अध्याय-3
शुरुवात
कहानी की शुरुवात होती है पंकज के बड़े बेटे कमल से जिनकी बड़ी चाची जो उसकी मा जैसा प्यार करती है... कमल की तीनो चाची उसे अपने बेटे जैसा प्यार करती है… कहानी का कुछ भाग कमल की जुबानी-
मेरे दादा जी रमेश चंद का घर कुछ इस तरह है आप समझ सकते है जैसा नीचे है वैसा ही ऊपर भी है
मेरे दादा के घर मे नीचे 4 बेडरूम है, 1स्ट बेडरूम ख़ुद दादा और दादी का है, 2न्ड बेडरूम मेरे माँ और पापा का है, 3र्ड बेडरूम मुझे और मेरे छोटे भाई रमल को दिया है और 4र्थ बेडरूम मेरे बड़े चाचा पीताम्बर और चाची लेखा का है। एक किचन नीचे और एक किचन ऊपरी मंजिला में भी है घर में सबके लिए खाना एक जगह ही बनता है नीचे के किचन में फिर जिसको जैसे टाइम मिलता है आके खा लेते है। घर में नीचे स्टोर रूम भी है जहाँ कुछ पुराने सोफा और गद्दे रखे है। गर्मियों के लिए कूलर भी वही रखे रहते है।
घर के ऊपरी पहले मंजिला में भी 4 बेडरूम है, 1स्ट बेडरूम पामराज चाचा और भगवती चाची का है, उनसे लगा हुआ 2न्ड बेडरूम सबसे छोटे चाचा अनुज और चाची नेहा का है, 3र्ड बेडरूम अनिमेष और नवीन को दिया है और 4र्थ बेडरूम मे मेरे तीनो बहने पूजा, रिंकी और पिंकी को दिया है।
घर के बाहर एक बड़ा आँगन है जिसमें एक कोने में एक छोटा सा मंदिर है साथ ही दूसरे तरफ़ गाड़ियो को पार्क भी करते है। हमारे दादा जी का लिया हुआ एक 7 सीटर कार भी है जब कहीं बाहर घूमने जाना हो और खेतों के काम के लिए एक ट्रेक्टर भी है जिनको घर के पीछे रखते है एक शेड के अंदर। मेरे पापा और तीनो चाचा के पास अपना ख़ुद का बाइक भी है जिन्हें वो ड्यूटी और गाँव आने जाने के लिए इस्तेमाल करते है।
हम सभी भाई बहन कॉलेज ज्यादातर बस या ऑटो से आना जाना ही करते है कभी पापा लोग की बाइक मिल गई तो बात अलग है फिर तो मजे ही मजे।
मेरे दादाजी मुझे बहुत प्यार करते है क्योंकि परिवार में मैं उनके सबसे बड़े बेटे का बड़ा बेटा और पहला लड़का हूँ। मेरी फॅमिली मे सबसे बड़ा लड़का होने का थोड़ा फायदा तो है किसी चीज के लिए कोई रोक टोक नहीं रहता है।
मेरा और अनिमेष दाखिला गाँव के पास ही के एक कॉलेज मे किया है क्युकी हम दोनों मैथ्स वाले है मेरा छोटा भाई रमल और नवीन दोनों अलग कॉलेज में पढ़ते है वो कॉमर्स वाले है और मेरी तीनो बहने गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती है।
मेरी ज़िंदगी अच्छे से चल रही थी मैं फौज में जाने की तैयारी में लगा हुआ था जब मैंने कॉलेज के पहले साल अपनी क्लास के हिसाब से बदलाव किए तब मेरे कॉलेज मे मेरे कुछ दोस्त नंगी पिक्चर अपने मोबाइल में देख कर उनकी बाते करते है मुझे भी पिक्चर देख कर कुछ कुछ होता था पर मेरे पास मोबाइल ना होने की वजह से बस उन्हें देख कर उनकी बाते सुनकर रह जाता था।
लेकिन जैसे ही 2nd ईयर में गया और पापा को बोलकर मोबाइल लिया फिर मेरे मन में भी अलग तरह के ख्याल आने लगे जिसे मैंने अनिमेष के साथ साझा किया और हम दोनों भाई भी मोबाइल में पोर्न देखना और अकेले रहने पर लंड हिलाना शुरू कर दिए और धीरे समय बीतने के साथ ज़्यादा उम्र के औरतों की तरफ़ आकर्षण बढ़ता चला गया।
इसी तरह मुझे बाहर की औरतों के साथ साथ घर की औरतों में दिलचस्पी बड़ने लगा मुझे मेरी छोटी चाची ज़्यादा अच्छी लगने लगी मैं अक्सर उनको निहारता रहता था और वो भी मुझे अपने बेटे जैसा समझ के हस्के देखती और दुलार देती मैं उनसे क़रीबी बड़ाने के उपाय सोचने लगा जब कभी कॉलेज ना जाना हो तो अक्सर मैं उनके नज़दीक रहके उनसे बात करता और उनसे हसी मजाक भी। कभी कभी तो उनको मोबाइल में नॉनवेज जोक्स भी शेयर कर देता और वो भी कुछ ना बोल के हस देती थी।
मेरी जिंदगी की पहली घटना जिस दिन के बाद से बहुत कुछ बदल गया। ऐसे ही एक दिन जब छोटी चाची रसोई में खाना बना रही थी मैं उनके पास जाके उनसे बात करने लगा
मैं - “क्या बना रही हो चाची”
छोटी चाची - “आज शनिवार है और तुम्हारे चाचा जल्दी आने वाले है तुम्हें तो पता ही है उनका आज शाम का क्या प्लान रहता है।”
मैं - “हा चाची वही अपने दोस्त लोग के साथ बाहर जाके पीने का”
छोटी चाची - “ क्या करूँ बेटू मेरी किस्मत में ही यही लिखा है इस दुनिया में वो नहीं मिलता जिसे हम अक्सर पाना चाहते है। और तुम बताओ आज यहाँ कैसे आना हुआ पहले तो कभी नहीं आते थे”
मैं - “क्या चाची आप भी मैं पहले भी आता था पर आप ही नहीं मिली मुझसे यकीन ना हो माँ जब खेत से आए तो पूछ लेना”
छोटी चाची - “अच्छा ठीक है कर ली यकीन”
मैं - “ अच्छा चाची क्या मैं आपसे एक बात पूछ सकता हूँ?”
छोटी चाची - “ हा पूछो ना बेटू क्या ये भी कोई पूछने वाली बात है।”
मैं - “ आपके और चाचा जी में से किसकी वजह से आपके बच्चे नहीं हो रहे है।”
ये सवाल सुनके चाची मानो कही खो सी गई जैसे किसी ने उनके दुखते रग में हाथ रख दिया हो उनके आँखों से आँसू निकलने लगे।
मुझे ये देख कर अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि मैंने क्यों ये सवाल पूछ लिया अगले ही पल जैसे ही मैं उनसे माफ़ी मांगने वाला था चाची ने तुरंत ही मुझे जवाब दिया
छोटी चाची - “बेटू ऐसे सवाल तुम्हें नहीं पुछना चाहिए फिर भी तुम अब इतने बड़े हो चुके हो, जो मेरे तकलीफ़ के बारे में पूछ रहे हो तो तुम्हें बताने में मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं पर वादा करो ये बात तुम किसी और को नहीं बताओगे”
मैं - “मेरा आपसे वादा रहा मेरी प्यारी चाची ये बात मैं पक्का किसी और को नहीं बताऊंगा”
छोटी चाची - “बच्चे ना होने कि वजह तुम्हारे चाचा अनुज मिश्रा है। वो कभी भी किसी भी औरत को कभी माँ नहीं बना सकते है। बस यही वजह है से आज तक मैं बच्चे के लिए तरस रही हूँ बेटू।”
मुझे उनकी बातों पे यकीन नहीं हो रहा था पर बात ये भी सच थी की चाची क्यों मुझसे झूठ बोलेगी जब वो ख़ुद तरस रही थी। फिर मैंने उनसे बात करते हुए बोला
मैं - “तो आपने कुछ सोचा है अब आगे क्या करेंगे आप और चाचा जी”
छोटी चाची - “अब बहुत हो गया बेटू मैं तुम्हारी माँ जैसी हूँ और अब ज़्यादा अंदर की बाते तुम्हें नहीं पूछना चाहिए”
मैं - “माफ़ करना चाची मुझे लगा शायद मैं कोई मदद कर सकू आपका इस मामले में इस लिए मैं पूछ बैठा”
चाची ने मुझे प्यार भरी नजरों से एकटक देखा जैसे उन्हें मुझमें ऐसा कुछ दिखा हो जो उन्होंने आज से पहले कभी किसी कर में नहीं देखा हो।
उनका इस तरह से देखते रहना मुझे पहले से अलग लगा। आज से पहले उनकी आँखे इतनी नशीली नहीं देखा, जैसे किसी चीज की चाहत की उम्मीद दिखी हो।
फिर पता नहीं अचानक चाची को क्या हुआ मेरे पास आई और अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ के मेरे माथे पे एक बढ़िया सा प्यारा सा चुम्बन की
और बोली
छोटी चाची -“बेटू तुम मेरी इस मामले में शायद कोई सहायता ना कर पाओ फिर भी कभी कोई जरूरत होगी तो मैं तुमको जरूर बताऊँगी। और एक बात जो भी बाते हमारे बीच हो रही हैं और अगर इस मामले में आगे होंगी किसी को नहीं बताना।”
मैं -“ठीक है मेरी प्यारी चाची जैसा आप कहो।”
उनके किस करते ही मेरे मन में हवस की भावना आने लगा जो पहले मैंने छोटी चाची के साथ कभी अनुभव नहीं किया था, उनके नर्म नर्म होठ जब मुझे अपने माथे पे महसूस हुआ तो मेरे रोंगटे खड़े होने के साथ साथ मेरे लंड में भी हलचल मच गया ऐसा लगा जैसे आज बिना पोर्न देखे ही लंड से पानी निकाल दु।
मन पे किसका काबू होता है इस मन के उथल पुथल को बाजू में रख कर इसके बाद मैं उनको बाय बोलके वहाँ से अपने गाँव के दोस्तों से मिलने चला गया उनके साथ गप्पे लड़ाने। मेरे गाँव में ज़्यादा दोस्त नहीं है कॉलेज दूसरे गाँव में होने की वजह से सभी बाहर के ही दोस्त है कुछ पुराने दोस्त जो अब तक दोस्ती निभा रहे वही अब रह गए है बाकी गाँव के दोस्त अब ख़ास नहीं रहे जिनसे रोज़ मिलके मस्ती मजाक किया जा सके कुछ एक को छोड़ के।
घर आते शाम के 6 बज गए मुझे जोरों की मूत लगी थी तुरंत अपने कमरे के बाथरूम में ना जाके घर के पीछे में बने खुले कमरे वाले बाथरूम में जैसे उसके नज़दीक गया मैंने किसी चीज को आज इतने नजदीक से देखा था।
वह कोई और नहीं लेखा चाची थी जो वहाँ पहले से ही अपनी साड़ी गांड से ऊपर उठाए मूतने बैठी हुई थी।
उनकी गोरी गोरी बड़ी सी गांड देख के दंग रह गया न चाहते हुए भी मैं अपने हाथों को लंड तक जाने से नहीं रोक पाया और पैंट के ऊपर से ही लन्ड को एक बार जोर से रगड़ दिया।
उनके मुतने के आवाज ने मुझे हाथ हटाने ही नहीं दिया और कुछ देर तक यूं ही अपने हाथों से लन्ड को रगड़ता रहा। आज पहली बार किसी औरत की गांड को मैंने इतने पास से देखा था। लन्ड को रगड़ते हुए फिर कब मेरी आँखें बंद हुई मुझे ख़ुद पता नहीं चला, उनकी गांड के खयालों से मैं ऐसा खोया कि लंड को पैंट के ऊपर से रगड़ता रहा जिससे मेरा लंड अपनी औक़ात में आ गया। फिर एक आवाज़ से मेरी आँख खुली और तुरंत मैने अपने लन्ड को पैंट में ही ठीक किया,
वो आवाज थी चाची के मूतने के बाद पानी डालने की थी इस डर से कि कही वो मुझे देख न ले मैं तुरंत थोड़ा दूर जाके पीछे हों गया और उनको देखता रहा वो शायद हाथो से अपनी चूत को पानी लेके धो रही थी फिर उठने के साथ ही साथ चूत को अपनी साड़ी से पोछ भी रही थी।
थोड़े देर बाद मैं ऐसे अनजान बन के आया जैसे मैंने चाची को वहाँ मूतते हुए देखा ही नहीं और लेखा चाची से कहा
मैं -“चाची आप यहाँ कैसे” उनको थोड़ा सक हुआ मेरे मूतने के तुरंत बाद ही ये अचानक यहाँ कैसे
लेखा चाची -“कुछ नहीं बेटू वो मुझे थोड़ी जोर की लगी तो मैं अंदर ना जाके यहाँ आ गई पर तुम यहाँ कैसे”
मैं - “मुझे भी आपही की तरह जोर कि लगी तो यही आ गया” और दाँत दिखा के हस दिया हीहीही…
लेखा चाची -“अच्छा ठीक है ठीक है जल्दी जल्दी जाओ नहीं तो पता चला”
ओर मुस्कुराते हुए चुपचाप वहां से धीरे धीरे जाने लगी उनके मन में कुछ चलने लगा था वो मन में सोचने लगी कहीं इसने मुझे मूतते हुए तो नहीं देखा, अगर देखा होगा तो पक्का उसने पीछे से मेरी गांड जरूर देखा होगा। उसका लंड पैंट में खड़ा हुआ सा लग रहा था मतलब उसने पक्का मुझे देखा है तभी उसका लंड ऐसा खड़ा था।
और फिर थोड़े दूर जाके कोने से जहाँ थोड़ी देर पहले मैं था अचानक रुक कर पलट कर देखने लगी
और यहाँ मैं बिना उनको देखे की वो गई या नहीं अपने लंड को जो अपनी पूरी औक़ात में था पैंट से बाहर निकाल के मूतने लगा
फिर अचानक मुझे लगा जैसे कोई मुझे देख रहा तो मैंने तिरछी नजर से देखा तो पाया लेखा चाची दीवाल के कोने से मुझे मूतते हुए मेरे लंड जो की 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है को घूरे जा रही है
मेरा लंड तब से खड़ा था जबसे मैंने चाची की बड़ी गांड़ देखी थी उनका इस तरह से मेरे लंड को देखना मुझे अलग तरह का अहसास दिला रहा था मेरे लंड में तनाव बड़ने लगा मैं ना चाहते हुए अपने लंड को मूतने के बाद हिलाना शुरू कर दिया
और वहाँ कोने से चाची आँखे फाड़े बस मेरे लंड को ही देखे जा रही थी मेरे मन में ख्याल आने लगा की मैं चाची कि गोरी गांड़ को चोद रहा हूँ।
मेरे लंड में तनाव बहुत ज़्यादा बढ़ रहा था ये सोचकर की चाची देख रही है, उनके लिए मेरा नजरिया अब बदलने लगा था, हर बार हिलाने की गति बड़ते जा रही थी,
लेकिन मैं अपनी गति में कोई कमी नहीं कर रहा था, लंड को हिलाने में पूरा जोर लगा रहा था
वहाँ चाची भी मुझे देख के धीरे से हाथो को अपने चूचियो के ऊपर ले जाके मसलने लगी थी, मेरी कामवासना चाची के प्रति बड़ने लगी थी मैं उनके नंगे चूचे की कल्पना करने लगा था,
मैं तब तक हिलाता रहा जब तक मेरे लंड ने पानी नहीं छोड़ दिया और उधर चाची की तरफ़ ध्यान दिया तो वो वहाँ से मेरे झड़ने के तुरंत बाद वहाँ से चली गई।
आज का दिन दोपहर से लेके अब तक मेरे लिए एक नया अनुभव लेके आया था एक तरफ़ छोटी चाची के चूमने से लंड खड़ा होना और दूसरी तरफ़ अभी लेखा चाची की गोरी गांड देखने के बाद अपने लंड को हिला के पानी निकालना।
अब पता नहीं आगे और क्या क्या मोड़ आने वाला था मेरी जिंदगी में ये सोच कर मेरे मन में एक अजीब सा खुशी छा गया। साथ ही एक डर भी मेरे जहाँ में आने लगा की कहीं कुछ ग़लत ना हो, खैर
अपनी सोच को एक तरफ़ करने के बाद मैं भी वहाँ से तुरंत निकल के अपने रूम पे चला गया रात के इंतज़ार में जैसे कुछ हुआ हि ना हों।
कमल की ज़ुबानी आज के लिए इतना ही दोस्तो अगले अपडेट में देखेंगे की किसके साथ और क्या घटना घटा। धन्यवाद 