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भाग १
कैलास ने अभी-अभी नौकरी शुरू की थी। एक प्रोजेक्ट पर काम खत्म करने के बाद बॉस ने सभी को एक महीने की छुट्टी दे दी। अतः कैलास कुछ दिनों के लिए विश्राम करने के लिए अपने चाचा के गाँव आ गया।
कैलास के समर चाचा 45 साल के थे। हालांकि इनकी शादी 3 साल पहले ही हुई थी। उनकी पत्नी नंदिता चाची महज 32 साल की थीं। साड़ी में वह बेहद हॉट लगती थीं। लगातार 2 साल तक अपने बच्चे को दूध पिलानेसे उसके स्तन दूध से बहुत भरे रहते थे। वह खूबसूरत होने के साथ-साथ प्यारी और मजाकिया भी थी।
कैलास के दादाजी अब सत्तर साल हो गए थे। तो नंदिता चाची उन पर चिल्लाती रहती थी कि इतना गलत कुछ मत खाया करो। उन्हें चाय पीने की बहुत लत लग गई थी। वो दिन में कमसे कम 4-5 कप चाय तो पी ही लेते थे। चाची उनके इस लत को छुड़वाने के लिए बहुत प्रयास करती थीं लेकिन वो उसको नजर अंदाज कर लेते थे।
उस दिन जब कैलास घर पहुंचा तो समर चाचा खेत पर गया था। पूरे परिवार का एक बहुत बड़ा पुश्तैनी खेत था। दोपहर होने के कारण कैलास के दादा हॉल में चटाई बिछाकर सो रहे थे। नंदिता चाची अपने बेटे के साथ उनके ही पास थोड़ा आराम कर रही थीं। उसने आज गुलाबी साड़ी और काला ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज में उसके मुम्मे उठकर दिख रहे थे। उनको देखते ही कैलाश के मुँह में पानी आ रहा था। चाची अभी भी जगी हुई थी तो उसने चटाई से उठकर कैलास को हाथ-पैर धोने के लिए घर के पीछे वाले बाथरूम भेज दिया। जब वह बाहर से रसोई में आया तो नंदिता चाची ने उसके लिए खाना परोस दिया। जब वह जमीन पर बैठे हुए खाना खा रहा था, तो वह उसके सामने बैठ गई और उससे बातें करने लगी। कैलास को उसका खुलापन पसंद था। बार-बार उसकी नजर उसके सीने पर जा रही थी। वह सोच रहा था कि समर चाचा कितने भाग्यशाली हैं! उसे हर दिन इतने सुडौल स्तन चूसने मिलते थे। और अब उसे दूध भी आ रहा था, तो चाचा के तो मजे ही थे!
खाना खाने के बाद कैलास एक कमरे में सोने चला गया। अभी दोपहर के तीन ही बज रहे थे, इसलिए नंदिता चाची भी हॉल में चटाई पर सोने चली गईं।
चूंकि कैलास का परिवार खानदानी था, हॉल की एक दीवार में फायरप्लेस थी जो की अब ठंड के मौसम में काम आती थी। इसलिए रात को परिवार के सब लोग हॉल में ही सोते थे। समर चाचा ने हॉल में सभी के लिए एक के ऊपर एक ऐसे दो बेड शीट फेर दिए। और कैलास को फायरप्लेस के पास सोने को कहा क्योंकि बाहर बहुत ठंड थी। कैलाश के दादा उसके पास और नंदिता चाची उनके दूसरी तरफ सो गई । उसने अपने बेटे को अपने और समर चाचा के बीच रखा। समर चाचा आखिरी थे तो उन्होंने अपने शरीर पर एक मोटा कंबल ओढ़ लिया। कैलास, उसके दादा और चाची ने कम्बल जैसा कुछ भी नहीं लिया क्योंकि फायरप्लेस की आग काफी उबाऊ थी। आज दोपहर बहुत ज्यादा सोने के कारण कैलास को जल्दी नींद नहीं आ रही थी तो वह फायरप्लेस की जलती लकड़ियों को देखता रह गया था। पहले तो उसके चाचा-चाची और दादा बातें कर रहे थे। थोड़ी देर बाद चाची अपने ससुर की ओर पलट गई और उन्हें बच्चे की तरह अपनी बाहों में लेकर सुलाने लगी। फिर भी वे कुछ कह रहे थे तो उसने उन्हें डाट ते हुए कहा,
"अब सो जाओ। बहुत देर हो चुकी है। क्या आपको कल जल्दी उठना नही है?" दादाजी चुप हो गए और एक बच्चे की तरह उसकी बाहों में सो गए। कैलास अपनी चाची के इस खुलेपन से बहुत प्रभावित हो गया। फिर वह भी सपने में सोचते हुए सो गया कि एक दिन वह भी ऐसेही उसकी गोद में सो पाएगा।
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कैलास ने अभी-अभी नौकरी शुरू की थी। एक प्रोजेक्ट पर काम खत्म करने के बाद बॉस ने सभी को एक महीने की छुट्टी दे दी। अतः कैलास कुछ दिनों के लिए विश्राम करने के लिए अपने चाचा के गाँव आ गया।
कैलास के समर चाचा 45 साल के थे। हालांकि इनकी शादी 3 साल पहले ही हुई थी। उनकी पत्नी नंदिता चाची महज 32 साल की थीं। साड़ी में वह बेहद हॉट लगती थीं। लगातार 2 साल तक अपने बच्चे को दूध पिलानेसे उसके स्तन दूध से बहुत भरे रहते थे। वह खूबसूरत होने के साथ-साथ प्यारी और मजाकिया भी थी।
कैलास के दादाजी अब सत्तर साल हो गए थे। तो नंदिता चाची उन पर चिल्लाती रहती थी कि इतना गलत कुछ मत खाया करो। उन्हें चाय पीने की बहुत लत लग गई थी। वो दिन में कमसे कम 4-5 कप चाय तो पी ही लेते थे। चाची उनके इस लत को छुड़वाने के लिए बहुत प्रयास करती थीं लेकिन वो उसको नजर अंदाज कर लेते थे।
उस दिन जब कैलास घर पहुंचा तो समर चाचा खेत पर गया था। पूरे परिवार का एक बहुत बड़ा पुश्तैनी खेत था। दोपहर होने के कारण कैलास के दादा हॉल में चटाई बिछाकर सो रहे थे। नंदिता चाची अपने बेटे के साथ उनके ही पास थोड़ा आराम कर रही थीं। उसने आज गुलाबी साड़ी और काला ब्लाउज पहन रखा था। ब्लाउज में उसके मुम्मे उठकर दिख रहे थे। उनको देखते ही कैलाश के मुँह में पानी आ रहा था। चाची अभी भी जगी हुई थी तो उसने चटाई से उठकर कैलास को हाथ-पैर धोने के लिए घर के पीछे वाले बाथरूम भेज दिया। जब वह बाहर से रसोई में आया तो नंदिता चाची ने उसके लिए खाना परोस दिया। जब वह जमीन पर बैठे हुए खाना खा रहा था, तो वह उसके सामने बैठ गई और उससे बातें करने लगी। कैलास को उसका खुलापन पसंद था। बार-बार उसकी नजर उसके सीने पर जा रही थी। वह सोच रहा था कि समर चाचा कितने भाग्यशाली हैं! उसे हर दिन इतने सुडौल स्तन चूसने मिलते थे। और अब उसे दूध भी आ रहा था, तो चाचा के तो मजे ही थे!
खाना खाने के बाद कैलास एक कमरे में सोने चला गया। अभी दोपहर के तीन ही बज रहे थे, इसलिए नंदिता चाची भी हॉल में चटाई पर सोने चली गईं।
चूंकि कैलास का परिवार खानदानी था, हॉल की एक दीवार में फायरप्लेस थी जो की अब ठंड के मौसम में काम आती थी। इसलिए रात को परिवार के सब लोग हॉल में ही सोते थे। समर चाचा ने हॉल में सभी के लिए एक के ऊपर एक ऐसे दो बेड शीट फेर दिए। और कैलास को फायरप्लेस के पास सोने को कहा क्योंकि बाहर बहुत ठंड थी। कैलाश के दादा उसके पास और नंदिता चाची उनके दूसरी तरफ सो गई । उसने अपने बेटे को अपने और समर चाचा के बीच रखा। समर चाचा आखिरी थे तो उन्होंने अपने शरीर पर एक मोटा कंबल ओढ़ लिया। कैलास, उसके दादा और चाची ने कम्बल जैसा कुछ भी नहीं लिया क्योंकि फायरप्लेस की आग काफी उबाऊ थी। आज दोपहर बहुत ज्यादा सोने के कारण कैलास को जल्दी नींद नहीं आ रही थी तो वह फायरप्लेस की जलती लकड़ियों को देखता रह गया था। पहले तो उसके चाचा-चाची और दादा बातें कर रहे थे। थोड़ी देर बाद चाची अपने ससुर की ओर पलट गई और उन्हें बच्चे की तरह अपनी बाहों में लेकर सुलाने लगी। फिर भी वे कुछ कह रहे थे तो उसने उन्हें डाट ते हुए कहा,
"अब सो जाओ। बहुत देर हो चुकी है। क्या आपको कल जल्दी उठना नही है?" दादाजी चुप हो गए और एक बच्चे की तरह उसकी बाहों में सो गए। कैलास अपनी चाची के इस खुलेपन से बहुत प्रभावित हो गया। फिर वह भी सपने में सोचते हुए सो गया कि एक दिन वह भी ऐसेही उसकी गोद में सो पाएगा।
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