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बात उस समय की है, जब मैं २8 साल का था. मेरी शादी को 5 साल हो गए थे. मैं बैंगलोर में एक डेढ़ साल की ट्रेनिंग के लिए गया था. पास के एक गांव में एक घर किराए पर लेकर 3 और साथियों के साथ रहने लगा. वो तीनों मुझसे छोटे थे. हमारे लिए खाना पकाना, कपड़े धोना, घर की सफाई आदि बड़ा मुश्किल काम था. तो हमने हमारी घर की मालकिन को यह समस्या बताई तो उसने हमारे लिए एक नौकरानी तलाश दी.
मंजू एक छोटे क़द की, थोड़ी मोटी शादीशुदा औरत थी. उसे उसका पति कहीं से भगाकर ले आया था. वहां वह अपनी सौतन, उसके बच्चों और अपने बच्चों के साथ रहती थी. पति बाहर काम करने जाता था, कई दिनों में आता था, तो पहली पत्नी की शिकायत पर मंजू की पिटाई करता था.
बड़ी दुखी थी बेचारी.
खैर, वो हमारे यहाँ काम करने लगी. कम बोलती थी, बात-बात पर हंसती थी. हम अक्सर इशारों में बात करते थे, क्योंकि हमें वहाँ की भाषा नहीं आती थी, और उसे हमारी भाषा में बात करना नहीं आता था. धीरे-धीरे कई महीने बीत गए. मैं शादीशुदा होने के कारण सेक्स का आदी था, और कई महीने से सेक्स से वंचित था. तो मेरा लंड चुदाई करने के लिए बेचैन होने लगा था. पर मेरे पास कोई रास्ता नहीं था.
मंजू एक छोटे क़द की, थोड़ी मोटी शादीशुदा औरत थी. उसे उसका पति कहीं से भगाकर ले आया था. वहां वह अपनी सौतन, उसके बच्चों और अपने बच्चों के साथ रहती थी. पति बाहर काम करने जाता था, कई दिनों में आता था, तो पहली पत्नी की शिकायत पर मंजू की पिटाई करता था.
बड़ी दुखी थी बेचारी.
खैर, वो हमारे यहाँ काम करने लगी. कम बोलती थी, बात-बात पर हंसती थी. हम अक्सर इशारों में बात करते थे, क्योंकि हमें वहाँ की भाषा नहीं आती थी, और उसे हमारी भाषा में बात करना नहीं आता था. धीरे-धीरे कई महीने बीत गए. मैं शादीशुदा होने के कारण सेक्स का आदी था, और कई महीने से सेक्स से वंचित था. तो मेरा लंड चुदाई करने के लिए बेचैन होने लगा था. पर मेरे पास कोई रास्ता नहीं था.