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हम ऐसे ही चिपके बैठे रहे..जब तक हमारी साँसे सामान्य नहीं हो गयी.....मैंने देखा की पूजा की बुर भी खुली हुई है...और वो दो उँगलियों से उसे बेरहमी से रगड़ रही है.....
जब हमारी नजर मिलि तो मुझे पूजा के चेहरे पर ऐसा सुकून दिखा की जैसे मैंने उसकी माँ को नहीं उसे ही चोदा हो...मेडम अभी भी मेरे लंड पर चढ़ी हुई थी,...उनकी साँसे अभी तक तेज चल रही थी...उन्होंने अपना सर मेरे सीने में छुपा रखा था....मैं अभी अभी बहुत तेजी से झड़ा था लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था....मैंने पूजा को इशारा किया की जरा इधर उधर देख ले...पूजा अपनी जगह पर खड़ी हो गयी...उसने डिब्बे के अन्दर देखने की कोशिश की...रात हो चुकी थी..और हमारे नसीब से वहां के बल्ब भी जल नही रहे थे....दूर से किसी को कुछ दिख नहीं सकता था की क्या हो रहा है....जब पूजा ने इशारा किया की सब ठीक है तो मैं ने उसकी माँ की कमर पकड़ ली और धीरे धीरे निचे से हिलने लगा...उसकी माँ थोडा सा कुनमुनाई और फिर साथ देने लगी...पूजा ने मुझे देख के आँखें बड़ी बड़ी की...जैसे कह रही हो की फिर से चोदने मत लग जाना...लेकिन उस वक़्त तो खड़े लंड के आगे कुछ और दिखाई नहीं दे रहा था...और उसकी माँ भी पूरा साथ दे रही थी...जब हम दोनों की स्पीड थोड़ी बढ़ने लगी तो पूजा एकदम पास आ गयी...और अपनी माँ के कान में कहा की उतरो लंड पर से....सुन के मुझे बड़ा बुरा लगा...इतना अच्छा मौसम बना था और ये सब ख़राब कर रही थी..मैंने अनसुना कर दिया और चालू रहा...पूजा ने इस बार अपनी माँ के बाल पीछे से पकड़ के खीचे तो उनका सर मेरे सीने से अलग हुआ..दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर पता नहीं क्या हुआ...मेडम ने मेरे कंधे पर अपनी कोहनी राखी और मेरे लंड पर से उठ गयी...उस गीली चूत से मेरा लंड पच्च की आवाज के साथ बाहर निकल आया...उनकी चूत में मेरा पहला पानी भरा हुआ था...वो थोडा थोडा रिसने लगा था....उनमे ज्यादा जान नहीं बची थी तो वो वहीँ कपलिंग के ऊपर ही दूसरी तरफ के रबड़ के परदे से टिक के बैठ गयी...
मुझे ये सब बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा था...लेकिन पूजा की बात काटने की पता नहीं क्यों हिम्मत ही नहीं हुई...उसने अब मुझे देखा और कहा की अपने डंडे को बैठा लो अब...मेरी मा चोद ही चुके हो...एक रात के लिए इतना काफी नहीं है क्या? ...मन तो किया की कह दूं की नहीं इतना काफी नहीं है...लेकिन गांड में इतना गूदा नहीं था....फिर पूजा ने बड़े ही कामुक अंदाज में कहा की अगर मेरा पति बन्ने की बजाय मेरे पापा बनना चाहते हो तो बता दो मैं मना नहीं करुँगी....इस पर दोनों माँ बेटी ने अब मुझे एकसाथ देखा जैसे मेरे जवाब का इंतजार हो उन्हें...लेकिन मैं जवाब देता भी तो क्या...मैं तो पति और पापा दोनों बनना चाहता था...मुझे चुप देख के मेडम ही बोली...पूजा इस भोसड़ी के को लगता है दोनों बनना है....पूजा बोली माँ मुझे तो लगता है की कहीं ये अभी से मेरा बहनोई बन्ने के मूड में भी ना हो.....फिर मुझसे पूछा...क्यों बनना है मेरा बहनोई?
एक तो खड़े लंड पर से चूत हटा दी और ऊपर से दोनों मजे ले रही थी मेरे...लेकिन मैं कर भी क्या सकता था..चुपचाप बैठा रहा..कुछ देर में जब चुदाई का माहौल शांत हुआ तो हमने बचा हुआ खाना खाया..मुझे लगा की थोडा सो लिया जाए तो ठीक रहेगा..मैं सोच ही रहा था की इतने में एक धीमी सी सिर्र जैसी आवाज सुनाई दी...मुझे लगा ये आवाज काहे की है...बगल में देखा तो पाया की मेडम वहीँ परदे पर टिके टिके अपनी साड़ी उठा के मूत रही थी...वो उठ के उकडू भी नहीं बैठी थी...जैसी बैठी थी वैसे ही बस साड़ी ऊपर कर ली थी और दोनों टाँगे फैला ली थी....मैं देखा के थोडा चौंका की ये क्या हो रहा है..फिर पूजा को देखा तो वो तो मजे से उस सीन को देख रही थी..फिर मेडम को देखा तो उन्होंने से इशारे से पूछा की क्या हुआ...मैंने कहा की थोडा उकडू तो बैठ जाओ...पूरा वहीँ इकठ्ठा हो रहा है निचे भी नहीं बह रहा आपके कपडे गीले हो जायेंगे.....मेडम ने थोडा सा निचे देखा..पाया की मैं सही कह रहा था..उनका पूरा मूत वहीँ जमा होता जा रहा था....वो मुझे देख के हलके से मुस्कुराते हुए बोली...माँ चुदाये दुनियादारी...
दोनों माँ बेटी के मुंह से गाली तो बिना रुके निकलती थी..बिना किसी संकोच शर्म के..सुन के मजा भी बहुत आता था...अभी उनकी सिर्र बंद ही हुई थी की दूसरी तरफ से भी वही आवाज आने लगी...इस बार पूजा ने शुरू कर दिया था..बड़े अरमान के साथ मैंने सर झुकाया की चलो इसी बहाने पूजा की चूत तो देखने को मिलेगी...लेकिन वो कमीनी अपनी चूत छुपाये हुए थी....दोनों जब मूत के फुर्सत हो ली तो वहीँ टिक के सोने लगी...अपने ही मूत में बैठ के दोनों आराम से सो रही थी......बड़ी मुश्किल से मेरा लंड बैठा था...साला फिर से खड़ा हो गया...किसी तरह से मुझे नींद आई....जब नींद खुली तो थोड़ी थोड़ी रौशनी होने लगी थी...बहुत साफ तो नहीं पर आसपास का हल्का हल्का झलकने लगा था...अगर कोई अन्दर का आदमी अपनी सीट से हमें देखने की कोशिश करता तो उसे चेहरा तो नहीं दीखता लेकिन शरीर के आकार का अंदाजा हो सकता था....दोनों माँ बेटी उठ चुकी थी और कुछ बातें कर रही थी नेहा के बारे में..मुझे जगा हुआ देख दोनों चुप हो गयी,.....
जब हमारी नजर मिलि तो मुझे पूजा के चेहरे पर ऐसा सुकून दिखा की जैसे मैंने उसकी माँ को नहीं उसे ही चोदा हो...मेडम अभी भी मेरे लंड पर चढ़ी हुई थी,...उनकी साँसे अभी तक तेज चल रही थी...उन्होंने अपना सर मेरे सीने में छुपा रखा था....मैं अभी अभी बहुत तेजी से झड़ा था लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था....मैंने पूजा को इशारा किया की जरा इधर उधर देख ले...पूजा अपनी जगह पर खड़ी हो गयी...उसने डिब्बे के अन्दर देखने की कोशिश की...रात हो चुकी थी..और हमारे नसीब से वहां के बल्ब भी जल नही रहे थे....दूर से किसी को कुछ दिख नहीं सकता था की क्या हो रहा है....जब पूजा ने इशारा किया की सब ठीक है तो मैं ने उसकी माँ की कमर पकड़ ली और धीरे धीरे निचे से हिलने लगा...उसकी माँ थोडा सा कुनमुनाई और फिर साथ देने लगी...पूजा ने मुझे देख के आँखें बड़ी बड़ी की...जैसे कह रही हो की फिर से चोदने मत लग जाना...लेकिन उस वक़्त तो खड़े लंड के आगे कुछ और दिखाई नहीं दे रहा था...और उसकी माँ भी पूरा साथ दे रही थी...जब हम दोनों की स्पीड थोड़ी बढ़ने लगी तो पूजा एकदम पास आ गयी...और अपनी माँ के कान में कहा की उतरो लंड पर से....सुन के मुझे बड़ा बुरा लगा...इतना अच्छा मौसम बना था और ये सब ख़राब कर रही थी..मैंने अनसुना कर दिया और चालू रहा...पूजा ने इस बार अपनी माँ के बाल पीछे से पकड़ के खीचे तो उनका सर मेरे सीने से अलग हुआ..दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर पता नहीं क्या हुआ...मेडम ने मेरे कंधे पर अपनी कोहनी राखी और मेरे लंड पर से उठ गयी...उस गीली चूत से मेरा लंड पच्च की आवाज के साथ बाहर निकल आया...उनकी चूत में मेरा पहला पानी भरा हुआ था...वो थोडा थोडा रिसने लगा था....उनमे ज्यादा जान नहीं बची थी तो वो वहीँ कपलिंग के ऊपर ही दूसरी तरफ के रबड़ के परदे से टिक के बैठ गयी...
मुझे ये सब बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा था...लेकिन पूजा की बात काटने की पता नहीं क्यों हिम्मत ही नहीं हुई...उसने अब मुझे देखा और कहा की अपने डंडे को बैठा लो अब...मेरी मा चोद ही चुके हो...एक रात के लिए इतना काफी नहीं है क्या? ...मन तो किया की कह दूं की नहीं इतना काफी नहीं है...लेकिन गांड में इतना गूदा नहीं था....फिर पूजा ने बड़े ही कामुक अंदाज में कहा की अगर मेरा पति बन्ने की बजाय मेरे पापा बनना चाहते हो तो बता दो मैं मना नहीं करुँगी....इस पर दोनों माँ बेटी ने अब मुझे एकसाथ देखा जैसे मेरे जवाब का इंतजार हो उन्हें...लेकिन मैं जवाब देता भी तो क्या...मैं तो पति और पापा दोनों बनना चाहता था...मुझे चुप देख के मेडम ही बोली...पूजा इस भोसड़ी के को लगता है दोनों बनना है....पूजा बोली माँ मुझे तो लगता है की कहीं ये अभी से मेरा बहनोई बन्ने के मूड में भी ना हो.....फिर मुझसे पूछा...क्यों बनना है मेरा बहनोई?
एक तो खड़े लंड पर से चूत हटा दी और ऊपर से दोनों मजे ले रही थी मेरे...लेकिन मैं कर भी क्या सकता था..चुपचाप बैठा रहा..कुछ देर में जब चुदाई का माहौल शांत हुआ तो हमने बचा हुआ खाना खाया..मुझे लगा की थोडा सो लिया जाए तो ठीक रहेगा..मैं सोच ही रहा था की इतने में एक धीमी सी सिर्र जैसी आवाज सुनाई दी...मुझे लगा ये आवाज काहे की है...बगल में देखा तो पाया की मेडम वहीँ परदे पर टिके टिके अपनी साड़ी उठा के मूत रही थी...वो उठ के उकडू भी नहीं बैठी थी...जैसी बैठी थी वैसे ही बस साड़ी ऊपर कर ली थी और दोनों टाँगे फैला ली थी....मैं देखा के थोडा चौंका की ये क्या हो रहा है..फिर पूजा को देखा तो वो तो मजे से उस सीन को देख रही थी..फिर मेडम को देखा तो उन्होंने से इशारे से पूछा की क्या हुआ...मैंने कहा की थोडा उकडू तो बैठ जाओ...पूरा वहीँ इकठ्ठा हो रहा है निचे भी नहीं बह रहा आपके कपडे गीले हो जायेंगे.....मेडम ने थोडा सा निचे देखा..पाया की मैं सही कह रहा था..उनका पूरा मूत वहीँ जमा होता जा रहा था....वो मुझे देख के हलके से मुस्कुराते हुए बोली...माँ चुदाये दुनियादारी...
दोनों माँ बेटी के मुंह से गाली तो बिना रुके निकलती थी..बिना किसी संकोच शर्म के..सुन के मजा भी बहुत आता था...अभी उनकी सिर्र बंद ही हुई थी की दूसरी तरफ से भी वही आवाज आने लगी...इस बार पूजा ने शुरू कर दिया था..बड़े अरमान के साथ मैंने सर झुकाया की चलो इसी बहाने पूजा की चूत तो देखने को मिलेगी...लेकिन वो कमीनी अपनी चूत छुपाये हुए थी....दोनों जब मूत के फुर्सत हो ली तो वहीँ टिक के सोने लगी...अपने ही मूत में बैठ के दोनों आराम से सो रही थी......बड़ी मुश्किल से मेरा लंड बैठा था...साला फिर से खड़ा हो गया...किसी तरह से मुझे नींद आई....जब नींद खुली तो थोड़ी थोड़ी रौशनी होने लगी थी...बहुत साफ तो नहीं पर आसपास का हल्का हल्का झलकने लगा था...अगर कोई अन्दर का आदमी अपनी सीट से हमें देखने की कोशिश करता तो उसे चेहरा तो नहीं दीखता लेकिन शरीर के आकार का अंदाजा हो सकता था....दोनों माँ बेटी उठ चुकी थी और कुछ बातें कर रही थी नेहा के बारे में..मुझे जगा हुआ देख दोनों चुप हो गयी,.....