दोस्तो, यहाँ अब हमारे मतलब का कुछ नहीं, तो चलो वापस मोना के पास वहाँ शायद कुछ मिल जाए।
गोपाल जब वापस आया तो मोना ने अपना मूड बदल लिया था और उसको सॉरी भी कहा। बस फिर क्या था दोनों ने जल्दी से पैकिंग की और गाँव के लिए निकल गए।
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ गोपाल के घर में उसके माँ-बाप के अलावा एक चाचा और चाची हैं, जिनकी कोई औलाद नहीं है और गोपाल भी इकलौता ही है.. एक दादा थे जो चल बसे।
शाम को गाँव में जब ये लोग पहुँचे, वहाँ दुख का माहौल था.. सभी रिश्तेदार जो आए हुए थे, वो रोने में लगे हुए थे। देर रात तक सारी क्रिया समाप्त हुई, उसके बाद सबके सोने का बंदोबस्त किया गया। मोना और गोपाल को जगह नहीं मिली तो गोपाल के चाचा ने गोपाल को कहा कि तुम छत पर चले जाओ और भी लोग वहाँ है और बहू वहाँ बच्चों वाले कमरे में सो जाएगी।
दोस्तो, वैसे तो यहाँ कोई बचा नहीं है मगर इतने मेहमान आए हैं तो उनके साथ कुछ बच्चे भी हैं, जिनको एक साथ सुला दिया था। अब यहाँ सबका इंट्रो देने का कोई मतलब नहीं, जो खास हैं उनके बारे में जान लो।
राम ठाकुर गोपाल के पिता उम्र 53 साल, ठीक-ठाक सी कदकाठी है। इनकी वाइफ निर्मला देवी उम्र 45 साल, ये भी नॉर्मल हाउस वाइफ हैं। उसके बाद हरी ठाकुर ये गोपाल के चाचा हैं, इनकी उम्र लगभग 50 साल के आस-पास है, हट्टे-कट्टे शरीर वाले हैं। इनकी पत्नी गायत्री.. उम्र 42 साल की है, ये भी घरेलू टाइप की महिला हैं।
हरी- बहू, वो सामने कमरा है, वहाँ चली जाओ… सारे बच्चे वहीं हैं, तुम भी उनके पास कहीं लेट जाना.. बस एक दो दिन की तकलीफ़ है, फिर तो ज़्यादातर मेहमान चले ही जाएंगे।
मोना- वो चाचा जी.. मैं जब से आई हूँ इसी साड़ी में हूँ.. पसीने के कारण ये कड़क हो गई है.. मुझे कपड़े बदलने हैं।
हरी- अरे मुझे सब काका बुलाते है तू भी काका ही बोल.. और कपड़े बदलने है तो वो बाहर देख सामने गुसलखाना है, वहाँ बदल ले।
दोस्तो, गाँव का माहौल तो आपको पता ही है वहाँ पक्के बाथरूम कम ही मिलते हैं. तो बाहर आँगन में एक छोटा सा बाथरूम बना था, जिसमें साइड में पत्ते लगे थे और उनमें बहुत से छेद थे, यानि बाहर वाला अन्दर का नजारा कहीं से भी आराम से देख सकता था।
मोना- काका जी, काकी कहाँ हैं, वो शाम से नज़र नहीं आ रही हैं।
हरी- अरे यहाँ रिवाज है ससुर के मरने पर घर की बहू को रात दूसरे घर में बितानी होती है.. वो पास के घर में सोई हैं, कल आ जाएगी।
मोना- अच्छा ये बात है.. तब तो माँ जी भी साथ होंगी?
हरी- हाँ वो भी वहीं हैं . अब तू ज़्यादा बातें ना कर.. सवेरे जल्दी उठना है.. जल्दी कपड़े बदल और सो जा।
मोना- बाहर बहुत अंधेरा है काका, मुझे डर लगता है.. आप थोड़ा साथ चलो ना!
मोना का डरा हुआ चेहरा देख कर काका को हँसी आ गई, वो उसके साथ आँगन में आ गए। उसके बाद मोना बाथरूम में चली गई।
मोना ने पहले साड़ी को उतार के साइड में रख दिया उसके बाद ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया। अब वो सिर्फ़ नीले रंग की ब्रा-पैंटी में थी, उसका कसा हुआ जिस्म देख कर किसी की भी नियत बिगड़ जाए और मोना को ऐसा लगा भी कि शायद बाहर से उसे कोई देख रहा है। उसने जल्दी से दूसरी साड़ी पहनी और बाहर आ गई।
काका पहले जहाँ खड़े थे.. अभी भी वहीं थे। मोना ने सोचा कि काका के अलावा तो यहाँ कोई है भी नहीं.. शायद उसका भ्रम रहा होगा.. ये सोच कर वो अन्दर जाकर सो गई।
दोस्तो, टीना को शाम को संजय ने एक बुक दे दी थी, उसके हिसाब से टीना को आगे का खेल खेलना था, जिसकी शुरूआत उसने कर दी।
वो सीधी रात को सुमन के घर चली गई।
सॉरी आपको में बताना भूल गई अब इत्तफाक कहो या कहानी की जरूरत, टीना की मॉम को घर शिफ्ट करना पड़ा और उनका नया घर सुमन के घर से बस कुछ ही दूरी पे था।
टीना- नमस्ते आंटी जी.. मुझे सुमन से थोड़ा काम है.. वो कहाँ है अभी?
हेमा- अरे आओ आओ बेटी.. वो अपने कमरे में है, जाओ मिल लो तब तक मैं कुछ खाने को लाती हूँ।
टीना- अरे नहीं आंटी.. मैं अभी खाना खा कर ही आई हूँ, प्लीज़ आप कोई तकलीफ़ ना करें, ओ के!
इतना कहकर टीना सीधी सामने सुमन के कमरे में चली गई जिसे देखकर सुमन खुश हो गई।
सुमन- अरे टीना, आप यहाँ कैसे आना हुआ आपका?
टीना- मैंने क्या समझाया था मुझे आप नहीं तुम बोलो.. इससे दोस्ती का अहसास होता है और मेरे आने की वजह है तुम्हारा टास्क जो तुम्हें देने आई हूँ।
सुमन- इस टाइम वो भी मेरे घर में.. ये कौन सा टास्क है?
टीना- मेरी जान ये सिलसिला घर से ही शुरू होगा, पहले ये बता तेरे पापा कहाँ हैं?
सुमन- वो तो दुकान पर हैं, देर से आएँगे.. क्यों?
टीना- तब ठीक है, अब शुरू होता है तेरा आज का टास्क.. तो सुन!
टीना बोलती रही और सुमन आँखें फाड़े उसकी बातें सुनती रही। टीना ने अपनी बात पूरी करके जब सुमन को देखा तो उसको आँख मार कर शुरू होने को कहा।
सुमन- नहीं नहीं.. ये मेरे से नहीं हो सकता टीना तुम बात को समझो ये उफ़फ्फ़ कैसे होगा ये?
टीना- ओके मत करो.. ये मैं नहीं कह रही, ये सब संजय ने इस बुक में लिखा है। अब लास्ट बार बोलो करना है या मैं वापस जाऊं… फिर तुम ही कल संजय को जवाब दे देना।
सुमन- नहीं.. जरा रूको, मगर मेरे ये करने से क्या होगा?
टीना- तेरे अन्दर थोड़ी झिझक है.. थोड़ा डर है, ये सारे टास्क उनको ख़तम करने के लिए हैं। अब मैं भी तो लड़की हूँ मेरे सामने तो तुम नंगी हो ही सकती हो और वैसे भी सिर्फ़ कपड़े निकालने हैं, ब्रा और पैंटी नहीं.. समझी!
सुमन- वो तो निकाल दूँ मगर उसके बाद जो करना है वो सोच कर ही डर लग रहा है.. कही मॉम को पता लग गया तो?
टीना- देख यार मुझे ये सब नहीं पता अगर नहीं करना तो मैं जाती हूँ, मेरे पास ज़्यादा टाइम नहीं है।
इतना कहकर टीना उठ कर जाने लगी तो सुमन डर गई और उसने जल्दी से अपनी कमीज़ निकाल दी।
सुमन- दीदी रूको, देखो मैंने निकाल दिया अब कुछ नहीं बोलूँगी.. प्लीज़ आप मत जाओ ना!
टीना- अरे क्या बात है दीदी..! चल ठीक है अब ये भी निकाल दे।
सुमन ने सलवार भी निकाल दी.. अब उसके 32″ के गोल चूचे सफ़ेद ब्रा में से निकल भागने को मचल रहे थे। सफ़ेद पेट मक्खन की तरह चिकना था.. उसकी पतली कमर किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफ़ी थी और उसकी पैंटी का उभार साफ दर्शा रहा था कि अन्दर चुत किसी डबलरोटी जैसी फूली हुई है।
टीना- वाउ अब लगी ना हमारे टाइप की.. चल अब कोई चादर ओढ़ और मेरे साथ छत पर चल।
सुमन ने एक बड़ी सी चादर अपने जिस्म पर लपेट ली और डरते हुए कमरे से बाहर निकली तो उसकी माँ से उसका सामना हो गया।
अब सुमन को संजय के मुताबिक़ करने का सिलसिला शुरू हो गया था।O