Update 7
वे सातो अब तक उन्ही कपड़ो में थी जिनमे उन्हें जेल लाया गया था। गिरफ्तारी के बाद से ना तो उन्होंने नहाया था और ना ही कपड़े बदले थे। शाम को जब उनकी सेल में ताला लगा दिया गया तब उन्होंने अपने कपड़े बदले और नाइट ड्रेस पहनी।
सेल में किसी तरह की कोई गोपनीयता नही थी। कैदियों को अन्य कैदियों के सामने ही अपने कपड़े बदलने पड़ते थे। जो औरते काफी समय से जेल में कैद थी, उन्हें इस चीज की आदत हो चुकी थी लेकिन उन सातो के लिए यह बहुत ही असहजतापूर्ण था। उस छोटी सी सेल में इतनी भी जगह नही थी कि वे लोग आसानी से अपने कपड़े बदल पाये। उन्होंने अपने कपड़े तो बदले लेकिन उनके लिए यह बेहद मुश्किल था।
उनके कपड़े बदलने के दौरान सेल की सीनियर औरते उन पर गंदी-गंदी फब्तियाँ कसने लगी और उन्हें रंडी, छिनाल, कुतिया और ना जाने क्या-क्या कहने लगी। एक ही सेल में रहते हुए उनकी बातों को नजरअंदाज करना आसान नही था लेकिन फिर भी उन सातो ने काफी देर तक उनकी बातों पर ध्यान नही दिया। उनके कपड़े बदलते ही हेड कैदी रेणुका अपनी जगह से उठी और उनके पास आकर बोली - “चलो महारानियो, खड़े हो जाओ और कपड़े उतारो अपने-अपने..”
वे लोग थोड़ी देर के लिए तो बिल्कुल स्तब्ध रह गई और एक-दूसरे की तरफ देखती रही। फिर कोमल ने एकाएक रेणुका से कहा - “कपड़े क्यूँ उतारे हम?”
‘साली मादरचोद। मेरे से ज़बान लड़ाएगी।’ - रेणुका गुस्से से लाल हो चुकी थी और उसे कोमल का जोर से बोलना इतना बुरा लगा कि उसने कोमल को अपनी तरफ खींचकर उसकी पीठ पर दो बार कोहनी से वार किया। कोमल दर्द के मारे चीखने लगी। बबीता और बाकी औरते अपनी आँखों के सामने यह सब देख रही थी और कोमल को पिटता देखकर वे लोग उसे बचाने के लिए दौड़ पड़ी। उन्होंने रेणुका का हाथ पकड़ लिया और उसके साथ ही धक्का-मुक्की करने लगी। धीरे-धीरे उनका झगड़ा बढ़ने लगा जिसे देखकर अन्य सेलो की कैदी औरते शोर मचाने लगी। कैदियों का शोर सुनकर बाहर तैनात काँस्टेबल्स और वार्डन दौड़ी-दौड़ी वार्ड में आई और उनकी सेल का ताला खोलकर उनका झगड़ा शांत करवाया।
“ऐ, क्या हो रहा है ये?” - वार्डन शोभना ने पूछा।
‘मैडम, मैंने इनको कपड़े उतारने बोली तो ये साली मारपीट पे आ गई।’ - रेणुका ने बताया।
रेणुका की बात सुनकर शोभना उनके करीब आई और उन सबके चेहरों पर अपने डंडे को घुमाते हुए बड़े प्यार से बोली - “जेल में आये हुए एक दिन भी नही हुआ और झगड़े करने लगी हो।”
‘मैडम, हमारी कोई गलती नही हैं। हम जब से आये हैं, तब से ये लोग हमें परेशान कर रहे हैं।’ - बबिता ने रेणुका की शिकायत करते हुए कहा।
वार्डन - “ये तो गलत बात हैं ना रेणुका। देख। बेचारी शरीफ घरो की औरते हैं। अब तू ऐसे सीधे कपड़े उतारने बोलेगी तो कैसे उतारेगी। बता।”
रेणुका - ‘जी मैडम।’
वार्डन - “लेकिन मेरी बात को मना नही करेगी। देखना है तुझे?”
इतना कहकर उसने उन सातो की ओर देखा और बोली - ‘उतारो कपड़े..’
“जी?” - बबिता आश्चर्य भरी नजरों से उसकी ओर देखते हुए बोली।
बबिता ने इतना कहा ही था कि वार्डन ने अपने पास पड़ा डंडा उठाया और उसकी जांघो पर दे मारा। उसने बबिता और बाकी सभी को दो-तीन बार तेज डंडे मारे और फिर बबिता की गर्दन पकड़ते हुए बोली -
‘साली हरामजादियो, मैडम ने समझाया था ना कि इधर सीनियरों की किसी भी बात को मना नही करते। जेल को अपने बाप का घर समझ रखा हैं क्या साली छिनालो।’
उसने गुस्से में आगे कहा - “चलो, ज्यादा नाटक नही। दो मिनट का टाइम दे रही हूँ। दो मिनट में तूम लोग नंगी नही हुई तो माँ कसम, आज तुम्हारी गाँड़ मारके रख दूँगी।”
जाहिर सी बात थी। उसकी चेतावनी से उनकी घबराहट बढ़ने लगी थी और वे लोग अपने कपड़े उतारने को मजबूर हो गई। उन सातो ने एक साथ अपने कपड़े उतारने शुरू किये और दया ने अपनी साड़ी व बाकी सभी ने अपनी नाइट ड्रेस उतार दी। वे लोग अब ब्रा व पैंटी में वार्डन के सामने खड़ी थी।
वार्डन शोभना उनके करीब आई और बबिता को पैंटी से पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। उसके होंठ बबिता के होंठो के ठीक सामने थे और दोनों की छाती एक-दूसरे की छाती से टकराने को आतुर थी। बबिता कुछ समझ पाती, उससे पहले ही शोभना ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और एकाएक उसके होठो पर किस करने लगी। यह दृश्य देखकर बाकी सभी ने शर्म के मारे अपना सर नीचे कर लिया और चेहरे को दूसरी तरफ घुमा लिया। हालाँकि बबिता मजबूर थी और वह शोभना को ऐसा करने से इंकार नही कर सकती थी।
शोभना ने पुलिस की साड़ी पहन रखी थी जबकि बबिता ब्रा-पैंटी में थी। किस करते हुए ही उसने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे सरका दिया और बबिता के बूब्स पर अपने बूब्स को रगड़ने लगी। शोभना के स्तन भी बबिता की तरह ही बड़े-बड़े व सुडौल थे। धीरे-धीरे वह बबिता के बदन को अपने हाथों से सहलाने लगी और उसकी ब्रा व पैंटी उतार दी। बबिता अब पूरी तरह से नग्न हो चुकी थी। शोभना ने अपना एक हाथ उसकी योनि पर रखा और दूसरे हाथ से उसके बूब्स को दबाने लगी।
उस सेल में बबिता और शोभना के अलावा उस वक़्त 11 कैदी और कुछ महिला काँस्टेबल्स भी मौजूद थी जो अपनी आँखों के सामने सब कुछ देख रही थी। उन लोगो के लिए यह सब बिल्कुल सामान्य बात थी लेकिन बबिता सहित गोकुलधाम सोसायटी की सातो महिलाओं के लिए यह बहुत ही गंदा काम था। वे लोग सभ्य परिवारो व सोसायटी से थी लेकिन जेल की दुनिया बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग थी।
शोभना ने बबिता की वजाइना को अपनी ऊँगली से सहलाना शुरू कर दिया जिस वजह से उसके अंदर भी अब उत्तेजना पैदा होने लगी थी। बबिता की आंखे चढ़ने लगी और वह सेक्स के नशे में डूबने लगी। उस वक़्त उसे किसी मर्द की सख्त जरूरत थी जो अपने लिंग के प्रकोप से उसे यौन सुख का आनंद दे सके। मगर वह एक महिला जेल में कैद थी जहाँ दूर-दूर तक कोई मर्द नही था। उसके आसपास केवल और केवल महिलाएँ ही मौजूद थी।
शोभना उसे दीवार के पास से खींचकर सलाखों के पास ले आई और उसे आगे की ओर झुकाकर उसके दोनों हाथों को हथकड़ी से सलाखों में बाँध दिया। बबिता किसी कुतिया की तरह आगे झुककर बँधी हुई थी और फिर शोभना ने अंजली व गोकुलधाम सोसायटी की बाकी औरते को एक-एक कर उसकी चूत चाटने को कहा।
शोभना की बात सुनकर वे लोग दंग रह गई। आखिर भला वार्डन उनके साथ ऐसा कैसे कर सकती थी। छि! कितना गंदा है यह। एक औरत हमेशा एक आदमी की ओर आकर्षित होती हैं और सेक्स के दौरान वह आदमी का लिंग और गाँड़ चाटने से भी पीछे नही रहती। मगर यहाँ तो एक औरत द्वारा दूसरी औरत की चूत चाटने की बात हो रही थी। उन लोगो को यह सब बहुत ही गंदा लग रहा था और उन्हें घिन्न आने लगी थी। वे लोग कोई लेस्बियन तो थी नही जो सब कुछ अपनी इच्छा से कर लेती।
फिर शुरू हुआ उन लोगो से जबरन बबिता की चूत चटवाने का सिलसिला। अंजली आगे आई और बबिता की फैली हुई टाँगों के नीचे बैठकर उसकी वजाइना पर अपनी जीभ टिका दी। बबिता की चिकनी गुलाबी चूत किसी मर्द के लिए स्वर्ग का खजाना होती लेकिन अंजली के लिए वह कोई खास चीज नही थी। आखिर अंजली भी एक औरत ही थी और उसके पास भी वह सब कुछ था जो बबिता के पास था। अंजली के बाद दया, रोशन, कोमल और माधवी ने भी बारी-बारी से बबिता की चूत चाटी और फिर सबसे आखिरी में बारी आई सोनू की।
सोनू के लिए यह आसान नही था। उसने अपनी जिंदगी में पहले कभी भी सेक्स नही किया था और ना ही उसका कोई बॉयफ्रेंड था। बबिता को पूरी तरह नंगी देखकर वैसे ही उसे गंदा महसूस हो रहा था और जब उसे उसकी चूत चाटने के लिए आगे बुलाया गया तो उसे घिन्न आने लगी थी। हालाँकि मजबूरन उसे बबिता की चूत चाटनी पड़ी लेकिन बीच मे उसे कई बार उल्टी जैसे महसूस हुआ।
वार्डन शोभना ने आगे वह किया जिसकी उन लोगो ने कल्पना तक नही की थी। उसने अपना डंडा उठाया और बबिता के पीछे के छेद में घुसा दिया। बबिता दर्द के मारे चीख उठी लेकिन शोभना उसके दर्द की परवाह किये बिना डंडे को लगातार अंदर बाहर करने लगी। बबिता का दर्द अब दर्द के साथ आनंद में बदलने लगा और वह “आँह आँह” की तेज सिसकियाँ लेने लगी। कुछ देर बाद शोभना ने उसकी हथकड़ी खोल दी और उसे बाकी औरतो के साथ एक तरफ खड़ा करवा दिया।
शोभना ने अंजली, दया, रोशन, कोमल, माधवी और सोनू की भी ब्रा व पैंटी उतरवा दी और उन्हें सेल की उन पाँचो सीनियर कैदियों के हवाले कर वहाँ से चली गई। सुधा को छोड़कर चारो सीनियरों ने उनके साथ काफी देर तक लेस्बियन सेक्स किया और उनकी जमकर रैगिंग की। उन्हें नग्न अवस्था मे ही मुर्गा बनाया गया, एक पैर पर खड़े करवाया गया, उठक-बैठक करवाई गई, दीवार और जमीन पर नाक रगड़वाई गई और कई तरह से प्रताड़ित किया गया। यहाँ तक कि उन्हें एक-दुसरे के स्तनों से दूध पीने के लिए भी मजबूर किया गया।
सबसे ज्यादा शर्मिंदगी माधवी और सोनू को महसूस हो रही थी। एक माँ का अपनी बेटी को और एक बेटी का अपनी माँ को इस तरह प्रताड़ित होते देखना वाकई में बेहद शर्मिंदगी भरा था। एक माँ कभी नही चाहती कि उसकी बेटी के साथ इस तरह का बर्ताव हो लेकिन माधवी चाहकर भी सोनू के लिए कुछ नही कर सकती थी। जेल में आने के बाद उन दोनों में कोई फर्क नही रह गया था। जेल स्टॉफ को इस बात से कोई मतलब नही था कि उन दोनों का आपस मे क्या रिश्ता हैं। उनके लिए वे दोनों केवल कैदी थी और वे लोग उनके साथ अन्य कैदियों की तरह ही बर्ताव कर रही थी।
काफी देर तक रैगिंग किये जाने के बाद पाँचो सीनियर कैदियों ने उन्हें अपनी-अपनी सेवा में लगा दिया और उनसे अपने हाथ-पैर दबवाने लगी। बबिता और रोशन को छोड़कर बाकी सभी को सीनियरों की सेवा करनी पड़ रही थी जबकि इस दौरान उन दोनों को जमकर नचवाया गया। वे सातो अब भी पूरी तरह से नंगी थी। सीनियर कैदी उन्हें अपनी स्लेव की तरह उपयोग कर रही थी और उनके शरीर के साथ खेलती जा रही थी। हाथ-पैर दबाते वक़्त वे लोग उनके स्तनों और कूल्हों को दबाने लगी, उनकी योनि के साथ छेड़छाड़ करने लगी और उन्हें अनेक तरह से परेशान करने लगी। इतना सब कुछ होने के बाद भी उन सातो को रोना मना था। यदि उनकी आँखों से आँसू निकलते तो वे लोग उन्हें मारने लगती। जेल की पहली रात ही उनके लिए किसी भयानक सपने की तरह थी जिस पर यकीन करना मुश्किल था कि जो हो रहा था, वह वास्तविक था।
देर रात तक उनके साथ रैगिंग, मारपीट और सेक्स किया गया और आखिरकार रात के साढ़े ग्यारह बजे सीनियरों ने उन्हें परेशान करना बंद किया। उन सातो ने अपने-अपने कपड़े पहने और एक-दूसरे के गले मिलकर रोने लगी। पहली रात ही उन्हें इस बात का एहसास हो चुका था कि उनके लिए जेल में रहना कतई भी आसान नही है और जेल में उन्हें कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने सपने में भी नही सोचा था कि जेल में कैदियों के साथ इस तरह का बर्ताव किया जाता हैं और जेल की दुनिया बाहरी दुनिया से इतनी अलग होती हैं। जो चीजे बाहर की दुनिया मे अपराध थी, वही चीजे जेल में बिल्कुल सामान्य थी। हालाँकि अभी उनका सामना जेल की अन्य कैदियों से बिल्कुल नही हुआ था जिनमे एक से बढ़कर एक अपराधी महिलाएँ शामिल थी।