दोस्तो,
कल शाम में ऑफिस से जब घर पर गया तो बिल्डिंग के नीचे ही मुझे रवी मिल गया वह भी ऑफिस से आ रहा था। थोड़ी देर इधर उधर की बाते होने के बाद मैने उसे कहा चल आज पार्टी करते है, बहुत दिन हो गए पार्टी नहीं की। वह बोला ," हा यार, पार्टी करने का मन तो मेरा भी कर रहा है, लेकिन आज बाहर नहीं घर पर पार्टी करते है।"
मैने बोला " ऐसा क्यों, "
वह बोला, " अरे में ऑफिस से आते वक्त चिकन लेकर आया हु, तू सिर्फ अब ड्रिंक्स लेकर आ।"
मैने कहा, " क्या बात है यार, वनिता भाभी की हाथ की चिकन खाए हुए बहुत दिन हो गए, आज तो मजा आ जाएगा। चल में दारू लेकर आता हु। "
वह बोला, " ठीक है, जल्दी आना और आते वक्त पूजा भाभी को भी लेकर आना।"
मैने कहा, " ठीक है।" और में बाहर जाकर दारू ले आया और घर जाकर पूजा को बताया। वह भी खुश हो गई। हम दोनों फ्रेश होकर रवी के घर चले गए।
हम रवी के घर पर गए तो रवी ने दरवाजा खोला, हम अंदर गए, वनिता भाभी किचन में थी। तो पूजा भी किचन में चली गई। रवी और में हॉल में ही दारू पीने बैठ गए। रवी ने वनिता भाभी को आवाज देकर ग्लास पानी और चखना मंगाया। थोड़ी देर में वनिता भाभी वह सब लेकर आ गई। वनिता भाभी पारदर्शी ब्लैक साड़ी में क्या मस्त दिख रही थी। और जैसे ही वह टेबल पर सामान रखने के लिए झुक गई उनका साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे सरक गया और उनके गोरे और बड़े स्तनों के दर्शन मुझे हो गए और मेरे पैंट में हलचल हुई। मेरा हाथ पैंट पर गया और मैने पैंट के ऊपर से ही मेरा लन्ड सहलाया। यह बात शायद वनिता भाभी के ध्यान में आ गई और वह सीधा होते हुए मेरे तरफ देखकर मुस्कराई, उसके मुस्कराहट में एक कातिल पन था जिस से मेरे पैंट में और हलचल बढ़ गई। मैने मेरे लन्ड को एडजस्ट किया और पेक बनाने लगा। वनिता भाभी वापस किचन में चली गई।
रवी और मैने हमारी पार्टी चालू की। हमारे दो दो पैक खत्म हो चुके थे। दिमाग पर दारू का असर होने लगा था। मेरे आंखों के सामने तो थोड़ी देर पहले देखे हुए वनिता भाभी के बूब्स ही घूम रहे थे। और खास कर उसकी वह कातिलाना मुस्कराहट। तभी मैने देखा कि पूजा किचन से निकलकर उनके बेडरूम में गई। यह अच्छा मौका है यह सोचकर मैने रवी से कहा, " रवी हमारा पानी खत्म हो गया है, रुक में पानी लेकर आता हु।"
रवी बोला, " अरे तू क्यों ला रहा है, रुक में वनिता को बोलता हु।"
मैने कहा, " अरे वह खाना बना रही होंगी, उनको क्यों तकलीफ देता है, में अभी लेकर आता हु।" और मैने पानी का जग उठाकर में सीधा किचन में चला गया।
किचन ने वनिता भाभी अकेली थी और खाना बना रही थी। मैने जग नल के नीचे लगाते हुए उसे पूछा, " अरे भाभी पूजा कहा है?"
वह बोली, " भाईसाब, वह उसके साड़ी पर मसाला उड़ गया था उसके लिए बेडरूम में चेंज करने गई है।"
में फिर वनिता भाभी के पास गया, " चिकन की खुशबू अच्छी आ रही है।" कहते हुए उसे पीछे से चिपक गया।
उसके पेट पर हात घुमाते हुवे और मेरा लन्ड उसके गांड़ पर रगड़ने लगा।
वह सिसक गई और बोली, " अरे यह क्या कर रहे हो, कोई आ जाएगा। "
में बोला, " अरे भाभी अब रहा नहीं जा रहा, तुम्हे चोदने का बहुत मन कर रहा है।" और जोर से उसके गांड़ पर मेरा लन्ड दबाने लगा।
वह बोली, " मैने कभी नहीं बोला है क्या, लेकिन अभी नहीं पूजा और रवी दोनों घर में है, कुछ तो ख्याल करो।"
तभी किचन के दरवाजे में से पूजा की खांसने की आवाज आई और में वनिता भाभी से झट से दूर हो गया।
पूजा अंदर आते हुए बोली, " क्या हो रहा है, और विजय तुम यहां क्या कर रहे हो?"
में पूजा ने हमे देखा तो नहीं होगा इस खयाल से डर गया था। मैने कहा, " अरे पूजा, वह में पानी लेने आया था।"
पूजा बोली, " पानी तो उधर है, फिर उधर क्या कर रहे हो?"
मैने डरते हुए बोला, " अरे चिकन की खुशबू बहुत बढ़िया आ रही थी, सो उसे लेने इधर आ गया।"
पूजा बोली, " ऐसा क्या, चिकन की खुशबू कितनी अच्छी है यह तो दिख रहा है, तुम्हारे पैंट के ऊपर से। " और उसने मेरे पैंट की तरफ इशारा किया।
मैने पैंट की तरफ देखा तो मेरे पैंट में बड़ा तंबू बना हुआ था, जिसका मुझे ध्यान ही नहीं था। वह देखने के बाद में चुपचाप वहा से बिना कुछ निकला गया। मुझे ऐसे चुपचाप जाते हुवे देख दोनों भी मुस्करा रही थी।
मुझे डर था कि पूजा ने शायद हमे देख लिया था और इस बात पर वह कैसे रिएक्ट करेंगी पता नहीं। कितना गुस्सा करेंगी पता नहीं।
और इस बजेस मैने और दो पैक लगा दिए। जब खाना लग गया तो पूजा के चेहरे पर कोई गुस्सा नहीं था। मुझे थोड़ी तस्सली मिली लेकिन घर पर जाने के बाद यह अच्छी खरी खोटी सुनाएंगी इस बात डर अभी भी मुझे लग रहा था।
जब हम डाइनिंग टेबल पर गए तो रवी एकटक पूजा को देख रहा था। वह ऐसा क्यों देख रहा है इसलिए मैने पूजा को देखा तो तब बात समझ आई। मैने डर की वजह से पूजा की तरफ देखा ही नहीं था। पूजा ने साड़ी बदलकर वनिता भाभी की पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जिसमें वह बहुत सेक्सी लग रही थी, इसलिए शायद रवी उसे बार बार देख रहा था, वह देखकर मुझे भी हॉर्नी फीलिंग आने लगी।
खाना और होने के बाद मैने कहा, " भाभी जी, कुछ भी कहो चिकन बहुत मस्त बना है, खाकर मजा आ गया।"
वनिता भाभी बोली, " आप भी ना.."
पूजा बोली, " क्यों मेरे हाथ का चिकन खाकर मजा नहीं आता क्या?"
वनिता भाभी बोली, " अरे पूजा, यह मर्द ऐसे ही होते है, इन्हें घर से ज्यादा बाहर का खाना खाने में ज्यादा मजा आता है।"
मैने कहा, " वैसी बात नहीं भाभी, बाहर का खाना कभी कभी खाने को मिलता है ना इसलिए, क्यों रवी बराबर है ना।"
रवी की नजर अभी भी पूजा पर ही थी। मेरी बात सुनकर वह थोड़ा ध्यान हमारे तरफ करते हुए बोला, " हा विजय, सही कहा, बाहर के खाने की मजा ही कुछ अलग होती है।"
वनिता भाभी बोली, " क्या बात है, भाईसाहब के साथ साथ आपको भी बाहर का खाना पसंद आने लगा। लेकिन आपको खिलाएंगा कौन?"
पूजा तभी बोली, " ऐसा थोड़ी है, रवी भाईसाहब में खिलाऊंगी आपको, आप मेरे खाने का मजा लीजिएगा।"
रवी बोला, " भाभी जी है, यह हुई ना बात, तो कब खिला रही है आप।" रवी प्यासी नजर से पूजा की तरफ देखते हुए।
पूजा बोली, " भाईसाहब , जब आपका मन करे तब बिंदास्त आयेगा, में आपको खाना खिलाऊंगी, वह भी ऐसा की आप खुश हो जाएंगे।"
वनिता भाभी मेरे तरफ देखते हुए बोली, " क्या बात है, भाईसाहब आप भी जब मन करे तब मेरे पास आकर खाना खा सकते है।"
मैने कहा, " यह हुई ना बात, अब तो सच में मजा आएगा।"
पूजा बोली, " हमे भी बहुत मजा आएगा।"
यह बाते हम कर रहे थे तो सबकी चेहरे पर शरारती मुस्कान थी, हम खाने के बारे में बात कर रहे थे लेकिन शायद मेरी तरह बाकी के मन में भी वही sex वाली बात चल रही थी।
खाना होने के बाद हम घर आए और पूजा ने मुझे कुछ भी नहीं कहा जिसका मुझे डर था। उलटा वह मेरे पास आई और हमने मस्त चूदाई की।