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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
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Devil 888

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Aaj aayega update ya kal raat mastrani ji...
 
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Mastrani

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अपडेट २७ : (संपूर्ण)

" पायल रानी चिकन-चाकन, फल-फुल सब खाये,
पापा न मिले तो फिर केले से काम चलाये....!!,
बोलो हई रे .... हई रे .....हई हाsss......!! "

उर्मिला पायल के साथ छत पर अमरुद की टहनी के निचे बैठी उसे होली के गीत गा कर छेड़ रही थी. सुबह के ९ बज रहे थे और गाड़ी वापस आ जाने से घर में शांति थी. बाबूजी किसी काम से बाज़ार चले गए थे और उमा भी टीवी में लगी हुई थी. सोनू अब भी सो रहा था. ऐसे में भाभी और ननद को कुछ वक़्त साथ बिताने का मौका मिल गया था.

उर्मिला ने जो होली का गीत गाया था उसे सुन कर पायल की पैन्टी में चुलबुल मचने लगी थी. उर्मिला अच्छे से जानती थी की पायल को सिर्फ एक चुंटी काटने की जरुरत होती है. उसकी जवानी में ऐसी आग लगी है की बस थोड़ी से हवा दे दो और वो धूं-धूं कर के जलने लगती है. पापा और पायल पर उर्मिला के इस होली के गीत ने हवा का काम करते हुए पायल की जवानी की आग फिर से भड़का दी थी. वो मुस्कुराते हुए नखरे वाले अंदाज़ में कहती है.

पायल : (नखरे से मुस्कुराते हुए) धत्त भाभी...!! आप ऐसे ही हमेश मुझे छेड़ती रहती हो. जब पापा है तो मैं केले से काम क्यूँ चलाऊँगी ?

उर्मिला : तू तो ऐसे कह रही है जैसे रोज पापा का लंड बुर में ले कर सोती है.

पायल : अभी ले कर नहीं सोती तो क्या हुआ? जब मिलेगा तब ले लुंगी लेकिन केले से काम नहीं चलाऊँगी.

उर्मिला : मेरी भोली पायल तो कुछ जानती ही नहीं. अरे...!! केले और मोटे बैगन तो न जाने कितनी लड़कियों और औरतों का सहारा होते है. मैं जब कॉलेज में थी तो हम सब सहेलियां केले और बैगन को 'बी . एस . वाई (B.S.Y)' कहते थे.

पायल : (आश्चर्यचकित होते हुए) बी . एस . वाई ...?? ये क्या होता है भाभी ?

उर्मिला : (हँसते हुए) पगली तुझे 'B.S.Y' नहीं पता? कॉलेज में क्या सिर्फ पढ़ने जाती है? B.S.Y का मतलब होता है 'बूर शंतुष्टि यंत्र'.

उर्मिला की बात सुन कर पायल को हंसी आ जाती है और उसे अपनी भाभी पर गर्व भी महसूस होता है की वो कितनी खुले विचारों वाली है.

पायल : (हँसते हुए) हा हा हा हा भाभी....!! सच में. कॉलेज की लाइफ तो आपने पूरी एन्जॉय की है. फिर तो ये B.S.Y सारे कॉलेज में सबको पता होगा?

उर्मिला : सभी को नहीं. ये हमारे ग्रुप की लड़कियों का कोड था. हम तो खुले आम इस कोड का इस्तेमाल करते थे. हमे पता होता था की किसी न किसी के पास तो केला या बैगन होगा ही. जब भी किसी लड़की की बूर में खुजली होती वो सबके सामने ही पूछ लेती की किसी के पास B.S.Y है क्या ?

पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) पर भाभी ये बात कोई समझ नहीं पता था क्या?

उर्मिला : (हँसते हुए) मजे की बात तो ये थी पायल की जो नहीं जानते थे की B.S.Y क्या है उन्हें लगता था की हम लोग एक दुसरे से 'सेनेटरी पैड' मांग रही है और फिर जब हम वाशरूम चली जाती थी तो सबको लगता था की पैड बदलने जा रही है. और असल में वाशरूम में तो हम जम कर केले और बैगन चला कर आती थी.

उर्मिला की बात सुन कर पायल को अपनी कॉलेज की लाइफ बहुत ही नीरस सी लगने लगती है. उसका दिल करता है की काश वो भी भाभी के उस ग्रुप का हिस्सा होती.

पायल : भाभी आपका ग्रुप तो बड़ा मजेदार था.

उर्मिला : मजेदार...? एकदम धमाकेदार ग्रुप था. किसीका मुहँ बोले भाई के साथ चक्कर था तो किसी का अपने सगे भाई के साथ. कोई अपने चाचा-मामा के साथ फंसी थी तो कोई अपने ही पापा से. सब एक से बढ़कर एक कामिनी लडकियाँ थी.

पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) बापरे भाभी..!! अपने ही सगे भाई और पापा से भी?

उर्मिला : और नहीं तो क्या? मेरी जो सबसे पक्की सहेली थी, कंचन, उसका चक्कर तो अपने ही पापा के साथ था. कॉलेज के बाद जब हम हॉस्टल आते तो मैडम कमरे में जा कर नंगी हो कर बिस्तर पर टाँगे फैला कर अराम से बैठ जाती और बूर में ऊँगली करते हुए घंटो अपने पापा से फ़ोन पर बात किया करती.

उर्मिला की इस बात पर पायल की बूर में पानी आने लगता है. वो बड़ी-बड़ी आँखे और खुले हुए मुहँ से उर्मिल को देखते हुए कहती है.

पायल : बाप रे भाभी....इतनी गर्मी थी क्या कंचन की बूर में?

उर्मिला : हाँ पायल...बहुत गर्मी थी. अपने पापा से फ़ोन पर बात करते हुए कंचन इतनी गरम हो जाती थी की कई बार मुझे उसकी बूर में मोटा बैगन देना पड़ जाता था. अपने पापा से बात करते हुए जब बूर में मोटा बैगन जाता था तब जा कर कंचन को चैन मिलता था.

पायल : उफ़ भाभी...!!

उर्मिला : क्या हुआ पायल रानी?

पायल झेंप जाती है और बात बदलते हुए कहती है.

पायल : कुछ नहीं भाभी. वैसे आप होली के गीत बहुत अच्छा गाती है भाभी. इस होली में भी आपने कितने अच्छे-अच्छे गीत गाये थे.

उर्मिला : हम्म..!! होली में मेरे गाये गीत याद है और तेरे साथ क्या हुआ था वो भूल गई?

पायल : (मुहँ बनाते हुए) मेरे साथ ? क्या हुआ था मेरे साथ भाभी?

उर्मिला : ओहो ...!! देखो तो इस भोली लड़की के चेहरे को? जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं. तेरे मोटे-मोटे दूध पर जो बड़े-बड़े पंजो के रंग के निशान थे, भूल गई?

उर्मिला की बात सुन कर पायल थोड़ा शर्मा जाती है. फिर मुस्कुराते हुए कहती है.

पायल : होली का दिन था ना भाभी. लगा दिया होगा किसी ने....

उर्मिला : हाँ हाँ .... जैसे तुझे पता ही नहीं था की कौन लगा रहा है. घर के पिछवाड़े बाबूजी को तेरी टॉप में हाथ डाल कर तेरे मोटे दूधों पर रंग मलते मैंने देख लिया था पायल.....

अपनी चोरी पकड़ी जाने पर पायल शर्मा जाती है और मुस्कुराते हुए धीरे से कहती है.

पायल : होली वाले दिन तो पापा भांग के नशे में थे न भाभी.

उर्मिला : बाबूजी नशे में थे पर तू तो होश में थी ना? खड़े-खड़े अपने मोटे दूध मसलवा रही थी. भाग क्यूँ नहीं गई वहाँ से ? बोल ?

उर्मिला की बात सुन कर पायल अपना चेहरा उर्मिला के सीने में छुपा लेती है.

पायल : (चेहरा उर्मिला के सीने में छुपाते हुए) धत्त भाभी...!!

उर्मिला पायल के मोटे दूध को एक हाथ से दबाते हुए कहती है.

उर्मिला : सच बता पायल...मजा आ रहा था ना?

पायल : (धीरे से ) हाँ भाभी....पर उस वक़्त तक मैं पापा के लिए ऐसा-वैसा कुछ भी नहीं सोचती थी.

उर्मिला : जानती हूँ रे. पर अब तो तू तैयार है ना?

पायल : हाँ भाभी...अब तो मैं पूरी तैयार हूँ...

दोनों भाभी-ननद हंसी मजाक में लगे हुए थे. कुछ पुरानी, कुछ नई बातों को याद करते हुए दोनों मजे से अमरुद की टहनी की के नीचे बैठे हुए थे. तभी उन्हें सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. दोनों का ध्यान छत के दरवाज़े की ओर चला जाता है. कुछ ही क्षण में दरवाज़े पर बाबूजी धोती और कुरते में चलते हुए आते है. बाबूजी को देखते ही पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है. रमेश भी धीरे-धीरे चलते हुए थोड़ी दूर पर राखी अपनी खाट पर बैठ जाते है.

रमेश : क्या चल रहा है भाभी और ननद के बीच ?

उर्मिला : (हँसते हुए) कुछ नहीं बाबूजी....बस ऐसे ही बैठे हुए होली की बातें याद कर रहे थे.

रमेश : (हँसते हुए) हा हा हा.... हाँ बहु. इस बार होली में बड़ा मजा आया था.

उर्मिला : लेकिन बाबूजी, पायल जितना मजा तो किसी और को आया ही नहीं होगा.

रमेश : (आश्चर्य से ) ऐसा क्यूँ भाई? सभी ने तो मजे से होली खेली थी? फिर पायल को सबसे ज्यादा मजा किस बात का आ गया?

उर्मिला : वो बात ऐसी है ना बाबूजी की होली वाले दिन किसी ने घर के पिछवाड़े पायल की टॉप में हाथ डाल कर उसके मोटे दूध दबोच कर रंग लगा दिया था. पायल बता रही थी की उसे बड़ा मजा आया था.

उर्मिल की बात सुन कर पायल धीरे से भाभी की चुतड में चुंटी काट लेती है. बाबूजी भी उर्मिला की बात सुन कर सकपका जाते है. वो जानते है की उर्मिला जिस की बात कर रही थी वो और कोई नहीं खुद बाबूजी ही थे. हालांकी अब उनके और पायल का रिश्ता एक अलग ही मोड़ ले चूका था पर ये उस वक़्त की बात थी जब दोनों के बीच बाप-बेटी का एक पवित्र रिश्ता हुआ करता था. पायल की तरह रमेश भी उस घटना को दबाने की कोशिश करते है.

रमेश : अरे बहु...अब होली में तो कुछ लोग ऐसी बदमाशियाँ करते ही है. होगा कोई बदमाश....

उर्मिला : (बाबूजी को देखते हुए) बाबूजी मैंने तो उस बदमाश को अच्छे से देखा था. बिलकुल आप ही की तरह दिख रहा था.

उर्मिला की बात पर पायल को हंसी आ जाती है. वो हाथो से अपना मुहँ दबा कर हंसने लगती है. बाबूजी भी समझ जाते है की को पकडे गए है तो वो भी हँस देते है. उर्मिला भी हँसते हुए कहती है.

उर्मिला : अच्छा बाबूजी मैं अब निचे चलती हूँ. आप बाप-बेटी थोड़ी बातें कर लीजिये.

उर्मिला बाबूजी और पायल को देख कर मुस्कुराता देती है और छत के दरवाज़े की ओर जाने लगती है. उर्मिला जाते हुए छत का दरवाज़ा लगा देती है. उसके जाते ही रमेश खाट पर बैठे हुए पायल को देखते है. पायल भी पापा को देखती है तो शर्मा के नज़रे झुका लेती है. रमेश पायल को देखते हुए धोती पर से अपने लंड को मसलने लगते हैं. जब पायल की नज़र पड़ती है तो वो छत की दीवार से लग कर बैठ जाती है और दोनों घुटनों को मोड़ के अपने सीने से लगा लेती है. निचे उसकी स्कर्ट घुटनों के ऊपर चढ़ जाती है और जांघो के बीच उसकी बालोवाली बूर दिखने लगते है. जांघे आपस में चिपकी होने की वजह से पायल की बूर के ओंठ चिपके हुए है. रमेश जब ये नज़ारा देखते है तो उनका लंड फुंकार मारने लगता है. खाट पर बैठे हुए रमेश अपनी धोती को ऊपर से हटाते है तो उनका गंधे जैसा लंड दिखने लगता है. पायल जब पापा के मोटे लंड को देखती है तो वो अपने ओंठो को काटते हुए टाँगे फैला देती है. टांगों के फैलते ही पायल की बूर के ओंठ भी खुल जाते है और अन्दर का गुलाबी हिस्सा साफ़-साफ़ दिखने लगता है. अपनी बेटी की कुवांरी बूर देख कर रमेश का लंड २-३ झटके खाता है और मोटे टोपे से एक बड़ी सी बूँद लार का रूप ले कर ज़मीन पर गिरने लगती है. पायल बड़े गौर से पापा के लंड से गिरती उस लार को देखती है. जैसे ही वो लार ज़मीन से टकराती है, पायल घुटनों पर हाथ रख कर अपनी टाँगे पूरी फैला देती है. घने बालों के बीच पायल की खुली हुई गुलाबी बूर देखते ही रमेश के होश उड़ जाते है. लंड को पकड़ कर रमेश उसकी चमड़ी को पूरी पीछे खींच देते है तो मोटा टोपा पूरा खुल के बाहर निकल आता है. अपने पापा के लंड का मोटा और लाल-लाल टोपा देख कर पायल बैठे हुए अपनी जीभ निकाल कर टोपे को देखते हुए हवा में घुमाने लगती है. रमेश भी अपने लंड को पकड़ कर ऐसे हिलाते है जैसे पायल की जीभ पर रगड़ रहे हों. उर्मिला ने पहले ही पायल के बदन में आग लगा राखी थी. अब पापा के लंड ने तो पायल के बदन में शोले भड़का दिए थे. मस्ती में पायल निचे से अपनी टॉप उठा के पापा को अपने मोटे दूध दिखा देती है. रमेश जब पायल के मोटे दूध देखते है तो वो अपने ओठों को किसी चिड़ियाँ की चोंच की तरह बना कर दूध चूसने का इशारा करते है. ये देख कर पायल सीने को झटके देते हुए उच्छालने लगती है. हर झटके पर पायल के दोनों दूध उच्छल-उच्छल कर उसके सीने से टकराने लगते है.

रमेश से अब रहा नहीं जाता है. वो एक नज़र यहाँ-वहां देखते है और लंड को धोती से ढके खड़े खड़े हो जाते है. पायल को नशीली आँखों से घूरते हुए वो पायल की तरफ बढ़ने लगते है. पायल के सामने खड़े हो कर वो निचे बैठी पायल की आँखों में देखते है. पायल निचे बैठी हुई छत की दीवार से टिकी हुई है. उसके दूध टॉप के निचे से बाहर है और पैर फैले हुए है. पायल भी पापा की आँखों में देखते हुए तेज़ साँसे ले रही है. रमेश जैसे ही आगे बढ़ते है, सामने वाली छत पर उनके पडोसी शर्मा जी आ जाते है. रमेश शर्मा जी को देखते ही घबरा जाते है. हालांकी पायल रमेश के सामने दीवार के निचे बैठी है और शर्माजी सामने वाली छत पर खड़े है पर फिर भी उनके अचानक आ जाने से रमेश हडबडा जाते है. रमेश को देख कर शर्मा जी कहते है.

शर्मा जी : अरे रमेश जी..!! क्या हाल है? आज कल दिखाई नहीं देते? टहलने भी नहीं आते? तबियत तो ठीक है ना?

शर्मा जी की बात सुन कर रमेश दीवार की तरफ थोडा आगे बढ़ जाते है और बात करने लगते है. रमेश के दोनों पैर पायल की कमर के इर्द-गिर्द है और धोती के निचे से उनका मोटा लंड पायल के सर के ठीक ऊपर लटक रहा है.

रमेश : हाँ हाँ शर्मा जी सब ठीक है. बस आजकल मैं छत पर ही टहल लिया करता हूँ. यहाँ धुल-मिटटी भी नहीं होती है और किसी गाड़ी का खतरा भी नहीं होता.

निचे पापा और शर्मा जी की बातों पर जरा भी ध्यान न देते हुए पायल का पूरा ध्यान उसके सर के ऊपर लटक रहे पापा के लंड पर था जिसे वो बड़े ही गौर से देख रही थी.

शर्मा जी : चलिए...ये भी ठीक है. और घर में सब ठीक है?

रमेश : जी शर्मा जी...सब बढ़िया है.

निचे पायल पापा के लंड को देखती है और धीरे से अपनी नाक लंड के टोपे के पास ले जा कर सूंघ लेती है. लंड की तेज़ गंद सूंघते ही पायल को जैसे नशा सा चढ़ जाता है.

शर्मा जी : और पायल बिटिया तो अब कॉलेज जाने लगी है ना?

रमेश : हाँ शर्मा जी. कुछ महीने पहले ही दाखिला लिया था.

शर्मा जी : बड़ी संस्कारी और समझदार बच्ची है पायल रमेश जी. मैं तो कहता हूँ की भगवान ऐसी बेटी हर बाप को दे.

शर्मा जी की बात का जवाब देने के लिए रमेश जैसे ही मुहँ खोलने जाते है, उनका मुहँ खुला का खुला ही रह जाता है. खुले मुहँ से वो नज़रे नीची कर के देखते है तो उनकी टांगो के निचे बैठी पायल अपनी जीभ निकाल कर लंड के टोपे को चाट रही है. अभी-अभी शर्मा जी जिस बेटी की तारीफ़ करते हुए संस्कारी कह रहे थे कर रहे थे वही बेटी संस्कार के पिछवाड़े पर लात मारते हुए अपने सगे बाप के लंड को चाट रही थी. रमेश जब ये देखते है तो उनका दिमाग काम करना बंद कर देता है. लंड के टोपे पर घुमती बेटी की जीभ और सामने उनके पडोसी शर्मा जी. रमेश समझ नहीं पा रहे थे की मजा लें या बात का जवाब दें. तभी उनके कानो में शर्मा जी की आवाज़ सुनाई पड़ती है.

शर्मा जी : अरे कहाँ खो गए रमेश जी ?

शर्मा जी की बात सुनते ही रमेश को होश आता है. वो अपने आप को संभालते हुए कहते है.

रमेश : जी...जी शर्मा जी....पायल बड़ी संस्कारी लड़की है.

शर्मा जी : देखिएगा रमेश जी, एक दिन पायल आपका नाम जरुर रोशन करेगी.

पायल नीचे बैठी अपने पापा के लंड के टोपे को अपने मुहँ में भरे लोलीपोप की तरह चूसते हुए बाप का नाम रोशन कर रही थी. एक हाथ से पापा के लंड को पकड़ के पायल चमड़ी को बार-बार पीछे खींचते हुए टोपे को मुहँ में ठूंसने की कोशिश कर रही थी. छत की दीवार के पीछे खड़े रमेश अपने घुटनों को हल्का सा मोड़ के थोडा निचे हो जाते है तो उनका लंड पायल के मुहँ के सीध में आ जाता है. छत की दीवार रमेश की कमर से थोड़ी ऊपर है इस लिए शर्मा जी को अंदाज़ा भी नहीं था की दीवार की उस तरफ क्या गोरखधंदा हो रहा है. रमेश भी अब जोश में अपनी कमर को धीरे से आगे करते हुए पायल के मुहँ में लंड देने लगते है.

छत पर बाप-बेटी लगे हुए थे और निचे उर्मिला रसोई में अपने काम में लगी हुई थी. उमा को ड्राइंग रूम में ना पाकर वो उनके कमरे के पास पहुँच जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो उमा सर पर हाथ रखे आँखे बंद किये लेती हुई है. उमा को इस तरह से लेता हुआ देख उर्मिला कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ मम्मी जी? आपकी तबियत तो ठीक है ना?

उर्मिला की आवाज़ सुन कर उमा आँखे खोलती है.

उमा : कुछ नहीं बहु. कल रात नींद आ गई थी फिर अचानक से नींद खुल गई. रात भर गाड़ी की चिंता में मुझे ठीक से नींद नहीं आई. बस थोडा सा सर दुःख रहा था.

उर्मिला : सॉरी मम्मी जी. मुझे रात में ही आपको बता देना चाहिए थे की गाड़ी आ गई है. मुझे लगा आप सब सो रहे होंगे इसलिए मैंने सोचा की सुबह बता दूंगी.

उमा : कोई बात नहीं बहु. तुमने ठीक ही किया.

उर्मिला : आपका सर दबा दूँ मम्मी जी?

उमा : अरे नहीं बहु. मुझे तो अब नींद ही आ रही है. मैं सो जाउंगी. तू बस लल्ला को चाय दे कर उठा दे. अब उसका स्कूल भी खुलने वाला है तो अब जल्दी उठने की आदत डालनी पड़ेगी उसे.

उर्मिला : जी मम्मी जी. मैं अभी उसे चाय दे कर उठा देती हूँ.

उमा : ठीक है बहु. और जाते हुए दरवाज़ा लगा देना.

उर्मिला कमरे का दरवाज़ा लगा कर रसोई में आती है. एक कप में चाय डाल कर वो धीरे-धीरे सोनू के कमरे की तरफ बढ़ने लगती है.

वहां छत पर रमेश शर्मा जी से बाते करते हुए अपनी कमर आगे पीछे कर रहे थे और पायल के मुहँ में लंड पेल रहे थे. बीच-बीच में पायल पापा का लंड मुहँ से निकाल कर उसे बड़े गौर से देखती. अपनी जीभ से मोटे टोपे को चाट कर वो फिर से लंड मुहँ में भर लेती और रमेश कमर हिला कर उसकी मुहँ चुदाई करने लगते. सामने शर्मा जी इस बात से अनजान अपनी ही बातों में लगे हुए थे.

शर्मा जी : रमेश जी वो कहते है ना की जब बाप का जूता बेटे के पैरों में आ जाए तो वो बड़ा हो जाता है. ठीक वैसे ही जब माँ की जुती बेटी के पैरों में आ जाये तो वो बड़ी हो जाती है.

शर्मा जी की बात सुन कर रमेश का गन्दा दिमाग कुछ और ही सोचने लगता है. रमेश अपने आप से कहते है, "माँ की जुती का तो पता नहीं लेकिन जब बाप का लंड बेटी की बूर में पूरा घुस जाए तो वो जरुर बड़ी हो जाती है". ये सोचते हुए रमेश अपनी कमर को आगे कर पायल के मुहँ पर दबा देते है तो पायल का सर दीवार से सट जाता है और उनका लंड पायल के मुहँ में आधा घुस जाता है. कुछ क्षण वैसे ही आधा लंड पायल के मुहँ में ठूंसे हुए रखने के बाद रमेश अपनी कमर पीछे करते है तो लंड मुहँ से बाहर निकलता है. लंड के बाहर निकलते ही पायल के मुहँ से भी ढेर सारी लार गिरने लगती है. पायल हाथ से पापा के लंड को मसलती है और फिर से मुहँ में ले लेती है. पायल से लंड चुसवाते हुए रमेश शर्मा जी से कहते है.

रमेश : हाँ शर्मा जी . आपने बिलकुल सही कहा. अब मुझे भी लगने लगा है की पायल बेटी बड़ी हो गई है.

ये कह कर रमेश ३-४ बार जोर से कमर हिलाकर पायल का मुहँ चोद देते है.

निचे उर्मिला सोनू के कमरे के अन्दर पहुँच जाती है. सोनू बिस्तर पर अपनी शॉर्ट्स में लंड खड़ा किये सो रहा है. उर्मिला शॉर्ट्स में खड़ा लंड देखती है तो उसकी बूर खुजलाने लगती है. कप को टेबल पर रख वो धीरे से दरवाज़ा बंद कर सोनू के सर के पास आ जाती है. सोनू सीधा लेटे हुए साँसे ले रहा है. सोनू को इस तरह से साँसे लेते देख उर्मिला को मस्ती सूझती है. वो अपनी ब्लाउज के बटन सामने से खोल देती है. बिना ब्रा के उर्मिला के बड़े-बड़े दूध बाहर आ जाते है. वो बिस्तर के पास निचे घुटनों पर बैठ जाती है और अपना एक हाथ उठा के अपनी बालोवाली बगल सोनू की नाक के थोड़ी ऊपर रख देती है. उर्मिला के बगल से निकलती पसीने की वो महक सोनू की नाक तक पहुंचती है तो उसका सर अपने आप ही नींद में ऊपर उठ जाता है और उर्मिला की बगल में उसकी नाक घुस जाती है. ४-५ बार जोर-जोर से साँसे ला कर सोनू उर्मिला की बगल सूंघता है और उसकी आँखे खुल जाती है. उर्मिला को देख कर वो कहता है.

सोनू : भाभी आप?? बाकी सब कहाँ है?

उर्मिला : (अपने दूध सोनू के मुहँ के पास लाते हुए) सब अपने कामो में लगे है. कोई नहीं आएगा. ले जल्दी से चुसना शुरू कर...

उर्मिला की बात सुनकर सोनू उसके दूध को मुहँ में भर कर चूसने लगता है. उर्मिला भी उसके सर के पास बैठ कर अपना दूध दबा-दबा कर उसके मुहँ में देने लगती है. सोनू जब उर्मिला का निप्पल मुहँ में पकड़ कर खींच देता है तो उर्मिला सीसीयाते हुए कहती है.

उर्मिला : सीईईइ...!! धीरे सोनू...दुखता है...

२-३ मिनट तक सोनू से दूध चुसवाने के बाद उर्मिला खड़ी हो जाती है और अपनी साड़ी उठा कर बिस्तर पर चढ़ जाती है. उर्मिला को बिस्तर पर चढ़ता देख सोनू भी अपनी शॉर्ट्स उतार देता है. उसका लंड हवा में लहराता हुआ भाभी की बूर को इशारे करने लगता है. उर्मिला अपनी दोनों टाँगे फैलाए सोनू के लंड पर धीरे-धीरे बैठने लगती है. उसके बूर के ओंठ सोनू के लंड पर फिसलते हुए अपने अन्दर समाने लगते है. कुछ हे क्षण में सोनू का लंड पूरा जड़ तक उर्मिला की बूर में समां जाता है. अपने दोनों हाथों से वो उर्मिला के दोनों दूध को दबाते हुए निचे से लंड की चोट बूर में मारने लगता है. उर्मिला भी मजे से सोनू के लंड पर उच्छलते हुए लंड को बूर में लेने लगती है. बहुत दिनों के बाद सोनू के लंड को उर्मिला की बूर का मजा मिल रहा था. वो पूरे जोश में अपनी कमर उठा-उठा के उसकी बूर चोदने में लग जाता है.

ऊपर छत पर रमेश पायल के मुहँ की चुदाई कर रहे थे. काफी देर से पायल के मुहँ में लंड देने से रमेश का लंड पूरी तरह से तन्ना गया था. अब रमेश से और नहीं रहा जा रहा था. जब पायल ने जोर से रमेश के लंड को चूस लिया तो उनके मुहँ से आवाज़ निकल गई.

रमेश : आह्ह्ह्ह.....!!

शर्मा जी : अरे क्या हुआ रमेश जी?

रमेश : (सँभलते हुए ) अ...वो..कुछ नहीं शर्मा जी. बस घुटनों में थोडा दर्द है.

शर्मा जी : किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लीजिये रमेश जी. अभी ध्यान नहीं दिया तो आगे दिक्कत हो सकती है.

रमेश को अब लगने लगा था की उनका लंड पानी फेक देगा. वो अपने घुटने को पकड़ने का नाटक करते हुए थोडा निचे झुकते है और पायल के मुहँ में तेज़ी से लंड पेलने लगते है. पायल भी समझ जाती है की पापा झड़ने के करीब है तो वो भी अपने मुहँ में वैक्यूम बना लेती है जिससे रमेश के लंड में एक कसाव सा महसूस होता है और २-३ झटको में ही लंड पायल के मुहँ में पानी फेकने लगता है. रमेश आँखे बंद किये "आह्ह्ह्ह...!! की आवाज़ करते हुए पायल के मुहँ में झड़ने लगते है. पायल भी दोनों हाथों से रमेश की गोटियों को पकड़ के दबा देती है तो उनके लंड का बचा हुआ पानी भी पायल के मुहँ में खाली हो जाता है. सामने खड़े शर्मा जी इस बात से अनजान यही समझ रहे थे की रमेश के घुटनों में दर्द हुआ है.

शर्मा जी : अरे रमेश जी...घुटनों का दर्द बढ़ गया है क्या?

निचे पायल पापा के लंड को मुहँ से निकाल कर टोपे को चाट-चाट कर साफ़ करने लगती है.

रमेश : अह्ह्ह्ह...!! बस शर्मा जी...अब दर्द...आह..!! कम हो रहा है...आह..!!

तभी निचे से मिसेज शर्मा की आवाज़ आती है तो शर्मा जी रमेश से कहते है.

शर्मा जी : अच्छा रमेश जी. अपना ख्याल रखिये. अगर किसी भी मदद की आवश्यकता हो तो मुझे जरूर बताइयेगा.

रमेश : आह..! जरुर शर्मा जी...

शर्मा जी के जाते ही रमेश निचे पायल को देखते है. वो उनका लंड पकडे मुस्कुरा रही है. रमेश भी उसे देख कर मुकुराते हुए कहते है.

रमेश : मेरी पायल बिटिया ने पापा की पिचकारी पूरी खाली कर दी.

पायल : पापा आपकी पिचकारी कितनी भरी हुई थी. पानी से तो मेरा पूरा मुहँ ही भर गया था. पापा आपसे एक बात कहूँ?

रमेश : हाँ मेरी गुडिया रानी...कहो...

पायल रमेश की आँखों में देखती है फिर धीरे से "पापा आई लव यू" बोल कर शरमाते हुए नज़रे झुका लेती है. पायल की इस बात पर रमेश धीरे से उसका चेहरा ऊपर करते है और अपने लंड को धीरे से उसके मुहँ में फिर से डाल देते है. पायल एक बार फिर से पापा के लंड को चूसने लगती है तो रमेश भी धीरे से कहते है.

रमेश : आह...!! पापा लव्ज़ यू टू बेटा.

पापा के लंड को एक बार अच्छे से चूस कर पायल लंड को मुहँ से निकाल देती है तो रमेश अपनी धोती ठीक कर लेते है. पायल भी अपनी टॉप ठीक कर के खड़ी होती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और साथ-साथ छत के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगते है.

निचे सोनू के लंड पर उर्मिला पागलों की तरह उच्छल रही है. सोनू भी मस्ती में भाभी की बूर का मजा ले रहा था की तभी दोनों की उमा की आवाज़ सुनाई देती है.

उमा : बहु...!!

उर्मिला झट से बिस्तर से निचे कूद पड़ती है और दरवाज़े की और देखते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगती है. सोनू भी झट से चादर ओढ़ के दूसरी तरफ घूम कर सोने का नाटक करने लगता है. ब्लाउज के हुक लगा कर उर्मिला पास के टेबल पर रखी किताबों को ठीक करने लगती है. तभी दरवाज़ा खोल कर उमा अन्दर आती है.

उमा : क्या हुआ बहु? ये अब तक सो रहा है?

उर्मिला : अ..हाँ मम्मी जी...अभी उठ ही रहा है. टेबल पर किताबे यहाँ-वहां पड़ी थी तो मैं ठीक करने लगी.

उमा : ओह अच्छा...! लल्ला ...उठा जा बेटा...और कितना सोयेगा.

सोनू : बस मम्मी ५ मिनट में उठ जाऊंगा.

उमा : अच्छा ठीक है. और मत सों जाना. अच्छा उर्मिला अभी-अभी मास्टर जी का फ़ोन आया था. हमने जो ब्लाउज और चोलियाँ दी थी वो ठीक हो गई है. मेरा सर दुःख रहा है तो मैं नहीं जा पाऊँगी. तुम पायल को ले कर चली जाना.

उर्मिला : जी मम्मी जी....

उमा : ठीक है. चल मेरा थोडा सर ही दबा दे. नींद भी आ जाएगी. मास्टर जी के फ़ोन ने नींद ही तोड़ दी.

उदास मन से उर्मिला उमा के साथ वहां से चली जाती है. सोनू भी चैन की सांस लेता है. आज वो पकडे जाने से बाल-बाल बचा था.

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दिन के १०:३० बज रहे है.
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पुराने बाज़ार की एक दूकान के सामने ऑटोरिक्शा आ कर रुकता है. उर्मिला और पायल ऑटोरिक्शा से उतरते हैं. पैसे दे कर उर्मिला पायल के साथ दूकान के अन्दर जाती है. एक छोटी से गली में मास्टर जी की सिलाई की दूकान थी. उमा और घर की सभी लड़कियों के ब्लाउज और चोलियाँ मास्टर जी के यहाँ ही बनती थी. उर्मिला को देख कर मास्टर जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई.

मास्टर जी : अरे उर्मिला बेटी...आओ आओ...

उर्मिला : कैसे हैं आप मास्टर जी...

मास्टर जी : मैं तो ठीक हूँ बेटा...और पायल गुडिया कैसी है?

पायल : मैं भी ठीक हूँ मास्टर जी.

उर्मिला : मास्टर जी वो चोलियाँ और ब्लाउज का काम हो गया?

मास्टर जी : हाँ बेटा हो गया. मैं अभी निकाल देता हूँ.

उर्मिला : मास्टर जी जरा पायल की चोली का भी नाप ले लीजिये. पिछले बार आपने जो चोली सिली थी वो अब इसे टाइट होने लगी है.

मास्टर जी : (हैरानी से) क्या बात कर रही हो बिटिया? वो चोली सिले तो अभी १० दिन भी नहीं हुए और टाइट भी हो गई.

मास्टर जी की बात सुन कर पायल उर्मिला की तरफ देखती है तो दोनों मुस्कुरा देती है.

उर्मिला : जी मास्टर जी... वो चोली अब पायल को टाइट होने लगी है.

उर्मिला की इस बात पर मास्टर जी हैरानी में मोटा चश्मा पहनते हुए पायल के पास आते है.

मास्टर जी : पायल बिटिया, दोंनो हाथों को जरा ऊपर करो.

पायल दोनों हाथों को ऊपर करती है तो मास्टर जी टेप उसके उठे हुए सीने पर लपेट देते है. नाप ले कर वो टेबल पर रखी किताब के पन्नो को पलटने लगते है. एक पन्ने पर आ कर वो रुक जाते है और पायल की चोली का पुराना नाप गौर से देखते है. देखने के बाद वो बड़ी बड़ी आँखों से पायल और उर्मिला को देखने लगते है. मास्टर जी का ऐसा चेहरा देख कर उर्मिला कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ मास्टर जी? आप इतनी हैरानी के साथ क्या देख रहे है?

मास्टर जी : कमाल है बिटिया...! पिछले और अभी के नाप में २ इंच का फर्क है. (अब मास्टर जी टॉप पर से पायल की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखते हुए कहते है) १० दिनों के अन्दर २ इंच से बढ़ जाना मैं पहली बार देख रहा हूँ.

मास्टर जी की बात पर उर्मिला को हंसी आ जाती है. वो मामले को सँभालते हुए कहती है.

उर्मिला : वो क्या हैं ना मास्टर जी, अभी पायल का कॉलेज बंद है और वो सारा दिन घर में ही रहती है. इसके पापा इसे रोज मोटा केला खिला देते है. अब आप ही बताइए की जो लड़की रोज दिन में ३-४ बार मोटा केला खाएगी उसका वजन तो बढेगा ही ना ?

मास्टर जी : हाँ बिटिया. ये बात तो तुमने १६ आने सच कही है. दिन में ३-४ बार मोटा केला खाने से तो ये होना ही है.

मास्टर जी की बात पर पायल और उर्मिला मुहँ पर हाथ रख के हंसने लगती है. तब तक मास्टर जी कपड़ों को एक थैले में डाल कर देते हुए कहते है.

मास्टर जी : लो बिटिया. तुम्हारे कपडे.

उर्मिला मास्टर जी को पैसे देती है और वहां से पायल के साथ निकल जाती है. दुकान से बाहर आ कर पायल कहती है.

पायल : भाभी आपने तो मास्टर जी को चक्कर में ही डाल दिया.

उर्मिला : मास्टर जी को छोड़, पहले ये बता की तेरे दूध इतनी जल्दी २ इंच कैसे बड़े हो गए? बाबूजी से खूब मालिश करवा रही है ना?

उर्मिला की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. फिर धीरे से कहती है.

पायल : हाँ भाभी...!! पर मैं क्या करूँ. जब भी पापा के पास किसी काम से जाओ वो मेरी टॉप में हाथ डाल कर मेरे दूध दबाने लगते है.

उर्मिला : ओहो...तो बाबूजी तेरे दूध दबाने लगते है. और मेरी पायल रानी भी तो बार-बार जाती होगी ना उनके पास काम के बहाने से, अपने दूध दबवाने... बोल जाती है ना?

उर्मिला की बात पर पायल मुस्कुराते हुए नज़रे झुकाये सर हिलाकर हामी भर देती है.

उर्मला : (हँसते हुए) अच्छा चल..अच्छी बात है. ऐसे ही बाबूजी से मालिश करवाया कर तो अच्छे खासे बड़े हो जायेंगे तेरे.

दोनों हँसते हुए आगे जाने लगते है की तभी एक आवाज़ सुन कर उर्मिला के कदम रुक जाते है. वो पीछे मुड़ के देखती है तो सामने छेदी मुस्कुराते हुए खड़ा है.

छेदी : लीजिये मैडम जी..आप फिर मिल गए हमसे...

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) आप कहीं हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं?

छेदी : अजी हमारी इतनी हिम्मत कहाँ की हम आपका पीछा करें. वो तो किस्मत है हमारी जो बार-बार हमे आपसे मिला रही है.

तब तक पायल भी वहां आ जाती है. छेदी पायल को देख कर सलाम ठोकते हुए कहता है.

छेदी : छेदी का आपको भी सलाम मैडम जी...

पायल : (मुस्कुराते हुए) जी नमस्ते..!!

तभी वहां दौड़ती हुई खुशबू आ जाती है. उसके हाथ में २ कुल्फियां है. एक कुल्फी वो मुह में ले कर चूस रही है और दूसरी हाथ में पकडे हुए है. दौड़ते हुए उसके मोटे दूध टॉप में उच्छल रहे है. वो वहां आती है और छेदी से कहती है.

खुशबू : अपनी कुल्फी जल्दी पकडिये भैया नहीं तो पिघल जाएगी.

खुशबू के इस तरह से वहां आ जाने से छेदी थोडा सकपका जाता है. खुशबू के मुहँ से छेदी के लिए 'भैया' सुन कर उर्मिला ये तो समझ जाती है की ये लड़की छेदी की बहन है. पर उसे ये नहीं पता की मुहँ बोली बहन है या सगी. उर्मिला खुशबू को मुस्कुराते हुए ऊपर से निचे देखती है. उसकी उम्र १८-१९ की लग रही थी और जब उर्मिला उसके मोटे-मोटे दूध देखती है तो समझ जाती है की दाल में कुछ काला है.

उर्मिला : ओह ..! तो ये तुम्हारी बहन है.

छेदी : (बनावटी मुस्कान के साथ) जी..जी मैडम जी...ये मेरी बहन है. खुशबू ...मैडम जी को नमस्ते करो.

खुशबू दो अनजान जवान लड़कियों को देख कर हैरानी से छेदी को देखती है फिर पायल और उर्मिला को देख कर नमस्ते करती है.

खुशबू : जी नमस्ते...!!

उर्मिला : (खुशबू के गाल पर हाथ रख कर) बड़ी प्यारी बच्ची है. खुशबू नाम है ना तुम्हारा ?

खुशबू : जी ...

उर्मिला : छेदी भैया तुम्हारे सगे भैया है या...

खुशबू : (उर्मिला की बात काटते हुए) जी सगे भैया ही है.

खुशबू की इस बात पर उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है तो वो नज़रे चुरा कर यहाँ-वहां देखने लगता है. उर्मिला फिर खुशबू को देखती है तो अब भी उसके चेहरे पर कुछ सवाल दिखाई पड़ते है.

उर्मिला : अरे खुशबू, तू सोच रहो होगी की हम तेरे भैया को कैसे जानते है. वो हुआ ये था की कल रात हमारी गाड़ी खराब हो गई थी तो तुम्हारे भैया ने ही हमारी मदद की थी. कल तुम्हारे भैया नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू को थोडा अच्छा लगता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.

खुसबू : ओह अच्छा..!! तो कल रात भैया आप लोगों की ही गाड़ी ठीक कर रहे थे. भैया कल रात बहुत देर से आये थे. बता रहे थे की कुछ गाड़ी का काम निकल आया था.

पायल : भाभी अब यहीं धुप में ही बाते करनी है या कहीं जा कर अराम से बैठ कर बाते करें...

उर्मिला : हाँ भाई चलो...मुझे तो भूक भी लगी है. पास के होटल में चलते है. कुछ खा भी लेंगे और बातें भी हो जाएगी.

छेदी : अरे नहीं मैडम जी. अब हम लोग चलते है.

उर्मिला : ये क्या बात हुई छेदी जी? आपने हमारी इतनी मदद की है और हम आपको ऐसे ही जाने दे? चलिए...होटल में चलते है.

उर्मिला की बात मानते हुए सभी लोग पास के एक होटल में जाते है और पहली मंजिल के ए सी वाले 'फॅमिली टेबल' पर जा कर बैठ जाते है. मेनू से कुछ खाना देख कर उर्मिला आर्डर कर देती है. अब चारों बैठ कर बातें करने लगते है. तभी छेदी की फ़ोन की घंटी बजती है तो वो सब से इज़ाज़त ले कर बाहर चले जाता है. टेबल पर बैठी उर्मिला, पायल और खुशबू अपनी बातें करने लगती है. कुछ ही देर में खुशबू उर्मिला और पायल से घुल मिल जाती है जैसे उन्हें बरसों से जानती हो. उर्मिला और पायल को भी खुशबू बहुत पसंद आती है. हालांकि अगर उनके रहन-सहन और परिवार की बात करें तो खुशबू किसी मामले में उनके बराबर की नहीं थी लेकिन उसका वो भोलापन उर्मिला और पायल को भा जाता है. उर्मिला, पायल और खुशबू के बीच जो सामाजिक उंच-नीच की दीवार थी तो पूरी तरह से ढह चुकी थी. किसी ने सच ही कहा है की जब कोई हमे भा जाता है तो हमे सिर्फ वो इन्सान दिखाई देता है और कुछ नहीं. उर्मिला और पायल को खुशबू उनकी किसी पुरानी सहेली की तरह लग रही थी जो उनके दिल के बहुत करीब हो. खुशबू को भी उर्मिला और पायल से लगाव सा हो चूका था.

तीनो आपस में बातें करते हुए खूब ठहाके लगा रहे थे की तभी छेदी वहां आ जाता है. खुशबू को इस तरह से उर्मिला और पायल से घूल-मिलते देख उसे अच्छा लगता है.

छेदी : अच्छा मैडम जी...अब मुझे चलना होगा. आप लोगों के साथ फिर कभी खाना खा लेंगे...चलो खुशबू...

उर्मिला : अरे अरे..!! आपको जाना हो तो जाइये. खुशबू तो हमारे साथ खाना खा कर ही जाएगी..

छेदी : (आश्चर्य के साथ ) पर मैडम जी, ये...

उर्मिला : ये वो कुछ नहीं छेदी जी. विश्वास करिए. आपकी बहन को सही सलामत हम आपके घर पहुंचा देंगे..

छेदी : अरे मैडम जी ये क्या बोल रही है आप. आप पर तो पूरा विश्वास है.

पायल : तो बस...हो गई बात. अब खुशबू हमारे साथ खाना खा कर ही जाएगी...क्यूँ खुशबू..?

खुशबू : हाँ भैया...आप जाइये. भाभी और पायल दीदी मुझे घर छोड़ देंगी.

खुशबू की बात पर छेदी भी कुछ बोल नहीं पाता है.

छेदी : अच्छा भाई. आप लोग जैसा ठीक समझे. लेकिन खुशबू ३ बजे से पहले घर आ जाना. ठीक है ना?

खुशबू : ठीक है भैया मैं ३ से पहले घर आ जाउंगी.

उर्मिला और पायल से विदा ले कर छेदी वहां से चला जाता है. उसके जाने के बाद तीनो आपस में बातें करने लगते है. कुछ देर बाद उर्मिला खुशबू से कहती है.

उर्मिला : अच्छा खुशबू...एक बात तो बता...

खुशबू : जी भाभी...

उर्मिला : तू अभी १८ साल की है और १२ वीं कक्षा में है. इतनी छोटी से उम्र में तेरे दूध इतने मोटे कैसे हो गए?

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू शर्मा के नज़रे झुका लेती है. उसके गालों पर लाली छा जाती है. उर्मिला अपने हाथ से उसका चेहरा उठा कर कहती है.

उर्मिला : अरे बोल ना.. इसमें शर्माने वाली क्या बात है. हम दोनों भी तो कभी तेरी उम्र की ही थी. हमे तो पता है की लड़कियों के दूध मोटे कैसे हो जाते है. बोल...कौन हाथ फेर रहा है इन पर? तेरी क्लास का कोई लड़का है क्या?

खुशबू शरमाते हुए फिर से नज़रे झुका लेती है और सर हिला कर 'ना' का इशारा करती है.

उर्मिला : (सोचते हुए) उम्म..!! फिर तो तेरे पड़ोस का कोई लड़का होगा. हैं ना?

खुशबू फिर से शर्माते हुए नज़रे झुका लेती है और सर हिला कर 'ना' कर देती है.

उर्मिला : तो..तो वो कहीं तेरे भैया.....(इतना कह कर उर्मिला बड़ी-बड़ी आँखे कर खुशबू को देखने लगती है)

खुशबू शर्माते हुए एक बार भाभी को देखती है फिर मुस्कुरा कर दोनों हाथो में अपना चेहरा छुपा लेती है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को बड़ी-बड़ी आँखे कर के देखते है फिर मुस्कुरा देते है. उर्मिला खुशबू के हाथो को उसके चेहरे से हटा देती है और कहती है.

खुशबू : तो इसमें इतना शर्माने वाली क्या बात है. छेदी भैया हैं तेरे. भाई-बहन के बीच तो ये सब चलता ही है.

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू की शर्म थोड़ी कम हो जाती है. उसे भी लगने लगता है की उर्मिला और पायल के सामने अगर वो इस बारें में बात करे तो बदनामी का डर नहीं है.

खुशबू : सच भाभी? ये गलत तो नहीं है ना?

उर्मिला : पगली...कोई गलत बात नहीं है. अब मुझे और पायल को ही देख. इसके पापा यानी मेरे ससुर जी हम दोनों के दूध दिन भर मसलते रहते है. अब घर के मर्द घर की लड़कियों और औरतों के दूध नहीं मसलेंगे तो क्या कोई बाहर वाला आ कर मसलेगा ? क्यूँ पायल ?

पायल : और नहीं तो क्या भाभी. बदनामी का डर तो बाहर वालों के साथ रहता है. घर में किस बदनामी का डर?

खुशबू : हाँ पायल दीदी. छेदी भैया भी येही कहते है. लड़कियों को घर में ही ये सब कर लेना चाहिए. लड़कियां बाहर मुहँ मारेगी तो बदनामी हो जाएगी.

उर्मिला : बिलकुल ठीक कहते है तेरे भैया. तो खुशबू तेरे भैया सिर्फ तेरे दूध ही दबाते है या कुछ और भी करते है.

खुशबू अब पूरी तरह से खुल चुकी थी. १८ साल की मासूम लड़की, आज ऐसे दो लड़कियों से मिल रही थी जिनकी नज़र में ये सब पाप नहीं बल्कि पुण्य था. वो अब एक खुली किताब बन चुकी थी.

खुशबू : भैया मेरे दूध तो बहुत पहले से दबा रहे थे. अब तो वो मेरे साथ सब कुछ करते है.

उर्मिला : (उत्साहित हो कर) जरा खुल के बता ना खुशबू. यहाँ हम तीनो के अलवा और कोई नहीं है और हम तीनो एक जैसी ही है.

उर्मिला की इस बात पर तीनो जोर-जोर से हंसने लगती है. फिर खुशबू आगे कहती है.

खुशबू : क्या बताऊँ भाभी. भैया तो हमेशा ही मेरी बूर चोदने के चक्कर में रहते है. माँ को हर वक़्त किसी ना किसी बहाने से यहाँ-वहां ३-४ दिनों के लिए भेज देते है और फिर मेरी खूब बूर चुदाई करते है.

खुशबू की बात सुन कर उर्मिला और पायल की आँखे बड़ी और मुहँ खुला का खुला रह जाता है.

पायल : बापरे खुशबू...!! और जब माँ घर पर होती है तब क्या करते है तेरे भैया?

खुशबू : रात में जब माँ सो जाती है तो भैया देर रात कमरे में आ कर मुझे चुपके से जगा देते है और मुझे बाहर ले आते है. फिर कभी रसोई में तो कभी बाथरूम में तो कभी सोफे के पीछे मेरी पटक-पटक के लेते है.

उर्मिला : उफ़ खुशबू...!! तू अपने भैया का पूरा लेती है क्या?

खुशबू : हाँ भाभी...पहले तकलीफ होती थी पर अब तो भैया जब पूरा घुसा देते है तो बड़ा मजा आता है.

उर्मिला : तो क्या तेरे भैया आज तुझे ३ बजे इसलिए घर आने कह रहे थे की तेरी चुदाई कर सके?

खुशबू : हाँ भाभी. आज ६ बजे माँ आ जाएगी. तो भैया माँ के आने से पहले मुझे २-३ घंटे अच्छे से चोदेंगे.

उर्मिला : हाय खुशबू..!! तेरी बात सुन कर तो बदन में गर्मी चढ़ गई. लगता है घर जा कर बाबूजी के लंड से ही आग बुझानी पड़ेगी.

खुशबू : पायल दीदी आप भी पापा के लंड से अपनी बूर की आग बुझाओगे ना?

उर्मिला : नहीं रे खुशबू. इसकी तो अभी सील भी नही टूटी है. बेचारी कब से अपने पापा से सील तुड़वाने के चक्कर में है.

खुशबू : सच पायल दीदी? आपकी जवानी अब भी सील पैक है?

पायल : हाँ खुशबू. एक बार पापा ने कोशिश की थी लेकिन मुझे दर्द हुआ तो उन्होंने छोड़ दिया.

खुशबू : हाँ पायल दीदी. पहली बार तो थोडा दर्द होता ही है पर एक बार सील टूट गई और लंड अन्दर चला गया तो मजा भी बहुत आता है.

उर्मिला : मैं भी तो कब से इसे येही समझा रही हूँ.

पायल : भाभी अब तो मैं भी पापा का लंड अपनी बूर में लेने के लिए तड़प रही हूँ. आप करिए ना कोई उपाय.

उर्मिला : हाँ बाबा करती हूँ कुछ. अच्छा खुशबू तू मुझे और पायल को अपना नंबर दे दे. जब बात करनी हो तो हम एक दुसरे को कॉल कर लिया करेंगे.

खुशबू भी ख़ुशी-ख़ुशी अपना नंबर दे देती है. तभी खाना भी आ जाता है और तीनो बातें करते हुए खाने लगते है. खाना ख़तम कर के तीनो होटल से बाहर आते है और एक ऑटोरिक्शा में बैठ कर खुशबू के बताये पते पर जाने लगते है. ऑटोरिक्शा में बैठे हुए पायल खुशबू को देखती है. उसकी १८ साली की जवानी जो वो हर रोज अपने भैया से खुल कर लुटवाती है, पायल को अपने पापा से चुदने की प्रेरणा दे रही थी. वो खुशबू को अब अपनी एक पक्की सहेली के रूप में देख रही थी. उर्मिला भी पायल के दिल की बात भांप लेती है. पायल को एक नयी और अच्छी सहेली मिल जाने पर उर्मिला भी बहुत खुश होती है.

(समय की कमी का कारन मैं कुछ शब्धों को ठीक नहीं कर पाई. कोई गलती हो तो क्षमा करियेगा)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 
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sharaabi

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Bahut hi mastti bhara update
 
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19raj81

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Mastrani Ji sach me tan man mast kar diya aapane
Kya mast update diya
Lajabab, shandar....
Ese hi hame mast karate rahiyega...
 
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Sarita

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हमेशा की तरह लाजवाब अकल्पनीय अध्भुत,सारे पात्र एक दूसरे के करीब आ रहे हैं अच्छा लगा
जैसे पहले भी लिखा मेरे पास शब्द कम पड़ जाते हैं "मस्तरानी जी"
 

Lucky-the-racer

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अपडेट २७ : (संपूर्ण)

" पायल रानी चिकन-चाकन, फल-फुल सब खाये,
पापा न मिले तो फिर केले से काम चलाये....!!,
बोलो हई रे .... हई रे .....हई हाsss......!! "

उर्मिला पायल के साथ छत पर अमरुद की टहनी के निचे बैठी उसे होली के गीत गा कर छेड़ रही थी. सुबह के ९ बज रहे थे और गाड़ी वापस आ जाने से घर में शांति थी. बाबूजी किसी काम से बाज़ार चले गए थे और उमा भी टीवी में लगी हुई थी. सोनू अब भी सो रहा था. ऐसे में भाभी और ननद को कुछ वक़्त साथ बिताने का मौका मिल गया था.

उर्मिला ने जो होली का गीत गाया था उसे सुन कर पायल की पैन्टी में चुलबुल मचने लगी थी. उर्मिला अच्छे से जानती थी की पायल को सिर्फ एक चुंटी काटने की जरुरत होती है. उसकी जवानी में ऐसी आग लगी है की बस थोड़ी से हवा दे दो और वो धूं-धूं कर के जलने लगती है. पापा और पायल पर उर्मिला के इस होली के गीत ने हवा का काम करते हुए पायल की जवानी की आग फिर से भड़का दी थी. वो मुस्कुराते हुए नखरे वाले अंदाज़ में कहती है.

पायल : (नखरे से मुस्कुराते हुए) धत्त भाभी...!! आप ऐसे ही हमेश मुझे छेड़ती रहती हो. जब पापा है तो मैं केले से काम क्यूँ चलाऊँगी ?

उर्मिला : तू तो ऐसे कह रही है जैसे रोज पापा का लंड बुर में ले कर सोती है.

पायल : अभी ले कर नहीं सोती तो क्या हुआ? जब मिलेगा तब ले लुंगी लेकिन केले से काम नहीं चलाऊँगी.

उर्मिला : मेरी भोली पायल तो कुछ जानती ही नहीं. अरे...!! केले और मोटे बैगन तो न जाने कितनी लड़कियों और औरतों का सहारा होते है. मैं जब कॉलेज में थी तो हम सब सहेलियां केले और बैगन को 'बी . एस . वाई (B.S.Y)' कहते थे.

पायल : (आश्चर्यचकित होते हुए) बी . एस . वाई ...?? ये क्या होता है भाभी ?

उर्मिला : (हँसते हुए) पगली तुझे 'B.S.Y' नहीं पता? कॉलेज में क्या सिर्फ पढ़ने जाती है? B.S.Y का मतलब होता है 'बूर शंतुष्टि यंत्र'.

उर्मिला की बात सुन कर पायल को हंसी आ जाती है और उसे अपनी भाभी पर गर्व भी महसूस होता है की वो कितनी खुले विचारों वाली है.

पायल : (हँसते हुए) हा हा हा हा भाभी....!! सच में. कॉलेज की लाइफ तो आपने पूरी एन्जॉय की है. फिर तो ये B.S.Y सारे कॉलेज में सबको पता होगा?

उर्मिला : सभी को नहीं. ये हमारे ग्रुप की लड़कियों का कोड था. हम तो खुले आम इस कोड का इस्तेमाल करते थे. हमे पता होता था की किसी न किसी के पास तो केला या बैगन होगा ही. जब भी किसी लड़की की बूर में खुजली होती वो सबके सामने ही पूछ लेती की किसी के पास B.S.Y है क्या ?

पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) पर भाभी ये बात कोई समझ नहीं पता था क्या?

उर्मिला : (हँसते हुए) मजे की बात तो ये थी पायल की जो नहीं जानते थे की B.S.Y क्या है उन्हें लगता था की हम लोग एक दुसरे से 'सेनेटरी पैड' मांग रही है और फिर जब हम वाशरूम चली जाती थी तो सबको लगता था की पैड बदलने जा रही है. और असल में वाशरूम में तो हम जम कर केले और बैगन चला कर आती थी.

उर्मिला की बात सुन कर पायल को अपनी कॉलेज की लाइफ बहुत ही नीरस सी लगने लगती है. उसका दिल करता है की काश वो भी भाभी के उस ग्रुप का हिस्सा होती.

पायल : भाभी आपका ग्रुप तो बड़ा मजेदार था.

उर्मिला : मजेदार...? एकदम धमाकेदार ग्रुप था. किसीका मुहँ बोले भाई के साथ चक्कर था तो किसी का अपने सगे भाई के साथ. कोई अपने चाचा-मामा के साथ फंसी थी तो कोई अपने ही पापा से. सब एक से बढ़कर एक कामिनी लडकियाँ थी.

पायल : (बड़ी-बड़ी आँखों से ) बापरे भाभी..!! अपने ही सगे भाई और पापा से भी?

उर्मिला : और नहीं तो क्या? मेरी जो सबसे पक्की सहेली थी, कंचन, उसका चक्कर तो अपने ही पापा के साथ था. कॉलेज के बाद जब हम हॉस्टल आते तो मैडम कमरे में जा कर नंगी हो कर बिस्तर पर टाँगे फैला कर अराम से बैठ जाती और बूर में ऊँगली करते हुए घंटो अपने पापा से फ़ोन पर बात किया करती.

उर्मिला की इस बात पर पायल की बूर में पानी आने लगता है. वो बड़ी-बड़ी आँखे और खुले हुए मुहँ से उर्मिल को देखते हुए कहती है.

पायल : बाप रे भाभी....इतनी गर्मी थी क्या कंचन की बूर में?

उर्मिला : हाँ पायल...बहुत गर्मी थी. अपने पापा से फ़ोन पर बात करते हुए कंचन इतनी गरम हो जाती थी की कई बार मुझे उसकी बूर में मोटा बैगन देना पड़ जाता था. अपने पापा से बात करते हुए जब बूर में मोटा बैगन जाता था तब जा कर कंचन को चैन मिलता था.

पायल : उफ़ भाभी...!!

उर्मिला : क्या हुआ पायल रानी?

पायल झेंप जाती है और बात बदलते हुए कहती है.

पायल : कुछ नहीं भाभी. वैसे आप होली के गीत बहुत अच्छा गाती है भाभी. इस होली में भी आपने कितने अच्छे-अच्छे गीत गाये थे.

उर्मिला : हम्म..!! होली में मेरे गाये गीत याद है और तेरे साथ क्या हुआ था वो भूल गई?

पायल : (मुहँ बनाते हुए) मेरे साथ ? क्या हुआ था मेरे साथ भाभी?

उर्मिला : ओहो ...!! देखो तो इस भोली लड़की के चेहरे को? जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं. तेरे मोटे-मोटे दूध पर जो बड़े-बड़े पंजो के रंग के निशान थे, भूल गई?

उर्मिला की बात सुन कर पायल थोड़ा शर्मा जाती है. फिर मुस्कुराते हुए कहती है.

पायल : होली का दिन था ना भाभी. लगा दिया होगा किसी ने....

उर्मिला : हाँ हाँ .... जैसे तुझे पता ही नहीं था की कौन लगा रहा है. घर के पिछवाड़े बाबूजी को तेरी टॉप में हाथ डाल कर तेरे मोटे दूधों पर रंग मलते मैंने देख लिया था पायल.....

अपनी चोरी पकड़ी जाने पर पायल शर्मा जाती है और मुस्कुराते हुए धीरे से कहती है.

पायल : होली वाले दिन तो पापा भांग के नशे में थे न भाभी.

उर्मिला : बाबूजी नशे में थे पर तू तो होश में थी ना? खड़े-खड़े अपने मोटे दूध मसलवा रही थी. भाग क्यूँ नहीं गई वहाँ से ? बोल ?

उर्मिला की बात सुन कर पायल अपना चेहरा उर्मिला के सीने में छुपा लेती है.

पायल : (चेहरा उर्मिला के सीने में छुपाते हुए) धत्त भाभी...!!

उर्मिला पायल के मोटे दूध को एक हाथ से दबाते हुए कहती है.

उर्मिला : सच बता पायल...मजा आ रहा था ना?

पायल : (धीरे से ) हाँ भाभी....पर उस वक़्त तक मैं पापा के लिए ऐसा-वैसा कुछ भी नहीं सोचती थी.

उर्मिला : जानती हूँ रे. पर अब तो तू तैयार है ना?

पायल : हाँ भाभी...अब तो मैं पूरी तैयार हूँ...

दोनों भाभी-ननद हंसी मजाक में लगे हुए थे. कुछ पुरानी, कुछ नई बातों को याद करते हुए दोनों मजे से अमरुद की टहनी की के नीचे बैठे हुए थे. तभी उन्हें सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. दोनों का ध्यान छत के दरवाज़े की ओर चला जाता है. कुछ ही क्षण में दरवाज़े पर बाबूजी धोती और कुरते में चलते हुए आते है. बाबूजी को देखते ही पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है. रमेश भी धीरे-धीरे चलते हुए थोड़ी दूर पर राखी अपनी खाट पर बैठ जाते है.

रमेश : क्या चल रहा है भाभी और ननद के बीच ?

उर्मिला : (हँसते हुए) कुछ नहीं बाबूजी....बस ऐसे ही बैठे हुए होली की बातें याद कर रहे थे.

रमेश : (हँसते हुए) हा हा हा.... हाँ बहु. इस बार होली में बड़ा मजा आया था.

उर्मिला : लेकिन बाबूजी, पायल जितना मजा तो किसी और को आया ही नहीं होगा.

रमेश : (आश्चर्य से ) ऐसा क्यूँ भाई? सभी ने तो मजे से होली खेली थी? फिर पायल को सबसे ज्यादा मजा किस बात का आ गया?

उर्मिला : वो बात ऐसी है ना बाबूजी की होली वाले दिन किसी ने घर के पिछवाड़े पायल की टॉप में हाथ डाल कर उसके मोटे दूध दबोच कर रंग लगा दिया था. पायल बता रही थी की उसे बड़ा मजा आया था.

उर्मिल की बात सुन कर पायल धीरे से भाभी की चुतड में चुंटी काट लेती है. बाबूजी भी उर्मिला की बात सुन कर सकपका जाते है. वो जानते है की उर्मिला जिस की बात कर रही थी वो और कोई नहीं खुद बाबूजी ही थे. हालांकी अब उनके और पायल का रिश्ता एक अलग ही मोड़ ले चूका था पर ये उस वक़्त की बात थी जब दोनों के बीच बाप-बेटी का एक पवित्र रिश्ता हुआ करता था. पायल की तरह रमेश भी उस घटना को दबाने की कोशिश करते है.

रमेश : अरे बहु...अब होली में तो कुछ लोग ऐसी बदमाशियाँ करते ही है. होगा कोई बदमाश....

उर्मिला : (बाबूजी को देखते हुए) बाबूजी मैंने तो उस बदमाश को अच्छे से देखा था. बिलकुल आप ही की तरह दिख रहा था.

उर्मिला की बात पर पायल को हंसी आ जाती है. वो हाथो से अपना मुहँ दबा कर हंसने लगती है. बाबूजी भी समझ जाते है की को पकडे गए है तो वो भी हँस देते है. उर्मिला भी हँसते हुए कहती है.

उर्मिला : अच्छा बाबूजी मैं अब निचे चलती हूँ. आप बाप-बेटी थोड़ी बातें कर लीजिये.

उर्मिला बाबूजी और पायल को देख कर मुस्कुराता देती है और छत के दरवाज़े की ओर जाने लगती है. उर्मिला जाते हुए छत का दरवाज़ा लगा देती है. उसके जाते ही रमेश खाट पर बैठे हुए पायल को देखते है. पायल भी पापा को देखती है तो शर्मा के नज़रे झुका लेती है. रमेश पायल को देखते हुए धोती पर से अपने लंड को मसलने लगते हैं. जब पायल की नज़र पड़ती है तो वो छत की दीवार से लग कर बैठ जाती है और दोनों घुटनों को मोड़ के अपने सीने से लगा लेती है. निचे उसकी स्कर्ट घुटनों के ऊपर चढ़ जाती है और जांघो के बीच उसकी बालोवाली बूर दिखने लगते है. जांघे आपस में चिपकी होने की वजह से पायल की बूर के ओंठ चिपके हुए है. रमेश जब ये नज़ारा देखते है तो उनका लंड फुंकार मारने लगता है. खाट पर बैठे हुए रमेश अपनी धोती को ऊपर से हटाते है तो उनका गंधे जैसा लंड दिखने लगता है. पायल जब पापा के मोटे लंड को देखती है तो वो अपने ओंठो को काटते हुए टाँगे फैला देती है. टांगों के फैलते ही पायल की बूर के ओंठ भी खुल जाते है और अन्दर का गुलाबी हिस्सा साफ़-साफ़ दिखने लगता है. अपनी बेटी की कुवांरी बूर देख कर रमेश का लंड २-३ झटके खाता है और मोटे टोपे से एक बड़ी सी बूँद लार का रूप ले कर ज़मीन पर गिरने लगती है. पायल बड़े गौर से पापा के लंड से गिरती उस लार को देखती है. जैसे ही वो लार ज़मीन से टकराती है, पायल घुटनों पर हाथ रख कर अपनी टाँगे पूरी फैला देती है. घने बालों के बीच पायल की खुली हुई गुलाबी बूर देखते ही रमेश के होश उड़ जाते है. लंड को पकड़ कर रमेश उसकी चमड़ी को पूरी पीछे खींच देते है तो मोटा टोपा पूरा खुल के बाहर निकल आता है. अपने पापा के लंड का मोटा और लाल-लाल टोपा देख कर पायल बैठे हुए अपनी जीभ निकाल कर टोपे को देखते हुए हवा में घुमाने लगती है. रमेश भी अपने लंड को पकड़ कर ऐसे हिलाते है जैसे पायल की जीभ पर रगड़ रहे हों. उर्मिला ने पहले ही पायल के बदन में आग लगा राखी थी. अब पापा के लंड ने तो पायल के बदन में शोले भड़का दिए थे. मस्ती में पायल निचे से अपनी टॉप उठा के पापा को अपने मोटे दूध दिखा देती है. रमेश जब पायल के मोटे दूध देखते है तो वो अपने ओठों को किसी चिड़ियाँ की चोंच की तरह बना कर दूध चूसने का इशारा करते है. ये देख कर पायल सीने को झटके देते हुए उच्छालने लगती है. हर झटके पर पायल के दोनों दूध उच्छल-उच्छल कर उसके सीने से टकराने लगते है.

रमेश से अब रहा नहीं जाता है. वो एक नज़र यहाँ-वहां देखते है और लंड को धोती से ढके खड़े खड़े हो जाते है. पायल को नशीली आँखों से घूरते हुए वो पायल की तरफ बढ़ने लगते है. पायल के सामने खड़े हो कर वो निचे बैठी पायल की आँखों में देखते है. पायल निचे बैठी हुई छत की दीवार से टिकी हुई है. उसके दूध टॉप के निचे से बाहर है और पैर फैले हुए है. पायल भी पापा की आँखों में देखते हुए तेज़ साँसे ले रही है. रमेश जैसे ही आगे बढ़ते है, सामने वाली छत पर उनके पडोसी शर्मा जी आ जाते है. रमेश शर्मा जी को देखते ही घबरा जाते है. हालांकी पायल रमेश के सामने दीवार के निचे बैठी है और शर्माजी सामने वाली छत पर खड़े है पर फिर भी उनके अचानक आ जाने से रमेश हडबडा जाते है. रमेश को देख कर शर्मा जी कहते है.

शर्मा जी : अरे रमेश जी..!! क्या हाल है? आज कल दिखाई नहीं देते? टहलने भी नहीं आते? तबियत तो ठीक है ना?

शर्मा जी की बात सुन कर रमेश दीवार की तरफ थोडा आगे बढ़ जाते है और बात करने लगते है. रमेश के दोनों पैर पायल की कमर के इर्द-गिर्द है और धोती के निचे से उनका मोटा लंड पायल के सर के ठीक ऊपर लटक रहा है.

रमेश : हाँ हाँ शर्मा जी सब ठीक है. बस आजकल मैं छत पर ही टहल लिया करता हूँ. यहाँ धुल-मिटटी भी नहीं होती है और किसी गाड़ी का खतरा भी नहीं होता.

निचे पापा और शर्मा जी की बातों पर जरा भी ध्यान न देते हुए पायल का पूरा ध्यान उसके सर के ऊपर लटक रहे पापा के लंड पर था जिसे वो बड़े ही गौर से देख रही थी.

शर्मा जी : चलिए...ये भी ठीक है. और घर में सब ठीक है?

रमेश : जी शर्मा जी...सब बढ़िया है.

निचे पायल पापा के लंड को देखती है और धीरे से अपनी नाक लंड के टोपे के पास ले जा कर सूंघ लेती है. लंड की तेज़ गंद सूंघते ही पायल को जैसे नशा सा चढ़ जाता है.

शर्मा जी : और पायल बिटिया तो अब कॉलेज जाने लगी है ना?

रमेश : हाँ शर्मा जी. कुछ महीने पहले ही दाखिला लिया था.

शर्मा जी : बड़ी संस्कारी और समझदार बच्ची है पायल रमेश जी. मैं तो कहता हूँ की भगवान ऐसी बेटी हर बाप को दे.

शर्मा जी की बात का जवाब देने के लिए रमेश जैसे ही मुहँ खोलने जाते है, उनका मुहँ खुला का खुला ही रह जाता है. खुले मुहँ से वो नज़रे नीची कर के देखते है तो उनकी टांगो के निचे बैठी पायल अपनी जीभ निकाल कर लंड के टोपे को चाट रही है. अभी-अभी शर्मा जी जिस बेटी की तारीफ़ करते हुए संस्कारी कह रहे थे कर रहे थे वही बेटी संस्कार के पिछवाड़े पर लात मारते हुए अपने सगे बाप के लंड को चाट रही थी. रमेश जब ये देखते है तो उनका दिमाग काम करना बंद कर देता है. लंड के टोपे पर घुमती बेटी की जीभ और सामने उनके पडोसी शर्मा जी. रमेश समझ नहीं पा रहे थे की मजा लें या बात का जवाब दें. तभी उनके कानो में शर्मा जी की आवाज़ सुनाई पड़ती है.

शर्मा जी : अरे कहाँ खो गए रमेश जी ?

शर्मा जी की बात सुनते ही रमेश को होश आता है. वो अपने आप को संभालते हुए कहते है.

रमेश : जी...जी शर्मा जी....पायल बड़ी संस्कारी लड़की है.

शर्मा जी : देखिएगा रमेश जी, एक दिन पायल आपका नाम जरुर रोशन करेगी.

पायल नीचे बैठी अपने पापा के लंड के टोपे को अपने मुहँ में भरे लोलीपोप की तरह चूसते हुए बाप का नाम रोशन कर रही थी. एक हाथ से पापा के लंड को पकड़ के पायल चमड़ी को बार-बार पीछे खींचते हुए टोपे को मुहँ में ठूंसने की कोशिश कर रही थी. छत की दीवार के पीछे खड़े रमेश अपने घुटनों को हल्का सा मोड़ के थोडा निचे हो जाते है तो उनका लंड पायल के मुहँ के सीध में आ जाता है. छत की दीवार रमेश की कमर से थोड़ी ऊपर है इस लिए शर्मा जी को अंदाज़ा भी नहीं था की दीवार की उस तरफ क्या गोरखधंदा हो रहा है. रमेश भी अब जोश में अपनी कमर को धीरे से आगे करते हुए पायल के मुहँ में लंड देने लगते है.

छत पर बाप-बेटी लगे हुए थे और निचे उर्मिला रसोई में अपने काम में लगी हुई थी. उमा को ड्राइंग रूम में ना पाकर वो उनके कमरे के पास पहुँच जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो उमा सर पर हाथ रखे आँखे बंद किये लेती हुई है. उमा को इस तरह से लेता हुआ देख उर्मिला कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ मम्मी जी? आपकी तबियत तो ठीक है ना?

उर्मिला की आवाज़ सुन कर उमा आँखे खोलती है.

उमा : कुछ नहीं बहु. कल रात नींद आ गई थी फिर अचानक से नींद खुल गई. रात भर गाड़ी की चिंता में मुझे ठीक से नींद नहीं आई. बस थोडा सा सर दुःख रहा था.

उर्मिला : सॉरी मम्मी जी. मुझे रात में ही आपको बता देना चाहिए थे की गाड़ी आ गई है. मुझे लगा आप सब सो रहे होंगे इसलिए मैंने सोचा की सुबह बता दूंगी.

उमा : कोई बात नहीं बहु. तुमने ठीक ही किया.

उर्मिला : आपका सर दबा दूँ मम्मी जी?

उमा : अरे नहीं बहु. मुझे तो अब नींद ही आ रही है. मैं सो जाउंगी. तू बस लल्ला को चाय दे कर उठा दे. अब उसका स्कूल भी खुलने वाला है तो अब जल्दी उठने की आदत डालनी पड़ेगी उसे.

उर्मिला : जी मम्मी जी. मैं अभी उसे चाय दे कर उठा देती हूँ.

उमा : ठीक है बहु. और जाते हुए दरवाज़ा लगा देना.

उर्मिला कमरे का दरवाज़ा लगा कर रसोई में आती है. एक कप में चाय डाल कर वो धीरे-धीरे सोनू के कमरे की तरफ बढ़ने लगती है.

वहां छत पर रमेश शर्मा जी से बाते करते हुए अपनी कमर आगे पीछे कर रहे थे और पायल के मुहँ में लंड पेल रहे थे. बीच-बीच में पायल पापा का लंड मुहँ से निकाल कर उसे बड़े गौर से देखती. अपनी जीभ से मोटे टोपे को चाट कर वो फिर से लंड मुहँ में भर लेती और रमेश कमर हिला कर उसकी मुहँ चुदाई करने लगते. सामने शर्मा जी इस बात से अनजान अपनी ही बातों में लगे हुए थे.

शर्मा जी : रमेश जी वो कहते है ना की जब बाप का जूता बेटे के पैरों में आ जाए तो वो बड़ा हो जाता है. ठीक वैसे ही जब माँ की जुती बेटी के पैरों में आ जाये तो वो बड़ी हो जाती है.

शर्मा जी की बात सुन कर रमेश का गन्दा दिमाग कुछ और ही सोचने लगता है. रमेश अपने आप से कहते है, "माँ की जुती का तो पता नहीं लेकिन जब बाप का लंड बेटी की बूर में पूरा घुस जाए तो वो जरुर बड़ी हो जाती है". ये सोचते हुए रमेश अपनी कमर को आगे कर पायल के मुहँ पर दबा देते है तो पायल का सर दीवार से सट जाता है और उनका लंड पायल के मुहँ में आधा घुस जाता है. कुछ क्षण वैसे ही आधा लंड पायल के मुहँ में ठूंसे हुए रखने के बाद रमेश अपनी कमर पीछे करते है तो लंड मुहँ से बाहर निकलता है. लंड के बाहर निकलते ही पायल के मुहँ से भी ढेर सारी लार गिरने लगती है. पायल हाथ से पापा के लंड को मसलती है और फिर से मुहँ में ले लेती है. पायल से लंड चुसवाते हुए रमेश शर्मा जी से कहते है.

रमेश : हाँ शर्मा जी . आपने बिलकुल सही कहा. अब मुझे भी लगने लगा है की पायल बेटी बड़ी हो गई है.

ये कह कर रमेश ३-४ बार जोर से कमर हिलाकर पायल का मुहँ चोद देते है.

निचे उर्मिला सोनू के कमरे के अन्दर पहुँच जाती है. सोनू बिस्तर पर अपनी शॉर्ट्स में लंड खड़ा किये सो रहा है. उर्मिला शॉर्ट्स में खड़ा लंड देखती है तो उसकी बूर खुजलाने लगती है. कप को टेबल पर रख वो धीरे से दरवाज़ा बंद कर सोनू के सर के पास आ जाती है. सोनू सीधा लेते हुए साँसे ले रहा है. सोनू को इस तरह से साँसे लेते देख उर्मिला को मस्ती सूझती है. वो अपनी ब्लाउज के बटन सामने से खोल देती है. बिना ब्रा के उर्मिला को बड़े-बड़े दूध बाहर आ जाते है. वो बिस्तर के पास निचे घुटनों पर बैठ जाती है और अपना एक हाथ उठा के अपनी बालोवाली बगल सोनू की नाक के थोड़ी ऊपर रख देती है. उर्मिला के बगल से निकलती पसीने की वो महक सोनू की नाक तक पहुंचती है तो उसका सर अपने आप ही नींद में ऊपर उठ जाता है और उर्मिला की बगल में उसकी नाक घुस जाती है. ४-५ बार जोर-जोर से साँसे ला कर सोनू उर्मिला की बगल सूंघता है और उसकी आँखे खुल जाती है. उर्मिला को देख कर वो कहता है.

सोनू : भाभी आप?? बाकी सब कहाँ है?

उर्मिला : (अपने दूध सोनू के मुहँ के पास लाते हुए) सब अपने कामो में लगे है. कोई नहीं आएगा. ले जल्दी से चुसना शुरू कर...

उर्मिला की बात सुनकर सोनू उसके दूध को मुहँ में भर कर चूसने लगता है. उर्मिला भी उसके सर के पास बैठ कर अपना दूध दबा-दबा कर उसके मुहँ में देने लगती है. सोनू जब उर्मिला का निप्पल मुहँ में पकड़ कर खींच देता है तो उर्मिला सीसीयाते हुए कहती है.

उर्मिला : सीईईइ...!! धीरे सोनू...दुखता है...

२-३ मिनट तक सोनू से दूध चुसवाने के बाद उर्मिला खड़ी हो जाती है और अपनी साड़ी उठा कर बिस्तर पर चढ़ जाती है. उर्मिला को बिस्तर पर चढ़ता देख सोनू भी अपनी शॉर्ट्स उतार देता है. उसका लंड हवा में लहराता हुआ भाभी की बूर को इशारे करने लगता है. उर्मिला अपनी दोनों टाँगे फैलाए सोनू के लंड पर धीरे-धीरे बैठने लगती है. उसके बूर के ओंठ सोनू के लंड पर फिसलते हुए अपने अन्दर समाने लगते है. कुछ हे क्षण में सोनू का लंड पूरा जड़ तक उर्मिला की बूर में समां जाता है. अपने दोनों हाथों से वो उर्मिला के दोनों दूध को दबाते हुए निचे से लंड की चोट बूर में मारने लगता है. उर्मिला भी मजे से सोनू के लंड पर उच्छलते हुए लंड को बूर में लेने लगती है. बहुत दिनों के बाद सोनू के लंड को उर्मिला की बूर का मजा मिल रहा था. वो पूरे जोश में अपनी कमर उठा-उठा के उसकी बूर चोदने में लग जाता है.

ऊपर छत पर रमेश पायल के मुहँ की चुदाई कर रहे थे. काफी देर से पायल के मुहँ में लंड देने से रमेश का लंड पूरी तरह से तन्ना गया था. अब रमेश से और नहीं रहा जा रहा था. जब पायल ने जोर से रमेश के लंड को चूस लिया तो उनके मुहँ से आवाज़ निकल गई.

रमेश : आह्ह्ह्ह.....!!

शर्मा जी : अरे क्या हुआ रमेश जी?

रमेश : (सँभालते हुए ) अ...वो..कुछ नहीं शर्मा जी. बस घुटनों में थोडा दर्द है.

शर्मा जी : किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लीजिये रमेश जी. अभी ध्यान नहीं दिया तो आगे दिक्कत हो सकती है.

रमेश को अब लगने लगा था की उनका लंड पानी फेक देगा. वो अपने घुटने को पकड़ने का नाटक करते हुए थोडा निचे झुकते है और पायल के मुहँ में तेज़ी से लंड पेलने लगते है. पायल भी समझ जाती है की पापा झड़ने के करीब है तो वो भी अपने मुहँ में वैक्यूम बना लेती है जिस से रमेश के लंड में एक कसाव सा महसूस होता है और २-३ झटको में ही लंड पायल के मुहँ में पानी फेकने लगता है. रमेश आँखे बंद किये "आह्ह्ह्ह...!! की आवाज़ करते हुए पायल के मुहँ में झड़ने लगते है. पायल भी दोनों हाथों से रमेश की गोटियों को पकड़ के दबा देती है तो उनके लंड का बचा हुआ पानी भी पायल के मुहँ में खाली हो जाता है. सामने खड़े शर्मा जी इस बात से अनजान येही समझ रहे थे की रमेश के घुटनों में दर्द हुआ है.

शर्मा जी : अरे रमेश जी...घुटनों का दर्द बढ़ गया है क्या?

निचे पायल पापा के लंड को मुहँ से निकाल कर टोपे को चाट-चाट कर साफ़ करने लगती है.

रमेश : अह्ह्ह्ह...!! बस शर्मा जी...अब दर्द...आह..!! कम हो रहा है...आह..!!

तभी निचे से मिसेज शर्मा की आवाज़ आती है तो शर्मा जी रमेश से कहते है.

शर्मा जी : अच्छा रमेश जी. अपना ख्याल रखिये. अगर किसी भी मदद की आवश्यकता हो तो मुझे जरूर बताइयेगा.

रमेश : आह..! जरुर शर्मा जी...

शर्मा जी के जाते ही रमेश निचे पायल को देखते है. वो उनका लंड पकडे मुस्कुरा रही है. रमेश भी उसे देख कर मुकुराते हुए कहते है.

रमेश : मेरी पायल बिटिया ने पापा की पिचकारी पूरी खाली कर दी.

पायल : पापा आपकी पिचकारी कितनी भरी हुई थी. पानी से तो मेरा पूरा मुहँ ही भर गया था. पापा आपसे एक बात कहूँ?

रमेश : हाँ मेरी गुडिया रानी...कहो...

पायल रमेश की आँखों में देखती है फिर धीरे से "पापा आई लव यू" बोल कर शरमाते हुए नज़रे झुका लेती है. पायल की इस बात पर रमेश धीरे से उसका चेहरा ऊपर करते है और अपने लंड को धीरे से उसके मुहँ में फिर से डाल देते है. पायल एक बार फिर से पापा के लंड को चूसने लगती है तो रमेश भी धीरे से कहते है.

रमेश : आह...!! पापा लव्ज़ यू टू बेटा.

पापा के लंड को एक बार अच्छे से चूस कर पायल लंड को मुहँ से निकाल देती है तो रमेश अपनी धोती ठीक कर लेते है. पायल भी अपनी टॉप ठीक कर के खड़ी होती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और साथ-साथ छत के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगते है.

निचे सोनू के लंड पर उर्मिला पागलों की तरह उच्छल रही है. सोनू भी मस्ती में भाभी की बूर का मजा ले रहा था की तभी दोनों की उमा की आवाज़ सुनाई देती है.

उमा : बहु...!!

उर्मिला झट से बिस्तर से निचे कूद पड़ती है और दरवाज़े की और देखते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगती है. सोनू भी झट से चादर ओढ़ के दूसरी तरफ घूम कर सोने का नाटक करने लगता है. ब्लाउज हे हुक लगा कर उर्मिला पास के टेबल पर रखी किताबों को ठीक करने लगती है. तभी दरवाज़ा खोल कर उमा अन्दर आती है.

उमा : क्या हुआ बहु? ये अब तक सो रहा है?

उर्मिला : अ..हाँ मम्मी जी...अभी उठ ही रहा है. टेबल पर किताबे यहाँ-वहां पड़ी थी तो मैं ठीक करने लगी.

उमा : ओह अच्छा...! लल्ला ...उठा जा बेटा...और कितना सोयेगा.

सोनू : बस मम्मी ५ मिनट में उठ जाऊंगा.

उमा : अच्छा ठीक है. और मत सों जाना. अच्छा उर्मिला अभी-अभी मास्टर जी का फ़ोन आया था. हमने जो ब्लाउज और चोलियाँ दी थी वो ठीक हो गई है. मेरा सर दुःख रहा है तो मैं नहीं जा पाऊँगी. तुम पायल को ले कर चली जाना.

उर्मिला : जी मम्मी जी....

उमा : ठीक है. चल मेरा थोडा सर ही दबा दे. नींद भी आ जाएगी. मास्टर जी के फ़ोन ने नींद ही तोड़ दी.

उदास मन से उर्मिला उमा के साथ वहां से चली जाती है. सोनू भी चैन की सांस लेता है. आज वो पकडे जाने से बाल-बाल बचा था.

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दिन के १०:३० बज रहे है.
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पुराने बाज़ार की एक दूकान के सामने ऑटोरिक्शा आ कर रुकता है. उर्मिला और पायल ऑटोरिक्शा से उतरते हैं. पैसे दे कर उर्मिला पायल के साथ दूकान के अन्दर जाती है. एक छोटी से गली में मास्टर जी की सिलाई की दूकान थी. उमा और घर की सभी लड़कियों के ब्लाउज और चोलियाँ मास्टर जी के यहाँ ही बनती थी. उर्मिला को देख कर मास्टर जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई.

मास्टर जी : अरे उर्मिला बेटी...आओ आओ...

उर्मिला : कैसे हैं आप मास्टर जी...

मास्टर जी : मैं तो ठीक हूँ बेटा...और पायल गुडिया कैसी है?

पायल : मैं भी ठीक हूँ मास्टर जी.

उर्मिला : मास्टर जी वो चोलियाँ और ब्लाउज का काम हो गया?

मास्टर जी : हाँ बेटा हो गया. मैं अभी निकाल देता हूँ.

उर्मिला : मास्टर जी जरा पायल की चोली का भी नाप ले लीजिये. पिछले बार आपने जो चोली सिली थी वो अब इसे टाइट होने लगी है.

मास्टर जी : (हैरानी से) क्या बात कर रही हो बिटिया? वो चोली सिले तो अभी १० दिन भी नहीं हुए और टाइट भी हो गई.

मास्टर जी की बात सुन कर पायल उर्मिला की तरफ देखती है तो दोनों मुस्कुरा देती है.

उर्मिला : जी मास्टर जी... वो चोली अब पायल को टाइट होने लगी है.

उर्मिला की इस बात पर मास्टर जी हैरानी में मोटा चश्मा पहनते हुए पायल के पास आते है.

मास्टर जी : पायल बिटिया, दोंनो हाथों को जरा ऊपर करो.

पायल दोनों हाथों को ऊपर करती है तो मास्टर जी टेप उसके उठे हुए सीने पर लपेट देते है. नाप ले कर वो टेबल पर रखी किताब के पन्नो को पलटने लगते है. एक पन्ने पर आ कर वो रुक जाते है और पायल की चोली का पुराना नाप गौर से देखते है. देखने के बाद वो बड़ी बड़ी आँखों से पायल और उर्मिला को देखने लगते है. मास्टर जी का ऐसा चेहरा देख कर उर्मिला कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ मास्टर जी? आप इतनी हैरानी के साथ क्या देख रहे है?

मास्टर जी : कमाल है बिटिया...! पिछले और अभी के नाप में २ इंच का फर्क है. (अब मास्टर जी टॉप पर से पायल की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखते हुए कहते है) १० दिनों के अन्दर २ इंच से बढ़ जाना मैं पहली बार देख रहा हूँ.

मास्टर जी की बात पर उर्मिला को हंसी आ जाती है. वो मामले को सँभालते हुए कहती है.

उर्मिला : वो क्या हैं ना मास्टर जी, अभी पायल का कॉलेज बंद है और वो सारा दिन घर में ही रहती है. इसके पापा इसे रोज मोटा केला खिला देते है. अब आप ही बताइए की जो लड़की रोज दिन में ३-४ बार मोटा केला खाएगी उसका वजन तो बढेगा ही ना ?

मास्टर जी : हाँ बिटिया. ये बात तो तुमने १६ आने सच कही है. दिन में ३-४ बार मोटा केला खाने से तो ये होना ही है.

मास्टर जी की बात पर पायल और उर्मिला मुहँ पर हाथ रख के हंसने लगती है. तब तक मास्टर जी कपड़ों को एक थैले में डाल कर देते हुए कहते है.

मास्टर जी : लो बिटिया. तुम्हारे कपडे.

उर्मिला मास्टर जी को पैसे देती है और वहां से पायल के साथ निकल जाती है. दुकान से बाहर आ कर पायल कहती है.

पायल : भाभी आपने तो मास्टर जी को चक्कर में ही डाल दिया.

उर्मिला : मास्टर जी को छोड़, पहले ये बता की तेरे दूध इतनी जल्दी २ इंच कैसे बड़े हो गए? बाबूजी से खूब मालिश करवा रही है ना?

उर्मिला की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. फिर धीरे से कहती है.

पायल : हाँ भाभी...!! पर मैं क्या करूँ. जब भी पापा के पास किसी काम से जाओ वो मेरी टॉप में हाथ डाल कर मेरे दूध दबाने लगते है.

उर्मिला : ओहो...तो बाबूजी तेरे दूध दबाने लगते है. और मेरी पायल रानी भी तो बार-बार जाती होगी ना उनके पास काम के बहाने से, अपने दूध दबवाने... बोल जाती है ना?

उर्मिला की बात पर पायल मुस्कुराते हुए नज़रे झुकाये सर हिलाकर हामी भर देती है.

उर्मला : (हँसते हुए) अच्छा चल..अच्छी बात है. ऐसे ही बाबूजी से मालिश करवाया कर तो अच्छे खासे बड़े हो जायेंगे तेरे.

दोनों हँसते हुए आगे जाने लगते है की तभी एक आवाज़ सुन कर उर्मिला के कदम रुक जाते है. वो पीछे मुड़ के देखती है तो सामने छेदी मुस्कुराते हुए खड़ा है.

छेदी : लीजिये मैडम जी..आप फिर मिल गए हमसे...

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) आप कहीं हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं?

छेदी : अजी हमारी इतनी हिम्मत कहाँ की हम आपका पीछा करें. वो तो किस्मत है हमारी जो बार-बार हमे आपसे मिला रही है.

तब तक पायल भी वहां आ जाती है. छेदी पायल को देख कर सलाम ठोकते हुए कहता है.

छेदी : छेदी का आपको भी सलाम मैडम जी...

पायल : (मुस्कुराते हुए) जी नमस्ते..!!

तभी वहां दौड़ती हुई खुशबू आ जाती है. उसके हाथ में २ कुल्फियां है. एक कुल्फी वो मुह में ले कर चूस रही है और दूसरी हाथ में पकडे हुए है. दौड़ते हुए उसके मोटे दूध टॉप में उच्छल रहे है. वो वहां आती है और छेदी से कहती है.

खुशबू : अपनी कुल्फी जल्दी पकडिये भैया नहीं तो पिघल जाएगी.

खुशबू के इस तरह से वहां आ जाने से छेदी थोडा सकपका जाता है. खुशबू के मुहँ से छेदी के लिए 'भैया' सुन कर उर्मिला ये तो समझ जाती है की ये लड़की छेदी की बहन है. पर उसे ये नहीं पता की मुहँ बोली बहन है या सगी. उर्मिला खुशबू को मुस्कुराते हुए ऊपर से निचे देखती है. उसकी उम्र १८-१९ की लग रही थी और जब उर्मिला उसके मोटे-मोटे दूध देखती है तो समझ जाती है की दाल में कुछ काला है.

उर्मिला : ओह ..! तो ये तुम्हारी बहन है.

छेदी : (बनावटी मुस्कान के साथ) जी..जी मैडम जी...ये मेरी बहन है. खुशबू ...मैडम जी को नमस्ते करो.

खुशबू दो अनजान जवान लड़कियों को देख कर हैरानी से छेदी को देखती है फिर पायल और उर्मिला को देख कर नमस्ते करती है.

खुशबू : जी नमस्ते...!!

उर्मिला : (खुशबू के गाल पर हाथ रख कर) बड़ी प्यारी बच्ची है. खुशबू नाम है ना तुम्हारा ?

खुशबू : जी ...

उर्मिला : छेदी भैया तुम्हारे सगे भैया है या...

खुशबू : (उर्मिला की बात काटते हुए) जी सगे भैया ही है.

खुशबू की इस बात पर उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है तो वो नज़रे चुरा कर यहाँ-वहां देखने लगता है. उर्मिला फिर खुशबू को देखती है तो अब भी उसके चेहरे पर कुछ सवाल दिखाई पड़ते है.

उर्मिला : अरे खुशबू, तू सोच रहो होगी की हम तेरे भैया को कैसे जानते है. वो हुआ ये थे की कल रात हमारी गाड़ी खराब हो गई थी तो तुम्हारे भैया ने ही हमारी मदद की थी. कल तुम्हारे भैया नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू को थोडा अच्छा लगता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.

खुसबू : ओह अच्छा..!! तो कल रात भैया आप लोगों की ही गाड़ी ठीक कर रहे थे. भैया कल रात बहुत देर से आये थे. बता रहे थे की कुछ गाड़ी का काम निकल आया था.

पायल : भाभी अब यहीं धुप में ही बाते करनी है या कहीं जा कर अराम से बीत कर बाते करें...

उर्मिला : हाँ भाई चलो...मुझे तो भूक भी लगी है. पास के होटल में चलते है. कुछ खा भी लेंगे और बातें भी हो जाएगी.

छेदी : अरे नहीं मैडम जी. अब हम लोग चलते है.

उर्मिला : ये क्या बात हुई छेदी जी? आपने हमारी इतनी मदद की है और हम आपको ऐसे ही जाने दे? चलिए...होटल में चलते है.

उर्मिला की बात मानते हुए सभी लोग पास के एक होटल में जाते है और पहली मंजिल के ए सी वाले 'फॅमिली टेबल' पर जा कर बैठ जाते है. मेनू से कुछ खाना देख कर उर्मिला आर्डर कर देती है. अब चरों बैठ कर बातें करने लगते है. तभी छेदी की फ़ोन की घंटी बजती है तो वो सब से इज़ाज़त ले कर बाहर चले जाता है. टेबल पर बैठी उर्मिला, पायल और खुशबू अपनी बातें करने लगती है. कुछ ही देर में खुशबू उर्मिला और पायल से घुल मिल जाती है जैसे उन्हें बरसों से जानती हो. उर्मिला और पायल को भी खुशबू बहुत पसंद आती है. हालांकि अगर उनके रहन-सहन और परिवार की बात करें तो खुशबू किसी मामले में उनके बराबर की नहीं थी लेकिन उसका वो भोलापन उर्मिला और पायल को भा जाता है. उर्मिला, पायल और खुशबू के बीच जो सामाजिक उंच-नीच की दीवार थी तो पूरी तरह से ढेह चुकी थी. किसी ने सच ही कहा है की जब कोई हमे भा जाता है तो हमे सिर्फ वो इन्सान दिखाई देता है और कुछ नहीं. उर्मिला और पायल को खुशबू उनकी किसी पुरानी सहेली की तरह लग रही थी जो उनके दिल के बहुत करीब हो. खुशबू को भी उर्मिला और पायल से लगाव सा हो चूका था.

तीनो आपस में बातें करते हुए खूब ठहाके लगा रहे थे की तभी छेदी वहां आ जाता है. खुशबू को इस तरह से उर्मिला और पायल से घूल-मिलते देख उसे अच्छा लगता है.

छेदी : अच्छा मैडम जी...अब मुझे चलना होगा. आप लोगों के साथ फिर कभी खाना खा लेंगे...चलो खुशबू...

उर्मिला : अरे अरे..!! आपको जाना हो तो जाइये. खुशबू तो हमारे साथ खाना खा कर ही जाएगी..

छेदी : (आश्चर्य के साथ ) पर मैडम जी, ये...

उर्मिला : ये वो कुछ नहीं छेदी जी. विश्वास करिए. आपकी बहन को सही सलामत हम आपके घर पहुंचा देंगे..

छेदी : अरे मैडम जी ये क्या बोल रही है आप. आप पर तो पूरा विश्वास है.

पायल : तो बस...हो गई बात. अब खुशबू हमारे साथ खाना खा कर ही जाएगी...क्यूँ खुशबू..?

खुशबू : हाँ भैया...आप जाइये. भाभी और पायल दीदी मुझे घर छोड़ देंगी.

खुशबू की बात पर छेदी भी कुछ बोल नहीं पाता है.

छेदी : अच्छा भाई. आप लोग जैसा ठीक समझे. लेकिन खुशबू ३ बजे से पहले घर आ जाना. ठीक है ना?

खुशबू : ठीक है भैया मैं ३ से पहले घर आ जाउंगी.

उर्मिला और पायल से विदा ले कर छेदी वहां से चला जाता है. उसके जाने के बाद तीनो आपस में बातें करने लगते है. कुछ देर बाद उर्मिला खुशबू से कहती है.

उर्मिला : अच्छा खुशबू...एक बात तो बता...

खुशबू : जी भाभी...

उर्मिला : तू अभी १८ साल की है और १२ वीं कक्षा में है. इतनी छोटी से उम्र में तेरे दूध इतने मोटे कैसे हो गए?

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू शर्मा के नज़रे झुका लेती है. उसके गालों पर लाली छा जाती है. उर्मिला अपने हाथ से उसका चेहरा उठा कर कहती है.

उर्मिला : अरे बोल ना.. इसमें शर्माने वाली क्या बात है. हम दोनों भी तो कभी तेरी उम्र की ही थी. हमे तो पता है की लड़कियों के दूध मोटे कैसे हो जाते है. बोल...कौन हाथ फेर रहा है इन पर? तेरी क्लास का कोई लड़का है क्या?

खुशबू शरमाते हुए फिर से नज़रे झुका लेती है और सर हिला कर 'ना' का इशारा करती है.

उर्मिला : (सोचते हुए) उम्म..!! फिर तो तेरे पड़ोस का कोई लड़का होगा. हैं ना?

खुशबू फिर से शर्माते हुए नज़रे झुका लेती है और सर हिला कर 'ना' कर देती है.

उर्मिला : तो..तो वो कहीं तेरे भैया.....(इतना कह कर उर्मिला बड़ी-बड़ी आँखे कर खुशबू को देखने लगती है)

खुशबू शर्माते हुए एक बार भाभी को देखती है फिर मुस्कुरा कर दोनों हाथो में अपना चेहरा छुपा लेती है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को बड़ी-बड़ी आँखे कर के देखते है फिर मुस्कुरा देते है. उर्मिला खुशबू के हाथो को उसके चेहरे से हटा देती है और कहती है.

खुशबू : तो इसमें इतना शर्माने वाली क्या बात है. छेदी भैया हैं तेरे. भाई-बहन के बीच तो ये सब चलता ही है.

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू की शर्म थोड़ी कम हो जाती है. उसे भी लगने लगता है की उर्मिला और पायल के सामने अगर वो इस बारें में बात करे तो बदनामी का डर नहीं है.

खुशबू : सच भाभी? ये गलत तो नहीं है ना?

उर्मिला : पगली...कोई गलत बात नहीं है. अब मुझे और पायल को ही देख. इसके पापा यानी मेरे ससुर जी हम दोनों के दूध दिन भर मसलते रहते है. अब घर के मर्द घर की लड़कियों और औरतों के दूध नहीं मसलेंगे तो क्या कोई बाहर वाला आ कर मसलेगा ? क्यूँ पायल ?

पायल : और नहीं तो क्या भाभी. बदनामी का डर तो बाहर वालों के साथ रहता है. घर में किस बदनामी का डर?

खुशबू : हाँ पायल दीदी. छेदी भैया भी येही कहते है. लड़कियों को घर में ही ये सब कर लेना चाहिए. लड़कियां बाहर मुहँ मारेगी तो बदनामी हो जाएगी.

उर्मिला : बिलकुल ठीक कहते है तेरे भैया. तो खुशबू तेरे भैया सिर्फ तेरे दूध ही दबाते है या कुछ और भी करते है.

खुशबू अब पूरी तरह से खुल चुकी थी. १८ साल की मासूम लड़की, आज ऐसे दो लड़कियों से मिल रही थी जिनकी नज़र में ये सब पाप नहीं बल्कि पुण्य था. वो अब एक खुली किताब बन चुकी थी.

खुशबू : भैया मेरे दूध तो बहुत पहले से दबा रहे थे. अब तो वो मेरे साथ सब कुछ करते है.

उर्मिला : (उत्साहित हो कर) जरा खुल के बता ना खुशबू. यहाँ हम तीनो के अलवा और कोई नहीं है और हम तीनो एक जैसी ही है.

उर्मिला की इस बात पर तीनो जोर-जोर से हंसने लगती है. फिर खुशबू आगे कहती है.

खुशबू : क्या बताऊँ भाभी. भैया तो हमेशा ही मेरी बूर चोदने के चक्कर में रहते है. माँ को हर वक़्त किसी ना किसी बहाने से यहाँ-वहां ३-४ दिनों के लिए भेज देते है और फिर मेरी खूब बूर चुदाई करते है.

खुशबू की बात सुन कर उर्मिला और पायल की आँखे बड़ी और मुहँ खुला कल्हुला रह जाता है.

पायल : बापरे खुशबू...!! और जब माँ घर पर होती है तब क्या करते है तेरे भैया?

खुशबू : रात में जब माँ सो जाती है तो भैया देर रात कमरे में आ कर मुझे चुपके से जगा देते है और मुझे बाहर ले आते है. फिर कभी रसोई में तो कभी बाथरूम में तो कभी सोफे के पीछे मेरी पटक-पटक के लेते है.

उर्मिला : उफ़ खुशबू...!! तू अपने भैया का पूरा लेती है क्या?

खुशबू : हाँ भाभी...पहले तकलीफ होती थी पर अब तो भैया जब पूरा घुसा देते है तो बड़ा मजा आता है.

उर्मिला : तो क्या तेरे भैया आज तुझे ३ बजे इसलिए घर आने कह रहे थे की तेरी चुदाई कर सके?

खुशबू : हाँ भाभी. आज ६ बजे माँ आ जाएगी. तो भैया माँ के आने से पहले मुझे २-३ घंटे अच्छे से चोदेंगे.

उर्मिला : हाय खुशबू..!! तेरी बात सुन कर तो बदन में गर्मी चढ़ गई. लगता है घर जा कर बाबूजी के लंड से ही आग बुझानी पड़ेगी.

खुशबू : पायल दीदी आप भी पापा के लंड से अपनी बूर की आग बुझाओगे ना?

उर्मिला : नहीं रे खुशबू. इसकी तो अभी सील भी नही टूटी है. बेचारी कब से अपने पापा से सील तुड़वाने के चक्कर में है.

खुशबू : सच पायल दीदी? आपकी जवानी अब भी सील पैक है?

पायल : हाँ खुशबू. एक बार पापा ने कोशिश की थी लेकिन मुझे दर्द हुआ तो उन्होंने छोड़ दिया.

खुशबू : हाँ पायल दीदी. पहली बार तो थोडा दर्द होता ही है पर एक बार सील टूट गई और लंड अन्दर चला गया तो मजा भी बहुत आता है.

उर्मिला : मैं भी तो कब से इसे येही समझा रही हूँ.

पायल : भाभी अब तो मैं भी पापा का लंड अपनी बूर में लेने के लिए तड़प रही हूँ. आप करिए ना कोई उपाय.

उर्मिला : हाँ बाबा करती हूँ कुछ. अच्छा खुशबू तू मुझे और पायल को अपना नंबर दे दे. जब बात करनी हो तो हम एक दुसरे को कॉल कर लिया करेंगे.

खुशबू भी ख़ुशी-ख़ुशी अपना नंबर दे देती है. तभी खाना भी आ जाता है और तीनो बातें करते हुए खाने लगते है. खाना ख़तम कर के तीनो होटल से बाहर आते है और एक ऑटोरिक्शा में बैठ कर खुशबू के बताये पते पर जाने लगते है. ऑटोरिक्शा में बैठे हुए पायल खुशबू को देखती है. उसकी १८ साली की जवानी जो वो हर रोज अपने भैया से खुल कर लुटवाती है, पायल को अपने पापा से चुदने की प्रेरणा दे रही थी. वो खुशबू को अब अपनी एक पक्की सहेली के रूप में देख रही थी. उर्मिला भी पायल के दिल की बात भांप लेती है. पायल को एक नयी और अच्छी सहेली मिल जाने पर उर्मिला भी बहुत खुश होती है.

(समय की कमी का कारन मैं कुछ शब्धों को ठीक नहीं कर पाई. कोई गलती हो तो क्षमा करियेगा)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Awesome
 
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