- 242
- 2,393
- 139
♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Last edited:
♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Bahut hi badhiya update hai mastrani ji mazaaa aaugeyaअपडेट २६ :
"गजब के इंसान है यें....!! गाड़ी की चाबी भी अनजान आदमी को दे आये और ५००/- रूपए भी. वाह जी वाह..!! कमाल है...!!". सोफे पर बैठी उमा रमेश को आँखे दिखाए बडबडा रही थी. रात के ११:३० हो गए थे और गाड़ी का अब तक कोई अता-पता नहीं था. सभी लोग ड्राइंग रूम में बैठे चिंता में डूबे हुए थे.
रमेश : अरे उमा उस वक़्त मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था. मैं भला और क्या करता?
उमा : चारा नहीं था...हूँ...!! कुछ और दिमाग नहीं लगा सकते थे?
रमेश : बात को समझो उमा. मैं अकेला होता तो कुछ और कर लेता. पायल और उर्मिला भी साथ थे. अब घर की बहु-बेटी की इज्ज़त का ख्याल भी ना करूँ?
रमेश की इस बात पर पायल और उर्मिला एक दुसरे को देख कर मुस्कुराने लगते है. रमेश की नज़र दोनों पर पड़ती है और वो दोनों भी रमेश को मुस्कुराते हुए देखने लगते है. रमेश एक पल के लिए दोनों को गौर से देखते है तो उम्हे ऐसा लगता है की उर्मिला कह रही है, "घर की बहु की इज्ज़त का कितना ख्याल है वो मैं अच्छे से जानती हूँ बाबूजी". फिर वो पायल को देखते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है की वो बोल रही है, "और बेटी की इज्ज़त का तो आपको सबसे ज्यादा ख्याल है पापा". दोनों को मुस्कुराता देख रमेश के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है. तभी उमा का ख्याल आते ही रमेश गला साफ़ करते हुए उमा की तरफ देखते है. उमा जो कुछ देर पहले गुस्से से लाल हो रही थी, अब शांत बैठ गई थी.
उमा : हम्म..!! बहु-बेटी की इज्ज़त की बात कर के तो आपने मेरा मुहँ ही बंद करा दिया. अब इस पर मैं और क्या कहूँ.
उमिला : सच मम्मी जी...उस वक़्त कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की क्या किया जाए. और आस-पास का माहोल भी ठीक नहीं था.
उमा : हाँ बहु... समझ रही हूँ. चलो ठीक है. जैसी ऊपर वाले की मर्ज़ी.
उर्मिला : मम्मी जी , रात बहुत हो गई है. आप लोग जा कर सो जाइये. मैं कुछ देर येही रहूंगी. अगर आज रात कोई नहीं आया तो कल पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा देंगे.
उमा : हाँ बहु...येही ठीक रहेगा. (रमेश की तरफ देख कर) अब चलिए. जो होगा देखा जायेगा.
रमेश और उमा अपने कमरे में चले जाते है. पायल भी उर्मिला को एक किस दे कर अपने कमरे में चली जाती है. उर्मिला वहीँ सोफे पर बैठे हुए टीवी के चैनलों को टटोलने लगती है.
रात के १२ बज रहे है. उर्मिला की आँखों में भी नींद छाने लगी है. वो टीवी बंद कर सोफे से उठती है और अपने कमरे में जाने लगती है, तभी उसे गाड़ी की आवाज़ आती है और एक तेज़ रौशनी घर की खिड़की पर पड़ती है. वो दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलती है तो उसे गाड़ी गेट के सामने खड़ी दिखाई पड़ती है. गाड़ी के हेड लाइट जले हुए है और उसकी रौशनी में वो ड्राईवर को देख नहीं पा रही है. वो गेट खोलती है तो ड्राईवर गाड़ी अन्दर ले आता है. गाड़ी कड़ी करके ड्राईवर जैसे ही बाहर निकलता है, उर्मिला की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो ड्राईवर कोई और नहीं बल्कि छेदी था.
छेदी : (देव आनंद के अंदाज़ में चलते हुए) छोटी सी ये दुनिया...अनजाने रास्ते है..तुम कहीं तो मिलोगे...कहीं तो मिलोगे..तो पूछेंगे हाल...!!
उर्मिला : तुम..?? तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
छेदी : अजी आपकी गाड़ी छोड़ने आया था...आप कहें तो वापस ले जाऊ?
उर्मिला : बकवास बंद करो और चाबी देकर निकलो यहाँ से.
छेदी : छबी दे कर तो हम निकल ही जायेंगे मैडम जी, पर इतना गुस्सा किस बात का है? वैसे आपके खुबसूरत चेहरे पर गुस्सा बड़ा हसीन लगता है.
उर्मिला : (छेदी की बात पर मुस्कुराते हुए) अच्छा भैया, नहीं करती गुस्सा...दीजिये चाबी.
छेदी : हाय मैडम जी....मार ही डाला आपने भैया कह के...
उर्मिला : भैया नहीं तो क्या सय्याँ कहूँ?
छेदी : हाय मैडम जी... हमने कब कहा की आप हमे सय्याँ कहिये. हम तो चाहते है की आप हमें भैया ही कहिये....
ये कहकर छेदी उर्मिला के बदन को गन्दी नज़रों से ऊपर से निचे देखने लगता है. उर्मिला भी छेदी की बात सुन कर हैरान हो जाती है.
उर्मिला : अजीब बात है. लड़के तो लड़कियों के मुहँ से सय्याँ सुनने के लिए तरस जाते है. लड़की एक बार भी उन्हें भैया कह दे तो उनका दिल टूट जाता है और एक आप हो की भैया सुन कर खुश हो रहे हो.
छेदी : वो ज़माना बीत गया मैडम जी जब लड़के लड़कियों के मुहँ से सय्याँ सुनने के लिए तरस जाया करते थे. अब तो वो खुद ही खूबसूरत लड़कियों को अपनी बहन बना कर उनके मुहँ से भैया सुनना पसंद करते है. खूबसूरत लड़कियां जब टाइट कसे हुए कपडे पहन कर भैया कहती है तो माँ कसम जवानी के मजे आ जाते है.
उर्मिला जानती थी की छेदी जो कह रहा था वो सच था. आजकल लड़के लड़कियों को अपनी बहन बनाना ही पसंद करते है. वो जब कॉलेज में थी तो उसकी सभी सहेलियों ने कॉलेज के २-३ लड़कों को भाई बना रखा था. वो लड़के भी उन्हें अपनी बहन मानते थे. उसकी सहेलियां तो उन्हें रक्षाबंधन के दिन राखी तक बांधती थी. वो तो उसे बाद में पता चला की उसकी सहेलियां जिन लड़कों के साथ 'भैया-भैया' करते हुए दिन भर घुमती थी, रात में उनके मोटे लंड बूर में लिए घंटो चुदती थी.
उर्मिला अपने कॉलेज के दिनों में खो सी गई थी की छेदी की आवाज़ ने उसे होश में ला दिया.
छेदी : कहाँ खो गई मैडम जी?
उर्मिला : अ..वो..कुछ नहीं...लाओ चाबी दो और ये लो तुम्हारे २००/- रूपए.
छेदी : (छबी दे कर २००/- रूपए लेते हुए) वैसे मैडम जी, आप मुझे भैया ही बुलाया करिए. आपके मुहँ से अच्छा लगता है.
उर्मिला : (घर की तरफ जाते हुए मुस्कुरा देती है) ठीक है...भैया...!!
उर्मिला के मुहँ से 'भैया' सुन कर छेदी के मुहँ से 'हाय' निकल जाता है. जाती हुई उर्मिला का पिछवाड़ा देख कर छेदी एक बार अपने लंड को दबा देता है और गेट बंद कर के चला जाता है. उर्मिला भी हँसते हुए घर में आती है और दरवाज़ा लगा कर अपने कमरे में चली जाती है.
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
रात के १:३० बज रहे है.
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
ऑटोवाले को पैसे दे कर छेदी अपने घर के दरवाज़े पर पहुँचता है और खटखटाता है. २ मिनट के बाद दरवाज़ा खुलता है और सामने एक १८-१९ साल की लड़की खड़ी है. बड़ी-बड़ी चुचियाँ, भरा हुआ बदन, पतली कमर और उठी हुई चौड़ी चुतड. ऊपर बिना बाहं वाला कुर्ता, जिसका गला गहरा है और कुर्ता जाँघों तक आ रहा है. निचे बिना सलवार के उसकी मांसल जांघे दिख रही है. दरवाज़े खोलते ही वो लड़की बोल पड़ती है.
"आ गए आप भैया...!! बड़ी देर कर दी आज आने में?"
छेदी : कुछ नहीं खुशबु...!! कुछ काम निकल आया था.
छेदी अन्दर आता है और दरवाज़ा बंद कर देता है. दो कमरे के मकान में एक बड़ा सा कमरा है जिसमे एक तरफ टीवी और दूसरी तरफ सोफा रखा हुआ है. साथ ही एक छोटा सा कमरा है जिसमे एक बेड रखा हुआ है. बाहर के कमरे के साथ ही एक छोटी की रसोई भी साथ में ही है. खुशबु रसोई की तरफ जाने लगती है. चलते हुए उसकी चौड़ी चुतड हिल रही है और बिना सलवार के उसकी मोटी जांघे कहर धा रही है.
खुशबू छेदी की छोटी बहन थी. दोनों के बाप का देहांत हुए ५ साल हो गए थे. बाप के गुजर जाने के बाद छेदी ने ही घर का सारा भार अपने कन्धों पर ले लिया था. छोटी बहन और माँ का ख़याल वही रख रहा था. काम-काज की वजह से छेदी को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई थी लेकिन अपनी छोटी बहन खुशबु की पढ़ाई उसने रुकने नहीं दी. खुसबू अब १८ साल की हो गई थी और १२ वीं कक्षा में थी. वैसे तो वो सरकारी स्कूल में पढ़ती थी लेकिन फिर भी पढ़ने में ठीक-ठाक थी.
रसोई में पहुँच कर वो छेदी से कहती है.
खुशबु : भैया आप हाथ-मुहँ धो लीजिये तब तक मैं आपका खाना गरम कर देती हूँ.
खुशबु गैस पर खाना गरम करने चढ़ा देती है और तभी दो हाथ उसकी बगलों के निचे से होते हुए उसके बड़े-बड़े दूधों को दबोच लेते है.
खुसबू : छोड़िये ना छेदी भैया...ये क्या कर रहे है आप?
छेदी : अपनी प्यारी छोटी बहना को प्यार कर रहा हूँ....
खुशबु : धत्त भैया...!! आपका तो मन ही नहीं भरता. दोपहर में ही तो आपने २ घंटे मेरी चुदाई की थी और अभी फिर से शुरू हो गए. थकते नहीं हो क्या आप?
छेदी खुशबू के दूध मसलते हुए पीछे से चिपका हुआ है और अंडरवियर पहने हुए अपने लंड के उभार को खुशबू की कुर्ती के ऊपर से चूतड़ों के बीच दबाये जा रहा है.
छेदी : पगली..!! बहन की बूर चोदने से कोई भाई थकता है क्या? बहन की बूर के लिए तो भाई का लंड हमेशा ही तैयार रहता है.
खुशबू : आप भी न भैया बड़े गंदे हो. माँ को हमेशा किसी न किसी बहाने से ३-४ दिनों के लिए यहाँ-वहां भेज देते हो और फिर मेरी दिन-रात चुदाई करते हो. परसों ही आपने माँ को काशी भेज दिया और २ दिनों से दिन-रात मेरी बूर पेल रहे हो. २ दिनों से मैं स्कूल भी नहीं गई हूँ.
छेदी पीछे से खुशबू की कुर्ती उठा के अपना अंडरवियर निचे कर लेता है और उसकी नंगी चूतड़ों के बीच अपना मोटा लंड घुसा कर रगड़ने लगता है. लंड से निकलता हुआ पानी खुशबू की चूतड़ों के बीच की गहराई को गीला कर देता है.
छेदी : मेरी बहना है की इतनी गदराई हुई माल. अब ऐसी गदराई जवानी और मोटे-मोटे दूध ले कर घर में घूमेगी तो भैया का लंड तो खड़ा होगा ही ना.
खुशबू : (छेदी की बाहों में मचलते हुए) रहने दीजिये भैया..!! ये भी आपका ही किया धरा है. आपको पता है स्कूल में सबसे मोटे दूध मेरे ही है. सारी लडकियां मुझसे सवाल करती है की खुशबू तेरे दूध छोटी उम्र में ही इतने मोटे कैसे हो गये. एक दो बार तो स्कूल की कुछ मैडम ने भी पूछ लिया की मेरे दूध इतने बड़े कैसे हो गए. बोलिए...मैं सबको क्या जवाब दूँ ?
छेदी खुशबू की कुर्ती में हाथ डाल कर उसके मोटे दूधों का दबा रहा था और लंड को चूतड़ों के बीच रगड़ते हुए कहता है.
छेदी : तो बता दे उन्हें की मेरे भैया ने दबा-दबा कर दूध मोटे कर दिए है.
खुशबू : धत्त भैया...!! आपको तो हमेशा मजाक ही सूझता रहता है.
छेदी : अच्छा खुशबू., अब कमरे में चलते हैं. देख तेरे भैया का लंड तेरी बूर की याद में कैसे आंसूं बहा रहा है.
छेदी अपने लंड को हाथ में थामे खुशबू को दिखता है. लंड के मोटे टोपे से सफ़ेद पानी की २-३ बूंदे टपक कर ज़मीन पर गिर जाती है. खुशबू ये देख कर अपने ओंठ काट लेती है.
खुशबू : आपका लंड तो हर वक़्त मेरी बूर को याद करके पानी छोड़ता रहता है भैया.
छेदी झट से अपनी दो उँगलियाँ खुशबू की बालोंवाली बूर में ठूँस देता है.
छेदी : और मेरी बहना की बूर पानी नहीं छोड़ती है क्या भैया के मोटे लंड की याद में?
छेदी को दो उँगलियाँ बूर में जाते ही खुशबू सिसियाने लगती है. आँखे बंद किये और बूर में दो उँगलियाँ ठूँसवाते हुए वो कहती है.
खुशबू : सीईईईईई...!! भैया...!! बहुत पानी छोड़ती है मेरी बूर आपके मोटे लंड को याद करके. स्कूल में जब भी आपके मोटे लंड की याद आती है तो मैं सबसे आखिर में कोने वाली सीट पर बैठ जाती हूँ और अपने सलवार का नाडा खोल कर बूर में दो उँगलियाँ ठूँस देती हूँ.
खुशबू की बात सुन कर छेदी अपनी दोनों उँगलियों को उसकी बूर में तेज़ी से चलाने लगता है.
छेदी : जानता हूँ खुशबू तभी तो मैं भी तेरी दिन-रात अपने मोटे लंड से चुदाई करता हूँ. चल...अब तेरी बूर चोदने का वक़्त आ गया है.
छेदी की बात सुन कर खुशबू उसके पास आती है और उच्छल कर अपनी बाहें उसके गले में डाल देती है और दोनों टाँगे कमर में लपेट लेती है. छेदी भी अपने दोनों हाथों से खुशबू की भारी चूतड़ों को सहारा देता है. उसका लंड खुशबू की बूर पर रगड़ खाते हुए कमर पर चला जाता है. खुशबू को अपनी बाहों में लिए, सीने से लगाये, छेदी कमरे की तरफ बढ़ने लगता है. कमरे में पहुँच कर छेदी खुशबू को निचे उतार देता है. अपनी कच्ची और बनियान को उतार कर वो अपने लंड को पकडे बिस्तर पर सीधा हो कर लेट जाता है. उसका १० इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड खुशबू को झूमता हुआ इशारे कर रहा है. अपने भैया के मोटे लंड को देख कर खुशबू की बूर भी पानी छोड़ने लगती है. वो अपने बदन से कुर्ती को खींच कर उतार देती है. कुर्ती के निकलते ही खुशबू के मोटे दूध उच्चल कर बाहर आ जाते है. बहन के मोटे दूध को इस तरह से उच्छलता देख छेदी का लंड भी झटके मारने लगता है.
छेदी : आजा बहना ... और कितना तड़पायेगी अपने भैया को....
खुशबू अपने ओंठ काटते हुए बिस्तर पर चढ़ जाती है और दोनों टाँगे छेदी की कमर के इर्द-गिर्द कर लेती है. छेदी की कमर के दोनों तरफ पैर किये हुए खुशबू खड़ी है. उसकी बालोवाली बूर जिसके ओंठ हलके से फैले हुए हैं, उसपर छेदी की नज़रें गड़ी हुई है. अपने घुटनों को मोड़ कर खुशबू दोनों हाथों को छेदी की छाती पर रख देती है और धीरे-धेरे अपनी भारी चुतड खड़े लंड पर लाने लगती है. खुशबू की बूर के ओंठ छेदी के लंड के मोटे टोपे पर जा चिपकते है. जैसे ही बूर के ओंठ टोपे से छुते है, छेदी का लंड ऊपर की तरफ झटका खाता है. खुशबू छेदी के छाती पर दोनों हाथों को रखे, अपने घुटनों को मोड़े हुए, छेदी के मोटे लंड को बूर में भरने लगती है. उसकी भारी चुतड धीरे-धीरे निचे होती चली जाती है और लंड बूर के अन्दर. कुछ ही क्षण में छेदी का लंड खुशबू की बूर में जड़ तक समां जाता है. भैया के लंड पर बैठ कर खुशबू कहती है.
खुशबू : भैया...मैंने आपसे कितनी बार कहा है की कंडोम लाया करो, पर आप हर बार भूल जाते हो.
खुशबू की चूतड़ों को दोनों हाथो से उठा के अपने मोटे लंड से ३-४ जोरदार ठाप उसकी बूर में मारते हुए छेदी कहता है.
छेदी : बहन की बूर का मजा बिना कंडोम के ही आता है खुशबू.
खुशबू भैया के लंड पर उच्छल-उच्छल के अपनी बूर में लंड लिए जा रही थी. हाँफते हुए खुशबू छेदी से कहती है.
खुशबू : आपकी बात तो ठीक है भैया पर बिना कंडोम के आप मेरी बूर में अपना सारा पानी गिरा देते हो. मेरी सहेली कह रही थी की १८ साल की उम्र में लड़कियां जल्दी माँ बन जाती है. अगर मेरी कोख में आपका बच्चा ठहर गया तो?
छेदी : अब तक तो नहीं हुआ ना ऐसा खुशबू...इतना क्यूँ डर रही है तू?
खुशबू : डर तो लगता है ना भैया. आपको याद है पिछली बार मेरा महिना कितनी देर से शुरू हुआ था. मुझे तो पूरा यकीन हो गया था की आपका बच्चा मेरी कोख में ठहर गया है. वो तो अच्छा हुआ की अगले दिन ही मेरा महिना शुरू हो गया नहीं तो मैं डॉक्टर के पास जाने वाली थी.
छेदी लेटे हुए खुशबू को इशारा करता है तो वो अपनी बूर से लंड निकाल कर खड़ी होती है और घूम जाती है. अपनी पीठ छेदी की तरफ कर के वो दोनों हाथो को छेदी के पैरों पर रख के फिर से लंड पर बैठ जाती है और चुतड उठा-उठा के लंड पर पटकने लगती है. छेदी भी अपनी कमर उठा के उसकी बूर में लंड पलते हुए कहता है.
छेदी : डर तो मैं भी गया था खुशबू...पर सब ठीक ही हुआ ना...
खुशबू छेदी के लंड पर उच्छलते थोडा पीछे होती है तो छेदी उसके कन्धों को पकड़ कर पीछे खींच लेता है. वो अपनी बूर में छेदी का लंड लिए उसकी छाती पर पीठ के बल गिर जाती है. खुशबू के पीठ छेदी के सीने से चिपक जाती है. छेदी बगलों से हाथ डाल कर खुशबू के मोटे दूधों को दबोच कर दबाने लगता है और निचे अपनी कमर उठा-उठा के लंड उसकी बूर में पेलने लगता है. खुशबू कसमसा कर सिसियाने लगती है.
खुशबू : सीईईईईईइ...भैया..!! अब तक नहीं हुआ पर अगर हो गया तो कितनी बदनामी होगी. मेरी सहेली याद है जो हमारे घर आया करती थी?
छेदी : कौन ? वो कोमल ?
खुशबू : आह्ह..!! हाँ भैया...कोमल. उसका टांका अपने पापा से भीड़ा हुआ है. उसकी माँ के गुजर जाने के बाद से ही उसके पापा रोज उसकी बूर चुदाई करते है. अभी २ महीने पहले ही वो अपने पापा के साथ मनाली घूम कर आई थी.
छेदी खुशबू के दोनों मोटे दूधों को अच्छी तरफ से मसलते हुए अपने लंड की ठाप उसकी बूर में मारे जा रहा था. खुशबू की इस बात से उसमे और भी ज्यादा जोश भर जाता है और वो अपनी कमर मिचे कर के एक जोर की ठाप लगाता है तो उसका लंड खुशबू की बूर में जड़ तक घुस जाता है. अपने लंड को खुशबू की बूर में जड़ तक घुसाए हुए छेदी वैसे ही अपनी कमर को उठा कर रखता है.
छेदी : अच्छा...!! तभी तो मैं कहूँ की कोमल के दूध और चुतड इतने मोटे क्यूँ हुए जा रहे है. मनाली में तो उसके पापा खूब बूर पेलाई की होगी उसकी.
खुशबू की बूर में छेदी ने अपना पूरा लंड ठूंसे रहा था. १० इंच का लंड खुशबू के बच्चेदानी तक पहुँच गया था. खुशबू अपने ओठ काटते हुए कहती है.
खुशबू : आह्ह्ह्ह...!! हाँ भैया. वो जब स्कूल आई तो बता रही थी की उसके पापा ने ३ दिनों तक पटक-पटक कर उसकी खूब बूर चुदाई की थी. उसके पापा भी बिना कंडोम के उसकी बूर चोदते हैं लेकिन वो हमेशा कोमल को माला-डी की गोलियां खिला देते है. कोमल तो अपने बस्ते में भी माला-डी की गोलियां रखती है.
छेदी : हाँ खुशबू...इस बात पर तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया. कल मैं भी तेरे लिए माला-डी की गोलियां ला दूंगा. फिर तेरी बूर चुदाई के बाद उसमे झड़ने में भी डर नहीं लगेगा.
खुशबू : हाँ भैया...!! माला-डी की गोलियां ला दीजिये फिर मैं हमेशा आपके लंड का पानी अपनी बूर में ही झडवाउंगी.
खुशबू की बात सुनकर छेदी झट से घूम जाता है तो खुशबू बिस्तर पर गिर जाती है. बिस्तर पर गिरते ही छेदी उसपर चढ़ जाता है और दोनों हाथों से उसकी जांघे खोले अपने मोटे लंड को बूर में पेल देता है. अपनी कमर को उठा-उठा के खुशबू की जांघो के बीच पटकने लगता है और बूर चोदने लगता है. खुशबू भी आँखे बंद किये अपने भैया के लंड को बूर में पेलवाने लगती है. अब छेदी पूरे जोश में आ चूका था. कमरे में लगा पंखा किसी पेसंजर ट्रेन की तरह धीरे-धीरे चल रहा था और कमरे में गर्मी बढ़ गई थी. भाई-बहन की घमासान चुदाई उस गर्मी को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी. छेदी और खुशबू दोनों ही पसीने में नाहा चुके थे. पसीने से लथपथ छेदी अपनी बहन की बूर में तेज़ झटके मारते हुए लंड पेल रहा था. 'ठप्प-ठप्प' की तेज़ आवाज़ से कमरा गूंज रहा था.
छेदी : (तेज़ साँसों के साथ) खुशबू....!! अब मेरे पानी निकलने वाला है. आह्ह...!! अपना खेल शुरू करते है बहना...!!
खुशबू जानती थी की जब वो और भैया झड़ने वाले होते हैं तो क्या करना होता है. छेदी और खुशबू भाई-बहन के इस गंदे रिश्ते का पूरा मजा उठाते थे. जैसे ही छेदी खुशबू की इशारा देता है वो झट से बोल पड़ती है.
खुशबू : आह्ह्ह्ह...भैया...!! मेरे प्यारे भैया...!!
छेदी : (तेज़ आवाज़ में, बूर में तेज़ी से लंड पलते हुए) आह्ह्ह्ह...!! मेरी बहना...!! प्यारी बहना...!!
खुशबू : मजा आ रहा है भैया...!! अपनी छोटी बहन की बूर चुदाई करने में?
छेदी : हाँ बहना..!! बहुत मजा दे रही है तेरी बूर. बोल...तेरा भैया कैसा है?
खुशबू : बहनचोद...!! बहनचोद है मेरा भैया...!! बहुत बड़ा बहनचोद है...!!
अपनी बहन के मुहँ से अपने लिए बहनचोद सुन कर छेदी का लंड पूरा फूल जाता है और बूर में जोर-जोर से अन्दर-बाहर होने लगता है. खुशबू आगे कहती है.
खुशबू : और आपकी छोटी बहन कैसी है भैया?
छेदी खुशबू के मोटे दूध दबोच कर दबाते हुए कहता है.
छेदी : रंडी...!! रंडी है मेरी छोटी बहन..!! अपने भैया की रंडी बहना है..!!
छेदी के मुहँ से अपने लिए रंडी बहना सुनते ही खुशबू की कमर झटके खाने लगती है. अपनी दोनों टाँगे छेदी की कमर में लपेट कर खुशबू जोर-जोर से कमर हिलाने लगती है. छेदी भी अपनी कमर जो जोर-जोर से झटके देते हुए खुशबू की बूर चोदने लगता है. १५-२० झटके देते ही छेदी के लंड से गाढ़ा सफ़ेद पानी खुशबू की बूर की गहराई में गिरने लगता है. खुशबू भी छेदी से लिपटे हुए झड़ने लगती है. दोनों के झड़ने का सिलसिला ३-४ मिनट तक चलता है. पूरी तरह से झड़ने के बाद दोनों निढ़ाल हो कर बिस्तर पर गिर जाते है.
खुशबू की आँखे बंद है और बूर से सफ़ेद गाढ़ा पानी धीरे-धीरे बह रहा है. बूर के ओंठ फ़ैल कर अलग हो गए है. बूर के ओठों के अन्दर की लाली साफ़ बता रही है की खुशबू की बूर की चुदाई कितनी जम के हुई थी. छेदी भी खुशबू के पास ही लेटा हुआ था. धीरे-धीरे सांसे लेते हुए वो अपनी थकान दूर करने की कोशिश कर रहा था. तभी उसके फ़ोन पर कोई मेसेज आता है. वो फ़ोन उठा कर देखता है तो किसी अनजाने नंबर से मेसेज आया था. वो मेसेज खोलता है तो लिखा होता है, "मेरे भैया भी है और सय्याँ भी इसलिए आपसे सिर्फ दोस्ती हो सकती है". मेसेज पढ़ के छेदी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. गाड़ी की चाबी के साथ उसने उर्मिला को अपना नंबर दिया था, ये उसका ही जवाब था. फ़ोन को तकिये के निचे रख कर, चेहरे पर मुस्कराहट लिए छेदी आँखे बंद करता है और नींद की आगोश में चला जाता है.
(समय की कमी का कारन मैं कुछ शब्धों को ठीक नहीं कर पाई. कोई गलती हो तो क्षमा करियेगा)
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
मस्तरानी जी,
अपने जो index को स्टिकी बनाया है उससे बहुत कठिनाई हो रही है.
क्या आप इसे हटा सकती हैं.
इंडेक्स को स्टिकी बनाने का मकसद था की आप किसी भी पन्ने पर हों वहां से किसी भी अपडेट पर जा सको.
अगर स्टिकी ना हो तो आपको बार-बार पहले पन्ने पर जाना पड़ेगा.
वैसे क्या परेशानी हो रही है?
It is too large.