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Incest गांव की कहानी ( कॉपी )

devraja

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सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसे उसकी मामी की खूबसूरत गांड के दर्शन जो होने वाले थे,,सुरज अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था इतना ज्यादा उत्तेजना तो उसे सुधियां काकी को चोदते समय भी नहीं महसूस हुआ था जितना कि सिर्फ अपनी मामी को नंगी देखकर वह महसूस कर रहा था,,,,सुरज के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी कमरे के अंदर का दृश्य धीरे-धीरे और ज्यादा गर्म होता जा रहा था जिसकी सुरज को कल्पना भी नहीं थी,,, बार-बार सुरज के मामा सुरज की मामी को अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाने को कहते थे हालांकि वह पूरी तरह से नंगी थी लेकिन उसकी दूसरी तरफ थी जिसे सुरज की मामा देखकर और ज्यादा उत्तेजित होना चाहते थे,,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके मामा और उसकी मामी की चुदाई बरसों से करते आ रहे थे और अनगिनत बार उसकी मामी को अपने हाथों से नंगी करके उसके वजन के हर एक अंग को देख चुके थे लेकिन फिर भी उसकी मदमस्त गांड को देखने के लिए लालायित थे ,,, और उसने तो कभी भी अपनी मामी को ना तो गलत नजरिए से देखा था और ना ही बिना कपड़ों के,,, तो फिर वह क्यों ना ज्यादा उत्सुक हो अपनी मामी को नंगी देखने के लिए और वैसे मौका ए दस्तूर भी यही था क्योंकि उसकी आंखों के सामने बगल वाले कमरे में उसकी मामी बिना कपड़ों के एकदम नंगी खड़ी थी लेकिन नंगी होने के बावजूद भी ना तो सुरज को अपनी मामी की रसीली बुर दिखाई दे रही थी और ना ही उसकी मादकता भरी गांड नजर आ रही थी,,। इसलिए तो उसके मामा से भी ज्यादा उत्सुक वह खुद का अपनी मामी की गांड देखने के लिए,,,।

बेहद अद्भुत और मादकता का रस घोलता हुआ यह नजारा सुरज के बगल वाले कमरे में दृश्य मान हो रहा था जिसकी सुरज ने कभी कल्पना भी नहीं किया था यह तो उसकी मौसी की ही बदौलत था जो उसे ऐसा कामुक और मनोरम दृश्य देखने को मिल रहा था,,,,,, सुरज का मन अभी भी मानने को तैयार नहीं था कि वह अपनी आंखों से ही अपने मामा और अपनी मामी को इस हालत में देख रहा है,,,,कमरे में सुरज की मामी एकदम नंगी खड़ी थी खटिया पर उसके मामा पीठ के बल लेटे हुए थे और अपने खड़े लंड को जोर जोर से हिला रहे थे,,,, और एक हाथ से सुरज की मामी की चिकनी जांघों पर अपना हाथ फेर रहे थे,,, यह देखकर सुरज की भी हालत खराब हो रही थी,,,।


अब दिखा भी तो मेरी जान इतना क्या तड़पाना,,,,


आप भी ना बच्चों की तरह जिद पर बैठ जाते हैं,,,।


बच्चे क्या ईस तरह की जीद करते हैं,,,,,,, गांड़ देखने की,,,(रविकुमार मुस्कुराते हुए बोला)

आप भी ना,,,,


चलो दिखा भी दो,,,,

(रूपाली जानती थी कि उसके पति जिस चीज के लिए जिद करते हैं अपनी जीत पूरी करके ही रहते हैं और वैसे भी अपनी नंगी गांड दिखाने में रूपाली को कोई आपत्ति नहीं थी,,, लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी,,, फिर भी वह बोली,,,)

चलिए कोई बात नहीं दिखा देती हूं लेकिन ज्यादा परेशान मत करना रात काफी हो गई है मुझे नींद भी आ रही है,,,।


हाय मेरी जान सो जाना लेकिन पहले जी भर कर चुदवा लेना,,,,
(अपनी मामी और मामा की बातें सुनकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे थे सुरज को अपनी मामी का इस तरह से मुस्कुराना और एकदम नंगी होकर खड़े रहना बेहद लुभावना लग रहा था पल-पल वह अपनी मामी के प्रति आकर्षित होते चले जा रहा था और रह रह कर उसे अपनी मामी में सिर्फ एक औरत नजर आती थी,,,। जो कि एक औरत के प्रति आकर्षण का ही नतीजा था वरना वह अपनी मामी को आज तक इस नजरिए से कभी नहीं देखा था,,,सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि मैं जानता था कि कुछ ही पल में उसकी मामी उसके मामा को अपनी भारी भरकम गोरी गोरी गांड दिखाने वाली है जिसे सुरज ने आज तक नहीं देखा था और ना ही उसके बारे में कभी कल्पना किया था,,, रूपाली जानती थी कि वह बेहद खूबसूरत है इस उमर में भी उसकी जवानी बरकरार थी तभी तो उसका पति उसके ऊपर पूरी तरह से लट्टु था,,,, रूपाली मुस्कुरा रही थी और रविकुमार के मुंह में पानी आ रहा था धीरे-धीरे रूपाली अपने पीठ को अपनी गांड को अपने पति रविकुमार की तरफ करने लगी,,,,,,, वह बड़े मादक तरीके से गोल घूमते हुए अपने पति की तरफ गांड कर रही थी सुरज को मालूम था कि जिस तरह से उसकी मामी गोल घूम कर अपने पति की तरह काम करने जा रहे हैं थोड़ी देर के लिए ही सही उसे अपनी मामी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करने को जरूर मिलेंगे,,,, और जैसे ही सुरज की मामी की गांड सुरज की तरफ हुई सुरज के तो जैसे होश ही उड़ गए,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई लगता था मानो जैसे वक्त रुक गया कुछ सेकंड के लिए सुरज के जीवन की सबसे अद्भुत अतुलनीय पल बन गया बेहद यादगार पल था सुरज के लिए सुरज ने कभी अपनी मामी की गांड के लिए नहीं किया था उसे बिना कपड़ों के देखेगा इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था कि जो कुछ भी हो रहा था वह सुरज के जीवन में बदलाव लाने के लिए काफी था,,,,।

सुधियां काकी की बड़ी बड़ी गांड देखने के बाद सुरज को यही लगा था कि औरतों की गांड खूबसूरत होती है लेकिन आज अपनी मामी की मदमस्त कर देने वाली गांड को देखकर सुरज को यह समझ में आ गया था कि उसकी मामी की गांड बेहद खूबसूरत है सुधियां काकी की गांड उसकी मामी की गांड के आगे कुछ भी नहीं थी गांड की दोनों फांकें बड़े-बड़े तरबूज की तरह लग रही थी जिस पर मुंह लगाकर उसके रस को पी जाने का मन सुरज का कर रहा था,,, तरबूज के टुकड़ों की तरह दांत से दबा कर अपनी मामी की भरपूर जवानी के केंद्र बिंदु उसकी बड़ी-बड़ी गांड को काटने का मन कर रहा था,,,। इस मादकता भरे दृश्य को देख पाना सुरज के बस में बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए उसे दृश्य के हर एक रस के बूंदों को अपनी आंखों से पी रहा था,,,, सुरज की आंखो में खुमारी छाने लगी थी शराब का नशा कैसा होता है उसे बिल्कुल भी नहीं पता था लेकिन अपनी मामी के नंगे बदन को उसकी नंगी गांड को देखकर नशे पन का एहसास उसे जरूर हो रहा था,,,, पजामे में गदर मचा हुआ था वह कैसे अपने आप को संभाले हुए था यह भी अपने आप में काबिले तारीफ था वरना सबसे खूबसूरत औरत को नंगी देख लेने पर अपने आप ही पानी निकल जाता है,,,।

देखते ही देखते रूपाली अपनी गांड को अपनी पति रविकुमार के सामने कर दी,,, और रविकुमार अपनी बीवी की मदमस्त गांड को परोसे हुए स्वादिष्ट व्यंजन की तरह दोनों हाथों से झपट लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया उसकी कमर में हाथ डाले वह रूपाली को अपने ऊपर गिरा लिया और अगले ही पल रूपाली की भारी-भरकम गांड,,,सुरज के मामा के मुंह पर थी एक तरह से रूपाली की गांड के नीचे सुरज के मामा का चेहरा पूरी तरह से ढक गया था की किसीने गांड की चादर ओढ़ा दी गई हो,,,, यह दृश्य देखकर सुरज की हालत एकदम से खराब हो गई सुरज अपने मन में सोचने लगा कि उसके मामा की किस्मत कितनी अच्छी है कि एक खूबसूरत औरत की गांड उसके चेहरे पर है,,,, रूपाली को जब एहसास हुआ कि उसकी भारी-भरकम गांड उसके पति के चेहरे पर है तो वह एकदम से हिचकते हुए बोली,,,,।


हाय दैया यह क्या कर रहे हैं आप उठने दीजिए मुझे,,,,


नहीं मेरी रानी बस ऐसे ही बैठे रहो,,, इसी तरह से तुम्हारी गांड चाटना चाहता हूं तुम्हारी बुर का रस पीना चाहता हूं,,,,
(और रविकुमार का इतना कहना था कि अकेले ही पल रूपाली की आंखें मदहोशी के आलम में मूंदने लगी उसके चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे उसके होंठ हल्के से खुले के खुले रह गए,,,, क्योंकि रविकुमार एक साथ अपनी जीभ से उसकी गांड का छेद और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया था सुरज तो यह देखकर पूरी तरह से पागल हो गया,,,उसके मामा का चेहरा उसकी मामी की गांड के नीचे पूरी तरह से ढका हुआ था इसलिए उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन अपने मामा की बात सुनकर उसे इतना तो पता चल गया था कि उसके मामा उसकी मामी की गांड और बुर दोनों अपनी जीभ से चाट रहे हैं,,,, औरत और मर्द के बीच का यह एक और प्रकरण किताबी पन्ने की तरह सुरज की आंखों के सामने खुल रहा था ,,,उसे तो इस क्रिया के बारे में पता ही नहीं था वह तो बस दो बार सुधियां काकी की बुर में लंड डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था उसे और कुछ ज्यादा मालूम नहीं था लेकिन वह अपनी आंखों के सामने अपने मामा और अपने मामी की रंगरेलियां उनके मादकता भरे क्रीडा को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,।

कुछ देर पहले जो रूपाली अपने पति के चेहरे पर अपनी गांड रखे होने की वजह से शर्मिंदगी महसूस कर रही थी वही रूपाली अब बड़े मजे से धीरे-धीरे अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने पति के चेहरे पर रगड़ रही थी सुरज यह देखकर पूरी तरह से मस्त हो जा रहा था अपनी मामी की कामलीला को देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी उसमें सच्चाई ही सच्चाई थी जरा भी झूठा पन दिखावा नहीं था,,,, धीरे-धीरे रूपाली के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी थी जो कि सुरज के कानों तक आराम से पहुंच रहे थे सुरज अपनी मामी के बदलते चेहरे के हाव भाव को देखकर इतना तो अंदाजा लगा रहा था कि इस क्रिया को करने में उसकी मामी को बहुत मजा आ रहा है उसके मामा के दोनों हाथ ऊपर की तरफ होकर उसकी मामी की कमर को थामे हुए थे और ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी कमर को जोर से पकड़ कर उसकी कमर को अपने चेहरे पर और जोर से दबा रहे हैं यह आसन और यह क्रिया सुरज के लिए बिल्कुल नया था लेकिन इससे सुरज का जोश भी बढ़ता जा रहा था इस दृश्य के चलते सुरज का हाथ अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया और अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,,,,,


दीवार के छोटे से छेद में से सुरज को अद्भुत और मनोरम दृश्य नजर आ रहा था वह बार-बार अपनी मौसी की तरफ देख ले रहा था जो कि बेसुध होकर सोई हुई थी अच्छा हुआ वह सो रही है अगर जाग गई होती तो उसे यह दृश्य देखने का मौका नहीं मिलता अपने मन में सोचते हुए अपनी मामी के खूबसूरत बदन के हर एक अंग को और उसकी हरकत को बारीकी से देख रहा था,,,। उसकी मामी गहरी सांसे दे रही थी और उसकी सांसो की गति के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह झूल रही थी सुरज का मन कर रहा था कि वह भी कमरे में घुस जाए और अपने दोनों हाथों में उसकी मामी की चूची पकड़ कर उसे जी भर कर प्यार करें,,, यह ख्याल मन में आते ही सुरज के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगती थी सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि जब जब अपनी मामी के बारे में गंदे विचार अपने मन में लाता था तब तक उसकी उत्तेजना इतनी ज्यादा क्यों बढ़ जाती थी लेकिन उसे इस ख्याल से आनंद भी आता था,,,,।

आहहहहह,,,,, आहहहहहह,,,,सईईईईईईईई,,,, आहहहहहहह,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है पूरी जीभ अंदर तक डालिए,,,,, हां,,,,,,,ऐसे ही,,,,,ऊफफफ,,,,,ऊमममममम,,,,
(सुरज तो अपने मामी के मुंह से इस तरह की रंगत भरी बातें सुनकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था उसकी मामी की हरकत को देखकर उसकी बातों को सुनकर उसे साथ पता चला था कि उसकी मामी को बहुत मजा आ रहा है क्योंकि वह पूरी जीभ अंदर तक डाल कर चाटने के लिए बोल रही थी,,, इसका मतलब साफ था कि बुर में जीभ डालकर चाटा भी जाता है,,,,वह अपनी मन में इस बात को सोचकर और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था वह सोचने लगा था कि औरत की बुर में जीभ डालने पर कैसा महसूस होता है सुरज इस अनुभव से अवगत होना चाहता था,,,,वह धड़कते दिल के साथ पजामे में अपना हाथ डाले कमरे के अंदर के दृश्य को देख रहा था कुछ देर तक इसी तरह से चलता रहा,,,, तभी उसकी मामी पीछे की तरफ झुकते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके मामा के लंड को पकड़ ली,,,, यह दृश्य सुरज को साफ नजर आ रहा था,,,,। वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मामी इस तरह से हरकत करेगी वह आप उसके मामा के लंड को पकड़ कर जोर जोर से हिला रही थी,,,, कि तभी सुरज के मामा बोले,,,,।)


आहहहहह मेरी रानी ऐसे नहीं मुंह में लेकर चूसो,,,
(अपने मामा के मुंह से यह बातें सुनते ही सुरज के दिल की धड़कन और ज्यादा बढ़ने लगी उसके मामी और उसके मामा की एक-एक हरकत बारी-बारी से सुरज के तन बदन में आग लगा रही थी एक-एक करके औरत और मर्द के बीच का यह रहस्य खुलता जा रहा था,,,, जिससे सुरज पूरी तरह से आकर्षित हुआ जा रहा था उसके मामा के कहे अनुसार औरत आदमी का लंड चुसती है,,, अपने मन में सोचने लगा कि सुधियां काकी उसे चोदना तो सिखाई लेकिन उसके बारीकियों से उसे परिचित नहीं करवाई,,,,,, उसके मामा की बात सुनते ही उसकी मामी अपनी बड़ी बड़ी गांड को उसके मामा के चेहरे पर रखे हुए ही पीछे की तरफ झुक गई और उसके मामा के लंड को मुंह में डालकर चुसना शुरु कर दी,,,। सुरज के बदन में कंपन होना शुरू हो गया,,, सुरज को अपनी मामी का यह रुप बेहद लुभावना और कामुकता से भरा हुआ लग रहा था,,, जिसके प्रति सुरज आकर्षित होता चला जा रहा था,,,, सुरज की मामी को ज्यादा उत्तेजित हो गई थी वह अपनी गांड को उसके मामा के चेहरे पर जोर जोर से पटक रही थी,,, शायद कामुकता भरे इस पल में मर्द औरत के भारी-भरकम वजन को भी बड़े आसानी से झेल जाता है तभी तो उसके मामा उसकी मामी की पड़ी पड़ी गांड के वार को उसकी पटक पर बड़े आराम से अपने चेहरे पर झेल कर मस्त हुए जा रहे थे,,,।

कुछ देर तक यह दृश्य ऐसे ही चलता रहा,,,, रात और ज्यादा गहरी हो चली थी चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा था केवल रह-रहकर कुत्तों के भोंकने के ही आवाज आ रही थी,,,। ऐसे में सारा गांव नींद की आगोश में सो चुका था लेकिन सुरज के मामा और उसकी मामी की नींद उड़ी हुई थी वह दोनों शारीरिक क्रीड़ा में पूरी तरह से लिखते हो चुके थे इस बात से अनजान की बगल वाले कमरे में से उनका जवान भांजा उनकी काम क्रीड़ा को अपनी आंखों से देख रहा हैं,,,,। पूरी तरह से मस्त होने के बाद रूपाली अपने पति के ऊपर से उठी तो रविकुमार बोला,,,,।


कहां जा रही हो मेरी रानी,,,


कहीं नहीं जा रही हूं मेरे राजा तुम खटिया पर से उठ जाओ तो मैं लेटु,,, तभी ना मुझे चोदोगे,,,,
(सुरज तो अपनी मामी के मुंह से चोदने वाली बात सुनकर एकदम से हैरान और मस्त हुआ जा रहा था वह अपनी मामी को आज तक एक सीधी-सादी और संस्कारों से भरी हुई औरत ही समझता था लेकिन आज उसका एक नया रूप देख रहा था इसलिए वह हैरान था,,,लेकिन इसमें दोष सुरज का बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि सुरज पति और पत्नी के बीच के रिश्ते से पूरी तरह से अनजान था वह यह बात नहीं जानता था कि दिन भर संस्कार से भरी हुई औरत अपने परिवार को संभालने वाली औरत,,,रात में अपने पति के साथ अपने सारे कपड़े उतार कर संस्कार और मर्यादा के दीवारों को गिरा कर,,, अपने पति के साथ चुदाई में मस्त हो जाती है,,,, रूपाली की बातें सुनकर रविकुमार बोला,,,)

नहीं नहीं मेरी रानी आज तुम मेरे ऊपर चढोगी,,,,


यह क्या कह रहे हैं आप सारी कसरत आप मुझसे करवाएंगे,,,,


हां मेरी रानी अब जल्दी से चढ जाओ,,,,,

(अपने मामा की बात सुनकर सुरज हैरान था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ऊपर चढ़ जाने वाली बात उसे समझ में नहीं आई थी,,,,,लेकिन थोड़ी ही देर बाद सब कुछ साफ हो गया उसे सब कुछ समझ में आ गया कि उसके मामा किस बारे में बात कर रहे थे थोड़ी देर ना नूकुर करने के बाद रूपाली मान गई घुटने के बल होकर अपने पति के इर्द-गिर्द अपनी दोनों घुटनों को रख कर,,,एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने हाथ से अपने पति का लंड पकड़ ले और से धीरे से अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दी ऊपर चढ़ने के मतलब को अब सुरज अच्छी तरह से समझ गया था,,,, देखते ही देखते उसकी मामी अपने पति के मोटे तगड़े लंबे लंड को धीरे-धीरे अपनी बुर की गहराई में उतार ली,,,, सुरज पहली बार अपनी मामी की अच्छे को देख रहा था एकदम खूबसूरत गुलाबी पत्ती से सुशोभित हल्के हल्के रोशनी बाल की गहराई लिए हुए अपनी मामी की बुर को देखकर सुरज पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया,,,, सुरज अपनी मामी की बुर को देखकर अपने मन में यही सोचने लगा कि उसकी मौसी बुर और उसकी मामी की बुर में ज्यादा फर्क नहीं था लेकिन दूर से देखने के बाद भी सुरज इतना तो समझ गया था कि उसकी मौसी की बुर से ज्यादा उसकी मामी की बुर मजा देती है,,,, सुरज धीरे-धीरे अपनी मामी के नंगे बदन के हर एक अंग को देख लिया था,,, और उसे अपनी मामी के बदन के हर एक अंग बेहद खूबसूरत और लुभावना लग रहा था,,,।

सुरज को एकदम साफ नजर आ रहा था उसकी मामी उसके मामा के लंड पर चढ़ी हुई थी और उसके मामा का लंड उसकी मामी की बुर की गहराई के अंदर था रूपाली की सांसे गहरी चल रही थी और वह धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर नीचे करते हुए उसके मामा के लंड को अंदर बाहर ले रही थी यह आसन यह तरीका देखकर सुरज का मन मचल उठा,,,,बार-बार उसकी नजर अपनी मौसी के ऊपर जा रही थी बगल के कमरे में अपनी मामी की चुदाई देखकर सुरज का मैंने अपनी मौसी पर मचल रहा था क्योंकि वह उसके साथ एक ही खटिया पर सोती थी और उसे इस बात का अहसास होने लगा था कि उसकी मौसी भी इस छेद में से अपनी भैया और भाभी की चुदाई देखकर मस्त होती है,,,इस बात का अंदाजा सुरज लगा चुका था कि उसकी मौसी को भी यह सब अच्छा लगता है वरना वह छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे के दृश्य को कभी नहीं देखती,,, अंदर का दृश्य इतना ज्यादा उत्तेजना से भरा हुआ था कि सुरज के मन में आ रहा था कि वह अपने मौसी की चुदाई कर दें क्योंकि चोदना तो उसे आ ही गया था और चुदाई करने से पहले क्या-क्या किया जाता है यह भी वह अपने मामी और मामा से सीख रहा था,,,।


सुरज का पूरा ध्यान उसके मामा और उसकी मामी की बुर पर टिका हुआ था,,,। उसकी आंखों के सामने उसके मामा का लंड उसकी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,। सुरज की हालत खराब हो रही थी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि काश वह उसके मामा की जगह होता तो उसकी मामी उसके ऊपर होती और उसका लंड उसकी मामी की बुर में होता,,,तो कितना मजा आता क्योंकि दो बार बार चुदाई के सुख से रूबरू हो चुका था वह जानता था कि चुदाई में बहुत मजा आता है,,,, धीरे-धीरे सुरज की मामी अपनी गांड जोर-जोर से अपने पति के लंड पर पटकने लगी ,,। जिसके साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी जोर जोर से उछल रही थी जिसे उसके मामा अपना हाथ आगे बढ़ाकर दोनों हाथों में थाम ले उसे जोर जोर से दबाने लगे अपने मामा को इस तरह से अपनी मामी की चूची को दबा कर के देख कर सुरज को वह दिन याद आ गया जब वहां की सुधियां काकी को चोदते हुए उसकी चूची को अपने हाथ में पकड़ कर दबाने के लिए मचल रहा था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि चोदते सभी औरतों की चूची दबाने में ज्यादा मजा आता होगा और यही सोचते हुए अपने पजामे को घुटने तक नीचे गिरा दिया,,, और अपने लंड को जोर से अपनी मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करके हिलाने लगा,,, सुरज को मुठ मारने का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था और ना ही उसने आज तक मारा था लेकिन अपनी मामी की मदमस्त चुदाई देखकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और अनजाने में ही वह मुठ मारना शुरू कर दिया,,,।

उसके मामा नीचे से भी अपनी कमर को ऊपर की तरफ दे मार रहे थे शायद उत्तेजना में उसकी चुदाई करते हुए वह अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहे थे रूपाली सुरज की मामी पूरी तरह से मस्त होकर जोर-जोर से अपने गांड को रविकुमार के लंड पर पटक रही थी सुरज अपने मामा के लंड को देख कर उसकी तुलना अपने लंड से करने लगा था जो कि हर हाल में उसके मामा के लंड से उत्तम कोटि का था,,, और इसीलिए सुरज इस बात से सहमत हैं कि अगर उसकी मामी की पूरी में उसका लंड जाएगा तो उसकी मामी को उसके मामा की चुदाई से ज्यादा मजा आएगा,,,।

दोनों तरफ का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था रविकुमार और रूपाली एक साथ चरमोत्कर्ष के करीब पहुंच चुके थे और दूसरी तरफ सुरज भी अपने लंड को हिलाते हुए पानी निकालने के करीब था,,, तभी सुरज की मामी के मुंह से तेज सिसकारी फूट पड़ी,,,।

ससहहहह,,आहहहहह,आहहहहहह,, मैं तो गई,,,, मैं तो गई मेरे राजा,,,,,आहहहहहहहह,,,,,


मैं भी गया मेरी रानी,,,,(और इतना कहने के साथ ही दोनों झड़ गए,,, साथ ही सुरज जी अपनी पिचकारी दीवार पर मार दिया,,,,सुरज की सांसे तेज चल रही थी उसका पानी निकल चुका था लेकिन फिर भी वह दीवार के उस छोटे से छेद में से अंदर अपने मामी मामा को देख रहा था जो कि उसकी मामी उसके मामा के ऊपर निढाल होकर गिर गई थी और उसके मामा ,, उसकी मामी को बाहों में लेकर उसकी पीठ सहला रहे थे अब सुरज के लिए वहां खड़े रहना उचित नहीं था,,,आज का यह अनुभव सुरज के जीवन का सबसे बड़ा सड़क साबित होने वाला था वह अपने मामा-मामी की चुदाई को देखकर बहुत कुछ सीख चुका था वह अपने पहचाने को ऊपर करके वापस खटिए पर आ गया उसकी मौसी बेसुध होकर सो रही थी,,, जो खटिया पर पीठ के बल लेटी हुइ थी,,, वह अभी भी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पाया था,,, पानी निकल जाने की वजह से,,, उसका दिमाग थोड़ा ठंडा महसुस कर रहा थाइसलिए अपनी मौसी के बारे में कुछ सोच पाता इससे पहले ही वह नींद की आगोश में चला गया,,,।
 
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devraja

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सुरज ने अपनी आंखों से जो कुछ भी देखा था उसका गहरा प्रभाव उसके कोमल मन पर पड़ा था,,,, अब वह अपनी मामी को एक मां की तरह नहीं बल्कि एक औरत की तरह देखने लगा था,,, हर औरत को वह अपने अलग नजरिए से देख रहा था पहले औरतों को वहां इज्जत और सम्मान के नजरिए से देखता था हालांकि सम्मान अभी भी वह करता ही था लेकिन अब देखने का नजरिया उसका बदल गया था किसी भी औरत को देखता था तो पहले उसके मादक अंगो पर उसकी नजर जाती थी,,, उसकी नजर अब औरतों की बड़ी बड़ी चूचियों और उनकी बड़ी बड़ी गांड पर ज्यादा ठहरती थी,,, औरतों के नितंबों और चुचियों में एक अजीब सा आकर्षण उसके मन को प्रफुल्लित करता था,,, इस आकर्षण के वशीभूत होकर सुरज अपने मन में गंदे गंदे विचार को जन्म देता था,,।

जब से वह अपनी आंखों के सामने अपनी मामी को कपड़े उतारकर नंगी होते देखा था और उसे अपने मामा से चुदवाते हुए देखा था,,, तब से वह अपनी मामी की खूबसूरती और उसके मादक बदन के आकर्षण से वशीभूत होकर खुद को अपने मामा की जगह रखकर अपनी मामी से संभोग सुख का आनंद लूटता था,,,,उसे इस तरह की कल्पना में भी अत्यधिक उत्तेजना और संतुष्टि पन का एहसास होता था,,,,, अपनी मामी को वह एक नए रूप में देखा था जोकि सुरज के लिए यह बिल्कुल नया रूप था लेकिन एक औरत के लिए एक पत्नी के लिए और रूपाली के लिए यह सब कुछ एकदम सहज था,,, इसके बारे में सुरज नहीं जानता था उसे तो अपनी मामी का संभोग लिप्त,,, मदहोशी मैं खोई हुई अपनी मामी का रूप ही बार-बार याद आ रहा था,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मामी रात के अंधेरे में इस तरह से खुल कर मजे लेती है,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियां,,,, मादक सुडौल बदन उसकी उभरी हुई गद्देदार मुलायम भराव दार गांड और उसकी रसीली बुर जिसमे उसके मामा का लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था,,,, इस दृश्य को याद करके सुरज हमेशा यही सोचता रहता था कि उसके मामा का लंड उसके लंड से पतला और छोटा है और सुरज अपने और अपने मामा के लंड की तुलनात्मक स्थिति में इसी निष्कर्ष पर निकलता था कि उसके मामा को उसकी मामी की बड़े आराम से अंदर बाहर आ जा रहा था अगर,,,उसके मामा की जगह उसका लंड उसकी मामी की बुर में जाएगा तो इतने आराम से बिल्कुल भी नहीं जा पाएगा क्योंकि सुरज रात को अपने मामा के लंड को देखकर जायजा ले लिया था अच्छी तरह से जानता था कि उसके मामा का लंड उसके लंड से कमजोर है इसलिए वह सुधियां काकी की चुदाई करने के बाद इतना तो समझ ही गया था कि उसका लंड उसकी मामी की बुर में आराम से नहीं जा पाएगा जितने आराम से उसकी मामी उसके मामा के लंड पर कूद कूद कर अंदर बाहर ले रही थी इस तरह से तो बिल्कुल नहीं हो पाएगा,,, इस बारे में सोचते ही सुरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच जाती थी,,,।,,क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसे यह सुनहरा मौका मिला अपनी मामी चोदने का तो वह बहुत ही अच्छे से अपनी मामी की चुदाई करेगा और उस चुदाई से उसकी मामी बेहद खुश और प्रसन्न हो जाएगी और संतुष्टि पाकर उसी के साथ ही चुदाई करवाएगी,,,,। यह सब सोचकर सुरज के तन बदन में आग लग जाती थी,,,,,, सुरज के लंड बार-बार अपनी मामी और अपने मामा के बारे में सोच कर उबाल आ जाता था,,,,,
लेकिन कुछ दिनों से जहां चाह कर भी रात को जाग नहीं पाता था,,,।

अब वह घर में किसी भी तरह से कोई भी काम करते हुए सिर्फ अपनी मामी को देखाता रहता था इस बात का आभास उसकी मामी को बिल्कुल भी नहीं था जब कभी भी वह काम करती थी झाडु लगाती थी कपड़े धोती थी,,, सुरज की निगाह उसके गोल मटोल गांड के साथ-साथ उसके ब्लाउज में से झांकते उसके दोनों कबूतरों पर चली जाती थी,,,। ऐसे ही एक दिन सुबह का समय था और रविकुमार दातुन कर रहा था,,, वह आंगन में बैठा हुआ था,,, सुरज भी वहीं पास में बैठ कर दातुन कर रहा था तो रविकुमार उसे बोला,,,।

अरे इतना बड़ा हो गया है ऐसा नहीं कि मेरा हाथ बटाए बस दिन भर इधर-उधर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता है पढ़ता लिखता तो है नहीं कम से कम काम तो किया कर,,,,(अपने मामा की बातें सुनकर सुरज कुछ बोला नहीं रहा था वह बस दातुन किए जा रहा था,,,,और अपनी मामी के पिछवाड़े को देख रहा था क्योंकि वह झुक कर झाड़ू लगा रही थी,,, सुरज को अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड उसका पिछवाड़ा,,, बेहद खूबसूरत लगने लगा था,,, झाड़ू लगाते समय कि वह कल्पना में अपनी मामी को नंगी होकर झाड़ू लगाते हुए देख रहा था और संपूर्ण रूप से नंगी होकर जावे लगाते समय उसकी मामी उसे बेहद खूबसूरत और कामुक लग रही थी उसकी कल्पना निरंतर बढ़ती जाती थी,,, वह अपने मामा की बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था तो उसके मामा फिर बोले,,,)


अरे तेरा ध्यान किधर है मैं तुमसे कब से बकबक कर रहा हूं और तू है कि सुनी नहीं रहा,,, है,,, (रविकुमार अपने भांजे सुरज का हाथ पकड़कर झकझोरते हुए बोला तो जैसे सुरज को होश आया हो इस तरह से हड़बड़ा कर बोला,,,)

ककककक,,, क्या हुआ मामा ,,,,,


अरे अभी भी नींद में है क्या,,,,


छोड़ो जी आप भी हमेशा उसके पीछे पड़े रहते हैं,,,(रूपाली झाड़ू लगाकर झाड़ू को एक कोने में रखते हुए बोली)

अरे मुन्ना की मां तुम समझती नहीं हो,,,इतना बड़ा हो गया है पढ़ता लिखता तो नहीं कम से कम कामकाज में हाथ बताएगा तो हमारे लिए भी अच्छा रहेगा वरना दिनभर आवारा लड़कों के साथ घूमता फिरता रहता है,,,।


अरे अभी तो उसके खेलने कूदने के दिन है।,,,,


तुम्हारा यही लाड प्यार एक दिन उसे बिगाड़ देगा,,,,(रविकुमार दातुन करके उसे फेंकते हुए बोला,,,)


अरे कुछ नहीं होगा मुझे अपने भांजे पर विश्वास है,,,,


मैं इसीलिए कुछ नहीं कहता,,, चलो अच्छा एक लोटा पानी तो दो मुंह धोना है,,,,



रुकीए में कुंए पर से पानी लेकर आती हूं,,,,(इतना कहकर वह खूंटे पर टांगे हुई मोटी रस्सी को उतार कर अपने हाथों में ले ली और घर से बाहर निकलते हुए सुरज से बोली,,,)


सुरज बेटा जरा बाल्टी लेकर आना तो,,,,
(सुरज की नजर अपनी मामी पर ही थी घर से निकलते समय जिस तरह से उसकी बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी उसे देखकर वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था इसलिए अपनी मामी की बात मानते हुए वह तुरंत खडा हो गया,,, और बाल्टी को हाथ में लेकर वह भी अपनी मामी के पीछे पीछे घर से बाहर निकल गया,,,वह अपनी मामी के पीछे पीछे ही चल रहा था जहां से उसकी मामी का भरपूर पिछवाड़ा उसे साफ नजर आ रहा था,,, जिसे देखकर धीरे-धीरे उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,,,, जब से वह अपनी मामी की चुदाई अपनी आंखों से देखा था तब से अपनी मामी के बदन के हर एक कौन में उसके हर एक अंग से मादकता छलकते हुए उसे नजर आती थी,,,, आगे आगे चल रही है अपनी मामी को देखकर सुरज का मन करता था कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भर ले,,, लेकिन ऐसा करने की उसकी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी,,, सुरज अपनी मामी के रूप से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था,,, पीछे से उसकी मामी का बदन बेहद कामुकता भरा लगता था,,, चौडी चिकनी पीठ गोरी गोरी बेहद खूबसूरत लगती थी,,, ब्लाउज की डोरी कस के बानी होने की वजह से उस जगह का भरावदार अंग अद्भुत कटाव लिए हुए नजर आता था,,, चिकनी मांसल कमर उसके बीच में गहरी पतली लकीर बेहद खूबसूरत लगती थी और काले घने रेशमी बाल,,, नितंबों के उभार तक पहुंचती थी,,,,,जिसे देखकर सुरज पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो चुका था,,,

थोड़ी ही देर में गांव के छोर पर बने कुएं पर दोनों पहुंच गए कुए पर कोई भी नहीं था,,,, कुवे पर पहुंचते ही रूपाली कुए की सीढ़ी पर एक पांव रखकर आगे की तरफ थोड़ा सा झुक गई और रस्सी को खोलने लगी,,, इस तरह की स्थिति में उसकी बड़ी-बड़ी गांड और ज्यादा बड़ी नजर आने लगी,, जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आने लगा,,, रस्सी खोलते हुए रूपाली बोली,,,)


ला सुरज बाल्टी ईधर लाना तो,,,


लो मामी,,,,(इतना कहते हुए सुरज बाल्टी को अपनी मामी के आगे रख दिया और बाल्टी को देखकर रूपाली बोली,,,)

अरे बुद्धू इतनी बड़ी बाल्टी ले आया,,, यह उठेगी कैसे,,,


अरे उठ जाएगी मामी मैं हूं ना,,,


अरे तूने कभी कुएं से पानी निकाला है जो आज निकाल लेगा,,,


अरे मामी तुम डालो तो सही,,,


चल ठीक है देखती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रूपाली उस बाल्टी में रस्सी बांधकर उसे कुएं के अंदर डालने लगी सुरज भी वहीं खड़ा हो गया,,, देखते-देखते बाल्टी कुएं के पानी की सतह पर पहुंच गई जिसे,,, रूपाली रास्सी को गोल गोल घुमाकर उसे पानी के अंदर डालने की कोशिश कर रही थी ऐसा करने पर उसके ब्लाउज के अंदर उसकी चूचियां आपस में रगड़ खा रही थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे मानो उसके ब्लाउज में कैद दोनों कबूतर आपस में गुटर गु कर रहे हो,,, यह नजारा देखते ही सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो गई ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मामी को कुएं में से पानी निकाल कर देख रहा था पहले भी वह बहुत बार कूंए पर इसी तरह के दृश्य को देख चुका था लेकिन आज उसके देखने का नजरिया बदल चुका था,,, अपनी मामी के ब्लाउज में अच्छी तरह से जानता था कि उसके अंदर मादकता भरी चूचियां है,,, जिसे हाथों में लेकर दबाकर मस्त हुआ जाता है जैसा कि उसके मामा कर रहे थे,,, इसलिए सुरज भी अपनी मामी के ब्लाउज में उसके दोनों चुचियों को ढूंढ रहा था बड़ी बड़ी चूची होने की वजह से और थोड़ा सा झुक जाने की वजह से ऐसा लग रहा था कि मानो सुरज की मामी की चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएंगी जैसा कि सुधियां काकी के साथ हुआ था,,,,, लेकिन यहां पर ऐसा हो पाना संभव नहीं था क्योंकि करना चाहती तो जानबूझकर अपनी चुचियों को ब्लाउज से बाहर लाई थी,,,,,। इसलिए उत्तेजना के मारे अपने सूखते हुए गले को थूक से गीला करते हुए सुरज टकटकी लगाए यह नजारे को देख रहा था और रूपाली इस बातों से अनजान कुएं के पानी में बड़ी बाल्टी को डुबोने में लगी हुई थी,,,


दैया रे दैया आज कितनी मेहनत करनी पड़ रही है तेरी वजह से,,, तुझे यही बाल्टी में मिली थी लाने के लिए छोटी बाल्टी नहीं ला सकता था,,,,।( रूपाली कुएं में बाल्टी को गोल-गोल घुमाते हुए बोली,,,।)


अरे मामी ठीक से उसे अंदर की तरफ डालो हो जाएगा,,,,।


अरे हो तो जाएगा लेकिन उठेगा कैसे,,,


मैं हूं ना पहले तुम अकेले उठाती थी आज मैं भी हूं इसलिए हम दोनों इस बड़ी बाल्टी को बाहर निकाल लेंगे,,,,।
(सुरज अपनी मामी की विशाल छातियों को देखते हुए बोला,, सुरज बने बाल्टी की बात कर रहा था लेकिन उसका ध्यान तो अपनी मामी की चूचियों पर था जोकी रस से भरी हुई थी,,, लेकिन रूपाली का ध्यान इस पर बिल्कुल भी नहीं था उत्तेजना के मारे धीरे धीरे सुरज के पजामे में तंबू बन चुका था,,,, सुरज अपने अंदर काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,। )


हां अब ठीक है देख चली गई ना बाल्टी,,,,


भर जाने दो मामी फिर बाहर निकालना,,,(सुरज कुए के अंदर आधी भरी हुई बाल्टी को देखते हुए बोला,,,)


हां ठीक है लेकिन तू पकड़ लेना,,,।


ठीक है तुम भरो तो सही,,,,।

(सुबह का समय था इसलिए कुए पर कोई नहीं था चारों तरफ सुनसान था,,,,, दोपहर को ही को कुए पर ज्यादा भीड़ भाड़ होती है,,,, थोड़ी ही देर में बाल्टी भर गई और रूपाली बोली,,,)

सुरज बाल्टी भर गई अब जल्दी आ,,,

(सुरज अपनी मामी की बात सुनते ही तुरंत उसके बेहद करीब खड़ा हो गया और रस्सी को थाम लिया,,,,)

अब रस्सी को ऊपर की तरफ खींच,,,,(रूपाली रस्सी को ऊपर की तरफ खींचते हुए सुरज से बोली,,,)


ठीक है ,,,(और इतना कहने के साथ ही वह भी अपनी मामी के साथ बाल्टी को ऊपर की तरफ खींचने लगा,,,लेकिन इससे पहले सुरज ने कभी भी कुएं में से बाल्टी को इस तरह से रस्सी के जरिए खींचा नहीं था इसलिए उसे इसका बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और बार-बार उसके पैर फिसल रहे थे इसलिए रूपाली उससे बोली,,,)

इधर से नहीं तो मेरे पीछे आ जा और वहां से खींच वरना तेरा पैर फिसल जाएगा,,,।


ठीक है मामी,,,,,,
(इतना कहना कैसा था कि सुरज ने रस्सी छोड़ दिया पर अपनी मामी के पीछे आने लगा अभी तक सुरज को इस बात का आभास नहीं था कि उसकी मामी ने उसे से क्या कह दिया है वह इस बात को बहुत ही सहजता से लिया था लेकिन जैसे ही वह अपनी मामी के पीछे आया तब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मामी ने जाने अनजाने में उसे एक अद्भुत काम सौंप दिया है अपनी मामी की पिछवाड़े को देखते ही सुरज के लंड में हरकत होना शुरू हो गया वह जानता था कि उसे अपनी मामी के पीछे खड़े होकर रस्सी को खींचना है और ऐसा करने पर उसकी मामी की गांड से उसका आगे वाला भाग एकदम से सट जाएगा जो कि इस समय धीरे धीरे अपनी औकात में आ चुका था,,,। सुरज को इस बात का आभास था कि जिस दिन से उसकी मामी रस्सी खींचने के लिए कह रही है अगर ऐसा करेगा तो उसकी मामी की गांड से उसका लंड पूरी तरह से सट जाएगा,,,, ना जाने क्यों सुरज को इस बात का एहसास होने के बावजूद भी वह अपनी मामी की बात मानने से इनकार नहीं कर रहा था,,,। वह तो उत्सुकता अपनी मामी के बताए काम को करने के लिए,,,।)

अरे क्या कर रहा है जल्दी कर मेरी कमर दुखने लगी है,,,।
(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज अपने मन में बोला कि मामा के लंड पर उठक बैठक करते हुए कमर नहीं दुख रही थी,,, और अब बाल्टी खींचने में कमर दुख रही है,,, सुरज अपने मन में यह सोच कर एक नजर अपनी मामी की भरपूर भरी हुई गांड पर डाला और उसके पीछे खड़ा हो गया,,, सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपनी मामी के पीछे सटकर खडा हो गया लेकिन अभी रूपाली को अपनी गांड पर किसी भी तरह की रगड़ यां चुभन महसूस नहीं हो रही थी,,, इसलिए उसका सारा ध्यान बाल्टी को खींचने में ही था,,,,,,।

अरे जल्दी कर ठीक से पकड़,,, ।
(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज से रहा नहीं गया पजामे मैं उसका मुसल पूरी तरह से तैयार था,,, वह तुरंत और ज्यादा अपनी मामी के पिछवाड़े से सट गया और रस्सी को कस के पकड़ लिया सुरज के तन बदन में पल भर में ही उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया था उसका लंड सीधी उसकी मामी की गांड पर स्पर्श हो रहा है,,,, लेकिन बाल्टी खींचने के चक्कर में रूपाली को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ,,,। सुरज भी दम लगाकर अपनी मामी की मदद करते हुए रस्सी को ऊपर की तरफ खींचने लगा लेकिन अपने लंड को अपनी मामी की नरम नरम गांड के बीचो-बीच महसूस करके सुरज की हालत खराब होने देगी,,,, सुरज का लंड बची हुई कसर निकालते हुए और ज्यादा कड़क हो गया रस्सी को ठीक से पकड़ने के चक्कर में सुरज जैसे ही थोड़ा सा आगे की तरफ अपना हाथ बढ़ाया,, वैसे ही रूपाली को अपनी गांड के बीचो बीच कुछ धंसता हुआ महसूस हुआ,,,लेकिन अनुभव से भरी हुई रूपाली को समझते देर नहीं लगी कि उसकी गांड के बीचो बीच जो चीज चुभ रही है,, वह और कुछ नहीं उसके भांजे का लंड है,,, इस बात का एहसास होते हैं रूपाली के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसका रोम रोम पुलकित होने लगा,,, उसकी सांस ऊपर नीचे होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, और इस बात से बात पूरी तरह से अचंभित थी कि उसके भांजे का लंड खड़ा क्यों हो गया,,, वह अपने मन में यही सोच लिया लेकिन कि आखिरकार पल भर में उसके भांजे का लंड खड़ा कैसे हो गया,,, क्योंकि उसके नजरिए से उसके सोचने के तरीके से ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था कि जैसे कोई लड़का या मर्द उत्तेजित हो जाए उसका लंड खड़ा हो जाए,,, तभी उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसका भांजा पीछे से उसकी गांड से एकदम चिपका हुआ है,,,और रूपाली को समझते देर नहीं लगी कि इसी वजह से उसका भांजा उत्तेजित हो गया है और उसका लंड खड़ा हो गया है लेकिन वह हैरान इस बात से थी कि वह कोई गैर औरत नहीं थी उसकी मां जैसी थी,,,,, तब कैसे उसका भांजा उत्तेजित हो गया क्यों उसका लंड खड़ा हो गया,,, रस्सी को पकड़े हुए ही रूपाली अपने मन में हजार सवाल बुझ रही थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,और समझ में आता भी कैसे वह एक मां थी और अपने भांजे को वह एक मां के नजरिए से देख रही थी,,,,,, इसलिए उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भांजा उसकी वजह से उत्तेजित हो गया है,,,। रूपाली एक सीधी साधी औरत थी संस्कारी पारिवारिक और कभी भी आकर्षण के चाल में नहीं पूछी थी उसे इन सब बातों से कोई लगाव भी नहीं था इसलिए वहां विश्वास नहीं कर पा रही थी कि उसकी वजह से उसका भांजा उत्तेजित हो गया है लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं कर पा रही थी कि उसकी गांड से सटने की वजह से उसके भांजे का लंड खड़ा हो गया है,,,,,,।


पल भर में ही रूपाली की सासे ऊपर नीचे होने लगी थी,,, वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें एक पल के लिए तो उसका मन कह रहा था कि अभी तुरंत सुरज को थप्पड़ मार कर उसे डांट‌ दे,,, लेकिन तभी वह शांत हो गई वह अपने मन में सोचने लगी कि अनजाने में ही उससे यह गलती हुई होगी वरना उसे इन सब के बारे में कहां पता है,,, रूपाली अपने भांजे को भोला ही समझ रही थी वह कहां जानती थी कि उसका भांजा एक उम्र दराज औरत की २ बार चुदाई कर चुका है और रात भर उसकी और उसके पति की गरमा गरम चुदाई देखकर मचल उठा है,,,।


रूपाली अजीब सी कशमकश में थी और सुरज को मजा आ रहा है चोदने से भी ज्यादा सुख उसे अपनी मामी की गांड से लंड को सटाने में आ रहा था,,,। सुरज का लंड मोटा तगड़ा और ताकतवर था इसीलिए तो वह साड़ी सहित सब कुछ भेदता हुआ गांड की दोनों फांकों को फैलाता हुआ अंदर तक घुस गया था,,, इसलिए तो रूपाली भी हैरान थी जिस तरह से वह अपने भांजे के लंड को अपने गांड की दरार के बीचो-बीच महसूस कर रही थी और वहां से केवल दो अंगुल की दूरी पर ही उसकी गुलाबी छेद रह गई थी इस बात का एहसास रूपाली पूरी तरह से हैरान और मस्त हो गई थी,,, वह अंदाजा लगा ली थी की उसके भांजे का लंड कितना मोटा तगड़ा और ताकतवर है,,,। क्योंकि वह जानती थी कि लंड मे चाहे जितना भी दम हो वह इस तरह से साड़ी सहित अंदर तक नहीं घुस सकता,,, अपने भांजे को डांटने का ख्याल वह अपने मन से निकाल चुकी थी क्योंकि अपने मन में यही समझते थे कि यह सब को समझाने नहीं हो रहा है और वह अपने भांजे को अपनी ही नजरों में शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी वह बस ऐसा जताना चाहती थी कि उसे कुछ भी पता नहीं है,,, इसलिए वह अपनी उत्तेजना को दबाते हुए बोली,,।


थोड़ा दम लगा बेटा,,,,, (और ऐसा कहते हुए अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन कोई भी नजर नहीं आ रहा था तब जाकर रूपाली को राहत महसूस हुई क्योंकि जिस तरह से उसका भांजा ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसे दबाए हुए था उससे देखने वाले को गलत ही लगता,,,,अपनी मामी की बातें सुनकर सुरज रस्सी को जोर से ऊपर की तरफ खींचते हुए बोला,,,।

ठीक है मामी,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज और जोर लगाने लगा लेकिन जानबूझकर अपनी कमर को आगे की तरफ सरकार दिया और ऐसा करने पर रही सही कसर भी निकल गई क्योंकि अब सुरज के लंड का सुपाड़ा सब कुछ चीरता हुआ ठीक रूपाली की गुलाबी बुर के छेद पर ठोकर मारने लगा,,, अपनी गुलाबी बुर पर अपने भांजे के लंड के ठोकर को महसूस करते ही ना चाहते हुए भी रूपाली एकदम से मचल उठी,,,, उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसके भांजे ने इतनी जल्दी सिद्धि प्राप्त कर ली है,,,। उत्तेजना के मारे रूपाली की तो जैसे सांस ही अटक गई,,, और सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था इस तरह की छेड़खानी करने में सुरज को चोदने से भी ज्यादा मजा आ रहा था,,,लेकिन उत्तेजना के मारे सुरज का मन अपनी मामी को चोदने को कर रहा था उसका मन कर रहा था कि इसी समय साड़ी कमर तक उठाकर पीछे से अपने लंड को पूरा का पूरा पेल दे,,, लेकिन ऐसा करने में वह असमर्थ था इतनी ज्यादा उसमें हिम्मत नहीं थी,,,। लेकिन वह अपने मन में इस समय यही सोच रहा था कि काश इस समय वह सुधियां काकी के पीछे खड़ा होता तो इतनी हिम्मत करके उसकी चुदाई कर दिया होता,,,,।


रूपाली की उत्तेजना के मारे गला सूख रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने भांजे के लंड को अपनी गांड के पीछे पीछे अपनी बुर पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त तो हो ही गई थी लेकिन अजीब से कशमकश में थी आज तक उसके बदन को कोई गैर मर्द स्पर्श तक नहीं कर पाया था और आज उसका खुद का सगा भांजा उसके अंदरूनी भाग तक पहुंच चुका था जाने या अनजाने में अब इसका समझ रूपाली को बिल्कुल भी नहीं हो पा रहा था,,, अजीब से हालात में रूपाली फंसी हुई थी उसे मजा भी आ रहा था गुस्सा भी आ रहा था उत्तेजना भी महसूस हो रही थी और धीरे-धीरे उसे अपने भांजे की हरकत की वजह से अपनी बुर गिली होती हुई महसूस हो रही थी,,,। गीली होती हुई बुर को महसूस करते ही वह शर्म से पानी पानी आने लगी क्योंकि वह अपने ही भांजे के कारण अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,, आज तक वह इस तरह के हालात से नहीं गुजरी थी,,, वह एक तरह से पीछे से अपने भांजे की बाहों में थी,,, सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था चुदाई से भी अधिक उत्तेजना का अनुभव और सुख भोग रहा था वह हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करना चाहता था ताकि ऐसा लगे कि जैसे कि वह अपनी मामी की चुदाई कर रहा है,,, लेकिन ऐसा करने से वह घबरा रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी हरकत का उसकी मामी को पता ना चल जाए लेकिन वह अपने मन में सोच रहा था की क्या अब तो जो कुछ भी हो रहा है इसकी मामी को पता नहीं चला होगा उसकी मामी को एहसास नहीं हुआ होगा कि उसकी गांड के बीचो बीच क्या चुभ रहा है लेकिन फिर भी इसे आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था,,,,।

रूपाली अपने चारों तरफ देखते हुए धीरे-धीरे रस्सी को ऊपर की तरफ खींचने लगी और साथ ही सुरज भी अपनी मामी का हाथ बंटाने लगा और देखते ही देखते बाल्टी कुएं से बाहर आ गई रूपाली अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए बाल्टी में बंधी रस्सी को खोलने लगी,,, अभी भी उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी सुरज उसके ठीक बगल में खड़ा था,,, रूपाली चोर नजरों से अपने भांजे के पजामे की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था,,,रूपाली अपने भांजे के तंबू को देखकर पूरी तरह से हैरान हो गई थी क्योंकि तंबु की शक्ल कुछ ज्यादा ही उठी हुई थी,,,।अपने मन में सोचने लगी कि उसके भांजे का लंड कितना मोटा तगड़ा और लंबा है कि तंबू इतना भयानक बना हुआ है अगर कपड़ा टांग दो तो कपड़ा टंगा रह जाए,,,। रूपाली की हालत खराब हो रही थी वह अपने भांजे से नजर मिला पाने में असमर्थ साबित हो रही थी उसे शर्म महसूस हो रही थी बाल्टी से रस्सी को खोल कर लूंगा रस्सी को लपेट ली और रस्सी को सुरज को थमाते हुए बाल्टी उठा ली और आगे आगे चलने लगी बाल्टी लेकर चलते हुए रूपाली की गांड को ज्यादा ही मटक रही थी और यह देख कर सुरज के तन बदन में आग लग रही थी कुछ देर पहले जो हरकत उसने किया था और अभी अपनी मामी की उभरी हुई मटकती गांड को देखकर उसका मन कर रहा था कि काश साड़ी उठाकर अपना लंड डाल दिया होता तो अच्छा होता,,,,, रूपाली घर पर पहुंचते ही बाल्टी रखकर अपने काम में लग गई,,,,।
 
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devraja

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रूपाली का काम में मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था,,, जो कुछ भी हुआ था उसका अंदाजा भी रूपाली को बिल्कुल भी नहीं था अनजाने में ही आज उसने अपने आपको अपने ही भांजे के द्वारा उत्तेजना अवस्था में पाकर शर्म से पानी पानी हो रही थी उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ था वह हकीकत था या एक सपना था,,,। घर का काम करते हुए भी उसके दिल की धड़कन उस पल को याद करके बढ जा रही थी,,,, बाल्टी से रस्सी को खोलते हुए तिरछी नजरों से उसने अपने भांजे के पजामे में बने तंबू को नजर भर कर देख ली थी,,, और उस तंबू को देखकर आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,उसे अपनी नजरों पर भरोसा नहीं हो रहा था अपने मन में सोच रही थी कि इतना बड़ा कैसे हो सकता है क्योंकि वह आज तक अपने पति के ही लंड से भलीभांति परिचित थी और जिस तरह का तंबू उसने अपने भांजे के पजामे में देखी थी उससे उसे पूरा यकीन था कि,,, उसकी लंबाई एक लंबे खीरे की तरह ही होगा वह अपने मन में यह सब सोचती भी थी लेकिन उस पर यकीन कर पाना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा था,,,, अनजाने में ही अपने भांजे के लंड की तुलना अपने पति से करने के बाद ही उसके मन में यह ख्याल आया कि जब उसके पति का लंड उसकी बुर में इतना खलबली मचाता है अगर उसके भांजे का लंड उसकी बुर में घुस जाएगा तो क्या हाल करेगा,,,,,,,यह ख्याल उसके मन में अनायास ही आया था लेकिन इस ख्याल के मन में आते हैं उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी मचने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुदकने लगी,,,,,,,

अपने भांजे के साथ अनायास ही आए संभोग की कल्पना से वह एकदम से शर्मसार हो उठी,,,, उसे अपने इस कल्पना पर शर्मिंदगी का अहसास होने लगा अपनी भांजे के साथ चुदाई करवाने के ख्याल से ही वह अपने हाथ को शर्म के मारे धिक्कारने लगी और जैसे-तैसे वह अपने मन को मना कर अपने काम में लग गई,,,,।


दूसरी तरफ सुरज की हालत एकदम खराब थी,,,, चोरी छिपे अपनी मामी के नंगे बदन और उसकी जबरदस्त चुदाई को देखकर वह अपनी मामी के बारे में गंदी-गंदी कल्पना ही करने लगा था अपनी मामी को वह अपनी मां की नजर से नहीं बल्कि एक औरत की नजर से देखने लगा था उसके अंगों को उसके कोमल बदन को देख कर वह उत्तेजना महसूस करने लगा था,,,अपनी मामी के बदन को स्पर्श करने की इच्छा उसकी तीव्र होने लगी थी लेकिन अनायास ही कुए पर अपनी मामी के पिछवाड़े पर अपने लंड का स्पर्श महसूस करके वह पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया था,,,। अपनी मामी के गोलाकार भारी-भरकम नितंबों का स्पर्श उसे इतना उत्तेजना देगा ईस बारे में उसे एहसास भी नहीं था,,,,, कुएं में से बाल्टी को खींचते समय सुरज पजामे में ही सही अपने लंड को अपनी मामी की गांड के दरार के बीचो बीच डाल दिया था साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन उसे यह पल बेहद आनंददायक प्रतीत हुआ था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने यह पराक्रम कर दिया है उस समय वह इतना ज्यादा उत्तेजित था कि उसका मन कर रहा था कि अपनी मामी की सारी उठाकर अपने लंड को उसकी बुर में डाल दें जिस तरह से वह सुधियां काकी की बुर में डालकर पहली बार संभोग के प्रकरण की शुरुआत किया था,,,,,,पहली बार उसे कुए से बाल्टी को खींचने में इतना आनंद आया था और यह कार्य वह पहली बार ही कर रहा था लेकिन इस बात क्या उसे डर भी था कि उसकी हरकत कहीं उसकी मामी को पता ना चल गया हो लेकिन अपने मामी क्या सोचेंगे क्योंकि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था शायद बाल्टी को खींचते समय उसकी मामी ने इस बात पर ध्यान नहीं देते वरना जरूर उसे डांट लगाती,,,,,,

इस बारे में सोच कर सुरज इतना ज्यादा उत्तेजित था कि,,, वह खेत में पहुंचकर पेशाब करने के लिए अपने लंड को बाहर निकाल दिया था उत्तेजना के मारे उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसे जोरों की पेशाब लगी है,,, लेकिन उसे ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, इसलिए वह अपनी मामी के पिछवाड़े को याद करके अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,,पेशाब तो वह नहीं कर रहा था लेकिन अपनी मामी के ख्यालों में खो कर वो अपने लंड को धीरे धीरे से हिलाते हुए जोर-जोर से अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाना शुरू कर दिया था अनायास ही मुठ मारना शुरू कर दिया ना और उसके ख्यालों में खुद उसकी मामी थी जिसे वह अपने मामा के साथ नग्न अवस्था में देखकर उसके बारे में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था और इस समय भी उसके दिमाग में उसकी मामी के प्रति गंदे विचार ही पैदा हो रहे थे वह अपने लंड को हिलाते हुए,,, कल्पना कर रहा था कि जैसे वह अपनी मामी की साड़ी को अपने हाथों से कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों में भरकर जोर जोर से दबा रहा है इस तरह का ख्याल मन में लाते ही उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और कल्पना में उसकी हरकतों से उसकी मामी और ज्यादा मदहोश हुए जा रही है,,,,,,वह अपने हाथों से अपनी मामी की गांड को जोर जोर से मसल कर उसे उत्तेजित कर रहा था और कल्पना में उसकी मामी अत्यधिक उत्तेजना वश अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर पजामे में से,,, उसके लंड को बाहर निकालकर हीलाना शुरू कर दी और अपनी गांड के बीचो-बीच लगाते हुए अपने भांजे को आज्ञा देते हुए बोली,,,।

डाल दे सुरज अपने लंड को डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में और जोर जोर से चोद,,,।
कल्पना में अपनी मामी की मदहोशी और उसकी इस तरह की बातों को सुनकर सुरज पूरी तरह से मंत्रमुग्ध होकर अपनी मामी की जवानी के आकर्षण में पूरी तरह से खो गया और जोर-जोर से मुठ मारना शुरू कर दिया अपनी मामी की आज्ञा पाकर कल्पना में ही वह कल्पनातीत हो कर,,, अपने लंड को अपनी मामी की पनीयाई बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया उसकी आंखें बंद थी उसकी कल्पना बहुत ही जबरजस्ती कल्पना मैं भी उसे हकीकत का परिचय हो रहा था बहुत जोर जोर से अपने लंड को हिलाते हुए आखिरकार,,, पिघल गया उसकी जिंदगी का यह पहला हस्तमैथुन था जिसे वह अनायास ही अनजाने में प्राप्त कर चुका था इस क्रिया को करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव और संतुष्टि प्राप्त हो रही थी लेकिन जब उसे यह एहसास हुआ कि यह तो मात्र उसका ख्याल है तो वह यह सोचने लगा कि,,, जब कल्पना में उसे अपनी मामी के साथ इतना मजा मिला तो वास्तविक संभोग में उसे अपनी मामी के साथ कीतना सुख मिलेगा,,,। इस बारे में सोचते ही उसके होठों पर मुस्कान करने लगी,,,।

दूसरी तरफ नामदेवराय की बहन कजरी पूरी तरह से काम विह्वल थी,,, जब से उसने सुरज के लंड के दर्शन की थी तब से उसकी हालत खराब थीबार-बार उसकी आंखों के सामने सुरज का लंड आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा नजर आता था,,,,,। जब से उसने सुरज के लंड को देखी थी तब से उसे अपनी बुर के अंदर लेने की लालसा बढ़ती जा रही थी,,,,, वो सुरज से मुलाकात करना चाहती थी लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था तभी उसे इस बारे में ख्याल आया कि वह बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देती है जिससे उन लोगों का भला होता है और उसका समय भी व्यतीत हो जाता है,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि क्यों ना सुरज को भी पढ़ाया जाए जिससे उसे भी कुछ सीखने को मिलेगा और इस तरह से वह उसे प्राप्त भी कर लेगी कजरी को अपनी यह युक्ति बेहद कारगर लगने लगी वह जल्द से जल्द गांव में जाकर सुरज से उसके घर आकर पढ़ने के लिए बोलने के लिए व्याकुल हो गई,,,,,,।


वह सुरज के बारे में सोचते हुए अपने भाई नामदेवराय को खाना परोस रही थी नामदेवराय पालथी मारकर बैठा हुआ था जब कजरी खाना परोस दि तो नामदेवराय बोला,,,।


कजरी आज तुमने दूध नहीं दिया,,,


नहीं भैया वो क्या है ना कि बिल्ली ने दूध को जूठा कर दिया था इसलिए आज दूध पीने के लिए नहीं है,,,।


बिना दूध के मेरा काम कैसे चलेगा तुम तो जानती हो खाना खाने के तुरंत बाद मुझे एक गिलास दूध पीने की आदत है,,,।(नामदेवराय अपनी बहन की बड़ी बड़ी छातियों की तरफ देखते हुए बोला कजरी अपने भाई के नजरिए को अच्छी तरह से समझती थी उसके नजरिए को देखकर उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी और वह बोली,,,)


चिंता क्यों करते हो भैया मैं हूं ना आज गाय का दूध नहीं मिला तो क्या हुआ मेरा दूध पी कर काम चला लेना ,,(और इतना कहने के साथ ही कजरी अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी अपनी छोटी बहन की यह अदा देखकर नामदेवराय का लंड तुरंत हरकत में आ गया,,, और वह अपने फटी आंखों से अपनी बहन की मद मस्त जवानी को देखने लगा अगले ही पल कजरी अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपना मदमस्त कर देने वाली पपाया जैसे चुचियों को अपने भाई के आगे परोस दी और नामदेवराय अपनी बहन की चूची को देखकर एक पल भी ठहर नहीं पाया और अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूची को दशहरी आम की तरफ थाम लिया,,, कजरी उत्तेजना के मारे एकदम गनगना गई,,,
कजरी अपने भाई के कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि औरत का नंगा बदन उसके भाई की सबसे बड़ी कमजोरी है और इसी कमजोरी के चलते वह अपने भाई के घर में रानी की तरह जिंदगी गुजारतई थी जो चाहती थी वह उसे मिलता था,,,,,, कजरी पहले से ही एक कामुक औरत थी,,,अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चली जाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ दी थी पति के देहांत के बाद उधर शरीर सुख से वंचित हो गई थी इसीलिए अपने भाई के घर आई थी और उसका भाई उसकी कमजोरी का भरपूर फायदा उठाता था,,,
अपनी बहन की बड़ी बड़ी चूची हो कौन जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।


आज तो मैं भोजन करने से पहले ही दूध पीना चाहता हूं,,,


क्या भैया मैं भागी थोडी जा रही हुं,,,,( कजरी अपनी दोनों चुचियों अपने दोनों हाथों में भरते हुए बोली,,, अपने बड़े भाई को ललचा रही थी यह देखकर नामदेवराय के मुंह में पानी आ रहा था साथ ही धोती में खलबली मचने लगी थी,,,)



तुम भागी नहीं जा रही हो कजरी लेकिन तुम्हारी चूची मेरी भूख को और ज्यादा बढ़ा रही है,,,।(इतना कहने के साथ ही नामदेवराय अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की चूची को दोनों हाथों में थाम लिया कजरी समझ गई थी कि उसके भाई को किसी और चीज़ की भूख लग गई है इसलिए वह अपने भाई को थोड़ा और तड़पाते हुए बोली,,)

छोड़ो ना भैया खाना खाने के बाद ही मिलेगी,,,,(ऐसा कहते हुए कजरी थोड़ा पीछे हो गई,,, नामदेवराय की भूख और तड़प दोनों बढ़ती जा रही थी,,,,,)

नहीं कजरी तुम्हारी चूची देखकर मुझे मेरी भुख बरदाश नहीं हो रही है,,,,,,(और इतना कहते हुए नामदेवराय भोजन की थाली को एक तरफ करके घुटनों के बल चलते हो आगे भरा और अपनी बहन कजरी को बाहों में भर लिया और,, और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमना शुरू कर दिया,,, नामदेवराय ऐसा ही था अपनी बहन की मदमस्त जवानी देख कर वह पूरी तरह से निहाल हो चुका था,,, वह अपनी बहन कजरी को नीचे जमीन पर पीठ के बल लिटा दिया और तुरंत अपने होठों को उसके होठों पर से हटा कर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर बारी-बारी से मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया,,, नामदेवराय के लिए उसकी बहन कजरी की चूचियां दशहरी आम से कम नहीं थी वह अपनी बहन की चूची को बड़े शिद्दत से पीता था उसे अपनी बहन की चूचियां बेहद आकर्षक लगती थी ऐसा नहीं था कि विधवा होने के बाद ही वह अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर दिया था उसका उसके बहन के प्रति पहले से ही आकर्षण था और पहले से ही वह अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बना चुका था लेकिन उसकी जिंदगी में उसकी बहन हमेशा के लिए आ जाएगी इस बारे में उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं था,, अगर उसकी बहन ना होती तो वह अपनी जिंदगी अकेले ही गुजार रहा होता,,,,।

आहहह भैया धीरे से दांत क्यों गड़ा रहे हो,,,,आहहहहहह,,,,,,,


क्या करूं रानी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है,,,

रोज तो मुंह लगाकर पीते हो फिर भी ईसकी प्यास तुम्हें इतनी क्यों है,,,,!


चूची की कदर शायद एक औरत से ज्यादा एक मर्द को होती है तुम नहीं जानती कजरी मर्द की जिंदगी में औरत की चूची कितना मायने रखती है,,,, बड़ी बड़ी चूची को देखते ही आदमी का लंड खराब हो जाता है,,,,,,।


तुम भी ना भैया एकदम शरारती हो गए हो,,,,,,,


तुम चीज ही ऐसी हो कि शरारती बनना पड़ता है,,,।


अब क्या करें भगवान ने मुझे बनाया ही ऐसा है कि तुम मेरी खूबसूरत बदन के दीवाने हो गए हो,,,,
(अपनी बहन की बात सुनते ही नामदेवराय जोर-जोर से उसकी चूची को पीना शुरू कर दिया कजरी को भी बहुत मजा आता था अपने भाई से इस तरह से चूची चुसवाते हुए,,,।


आहहहहह,,,, क्या भैया तुम तो खाना खाते-खाते मेरा दूध पीने लगे,,,, देखना कहीं दरवाजा ना खुला छोड़ दिया हो वरना उस दिन की तरह कोई आ गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,,।


अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान आज दरवाजा बंद है,,,,


उस दिन उस रविकुमार ने मुझे पहचाना तो नहीं था ना,,,


नहीं नहीं बिल्कुल नहीं अगर पहचाना होता तो शायद अब तक गांव में खुशर फुसर होना शुरू हो जाता,,,, वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारे लंबे बालों में तुम्हें पहचानने नहीं दिया,,,, वरना सच में अनर्थ हो जाता,,,,।(ऐसा कहते हुए नामदेवराय अपनी बहन की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,,)

क्या भैया पहले खाना तो खा लो,,,,


खाना बाद में खा लूंगा पहले स्वादिष्ट पकवान तो खा लेने दो,,,, भला ईस पकवान के आगे कोई यह भोजन क्यों करें,,,(ऐसा कहते हो मिला ना अपनी बहन की साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठा दिया कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई उसकी गुलाबी बुर को देखकर उसका लंड एकदम ताव में आ गया,,, कजरी को अपने भाई की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी,,,,,ऐसा नहीं था कि वह अपने भाई का सिर्फ मन बहलाने के लिए उसका साथ दे रही थी उसकी भाई की हरकत की वजह से उसे भी आनंद आ रहा था,,,, नामदेवराय से रहा नहीं जा रहा था और वह तुरंत अपनी धोती को उतार फेंका वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया उसका खडा लंड देखकर कजरी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,, लेकिन इस समय अपने भाई के लंड को देखकर कजरी के मन में सुरज के लंड की कल्पना होने लगी अपने मन में सोचने लगी कि काश उसके भाई की जगह वह लड़का होता तो कितना मजा आता ,,,, नामदेवराय आनन-फानन में अपनी बहन की दोनों टांगों को चौड़ी करके अपने लिए जगह बना लिया और कजरी इसी मौके की तलाश में थी उसका भाई उसकी बुर में लंड डालता इससे पहले ही कजरी अपने भाई से बोली,,।


भैया में गांव में जाकर कुछ बच्चों को और पढ़ने के लिए बोलना चाहती हुं,,,,


गांव में लेकिन गांव में क्यों जाओगे किसी से खबर भेजवा देती तो ,,,,


नहीं भैया ऐसे मैं खुद जाकर बच्चों को पढ़ने के लिए बोलूंगी तो वो लोग जरूर आएंगे,,, तुम तो जानते हो मैं स्कूल में शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन मेरी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई और मैं गांव में रह गई इसीलिए मैं चाहती हूं कि यहां रह कर अपने शौक को पूरा कर सकु,,,।
(नामदेवराय यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन बेहद खूबसूरत है और कामुक भी,,, उसे अपनी बहन पर विश्वास नहीं था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बहन से भी शादी होती तो अपने बड़े भाई के साथ शारीरिक संबंध कभी नहीं बनाती और वहां इसीलिए गांव में नहीं जाने देना चाहता था क्योंकि गांव के आवारा लड़कों के संगत में अगर वह पड़ गई तो नाक कट जाती क्योंकि वह अपनी बहन के चरित्र को अच्छे से जानता था इसलिए गांव में जाने के लिए वह हमेशा मना करता था और उसकी बहन चाहती कि नहीं थी लेकिन सुरज से मिलने उसे पढ़ने के लिए अपने घर बुलाने के लिए उसे गांव में जाना ही था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भाई उसे गांव में जाने के लिए कभी भी इजाजत नहीं देता लेकिन संभोग क्रिया स्त्री और पुरुष के बीच ऐसी क्रिया है कि कुछ भी चाय संभोग के समय पुरुष से मनवा लेती है,,,और इसीलिए कजरी अपने भाई को मनाने के लिए इसी समय का इंतजार कर रही थी कुछ देर सोचने के बाद नामदेवराय बोला,,,)


ठीक है चली जाना लेकिन बार-बार नहीं बस एक ही बार,,,


नहीं भैया बस एक ही बार कुछ बच्चों को पढ़ाने के लिए मनाना है ताकि वह लोग भी पढ़ लिख कर कुछ अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें,,,,।

ठीक है मेरी जान बस अब कुछ मत बोलो,,,,(नामदेवराय को अपनी बहन की चुदाई करने का भुत सवार था और वह एक पल भी बिगाड़ना नहीं चाहता था क्योंकि उसके लंड से उसकी बहन की बुर की दूरी केवल २,४अंगुल ही रह गई थी,,, और उससे यह दूरी बर्दाश्त नहीं हुई थी इसलिए आनन-फानन वह अपनी बहन को गांव मे जाने की इजाजत दे दीया था,,, और अगले ही पल उसका लंड उसकी बहन की बुर की गहराई नापने लगा वह जोर-जोर से अपना कमर हिलाना शुरू कर दिया और कजरी गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकाल कर अपने भाई को और उकसाने लगी,,,,,,, थोड़ी ही देर में नामदेवराय की गर्मी शांत होगी तो वह अपनी बहन के ऊपर से उठ कर हांफते हुए बगल में बैठ गया और कजरी उठ कर बैठ गई और अपने ब्लाउज के बटन बंद करती हुए बोली,,,।


अब तो दूध नहीं चाहिए ना,,,,


अभी के लिए तो हो गया लेकिन रात के भोजन के समय भी दूध चाहिए,,,
(इतना सुनकर कजरी हंसने लगी,,,,,,, कजरी को इस बात की तसल्ली हो गई थी कि वह जल्द ही सुरज से मिलेगी और उसे पढ़ने के लिए मना लेगी और उसके बाद वह अपने मन की कर सकती है,,,,।

रात गहराने लगी थी,,,, मंजू को अपने भैया भाभी की चुदाई का इंतजार था और यही नजारा देखने के लिए सुरज भी तड़प रहा था,,,, दोनों खटिए पर एक साथ लेटे हुए थे,,, अपनी मौसी के बदन का स्पर्श सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रहा था वह बात तो अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसी भी उसके मामा और उसकी मामी की चुदाई देखकर गरम होती है,,,, सुरज इस बात को सोचकर यह अनुमान लगाने लगा कि जिस तरह से अपनी मामी और मामा की चुदाई देखकर उसके मन में यह भावना पैदा होती है कि आज उसके मामा की जगह हुआ होता तो उसकी मामी को चोदने में उसे बहुत मजा आता तो क्या उसकी मौसी भी यही सोचती होगी कि उसकी भाभी की जगह वह होती तो उसके भैया से चुदवाने में बहुत मजा आता,,,,,, इस बात का अनुमान लगाते ही सुरज का लंड खड़ा हो गया,,, वह अपनी मौसी से इस बारे में बात करना चाहता था लेकिन उसे बात करने में डर लग रहा था उसे हराने जा रहा था आखिरकार वह अपनी मौसी से एक बहाने से बोला,,,

मौसी क्या छिपकली उसी क्षेंद में से आती है मुझे छिपकली से बहुत डर लगता है,,,।
(छेद का जिक्र आते ही मंजू थोड़ा घबरा सी गई लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,)

हां उसी जगह से आती है लेकिन डरने की जरूरत नहीं है मैं भगा दी हूं,,,।


मैं जाकर देखूं क्या हुआ कहीं उसी छेद में हुई तो,,,


नहीं नहीं देखने की जरूरत नहीं है अभी नहीं है,,,।
(मंजू यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर सुरज उस छेद में देखने की कोशिश करेगा तो बगल वाले कमरे का दृश्य उसे जरूर दिखाई देगा और अगर इसमें कुछ हो रहा होगा उसके भैया और भाभी के बीच तो सुरज देख लेगा और वह समझ जाएगा कि वह क्या देखती है,,,)


देखने तो दो मौसी,,, हुई तो मैं भगा दूंगा,,,


नहीं कोई जरूरत नहीं है तू सो जा,,,,
(मंजू मन ही मन में डर रही थी सुरज की बात सुनकर उसे लगने लगा कि उसका काम बिगड़ रहा है जो नजारे को देखकर वह अपनी गर्मी को शांत करने की थी शायद अब सुरज की वजह से उसे देखने में डर महसूस होने रहा था इसलिए एक बहाने से उसे सोने के लिए बोल कर दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई लेकिन दूसरी तरफ करवट लेने के चक्कर में जैसे ही वो घुम कर दुसरी तरफ हुई वैसे ही सुरज उसकी तरफ मुंह करके करवट ले लिया और अपना एक हाथ उसके ऊपर डालकर उसी से जानबूझकर चपकते हुए बोला,,,)


मुझे भी नींद आ रही है मौसी,,,,
(उसके इतना कहते ही मंजू को अपनी गांड पर कड़क चीज धंसती भी महसूस हुई वह पहले भी सुरज के लंड को देख चुकी थी इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर क्या चुभ रहा है,,, पल भर में ही उसकी सांसे उपर नीचे हो गई,,,, सुरज को भी इस बात का एहसास था कि उसका लंड उसकी मौसी की गांड पर रगड़ खा रहा है क्योंकि पहले भी बार इस अनुभव से गुजर चुका था और वह भी अपनी मामी के साथ इसलिए उसे मजा आने लगा वह जानबूझकर सोने का नाटक करने लगा,,, मंजू की हालत खराब हो रही थी,,, कुछ कर सकने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी सुरज को ही मजा आ रहा था वहीं से आगे बढ़ना चाहता था आप दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी लेकिन पहल करने से दोनों घबरा रहे थे,,, धीरे धीरे समय व्यतीत होने लगा सुरज रह रह कर अपनी कमर को आगे की तरफ दबा दे रहा था जिससे मंजू को अपनी गांड की गहराई में सुरज का लंड महसूस होने लगा था,,,, उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन वह जानबूझकर सोने का नाटक कर रही थी कुछ देर तक मंजू के बदन में कोई भी हरकत ना देख कर सुरज को लगने लगा कि वह सो गई है,,,, इसलिए वह अपनी मौसी मंजू के साथ अपनी हरकत को बढ़ाना चाहता था,,,, वह मंजू कि नरम नरम गांड पर अपना हाथ रख कर उसे महसूस करना चाहता था,,,वह ऐसा करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि बगल वाले कमरे से गिलास गिरने की आवाज आई और वह रुक गया,,,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी वह समझ गया कि बगल वाले कमरे में फिर से वही खेल शुरू हो गया है,,,,,,और वह फिर से उसी नजारे को देखने के लिए खटिया पर से उठ खड़ा हुआ और धीरे-धीरे अपने कदम उसे दीवार के छेद की तरफ बढ़ाने लगा मंजू जो कि सोई नहीं थी सिर्फ सोने का नाटक कर रही थी वह सुरज की हर एक हरकत को चोरी-छिपे देख रही थी,,,।
 

devraja

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सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर उसे अपनी मामी और अपने मामा की चुदाई जो दीखने वाली थी,,,एक बार फिर से वहां अपने मामा का लंड अपनी मामी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखने जा रहा था,,, खटिया पर सोते हुए अपनी मौसी की गांड पर हाथ रखने के ख्याल से ही उसका लंड खड़ा हो चुका था,,,, और कमरे के अंदर के दृश्य को देखते ही उसके लंड का कड़क पन एकदम से बढ़ गया,,,,

दूसरी तरफ मंजू की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि जिस तरह से सुरज उठकर उससे दीवार के छेद के तरफ गया था मंजू को लगने लगा था कि सुरज को हो ना हो शंका जरूर हो चुकी है कि दीवार के छेद का मामला कुछ और ही है,,,, इसलिए वह कुछ बोली नहीं बस आंखों को हल्का सा खोल कर लेटी रही,,,, सुरज अपनी आंखों को दीवार के उस छोटे से छेद में हटाकर दूसरी तरफ के कमरे के दृश्य को देखने की कोशिश करने लगा,,, तो जल्द ही लालटेन की पीली रोशनी में उसे उसकी मामी नजर आई जो कि अभी पूरी तरह से कपड़ों में थी और गिरी हुई गिलास को उठाकर रख रही थी शायद वह पानी पी रही थी,,,,,, अपनी मामी को संपूर्ण वस्त्र में देखकर उसकी आंखें वासना से चमकने लगी उसके मामा उसी तरह से खटिए पर लेटे हुए थे लेकिन उनके बदन पर भी अभी वस्त्र था,,, दोनों को कपड़ों में देखकर सुरज को लगने लगा कि खेल अभी शुरू होने जा रहा है,,, वह टकटकी बांधे नजारे के लुप्त को उठाने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मामी उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी उतारने लगी यह देखकर सुरज के लंड में हरकत होना शुरू हो गया वह समझ गया था कि थोड़ी ही देर में उसकी मामी की आंखों के सामने नंगी हो जाएगी,,,,,, पर देखते ही देखते सुरज की मामी अपनी साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही खड़ी थी,,,,,,, सुरज को अंदर के कमरे की बात सुनाई नहीं दे रही थी बस उसे दिखाई दे रहा था,,,, क्योंकि वह दो ना बहुत ही फुसफुसाहट भरे स्वर में बात कर रहे थे,,,सुरज अपने मन में सोचने लगा कि काश ऊन दोनों की बात आज भी सुनाई देती तो और मजा आता क्योंकि अपनी मामी और मामा के मुंह से चुदाई जैसे गंदे शब्दों का प्रयोग उनकी बातें सुनकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,,,,


दूसरी तरफ मंजू समझ गई थी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है वरना सुरज इतनी देर तक वहां खड़ा नहीं रहता और वह यह भी जान गई थी कि उस छोटे से छेद में से उसे सब कुछ नजर आने लगा है,,,, मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने मामी और अपने मामा की चुदाई देखकर उन्हें नंगा देखकर सुरज क्या महसूस करेगा उसे कैसा लगेगा कहीं उसे गुस्सा तो नहीं आएगा और यही देखने के लिए वह बड़े गौर से सुरज की तरफ देखने लगी,,,,
सुरज के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि उसकी नजर इस समय अपनी मामी की चूचियों पर टिकी हुई थी जो की पूरी तरह से ब्लाउज में कैद में होने के बावजूद भी मानो जैसे कि उसके ब्लाउज के अंदर खरबूजे भर दिए गए हो इस तरह से ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर ही सुरज समझ गया था कि उसकी मामी की चूची कितनी बड़ी है ऐसा नहीं था कि आज वह देख रहा था पहली बार भी वह अपनी मामी को संपूर्ण रूप से नंगी देख चुका था और अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था इस समय ब्लाउज के अंदर उसकी मामी की चूचियां बेहद आकर्षक लग रही थी ब्लाउज के ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसकी गहरी दरार साफ नजर आ रही थी जिसमें सुरज का मन डूब जाने को कह रहा था,,,,,, सुरज को अपनी मामी स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी,,, जो कि किसी भी हाल में कामदेवी नजर आती थी,,,,अपनी मामी के खूबसूरत बदन को देखकर भले ही वह वस्त्र में हो या चाहे वस्त्र विहीन,,,सुरज की आंखों में एक अद्भुत चमक आ जाती थी जो कि इस समय भी उसकी आंखों में बरकरार थी,,,,। सुरज कमरे में बने उस छोटे से छेद के पीछे के रहस्य को अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी जान गया था कि इसी क्षेत्र में से उसकी मौसी मंजू भी उसी नजारे को देखकर मस्त हो जाती है जिस नजारे को देखकर वह अपने अंदर उत्तेजना की लहर को ऊमडते हुए महसूस कर रहा था,,,।


खटिया पर नींद का बहाना करके लेटी हुई मंजू सुरज के हर एक हरकत को बड़ी बारीकी से देख रही थी,,,,, हर एक पल मंजू के दिल की धड़कन को बढ़ा रहा था मंजू भी,,,इतना तो समझ ही गई थी कि सुरज समझ ही गया होगा कि उस छोटे से छेद का रहस्य क्या है,,,,,, मंजू जानती थी कि कमरे के अंदर संभोग का प्रसारण शुरू हो गया होगा,,,और यही अहसास उसके तन बदन में उत्तेजना को बढ़ा रहा था और उससे ज्यादा वह अपने बदन में कामुकता का एहसास इस बात से कर रही थी कि उस मादक दृश्य को सुरज खुद अपनी आंखों से देख रहा था,,,, वह देखना चाहती थी कि अपनी मामी को चुदते हुए देखकर वह कैसा महसूस करता है,,,,इसलिए उत्तेजना के मारे अपने सूखे गले को अपने ही थूक से गीला करने की कोशिश करते हुए वह टकटकी लगाए देख रही थी,,,।

सुरज अपने मन में यह सोच रहा था कि जल्द से जल्द उसकी मामी बाकी के बचे अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाए बहुत दूर से ही सही अपनी मामी को नंगी देखना चाहता था ब्लाउज में कैद उसके दोनों खरबूजे को अपनी आंखों से देखना चाहता था दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गुलाबी दरार को देखकर मस्त होना चाहता था,,,, गोल गोल बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपने अंदर दहकते शोले को महसूस करना चाहता था,,,। लेकिन उसकी मामी बाकी के बचे कपड़े उतारने का नाम नहीं ले रही थी,, बस अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर अपने शरीर को गोल-गोल तरीके से हिला रही थी जिसे देख कर उसके मामा आहें भर रहे थे,,,,,,सुरज अपने मन में यह सोच कर मस्त हो रहा था कि उसकी मामी को इस हाल में देखकर उसके मामा का लंड खड़ा हो गया होगा क्योंकि दूर से देख कर ही जब उसका लंड पर जाने में बवाल मचा रहा था तो उसके मामा की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा होगा,,,। अपनी मामी को खुशहाल में खाना देखकर सुरज अपने मन में ही बोल रहा था कि,,,।


उतार जल्दी उतार मुझे सब कुछ देखना है,,,,।

तभी उसके मामा अपनी धोती को उतारने लगे और अगले ही पल वह खटिए पर निर्वस्त्र हो गया,,, सुरज अपने मामा को देखकर अपने मन में फिर से वही सोचने लगा कि उसके मामा की जगह उसका लंड होता तो और मजा आता,,,, उसके मामा अपने लंड को हाथ से पकड़ कर ही लेना शुरू कर दिए थे जिसे देखकर उसकी मामी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,,। अपनी मामी को मंद मंद मुस्कुराता हुआ देखकर सुरज अपने मन में ही बोलने लगा कि उतारेगी भी या हंसती रहेगी,,।

मंजू खटिया पर लेटी लेटी यही सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा,,,,,, उसकी खुद की हालत खराब थी,,,सुरज रह-रहकर एक नजर अपनी मौसी मंजू पर डाल दे रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं रही है और जब जब वह मंजू की तरफ देखता तब तब मंजू अपनी आंखों को जल्दी से बंद कर लेती,,, उत्तेजना के मारे मंजू और सुरज दोनों का हाल बद्तर हुआ जा रहा था,,,,,

सुरज टकटकी लगाए सब कुछ देख रहा था वह अपने मन में इस बात से पूरी तरह से तसल्ली किए हुए था कि अच्छा है कि उसके मामा यह काम लालटेन के उजाले में करते हैं,,, अगर लालटेन जला रही होती तो उसे कुछ भी देखने का मौका नहीं मिल पाता और अपनी मामी का कामुक रुप,,, उसका खूबसूरत बदन उसके अंगों की परिभाषा को ना हीं देख पाता और ना ही समझ पाता,,,।सुरज को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि उसकी मामी कपड़े उतार के नंगी होने में इतना नाटक क्यों करती है वह अपने मामा की तड़प को अच्छी तरह से समझ रहा था क्योंकि वह खुद तड़प रहा था उत्सुक था अपनी मामी को नंगी देखने के लिए वह अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर वह खुद अपने मामा की जगह मौजूद होता तो वह अपने हाथों से अपनी मामी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने में एक पल की भी देरी ना करता,,,,।

यह सुरज के मन की बात थीऔर शायद वह अपनी मामी के साथ मौका मिलने पर ऐसा ही करता है लेकिन वह इस बात से अनजान था कि एक औरत को मर्द को तड़पाने में इसी तरह से मजा आता है और मर्द को तड़पाने का यह सबसे जबरदस्त तरीका भी है,,,, औरत इसी तरह से अपनी जवानी का जलवा दिखा कर मर्द को घुटनों पर ला देती है उन्हें अपना गुलाम बना देते हैं अपनी जवानी का रस मिलाकर जिंदगी भर अपनी मनमानी करती रहती है,,,, रूपाली भी इससे अछूती नहीं थी वह भी अपने पति की भले ही चाहे जितनी भी इज्जत करती थी लेकिन रात को बिस्तर पर वह अपने पति को अपनी जवानी का गुलाम ही बना देती थी,,,,,,

सुरज का दिल जोरो से धड़क रहा था उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी तरह कोई ओर लड़का इस तरह से घर के सदस्यों की चुदाई छुप छुप कर देखता है या नहीं लेकिन इस तरह से देखने में अजीब से सुख की अनुभूति होती है जिसे प्राप्त करके सुरज अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था,,,। भले ही यह नैतिक नजरिए से गलत था लेकिन इसमें एक अद्भुत सुख भी था जिससे सुरज वंचित नहीं होना चाहता था,,,। धड़कते दिल के साथ हुआ बगल वाले कमरे के नजारे को देख रहा था कि तभी उसके कानों में उसके मामा के शब्द पडे,,,।


अरे अब कितना तड़पाओगी,,,


रुको जरा मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,


चुदवाने के नाम पर तुम्हें पेशाब जल्दी लग जाती है,,,



अरे ऐसी बात नहीं है,,,(रूपाली मुस्कुराते हुए बोली,,,,सुरज तो अपनी मामी के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनते ही एकदम से उत्तेजित हो गया उसके लंड कि अकड और ज्यादा बढ़ गई,,,। सांसों की गति तेज होने लगी,,,,पहली बार वह अपनी मामी के मुंह से इस तरह के शब्दों पसंद आया था इतने खुले तरीके से उसने आज तक पेशाब करने वाली बात नहीं बोली थी इसलिए सुरज को अपनी मामी के इस बात में बेहद कामुकता का अनुभव हो रहा था,,,,)


अब थोड़ा रुकीए में जल्दी आती हूं,,,(इतना कहकर रूपाली जाने को हुई ही थी कि रविकुमार पीछे से आवाज लगाते हुए बोला,,,)



अरे बाहर कहां जा रही हो यही कर लो,,,
( अपने मामा की यह बात सुनकर सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,)

अरे पागल हो गए हो गए हो क्या जी यहां नहीं,,,,


अरे तुम भी बेवकूफ हो नाली लगी हुई है ना वहां बैठ कर कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,(सुरज के मामा उंगली से इशारा करके बोले,,,)

यहां लेकिन यहां मैंने कभी की नहीं हुं।


तो क्या हुआ अब कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,।
(सुरज की तो सासे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, उसकी मामी पेशाब करने वाली है इस बात से ही उसके तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, क्योंकि अब तक वह अपनी मामी को पेशाब करते हुए कभी नहीं देखा था लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह आज भी नहीं देख पाएगा क्योंकि उसके मामा उंगली के इशारे से घर के कोने की तरफ करने को बोल रहे थे जहां पर पानी गिराया जाता था बर्तन धोने के काम आता था वहां नाली लगी हुई थी ताकि पानी निकल सके और उसी जगह पर उसकी मामी के साथ करने जा रहे थे जो की नजरों से दूर थी वहां तक नजर नहीं पहुंच पा रही थी उसकी मामी बिना कुछ बोले उस कोने में चली गई और थोड़ी देर में सुरज के कानों में पेशाब करने की मधुर धुन सुनाई देने लगी इतना तो जानता ही था कि पेशाब करने पर इस तरह की आवाज निकलती है हालांकि उसने आज तक,,, घर की औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,,, इस बात के एहसास सेवह पूरी तरह से मदहोश हो गया कि उसकी मामी कोने में बैठ कर के पेशाब कर रही है पेशाब करते हुए कैसे नजर आती होगी उसकी गांड कैसी दिखाई देती होगी और उसकी मामी अपनी पेटीकोट को कमर तक कैसे उठाई होगी,,, यह सब ख्याल सुरज के तन बदन में आग लगा रहा था उसके कानों में पढ़ रही परेशान की मधुर धुन बेहद मादक लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया गया गया हो सुरज के चेहरे का अभाव बदल रहा था जो कि मंजू बड़े सांप तौर पर देख पा रही थी सुरज के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर,,,मंजू इतना तो समझ गई थी कि कमरे के अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक होता जा रहा है,,,
थोड़ी ही देर में पेशाब करने की आवाज की मधुर धुन बंद हो गई और सुरज समझ गया कि उसकी मामी पेशाब कर चुकी है अपने मामा के नजर और उसके चेहरे के बदलते हावभाव को देखकर राजु भी समझ गया था कि उसके मामा उसकी मामी को पेशाब करते हुए देख कर मस्त हुए जा रहे हैं,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मामी फिर से उसी जगह पर पहुंच गई जहां पर खड़ी थी लेकिन खड़ी होकर अपने पेटिकोट की डोरी को बांट रही थी तो पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए देखकर सुरज के मामा बोले,,,।


अरे अब ईसे क्यों बांध रही हो इसे तो अब उतारना है,,,।

(उसकी बातें सुनकर रूपाली मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मैं तो भूल ही गई थी,,,(इतना कहते हुए भी वह पेटीकोट की डोरी को बांध दी और अगले ही पल अपनी उंगलियों को ब्लाउज पर रख दी और ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,सुरज समझ गया कि उसकी मामी पेटीकोट से नहीं ब्लाउज से कपड़े उतारने का शुरुआत करना चाहती है,,, अब सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,देखते देखते उसकी आंखों के सामने उसकी मामी अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अगले ही पल ब्लाउज को उतार कर नीचे फेंक दी,,,सुरज को अपनी आंखों के सामने अपना भविष्य नजर आने लगा अपनी मामी की गोल गोल बड़ी-बड़ी तनी हुई चूचियों को देखकर उसके लंड में उबाल आना शुरू हो गया,,,,,,,

रूपाली की चूचियां पहले से ही बेहद आकर्षक थी,, दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियां उसी तरह से तनी हुई थी जैसे की जवानी के दिनों में तनी रहती थी,,, दूसरों की तरह उसकी चुचियों में जरा भी लचक नहीं थी यह देखकर सुरज के तन बदन में और आग भड़कने रखती थी,,,, और जैसे ही सुरज की मामी का हाथ पेटीकोट की डोरी पर क्या सुरज के दिल की धड़कन और तेजी से चलने लगी वह समझ गया कि अब अकेले ही पल उसकी मामी नंगी हो जाएगी उससे यह दृश्य यह कामुकता यह मादकता,,, सही नहीं जा रही थी,,, उसकी सांसे बेहद गहरी चल रही थी,,, उसके पेजामे में बवाल मचा हुआ था उसका लंड पजामा फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था,,,
अब तक मंजू उसके चेहरे के बदलते हुए हाव-भाव को देख रही थी,,,उसके लंड की तरफ उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन जैसे ही उसकी नजर पजामे पर पड़ी उसके तो होश उड़ गए,,,, पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ था अब तो मंजू की हालत ज्यादा खराब होने लगी कमरे का दृश्य धीरे-धीरे गरमाता चला जा रहा था,,,,देखते ही देखते सुरज की मामी ने अपनी पेटीकोट भी उतार कर फेंक दी इस समय वह कमरे में पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, सुरज की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल वह अपना हाथ को अपने पजामे में डाल कर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,, मंजू यह देखकर एकदम से मचल उठी,,,सुरज की हरकत और उसकी उत्तेजना देखकर मंजू को समझ तो आ ही रहा था कि अंदर के नजारे देखकर उसे गुस्सा नहीं बल्कि मजा आ रहा है और ऐसा ही तो वह मन ही मन चाहती भी थी क्योंकि अगर सुरज को मजा आएगा तो उसका काम आसान हो जाएगा,,,,।



सुरज की मामी कमरे में एकदम नंगी हो गई थी सुरज के मामा की हालत खराब होती जा रही थी,,,,,,सुरज को साफ नजर आ रहा था कि उसके मामा से रहा नहीं जा रहा था एक के लिए पल अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उसकी मामी की गांड कड़ कर उसे अपनी तरफ से इसलिए बस यह दृश्य सुरज से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह पजामे को घुटने तक सरका कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और,,, उसे हाथ में लेकर हीलाना शुरू कर दिया,,,, मंजू यह देखकर दंग रह गई क्योंकि सुरज भूल चुका था कि वह कमरे में है और कमरे में उसकी मौसी मंजू भी सो रही है,,,, मंजू पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसे यही मौका सही भी लग रहा था सुरज के लंड को वह पहले भी नजर भर कर देख चुकी थी,,, लेकिन आज का हालात कुछ और था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह खटिए पर से उठ खड़ी हुई,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और इस बात से अनजान सुरज कमरे के अंदर अपने मामी बाप की गरमा गरम चुदाई देखने जा रहा था,,,, सुरज को अपनी मामी की गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,।
 
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devraja

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पल-पल सुरज के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, सुरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह से अपने मामा मामी के संभोग की क्रिया देखने को मिलती रहेगी,,,,। कुछ दिनों में ही सुरज का दिन बदलने लगा था उसके ख्याल बदलने लगे थे औरतों को देखने का नजरिया बदलने लगा था,,, यह सब जवानी के जोश का ही करामत था,,, और तो और सुरज की किस्मत इतनी अच्छी थी कि वह सुधियां काकी के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,,,, इसलिए तो उसे और अच्छे से औरतों के बारे में उनके साथ संबंध के बारे में समझ पडने लगी थी,,,, उसका औरतों के कामुक अंगो के प्रति ज्ञान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था,,, सुरज छोटे से छेद से एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि उसकी मामी पूरी तरह से कमरे में नंगी खड़ी थी और उसकी मामी को एकदम नंगी कर उसके मामा अपने आप पर काबू नहीं कर पाए थे और उत्तेजना वश सुरज की मामी की,, बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिए थे सुरज से यह तेरी से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो पाया था वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर सकने में सक्षम नहीं था इसलिए वह अपने पजामे को घुटनों तक खींच कर अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,, एक तरह से सुरज अपनी मामी के नंगे बदन उसकी खूबसूरती और उन दोनों की संभोगनीयाक्रिया को देखकर हस्तमैथुन कर रहा था एक बार पहले भी वह अपनी मामी के बारे में गंदे खयालो के चलते हस्तमैथुन करके अपने आप को शांत करने की कोशिश कर चुका था अब फिर से वह वही क्रिया कर रहा था वह यह भी भूल गया था कि उसी कमरे में उसकी मौसी मंजू भी सो रही है जो कि वह कभी भी जा सकती है लेकिन इन सब बातों से बिल्कुल अनजान सुरज अपने आप में मस्त हो गया था वह तो अपने आप को कल्पना में बगल वाले कमरे में अपने मामा की जगह महसूस करने लगा था,,,,।



कमरे में मंजू जोकि सुरज को यही लग रहा था कि वह गहरी नींद में सो रही है जबकि वह सो नहीं रही थी वह जाग रही थी,,, अपनी आंखों से सुरज की कामलीला उसके कामांग को देखकर पूरी तरह से मस्त हो रही थी उसी से भी यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि सुरज अपने खड़े लंड को हिला रहा है और वह खटिए पर से उठ कर बैठ गई सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसकी बुर ‌ कुलबुलाने लगी थी,,, मंजू की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि सुरज छोटे से छेद से क्या देख रहा है,,, मंजू सुरज की उत्तेजना को देखकर यह सोचने लगी कि काश बगल वाले कमरे का दृश्य अपने कमरे में हकीकत में बदल जाता तो कितना मजा आता है,,,।यही सोचते हुए वह सुरज के पास जाना चाहती थी जो कुछ भी उसके मन में था आज वह अपनी अभिलाषा को अपनी आकांक्षा को पूरी कर लेना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का हालात कमरे में बना हुआ था उसे देखकर मंजू समझ गई थी कि आज उसके मन की इच्छा पूरी होने वाली है,,,,। अभी तक वह सुरज से थोड़ा डरती थी कि कहीं वह अपनी मामी को सब कुछ बता ना दें क्योंकि वह जानती थी कि वो थोड़ा नादान है लेकिन आज कमरे के अंदर उसकी हरकत को देखकर वह समझ गए थे कि अब वह नादान बिल्कुल भी नहीं रहा था वह जवान हो गया था मंजू को वह दिन याद आने लगा जब उसके खड़े लंड को देखकर उसे हाथ में लेकर हीलाई थी और उसका मन बहुत कुछ करने को किया था लेकिन सुरज की वजह से ही वह अपने मन को दबा ले गई थी अपनी उत्तेजना को अपने अंदर समा ले गई थी लेकिन आज वह समझ गई थी कि सुरज के साथ अब उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं है क्योंकि जो वह चाहती थी वही सुरज भी चाह रहा था अपनी ही मामी मामा की गरमा गरम चुदाई देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि अपनी मामी को नंगी देखकर वह क्या सोच रहा होगा उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां देख कर उसकी बुर देख कर क्या सोच रहा होगा इतना तो समझ ही गई थी कि इन सब को देख कर उसे भी दूसरे लड़कों की तरह मजा ही आ रहा है तभी तो वह अपना लंड बाहर निकाल कर हीला रहा है वरना ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता,,,, और इसी मौके का फायदा मंजू पूरी तरह से उठाना चाहती थी,,,,,,,।


सुरज की मदहोशी और उसकी मस्ती को देखकर मंजू को यकीन भी नहीं हो रहा था कि यह वही सुरज है जिसे वह नादान समझती थी जो यह समझती थी कि सुरज को इन सब बातों से कोई निशबत नहीं है,,, वह दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं है लेकिन आज अपनी आंखों से देखकर मंजू को यकीन हो गया कि हर लड़के एक ही तरह के होते हैं बस उनकी आंखों के सामने नजारा कुछ इस तरह से होना चाहिए जिस तरह से वह अपनी आंखों से देख रहा था अपनी ही मामी के नंगे बदन को देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, अभी भी सुरज का ध्यान छोटे से छेद से बगल वाले कमरे में ही केंद्रीत था जहां पर उसके मामा उसकी मामी के नंगे बदन से खेल रहे थे उसकी बड़ी बड़ी गांड तो अपनी दोनों हथेली में भर भर कर दे पा रहे थे यह देखकर सुरज की हालत खराब हो रही थी सुधियां काकी के साथ उसने केवल संभोग भर किया था संभोग से जुड़े क्रियाकलापों को वह बिल्कुल भी ना तो किया था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था अपने ही मामा से वह धीरे धीरे सीख रहा था कि एक औरत के जिस्म से कैसे खेला जाता है,,,, अपनी मामी की मदहोशी और अपने मामा की मस्ती को देख कर सुरज समझ गया था कि इन क्रियाकलाप होने आदमी और औरतों में को बेहद आनंद की अनुभूति होती है और वह इस क्रिया से वंचित नहीं होना चाहता था वह,, वह संभोग की हर एक क्रिया से हर एक क्रीडा से अवगत होना चाहता था उसकी मस्ती को अपने अंदर महसूस करना चाहता था इसलिए तो अपने अंदर और ज्यादा उत्तेजना को महसूस कर रहा था,,,,।

सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि इस समय उसने जो सोचा नहीं था वह हो रहा था वह अपनी मामी को बेहद संस्कारी औरत समझता था लेकिन उसका यह भ्रम धीरे-धीरे टूटता चला जा रहा था और जो उसकी आंखों ने इस समय देख रही थी उसी से तो उसका दिमाग एकदम सन्न रह गया था उसके मामा खटिया पर पीठ के बल लेटे हुए थे और उसकी मामी अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बड़ी बड़ी गांड उसके मामा के मुंह पर रख दी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके मामा इसी पर का इंतजार कर रहे थे जैसे ही उसकी बड़ी-बड़ी उसके मामा के चेहरे पर हुई वैसे ही उसकी मामी की बुर में उसके मामा की जीभ ने प्रवेश कर दिया और चाटना शुरू कर दिया,,,इस नजारे को देखकर तो सुरज हक्का-बक्का रह गया उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था उसके मामा उसकी मामी की बुर को चाट रहे थे और वह भी एक दम मजे लेकर,,, सुरज अपनी मामी के चेहरे और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को देख रहा था जोकि पपाया की तरह तनी हुई थी,,,, अपनी मामी के चेहरे पर बदलते भाव संतुष्टि के भाव और मदहोशी भरी रेखाएं देखकर इतना तो समझ गया था कि इस क्रिया में उसकी मामी को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है,,,,।


चाटो राजा जोर जोर से चाटो,,,आहहहह,,सहहहहंं,,,, आहहहहहहह,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल चेहरे पर घुमाने लगी,,,। सुरज तो अपनी मामी और अपने मामा की हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था बड़ी-बड़ी गांड को उसके मामा बड़े आराम से झेल रहे थे यह देख कर सुरज और ज्यादा मदहोश होने लगा था,,,,,,अपनी मामी की हरकत को देखकर सुरज को यही लग रहा था कि अगर उसका बस चलता तो शायद मैं उसके मामा को अपनी बुर की अंदर घुसेड लेती,,,, सुरज इस बात से हैरान था कि दिन में अपनी मामी को देखने पर उसे ऐसा कभी भी नहीं लगा था कि रात के अंधेरे में उसकी मामी इतनी ज्यादा मस्त औरत हो जाती है,,,,अगर यह बात किसी और के मुंह से सुना होता तो शायद सुरज के लिए यकीन कर पाना मुश्किल था लेकिन वह अपनी आंखों से देख रहा था इसलिए इसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,,, अपनी मामी को इस तरह से अपनी बुर चटाता देखकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी और वहां अपनी मुट्ठी को अपने लंड पर और ज्यादा कस्ता चला जा रहा था यह देखकर मंजू को लगने लगा था कि कमरे के अंदर जरूर चुदाई शुरू हो गई है,,,।


मंजू खटिया पर से उठ कर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी थी सुरज को इस बात का अहसास तक नहीं था,,, वह तो अपनी ही मस्ती में मस्त था,,, मंजू को अपने अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे जवानी की दहलीज पर हो कब से कदम रख चुकी थी लेकिन दोनों टांगों के बीच का रास्ता किसी राहगीर ने अभी तक तय नहीं कर पाया था क्योंकि मंजू ने इस रास्ते पर प्रवेश निषेध का शामियाना जो तान दी थी हालांकि अब उसमें प्रवेश करने का रास्ता व खुद बना चुकी थी और उसे उस रास्ते पर प्रवेश करने वाला राहगीर भी मिल चुका था ,,, बगल वाले कमरे का कामोत्तेजक नजारेसे तो मंजू भलीभांति परिचित थे लेकिन कमरे के अंदर के इस नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए थे उसकी उत्तेजना सब्र के बंधन में बदला नहीं चाहती थी वह किसी पक्षी की तरह पंख फैलाए आसमान में उड़ना चाहती थी,,, इसलिए तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी क्योंकि उसे अपनी मंजिल सामने नजर आ रही थी,,, मंजू मन में ठान चुकी थी कि आज की रात ही वह अपनी दोनों टांगों के बीच का प्रवेश द्वार खोल देगी ताकि उसमें उसके पहचान राहगीर जाकर अंदर की स्थिति का जायजा ले सकें,,,,


सुरज अपनी मस्ती में पूरी तरह से खोया हुआ था और देखते-देखते धीरे-धीरे मंजू उसके बेहद करीब पहुंच गई उसके ठीक पीछे खड़ी होकर वह धीरे से उसके कान में बोली,,,,।


क्या देख रहा है सुरज,,,,?
(पहले तो सुरज के कानों में जूं तक नहीं रेंगी,,,, मंजू समझ गई कि कमरे के अंदर अपने मामी-मामा की गरमा गरम चुदाई देखकर पूरी तरह से बहक गया है इसलिए अपने होठों पर हल्की मुस्कान लाते हुए फिर से धीरे से बोली,,,)

क्या देख रहा है सुरज,,,?

(जैसे ही उसके कानों में यह शब्द पड़े उसके तो होश ही उड़ गए वह एक झटके से चमकते हुए पीछे की तरफ देखा तो पीछे उसकी मौसी मंजू खडी थी उसकी हालत एकदम से खराब हो गई,,,, काटो तो खून नहीं उसका शरीर पूरा जम गया हालांकि अभी भी धीरे-धीरे उत्तेजना के कारण वह अपने लंड को हिला रहा था यह देख कर मंजू अपने मन में ही बोली कि यही लड़का मुश्किल जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,,,)



बताना क्या देख रहा है,,,, और यह खडा क्यों है,,,(लंड की तरफ देखते हुए बोली सुरज एकदम से सहम गया गया जब उसकी मौसी उसके खडे लंड की तरफ देखते हुए बोली सुरज को अपनी स्थिति का भान हुआ उसका पजामा घुटनों तक नीचे सरका हुआ था और वह अपने लंड को मुठीया रहा था,,, जैसे ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ अपना हाथ पीछे खींच लिया और इस मौके का फायदा उठाते हुए मंजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके खड़े हैं अपनी मुट्ठी में अपनी नरम नरम हथेली में दबोच ली और बोली,,,)

बाप रे कितना बड़ा और कितना गर्म है,,,,(ऐसा कहते हो वह है सुरज के लंड़ को बिना छोड़े बोली,,,,,,,सुरज तो एकदम मस्त हो गया हालांकि उसे डर भी लग रहा था लेकिन अपनी मौसी की नरम हथेली का स्पर्श अपने लंड पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, पल भर में ही सुरज की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी मंजू उस छोटे से छेद की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,)

देखु तो जरा तु अंदर क्या देख रहा है,,,


ककककक,,, कुछ नहीं मौसी,,,,(सुरज घबराते हुए कांपते स्वर में बोला,,,,, लेकिन मंजू ने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए उस छोटे से छेद में अपनी आंखों को घटा दी क्योंकि वह जानती थी कि अंदर क्या चल रहा होगा,,, और अंतर नजर करते ही उसे अपनी भाभी नजर आई जो कि उसके भैया के चेहरे पर अपनी गांड लग रही थी,,, यह देखते ही वह पूरी तरह से मदहोशी से भर गई,,,। उत्तेजना के मारे वह जोर से सुरज का लंड दबा दी जिससे सुरज की आह निकल गई,,,, और वह मजे लेते हुए बोली,,)

सुरज अंदर का नजारा तो बहुत ही गर्म है,,,,, तेरी मामी अपनी बड़ी-बड़ी गांड तेरे मामा के चेहरे पर रगड रही है और तेरे मामा अपनी जीभ निकालकर तेरी मामी की बुर चाट रहे हैं,,,।

(अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर सुरज की तो हालत खराब हो गई उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी वह कुछ कहने के लायक बिल्कुल भी नहीं था)

तो तु यही देख रहा था ना अपने मामी मामा की चुदाई,,, मजा आ रहा है देखने में,,,, सच कहूं तो मुझे भी बहुत मजा आ रहा है तू डर मत मैं तुझसे कुछ नहीं कहूंगी,,,(मंजू और छोटे से छेद में नजरें गड़ाए हुए ही बोली और सुरज की तरफ नहीं देख रही थी खाना कि उसका लंड अभी भी मंजू के हाथ में ही था अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज को थोड़ी राहत महसूस होने लगी,,,,,, सुरज समझ गया कि उसकी मौसी उसे कुछ कहेगी नही,,, वह खामोश खड़ा रहा बस अपनी मौसी की प्रतिक्रिया का आनंद लेता रहा,,, मंजू अपने भैया और भाभी की काम क्रीड़ा को देख रही थी मंजू को अपनी भाभी की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी वह भी चाहती थी कि इसी तरह से कोई उसकी भी बुर चाटे,,,,क्योंकि वह खुद महसूस करना चाहती थी कि औरतों को अपनी बुर चटवाने में किस तरह की आनंद की प्राप्ति होती है,,,,,,,।


देख सुरज तेरी मामी कितनी मस्त औरत है,,, कितनी बेशर्म है,,,, कैसे अपनी दोनों टांग खोल कर अपनी बड़ी बड़ी गांड तेरे मामा के मुंह पर रगड रही है,,,, तेरे मामा को तो बहुत मजा आ रहा होगा,,,,। (मंजू यह कहते हुए अपने हाथ में सुरज के लंड को कस के पकड़ कर आगे पीछे हिलाते हुए अपनी आंखों को हटाकर सुरज की आंखों को इस खेत पर लगाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख सुरज,, कितना मस्त नजारा है,,, देख तू भी देख,,,,,, देखना कैसे तेरी मामी की बुर में तेरे मामा का लंड जाएगा,,,।

(अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज फिर से उस नजारे को देखकर उसका लुफ्त उठाने लगा,,,, सुरज अपनी मामी को बड़े गौर से देख रहा था उसकी मामी के चेहरे का भाव पल-पल बदल रहा था,,,। बिखरे हुए बाल से उत्तेजना के मारे माथे से पसीना टपक रहा था आंखें बंद थी लाल लाल होंठ खुले हुए थे और उसके दोनों खरबूजे रबड़ की गेंद की तरह उछल रहे थे,,,,,, टांगों के बीच हल्के हल्के बाल सुरज को साफ़ नजर आ रहे थे उसकी दोनों गुलाबी पत्तियां खुली हुई थी जिसमें उसके मामा की जीभ अंदर बाहर हो रही थी,,, यह नजारा सुरज के लिए असहनीय होता जा रहा था और मंजू अपनी हरकतों से उसके बदले में उत्तेजना की आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,, थोड़ी ही देर में उसकी मामी अपनी स्थिति को बदलने लगी शायद अब समय आ गया था लंड को बुर में लेने का,,, वह अपनी स्थिति को बदलती इससे पहले मंजू सुरज को हटाते हुए उस छेद मैं अपनी आंख को गडा दी अंदर चुदाई शुरू होने वाली थी,,, रूपाली कुछ ही पल में खटिए पर पीठ के बल लेट गई और रविकुमार उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया वह अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए आगे बढ़ रहा था और मंजू यही नजारे को सुरज को दिखाना चाहती थी कि कैसे एक औरत की चुदाई की जाती है कैसे उसकी बुर में लंड डाला जाता है मंजू को नहीं लग रहा था कि सुरज इस ज्ञान से अनजान है इसलिए आगे बढ़ने से पहले उसे सिखाना जरूरी है लेकिन वह कहां जानती थी कि सुरज संभोग के प्रकरण की शुरुआत कर चुका है सुधियां काकी की बार २ बार चुदाई कर चुका है और उसे अच्छी तरह से मालूम है कि चोदने के लिए लंड को कहां डाला जाता है,,,,। फिर भी मंजू एक बार फिर से सुरज की आंखों को वापस उस छेद से लगाते हुए बोली,,,।)

देख सुरज अब कैसे तेरा मामा तेरी मामी की बुर में लंड डालेगा ,,,
(अंदर का नजारा तो सुरज को गर्म कर ही रहा था उस पर मंजू की अश्लील बातें आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,,सुरज अंदर के नजारे को देखकर और ज्यादा गरम हो रहा था क्योंकि इससे मैं उसके मामा उसकी मामी की बुर में लंड डालने की तैयारी कर चुके थे सुरज की नजरें उसके मामा के लंड पर टिकी हुई थी जो कि उसके हाथ में थी वह अंदर का नजारा देखते हुए ही अपनी मौसी से बोला,,)

मामा से बड़ा तो मेरा है,,,
(सुरज के मुंह से यह बात सुनते ही मंजू की हालत खराब होने लगी क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सुरज अपने लंड़ की तुलना अपने मामा के लंड से करेगा,,,, लेकिन जो कुछ भी सुरज कह रहा था उसमें सत प्रतिशत सच्चाई थी,,,, मंजू यह बात भली-भांति जानती थी,,, सुरज की बातें सुनकर मंजू बोली,,,)

तुझे कैसे मालूम,,,


सामने दिखाई तो दे रहा है मौसी,,,,


तो क्या तु अपने मामा से भी अच्छा चुदाई कर लेगा,,,।

हां कर लूंगा,,,( अंदर के नजारे को देखकर सुरज एकदम गरम होता हुआ बोला,,,)


अगर तेरी मामी को चोदना हुआ तो,,,
(मंजू के मुंह से यह बात सुनते ही सुरज आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगा लेकिन बोला कुछ नहीं मंजू मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, मंजू यह बात केवल उसकी उत्तेजना को परखने के लिए बोली थी और देखना चाहती थी कि और कितना उत्तेजित है जो कि वह काफी उत्तेजित भी था लेकिन उसकी ही मामी की बात करके मंजू या देखना चाहती थी कि वास्तव में वह अपनी मामी के बारे में क्या सोचता है लेकिन वह अपनी मामी के बारे में सुनकर कुछ बोला नहीं और मंजू यही समझने लगी कि अगर मौका मिले तो वह अपनी मामी की भी चुदाई कर देगा,,,। इस बात से मंजू भी अपने अंदर उत्तेजना का तूफ़ान उठता हुआ महसूस करने लगी उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,, आखिरकार उसका पसंदीदा हथियार जो उसके हाथ में था वह लगातार सुरज के दिल को हिला रहे थे जो कि उसके हथेली में लोहे के रोड की तरह लग रहा था मंजू को भी बहुत मजा आ रहा था सुरज के लंड को हीलाने में,,, सुरज उत्तेजना के मारे अपने सुख के गले को अपने हाथों से खिला करते हुए वापस उस छेद से अंदर की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी मामी की चुदाई होना प्रारंभ हो चुका था उसका मामा जोर जोर से धक्के लगा रहा था उधर के साथ उसकी मामी की खरबूजे जैसी चूचियां उसकी छाती पर लहरा उठती थी,,,,,,, सुरज को बिना हटाए मंजू भी उसी छेद से अंदर की तरफ देखने लगी,,, मंजू और सुरज एक साथ बगल के कमरे में चुदाई के दृश्य को देखकर गरम हो रहे थे,,, सुरज की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि वह एक खूबसूरत लड़की जो कि उसकी मौसी थी उसके साथ चुदाई के दृश्य को देखकर आनंद ले रहा था इस वजह से उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,,।उत्तेजना के मारे सुरज का हाथ खुद-ब-खुद मंजू के नितंबों पर आ गया उसकी नरम नरम गांड का स्पर्श पाते ही सुरज की हालत खराब हो गई और बाहर उत्तेजना बस अपनी मौसी की गांड को अपनी हथेली में जोर से दबोच लिया सुरज की हरकत को देखकर मंजू एकदम से मदहोश हो गई क्योंकि पहली बार किसी मर्दाना हाथों का स्पर्श वह अपने गांड पर महसूस कर रही थी उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,, सुरज की हरकत की वजह से उसकी भी सांस ऊपर नीचे हो गई थी,,,।

मंजू को यही मौका ठीक लग रहा था आगे बढ़ने के लिए आज वह अपने मन की मुरादे पूरी कर लेना चाहती थी,,, अपनी उफान मारती जवानी को आज वह सुरज के हाथों में सौंप देना चाहती थी मंजू को सुरज के लंड पर पूरा विश्वास था उसकी लंबाई मोटाई को देखकर मंजू को इस बात का अहसास हो गया था कि अगर सुरज का लंड उसकी बुर में एक बार जाएगा तो तहलका मचा कर ही वापस निकलेगा,,,


बगल वाले कमरे में मंजू के भैया भाभी की चुदाई बड़े जोरों से चल रही थी और वही चुदाई के दृश्य को देखकर दोनों गरम हो रहे थे मंजू समझ गई थी कि सुरज भी चुदाई के इस खेल का मजा लेने का इच्छुक है वरना,,, वह इस तरह से अपनी मौसी के साथ अपनी ही मामी और मामा की चुदाई को ना देखता,,,, सुरज अभी भी अपनी मौसी की गांड को जोर जोर से दबा रहा था और मंजू की हालत खराब हो रही थी उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी दोनों मजा ले रहे थे मंजू के हाथों में सुरज का लंड था और सुरज की हथेली में मंजू की मदमस्त गांड थी,,,,। सुरज और मंजू एक दूसरे की तरफ आंख में आंख डालकर देखने लगे,,, दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थी,,,, मंजू के गुलाबी गाल शर्म से लाल हो चुके थे और उसके होंठ रस बरसा रहे थे,,,,सुरज का मन अपने होठों को अपनी मौसी के होठों पर रखने का बहुत मन कर रहा था लेकिन उसे ना जाने क्यों डर भी लग रहा था,,,, मंजू इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी,,,,,, इसलिए इस खेल में वह खुद पहल करना चाहती थी,,, इसलिए जो खयाल सुरज के बारे में आ रहा था वह खुद मंजू अपने होठों को आगे रखकर सुरज के होठों पर और चुंबन करने लगी,,,।

अद्भुत अतुल्य,, रस से भरा हुआ यह चुंबन दोनों के तन बदन में आग लगाने के बाद दोनों एक दूसरे में खोने लगे दोनों को और भी प्यासा बना रहा था,,,। सुरज और मंजू दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी सुरज जोर-जोर से दोनों हाथों में भरकर मंजू की गुलाबी गांड को मसल रहा था,,,। मंजू उसे रोक नहीं रही थी वह तो बल्की खुश थी सुरज की हरकत की वजह से,,,, मंजू के अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे,,, अपनी भैया भाभी की चुदाई को देखकर रोज तड़पती रहती थी लेकिन आज उसके यह तड़प मिटने वाली थी दोनों एक दूसरे के होठों को चूसते हुए एक दूसरे में खोते चले जा रहे थे,,,।

बगल वाले कमरे में अपने मामी-मामा की चुदाई देखने का अब सुरज के पास समय नहीं था क्योंकि इस कमरे में वह अपनी मौसी के साथ कामलीला रचाने जा रहा था,,, उसकी मौसी कितनी खूबसूरत और जवान है उसे आज पता चल रहा था,,,,, मंजू सुरज को कसके अपनी बाहों में दबोचे हुए थी जिसकी वजह से उसकी दोनों नारंगीया सुरज की छाती पर रगड़ खा रही थी,,,, और अपनी छाती पर चूची का घर्षण महसूस करके सुरज और ज्यादा गरम हो रहा था,,,।
 

devraja

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बेहद अद्भुत और अतुल नजारा था जिसके बारे में कभी सुरज ने हीं और ना ही कभी मंजू ने कल्पना की थी,,,,,, माहौल पूरी तरह से गर्मामी चला जा रहा था,,,

गर्मी का महीना चल रहा है लोग अपने अपने घरों में चैन की नींद सो रहे थे,,, लेकिन रविकुमार के घर में उसके परिवार में किसी को भी नींद नहीं आ रही थी एक कमरे में रविकुमार और उसकी बीवी एक दूसरे में समाने में लगे हुए थे उसके बगल वाले कमरे में मौसी और भांजे की काम लीला शुरू हो चुकी थी,,,, सुरज और मंजू के जीवन का यह पहला चुंबन था जिसमें दोनों खोते चले जा रहे थे,,। सुरज तो दो बार सुधियां काकी से चुदाई का सुख प्राप्त कर चुका था,,, सुधियां काकी को चोदने के बावजूद भी सुरज उसके खूबसूरत बदन से खेल नहीं पाया था उसकी चूचियों को दबा नहीं पाया था उसके होठों का रसपान नहीं कर पाया था इसलिए सुरज के लिए जीवन का पहला संभोग भले ही यादगार क्यों ना हो लेकिन अधूरा ही था और दूसरी तरफ मंजू की तड़पती जवानी पहली बार अपनी जवानी की गर्मी शांत करने के राह पर चल पड़ी थी उसके लिए एक मर्द का साथ उसकी गर्मी उसकी भुजाओं उसकी मर्दानगी का एहसास पहली बार था,,, इसलिए तो सुरज की बाहों में वह अपने आप को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी जीवन का पहला चुंबन मंजू और सुरज दोने के लिए यादगार बनता चला जा रहा था,,,,

सुरज मंजू दोनों में से किसी को भी चुंबन का अभ्यास बिल्कुल भी नहीं था एक मर्द औरत को किस तरह से चुंबन करता है यह ना तो सुरज को पता था और ना ही मंजू को ही यह बस अपने आप होता चला जा रहा था और देखते ही देखते यह चुंबन एकदम प्रगाढ होता चला जा रहा है अपने मामा मामी की गरमा गरम चुदाई को देखकर सुरज अपने आपको संभाल नहीं पा रहा था,,,,,, मंजू की हथेली में सुरज का लंड और ज्यादा कड़क होता जा रहा था उसके कड़क पन को उसकी गर्मी को अपने हथेली में महसूस करके मंजू अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में से कुछ रिसता हुआ महसूस कर रही थी उसकी बुर गीली हो रही थी,, इस बात का एहसास मंजू को और ज्यादा मदहोश कर रहा था ,,,सुरज भी अपनी मौसी मंजू की गांड को धीरे-धीरे दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया उसे अपनी मौसी की गांड दबाने बहुत मजा आ रहा था,,,
बेशक सुधियां काकी की गांड मंजू के गांड से बहुत ज्यादा बड़ी थी लेकिन वह सुधियां काकी की गांड को अपने हाथों से पकड़ कर उसके साथ खेल नहीं पाया था लेकिन वह कभी वह अपनी मौसी की गांड से खेल कर पूरी करना चाहता था भले ही वह सलवार के अंदर थी लेकिन उसका नरम नरम एहसास उसे और ज्यादा दीवाना बना रही थी,,,,,,। सुरज के लिए यह पहला एहसास था जब वहां जवानी के उम्र में किसी जवान लड़की की गांड को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था और वह भी अपनी खुद की सगी मौसी की यह एहसास उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,,,,


दोनों की हालत को देखकर ऐसा लग रहा था कि अब कमरे के छोटे से छेद के जरिए अंदर झांकने का कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि दोनों अपने आप ही उसी खेल को शुरू कर दिए हैं जो कि बगल वाले कमरे में खेला जा रहा था,,,, मंजू की हालत खराब थी शर्म के मारे उसके गाल गुलाबी होते जा रहे थे उत्तेजना और शर्म दोनों उसकी हालत को पल पल खराब करते चले जा रहे थे,,,,,, जो कार्य सुरज सलवार के ऊपर से कर रहा था मंजू चाहती थी कि सुरज यही कार्य उसके सलवार उतार कर करें,,,, लेकिन सुरज पहल करेगा कि नहीं इस बारे में उसे उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी मंजू सुरज के लंड के कड़क पन की गर्मी में पिघलती चली जा रही थी धीरे-धीरे मदन रस उसकी सलवार को भीगो रहा था,,,,, एक दूसरे के होठों को चूमने और चाटने में अच्छा खासा समय व्यतीत कर चुके थे,,, मंजू आगे बढ़ना चाहती थी,,, इसलिए वह अपने होठों को सुरज के होठों से अलग करते हुए बोली,,,।


सुरज जो खेल तेरी मामी और तेरे मामा खेल रहे हैं क्या तु वही खेल खेलना चाहता है,,,(अपनी उखडती सांसो को दुरुस्त करते हुए मंजू बोली,,,)


लेकिन किसके साथ,,,,(सुरज आश्चर्य से लेकिन जानबूझकर बोला क्योंकि अब उसके मामा-मामी किस तरह का खेल खेल रहे थे उसका जान चुका था और वह खेल का सुधियां काकी के साथ खेल भी चुका था,,, सिर्फ वह अनजान बनते हुए बोला,,,)

अरे बुद्धू मेरे साथ ,,, और किसके साथ,,,,


क्या मैं तुम्हारे साथ खेल सकता हूं,,,,


बिल्कुल खेल सकता है लेकिन इस बारे में किसी को बताना नहीं,,,,



नहीं मौसी किसी को भी नहीं बताऊंगा,,,,,,(सुरज उत्सुकता दिखाते हुए बोला सुरज अनजान नहीं था वह सब कुछ जानता था सिर्फ अनजान बनने का नाटक कर रहा था वह तो खुद ही इस खेल को खेलने के लिए उतावला हुआ जा रहा था उसे मौका मिलता तो वह बगल वाले कमरे में अपने मामा की जगह लेते हुए अपनी मामी की चुदाई कर दिया होता क्योंकि अपनी मामी का गदराया बदन देखकर वह कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव करता था,,,,।)


तो चल अपनी कपड़े उतार कर नंगा हो जाए क्योंकि इस खेल को खेलने के लिए कपड़े उतारना पड़ता है देखा ना तु कैसे तेरे मामा को तेरी मामी कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई थी,,,,,

(सुरज के लिए यह बताने वाली बात नहीं थी वह अच्छी तरह से जानता था इस खेल को खेलने के लिए क्या करना पड़ता है वह मंजू की आज्ञा पाते ही कपड़े उतार कर नंगा हो गया मंजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी सुरज का कसरती बदन देखकर मंजू कीमत मस्त जवानी अंगड़ाई लेना शुरू कर दी थी सुरज के लंड के दर्शन तो वह पहले ही कर चुकी,,, थी,,,। लेकिन उसे संपूर्ण रूप से नंगा देखने का सौभाग्य उसे अब जाकर प्राप्त हुआ था ,,,। चौड़ी छाती गठीला बदन उसपर दोनों टांगों के बीच लटकता हुआ खंजर देखकर मंजू की बुर पानी छोड़ रही थी,,,,,, सुरज का जवान शरीर देखकर मंजू से रहा नहीं गया और वह सुरज की तारीफ करते हुए बोली,,,।)


बाप रे कपड़ा उतारने के बाद तू इतना खूबसूरत लगता है यह तो मुझे आज पता चला,,, सच में तू अब एकदम जवान हो गया है,,,।( मंजू ललचाए आंखों से सुरज को ऊपर से नीचे देख रही थी,,,। सुरज उसी तरह से खड़ा था एकदम नंगा आंखों में थोड़ी बहुत शर्म बाकी थी इसलिए नजरों नीचे किए हुए था लेकिन मन में अरमान मचल रहे थे,,,,, वह अपनी मौसी के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ गया था उसकी मौसी उसके मामी मामा की तरह खेल खेलना चाहती थी जिसका मतलब साफ था कि वह चुदवाना चाहती थी,,,। सुरज इस बात से और ज्यादा उत्साहित था कि वह आज अपनी मौसी को चोदेगा,, वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसी की अभी शादी नहीं हुई है इसका मतलब साफ था कि उसके पति से पहले उसकी मौसी की चुदाई वह करेगा इस सुख से वह पूरी तरह से अवगत होना चाहता था,,,,,, इसीलिए तो उत्सुकता के कारण उसका लंड खड़ा था और ज्यादा कड़क और मोटा हो चुका था मंजू की आंखें बार-बार सुरज के खड़े लंड पर पहुंच जाती थी जिसे देखते ही उसके तन बदन में झुर्झुरी सी फेल जाती थी,,,। सुरज का मोटा और लंबा लंड मंजू की दोनों टांगों के बीच हलचल मचा रही थी मंजू का मन सुरज के लंड को देखकर,,, मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, वह जल्द से जल्द सुरज के लंड से खेलना चाहती थी उसकी गरमाहट को अपने अंदर महसूस करना चाहती थी,,, वह चाहती तो एक झटके में ही सुरज के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी प्यास को भुजा सकती थी लेकिन वहां इतनी जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहती थी जिस तरह से वह अपने भैया और भाभी की गरमा गरम चुदाई को देखते आ रही थी वह जानती थी कि धीरे-धीरे ही आगे बढ़ने में मजा आता है,,,,, आज की रात मंजू की रात थी उसकी जिंदगी की आज एक नई शुरुआत होने जा रही थी शादी से पहले ही वह आज संभोग सुख का स्वाद चखने जा रही थी जिसमें किसी भी प्रकार की आपत्ती दोनों को नहीं थे दोनों जवान थे दोनों के अपने अरमान थे,,, दोनों में से कोई भी इस पवित्र रिश्ता के बीच के इस गंदे खेल को खेलने से रोक नहीं रहा था मौसी और भांजे के बीच जिस्मानी ताल्लुकात की पहली कड़ी दोनों ने पार कर चुके थे,,,,एक दूसरे के अंगों से खेल कर दोनों ने मन ही मन में आगे बढ़ने की हामी भर दी थी,,,,,,।


सुरज इस समय मंजू की आंखों के सामने एकदम नंगा खड़ा था मंजू सुरज को देख कर उसके बदन की बनावट को देखकर उसके गठीले बदन के साथ-साथ उसके मर्दाना ताकत से भरे अंग को देखकर पूरी तरह से उसकी दीवानी हो गई थी,,,, सुरज कुछ बोल नहीं रहा था लेकिन अपनी मौसी के सामने इस तरह से नंगा होकर खड़े होने में उसे अंदर ही अंदर उत्तेजना के साथ-साथ मदहोशी का एहसास हो रहा था,,, क्योंकि अपनी मौसी की मदमस्त जवानी और उसकी कामुक हरकत की वजह से,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था,,,, वह खुद जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मौसी की बुर में डाल देना चाहता था क्योंकि सुधियां काकी के साथ संभोग के अध्याय से इतना तो वो सीख ही गया था की चुदाई कैसे करते हैं,,,,,,, इसी हालात की वजह से उसका दिल जोरों से धड़क रहा था बगल वाले कमरे में उसकी मामी एकदम खुलकर चुदाई का मजा ले रही थी जिसकी हल्की-हल्की सिसकारी की आवाज सुरज के कानों में पहुंच रही थी और यही आवाज मंजू भी सुन रही थी जिसकी वजह से उसकी भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी मंजू जवानी में कदम रखते ही अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए तड़प रही थी वह प्यासी थी उसके सामने कुंआ था लेकिन अपनी प्यास बुझाने के लिए कुएं के पास खुद जाना पड़ता है ना कि कुआं पास में आता है इसलिए मंजू बिना अपने कपड़ों को उतारे सुरज की तरफ आगे बढ़ी और सुरज की आंखों में देखते हुए उसके खड़े लंड को पकड़ कर मुस्कुरा दी,,,,मंजू की मुस्कुराहट सुरज के तन बदन पर उत्तेजना की छुरियां चला रहा था सुरज से रहा नहीं जा रहा था उसे लग रहा था कि वह अपने कपड़े उतार कर उसके लंड को अपनी बुर में डलवा लेगी,,,,, लेकिन शायद वह नहीं जानता था कि उसकी मौसी उसके मामा मामी की गरमा गरम चुदाई देखकर उनसे बहुत कुछ सीख गई है,,,। इसलिए वह अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गई सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मौसी क्या करने वाली है लेकिन तभी मंजू अपनी जीभ को हल्के से निकालकर जीभ के पोर सुरज के लंड कै सुपाड़े को स्पर्श करने की कोशिश करने लगी,,,, या आभास होते ही सुरज के दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चलने लगी,,,, मंजू की भी हालत खराब थी वह देखना चाहती थी कि वाकई में मर्द के लंड को मुंह में लेने से उसे चाटने से औरत को कितना मजा आता है,,,उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि उसकी भाभी को यह क्रिया करने में बहुत मजा आता था और उसके भैया को भी,,,


आप दोनों तरफ बराबर की लगी थी मंजू की हरकत से सुरज को इस बात का आभास हो गया था कि उसकी मौसी,,,
उसके लंड के साथ अपने मुंह से कुछ हरकत करने वाली है मंजू कि सासे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी जीभ लपलपा रही थी,,,। मंजू जल्द से जल्द सुरज के लंड को अपनी जीभ से चाटना चाहती थी लेकिन लंड चाटने के एहसास से वह अपने तन बदन में अजीब सी हलचल महसूस कर रही थी,,,, क्योंकि लंड से पेशाब किया जाता है और ऐड को मुंह में लेना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन फिर भी वह इसके लिए लालायित थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, आखिरकार बदन में कपकपी के एहसास के साथ मंजू अपनी जीभ को सुरज के लंड के सुपाड़े पर स्पर्श करा दी,,,,,,।


सहहहहह आहहहहहहहहह,,,,,एकदम से सुरज के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकल गई यह पल उसके लिए बेहद अद्भुत और सुख से भरा हुआ था उसने कभी इस पल की कामना नहीं किया था और अपनी मौसी से तो यह उम्मीद उसे बिल्कुल भी नहीं थी पहली बार उसके लंड पर किसी औरत के जीभ का स्पर्श हो रहा था,,, सुरज अपनी सांसो को लंबी खींचने लगा पहले तो मंजू को यह स्पर्श थोड़ा अजीब लगा लेकिन वह मदहोश हो चुकी थी इसलिए धीरे-धीरे करके वह सुरज के संपूर्ण सुपाड़े पर अपनी जीभ फेरने लगी,,, देखते ही देखते मंजू को मजा आने लगा उसे अपनी हरकत पर खुद ही शर्म तो आ ही रही थी लेकिन एक अद्भुत सुख का अहसास भी हो रहा था,,,, हालांकि वह अभी तक सिर्फ सुपाड़े को ही चाट रही थी उसे पूरी तरह से मुंह में ले रही थी,,,,,


सुरज की हालत बिल्कुल खराब हो चुकी थी वह गहरी गहरी सांसे ले रहा था उसका लंड फूल पिचक रहा था जिस तरह की हरकत से मंजू ने सुरज के तन बदन में आग लगाई थी सुरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था सुरज का मन कर रहा था कि इसे समय उसकी मौसी को पटक कर उसकी चुदाई कर दे लेकिन इस खेल में उसे भी मजा आ रहा था इसलिए वह भी सब्र किए हुए था,,,, मंजू धीरे-धीरे अपनी भाभी से सब कुछ देख देख कर ही सीख चुकी थी वह जानती थी कि लंड को पूरी तरह से मुंह में लिया जाता है इसलिए धीरे-धीरे अपना मन कड़क करके वह सुरज के कड़क लंड को मुंह में लेना शुरू कर दी,,,, लंड का स्वाद मंजू को कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन फिर भी वह धीरे-धीरे करके सुरज के बड़े लंड को अपने मुंह में गले तक ले ली सुरज एकदम से स्तब्ध रह गया,,,, उसे सुधियां काकी याद आने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि सुधियां काकी इतनी परीपकव और उम्र दराज होने के बावजूद भी,,, इस तरह का सुख नहीं दे पाई थी जिस तरह की हरकत मंजू करके दे रही थी,,,, मंजू एकदम जवान थी जवान की अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी और ऐसे में औरत और मर्द के बीच के इस खेल का इतना अनुभव ,,,, सुरज के समझ के बाहर था,,, वह समझ नहीं पा रहा था कि उसकी मौसी यह सब कहां से सीखी,,,,,,,,

देखते ही देखते मंजू अपनी भाभी की नकल करते हुए सुरज के लंड को पूरा गले तक लेकर उसे बाहर निकाल देगी और वापस उसे फिर से अंदर ले जाती थी,,, ऐसा करने से सुरज का लंड पूरी तरह से मंजू के थुक में सन गया,,,, सुरज के ऊपर पूरी तरह से मदहोशी छा चुकी थी,,, वह इसे हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करके ही लाना शुरू कर दिया था सुरज की यह हरकत मंजू के तन बदन में भी आग लगा रही थीं,,, एक तरह से सुरज अपने लंड को उसकी बुर में नहीं उसके मुंह में डालकर चुदाई कर रहा था,,। सुरज का हाथ अपने आप मंजू के सर पर पहुंच गया और वह उसके रेशमी बालों में अपनी उंगली घुमाने लगा,,,,।


आहहहहह,,,, मौसी,,,, बहुत मजा आ रहा है मौसी कहां से सीखी तुम यह सब,,,,,


तेरी मामी से ही सीखी हुं,,,(लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर बोली और वापस फिर से मुंह में ले ली,,, अपनी मामी का जिक्र इतने गंदे काम में होता देखकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई वह अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया,,,,, मदहोशी के आलम में वह मंजू के मुंह को उसकी बुर समझ रहा था,,,,
देखते ही देखते सुरज का लंड पूरी तरह से मंजू के थुक में सन गया जिसकी वजह से उसके मुंह से चप चप की आवाज आना शुरू हो गया,,, मानो उसकी बुर की चुदाई हो रही हो,,,,


लंड को मुंह में लेकर चूसने में कितना मजा आता है मंजू को इस बात का अहसास अब हो रहा था वरना वह छोटे से छेद में से अपनी भाभी को इस तरह की हरकत करती देख कर उसे थोड़ा सा घिन्न महसूस होता था,,,। लेकिन आज हकीकत में खुद भी लंड को मुंह में लेकर की तरह के सुख की अनुभूति व कर रही थी वह उसे बयां नहीं कर सकती थी,,,। कुछ देर तक मंजू इसी तरह से सुरज के लंड को मुंह में लेकर चुसती रही,,,,। और फिर सुरज के लंड को मुंह से बाहर निकालकर वह सुरज की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी,,,, सुरज भी जवाब में अपनी मौसी की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया,,, लेकिन उसका और मन कर रहा था मुंह में लंड देने का लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाया उत्तेजना के मारे उसकी कमर अभी भी आगे पीछे हो रही थी जो कि बार-बार उसका खड़ा लंड लार टपकाता हुआ मंजू के गुलाबी गाल पर स्पर्श कर रहा था,,,, मंजू धीरे से खड़ी हुई उसे महसूस हो रहा था कि उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी है,,वह, गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।


आज देखना इस खेल में हम दोनों को कितना मजा आएगा,,,,(मंजू गहरी सांस लेते हुए बोली,,,, सुरज अपनी मौसी की बातें सुन कर मुस्कुरा रहा था और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाने लगा था,,,, यह नजारा बेहद अद्भुत था कामुकता से भरा हुआ,,,,,,,)


मौसी मुझे तो तुम नंगा कर दी लेकिन अभी भी तुम कपड़े पहने हुए हो तुम भी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,,(सुरज अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,, मंजू सुरज की बात और उसकी हरकत को देखकर पूरी तरह से उस पर मोहित हो गई,,,,,,)


अच्छा तो तु मुझे बिना कपड़ों के नंगी देखना चाहता है,,,


तो क्या हुआ मामा और मामी को देखकर तो इतना तो समझ में आता ही है कि इस खेल को खेलने के लिए हम दोनों को कपड़े उतारकर नंगा होना पड़ेगा मैं तो उतार चुका हूं लेकिन तुम अभी भी कपड़े पहनी हो,,,,,


एक ही रात में इस खेल के बारे में बहुत कुछ सीख गया है,,, चिंता मत कर मैं भी कपड़े उतार देती हूं,,,(मंजू मुस्कुराते हुए इतना कहने के साथ नहीं अपनी कमीज को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ सरकाने लगी,,, यह देखकर सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, देखते ही देखते मंजू अपनी कमीज को अपनी छाती तक उठा दी कमीज के अंदर उसने कुछ नहीं पहनी थी उसकी नंगी चूचियां अमरूद की तरह दम कड़क नजर आ रही थी जिसे देखते ही सुरज के मुंह में पानी आ गया,,,, चूची को मुंह में लेकर किया जाता है इस बारे में वह अपने पिताजी से ही सीखा था उसका भी मन कर रहा था कि वह अपनी मौसी को अपनी बाहों में भर कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पिए लेकिन अपने आप पर सब्र किए हुए था देखते ही देखते उसकी मौसी ने अपनी कमीज को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी अमरुद जैसी चूचियां सुरज को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी,,,, कमीज को नीचे जमीन पर फेकने के बाद मंजू सुरज की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी वह जानती थी कि सुरज की नजर इस समय उसकी चुचियों पर है इसलिए वह खुद भी अपने दोनों हाथों से अपनी चूची को पकड़कर एक तरह से झकझोरते हुए बोली,,,।)


कैसी लगी मेरी चूचियां,,,,,(मंजू एकदम बेशर्म औरत की तरह बोल दी मंजू ऐसे बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन ना जाने क्यों आज की रात वह पूरी तरह से खुल जाना चाहती थी,,, सुरज की अपनी मौसी के मुंह से चुची शब्द सुनकर उत्तेजना से सिहर उठा था,,,, गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)


बहुत खूबसूरत है मौसी मन तो कर रहा है कि इसे हाथों में लेकर जोर जोर से दबाऊ इसे मुंह में लेकर इसके रस को पी जाऊं,,,,।


आहहहहहह,,,सहहहहहहहहह,,,,, तो ले ले अपने हाथों में रोका किसने है,,,,(मंजू भी एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,,,आज की रात दोनों के लिए बेहद अद्भुत अतुलनीय और बेहद हसीन थी जिस रात के बारे में उन दोनों ने शायद कल्पना ही की थी उसे हकीकत में जिया नहीं था लेकिन आज उस पल को भरपूर तरीके से मजा लेने का समय आ गया था,,,। सुरज भला इस आमंत्रण को कैसे ठुकरा सकता था,,, वह तो प्यासा था और मंजू मीठे पानी का कुआं थी,,,
मंजू कि दोनों चूचियां पहले से ही तड़प रही थी मर्दाना हाथों में जाने के लिए आज इसका शुभारंभ होने वाला था और वह भी सुरज के हाथों,,, मंजू इस बात से खुश थी कि उसकी जवानी का रस उसकी बड़ी बहन का लड़का ही पीने वाला था जिसमें बदनामी का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,,।
 

devraja

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लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, कमरे के अंदर सुरज बिना कपड़ों के एकदम नंगा खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, ठीक उसके सामने जवानी से भरपूर मंजू खड़ी थी कमर के,,, उपर पूरी तरह से नंगी,,, जिसे देख कर ही सुरज के मुंह में पानी आ रहा था,,,,, मंजू को इस हाल में अगर कोई देख ले तो उसका खड़े खड़े पानी निकल जाए,,, मंजू एकदम जवान खूबसूरत गोरे रंग की लड़की थी,,, नाक नैन नक्श सब कुछ बेहद खूबसूरत था,,,
इसलिए तो सुरज को अब समझ में आया कि उसकी मौसी कितनी खूबसूरत हैक्योंकि अभी तक औरतों और लड़कियों को देखने का उसका नजरिया तुम कुल साफ था लेकिन अब उसका नजरिया बदल गया था इसलिए औरतों की खूबसूरती के मायने को वह अच्छी तरह से समझ गया था,,

कमरे के बीचो बीच खटिया के पास खड़ी मंजू अपनी मदमस्त कर देने वाले अमरूदों को दिखाकर सुरज को लुभा रही थी और सुरज अपनी मौसी की रस से भरी चुचियों को देखकर मस्त हुआ जा रहा था उसके मुंह में पानी आ रहा था और लंड था कि उत्तेजना के मारे आहें भरता हुआ मुंह ऊपर की तरफ उठा ले रहा था,,,,,,,,, सुरज का मन आगे बढ़ने को कर रहा था लेकिन ना जाने क्यों उसके मन में थोड़ा डर भी था जो कि सबकुछ साफ हो चुका था दोनों एक दूसरे से प्यार करने के लिए तैयार हो चुके थे काम क्रीड़ा का खेल खेलने के लिए तैयार हो चुके थे फिर भी सुरज की आंखों के सामने उसकी मौसी थी,,, इसलिए उसे थोड़ा बहुत झिझक और डर भी लग रहा था,,, लेकिन किसी भी हाल में बढ़ना तो था ही क्योंकि जवानी का असर ही कुछ ऐसा था,,,।,,,,

अपनी मौसी की जवानी देख कर सुरज का लंड बौखलाया हुआ था मंजिल उसकी आंखों के सामने की और वहां पर पहुंचने के लिए वह मचल रहा था,,,,अपने कदमों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाने लगा जैसे जैसे उसके कदम आगे की तरफ बढ़ रहे थे जैसे जैसे मंजू के तन बदन में हलचल सी बढ़ती जा रही थी अब तक उसकी जिंदगी मैं पतझड़ ही चल रहा था,,,। लेकिन अब उसकी जिंदगी में बहार आने वाली थी सावन की फुहार बरसने वाली थी और इस मदहोश कर देने वाले सावन का इंतजार करते हुए खुशी के मारे उसकी बुर की पतली दरार से खुशी के आंसू टपक रहे थे,,, जोकि धीरे-धीरे उसकी सलवार को भिगो रहा था,,,उत्तेजना के मारे मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और सांसो की गति के साथ-साथ छातियों की शोभा बढ़ा रहे उसके दोनों अमरुद ऊपर नीचे हो रहे थे,,, जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था सुधियां काकी की दो बार चुदाई करने के बावजूद भी औरतों के अंगों से कैसे खेला जाता है इस बारे में उसे बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था सुधियां काकी ने उसी से चोदने का सिखाई थी बाकी खूबसूरत बदन से प्यार करने का गुण नहीं सिखाई थी जो कि वह छोटे से छेद से अपनी मामा और अपने मामी के काम क्रीड़ा को देखकर धीरे-धीरे सीख चुका था,,,, इसलिए मंजू के करीब पहुंचते ही उसकी मदहोश कर देने वाली आंखों में देखते हुए जैसे आंखों से ही आगे बढ़ने की अनुमति मांग रहा हो,, और मंजू ने भी अपनी नजरों को नीचे झुका कर उसे इशारों ही इशारों में अनुमति दे दी,,,,

इस अनुमति को सहर्ष स्वीकार करते हुए सुरज अपना एक हाथ ऊपर की तरफ उठाकर उसे अपनी मौसी की छातियों पर रख दिया,,,, जैसे ही उसे अपनी हथेली पर अपनी मौसी की नरम नरम चुचियों का एहसास हुआ उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, उसकी सांसे बेकाबू होने लगी और उत्तेजना के मारे वहां अपनी हथेली में अपनी मौसी के अमरुद को पकड़कर दबा दिया,,,, मंजू सुरज की हरकत से पूरी तरह से सिहर उठी और उसके मुंह से हल्की कराहने की आवाज निकल पड़ी,,,।

आहहहहह,,,,,


क्या हुआ मौसी,,,,


ककककक,,, कुछ नहीं,,,,,
(दर्द महसूस करने के बावजूद भी मंजू इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह अपने भैया को अपनी भाभी की चूची को जोर जोर से दबाते हुए देखी थी इसलिए वह भी चाहती थी कि सुरज भी उसकी चुचियों को जोर-जोर से दबाएं,,,। सुरज खुद जानता था कि उसे उसकी मौसी की चुचियों के साथ क्या करना है कैसे खेलना है,,,,इसलिए अपनी मौसी के कराने की आवाज सुनने के बावजूद भी वह अपनी हथेली में मंजू की चूचियों को दबाए हुए और जिसे वो धीरे धीरे मसल ना शुरू कर दिया था,,,, देखते ही देखते सुरज के तन बदन में स्तन मर्दन करने की गर्मी छाने लगी आंखों ने खुमारी नजर आने लगी यही हाल मंजू का भी था एक अद्भुत एहसास से वह घीरी जा रही थी,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद के सागर में वो गोते लगा रही थी,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब एक चूची दबाने में इतना मजा आ रहा है अगर वह दोनों चुची दबाएगा तो कितना मजा आएगा,,,, इसलिए वह बिना कुछ बोले अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के हाथ को पकड़ लिया और उसे अपनी दूसरी चूची पर रखकर दबाने का इशारा की बस फिर क्या था सुरज को क्या चाहिए था सुरज जैसे हर जवान लड़कों की ख्वाहिश यही होती है कि उसकी दोनों हाथों में चूचियां हो,,, और यही ख्वाहिश सुरज की पूरी होती नजर आ रही थी,,,।

सुरज मन लगाकर मजे लेते हुए अपनी मौसी की चुचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था मानो कि जैसे उसके हाथों में दशहरी आम आ गया हो,,,, पूरी तरह से मंजू गर्म आ चुकी थी स्तन मर्दन की वजह से उसके मुख से हल्की-हल्की सिसकारी की आवाज निकल रही थी जो कि इस काम क्रीड़ा को और ज्यादा रंगीन बना रही थी,,,
बगल वाले कमरे में अपनी मामी मामा की चुदाई को देख कर जिस तरह की गर्मी सुरज ने अपने अंदर महसूस किया था उससे भी कहीं ज्यादा उत्तेजना भाई समय अपनी मौसी की सूचियों से खेलते हुए महसूस कर रहा था,,,,।

ससहहहह आआआआबहहहहब ,,,,ऊमममममममम सुरजउउउउउउ,,,,,आहहहहहह,,,,,,

(मंजू की मदहोशी सुरज को दीवाना बना रही थी जितना वह सिसकारी देती थी सुरज इतनी जोर जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था थोड़ी ही देर में सुरज उसकी गोली चूचियों को दबा दबा कर लाल टमाटर कर दिया,,,,, शर्म और उत्तेजना की लाली मंजू के गुलाबी गाल को और गहरा कर रही थी,,, सुरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,,, सुरज अपनी मौसी के चुचियों मुंह में लेकर पीना चाहता था लेकिन इसके लिए भी वह इजाजत का इंतजार कर रहा था,,,, उत्तेजना के मारे मंजू की चुचियों के निप्पल चॉकलेट की तरह कड़क हो गई थी जो सुरज चाहता था वह अपने मन में वही इच्छा रखती थी इसलिए मंजू सुरज को बोली,,,)


सुरज,,,, मुंह में लेकर पी बहुत मजा आएगा,,,,(चूची पिलाने का अनुभव मंजू को बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी उसे इस बात का आभास जरूर था की चूची पिलाने में बहुत मजा आता है,,,,,, सुरज भी इसी पल का इंतजार कर रहा था अपनी मौसी की बात सुनते ही वह दोनों हाथों में मंजू की चूचियों को दबा ही हो गए मंजू आंखों में देखने लगा,,,,और अगले ही पल अपने प्यासे होठों को मंजू की चूची की तरह बढ़ाने लगा मंजू की हालत पल-पल खराब होने लगी क्योंकि अभी तक वह जिस नजारे को देखते आ रही थी,,,,इस नजारे को देखकर एक अद्भुत सुख की कल्पना करती रहती थी उसे आज वह हकीकत में अंजाम देने जा रही थी,,,,देखते ही देखते सुरज अपनी मौसी की चूची के नुकीली भूरे निप्पल को अपने होठों से स्पर्श करके उसे धीरे से अंदर की तरफ कर लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया मानो कि जैसे कोई बच्चा लेमन चूस चूस रहा हो,,, एक अद्भुत एहसास दोनों के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा,,,,सुरज एक हाथ से मंजू की चूची को पकड़कर दबा रहा था और दूसरी चूची को मुंह में लेकर पी रहा था मंजू की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उत्तेजना के मारे घुटनों में कंपन होने लगा चूची पिलाने में इतना मजा आता है वह कभी सोची नहीं थी वह उत्तेजना के मारे सुरज के सिर को पकड़कर और जोर से अपनी छातियों पर दबाने लगी,,,, और सुरज पागलों की तरह जितना हो सकता था उतना निप्पल सहित अपनी मौसी की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था अभी तक वह मंजू कि एक ही चूची को मुंह में लेकर पी रहा था इसलिए मंजू सुरज को बालों से पकड़कर,,, उसे अपनी चूची चूची से हटाकर दूसरी चूची पर उसका मुंह रख दी,,, मंजू की हरकत सुरज की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा दी वह और मन लगाकर बारी बारी से मंजू की चुचियों को पीना शुरू कर दिया,,,।

आहहहहह,,,,सहहहहहहहह,,,,ऊमममममममम, सुरज और जोर-जोर से पी बहुत मजा आ रहा है मुझे,,,,आहहहहह,,, तूने तो मुझे मस्त कर दिया,,,।ओहहहहह सुरज बहुत मजा आ रहा है पूरा मुंह में लेकर पी,,,,। आहहहहहहहहहह,,,,ऊईईईईईई,मां,,,,,(उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर उत्तेजना के मारे सुरज ने उसकी निप्पल को दांतों से काट लिया,,, जिससे मंजू एकदम से चौंक उठी थी लेकिन उसे बोली कुछ नहीं उसकी सांसे तेज ना बढ़ती जा रही थी अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर सुरज के लंड को पकड़ लिया और उसे सलवार के ऊपर से अपनी बुर पर रगडना शुरू कर दी,,,,सुरज की उत्तेजना और आनंद दोनों में बढ़ोतरी होती जा रही थी मंजू की हरकत से सुरज का बदन और ज्यादा ज्यादा गर्म आने लगा था मंजू बड़े मजे लेकर सलवार के ऊपर से सुरज के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर पर रगड़ रही थी,,,बुर से झर रहे मदन रस के कारण उसकी सलवार पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और सलवार के गीले पन का एहसास सुरज को अपने लंड पर अच्छी तरह से महसूस हो रहा था,,,, अपनी मौसी की बुर का पानी अपने लंड पर लगने की वजह से सुरज और ज्यादा उत्तेजित होने लगा था और हल्की हल्की कमर आगे पीछे करने लगा था ऐसा लग रहा था कि जैसे मानो सलवार के ऊपर से ही अपनी मौसी को चोद रहा हो,,,,,


मंजू की हालत खराब होती जा रही थी,,,, मंजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी,,,,अब अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी उंगली से नहीं बल्कि एक मोटे लंड से शांत होने वाली थी सुरज उसकी चुचियों को पीने में लगा हुआ था और मंजू धीरे-धीरे अपनी सलवार की डोरी खोल रही थी अब वह भी सुरज की तरह पूरी तरह से नंगी हो जाना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का खेल दोनों खेल रहे थे उसमें वस्त्र बाधा रूट बनते थे,,,और इस समय मंजू अपने और सुरज के बीच में आने वाली हर बाधा को दूर कर देना चाहती थी,,,,देखते ही देखते मंजू अपनी सलवार की डोरी खोल कर उसे वैसे ही छोड़ दी और उसकी सलवार भरभरा कर नीचे उसके कदमों में जा गिरी,,,, मंजू भी अब सुरज की तरह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,लेकिन मंजू के संपूर्ण नग्न अवस्था का एहसास सुरज को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह तो मंजू की चुचियों में मस्त था,,,, लेकिन मंजू सुरज को अपने नंगे पन का एहसास कराना चाहती थी,,, और उसे चूची पीने से रोकना भी नहीं चाहती थी इसलिए वह एक हाथ पकड़ कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच रख दी,,,,पल भर में ही सुरज का पूरा वजूद कांप उठा उसे अपनी हथेली में भट्टी की तरह गर्मी महसूस होने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी हथेली को तपते हुए तवे पर रख दिया हो,,,,,, पल भर में उसकी सांस अटक गई लेकिन वह अपनी हथेली को उस जगह से हटाया नहीं मंजू ने उसकी हथेली को सीधे अपनी बुर पर रख दि थी,,,,। सुरज तुरंत अपना मुंह उसकी चुची से हटा कर नीचे की तरफ देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई सुरज को उसकी मौसी की बुर एकदम साफ नजर आ रही थी हल्के हल्के बालों पर उसका मदन रस लगा हुआ था जो कि मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,, मंजू को यह एहसास कि सुरज उसकी बुर को देख रहा है पूरी तरह से दीवाना बना दिया मंजू कि सासे ऊपर नीचे होने लगी,,,, उस की धड़कन बढ़ने लगी उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा,,,,।

सुरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ऐसा नहीं था कि पहली बार अपनी मौसी की बुर को देख रहा था इससे पहले भी वह रात को अनजाने में ही अपनी मौसी की बुर के दर्शन कर चुका था जब वह सलवार उतार कर सोई थी लेकिन उस समय कुछ और बात थी और इस समय हालात को छोड़ दें उस समय वह केवल से देख भर पा रहा था और देखने से ही मजा ले रहा था लेकिन आज का वह अपनी मौसी की बुर को छू सकता है उसकी गरमाहट को महसूस कर सकता है हालांकि अभी भी उसकी हथेली उसकी बुर पर ही थी,,,, और अच्छे से अपनी मौसी की बुर को देखने के लिए सुरज बिना बोले ही अपने घुटनों के बल बैठ गया अब मंजू कि बुर उसकी आंखों के ठीक सामने थी,,, सुरज से अब ठीक से सांस भी लिया नहीं जा रहा था उसकी सांस अटक रही थी,, साथ ही उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता चला जा रहा था जिसे वह अपने थूक से गिला करने की पूरी कोशिश कर रहा था आखिरकार वह कर भी क्या सकता था उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी भी यही हालत होती मंजू पहली बार किसी मर्द को अपने कपड़े उतार कर अपना जिस्म दिखा रही थी अपनी बुर दीखा रही थी और वह भी अपने ही बड़ी बहन के लड़के को,,,
मंजू सूरज की हालत पर मुस्कुरा रही थी वह जानती थी कि उसकी बुर देखकर सुरज की हालत खराब हो रही है,,,,सुरज की हालत और ज्यादा खराब करने के उद्देश्य से मंजू अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर जोर से रगड़ते हुए अपनी हथेली को ऊपर की तरफ खींच ली,,,, मंजू की हरकत सुरज को पानी पानी कर रही थी ऊतेजना के मारे उसे अपने लंड की नसें फटती हुई महसूस हो रही थी,,,। सुरज से बिल्कुल भी नहीं रहा क्या और इस बार वह अपने मौसी से इजाजत लिए बिना ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उंगली से मंजू की बुर को स्पर्श करने लगा बेहद गर्म उस्मा से भरी हुई हल्के हल्के बालों वाली बुर को स्पर्श करते ही सुरज के तन बदन में आग लग गई,,,, सुरज बड़े गौर से अपनी मौसी की बुर को देख रहा था मंजू को सुरज की हालत पर तरस भी आ रहा था और मजा भी आ रहा था वह ऐसा सोच रही थी कि सुरज जिंदगी में पहली बार बुरके दर्शन कर रहा है इसलिए उसकी हालत खराब हो गई है,,, वह यह नहीं जानती थी कि एक बार पहले भी वहां उसकी बुर के दर्शन कर चुका है,,, और सुधियां काकी की बुर में अपना लंड डालकर तो कर चुदाई भी कर चुका है,,,।

सुरज पूरी तरह से उत्तेजना से ग्रस्त होता जा रहा था पूरा गांव चेन कि नहीं सो रहा था शायद आप उसके मामी मामा भी जुदाई का आनंद लेकर सो चुके थे लेकिन अब मौसी और भांजे के बीच जो काम क्रीड़ा चल रही थी उसके चलते उन दोनों की नींद कोसों दूर थी उन दोनों को नींद नहीं आ रही थी वह दोनों बेचैन हो चुके थे सुरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वह धीरे-धीरे अपनी हथेली को अपनी मौसी की बुर पर रखकर मसलना शुरू कर दिया,,, मंजू की बुर पूरी तरह से पानी-पानी हो चुकी थी इसलिए पनियाई बुर पर हथेली रगड़ने से सुरज की हथेली पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मंजू को आनंद की अनुभूति हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था मदहोशी में उसकी आंखें बंद हो चुकी थी,,,,,, और वह भी अपने आप ही अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए सुरज की हथेली की रगड़ का मजा लूट रही थी,,,।

गर्मी का महीना पहले से ही अपना असर दिखा रहा था उस पर दोनों की जवानी की गर्मी दोनों को पसीने से तरबतर कर दी थी लेकिन फिर भी दोनों को किसी बात की दिक्कत नहीं थी दोनों को मजा ही आ रहा था,,,। मंजू की बुर पानी पानी हो चुकी थी उसे अपनी आनंद की पराकाष्ठा को बढ़ाना था और अपने मन में वह कुछ और कर गुजरने की सोच रही थी जिसकी सुरज को आभास तक नहीं था मंजू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के सर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे उसे अपनी दोनों टांगों के बीच खींचने लगी सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मौसी क्या करवाना चाहती है,,,,लेकिन उसे अपनी मौसी की किसी भी हरकत का एतराज भी नहीं था जिस तरह से वह अपनी दोनों टांगों के बीच उसे खींच रही थी वह खींचता चला जा रहा था और देखते ही देखते मंजू ने उसके होठों को ठीक अपनी बुर पर रखकर दबा दी और मदहोशी भरे स्वर में बोली,,,।

अब चाट सुरज ,,,,, जोर-जोर से चाट मेरी बुर में अपनी जीभ डालकर चाट,,,,
(पहले तो सुरज को अपनी मौसी की बात सुनकर कुछ अजीब सा लगा बुर चाटने वाली बात उसे कुछ अच्छी नहीं लगी थी लेकिन वह अपनी मौसी को इनकार नहीं कर सकता था,, इसलिए वह हल्के से अपनी जीभ निकालकर बुर के ऊपरी भाग को चाटना शुरू कर दिया,,,, बुरके मदन रस से पहले से ही मंजू की बुर पूरी तरह से भीगी हुई थी जिसकी वजह से सुरज को अपनी जीभ पर बुर का रस लगते ही उसका स्वाद थोड़ा कसैला लगा,,,, कि धीरे-धीरे उसे यही स्वाद मधुर लगने लगा उसे अच्छा लगने लगा वह मंजू की गुलाबी बुर को ऊपर से नीचे की तरफ पूरी तरह से चाहता था उत्तेजना के मारे मंजू की बुर फुल कर रोटी की तरह हो गई थी,,,, अभी तक सुरज ने अपनी जीभ को मंजू कि बुर के अंदर प्रवेश नहीं कराया था,,,, और मंजू चाहती थी कि सुरज अंदर तक जीभ डा कर चाटे,,, इसलिए वह बोली,,,।


ओहहहह सुरज मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,आहहहहहह तूने तो मुझे मस्त कर दिया रे,,,,आहहहहहहह आहहहहहहह,,, अब अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर डालकर चाट बहुत मजा आएगा तेरे मामा भी तेरी मामी के साथ यही करते हैं,,,,

(एक बार फिर से अपनी मौसी की मुंह से अपनी मामी और अपने मामा का जिक्र आते ही वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया और अपनी जीभ को उसकी मंजू बुर के छेद में डालकर चाटना शुरू कर दिया,,,, वाकई में सुरज को इस बात का एहसास हो गया कि ऊपर से ज्यादा अंदर मजा आ रहा है और वह पागलों की तरह जीभ से अंदर की मलाई चाटना शुरू कर दिया,,,मंजू एकदम मस्त हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान की सैर कर रही हो हवा में उड़ रही हो उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसे इतना मजा आएगा,,, वह हल्के हल्के अपनी कमर हिलाना शुरू कर दी थी धीरे-धीरे वह सुरज के मुंह को चोद रही थी अपनी बुर से लेकिन इसमें सुरज को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि मंजू की बुर पूरी तरह से पानी से तरबतर हो चुकी थी और उसके होठों पर लगकर चप चप की आवाज आ रही थी,,,,कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी,,,

आधी रात से ज्यादा समय बीत चुका था लेकिन दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी दोनों के बीच एक पवित्र रिश्ता था मौसी भांजे का लेकिन शायद ही रिश्ते से पहले दोनों औरत और मर्द थे और जिनके बीच केवल शारीरिक संबंध का रिश्ता ही पनपता है,,,, और वही इस कमरे में भी हो रहा था मौसी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर अपने भांजे का मजा दे रही थी और सुरज भी कम नहीं था वह भी अपनी मौसी की जवानी देख कर उत्तेजित हो चुका था,, उसका लंड टन टनाकर खडा हो गया था,,,, अपनी मौसी को चोदने के लिए समाज के लिए भले ही दोनों के बीच कैसा संबंध पवित्र रिश्ते को तार-तार करता हूं लेकिन उन दोनों के लिए यह आनंद की परम अनुभूति थी जिस के सुख से वह दोनों वंचित नहीं रहना चाहते थे,,,, मंजू दो बार झड़ चुकी थी लेकिन अब वह बिस्तर पर सुरज के लंड से झड़ना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,।


बस कर सुरज मेरी बुर तेरा लंड लेने के लिए मचल रहीं है,,, अब चल मेरी चुदाई कर मेरी बुर में अपना लंड डालकर मेरी प्यास बुझा दे,,,,।

(अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर सुरज तो एकदम बावला हो गया था उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी वह उसी तरह से घुटने के बल बैठे हुए अपनी मौसी की तरफ देख रहा था उसकी पूरी तरह से नंगी थी उसकी चूचियां एकदम तनी हुई थी,,, सुरज से कुछ बोला नहीं जा रहा था वह भी अपनी मौसी को चोदने के लिए तैयार था उसकी किस्मत पड़ी जोरों पर थी सुधियां काकी के बाद अब उसकी मौसी उसकी खुद की सगी मौसी उसकी मां की छोटी बहन उसका हमबिस्तर होने वाली थी,,, उसके साथ चुदाई का सुख भोगने वाली थी,,,, अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज खड़ा हो गया,,, और मंजू सुरज के लंड को पकड़कर बोली,,,।)


देख रहा है जिस तरह से तेरे मामा तेरी मामी की बुर में लंड डालकर तेरी मामी की चुदाई कर रहे थे ठीक उसी तरह से तुझे भी अपना लंड मेरी बुर में डालना है,,,( अपनी उंगली से अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए),,, कर लेगा ना आराम से,,,

(भला सुरज क्या कहता वह तो खुद उतावला था अपने लंड को अपनी मौसी की बुर में डालने के लिए लेकिन जिस तरह से उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी सुरज को कभी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मौसी इतने खुले शब्दों में सब कुछ बोलेगी इसलिए तो उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रहे थे वह कुछ बोल नहीं पाया बस हा में सिला दिया,,,मंजू को ना जाने क्यों सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड पर पूरा विश्वास था कि वह उसकी बुर की प्यास बुझा देगा,,,, सुरज की हामी सुनते ही मंजू घूम गई और खटिया की तरफ जाने लगी पीछे का नजारा देखकर सुरज की उत्तेजना और बढ़ गई गोल गोल मदद की भी गांड को देखकर अपने आप पर काबू कर पाने में पूरी तरह से असमर्थ साबित हो रहा था लेकिन किसी भी प्रकार का उतावलापन वह दिखाना नहीं चाहता था क्योंकि आज की रात उसकी वह जो कहती जैसे कहती थी वैसे ही उसे करना था,,,, क्योंकि सुरज चाहता था कि आज अगर सब कुछ सही हो गया तो आगे भी सही होता रहेगा,,,, मंजू अपनी गोल-गोल गांड को मटकाते हुए खटिया पर बैठ गई और पीठ के बल लेट गई,,,, सुरज उत्तेजित अवस्था में अपने आप ही अपने लंड को अपने हाथ में थाम लिया और आगे बढ़ने लगा मंजू सुरज को अपने करीब आता देख कर अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,,, अपनी मौसी की मादक हरकत को देखकर सुरज से रहा नहीं जा रहा था मंजू पूरी तरह से सुरज को अंदर लेने के लिए तैयार थी,,,अपने सुर्ख गले को अपने थूक से गीला करते हुए सुरज की खटिया पर बैठ गया और अपने आप ही अपनी मौसी के दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा,,,,मंजू सुरज को अपनी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाता देखकर इशारे से अपनी बुर की तरफ उंगली करते हुए बोली,,,।


देख सुरज तुझे अपना लंड ईसी बुर के अंदर डालना है,,,,(मंजू मदहोश स्वर मैं बोली,,,,)

चला तो जाएगा ना मौसी,,,(सुरज नादान बनता हुआ बोला,,)


थोड़ी मुश्किल होगी लेकिन चला जाएगा तेरा बहुत मोटा है,,,(मंजू अपने भैया के लंड की लंबाई और मोटाई से अच्छी तरह से परिचित थी इसलिए वह जानती थी कि सुरज का लंड उसके भैया के लंड से कुछ ज्यादा ही मजबूत है,,,मंजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) थोड़ा सा थुक भी लगा लेना अपने लंड पर भी और मेरी बुर पर भी,,,,


ठीक है मौसी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह ढेर सारा थुक अपने लंड के सुपाड़े पर और फिर अपनी मौसी की बुर पर लगा दिया,,,, अब सुरज पूरी तरह से तैयार था अपनी मौसी की बुर में समाने के लिए और मंजू उसे अपने अंदर लेने के लिए मचल रही थी,,,सुरज घुटनों के बल बैठा हुआ था मंजू उससे बोली,,,)


सुरज मुझे थोड़ा खींचकर अपने ऊपर रख ले मेरा मतलब है कि मेरी जा को अपनी जांघों पर रख ले तब आराम से तेरा अंदर जाएगा,,,,,,


ठीक है मौसी,,,(मंजू बातों ही बातों में उसे संभोग के आसन को बता रही थी,,, सुरज ने भी ठीक उसी तरह से किया अपने खड़े लंड के सुपाड़े को जैसे ही अपनी मौसी की गुलाबी बुर पर सटाया,,,,, मंजू वैसे ही एकदम से सिहर उठी क्योंकि उसकी जिंदगी में यह पहला मौका था जब कोई लंड उसकी बुर पर स्पर्श कर रहा था इसलिए वह पूरी तरह से मचल उठी,,,,)

आहहहहह सुरज बस अब उसी छेद में धीरे धीरे डाल,,,
(मंजू एकदम मदहोश स्वर्ग में बोली सुरज को अब आगे क्या करना है पूरा ज्ञान था इसलिए वह,,अपनी मौसी के बुर के गुलाबी छेद पर रखकर हल्कै से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलना शुरू किया,,,,,, मंजू की बुर में चिकनाहट भरपूर थी इसलिए धीरे-धीरे सुरज का लंड मोटा होने के बावजूद भी अंदर की तरफ सरकना शुरु कर दिया,,,। मंजू के लिए पहला अनुभव था जैसे-जैसे सुरज का लंड बुर के अंदर सरक रहा था वैसे वैसे मंजू का गुलाबी चेहरा लाल होता जा रहा था,,,, मंजू कि सांसे से ऊपर नीचे हो रही थी साथ ही उसकी चूचियां अंगड़ाई लेते हुए छातियों पर नृत्य कर रही थी,,,,,।

बेहद अद्भुत रमणीय कामुक नजारा बना हुआ था,,,, कोई सोच भी नहीं सकता था कि मौसी और भांजे के बीच इस तरह का रिश्ता कायम होगा,,,,,सुरज के पसीने छूट रहे थे सुधियां काकी के मुकाबले मंजू की बुर बेहद संकरी थी,,,सुरज पसीने से तरबतर हो चुका था क्योंकि यहां पर उसे ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता पड़ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि बुर इतनी टाइट भी हो सकती है क्योंकि उसे सुधियां काकी की बुर का अनुभव था,,, मंजू जैसी जवान लड़की का नहीं,,,, लेकिन फिर भी सुरज पूरी तरह से कोशिश करता हूं आगे की तरफ बढ़ रहा था और उसका लंड की बुर के अंदर की अड़चनों को दूर करते हुए धीरे-धीरे अंदर की तरफ घुसता चला जा रहा था,,,,मंजू से रहा नहीं जा रहा था बार-बार वो अपना सर ऊपर की तरफ करके अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच गड़ा दे रही थी वह सुरज के मोटे लंड को देखकर हैरान थी कि किस तरह से उसके छोटे से छेद में इतना मोटा लंड धीरे-धीरे सरकता चला जा रहा है,,,, मंजू की सासे ऊपर नीचे हो रही थी उसे दर्द का अनुभव होने लगा था,,,, लेकिन वह किसी भी तरह अपने दर्द को दबाए हुए थी,,,,देखते ही देखते रह चुका लेना आधे से ज्यादा घुस गया,,, यह मंजू क्यों रोज का अभ्यास का ही नतीजा था कि थोड़ा मुश्किल ही सही लेकिन आराम से सुरज का लंड घुसता चला जा रहा था,,,,क्योंकि रोज-रोज अपने भैया भाभी की चुदाई को देखकर पूरी तरह से गर्म होकरवह अपनी बुर में उंगली डाला करती थी जिससे धीरे-धीरे अंदर की तरफ जगह बनने लगी थी,,,।

मंजू के गुलाबी गालों पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरफ से चल रही थी लालटेन की पीली रोशनी में उत्तेजना के मारे ऐसा लग रहा था कि मंजू का बदन दहक रहा है,,,

दर्द के मारे मंजू की हालत बदतर हुए जा रहे थे क्योंकि उसे अभी आनंद की अनुमति नहीं हुई ,,, मजा तो आ रहा था लेकिन दर्द भी हो रहा था,,,, आगे का रास्ता सुरज को कुछ ज्यादा ही संकरा लग रहा था,,, इसलिए सुरज समझदारी दिखाते हुए हल्कै से थोड़ा सा लंड बाहर की तरफ खींचा,,, और फिर कच कचा कर आगे की तरफ ठेल दईया इस बार रही सही कसर पूरी हो गई,,,। सुरज का लंड मंजू की बुर की गहराई नापने लगा लेकिन मंजू को बेतहाशा दर्द का अनुभव होने लगा वह जोर से चिल्लाना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कर जोर से चिल्ला आएगी तो बगल में सो रहे उसके भैया भाभी जान जाएंगे और वह ऐसे नहीं होने देना चाहती थी इसलिए जोर से अपने मुंह को दबा ली थी सुरज को तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हुआ लेकिन मंजू को तड़पता हुआ देखकर वहां रुक गया वह उसी तरह से रुका रह गया ना आगे ना पीछे,,, अपनी कमर को स्थिर कर दिया मानो कि जैसे किसी मोटर गाड़ी में ब्रेक लग गई हो,,,,। मंजू की आंखों में आंसू भर आए थे सुरज को लगने लगा कि उसने कुछ गलत कर दिया है इसलिए वह मंजू से बोला,,,।

ककककककक क्या हुआ मौसी रो क्यों रही हो,,,,,, क्या मैंने कुछ गलत कर दिया निकाल लु बाहर,,,,।
(सुरज घबरा गया था लेकिन मंजू अपनी सहेलियों से इतना तो जान ही गई थी कि पहले पहले बहुत दर्द करता है उसके बाद मजा ही मजा आता है इसलिए वह सुरज से निकालने के लिए नहीं पूरी बस थोड़ी देर बाद वह बोली,,)

बस अब चोदना शुरू कर,,,,,

(फिर क्या था सुरज आज्ञा पाते ही,,, अपनी कमर को आगे पीछे हीलाना शुरू कर दीया देखते-देखते मंजू का दर्द मजे में तब्दील होने लगा उसे आनंद आने लगा सुरज अभी हल्के हल्के धक्के लगा रहा था उसका मोटा तगड़ा लंड बुर की गहराई नापते हुए अंदर बाहर हो रहा था दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे क्योंकि दोनों नहीं या मंजिल पाने के लिए काफी मशक्कत उठाई थी,,, ज्यादातर सहन करने को मंजू के हिस्से में आया था लेकिन,,,अद्भुत आनंद की प्राप्ति के लिए थोड़ा दर्द भी सहना पड़ता है इसलिए मंजू का आनंद बढ़ता जा रहा था जैसे-जैसे सुरज का मोटा तगड़ा लंड रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था वैसे वैसे मंजू की बुर उत्तेजना में पानी छोड़ रही थी सुरज मदहोश हुआ जा रहा था सुधियां काकी के बाद उसे सीधे उसकी मौसी की बुर प्राप्त हुई थी जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,,)

अब कैसा लग रहा है मौसी,,,,,(हल्के हल्के धक्के लगाते हुए सुरज बोला,,,,)


बहुत मजा आ रहा है सुरज बहुत मजा,,,,, तु रुकना नहीं,, आहहहहहह ,,,,, ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं स्वर्ग का सुख भोग रही हूं तेरे लंड से बहुत मजा आ रहा है,,,, चौद सुरज मुझे चोद,,,,आहहहहहहह,,,,

(फिर क्या था अपनी मौसी की आज्ञा पाकर सुरज के धक्के तेज होने लगे सुधियां काकी की दो बार चुदाई करने के बाद सुरज को इतना तो आत्मविश्वास हो ही गया था कि वह किसी भी औरत की चुदाई करके उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि का अहसास करा सकता है और उसे आज भी अपने ऊपर पूरा विश्वास था कि वह अपनी मौसी को पूरी तरह से पानी पानी कर देगा और इसीलिए उसके धक्के तेज होने लगे,, थे,,,,सुधियां काकी की चुदाई करते समय उसका मन बहुत कर रहा था सुधियां काकी की चूची को दोनों हाथ से पकड़ कर दबाने के लिए लेकिन बार ऐसा उस समय नहीं कर पाया था लेकिन आज किसी भी तरह की बंदिश उसे नहीं थी इसलिए वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मौसी की दोनों चूची को पकड़ लिया और उसे जोर जोर से दबाते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए चुदाई करना शुरू कर दिया,,,।

इस तरह स्तन मर्दन करने के साथ चुदाई करते हुए सुरज के साथ-साथ मंजू को भी बहुत मजा आ रहा था,,, दोनों अद्भुत सुख की प्राप्ति में रखे हुए थे अब बड़े आराम से सुरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड मंजू की छोटे से छेद मे अंदर बाहर हो रहा था बुरा भी बार बार अपने सर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच में देखकर हैरान हो रही थी कि सुरज का इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी छोटे से बुर के छेद में कहां खो जा रहा है,,,, यह नजारा बेहद अद्भुत कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,,, सुरज के धक्के कम नहीं हो रहे थे सुरज मंजू की चूचियों को दबा दबा कर टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,। सुरज थकने का नाम नहीं ले रहा था,,,, और इसी वजह से मंजू भी हैरान था तकरीबन ३० मिनट से ज्यादा समय गुजर चुका था इस दौरान सुरज ने अपने लंड से चुदाई करके उसे २ बार झाड़ चुका था और खुद झड़ने का नाम नहीं ले रहा था,,,,

धीरे-धीरे सुरज संभोग के अध्याय में बहुत कुछ सीखता चला जा रहा था मंजू की चुदाई करते समय जिस चूची को व जोर-जोर से लगा रहा था अब उसी पर झुक कर उसे मुंह में लेकर पी रहा था मंजू की मस्ती बढ़ने लगी थी सुरज की हर एक हरकत अब उसे दीवाना बना रही थी सुरज बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को चोदते हुए पी रहा था,,,,अब धीरे-धीरे सुरज की की सांसे तेज होने लगी वह समझ गया कि वह चरम सुख के करीब पहुंच रहा है इसलिए वह अपनी रफ्तार बढ़ा दिया,,,,

चप चप चप की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था मंजू को इस बात का डर था कि कहीं यह आवाज बगल वाले कमरे में ना पहुंच जाए क्योंकि इस आवाज से उसके भैया भाभी भली-भांति परिचित थे फिर भी आनंद की कोई सीमा नहीं थी मंजू को इतना मजा आ रहा था कि कभी उसने सपने में भी नहीं सोची थी की चुदाई करवाने में इतना मजा आता है,,,, सुरज के थक्के तेज होते चले जा रहे थे देखते ही देखते दोनों की सांसें तेज चलने लगी दोनों के बदन में अकड़न पड़ने लगी और अगले ही पल तेज धक्के के साथ सुरज के लंड की तीव्र पिचकारी मंजू अपनी बुर के अंदर अपने बच्चे दानी में महसूस करने लगी वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी सुरज की सांसें उखड़ने लगी थी जैसे-जैसे उसके लंड से पिचकारी की बुंद बाहर निकल रही थी वैसे वैसे उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,।


दोनों अपनी मंजिल को प्राप्त कर चुके थे सुरज मंजू के ऊपर ढेर हो चुका था और मंजू को सुरज पर बहुत प्यार आ रहा था वह उसके मर्दाना ताकत से भलीभांति परिचित हो चुकी थी और पूरी तरह से उसके आगे घुटने टेक चुकी थी वह उसकी पीठ को सहला आते हुए कब दोनों नींद की आगोश में चले गए पता ही नहीं चला जब सुबह नींद खुली तो दोनों हड़बड़ा गएं,,,।
 
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devraja

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रात भर की कामुकता से भरी हुई अद्भुत संभोग क्रीडा से थक कर दोनों गहरी नींद में सो गए और सुबह जब नींद के लिए तो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए क्योंकि काफी समय हो गया था इसलिए रूपाली दरवाजे को खटखटा रही थी,,,।
दरवाजा खटखटाने की आवाज से कब दोनों की नींद खुली तो दोनों अपनी अपनी स्थिति से वाकिफ होते ही एकदम से घबरा गए,,,क्योंकि दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों रात की तरह संपूर्ण नग्नावस्था में थे रात को चुदाई के असीम सुख को भोगकर दोनों एक-दूसरे को बाहों में लिए उसी तरह से सो गए थे,,,,,।


मंजू अरे वो मंजू अभी तक सो रही है,,, देख नहीं रही है सूरज सर पर चढ़ आया है,,,, उठ जल्दी उठ,,,,।
(रूपाली दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोली,,,)

हां ,,,,, आई भाभी आज जरा आंख लग गई थी,,,, तुम चलो मैं आती हूं,,,,


ठीक है मैं आंगन में झाड़ू लगा देती हूं तु अंदर झाड़ू लगा दे,,,


ठीक है भाभी,,,,(रूपाली झाड़ू लेकर घर के आंगन में झाड़ू लगाने लगी और मंजू तुरंत खटिए पर ऊठ कर बैठ गई,,,।)

बापरे आज तो बहुत देर हो गई,,,,


रात भर चुदवाई हो तो देर तो होगी ही,,,(सुरज अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर,, मंजू के खुले हुए कबूतर को दबाते हुए बोला,,,,)

आहहहह क्या कर रहा है,,,, रात भर में तेरा मन भरा नहीं क्या,,,! (सुरज के हाथ को अपनी चूची पर से हटाते हुए बोली,,,)


तुमको लगता है मौसी एक बार में मन भर जाएगा,,,,


हां तु सच कह रहा है,,, अगर ऐसा होता तो भैया भाभी की रोज चुदाई ना करते,,,,

(एक बार फिर से बातों ही बातों में अपनी मामी का जिक्र होते ही सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, अपनी मामी का जिक्र होते ही सुरज फिर से मंजू की चूची को पकड़ते हुए बोला,,)

मौसी तुम रोज दीवार के छेद से मामी और मामा की चुदाई देखती थी ना,,,,(मंजू की चूची को जोर से दबाते हुए बोला,,,)


उन्हीं दोनों से तो सब कुछ सीखी हूं देख देख कर ही मैंने यह सब सीख गई तभी तो रात को इतना मजा आया,,,


मौसी फिर से मजा लेना चाहती हो,,,(इतना कह कर सुरज अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगा जहां पर उत्तेजना के मारे फिर से उसका लंड खड़ा होने लगा था,, सुरज के दोनों टांगों के बीच मंजू की भी नजर गई तो वह एक बार फिर से शर्म से पानी पानी होने लगी उसकी बुर में पानी इकट्ठा होने लगा,,,, एक बार फिर से मंजू का भी मन मचल उठा था उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए,,,, सुरज मंजू कई उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाने लगा यह देखकर मंजू की हालत और खराब होने लगी,,,)


क्या कहती हो मौसी एक बार फिर से लेट जाओ,,, मजा आ जाएगा,,,,
(मंजू का मन मचल उठा था,,, वह एकटक सुरज के लंड को देखे जा रही थी लेकिन इस समय उसके पास समय का अभाव था क्योंकि उठने में वैसे भी देरी हो चुकी थी,,, अभी अभी उसकी भाभी भी उसे उठाकर गई थी,,, इसलिए मन होते हुए भी अपने मन को मार कर वह खटिया पर से उठने को हुई तो तुरंत सुरज अपनी बाहों को उसकी कमर में डालकर अपनी तरफ खींच लिया जिसकी वजह से मंजू उसके ऊपर लुढ़क गई मंजू ऊपर थी और सुरज नीचे मंजू की पीठ सुरज की छाती से सटी हुई थी उसके गोलाकार नितंब सीधे-सीधे एकदम सटीक तरीके से सुरज के लंड पर टिके हुए थे,,,,,,एक ही रात में सुरज इतना खुल जाएगा मंजू को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी सुरज की हरकत की वजह से उसके तन बदन में एक बार फिर से आग लगने लगी थी,,,,वैसे भी सुबह-सुबह बदन में उत्तेजना का असर कुछ ज्यादा ही होता है,,,।


बस मौसी एक बार,,, एक बार डाल लेने दो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को पकड़ कर,,, अपनी मौसी की बुर से सटा दिया और उसमें डालने की कोशिश करने लगा,,, सुरज की इस हरकत की वजह से मंजू के तन बदन कामोत्तेजना की लहर उठने लगी,,, उसका भी मन करने लगा कि वह एक बार फिर से सुरज से चुदवा ले,,,लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझती थी वह जानती थी कि देर होने पर किसी भी समय उसकी भाभी फिर से आ जाएगी,,,,,, मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि सुरज के लंड का सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के छेद से रगड़ खा रहा था जिसे सुरज अंदर डालने की कोशिश कर रहा था,,, सुरज के हाथों में एक बार फिर से मंजू का गुलाबी बदन था,, उसके गोलाकार नितंब उसके लंड से सटा हुआ था जो कि उसकी उत्तेजना में निरंतर वृद्धि कर रहा था,,, सुरज एक बार फिर से अपनी मौसी को चोदना चाहता था और इसीलिए वह फिर से प्रयास करते हुए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी मंजू बुर के छेद में डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन मंजू जानती थी कि चुदाई का यह समय ठीक नहीं है,,,, वह दोनों पकड़े जा सकते थे,,,, संभोग के असीम सुख की भावना मे वह खुद बहने लगी थी एक बार तो उसका मन हुआ कि खुद अपनी दोनों टांगें खोलकर उसके लंड पर सवार हो जाए और यह भावना मन में आता ही वह अपनी दोनों टांगों को खोल भी दी थी लेकिन तभी उसे भान हुआ की ऐसी हालत में वह पकड़ी जा सकती थी,,,, इसलिए वह अपने भतीजे के ऊपर से उठने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका सुरज अपना जौर दिखाते हुए उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे नीचे दबाए हुए था भले ही उसको लंड बुर में प्रवेश नहीं कर पा रहा था लेकिन इस स्थिति में भी उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था गर्म गर्म गोल-गोल गांड को अपने ऊपर महसूस कर के वह असीम आनंद की अनुभूति कर रहा था,,,।

छोड़ सुरज मुझे जाने दे देर हो रही है,,,,


नहीं मौसी एक बार और देखो ना मेरा खड़ा हो गया है,,,


तो क्या करूं अभी समय उचित नहीं है,,,


अरे क्यों उचित नहीं है बस एक बार डालना ही तो है,,,


तुझे क्या लगता है कि तू डाल कर निकाल लेगा,,, कितनी देर तक चुदाई करता है तू तेरी मामी आ गई तो हम दोनों पकड़े जाएंगे और अगर एक बार पकड़े गए तो यह सब खेल यहीं रुक जाएगा,,,, क्या तू हमेशा मजा लेना नहीं चाहता,,,


चाहता हूं ना मौसी,,,


तो फिर अभी जाने दे तेरी मामी भी तो गजब हो जाएगा और वैसे भी हम दोनों साथ में सोते हैं जब चाहे तब इस खेल को खेल सकते हैं,,,।
(अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मौसी ठीक ही कह रही है,,, अगर दोनों पकड़े गए थे इस खेल पर। लग जाएगा और वह ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि अभी अभी तो यह खेल शुरू हुआ था इसलिए वह अपना मन मार कर बोला,,)


तुम ठीक कह रही हो मौसी लेकिन रात को करने देना,,,


बिल्कुल तुझे मजा आ रहा है तो क्या मुझे नहीं आ रहा है मुझे कि बहुत मजा आ रहा है मैं भी एक गेम खेलना चाहती हूं लेकिन अभी तू जानता ही नहीं कि तेरी मामी किसी भी वक्त आ जाएगी,,,,(इतना कहते हुए वह सुरज के ऊपर से उठने लगी मंजू की पीठ सुरज की तरफ थी सुरज पीठ के बल खटिया पर लेटा हुआ था पीछे से मंजू की गांड कहर ढा रही थी सुरज का मन रुकने को बिल्कुल भी नहीं कर रहा था अपने मन को मार करवा एक बार मंजू को जाने दे रहा था लेकिन उसकी गांड को देखकर उसका मन मचल उठा रहा था लेकिन फिर भी वह जानता था की मनमानी करना ठीक नहीं है इसलिए अपने मन को मनाते हुए अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मौसी की गांड पर अपना हाथ फेरने लगा,,, और बोला)


मौसीतुम्हारी गांड कितनी मस्त है,,,


मेरे से भी अच्छी तो तेरी मामी की देखा नहीं नंगी होने के बाद कितनी खूबसूरत लगती है,,,
(अपनी मौसी की बातें सुनकर सुरज कुछ बोला नहीं लेकिन उसकी कहीं बात वाकई में सच थी,,,,अपनी मौसी की बात से एक बार फिर से उसकी आंखों के सामने उसकी मामी का नंगा बदन नाचने लगा,,,, मंजू खटिए पर से उठ कर अपने कपड़ों को ढूंढने लगी जो कि नीचे जमीन पर बिखरे पड़े थे,,,, सुरज उसी तरह से लेटा रहा उसका लंड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था,,,, मंजू सुरज की लंड को देखकर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी क्योंकि बिना सहारे वह पूरी तरह से एकदम से हटाना के डंडे की तरह खड़ा था,,,, मंजू अपने मन में सोच रही थी कि अगली बार उसकी भाभी जिस तरह से उसकी भईया के लंड पर उठक बैठक करती है उसी तरह से वह भी करेगी,,, मंजू अपने मन में यह सोचते हुए अपनी कुर्ती उठा ली और उसे कहने लगी ऊपर से अपने गले में डालकर वह कुर्ती को पहन रही थी और सुरज उसे बड़े गौर से देख रहा था क्योंकि आज तक उसने अपनी मौसी को कपड़े पहनते भी नहीं देखा था हां रात को कपड़े उतारते हुए जरूर देखा था,,, औरतों का कपड़ा पहनना और उसे उतारना भी एक अद्भुत कला के साथ-साथ मादकता भरा एहसास है जो कि देखने वालों के होश उड़ा देता है ,,, सुरज भी अपनी मौसी को बड़े मजे ले कर देख रहा था देखते ही देखते उसकी मौसी कुर्ती को पहन लेंगे और नीचे चुप कर सलवार उठाने लगी,,,, ऐसा करते हुए उसकी गांड सुरज की तरफ थी ,,, जोकि झुकने की वजह से उसकी गोल गोल गांड कुछ ज्यादा ही भरकर सामने नजर आने लगी जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आने लगा,,,,,



मंजू सलवार उठा कर खड़ी हो गई और उसे सीधा करके अपने पैर में डालकर पहनने लगी,,, और अगले ही पल खूबसूरत मादकता भरे नजारे पर पर्दा पड़ गया,,,,,, पहली बार में ही मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर में लेने की वजह से मंजू को अपनी बुर में मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था,,,,,, लेकिन यह मीठा मीठा दर्द भी उसे आनंद ही दे रहा था,,,। अपने कपड़े पहन लेने के बाद वह सुरज से बोली,,,।


तू भी उठ कर कपड़े पहन ले नहीं तो मैं दरवाजा खोलने जा रही हूं,,,

नहीं रुको मैं पहनता हूं ,,,(इतना कहने के साथ ही वह भी खटिया पर से खड़ा हो गया और अपना पजामा ढूंढने लगा,,, उसे पहचाना ढुढते हुए देखकर मंजू बोली,,,)

उतारते समय नहीं पता था कि कहां उतार रहा है,,,।


क्या करूं मौसी,,, तुम्हें चोदने की लालच में कुछ पता ही नहीं चला कि क्या कर रहा हूं,,,,(अपने पजामे को इधर-उधर ढूंढते हुए बोला,,,)


वो रही खटिया के नीचे,,,,(मंजू उंगली के इशारे से दिखाते हुए बोली,,,)

बाप रे रात को पता ही नहीं चला कि कपड़ा उतार के कहां फेंका,,,,।

हां रात को मजा लेने के लिए तो आनन-फानन में सब निकाल कर फेंक दिया,,,,


क्या करूं मौसी तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,(ऐसा कहते हुए सुरज खटिया के नीचे से अपने पजामे को उठाया और पहनने लगा,,,, अपने पजामे को जैसे ही वह ऊपर तक लाया तो,,अभी भी पूरी तरह से खड़ा होने की वजह से पजामे को ठीक से वह और उपर नहीं चढ़ा पा रहा था,,, सुरज के खड़े लंड को देखकर मंजू बोली,,,)

तेरा तो अभी तक खड़ा है,,,,


क्या करूं मौसी तुम्हारी वजह से एक बार अंदर डाल लेने दीए होती तो यह भी शांत हो जाता,,,,।


रुक मैं अंदर डाल देती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही मंजू आगे बढ़ी और तुरंत सुरज के लंड को अपनी मुट्ठी में दबा कर उसे पजामे के अंदर करने लगी,,,, सुरज को अपनी मौसी की हरकत एकदम मस्त कर गई,,,)

देख रही हो मौसी कितना गर्म है,,,


हारे बहुत गर्म है,,,


इससे भी ज्यादा गरम तुम्हारी बुर है,,,, अंदर जाते ही ऐसा लगता है कि मानो अभी मेरा लंड पिघल जाएगा,,,,(सुरज की बात सुनकर मंजू मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली)

तुझे देखकर लगता नहीं था कि तू इतना हरामी किस्म का लड़का है देखने में कितना शरीफ रखते हैं रात को ही पता चला कि तू कितना हरामि है,,,


मुझे भी तो रात को ही पता चला कि तुम कितनी मस्त हो,,,


चल अब जल्दी कर मैं बाहर जा रही हुं,,, (पजामे के अंदर सुरज के खड़े लंड को व्यवस्थित करते हुए बोली,,,)


ठीक है मौसी,,,(इतना कहकर सुरज मंजू के गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख कर चुंबन कर लिया,,,)


बहुत तेज है तू,,,(पर इतना क्या कर मुस्कुराते हुए दरवाजा खोलकर बाहर चली गई,,, सुरज अपनी मौसी को जाते को देखता रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात को जो कुछ भी हुआ था वह हकीकत है उसे सब कुछ सपना समझ रहा था क्योंकि उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी सीधी-साधी मौसी इतनी बड़ी छिनार होगी जो खुद चुदवाने के लिए तड़प रही थी,,,। लेकिन जो कुछ भी हुआ था उसे से ऐसा ही लग रहा था कि सुरज की दसों उंगलिया अब घी में थी,,, रात को जो कुछ भी होगा वह सब कुछ सुरज की आंखों के सामने एक एक करके घूमने लगा था,,,, उसकी मौसी इतनी खूबसूरत और मस्त हो गई ईस बारे में उसे कभी अंदाजा भी नहीं था,,,अपनी मौसी की कसी हुई बुर में लंड डालकर जिस तरह का आना तो उसने प्राप्त किया था वह उसके लिए अतुल्य और अमूल्य था,,,,रात की गर्माहट भरी चुदाई का एहसास अभी भी उसके तन बदन को गर्माहट दे रहा था,,, रात को फिर अपनी मौसी की चुदाई करेगा यह एहसास उसके तन बदन मे उत्तेजना की लहर को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,। थोड़ी देर तक होगा अपने लंड को शांत करने के लिए वहीं बैठा रहा जब सब कुछ सामान्य हो गया कमरे से बाहर निकला,,,।

मंजू झाड़ू लगाते लगाते अपनी भाभी के पास पहुंच गई तो उसकी भाभी उसे देख कर बोली,,,।


रात भर सुरज से चुदवा रही थी क्या जो सुबह आंख नहीं खुली,,,,,,,(रूपाली झाड़ू लगाते हुए बोली,,, मंजू तो अपनी भाभी की बात सुनते ही एकदम सन्न रह गई एक पल को तो लगा कि जैसे वह रात वाली बात को जानती हो लेकिन तभी मंजू का एहसास हुआ कि उसकी भाभी को मजाक करने का आदत था लेकिन फिर भी आज का मजाक मंजू के लिए तो जानलेवा ही था क्योंकि आज वहां अपने भांजे को बोलकर उससे मजाक की थी जो कि मंजू कभी सोची नहीं थी,,,)


क्या भाभी तुम भी इस तरह का मजाक करती हो शर्म नहीं आती अपने भांजे सुरज के बारे में इस तरह की बात करते हुए,,,
(मंजू जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)



अरे तू तो नाराज हो गई मैं तो यूं ही मजाक की थी देखती नहीं है कि अब वह बड़ा हो गया है,,,, लेकिन है एकदम बुद्धू,,,, दुनियादारी की तो खबर ही नहीं है उसको,,,
( रूपाली यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भांजा बड़ा हो गया है,,, और जिस उम्र से वो पूछ रहा था रूपाली भली-भांति जानती थी कि इस उम्र में लड़की चुदाई करना शुरू कर देते हैं तो उसका भांजा भी चोदने लायक हो गया था,,,,,,और मंजू अपनी भाभी की बात सुनकर मन ही मन में सोचने लगी कि वह भी तो अब वह जवान हो गया है पूरा मर्द हो गया है,,, रात भर उसकी चुदाई करके उसकी बुर कौ दर्द दे गया है,,,, मंजू अपने मन में ही बोलने लगी कि अब वह बच्चा नहीं रहा मौका मिलेगा तो वह तुम्हारी भी चुदाई कर देगा,,,)

अरे हो जाएगी दुनियादारी की खबर भाभी अभी ज्यादा बड़ा थोड़ी हुआ है,,,,,,, अब चलो जल्दी से खाना बना लो भैया इंतजार कर रहे होंगे,,,,


हां तेरे भैया को तो काम ही क्या है खाना और पेलना,,,,

क्या कहा भाभी,,,

ककक ,,, कुछ नहीं मे जल्दी खाना बना देती हु,,,


ठीक है भाभी मैं तब तक दूसरे काम कर लेती हूं,,,,

(और वह दोनों काम में व्यस्त हो गए,,, दूसरी तरफ कजरी आज गांव में जाने का फैसला कर ली थी खास करके सुरज के लिए,,, वह अपनी एक सहेली कमला को तैयार की और गांव के लिए निकल पड़ी उसकी मंजिल सुरज था वह सुरज को किसी तरह से पढ़ाने के लिए मनाना चाहती थी ताकि पढ़ाने के बहाने वह,,, अपनी प्यास बुझा सके,,,,,,,, गांव में पहुंचने से पहले एक बड़ा तालाब पड़ता है जहां पर गांव के जानवर घास चारा करते थे और तालाब का पानी पिया करते थे,,,, तालाब पर पहुंचते ही कजरी को बड़े जोरों की दोपहर का समय था इसलिए चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,,)


कमला मुझे जोरो की पिशाब लगी है तु यहीं रुक मे कर के आती हूं,,,,(इतना कहकर वह पगडंडी वाले रास्ते को छोड़कर झाड़ियों के अंदर जाने लगी तो पीछे से कमला आवाज लगाते हुए बोली,,,)


रुको मालकिन मै भी आती हूं मुझे भी जोरों की लगी है,,,
(इतना कहकर वह भी झाड़ियों के अंदर जाने लगी,, सूरज एकदम सर के ऊपर तक रहा था चारों तरफ दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था,,,,ऐसे में कजरी और उसकी सहेली कमला दोनों झाड़ियों के अंदर पेशाब करने के लिए जा रही थी क्योंकि मैंने इस बात का डर था कि कहीं कोई उन्हें पेशाब करते हुए देख ना ले,,,)
 

devraja

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कजरी बला की खूबसूरत औरत थी,,, कामुकता उसके बदन के हर एक अंग से टपकती रहती थी,,, एकदम गोरी चिकनी मांसल देह वाले बदन का हर एक कटाव मर्दों के टांगों के बीच की हालत खराब कर दे इस तरह से बनी हुई थी,,, नितंबों का घेराव गजब का आकर्षण बांधा हुआ था,,, कसी हुई साड़ी में उसके गोलाकार नितंब बेहद आकर्षक लगते थे मानो के जैसे बड़े-बड़े तरबूज साड़ी के अंदर छुपा दिए गए हो,,,,,,,,,


नामदेवराय अपनी बहन की खूबसूरती को अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उसके मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहा था और कजरी भी संस्कार वाली औरत नहीं थी,,,, उसके चरित्र में भी कामुकता झलकती थी मर्दों का आकर्षण उसे शुरू से रहा था,,,।,,,अब उसकी नजर सुरज पर थी उसके मर्दाना सुरज को देखकर वह पूरी तरह से उससे मिलने के लिए व्याकुल हो चुकी थी उसकी अनुभवी आंखें सुरज के मर्दाना अंग को देखकर पहचान गई थी कि उसमें बहुत दम है और वह उस‌दम को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी,,, कौन सी प्रयास में लगी हुई थी कि उसे जोरों की पेशाब लग गई थी,,, पेशाब करने के लिए झाड़ियों के अंदर जाने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि सड़क पर पेशाब करने से किसी की भी नजर उस पर पड सकती थी,,,, उसकी सहेली कमला भी उसके साथ हो चली थी,,,।


झाड़ियों के बीच पहुंचकर एक अच्छी सी जगह देख कर कजरी पेशाब करने के लिए रुक गई अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है भले ही वह मर्दों के प्रति आकर्षित हो जाती थी संभोग सुख प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती थी लेकिन फिर भी उसकी एक मर्यादा थी,,,,वह जो कुछ भी करती थी दुनिया की नजर से बचकर करती थी किसी को कानों कान खबर नहीं होने देती थी,,,,,,, यही वजह थी कि आज तक किसी को कानों कान इस बात की भनक तक नहीं थी कि नामदेवराय की बहन चरित्र की गिरी हुई औरत है,,,,


अच्छी सी जगह देखकर कजरी खड़ी हो गई थी वह पेशाब करने की तैयारी में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी होती वास्तव में कजरी को इस हाल में देख पाना कि शायद मर्दों की किस्मत की बात थी लेकिन अब तक उसे पेशाब करते हुए किसी ने नहीं देखा था,,,, लेकिन आज शायद जो अभी तक नहीं हुआ था आज होने वाला था,,,,,,,


क्या हुआ मालकिन मे रुकी हु कर लो ना यहां कौन देखने वाला है,,,,


हां यही तो देख रही हूं पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद ही औरतों को बैठ कर पेशाब करना चाहिए नहीं तो तू मर्दों की नजर को तो जानती ही है,,,,


हां मालकिन आप सच कह रही हो,,, मर्दों को तो बस मौका मिलना चाहिए तांक झांक करने का,,,,मैं भी जब अपने घर के पीछे पेशाब करने के लिए जाती हूं तो सामने वाले घर का जवान लड़का हमेशा घूरते रहता है,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है लेकिन क्या करूं मजबूरी रहती है,,,।

हां यही तो किसी को पता भी नहीं सकती ना ही कुछ कह सकती हो अगर बोलोगी तो बोलोगी भी गोल-गोल बात को घुमा देंगे,,,

हां मालकिन,,,, सच कह रही हूं एक दो बार बोलने की कोशिश भी की,,, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि वह तो यह कह कर मेरा मुंह बंद कर दिया कि वह सबको बता देगा कि जानबूझकर मैं जब खड़ा रहता हूं तभी आ कर के पेशाब करती है,,, और मुझे गंदे गंदे इशारे करके अपने पास बुलाती है,,,, सच कहूं तो यह सुनकर मेरी तो बोलती ही बंद हो गई,,,, दुनिया वालों को तो आप जानती ही हो,,,, घुमा फिरा कर इसमें मेरा ही दोष देते,,,,,


अच्छा की तूने की बात को आगे नहीं बढ़ाई वरना गांव वाले तेरा ही दोष देते,,,, औरतों की गांड को इस हाल में देखना मर्दों को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है तू जानती है मर्द को औरत की गांड सबसे ज्यादा अच्छी लगती है खास करके बड़ी बड़ी गोरी गांड,,,, ईसी के पीछे लट्टु होकर घूमते रहते हैं,,,,।
(कजरी और उसकी सहेली कमला दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि हम दोनों की फुसफुसाहट सुरज के कानों तक पहुंच गई,,, वह बकरियां चराने आया था और उसे की पेशाब लग गई थी इसलिए वहां झाड़ियों के अंदर चला आया था क्योंकि यहां पर ठंडक थी और बाहर खड़ी थी आने की वजह से गर्मी लग रही थी,,,, उन दोनों औरतों को झाड़ियों के बीच खड़ा देखकर उन दोनों को बातें करते हुए देखकर सुरज एक पेड़ के पीछे छुप गया और उन दोनों को चोर नजरों से देखने लगा कजरी पर नजर पड़ते ही उसके होशो हवास उड़ने लगे थे क्योंकि कजरी बेहद खूबसूरती भरा हुआ बदन सुरज के होश उड़ा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय यह दोनों झाड़ियों के बीच क्या कर रही थी,,,, इसलिए एकदम चोर कदमों से पेड़ के पीछे छुप कर उन दोनों की क्रियाकलापों को और उनकी बातों को सुनने लगा,,, अभी तक सुरज इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा पाया था कि वह दोनों झाड़ियों के अंदर करने क्या है और वह भी इतनी खड़ी दुपहरी में,,,)

इसीलिए कमला मैं जितना हो सकता है उतना अपने आप को बचाकर रखती हूं कहीं भी आते जाते रास्ते में कहीं के साथ लगती तो मैं ऐसी जगह को तलाश करती हूं जहां पर कोई नहीं होता झाड़ियों के पीछे छुप कर ही मौके साफ करती हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मेरी गांड को देख ना पाए,,,, क्योंकि मर्दों को औरतों की क्या पसंद होती है,,,,(कमला की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोली,,,)


गांड,,,,,,(कमला हंसते हुए बोली)


हां,,,,,, अब जाकर तुझे समझ में आया है,,,,

(गांड शब्द सुनकर और उन दोनों का हंसना देकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,)


जल्दी से पेशाब कर लेती हूं वैसे ही देर हो चुकी है,,,,।
(यह सुनकर तो सुरज की सांसे अटक गई खूबसूरत औरत के मुंह से वह पेशाब करने की बात सुन रहा था,,, और उसके हाव-भाव से सुरज को ऐसा ही लग रहा था कि वह उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करने वाली है,,,, यह एहसास सुरज के लंड में हरकत करने को मजबूर कर दिया और पल भर में ही सुरज का लंड अपनी औकात में आ गया,,,, सुरज को दूसरी वाली जिसका नाम कमला था ठीक-ठाक लग रही थी लेकिन गोरे बदन वाली हुस्न की मल्लिका सुडोल देह वाली कजरी सुरज के तन बदन में आग लगा रही थी उसका गोरा बदन गठीला तराशा हुआ जिस्म सुरज के लंड की अकड़ को बढ़ा रही थी,,,, वह अपने सांसो को दुरुस्त किए हुए उस नजारे को देख रहा था जहां पर कजरी खड़ी होकर अभी भी चारों तरफ देख रही थी जहां पर वह खड़ी थी वह जगह थोड़ी सी खुली हुई थी बाकी झाड़ियों से गिरी हुई थी,,,,।जब वह चारों तरफ तसल्ली भरी नजर से घूम कर देख रही थी तभी सुरज कि मुझे उसकी गोलाकार गांड पर पड़ी थी तभी से वह उसकी गांड का दीवाना हो गया था,,,, अच्छी तरह से समझ गया था कि साड़ी के अंदर उसका बदन किसी बेश कीमती खजाने से कम नहीं है,,,, सुरज उसकी गांड देखने के लिए लालायित हो गया,,,,


अरे मालकिन अब करोगी भी या चकर पकर देखती ही रहोगी,,,।


हां हां कर रही हैं मुझे भी जोरों की ही लगी है,,,,
(इतना कहकर वह धीरे-धीरे की साड़ी को उठाना शुरू कर दिया देखकर सुरज के तन बदन में आग लगने लगी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी कजरी पेशाब करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी और देखती देते उसकी साड़ी घुटनों तक आ गई सुरज की किस्मत बड़े जोरों पर थी क्योंकि उसकी पीठ ठीक सुरज के सामने थे मतलब की सुरज उसकी गांड के प्रति पूरी तरह से मोहित था और थोड़ी देर में उसने उसकी नंगी गांड दिखने वाली थी पेशाब तो सुरज कभी-कभी थी लेकिन इस समय अपनी सांसो को भी रोक कर खड़ा था कि उसकी आहट का उन दोनों को पता ना चल जाए वरना एक खूबसूरत दृश्य पर परदा पड़ जाएगा,,,। कजरी की मांसल पिंडलिया बहुत खूबसूरत लग रही थी कजरी की साड़ी घुटनों तक आ चुकी थी,,,, कमला भी खड़ी होकर कजरी को ही देख रही थी क्योंकि कजरी को भी पता था की खूबसूरती में वह सबसे आगे थी,,, गोरा रंग होने के कारण उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहता था,,, सुरज से भी रहा नहीं जा रहा था मुठ मारने के लिए उसकी आंखों के सामने बेहद कामुकता भरा दृश्य नजर आ रहा था इसलिए वह इस दृश्य का पूरा फायदा उठाते हुए अपने पजामे को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और कजरी की कामुक अदाओं को देखकर धीरे-धीरे अपने लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,,।

कैसा लग रहा था कि मानो कजरी को सब कुछ पता हो और वह धीरे-धीरे अपनी खूबसूरत बदन को दिखाकर सुरज को तड़पा रही हो,,,, वह उसी अदा से धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी कमला को भी मजा आ रहा था एक औरत होने के नाते एक औरत की खूबसूरती से उसे अपने अंदर जलन भी महसूस हो रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी आखिरकार वह उसकी मालकिन जो थी और उसे सहेली की तरह रखती थी,,, जैसे-जैसे कजरी की दूधिया मोटी मोटी जांघें नजर आने लगी वैसे वैसे सुरज का हाथ अपने लंड पर बड़ी तेजी से चलने लगा,,, केले के तने की तरह एकदम चिकनी जांघों को देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था वह उसकी गोरी चिकनी जांघो को अपने होठ लगाकर चूमना चाहता था अपनी जीभ से चाटना चाहता था,,,,,पहले उसके मन में इस तरह के ख्याल कभी भी नहीं आती थी उसकी आंखों के सामने बने कितनी खूबसूरत औरत क्यों ना खडी हो लेकिन जब से बुर नमकीन रस का स्वाद उसके मुंह लग गया तब से औरतों को देखने का नजरिया उसका बदल गया था और उन्हें देख कर वो अपने मन में गंदे विचारों को जन्म देने लगा था,,, इसीलिए इस तरह के गंदे ख्याल कजरी को देखकर उसके मन में उम्र रहे थे देखते देखते कजरी की साड़ी कमर तक आ गई,,, यह नजारा देखकर सुरज को लगने लगा कि कहीं उसकी सांसे ना अटक जाए,,,,,,


कुदरत का बनाया हुआ बेहद खूबसूरत अंग उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा था जिसे देखकर सुरज की संभोग की इच्छा तीव्र हो रही थी वह उस औरत की चुदाई करने की अभिलाषा रखने लगा,,,, उसका बस चलता तो अभी उसे यही पकड़ कर पटक कर चोदने लगता लेकिन सुरज का चरित्र अभी इतना गिरा नहीं था कितनी घिनौनी हरकत करता वह रजामंदी होने पर ही चुदाई करता अपनी मनमानी कभी नहीं करता क्योंकि इतना तो उसे ज्ञात हो ही चुका था की मर्जी के बिना मजा भी नहीं आता,,,,

कजरी अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी उसकी गोरी गोरी उभरी हुई गदराई गांड सुनहरी धूप में चमक रही थी,,,। एक अजीब सा मादकता भरा आकर्षण कजरी की गांड में था जिसे देखकर सुरज पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, कमला भी इसके आकर्षण से बच नहीं पाई थी वह भी अपनी तिरछी नजर से कजरी की गांड को देख रही थी यह देख कर कजरी बोली,,,,,।


तुम ऐसे क्यों देख रही हो तुम्हारे पास भी तो ऐसे ही है,,,


तुम्हारी बहुत खूबसूरत है एकदम गोरी गोरी और उभरी हुई,,,, सच कहूं तो मर्दों को तुम्हारी जैसी ही गांड अच्छी लगती है,,,


तुम्हें कैसे मालूम ,,,(कजरी मुस्कुराते हुए बोली)


मैं किसी लड़के के मुंह से सुनी थी कि उन लोगों को औरत की बड़ी-बड़ी गाड़ी हई पसंद आती है,,,


तुम्हारी भी तो है,,,,


लेकिन तुम्हारी तरह नहीं है मालकिन,,,, काश मेरी भी तुम्हारी जैसी होती तो अब तक ना जाने कितनों को अपने पीछे पीछे घुमाते होती,,,,।


चल बड़ी आई मर्दों को पीछे पीछे घुमाने वाली अगर कोई पीछे पड़ गया ना तो उस दिन समझ में आएगा,,,, की कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है,,,,‌।

(सुरज उन दोनों की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो रहा था क्योंकि वह दोनों गांड की खूबसूरती के बारे में ही बातें कर रही थी और अपने मुंह से ही बता रही थी कि औरतों की बड़ी-बड़ी गाड़ी मर्दों को ज्यादा पसंद आती हो और उन दोनों का कहना भी सही था क्योंकि सुरज खुद यह अनुभव कर चुका था कि उसे भी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड ही पसंद आती है,,,, सुरज जोर-जोर से मुट्ठ मार रहा था,,,, सुरज के पास चुदाई करने के लिए दो दो बुर का जुगाड़ था लेकिन इस समय यहां पर उन दोनों दोनों में से कोई भी बुर उपस्थित नहीं थी और इसलिए लंड की गर्मी को शांत करने के लिए बस यही एक तरीका रह गया था,,,, जिसे वह बखूबी निभा रहा था,,,)

चलो बहुत देर हो गई है भैया को पता चलेगा कि मैं इतनी देर गांव में लगा दी तो गुस्सा करेंगे,,,,
(और इतना कहने के साथ ही कजरी अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वहीं बैठ गई ठीक सुरज की आंखों के सामने और अगले ही पल पेशाब करने लगी,,,, क्षण भर में ही मुतने की मधुर धुन बांसुरी की ध्वनि की तरह सुरज के कानों में सुनाई देने लगी सुरज एकदम बावला हो गया या मधुर धुन सुनकर उसके होश उड़ गए और वह जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया पीछे से कजरी का पिछवाड़ा देखकर सुरज की हालत खराब होने लगी,,,,,, कजरी का पिछवाड़ा सुरज को इतना खूबसूरत लग रहा था मानो कि जैसे खेतों में दो खूबसूरत बड़े-बड़े तरबूज रख दिए गए हो,,,, सुरज का मन इस समय उसकी गांड चाटने को कर रहा था हालांकि अभी तक सुरज में ना तो सुधियां काकी की और ना ही अपनी मौसी मंजू की गांड को चाटा था,,, लेकिन इस समय कजरी की खूबसूरती और उसकी खूबसूरत गांड को देखकर उसके मन में यह इच्छा तीव्र हो रही थी,,,,


बुर से निकल रही सीटी की आवाज बांसुरी की मधुर धुन की तरह उसे मोहित कर रही थी,,,, कजरी बड़ी आनंदित होकर मूत्र विसर्जन कर रही थी,,,, बड़े जोरों की पेशाब लगने की वजह से उसे राहत महसूस होने लगी थी,,,, अपने पैरों के आगे की घास को वह पूरी तरह से अपने पेशाब से भिगो डाली थी मानो कि जैसे घास में पानी दिया गया हो,,,सुरज जानता था कि थोड़ी देर में पेशाब करके वह उठ जाएगी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा डाल देगी इसलिए वह उसकी खूबसूरत गांड की आकर्षण मैं जोर-जोर से मुठ मार कर अपना पानी निकाल देना चाहता था इसलिए उसकी हथेली बड़ी जोरों से चल रही थी,,,,, और थोड़ी ही देर में जैसे ही हो पेशाब करके खड़ी हुई अपनी साड़ी को वह नीचे करती इससे पहले ही सुरज के लंड से गर्म पानी की पिचकारी फुट पड़ी,,,सुरज के लिए पहला मौका था जब वह बाहर किसी औरत को नग्न अवस्था में देखकर अपना लंड हिला कर पानी निकाला था उसे बहुत ही मजा आया था लेकिन उस औरत को चोदने के ख्याल से यह मजा कम ही था,,,,

सुरज की आंखों के सामने ही वह अपनी साड़ी को नीचे करके फिर से बेश कीमती खजाने को छुपा ली,,,,सुरज अपने पजामे को ऊपर करके वही खड़ा रहा मैं देखना चाहता था कि वह दोनों जाती कहां है,,,, तभी कजरी बोली,,।


चल जल्दी कर गांव से लौटना भी है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह दोनों झाड़ियों से बाहर निकल गई और सुरज भी अपनी बकरी को लेकर गांव की तरफ जाने लगा क्योंकि वह दोनों उसी तरफ जा रही थी)
 

devraja

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कजरी के अरमान मचल रहे हैं उसे अपनी जवानी पर अपनी खूबसूरती पर अपनी खूबसूरत बदन पर पूरा विश्वास था कि वह अपनी खूबसूरती यौवन के जाल मे सुरज को पूरी तरह से फंसा लेगी ,,वह सुरज को अपनी हुस्न का जादू दिखा कर उसे अपने आकर्षण में बांध लेना चाहती थी और उसे पूरी तरह से विश्वास था कि वह जैसा चाहती है वैसा ही होगा,,, क्योंकि वह पूरी तरह से जवान थी एकदम गोरी चिट्टी खूबसूरत अंगो की मालकीन ,,, बड़ी बड़ी चुचीयों के साथ साथ बड़ी बड़ी गांड भी आकर्षण का केंद्र बिंदु थी,,, मर्दों को औरतों का जो भी अंग पसंद होता है वह सब कुछ बेहतरीन उम्दा किस्म का कजरी के पास था,,,,,,,

कजरी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर सुरज के सामने वह अपने साड़ी का पल्लू भी नीचे गिरा देगी तो उसकी लाजवाब बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों का घेराव देखकर वह घुटने टेक देगा,,,,, इसी आत्मविश्वास के साथ वह आगे बढ़ रही थी,,,, और दूसरी तरफ सुरज जो अनजाने में ही कजरी की खूबसूरत गदराई गांड के दर्शन कर चुका था पर उसे देख कर मुट्ठ भी मार चुका था,,, उसके गोलाकार नितंबों के घेराव के आकर्षण में पूरी तरह से बंध कर वह भी अपनी बकरियों को लेकर पीछे पीछे हो चला था वह देखना चाहता था कि वह कहां जाती है,,,,,,,


गांव में पहुंचते ही कजरी,, सुरज को ढूंढने का अभियान शुरू कर दी थी क्योंकि वह नहीं जानती थी कि सुरज का घर किधर है और वह सीधे-सीधे सुरज को ही पढ़ने के लिए नहीं बोल सकती थी दूसरे लड़कों को भी बोलना जरूरी था क्योंकि ताकि किसी को ऐसा न लगे कि जरूर दाल में कुछ काला है,,, समझा-बुझाकर कजरी ने तीन चार लड़कों को पढ़ने के लिए तैयार कर दिया जिसमें से शुभम भी था हालांकि वह पढ़ना नहीं चाहता था लेकिन कजरी की खूबसूरती देखकर वहां उस पर मोहित हो गया था और इसीलिए वह हामी भर दिया था,,,,, अब उसे सुरज की तलाश थी,,,, वह सुरज को ढुंढ रही थी साथ में दूसरे लड़के भी थे,,,,,,

कजरी के लिए पढ़ाई तो एक बहाना था सुरज को अपने जाल में फंसाने के लिए उसके साथ अपनी मनमानी करने के लिए उसके मोटे तगड़े लंड के दर्शन करके उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,,, इसी चक्कर में वह अपनी हवेली छोड़कर गांव में आई थी,,,,,,दो तीन लड़कों को वह तैयार कर चुकी थी पढ़ाने के लिए बस उसे इंतजार और तलाश थी सुरज के जो कि सुरज भी कजरी के चक्कर में गांव में पीछे पीछे आ गया था लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वह गांव में क्या करने के लिए आई है उसे अगर इस बात का अंदाजा होता कि वह गांव में उसी को ढूंढते हुए आई है तो वह कब से उसकी आंखों के सामने आकर खड़ा हो जाता,,,,,,, उसको गांव में चक्कर लगाता है वह देखता सुरज घर में चला गया था और खाना खाने लगा,,,,।

कजरी उसे ढूंढ ढूंढ कर परेशान हो रही थी उसे नाम भी तो नहीं मालूम था कि उसका नाम क्या है,,,, पर जिन लड़कों को तैयार की थी उनसे ही पूछ रही थी कि कोई और लड़का हो तो उन्हें भी बोल दो पढ़ने के लिए,,,,, शुभम के साथ जो था वह बार-बार शुभम को सुरज को भी पढ़ने के लिए बोलने को कह रहा था लेकिन वह उसे इशारों में चुप रहने को कह रहा था क्योंकि शुभम यह अच्छी बात अच्छी तरह से जानता था कि अगर सुरज भी साथ चलेगा तो जरूर,,,, यह भी सुरज के ऊपर डोरे डालने के लिए और सुरज उसकी खूबसूरत जवानी को देखकर पानी पानी हो जाएगा,,,, और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहता था और वैसे भी शुभम ने भी खेल के मैदान में सुरज के मोटे तगड़े लंड को देख लिया था,,,और एक मर्द होने के नाते उसे इस बात का अच्छी तरह से आभास था की औरतों को सबसे ज्यादा क्या पसंद है होता है,,,,इसीलिए वह सुरज का नाम बता नहीं रहा था और उसका घर बता रहा था और ना ही अपने साथियों को बताने दे रहा था,,,,,


कजरी परेशान हो गई थी कड़ी धूप की वजह से उसके माथे से पसीना टपक रहा था उसकी खूबसूरती कड़ी धूप में सोने की तरह चमक रही थी,,,, उसकी मतवाली गांड देखकर शुभम पागल हुआ जा रहा था,,, उसकी मदमस्त चूचियों के उभार को देखकर,,, शुभम के मुंह में पानी आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था,,,,,,,,


कजरी परेशान होकर अपने मन में सोचने लगी कि वह भी कितनी बुद्धू है ना नाम ना पता ऐसे कैसे उसको ढूंढ रही है उसका मन उदास हो गया था उसे लगने लगा था कि शायद वह लड़का इस गांव का था ही नहीं,,,, क्योंकि लगभग लगभग उसी सभी घर पर जाकर उसे ढूंढने की पूरी कोशिश की थी,,,,, वह अपनी इस निराशा के बारे में अपनी सहेली कमला को भी बता नहीं सकती थी क्योंकि उसकी कामलीला के बारे में उसकी सहेली कमला को भी कुछ भी नहीं पता था और ना ही वह चाहती थी कि किसी को कानों कान पता चले,,,,,, वह बहुत उदास हो गई थी ,,उसके चेहरे पर उदासी और निराशा दोनों साफ झलक रही थी लेकिन खूबसूरती में जरा भी कमी नहीं आई थी,,,,,, बस दो-चार घर ही बचे हुए थे और कजरी ना उम्मीद हो चुकी थी,,,,,, उसे लगने लगा था कि उसके सपनों का राजकुमार इधर नहीं मिलने वाला उसका गांव में आना बेकार साबित हो रहा था खामखा हुआ दो चार लड़कों को और पढ़ने के लिए बोलती थी अपने सर की मुसीबत मोल ले ली थी,,,,,कर भी क्या सकती थी अपने बड़े भाई को यही बहाना करके तो वह गांव में आई थी,,,,,


मालकिन अब दो चार ही घर बचे हैं,,,,,, जल्दी से अपना काम खत्म कर दे घर चलते हैं तो बहुत तेज लग रही है,,,


हां तु ठीक कह रही हैं,,,, यहां कोई है पढ़ने वाला,,,(साथ में चल रहे हैं वह शुभम को संबोधित करते हुए बोली,,)


नहीं नहीं मेम साहब यहां कोई नहीं है,,,,,(शुभम जानबूझकर बोला क्योंकि वह जानता था कि यहां सुरज रहता है और वह नहीं चाहता था कि सुरज भी साथ में गोरी मेम साहब के पास पढ़ने जाए,,, शुभम की बात सुनकर कजरी और ज्यादा निराश हो गई रही सही उम्मीद जवाब दे गई,,, अब कर भी क्या सकते हैं मन उदास कर वह,,, शुभम से बोली,,,,)

ठीक है तुम तीनों परसों से,,, आम वाले बगीचे में आ जाना मैं वहीं पर पढ़ाती हूं,,,,


ठीक है मैम साहब,,,,,(शुभम एकदम से खुश होता हुआ बोला लेकिन उसकी निगाह कजरी की छातियों पर टिकी हुई थी जिसका आभास कजरी को हो गया था,,, इसलिए वह अपना पल्लू ठीक करते हुए बोली,,,,)

ठीक है अब आम के बगीचे में मुलाकात होगी,,,।
(शुभम की नजरों को कजरी भांप गई थी उसे शुभम पर गुस्सा भी आ रहा था भले ही कजरी एक प्यासी औरत थी लेकिन वह किसी को भी अपना तन मन यूं ही नहीं सौंप देती थी जिस पर दिल आता था उसी पर वह पूरी तरह से निछावर हो जाती थी,,,,, इतना कहकर वह चलने लगी और शुभम इस बात से खुश था कि अच्छा हुआ सुरज से मुलाकात नहीं हुई क्योंकि वह नहीं चाहता था कि इतनी खूबसूरत औरत और उसके बीच सुरज आए,,,, क्योंकि पलभर में ही पहली मुलाकात में ही शुभम कजरी को लेकर सपने बुनने लगा था,,,,वह वहीं खड़ा कजरी को जाते हुए देखता रह गया उसकी मटकती गांड शुभम की हालत को खराब कर रही थी,,,, वैसे भी कजरी कमर के नीचे कसी हुई साड़ी पहनती थी जिसकी वजह से उसकी गांड कुछ ज्यादा ही ‌ऊभर कर बाहर नजर आती थी,,,,

कजरी पूरी तरह से निराश हो चुकी थी उसके मन में तो आ रहा था किन-किन लड़कों को भी ना बोल दे पढ़ने के लिए,,, लेकिन इसी तरह से पढ़ाने की उम्मीद बची हुई थी जो कि सुरज से फिर मिला सकती थी इसी उम्मीद के साथ वह,,, आगे बढ़ने लगी की तभी,,, पीछे से उसे पानी के गिरने की आवाज आई तो वह पीछे नजर घुमा कर देखने लगी,,,, खुशी से देखते ही इसकी आंखों में चमक आ गई उसकी बांछें खिल गई उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,,आखिर खुश क्यों ना होती जिसे ढूंढते हुए वह यहां आई थी वह उसकी आंखों के सामने था,,,, सुरज खाना खाकर बाहर हाथ धो रहा था,,,, सुरज कजरी को देखने लगा तो दोनों की नजरें आपस में टकरा गई कजरी को देखते ही सुरज की आंखों के सामने कजरी की नंगी गांड नाचने लगी,,, सुरज को उसकी आंखों के सामने कजरी अपनी साड़ी उठाकर पेशाब करते हुए नजर आने लगी कजरी से नजरें मिलते ही सुरज के पजामे में हलचल होने लगी कुछ देर तक तो सुरज उसे देखता ही रहेगा थोड़ी ही दूर पर शुभम अपने साथियों के साथ खड़ा होकर यह सब देख रहा था दोनों को इस तरह से आपस में देखा हुआ पाकर शुभम जल भुन गया,,,, कजरी एकदम से हक्की बक्की होकर वहीं खड़ी रह गई,,,,।


कुछ देर बाद कजरी बोली,,,।


ऐ लड़के यहां आओ,,,,
(कजरी एकदम से मुस्कुराते हुए बोली,,,, कजरी को इस तरह से अपने आप को बुलाते हुए पाकर सुरज को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस खूबसूरत औरत को रहा है कुछ देर पहले झाड़ियों में पेशाब करते हुए देखा था उसकी तरफ आकर्षित हो गया था उसकी गांड को देखकर मदहोश हो गया था वह औरत खुद उसे बुला रही थी,,,,ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह कोई सपना देख रहा है कुछ देर तक सुरज उसी तरह से खड़ा रहा तो कजरी फिर से बोली,,,)


ऐ लड़के सुनाई नहीं दे रहा है क्या,,,? मैं तुम ही से कह रही हूं,,,, इधर आओ,,,


कौन मै,,,?


हां तुम्ह,,,,,

(सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, वह लौटे को वहीं पास में रखकर उसके पास आगे बढ़ने लगा और उसके पास पहुंच कर बोला)


बोलिए क्या हुआ मुझे क्यों बुला रही हो,,,?


पढ़ना चाहते हो,,,,,


नहीं नहीं मैं नहीं पढ़ना चाहता,,,,
(पढ़ाई के नाम पर सुरज एकदम से घबराते हुए बोला क्योंकि वह पढ़ना नहीं चाहता था पढ़ाई के नाम पर उसे सांप सूंघ जाता था गांव के बाहर सरकारी स्कूल थी जिसमें कुछ बच्चे पढ़ने जाया करते थे लेकिन सुरज नहीं जाता था और ना ही उसके साथ ही जाया करते थे,,,,,)


क्यों नहीं पढ़ना चाहते पढ़ने में क्या हर्ज है पढ़े-लिखे लोगे तो तुम्हारे काम आएगा हिसाब-किताब समझ पाओगे,,,।


नहीं मुझे नहीं समझना है,,,,
(सुरज इतना कहकर घर में जाने ही वाला था कि अंदर से उसकी मामी बाहर निकलते हुए बोली)


क्या रे किससे बातें कर रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजर कजरी पर पड़ी तो उसकी खूबसूरती उसकी चमक देखकर रूपाली समझ गई कि यह कोई बड़े घर की औरत है,,, इसलिए हाथ जोड़ते हुए बोली,,,)

नमस्ते आप कौन हैं मैं पहचानी नहीं,,,,



जी मैं नामदेवराय साहब की छोटी बहन हुंं और बच्चों को पढ़ाने का काम करती हूं,,, इससे मेरा मन भी लग जाता है और बच्चों को कुछ सीखने को भी मिल जाता है,,,,,


अरे अरे आप मालिक की छोटी बहन है,,,, आइए आइए बैठिए,,,, सुरज जा अंदर से जाकर खटिया बाहर लेकर आ,,,,, आइए छोटी मालकिन,,,,,
(नामदेवराय की छोटी बहन उसके घर आई है यह जानकर रूपाली बहुत खुश हो रही थी,,, और कजरी अपनी आवभगत देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और उस लड़के का नाम सुरज है यह जानकर उसे अच्छा भी लग रहा था,,,, रूपाली की तकल्लुफ को देखकर कजरी बोली,,,)




अरे रहने दीजिए तकलीफ करने की कोई जरूरत नहीं है,,,


नही नही छोटी मालकिन,,, इसमें तकलीफ वाली कौन सी बात है आप तो हमारी मेहमान है,,,,
(तभी खटिया उठाएं सुरज घर से बाहर आ गया उसके मोहक मासूम चेहरे को देखकर कजरी के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसका गठीला बदन उसकी तरफ उसे आकर्षित किए जा रहा था,,, उसके मासूम मोहक चेहरे को देखकर कजरी अपने मन में बोलने लगी कि वाकई में जो खुद इतना खूबसूरत दिखता है तो उसका औजार भी उतना ही दमदार ही होना चाहिए जैसा कि वह देखी थी,,,, सुरज वही पर खटिया बिछा दिया,,,, रूपाली सुरज से बोली,,,)


जा जाकर गुड वाला शरबत लेकर आ,,,


नहीं नहीं रहने दीजिए आप खामखा तकलीफ कर रही है,,,,


नहीं नहीं मेहमान नवाजी हमारी औकात के मुताबिक करने दीजिए आखिरकार आप मालिक की छोटी बहन जो है,,,, एक तरह से वह तो हमारे माई बाप है,,,

(रूपाली की बातें सुनकर कजरी बहुत खुश हो रही थी,,,,, कजरी के मन में बहुत कुछ चल रहा था तो एक तरफ रूपाली की खूबसूरती को देखकर एक अजीब सा आकर्षण भी होता जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि गांव मैं कोई औरत इतनी खूबसूरत भी होगी कजरी बातें करते हुए आंखों से ही रूपाली के देह लालित्य को नाप रही थी,,, रूपाली की गोल गोल कठोर चूचियां सोने की अनुभवी आंखों से बच नहीं पाई वह अंदाजा लगा ले कि ब्लाउज के अंदर बवाल छिपा हुआ है,,,, सुडौल बदन देखकर कजरी को मन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, कजरी को इस बात का आभास हो गया कि सुरज की मामी उससे भी ज्यादा खूबसूरत है,,,, बस उससे रंग थोड़ा सा दबा हुआ है,,,, थोड़ी ही देर में सुरज गुड वाला शरबत लेकर आ गया खटिया पर कजरी और कमला दोनों बैठ गई थी,,,दो ग्लास में गुड़ वाला शरबत लाकर सुरज उन दोनों को थमाने लगा,,,, गुड़ के शरबत वाला गिलास को थाम ते हुए कजरी को इस बात का आभास हो गया था कि जिस तरह से सुरज खड़ा है अगर वह साड़ी का पल्लू थोड़ा सा नीचे गिरा देगी तो उसकी गोल-गोल चूचियो की गहरी लंबी लकीर सुरज को साफ नजर आने लगेगी,,, और ऐसा ही हुआ एक बहाने से गर्मी का बहाना करते हुए कजरी थोड़ा सा अपना साड़ी का पल्लू अपनी चूचियों पर से सरका दी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल सूचना एकदम साफ नजर आने लगी,,, सुरज की नजर जैसे ही कजरी की छातियों पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसके मुंह में पानी आ गया,,, पल भर में ही सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा सुरज को साफ नजर आ रहा था कि ब्लाउज के साइज से कहीं ज्यादा बड़ी उसकी चूचियां थी जो कि उसके ब्लाउज में से बाहर आने के लिए तड़प रही थी,,,,,

शरबत का ग्लास थमाते हुए सुरज उसकी चुचियों को ही घूर रहा था,,,,,, इस बात का आभास होने को हो गया था और वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी और खुश भी हो रही थी तिरछी नजरों से उसकी घूमती हुई निगाहों को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि मानो वह अपना दोनों हाथों के बढा कर उसकी चूचियों को जोर से पकड़ लेगा उसे दबाना शुरू कर देगा,,,, सुरज खा जाने वाली निगाहों से उसकी चूचियों को घूर रहा था और यह एहसास कजरी के तन बदन में आग लगा रहा था क्योंकि जैसा वह चाह रही थी वैसा ही हो रहा था सुरज के मन का कबूतर अपने पंख फड़फड़ाने लगा ,,,, अपने मन में यहीं सोचने लगा कि,,, उसकी किस्मत कितनी तेज है कि कुछ देर पहले ही कजरी की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर वह मुठ्ठ भी मारा था और इस समय उसके ब्लाउज में कैद उसकी दोनों चूचियों को देखकर उसके होश उड़ जा रहे थे उसका मन कर रहा था कि,,, अभी इसी समय उसके ब्लाउज का बटन खोल कर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां को बाहर निकाल देना और उसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पिए जैसा कि वह अपनी मौसी की चुचियों को पी रहा था,,,, कजरी पूरी तरह से गदराई जवानी की मालकिन थी और उसकी गदराई जवानी देख कर सुरज का मन डोल रहा था सुरज का मन उसे चोदने को कर रहा था,,,,,, रूपाली सुरज की निगाहों से बिल्कुल अनजान थी,,,


शरबत पीकर ग्लास को सुरज को थमा ते हुए बोली,,,


पढ़ने आओगे ना सुरज,,,,(कजरी की आवाज में एक अजीब सी कशिश थी एक आकर्षण था उसके शब्दों में एक आमंत्रण था जो उसे अपनी तरफ खींच रहा था बुला रहा था जिसे शायद सुरज इंकार नहीं कर पा रहा था क्योंकि अब सुरज उसके देह लालित्य,,, उसके बदन के आकर्षण में ब"धता चला जा रहा था,,,, वह कुछ बोला नहीं तो रूपाली ही बोल पड़ी,,,)


जी मालकिन जरूर आएगा पढ़े लिखेगा नहीं तो क्या करेगा,,, दिनभर आवारा की तरह घूमता रहता है शब्दों को पहचानेगा तभी तो कुछ कर पाएगा,,,,

(रूपाली की बातें सुनकर कजरी खड़ी हो गई और बोली)


तो परसों उन लड़कों के साथ चले आना,,,(उंगली के इशारे से शुभम और उसके दोस्तों की तरफ इशारा करते हुए,,, जोकि उनमें से शुभम गुस्सा रहा था,,, क्योंकि जिस बात का डर उसे था वही उसकी आंखों के सामने हो रहा था,,, पढ़ाई के नाम पर जिसे डर लगता था वह कजरी के आकर्षण में कुछ बोल नहीं पाया,,, और हां में सिर हिला दिया,,,, इजाजत लेकर कजरी अपने घर की तरफ जाने लगी सुरज उसे जाते हुए देखता रह गया उसकी नजर उसकी कमर के नीचे गोलाकार नितंबों पर टिकी हुई थी जिसे कुछ देर पहले व झाड़ियों में एकदम नंगी देख चुका था उसकी नंगी गांड को देखकर जो हाल उसका हुआ था इस समय भी कुछ ऐसा ही वह अपने अंदर महसूस कर रहा था,,,,, रूपाली भी बहुत खुश थी क्योंकि उसके घर पर नामदेवराय की बहन जो आई थी,,,,
 
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