14
अजय के हाथो में रुमाल में लिपटी हुई नोट की दो गड्डिया थी ,वो उसे अपने हाथ में झूला रहा था,मन बिल्कुल शांत ऐसा लग रहा था जैसे वो इसे तौल रहा हो …
मन में कई विचार एक साथ चल रहे थे ,
“साहब साहब “
तिवारी की आवाज से जैसे वो चौका और फिर तुरंत ही उन गड्डियो को एक दराज में डालकर बाहर आया …
“अरे पंडित जी आप यंहा “
“साहब आप कल से दिखे नही तो सोचा की चलो हलचल पूछ आऊ ,तबियत तो ठीक है ना “
“ओह वो हा मैं ठीक हु ,”
वो थोड़ी देर तक सोचता ही रहा
“अच्छा तिवारी जी एक बात बताइये की क्या आपको चम्पा का घर पता है “
तिवारी एक गहरी मुस्कान में मुस्कुराया
“क्या बात है साहब बड़ी बेताबी हो रही है उससे मिलने की ..”
अजय अपनी ही बात को सम्हालता हुआ बोला
“ऐसा तो कुछ नही बस ...बस सोचा की जो लड़की खतरनाक डाकू की बहन हो उसे अपनी नजर में रखना ही चाहिए “
तिवारी जैसे उसके मन के दशा को समझ गया था
“अच्छा चलिए लिए चलता हु आपको भी ,आप भी इस शक को दूर कर ही लो की वो दोनो एक नही दो है “
अजय थोड़ा झेंपा जरूर लेकिन वो उसके पीछे हो चला,दोनो ही अजय के बुलेट से जा रहे थे,एक समय के बाद रास्ता भी बंद हो गया था ,इतना घना जंगल देख कर तो अजय को थोड़ा डर भी लगा ,गाड़ी वही खड़ा कर वो दोनो ही एक बड़े बड़े पेड़ो के बीच से होते हुए उबड़ खाबड़ रास्तों पर चलने लगे ,और थोड़ी ही देर में उन्हें कुछ झोपड़ियां दिखाई दो ,मुश्किल से 7-8 झोपड़ियां थी ..
वँहा पहुचते ही लोग उन्हें अजीब निगाहो से देखने लगे ,वो अजय को ऐसे देख रहे थे जैसे की वो किसी दूसरे ग्रह से आया हुआ हो,तिवारी उनके लिए नया नही लग रहा था …
हर घर बड़ी दूर दूर में बसा हुआ था ,और बड़ी ही शांति पसरी हुई थी ,
अजय और तिवारी दूसरे छोर तक पहुचे एक छोटी सी झोपडी थी जो की अन्य घरों के मुकाबले थोड़ी और अलग थलग थी ,घर के बाहर एक बुड्डा बैठे हुए बीड़ी पी रहा था ,चारो ओर अथाह शांति फैली थी बस झींगुरों की आवाजे फैली थी या तो पत्तो की सरसराहट,कभी कभी कुछ बच्चों की हँसी भी सुनाई दे जाती थी ,
बरामदे में घुसते ही एक मादक सी गंध अजय के नाक में पड़ी जिसने उसे मदहोश सा कर दिया था,ये गंध थी महुए ही ,महुआ जो की आदिवासियों के द्वारा बनाया गई शराब थी जो की वो लोग खुद ही बनाते है ,बिल्कुल ही शुद्ध..
तिवारी जाकर बुजुर्ग के पैर पड़ता है
“चम्पा दिखाई नही देती ,हमारे नए साहब है महुआ पीने आये है ..”
बुजुर्ग ने थोड़ी देर तक अजय को घूरा फिर अदंर चला गया ,अजय को उसका व्यवहार थोडा अजीब लगा लेकिन वो बुजुर्ग थोड़ी ही देर में एक मटकी जैसे पात्र लिए कोई पेय लेकर उपस्तिथ हुआ ,
अजय के नाक में वही गंध फिर से फैल गई लेकिन इस बार वो थोड़ी ज्यादा ही थी ,
फिर उस बुजुर्ग ने 3 ग्लास लाये और पूरी तरह से महुए से भर दिया ,तिवारी ने तिरछी निगाहों से अजय की ओर देखा और मुस्कराया ,
तीनो ने ही ग्लास थाम लिया ये अजय के जीवन में पहली बार था जब वो हाथ से बनी हुई शराब चख रहा था,उसे लगा जैसे आजतक उसने जो महंगी से महंगी शराब पी है वो भी इसकी मादकता और पवित्रता के सामने फीकी है ,बिल्कुल ही ओरिजनल और साफ …
पहला ही ग्लास अजय के दिमाग में एक सुरुर पैदा कर चुका था ……..
दूसरे के बाद से उसकी आंखे बंद होनी शुरू हो गई ,
“चम्पा कहा है “
उसने अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में कहा
“वो अभी जंगल में महुआ बीनने गई है ,लकड़ी वगेरह इकठ्ठा करके ही आएगी…”
बुड्ढे ने पहली बार कुछ सही कहा था ,तीसरा ग्लास भी भर दिया गया था लेकिन अजय समझदार व्यक्ति था उसने उसे प्यार से मना कर दिया वो जो पता करने आया था वो नशे में समझ ही नही सकता था,
थोड़ी ही देर में एक लड़की एक साड़ी पहने आती हुई दिखाई दी,बस सूती साड़ी का एक कपड़ा और वही तराशा हुआ जिस्म जिसे देख कर अजय जैसा मर्द भी मदहोश हो गया था ,अजय की आंखों में चमक आ गई क्योकि सामने से आने वाली लड़की उसकी चम्पा थी,,,
चम्पा पास आयी और बड़े सलीके से उसने दोनो के सामने हाथ जोड़े और कमरे में चली गई ,
“लो मिल लो यही है चम्पा “
तिवारी अच्छे नशे की हालत में आ चुका था ,थोड़ी ही देर में चम्पा बाहर आयी और अजय को देखकर मुस्कुराने लगी ,
अजय को इस नशे की हालत में चम्पा और भी हसीन दिखाई देने लगी थी ,चम्पा भी उसे यू देखता हुआ देखकर मुस्कुराई,साथ ही उसके चहरे में नारी सुलभ शर्म फैल गया,
“अरे सर एक और हो जाए अब तो देख ही लिया ना अपने “
तिवारी की बात सुनकर अजय ने एक ग्लास और ले ही लिया ,लेकिन इससे वो पूरी तरह से घूम चुका था और आखिर में तिवारी ने ही उसे उठाकर वँहा से उसके घर छोड़ा ….
शाम जब उसकी आंखे खुली तो होठो के एक मुस्कान थी वो चम्पा से मिलना चाहता था और फिर से वो उसके घर के ओर चल दिया ,
वँहा चम्पा उसे बच्चों के साथ खेलते हुए मिली शाम ढलने को थी और चम्पा उसे देखकर भागते हुए अपने घर के अंदर घुस गई ..
“अरे रुको तो सही “
वो उसके पीछे ही भागा था लेकिन बाहर उसके बाप को देखकर वो वही रुक गया ,लेकिन देखा की वो चिलम जला कर रखा था और पूरे नशे में था,
अजय जाकर उसके पैर छुवे
“फिर से पीने चले आये”
बुजुर्ग की बात सुनकर वो थोड़ा मुस्कुराया
और मन में सोचा
‘पीने तो आया हु लेकिन शराब नही शबाब ‘
थोड़ी ही देर हुई थी की चम्पा अपने हाथो में एक मटकी लेकर आ गई ,और एक ग्लास में शराब भर कर अजय की ओर बड़ा देती है ,उसके चहरे में शर्म की मुस्कान थी अजय भी उसे घूरे जा रहा था ,
“ऐसे क्या देख रहे हो “
उसकी प्यारी आवाज से अजय जैसे फिर से होशं में आया
“बहुत प्यारी लग रही हो “
वो और शर्मा गई
“खाना खा के जाना आपके लिए देशी मुर्गा बना देती हु “
चम्पा ने हल्के से कहा
“ओह पति देव की इतनी सेवा “
“चुप रहो”
चम्पा घबराकर अपने बापू की ओर देखी लेकिन वो तो नशे में धुत पड़ा था और फिर हल्के से मुस्कुराई और अजय के कंधे पर एक चपत मार दी ,
“चलो जल्दी से इसे खत्म करो जल्दी से खाना बना देती हुई बापू तो लगता है आज ऐसे ही रहेंगे “
“वाओ तो आज रात में …”
अजय इतना ही बोलकर रुक गया लेकिन चम्पा के चहरे में मुस्कराहट और भी बढ़ गई लेकिन साथ ही शर्म भी ,वो भागते हुए वँहा से अंदर चली गई लेकिन उसकी अदा से ही अजय के दिल में गुदगुदी उठ गई,और वो बेख़ौफ़ ही उठा और कमरे के अंदर चला गया ,उसे देखते ही चम्पा घबराई और थोड़ी पीछे हो गई ,अजय उसके करीब जा खड़ा हो गया था दोनो की ही सांसे तेज थी और एक दूसरे के चहरे से टकरा रही थी ,
चम्पा एक दम से शांत हो गई थी और अपनी नजर नीचे किये हुई थी ,वही अजय की भी नजर बस उसके चहरे में जा टिकी थी ..
“ऐसे क्या देख रहे हो ,बाहर बापू बैठे है”
चम्पा की बात को जैसे अजय ने अनसुना कर दिया और अपने चहरे को उसके पास लाते हुए उसके गालो को चूमने की कोशिस की लेकिन चम्पा ने अपना चहरा सरका लिया ,उसके होठो में मुस्कुराहट थी लेकिन दिल जोरो से धड़क रहा था …
अजय ने अपने हाथो से उसके चहरे को अपनी ओर किया अब चम्पा के माथे पर पसीना था ,वो कोई विरोध नही कर रही थी उसकी आंखे बंद थी ,अजय ने अपने होठो को चम्पा के होठो के पास लाया और चम्पा की सांसे और भी तेज होने लगी उसके होठो भी फड़फड़ाने लगे लेकिन,वो जड़वत बस वही खड़ी रही और अजय ने बड़े ही इत्मीनान से उसके होठो को अपने होठो में ले लिया ..
चम्पा की तो जैसे सांसे ही रुक गई थी उसे लगा जैसे उसके शरीर में कोई भी ताकत बाकी नही है और वो गिर जाएगी उसने खुद को अजय के बांहो में डाल दिया ,अजय भी प्यार से उसके बदन को सहलाते हुए फिर से उसके चहरे को उठाया और उसके चहरे को ध्यान से देखने लगा,
इतना मोहक रूप अजय ने देखा ही नही था,वो फिर से अनायास ही उसके होठो में खुद के होठो को भिड़ा दिया ,इस बार चम्पा के हाथ अजय के सर पर जा टिके थे और वो उसके बालो को सहला रही थी वही अजय भी अपने जज़बातों की तूफान को होठो के जरिये चम्पा के अंदर धकेल रहा था …..
चम्पा का कसा हुआ बदन अजय के बदन से मिल चुका था ,चम्पा की गोल उभरी छतियो का मुलायम अहसास अजय के सीने में हो रहा था,अजय ने चम्पा की साड़ी हो उसके कंधे से हटाया और अपने होठो को उसके कंधे पर लगा दिया ,
लेकिन अजय को एक और आश्चर्य हुआ की वो सब घाव कहा गए जो उसने कल चम्पा को दिए थे ,जबकि चम्पा के दांतो के निशान अब भी अजय के कंधे पर जिंदा थे…
लेकिन अजय ने अभी ये सभी चीजे सोचने की फिक्र ही नही की और अजय ने फिर से चम्पा के कंधों को चूमना शुरू कर दिया ,चम्पा भी अपने अस्तित्व को अजय को सौपने लगी थी दोनो के जिस्म की गर्मी एक दूसरे में मिल रही थी …
और दोनो ही एक दूसरे में खोना चाहते थे …
लेकिन तभी …
गोली की आवाज पूरे वातावरण में गूंज गई …
अजय तुरंत ही सतर्क हो उठा वही चम्पा के चहरे में ख़ौफ़ साफ साफ दिख रहा था ……...
15
“ये क्या था “चम्पा बुरी तरह से चौकी
अजय तुरंत ही उठा और झोपड़े से बाहर की ओर गोली की दिशा में जाने लगा ,पहले तो चम्पा ने उसका हाथ पकड़ लिया था लेकिन फिर अजय ने उसे शांत किया,अजय तो चम्पा को बहुत ही निडर लड़की समझ रहा था लेकिन चम्पा का इस तरह से घबराना उसे दुखी कर गया …
वो भागता हुआ जंगल में पहुच चुका था किसी के दौड़ाने की आवाज का पीछा करने लगा उसे कुछ लोग दिखाई दिए …
“रुको “अजय जोर से चिल्लाया जिसे सुनकर सभी रुक गए और अजय की ओर देखने लगे…
“तुम कौन हो और जंगल में क्या कर रहे हो “उस रौबदार आदमी ने अजय से सवाल किया ,उसके साथ 2 लोग और थे सभी के हाथो में बड़ी बन्दूखे थी …
“मैं इंस्पेक्टर अजय हु ,यंहा का इंचार्ज …”अजय अपने सांसों को काबू में करता हुआ बोला
“ओह इंस्पेक्टर साहब ,मैं यंहा का रेंजर हु ,पता लगा था की कुछ लोग यंहा पर शिकार कर रहे है तो उन्हें पकड़ने चले आया था ,लेकिन सालो ने गोली चला दी,उन्ही का पीछा कर रहे थे …”
तो ये भी सरकारी आदमी था अजय को सुकून मिला
“कौन लोग थे मैं कुछ मदद करू “
“कहा सर वो लोग तो अब निकल चुके ….मोंगरा गैंग के लोग होंगे नही तो यंहा किसके पास बन्दूखे होती है “
“ओह”
अजय बस इतना ही बोल पाया था
“नाक में दम कर रखा है सालो ने ऊपर से भी प्रेशर रहता है ,क्या क्या देखे “
रेंजर तिलमिला गया था
“काम ही ऐसा है सर ,मेरी कोई मदद लगे तो बेहिचक कहिएगा ,मुझे भी उन्हें पकड़ना है ,आप की भी मदद लगेगी”
“बिल्कुल बिल्कुल और आप तो इसी लिए बुलाये गए है,जमीदार साहब ने तो आपको ऊपर बात करके बुलवाया है...चलिए आज आपसे मुलाकात भी हो गई “
दोनो ने हाथ मिलाया अजय फिर से चम्पा के झोपड़े की ओर चल पड़ा ,शांत जंगल में बस झींगुरों की आवाजे आ रही थी वो दौड़ाता हुआ दूर निकल गया था ,अब वो बिल्कुल ही अकेला था और रात के अंधेरे में सरसराता जंगल ,लेकिन फिर भी उसे डर नही लग रहा था,बल्कि वो तो चम्पा से मिलने को रोमांचित हुआ जा रहा था,
वो थोड़ी दूर ही आया था की उसे फिर से किसी के कदमो की आहत सुनाई दी ,वो सतर्क हो गया था ,और बड़े ही धीरे धीरे कदम बड़ा रहा था ,चांद के मध्यम प्रकाश में उसे रास्ते का इल्म तो हो रहा था लेकिन फिर भी दूर तक दिखाई नही दे रहा था…
“मेरे जानू …”
एक बहुत ही मदभरी और मीठी आवाज ने उसे चौका दिया वो इस आवाज को अच्छे से पहचान सकता था,वो चम्पा की आवाज थी …
वो इधर उधर देखने लगा लेकिन जंगल के बड़े बड़े पेड़ो में उसे कोई दिखाई नही दिया ,तभी उसे खिलखिलाने की आवाज आई ,वो समझ चुका था की चम्पा ही उसके साथ मस्ती कर रही है..
“कहा छुपी हो तूम सामने आओ ना “
अजय बेचैन होकर बोला
“तुम ढूंढो मुझे “
चम्पा फिर से खिलखिलाई ,अजय के चहरे में भी मुसकान आ गई ,
’कहा ये लड़की अभी इतना डर रही थी और कहा ये मेरे पीछे पीछे आ गई ,ना जाने ये क्या क्या खेल दिखाएगी ‘
वो हसंते हुए उस आवाज का पीछा करने लगा ,चम्पा के भागने से उसके पायलों की आवाज से पूरा जंगल ही गूंज उठा था ,छम छम की आवाज के पीछे अजय भी भागा जा रहा था लेकिन चम्पा को वो पकड़ ही नही पाया ..
भागते भागते उसकी सांसे फूल गई थी और आखिर वो उस झील के पास पहुच गया था जंहा चम्पा उसे पहली बार और फिर कई बार मिली थी …
चम्पा झील के किनारे ही एक बड़े पत्थर पर बैठी हुई थी ,उसके शरीर पर अब भी वही एक साड़ी थी जिसे उसने थोड़ी देर पहले पहना था लेकिन हाथो में बोतल थी जिसे वो अपने मुह से लगा रही थी,ये भी चम्पा का एक अलग ही रूप था ,उसके पैरो में पायल थे जो काले रंग के थे जैसा यंहा की आदिवासी महिलाएं पहनती है ,उसका गोरा और खिला हुआ रूप चांद की रौशनी में चमक रहा था,वो इठला रही थी बलखा रही थी और इतरा रही थी…
अजय उसके अदांओ में मोहित होकर उसके ओर खिंचा चला जा रहा था,जैसे एक चुम्बक दूसरे चुम्बक की ओर खिंचा चला जाता है ,उसे शराब का नशा फिर से मदहोश कर रहा था जिसे वो कुछ देर से भुला हुआ था ,
अजय पत्थर के पास पहुच गया और चम्पा के पैरो को पकड़ कर उसे चूमने लगा जिससे चम्पा खिलखिलाई ,
लेकिन फिर उसे प्यार से देखने लगी ,अजय ने ही अपना सर उठाया और उसे देखने लगा ,दोनो की नजर मिली और चम्पा थोड़ी शर्मा गई ,और नजर नीचे कर लिया …
अजय अपने स्थान से उठकर चम्पा की कमर को पकड़ कर उसे पत्थर से नीचे ले आया ,अब वो अजय के सामने खड़ी थी लेकिन उसका शरीर अब भी पत्थर से ठिका हुआ था ,दोनो के ही जिस्म आपस में सटे हुए थे ,चम्पा के हाथो से अजय ने शराब की बोतल को ले कर अपने मुह से लगाया ,उससे वही महुवे की खुश बू आ रही थी ,वो एक ही बार में आधी बोतल पी गया क्योकि आधी तो चम्पा ने ही खत्म कर दी थी,बोलत फेकने के बाद अजय फिर से चम्पा को देखने लगा जो की उसे ही देख कर मुस्कुरा रही थी ,
“क्या हुआ “
उसने बस अपना सर ना में हिलाया और अजय के पास थोड़ी और सरक गई ,ऐसे दोनो के बीच कोई जगह तो नही बची थी लेकिन फिर भी चम्पा जितना हो सके उतना अजय को अपने से सटाकर रखना चाहती थी ,दोनो के जिस्म उस हल्की ठंड में भी गर्म थे और एक दूसरे को अपनी गर्मी पहुचा रहे थे ,चम्पा का चहरा अजय के सीने के पास था ,अजय ने थोड़ा झुककर चम्पा एक होठो के पास अपने होठो को लाया ,दोनो की सांसे एक दूसरे से टकराने लगी और होठो हल्के हल्के ही एक दूसरे को छू रहे थे ,दोनो के ही होठो में फड़फड़ाहट थी ,
अजय हल्के से अपने सर को आगे करके चम्पा के होठो को अपने होठो में भर लिया ,
चम्पा का भी हाथ अजय के बालो में कस चुका था ,दोनो के जिस्म मिल चुके थे और एक दूसरे में सामने का पूरा प्रयास कर रहे थे ,
चम्पा की सुडौल भरी हुई दूध की थैलियां अजय के सीने में धंस रही थी और अजय उसके बालो को पकड़ कर उसे अपने मुह में सामने की कोशिस कर रहा था ,
अजय उसके होठो से निकल कर उसके चहरे और कंधे तक आ गया ,उसने चम्पा के एक मात्रा वस्त्र का पल्लू उसके सीने से सरका दिया,अब चम्पा का जिस्म ऊपर से पूरी तरह से नग्न था,अजय अपने एक हाथ से उसके उजोरो को सहलाने में लग गया ,
“आह……आह ....”
चम्पा हल्के हल्के से सिसकियां ले रही थी अजय उसके गले को चूमता हुआ उसके कंधे तक पहुचा और उसके जीभ ने कुछ खुरदुरा सा महसूस किया ,जिससे चम्पा की आह ही निकल गई ..
अजय थोड़ा रुक कर उस जख्म को देखने लगा ,जो उसके कंधे पर था …
“ये ..”अजय की आंखे आश्चर्य से बड़ी हो गई थी क्योकि कुछ देर पहले जब उसने चम्पा के कंधे पर अपने होठ फेरे थे तक ये जख्म नही थे,वो दांतो के गढ़ने से बने हुए जख्म थे जो उसके कंधे पर भी थे …
अजय की बात पर चम्पा हल्के से हँसी ..
“कल की बात भूल गए क्या ,जानवरो की तरह कई जगह पर काट लिया था और अब ऐसे मासूम बन रहे हो ..”
अजय का सर घुमा ,मतलब साफ था की वो मोंगरा और चम्पा दोनो के साथ रह चुका था इन दो लड़कियों में से एक मोंगरा थी और दूसरी चम्पा ….
लेकिन ……..
लेकिन दोनो में भेद कैसे किया जाए ???
दिखते एक जैसे है ,बाते एक जैसी,अदाएं भी एक जैसी ,और जो के मात्रा पहचान तिवारी ने उनके अलग होने की बताई थी वो भी दोनो में था …
शायद यही मोंगरा है ...अजय के दिमाग ने कहा,क्योकि इस लड़की में वो शर्म नही थी जो की दूसरे के अंदर थी …
लेकिन ..???
लेकिन ये भी हो सकता था की शर्म बस दिखावा हो ,
अजय के दिमाग ने फिर से कहा ,वो बेचैन हो गया लेकिन अपनी बेचैनी भर जाहिर नही किया और अपने होठो से चम्पा/मोंगरा के कंधे को चूमता रहा ,
‘अगर ये मोंगरा है तो इसका मतलब की मैं एक डाकू के साथ जिसे मैं पकड़ने आया हु ,उसके साथ रात बिताई है ,लेकिन मैंने इसकी आंखों में भी तो वही प्यार देखा था जो मैंने उस दूसरी लड़की के आंखों में देखा था ‘
अजय बुरी तरह से घबरा गया था,और उसकी घबराहट चम्पा से ज्यादा देर तक छुपी नही रह पाई ..
“क्या हुआ ??आप थोड़े बेचैन लग रहे हो “
“कुछ नही कुछ भी तो नही “अजय हड़बड़ाया
“बताइये ना “
अजय ने उसके चहरे को देखा ,चांद की रोशनी में अब भी उसका चहरा चमक रहा था,वही प्यारा चहरा और आंखों में अजय के लिए वही प्यार ,अजय के दिल ने कहा यही चम्पा है ,कोई भी लड़की झूट बोल सकती है लेकिन किसी की आंखे नही ,वो प्यार से भारी आंखे जो अजय को निहार रही थी वो कैसे झूट बोल सकती है ….
अजय का दिमाग तो कहता था की यही मोंगरा है लेकिन दिल उसे चम्पा ही समझ रहा था ,अजय ने दिल की सुनने की ठान ली और चम्पा के गालो में एक चुम्बन झड़ दिया ..
“चम्पा मैं एक परेशानी में हु “
अजय ने एक दाव खेलने की सोच ली
“क्या “
“यही की तुम और मोंगरा एक ही तरह दिखती हु ,अगर कभी मोंगरा मेरे सामने आ गई तो मैं तुम दोनो में से तुम्हे कैसे पहचान पाऊंगा “
चम्पा थोड़ी गंभीर हो गई थी …
“उसका नाम मेरे सामने मत लो ,और उसे पहचानना कोई मुश्किल काम भी नही है ,बस उसकी आंखों में देखना,मेरी आंखों में आपके लिए बेपनाह प्यार दिखेगा और उसकी आंखों में बस शैतानियत ,वो किसी से प्यार नही कर सकती वो तो बस खून की प्यासी है “
चम्पा का चहरा तमतमा गया था
“तो तुम उसे पसंद नही करती “
“बिल्कुल नही ..कहने को तो हम दोनो ही बहने है लेकिन मेरे लिए तो वो कब की मर चुकी है ..”
“फिर भी अगर वो मेरे सामने आयी तो कैसे ..”
चम्पा थोड़ी देर तक उसे देखती है और मुस्कुराती है ..
“बहुत ही आसान है ,उसके ठोड़ी पर ये गोदना नही है ,इसे बापू ने मेरे ठोड़ी में तब गुदवाया था जब उन्होंने मुझे गोद लिया “
चम्पा अपने ठोड़ी में बने हुए गोदने को अजय को दिखाने लगी
लेकिन अजय को पता था की दोनो ही लड़कियों के चहरे पर उसी जगह पर वैसा ही गोदना है
“लेकिन अगर मोंगरा ने भी पोलिश से बचने के लिए यही पर ऐसा ही गोदना गुदवा लिया हो तो “
चम्पा के चहरे पर बहुत ही नैसर्गिक चिंता आ गई ,कोई देखकर कह ही नही सकता था की ये झूट बोल रही है या सच …
“तब क्या करेंगे “चम्पा ने मासूमियत से कहा
“मेरे पास एक तरकीब है शायद यही अच्छा रहे “
अजय उसे देखने लगा लेकिन उसके चहरे का कोई भी भाव नही पढ़ पाया ..
“बोलिये “
“मैं तुम्हे एक गुप्त कोड बताऊंगा ,जिसे बस तुम्हे ही पता हो ,इसे तुम किसी और को मत बताना ,जब जब हम मिलेंगे तो तुम उस कोड को मुझे बता देना ,मुझे पता चल जाएगा की ये तुम हो वो नही “
चम्पा मानो खुसी से उछाल गई
“हा यही सही रहेगा “
“तो तुम्हारा गुप्त कोड है 7745 “
चम्पा कुछ देर तक उसे बार बार बोलकर उसे याद कर लेती है
“चलो बहुत रात हो गई अब घर चलते है “अजय की बात से चम्पा का मुह छोटा हो गया
“अभी तो आये है और कुछ किया भी तो नही है “
अजय के चहरे में मुस्कुराहट आ गई थी ..
करना तो वो भी बहुत कुछ चाहता था लेकिन दोनो के पहचान के कन्फ्यूसन में उसकी सारी उत्तेजना और प्यार जाता रहा ...वो मोंगरा के साथ कुछ भी नही करना चाहता था और अभी उसे बस यही पता करना था की आखिर कौन मोंगरा है और कौन चम्पा ,7745 से उसे ये तो पता चल ही जाएगा की ये वो लड़की है जिसके साथ उसने जिस्मानी रिश्ते बनाये थे,...
अजय ने उसके सर पर छोटा से चुम्मन दिया…
“अभी मैं थक चुका हु ,फिर कभी “
चम्पा मायूस तो थी लेकिन फिर भी उसने अजय को पहले अपने बांहो में भर लिया और फिर उसके होठो में हल्का से चुम्मन दिया …..
“मैं तो हमेशा के लिए आपकी हो चुकी हु कब चाहे जो चाहे कर लेना …”
अजय उसे प्यार से देखता है और अपने घर की ओर निकल जाता है …….