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Adultery खूबसूरत डकैत (Completed)

Chutiyadr

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समय बीतता जा रहा था ,मैं चंपा से शादी करना चाहता था लेकिन मोंगरा को मैंने वचन दिया था की मैं पहले ठाकुर को उसके किये की सजा दूंगा लेकिन ठाकुर के खिलाफ कोई भी सबूत ही हाथ नही लग रहा था,ठाकुर भी मेरा ट्रांसफर कही दूसरी जगह करना चाहता था लेकिन नही कर पा रहा था,

इधर चंपा डिग्री कंप्लीट हो गई और हम दोनों ने उसके पोस्ट ग्रेजुएशन सेरेमनी में हिस्सा लिया,उसे कनाडा की एक कंपनी का ऑफर भी मिला लेकिन उसने प्यार से इनकार कर दिया,

“यार तुम इन झंझट से दूर क्यो नही चली जाती ,मैं भी अपना काम खत्म करके वही आ जाऊंगा दोनों वही सेटल हो जाएंगे”

एक दिन मैंने उसे कह ही दिया

“मिस्टर अजय जी पहले मुझे अपनी बीवी बनाइये फिर मैं कही जाऊंगी,तुमसे शादी किये बिना मैं तुम्हे नही छोड़ने वाली “

चंपा की बात सुनकर मैं थोड़ा उदास हो गया

“क्या करू समझ से परे है ,ठाकुर मेरे सोच से कही ज्यादा चालाक है ,बेटे के मर जाने के बाद ऐसे तो वो टूट सा गया है लेकिन अभी भी उसकी पहुच बाकी है ,हमने उसके गलत कामो को बंद तो कर दिया लेकिन उसके खिलाफ कोई ऐसा सबूत नही जुटा पाए की उसे कोई सजा मील सके “

“तो तुम सच में उस कसम को लेकर सीरियस हो “

चंपा मेरे आंखों में देख रही थी …

“बहुत ज्यादा …”

“तो तुम्हरे पास समय है जितना तुम लेना चाहो,मैं कही नही जा रही तुम्हे छोड़कर ,ठाकुर ने मेरे पिता और मेरे मा को मार डाला लेकिन मेरे दिल में कभी उसके लिए बदले की भावना नही उठी ,लेकिन मोंगरा ने अपनी जिंदगी लगा दी ,मैं उसके जैसी नही हो सकती लेकिन मैं उसकी इज्जत करती हु ,उसका सपना पूरा करो अजय मैं तुम्हारी ही हु ,और तुम्हारी बीवी बनने के लिए कई जन्मों तक इंतजार कर सकती हु “

चंपा की आंखों में हल्की नमी थी लेकिन होठो में एक प्यारी सी मुस्कान हमारे होठ मिल गए थे…..

***********

“ये क्या कह रहे हो तिवारी जी “

“सच कह रहा हु सर वो खुद आपसे मिलने आने वाला है “

तिवारी की बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया था लेकिन मैंने एक गहरी सांस ली

“ठिक है आने दो उसे देखते है क्या कहता है ..”

ठाकुर प्राण मुझसे मिलना चाहता था ,और मुझसे मिलने खुद आ रहा था क्या बात है ,लेकिन क्यो...बहुत जोर लगाने पर भी मुझे कुछ समझ नही आया ….


प्राण आकर मेरे सामने बैठ गया …….

“कहिए ठाकुर साहब आखिर हमे आज कैसे याद किया अपने “

मेरी बात सुनकर उसके होठो में एक फीफी की मुस्कान आई

“अजय जो हुआ वो तो हो गया लेकिन अब मैं अपने किये पर शर्मिंदा होता हु ,मैंने अपने भाई को खो दिया,अपने बेटे को खो दिया,मेरी बीवी मुझसे सालों से बात नही करती ,इतने धन दौलत का मैं करू तो क्या करू ,सब जैसे अब मुझे मिट्टी से लगने लगे है …

मैंने पूरी जिंदगी सिर्फ दौलत और ताकत कमाने में लगा दी अजय,अब मैं सकून की जिंदगी जीना चाहता हु इन सब लफड़ो से दूर …

मेरी बात से ये मत समझना की मैं तुम्हारे पास अपने को सिलेंडर करने आया हु ,नही मैं आज तक पुलिस के हत्थे नही चढ़ा आगे भी नही चढ़ूंगा क्योकि मेरे पहले किये बुरे कामो का कोई सबूत है नही और अब मैंने सारे बुरे काम खुद ही खत्म कर दिए है …

मैं यंहा तुम्हे आमंत्रण देने आया हु ,मैं एक नई शुरुवात करना चाहता हु ,इसलिए घर में एक पूजा रखी है जिससे मेरे बेटे की आत्मा को भी थोड़ी शांति मिले तुम्हे और चंपा को आना ही है ,अगर तुम आओगे तो मुझे और पूनम को अच्छा लगेगा..”

मैं ठाकुर को देखता ही रहा वो थोड़ी देर रुका और फिर बोलने लगा

“पूनम ने हमेशा ही मोंगरा और रणधीर को अपने बच्चों की तरह प्यार किया है ,ये उसके लिए बड़े ही दुख की घड़ी है,

वो चाहती थी की एक बार मोंगरा से मिल पाए,शायद चंपा के रूप में उसे मोंगरा दिख जाए …”

वो मुझे नमस्कार करता हुआ एक कार्ड देकर चला गया साथ ही तिवारी जी को भी एक कार्ड दिया था …..

मैं और तिवारी जी एक दूसरे को ही देख रहे थे,आंखों ही आंखों में एक दूजे को ये पूछ रहे थे की जाए की नही …

***********

“ठाकुर ने जो भी किया हो लेकिन हमे पूनम मौसी के लिया वंहा जाना चाहिए ,उन्होंने मोंगरा को दिल से प्यार किया था,अपनी बच्ची की तरह उसकी हिफाजत की और उनके ही कारण तो मा और बुआ ठाकुर के चुंगल से निकल पाई ,हम इतना कुछ कैसे भूल सकते है …”

ठाकुर के आमंत्रण की बात का पता चलते ही चंपा भावुक हो गई थी …

थोड़ी देर बाद ही मुझे पता चला की ठाकुर ने कुछ विक्रांत,भावना और डॉ चूतिया को भी निमंत्रण दिया है ,उसके साथ कुछ VIP लोग भी आ रहे थे …

आखिर हम सबने जाने का फैसला कर लिया ……

 

Chutiyadr

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चम्पा मेरी चम्पा इतनी खूबसूरत थी ,वो एक लाल रंग की साड़ी में किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी ,उसकी पतली झालरदार साड़ी उसे कसे हुए जिस्म में कसी हुई थी ,कमर में एक चांदी का कमरबंध लटक रहा था,उसकी नाभि के पास पेट का हिस्सा पूरी तरह से दर्शनीय था,पतली कमर और चौड़ी चूतड़ वाली मेरी जान के गोर गोरे जिस्म जो की उस लाल साड़ी की लालिमा से झांक रहे थे और मुझे दीवाना बना रहे थे,ऐसे तो मैंने उसे कई बार ही बिना किसी कपड़ो के भी देखा था लेकिन एक भारतीय नारी अगर साड़ी पहने खड़ी हो तो आप कुछ और कैसे देख सकते है…

उसकी लाल साड़ी के किनारों पर नक्कासी की गई थी ,हाथो का वर्क था जो की हरे पट्टी के ऊपर किया गया था,साथ ही उसने लाल रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था,साड़ी पतली थी और ब्लाउज खुले हुए गले का दोनों का कॉम्बिनेशन किसी भी मर्द के दिल की धड़कनों को बढ़ाने के लिए काफी था,और उसके साथ उसका वो मादक जिस्म …..

उसने हल्के हल्के अपने गले के पास कुछ परफ्यूम का छिड़काव किया जिससे कमरे में हल्की गंध झूम उठी साथ ही मेरा दिल भी ,मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया था ,वो कसमसाई तो उसके हाथो की चूड़ियां खनक उठी……..

लाल हरे रंग की चूड़ियां कुछ चमकीले चूड़ियों के साथ पहने गए थे,मैंने उसके हाथो को अपने हाथो में ले लिया,उसकी हर चीज आज गजब की थी……

“कहर ढाने का इरादा है क्या ??”

मैं किसी सम्मोहन के आवेश में आकर बोल उठा..

“कहर ..??? आप के सिवा किसपर कहर बरसाउंगी ,”

उसने अपने निचले होठो को अपने दांतो से हल्के से कांटा ..और शरमाई मैंने उसे अपनी ओर पलटा लिया था ,उसके सीने मेरे सिनो में धंस गए

“ओह तो मेरी रानी मुझपर ही कहर बरसा रही है..”

मैंने उसके गले को चूमना चाहा लेकिन उसने अपना गला घुमा लिया फिर भी मेरे होठ का गीलापन उसके गले में जा चिपका ..

वो फिर से मचली

“ओहो छोड़ो ना पूरा खराब कर दोगो …”

“अरे जान खराब करने के लिए ही तो सजी हो ..”

मैंने थोड़े और जोर से उसे अपनी ओर खींचा

“हटो पार्टी के बाद घर आकर पूरा खराब कर लेना अभी तो हटो ..”

उसने मुझे धक्का दिया और मैंने उसे छोड़ दिया

“तो पूरी शाम बस मुझे तड़फाना पड़ेगा “

मेरी बात सुनकर वो हँस पड़ी

“थोड़ी सी तड़फन भी अच्छी होती है जान,सुना नही है क्या इंतजार का फल मीठा होता है...अब चलो जल्दी से तैयार हो जाओ ,फूफा जी और भावना भी आते ही होंगे “

वो मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर जाने लगी लेकिन फिर रुक गई और पलटी और नीचे देखने लगी

“और अपने इसको भी थोड़ा सम्हालो टॉवेल फाड़ कर बाहर ना आजाये “

वो खिलखिलाते हुए बाहर भाग गई ,मेरी नजर नीचे गई सच में मेरा औजार टॉवेल फाड़ने को बेताब हो गया था ……..


“ओहो जीजू मैंने सुना था की लडकिया तैयार होने में टाइम लगती है लेकिन पहली बार देख रही हु की बीबी तैयार बैठी और और पति देव तैयार होने में लेट हो गए ...ऐसे हैंडसम लग रहे हो “

मेरे कमरे से निकलते ही भावना की आवाज आई ,वो लोग आ चुके थे ..

“अरे यार काम में फंस गया था ..”

************

ठाकुर के घर पूजा में सभी जाने पहचाने चहरे आये हुए थे,शहर से डॉ चूतिया और उनकी सेकेट्री मेरी भी पधारी थी,तिवारी जी भी आये हुए थे,प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री भी आये हुए थे,पुलिस विभाग के कई अधिकारी मुझे वंहा मिल गए ,ठाकुर जैसे अपने गुनाहों को साफ कर सभी से अच्छे रिश्ते बनाना चाहता था वो सभी से अच्छे से मिल रहा था मैंने अपने जीवन में उसे इतना नम्र कभी नही देखा था,साथ ही उसकी बीवी पूनम भी थी …...जब हम अंदर आये तो पूनम हमारे पास आ गई और चम्पा को देखते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए ..

वो बार बार चम्पा के गालों को सहला रही थी ,तो कभी वो भावना पर भी अपना प्यार बरसाती ,भावना और चम्पा की भी आंखे गीली थी …..

मैंने इस हवेली के बारे में बहुत कुछ सुना था ,ऑफकोर्स कहानियों में लेकिन आज उसके अंदर आकर देख भी रहा था ,मैंने गौर किया जितना मैंने सोचा था ये उससे कही बड़ी थी ,मुझे याद आया की कैसे इसी हवेली में मोंगरा बड़ी हुई थी ,उससे पहले पूनम को कालिया ने इसी हवेली में प्रैग्नेंट किया था ,इसी हवेली के किसी कमरे में रोशनी और कनक को बंदी बनाया गया रहा होगा...मैं पूरी हवेली को ध्यान से देख रहा था तभी मेरे पास विक्रांत और डॉ आकर खड़े हो गए ..

“क्या देख रहे हो अजय ,”विक्रांत ने कहा

“कुछ नही फूफा जी बस ..”

“ह्म्म्म इसी हवेली में मेरा बचपन बिता और मैं यही जवान हुआ...इसी हवेली में मुझे मेरी कनक मिली “

विक्रांत ने एक गहरी सांस छोड़ी जैसे पुरानी यादों को वो बहुत मिस कर रहा हो

तभी मुझे हवेली के छत पर कोई इंसान की परछाई दिखाई दी …

“वंहा इस वक्त कौन होगा “अंधेरे के कारण मुझे साफ साफ कुछ नही दिख रहा था लेकिन मुझे इतना तो यकीन था की कोई व्यक्ति छत पर घूम रहा होगा ..

दोनों भी उस ओर देखने लगे

“होगा कोई हवेली का ही नॉकर ,यंहा बहुत से लोग काम करते है “

विक्रांत बोल उठा ………..

***********

पूजा खत्म हो चुकी थी कई मेहमान भी जा चुके थे ,पूनम और ठाकुर के विशेष अनुरोध पर कुछ लोग ही रुके हुए थे,सभी बड़े से हाल में बैठे बाते कर रहे थे ,मर्दों के लिए ड्रिंक्स की व्यवस्था की गई थी वही औरते आपस में ना जाने क्या बात करने में बहुत ही व्यस्त दिख रही थी …

डॉ,मेरी ,मैं ,चम्पा,विक्रांत ,भावना ,तिवारी के अलावा ठाकुर का एक अजीज दोस्त गृहमंत्री सेठ रुके हुए थे ..

“विक्रांत मैं चाहता हु की तुम बिटिया के साथ फिर से हवेली में आ जाओ “

पेग लगते हुए ठाकुर प्राण बोल उठा ,लेकिन विक्रांत बस अवाक उसके चहरे को देखने लगा जैसे उसे यकीन ही नही हो रहा था की उसे कोई ऐसा कुछ कहेगा …

“तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं हमेशा से ही तुमसे बेहद ही प्यार करता हु …”

विक्रांत कुछ भी नही बोल पाया बस उसके आंखों में आंसू ही थे …

थोड़ी देर बाद सभी ने मिलकर डिनर किया रात बहुत हो चुकी थी हम जाने वाले थे लेकिन ठाकुर ने हमे फिर से रोक लिया ,उसके हाथ में एक लड्डू का पैकेट था ,

“बातों बातों में हम प्रसाद लेना तो भूल ही गए “प्राण के होठो में एक मुस्कान थी सभी का उसपर ध्यान गया

“लाओ मैं बांट देता हु “

मंत्री सेठ ने उसके हाथो से वो पैकेट ले लिया और सभी को बांटने लगा ,सभी ने बारी बारी से वो लड्डू खा लिया था अंत में वो ठाकुर के पास पहुचा ,सभी की आंखे उस समय ठाकुर के ऊपर जम गई जब सेठ ने प्राण को लड्डू नही दिया बल्कि हम सभी को देखते हुए हँसने लगा …

सभी की आंखे फट रही थी ,जैसे कुछ समझ नही आ रहा हो की आखिर हुआ क्या …

“तुम सभी के कारण आज मेरी ये हालत हुई है आज मैं सबसे अपना बदला लूंगा “

अचानक ही प्राण के चहरे का भाव बदला और वो अट्हास करने लगा,मेरे तो जैसे पैरों से जमीन ही खिसक गई थी ,मुझे समझ आ चुका था की आखिर हमारे साथ क्या हुआ है ,मैंने खड़े होने की कोशिस की लेकिन ..

धड़ाम ..

मैं जमीन में गिर गया था यही हालात चम्पा और डॉ की भी थी जिन्होंने खड़े होने की कोशिस की थी ,मैं कुछ बोलने वाला था लेकिन लगा जैसे मुह खोलने तक की ताकत नही बची है ,पूरा शरीर शून्य पड़ने लगा था ,जैसे पूरा शरीर पड़ा तो है लेकिन उसपर अब मेरा कोई भी काबू नही रह गया ,मुझे सब दिखाई और सुनाई दे रहा था,मैंने अपना सर घुमा कर चम्पा की ओर देखना चाहा जो की मेरे पीछे ही जमीन में गिरी हुई थी लेकिन सर भी घुमा नही पाया,ठाकुर के इरादों की समझ मुझे आ चुकी थी ,और अपना अंत नजदीक ही दिख रहा था ,कुछ ही देर हुए थे की कानो में आने वाली आवाजे भारी होती गई ऐसा लगा जैसे वो दूर जा रही है आंखे भी ना चाहते हुए बंद हो रही थी ,उसे खोले रखने तक की ताकत मुझमें नही थी ,आखिर सब कुछ धुंधला हो चुका था और बस एक सेकेंड की बात और सारी आवाजे और दृश्य गायब हो गये ……….

*********************

ना जाने कितनी देर हो चुकी थी ,मुझे लगा था जैसे मैं कभी आंखे नही खोलूंगा लेकिन मुझे होश फिर से आने लगा था ,मुझे कुछ कुछ आसपास का आभास होने लगा था ,आसपास कई लोगो की आवाजे आ रही थी जैसे बहुत भीड़ लगी हो ,मैंने धीरे से आंखे खोलने की कोशिस की मैं सफल भी हुआ ,सामने ऊपर छत दिखाई दे रही थी ,मैंने अपना गला मोड़ने की कोशिस की तभी किसी ने मेरे सर को अपने हाथो से उठाया ..

“रिलेक्स आराम से अभी कोई ताकत मत लगाइए आप ठीक है ..”

वो एक लड़की की आवाज थी मैंने देखा वो चहरा मैंने पहले कभी नही देखा था लेकिन उस सौम्य से चहरे में मुझे देखकर हल्की सी मुस्कान जरूर आ गई ,..

कुछ ही देर में मैं सामान्य हो चुका था और उस लड़की ने मुझे उठाकर बिठा दिया था …

“ये सब क्या हो रहा है “

मैंने उस लड़की से कहा जिसने एक डॉ वाला एप्रॉन पहने हुए था ,

“आप ठीक है आपको नशे की कोई दवाई खिलाई गई थी जिसके कारण आप बेहोश थे लेकिन अब आप होश में है ..”

मैंने नजर चारो ओर घुमाई सामने चम्पा मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी वही डॉ और विक्रांत भी होश में आ चुके थे और उन्हें भी डॉ उठाकर बिठा रहे थे ,बाकी के लोग अभी होश में नही आये थे जबकि तिवारी जी होश में आकर कुर्सी में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे…वो डॉ मुझे छोड़कर दुसरो के पास चली गई

“ये सब क्या है तिवारी और ठाकुर और सेठ कहा है “

तिवारी मेरी बात सुनकर मुस्कुराया जिससे मैं और भी अचंबित हो गया ,हम जैसे नया जन्म लेकर आये थे पता नही हम जिंदा क्यो थे ?क्योकि ठाकुर तो हमे मारने का प्लान बना ही चुका था…

तिवारी एक चाय का कप लेकर मेरे पास आ गया और मुझे दिया

“थोड़ा रिलेक्स हो जाओ सर ,जवाब बाहर है,पहले चाय पी लो थोड़ा रिलेक्स हो जाओ फिर बाहर चलते है “

मैं बिना कुछ बोले चाय पीने लगा ,वंहा कोई भी कुछ नही बोल रहा था,डॉक्टरो की टीम सभी के पास जाकर उनके नब्ज़ देख रही थी और उन्हें इंगजेक्सन लगा रही थी जिससे लोग फिर से होश में आ रहे थे ,वही कमरे के बाहर मुझे और भी हलचल दिखाई दे रही थी कुछ पुलिस वाले भी दिखे जिससे मेरी उत्सुकता और भी बढ़ रही थी ,चम्पा बिल्कुल ही रिलेक्स दिख रही थी वो आंखे बंद कर सोफे से टिकी हुई लेटी हुई थी हमारे बीच कोई भी बात नही हुई …

चाय खत्म कर मैं खड़ा होने की कोशिस करने लगा,तिवारी ने मुझे थोड़ा सहारा दिया मैं अब अपने पैरों पर आराम से खड़ा था ..

हम बाहर आये और बाहर बरामदे पर पहुचते ही मैं फिर विस्मय से भर गया,चारो ओर बस पुलिस ही पुलिस दिख रही थी ,यंहा तक की कमिश्नर भी आये हुए थे…..

पास ही खड़ा एक सिपाही पंचनामा बना रहा था,

“इधर दिखाओ “

मैंने उसके हाथो से वो पंचनामा पकड़ा ,मैं उसे पढ़ने लगा

“ये सब क्या ..ठाकुर और सेठ “

मैंने सिपाही को देखा

“जी सर दोनों कल रात आप लोगो को नशे की दवाई देने के बाद भारी शराब के नशे में छत से गिर कर मर गए …सीसीटीवी फुटेज से पता चला की इन दोनों ने मिलकर ही लड्डू में नशे की दवाई डालकर आप लोगो को खिलाया था ”

मैं अभी उसे देख रहा था तो कभी तिवारी को और कभी बरामदे में पड़े हुए उन दो लाशों को ……………...

 
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