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Adultery गांड बचा के आये हैं......INCEST + ADULTARY

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यहाँ आकर कहानी में ब्रेक लगा....हॉल में एक सन्नाटा था...पापा की आवाज के अलावा सब खामोश थे...और जब वो खामोश हुए थे एक दुसरे की सांस तक सुनी जा सकती थी...हमने टाइम देखा तो पाया की लगभग शाम होने वाली है....सब उठे अपने अपने कमरे में जाने वाले थे सब की तभी पापा ने ही कहा...चलो आज बड़े वाले जकूज़ी में बैठते हैं...आगे की बात वहीँ होगी...हम सब कपडे चेंज करने के लिए अपने अपने रूम में चले गए..ये तय हुआ की चेंज कर के कुछ देर के बाद फिर से कहानी शुरू की जाएगी...सीमा और मैं अपने रूम में आ गए....हम अपने अपने फ़ोन पर लगे हुए थे...मैं अपने दोस्तों से बात की और फिर बेड में लेट गया...सीमा अभी भी अपने दोस्तों से बात कर रही थी..मैं कुछ सोचने लगा...फिर वो फुर्सत हो के आई और थोड़ी देर के लिए मेरे बगल में लेट गयी...मुझे कुछ सोचते देख के बोली...

सीमा – क्या बात है ? कुछ सोच रहे हो ?

मैं – हाँ सोच तो बहुत कुछ रहा हूँ

सीमा – क्या सोच रहे हो...

मैं – यही की तुम्हारे पापा की जिंदगी भी कितनी अजीब है...कभी कभी लगता है की ये सब तो सिर्फ एक कहानी भी हो सकता है...देखो न उन्होंने अपनी इस लाइफ में क्या किया क्या नहीं किया ये तुम लोग कहीं से चेक नहीं कर सकते...उन्होंने तो अपना गाँव अपना शहर सब कुछ छोड़ दिया...फिर कैसे यकीन किया जाए...

सीमा – तुम्हें लगता है पापा झूठ बोल रहे हैं..

मैं – नहीं. मैं ये नहीं कह रहा...मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ की एक ही लाइफ में इतना कुछ कैसे हो सकता है...

सीमा – मैंने तो देखा है उनकी लाइफ को...मैं जानती हूँ की वो झूठ नहीं बोल रहे...

मैं – तुमने तो तब देखा न जब तुम बड़ी हुई....ये नेता वाली कहानी,...उनकी बहन के साथ की कहानी..यह सब सुनने में बहुत फ़िल्मी लगता है...

सीमा – मुझे तो नहीं लगता.

मैं – तुम्हें इसलिए नहीं लगता क्योंकि तुम उनके साथ इमोशनल हो...किसी बहार वाले के नजरिये से देखो तो थोडा अजीब लगता है...हमारा जमाना अलग है...उनका जमाना अलग था..उनके ज़माने में कहाँ ये सब इतना ओपन होता था...हम लोग तो bf gf बदलते रहते हैं लेकिन उन दिनों कहाँ ये सब प्रचालन में था....वो तो कभी कॉलेज भी नहीं गए.....फिर एक मेडम मिल गयी...फिर उनकी बेटी मिल गयी...ऐसा मालिक मिल गया जो उनके जिम्मे सब कुछ छोड़ दे...तुम ही बताओ...हम दोनों भी तो नौकरी करते हैं...क्या कभी हमारे बोस्सेस ने हम पर इतना भरोसा किया है...

सीमा – मैं जानती हूँ यकीन करना मुश्किल है...लेकिन ये सब सच है...इसमें से कुछ भी झूट नहीं..

मैं – बुरा मत मानो..मैं तुम्हारे पापा को कुछ नहीं कह रहा हूँ...मैं तो सिर्फ मन में जो ख्याल आया वो बता रहा हूँ...

सीमा – जानते हो जब हम कॉलेज में थे...और तुम मुझे अपनी सेक्स की फंतासी के बारे में बताया करते थे..मुझे बहुत मजा आता था..मुझे लगता था की तुम बिलकुल मेरे जैसे हो....सेक्स में सब कुछ चलता है टाइप के...हमने एक साथ कितनी ऐसी पोर्न मूवी देखि हैं जिनमे फॅमिली के बीच सेक्स दिखाते थे...

मैं – हाँ लेकिन वो फिल्म में था न...फिल्म में तो कुछ भी दिखा सकते हैं...वो फॅमिली सेक्स वाली फ़िल्में बनती ही इसलिए हैं क्योंकि ऐसा रियल में नहीं होता...

सीमा – लेकिन वो सब देख के तुम्हें जो जोश आता था वो तो रियल है न...तुम्हें अच्चा लगता था न वो सब कुछ सोचना...

मैं – हाँ. अच्छा तो तुम्हें भी लगता था.

सीमा – हाँ. लेकिन देख रही हूँ जब से तुम यहाँ आये हो तुम्हारा नजरिया सेक्स के लिए कुछ बदल सा गया है..

मैं – वो कैसे...
 

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सीमा – तुम भाई बहन की सेक्स की फिल्म खोज खोज के लाते थे...हम साथ देखते थे..फिर एक दुसरे के साथ भाई बहन का रोले प्ले करते थे...तुम्हें कितना मजा आता था...लेकिन अब तो तुम सिर्फ हैरान होते हो और हमें जज करते हो..जैसे हम लोग कितने घटिया किस्म के लोग हैं..

मैं – मैं जज नहीं कर रहा..मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ की वो फिल्म था..या रोले प्ले था..उसके सच होने का मेरा कोई अरमान नहीं था..ना ही यकीन था की ऐसा कुछ कभी सच हो सकता है...लेकिन यहाँ तो सब सामने हो रहा है...एकदम खुला हुआ...मैंने देखा की एक बेटी अपने बाप के लंड का रस पी रही है...दो बीवियां एक साथ अपने पति से चुदवा रही हैं...उनकी बेटी सामने देख रही है....फिर लोग बात कर रहे हैं इस बारे में...बेटे बोल रहे हैं की उन्होंने शो मिस कर दिया....सीमा तुम ही बताओ..अगर मेरी जगह तुम होती तो क्या तुम्हें ये सब कुछ इतना आसान लगता?

सीमा – पता नहीं. हो सकता है तुम सही हो. लेकिन मैं इतना जरुर जानती हूँ की तुमने जो भी सुना है वो सब सच है...

मैं – और सब कुछ मैं सच मान सकता हूँ लेकिन ये नहीं की इन्होने अपनी बहन के साथ सेक्स किया...फिर माँ बेटी के साथ सेक्स किया...फिर अब इनकी दोनों बीवियां आपस में बहन हैं ये मुझे थोडा हार्ड लगता है...मुझे लगता है की हमारे तरह इनकी भी फंतासी रही होगी...और इसलिए इन्होने अपनी बीवियों को भी इसमें शामिल किया...इन्होने इनती शादी की यह ठीक था लेकिन वो सब रिलेटिव थी..ये मान लेना मुश्किल है..

सीमा – मैं तुम्हें समझा नहीं सकती...बाकी जो भी पता चलेगा तुम्हें कहानी में वो तो तुम खुद ही तय कर लेना की सही है या झूट बस है...

मैं – तुमने कभी इनका गाँव देखा है? इनके माँ बाप को देखा है? इनकी बहन से मिली हो? वो लोग कभी न कभी तो आये होंगे...ऐसा कैसे हो सकता है की कोई अपने बेटे को घर से निकाले और फिर जिंदगी भर उससे मिले ही न? या कभी इन्होने कोशिश नहीं की वापस जाने की ?

सीमा – तुम्हें सब पता चल जाए उसके बाद तुम बैठ के फैसला करना की कितना सही है और कितना झूट है..मैं कोई सफाई नहीं देना चाहती..बल्कि मैं देख रही हूँ की तुम्हारा तो सेक्स करने का मन ही नही करता...चरों तरफ सेक्स का माहौल है...हमारा घर इतना खुला हुआ है...सब तुम्हें इतनी रेस्पेक्ट दे रहे हैं लेकिन न तो तुमने मेरी बहन को कोई भाव दिया ना ही मेरी मम्मियों को...

मैं – तुम कहना क्या चाहती हो?

सीमा – यही की इतना सब तुम्हारे चरों तरफ हो रहा है...लेकिन तुम्हारा लंड है की खड़ा होने का नाम नहीं ले रहा....तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक तो सबसे साथ निपट चूका होता....

मैं – तुम चाहती हो की मैं तुम्हारी फॅमिली की औरतों से सेक्स करूँ...

सीमा – सेक्स भले न करो लेकिन कम से कम उन्हें थोड़ी लिफ्ट तो दे ही सकते हो...तुमने इतने दिनों में एक भी बार मेरे घर की किसी भी लड़की को एक भी कॉम्प्लीमेंट नहीं दिया...क्या वो देखने में सुन्दर नहीं हैं ?

मैं – ये तुम किस बहस में डाल रही हो मुझे....मैंने ये सब नहीं किया है कभी...

सीमा – अच्छा? और मैं क्या बचपन से ही चुदासी हूँ?

मैं – मुझे क्या पता...

(उसे शायद मेरी ये बात बुरी लग गयी..मैं जानबूझ के उससे कोई बहस नहीं कर रहा था लेकिन ये सब कुछ इतनी जल्दी पचा लेना भी कोई साधारण बात नहीं थी...मैंने कभी नही देखा था किसी बेटी को अपने माँ बाप की चुदाई देखते हुए और फिर लंड का रस पीते हुए...ऊपर से उन लोगों के घर की कहानी...मुझे सच में ये शक होने लगा था की ये सब सच है या झूट है..इस बीच मेरी इस बात ने सीमा को सच में हर्ट किया)

सीमा – मैं अभी कोई बहस नहीं करना चाहती...सब लोग वहां हमारा वेट कर रहे होंगे....चलो चलते हैं..और सबके सामने नार्मल रहना...किसी को ये न लगे की हमारे बीच कोई प्रॉब्लम हो रही है..
 

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हम लोग अपने रूम से निकल कर एक बड़े बाथरूम की तरफ चले...साला उनके घर में तो सब कुछ बड़ा ही था...पेंटहाउस में भी एक जकूज़ी था...लेकिन ये वाला तो उससे दोगना साइज़ का था...और सीमा की बात सही थी...वो लोग हमारा वेट ही कर रहे थे..मैंने देखा की वो सब लोग वहां पहले ही पहुच गए थे और पानी में घुस भी गए थे...सबका कमर के नीचे का हिस्सा पानी में था..पानी में खासा झाग बना हुआ था इसलिए पानी के अन्दर का कुछ दिख नही रहा था...कमर के ऊपर से आदमी लोग तो नंगे ही थे और लड़कियों ने ब्रा पहनी हुई थी...ब्रा क्या थी एक कपड़ा जैसा था सबका जो सिर्फ निप्पल को छुपा रहा था..बाकी तो पूरी चूची सबकी दिख रही थी...मुझे लगा की जब चूची दिख ही रही है तो फिर निप्पल छुपाने से क्या फायदा है..वो भी उतर देनी चाहिए सब नंगे ही बैठो और क्या....सीमा ने अन्दर की बहस के बाद से शायद कुछ सोच लिया था...हम लोग आये तो हमारे लिए जकूज़ी में बैठने की जगह बना दी गयी...मैं बैठा..मेरे अगल बगल मेरे दोनों साले बैठे थे...सामने दोनों मम्मियां थी...पापा रेनू के बगल में थे...और फिर सीमा के बैठने की बरी आई...वो रूम से तो टोवल लपेट के आई थी लेकिन यहाँ आने के बाद उसने उसे भी निकाल दिया...मैं समझ रहा था की वो टोवल के नीचे ब्रा पेंटी पहन के आई होगी लेकिन ऐसा नहीं था...मैं अपनी जगह पर बैठ चूका था..कमर के नीचे मेरा शरीर पानी में था...और फिर जब ऊपर देखा तो मुझे सीमा दिखी...एकदम नंगी...एक भी कपडा नही शरीर पर...बाकियों ने कम से कम निप्पल तो छुपा ही लिए थे लेकिन सीमा ने तो वो भी नहीं किया था...एकदम नंगी थी...पेंटी भी नहीं पहनी थी...वो जकूज़ी के कोने पर खड़ी थी...वहां से हम सब उसके नीचे थे..और एक एंगल से देखने पर नीचे से उसकी चूत भी साफ़ दिख रही थी...

वो ऐसा कुछ करेगी इसकी मुझे तो उम्मीद नहीं ही थी साथ ही बाकी लोगों को भी नहीं थी...इसलिए जैसे ही सीमा ने अपनी टोवल निकाली वैसे ही सबके मुंह से एक आह सी निकल गयी...वो लोग पहले भी निश्चित ही सीमा को पूरी नंगी देख चुके रहे होंगे लेकिन शादी के बाद से ये पहला मौका था जब वो नंगी सबके सामने खड़ी थी...उसे इस रूप में देख के मुझे एक पल के लिए गुस्सा आया लेकिन मैं शांत रहा और फिर अगले ही क्षण मुझे महसूस हुआ की मेरा लंड खड़ा हो रहा था..मेरे दोनों तरफ मेरे साले बैठे हुए थे और उनके हाथ कमर के नीचे हिल रहे थे...वो भी अपनी बहन को देख रहे थे और इतना अंदाजा तो मैं लगा ही सकता था की अन्दर उनका हाथ अपने अपने लंड पर था...पापा भी सीमा को एकटक घूर रहे थे...

सीमा – आप लोग तो ऐसे देख रहे हैं जैसे पहले कभी मुझे नंगी नहीं देखा...

पापा – देखा है..कई बार देखा है...लेकिन तुम्हारी शादी के बाद से तो पहली बार ही देख रहे हैं न..

सीमा – शादी के बाद मैं कोई बदल थोड़ी न गयी हूँ...वहीँ हूँ जो पहले थी...वैसी ही..

सोम – नहीं दीदी. आप बदल गयी हो.

सीमा – अच्छा? क्या बदल गया है ?

राज – आपकी चूचियां बड़ी हो गयी हैं? है न पापा?

पापा – हाँ राज. मुझे भी ऐसा लगा देख के. तुम्हारी दीदी की चूची तो पहले से ही बड़ी थी लेकिन अब थोड़ी ज्यादा बड़ी और टाइट लग रही हैं..

रेनू – ये सब तो जीजू के हाथों का कमाल होगा..क्यों जीजू है की नहीं ?

मोना – तुम लोग चूची को देख रहे हो...नीचे देखो नीचे...असली चेंज तो वहां हुआ है..

रेनू – क्या चेंज हुआ है मम्मी...

मोना – दिनकर आपको याद है कैसे सीमा की बुर की धार एकदम टाइट थी...जैसे जिप पाउच हो कोई...लेकिन अब देखिये न थोड़ी सी खुल गयी है...लेकिन ज्यादा नहीं खुली है..एकदम हलकी सी खुली हुई है..

पापा – हाँ ठीक कह रही हो...चूची के चक्कर में मैंने चूत तो देखि ही नहीं...

सीमा – अब अगर अप लोगों ने सब देख लिया हो तो मेरे लिए भी जगह बना दी जाए मैं भी अन्दर आ जाऊ

रेनू – दीदी आपकी जगह तो पापा की गोद में है..उनका लंड तो एकदम तन गया है...मेरे तो हाथ में भी नहीं आ रहा..
 

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(ये सब सुन सुन के मेरे कान जलने लगे थे गर्मी से...साले अपनी बेटी बहन के नंगेपन की ऐसी तारीफ कर रहे थे..एक एक अंग देख रहे थे..चेक कर रहे और पानी के अन्दर ये रेनू जरुर अपने बाप का लंड पकड़ के बैठी होगी तभी कह रही है की हाथ में नहीं आ रहा...दोनों भाइयों के हाथ पानी में तेजी से हिल रहे थे..साले अपने बाप के सामने अपनी बहन की चूत देख के मुट्ठ मार रहे थे...मुझे थोडा डर सा लगा की कहीं सीमा सच में तो नहीं अपने बाप की गोद में बैठ जाएगी...उफ़ अगर वो बैठ भी जाएगी तो मैं क्या कर लूँगा..रोक थोड़ी न सकता हूँ उसको...मैं ये सब सोच ही रहा था की तभी सीमा अपनी दोनों ममियों के बीच में बैठ गयी...और फिर बरी बारी से उन लोगों ने अपनी अपनी ब्रा भी उतर के फेंक दी...सबके चुचे अब पूरे नंगे थे....रैना और मोना दोनों कहने को तो मम्मियां थी लेकिन दोनों के चुचे किसी लौंडिया को भी मात देने लायक थे..और रेनू के तो एकदम कड़े कड़े थे....सबके निप्पल एकदम हार्ड हो गए थे...सबके हाथ पानी के अन्दर थे...साला समझ नहीं आ रहा था की कौन किसकी चूत में ऊँगली कर रहा है और कौन मुट्ठ मार रहा है..मैं सिर्फ अपनी फटी गांड लिए वहां बैठा था और सबका हाल देख रहा था...आज मेरा भी लंड एकदम टाइट था...फिर पापा ने अपनी कहानी फिर से शुरू की...

पापा – हाँ तो मैं बता रहा था की कैसे पूजा ने मुझसे शादी के लिए हाँ कह दी थी...हालाँकि मैं तब भी ये सोच रहा था की एक बार पूजा मिल जाएगी तो फिर एक न एक दिन उसकी माँ भी मिल ही जाएगी...फिर मेडम और उसकी बेटी को एक साथ पेलूँगा...ज़िन्दग में मजा ही मजा होगा....अगले एक दो दिन में हमने अपनी तयारी पूरी कर ली...सब जरुरत का सामान बाँध लिया...और मैंने मेडम को वो सारा सामान दे दिया जो नेता के घर में छुपाना था....जल्दी ही नेता का बुलावा आ गया मेडम के लिए...हमारा प्लान ये था की हम उसी प्रदेश के सबसे दूर के शहर में चले जायेंगे...प्रदेश बदल नहीं सकते थे क्योंकि मुझे अपना बिज़नस शुरू करने के लिए उसी एजेंट की जरुरत थी और वो सिर्फ इसी प्रदेश में काम करता था...हमने पता किया था की एक ट्रेन हमारे शहर से उस शहर जाती है..पेसेंजर गाडी है इसलिए टाइम ज्यादा लेती है...और सीट बुक करने का टाइम हमारे पास था नहीं...ये तय हुआ था की जिस रत मेडम को जाना होगा उसी रात हम लोग ट्रेन से निकल जायेंगे...ट्रेन का टाइम सुबह ७ बजे का था..और मेडम ने बताया था की नेता को सुबह दस बजे के पहले कोई डिस्टर्ब नहीं करता था...तो जब तक छापा पड़ेगा और नेता को पता चलेगा की मेडम भाग गयी है तब तक हम बहुत दूर निकल चुके होंगे...

और नेता के पास बड़ी मुसीबतें होंगी तो शयद उसका ध्यान भी न जाए की मेडम को पकड़ना है...मेडम रात में नेता के घर के लिए उसकी गाडी में बैठ के चली गयी...अब घर में मैं और पूजा थे बस...मैं तो सुहागरात के बारे में सोच सोच के लंड खड़ा किये हुए थे...पूजा ने भी मुझसे ज्यादा बात नहीं की थी..हम लोग कमरे में चुप बैठे हुए थे..घडी की सुई बहुत धीमे धीमे घुमती जान पड़ रही थी..हमारे अन्दर एक बेचैनी थी और उससे बचने के लिए हमने बात करना शुरू कर दिया...

पूजा – तुमने ये सब कैसे सोच लिया और क्यों सोचा ?

मैं – क्या सब ?

पूजा – यही नेता को फंसना..फिर मुझसे शादी करना..दुसरे शहर जाना..तुम्हें ये सब करने की क्या जरुरत थी...तुमने तो माँ को सेट कर ही लिया था...वो तो तुम्हें उस दिन देने भी वाली थी...तुम चाहते तो आराम से शहर में रहते और माँ की लेते रहते...ये सब करने की क्या जरुरत थी...

( मुझे लगा पूजा को थोडा सेंटी करना जरुरी है..नहीं तो वो हमेशा यही सोचती रहेगी की मैंने ऐसा सिर्फ चुदाई के लिए किया है...भले ही ये बात सच थी लेकिन फिर भी मुझे उसके सामने ऐसे पेश आना था जैसे मैं सच में उनकी जिंदगी के लिए ये सब कर रहा था/)

मैं – मैंने सोचा की ऐसा करने से हम सभी को एक नयी जिंदगी जीने का अवसर मिल जायेगा. और रही बात मेडम के साथ सेक्स करने की तो वो तो मैंने कभी सोचा भी नहीं..

पूजा – देखो दिनकर..मेरे बारे में कुछ बातें जान लो...मैं बहुत कम बोलती हूँ..बहुत सोच समझकर बोलती हूँ..और जब बोलती हूँ तो एकदम सीधी बात...मुझे गोल मोल घुमा घुमा के बात करने वाले बिलकुल नहीं पसंद हैं...इसलिए मुझसे हमेशा सच बोलो..
 

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मैं – सच ही तो कह रहा हूँ..मेडम जी की तो मैं बहुत इज्जत करता हूँ..उनके बारे में ऐसा वैसा कुछ नहीं सोचा मैंने..

पूजा – एक मौका और देती हूँ तुम्हें...याद रखो की मैंने तुमसे शादी के लिए हाँ की है..मैं इतना बड़ा एडजस्टमेंट कर रही हूँ तो कम से कम तुम मुझे चूतिया तो मत ही बनाओ...

उसके मुंह से चूतिया सुन के मुझे लगा की ये गाली वाली सब जानती है और सच में अपनी माँ की बाप है...

मैं – मैं सच ही कह रहा हूँ...अकेला हूँ बहुत समय से...और अकेलेपन से बचना चाहता हूँ...सेक्स तो कुछ समय के लिए होता है लेकिन रिश्ता तो हमेशा के लिए होता है...इसलिए मैं ये सब कर रहा हूँ...

पूजा – रिश्ता तो माँ जोड़ रही थी न तुमसे...तो उसी से कर लेते शादी..मुझसे शादी की शेरत क्यों राखी...

मैं – मैंने कभी सोचा नहीं मेडम के बारे में उस तरह से...और वो तो मुझसे बड़ी हैं न...

पूजा – हाँ..बड़ी हैं...तुमने उन्हें अपना लंड खोल के दिखाया...उनकी चड्डी सूंघी...उन्हें चुदाई की फिल्म ला ला के दी...और उनके बारे में कभी कुछ गलत नहीं सोचा..वाह...तुम तो मुझे दुनिया की सबसे बड़ी चूतिया लड़की समझते हो...

मेरे पास कहने को कुछ नहीं था..मुझे लगा की इस लड़की से बातों में तो नहीं जीत सकता मैं..इसलिए चुप रहना ही बेहतर है...लेकिन पूजा चुप रहने के मूड में नहीं थी...

पूजा – मैंने तुमसे उस दिन भी कहा था की मैं चुदाई में अपनी माँ की भी बाप हूँ...वैसे भी जिस नरक में हम लोग इतने दिनों से जी रहे हैं तो हमारे पास एक दुसरे से छुपाने के लिए कुछ भी नही था,..माँ ने मुझसे और मैंने माँ से हर बात शेयर की है...मुझे पता है की नेता क्या क्या करता और करवाता है..मैं जानती हूँ नेता मेरे साथ क्या करने वाला है..चंदू के साथ क्या हुआ...बल्कि मैंने ही माँ को कहा था की नेता नहीं ठंडा कर रहा तो कब तक ऐसे गरम हो के चड्डी धोती रहेंगी...एक समय तो दिन में चार पांच चड्डी बदलनी पड़ती थी उनको..मैंने ही कहा था की चंदु के साथ देखिये...लेकिन वो किसी काम का नहीं निकला..और उस रात अगर मैं सही समय पर अपने कमरे से बाहर नहीं आई होती तो तुम मेरी माँ चोद चुके होते...इसलिए दिनकर मुझसे कुछ नहीं छुपा है और मैं भी तुमसे कुछ नही छुपौंगी....तुम भी मुझसे सब कुछ कह सकते हो..एक एक बात एक एक चीज...सब कुछ...मैं किसी बात का बुरा नहीं मानती लेकिन अगर कोई मुझे चूतिया बनाये तो मेरा दिमाग ख़राब हो जाता है...और याद रखना...तुम्हारे लंड के ऊपर रखा चाकू भले ही हट गया हो लेकिन अब एक चाकू तुम्हारे लंड पर और एक तलवार तुम्हारी गर्दन पर हमेशा लटकी रहेगी...मेरे साथ ईमानदारी से रहोगे तो तुम्हें पूरा सुख दूँगी...और अगर मुजह्से झूट बोले तो तुम्हारा लंड भी काट दूँगी और तुम्हारी गर्दन भी...मुझे लगता है तुमने माँ के साथ इसलिए चुदाई नहीं की क्योंकि तुमने सोचा की ये तो औरत कुछ ही साल काम आएगी लेकिन इसकी बेटी तो अभी जवान हो रही है वो तो लम्बे समय तक काम आएगी...क्यों सही कहा न?


(मुझे लगा ये साला किस डकैत के चक्कर में फंस गया मैं...इससे तो मेडम ही अच्छी थी...इतनी खतरनाक दिखती तो नहीं थी ये...देखने में तो भोली सी थी...लेकिन बातें सुनो इसकी..अगर हाँ कहूँगा तो भी गांड मार लेगी..अगर ना कहूँगा तो लंड काट देगी...लगता है की नेता के नरक से ये लोग तो बाहर आ गए लेकिन अब मैं एक नरक में फंस गया हूँ.. मैं यही सब सोच रहा था की पूजा उठ के बाथरूम की तरफ चल दी...बोली की मुझे थोडा टाइम लगेगा तुम तब तक सोच लो की मुझसे ईमानदारी से पेश आओगे या मुझे चूतिया बनाने की कोशिश करोगे?....उसके जाने के बाद मुझे लगा की वैसे भी जिंदगी में खोने के लिए कुछ बचा नहीं है...तो फिर क्यों बेकार में झूट बोलना..और जब इतनी बिंदास लड़की मिल गयी है तो फिर अपनी अकाल क्यों लगाना...जो जो कहे जैसा जैसा कहे वैसा रहो...ये खुद ही खुश रहेगी भी और रखेगी भी,...मैंने तय कर लिया की अब कुछ झूट नहीं बोलना है....वो बाहर आई...)
 

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पूजा – हाँ तो क्या सोचा चोदु मिया..

मैं – तुम्हारी बात सही है. झूट बोलने में कोई अर्थ नहीं है. अब तो जिंदगी भर का साथ है. सब कुछ खुला रहे और पता रहे तो ही ख़ुशी मिलेगी...’

पूजा – थोड़े झंडू हो लेकिन समझ जाते हो बात को...सुनो..ये मत सोचना की मुझसे शादी की बात कर के तुम कहीं फंस गए हो...अगर तुम्हारा प्लान कामयाब हो गया तो तुम्हें मैं दिल से अपना पति मान लूंगी...एक रंडी की चुदाई...एक लड़की का प्यार...एक औरत का साथ..ये सब अलग अलग चीजें हैं...लेकिन मैं अकेली ही तुम्हें ये सब खुशियाँ दे दूँगी....तुम सोच भी नहीं सकते की मैं क्या हूँ...बस तुम ये याद रखना हमेशा की कभी झूट नहीं बोलना मुझसे...बोलो कर सकते हो इतना...

मैं – हाँ. कर सकता हूँ.

पूजा – ठीक है. सबसे पहले ये बताओ की तुम्हारी बहन वाली कहानी सही है या तुमने माँ को फंसाने के लिए कहानी रच दी है ?

मैं – नहीं. वो बात एकदम सही है.उसमे कुछ भी झूट नहीं है...

पूजा – तो उसे अकेला छोड़कर क्यों भाग आये....वो बेचारी अब कैसे रह रही होगी..उसकी जिंदगी के बारे में कभी कुछ सोचा नहीं ?

मैं – बहुत सोचा है. लेकिन हर बार लगा की मुझसे गलती हुई. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. समाज के नियम नहीं तोड़ने चाहिए..भले ही सब कुछ उसकी मर्जी से हुआ लेकिन फिर भी जो हुआ वो सही नहीं था..पता नहीं वो कैसे रह रही होगी...लेकिन .मेरी खुद की हालत इतनी बुरी है की मैं उसके लिए कुछ कर नहीं सकता था...इसलिए भाग आया...और वापस नहीं गया...

पूजा – याद आती है उसकी ?

मैं – हाँ. बहुत ज्यादा.

पूजा – किस तरह से ? अपनी बहन के रूप में या चुदाई के लिए ??

मैं – दोनों.

पूजा – माँ बता रही थी कैसे तुमने उसे फंसाया...और फिर उसकी कहानी सुना सुना के माँ को भी फंसा लिया..नमबरी चुदक्कड हो तुम..

मैं – क्या करूँ..उम्र ही ऐसी है..

पूजा – वैसे फंसा तो तुम मुझे भी रहे थे लेकिन मैं फंसी नही तुमसे...क्यों? सही कह रही हूँ न? मायापुरी में वो चुदाई की फोटो वाली किताब तुमने जानबूझ के राखी थी न?

मैं – हाँ. तुमने देखि थी ?

पूजा – हाँ देखि थी. सम्हाल के रखी भी है. लेकिन उसके बाद तुमने आगे कुछ किया ही नहीं,...

मैं – हाँ वो कभी मौका ही नहीं मिला...

पूजा – मौका नहीं मिला या माँ की चड्डी धोने से फुर्सत नहीं मिली...

मैं – हाँ वो भी है...लेकिन अब तो जिंदगी भर मौका ही मौका है....तुमको बहुत खुश रखूँगा...
 

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पूजा – फ़िल्मी बातें न करो. पढ़े लिखे तो हो नहीं. खुश क्या घंटा रखोगे,....अभी से बहुत लार न बहाव तुम...ध्यान रहे ये सब बात मैं इसलिए कर रही हूँ की अभी की टेंशन कुछ कम हो...माँ को पता नहीं कितनी देर लगेगी...आज ही हमारी जिंदगी का फैसला हो जाना है,.,...या तो आजादी या हमेशा का नरक..और इस बार तो तुम्हारी गांड भी दांव पे लगी है....तुम ये मत समझ लेना की लौंडिया तो खुल के लंड चुदाई की बात करती है तो तुम मजे लोगे मेरे....ज्यादा ऊँचे सपने मत देखना..जब तक तुम अपना वादा पूरा नहीं करते तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा...

मुझे लगा की खड़े पे चोट करना दोनों माँ बेटी का पसंदीदा काम है..मैं तो सच में सोचने लगा था की शायद आज ही उद्घाटन का मौका मिल जायेगा...लेकिन उसने फिर से मेरा मन पढ़ लिया और फिर खड़े पे चोट कर दी...हम लोग कुछ देर और ऐसे ही बात करते रहे,......मैंने देखा की पूजा जी भर के गंदे गंदे शब्द बोलती...चुदाई की बात शुरू करती और फिर जैसे ही मेरा मूड बनता मेरा लंड खड़ा होता वैसे ही वो बात पलट देती और मुझे फिर से ज्ञान देने लगती...उस रात न जाने कितनी बार उसने मेरा खड़ा किया और फिर पानी फेर दिया..लेकिन इस सबके चक्कर में हम ये भूल गए की टाइम कब बीता...सुबह के करीब चार बजे होंगे..जब दरवाजे पर दस्तक हुई....हम जल्दी से बाहर आये और दरवाजा खोला...

उसकी माँ खड़ी हुई थी...हमने देखा की बाहर और कोई नहीं था,...जल्दी से दरवाजा बंद किया...मेडम के कपडे सब उलटे सीधे थे,..बाल बिखरे हुए थे...और आँखें देख के लग रहा था जैसे बहुत रोई हो...कुछ बोल नहीं रही थी,...हम अन्दर ले के आये उन्हें...पानी दिया और उनके संयत होने का वेट करने लगे...वो रोये जा रही थी...हम दोनों की हालत खराब हो रही थी उन्हें ऐसे देख कर..हमारे ट्रेन पकड़ने का टाइम भी आ रहा था..हमें अँधेरा छटने के पहले ही निकलना जरुरी थी जिससे हमें कोई देखे न...सामान तो सारा बंधा ही हुआ था..मेडम का कुछ हाल ठीक होता तो बात करते...पूजा ने उनसे पूछा की सब ठीक से हुआ? तो मेडम ने धीरे से सर हिलाया...हाँ में....हमें थोड़ी राहत मिली...फिर भी समझ नहीं आ रहा था की सब ठीक से हुआ तो रो क्यों रही हैं....पूजा ने थोड़ी देर के बाद फिर से बात करने की कोशिश की...लेकिन उनसे ज्यादा कुछ बोला नहीं जा रहा था...पूजा ने याद दिलाया की ट्रेन का टाइम हो रहा है..आप जल्दी से ठीक हो जाईये कपडे बदल लीजिये हमें जाना होगा....

लेकिन मेडम बस रो रही थी और बीच बीच में कराह रही थी...मुझे डर लगा की कहीं उसने मार पीट तो नहीं की मेडम के साथ....जब पूजा से नहीं रहा गया तो उसने थोडा तेज आवाज में कहा की माँ बताओ क्या हुआ है...अब हमें निकलना होगा नहीं तो पूरा प्लान चौपट हो जायेगा..बताओ क्या हुआ है...मेडम ने कुछ नहीं कहा..बिस्तर पर लेटी रही...रोटी रही..और फिर धीरे से अपनी एक हथेली आगे की...हम दोनों ने देखा...लेकिन हथेली तो खाली थी..उस पर कुछ नहीं था...फिर मेडम ने अपना मुंह छुपा लिया और हथेली पलट दी....मुझे कुछ समझ नही आया...लेकिन पूजा समझ गयी...उसे बुरा भी लगा और हंसी भी आई,...ये देख के मेडम थोडा और रो दी...उन्हें रोता देख के पूजा थोडा और हंस दी...अब मेरा भी सबर टूट रहा था...टाइम भी निकल रहा था मैंने पूजा से कहा की बताओ भी की क्या हुआ है....पूजा ने अपनी हंसी रोकी...और बोली की जो अभी तक नहीं हुआ था वो आज हो गया...मेडम ने लेटे लेटे ही पूजा को एक थप्पड़ मारा...लेकिन ये गुस्से का थप्पड़ नहीं था...पूजा थोडा मचली और फिर हंसने लगी..अब मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था की ये क्या नौटंकी चल रही है.....पूजा ने मुझसे धीरे से कहा...आज नेता ने माँ की गांड मार दी.......और खिलखिलाकर हंसने लगी....
 
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