आज जया देवी बहुत आराम से नहा रही थी उनको कोई जल्दी नहीं थी आज वर्षो बाद उसे ऐसा लग रहा था कि उसके बदन की गर्मी उसे पागल कर देगी इसी तपन में उसे ये एहसास भी नही हुआ की वो अपनी साड़ी बदलने के लिए दूसरी साड़ी लाना ही भूल गई है और जब तक उसे पता चलता तब तक उसका पूरा गदराया बदन भीग चुका था अब वो बड़ी दुविधा में पड़ गई की बाहर अपने कपड़े इस हालत मे कैसे लेने जाए कुछ सोचने के बाद उसने बोला त्रिभुवन बेटा जरा मेरी साड़ी लेते आना तो मेरे बेडरूम में है त्रिभुवन अपने कमरे मे आराम कर रहा था इसलिए
ये शब्द हर्ष के कानों में पड़ी हर्ष के मन मे एक अजीब सी उत्सुकता बढ़ गई अचानक ही वो एक झटके में उठा और जयदेवी
के कमरे की तरफ बढ़ने लगा और कमरे मे पहुंचने के बाद उसने देखा की एक सफेद रंग की साड़ी हैंगर पर टंगी हुई
थी
artificial keyboard download
हर्ष के तन मन मे अजीब सी गुदगुदी होने लगीं और उसने वो साड़ी उतार ली तभी उसकी नज़र साड़ी के नीचे छिपा के रखी हुई सफेद रंग की कच्छी और बाड़ी पे गई
जया देवी के कच्छी और बाड़ी को देखते ही हर्ष के पेंट में उसका बंबू एक बड़ा सा तंबू बन गया आज हर्ष पहली बार किसी औरत के अंडरगारमेंट्स को इतने करीब से देख रहा था उससे रहा नहीं जा रहा था और उसने लपक कर जया देवी के कच्छी को अपने हाथों में लेकर उसे ध्यान से देखने लगा और उसने कच्छी को अपने नाक के पास लाया तो उसमे से एक मदहोश करने वालीगंध आ रही थीं तो हर्ष ने अपना आपा खोया और जया देवी के कच्छी को अपने नाक से लगा के सूंघने लगा
keyboard characters
हर्ष ने मन ही मन सोचा की जया आंटी की पैंटी इतनी बडी है तो उनकी गांड़ कितनी बडी होगी और ऐसे ही गंदे और मदहोश करने वाले ख्याल उसके मन में आने लगे और वो खूब मजे से जया देवी के कच्छी और बाड़ी को खूब फैला फ़ैला कर सुघने लगा तभी अचानक से उसके कानों मे जया देवी की आवाज पड़ी त्रिभुवन क्या कर रहा है बेटा जल्दी दे मेरे कपड़े हर्ष ने जल्दी से साड़ी और ब्लाऊज़ कच्छी बाड़ी सब लेके बॉथरूम की तरफ जाने लगा उसके पांव कांप रहे थे दरवाजे के पास जाके उसने दरवाज़ को खटखटाया तो जया देवी ने हल्का सा दरवाजा खोला और सिर्फ़ अपना हाथ बाहर किया और बोली ला दे हर्ष जया देवी के पानी में भीगे गोरे गदराये बाहों को देखते ही पागल हो गया उसने धीरे से साड़ी थमा दी तभी जया देवी ने दरवाज़बंद कर लिया तो हर्ष के हाथ में उसकी कच्छी और बाड़ी भी थी उसे संकोच हो रहा था की वो जया देवी को कैसे दे तभी उसने हिम्मत करके दरवाज़को फिर से खटखटाया तो जया देवी ने दरवाज़ा खोला और बोला क्या हुआ
तो हर्ष ने बोला _आंटी मैं हर्ष त्रिभुवन अपने रूम मे आराम कर रहा था तो मैंने सोचा की मैं ही आपके कपड़े आपको दे दु ये आपके कुछ और कपड़े हैं इसकी आपको जरूरत पड़ेगी हर्ष की आवाज सुनकर जया देवी पर अलग ही मदहोशी छाने लगी जब उन्हें ये समझ आया की उसके बेटे का दोस्त जिसकी नज़र भर अपने उरोजो पे पड़ने से उसके भोसड़े ने पानी छोड़ दिया था वो उसको कपड़े देने आया है
जया देवी@ अरे बेटा तुमने क्यूं तकलीफ की त्रिभुवन को बोल दिया होता
हर्ष@आंटी मैं भी आपका बेटा जैसा ही आप पर मेरा भी उतना हक है जितना की त्रिभुवन का ये कहकर उसने हल्के से खुले दरवाजे की तरफ हाथ बढ़ाया हर्ष की द्वि अर्थी बातों और उसके हाथ में लटके अपने कच्छी और बाड़ी को देख कर जया देवी एकदम पानी पानी हो गई और जल्दी से कपड़े हर्ष के हाथ से छीनने के चक्कर मे जया देवी का पैर फिसला जिससे धक्का लगकर बाथरूम का दरवाजा खुल गया और जया देवी अधनंगी बाड़ी और पेटिकोट में हर्ष के सामने खड़ी थीं
हर्ष जया देवी के पानी में भीगे गदराये बदन को देखते ही पागल हो गया जया देवी के पानी में भीगी हुई बडी बडी सी चूचियां जो ऐसा लग रहा था की उसके बाड़ी को फाड़ कर बाहर आ जायेंगी उसका उठा हुआ मादक पेट उफ्फ एकदम गदराया था बदन पे लिपटी भीगी हुई हुई साड़ी कयामत लग रही थी तभी हर्ष की नजर नीचे की तरफ पड़ी तो उसने देखा की जया देवी के पैरो के बीच खूब ढेर सारे घने बाल जो साड़ी के ऊपर से भीगे होने की वजह से दिखाई दे रही थीं क्योंकि जया देवी ने नहाते वक्त अपनी कच्छी निकल दी थीं एक पल को जैसे वक्त थम सा गया और जया देवी को जैसे साप सूंघ गया पर आनन फानन मे उसने आपने आप को संभाला और पीछे की ओर मुड़ गई और हर्ष से बोली बेटा जाओ यहां से हर्ष की तंद्रा जैसे टूटी और वो जया देवी की कच्छी और बाड़ी को वही रख कर जाने को हुआ पर अचानक उसे आभास हुआ की उसके पैर आगे की ओर बढ़ ही नहीं रहे तभी हर्ष ने अपनी नजर उठा के जया देवी की ओर देखा तो एकदम पागल हो गया उसका पेंट में बना तंबू अपने पूरे औकात में आ गया पीछे से जया देवी का पानी में भीगा हुआ बड़ा सा पिछवाड़ा जो साड़ी में चिपक कर अपना रंग दिखा रहा था मसल पीठ उफ्फ हर्ष को लगा की वो कही पागल ना हो जाए इतनी बड़ी गांड़ आधी नंगी ही सही पर पहली बार देख रहा था
तभी जया देवी ने जल्दी से दरवाजा फिर से बंद कर लिया तो हर्ष वहा से चला आया और बैठ गया
उधर जया देवी की हालत खराब हो गई आज पहली बार उनके पति के सिवा किसी ने उनको इस हालत मे देखा था वो भी उसके बेटे के दोस्त ने जया देवी की हालत खराब हो गई उसने मन मे ही सोचा की कैसे हर्ष खा जाने वाली निगाहों से उसके बदन को देख रहा था और यही सोचते हुए वो पूरी नंगी हो गईऔर जल्दी से दूसरी साड़ी पहन कर बबाथरूम से निकल के बाहर आपने रूम मे चली गईं