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Incest गांव की कहानी ( कॉपी )

devraja

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यह उस समय की कहानी है जब यातायात के लिए मोटर गाड़ियां ना के बराबर थी उस समय केवल तांगे या बेल गाड़ियां चला करती थी,,,,,,,, यातायात के लिए यही एक रोजगारी का साधन था,,,। और यही एक जरिया भी था एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का,,,।


बेल के पैरों में बंधे घुंघरू और गले में बजी घंटी की आवाज से पूरी सड़क गूंज रही थी,,, रविकुमार अपने बेल को जोर से हंकारते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहा था,,,, क्योंकि स्टेशन पर गाड़ी आने वाली थी और समय पर पहुंच जाने पर सवारियां मिल जाया करती थी जिससे उसका गुजर-बसर हो जाता था,,,, लेकिन आज थोड़ी देर हो चुकी थी इसलिए समय पर पहुंचने के लिए रविकुमार बेल को जोर-जोर से हंकार रहा था लेकिन उस पर चाबुक बिल्कुल भी नहीं चला रहा था,,,, क्योंकि रविकुमार के लिए बेल उसकी रोजी-रोटी थी जिसकी बदौलत वह अपने बच्चों का पेट भर रहा था,,,,।


चल बेटा मोती आज बहुत देर हो गई है अगर समय पर हम स्टेशन नहीं पहुंचेंगे तो हमें सवारी नहीं मिलेगी ,,, सवारी नहीं मिली तो पैसे नहीं मिलेंगे पर पैसे नहीं मिले तो तू तो अच्छी तरह से जानता है,,,,, नामदेवराय साहूकार के पैसे चुकाने,, बड़ी बेटी की शादी के लिए जो पैसे दिए थे उसके एवज में, जमीन गिरवी पड़ी है और तुझे भी तो नामदेवराय से पैसे उधार लेकर ही खरीद कर लाया हुं,,, और अगर पैसे नहीं कमाऊंगा तो नामदेवराय को क्या चुकाऊंगा,,,,
(इतना सुनते ही रविकुमार का बेल जान लगा कर दौड़ने लगा ,,,)


शाबाश बेटा,,,, एक तेरा ही तो सहारा है ,,,, ऊपर भगवान और नीचे तु,,,, शाबाश मोती यह हुई ना बात,,,, शाबाश बेटा,,,,
(और थोड़ी ही देर में रविकुमार की बेल गाड़ी स्टेशन के बाहर खड़ी हो गई और रविकुमार खुद बैलगाड़ी से नीचे उतर कर,,, सवारी लेने के लिए आगे बढ़ चला गाड़ी आ चुकी थी और धीरे-धीरे सवारी स्टेशन से बाहर निकल रही थी,,,, रविकुमार की किस्मत अच्छी थी जल्द ही उसे सवारी भी मिल गई,,, और सवारी को उसके गंतव्य स्थान पर ले जाने के लिए ८ आना किराया तय किया गया,,,, खुशी-खुशी रविकुमार उस सवारी का सामान लेकर बैलगाड़ी में रखने लगा,,,)


अरे वाह रविकुमार तुझे तो सवारी भी मिल गई मुझे तो लगा था कि आज तु नहीं आएगा,,,,,,,(दूसरा बैलगाड़ी वाला जो कि काफी समय से वहीं बैठा था उसे सवारी नहीं मिली थी वह बोला)


अरे कैसे नहीं आता यही तो हमारी रोजी-रोटी है ,,अगर नहीं आएंगे तो फिर काम कैसे चलेगा और तू चिंता मत कर तुझे भी सवारी मिल जाएगी,,,,(उस सवारी के आखिरी सामान को भी बैलगाड़ी में रखते हुए रविकुमार बोला,,,,, सवारी भी बेल गाड़ी में बैठ गया था,,, और वह बोला,,)


अरे भाई जल्दी चलो देर हो रही है,,,।


हां हां साहब चल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रविकुमार बेल गाड़ी पर बैठ गया और बैल को हांकने लगा,,,, एक तरफ कोयले का इंजन सीटी बजाता हुआ और काला काला धुआं उगलता हुआ आगे बढ़ने लगा और दूसरी तरफ रविकुमार का बेल कच्ची सड़क पर अपने पैरों में बंधे घुंघरू को बजाने लगा,,,,,, सवारी और गाड़ीवान का वैसे तो किसी भी तरह से रिश्ता नहीं होता लेकिन फिर भी दोनों के बीच औपचारिक रूप से बातचीत होती रहती है उसी तरह से रविकुमार और सवारी के बीच भी औपचारिक रूप से बातचीत हो रही थी ताकि समय जल्दी से कट जाए और अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके,,,,। रविकुमार उस सवारी को लेकर उसे गंतव्य स्थान पर पहुंच चुका था और अपने हाथों से उसका सारा सामान उतार कर उसके घर के आंगन में भी रख दिया था और उस से किराया लेकर,,, मुस्कुराते हुए वापस फिर गाड़ी पर बैठ गया और उसे अपने घर की तरफ हांक दिया,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी,,, वैसे तो रविकुमार को कोई भी बुरी लत नहीं थी केवल बीड़ी पीता था जिसकी वजह से उसे खांसी की भी शिकायत थी,,, ४२ वर्षीय रविकुमार बेहद चुस्त पुस्ट तो नहीं था फिर भी गठीला बदन का जरूर था,,,,,,,


बैलगाड़ी को खड़ी करके उसमें से बेल को अलग करके उसे छोटी सी झोपड़ी में जो की बेल के लिए ही बनाया था उसने काम किया और उसके आगे चारा रख दिया और एक बाल्टी पानी भी,,,।


का बेटा और आराम कर,,,,
(इतना कहकर वह अपने घर के आंगन में खटिया गिरा कर बैठ गया और बीडी निकालकर दिया सलाई से उसे जला लिया और पीना शुरू कर दिया,,,, और अपनी बीवी को आवाज लगाया,,,,)


रूपाली ओ रूपाली ,,,,, कहां हो एक गिलास पानी लेते आना तो,,,
(इतना कहकर बीड़ी फूंकने लगा,,,, रूपाली उसकी बीवी का नाम था जो कि २ बच्चों की मां थी और बड़ी बेटी की शादी भी कर दी थी और एक बच्चा ५ साल का था,,,, अपने पति की आवाज सुनते ही रसोई बना रही रूपाली ,,, अपनी ननद मंजू को आवाज देते हुए बोली,,, जो की सूखी लकड़ियां लेने के लिए बगल वाले इंधन घर में गई हुई थी,,, रूपाली की आवाज सुनते ही सूखी लकड़ियों को दोनों हाथों में उठा कर बोली,,,)


आई भाभी,,,(और ईतना कहते ही वह जल्दी से सूखी लकड़ी के पास पहुंच गई और उसे नीचे रखते हुए बोली,,)


लो भाभी आ गई,,,।


अरे आ नहीं गई,,, देख तेरे भैया आए हैं और पानी मांग रहे हैं,,जा जरा एक गिलास पानी दे देना तो,,,,,,


ठीक है भाभी,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह एक गिलास पानी लेकर अपने बड़े भाई रविकुमार के पास आ गई और बोली,,)


लो भैया पानी,,,,


अरे मंजू तू,,,,,(इतना कहने के साथ ही बची हुई बीडी को बुझा कर फेंकते हुए पानी का गिलास थाम लिया और बोला,,) मुन्ना कहां है,,,?


वह तो सो रहा है,,,,


और सुरज,,,





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Suryadeva


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289108


Jan 31, 2024


#3


सुरज रविकुमार का सगा भांजा था बचपन में ही उसकी मां के गुजर जाने के बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली सौतेली मां का प्यार उसे अच्छे से नहीं मिलेगा इसी कारण रविकुमार ने सुरज को अपने गांव लेकर आया,, तबसे वह अपने मामा साथ ही रहता है,, जो कि अभ जवान हो रहा था,,, लेकिन एकदम भोला भाला,,,,,, दिनभर यहां वहां घूमता ही रहता था घर में उसके पैर कम ही टिकते थे,,,,, इसीलिए तो अंधेरा हो चुका था लेकिन अभी तक घर पर नहीं आया था,,,। सुरज की चिंता रविकुमार को हमेशा रहती थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसके घर की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बच्चों की अच्छे से परवरिश कर सके उन्हें पढ़ा लिखा सके लेकिन फिर भी वह उन्हें अच्छा इंसान बनना चाहता था लेकिन इसके विपरीत सुरज दिन भर घूमता फिरता रहता था कभी यहां कभी वहां,,,,,, घर का कोई काम भी नहीं करता था,,,, ऐसा नहीं था कि वह रविकुमार की बात नहीं मानता था,,, बस थोड़ा सा लापरवाह जो कि इस उम्र में लगभग सभी लड़के होते हैं,,, पानी का गिलास मुंह से लगाने से पहले रविकुमार बोला,,,।


मंजू तू ही बता क्या करूं इस लड़के का,,,,,,(इतना कहकर वह पानी पीने लगा,,, पानी पीकर पानी का गिलास नीचे रख दिया जिसे मंजू नीचे झुककर उठाते हुए बोली,,,)


सब सही हो जाएगा भैया अभी लड़का है खेलने खाने के दिन है,,,


यह तो ठीक है मंजू लेकिन अब उसे मेरा हाथ बढ़ाना चाहिए,,,, मेरे साथ रेलवे स्टेशन पर आना चाहिए सवारियां ढोना चाहिए,,, कुछ सीखना चाहिए कल को अगर मैं नारहा तो क्या होगा अगर कुछ सीखा रहेगा तभी तो घर की बागडोर संभाल पाएगा,,,,।


ना ,,,,ना,,,, भैया भगवान के लिए ऐसा मत कहो तुमको कुछ नहीं होगा,,,,,,,,
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर मंजू चिंतित हो गई थी,, उसकी चिंता भरे मुखड़े को देखकर रविकुमार मुस्कुराता हुआ बोला,,,)


चल पकड़ी इस दुनिया में जो आया है वह तो जाएगा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है और जा जरा उसे ढूंढ कर तो लिया ना जाने कहां खेल रहा है रात को भी ईसे चैन नही
है,,,,


ठीक है भैया मैं अभी बुला कर लाती हूं,,,,
(इतना कहकर मंजू घर से बाहर सुरज को ढूंढने के लिए चली गई और रविकुमार खटिया से उठकर रसोई घर मैं आ गया जहां पर उसकी बीवी रूपाली खाना बना रही थी,,, रविकुमार रसोई घर में खड़ा था और रूपाली चूल्हे के सामने बैठकर रोटियां पका रही थी,,,, गर्मी का मौसम ऊपर से चूल्हे की आंच से रूपाली का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, उसका ब्लाउज पसीने में भीगा हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोलाकार चुचियों की निप्पल भीगे हुए ब्लाउज में से बाहर झांक रही थी गर्मी की वजह से रूपाली भी,,, अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे से नीचे गिरा दी थी जिससे उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी,,, खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी गोल चुचियों के बीच की पतली दरार बेहद गहरी और किसी नदी की भांति लंबी नजर आ रही थी,, जिसे देखकर रविकुमार के मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो वह संभोग का आदि बिल्कुल भी नहीं था,,, नहीं किसी के औरत को देखना उसे पसंद था लेकिन अपनी बीवी रूपाली की खूबसूरती देखते ही उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी,,,, रूपाली खाना बनाते समय कपड़ों के मामले में एकदम लापरवाह हो जाती थी,,, वह घुटना मोड़ के नीचे जमीन पर सटाकर और एक पैर को घुटने से मोड़कर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर चढ़ चुकी थी इसलिए उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी और अपनी बीवी की गोरी गोरी चिकनी मांसल टांगों को देखकर रविकुमार के मुंह के साथ-साथ,, उसके लंड में भी पानी आ रहा था जिसकी वजह से उसकी धोती में हलचल होना शुरु हो गया था,,, पसीने की बूंदें उसके माथे से होते हुएकिसी मोती के दाने की तरह उसके गोरे गोरे भरे हुए गाल को छेड़ते हुए उसकी गर्दन से होकर उसकी चुचियों के उभार पर फिसलते हुए ब्लाउज की धारी को भिगो रही थी बालों की लट उलझी हुई थी जिसे वह बार-बार आटा ऊंगलियों से सुलझाने की कोशिश कर रही थी,,, बेहद खूबसूरत और अद्भुत नजारा था इसे देखकर रविकुमार के दिन भर की थकान दूर हो रही थी,,,। रोटी को बेल कर उसे गर्म तवे पर रखते हुए रूपाली बोली,,,।


आप यहां क्या कर रहे हैं जी,,,, अभी खाना बनने में थोड़ा समय लगेगा,,, अब खटिया पर बैठ कर इंतजार करिए मैं खाना तैयार कर लेकर आती हूं,,,,।


क्या करती हो रूपाली,,,,, दिन भर पैसे कमाने के चक्कर में घर से बाहर रहता हूं तुमसे दूर रहता हूं और यही तो मौका मिलता है तुम्हें जी भर के देखने का वह भी मुझसे छीन ना चाहती हो,,,(ऐसा कहते हुए रविकुमार वही नीचे बैठ गया और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) दिन भर की थकान तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखते ही दूर हो जाती है,,,


(अपने पति की बातें सुनकर रूपाली को शर्म आ रही थी,,, वह शर्मा रही थी और अपने चेहरे को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, लेकिन रविकुमार अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर जैसे किसी गुलाब के फूल को अपनी हथेली में लेता हो इस तरह से अपनी बीवी की खूबसूरत चेहरे को अपने हथेली में लेते हुए बोला,,,)


क्या रूपाली दो बच्चों की मां हो गई हो फिर भी मुझसे शर्मारही हो,,,,,,


छोड़ो जी क्या करते हो,,, बच्चे आ जाएंगे,,,,(रूपाली अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,,)


अरे कोई नहीं आएगा,,,,(इतना कहते ही जैसे ही वह अपनी बीवी रूपाली के ब्लाउज पर हाथ रखकर उसकी चूची को दबाया ही था कि आंगन से मंजू की आवाज सुनाई दी और वह तुरंत उठ कर खड़ा हो गया,,,।)


देखो भैया सुरज आ गया,,,,
(एकाएक मंजू की आवाज सुनते ही रविकुमार सकपका गया था,,, और यही हाल रूपाली का भी था,,, वह एकदम से शरमा गई थी,,, गनीमत यही थी कि,, मंजू ने कुछ देखी नहीं थी,,,, रविकुमार तुरंत आंगन में आ गया,,,,, और अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर,,,, थोड़ा शांत होता होता हुआ बोला,,,।)


क्या सुरज,,,,, यह सब क्या हो रहा है,,,,,,,


कककक,,, कुछ नहीं मामा ,,,,(सुरज घबराते हुए बोला,,,,, सुरज अपने मामा की बहुत इज्जत करता था और उनसे डरता भी था,,,)


कुछ नहीं क्या दिन भर आवारा लड़कों की तरह घूमते रहते हो,,,, तुम अब बडे़ हो गए हैं तुम्हें तो घर की जिम्मेदारी संभालना चाहिए,,, घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए,,,।
( अपने मामा की बातों को सुनकर सुरज कुछ बोला नहीं बस अपनी नजरों को नीचे झुकाए खड़ा रहा,,,)


देख रही हो मंजू अब ये कुछ बोलेगा भी नहीं,,,,


रहने दो भैया समय के साथ सब सीख जाएगा,,,,(मंजू सुरज का बीच बचाव करते हुए बोली,,,) अभी तो इसके भी खेलने खाने के ही दिन है,,,(सुरज के कंधों पर अपने दोनों हाथ रखते हुए उसके पीछे आकर बोली) ,,,,,,,


जाओ जाकर हाथ मुंह धो कर जल्दी से आओ खाना तैयार हो रहा है,,,,।


ठीक है मामा ,,,(इतना कहकर राजु खुश होता हुआ,, बाहर हाथ मुंह धोने के लिए चला गया,,, तभी रूपाली खाना बनाकर अपने कपड़ों को ठीक करते हुए बाहर आंगन में आ गई और अपनी साड़ी के पल्लू से अपने माथे के पसीने को पोछते हुए बोली,,,)


आप तो ठीक से डांटते ही नही है,,, तभी तो आवारा की तरह घूमता रहता है,,,
( ऐसा नहीं था की रूपाली सूरज से प्यार नहीं करती थी,, रूपाली ने सुरज को बचपन से अपने सगे बेटे के जैसा प्यार देकर बड़ा किया था पर गांव के आवारा लड़को के साथ घूमकर वह बिगड़ने लगा था,,, और घर के कामों पर उसका जरासा भी ध्यान नहीं था,,, इसी चिंता के कारण रूपाली ऐसा बोली,,,)


बिन मां का लड़का है और अब सुरज मेरे बराबर हो गया है इस तरह से डांट ना ठीक नहीं है वैसे भी आज नहीं तो कल सब कुछ सीख ही जाएगा,,,,,,


भाभी भैया ठीक कह रहे हैं,,,


हां तुम तो अपने भैया का ही पक्ष लोगी,,,,,
(रूपाली की बात से मंजू मुस्कुराने लगी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर रूपाली बोली,,,)


चलो जल्दी से खाना परोसने में मेरी मदद करो,,,।


तुम रहने दो भाभी में सबके लिए खाना परोस कर लेकर आती हूं,,,,,, आप भी भैया के साथ बैठ जाओ खाना खाने,,,,
(इतना कहकर मंजू रसोई घर में चली गई और रूपाली मुस्कुराते हुए अपने पति रविकुमार के पास बैठ गई,,,, रविकुमार अपनी छोटी बहन मंजू को जाते हुए देख रहा था,,, और बोला,,,)


कोई अच्छा सा लड़का देखकर मंजू के भी हाथ पीले कर दु तो समझ लो गंगा नहा लिया,,,,,


आप सही कह रहे हो मुन्ना के बाबु,,,,(रूपाली अपने पति की बातों में सुर मिलाते हुए बोली,,)


वैसे तो मुझे सबसे पहले मंजू की शादी करनी चाहिए थी लेकिन हालात ही कुछ ऐसे बन गए थे कि मुझे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,,, उसके विवाह के लिए लिया हुआ कर्ज अभी तक चुका रहा हूं कल साहूकार को उसके ब्याज के पैसे भी देने जाने हैं,,, नामदेवराय का कर्ज चुकाऊ तो मंजू के विवाह के लिए पैसे ले लु और वैसे भी बैलगाड़ी का भी कर्जा चुकाना है,,,,(रविकुमार आंगन में से आसमान को देखते हुए बोली,,,)


तुम चिंता मत करो मुन्ना के बाबू,,, सभ कुछ ठीक हो जायेगा,,,,
(इतने में सुरज भी आकर वहीं बैठ गया और मंजू एक-एक करके सबके आगे थाली रखने लगी,,, और रूपाली अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करने लगी क्योंकि चुचीया कुछ ज्यादा बड़ी होने की वजह से ब्लाउज में से चूचियों के बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आती थी,,,, और यही रविकुमार को बेहद पसंद थी,,,, सब लोग खाना खाने लगे,,और, खाना खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे,,, सुरज अपनी मौसी मंजू के साथ सोता था और रविकुमार उसकी बीवी रूपाली और छोटा लड़का मुन्ना एक साथ सोते थे,,,,,,, मंजू जब सुरज को लेकर बगल वाले कमरे में जाने लगी तो रूपाली मंजू को आवाज देते हुए बोली,,,)


अरे मंजू,,,


क्या हुआ भाभी,,,?


ले आज मुन्ना को अपने पास सुला ले,,, रात को बहुत परेशान करता है और तुम्हारे भैया सो नहीं पाते,,,,


ठीक है भाभी लाइए मुन्ना को मुझे दो,,,(इतना कहते हुए मंजू मुन्ना को अपनी भाभी की गोद में से अपनी गोद में ले ली,,, और कमरे में चली गई सुरज को नींद आ रही थी इसलिए चारपाई पर पडते ही वह सो गया,,, मंजू को नींद नहीं आ रही थी,,,, क्योंकि वह मुन्ना को अपने पास सुलाने का मतलब अच्छी तरह से जानती थी,,,,


दूसरी तरफ रविकुमार रूपाली से बोला,,,,)


बड़ी सफाई से बहाना करके मुन्ना को मंजू के पास सोने के लिए भेज देती हो,,,


तो क्या मुन्ना को मंजू के पास ना भेजु तो और क्या करूं,,,


चलो ठीक है लेकिन जिस काम के लिए मुन्ना को उसकी बुआ के पास भेजी हो वह काम शुरु तो करो,,,,(रविकुमार चारपाई पर लेटता हुआ बोला,,,)


मुझे शर्म आती है जी,,,,(रूपाली शर्म के मारे अपने हाथों से अपने चेहरे को ढंकते हुए बोली,,,)


अरे मुझसे क्या शर्माना,,, चलो जल्दी करो कपड़े उतारो,,,,


आप कहते हो तो उतारती हूं वरना तो मुझे तो नींद आ रही थी,,,,(इतना कहने के साथ ही है रूपाली अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसकी सांसे भारी हो चली थी,,,,, उसका खुद का मन चुदवाने के लिए कर रहा था क्योंकि रसोई में रविकुमार ने अपनी हरकत की वजह से उसको उत्तेजित कर दिया था,,, देखते ही देखते रूपाली अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपने ब्लाउज को उतार फेंकी,,,रविकुमार की नजर जेसे ही अपनी बीवी के भारी भरकम गोल गोल खरबूजे जैसे चुचियों पर पड़ी उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया और वह अपनी धोती खोलने लगा,,,, रूपाली को अपने पति का खड़ा लंड देखने की इच्छा हो रही थी अच्छी तरह से जानती थी कि ईतनी देर में उसके पति का लंड खड़ा हो गया होगा,,,



वह जल्दी जल्दी अपनी साड़ी भी उतार कर नीचे फेंक दी,,, अब वह अपने पति की आंखों के सामने केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,, रविकुमार पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह अपनी धोती खोल चुका था उसका लंड आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, रविकुमार अपना एक हाथ आगे बढ़ाते अपनी बीवी के पेटीकोट की डोरी को खींच दिया जिससे रूपाली को बिल्कुल भी संभलने का मौका नहीं मिला और उसकी पेटीकोट उसकी कमर से नीचे उसके पैरों में जाकर गिर गई,,, रविकुमार के साथ-साथ रूपाली की पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी तीन तीन बच्चों की मामी होने के बावजूद भी रूपाली एकदम खूबसूरत और गठीला बदन की मालकिन थी क्योंकि अभी भी वह खेतों में सारा काम अकेले ही करती थी,,,, रूपाली के नंगे बदन को देख कर रविकुमार के मुंह में पानी आ रहा था उससे रहा नहीं गया और वह खुद अपने हाथों को आगे बढ़ाकर रूपाली के कमर को थाम लिया और उसे अपने ऊपर चारपाई पर खींच लिया,,, रूपाली का मखमली खूबसूरत बदन उत्तेजना से तप रहा था,,, रविकुमार तुरंत उसे अपनी बाहों में भर लिया जैसे कि कहीं वह भागी जा रही हो,,, रूपाली भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह भी अपनी पती को अपनी बाहों में लेकर चूमना शुरु कर दी,,,।
रविकुमार अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए असली बीवी रूपाली को तुरंत अपनी बाहों में लिए हुए ही पलटी मार दिया और उसे नीचे और खुद ऊपर आ गया,,,,,, दोनों की सांसें बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,,, पल भर में ही मौसम की गर्मी और बदन की तपन से रूपाली पसीने से तरबतर हो गई,,,, पसीने में तर बतर रूपाली का खूबसूरत बदन और भी ज्यादा मादक और उत्तेजक लग रहा था,,,,,,,, रविकुमार पूरी तरह से बाजी अपने हाथों में ले लिया था,,, वैसे भी बिस्तर पर मर्दों की अगुवाई ही ज्यादा मायने रखती है,,,,,,


दिन भर की थकान वह अपनी बीवी की चुदाई करके मिटाना चाहता था,,,, पसीने से तरबतर चुचीया रविकुमार के हाथों में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,। बार-बार उसकी हथेली फिसल जा रही थी मानो किसी टेकरी को पकड़ रहा हो,,,, फिर भी रविकुमार बड़े जोर लगाकर रूपाली की चूचियों को दबा रहा था और रूपाली को बहुत मजा आ रहा था,,।
रूपाली के लिए यही एक पल होता था जब वह पूरी तरह से खुल जाती है और अपनी जिंदगी का भरपूर आनंद लुटती थी,,, रविकुमार पागलों की तरह अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में भर कर पी रहा था रूपाली की सिसकारी कमरे में गूंजने लगी थी,,,, रविकुमार का खड़ा लंड बार-बार रूपाली की जांघों के लिए रगड़ खा जा रहा था,,। जिससे रूपाली की आनंद और तड़प दोनों बढ़ जा रही थी,,।
अब दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए रविकुमार अपनी बीवी की दोनों टांगों को फैला कर अपनी खड़े लंड को उसकी बुर में डाल दिया और अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया रूपाली चुदाई से पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, वह भी गर्म सिसकारी के साथ अपने पति का पूरा साथ दे रही थी,,, रविकुमार कमर हिलाता हुआ अपनी बीवी को चोद रहा था,,,। रूपाली के मुंह से उसकी गरम सिसकारी बड़ी तेजी से निकल रही थी,,,रूपाली इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसके बाजू वाले कमरे में उसकी ननद मंजू उसकी गरम सिसकारियां को सुन रही है सुरज और मुन्ना दोनों सो चुके थे,,,लेकिन मंजू अच्छी तरह से जानती थी कि आज रात क्या होने वाला है इसलिए उसकी आंखों में नींद नहीं थी,,, यह उसके लिए पहली बार नहीं था,,। आए दिन उसे उसके भैया भाभी की गरम आवाजें सुनाई देती थी जिसे सुनकर वह गर्म हो जाती थी क्योंकि उसकी भी शादी की उम्र हो चुकी थी जवान हो चुकी थी उसके तन बदन में भी भावनाएं जोर मारने लगी थी उसकी जवानी बदन में चीकोटी काटने लगी थी,,,। इसलिए तो अपनी भाभी की चुदाई की गरमा गरम आवाज सुनकर उसने भी अपनी सलवार की डोरी को खोल कर उसने अपना हाथ डाल दी थी और अपनी उंगली को अपनी मंजू बुर की छेंद में डालकर उसे छेड़ रही थी,,,,


दूसरी तरफ रविकुमार पूरा जोर लगा दिया था अपनी बीवी को चोदने में,,, और थोड़ी देर बाद दोनों हांफने लगे,,,, दूसरी तरफ मंजू का भी पानी निकल गया,,, रविकुमार और रूपाली नग्न अवस्था में ही एक दूसरे की बाहों में चारपाई मैं गहरी नींद मे सो गए,,,
 

devraja

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सुबह जब रविकुमार कि नींद खुली तो उसकी बीवी उसकी बाहों में थी एकदम नंगी,,,,,,, उसकी बड़ी बड़ी दूध से भरी हुई चूचियां उसकी चौड़ी छाती में अठखेलियां कर रही थी,,,,, रूपाली की खूबसूरत मासूम चेहरे को देखकर रविकुमार को उस पर बहुत प्यार आ रहा था और वह उसके माथे को चूम लिया,,, सुबह का समय था पक्षियों के कलरव की आवाज से पूरा शमा गूंज रहा था,,,,,,प्राकृतिक रूप से सुबह का समय होने की वजह से और बाहों में खूबसूरत बीवी के खूबसूरत नंगे बदन की गर्मी के कारण रविकुमार का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,,, एक बार फिर से रविकुमार का ईमान डोल गया था हालांकि वह सुबह सुबह कभी भी इस तरह की हरकत करता नहीं था लेकिन,,,आज उसके ऊपर रूपाली के खूबसूरत जिस्म का नशा सवार हो चुका था,,,,, वह अपने सीने में चुप रहे अपनी बीवी की खूबसूरत बड़ी-बड़ी चूचियां की निप्पल को थोड़ा सा नीचे झुककर अपने मुंह में भर लिया उसे चूसना शुरू कर दिया,,,,, ,,,रूपाली अभी भी पूरी तरह से गहरी नींद में थी इसलिए उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि उसका छोटा बेटा उसका दूध पी रहा है इसलिए बोला आराम से लेटी रही,,,, और रविकुमार अपनी बीवी की चूची पीने में पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,,यही एक पल ऐसा होता था जब रविकुमार अपने सारे दुख-दर्द लाचारी बेबसी को भूल जाता था और इस पल को पूरी तरह से जीने में जुट जाता था,,,,,,,,, और यही हकीकत है दुनिया के हर मर्द का यही हाल होता है चाहे कितना भी दुख सर पर हो लेकिन बिस्तर में वह सब दर्द दुख भूल जाते हैं जब उनकी बाहों में उनकी खूबसूरत बीवी या कोई खूबसूरत औरत होती है,,, अगर बिस्तर में भी मर्द संभोग के लिए लालायित ना हो तो समझ लो वास्तव में वह इंसान कुछ ज्यादा ही परेशान हैं या तो उसमें संभोग करने की शक्ति नहीं है,,,,,,।


लेकिन रविकुमार ऐसे मर्दों ने से बिल्कुल भी नहीं था दिन भर वह एक बेहद अच्छा इंसान बना रहता था लेकिन रात को बिस्तर में अपनी बीवी के साथ एक असली मर्द का रुप धारण कर लेता था,,, और उसकी बीवी भी बिस्तर में उससे इसी तरह की उम्मीद रखती थी जिस पर वह पूरी तरह से खरा उतरता था और यही कारण था कि रूपाली गांव की और गांव के चारों तरफ के पास पड़ोस वाले गांव की औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत और मादक बदन वाली औरत थी ,,, जिसके पीछे गांव के सारे मर्द लार टपकाए घूमते रहते थे लेकिन रूपाली ने आज तक किसी गैर मर्द की तरफ आंख उठाकर नहीं देखी थी और ना ही किसी मर्द को अपने पास भी भटकने दी थी,,, वह पूरी तरह से अपने पति की वफादार थी एकदम पतिव्रता,,,,,,,,, दूसरे मर्दों का नाम लेना भी उसके लिए पाप था,,,,,,।

इसीलिए तो रविकुमार अपनी बीवी को भरपूर सुख देते हुए उसकी लाजवाब खरबूजे जैसी गोल गोल चुचियों को बारी-बारी से मुंह में भर कर पी रहा था,,,,,,,, रविकुमार भी जैसा रात को सोया था वैसा ही था एकदम नंगा,,वह, एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे धीरे सहला रहा था एक तरह से वह अपनी बीवी की बुर में लंड डालने के लिए अपने लंड को तैयार कर रहा था जो कि पहले से ही तैयार खड़ा था,,,,,,,

गर्मी के मौसम में सुबह की चलती शीतल हवा से बदन में ठंडक में भर देती थी लेकिन रविकुमार के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि खटिया में वह अपनी खूबसूरत बीवी के साथ था और वह भी एक दम नंगा,,, जिसकी गर्म जवानी की तपन से सुबह के ठंडक में भी उसके माथे से पसीने छूटने लगे थे,,,,,, सुबह की पहली किरण धरती पर अपनी आभा बिखेरे इससे पहले रविकुमार अपनी जगह बना लेना चाहता था इसलिए अपने हाथों से निद्राधीन रूपाली को सरका कर पीठ के बल लेटाते हुए तुरंत उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच आ गया,,,रूपाली पूरी तरह से नींद में थी लेकिन फिर भी रविकुमार की कामुक हरकत की वजह से उसकी मंजू बुर से ओस की बूंदे टपकना शुरू हो गई थी,,,, रविकुमार अपनी जगह बना चुका था वह एक नजर अपनी बीवी के खूबसूरत चेहरे की तरह डाला वह अभी भी पूरी तरह से नींद में थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लोट रही थी,,,,,, उसकी मंजू बुर की मंजू पत्तियां हल्की सी अपनी पंखुड़ियों को खोले हुए थी,,, जिसके बीच रूपाली का गहरा छेद नजर आ रहा था और ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह खुद हीअपने पति के मोटे लंबे लंड को अपने अंदर आने के लिए आमंत्रित कर रही हो,,,,,,

अपनी बीवी की रसीली बुर को देखकर रविकुमार के मुंह में पानी आ रहा था,,, और वह ढेर सारा थूक अपने लंड के सुपाड़े पर लगाकर उसे अपनी बीवी के बुर के मंजू छेद पर जैसे ही लगाया वैसे ही रूपाली की नींद खुल गई,,,, पहले तो वह एकदम से घबरा गई कि कौन उसके ऊपर चढ़ा हुआ है,,, जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका पति उसे चोदने जा रहा है तो वह उसे रोकते हुए बोली ,,,।


हाय दैया यह क्या कर रहे हो जी,,,,


देख नहीं रही हो रानी मैं तुम्हें चोदने जा रहा हूं,,,,(हल्का सा मुस्कुराता हुआ रविकुमार बोला,,,,)


नहीं नहीं ये कोई समय है देख नहीं रहे हो सुबह हो रही है,,,


तो क्या हुआ मेरी रानी,,,, क्या सुबह-सुबह औरत को चोदा नहीं जाता,,,



अरे सब के उठने का समय हो गया है यह समय ठीक नहीं है यह सब काम के लिए,,, आप उठ जाइए और मुझे भी उठने दीजिए कपड़े भी नहीं पहने हैं,,,।


यह सब काम के लिए कपड़े पहनना जरूरी नहीं होता उसे उतारना जरुरी होता है,,,,


नहीं नहीं मैं कुछ सुनना नहीं चाहती आप उठिए,,,,।



पागल हो गई हो मेरी रानी,,, मयखाने में आकर शराब ना पिया जाए ऐसा कभी हो सकता है,,,।


अरे मैं तुम्हारी बीवी हूं कोई शराब की दुकान नहीं,,,


शराब की दुकान ही हो,,, रानी तुम्हारे बदन के कोने कोने में शराब का नशा है जिसे पी लेने के बाद और कोई नशे की जरूरत नहीं होती,,,।


बातें बनाना तो कोई आपसे सीखे,,अब, बस करिए मुझे उतनी दीजिए,,,, बहुत काम पड़ा है,,,।


कर लेना मुन्ना कि मां,,,,(इतना कहते ही रविकुमार ने अपनी कमर को जोर से झटका दिया,,, और उसका मोटा तगड़ा लंड गच्च आवाज के साथ पूरा का पूरा रूपाली की बुर में समा गया,,, रूपाली ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी,,, इसलिए वह दर्द से चिल्ला उठी,,,)

हाय दैया मर गई रे,,,,,आहहहहह,,,, दुखने लगा है जी,,,


अरे धीरे से नहीं तो सुरज और मंजू जाग जाएंगे,,, दो बच्चों की मां हो गई है लेकिन फिर भी अभी भी दुखता है,,,।


तो क्या इतनी जोर से डालोगे तो दुखेगा नही,,,, जल्दी करो नहीं तो मंजू जाग जाएगी,,,


जब तक तुम्हें चोद नही लेता तब तक कोई जागेगा नही,,,
( और इतना कहने के साथ ही रविकुमार अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, रविकुमार को बहुत मजा आ रहा था दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी रूपाली की बुर ढीली नहीं पड़ी थी,,, इसीलिए तो रविकुमार पूरी तरह से अपनी बीवी पर बावला चुका था रूपाली भी,,, चुदाई का मजा ले रही थी,,, अपनी नजरों को उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी क्योंकि उसे भी बहुत ताज्जुब होता था जब उसके पति का मौका लंबा लंड बड़े आराम से उसकी बुर के छोटे से छेद में पूरा का पूरा घुस जाता था,,,,रविकुमार दोनों हाथों से अपनी बीवी के बड़े-बड़े चुचियों को पकड़कर दशहरी आम की तरह दबा दबा कर चोद रहा था,,,, पूरी तरह से अपने आप पर काबू करने के बावजूद भी उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ रही थी,,,,, थोड़ी देर बाद ही रविकुमार उसके ऊपर ढेर हो गया,,,, दोनों जल्दी से खटिया पर से उठे और अपने अपने कपड़े पहन कर अपने काम में लग गए,,, रूपाली घर के बाहर जाते जाते मंजू के कमरे की सिटकनी खटका कर उसे आवाज देकर चली गई,,, दरवाजे पर सिटकनी की आवाज सुनते ही मंजू की नींद एकदम से खुल गई,,,, और जब वह अपने हालात पर गौर की तो एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,,रात को अपने भैया और भाभी की गरमा गरम चुदाई की आवाज सुनकर वह अपनी सलवार की डोरी को खोलकर अपने हाथ से,, उंगली से अपनी बदन की गर्मी को शांत की थी लेकिन वापस सलवार की डोरी को उठा देना भूल गई थी और वह गहरी नींद में सो गई थी जो कि उसकी सलवार उसके घुटनों के नीचे चली गई थी और वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,,,, और वह खुद सुरज को अपनी बाहों में कस के दबा कर सोई हुई थी जिसकी वजह से उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस हो रहा था,,, थोड़ा सा उठकर अपनी नजरों को नीचे की तरफ की तो हैरान रह गई क्योंकि उसकी दोनों टांगों के बीच चुभने वाली चीज कुछ और नहीं बल्कि,,,, सुरज का लंड था जो कि पजामे में फुल कर तंबू बना हुआ था,,,, पल भर में ही मंजू की सांसे तेज हो गई और ऐसा होना लाजिमी था क्योंकि वह पूरी तरह से जवान हो गई थी,,, उसके अंगों का मादक उभार उसकी भरपूर जवानी की गवाही दे रहा था,,,।


उत्तेजना के मारे मंजू का गला सूखने लगा था उसकी जिंदगी का यह पहला मौका था जब उसकी दोनों टांगों के बीच किसी मर्दाना अंग का स्पर्श हो रहा था,,,,,,, सूरज को लेकर मंजू के मन में कभी गलत भावना नहीं आ रही थी लेकिन इस समय ना जाने क्यों उसका मन बावरा हुआ जा रहा था,,,, पजामे में बना तंबू,,, सुरज के बलिष्ठ अंग को और ज्यादा उभार दे रहा था जिस पर नजर पड़ते ही और उसका रगड़ अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस करते ही मंजू कि बुर अपने आप गीली होने लगी,,,। सब कुछ जानते हुए भी मंजू सुरज को अपनी बाहों से आजाद नहीं की थी क्योंकि उसके मर्दाना अंग का रगड़ उसके मखमली अंग पर हलचल पैदा कर रहा था,,,, ना चाहते हुए भी ना जाने क्यों उसके मन में यह खयाल आया कि काश सुरज का लंड उसके पजामा से बाहर होता तो वह अपनी खुद की आंखों से उस के नंगे लंड को देख पाते क्योंकि अब तक उसने अपनी जिंदगी में एक जवान लंड को देखी भी नहीं थी,,,,,,, वह ना चाहते हुए भी अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर पजामे के ऊपर से ही राजु के लंड को पकड़ना चाहती थीं उसे छूना चाहती थी लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि,,,, कहीं सुरज जाग तो नहीं रहा है और जानबूझकर यह नाटक कर रहा हो,,, जानबूझकर अपने लंड़ को उसकी दोनों टांगों के बीच सटाया हो,,, यह ख्याल आते ही मंजू घबरा गई,,, क्योंकि सुरज अभी भी उसकी बाहों में था,,, वह बड़े गौर से सुरज के चेहरे की तरफ देखने लगी,,,, लेकिन यह उसे ज्ञात हो चुका था कि सुरज पूरी तरह से नींद में था,,,,,, और जो कुछ भी हो रहा था उसमें सुरज की कोई भी गलती नहीं थी,,, यह शायद उसकी बुर की ही गर्मी की ताकत है कि सुरज के लंड को खड़ा कर दी थी,,, ख्याल मन में आते ही मंजू के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,सुरज के पूरी तरह से गहरी नींद में होने की वजह से मंजू इस मौके का फायदा उठा लेना चाहती थी वह उसके लंड को छूकर देखना चाहती थीं ,,, और इसीलिए वह अपना हाथ आगे बढ़ा भी चुकी थी लेकिन तभी उसके अंतरात्मा से जैसे कोई आवाज आई हो अपने हाथ को वही रोक ली,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी हो करने जा रही थी वह बिल्कुल गलत था उसके संस्कार के खिलाफ था,,,। इसलिए वहां तुरंत अपने हाथ पीछे ले ली,,, धीरे से सुरज को अपने से अलग करके खटिया पर से उठी और अपने सलवार की डोरी को बांधने लगी,,,, उसके बाद सुरज को उठाने लगी मुन्ना भी उसके पास में सोया था उसे गोद में उठाकर,,, सुरज को उठाई तो वह भी आंखों को मलते
हुए उठ गया,,, और मंजू मुन्ना को बाहर ले कर चली गई,,,
 

devraja

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रविकुमार की सुबह बेहद कामुकता भरी थी,,, अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पास खुदका कुंवा था जिसमें से हरदम रूपाली से रस झरता रहता था उस रस को पाकर रविकुमार पूरी तरह से तृप्त हो चुका था,,, रूपाली को लेकर रविकुमार को अपनी किस्मत पर गर्व भी होता था क्योंकि,,, रूपाली एकदम रूपवती थी खूबसूरती में उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था,,,,,,,,, और ऐसी नारी को पत्नी के रूप में पाकर और उसे भोगकर रविकुमार अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था,,, रात को चांदनी में भीगी हुई बीती ही थी लेकिन सुबह सुबह ही उसकी बीवी ने चुदाई का सुख देकर चार चांद लगा दी थी,,,।
सुबह-सुबह रूपाली नित्य क्रिया से निपट कर रसोई में जुट गई थी और मंजू पूरे घर की सफाई कर रही थी,,,,,, और आंगन में रविकुमार खटिया पर बैठा हुआ नीम का दातुन अपने दांतो पर घीस रहा था,,, उसके ठीक सामने नीचे झुक कर मंजू झाड़ू लगा रही थी जिसकी वजह से ,,, जिससे उसके दोनों नारंगीया,,, कुर्ती में से बाहर की तरफ झलक रहे थे अनजाने में ही रविकुमार की नजर अपनी बहन के कुर्ती के अंदर तक पहुंच गई,,,, रविकुमार अपनी बहन की चूची को देखते ही एक दम दंग रह गया,,, मंजू की चुचियों का आकार नारंगी जितना ही था जिसकी वजह से उसकी चूचियों के दोनों निप्पल छुहारे की तरह नजर आ रहे थे रविकुमार के लिए यह पहला मौका था जब वह पहली बार अपनी बहन मंजू की चुचियों को देख रहा था,,। पल भर में ही उत्तेजना से गनगना गया,,,,,,,मंजू इस बात से पूरी तरह से बेखबर कि उसके भाई की नजर उसके कुर्ती के अंदर है वह उसी तरह से अपने में मगन होकर झाड़ू लगा रही थी,,। लेकिन रविकुमार अपने आप को संभाल लिया वह जानता था कि अपनी बहन की चुचियों को देखकर उसके मन में जिस तरह की भावना पैदा हो रही है वह बिल्कुल गलत है इसलिए वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,,,,,, वाह अपना सारा ध्यान दातुन करने में लगाने लगा लेकिन नजरों के आगे बेबस होकर एक बार फिर उसकी नजर इसी तरह चली गई जहां पर उसकी बहन झाड़ू लगा रही थी और इस बार-बार झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड भरकर सलवार के बाहर नजर आ रही थी,,,,,,मंजू की उभरी हुई गांड मंजू की गदराई जवानी की निशानी थी,,, ,,, यह नजारा रविकुमार के होश उड़ा रहा था मंजू की मदहोश कर देने वाली जवानी को देख कर रविकुमार समझ गया था कि उसकी बहन पुरी तरह से जवान हो चुकी है,,,। शादी की उम्र निकली जा रही है ऐसे में उसे भी एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है जो उसकी गदराई जवानी को पूरी तरह से अपने हाथों में समेट सके उसे भरपूर प्यार दे सके उसकी जवानी को तृप्त कर सके और,,,, यह सोचकर ही रविकुमार का लंड खड़ा होने लगा था,,और अपने खड़े होते लंड पर गौर करते ही उसके होश उड़ गए और जैसे अपने ही बात को काटते हुए अपने मन में बोला,,,।


नहीं नहीं यह क्या सोच रहा है यह बिल्कुल गलत है,,, ऐसा सोचना भी पाप है,,,छी,,,,, ऐसी गंदी बात उसके दिमाग में आई कैसे,,,,,,,
(इस तरह की गंदी बात को सोचकर रविकुमार का होश उड़ गया था वह कभी सपने में भी अपनी बहन के लिए इतने गंदे विचार अपने मन में नहीं आया था लेकिन आज उसे क्या हो गया था,,,इस तरह के विचार भी अपने मन में लाने के लिए उसके संस्कार उसे गवाही नहीं दे रहे थे,,,, अपनी नजरों को कोसने लगा और तुरंत वहां से उठ कर चला गया,,,, वह हाथ में धोकर खाने के लिए भी नहीं रुका और बैलगाड़ी को लेकर सवारी ढूंढने के लिए निकल गया,,, रूपाली उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन वह जल्दबाजी में होने का बहाना करके निकल गया,,,,,।


दूसरी तरफ झाड़ू मारते समय मंजू के मन में भी अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे रात को जिस तरह की आवाज उसके कानों में पड़ती है उसके बारे में सोच कर मंजू की दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी और उसे खुद अपनी बुर में से रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।
झाड़ू लगाते समय अपनी भाभी की तरफ देख रही थी जो कि रोटियां बेल रही थी,,,, अपनी भाभी का भोला और मासूम चेहरे को देखकर मंजू सोचने लगी कि,,,, क्या यह वही औरत है जो रात को अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाती और गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकालती है,,,,मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी भाभी के भोले भाले मुखड़े को देखकर रात में वह कैसी होगी ,,,, बिस्तर पर क्या गुल खिलाती है,,,,इसका अंदाजा नहीं लगा सकता,,,, मंजू को अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बेचैन कर देती थी,,,उसे एक तरह से अपनी बातें कि इस तरह की कर्मा कर्म से शिकारियों की आवाज सुनने में मजा भी आने लगा था और वह अपने मन में ही अपनी भैया और भाभी को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कल्पना ओ को एक नया ढांचा देती रहती थी,,,, वैसे तो उसे अपने भाई को देख कर भी ऐसा कभी नहीं लगा था कि,,, बिस्तर पर उसका भाई उसकी भाभी की चीखें निकाल देगा,,, क्योंकि उसका भाई बेहद भोला भाला और शरीफ इंसान था जो कभी भी किसी और को गलत नजरों से कभी नहीं देखा लेकिन उसकी भाभी की गरमा गरम सिसकारी और उसकी आह की आवाज मंजू की सोच को बदल कर रख दिया था,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका भाई बिस्तर पर उसकी भाभी की जवानी को नीचोड़ कर रख देता है,,,। झाड़ू लगाते हुए वह अपने मन में यह सोचने लगी कि उसके भाई का लंड कैसा होगा,,,कितना बड़ा होगा कितना मोटा होगा इस बात का अंदाजा लगाना मंजू के लिए बेहद मुश्किल काम था क्योंकि अब तक उसने एक जवान मर्दाना लंड को अपनी आंखों से देखी भी नहीं थी,,,, बस केवल आज ही सुबह सुबह उसकी चुभन को अपनी दोनों जांघों के बीच महसूस की थी,,, और अभी अपने भांजे के,,,,, उस समय सुरज के लंड को देखने की कामना उसके मन में प्रज्वलित तो हुई थी लेकिन वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,,,, लेकिन इस समय उसके मन में मन मंथन सा चल रहा है वह अपने भाई की मांग को लेकर दुविधा में थे उसके आकार को उसकी लंबाई को उसकी मोटाई को लेकर पूरी तरह से दुविधा में थी,,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके भाई का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा लंबा होगा तभी तो उसकी भाभी की चीख निकल जाती थी,,,,,,लेकिन मंजू यह सोच कर हैरान थी कि उसकी भाभी को मजा आता भी होगा या नहीं क्योंकि इस बात को वह बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी भाभी की तो चीख निकल जाती थी सिसकारी की आवाज अलग से इसी आवाज को लेकर दुविधा में थी,,,और यह सवाल और किसी से पूछ भी नहीं सकती कि अपनी भाभी से भी नहीं क्योंकि उसे बहुत शर्म आती थी,,,। वह उसी तरह से झाड़ू लगाती रही,,,,।

खाना तैयार हो चुका था,,, मुन्ना भी पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहा था,,, और सुरज उठने के साथ ही अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए भाग गया था,,,,,,


मंजू मैं नदी पर जा रही हूं नहाने और कुछ कपड़े भी धोने है,,, तुम्हारे कपड़े हो तो लाओ मुझे भी दे दो मैं उसे भी धो दूंगी,,,,(एक बाल्टी और लोटा साथ में कपड़ों का ढेर अपने हाथ में लटकाए वह जाने के लिए तैयार थी कि तभी मंजू भी बोली,,,)


मुझे भी नहाने चलना है भाभी रुको मैं अभी आती हूं,,,
( और थोड़ी ही देर में मंजू भी अपने कपड़ों को लेकर आ गई और दोनों भाभी और ननद नदी की तरफ जाने लगी,,, अक्सर गांव की औरतें नहाने के लिए नदी पर ही जाया करती थी,,,,,, और यही मंजू और रूपाली का भी नीति क्रिया थी,,,,,, रूपाली को राह में चलते हुए देखना भी एक मादक सुख के बराबर ही था,,, इसीलिए तो जबकि वहां नदी की तरफ जाती थी तो गांव के हर मर्दों का ताता से लग जाता था उसे चलते हुए देखने के लिए क्योंकि जब वह चलती थी तो उस की गदराई गांड की लचक गांव के मर्दों के मन में लालच सी भर देती थी,,, रूपाली की मटकती गांड को देखकर सब के मुंह में पानी आ जाता था,,,, और तुरंत ही पजामे में तंबू सा बन जाता था,,,गांव के मर्द बिस्तर पर अपनी बीवी के साथ अवस्था में भी उत्तेजना का अनुभव ना करते हो जितना कि रूपाली को चलते हुए देखकर उसकी गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हो जाते थे उसके मांसल चिकनी कमर के कटाव को देखकर जिस तरह से कामोत्तेजना का अनुभव करते थे शायद ही उस तरह की उत्तेजना वह अपनी बीवी के साथ महसूस करते हो,,, क्योंकि रूपाली की बड़ी-बड़ी गोलाकार गगराई गांड को देखते ही उनके परिजनों में हलचल सी होने लगती थी और उसने तुरंत असंभव भी बन जाता था शायद रूपाली की चौड़ी गांड में उन्हें अपना मुंह मारने की इच्छा करती थी,, वह लोग अपने मन में यही कल्पना करते थे कि रूपाली जब अपने कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लगती होगी,,,, उसके बदन के हर एक अंग के बारे में कल्पना करते रहते थे,,,, हालांकि नजरों के पारखी कमर से बंधी हुई कसी साड़ी में से झांकते हुए उसके नितंबों के उभार को देख कर समझ जाते थे कि साड़ी के अंदर बवाल मचाने वाला सामान है,,, छातियों की चौड़ाई और उसका उभार उसकी मदमस्त कर देने वाली गोलाईयो को अपने आप ही प्रदर्शित करती थी,,, जिसे देखकर हर मर्द की आह निकल जाती थी,,,, साड़ी की किनारी जरा सी बगल में हो जाते ही बेहद आकर्षक नाभि और उसकी गहराई छोटी सी बुर से कम नहीं लगती थी,,,। जिसमे अपनी जीभ डालकर ओस की बूंद के सामान पसीने की बुंदो कि ठंडक को अपने अंदर उतारने को हर किसी का मन ललचता रहता था,,। सब मिलाकर रूपाली गांव के लिए स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा से कम नहीं थी जैसे भोगने की कल्पना गांव का हर एक मर्द करता रहता था और उसे याद करके उसकी मादक कल्पना में अपने आप को रचाते हुए मुट्ठ मारा करता था,,,।


सड़क पर चलते हुए रूपाली को भी इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि सभी मर्दों की नजर उस पर ही टिकी रहती थी,,, आते जाते सब की प्यासी नजर उसके अंगों पर ही टिकी रहती थी शुरु शुरु में रूपाली इन नजरों से बचने की पूरी कोशिश करती थी उसे शर्म महसूस होती कि उसे डर भी लगता था लेकिन धीरे-धीरे आदत सी बन गई थी,,, इसलिए वह अपनी ही मस्ती में आती जाती थी,,,।
देखते ही देखते दोनों भाभी और ननद नदी
पर पहुंच गए थे,,,।
 

devraja

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रूपाली और रूपाली की ननंद मंजू दोनों नदी पर पहुंच चुकी थी,,,,,, गांव की नदी बहुत खूबसूरत थी १२ महीने अपनी एक ही लय में बहती रहती थी,,, चारों तरफ फैली हरियाली नदी की सुंदरता को और ज्यादा बढ़ा देती थी,,,,। बड़े बड़े घने पेड़ों पर बसर करती पंछियां अपनी सुरीली आवाज से वातावरण को और ज्यादा खूबसूरत बना देती थी,,,। गांव की है नदी केवल खेती और प्यास बुझाने का साधन भर नहीं थी बल्कि,, यह नदी कामुकता के भी दर्शन कराती थी,,, गांव की औरतों का झुंड दोपहर तक इस नदी पर हमेशा बना रहता था यहीं पर औरतें कपड़े धोती थी और नहाती भी थी,,,,,, उनके बदन पर के वस्त्र नहाते समय उनकी खूबसूरती को और ज्यादा निखारते और उभारते थे,, गांव के मर्द उनके बदन के इसी उभार को देखने के लिए लालायित रहते थे और किसी ने किसी बहाने नदी पर पहुंच ही जाते थे,,,औरतों को यह बात अच्छी तरह से मालूम रहती थी लेकिन क्या करें वह लोग भी मजबूर थी कुछ औरतें शर्म महसूस करती थी और कुछ औरतें जानबूझकर अपना सब कुछ दिखाती थी,,,,,,,।


मंजू और रूपाली दोनों नदी पर पहुंचकर एक अच्छी सी जगह ढूंढने लगी और बड़े से पत्थर के पीछे उन्हें जगह मिल गई वहां पर दूसरी कोई औरत नहीं थी,,,।


चल मंजू उस पत्थर के पीछे चलते हैं,,,(रूपाली उंगली के इशारे से बड़े पत्थर के पीछे इशारा करते हुए बोली,,,)

हां भाभी वह जगह ठीक रहेगी ,,,( मंजू भी अपनी भाभी के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,,,,, इतना सुनते ही रूपाली आगे-आगे बड़े-बड़े पत्थर पर इधर-उधर पैर रखते हैं नीचे उतरने लगी और उसकी इस टेढ़ी-मेढ़ी चाल की वजह से उसकी भारी-भरकम भरावदार गांड पानी भरे गुब्बारे की तरह ऊपर नीचे होने लगी,,, जिसे देखकर मर्दों के मुंह में तो पानी आता ही था लेकिन मंजू के भी मन में हलचल सी मच ने लगी,,,, मंजू भी अपनी भाभी की बड़ी-बड़ी गांड की दीवानी थी क्योंकि एक औरत होने के नाते वह भी अच्छी तरह से यह बात जानती थी कि औरतों की खूबसूरती में उसकी गोल-गोल बड़ी गांड ही चार चांद लगाती है,,,, जो कि उसकी भाभी के पास भरपूर था,,,, आगे आगे चलती हुई अपने भाभी की मदमस्त चाल के साथ उसकी भारी-भरकम गांड की तुलना अपनी गांड से मन ही मन करने लगी जो कि किसी भी मामले में उसकी भाभी की गांड से बिल्कुल भी जोड़ नहीं मिला पा रही थी,,,,,,,,, इस बात को वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार उसकी गांड उसकी भाभी से छोटी क्यो है,,,इसका कारण उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था जिसका एक ही कारण था कि वह शादीशुदा नहीं थी और संभोग सुख से एकदम अनजान थी,,,, उसके बदन पर उसके अंगों पर उसके मखमली कोमल अंगों के अंदरूनी दीवारों पर मर्दाना अंग की रगड़ अभी तक नहीं हुई थी,,, और अगर मंजू भी यह शख्स प्राप्त कर लेती तो शायद उसके बदन में भी भराव आना शुरू हो जाता क्योंकि शादी होने के बाद से ही औरतों के बदन में उनके अंगों में भराव आना शुरू हो जाता है,,,, और इसी बात से अनजान थी,,,,।


रूपाली बड़े सहूलियत से और सलीके से एक हाथ में कपड़ों का ढेर लिएऔर दूसरे हाथ में बाल्टी लिए होने के बावजूद भी उसी हाथ से अपनी साड़ी को कमर से पकड़ कर हल्के से उठाए हुए थी,,, जिससे उसके बदन की कामुकता और अंगों की खूबसूरती और ज्यादा पर जा रही थी उसकी गोरी गोरी चिकनी और उसकी मांसल पिंटिया साफ नजर आ रही थी जिसे देखने वाला इस समय उस जगह पर कोई भी नहीं था,,, क्योंकि वह दोनों एक बड़े पत्थर के पीछे की तरफ जा रही थी जहां पर किसी की नजर नहीं पहुंच पाती थी,,, लेकिन मंजू अपनी आंखों से देख कर मन ही मन अपनी भाभी से ही ईर्ष्या कर रही थी,,,,,,,,, अपनी भाभी के कदमों का पीछा करते हुए मंजू भी जहां जहां पर रूपाली कदम रख रही थी वहां वहां पर वादी कदम रखकर आगे बढ़ रही थी वह देखते देखते दोनों बड़े से पत्थर के पीछे एक सुरक्षित जगह पर पहुंच गए थे जहां पर आराम से नदी के पानी में नहाया भी जा सकता था और कपड़े भी धोया जा सकता था,,,,,,,


रूपाली वहां पहुंचते ही कपड़े के ढेर को बड़े से पत्थर पर रख दी और बाल्टी को भी नीचे रख दी,,, और बोली,,,।


पहले कपड़े धोलु तब नहाऊंगी,,,(और इतना कहने के साथ ही नीचे बैठ गई,,,)



लाओ में भी मदद कर देती हूं,,,(और इतना कहकर वह भी नीचे बैठ गई,,,, दोनों भाभी और ननद गंदे कपड़ों को धोने लगे,,,,,,मंजू के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे जो कि अपने भाभी से पूछना चाहती थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी क्योंकि उसने अभी तक अपनी भाभी से उस तरह के मजाक कभी नहीं की थी,,, लेकिन अब उसका मन करने लगा था कि वह भी अपनी भाभी से गंदे गंदे मजाक करें क्योंकि वह देती थी कि गांव में,,,दूसरी ननदे अपनी भाभियों से गंदे गंदे मजाक करती रहती थी,,। लेकिन शुरू कैसे किया जाए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,।,,, दोनों भाभी और ननद अपनी दोनों टांगों को फैला कर उसने अपना सिर डालकर नजरें नीचे झुका कर कपड़ों को धो रही थी जिसकी वजह से रूपाली की खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए उतावली हो गई थी,,,, जिसे देखकर मंजू की भी हालत खराब हो रही थी,,,, मंजू कुछ बोलना चाहती थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी,,,, मैं तो उसी तरह से कपड़ों को मलमल कर दो रही थी जिसकी वजह से हाथ को आगे पीछे करने की वजह से उसकी गोल-गोल चूचियां आपस में रगड़ खा रही थी,,,,। चुचियों का घेराव कुछ ज्यादा था और क्लाउड छोटा इसे देखकर मंजू को थोड़ा डर भी लग रहा था कि जिस तरह से उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ खाकर इधर-उधर हो रही है कहीं उसकी वजह से ब्लाउज का बटन ना टूट जाए,,,,,,,, यह नजारा मंजू के लिए उन्माद पैदा कर रहा था,,,,,

रूपाली एक-एक करके धीरे-धीरे सारे कपड़ों को मलमल कर धो रही थी जिसमें मंजू उसका साथ दे रही थी,,,, मंजू की चुचियों का आकार नारंगी जितना था,,,जिसकी वजह से कपड़े धोते समय उसकी चूची के बीच जबरदस्त रगड़ हो ऐसा मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था इसलिए उसका मन थोड़ा उदास हो जाता था,,,। और वह अपना मन मसोस कर रह जाती थी,,,,।लेकिन थोड़ी देर बाद उसे वह नजारा नजर आया जिसके बारे में वह कभी सोची भी नहीं थी,,,उसकी भाभी कपड़े धोने में इतनी ज्यादा तकलीफ हो गई थी कि अपनी साड़ी को घुटनों के ऊपर तक चढ़ा दी थी और टांगों को फैलाए होने की वजह से,,, दोपहर की कड़ी धूप की रोशनी सीधे रूपाली की दोनों टांगों के बीच उसकी साड़ी के अंदर तक पहुंच रही थी और जिसकी वजह से उसकी बालों वाली बुर एकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही मंजू की आंखें चोडी हो गई,,, मंजू के लिए यह पहला मौका नहीं था जब वह किसी औरत की बुर को देख रही थी इससे पहले भी नहाते समय सौच करते समय अपने साथ की सहेलियों और औरतों की बुर को वह पहले भी देख चुकी है,,,लेकिन यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी ही भाभी की बुर को अपनी आंखों से देख रही थी उस पर रेशमी मखमली बालों के झुरमुट को देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी थी,,,।
मंजू के हाथ कपड़ों पर चलते चलते रुक गए थे वह अपनी भाभी की बुर के आकर्षण में पूरी तरह से खो चुकी थी,,,,,, एक औरत का एक औरत के प्रति आकर्षण एक अद्भुत घटना के बराबर होती है क्योंकि एक औरत एक औरत के प्रति तभी आकर्षित होती है जब उसमें कुछ ज्यादा ही खूबसूरती नजर आती हैं जो कि मंजू को अपनी भाभी की खूबसूरती में नजर आ रही थी वैसे तो जिस तरह की बुर उसकी भाभी की थी उसी तरह की बुर उसकी भी थी लेकिन उसकी भाभी की बुर में अजीब सा आकर्षण था,,,,।


मंजू अपनी भाभी की दिल तोड़ के प्रति जिस तरह से आकर्षित होते हुए अपने आपको महसूस करते हुए अपने मन में सोचने लगी कि जब उसका यह हाल है तो दूसरे मर्द इस हाल में उसकी भाभी को देखले तो उनका क्या होगा,,,, पर उसके बड़े भाई का जो कि उसका तो उसके भाभी पर पूरी तरह से हक था और वह रात में उस की चुदाई भी करता था,,,उसे समझ में आने लगा था कि इसीलिए तो उसके भैया उसकी भाभी की पूरी तरह से दीवाने हो चुके हैं दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी अपनी पूरी तरह से सुगठित और खूबसूरत थी ऐसा लगता था कि बच्चों के जन्म के बाद इस उम्र में भी उसकी खूबसूरती बढ़ती जा रही थी,,,,।


रूपाली का ध्यान अपनी खुली हुई टांगों पर बिल्कुल भी नहीं था और उसमें से चाहत रही उसकी बुराई तो बिल्कुल भी नहीं उसे इस बात का अंदेशा भी नहीं था कि उसका सब कुछ नजर आ रहा है,,,, मंजू से रहा नहीं जा रहा था और ना चाहते हुए भी वह अपनी भाभी से बोली,,,।


भाभी तुम्हारी वह नजर आ रही है,,,


क्या,,,?(रूपाली कपड़े धोने में इतनी तल्लीन हो गई थी कि मंजू की बात पर पूरी तरह से ध्यान दिए बिना ही बोली तो इस बार एक औरत होने के नाते दूसरी औरत से शर्म क्या करना इस बारे में सोचकर वह बोली),,,


भाभी तुम्हारी बुर नजर आ रही है,,,,।
(मंजू है शब्द एकदम शरमाते हुए बोली थी और मंजू के शब्दों को सुनते ही जैसे रूपाली को तेज झटका लगा हो और मैं तुरंत अपनी दोनों खुली हुई टांगों के बीच नजर डाली तो वास्तव में उसकी बुर साफ नजर आ रही थी वह तुरंत अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ ली,,, यह देखकर मंजू हंसने लगी उसे हंसता हुआ देखकर रूपाली बोली,,)


हंस क्या रही हो,,, ऐसा लगता है कि जैसे तुम्हारे पास है ही नहीं,,,,


मेरे पास भी है बाद में एक तुम्हारी जितनी खूबसूरत नहीं है (मंजू हंसते हुए बोली,,,)


क्यों मेरे में पंख लगे हुए हैं क्या,,,?(कपड़ों को बाल्टी में डालते हुए बोली)


पंख नहीं लगे हुए हैं लेकिन तुम्हारे बुर के बाल मुझे बहुत खूबसूरत लग रहे हैं,,,,।



धत पागल हो गई है तू ,,,, जैसे मेरी है वैसे तेरी भी है कुछ अलग नहीं है,,,,(रूपाली मुस्कुराते हुए बोली)


नहीं भाभी तुम्हारी सबसे अलग है,,,


क्यों तू सबकी देखती रहती है क्या,,,?

देखती तो नहीं रहती हो लेकिन जिस तरह से तुम्हारी नजर आ गई है उसी तरह से दूसरों की भी नजर आए जाती है इसलिए कहती हूं कि तुम्हारी सबसे खूबसूरत है,,,



तेरी शादी हो जाएगी ना तो तेरी भी खूबसूरत हो जाएगी,,,(बचे हुए कपड़ों को बाल्टी में डालते हुए रूपाली बोली उसकी मुस्कुराहट उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे)



क्यों भाभी शादी होने के बाद खूबसूरत क्यों हो जाएगी,,,


अरे ये तो शादी हो जाएगी तभी पता चलेगा,,,,(रूपाली र बात को टालने की गरज से बोली,,,)


नहीं नहीं भाभी मुझे बताओ शादी हो जाने के बाद ही क्यों खूबसूरत हो जाएगी,,,,


धत्त तु बिल्कुल पागल इतनी बड़ी हो गई लेकिन कुछ पता ही नहीं है चल अब रहने दे मुझे नहाने दे कपड़े धुल गए हैं,,,(इतना कहने के साथ ही रूपाली खड़ी हो गई और चारों तरफ नजर घुमाकर यह तसल्ली करने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है और पूरी तरह से तसल्ली करने के बाद अपनी साड़ी को कंधों पर से हटा कर उसे कमर से खोलने लगी,,,)



नहीं भाभी पहले बताओ वरना आज मैं नदी में जाने नहीं दूंगी,,,(इतना कहने के साथ ही मंजू भी खड़ी हो गई और साड़ी के पल्लू कस के अपने हाथों में पकड़ ली,,,, रूपाली तो उसके हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू को छुडाते हुए बोली,,)


मंजू रहने दे मुझे नहाने दे देर हो रही है,,,(रूपाली अपनी मेहनत के हाथों से साड़ी के पल्लू को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली)


नहीं भाभी आज तो मैं तुम्हें नहाने नहीं दूंगी जब तक तुम बताओगी नहीं,,,,,
(मंजू को इतना अंदाजा तो था कि उसकी भाभी किस बारे में बात करेंगे लेकिन वह अपनी भाभी के मुंह से सुनना चाहती थी इसलिए वह जिद कर रही थी उसकी भाभी भी तैश में आकर बोली,,,)


अच्छा तु नहीं मानेगी,,,


नहीं भाभी बिल्कुल भी नहीं मानूंगी,,,, शादी होने के बाद ही क्यों मेरी वह खूबसूरत हो जाएगी,,,।)


क्योंकि मेरी ननद रानी शादी के बाद जब तेरा आदमी अपना लंड तेरी बुर में डालकर चोदेगा तो खुद ब खुद तुझे समझ में आ जाएगा,,,,
( रूपाली एकदम खुले शब्दों में अपने ननद से बोल दी और मंजू अपनी भाभी की बात सुनते ही एकदम शर्मा गई,,, और उसके साड़ी के पल्लू को छोड़ दी अपनी ननद को इस तरह से शर्माता हुआ देखकर रूपाली मुस्कुराते हुए बोली,,,)


अब समझ में आया तुझे कि मेरी बुर ईतनी खूबसूरत क्यों हो गई है,,,,(साड़ी को पूरी तरह से खोलकर नीचे पत्थर पर रखते हुए बोली,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर मंजू को शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी भाभी की बात ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को पैदा कर रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कुछ होता हुआ महसूस हो रहा था,,, रूपाली की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसका शर्म थोड़ा-थोड़ा खुलते जा रहा था इसलिए वह भी बोली,,,)

मतलब भैया तुम्हारी बुर में रोज अपना लंड डालते हैं तभी इतनी खूबसूरत हो गई है,,,,(इतना बोलने में मंजू शर्म से पानी पानी हो गई थी लेकिन इतना बोलने में जो सुख उसे प्राप्त हुआ था शायद ही कोई बात कोई शब्द बोलने में उसे इतना मजा आया था रूपाली भी हैरान थी अपनी ननद के मुंह से इस तरह से खुली बातें सुनकर फिर भी हंसने लगी क्योंकि वह जानती थी मंजू शादी लायक हो चुकी है बस शादी करने की देरी है इसलिए उसके मन में भी इस तरह की बातें भावनाएं उमड रही होगी,,,,,इसलिए अपनी ननंद कि इस तरह की बातें सुनकर उसका जवाब देते हुए रूपाली मुस्कुरा कर बोली,,,)


डालेंगे ही ना शादी करके लाए हैं यही तो करने के लिए लाए हैं,,,रोज रात को मेरी बुर में लंड डाल देते है और चोदना शुरू कर देते हैं,,,,(रूपाली के चेहरे पर यह गंदी बात बोलते हुए शर्म की लाली अपनी लालिमा भी कह रही थी उसका मुखड़ा और खूबसूरत लग रहा था और वह अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतारे बिना नदी के पानी में धीरे धीरे उतरने लगी और पीछे पीछे मंजू लेकिन वह ना तो अपनी सलवार उतारी थी ना ही कुर्ती ऐसे ही नदी में उतर रही थी,, अपनी भाभी की बात सुनकर मंजू बोली,,,)


अच्छा,,,तभी मैं सोचूं कि तुम्हारे कमरे से अजीब अजीब सी आवाजें क्यों आती है भैया तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदते है फिर तभी तुम्हारे मुंह से आवाज निकलती है,,,
(इतना कहते हुए मंजू के दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी और इस तरह की बातों को सुनकर मत हो एकदम से शर्मा गई थी और शरमाते हुए बोली,,,)


तु लगता है यहीं सब आवाज सुनती रहती है,,,,(रूपाली पूरी तरह से नदी में उतर चुकी थी,,, उसका पेटीकोट पानी की सतह के एग्जाम उत्तर गुब्बारे की तरह फुल कर उड़ने जैसा हो गया था जिसे रूपाली अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे पानी में डालते हुए बोली,,,,)


मैं जानबूझकर तो सुनती नहीं हुं,,, आवाज आती है तो कानो में रुई तो ठुंस नहीं लूंगी,,,,(इतना कहते हुए वह नदी के पानी को अपने हाथों से ही अपने ऊपर डालने लगी,,, और रूपाली भी अपने उपर पानी डालने लगी,,, देखते ही देखते मंजू के साथ-साथ रूपाली का ब्लाउज भी पूरी तरह से भीग गया और उसके बदन से एकदम से चिपक गया जिसकी वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां का आकार एकदम साफ छलकने लगा और उसकी कड़ी कड़ी निप्पल कीसी भाले की नोक की तरह ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर होने लगी,,, क्योंकि मंजू को साफ नजर आ रहा था अपनी भाभी की विशाल छातियों को देखकर मंजू मुंह में पानी लाते हुए बोली,,,।


हाय भाभी तुम्हारी उसने आज तक कितनी बड़ी-बड़ी है मेरी तो कितनी छोटी है तुम्हारी एकदम खरबूजे जैसी है मेरी तो एकदम संतरे की तरह है,,,,,


मैं कह रही हूं चिंता मत कर तेरी शादी जब हो जाएगी ना तो तेरा आदमी जब जोर जोर से दबाएगा उसे मुंह में भरकर पिएगा तो यह भी बड़ी हो जाएगी,,,,
(रूपाली एक नजर अपनी चुचियों की तरफ डालकर मंजू को तसल्ली देते हुए बोली)

धत् भाभी तुम तो हमेशा,,,,


अरे हमेशा क्या सच कह रही हूं मैं भी जब शादी करके आई थी तो,,,मेरी चूचियां भी तेरे जैसी ही थी छोटी छोटी लेकिन तेरा भैया इसे दबा दबा कर एकदम खरबूजे जैसी बड़ी कर दीए है तभी तो इनकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई है,,, सच कहूं तो औरतों की खूबसूरती बड़ी-बड़ी चुचीयां और बड़ी-बड़ी गांड से ही होती है,,,,।

(रूपाली मजाक ही मजाक में मंजू को औरतों के बदन की सच्चाई बता रही थी जो कि यह सच भी था,,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर मंजू बोली,,)

क्या तुम सच कह रही हो भाभी,,,?


हा रे में एक दम सच कह रही हूं देखना जब तेरी शादी हो जाएगी ना तो तेरे बदन में भी भराव आना शुरू हो जाएगा तेरी छोटी छोटी चूचियां बड़ी हो जाएंगी तेरी गांड भी बड़ी हो जाएगी और तेरी बुर भी एकदम खूबसूरत हो जाएगी तब देखना तेरी खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे बस एक बार शादी हो जाने दो,,,,,,,
(शादी वाली बात सुनकर मंजू अपनी शादी के बारे में सोचने लगी क्योंकि वह भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि शादी के बाद औरतों की जिंदगी बिस्तर पर और ज्यादा खूबसूरत हो जाती है,,,एक मर्द के हाथों में उनका खूबसूरत बदन आकर और भी ज्यादा खिल उठता है,,,, देखते देखते दोनों भाभी और ननद नहा चुके थे और नदी से बाहर आ गए थे,,,,,

रूपाली बड़े से पत्थर के पीछे खड़ी होकर,,,अपनी ब्लाउज के बटन खोलने लगी और अपने ब्लाउस को पूरी तरह से उतारती है इससे पहले ही पेटीकोट को अपने सर के ऊपर से डालकर अपने बदन को ढकने लगेगा और ढकने के बाद अपने ब्लाउज के साथ-साथ अपने पेटिकोट की डोरी खोल कर उसे भी नीचे अपने पैरों के सहारे से उतार दी,,, पेटिकोट के अंदर वह पूरी तरह से नंगी थी मंजू भी इसी तरह से एक एक कर के अपने सारे कपड़े उतारती थी लेकिन पूरे कपड़े उतारने से पहले अपनी कुर्ती पहली थी जो कि उसके कमर के नीचे तक आती थी,,,, लेकिन कुर्ती को अपनी कमर से नीचे करते समय इसकी गोरी गोरी सुडोल चिकनी गांड को देखकर बोली,,,)




मंजू तेरी गांड तो अभी से इतनी खूबसूरत है जब तु अपने आदमी से चुदवाएगी और तेरी गांड ओर बड़ी होगी तब तो तू एकदम कयामत लगेगी,,,।

(अपनी भाभी की बात सुनते ही मंजू एकदम से शर्मा गई
तब तक रूपाली अपने कपड़े बदल चुकी थी,,,, और धुले हुए कपड़े को समेटने लगी थी,,,,,,अपनी भाभी की बात सुनकर मंजू कुछ बोले नहीं थी बस मुस्कुराते हुए अपने उतारे हुए कपड़े और अपनी भाभी को उतारे कपड़े को धोने लगी और थोड़ी देर बाद सारे कपड़ों को इकट्ठा करके बाल्टी और लौटे को लेकर घर की तरफ निकल गई,,)
 

devraja

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नहाने के बाद रूपाली और मंजू दोनों की खूबसूरती और ज्यादा खील उठी थी,,,,,, नदी पर नहाते समय दोनों के बीच जिस तरह की गंदी बातें हुई थी उसको लेकर मंजू की हालत खराब हो रही थी,,,,,रूपाली को अपनी ननद से इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो आजकल तो लगा था लेकिन उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ा था क्योंकि वह तो खेली खाई थी,,, दो बच्चों की मां थी,,,,, लंड बुर चुदाई शब्द उसके लिए कोई नया नहीं था यह सब मंजू के लिए बिल्कुल नया था इस तरह की बातें करने से ही उसकी टांगों के बीच की पतली दरार से मदन रस का रिशाव होना शुरू हो जाता था,,,,,,,,


दूसरी तरफ रविकुमार परेशान था इस बात को लेकर कि आज वह अपनी बहन के बारे में बहुत ही गंदी बातें सोच गया था,,, ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था,,, यह पहली मर्तबा था जब वह अपनी बहन को झाड़ू लगाते हुए देख रहा था उसकी मस्त कर देने वाली नारंगी जैसी चुचियों को देख कर उसके खुद के मुंह में पानी आ गया था,, उसकी गदराई गांड पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी और उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बहन वाकई में बहुत खूबसूरत है,,,,,, और बस इतने में वह अपनी बहन के बारे में गंदी बातों को सोचने लगा,,, इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी अगर वह भाई के नजरीए से देखता तो शायद उसे अपनी बहन को लेकर इतने गंदे विचार कभी नहीं आते लेकिन वह एक मर्द के नजरिए से देख रहा था,, अपनी गलती पर उसे पछतावा भी हो रहा था,,,,,,,,, जिसके कारण आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था स्टेशन के बाहर वह बड़े से आम के पेड़ के नीचे अपनी बेल गाड़ी खड़ी करके बैलगाड़ी में ही बैठा हुआ था,,, कुछ सवारियों को ले जाने के लिए उसने इनकार भी कर दिया यह देखकर उसके बाकी के साथी पूछने लगे कि आखिर वह सवारी क्यों नहीं ढो रहा,,, जवाब में उसने तबीयत ना ठीक होने का बहाना कर दिया,,,,। उस दिन के बारे में सोचने लगा था वह आपने मरती हुई मां को वचन दिया कि वह मंजू को अपनी छोटी बहन नहीं बल्कि अपनी लड़की समझ कर उसका पालन पोषण करेगा और उसकी अच्छे से शादी भी करेगा,,,,,, और अब तक उसने अपने वचन को निभाता भी आया बस हाथ पीले करने के लिए हाथ में पैसे कम पड़ रहे थे,,, अच्छा सा घर बार देखकर रविकुमार उसकी शादी करने के फिराक में था,,,,,,, उसे इस बात का अफसोस भी था की पहले मंजू की शादी करने की जगह वह अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुका था,,,,,, उस समय हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि उसे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,, जिसकी वजह से मंजू की शादी में विलंब होने लगा,,,,,,,, यह सब भी वह अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा भरोसा था लेकिन आज सुबह जो कुछ भी हुआ था उससे वह पूरी तरह से हील चुका था,,, अपने ख्यालों को वह दफन कर देना चाहता था ताकि इस तरह के ख्याल उसके मन में कभी दोबारा ना उभरे,,,,,।

अपने मन को अपने आप को कसम में बांधकर वह अपने आप को तसल्ली देने लगा यही कशमकश में शाम हो गई,,, दूसरे बैलगाड़ी वाले वहां से जा चुके थे,,, वह अभी भी वहीं खड़ा था आज कोई सवारी बैठा या नहीं था इसलिए एक आने की भी कमाई नहीं हुई थी,,,,, फिर भी उसे आज अफसोस नहीं था,,,वह अपनी बहन गाड़ी लेकर जाने ही वाला था कि तभी उसे एक सवारी ने आवाज लगाया,,, और वह रुक गया,,वैसे तो सवारी दे जाने का उसका मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन उस सवारी को उसी गांव जाना था जहां पर नामदेवराय का घर था,,, और आज रविकुमार को नामदेवराय के ब्याज के पैसे भी चुकाने थे इसलिए उस सवारी को बैठा लिया,,,,।

शाम ढल चुकी थी और रात की स्याही वातावरण में फैल रही थी,,, रविकुमार सवारी को गांव में उतार कर नामदेवराय की हवेली की तरफ बढ़ चुका था और हवेली पर पहुंचकर,,, बेल गाड़ी खड़ी किया और हवेली मैं प्रवेश किया दरवाजे पर आज कोई नहीं था,,,,,, धीरे-धीरे वह अंदर की तरफ बढ़ने लगा,,,दो-तीन बार मालिक मालिक कहकर आवाज भी लगाया लेकिन कोई जवाब नहीं,,,,,, रविकुमार के मन हो रहा था कि वापस लौट चलें कल आकर पैसे दे देगा लेकिन वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि लाना वक्त का बेहद पाबंद है जिस समय पर तय किया गया उसी समय पर पैसा चुकाने पर ही गनीमत है वरना वह और ज्यादा ब्याज लगा लेता है,,,,इसलिए रविकुमार अपने मन में सोचा कि यहां तक आ गया है तो पैसे देकर ही घर जाएगा लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, रविकुमार धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और जैसे ही नामदेवराय के कमरे के करीब पहुंचा तो उसे अंदर से जोर-जोर से हांफने की आवाज आ रही थी,,,,,,, रविकुमार थोड़ा बहुत घबराया हुआ था इसलिए उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह दरवाजे पर पहुंचकर दरवाजा पूरी तरह से खुला हुआ था और सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,,,,,,

बिस्तर पर एक औरत पूरी तरह से नंगी घुटनों के बल और हाथ की कोहनी केबल बैठकर झुकी हुई थी उसकी गांड हवा में लहरा रही थी और उसके ठीक पीछे नामदेवराय उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर जोर-जोर से चोद रहा था,,,रविकुमार को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वहां खड़ा रहेगा वापस लौट जाएं इतना समय उसके में बिल्कुल भी नहीं था,,,, रविकुमार आखिरकार एक इंसान ही था,,, और मानव मन से ग्रस्त होकर इस हालात में भी उस औरत के चेहरे को देख कर पहचानने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा कर पाना उसके लिए बेहद नामुमकिन सा था,,, क्योंकि उस औरत के घने काले काले लंबे बाल उसके एक तरफ के चेहरे को ढक कर रखे हुए थे,,,और उसी तरफ रविकुमार भी खड़ा था जिससे उस औरत को पहचाने नहीं मैं उसे बेहद दिक्कत हो रही थी क्योंकि उसका चेहरा ही नहीं दिख रहा था,,,,,उस औरत की गरम सिसकारी की आवाज रविकुमार के कानों में बराबर सुनाई दे रही थी और नामदेवराय बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की चुदाई कर रहा था,,। पल भर में ही रविकुमार की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का दृश्य नामदेवराय के कमरे में देखने को मिलेगा,,,अभी तक उन दोनों में से किसी की भी नजर रविकुमार पर नहीं गई थी,, नामदेवराय बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,,,,,,

और जोर से ,,,,,और जोर से,,,,, कहते हुए वो औरत नामदेवराय को और ज्यादा उकसा रही थी,,,,, रविकुमार इससे ज्यादा देख पाता इससे पहले ही,,,,, उसके हाथ से,,, दरवाजे के पास ही सजावट के लिए रखा हुआ पीतल का घड़ा नीचे गिर गया और उसकी आवाज के साथ ही नामदेवराय एकदम घबराते हुए दरवाजे की तरफ नजर घुमाकर देखा तो वहां रविकुमार खड़ा था वह एकदम से सन्न रह गया,,, उस औरत की तो एकदम सांस ही अटक गई लेकिन वहां अपनी नजरों को दरवाजे की तरफ नहीं तुम्हारी उसी तरह से झुकी रह गई,,,, रविकुमार को दरवाजा पर खड़ा हुआ देखकर नामदेवराय जोर से चिल्लाया,,,।


रविकुमार यह क्या बदतमीजी है,,,,


मममम,,, मालिक मुझसे भूल हो गई कोई नहीं था तो मैं यहां तक आ गया,,,,



तो क्या अभी भी यही खड़े रहने का विचार है,,,,( नामदेवराय उसी अवस्था में अपने लंड को पूरी तरह से उस औरत की बुर में घुसाए हुए और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से थामे हुए बोला,,,, नामदेवराय को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे रंग में भंग पड़ गया हो और वह इस कार्य को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था इसीलिए तो अपने आप को अपने नंगे बदन को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया था और ना ही उस औरत ने जिस अवस्था में थी उसी अवस्था में मूर्तिवंत बनी रही,,,,)


मममम,,, मालिक आज की तारीख थी पैसे देने आया हूं,,,(रविकुमार घबराते हुए हाथ जोड़कर बोला लेकिन उसकी नजर उस औरत के नंगे बदन पर घूम रही थी,,,)

तो क्या पैसे मुझे यहां देगा बाहर बैठ कर इंतजार कर मैं आता हूं,,,,,,, जा अब भाग यहां से,,,
(नामदेवराय गुस्से में आ चुका था और उसके गुस्से को देखकर रविकुमार का वहां खड़े रहना ठीक नहीं था बस तुरंत बाहर मेहमान खाने में आकर बैठ गया,,,)


हराम जादा मादरचोद,,,,,(रविकुमार को गंदी गाली देते हुए जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया तभी वह औरत बोली,,)


तुमको बोली थी भैया दरवाजा बंद कर लो लेकिन तुम तो इतने नशे में हो जाते हो कि दरवाजा बंद करना भी भूल जाते हो,,,,,,, अगर वह यह सब जाकर बाहर कह दिया तो,,,मेरे साथ साथ आपकी भी बदनामी हो जाएगी और गांव वाले क्या कहेंगे,,,,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सोनी रविकुमार तुम्हारा चेहरा नहीं देख पाया है,,,, तुम्हारे घने घने रेशमी बालों की कारण आज हम दोनों साफ साफ बच गए हैं,,,,(नामदेवराय उसके रेशमी बालों को अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला),,,,


बस भैया अब रहा नहीं जाता जोर जोर से धक्के लगाओ,,, आज पूरा लंड डाल दो मेरी बुर में फाड़ दो अपनी बहन की बुर,,,,,, भैया,,,,,


यह बात है,,,,, तो ले मेरी रानी बहन,,,,तेरा बड़ा भाई कैसी तेरी चुदाई करता है कैसी तेरी बुर का भोसड़ा बनाता है,,,,,(इतना कहते ही नामदेवराय जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया और उसके मुंह से आहहह आहहहह की आवाज पूरे कमरे में गुंजने लगी,,, उसके पपीते जैसे बड़े-बड़े चूचियां नीचे हवा में झुलने लगे,,, जिससे नामदेवराय अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया था और जोर जोर से दबा रहा था,,,, कजरी उसकी छोटी बहन थी जो कि शादी के बाद ३ साल के भीतर ही बिधवा बन गई थी,,, कोई बच्चा नहीं था ससुराल वाले कुछ महीने तक उसे अपने साथ रखें और वापस उसे अपने मायके भेज दिए,,,, कजरी बहुत ही कामुक औरत थी,,, उसे छत्रछाया भी चाहिए थी और अपने बदन की प्यासी भी बुझाना था वो जानती थी कि उसका भाई शादी नहीं किया था इसलिए उसकी भी कुछ जरूरते थी,,, और वह अपने भाई के साथ संबंध बना बैठी,,, नामदेवराय भी तन का प्यासा था,,,,जब उसकी बहन खुद तैयार थी तो उसे भला क्या कर आज हो सकता था और तब से दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया और हर रात नामदेवराय अपनी बहन की चुदाई करता था,,,, जिससे नामदेवराय और पूरे हवेली में कजरी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था जो कजरी कहती थी वही होता था,,,,,,,, दुनिया की नजरों में अच्छे बने रहने के लिए नामदेवराय की बहन कजरी गांव के बच्चों को घर बुलाकर पढ़ाती भी थी जिससे गांव में उसकी इज्जत मान सम्मान बढ़ गया था,,,,
नामदेवराय के धक्के तेज रफ्तार से शुरु हो गए थे जिसे कजरी बड़े आराम से झेल ले रही थी,,,, दोनों की सांसो की गति तेज हो गई थी नामदेवराय की बहन कजरी बिस्तर पर बिछाए हुए चादर को अपनी मुट्ठी में जोरों से भींच ली थी,,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,,,, नामदेवराय अपनी बहन की चिकनी सीट पर मुंह रखकर उसकी चिकनी पीठ को चाटते हुए झडने लगा था,,,, जब दोनों की सांसे दुरुस्त हुई तो नामदेवराय अपनी बहन के ऊपर से उठा और नामदेवराय की बहन कजरी चादर को अपने बदन पर डालते हुए बोली,,,,।


भैया जाकर उस रविकुमार को डांटना तो,,,, कहीं बाहर जाकर सबको बक ना दे,,,,,,,


तुम चिंता मत करो कजरी मैं अभी जाकर उसी खबर लेता हूं और वैसे भी वह तुम्हें देखा नहीं है,,,,,,(इतना कहते हुए नामदेवराय अपनी कमर पर धोती बांधते हुए कमरे से बाहर निकल गया और दूसरी तरफ मेहमान खाने में रविकुमार बैठकर कमरे के अंदर के दृश्य के बारे में सोच रहा था और बार-बार यह सोच रहा था कि नामदेवराय तो विवाहित नहीं है शादी नहीं किया है तो वह कीस औरत को चोद रहा था,,, बिस्तर पर घुटनों के बल बैठकर चुदवाने वाली वह औरत कौन थी,,,, वह और चेहरा को सोचता है इससे पहले ही नामदेवराय वहां आ गया और रविकुमार को डांटते हुए बोला,,,।)


रविकुमार तू पागल हो गया क्या तुझे जरा भी तमीज नहीं है कि किसी के घर कैसे जाया जाता है,,,, और तू कोई घर का सदस्य नहीं है जो बिना पूछे घर में घुस गया,,,,


नहीं नहीं मालिक मैं माफी चाहता हूं ऐसी कोई बात नहीं है मुझसे भूल हो गई मुझे माफ कर दो,,,,


ठीक है आज तो माफ कर देता हूं लेकिन आएगा इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए और यह बात भी तो कान खोल कर सुन लेना कि अगर कमरे वाली बात बाहर गई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,



नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा आप तो हमारे मारी बात है भला आपके बारे में अनाप-शनाप बोल कर अपने पैर पर क्यों कुल्हाड़ी मारे,,,, भरोसा रखिए मालिक कमरे की बात मेरे सीने में दफन हो गई है यह बात किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,,,



ठीक है लाओ रुपए,,,,,



मैं कल आ जाता मालिक लेकिन मैं जानता हूं कि दिए हुए तारीख पर ही पैसा चुकाना जरूरी होता है इसलिए मुझे आना पड़ा,,,(रविकुमार अपने कुर्ते के जेब में हाथ डालकर पेसे निकालते हुए बोला,,,,)


यह लो मालिक,,,,,(इतना कहने के साथ ही रविकुमार हाथ आगे बढ़ाकर रुपए को नामदेवराय के हाथों में रखने लगा इसे नामदेवराय बड़े प्यार से हाथ आगे बढ़ा कर रुपए को अपने हाथों में ले लिया,,, और गिनने लगा,,,, पूरे रुपयों की तसल्ली कर लेने के बाद वह रविकुमार से बोला,,,,)


ठीक है तू वादे का पक्का है इसीलिए जरूरत पड़ने पर तुझे रूपए उधार दे देता हूं,,,,,,


इसीलिए तो आपके द्वार पर आते हैं मालिक,,,,


ठीक है रविकुमार अब तु जा सकता है,,,,


ठीक है मालिक,,,,(और इतना कहने के साथ ही रविकुमार हवेली से बाहर आ गया उसके मन मस्तिष्क पर नामदेवराय के कमरे वाला दृश्य पूरी तरह से छप चुका था,,,,और वह घर पहुंच कर खाना खाने के बाद सोने के लिए जैसे ही अपने कमरे में गया वैसे ही अपने बीवी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया और ताबड़तोड़ उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया जिसकी सिसकारी की आवाज सुनकर बाजू वाले कमरे में सो रही मंजू की भी हालत खराब होने लगी,,,।
 

devraja

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ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,,,,, रविकुमार का जीवन बड़े अच्छे से व्यतीत हो रहा था जिंदगी रेलवे स्टेशन और घर की दूरी पर सिमट कर रह गई थी लेकिन फिर भी रविकुमार को बेहद सुकून मिलता था दिन भर की थकान भरा चेहरा लेकर जब वह घर पहुंचा था तो अपनी बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखकर फिर से हरा भरा हो जाता था अपनी सारी थकान रात को सोते समय बिस्तर पर निकाल देता था,,,,।

गर्मी का मौसम अपने जोरों पर था,,, वातावरण में चिलकती धूप अपना पूरा असर दिखा रही थी,,,, गांव में, कुछ लोग खेतों में काम कर रहे थे और कुछ लोग घरों पर आराम कर रहे थे,,, बच्चे बड़े-बड़े पेड़ों के बगीचे में खेल का मजा ले रहे थे,,,,,,, गांव में घना आम का बगीचा भी था जिस के छांव के नीचे गर्मी में अक्सर गांव के लोग आराम किया करते थे,,,,


ऐसे ही नौजवानों का एक झुंड गिल्ली डंडा खेलने में लगा हुआ था,,,,,,,, और तबीयत नौजवान डंडे की चोट से गिल्ली को हवा में उछाला और डंडे से उसे फटकारा और गिलली,, आठ से दस लड़कों के ऊपर से उड़ते हुए जाकर एक मटके से टकरा गई और मटकी फूट गई,,,,,,, और मटका ली हुई औरत एकदम से झेंप गई और जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी मटकी गिल्ली लगने के कारण फूट गई है, वह जोर-जोर से गाली देने लगी,,,।


कौन है रे,,,, हरामी , साला कुत्ता,,, हरामजादा,,,,(सर पर मटकी ले जाने के कारण उसके फूटते ही उसका पानी उसके पूरे बदन पर गिर गया था जिसकी वजह से वह पूरी तरह से भीग गई थी,,,उस औरत की टूटी हुई मटकी और उसकी हालत को देखकर उनमें से एक लड़का थोड़ा घबराते हुए बोला,,)


बाप रे सुधियां काकी ,,,,, सुरज आज तो तु गया,,,,

अरे,,,,, मैंने कोई जानबूझकर थोड़ी ना मटकी फोड़ा हुं,,, वो तो गलती से लग गई,,,,(सुरज उससे घबराते हुए बोला,,)


कुछ भी हो सुरज मटकी तो,,, तेरे से ही फुटी है,,,, और गिल्ली भी तुझे ही मांग कर लानी होगी,,,,,,


नहीं नहीं ये मुझसे नहीं होगा,,,, वह मुझे अजीब सी नजरों से देखती है,,,,,,,,
(उसका इतना कहना था कि दूसरा लड़का तुरंत वहां पहुंच गया और सुधियां काकी से गिल्ली मांगने लगा,,,)


काकी गिल्ली दे दो ना,,,, भूल से लग गई,,,,


तो तू था रे मादरचोद तूने मेरी मटकी फोड़ी हराम के जने,,,, कुत्ता साले हरामी,,,,(उस लड़की को देखते ही सुधियां काकी एकदम से उस पर भड़कते हुए बोली,,, क्योंकि वह जानती थी उस लड़के का नाम शुभम था,,, और उसकी नजर गांव की हर औरत पर खराब ही रहती थी,,,)


नहीं नहीं चाची मैं गिल्ली थोड़ी मारा,(वह लड़का,,, सुधियां काकी की भरी हुई छातियों की तरफ जो कि पानी के गिरने के कारण पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी तनी हुई निप्पल साफ झलक रही थी,।,,,)

तो कौन मारा रे,,,,,(गुस्से में उस लड़के की तरफ देख कर बोली,,,)

वो,,,,वो,,,, सुरज ने मारा ,,,,,(उंगली से सुरज की तरफ ,,, इशारा करते हुए वह बोला,,,)


अच्छा तो यह सुरज की करनी भरनी है कहां है सुरज,,,,, इधर आ तो,,,,(सुरज की तरफ हाथ का इशारा करके उसे अपने पास बुलाते हुए वह बोले शुभम वहीं खड़ा था शुभम को अच्छी तरह से मालूम था कि सुधियां काकी का झुकाव सुरज की तरफ ज्यादा था,,, और इसी बात से शुभम को जलन भी होती थी शुभम को अभी भी वहीं खड़ा देखकर सुधियां गुस्साते हुए बोली,,,)

तु अभी तक यहीं खडा है,जा उसे भेज और यह गिल्ली उसे ही मिलेगी दूसरा कोई आएगा तो उसे नहीं मिलने वाली,,, समझा जा जाकर जल्दी भेज उसे ,,,,

ठीक है काकी में उसे अभी भेजता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही शुभम भागते हुए सुरज के पास गया और जाकर बोला,,,)



जा ओ रंडी तुझे बुला रही है उसे तेरा पसंद आ गया है,,,


नहीं यार मुझे डर लगता है,,,, तू जाकर मांग ले,,,( सुरज घबराते हुए बोला)


भोसड़ी के मुझे देती तो मैं मांग कर नहीं लाया होता,,,,,, वो तुझे ही अपना देगी,,, अब जल्दी से जा और मांग कर ला खेल रुक गया है,,,,।

(इतना सुनकर सुरज धीरे-धीरे सुधियां काकी की तरफ बढ़ने लगा सुरज सुधियां काकी से बहुत डरता था क्योंकि वह बहुत गालियां देती थी और उसकी हरकतें सुरज को अजीब लगती थी,,, सुरज को अपनी तरफ आता देखकर सुधियां काकी मन ही मन में मुस्कुराने लगी सुधियां काकी का व्यक्तित्व थोड़ा कामुक था,,,। दो बेटो की शादी हो चुकी थी घर में दो बहुए थी,,, लेकिन अभी भी उसमें जवानी का रस पूरी तरह से भरा हुआ था,,, पति मैं अब इतना दम नहीं बचा था जितना कि उसकी जवानी का हक था,,,इसलिए अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए पर सुरज पर डोरे डाल रही थी मैं कितना सुरज एकदम नादान सुधियां काकी की हरकतों को वह समझ नहीं पाता था और उनसे डरा डरा रहता था हालांकि सुधियां काकी उसे अपने अंगों के उभार को पूरी तरह से उसे दिखाने की कोशिश करती थी लेकिन वह नजर उठाकर उसके अंगों के ऊभार को देखने की हिम्मत नहीं कर पाता था और वहा से किसी भी तरह का बहाना करके भाग जाया करता था,,,। धीरे-धीरे सुरज सुधियां काकी के करीब पहुंच गया और सुधियां काकी जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।)

क्यों रो तूने फोड़ी मेरी मटकी,,,,


मममम,,,मै ,,,,नहीं चाची जानबूझकर नहीं फोड़ी, गिल्ली गलती से लग गई,,,,,,,( सुरज घबराते हुए बोला,,,)


अच्छा गलती से लग गई यह देख तूने मेरी क्या हालत किया है,,,,(अपने दोनों हाथों को अपने गीलें ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुचियों पर रखते हुए बोली,,,,सुधियां काकी की अदा बेहद कामुक थी वह जानबूझकर सुरज के सामने इस तरह की हरकत कर रही थी,,,, सुरज सुधियां काकी की हरकत देखकर थुक को गले से नीचे निगलते हुए बोला,,,)


अनजाने में हो गया काकी अब ऐसा कभी नहीं होगा,,,,,,,(सुरज अपनी गलती मानते हुए बोला,)


ऐसे केसे अनजाने में हो गया आजकल तेरी गिल्ली बहुत इधर उधर भागती है,,,,(ऐसा कहते हुए सुधियां काकी अपनी हथेली को बार-बार जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुचियों पर रख दे रही थी यह देखकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जिसे खुद वह समझ नहीं पा रहा था,,,।)

अब ऐसा नहीं होगा काकी,,,


नहीं-नहीं,,, अब ऐसा ही होगा क्योंकि अब तो पूरी तरह से जवान हो गया है,,,,,, इसलिए तो तेरी गुल्ली कुछ ज्यादा उछल रही है,,,,(सुधियां काकी सुरज के पजामे की तरफ देखते हुए बोली जिस में अब थोड़ा थोड़ा सा उभार आना शुरू हो गया था,,, सुधियां काकी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) वैसे तेरी गुल्ली है कितनी बड़ी मैं भी तो देखूं जरा ,,,

अरे काकी आपके हाथ में ही तो है मुझे दे दो,,,,(सुरज सुधियां काकी के हाथ में पकड़ी हुई गिल्ली की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,)


यह ,,,, क्या सच में इतनी बड़ी है तेरी गिल्ली,,,,( सुधियां काकी हाथ में ली हुई गिल्ली को अपने दोनों हाथों में लेकर गोल-गोल इधर-उधर घुमाते देखने लगी जो कि वाकई में कुछ ज्यादा ही बड़ी थी और मोटी थी,,,,)


बाप रे यह तो कुछ ज्यादा ही बड़ी है,,, तू कैसे संभाल लेता है,,,


यह तो हमारे रोज का काम है,,,,


लेकिन तेरी गुल्ली देखकर मेरी हालत खराब हो जाती है,,,


ऐसा क्यों,,,?


कभी मिलना फुर्सत में तो सब कुछ बताऊंगी,,,,( सुधियां काकी सुरज के पजामे की तरफ देखते हुए बोली जोकी उसका उभार धीरे-धीरे बढ़ रहा था,,,। उसे देख कर मुस्कुराते हुए वह बोली,,)


पजामे में देख कर तेरी गुल्ली खड़ी होने लगी है,,,,
(इतना सुनते ही सुरज नजर नीचे करके अपने को जाने की तरफ देखने लगा जो कि वाकई में पजामे के आगे वाला भाग पूरी तरह से तंबू बन चुका था,,, यह देखकर सुरज पूरी तरह से शर्मा गया और सुरज को शर्माता हुआ देखकर सुधियां काकी मुस्कुराने लगी और गिल्ली को उसके हाथों में देते हुए बोली,,,)


ले संभाल तेरी गुल्ली,,,लेकिन मुझसे मिलना जरूर वरना मैं तेरी हरकत के बारे में तेरे मामा और तेरी मामी को बता दूंगी तो समझ लेना तेरी खेर नहीं,,,,


नहीं नहीं काकी ऐसा मत करना मैं जरूर मिलने आऊंगा,,,,,(इतना कहकर वह सुधियां काकी को जाते हुए देखता रहा,,, न जाने क्यों आज उसकी नजर सुधियां काकी के कमर के नीचे उसके नितंबों के उभार पर चली गई थी जिसे देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,)


अरे अब इधर आएगा भी या वही मां चुदवाता रहेगा,,,(सुरज को अभी भी वहां खड़ा देखकर शुभम चिल्लाता हुआ बोला,,, सुरज को शुभम की गाली अच्छी नहीं लगी और वह गिलली लेकर उसके पास जाते हुए बोला,,,)


देख शुभम तू गाली मत दिया कर मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है,,,,


तो वहां खड़ा खड़ा क्या कर रहा था,,, गिल्ली लेकर आना चाहिए था ना कि सुधियां काकी की,,,बुर में घुसने का इरादा था,,,,।


यार शुभम तु कैसी गंदी गंदी बातें करता है सुधियां काकी हमारे मां की उमर की है वो,,, इस तरह की गंदी बातें नहीं करना चाहिए ,,,,

अरे सुधियां काकी नहीं सुधियां रंडी है वह उसे अच्छी तरह से जानता हूं,,,,,, साली मुझसे बात करके से मैं उसकी मां मरी जा रही थी कैसे गुस्से में बातें कर रहे थे और कैसे-कैसे हंस हंस के बातें कर रही थी ऐसा लग रहा था कि अभी अपनी साड़ी उठाकर तुझे अपनी बुर में डाल लेगी,,।
(शुभम गुस्से में बोले जा रहा था,,, और सुरज,,उसके मुंह से गंदी गंदी बातें सुनकर और खास करके उसके मुंह से बुर शब्द सुनकर एकदम से मचल उठा था,,,। उससे कुछ भी कहा नहीं जा रहा था जैसे तैसे करके खेल फिर शुरू किया गया लेकिन सुरज ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और आउट हो गया क्योंकि उसके दिमाग में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,)
 

devraja

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खेल खत्म हो चुका था,,,,,,,, सुरज के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी सुधियां काकी की बातें उसका भीगा बदन उसकी उन्नत चूचियां,,, सब कुछ एक एक करके सुरज की आंखों के सामने से गुजर रही थी,,, और शुभम की गंदी गालियां सुधियां काकी के प्रति खराब खराब बोलना,,, यह सब सुरज के कोमल मन पर भारी पड़ रही थी,,,,,,,


शुभम थोड़ा गुस्से में था और वह भी सुधियां काकी के रवैया के वजह से क्योंकि वह सुरज को पसंद करती थी और उसे नापसंद सुरज के साथ हंस कर बातें करती थी और उसके साथ गुस्से में,,,,,, शुभम अपने मन में यही सोचता था कि अगर सुरज की जगह पर होता तो सुधियां काकी की कब से चुदाई कर दिया होता,,,, चुदाई के मामले में सुरज को कुछ भी पता नहीं था यह बात भी शुभम अच्छी तरह से जानता था,,,,,,,, इसलिए सुरज को चिढ़ाने के लिए शुभम बोला जो कि अभी भी वही बगीचे में ही सब लोग थे,,,।


यार सुरज सुधियां काकी तुझे इतना मानती है,,, तुझसे कितना हंस हंस कर बातें करती है और तो और तुझे अपनी पानी से भीगी हुई चूचियां भी दिखा रही थी,,,, लेकिन मैं जानता हूं तुझसे कुछ होगा नहीं,,,,,, मुझे लगता नहीं कि तेरा खड़ा होता है,,,,,,,।


शुभम यह कैसी बातें कर रहा है तू,,,,(सुरज गुस्से में बोला)


सही तो कह रहा हूं,,, तुझ से कुछ होने वाला नहीं है,,,, देख नहीं रहा था सुधियां काकी तुझे अपनी बड़ी बड़ी चूचीया कैसे दिखा रही थी मुझे दिखाती तो कसम से अपने दोनों हाथ में पकड़ कर जोर जोर से दबा देता,,,
(शुभम की गंदी बातें सुनकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, फिर भी सुरज शुभम को समझाते हुए बोला,,,)


ऐसा नहीं कहते शुभम तु जो कुछ भी कह रहा है गलत कह रहा है वो सुधियां काकी है,,,, उनकी दो बहुएं है,,,,


तो क्या हुआ दो बहुए होने की वजह से क्या वो सीधी हो गई,,,,,, नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तु नहीं जानता सुधियां काकी के पास भी बुर है,,, और उन्हें भी अपनी बुर के अंदर लंड चाहिए ,, और लेती भी है,,,, मुझे तो लगता है कि तेरे पास है ही नहीं तभी तो सुधियां तुझे इतना भाव देती है लेकिन तू भाव खाता है,,,,,
(सुरज की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी शुभम बेहद गंदी जुबान में बातें कर रहा था इस तरह की गंदी बातों को सुनकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, खास करके लंड और बुर वाली बात,,,,, सुरज ईससे पहले भी गांव के आवारा लड़कों के मुंह से गाली सुन चुका था लेकिन खुद के लिए नहीं लेकिन आज इस तरह की गंदी बात शुभम उसे ही कह रहा था इसलिए सुरज के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी,,,।)


शुभम अब तू ज्यादा बोल रहा है,,,,


बोलूंगा क्या कर लेगा,,,,,,, तेरे पास होता तो सुधियां काकी की चुदाई कर लिया होता लेकिन तेरे पास है ही नहीं इसलिए नहीं कर पा रहा है,,,,तू बोल के सुधियां काकी को मेरे पास भेज दे देख मे सुधियां काकी को अपने लंड से एकदम मस्त कर दूंगा,,,,,,, अगर सुधियां काकी को नहीं भेज पाता तो अपनी मामी को ही भेज दे तेरी मामी वैसे भी गांव की सबसे खूबसूरत औरत है उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है कसम से तेरी मामी को नंगी करके चोदने में बहुत मजा आएगा,,,, तेरी मामी की बुर बहुत मनाई छोड़ती होगी,,,,
(सुरज को इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि शुभम उसकी मामी के बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें बोलेगा इसलिए अपनी मामी के बारे में गंदी बात सुनते ही सुरज एकदम से शुभम से भिड़ गया,,, और दोनों में लड़ाई हो गई,,, झगड़ा बड़ा होता देखकर उन दोनों के साथी बीच बचाव करते हुए दोनों को अलग किए और घर की तरफ ले गए,,,,,,,,,, सोनू सुरज को घर ना ले जाकर रास्ते में ही पेड़ के नीचे बिठा लिया और उसे समझाने लगा सोनू सुरज का पक्का दोस्त था जो हमेशा उसके साथ ही रहता था,,,, दोनों पेड़ के नीचे बैठे हुए थे शाम ढलने लगी थी धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ रहा था और अभी भी सुरज गुस्से में ही था सोनू उसे समझाते हुए बोला,,,)


तू इतना बड़ा हो गया है लेकिन अभी भी सीधा है इसलिए वह तेरी मस्करी कर लेता है तेरा मजाक बना देता है अगर तू भी उन लड़कों की तरह हरामी होता तो शायद यह नौबत ही नहीं आती वो तेरी मामी के बारे में इतनी गंदी बात कभी नहीं बोल पाता,,,,,,,(सुरज अभी भी गुस्से में था लेकिन सोनू की बातों को ध्यान से सुन रहा था क्योंकि सोनू उसका सबसे चहिता यार था दोनों की उम्र बराबर ही थी,,,)


और तुझे सच कहूं तो शुभम सुधियां काकी के बारे में सच ही कह रहा था तू सीधा है इसलिए तुझे समझ में नहीं आता अगर तेरी जगह गांव का कोई और लड़का होता तो अब तक सुधियां काकी पर चढ़ गया होता और सुधियां काकी भी यही चाहते हैं,,,


चढ गया होता मतलब ,,,,(सुरज आश्चर्य जताते हुए बोला)


अरे बुद्धू शुभम सच्ची कहता है कि तू सच में उस लायक नहीं है तेरे पास है ही नहीं यह सब भी नहीं समझ पाता,,,


सच में मुझे नहीं पता,,,,


अरे यार चढ जाने का मतलब होता है कि चुदाई करना तेरी जगह कोई गांव का दूसरा लड़का होता तो सुधियां काकी की बुर में अपना लंड डालकर चुदाई कर दिया होता,,, और शुभम की तुझे यही कह रहा था पता है क्यों क्योंकि सुधियां काकी तुझे पसंद करती है इसलिए तो तु देख नहीं रहा था कैसे पानी से भीगे हुए अपने ब्लाउज में छिपी हुई चुचियों को तुझे दिखा दिखा कर बातें कर रही थी,,,


नहीं रोहित ऐसी कोई बात नहीं है मेरी वजह से सर पर रखी हुई मटकी फूट गई थी और वह भीग गई थी इसलिए,,,,


अरे बुद्धू सुधियां काकी को मोटे मोटे लंबे और जवान लंड पसंद है यह बात गांव का हर कोई जानता है एक तू ही नहीं जानता इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है,,,। और सच कहूं तो सुधियां काकी तेरे लिए अपनी दोनों टांगें खोलकर तेरे लंड को अपनी बुर में ले लेगी लेकिन तेरी बातें सुनकर तो मुझे भी लगने लगा है कि शुभम तेरे बारे में सही कहता है कि तेरे पास है ही नहीं अगर होता तो अब तक तो सुधियां काकी की चुदाई कर दिया होता,,,,,, सच सच बता तेरे पास है कि नहीं की सच में शुभम तेरे बारे में सही कह रहा था,,,।


क्या है कि नहीं,,,?


अरे बुद्धू लंड और क्या,,,,


पागल हो गया क्या तू मेरे पास भी है,,,,


तो जब शुभम तुझे उल्टा सीधा बोल रहा था तो खोल कर दिखा देना चाहिए था ना वह दिखाया क्यो नहीं,,,,


ऐसे कैसे दिखा दु मैं उन लोगों की तरह बेशर्म थोड़ी हूं,,,


तुझे भी बेशर्म बनना पड़ेगा वरना तुझे वह लोग बार-बार इसी तरह से चिढ़ाते रहेंगे परेशान करते रहेंगे कहीं ऐसा तो नहीं कि तेरा सबसे छोटा है इसलिए नहीं दिखा रहा है,,,,


नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है सब कुछ ठीक है,,,,


तो मुझे तो दिखा दे मुझे भी यकीन हो जाए तो मैं दूसरों को बोल सकूं ना तू वाकई में मर्द है,,,,


नहीं यार तू पागल हो गया है क्या मुझे शर्म आती है,,,,


ले बच्चु तू तो औरतों की तरह शर्मा रहा है सच में चुदाई कैसे कर पाएगा तो शर्माता बहुत है और कुछ समझता भी नहीं है,,,,,, मुझे तो यकीन होने लगा है कि अगर तेरे पास होगा भी तो बहुत छोटा होगा,,,।


तेरे पास तो है ना,,,,


हां मेरे पास तो है ले तुझे दिखा देता हूं,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह खड़ा हो गया,,,,और तुरंत अपने पजामे की डोरी खोलकर नीचे कर दिया और अपने लंड को दिखाना शुरू कर दिया जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,,उसे अपने हाथ में पकड़ कर ऊपर नीचे करके हीलाते हुए बोला,,,)


ले देख लिया ना मेरे पास
है तभी तुझे दिखा रहा हूं तेरे पास नहीं है तभी तु नहीं दिखाता,,,, अगर हिम्मत है तो दिखा,,





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Suryadeva


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Jan 31, 2024


#10


बात ही बात में अपनी,,, अपनी खड़े लंड को अपने पजामे से बाहर निकालकर सुरज को दिखा दिया था,,, सुरज के लिए भी यह पहला मौका था जब वह अपनी हम उम्र के लड़के का लंड इतने पास से देख रहा था,,,, सोनू की बातों को सुनकर और उसके खड़े लंड को देख कर सुरज के पजामे में भी हलचल होने लगी थी उसका लंड पजामें के अंदर पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,


सोनू था तो उसका दोस्त लेकिन वह इस समय जानबूझ कर उसे उकसा रहा था वह भी सुरज की लंड को देखना चाहता था,, क्योंकि औरों की बातों को सुनकर उसे भी लगने लगा था कि शायद सुरज के पास दमदार लंड नहीं है तभी तो सुधियां काकी के लिए उकसाने के बाद भी वह उसकी तरफ आकर्षित नहीं होता था और बुद्धू बना रहता था नहीं तो उसकी जगह कोई और लड़का होता तो अभ तक सुधियां काकी की चुदाई कर दिया होता और इसी ताक में गांव के लड़के लगे भी रहते थे लेकिन किसी की दाल नहीं गल रही थी और सुरज तो सामने से मालपुआ पाने के बावजूद भी उसका स्वाद नहीं ले पा रहा था इसलिए सोनू को भी शक हो रहा था और इसीलिए वह सुरज के लंड को देखना चाहता था,,,,। अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए सोनू बोला,,,।


क्या हुआ देखता ही रहेगा या अपना भी दिखाएगा,,, देख नहीं रहा है मेरे लंड में कितना दम है अगर सुधियां काकी की बुर में चला जाए तो सुधियां काकी पानी पानी हो जाए,,,,


क्या सोनू तू भी सुधियां काकी के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा है,,,


अरे बुद्धू अगर तू सुधियां काकी के बारे में जान जाएगा तो तू भी मेरी तरह ही गंदी गंदी बातें करेगा उसे चोदने के लिए दिन रात उसके पीछे पीछे घूमता रहेगा,,,, वह तो तुझे भाव देती है अगर मुझे भाव दे तो मैं भी उसकी बुर में लंड डालकर चुदाई कर दुं,,,
(एक औरत के साथ चुदाई की खुली बातें सुनकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगती है उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और उसके टांगों के बीच कुछ कुछ होने लगा था,,, आखिरकार वह भी एक जवान लड़का था जो कि इस उम्र में जवान लड़कों के अरमान कुछ ज्यादा ही मचलते रहते हैं ऐसे में सुरज दूसरे लड़कों से बिल्कुल अलग था लेकिन सोनू की गंदी बातें उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,,, सोनू की गंदी बातें सुनकर,,, सुरज बोला,,,)


तू भी शुभम की तरह है,,,


हां मैं भी शुभम की तरह हूं और मेरी तरह हर लड़के शुभम की तरह ही होते हैं लेकिन तू ही सबसे अलग है,,,, क्योंकि हम सब का खड़ा होता है औरत को देखने की बड़ी चूचियां देखकर की बड़ी-बड़ी गांड देख कर,,, और हम लोगों का मन उन्हें चोदने को करता हैं,,,,और लगता है कि शुभम सच ही कहता है कि तेरे पास है ही नहीं और तेरा खड़ा भी नहीं होता,,,,।


सोनू तु भी शुरु हो गया,,, तू भी शुभम की तरह बातें कर रहा है,,,


शुभम की तरह बातें करु ना तो और क्या करूं मुझे अच्छा नहीं लगता जब वह तेरे बारे में खराब खराब बोलते हैं,,,,तेरी पीठ पीछे तेरी मामी के बारे में तेरी मौसी के बारे में कितनी गंदी गंदी बातें बोलते हैं वह लोग,,,,


कौन बोलता है,,,?(सुरज ताव में आकर बोला,,,)


शुभम बोलता है उसके साथी बोलते हैं सब तो कहते हैं,,,(


क्या कहते हैं,,,?


अब जाने भी नहीं बहुत गंदी गंदी बातें बोलते हैं,,,,


वही तो पूछ रहा हूं क्या बोलते है,,,,?


नहीं नहीं मैं नहीं बताऊंगा नहीं तो तुम दोनों के बीच झगड़ा हो जाएगा और यह अच्छी बात नहीं है,,,,,,,,,


चल अब बोल भी दे,,,,,


नहीं तु झगड़ा करेगा,,,,फिर कौन बताया यह बात निकलेगी तो मेरा नाम आएगा और फिर तू तो जानता है कि मेरे पिताजी कितना मारते हैं,,, नहीं नहीं मैं नहीं बताऊंगा जाने दे वह तो मैं तेरी भलाई के लिए कह रहा था कि,,,, एक बार सबको दिखा दे तो वह लोगों का मुंह बंद हो जाए लेकिन तो शायद नहीं चाहता,,,,, क्यों लोग तेरे बारे में गलत सलाह बोलना बंद कर दे तेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी बातें करना बंद कर दें,,,,


देख सोनू मुझे अच्छा नहीं लगता कि कोई मेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें करें,,,, इसलिए तुम मुझे बता ताकि मैं उन लोगों को खामोश कर सकूं,,,,


देख मैं तुझे बता दूंगा लेकिन मुझसे वादा करके तो झगड़ा नहीं करेगा अगर तू झगड़ा करेगा तो मैं तुझे नहीं बताऊंगा फिर हम दोनों की दोस्ती समझ लो टूट जाएगी,,,,।


चल कोई बात नहीं मैं नहीं झगड़ा करूंगा लेकिन तू बता तो सही कौन कहता है और क्या कहता है,,,।


(सुरज की बातें सुनकर सोनू को यकीन हो गया कि सुरज उसकी बातों को सुनकर झगड़ा नहीं करेगा क्योंकि वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाकर बताना चाहता था एक जवान लड़का होने के नाते जिस तरह से दूसरी लड़की औरतों को गंदी नजरों से देखते हैं उसी तरह से सोनू भी दूसरी औरतों के साथ-साथ खुद सुरज की मामी और मौसी को भी गंदी नजरों से देखता था सुरज की मामी की बड़ी-बड़ी गांड उसे बहुत पसंद थी और उसकी मौसी की खूबसूरती भी उसे उत्तेजित कर जाती थी,,, जिस तरह से दूसरे लड़के सुरज की मामी को देखते ही उसके बारे में गंदी कल्पनाएं करने लगते थे उसी तरह से सोनू भी सुरज की मामी को देखकर गंदी-गंदी कल्पना करता था इसीलिए अपनी बात को नमक मिर्ची लगाते हुए बोला,,,)


शुभम और उसके साथी तेरी मामी के बारे में और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें कहते हैं,,,, शुभम कहता है कि सुरज की मामी की गांड कितनी मस्त है बड़ी-बड़ी अगर कपड़े उतार कर नंगी हो जाती होगी तो देखने वाले का लंड अपने आप पानी छोड़ देता होगा,,,(सोनू के मुंह से अपनी मामी के बारे में गंदी गंदी बातें सुनकर सुरज को शुभम और उसके साथी पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी मामी के बारे में गंदी बातें सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होना शुरु हो गया था,,,) शुभम के साथी भी सुर में सुर मिलाते हुए कहते रहते हैं कि सुरज की मौसी कितनी मस्त है उसके अमरुद दबाने में बहुत मजा आएगा,,,,।


अमरुद ,,,,अमरुद मतलब,,,,,( सुरज भोलेपन से बोला)


अरे बुद्धू अमरूद का मतलब तेरी मौसी की चुची,,,, तेरी मौसी की चूची दबाने में बहुत मजा आता ऐसा वह लोग कह रहे थे,,,(लगे हाथ गांव के लड़कों की बदमाशी के बारे में बात बताते हुए सोनू अपने मुंह से अपने ही दोस्त की मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें बोलकर अपनी खड़े लंड को भी ना रहा था जो कि सुरज की नजर बार-बार उसके खड़े लंड पर पहुंच जा रही थी जो कि उत्तेजना के मारे सोनू अपने लंड को मुठिया रहा था,,,,वह दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े थे और यह पेड़ गांव से थोड़ा अलग जगह पर यहां पर शाम के वक्त कोई आता जाता नहीं था और अंधेरा भी होने लगा था इसलिए यहां पर किसी के भी आने का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,, सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)


और तो और बोलो कितनी गंदी बात बोल रही थी कि मुझे बताने में भी शर्म आ रही है,,,


कैसी गंदी बात,,,


तू सुन पाएगा,,,,,


तू बोल तो सही आखिरकार में भी तो सुनो कि गांव वाले मेरी मामी और मौसी के बारे में कैसी कैसी बातें करते हैं,,,


वह लोग कह रहे थे कि,,,अगर तेरी मामी एक रात के लिए उन्हें मिल जाए तो सारी रात अपनी खड़े लंड को तेरी मामी की बुर में डाल डाल कर उसकी चुदाई करके उसकी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,,,, सच कहूं तो वह लोग तेरी मामी को चोदना चाहते हैं,,, तेरी मामी की बुर में अपना लंड डालना चाहते हैं क्योंकि वह लोग कहते हैं कि गांव में सबसे खूबसूरत बुर तेरी मामी की ही होगी,,,,,,


(यह सब सुनकर सुरज का चेहरा गुस्से से नहीं बल्कि उत्तेजना से तमतमा गया था अपनी मामी के बारे में इस तरह की गंदी बात और पहली बार सुन रहा था और उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी थी उसे अपनेआप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि अपनी मामी और मौसी के बारे में इतनी गंदी बातें सुनकर वह ईतने आराम से खड़ा है,,,, अपने दोस्त सोनू की बातों को सुनकर,,,,,,ना चाहते हुए भी उसके कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ने लगा था और वह जिस तरह से उसकी मामी की गंदी बातें कर रहा था उसे सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगा था अपनी मन की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में उसकी चुचियों के बारे में और उसकी बुर के बारे में जिसे वह आज तक अपनी आंखों से देख नहीं पाया था उसकी भूगोल की संरचना के बारे में उसे बिल्कुल भी समझ नहीं थी फिर भी वह कल्पना कर रहा था आज उनसे पहली बार इस बात का पता चला था कि औरतों की चूचियों को अमरुद भी कहा जाता है वरना तो अमरूद पेड़ पर लगे फल को ही समझता था आज पहली बार ज्ञात हुआ था कि औरतों के छातियों पर लगे हुए फल को भी अमरुद कहां जाता है,,,। सुरज को उसके ख्यालों में खोया हुआ देखकर मिलना उसे ऊपर से नीचे की तरफ देखने लगा और उसके पजामे में अपने तंबू को देखकर उसके होश उड़ गए,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह पूरी तरह से अपनी औकात में था खड़ा होने के बाद सोनू का खुद का पजामा भी इस तरह से तंबू नहीं बन जाता था इसलिए तो सुरज के पजामा में बने तंबू को देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,पर इस बात से भी वह पूरी तरह से हैरान और उत्तेजित हो गया था कि अपनी मामी के बारे में गंदी गंदी बातें सुनकर उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं बल्कि उसके पजामे की हालत खराब हो रही थी इसका मतलब साफ था कि वह भी अपनी मामी के बारे में गंदी बातें सुनकर उत्तेजित हो रहा था,,,, सोनू अभी भी अपने लंड को हिला रहा था और किसी और के बारे में ही बल्कि सूरज की मामी और मौसी के बारे में सोच कर ही,,,, अपने लंड को हिलाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)


देख सूरज मैं गांव के बाकी लड़कों की तरह नहीं हूं जो तेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें करु मैं तेरा पक्का दोस्त हु और मैं यह चाहता हूं कि तू उन लोगों का मुंह बंद कर दे इस तरह से खामोश रहेगा तो वह लोग इसी तरह से तेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें करते रहेंगे और वह लोग यही सोचेंगे कि तेरे पास है ही नहीं इसलिए भी सुधियां काकी के साथ कुछ कर नहीं पाता सच कहूं तो जिस तरह से वह लोग बातें करते हैं उसी तरह से तुझे भी हिम्मत करके उन लोगों की मां बहन के बारे में गंदी बातें करना चाहिए ताकि वह लोग तेरी घर की औरतों के बारे में इस तरह की गंदी बातें ना कर सके,,,,,,,
(सोनू की बातों को सुनकर सुरज कुछ देर खामोश रहा फिर बोला)


तू सच कह रहा है सोनू मुझे भी उन जैसा बनना पड़ेगा तभी यह हरकतें बंद होगी वरना यह लोग इसी तरह से मेरा मजाक उड़ाते रहेंगे,,,,


इसीलिए तो कह रहा हूं दिखा अपना,,,, देख मेरा कैसा खडा है,,,(सोनू जोर-जोर से अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,, सुरज की नजर बार-बार उसके
लंड पर चली जा रही थी ,,, जो की पूरी तरह से खड़ा था सुरज की हालत खराब होती जा रही थी कि की पहली बार कोई उसका हमउम्र इस तरह से उसकी आंखों के सामने अपने लंड को हिला रहा था,,,,,, सुरज के लिए यह बर्दाश्त के बाहर था,,,, उसे अपने खड़े लंड में दर्द महसूस होने लगा था,,,,,,,,,)दिखाएगा नहीं तो पता कैसे चलेगा कि तेरे पास भी है वरना रोज यही बातें होती रहेंगी कि सुरज के पास है ही नहीं वह औरतों को खुश नहीं कर सकता,,,,


देख ऐसी बात नहीं मेरे पास भी है लेकिन मुझे शर्म आती है,,,


अरे शर्म कैसी,,,, मुझे देख में शर्मा रहा हूं क्या,,,( सोनू उसी तरह से अपने लंड़ को हिलाते हुए बोला,,,)


तुझे नहीं आ रही है लेकिन मुझे तो आ रही है ना,,,(सुरज शर्माते हुए बोला)


जा मुझे क्या गांव वाले तब तो यही कहते रहेंगे कि सच में तेरे पास लंड नहीं है,,,,इसी तरह से तू रहा तो एक न एक दिन जरूर शुभम और उसके दोस्त तेरी मामी को चोद देंगे,,,, तब मत कहना कि यह कैसे हो गया,,,,


(सोनू की यह बात सुनकर सुरज को गुस्सा आ गया और वह गुस्से में बोला)


मेरे पास भी है रुक अभी दिखाता हूं,,,,(पर इतना कहने के साथ ही सुरज में अपने पजामे को एक झटके से नीचे की तरफ खींच लिया और अगले ही पल उसका खड़ा मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में एकदम से आसमान की तरफ मुंह उठाए टनटनाने लगा,,,,, यह देखकर तो सोनू की आंखें फटी की फटी रह गई उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सुरज जो निगम शर्मिला सबसे शर्माता रहता है उसके पास इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड होगा,,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,, सोनू को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था,,,,,,, क्योंकि वह सुरज का हमउम्र था पर इस उम्र को देखते हुए वह बार-बार अपने लंड की तरफ देख लेगा था जो कि सुरज के लंड से आधा ही था और वह अपने आप पर शर्मिंदा होने लगा कि अपना आधा लंड दिखा कर कीतना गर्व कर रहा था,,,,,सुरज के लंड में जरा भी लचकपन नहीं था ,,,,अपनी मामी की गंदी बातों को सुनकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसका असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने लटकते हुए लंड पर महसूस हुआ था और वह उत्तेजित होकर पूरी तरह से एकदम लोहे के रोड की तरह खड़ा का खड़ा हो गया था,,,,
सुरज एक नजर अपने लंड की तरफ डालकर सोनू की तरफ देखते हुए बोला,,,।


सोनू अब बोल मेरे पास है कि नहीं,,,,,


बाप रे इतना बड़ा और मोटा यार तेरा तो एकदम जबरदस्त है सुधियां काकी की बुर में अगर एक बार चला गया तो सुधियां काकी माई बाप करके चिल्ला उठेगी और वह तो तेरी दीवानी हो जाएगी सुधियां काकी ही क्यों गांव की किसी भी औरत की बुर में अगर तेरा लंड चला गया तो वह तो तेरी दीवानी हो जाएगी,,,,(सोनू सुरज के लंड की बढ़ाई किए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से हिलाए जा रहा था,,, सुरज तो अपने लंड की बड़ाई सुनकर गदगद हुए जा रहा था,,,, सोनू की बातों को सुनकर उसे यह एहसास होने लगा था कि,, उसके पास जो है वह अद्भुत और जानदार है,,,, अभी तक सुरज बड़ी उत्सुकता से सोनू को मुठिया मारते हुए देख रहा था लेकिन यह क्रिया उसके समझ के बिल्कुल भी परे थी वह हस्तमैथुन की क्रिया को जानता ही नहीं था जोकि अभी तक सिर्फ खामोशी से देख रहा था लेकिन अब बोल पड़ा,,,,)


सब तो ठीक है लेकिन तु यह क्या कर रहा है,,,,?


मुठिया मार रहा हूं मेरे दोस्त,,,, इसे अपने आप ही सुख प्राप्त करना कहते हैं,,,, इससे बहुत मजा आता है,,,,(सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उत्तेजना के इस खेल में उसकी उत्तेजना को और अधिक बढ़ावा दे रहा था सुरज की मामी की कल्पना जिसके चलते सोनू तुरंत चरम सुख के करीब पहुंच गया था और देखते ही देखते सुरज कुछ और पूछ पाता इससे पहले ही सोनू लंड से एक जोरदार पिचकारी फूट पड़ी,,,,, यह पिचकारी सुरज के लिए अद्भुत और बेहद अनजान सी थी,,,,,, इस बारे में सुरज को बिल्कुल भी पता नहीं था,,, हां कभी-कभी उसे उठने के बाद अपना पैजामा किला महसूस जरूर होता था लेकिन कभी वह समझ नहीं पाया था,,, इसलिए पिचकारी को देखते ही आश्चर्य से सुरज बोला,,,)


अरे यह कैसा पेशाब है,,,,?


यह पेशाब नहीं है सुरज यह मस्ती की धारा है,,,,, तू भी अगर जोर जोर से हिलाएगा तो तेरे भी निकलेगी,,,,( सोनू पजामे को ऊपर करके गहरी सांस लेते हुए बोला,,,, सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)देख सुरज तू मेरा दोस्त है इसलिए तुझे कहता हूं कि जब भी शुभम या उसके दोस्त तुझे चिढ़ाए तो,,उन्हें भी अपना खोल कर दिखा देना देखना हम की आंखें फटी की फटी रह जाएगी और सब शर्मिंदा हो जाएंगे और तुझसे दोबारा कुछ भी नहीं कहेंगे पता नहीं क्यों क्योंकि उन लोगों के पास तेरे से आधा ही है,,,,


क्या मेरे पास ज्यादा बड़ा है क्या,,,,( सुरज आश्चर्य से बोला)


हां तेरे पास सच में ज्यादा बडा है और तेरा लंड औरतों का अपना दीवाना बना देगा,,,,


चल हट पागल हो गया है तू,,,, चल अब घर चलते हैं अंधेरा हो गया है,,,,(और इतना कहकर दोनों घर की तरफ चलने लगे,,, सुरज अपने मन में सोचने लगा क्या वाकई में उसके पास जबरदस्त लंड है,,,,, यह सोचकर वह अपने आप पर गर्व महसूस भी कर रहा था,,,)
 

devraja

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सुरज का लंड दिखाने वाली बात आई गई हो गई थी सुरज इस बात को भूल चुका था,,,,,, वह फिर से अपनी मस्ती में मस्त हो गया था और रविकुमार उसी तरह से रोज बैलगाड़ी को रेलवे स्टेशन ले जाता है और वहां से सवारी ढोकर अपना जीवन निर्वाह कर रहा था,,,,,,,

मंजू अपनी जवानी के एक-एक पल को बड़ी मुश्किल से बिता रही थी उसके तन बदन में जवानी की लहर चिकोटीयां काट रही थी,,, इसमें उसका दोश बिल्कुल भी नहीं था एक तो उसकी उम्र शादी लायक हो चुकी थी और अभी तक उसकी शादी नहीं हुई थी ऐसे में जवानी की उफान उसके बदन में हर तरफ से बाहर की तरफ झांक रहा था और ऊपर से अपने भैया और भाभी के कमरे में से आ रही मादक चुदाई की सिसकारीयो की आवाज से वह पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,,,,, उसके बदन में जवानी किसी बाढ़ के पानी की तरह थी जो कि सब्र के बांध से बंधी हुई थी जिस दिन अगर यह सब्र का बांध टूट गया तो उसकी जवानी पिघल कर ना जाने कितनों को डुबा ले जाएगी,,,,,, वैसे मंजू इस उफान मारती उम्र में भी अपनी जवानी को किसी की नजर लगने नहीं दी थी ऐसा नहीं था कि किसी की नजर उस पर पडती नहीं थी गांव के सभी जवान लड़कों की नजर उस पर हमेशा बनी रहती थी वैसे उसकी भाभी की मस्त जवानी का आकर्षण मंजू से एक कदम आगे ही था लेकिन फिर भी मंजू किसी से कम नहीं थी गोरा रंग तीखे नैन नक्श ऊपर से जवानी की दस्तखत रूपी उसके दोनों अमरूद जान लेवा थे हालांकि अब तक यह दोनों अमरुद किसी के हाथों मैं नहीं आए थे इसलिए उसके उभार कुछ ज्यादा नहीं था लेकिन आकर्षण का केंद्र बिंदु जरूर था,,,, पतली कमर कमर के नीचे का उन्नत नितंबों का उभार ज्यादा घेरा उधार नहीं था लेकिन सीमित रूप से उसका भौगोलिक आकार बेहद आकर्षक और मस्त कर देने वाला था जिसकी लचक पगडंडियों पर चलते हुए पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर उधर लुढकती रहती थी जैसे अपने दोनों हाथों में लेकर संभालने के लिए गांव के बूढ़े और जवान दोनों मचलते रहते थे,,, लेकिन मंजू ना किसी को आज तक ऐसा मौका नहीं दी थी,,,,,
उसके साथ के सहेलियों कि धीरे-धीरे एक-एक करके शादी होती जा रही थी,,। उसकी खुद की भतीजी जो कि उसे छोटी थी उसकी भी शादी हो चुकी थी लेकिन वह अभी तक कुंवारी थी,,, मन से भी और तन से भी,,,,,,।

धीरे-धीरे जैसे समय गुजरता चाह रहा था वैसे वैसे मंजू से अपनी जवानी संभाले संभल नहीं रही थी,,,,, अपनी भाभी की कमरे से शिकारियों की आवाज से उसका तन बदन मचल उठता था पहचानती थी कि बगल वाले कमरे में उसका बड़ा भाई उसकी भाभी के साथ क्या कर रहा है,,,। हालांकि अभी तक उसने अपनी आंखों से अपने भैया भाभी की चुदाई देखी नहीं थी और अभी तक कोशिश भी नहीं की थी,,,,।

लेकिन आज उससे रहा नहीं जा रहा था,,, उसकी भाभी की मादक सिसकारियां उसके कानों में मधुर रस खोल रही थी साथ ही उसके तन बदन को मदहोश कर रही थी एक अजीब सा नशा उसके तन बदन को अपनी गिरफ्त में लिया जा रहा था आंखों में खुमारी छा रही थी,,,,,,,,

आहहहह आआआआहहहह,,,ऊईईईई, मां ,,,,मर गई रे आहहहह,,,आपका तो बहुत मोटा है,,,,(यह शब्द जैसे ही मंजू के कानों में पड़े उसके कान एकदम से खड़े हो गए और उसका रोम-रोम पुलकित हो गया,,,,वह एक नजर लालटेन की रोशनी में सुरज के ऊपर डाली वह पूरी तरह से गहरी नींद में सो रहा था और यही उसकी खासियत भी थी जब होता था तो घोड़े बेच कर सोता था उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था कि क्या हो रहा है कहां से आवाज आ रही है या उसके साथ क्या किया जा रहा है वापस सोने में मस्त रहता था इसलिए उसके जागने की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी,,,, वह धीरे से खटिया पर से ऊठी ओर बगल वाले कमरे में देखा जा सके ऐसी जगह ढुंढने लगी,,,, आज तक उसने इस तरह की हिम्मत और हिमाकत नहीं की थी वह अपने भैया भाभी की बहुत इज्जत करती थी और इसीलिए उन्हें इस हाल में देखना उसके लिए गलत था लेकिन आज वह मजबूर हो गई थी जवानी से भरपूर है उम्र से ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी अपने संस्कार अपनी मर्यादा को एक तरफ रख कर वह अपने बदन की जरूरत पर ध्यान देते हुए बड़ी शिद्दत से बगल वाले कमरे में देखा जा सके ऐसा कोई छेंद देखने लगी,,,,दोनों कमरों के बीच एक पतली कच्ची दीवार थी जो जगह-जगह से उसकी इंटे खिसक चुकी थी जिसमें थोड़ा-थोड़ा दरार पड़ चुका था इन दरारों पर कभी भी मंजू का ध्यान नहीं गया था लेकिन आज उसकी किस्मत कुछ और खेल खेलना चाहती थी,,,, इसलिए जल्दी उसे ईटों के बीच की एक पतली दरार नजर आ गई जिसमें से उसे बगल वाले कमरे की लालटेन की रोशनी नजर आ रही थी,,,, लालटेन की रोशनी नजर आते ही उसके दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि आज तक उसने किसी भी औरत मर्द की चुदाई को अपनी आंखों से नहीं देखी थी बस कल्पना भर की थी लेकिन आज वह जो करने जा रही थी अगर उसकी किस्मत अच्छी रही तो उसे हुआ नजारा भी देखने को मिल जाएगा इसके बारे में सिर्फ वह कल्पना करके अपनी जवानी को सुलगा रही थी,,,।

ईटों के बीच की पत्नी दरार के बीच मिटटी भरी हुई थी,,, जिससे अंदर का दृश्य साफ नजर नहीं आ रहा था,,,इसलिए वह अपने कमरे में लालटेन की रोशनी में एक छोटी सी पतली लकड़ी ढूंढ कर ले आई और उसे से कुरेद कुरेद कर वह मिट्टी को नीचे गिराने लगे वजह से ही पतली दरार में फंसी हुई मिट्टी नीचे गिर गई,,,,,, और मिट्टी के गिरते ही कमरे का दृश्य एकदम साफ नजर आने लगा,,,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, वह अपनी प्यासी आंखों को उस दरार से सटा दी जैसे,, एक खगोल शास्त्री नक्षत्रों का मुआयना करने के लिए टेलिस्कोप से अपनी आंखें सटा देता है,,,,,, और अगले ही पल उसे जो दृश्य नजर आया,,, उसे देखते ही उसकी प्यासी बुर कुल बुलाने लगी,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,।

उसकी आंखें जिंदगी में पहली बार ईस तरह का दृश्य देख रही थी,,,यह दृश्य देखने के बावजूद उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था उसे लग रहा था कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रही है,,,।लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखें जो कुछ भी देख रही थी वह सरासर सत्य था,,। उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके भैया और भाभी बिना कपड़ों के थी उसकी भाभी खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,, उसकी साड़ी साया और ब्लाउज खटीए के नीचे बिखरे हुए थे उसके भैया भी बिना कपड़ों के एकदम नंगे थे,,,,,,, शायद एक बार वह उसकी भाभी की चुदाई कर चुके थे और दोबारा प्रदान करने की तैयारी कर रहे थे ऐसा मंजू सोच रही थी और जो कि सच भी था क्योंकि कुछ देर पहले उसकी भाभी की गरम सिसकारियां और आहहह आहहहह की आवाज उसके कानों में पड रही थी लेकिन इस समय उसके भैया खटिया पर नहीं थे बल्कि खटिया के पास खड़े होकर सरसों के तेल को कटोरी में से अपने खड़े लंड पर गिरा रहे थे,,,, और जैसे ही मंजू की आंखें अपने बड़े भैया के लंड पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,,, एकदम काला लंड एकदम किसी काले नाग की तरह हवा में लहरा रहा था जिस पर सरसों का तेल गिलाकर उसका भाई अपने लंड की मालिश कर रहा था,,,, यह दृश्य मंजू के लिए उत्तेजना की संपूर्ण पराकाष्ठा थी इसलिए तो उसकी बुर तुरंत गीली हो गई,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह कभी सोची नहीं थी कि मर्दों के पास इस तरह का लंड होता है,,,,। एक बार तो वह सचमुच में घबरा गई थी अपने भाई के लंड को देख करके इतना मोटा लंबा लंड छोटे से छेद में जाता कैसे होगा,,,,। वह सांसो को बांधकर अंदर के नजारे का लुफ्त उठाने लगी,,,, उसकी भाभी प्यासी नजरों से उसके भैया के लंड को देख रही थी और साथ में अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल भी रही थी,,,।


मैं हु ना मेरी रानी तुम अपने हाथों को क्यों तकलीफ देती हो मैं अपने हाथों से तुम्हारी चूची दबा दबा कर लाल कर दूंगा,,,(रविकुमार अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए बोला और अपने भाई की इतनी गंदी बात को सुनकर मंजू का गाल शर्म से लाल हो गया,,,वह कभी सोची नहीं थी किसके भैया इस तरह से गंदी बात करते होंगे लेकिन आज सब कुछ उसकी आंखों के सामने था,,,,)


आप बहुत शैतान है जी एक बार चोद चुके हो फिर भी आपका मन नहीं भर रहा है,,,,


भला औरत की बुर से कभी मन भरता है,,, अगर मर्दों का मन भर जाए तो औरत और मर्द के बीच प्यार का रिश्ता ही खत्म हो जाए,,,,,,, यही प्यास है जो हम दोनों के बीच अभी भी प्यार को बरकरार रखा हुआ है,,,,।


लेकिन आपका बहुत मोटा है दर्द करता है,,,


मोटा है तभी तो मजा आता है मेरी रानी और तभी तो तुम अभी तक जाग रही हो तुम्हें भी दुबारा लेने का मन कर रहा है तभी तो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,

(अंदर का गरमा गरम दृश्य और साथ ही गरमा गरम वार्तालाप मंजू के तन बदन में मदहोशी भर रहा था,,, वह कभी सपने में नहीं सोचा थी कि वह अपनी आंखों से इस तरह का दृश्य देखेगी सब कुछ अद्भुत था,,,,मंजू की सांसे सिर्फ अंदर के नजारे को देखकर उनकी बातों को सुनकर बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,)


अब देखना रानी एक बार पानी छोड़ दिया हूं अब देखना कितनी देर तक तुम्हारी चुदाई करता हूं,,,,


जोर जोर से मत करना दर्द करने लगता है,,,,(इस बार इतना कहते हुए मंजू की भाभी अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच लाकर अपनी बुर को मसलते हुए बोली तो इस नजारे को देख कर मंजू एकदम से मचल उठी और अपने आप ही उसका हाथ सलवार के ऊपर से ही बुर पर चला गया जिसे वह मसलना शुरू कर दी,,,,,)


जोर जोर से चोदने में ही मजा आता है धीरे धीरे से तो बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तुम ही तो कहती हो और जोर से और जोर से मेरे राजा और जोर से,,,,
(इस बात पर मंजू की भाभी एकदम से शर्मा गई और बोली)


अच्छा अब जल्दी से आ जाओ मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है,,,,


ओहहहह ,,,,, मेरी रानी मैं जानता हूं मेरे लंड को देखकर तुम्हारी बुर में पानी आ जा रहा है,,,, लो अभी तुम्हारी इच्छा पूरी कर देता हूं,,,,(और इतना कहते ही रविकुमार और मंजू की भाभी खुद अपनी दोनों टांगों को फैला दी मंजू को अंदर का दृश्य साफ नजर आ रहा था अपनी भाभी का गोरा बदन उसकी गुदाज पन को देखकर खुद मंजू के मुंह में और बुर में पानी आ रहा था,,, उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों को देखकर मंजू का होश खो रहा था देखते-देखते उसका भाई उसकी भाभी के दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,,, मंजू को सबकुछ साफ नजर आ रहा था उसका सब्र अब टूटता हुआ नजर आ रहा था उसने भी आनंद खाना मैं अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को नीचे कदमों में गिरा दी और अपनी नंगी बुर पर अपनी हथेली को रगड़ना शुरु कर दी,,,,और दूसरी तरफ उसका भाई अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी भाभी की बुर में डालना शुरू कर दिया इसे देखकर मंजू से रहा नहीं गया और वह अपनी उंगली को अपनी बुर में डाल दी,,,,मंजू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी उंगली को बुर में डाल रही थी इससे पहले वह बुर को अपनी हथेली से मसलती भर थी,,,। लेकिन आज उसे बहुत मजा आ रहा था मसलने से ज्यादा अपनी बुर में उंगली डालने में उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, दूसरी तरफ उसका भाई अपना पूरा लंड उसकी भाभी की बुर में डाल चुका था,,,।

अंदर कमरे में लालटेन की रोशनी में से साफ नजर आ रहा था जिसका कारण था कि लालटेन की रोशनी कि लोग कुछ ज्यादा ही की गई थी जिसका मतलब साफ था कि रविकुमार को रात के अंधेरे में नहीं बल्कि रात के उजाले में चुदाई करने में ज्यादा आनंद आता था,,,,लेकिन गांव में ऐसा होता नहीं था क्योंकि गांव की औरतों को शर्म के मारे अंधेरे में ही चुदवाने में मजा आता था और अंधेरे में चुदवाती भी थी,,,,,लेकिन मंजू अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसके भाई और भाभी को ऊजाले में चुदाई करने का शौक है जिसकी बदौलत वह अपनी आंखों से सब कुछ साफ-साफ देख पा रही थी,,,।

क्या जबरदस्त और मादकता से भर देने वाला नजारा था,,, बगल के कमरे में मंजू के भैया और भाभी चुदाई में पूरी तरह से तल्लईन हो चुके थे और बगल के कमरे में मंजू खुद अपनी सलवार को खोलकर अपनी बुर में उंगली पेल रही थी,,, जिसमें उसे बहुत मजा आ रहा था और दूसरी तरफ सुरज घोड़े बेच कर सो रहा था अगर ऐसे में कोई और लड़का होता तो उसकी आंख खुल गई होती और अब तक तो वह अपनी मौसी की बुर में लंड भी डाल दिया होता और जो कि उस समय उसकी मौसी को भी यही पसंद भी होता,,,।


धक्कों की गति बड़ी तेजी से खटिया को चरमरा रही थी जिससे उसकी भाभी की दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उछल रही थी जो कि इस समय उसके भाई के दोनों हाथों में उसकी शोभा बढ़ा रही थी,,,।

मंजू के गाल शर्म के मारे और उत्तेजना से लाल हो चुके थे,,, वह साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसके भैया बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहे थे और उसकी भाभी मस्ती भरी सिसकारी ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था जो कि उसके चेहरे से बंया हो रहा था,,,। देखते ही देखते मंजू का बड़ा भाई उसकी भाभी पर ढेर हो गया इसका मतलब साफ था कि दोनों का काम हो चुका था और इधर मंजू जोर जोर से अपनी बुर में उंगली डालकर पानी निकाल चुकी थी,,,, मंजू का भी गर्म लावा ठंडा हो चुका था,,,इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी सलवार को ऊपर की ओर डोरी बांधकर वापस खटिया पर आकर सो गई,,।
 

devraja

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धीरे-धीरे दिन-ब-दिन मंजू के हाव भाव बदलने लगे थे,,,,, अपनी आंखों से अपने भैया और भाभी को चुदवाते हुए देखकर उसके तन बदन में उस दृश्य को याद करके हलचल सी मच जाती थी और उसकी बुर पानी छोड़ने लगती थी इस उमर में उसे भी एक जवान मोटे तगड़े लंड की जरूरत महसूस होने लगी थी,,,,, लेकिन अपनी भाभी को अपने भैया से चुदवाते हुए देखकर उसकी जो हालत हुई थी और अपनी भैया के लंड को अपनी भाभी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखकर वह भी पहली बार अपनी बुर के अंदर अपनी ऊंगलियो को प्रवेश करा दी थी ऐसा करने में उसे बहुत ही आनंद की अनुभूति हुई थी हालाकी उंगलियां लंड का मजा बिल्कुल भी नहीं दे सकती थी लेकिन फिर भी अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने के लिए यही एक उचित मार्ग था जो कि वह जब चाहे तब उपयोग कर सकती थी,,,,,,,, लेकिन धीरे-धीरे उसका सब्र जवाब देने लगा था उसे अपनी जरूरतों के अधीन होकर इतना यकीन हो गया था कि अगर कोई भी उसकी चुदाई करना चाहेगा तो उससे चुदवा लेगी,,,, लेकिन यह कब कैसे और कहां होगा इसके बारे में उसे भी ज्ञात नहीं था वह सब कुछ समय पर छोड़ चुकी थी,,,,।

दूसरी तरफ सुरज दूसरे लड़कों की तरह चालाक और समझदार औरतों के मामले में बिल्कुल भी नहीं था वरना अब तक वह अपने लंड का सही उपयोग कर चुका होता,,, अभी तक तो उसने अपने हाथ का उपयोग करके मुठ भी नहीं मारा था जबकि गांव के उसके हम उम्र के इस क्रिया को रोज ही करते थे,,, और ज्यादातर लड़कों की कल्पना में सुरज की खूबसूरत यवन से भरी हुई मादकता छलकाती हुई उसकी मामी और उसकी मौसी ही रहती थी,,,,।

रविकुमार रोज की तरह रेलवे स्टेशन पर सवारी का इंतजार कर रहा था,,,,, और उसके बाकी साथी भी बेल गाड़ी लेकर रेलवे स्टेशन पर ही थे और रविकुमार और उसका एक साथी बड़े घने पेड़ के नीचे बैठकर बीडी सुलगा कर उसका कस खींच रहे थे,,,, अभी ट्रेन आने में समय था,,,,,,, रविकुमार के मन में उस दिन नामदेवराय के घर वाले दृश्य ही घूम रहा था,,,, वह यह जानना चाहता था कि उस दिन नामदेवराय के बिस्तर पर उसके साथ पूरी तरह से नंगी होकर कौन औरत चुदवा रही थी,,, क्योंकि जहां तक मैं जानता था नामदेवराय के घर में कोई भी औरत नहीं रहती थी नामदेवराय की बीवी थी नहीं तो आखिरकार,,, वह औरत कौन थी जो नामदेवराय एकदम नंगी होकर चुदवा रही थी,,, और उसके पहुंच जाने पर भी उसे जरा भी फर्क नहीं किया और उसी तरह से वह चुदाई में तल्लीन रही,,,, यही सोचते हुए वह बीड़ी का कश् खींच रहा था,,,, और आसमान की तरफ देखकर इसी बारे में सोच रहा था कि उसका साथी जोकि बीडी जलाकर माचिस को अपनी धोती में खोंसते हुए बोला,,,,)


क्या हुआ यार क्या बात है किस चिंता में डूबा हुआ है,,,,


यार मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,(कुछ देर सोचने के बाद बोला)


अरे क्या समझ में नहीं आ रहा है कुछ बोलेगा तभी तो पता चलेगा,,,,



यार मैं सोच रहा था कि अपने गांव में कोई ऐसी औरत है जो पैसे लेकर गंदा काम करती हो,,,,


क्या बात है यार तू यह क्यों पूछने लगा क्या भाभी अब मजा नहीं देती क्या,,,?(वो एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला) या बाहर की औरतों से मजा लेना चाहता है,,,,



अरे ऐसी बात नहीं है यार मै कुछ और सोच रहा हूं,,,


अरे क्या सोच रहा है मुझे भी बताएगा तेरी बातों से तो यह लग रहा है कि तू मजा लेना चाहता है और जहां तक मेरा सवाल है कि भाभी बहुत खूबसूरत है और तुझे बहुत प्यार करती है फिर तू ऐसा क्यों कर रहा है,,,(जोर से बीड़ी खींचते हुए वह बोला)


अरे पागल हो गया क्या तु मैं अपने लिए नहीं पूछ रहा हूं मेरे मन में किसी को लेकर शंका जाग रही है इसलिए पूछ रहा हूं,,,,(रविकुमार झुंझलाते हुए बोला,,)


अच्छा ठीक है लेकिन किसके लिए यह तो बता,,,


नहीं नहीं यार मैं अभी नहीं बता सकता हो सकता है मेरा सोचना और देखना दोनों गलत हो और ऐसे में किसी की इज्जत जा सकती है इसी के मान मर्यादा खत्म हो सकती है इसलिए मैं बता नहीं सकता पहले तो मुझे बता क्या कोई ऐसी औरत है अपने गांव में या आस-पास के गांव में,,,,



लेकिन तुम मुझसे ही क्यों पूछ रहा है मैं क्या ऐसी औरतों के पास जाता रहता हूं क्या,,,,


नहीं नहीं यह बात नहीं है तू शराब के ठेके पर जाता है ना तो वहां तो तुझे कई किस्म के लोग मिलते होंगे हो सकता है उनसे सुना हो,,,,,,,



हां मिलते तो बहुत हैं,,,, लेकिन कुछ इस तरह की खबर मुझे है नहीं,,,,(तभी उसकी नजर स्टेशन मास्टर पर पड़ी जो की स्टेशन से बाहर निकल कर कच्ची सड़क के नीचे की तरफ झाड़ियां में जा रहा था,,, उस पर नजर पड़ते ही वह एकदम उत्साहित स्वर में बोला,,,)

चल उठ मेरे साथ मैं तुझे कुछ दिखाता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह खड़ा हुआ और साथ ही रविकुमार का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करने लगा,,, तो रविकुमार उसका सहारा लेकर खड़ा होते हुए बोला,,,)


अरे कहां ले चल रहा है क्या दिखाने ,,,,


पहले तू आ तो सही तुझे मैं कुछ दिखाता हूं शायद तेरा काम बन जाए,,,,
(और इतना कहकर वह रविकुमार का हाथ पकड़ कर उसे उसी दिशा में ले गया जहां पर स्टेशन मास्टर चुपके छुपाते हुए झाड़ियों के अंदर गया था,,,,,रविकुमार को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे कहां ले जा रहा है और क्या दिखाना चाहता है,,, वह रविकुमार को झाड़ियों के अंदर ले जाने लगा रविकुमार को कुछ अजीब लग रहा था लेकिन फिर भी वह उसके साथ चलता चला जा रहा था,,,,,देखते ही देखते वह दोनों झाड़ियों के बीच पहुंच गए और एक मोटा सा बड़ा पेड़ के पीछे अपने आप को छुपा कर खड़े हो गए,,,,


यहां क्यों लाया मुझे ,,,(रविकुमार उत्सुकता जताते हुए बोला)


तेरे काम की चीज यहीं है,,,,


यहां कहां,,,?


वह देख सामने,,,,(वह हाथ की उंगली से इशारा करते हुए रविकुमार को बोला और रविकुमार उसके उंगली के ईसारे की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए,,,,)


अरे यह तो अपने स्टेशन मास्टर है,,,,,,, लेकिन वह औरत कौन है बाप रे,,,,, यह क्या हो रहा है,,,,,


देखता जा,,, और पहचानने की कोशिश कर,,,,
(रविकुमार उस झाड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर पूरी तरह से रोमांचित हो उठा था उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था स्टेशन मास्टर तकरीबन ५२ वर्ष के आदमी थे रविकुमार को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह स्टेशन मास्टर एक औरत की चुदाई कर रहे थे,,,औरत साड़ी को कमर तक उठाकर पेड़ पकड़कर झुकी हुई थी और की बड़ी-बड़ी गांड हवा में लहरा रही थी जिसे स्टेशन मास्टर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,,,,,,, रविकुमार को समझ में नहीं आ रहा था कि वह औरत कौन है इस समय रविकुमार की नजर सिर्फ उसकी परी परी कहां पर टिकी हुई थी जो कि स्टेशन मास्टर के हाथों में थी और उसका लंड उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,,, रविकुमार रोमांचित तो हुआ ही था लेकिन काफी हद तक आश्चर्यचकित भी था क्योंकि उसे स्टेशन मास्टर से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी क्योंकि स्टेशन मास्टर बहुत ही कड़क इंसान था और वह बेवजह स्टेशन में किसी को भी प्रवेश करने नहीं देता था खासकर के बैल गाड़ी वालों को,,,,,,जिस रफ्तार से उसे स्टेशन मास्टर की कमर आगे पीछे हो रही थी रविकुमार को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस उम्र में भी कोई इतनी तेजी से कमर हिलाता होगा,,,लेकिन यह बात शायद मैं भूल गया था कि चुदाई के मामले में इंसान अगर बिस्तर भी पकड़ा हो तो उठ कर खड़ा हो जाता है,,,,,,रविकुमार के कानों में उस औरत की आवाज साफ सुनाई दे रही थी जो कि स्टेशन मास्टर के हर धक्के पर ओहह बाबुजी,,,,आहहहह बाबुजी कर रही थी,,,,
रविकुमार को यकीन नहीं हो रहा था कि इस उम्र में भी स्टेशन मास्टर उस औरत की इतनी जबरदस्त चुदाई कर रहा है कि उसकी आहहह निकल जा रही है,,,,।,,)


देख रहा है रविकुमार कितना जबरदस्त है इस उम्र में भी स्टेशन मास्टर बड़ी कुर्ती दिखा रहे हैं,,, और उस औरत को देख कितने मजे ले रही है,,,,।


हां यार देख तो रहा हूं लेकिन वह औरत है कौन,,,?


अरे ठीक से उसका चेहरा तो देख,,,,


अरे हां यार यह तो वही औरत है जो स्टेशन पर मुरमुरे बेचती है,,,,,


हां अभी पहचाना उसको देख कर कुछ समझ में आ रहा है,,,, कहीं तु ईसी औरत के बारे में तो बात नहीं कर रहा था,,,


नहीं नहीं यार यह वह औरत नहीं है जिसको मैं देखा था वह तो खानदानी लग रही थी और एकदम गोरी चिट्टी भरे बदन की थी और उम्र भी उसकी कम थी मतलब कि इस औरत से कम थी,,,,, और यह तो हल्की सांवले रंग की है,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिरकार यह औरत ऐसा गंदा काम क्यों करवा रही हैं,,,,


अरे उसकी मजबूरी होगी,,,,


ऐसी कैसी मजबूरी बड़े आराम से तो मुरमुरे बेचती है,,,,


बेचती तो है लेकिन,,,, देखता नहीं है बेझिझक स्टेशन के अंदर बाहर आती जाती रहती है,,,,स्टेशन मास्टर की कृपा है तभी तो ऐसा करती है और पैसों की जरूरत भी होगी जोकि स्टेशन मास्टर कुछ पैसे दे देता होगा,,,,, और वैसे भी सांवली है तो क्या हुआ इसका बदन भी तो भरा हुआ है बड़ी-बड़ी चूचियां,,,, जब मुरमुरे खरीदने जाता हूं तो जी भर कर उसकी चूचियां देखता हूं,,,,


तू भी कितनी गंदी सोच रखता है,,,,(रविकुमार उसे थोड़ा सा डांटते हुए बोला)


अच्छा मैं गंदी सोच रखता हूं,,,,

तो जरा अपने पजामे की तरफ देख,,,, खड़ा क्यों हो गया है,,,
(उसकी बात सुनते ही रविकुमार अपने पजामे की तरफ देखा तो शर्मा गया,,,, और बोला कुछ नहीं बस फिर से उस नजारे को देखने लगाअभी स्टेशन मास्टर जोर-जोर से उस औरत की गांड पर चपत लगा रहा था और उस चपत को खा कर ऐसा लग रहा था कि उस औरत की मस्ती और बढ़ जा रही थी,,,,,)

आहहहहह ,,,,,,आहहहहहहह बाबुजी,,,,, क्या कर रहे हैं,,,।


कुछ नहीं मेरी रानी मजे ले रहा है ऐसे ही मुझे मजा दिया कर पूरा स्टेशन तेरे नाम कर दूंगा,,,,


ओहहहह,,,,, मजे तो आपको बहुत देती हूं बाबूजी,,,, आजकल पैसो की बड़ी तंगी है,,,


तू चिंता मत कर मेरी रानी मैं हूं ना बस ऐसे ही रोज मुझसे चुदवा लिया कर पैसों की बिल्कुल भी कमी नहीं होगी,,,,आहहहहह आहहहहहह मेरी रानी,,,,


बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगाओ,,,,
(पैसों की बात सुनते ही उस औरत की मस्ती और ज्यादा बढ़ गई थी और वह और मजे से लेकर उसे सेशन मास्टर से चुदवाने लगी थी,,,,, रविकुमार की भी हालत खराब हो रही थी और उस साथी की भी दोनों का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था रविकुमार का मन कर रहा था कि वह भी बीच में कूद जाए और उस औरत की बुर में अपना लंड डालकर अपनी गर्मी शांत कर ले,,,, तभी उसका साथी बोला,,,,)


चल रविकुमार आज अपना काम भी बना लेते हैं,,,


अब क्या करने जा रहा है तू,,,,


हम दोनों का काम बनाने देखता नहीं है हम लोगों को वह स्टेशन में घुसने भी नहीं देता,,,,


तो वहां जाकर क्या होगा,,,,


तू आ तो सही,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह रविकुमार का हाथ पकड़कर पेड़ के पीछे से बाहर आ गया और उसे स्टेशन मास्टर को आवाज देते हुए उसकी तरफ बढ़ने लगा)


अरे वह बड़े बाबू यह क्या हो रहा है,,,,,
(इतना सुनते ही वह एकदम से हड़बड़ा गया उसको तो जैसे सांप सूंघ गया हो और वह औरत पूरी तरह से सक पका गई,,,, स्टेशन मास्टर को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका लंड अभी भी उस औरत की बुर में घुसा हुआ था और वह घबराया हुआ रविकुमार और उसके साथी को ही देख रहा था,,,,)

अरे रुक क्यों गए बड़े बाबू अपना काम जारी रखिए,,,,(रविकुमार का साथी बड़े इत्मीनान से अपनी बात कह रहा था और वह औरत शर्म के मारे अपना मुंह छुपाने की कोशिश कर रही थी तो वह बोला)

मुंह छुपाने की जरूरत नहीं है हम तुम्हें पहचानते हैं,,, और बड़े बाबू आप चुदाई जारी रखिए,,,,,


देखो मैं तुम दोनों के हाथ जोड़ता हूं यहां जो कुछ भी हो रहा है इसके बारे में किसी को कुछ मत कहना,,,,( वह स्टेशन मास्टर हाथ जोड़ते हुए बोला,,,,, स्टेशन मास्टर को इस तरह से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता हुआ देखकर रविकुमार बोला,,,)

बिल्कुल भी चिंता मत करिए हम दोनों यह बात किसी को नहीं बताएंगे ,,(तभी उसका साथी बीच में बोल पड़ा)

लेकिन इसमें हमारा क्या फायदा होगा,,,,


क्या चाहते हो तुम दोनों,,,,


देखिए हम दोनों कुछ नहीं,,,,(तभी वह बीच में ही रविकुमार की बात काटते हुए बोला)

हम दोनों को बेझिझक स्टेशन में घुसकर सवारी लेने की इजाजत देना पड़ेगा हमें कोई रोकेगा नहीं,,,,,,(अपने साथी के पास चलकर रविकुमार उसकी तरफ अच्छे से देख लेना क्योंकि जो बात हुआ स्टेशन मास्टर से मंगवाना चाहता था इसमें उन दोनों का बहुत फायदा था इससे वह दोनों बेझिझक स्टेशन के अंदर घुस कर सवारी ढो सकते थे और उनसे थोड़ा किराया भी ज्यादा ले सकते थे,,,, यह तो रविकुमार के लिए सोने पर सुहागा जैसा था,,,, इसलिए बीच में कुछ बोला नहीं,,,) बोलो बड़े बाबू मंजू है कि हम लोग बाहर जाकर सबको बता दें,,,,


नहीं नहीं ऐसा मत करना नहीं तो मैं बदनाम हो जाऊंगी,,,,( वह औरत रुंआसी होते हुए बोली,,,)

ठीक है तुम दोनों को मैं मंजूरी देता हूं,,,, अब कर लु,,(स्टेशन मास्टर उस औरत की गांड पकड़ते हुए बोला,,,)

ठीक है कर लो ट्रेन आने वाली है क्या हम लोग स्टेशन के अंदर जा सकते हैं,,,,


जा सकते हो जो कोई रोके तो मेरा नाम बता देना,,,,


ठीक है बड़े बाबू जी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह हंसता हुआ रविकुमार का हाथ पकड़ लिया और जाने लगा रविकुमार जाते-जाते मोड़ कर एक बार उन दोनों पर नजर डाला तो स्टेशन मास्टर फिर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,)

देखा ना आज एक फायदा हो गया,,,,


हां तु ठीक कह रहा है इसमें हम दोनों का ही फायदा है,, चल जल्दी ट्रेन आने वाली है,,,,
(इतना कहकर दोनों स्टेशन के अंदर चले गए,,, फायदा होने के बावजूद भी रविकुमार का मन अभी भी उदास था क्योंकि नामदेवराय के साथ वाली औरत के बारे में उसे अभी भी कुछ भी पता नहीं था,,,)
 
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