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Adultery गांड बचा के आये हैं......INCEST + ADULTARY

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चंदू – अरे भैया...किसी से सुन लिया होगा मेडम जी ने की उसके पति को जान से मार दिया है नेता ने...अभी जब पिछली बार गयी तो लड़ रही थी नेता से की अब मुझे आजाद कर दीजिये. आपने अपना बदला ले लिया पूरा. अब मेरी कोई गलती नहीं. अब मुझे चैन से जीने दीजिये.

मैं – हाँ तो ठीक तो कह रही हैं. जब जान ले ली तो और क्या चाहिए...

चंदू – अरे भैया जान तो एक बार में ले ली...लेकिन गांड तो बार बार मिल रही है न...क्या है न भैया की हमारी मेडम जी तो एकदम फूल के जैसी हैं...हमको तो लगता है की नेता का दिल आ गया...सोच रहा होगा की इतना टंच माल क्यों जाने दे हाथ से....पैसा भले मिल गया हो लेकिन इतना फूल जैसा टंच माल भी तो है...इसीलिए वो मेडम जी को आजाद नहीं कर रहा है...बस यही झगडा हो गया....कहने वाले कह रहे थे की मेडम जी कुछ धमकी वाम्की दे के आई थी....नेता जी ने अकाल ठिकाने लगा दी...दोनों पैर तोड़ दिए मेडम के...अब बोलो भैया.....ये कोई बात हुई...अरे भगवन ने फूल जैसा बना के भेजा अब वही बिस्तर में टट्टी कर रही हो अच्छा लगता है क्या....अरे नेता पेल रहा है तो पेलने दो...तुम्हारे भी तो मरद ने तो नेता का पैसा पेला...वो तो तुम्हारी बुर पेल रहा है बस...पैसा तो नहीं मांग रहा..बल्कि मेडम जी को तो नेता पैसा भी देता होगा....तभी देखो न..पति चला गया लेकिन अभी भी मेडम हमारी एकदम फूल जैसी दिखती है....चिकनी चिकनी गदराई हुई...

मैं – अब क्या होगा काका? अब क्या करेगा नेता?

चंदू – अरे करे जो मन में आये भैया....हमारी बला से...हमें क्या लेना देना...कहने वाले कह रहे थे की नेता तो मेडम को जिंदगी भर रखेगा अपने पास...और कुछ दिनों में उसकी बेटी को भी रखेगा...देख लेना भैया...अभी तुमने इनकी बिटिया को नहीं देखा होगा...वो भी एकदम फूल जैसी है...दोनों माँ बेटी फूल जैसी हैं....दोनों खड़ी हो जाएँ देने को तो आदमी तो यही सोच के मर जाए की पहली किसको पेलूँ....उम्र का फरक है भैया लेकिन हैं दोनों फूल जैसी...बिटिया तो देखना और भी टंच माल निकलेगी...अभी तक लगता है की कोरी है...कहीं आती जाती नहीं है ज्यादा,...लेकिन गदरा रही है.....

मैं – मुझे कभी दिखी नहीं घर में...

चंदू – अरे तुम क्या कर लोगे देख के भैया...हम ही इतने सालों से देख रहे हैं..हमने ही क्या कर लिया देख के...दो दो फूल हमारे सामने रहते हैं लेकिन क्या हम पेल दिए? नहीं न...अरे हम तुम नौकर हैं...नौकर ही बन के मर जायेंगे...फूल तो नेता जी पेलेंगे....हमारी बीवी कभी फूल जैसी नहीं दिखी भैया...फूल जैसे तो बस अमीर ही दीखते हैं...हमारी मेडम भी बहुत अमीर हैं भैया...जानते हो कॉलेज में इतना पैसा आता है सब हड़प जाया करती थी....इसीलिए न ऐसी फूल जैसी दिखती हैं...कभी देखना भैया हमारी मेडम जी एकदम फूल जैसी हैं...

अब मुझे लगने लगा की इसकी सुई अटक गयी है....दारू ने असर कर दिया है अब ये सिर्फ बकवास करेगा तो मैं उसे वहीँ छोड़ के अपनी दूकान चला आया...लेकिन जो कुछ चंदू ने मुझे बताया था उसके बारे में मैं अगले दो तीन दिन तक सोचता रहा....मैंने सोचा की ये दुकान की नौकरी कर के एक टाइम का खाना तो मिल जाता है लेकिन जिंदगी में कुछ करना है तो कुछ बड़ा सोचना होगा...इस दुकान में ही रहा तो कब ख़त्म हो जाऊंगा पता नहीं चलेगा.,...बहुत सोच विचार कर के मैंने एक प्लान बनाया...मैं अगले दिन मेडम के यहाँ जाने वाला था...उन्हें नयी केसेट देने....अभी तक मैंने उनको जो भी केसेट दी थी वो सब बकवास थी..मैं जनता था की एक न एक दिन वो मुझे टोक देगी...बस मैं ये चाहता था की वो दिन जल्दी से जल्दी आ जाये...वो जितने दिन बिस्तर में थी मेरे पास उतने ही दिनों का मौका था कुछ बड़ा कर गुजरने का...अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो चंदू नहीं था....मेडम उस दिन भी घर में अकेली ही थी...मैं उनके कमरे तक पहुच गया....
 

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मेडम – चंदू रहा करे घर में तब ही आया करो. उससे उसका टाइम पूछ लेना आज.

मैं – जी. आगे से ध्यान रखूँगा. केसेट ले आया हूँ. कहाँ रख दूं..

मदम- रोज रोज बताना पड़ेगा कहाँ रखना है. एक बार में याद नहीं रहता क्या...

मैं = जी याद है..मैं रख देता हूँ. पुराणी वाली लेता जाता हूँ.

मेडम – ये आजकल क्या बकवास फ़िल्में देके जाते हो....तुम्हारा मालिक नहीं है क्या? कुछ भी दे जाते हो. उससे पूछ लिया करो. फिर लाया करो.मैं इन बकवास फिल्मो के लिए इतने पैसे नहीं देती.

मैं – जी. समझ गया. ध्यान रखूँगा. वैसे कुछ नयी फ़िल्में आई थी पिछले हफ्त.

मेडम – पिछले हफ्ते आई थी तो अभी तक दी क्यों नहीं.

मैं – जी वो पिछली बार आपको दी थी तो आप गाली दे के चली गयी थी मुझे. मुझे लगा की शायद आपको पसंद नहीं वैसी फिल्म.

मेडम= तुम्हें सोचने के लिए नहीं कहा गया है. और मैंने कब तुम्हें गाली दी..

मैं – जी आप गुस्से में थी तो शायद भूल गयी होंगी. उस दिन आप मुझे साला मादरचोद बोल के चली आई थी..

(मैंने जानबूझ के गाली दी उनके सामने...मेरे मुंह से गाली सुन के वो भी चौंक सी गयी लेकिन उन्होंने गुस्से को काबू में रखा)

मेडम- हाँ तो तुमने जरुर कुछ ऐसा किया होगा. वैसे मैं कभी किसी को गाली नहीं देती. और इस तरह की गन्दी गालियाँ तो कभी नहीं देती.

मैं – जी गलियां तो सभी गन्दी ही होती हैं. अच्छी गाली थोड़ी न होती है कोई. आपने दी इसलिए आपको याद नहीं. मुझे सुन्नी पड़ी इसलिए मुझे याद है.

मेडम= हाँ तो ऐसी हरकतें करोगे तो गाली ही सुनोगे. तुमसे कितनी बार कहा है अपनी लिमिट में रहा करो. नौकर हो नौकर की तरह रहो.

मैं =- जी इसीलिए बिना सोचे समझे जो केसेट हाथ में आ जाती है वो उठा ले आता हूँ. नौकर की तरह.

(उनको ये समझ में आ रहा था की मैं बातें बना रहा हूँ....लेकिन आज वो बात को काट के बंद नहीं कर रही थी..मुझे लगा की मुझे भी बात करते रहना चाहिए...)
 

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मैं – वैसे मेरा नाम राजेश है.

मेडम= तो मैं क्या करूँ नाचूं?

मैं – नहीं. आपको डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा होगा. नाचेंगी तो पैर में दर्द होगा...

(उनके चेहरे पर मुझे पहली बार हलकी सी मुस्कान दिखी)

मदम – बहुत अजीब किस्म के हो. इतनी बेइज्जती करवाते हो लेकिन बाज नहीं आते.

मैं – जी क्या करूँ. नौकरों की चमड़ी मोटी होती है न. उन्हें कहाँ अपनी इज्जत की परवाह होती है. आप तो मालिक है...ग्राहक हैं हमारी...आपके पैसे से हमारा पेट पलता है...इतना तो आपसे सुन ही सकते हैं..

मेडम- हाँ हाँ ठीक है अब ज्यादा भाषण देने की जरुरत नहीं है. तुम जा सकते हो. और अगली बार ढंग की फिल्म लाना.

मैं – जी. मैं अपनी तरफ से चुन के ले आऊंगा....वैसे वो वाली कैसी लगी थी आपको...

मेडम- कौन सी वाली?

( मुझे रास्ता मिल गया....इस मौके का मैंने फायदा उठा लिया...हिम्मत भरी और एक सांस में बोल गया)

मैं – वो जिसमे वो चार मिल के एक को पेले थे...फिर बाँध दिए थे और खूब पेले थे. आपको दी थी न मैंने...तभी तो आपने मुझे मादरचोद कहा था...आपने देखि थी वो फिल्म? वैसी ही और भी आई हैं जिनमे एक को खूब से मिल के पेलते हैं...वैसी ही और ला दूं आपके लिए?

( कुछ पल के लिए बिलकुल सन्नाटा था कमरे में...मैं उनकी तरफ देख भी नहीं रहा था..यह सब बात मैंने केसेट उठाते हुए कही थी..उन्हें देख के ये सब बोलने की हिम्मत नहीं थी मुझमे..मैं मन ही मन किसी जवाब की उम्मीद में था और एक एक खाली पल भारी पड़ रहा था...तभी उनकी आवाज आई...)

मेडम – हाँ ठीक थी. नहीं वैसी मत लाना. जैसी पहले दिया करते थे वैसी ले आना. अब यहाँ ज्यादा देर तक रुकने की कोई जरुरत नहीं है. बहार निकालो. एक दो दिन में ला के दे देना . अभी जो लाये हो वो रखते जाओ..

(उन्होंने ठीक से जवाब दिया था..मुझे लगा की इतना तो रास्ता पार हो गया...लेकिन अभी रुकने की जरुरत नहीं है...अभी और आगे बढ़ने की जरुरत है)

मैं – ये सब तो बेकार हैं. मैं सव वापस ले जाता हूँ...दूकान बंद कर के आपको नयी फिल्म देता जाऊंगा...

इससे पहले की वो कुछ कहती मैं कमरे से बाहर चला आया और तूफ़ान की गति से वहां से भाग गया...मुझे लगा कहीं वो मना न कर दें..मैं खुद ही खुद को इजाजत दे दी थी रात में आने की...मैं भाग के दूकान में आया...चुन के तीन केसेट निकाली और रात का इंतजार करने लगा....रात होते ही मैं दूकान बंद कर के वापस गया...झाँक के देखा और अंदाजा लगाया की चंदू घर में नहीं है..यही सही मौका था...मैं आराम से अन्दर गया और उनके कमरे में पहुच गया...वो लेती हुई थी..मुझे देख के कुछ नहीं बोली...
 

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मैं – ये नयी केसेट ले आया हूँ. यहाँ रख देता हूँ. परसों आ के वापस ले जाऊंगा...

मेडम- हूँ...वो वाली भी लाये हो?

मैं – कौन सी वाली?

(मुझे अगले ही पल एहसास हो गया की गलती कर दी मैंने...मैंने तुरंत सब केसेट वही रख दी और कहा की नहीं लाया अभी ले आता हूँ...इससे पहले की वो कुछ कह पाती तुरंत वहां से भाग आया...भाग के दूकान आया और एक वैसी ही फिल्म की केसेट निकाली जिसमे एक को कई सरे लोग पेलते हैं और भागता हुआ घर पहुच और सीधे कमरे में जा के रुका)

मेडम- इतनी जल्दी लाने की जरुरत नहीं थी. बाद में भी ला सकते थे.

मैं – मुझे लगा की आपका मूड न ख़राब हो जाये. इसलिए जल्दी से ले आया. ये मिल के पेलने वाली अलग रख देता हूँ.

मेडम= थोडा कम बात किया करो. अब तुम जा सकते हो...

मैं – जी. गलती के लिए माफ़ कीजियेगा. मैं तो बस आपको खुश करना चाह रहा था.

मेडम= मेरी ख़ुशी से तुम्हें क्या मिल जायेगा. तुम अपने काम से काम रखो.

मैं – जी एक दिन आप खुश हो के कुछ बख्शीस दे गयी थी...तब से राह देख रहा हूँ की आप दुबारा कब खुश होती हैं...लेकिन लगता है मुझे देख के ही आपका मूड ख़राब हो जाता है. क्या करें हम गरीब लोग एक एक रुपये की कीमत बहुत है हमारे लिए.

मेडम= तुम भाषण बहुत देते हो. इतना ड्रामा तो कोई लड़की भी नहीं करती. वो मेरा पर्स रखा है वहां उठा के दो मुझे...

मैंने तुरंत उन्हें उठा के पर्स दिया....उन्होंने मुझे पूरे दस रुपये दिए...मेरे लिए वही बहुत बड़ी रकम थी..मैंने पैसे ले के उन्हें सलाम किया तो उनका मुंह बिगड़ गया...बड़े ही रूखे अंदाज में बोली ये सलाम वलाम मत किया करो......मैंने अगले ही पल जवाब दिया...जो हुक्म मेरे आका.....मेरी हाजिरजवाबी शायद उन्हें पसंद आई..इस बार मुस्कान की जगह थोड़ी सी हंसी भी सुनाई दी...मैंने उनकी तरफ देखा...चेहरे पर हंसी तो थी लेकिन दर्द उससे कहीं ज्यादा था...आँखों में नमी भी थी....एक पल के लिए मुझे लगा की मैं बहुत कमीना हूँ जो इस सताई हुई औरत को अपने फायदे के लिए उकसा रहा हूँ....मैं वहां से बाहर निकल आया...अभी उनके घर के पहले दरवाजे के पास ही आया था की मुझे दुसरे कमरे में रौशनी दिखी...और टीवी की आवाज भी सुनाई दी....

मैंने चंदू से सुना था की उनकी बेटी रहती है लेकिन कभी देखा नहीं था....घर से बाहर आ के मैं दूसरी तरफ से आया तो कमरे की खिड़की खुली हुई थी....मैंने अन्दर झाँक के देखा तो एक जवान लड़की अपने बिस्तर में बैठी टीवी देख रही थी..उसमे वीसीआर पर भूत वाली फिल्म चल रही थी...उन दिनों भूत वाली फिल्म में एक दो सीन होते थे जिसमे हीरोइन को नहाते या कपड़ा बदलते दिखाते थे...या थोड़ी बहुत चुम्मा चाटी होती थी...उस समय के लोगों के लिए इतना ही बहुत हुआ करता था...उस लड़की की पीठ मेरी तरफ थी....मैंने टीवी पर ध्यान से देखा तो फिल्म को पहचान लिया....

मुझे लगा की आज एक और मौका मिल रहा है तो इसे भी छोड़ना नहीं चाहिए..मैंने धीमे से आवाज दी उस लड़की को......उसने पलट के मेरी तरफ देखा लेकिन चौंकी नही ना ही घबरायी....शायद उसने मुझे घर आते जाते देखा था और पहचानती थी...उसने इशारे में पूछा क्या है....मैंने कहाँ आवाज धीमी कर लो....उसने इशारे में फिर से पूछा...क्यों....मैंने कहा सीन आने वाला है और तुम्हारी मम्मी जाग रही है...उसने बिना कुछ कहे आवाज बंद कर दी और टीवी की तरफ देखने लगी...तभी वो सीन शुरू हुआ....हीरोइन झरने के निचे नहा रही थी....कैमरा उसके एक एक अंग को दिखा रहा था.फिर थोड़ी सी चूमा चाटी हीरो के साथ....और सीन ख़त्म...तब के लिए इतना ही सीन किसी पोर्न मूवी से कम नहीं था...सीन ख़त्म होने के बाद वो वापस मेरी तरफ पलटी...मैं उसे देख के मुस्कुराया और कहा देखा? कहा था न सीन आने वाला है....उसने कोई जवाब नहीं दिया..बस मुझे देख के मुस्कुरा दी....

मैंने तब तक की जिंदगी में और अब तक की जिंदगी में वैसी मुस्कान कभी नहीं देखि थी,....इतनी शरारत...इतनी शोखी...इतनी मासूमियत लेकिन उससे कहीं ज्यादा....हरामपंती...गजब का मेल था सभी खूबियों का उस एक मुस्कान में.....उस कातिल का नाम पूजा था.....
 

kamdev99008

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मैंने तब तक की जिंदगी में और अब तक की जिंदगी में वैसी मुस्कान कभी नहीं देखि थी,....इतनी शरारत...इतनी शोखी...इतनी मासूमियत लेकिन उससे कहीं ज्यादा....हरामपंती...गजब का मेल था सभी खूबियों का उस एक मुस्कान में.....उस कातिल का नाम पूजा था.....
ye hai seema ki mummy............pooja

lekin us neta ke changul se is pariwar ko kaise nikala................ khaskar apni sas (ya doosri patni bhi :D) ko
bahut interesting hoti ja rahi hai ye kahani bhi
 

Rahul

Kingkong
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bahut sundar lajaab update ye principal to sasur neta de fans gayi jaisa ki chandu ne bataya zindgi jhand ho gayi..ab ye sex videos kahe dekhti hain hamko samjh nahi aata balki mamla bdsm wali videos tak ja pahuncha hai yani tharki hai ye ab naukar chandu ko kya malum ki asli khel kya hai..chalo jo bhi ho puja mast maal hai aur dekhte hain ki ye Rajeshwa kaise neta se bachkar khud maal hadap karta hai.bahut hi badhiya update bhai
 
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