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Adultery गांड बचा के आये हैं......INCEST + ADULTARY

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हम ऐसे ही चिपके बैठे रहे..जब तक हमारी साँसे सामान्य नहीं हो गयी.....मैंने देखा की पूजा की बुर भी खुली हुई है...और वो दो उँगलियों से उसे बेरहमी से रगड़ रही है.....


जब हमारी नजर मिलि तो मुझे पूजा के चेहरे पर ऐसा सुकून दिखा की जैसे मैंने उसकी माँ को नहीं उसे ही चोदा हो...मेडम अभी भी मेरे लंड पर चढ़ी हुई थी,...उनकी साँसे अभी तक तेज चल रही थी...उन्होंने अपना सर मेरे सीने में छुपा रखा था....मैं अभी अभी बहुत तेजी से झड़ा था लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था....मैंने पूजा को इशारा किया की जरा इधर उधर देख ले...पूजा अपनी जगह पर खड़ी हो गयी...उसने डिब्बे के अन्दर देखने की कोशिश की...रात हो चुकी थी..और हमारे नसीब से वहां के बल्ब भी जल नही रहे थे....दूर से किसी को कुछ दिख नहीं सकता था की क्या हो रहा है....जब पूजा ने इशारा किया की सब ठीक है तो मैं ने उसकी माँ की कमर पकड़ ली और धीरे धीरे निचे से हिलने लगा...उसकी माँ थोडा सा कुनमुनाई और फिर साथ देने लगी...पूजा ने मुझे देख के आँखें बड़ी बड़ी की...जैसे कह रही हो की फिर से चोदने मत लग जाना...लेकिन उस वक़्त तो खड़े लंड के आगे कुछ और दिखाई नहीं दे रहा था...और उसकी माँ भी पूरा साथ दे रही थी...जब हम दोनों की स्पीड थोड़ी बढ़ने लगी तो पूजा एकदम पास आ गयी...और अपनी माँ के कान में कहा की उतरो लंड पर से....सुन के मुझे बड़ा बुरा लगा...इतना अच्छा मौसम बना था और ये सब ख़राब कर रही थी..मैंने अनसुना कर दिया और चालू रहा...पूजा ने इस बार अपनी माँ के बाल पीछे से पकड़ के खीचे तो उनका सर मेरे सीने से अलग हुआ..दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर पता नहीं क्या हुआ...मेडम ने मेरे कंधे पर अपनी कोहनी राखी और मेरे लंड पर से उठ गयी...उस गीली चूत से मेरा लंड पच्च की आवाज के साथ बाहर निकल आया...उनकी चूत में मेरा पहला पानी भरा हुआ था...वो थोडा थोडा रिसने लगा था....उनमे ज्यादा जान नहीं बची थी तो वो वहीँ कपलिंग के ऊपर ही दूसरी तरफ के रबड़ के परदे से टिक के बैठ गयी...

मुझे ये सब बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा था...लेकिन पूजा की बात काटने की पता नहीं क्यों हिम्मत ही नहीं हुई...उसने अब मुझे देखा और कहा की अपने डंडे को बैठा लो अब...मेरी मा चोद ही चुके हो...एक रात के लिए इतना काफी नहीं है क्या? ...मन तो किया की कह दूं की नहीं इतना काफी नहीं है...लेकिन गांड में इतना गूदा नहीं था....फिर पूजा ने बड़े ही कामुक अंदाज में कहा की अगर मेरा पति बन्ने की बजाय मेरे पापा बनना चाहते हो तो बता दो मैं मना नहीं करुँगी....इस पर दोनों माँ बेटी ने अब मुझे एकसाथ देखा जैसे मेरे जवाब का इंतजार हो उन्हें...लेकिन मैं जवाब देता भी तो क्या...मैं तो पति और पापा दोनों बनना चाहता था...मुझे चुप देख के मेडम ही बोली...पूजा इस भोसड़ी के को लगता है दोनों बनना है....पूजा बोली माँ मुझे तो लगता है की कहीं ये अभी से मेरा बहनोई बन्ने के मूड में भी ना हो.....फिर मुझसे पूछा...क्यों बनना है मेरा बहनोई?

एक तो खड़े लंड पर से चूत हटा दी और ऊपर से दोनों मजे ले रही थी मेरे...लेकिन मैं कर भी क्या सकता था..चुपचाप बैठा रहा..कुछ देर में जब चुदाई का माहौल शांत हुआ तो हमने बचा हुआ खाना खाया..मुझे लगा की थोडा सो लिया जाए तो ठीक रहेगा..मैं सोच ही रहा था की इतने में एक धीमी सी सिर्र जैसी आवाज सुनाई दी...मुझे लगा ये आवाज काहे की है...बगल में देखा तो पाया की मेडम वहीँ परदे पर टिके टिके अपनी साड़ी उठा के मूत रही थी...वो उठ के उकडू भी नहीं बैठी थी...जैसी बैठी थी वैसे ही बस साड़ी ऊपर कर ली थी और दोनों टाँगे फैला ली थी....मैं देखा के थोडा चौंका की ये क्या हो रहा है..फिर पूजा को देखा तो वो तो मजे से उस सीन को देख रही थी..फिर मेडम को देखा तो उन्होंने से इशारे से पूछा की क्या हुआ...मैंने कहा की थोडा उकडू तो बैठ जाओ...पूरा वहीँ इकठ्ठा हो रहा है निचे भी नहीं बह रहा आपके कपडे गीले हो जायेंगे.....मेडम ने थोडा सा निचे देखा..पाया की मैं सही कह रहा था..उनका पूरा मूत वहीँ जमा होता जा रहा था....वो मुझे देख के हलके से मुस्कुराते हुए बोली...माँ चुदाये दुनियादारी...

दोनों माँ बेटी के मुंह से गाली तो बिना रुके निकलती थी..बिना किसी संकोच शर्म के..सुन के मजा भी बहुत आता था...अभी उनकी सिर्र बंद ही हुई थी की दूसरी तरफ से भी वही आवाज आने लगी...इस बार पूजा ने शुरू कर दिया था..बड़े अरमान के साथ मैंने सर झुकाया की चलो इसी बहाने पूजा की चूत तो देखने को मिलेगी...लेकिन वो कमीनी अपनी चूत छुपाये हुए थी....दोनों जब मूत के फुर्सत हो ली तो वहीँ टिक के सोने लगी...अपने ही मूत में बैठ के दोनों आराम से सो रही थी......बड़ी मुश्किल से मेरा लंड बैठा था...साला फिर से खड़ा हो गया...किसी तरह से मुझे नींद आई....जब नींद खुली तो थोड़ी थोड़ी रौशनी होने लगी थी...बहुत साफ तो नहीं पर आसपास का हल्का हल्का झलकने लगा था...अगर कोई अन्दर का आदमी अपनी सीट से हमें देखने की कोशिश करता तो उसे चेहरा तो नहीं दीखता लेकिन शरीर के आकार का अंदाजा हो सकता था....दोनों माँ बेटी उठ चुकी थी और कुछ बातें कर रही थी नेहा के बारे में..मुझे जगा हुआ देख दोनों चुप हो गयी,.....
 

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मैंने कहा की शायद अपना स्टेशन आने वाला है...पूजा बोली की स्टेशन आने से पहले चाहो तो एक राउंड और लगा लो मम्मी का....मैं तो मौका खोज ही रहा था तुरंत राजी हो गया....फिर पूजा ने मेडम से कहा की एक राउंड और चुदवाना है...तो वो भी राजी हो गयी....इस पर पूजा बोली की टाइम बहुत कम है और अब रौशनी भी होने लगी है इसलिए जल्दी जल्दी करना...हम दोनों ने सर हिलाया...और तुरंत तैयार हो गए...मेरे लंड को तो खड़े होने में एक सेकंड नहीं लगा होगा...पूजा ने पूछा मुझसे लंड खड़ा है? मैंने हाँ में जवाब दिया....फिर उसने अपनी माँ से कहा की लीजिये आपके दामाद का तो फिर से खड़ा हो गया,...मैंने कहा था ने की ये कुछ नहीं पूछेगा तुरंत तैयार हो जायेगा चोदने के लिए.....मेडम बोली हाँ ठीक कह रही थी तुम...और दोनों हंसने लगी...मुझे समझ आ गया की दोनों ने फिर मेरे मजे ले लिए...सुबह सुबह से अरमान जगा दिए...और मेरे अरमान तो सच में जग गए थे..मुझे लगा की चलो अच्छा है एक राउंड और मिला...लेकिन यहाँ तो घंटा कुछ नही मिला...दोनों उसके बाद नार्मल हो कर फिर से बात करने लगे और मैं अपना लंड लिए बैठा रहा...कुछ देर में हमारा स्टेशन आया...हम अपना सामान ले के उतर गए...प्लेटफोर्म पर जा के पता किया की यहाँ रेलवे का रेस्ट रूम कहाँ है....वहां गए तो एक कमर मिल गया...पूजा ने पूछा की बगल वाले कमरे में कौन रह रहा है....बाबु ने बताया की कोई लड़की है अकेली है कल सुबह की गाड़ी से आई है....मुझे समझते देर नही लगी की ये जरुर नेहा होगी....लेकिन ये समझ नहीं आया की इन लोगों ने इतनी सटीक प्लानिंग कैसे कर ली थी की कब कहाँ कैसे मिलना है...पर ज्यादा सोचने की ताकत नहीं थी क्योंकि मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था...ऊपर से नेहा से मिलने का ख्याल आया तो साला और ठुनकी मारने लगा...हम लोग सामान ले के अपने रेस्ट रूम में गए..मैं सामान कमरे में रखने लगा और वो दोनों बगल वाले रूम में चले गए...

कुछ देर में मुझे हंसने खिलखिलाने की आवाज बाहर तक आने लगी...मुझे लगा की लो मिल ली ताड़का सूपर्णखा से....अभी तक तो दो नहीं सम्हाले सम्हाल रही थी अब ये तीसरी पता नहीं कैसी होगी....तभी वो तीनो कमरे में आई...और मैंने पहली बार नेहा को देखा....

जब मेडम को देखा था पहली बार तो लगा था की कोई इतना गोरा कैसे हो सकता है.....जब पूजा को देखा था की कोई इतना टाइट कैसे हो सकता है....और जब नेहा को देखा तो लगा की अगर इसे पटक के नहीं चोदा तो जिन्दा रहने का कोई मतलब नहीं है....लेकिन उन दोनों की तुलना में नेहा थोडा शर्मीली थी...मुझसे नमस्ते किया और फिर बाकी समय चुप बैठी रही...बात की भी तो सिर्फ अपनी माँ या दीदी से...और वो भी बहुत कम ही बोल के....मुझे लगा की चलो मेडम की चूत से एक इंसान भी बाहर आया है...नहीं तो अब तक तो उनकी चूत से निकला ये पूजा नाम का तूफ़ान लगातार मेरे अंडे ही तोड़ रहा था....

हम लोग नाहा धो के फ्रेश हो गए....मैं अब एक कमरे में अकेला बैठा था और वो तीनो लोग दुसरे कमरे में थे...पूजा कह गयी थी कि हम नेहा को सब बात बता देंगे अभी ही...तुम यहीं रुको...हम थोड़ी देर में आ जायेंगे...वो लोग कमरे में वापस सीधे रात में....दिन भर वो लोग आपस में बात करते रहे..मैं तो दो तीन बार सो भी लिया था......सबसे पहले मेडम ने मुझसे बात की..ज्यादा कुछ नहीं कहा बस इतना ही की दामाद जी तैयार हो जाईये...पास ही एक मंदिर है...हम लोग हो आये हैं...पुजारी कुछ देर में फ्री हो जायेंगे..हमें चलना है वहां...आज आपकी शादी है....
 

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इससे बढ़िया खबर और क्या हो सकती थी...हम लोग तुरंत तैयार हुए...मंदिर पहुचे और पूरे तरीके से शादी की...लौट के वापस उसी रेलवे स्टेशन के रेस्ट रूम में आ गए....पूजा ने सलवार सूट पहना हुआ था..नेहा और मेडम ने साड़ी....सब के सब क़यामत लग रहे थे..उन दिनों सलवार टाइट नहीं हुआ करती थी जैसे आज होती है...ढीली होती थी...हम लोग लौट के मेरे वाले रूम में आये...सभी बैठे थे..खाना साथ ले के आये थे वो खाया..और फिर मेडम ने कहा की तुम लोग रात में इसी कमरे में रहोगे...मैं और नेहा दुसरे कमरे में रहेंगे...कल सुबह हमें फिर से गाडी पकडनी है...ये सुन के मैं बोल पड़ा,.....

मैं – अब किस शहर में जाना है ? हम तो यहीं रहने वाले थे न...

पूजा – नहीं. यहाँ रहना ठीक नहीं है.

मैं – क्यों ठीक नहीं है ? यहाँ हमें कौन जानता है ? यहाँ कोई खतरा नहीं है.

पूजा – तुम समझ नहीं रहे हो.

मैं – अरे मैं क्या...तुम नहीं समझ रही हो...वो मेरा एजेंट इसी शहर में काम करता है..उसका अपना घर भी यहीं है..वो मेरी बहुत हेल्प कर सकता है..

पूजा – इसीलिए तो यहाँ नहीं रहना है...वो आज तुम्हारी हेल्प करेगा लेकिन कभी न कभी उसके मन में लालच आ गया तो ? वो तो सब कुछ जनता है न...हमारे बारे में...तुम्हारे बारे में..हम जो कर के आये हैं उसके बारे में...उसे तो सब पता है..कल को अगर वो इस बात का फायदा उठाना शुरू कर देगा तो हमारे पास क्या रास्ता बचेगा...इसलिए यहाँ रहना ठीक नहीं है.

मैं – लेकिन अब किस शहर में जायेंगे? ऐसे तो हमारे लिए कोई भी शहर ठीक नहीं रहेगा.

मेडम – नहीं दिनकर...पूजा ठीक कह रही है. कब किस इंसान की नियत बदल जाए ये कोई नहीं जानता...और जब वो आदमी बिना किसी मतलब के हमारी इतनी मदद कर रहा था मुझे तभी शक था की ये इतना क्यों काम कर रहा है हमारे लिए..

पूजा – जरा सोचो...हम लोगों ने ये सब किया क्योंकि हमारा हित था इसमें...लेकिन उसका क्या हित था? वो तुम्हें अपने ही शहर में क्यों रखना चाहता है ? वो कोई तुम्हारी मदद वदद नहीं करने वाला है...वो तुम्हें दबा के रखेगा..और तुम्हारे साथ साथ हमें भी...भले ही वो हमारा बहुत कुछ न बिगाड़ पाए लेकिन फिर भी एक टेंशन तो बनी ही रहेगी...

मैं – मुझे नहीं लगता की ऐसा कोई जोखिम है यहाँ...हमें यहीं रहना चाहिए...यहाँ नहीं रहेंगे तो कहाँ रहेंगे...

नेहा – जी यहाँ से हम दुसरे प्रदेश में चलेंगे..हम लोगों ने ट्रेन का पता कर लिया है...कल सुबह की गाडी है...अच्छा शहर है..दूसरा प्रदेश होगा तो वहां हमारी पुराणी कोई प्रॉब्लम सामने नहीं आएगी..

मैं – क्या तुम्हें सब कुछ पता है ?

नेहा – नहीं. सब कुछ तो नहीं. लेकिन जितना दीदी और माँ ने बताया है उतना काफी है...इतना तो मैं भी समझ सकती हूँ की जो आदमी इतनी बड़ी मदद कर रहा हो उसका कोई न कोई तो स्वार्थ होगा ही..इसलिए हमें जोखिम नहीं लेना चाहिए..
 

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मैं – ठीक है.मेरी बात की कीमत क्या है...तुम लोगों ने आपस में बात कर ली...मुझे खबर कर दी मेरे लिए तो इतना ही काफी है...तुम लोग आपस में ही सब तय कर लेते हो...

पूजा – इसमें नाराज होने वाली कोई बात नहीं है..हम जो भी कर रहे हैं वो सबके भले के लिए ही कर रहे हैं..हम सबके लिए यही ठीक रहेगा...अब तुम बिना वजह हमसे झगडा मत करो...

मेडम – नहीं नहीं. तुम लोग बेशक झगडा करो...खूब झगडा करो..बस मुझे और नेहा को जाने दो...उसके बाद दोनों लोग पूरी रत झगडा करना..जो जीतेगा उसकी बात मानी जाएगी..

नेहा – जीजू आप समझ रहे हैं न माँ किस झगडे की बात कर रही है ? मैं तो साली हूँ फिर भी मुझे शादी का कोई नेग नहीं मिला..मैं तो नहीं झगडा कर रही हूँ...आप ही इतना नखरा कर रहे हैं...ये भी नहीं सोच रहे की नयी नयी दुल्हन है...थोडा उसका मन रख लीजिये...

मुझे धीरे धीरे ये एहसास हो रहा था की मैं इस फॅमिली का मुखिया नहीं हूँ,....न कभी बन सकता हूँ...ये लोग अभी से पूरे फैसले खुद कर रहे हैं...लेकिन मेरे पास हाँ में हाँ मिलाने के सिवा और रास्ता भी क्या था...और फिर मेडम और नेहा की बातों ने और उनके अंदाज ने मेरे दिमाग में ताला लगा दिया और मेरे लंड का टाला खोल दिया...वो दोनों लोग कमरे से बाहर जाने लगे तो मेडम ने पूजा से पूछा...तुम सेफ हो न अभी ? एक ही रात में दो से तीन मत हो जाना....नेहा जोर से हंस दी..पूजा ने थोडा झेंप के दोनों को बाहर जाने को कहा...मैंने पहली बार पूजा को झेंपते हुए देखा था...वो लड़की जो अपनी माँ की नंगी गांड की सेंकाई करती है और खुद अपनी माँ को अपने सामने चुद्वाती है वो झेंप भी सकती है ये तो मैंने कभी सोचा नहीं था...फिर समझ आया की अब वो लड़की सिर्फ लड़की नहीं बल्कि किसी की बीवी है और कल सुबह से वो औरत हो जाने वाली है....हर लड़की ने कितने सपने देखे होते हैं इस दिन के...लेकिन उसे वो सब इस रेलवे के कमरे में मिल रहा है जहाँ खटिया में खटमलों की संख्या इतनी ज्यादा है...मुझे भी लगा की जब वो हर चीज को ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर रही है तो मुझे व्यर्थ में अपना एहम बीच में नहीं लाना चाहिए....जब वो दोनों चले गए तो पूजा ने कमरा बंद कर लिया...

मैंने पूजा को ऊपर से नीचे तक देखा....उसके शरीर की बनावट पर पहली बार गौर किया..वो भरी पूरे शरीर की थी...लेकिन मोटी नहीं थी...सब कुछ बराबर आकर का था..जितना होना चाहिए था..शरीर की नींव सही पड़ी थी...अब उस पर ईमारत कैसे बनती है और कौन सा हिस्सा कितना बाहर आता है ये तो मेरी जिम्मेदारी थी....हम दोनों ने कोई बात नहीं की..पूजा ने लाइट बंद की...फिर भी कमरे में इतनी रौशनी थी की हमें ठीक ठीक दिख रहा था सब...वो धीमे से बेड पे आई और मेरे पास बैठ गयी....

मैं – आज भी सब तुम्हारे हिसास्ब से ही होना है या आज मैं कुछ अपने हिसाब से कर सकता हूँ...

पूजा – मेरी सील अभी खुली नहीं है..मैं इतने समय से खुले आम चुदाई देख रही हूँ..फिल्म देख रही हूँ...लेकिन आज तक मैंने अपनी सील नहीं खोली है...इसलिए मेरी सील खुलने तक मैं तुम्हारी हूँ....और एक बार मेरी सील खुल गयी...उस दर्द की वो लहर शांत होते ही...तुम मेरे हो जाओगे...फिर सब कुछ मेरे हिसाब से होगा...उसके पहले तुम्हें जो जो करना है कर लो...उसके बाद मैं बतौंगी क्या क्या करना है...

मैं – सील खुलने में टाइम थोड़ी न लगता है...वो तो एक ही धक्के में खुल जाएगी...

पूजा – तो मैं क्या करूँ ? तुम्हारी प्रॉब्लम है. तुम्हें मर्द बन्ने का यही एक मौका मिलेगा..इसके बाद तो मैं ही बॉस बन जाउंगी फिर से....तो इस मौके को कितने लम्बे समय तक खीचना है ये तुम देख लो...

मैं – चलो वो जो इतनी सारी फ़िल्में देख देख के सीखा है आज काम आ जायेगा....वैसे सच कहूँ तो मुझे चोदने के सिवा कुछ नहीं आता....
 

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पूजा – आता नहीं पर देखा तो है न...

मैं – हाँ देखा तो बहुत कुछ है...

पूजा – ठीक है. तो जो जो याद आये वो बताते जाओ मैं करती जाउंगी...

मैं – ठीक है...सबसे पहले अपनी सलवार उतार दो....

पूजा – सीधा नंगी करने लग गए तुम तो...

मैं – नहीं. नंगी मत होना....सिर्फ सलवार उतारो...कुरता नहीं...कुरता पहनी रहना...मुझे फिल्म में लड़कियों की जांघ देखना बहुत अच्छा लगता था...मुझे तुम्हारी जांघे देखनी हैं...

उसने मेरे कहे अनुसार अपनी सलवार उतार दी..मैं बिस्तर पर बैठा था और वो सामने खड़ी हुई थी,....उन दिनों कुरता भी टाइट नहीं हुआ करता था..कुरता भी ढीला होता था और कुरते का कट भी कमर के काफी निचे होता था...जैसे आजकल कमर के पास होता है वैसा नहीं...लगभग आधी जांघ के निचे कट होता था...तो जब पूजा ने सलवार उतार भी दी तो भी मुझे उसकी जांघे ठीक से दिखी नहीं....मुझे याद था फिल्मों में कैसे लड़की बैठी रहती है और उसकी पूरी नंगी जांघ दिखाती है....मैंने पूजा को कहा की वो बिस्तर पर बैठ जाये मैं खड़ा हो के देखूंगा..वो जब बिस्तर पर बैठ के सरकी तो उसका कुरता उठा...और मुझे दिखा जो मैं देखना चाहता था...उसके घुटने मुड़े हुए थे...और कुरता खिसक जाने से उसकी जांघ का निचे का अंदरूनी हिस्सा मुझे दिखा...और मेरे लंड ने सलामी देने में देर नहीं की...मैं उसे कहा की अपने कुरते को हटाओ थोडा जिससे मुझे जांघ खुली हुई दिखे...उसने वैसा ही किया..मैंने उसे करवट हो के लेटने को कहा...वो लेट गयी....अब उसके कुरते का आगे का हिस्सा एक तरफ गिर गया और पीछे का हिस्सा पीछे...उसकी ऊपर वाली जांघ पूरी खुल गयी....उसकी सफ़ेद रंग की चड्डी दिखी मुझे....और जांघे तो जैसे मक्खन की बनी हुई थी..एक भी रोंय नहीं था...एक भी बाल नहीं...बिलकुल चिकनी......जैसा मैंने फिल्म में देखा था...ठीक वैसा ही....और उसकी दोनों जांघे एक साथ चिपकी हुई...देखने में वो किसी फिल्म की हीरोइन से कम नहीं लग रही थी.....उसी ने पूछा...अब क्या करूँ...

मुझे अब कुछ सूझ नहीं रहा था....मैंने फिल्म तो बहुत देखि थी...चुदाई भी की थी लेकिन किसी से प्यार नहीं किया था....यहाँ मुझे एक लड़की मिल गयी जो मुझसे पूछ रही थी और मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था....शायद पूजा को भी मेरी हालत समझ आ गयी...उसने खुद ही पूछा की कुरता उतार दूं...मैंने पूछा की निचे समीज पहनी है...उसने हाँ में जवाब दिया....मैंने तुरंत कहा की हाँ उतार दो....अब वो समीज में थी...समीज एक पतला कोटन का कपडा होता है...पहले लड़कियां कुरते के निचे वही पहना करती थी...अब नहीं पहनती हैं....लेकिन वो एक परफेक्ट ड्रेस होती थी...जांघें आधी खुली रहती थी चूची ढंकी तो रहती थी फिर भी दिखती थी....और जब पूजा को मैंने समीज में देखा तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी हो...अब उसकी जांघें भी ठीक वैसी दिख रही थी जैसी मैं देखना चाहता था लेकिन उसे समझा नहीं पा रहा था...काफी देर तक मैं उसे बिस्तर पर लेट के इधर उधर करवाता रहा..और उसकी समीज के नीचे से उसकी चड्डी....चूची और नंगी जांघे देख देख के गरम होता रहा......

पूजा = क्या देखते ही रहना है या कुछ करना भी है ?

मैं – करना तो बहुत कुछ है लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा की क्या क्या कर लूं...

पूजा – मुझे लगता है तुम्हें सिर्फ चोदना आता है...और कुछ करना नहीं...

मैं – हाँ ये तो सच है..मैंने अब तक सब के साथ चुदाई ही की है...और कुछ नहीं किया...

पूजा – क्यों कभी अपनी बहन को चूमा मसला नहीं...
 

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मैं – नहीं हम तो मौका मिलते ही एक दुसरे में घुस जाया करते थे..चुदाई करने से जी ही नहीं भरता था की किसी और चीज की तरफ ध्यान जाए...

पूजा – ठीक है...अब बताओ मैं क्या करूँ...क्योंकि एक बार सील टूटी मेरी उसके बाद से फिर तुम्हारी एक नहीं चलने वाली..

मैं – चल तो मेरी अभी भी नहीं रही है...तुम ही कुछ बताओ न अब क्या करवा लूं तुमसे..

पूजा – इतनी ढेर सी फिल्म देखे हो और इतना भी नहीं सीखे..

मैं – अरे सीखा तो बहुत कुछ लेकिन अब जब करने का समय आया तो हाथ पैर ही सुन्न हो गए हैं..

पूजा – लंड तो नहीं सुन्न है न...

मैं – अरे लंड तो पूरा तना हुआ है...लेकिन मन कर रहा है की तुम्हें चोदने के पहले कुछ तो करवा ही लूं तुमसे...

पूजा – फिल्म में तो चुमते हैं...चाटते हैं..चूसते हैं...

मैं – तुम लंड चुसोगी ?

पूजा – पता नहीं. फिल्म में तो बहुत देखा है...पता नहीं कैसा लगता होगा...तुम्हें चाटनी है मेरी चूत?

मैं – वही सोच रहा हूँ...फिल्म में तो सब कैसे हाथ से फैला फैला के चूत चाटने लग जाते हैं...थोडा चाट के देखूं ?

उसने हाँ में सर हिलाया और अपनी पेंटी उतार दी....मेरे सामने पूजा की चूत थी..एकदम चिकनी...एक भी बाल नहीं...एकदम सफ़ेद..गोरी...और बहुत ही टाइट..उसकी चूत की लकीर एकदम पतली सी थी....फिल्म वालों के जैसे लटक नहीं रही थी....मैंने बहुत ध्यान से देखा..और फिर उसे हाथ से हलके से छुआ.....पूजा का शरीर इतनी तेजी से कांपा की मैंने डर के हाथ पीछे खीच लिया....हमारी नजरें मिली..दोनों मुस्कुराये..मैं बिस्तर पर आया...पूजा थोडा सरक के अपना पैर खोल के बिस्तर पर टिक गयी...मैं उसके पैरों के बीच आया...मुझे इतनी समझ नहीं थी की थोडा सा ऊँगली से उसे सहला लूं....फिल्म में देखना अलग बात होती है और सच में करना अलग बात होती है...मैंने सीधा मुंह रख दिया उसकी चूत के ऊपर....उसकी चूत गीली तो थी लेकिन इतनी नहीं की चूत के बाहर मुझे उसका रस मिल जाए...मेरे होठ उसकी चमड़ी से चिपके थे और मुझे कोई स्वाद कोई गीलापन कोई पानी नहीं मिला....उसने अपने ही हाथ से अपनी चूत को थोडा सा खोला...अन्दर का गुलाबी पर्दा मुझे बुला रहा था..इस बार उस परदे को चूमा तो लगा की जैसे हजारों बोतल शराब एक साथ पी ली हो...थोडा सा पानी उसका महसूस हुआ मुझे अपने होठों पर...नमकीन....लिसलिसा बहुत तेज गंध वाला....पता नहीं अच्छा लगा या बुरा...मैंने उसे ज्यादा नहीं चखा...एक दो बार और मुंह लगा के फिर सीधा बैठ गया....पूजा भी समझ गयी की मुझे कुछ ख़ास मजा नहीं आया उसकी बुर चाट के.,...अब पूजा ने कहा लाओ मैं लंड चूस के देखूं कैसा लगता है.....लेकिन अब मेरा धीरज जवाब दे रहा था...मैंने कहा पूजा चुदाई करते हैं न..ये सब करने के लिए तो पूरी उम्र पड़ी है...मेरा लंड इतनी देर से तना हुआ है...अब अगर चूत नहीं मिली तो ऐसे ही इसका पानी गिर जायेगा....हम फिर कभी ये सब फिल्म के दांव पेंच लगा लेंगे...
 

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हमारी सुहागरात हमारे सामने एकदम से आ गयी थी....हम दोनों ही अपने आप में वैसे तो बड़े चुदक्कड थे लेकिन आज दोनों की हालत ख़राब थी...उस पर बार बार पूजा की धमकी की सील टूटने के बाद उसी की चलेगी मेरी नहीं...लेकिन वो जरा सा चूत का स्वाद जो पहले तो मुझे ख़राब लगा था अब धीरे धीरे अपना असर दिखा रहा था...अब मुझे चूत चाहिए थी...और मेरे मन का डर भी धीरे धीरे ख़त्म हो रहा था...मैं अब सच में सिर्क चुदाई करना चाह रहा था..शायद पूजा का भी यही हाल रहा होगा...मेरी बात सुन के उनसे देर नहीं की पूरी नंगी होंगे में.....मैं कहाँ पीछे रहने वाला था...हम दोनों नंगे हो गए...मैं बिस्तर पर आया...उसकी टाँगे चौड़ी कर के बीच में बैठा...लंड हाथ में ले के उसकी चूत के मुंह पर लगाया....उसकी तरफ देखा...मैं इस कदर भूखा हो चूका था की उसकी ऊपर नीचे होती चूची भी मुझे नही दिख रही थी...मुझे तो बस अपने लंड को चूत के अन्दर महसूस करना था....चूत का अंदरूनी मांस मुझे किसी भी तरह से चाहिए था...पूजा ने आँखें बंद नही की थी....मैंने इशारे में पुछा की डाल दूं....तो पूजा कुछ नही बोली...मेरा लंड हर धड़कन के साथ ऊपर नीचे हो रहा था....मैंने थोडा सा जोर लगाया...उसकी लकीर के बीच में सुपाडा हल्का सा घुसा और मुझे वो गर्माहट महसूस हुई जिसके लिए मैं मरा जा रहा था....

मैंने सिर्फ सुपाडा अन्दर डाला था...अन्दर की दहक बहुत अच्छे से महसूस कर रहा था अपने सुपाडे पर,,,,बहुत मजा आ रहा था...फिर बाहर खीचा और फिर से सिर्फ सुपाडा ही अन्दर डाला...पूजा की बुर ने अब मेरे सुपाडे के लिए रास्ता बना दिया था..अब बारी थी डंडे की...मैंने थोडा सा अन्दर डाला तो मुझे पूजा का शरीर थोडा अकड़ता हुआ सा महसूस हुआ...शायद मैं उसकी झिल्ली के ऊपर पहुच चूका था....अपनी बहन की सील तो मैंने एक ही झटके में तोड़ दी थी लेकिन यहाँ मैं समय ले रहा था...आराम से..महसूस कर कर के...और पूजा को भी कोई जल्दी नहीं थी....उसकी दोनों टाँगे मैंने पकड़ के उसके पेट के ऊपर तक मोड़ दी...उसकी बुर थोडा और खुल के मेरे सामने आई,....मैंने लंड बाहर नहीं निकाला..एक दो बार उतनी ही गहराई में उसे दाए बाए घुमाया और फिर एक सांस खिची....पूजा समझ गयी क्या होने वाला है...उसने भी सांस खिची...और बगल में पड़ा कुरता अपने मुंह में खुद ही ठूंस लिया...मैंने अपने पूरे शरीर का भार अपने लंड पर लगाया और लंड किसी उस अँधेरी खायी में घुसता चला गया....रास्ता बहुत संकरा था....दीवारे बहुत मुलायम थी लेकिन एकदम चिपकी हुई थी...उस गर्मी में जब मेरे लंड की गर्मी भी मिली तो उन दीवारों ने खुलना शुरू किया....मुझे पूरा एहसास मिल रहा था की कैसे मेरा लंड पूजा की बुर को चीर रहा है...पूजा के मुंह से हलकी सी आह निकल रही थी...कुरता ठूंसे होने के बाद भी उतनी आह बाहर सुनाई दे रही थी इससे मैंने अंदाज लगाया की उसे वो दर्द अपनी पूरी शिद्दत से महसूस हो रहा है....अब रुकने का समय नहीं था....अब समय पर उन दीवारों पर अपने लंड की मुहर लगाने का ताकि वो हमेशा के लिए अपने इस मेहमान को पहचान लें.....और अगले ही पल में मुझे अपने अण्डों पर सीमा की उठी हुई गांड की चमड़ी महसूस हुई...मैं पूरा उसके अन्दर घुस चूका था....उसके मुंह में ठूंसा हुआ कुरता उसकी आह को रोक नहीं पा रहा था..ना ही उसकी आँखें रोक पा रही थी आंसुओं को....मैं तब तक उसके ऊपर अपने पूरे शरीर का भार दिए लदा रहा जब तक मुझे अपने डंडे पर से बहती हुई उसकी लाली अपने अण्डों पर नहीं महसूस हुई.....
 

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अपडेट आ गया है साथियों.....थोडा लेट हो गया ,,,,
कल शाम तक अगला अपडेट भी पेश हो जायेगा...

अब आपका इन्तजार ख़त्म हुआ और मेरा इंतजार शुरू हो गया है....कमेंट्स जरुर कीजियेगा
 

kamdev99008

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chalo saas ki chudai..........saali se mulakat
aur fir shadi sab ho gaya

lekin sabse bada mauka mila............... biwi par apni chalane ka
usmein fusssss ho gayi :lol1:
puja ne ek to mauka diya .............wo bhi liya nahi gaya dinkar pe........
ulte mauka ganwane ki jaldi aur thi...............seal todni hai

ab dinkar ki chalne ka to time chala gaya..............ab puja ke karname dekhne hain

mujhe lagta hai .............puja ki maliki ki wajah se hi us ghar ki mukhiya ab seema hai
aur kisi ko mukhiya nahi banaya gay.............
dinkar to bas chudai aur kamai ke liye hi rah gaya ..............

ab dinkar ki retirement hone wali hai.........use pension mila karegi

lekin uski post par koi to chahiye.............isliye seema ne bhi apni maa ki tarah rajesh ko bali ka bakra bana diya hai

dekhte hain kal rat ko.........kya hua aage

keep it up
 

Studxyz

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हाहा बहुत खूब यार कहानी लिखने का अंदाज़ बहुत आनन्दमयी है और पूरे मनोरंजन से भरा हुआ. पूनम की सील तो टूट गयी मैडम तो पहले ही खेली खायी है तो अब बची नेहा तो देखो कब हाथ आती है और ये लोग कहाँ जायेंगे
 
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