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Adultery गांड बचा के आये हैं......INCEST + ADULTARY

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दोस्तों आज की अपडेट पोस्ट कर दी है...
कमेंट्स ऐसे ही देते रहिएगा...बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का...
जितनी बार आप लोग मेरी अपडेट पढ़ते हैं उससे कई ज्यादा बार मैं आपके कमेंट्स पढता हूँ.....
कमेंट्स देते रहिएगा...बहुत बहुत धन्यवाद...
कल फिर मिलेंगे....
Bhai sach kehta hu kabhi kabhi bahot gussa aata hai aap par aisi jagah par update khatam. Hota hai ke poncho hi mat , update. Itne interesting hote hai ki mann karta hai bas padhte hi raho ,. Update kabhi khatam hi na ho .... Bhai jaldi se update do ..
 

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हेल्लो दोस्तों....आज की अपडेट पोस्ट कर रहा हूँ....

जैसा की brego भाई ने नोटिस किया...मैंने गलती से राजेश के ससुर का नाम भी राजेश ही लिख दिया है कई बार...
राजेश के ससुर का नाम दिनकर है...और अब उसका यही नाम आगे की कहानी में लिखूंगा...

आगे भी कोई गलती हो जाए तो बता दीजियेगा...
 

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पूजा के आने के बाद मेरा वहां रुकने का कोई अर्थ नहीं था...इसलिए मैं चला आया...रात में सोचता रहा की आज काफी कुछ हो गया...मेडम तो आज एकदम फुल मूड में थी...अगर पूजा नहीं आई होती तो आज बहुत कुछ हो सकता था....और फिर मुझे ख्याल आया की क्या मुझे मेडम के साथ आगे बढ़ जाना चाहिए...अभी तक तो सिर्फ चुदाई का सोच के आगे चल रहा था लेकिन अब जब चुदाई का मौका हाथ आने वाला था तो मैं और भी बातें सोच रहा था...मुझे लगा की जैसे मेडम ने मुझे सब सच बताने को कहा है क्यों न मैं भी वैसे ही उनको कहूं की वो भी मुझे अपने बारे में सच बताएं...ये सवाल तो मेरे मन में भी था की जब वो नेता की रखैल हैं और नेता उन्हें अक्सर बुलाता रहता है अपने घर में तो फिर उनको फिल्म देखने की इतनी लत क्यों लगी हुई है...कहीं ऐसा तो नहीं की नेता उन्हें खुश न कर पाता हो...मुझे लगा की यही ठीक रहेगा की और आगे बढ़ने के पहले मैं मेडम से भी उनके बारे में सच पूछ लूं...फिर मुझे याद आया की वो एजेंट पिचली बार चुदाई वाली किताबें दे गया था..मैंने जिस जिस ग्राहक को दी थी वो सब तारीफ करते नहीं थकते थे और हमेशा नयी किताब मांगते थे...मैंने सोचा की कल जब मेडम के यहाँ जाऊंगा तो किताब साथ ले के जाऊंगा....अगले दिन शाम होने का इंतजार करने के बाद मैं मेडम के घर पंहुचा....उस दिन मदम को शायद नेता ने नहीं बुलाया था..वो घर पर ही थी...पूजा का कमरा हमेशा की तरह बंद ही था...वो अन्दर ही थी लेकिन उसे बाहर वालों से कुछ मतलब नहीं था...मैं पंहुचा तो मेडम साड़ी पहनी हुई अपने बेड पर बैठी हुई थी...कुछ फाइल राखी हुई थी उनके सामने....मुझे देख के बोली...

मेडम – आओ दिनकर...आज तो जल्दी आ गए...

मैं – जी दूकान में कुछ काम नहीं था तो चला आया...आपके पास समय ना हो तो मैं बाद में आ सकता हूँ..

मेडम – नहीं नहीं. आ गए हो तो बैठो. बहुत दिनों से ऑफिस नहीं गयी न...इसलिए थोडा काम घर ले आई...अभी कुछ देर में फुर्सत हो जाउंगी...तुम तब तक बैठो...

मैं – जी ठीक है...अगर कुछ काम हो तो बता दीजिये मैं तब तक काम कर लेता हूँ...

मेडम – आज तो कुछ काम याद नहीं आ रहा...

मैं – कपडे तो नहीं धोने...

मेडम – क्या बात है आज खुद ही कपडे मांग रहे हो धोने के लिए...

मैं – नहीं बस ऐसे ही. मुझे लगा खाली बैठा हूँ तो कुछ काम कर लूं...

मेडम – नहीं अभी तो कुछ नहीं है धोने को.

मैं – जी ठीक है...

मेडम – तुम्हारा चेहरा देख के लग रहा है की निराश हो गए...धोने का बहुत मन ले के आये थे लगता है...

मैं – नहीं ऐसी कोई बात नहीं...

(वो मुझसे बात कर रही थी लेकिन उनकी नजर नीचे फाइलों पर ही जमी हुई थी..)

मैं – मैं बैठा हूँ आप अपना काम कर लीजिये.

मेडम – हाँ बस थोड़ी देर और. और तुम्हें चिंता करने की जरुरत नहीं है..मेरी चड्डी धोने का मन है तुम्हारा तो दे दूँगी...वैसे भी गीली नहीं हुई है...शायद थोड़ी देर में हो जाये...आज दिन काम में लगी रही न...आज लार बहाने का समय ही नहीं था...
 

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(मेडम जी की नजर फाइल पर ही थी और वो ऐसे बात कर रही थीं जैसे हमारे बीच ये सब कितना नार्मल हो...उनका ये मूड देख के मुझे फिर से आस जग गयी की ये फुल गरमी में है और अगर मैं पीछे नहीं हटा तो हो सकता है की आज कुछ मिल जाए करने को...दुसरे कमरे में पूजा थी लेकिन मैं देखा की मेडम जी की आवाज में कोई कमी नहीं थी...वो वैसे ही बात कर रही थी जैसे घर में सिर्फ हम दो लोग ही हों...मुझे लगा की आज मुझे हिम्मत करनी ही होगी...आज सब बात मेडम से खुल के करने की जरुरत है...कुछ देर के बाद मेडम जी अपने काम से फुर्सत हो गयी......वो अभी भी बेड पर ही थी...फिर उठी और बगल में राखी कुर्सी में आ के बैठ गयी...मेडम जी कुर्सी के बिलकुल कोने पर बैठी थी...उन्होंने अपने पैर क्रॉस किये हुए थे...

मेडम – हाँ तो दिनकर कैसे हो...

मैं – जी मैं तो ठीक ही हूँ...लेकिन आप ऐसे क्यों पूछ रही हैं...

मेडम – ऐसे ही...तुमने खाना खा लिया...

मैं – जी अबी नहीं.

मेडम – ठीक है. पूजा अपने कमरे में ही होगी..मैं उससे पूछ लेती हूँ..उसने भी नहीं खाया होगा अभी...

वो उठ के पूजा के कमरे के बाहर गयी और वहीँ से खड़े हो के पूजा से पूछा की उसने खाना खा लिया है या नहीं...पूजा की आवाज सुनाई दी की उसे अभी भूख नहीं है वो कुछ देर बाद खा लेगी...उसने कहा की वो चिंता न करें और खाना खा के सो जाएँ...जब मेडम जी दरवाजे से मूड के वापस आ रही थी तो अन्दर से फिर से पूजा की आवाज आई की सो जाईयेगा टाइम से.....इस बार मेडम ने मुझे देखा और बहुत ही कातिल अदा से मुस्कुरायी....पहला हमला हो गया मेरे लंड पर...लेकिन आज मैं तौयार था...हर हमले के लिए और हर हमले का जवाब देने के लिए...

मेडम – पूजा को बिलकुल अच्छा नहीं लगता की मैं रात में देर तक फिल्म देखती रहती हूँ.

मैं – जी ठीक ही तो कहती है.

मेडम – सोच लो. अगर उसकी बात मान के फिल्म देखना बंद कर दूं तो तुम्हारा ही नुक्सान होगा.

मैं – मैंने कब कहा की फिल्म देखना बंद कर दीजिये. मैं तो बस इतना कह रहा हूँ की जल्दी देख लिया कीजिये. रत में देर तक नहीं.

मेडम – तो क्या दिन में देख लूं? दोपहर में या सुबह उठने के बाद. कौन सा टाइम ठीक रहेगा?

मैं – तीनो ही टाइम ठीक हैं. मैं कल से तीन केसेट ले आऊंगा रोज.

मेडम – अच्चा? और तीन तीन फिल्म देख के दिन भर जो मेरी लार बहेगी तो गीली चड्डी कौन धोएगा?

मैं – कल किसने धोयी थी?

मेडम – अच्छा जी तो एक दिन में चड्डी धो के तुम्हें मेरी चड्डी धोने की इच्छा होने लगी...

मैं – इसमें मैं क्या कर सकता हूँ...मेरी क्या किसी की भी इच्छा हो जाएगी...

मेडम – आज तो तुम्हारे तेवर बदले बदले लग रहे हैं...लागत है कुछ मन बना के आये हो...

(कभी कभी लगता था की मेडम जी किसी का मन पढने की कितनी बड़ी उस्ताद थी....मेरे और बहन के बारे में खुद अंदाजा लगा लिया..पहले जब कभी मेरी नजर गलत होती तो तुरंत पकड़ लेती और मुझे झिड़क देती...आज भी मेरे जवाबों को सुन के उन्होंने पहचान लिया की आज मैं भी मूड में हूँ...)

मैं – जी..मैं कुछ कहना चाहता था...

मेडम – हाँ हाँ कहो...
 

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मैं – जी मैंने आपको अपने बारे में इतने बड़े राज की बात बता दी...आप पर इतना भरोसा किया..लेकिन आप ने मुझे अपने बारे में कुछ नहीं बताया....अगर आप मुझपर सच में भरोसा करती हैं तो आज मैं भी आपके बारे में जानना चाहता हूँ...

मेडम – मेरे बारे में तो सब एक ही चीज जानना चाहते हैं...जाहिर है तुम भी उसी के बारे में जानना चाहते होगे....है न? मेरे और नेता के बारे में? क्यों ठीक कहा न?>

मैं – जी.

मेडम – ठीक है. तुमने मुझे सच में कल बहुत बड़ी बात बता दी अपने बारे में..मैं तो आज काम में इतना बिजी थी की उस बारे में सोच ही नहीं पायी...कल तुम्हारे जाने के बाद बहुत देर तक सोचती रही की ऐसा कैसे हो सकता है...फिर मुझे लगा की अगर ऐसा सच में हो जाये तो ईससे अच्चा तो शायद कुछ हो ही नहीं सकता..यही सोचते सोचते मैं कब सो गयी पता ही नहीं चला..

मैं – जी वो तो ठीक है लेकिन आज आप को अपनी बात करनी है...

मेडम – (हँसते हुए) मैंने कहा था न की तुम आज कुछ सोच के आये हो...इसके पहले तुमसे ऐसा कुछ कहती तो तुम्हारे आँखें फट जाती थी,...आज तो पहले से सोच के आये हो की अपना काबू नहीं खोना है..क्यों सही कह रही हूँ न? चलो ठीक है...वैसे भी मैंने इस बारे में कभी किसी से बात नहीं की....आज तुमसे बात कर के शायद मेरे ही मन का बोझ हल्का हो जाई....

(मैंने देखा की मेडम अपने दोनों पैरों को थोड़ी थोड़ी देर में एक दुसरे पे कास लेती थी...कुर्सी के कोने में बैठे हुए वो अपनी कमरे को बहुत ही हलके से आगे पीछे करती थी...और कभी कभी उनकी आँख थोड़ी सी बंद हो जाती थी....मुझे समझ नहीं आ रहा था की आज उनकी बॉडी इतना क्यों हिल रही है...और मैंने ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया...उन्होंने कहना शुरू किया...)

मेडम – तो बताओ..कैसे शब्दों में सुनना चाहोगे?

मैं – एकदम खुला. जैसे कल मैंने बताया था. एकदम खुला.

मेडम – तुम तो चूतिये हो...तुमने कुछ नहीं बताया था..तुम तो सिर्फ सर हिला रहे थे...सब कुछ मैंने खुद ही पता लगा लिया था..फिर भी ठीक है..मैं तुम्हें सब खुला खुला बता देती हूँ...मेरे पति ने नेता के कुछ पैसे चुरा लिए थे जिसके बदले में नेता ने मुझे अपनी रखैल बनाया हुआ है...बस इतनी सी कहानी है...

मैं – नहीं. कहानी तो इससे भी ज्यादा होगी. इतना तो सब जानते हैं. मैं वो जणांना चाहता हूँ जो कोई और नहीं जनता...

मेडम – जैसे की?

मैं – क्या आप को पता था की अपने पति चोरी करने वाले हैं?

मेडम – पता नहीं तुम पर मुझे इतना भरोसा करना चाहिए या नहीं.

मैं – कर लीजिये. मैं वैसे भी इस शहर में अजनबी हूँ...अगर किसी को कुछ कह भी दूंगा तो मेरी बात की कोई कीमत नहीं है...

मेडम – ठीक है. हाँ मुझे पता था. मैं जानती थी...ये प्लान बहुत साल पहले मैंने ही बनाया था..लेकिन उस समय पूजा बहुत छोटी थी..हमारे पास पैसे नहीं थे. हमारी हालत ख़राब थी..तब मेरे पति नेता के बंगले पर नौकर थे...लेकिन फिर नेता ने ध्यान दिया की मेरे पति कभी छुट्टी नहीं लेते और हर काम बहुत दिल लगा के करते हैं तो नेता ने खुश हो के उन्हें अपना नौकर बना लिया...अब वो बंगले का नहीं बल्कि नेता का काम करने लगे थे..धीरे धीरे नेता उनसे खुश होते गए और उन्होंने हमें अच्छी जिंदगी जीने के सब साधन दिए...पूरे शहर में नेता की बहुत इज्जत है..उसने शहर की किसी भी लड़की या औरत को कभी गन्दी नजर से नहीं देखा..हम पर भी उसके बहुत एहसान थे..उसी के कहने से मैं कॉलेज में प्रिंसिपल बनी थी...हमारी लाइफ सेट थी...फिर मेरे पति के मन में लालच आया...और इस बार भी मैंने उसका साथ दिया...पूजा भी जानती थी की हम नेता के पैसे ले के भागने वाले हैं...मेरे पति ड्यूटी से लौटते समय वो पैसे की बोरी ले के आने वाले थे और फिर हम साथ में भागने वाले थे..लेकिन हमारी खबर गलत निकली...

उस दिन एक पेमेंट नहीं बल्कि तीन जगहों से पैसा आया था...तीन बोरी भर के...नेता का इस टाइप का पैसा हमेशा हमारे घर पर ही रहता था. हमारे यहाँ से ही वो पैसा दूसरी जगहों पर बांटा जाता था..इसलिए उस दिन भी नेता ने पैसे की बोरियां मेरे पति को ही दी...लेकिन मेरे पति को तीन बोरी पैसा मिलने के बाद न मेरी याद आई न अपनी बेटी की...वो कबी घर आये ही नाह..हम लोग रात भर उनके आने की राह देखते रहे...हमारा सारा समाना पैक हो चूका था..हम भागने वाले थे लेकिन मेरे पति ने पहले ही हमें धोखा दे दिया...वो पूरा पैसा ले के अकेला ही भाग गया....सुबह होने तक नेता को पता लग गया था की कुछ गड़बड़ है...सुबह जब घर के दरवाजे पर दस्तक हुई तो मुझे लगा की मेरे पति हैं...लेकिन नेता था...उसके गुंडे घर के बाहर थे..वो घर में अकेला आया...उसने हमें देखा..हमारा पक्क सामान देखा तो उसे पूरी बात समझने में देर नहीं लगी...बहुत नाराज हुआ...लेकिन उसने कुछ कहा नहीं...हमें एक दिन का मुका दिया की हम पैसा वापस कर दें और वो सब कुछ भूल जायेगा...हमारी जिंदगी पहले जैसी चलती रहेगी ये भी कहा था उसने...लेकिन हम चाह के भी कुछ कर नहीं पाए क्योंकि खुद हमें ही नहीं पता था की पैसे और पति दोनों कहाँ हैं...
 

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एक दो दिन नेता ने और धीरज रखा...और फिर जब हमने कुछ नहीं किया तो उसका धीरज भी टूट गया...और उस दिन के बाद से मैं इस नरक में हूँ....उसने मुझे अपनी रखैल बना लिया...

मैं – आप को सच में नहीं पता की आपके पति कहाँ हैं?

मेडम – कुछ महीनो बाद मुझे अपने पति की चिट्ठी मिली..उन्होंने लिखा था की उस दिन उनसे बहुत भूल हो गयी...वो लालच में हमें भूल गए..इतना पैसा वो सम्हाल नहीं पाए...नेता के लोगों ने उन्हें किसी शहर में खोज निकाला था..उन्होंने लिखा था की वो नेता को सब सच सच बता देंगे...और शायद उन्होंने बता भी दिया होगा...मुझे तो एक दिन सिर्फ इतना बताया नेता ने की उन्होंने अपने पैसे वसूल लिए हैं..लेकिन मुझे फिर भी अआजादी नहीं मिली..मैं अब भी उसकी गुलाम हूँ...

मैं – नेता क्या करता है आपके साथ ?

मेडम – तुम नहीं जानते की क्या करता होगा नेता मेरे साथ?

मैं – जनता हूँ. लेकिन ये नहीं जानता की आपको फिल्मों की इतनी जरुरत क्यों पड़ती है ?

मेडम – बताना पड़ेगा ? जितना बता दिया उतना काफी नहीं है.

मैं – मैं चाहता हूँ की आप बताएं. उतना भरोसा दिखाएँ मुझ पर जितना मैंने दिखाया आप पर...

मेडम – ठीक है. लेकिन तुम्हें क्या इस बात का अंदाजा है की ये मेरे लिए कितने शर्म की बात है.

मैं – जी मैं जनता हूँ. लेकिन फिर भी चाहता हूँ की आप कहें...

मेडम – और तुम सुन के मुट्ठ मरोगे? सच सच बताओ कल यहाँ से जाने के बाद मुट्ठ मारी थी?

मैं – जी. मारी थी.

मेडम – क्या सोच के?

मैं – आपकी पेंटी को याद कर के.उसकी खुशबु को याद कर के...ये सोच के की आपकी लार कितनी ज्यादा बहती है. मेरे देखते देखते आपने दो दो पेंटी पूरी गीली कर दी थी.

मेडम – और आज भी तुम्हारा मुट्ठ मारने का मन है इसलिए तुम मुझसे ये सब पूछ रहे हो...

मैं – नहीं. इसलिए नहीं. बल्कि इसलिए की मैं सच जानना चाहता हूँ...चंदू जैसे लोगों ने मुझे बहुत सी कहानियां सुनाई हैं आपके और नेता के बारे में...लेकिन मैं आपसे जानना चाहता हूँ की हकीकत क्या है...

मेडम – क्या क्या सुना है तुमने लोगों से...

मैं – वो जाने दीजिये. आप मुझे खुद बताईये,..

मेडम – नहीं. तुम बताओगे तो मुझे उसके आगे बताने में आसानी होगी...नहीं तो मेरे लिए बहुत परेशानी की बात होगी तुमसे ये सब बातें शेयर करना,...बताओ तुमने क्या क्या सुना है...

मैं – मैंने सुना है की आपके दोनों पैर नेता ने ही तोड़े थे...मैंने सुना है की वो आपको रखे हुए है...

मेडम – पैर तो उसी ने तोड़े थे. सही सुना है. और ये रखे हुए है का क्या मतलब है...

मैं – कह दूं...? आप नाराज तो नहीं होंगी?

मेडम – नाराज होना होता तो कब का हो चुकी होती. बताओ क्या सुना है तुमने..मैं भी जानना चाहती हूँ की लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं...

मैं – नेता ने आपको अपनी रखैल के रूप में रखा हुआ है. आप नेता की चुदैल हैं.
 

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( आज मैं सोच के आया था की पीछे नहीं हटना है...मैंने दो गंदे गंदे शब्द बोले मेडम के लिए लेकिन उनका रवैया बिलकुल ही नार्मल रहा...मैंने मन में सोचा की अगर इसके बाद भी मैं पीछे हट गया तो धिक्कार है मेरे ऊपर..मेडम जी मुझसे खुलने को तैयार हैं...वो शायद मुझे परख रही हैं की उनके खुले रूप से डर तो नहीं जाऊंगा...अपने लिए रखैल और चुदैल शब्द सुन के भी उन्होंने गुस्सा नहीं किया..)

मेडम – रखैल तो हूँ लेकिन अब चुदैल नहीं हूँ...अब सिर्फ रखैल रह गयी हूँ...

मैं – ठीक से बताईये..

मेडम – पिछले करीब एक साल से नेता ने मुझे चोदा नहीं है.

मैं – लेकिन वो तो जब देखो आपको अपने घर बुला लेता है...

मेडम – ये नेता लोग बहुत गहरी चीज होते हैं..ये तुम नहीं समझोगे...

मैं – आपने समझा है न...आप समझा दीजिये मुझे...रखैल हैं मगर चुदैल नहीं का क्या मतलब है...अगर आपको चोदना नहीं है तो क्यों अपने घर बुला लेता है..

मेडम – जब मेरे पति ने मुझे धोका दिया और अकेले भाग गए तो मुझे बहुत तकलीफ हुई...हमने मिल के अपनी जिंदगी बनायीं थी..हमने मिल के मेहनत की थी..चोरी करने में भी हमारी सहमती थी...लेकिन जब उन्होंने ऐसा किया तो मुझे बहुत ठेस पहुची...उतनी ही ठेस नेता को भी लगी..क्योंकि ये सच है की उसने हम पर बहुत भरोसा किया था..पता नहीं आज भी कितनी प्रॉपर्टी मेरे और पूजा के नाम पर है जो की नेता जी की है..इसके बदले में कभी भी उन्होंने हमसे कोई गलत काम नहीं करवाया...उन्हें लगा की अगर वो मुझे चोदेंगे तो मैं टूट जाउंगी और अपनी इज्जत के बदले में अपने पति के बारे में उन्हें बता दूँगी...

उनकी सोच सही भी थी..मुझे याद है जब वो पहली बार मुझे अपने कमरे में ले गए और मुझे नंगा किया तो मैं बहुत रोई..मुझे लग रहा था की इससे अच्छा है की वो मुझे जान से मार दें...उन्होंने खुद कहा की वो ये सब नहीं करना चाहते हैं...मैं उन्हें सब सच सच बता दूं...मुझे आज भी याद है की नेता का उस रात लंड ही नहीं खड़ा हुआ था..उसने मुझसे कहा भी की देख लो मेरा लंड ही खड़ा नहीं हो रहा..मैं तुम लोगों के साथ ये सब नहीं करना चाहता...मुझे मेरा पैसा दे दो..मैं तुम लोगों को माफ़ कर दूंगा...लेकिन मैं तो सच में कुछ नहीं जानती थी...नेता को यकीन नहीं हुआ...उन्हें गुस्सा आया और फिर उन्होंने मुझे पहली बार चोदा...उसके बाद दो तीन दिन के बाद मुझे फिर से घर बुलाया और फिर से बोले की बता दो..मैंने फिर से उनसे कहा की मैं नहीं जानती....वो बोले ठीक है..मेरा जितना नुक्सान हुआ है उसकी भरपाई तुम करोगी...और उस दिन के बाद से अगले करीब दो महीने तक उन्होंने मुझे जी भर के चोदा....सच कहूं तो पहले दो तीन बार के बाद से मुझे चुदवाने में कोई प्रॉब्लम नहीं रह गयी थी..

मैं – वो क्यों?

मेडम – पहले दिन सच में नेता का लंड खड़ा नहीं हुआ...वो सच में हमारे साथ ये सब नहीं करना चाहता था..लेकिन अगर वो हमें ऐसे ही जाने देता तो समाज में सब उससे डरना बंद कर देते..उसकी जिंदगी की मेहनत पर पानी फिर जाता...इसलिए जरुरी था की वो मेरे माध्यम से सबके सामने एक उदाहरन रख दे....फिर भी नेता ने अपनी तरफ से मुझे पूरी केयर दी...उसकी गाडी मुझे रात के अँधेरे में लेने आती और रात में ही घर छोड़ जाती..मेरी नौकरी नहीं गयी. मेरी बेटी पर कभी किसी ने गन्दी निगाह नहीं डाली और यहाँ तक की मेरे सामने भी आज तक किसी ने गन्दी नजर नहीं डाली....उसके घर के स्टाफ को पता था की मैं उसकी रखैल हूँ लेकिन किसी ने कभी कोई बदतमीजी नहीं की.

मैं – फिर भी वो आपका पति नहीं था. पराया मर्द था...उससे चुदवाने में आपको परेशानी कैसे नहीं होगी?

मेडम – पराया मर्द था. सही कहा. पराया भी था. और सच्चा मर्द भी था.....

मैं – सच्चा मर्द मतलब ?
 

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मेडम – सच्चा मर्द मतलब जितनी बड़ी तुम्हारी मुट्ठी है उतना बड़ा उसके लंड का सुपाडा है....उसका लंड कोई लंड नहीं है बल्कि तीसरा पैर है..पता नहीं क्या खाता है क्या करता है...लेकिन मादरचोद जब चोदना शुरू करता है की तो दुनिया भुला देता है....शुरू शुरू की शर्म और दर्द के बाद मुझे धीरे धीरे उससे चुदने में मजा आने लगा..यहाँ तक की कई बार मैं सोचती थी की अच्छा किया जो मेरा पति मुझे धोका दे गया...वो पैसों से भरी वो तीनो बोरियां भी मेरी चूत में ठूंस देता तो भी वो मजा नहीं मिलता जो नेता के लंड से मिलता था..मैं दिन भर राह देखती थी की कब रात हो और नेता की गाडी मुझे लेने आये...मैं सजने लगी थी...सँवारने लगी थी उससे चुदने के लिए मैं चाहती थी की वो मुझे रोज चोदे....सारी सारी रात चोदे,,,,बस चोदे रहे हर समय...और बहुत जल्दी ही नेता भी ये बात समझ गया की मैं उससे चुद के खुश हो रही हूँ.....मेरी ख़ुशी उससे देखि नहीं गयी..वो तो मुझे जलील करने के लिए चोद रहा था..मुझे खुश करने के लिए......फिर उसने मुझे जलील करने के और कई रास्ते निकाल लिए...उसने पहले ये बात छुपा राखी थी की वो मुझे पेल रहा है फिर उसने अपने आदमियों से कह के ये बात पूरे शहर में फैलवा दी की कॉलेज की प्रिंसिपल नेता की रखैल है...

उसी कॉलेज का स्टाफ जो मेरे सामने नजर नहीं उठा सकता था मुझे देख के मेरे सामने लंड मसलता था...नेता ने रात का समय न देख के दिन में कभी भी मुझे लेने के लिए गाडी भेजना शुरू कर दिया...मैं कॉलेज में होती तो उसका आदमी गाड़ी ले के आता और सबके सामने कहता की नेता जी ने बुलाया है चल साथ में...वो लोग मुझे जानबूझ के सबके सामने जलील करते थे...पूरे शहर में आग की तरह बात फ़ैल गयी की मैं चुदैल हूँ...और सच में इस तरह से जलील होना मुझे बहुत दुःख देता था...मैंने तो कई बार अपनी जिंदगी ख़त्म करने की भी सोची लेकिन फिर अपनी बेटी का ख्याल आता और मैं रुक जाती...नेता ने जब देखा की मैं इस तरह जलील होने की भी आदि हो गयी हूँ और उससे अभी भी ख़ुशी ख़ुशी चुदवा रही हूँ तो उसने मुझे चोदना बंद कर दिया...वो बस मुझे अपने घर बुला लेता और कमरे में बैठाये रखता...फिर घर भेज देता...मेरी बुर कुलबुला जाती...कई बार तो मैं उससे भीख जैसा मांगती थी की मुझे चोद दे...लेकिन मुझे ऐसे भीख मांगते देख उसे बहुत तसल्ली मिलती थी...

मैं – आपको चोदना नहीं था तो वो फिर बुलाता ही क्यों था...शहर में बदनाम तो कर ही चूका था...

मेडम – उसने मुझे अपने दोस्तों के लिए गिफ्ट बना दिया था...कई बार उसके साथ का कोई बड़ा अफसर आता या कोई और नेता आता तो मैं उसे रात भर के लिए दे दी जाती थी...दुसरे लोगों से चुदने में मुझे बुरा लगता था..मैं नेता से कहती भी की आपको जो करना हो करिए मेरे साथ लेकिन आप ही करिए कोई और नहीं...वो मुझे जलील करने के लिए अपने बंगले में नंगी घुमाता था...उसकी मीटिंग चल रही होती और मैं नंगी सब मेहमानों को पानी चाय सर्व करती थी.....मैं ये सब भी करती गयी और फिर भी उससे मिन्नत करती रही की मुझे चोदे...उसके लंड की मुझे ऐसी आदत लग गयी थी की उसके साथ के दुसरे लोग मुझे चोदा करते तो मुझे कुछ पता ही नहीं चलता था...दुसरे लोगों से चुदने के कारण दो तीन बार मेरा पेट भी ठहर गया..नेता ने ही साफ़ करवाया...और फिर मुझे अपने दोस्तों को देना बंद कर दिया...फिर उसने नया तरीका खोज लिया...नेता अपने चोदने के लिए दुसरे शहरों से लड़कियां मांगता था...

उन लड़कियों को वो मेरे सामने चोदा करता था...मेरी ड्यूटी रहती थी की मैं पहले उन लड़कियों की चूत और गांड चाट के उन्हें गीला करूँ और फिर वो आके उन्हें चोदा करता था...मैं सोचती की शायद इनके बाद किसी दिन मुझे भी चोदेगा लेकिन नेता ने मुझे हाथ भी नहीं लगाया...मैं उसके सामने उसकी रंडियों की झांट बनाती..उनकी चूत चाट चाट के गीली करती और फिर नेता मेरे सामने चोदा करता..मैं देख देख के पागल सी हो जाती थी..उसने मुझे पिचले कई महीनो से सिर्फ इसी काम में लगाया हुआ है...मुझे तो ठीक से याद भी नहीं की अंतिम बार कब मेरी बुर में किसी ने लंड ठेला था...

मैं – इसलिए आप फिल्मे देखा करती हैं ?
 

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मेडम – हाँ...मुझे किसी तरह से तो अपनी बुर को शांत करना ही था न...तो फिल्म देखने लगी...लेकिन उससे भी मेरा काम नहीं चलता था...मेरे अन्दर तो नेता के लंड के लिए आग लग गयी थी...एक दिन उसने मुझे और चोट पहुचाने के लिए मुझसे साफ़ साफ़ कह दिया की अब वो मेरी बेटी को अपनी चुदैल बनाएगा....मुझसे मेरी बेटी की झांट बनवायेगा और उसकी चूत चत्वायेगा....अगर वो मेरी बेटी की बुर से खुश हुआ तो फिर मुझे भी कभी कभी चोदेगा.....जिस दिन से नेता ने ये बात कही उस दिन से मैं बहुत परेशान थी...मैं अपनी बेटी को इस दलदल में नहीं गिरने देना चाहती थी...लेकिन मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी...

मैं – तो क्या नेता ने पूजा को पेल दिया है?

मेडम – नहीं. अभी तक नहीं. लेकिन उस मादरचोद ने पूरे शहर में ये बात भी फैला दी की अब वो माँ को चोदने के बाद उसकी बेटी को चोदने वाला है...इसलिए पूजा का भी कहीं आना जाना दूभर हो गया...इसलिए अब वो अपने कमरे में ही घुसी रहती है...मेरे हाथ में अब कुछ नहीं रहा जिससे मैं उसका या अपना ख्याल रख सकूं...इतने महीनो से मैं एक लंड के लिए तरस रही हूँ....नेता की रखैल होने के कारण किसी दुसरे मर्द में दम नहीं है की मुझ पर हाथ रख दे...ना ही किसी में दम है की पूजा को छू दे....

मैं – पूजा अभी तक कैसे बची रह गयी नेता से?

मेडम – पूजा की क्लास में नेता की बेटी भी पढ़ती है...दोनों बहुत अच्छी दोस्त हैं...नेता को इसी एक बात का डर है की अगर उसने पूजा को अभी कुछ कहा तो कहीं पूजा उसकी बेटी से न कुछ कह दे..इसलिए पूजा अभी तक बची हुई है...लेकिन सुना है की नेता की बेटी की शादी भी अब जल्दी ही होने वाली है...मैं जानती हूँ की जिस दिन उसकी बेटी की डोली उसके घर से जाएगी उसी रात को वो पूजा को पेल देगा....जैसे मुझे रंडी बना के रखा है वैसे ही उसका भी हाल करेगा...पूजा के बारे में सोचती हूँ तो डर जाती हूँ लेकिन आज भी मेरे मन में एक बार और नेता से चुद जाने का लालच है...उसका लंड है ही कुछ ऐसा...उसकी चुदाई गजब की है...मैंने इतनी सारी फिल्म देख ली लेकिन किसी का भी वैसा लंड नहीं है...

मैं – एक दिन चंदू ने मुझसे कहा की मेडम अपनी चड्डी धोने को कहेंगी मुझसे....क्या आपने कभी उसके साथ कुछ किया है ?

मेडम – चंदू तो एक नम्बर का झंडू है...वो हमारे घर का बहुत पुराना नौकर है...मैं जब नेता के लंड के लिए बहुत प्यासी हो गयी और मुझसे अपनी बुर की आग सहन नहीं हुई तो मैंने सोचा की चंदू से काम चला लेती हूँ...एक दिन बातो बातो में मैंने उसे अपनी चड्डी दे दी धोने को....लेकिन बेटिचोद मेरी चड्डी धोते धोते अपनी ही चड्डी गीली कर बैठा....मुझे लगा की कैसे गलत आदमी से मैंने ये काम करवा दिया..मुझे डर था की वो पता नहीं बाहर जा जा के क्या क्या कहेगा लोगों से...लेकिन फिर सोचा की लोग तो वैसे भी मेरे बारे में पता नहीं क्या क्या कहते हैं....क्या फर्क पड़ता है..मुंह तो सबका चलता है लेकिन किसी में इतनी ताकत नहीं की मेरी बुर में अपना लंड चला दे....मैंने तो तीन चार लोगों को खुला ऑफर दे दिया था...लेकिन किसी में नेता की रखैल को चोदने का जिगर नहीं है...

मैं – तो क्या आप ऐसे ही पूरी जिंदगी रही आएँगी ?

मेडम – पूरी जिंदगी का तो पता नहीं लेकिन अभी फिलहाल तो यही मेरी जिंदगी है...फिल्म देखो..बुर में खुजली करो....चड्डी गीली करो और सो जाओ....जब तुमको पहली बार मादरचोद बोल के तुम्हारी दूकान से आई थी उस दिन लगा की शायद ये आदमी मेरे काम का हो सकता है....फिर तुमने मुझे जिस जिस तरह की फिल्म दिखाई तो मुझे लगा की तुम भी चुदक्कड हो...लेकिन पिछले तीन महीनो से तुमने कुछ किया नहीं तो मुझे लगा की तुम भी झंडू हो...इसलिए खुद ही तुम्हें अपनी चड्डी दे दी धोने को....कल रात में पेंट के ऊपर से तुम्हारे लंड का आकर देख के लगा की ठीक होगा...

मैं – ठीक होगा?? मेरा काफी बड़ा है...

मेडम – जितना भी बड़ा हो लेकिन होगा तो नेता के लंड से कम ही......खैर वो सब जाने दो...अब बोलो तुमने मेरे बारे में सब जान लिया...या और कुछ बाकी है ?
 
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