ऐसे ही एक बरसाती रात में वो मेरे साथ ही मेरे कमरे में रह गई थी, क्योंकि उसका पति अपनी पहली पत्नी को लेकर ससुराल गया हुआ था. उसे बिजली, बारिश में डर लगा, तो वो मेरे कमरे में आ गई. अपने बच्चे को उसने बेड के एक कोने में सुला दिया और लगी मेरे लंड से खेलने. मैंने एक बार उसे चोदा, वो शांत हो गई.
दूसरी बार मैंने उसे घोड़ी बनाकर ज़ोरदार धक्कों के साथ लगभग 25 मिनट चोदा. इस बार उसने बार-बार मुझे रोका, क्योंकि वो झड़ गई थी, और झड़ने के बाद वो चुदाई कर नहीं पाती थी. तीसरी बार मैंने फिर से जमकर उसकी चुदाई की. वो इस बार बड़ी देर में, बड़ी लम्बी चीख के साथ झड़ी, और काफी देर तक झड़ती रही. थरथराती रही, झटके लेती रही. फिर निढाल होकर एक तरफ जैसे गिर सी गई. पर मेरा माल तो गिरा नहीं था, सो मैं 5 मिनट रूककर फिर से उसे चोदने की कोशिश करने लगा. पर उसने साफ मना कर दिया.
अब मैं क्या करता? तो मैंने उसे ज़बरदस्ती घोड़ी बनाया, उसकी गांड को काफी देर तक सहलाया, फिर अपने लौड़े पर नारियल का तेल लगाया, उसकी गांड पर भी ढेर सारा तेल लगा दिया.
उसने पूछा- क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- मेरे लंड को शांत करना है, तेरी बुर तो ठंडी हो गई.
पर वो समझी नहीं. मैंने अपने लंड के मोटे सुपारे को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और उसके कूल्हों को ज़ोर से जकड़ कर एक ज़ोर का धक्का लगाया.
वो चीख पड़ी- मर गई, मर गई, फौजी भाई, वह जगह नहीं है, वह जगह नहीं है … गलत जगह घुसा रहे हो!
और उसने आगे बढ़ कर अपने को बचाना चाहा, पर मेरी मज़बूत पकड़ से छूट नहीं पाई.
मैंने कहा- जो भी जगह है, ठीक है, मुझे मज़ा आ रहा है, घुसाने दे.
और मैंने पूरी बेरहमी से अपने लौड़े को उसकी गांड के छोटे से सुराख में ज़ोरदार धक्कों के साथ पूरा घुसेड़ दिया. साली दर्द से चिल्लाने लगी.सर धुनने लगी, गांड हिलाने लगी. पर मैंने उसे हिलने या बचने का मौक़ा दिए बिना खचाखच लंड को उसकी गांड में पेलना शुरू किया.
वो चिल्लाती रही- नई तईते फौजी भाई, साका… (दर्द हो रहा है फौजी भाई, बस करो).
पर मैं कहाँ मानने वाला था, उसकी गांड मारना पूरे जोश से जारी रखा. यह मेरा पहला मौक़ा था जब मैं किसी की गांड मार रहा था. उसकी तंग गांड मेरे लौड़े को जैसे दबा कर उसकी जान ले लेने की कोशिश कर रही थी.