावी हो गया था, मेरे अब्बू की नयी बेगम का देख लेना, और जो हरकत मैंने अपनी सगी अम्मी के साथ किया, मैं घर के चौखट पे खड़ा था, मुझे अंदर घर में जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी, अंदर मेरा जनाजा निकलना था, मैं वही दरवाज़े पे बैठ गया, नशे की वजह से मेरा सरीर धीमा पद गया था, मुझे मन ने ऐसा महसूस हो रहा था की सब सही हैं, लेकिन असलियत में अपने सरीर से काबू खो बैठा था, और इसी वजह से मुझे मेरे अम्मी की सौत का आने का पता नहीं चला,
'आ गए रेहान'
'कौन'
'मैं हूँ, तुम्हारी अम्मी'
मेरी नज़र केंद्रित होती हैं, ये कोई और नहीं मेरे अब्बू की नयी बेगम थी, इसकी हिम्मत कैसे हो गयी मुझे अपना बेटा बताने की हिम्मत कैसे हुई, मैं गुस्से से खड़ा हो अपने अब्बू के नयी बेगम को धक्का देके गिरा देता हूँ,
'हट साली, आइंदा मुझे चुने की या बात करने की कोसिस की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा'
'धआम धक्'
मेरे अब्बू की नई बेगम बहुत तेज़ ज़मीं पे जा गिरी
'हाई अल्लाह'
और वो संत पद गयी, मैं ऊपर से कुछ देर उन्हें देखता रहा, मुझे नशे में कुछ समझ तो नहीं आ रहा था, लेकिन तभी उनके सर के पास से खून का एक कतरा बेहटा हुआ मुझे दिखाई पड़ा, मेरा सरीर इस दृस्य को देख ठंडा पद गया, मेरे अब्बू की नयी अम्मी हल्का भी नहीं हिल रही थी, और ये खून, में डर गया, और नशे के हालत में मैं वहां से भाग गया|
मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं करूँ, नशे के हालत में मैंने क्या किया ये मुझे नहीं मालूम था, मुझे बस इतना मालूम था की कुछ बहुत बुरा मेरे हाटों से हो गया है, और मैं उस से बचाना चाहता था, ऐसे ही मैं भागते भागते, नशे के हालत में रात के अँधेरे में सरक पे चलने लगा, मेरा ध्यान इस कदर हटा हुआ था की मेरे सामने एक गाड़ी आयी, और इस से प्रतिक्रिया देता मैं गाड़ी के सीसे स से बड़ी तरह से टकरा गया , और नशे के हालत में बेहोशी के आगोश में चला गया |