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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
We Are Eagerly Waiting..समय निकालना मुश्किल हो रहा है. कोशिश पूरी करती हूँ.
अगला अपडेट १ घंटे में.
Mindblowing updateअपडेट ३३:
अनाजघर में गेहूं की बोरियों के पीछे सोनू और गोलू बैठे बातें कर रहे थे. माहोल गर्म था. सोनू बड़ी-बड़ी आँखे किये हुए गोलू से कहता है.
सोनू : तो उर्मिला भाभी ने तुझे सब कुछ बता दिया?
गोलू : हाँ सोनू, सब कुछ. मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ की तेरा और पायल दीदी का चक्कर चल रहा है.
सोनू : हाँ गोलू, ये सच है. मैं तो एक साल से पायल दीदी के चक्कर में था. दिन रात दीदी के बदन को देख कर मुठियाता रहता था. वो तो उर्मिला भाभी थी जिसने मेरा काम बना दिया.
गोलू : सच में सोनू. उर्मिला भाभी तो देवी का ही रूप है.अगर ऐसी भाभियाँ ना हो तो हम जैसे भाई तो ज़िन्दगी भर बहनों के नाम की मुठ मारते ही रह जाए.
सोनू : तू बिलकुल सही कह रहा है गोलू. अच्छा एक बात बता. तू कम्मो दीदी के नाम की दिन में कितनी मुठ मार लेता है ?
गोलू : दिन में ५-६ बार तो कम्मो दीदी को याद करके मुठ मार ही लेता हूँ. किसी दिन उनकी चोली में झाँकने का मौका मिल गया तो ८-१० बार हो जाता है. और तू बता. तू पायल दीदी के नाम पर कितनी मुठ मार लेता था?
सोनू : मैं भी दिन में ७-८ बार तो मार ही लेता था. बहन की गदराई जवानी देख के तो हर भाई का लंड खड़ा हो जाता है ना गोलू....
गोलू : सही कहा सोनू. बहन साली चीज़ ही ऐसी होती है. घर में दिन भर मोटे दूध और चौड़ी चुतड लिए घुमती रहती है. देख कर भाई का लंड तो जोर मरेगा ही.
अपनी-अपनी बहनों की गरमा-गरम बातों से सोनू और गोलू का लंड झटके खाने लगता है. गोलू धोती पर से अपना लंड मसलने लगता है और सोनू शॉर्ट्स पर से. दोनों लंड मसलते हुए अपनी-अपनी बहनों की यादों में खो जाते है. गोलू धोती में हाथ डाल कर अपना लंड बाहर निकाल लेता है तो सोनू भी अपनी शॉर्ट्स से लंड निकाल लेता है. दोनों आँखे बंद किये और लंड हिलाते हुए मस्ती में बहनों के सपने देखने लगते है.
सोनू : ओह पायल दीदी.....!! बूर दे दो अपनी...आह्ह...!!
गोलू : ओह मेरी कम्मो दीदी...!! बोर चुदवा ले अपने गोलू से.....!!
सोनू बोरी पर लेट कर अपनी कमर उठा के लंड मुठीयाने लगता है और गोलू पास पड़े रबर के पानी के मोटे पाइप में लंड घुसा देता है.
गोलू : ओह मेरी कम्मो बहना ....आह...!! ले अपने भाई का लंड. भर ले अपनी बूर में....पूरा भर ले....
कम्मो के लिए बेहद ही गंदे शब्धों का प्रयोग करते हुए सोनू अपने मोटे लंड को रबर की पाइप में ठूंसे जा रहा था. वो इतने जोश में था की एक बार सोनू भी लंड मुठियाते हुए रुक कर उसे देखने लगा. तभी दोनों को क़दमों की आहट सुनाई देती है तो दोनों फटाफट कपडे ठीक करके बोरियों के पीछे से निकल आते है. कमरे से बाहर निकलते ही सामने से उर्मिला चली आ रही है. उर्मिला दोनों को देखती है तो इशारे से अपने पास बुलाती है. दोनों उर्मिला के पास जाते है. उर्मिला गोलू की तरफ देखते हुए कहती है.
उर्मिला : और गोलू महाराज, कैसे हो?
गोलू : (शर्माते हुए) ठीक हूँ भाभी. वैसे भाभी मैंने सोनू को सब बता दिया है.
उर्मिला : अच्छा..?? तो अन्दर दोनों भाई जरुर बहनचोदी कर रहे होंगे....
उर्मिला की बात पर सोनू हँस देता है और गोलू शर्माते हुए कहता है.
गोलू : छी भाभी..!! आप कुछ भी बोलती हैं.
उर्मिला गोलू के मोटे गालों को खींचते हुए कहती है.
उर्मिला : वाह रे गोलू...!! मैं कहूँ तो छी...और तू अपनी बहन की चोली में झांके तो वो कुछ नहीं....
उर्मिला की इस बात पर गोलू भी हँस देता है. उर्मिला आगे कहती है.
उर्मिला : ये शर्मना-वर्माना सब भूल जा और बेशरम बन जा. शर्माता रहेगा तो कम्मो की बूर क्या तुझे उसकी बूर का बाल भी नहीं मिलेगा.
सोनू : भाभी सही कह रही है गोलू. मैं भी बहुत शर्माता था भाभी के सामने. पर जब से भाभी से खुल के बेशर्मों की तरह रहने लगा तो पायल दीदी के साथ भाभी ने मेरी जल्दी से सेटिंग करा दी.
उर्मिला : सिख अपने भाई से कुछ...
गोलू : फिर ठीक है भाभी. अब मैं भी आपके साथ खुल के बेशर्मों की तरह रहूँगा.
उर्मिला फिर से गोलू के मोटे गालों को खींचते हुए कहती है.
उर्मिला : ये हुई ना बात. अच्छा अब दोनों मेरी बात ध्यान से सुनो. मैंने शाम के लिए कुछ सोचा है पर मुझे पहले कम्मो से बात करनी है. कम्मो से बात करके जब मैं तुम दोनों को आवाज़ दूंगी तो चले आना. और हाँ अपना ज्यादा दिमाग लगाने की कोई जरुरत नहीं है. बस मेरे इशारों पर ध्यान देना. समझ गए?
दोनों सर हिला कर हामी भर देते है.
उर्मिला : शाबाश...!! ये कम्मो कहाँ है?
गोलू : घर के पीछे होगी भाभी. आम का जो पेड़ है ना, उस पर झुला झूल रही होगी.
उर्मिला : (गोलू के बड़े पेट पर छुटी काटते हुए) चिंता मत कर, जल्द ही वो तेरे लंड पर झुला झूलेगी.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू बहुत खुश होता है. उर्मिला वहां से निकल कर घर के पीछे वाले आँगन में जाने लगती है. वहां पहुँच कर वो देखती है तो कम्मो आम के पेड़ पर झूला झूल रही है. कम्मो की नज़र जैसे ही उर्मिला पर पड़ती है वो कूद कर उर्मिला के पास आ जाती है और उर्मिला का हाथ पकड़ कर कहने लगती है.
कम्मो : चलिए ना भाभी, आप भी झुला झूलिए.
उर्मिला : धत पागल. मेरी उम्र है क्या झुला झूलने की. और तू भी कब तक झुला झूलेगी? चल आ मेरे साथ बैठ कर बातें कर.
दोनों आम के पेड़ के निचे बैठ जाते है. कम्मो पास के पौधे से फूल तोड़ कर सूंघने लगती है. उर्मिला उसकी ओर देखती है और कहती है.
उर्मिला : कम्मो एक बात तो बता....
कम्मो : हाँ भाभी...!!
उर्मिला : तू १८ साल की जवान लड़की हो गई है. कभी तेरी जाँघों के बीच खुजली नहीं होती?
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो सोच में पड़ जाती है. कुछ देर सर खुजाते हुए सोचने के बाद तो आँखे बड़ी-बड़ी करते हुए कहती है.
कम्मो : हाँ भाभी होती है....
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) कब होती है कम्मो रानी?
कम्मो : भाभी जब मैं धुप से खेल कर घर आती हूँ ना तब पसीने से मेरी जाँघों के बीच बहुत खुजली होती है. तब मैं झट से साबुन लगा कर अच्छे से नाहा लेती हूँ तो ठीक हो जाती है.
कम्मो की बात सुन कर उर्मिला अपने माथे पर हाथ मार लेती है. "इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता", उर्मिला मन ही मन सोचती है और वहां से सर हिलाते हुए जाने लगती है. कुछ ही दूर जाने पर उसे कम्मो की आवाज़ सुनाई देती है.
कम्मो : भाभी...!! भाभी..!!
उर्मिला : ( मुड़ कर पूछती है ) क्या हुआ कम्मो?
कम्मो : (उर्मिला के पास आ कर) भाभी आपने जाँघों के बीच की बात की ना तो मुझे एक खेल याद आ गया...
उर्मिला : कैसा खेल कम्मो?
कम्मो : (धीरे से) पर भाभी आप किसी से कहियेगा नहीं. वो खेल अकेले में सब के सोने के बाद खेला जाता है.
ये सुनकर उर्मिला के दिमाग की घंटी बजने लगती है.
उर्मिला : वो कौनसा खेल है कम्मो?
कम्मो : (उर्मिला का हाथ पकड़ कर) आप मेरे साथ चलिए भाभी मैं आपको दिखाती हूँ.
कम्मो उर्मिला का हाथ पकडे उसे एक कमरे में ले जाती है जहाँ पर सब्जियां और अनाज रखा हुआ था. एक बोर से कम्मो बड़ा और मोटा सा भुट्टा उठा कर हाथ में लेती है और उर्मिला को ले कर पास वाली दीवार के पीछे चली जाती है.
कम्मो : आप निचे बैठ जाइये भाभी.
उर्मिला : (निचे बैठ कर) हाँ अब बता किस खेल के बारें में कह रही थी.
कम्मो : (निचे बैठते हुए) अभी दिखाती हूँ भाभी.
कम्मो उर्मिला के सामने टाँगे खोलकर बैठ जाती है और अपनी कच्छी झट से घुटनों के निचे तक खींच देती है. उर्मिला बड़ी ही हैरानी के साथ उसे देखने लगती है. उर्मिला कम्मो की बूर देखती है. बूर घने बालो से भरी है और बूर के ओंठ थोड़े खुले हुए है. देख के लग रहा था की बूर में पहले भी कुछ जा चूका है. कम्मो मोटा और लम्बा भुट्टा ले कर अपने मुहँ में डालकर चूसने लगती है. उर्मिला ये सब बड़े ही गौर से देख रही थी. कुछ देर भुट्टे को चूसने के बाद कम्मो अपनी लार भुट्टे पर लगा देती है और भुट्टे को पकड़ कर अपनी बूर के मुहँ पर रख देती है. इस से पहले की उर्मिला कुछ समझ पाती, भुट्टा धीरे-धीरे कम्मो की बूर में धंसने लगा था. ये देख कर उर्मिला की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो जो देख रही थी उस पर उसे यकीन नहीं हो रहा था. वो लड़की जो दिमाग से पैदल है, चुदाई का जिसे 'च' तक नहीं आता है वो अपनी बूर में इतना लम्बा और मोटा भुट्टा आराम से घुसाए जा रही थी. देखते हे देखते कम्मो भुट्टे को पूरा अपनी बूर में घुसा लेती है और धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगती है. अब उर्मिला से रहा नहीं जाता है. वो बोल पड़ती है.
उर्मिला : क..क..कम्मो....ये कौनसा खेल है...??
कम्मो : अहह...!! भाभी...ये अपने आप को मजा देने वाला खेल है. इसमें बहुत मजा आता है.
उर्मिला : रुक जा कम्मो...!!
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपने हाथो को भुट्टे से हटा लेती है. भुट्टा अब भी उसकी बूर में पूरा घुसा हुआ था.
कम्मो : क्या हुआ भाभी?
उर्मिला : तू पहले बता की ये खेल तुने सिखा कहाँ से है?
कम्मो : (अपनी बूर में भुट्टा घुसाए हुए) भाभी वो भैया आते है ना गाड़ी ले कर...क्या नाम है उनका....ह्म्म्म...!! हाँ...!! छेदी भैया....
छेदी का नाम सुनकर उर्मिला का दिमाग घूम जाता है. वो बड़ी-बड़ी आँखे करके कहती है.
उर्मिला : छे..छेदी ने तुझे ये खेल सिखाया है?
कम्मो : अरे नहीं भाभी...छेदी भैया ने नहीं. वो तो घर आते है गाड़ी ले कर और बापू के साथ अनाज ले कर मंडी चले जाते है. वो उनकी बहन है ना, खुशबू , उसने सिखाया था.
उर्मिला : ओह तो खुशबू ने तुझे सिखाया है ये खेल....
कम्मो : हाँ भाभी. छेदी भैया जब आते है और बापू के साथ मंडी चले जाते है तब मैं और खुशबू घर में ही रहते है. उसी ने मुझे ये खेल सिखाया है. और कहा है की सब के सोने के बाद ही इसे खेलना अकेले में. बहुत मजा आता है भाभी, आप भी एक बार खेल के देखो ना...
ये कहते हुए कम्मो अपनी बूर से मोटा भुट्टा निकाल कर उर्मिला की तरफ बढ़ाती है. भुट्टे का आकार देखकर उर्मिला डर जाती है.
उर्मिला : अरे नहीं नहीं कम्मो, तू ही खेल. मैं फिर कभी खेल लुंगी.
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो फिर से भुट्टे को अपनी बूर में घुसा देती है. उर्मिला ने कम्मो के बारें में जो सोचा था, बात अब अलग ही हो चुकी थी. कम्मो भले ही भोली थी पर अपनी बूर में बड़ा और मोटा भुट्टा तक ले रही थी. उर्मिला समझ जाती है की गोलू का लंड तो ये बड़े आराम से ले लेगी. कुवारी बूर के चुदने के बाद जो खलबली मचती है उससे कम्मो बच गई थी. उर्मिला अब सोचने लगी थी की अब इसे गोलू के सामने नंगा कैसे किया जाए. कम्मो अपनी बूर में मजे से भुट्टे को लिए जा रही थी और उर्मिला वहीँ बैठ कर सोच रही थी. कुछ देर सोचने के बाद उर्मिला कम्मो से कहती है.
उर्मिला : तू तो बहुत बदमाश है रे कम्मो...!!
उर्मिला की बात सुनकर कम्मो रुक जाती है. उर्मिला की तरफ हैरानी से देखते हुए कम्मो कहती है.
कम्मो : क्या हुआ भाभी? आपने मुझे बदमाश क्यूँ कहा?
उर्मिला : बदमाश नहीं तो और क्या कहूँ? खुद तो भुट्टा बूर में डाले मजे कर रही है और बेचारे गोलू को अपना तील भी नहीं देखने देती है.
कम्मो : कैसे देखने दूँ भाभी? वो तो सबसे पहले मेरे पति देखेगा ना?
उर्मिला : और उसे पसंद नहीं आया तो? क्या कभी किसीने तेरे तील की तारीफ़ की है?
कम्मो : नहीं भाभी. मैंने अपना तील अब तक किसी को भी नहीं दिखाया है.
उर्मिला : फिर? कोई देख के तारीफ करेगा तभी तो तुझे पता चलेगा ना की तेरे पति को पसंद आएगा भी या नहीं.
उर्मिला की बात पर कम्मो सोच में पड़ जाती है. सोचने के बाद वो कहती है.
कम्मो : भाभी मैं आपको दिखा देती हूँ, आप ही देख कर बता दीजिये ना.
उर्मिला : धत्त..!! तू क्या किसी लड़की से शादी करेने वाली है? ये तो कोई लड़का ही बताएगा ना? और तू क्या किसी बाहर वाले को दिखा कर पूछेगी?
कम्मो : कभी नहीं भाभी..!! ऐसा तो मैं कभी नहीं करुँगी.
उर्मिला : तो फिर? अब गोलू तेरा छोटा भाई है. बचपन से दोनों एक साथ हो. तू उसे राखी बांधती है. अब उस से अच्छा और कौन बताएगा तुझे...बोल?
उर्मिला की बातों में कम्मो को सच्चाई नज़र आती है. वो भी सोचने लगती है की भाभी सही कह रही है. किसी बाहरवाले से तो अच्छा है की वो अपने ही भाई को दिखा कर पूछ ले.
कम्मो : भाभी आप बिलकुल सही कह रही हो. मैं अभी जा कर गोलू को अपने सारे तील दिखा कर पूछती हूँ.
उर्मिला : चुप कर..!! ये बात घर में पता चली तो पता है ना माँ और बापू तेरा क्या हाल करेंगे. अभी नहीं. मैं बताउंगी की कब दिखाना है. समझी..?
कम्मो : जी भाभी.
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) और सुन. तेरे छाती का तील बहुत ही सुन्दर है. देखना गोलू को भी पसंद आएगा. ऐसी सुन्दर चीज़ को छुपा के रखती है. दिखा दिया कर गोलू को. देखना वो तेरी कितनी तारीफ करेगा.
कम्मो : (खुश हो कर) सच भाभी?
उर्मिला : और क्या. वो तो तेरी राजकुमारी वाली तारीफ करेगा और हो सकता है वो तेरा गुलाम भी बन जाए.
कम्मो : (खुश होते हुए) तब तो बड़ा मजा आएगा भाभी. मैं राजकुमारी और गोलू मेरा गुलाम. मैं तो उस से अपने पैर पढ़वाउंगी.
उर्मिला : हाँ बाबा पढ़वा लेना. चल अब जल्दी से अन्दर जा और मैं जबबुलाऊँ तो आ जाना. और सुन ये बात किसी से कहना नहीं.
कम्मो : नहीं कहूँगी भाभी....
कम्मो उच्छालती हुई वहां से चली जाती है. उर्मिला भी मुस्कुराते हुए घर के अन्दर चली जाती है.
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शाम ५:३० बजे
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घर के आँगन में मोहन खाट पर लेटे हुए है. उनके पास बिमला और उमा बैठे हुए है. पास ही उर्मिला भी बैठी हुई है. घरबार की जम के बाते हो रही हैं. उर्मिला का ध्यान किसी और ही बात पर था. मौका देख कर वो कहती है.
उर्मिला : वैसे मामीजी, पिछली बार मैं आई थी तो आपका गाँव नहीं देख पाई थी. सोच रही हूँ इस इस बार जरा घूम कर देख लूँ की आपका गाँव कैसा है.
बिमला : अरे तो इसमें पूछने वाली क्या बात है उर्मिला. शाम को हम चलते है.
उर्मिला : अरे मामीजी आप क्यूँ कष्ट करती हैं? घर के बच्चे किस दिन काम आयेंगे? मैं गोलू से बोल दूंगी. और फिर सोनू भी तो हैं ना? हम तीनो चल देंगे.
मोहन : हाँ भाई ये भी ठीक है. इसी बहाने सोनू भी घूम लेगा. क्यूँ उमा?
उमा : हाँ भैया. दिल तो मेरा भी कर रहा है गाँव घुमने का पर एक बार आप के पैर का प्लास्टर खुल जाये फिर हम सब साथ चलेंगे.
मोहन : हाँ उमा. तब तक बच्चे और उर्मिला आ जाए घूम कर.
उर्मिला : शाम हो रही है मामीजी ... सोच रही हूँ की गोलू के साथ एक चक्कर लगा ही लूँ. ये गोलू वैसे हैं कहा?
उर्मिला एक नज़र यहाँ वहां देख कर आवाज़ लागती है.
उर्मिला : गोलू....अरे ओ गोलू...!!!!
तभी धोती पहने गोलू दौड़ता हुआ वहां आता है. उसके पीछे सोनू भी दौड़ता हुआ आता है. सोनू ने भी आज धोती पहनी है. दोनों को धोती में देख कर सभी जोर से हँसने लगते है.
उमा : ये देखो. दोनों भाइयों को. धोती भी एक जैसी पहनी है.
बिमला : हाँ दीदी....दोनों भाइयों की जोड़ी तो बड़ी अच्छी लग रही है.
उर्मिला : सच में मामीजी...नज़र ना लगे. अच्छा गोलू .... मैं गाँव घुमने का सोच रही थी. तू अपनी भाभी तो दिखायेगा अपना गाँव?
ये कहकर उर्मिला गोलू को देख कर आँख मार देती है. गोलू समझ जाता है. वो भी खुश होता हुआ कहता है.
गोलू : हाँ भाभी...जरुर दिखाऊंगा....कब चलना है?
उर्मिला : चलना तो अभी ही है. पहले तू बता की यहाँ सबसे अच्छी और शांत जगह कौनसी है.
मोहन : यहाँ तो वैसी एक ही जगह है उर्मिला. सरपंच जी का तालाब. सरपंच जी के खेतो से घीरा हुआ है और खेत के बाहार तार की बाड़ लगी है. वहां कोई आता जाता नहीं है.
उर्मिला : (अनजान बनते हुए) फिर हम कैसे जायेंगे मामाजी?
मोहन : चिंता की कोई बात नहीं है बहु. सरपंच जी मेरे बहुत ही अच्छे मित्र है. हमे वहां आने-जाने में कोई रोक नहीं है.
उर्मिला : ये तो बहुत अच्छी बात है मामाजी.
मोहन : गोलू साथ है तो बस काफी है.
उर्मिला : तो गोलू महाराज ..!! चला जाए?
गोलू : हाँ भाभी...चलते है.
उर्मिला फिर से यहाँ-वहां नज़र दौड़ाने लगती है. तभी उसकी नज़र दरवाज़े के पीछे खड़ी कम्मो पर पड़ती है. उर्मिला ने पहले ही उसे समझा रखा था. उर्मिला का इशारा पाते ही कम्मो उच्चलती हुई वहां पहुँच जाती है.
कम्मो : बहुत अच्छा भाभी. आप सब जा रहे हो मुझे अकेला छोड़ कर....
उर्मिला बनते हुए बिमला की तरफ देखने लगती है. बिमला समझ जाती है की उर्मिला क्या पूछना चाहती है.
बिमला : कोई बात नहीं उर्मिला. तुम सब साथ हो तो किस बात का डर? ले जा इसे भी. और तू सुन कम्मो...ज्यादा इधर-उधर मत भागती फिरना. अपनी भाभी के साथ ही रहना.
कम्मो : हाँ माँ...भाभी के साथ ही रहूंगी.
उर्मिला : ठीक है चलिए...आपका गाँव घूम कर आते है.
उर्मिला, गोलू, सोनू और कम्मो घर से निकल कर तालाब की तरफ बढ़ने लगते है. कम्मो सबसे आगे उच्छालती-कूदती चल रही थी. गोलू की नज़र बार-बार कम्मो की बड़ी चूतड़ों पर जा रही थी जिसे उर्मिला देख लेती है. गोलू की तरफ मुस्कुराते हुए देखकर उर्मिला कहती है.
उर्मिला : रास्ते पर ध्यान से गोलू, कहीं पत्थर से पैर टकरा गया तो गिर पड़ेगा.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू भी समझ जाता है और मुस्कुराते हुए चलने लगता है. कुछ देर चलने के बाद चारों घने खेतों के पास पहुँच जाते है जो तार की बाड़ से घीरा हुआ है. पास हे कुछ लोग बैलगाड़ी पर कुछ कटी हुई फसल दाल रहे है. पास हे खड़े एक आदमी हाथ में डंडा लिए खड़ा है. जैसे ही उसकी नज़र गोलू पर पड़ती है वो बोल पड़ता है, "कैसे हो गोलू भैया?"
गोलू : अच्छा हुआ केशव भैया...
केशव : और यहाँ कैसे आना हुआ?
गोलू : ये मेरी भाभी उर्मिला और भाई सोनू है. कुछ दिनों के लिए सहर से आये है. बस इन्हें तालाब दिखाने ले आया.
केशव : (उर्मिला और सोनू को देख कर) प्रणाम....!!
उर्मिला और सोनू भी केशव को प्रणाम करते है.
केशव : ये तो आप लोगो ने बहुत अच्छा किया. हमारे सरपंच जी का तालाब तो गाँव की सबसे अच्छी जगह है.
गोलू : हाँ केशव भैया. इसलिए तो इन्हें यहाँ लाया हूँ.
केशव : चलो इन्हें भी दिखा दो. हम तो अब निकल ही रहे है. बस जब आप लोग जाओगे तो बाड़ बंद कर देना. कोई गाय भैंस घुस ना जाए बस.
गोलू : जी केशव भैया...
केशव से विदा ले कर चरों आगे बढ़ते है. खेतों के बीच छोटा सा रास्ता बना हुआ है और दोनों तरफ घनी और ऊँची फसल. उर्मिला पीछे घूम कर देखती है तो पीछे भी घनी और ऊँची फसल नज़र आ रही थी. उर्मिला समझ जाती है की अब वो लोग सब की नज़रों से कोसो दूर हैं. कम्मो अब भी आगे वैसे ही उच्छालती-कूदती चल रही है. उर्मिला अपनी कोहनी गोलू के हाथ पर मारती है और इशारे से उसे कम्मो की बड़ी चुतड की और देखने कहती है. गोलू जैसे ही कम्मो की चुतड देखता है उसका हाथ अपने आप ही धोती के ऊपर से लंड पर चला जाता है. पर जैसे ही उसे उर्मिला और सोनू की उपस्थिती का एहसास होता है वो अपना हाथ झट से हटा लेता है और दोनों की ओर देखता है. दोनों गोलू की तरफ देखते हुए मुस्कुराकर आँख मार देते है. गोलू को हरी झंडी मिल जाती है. अब वो पूरी मस्ती में कम्मो की चूतड़ों को देखते हुए अपना लंड धोती पर से मसलते हुए उसके पीछे चलने लगता है. जोश में गोलू धोती से अपने मोटे लंड को बाहर निकाल कर उसकी चमड़ी पूरी पीछे खींच लेता है पर तभी उर्मिला उसे आंख्ने दिखा कर मन कर देती है तो वो लंड फिर से धोती में घुसा लेता है. थोड़ी दूर आगे जाने पर वो सभी तालाब के पास पहुँच जाते है. वो नज़ारा देख कर उर्मिला और सोनू खो से जाते है. तालाब का साफ़ पानी, ठंडी हवा और चरों तरफ बड़े और घने खेत. ये नज़ारा देख कर दोनों मंत्र मुग्ध हो जाते है.
गोलू : हैं ना सबसे अच्छी जगह?
सोनू : हाँ गोलू. सच में, ये तो बहुत अच्छी जगह है.
उर्मिला : सच में गोलू. एक दम सही जगह ले कर आया है तू हमे.
कम्मो : भाभी तालाब में नहा ले क्या?
उर्मिला : हाँ और तबीयत खराब कर ले अपनी. नहाना नहीं है. बस येही पर बैठ कर बातें करेंगे और नज़ारा देखेंगे. चलो यहाँ पर बैठ जाते है.
चारों तालाब के किनारे बैठ जाते है. कम्मो उर्मिला के साथ बैठ जाती है. कुछ देर गाँव की बातें करने के बाद उर्मिला कहती है.
उर्मिला : बहुत खुबसूरत नज़ारा है.
सोनू : हाँ भाभी. बहुत खूबसूरत है.
उर्मिला : पर यहाँ पर एक चीज़ ऐसी भी है जो इस से ज्यादा खूबसूरत है.
उर्मिला की बात पर सभी सोच मिएँ पड़ जाते है. गोलू, सोनू और कम्मो एक साथ कहते है. "क्या है भाभी?"...
उर्मिला मुस्कुराते हुए कम्मो की तरफ देखती है और कहती है.
उर्मिला : क्यूँ कम्मो...बता दें इन्हें की वो कौन सी खूबसूरत चीज़ है.
उर्मिला की बात को कम्मो समझ नहीं पाती है और बड़ी-बड़ी आँखे करते हुए कहती है.
कम्मो : क्या बता दें भाभी?
उर्मिला मुस्कुराते हुए कम्मो की जाँघों की तरफ देखती है. अब कम्मो उर्मिला की इशारा समझ जाती है. गर्व से उसका सीना फूल जाता है और इतराते हुए वो कहती है.
कम्मो : हाँ भाभी...बता दीजिये. ये भी जान ले की वो खूबसूरत चीज़ क्या है.
उर्मिला गोलू और सोनू की तरफ देख कर आँख मारते हुए कहती है.
उर्मिला : देखोगे की वो खूबसूरत चीज़ क्या है?
दोनों एक साथ सर हिला कर हामी भर देते है. फिर उर्मिला कम्मो की तरफ देख कर कहती है.
उर्मिला : इधर आ कम्मो. मेरी गोदी में बैठ जा.
कम्मो उठ कर उर्मिला की गोदी में बैठ जाती है. उर्मिला गोलू और सोनू को देख कर कहती है.
उर्मिला : और तुम दोनों कम्मो की टांगों के सामने बैठ जाओ. वो खूबसूरत चीज़ देख कर तुम दोनों के होश उड़ने वाले है.
दोनों झट से कम्मो की टांगो के सामने आ कर बैठ जाते है. उर्मिला धीरे से कम्मो का लहंगा उठा कर कमर तक कर देती है और हाथों से उसकी जाँघों को खोल देती है. जांघे खुलने से कम्मो की कच्छी, जो बूर पर चिपकी हुई है दिखने लगती है. कच्ची के दोनों तरफ हलके काले बाल निकले हुए है. गोलू और सोनू की नज़र जैसे हे कम्मो की बूर पर कसी हुई कच्छी पर पड़ती है, दोनों के मुहँ खुल जाते है और लंड अकड जाता है. उर्मिला एक ऊँगली कम्मो की जांघ के तील पर रखती है और कहती है.
उर्मिला : कैसा है?
गोलू : (नज़रे कम्मो की बूर पर कसी हुई कच्छी पर) बहुत अच्छा है भाभी.....बहुत खूबसूरत....
सोनू : (नज़रे कम्मो की बूर पर कसी हुई कच्छी पर) हाँ भाभी...बहुत खूबसूरत है.
कम्मो : (इतराते हुए) अच्छा लगा दोनों को?
सोनू : हाँ कम्मो...बहुत अच्छा है...
गोलू : कम्मो...कितना खुबसूरत है.
पीछे बैठी उर्मिला धीरे से कम्मो की जाँघों को थोडा और खोल देती है. जाँघों के और खुलने से कच्छी के अन्दर कम्मो की बूर भी खुल जाती है और कच्छी के दोनों तरफ बूर का बाहरी हिस्सा दिखने लगता है. बूर का बाहरी हिस्सा कच्छी के दोनों तरफ से दिखने लगा था जिसे देख कर गोलू और सोनू की हालत खराब हो गई थी.
उर्मिला : अरे गोलू...वहां से क्या देख रहा है. पास आ कर अच्छे से देख.
गोलू झट से उच्छल कर कम्मो की टांगों के बीच आ कर बैठ जाता है और झुक कर कम्मो की जाँघों के बीच देखने लगता है.
कम्मो : अच्छे से देख ले गोलू. इसके बारें में मैंने आज तक किसी से नहीं कहा है. तू किस्मत वाला है जो इसे इतने पास से देख रहा है, हैं ना भाभी?
उर्मिला : हाँ और नहीं तो क्या.... इतनी खूबसूरत चीज़ गोलू को और कहाँ देखने मिलेगी. अच्छे से देख गोलू.
गोलू आँखे फाड़-फाड़ के कम्मो की हलकी सी दिख रही बूर को देखने लगता है. धोती के अन्दर उसका लंड झटके ले ले कर उच्छलने लगता है. गोलू को जोश में आता देख उर्मिला डर जाती है. गोलू कोई गड़बड़ ना कर दे ये सोच कर वो कहती है.
उर्मिला : अच्छा अब बहुत देख लिया. अब कम्मो अपनी चोली में छुपी हुई खूबसूरत चीज़ दिखाएगी.... हैं ना कम्मो?
कम्मो : हाँ भाभी.... आज इन्हें भी पता चल ही जाए की मैं किसी राजकुमारी से कम नहीं हूँ....
उर्मिला : (कम्मो के गाल मसलते हुए) हाँ री मेरी राजकुमारी....दिखा दे इनको आज....
ये कहकर उर्मिला कम्मो की चोली की के सामने के ३ बटन खोल देती है और उसकी चोली निचे खींच देती है. चोली के निचे होते ही कम्मो के मोटे दूध आधे दिखने लगते है. गोलू झट से हल्का सा खड़ा हो कर आगे झुक जाता है और कम्मो की चोली में झाँकने लगता है. अन्दर झाँकने पर गोलू को कम्मो के मोटे दूध और हलके कत्थे रंग के निप्पल भी दिखने लगते है. अपनी बहन के मोटे दूध देख कर गोलू के होश ही उड़ जाते है. इन सारी बातों से अनजान कम्मो इतराते हुए अपना तील दिखाते हुए कहती है.
कम्मो : मेरे इस तील को हमेशा छुप कर देखता रहता था ये भाभी. आज मैं दिखा रही हूँ तो देखिये कैसे आँखे फाड़ कर देख रहा है.
उर्मिला : हाँ कम्मो. इतनी खुबसूरत चीज़ आज उसने पहली बार जो देखि है.
कम्मो : भाभी अब इस से कहो की मेरे पैर पढ़े.
उर्मिला : चल गोलू...कम्मो के पैर पढ़...
गोलू झट से निचे बैठ जाता है और आगे हो कर कम्मो के पैर पढ़ने लगता है. पैर पढ़ते हुए गोलू की नज़रें कच्छी में कसी हुई कम्मो की बूर पर ही थी. गन्दी नज़रों से अपनी बहन की बूर को घूरते हुए गोलू का लंड अपने पूरे आकार में आ चूका था. उर्मिला भी समझ गई थी की अब गोलू पूरे जोश में आ चूका है. उसे अभी रोका ना गया तो वो जरुर कुछ गड़बड़ कर देगा.
उर्मिला : हाँ हाँ चलो...हो गया पैर पढ़ना.
उर्मिला की बात सुनकर गोलू खड़ा हो जाता है और धोती में अपने लंड को ठीक करने लगता है. उर्मिला कम्मो की तरफ देखती है और कहती है.
उर्मिला : कम्मो तू गोलू से प्यार नहीं करती ना?
कम्मो : मैं तो करती हूँ भाभी पर येही मुझे हमेशा परेशान करता रहता है.
उर्मिला : क्यूँ रे गोलू? तू प्यार नहीं करता अपनी दीदी से?
गोलू : करता तो हूँ भाभी....
कम्मो : ये झूठ बोल रहा है भाभी...
उर्मिला : अच्छा...!! अब पता चल जायेगा. चल गोलू, कम्मो को अपनी गोद में बिठा...
उर्मिला की बात सुन कर गोलू सट्टे में आ जाता है. बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला को देखता हुआ वो कहता है.
गोलू : वो...वो...भाभी...वो....
कम्मो : देखा भाभी...मैंने कहा था ना...ये मुझसे प्यार-व्यार नहीं करता बुर मुझे परेशान करता रहता है. देखो कैसे नखरे कर रहा है....
उर्मिला : आज कोई नखरा नहीं चलेगा तेरा गोलू. अगर तू अपनी दीदी से प्यार करता है तो अपनी गोद में बिठाएगा उसे.
गोलू अपना थूक गुटक कर निचे बैठ जाता है. धोती के अन्दर उसका लंड पूरा खड़ा है. उर्मिला कम्मो को गोलू की गोद में बैठने का इशारा करती है तो कम्मो धीरे-धीरे गोलू के पास आती है और घुटनों को मोड़ कर गोद में बैठने लगती है. उर्मिला कम्मो को सहारा देने के बहाने से उसकी कमर पकडती है और धीरे से उसका लहंगा पीछे से उठा देती है. कम्मो को बड़ी-बड़ी चूतड़ों पर छोटी सी कच्छी देख कर गोलू का लंड फनफना जाता है. कम्मो जैसे ही गोलू की गोद में बैठती है, गोलू का लंड कम्मो की बूर पर चिपकी कच्छी पर रगड़ खता हुआ ऊपर निकल जाता है और कम्मो की बूर कच्छी के अन्दर से गोलू के लंड पर चिपक जाती है. गोलू ज़मीन पर बैठा हुआ है और अपने घुटनों को मोड़े हुए कम्मो भी उसकी गोद में बैठी हुई है. उर्मिला और सोनू सामने से देखते है तो गोलू का मोटा लंड कम्मो की कच्ची पर सामने से पूरी तरह से चिपका हुआ है. गोलू धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाता है तो उसका लंड कच्ची पर रगड़ खाने लगता है. अगर उस वक़्त कच्छी ना होती तो गोलू का लंड कम्मो की बूर की फांक में रगड़ खा रहा होता.
ये नज़ारा देख कर एक बार सोनू को पायल की याद आ जाती है. अपने आप पर काबू पाते हुए सोनू भी वो नज़ारा देखने लगता है. उर्मिला गोलू को कुछ देर कम्मो के साथ मजे लेने देती है फिर कहती है.
उर्मिला : अब तो तुझे यकीन हो गया ना कम्मो की गोलू भी तुझसे प्यार करता है.
कम्मो : हाँ भाभी....
उर्मिला : अच्छा चल अब खड़ी हो जा.
कम्मो खड़ी होती है और तभी उसे एक तितली दिखाई पड़ती है तो वो उसके पीछे भाग पड़ती है. तभी गोलू उर्मिला के पांव पर गिर जाता है.
गोलू : भाभी...आप देवी हो. बस एक बार मुझे कम्मो की बूर का नज़ारा दिखा दो...मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा भाभी....
उर्मिला : (हँसते हुए) धत पागल..बूर देखने की चीज़ होती है या चोदने की....चल ठीक है...करती हूँ कुछ...सोनू, इधर तो आना...
गोलू और सोनू को धीरे-धीरे उर्मिला कुछ समझाने लगती है. उर्मिला की बात सुनकर दोनों के चेहरे पर हंसी फुट पड़ती है. तभी कम्मो भी दौड़ती हुई वहां आ जाती है. कम्मो के आते ही उर्मिला गोलू और सोनू को इशारा करती है तो गोलू सोनू से कहता है.
गोलू : तू हार जायेगा सोनू...
सोनू : मैं नहीं हरूँगा गोलू...तू हारेगा....
गोलू : चल ठीक है, देखते है...आजा मैंदान में...
कम्मो दोनों की बाते बड़े ध्यान से सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी. वो देखती है की गोलू और सोनू थोड़ी दूर जा कर बैठ जाते है और अपनी धोरी आगे से खोलने लगते है. कुछ ना समझ आने पर वो उर्मिला से कहती है.
कम्मो : ये दोनों क्या कर रहे है भाभी?
उर्मिला : पेंच लड़ाने की तेयारी...
कम्मो : पेंच...? पर यहाँ तो पतंग और मंझा है ही नहीं....
उर्मिला : (हँसते हुए) पागल...पतंग वाली पेंच नहीं....पेशाब वाली पेंच....
कम्मो : ये कौनसी पेंच है भाभी?
कम्मो : अरे लड़के तो खूब पेंच लड़ाते है पेशाब की. एक दुसरे की पेशाब पर पेशाब करते है और जिसकी पेशाब पहले ख़तम हो गई समझो वो हार गया...
तभी गोलू बोल पड़ता है...
गोलू : अरे आप भी किसी समझा रही हो भाभी...ये लड़कियों का खेल नहीं है...
कम्मो : चुप कर गोलू...माँ कहती है की लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती...
सोनू : पर ये तेरे बस की बात नहीं है कम्मो, तू रहने दे...
कम्मो : (गुस्से में) भाभी...मैं भी पेंच लड़ाउंगी और इन दोनों को हरा दूंगी...
उर्मिला : पर कम्मो...तू इन दोनों लड़कों के सामने ..... फिर तो तुझे कच्छी उतर कर पेंच लड़ाना पड़ेगा...
उर्मिला के कहते ही कम्मो झट से अपनी कच्छी उतर देती है और चलती हुई गोलू और सोनू के पास पहुँच हाती है. कम्मो को देख कर दोनों के होश उड़ जाते है. उर्मिला भी वहां आती है और कम्मो से कहती है.
उर्मिला : निचे बैठ जा कम्मो अपना लहंगा उठा के और हरा दे इन दोनों को.
उर्मिला से प्रोत्साहन पा कर कम्मो जोश में अपना लहंगा उठा कर निचे बैठ जाती है. उर्मिला कम्मो के पीछे बैठ कर उसकी टाँगे फैला देती है. कम्मो की बलोवाली बूर खुल के दिखने लगती है. गोलू अपनी बहन की बूर का वो नज़ारा देख कर उच्छल पड़ता है. सोनू के लंड में भी तनाव बढ़ जाता है. तीनो एक त्रिकोण बना कर बैठे थे. उर्मिला के १-२-३ कहते ही तीनो एक साथ पेशाब करने लग जाते है. तीनो की पेशाब एक जगह आ कर आपस में टकराने लगती है. कम्मो की नज़र ठीक टकराती हुई पेशाब पर थी और गोलू और सोनू की नज़र कम्मो की खुली बूर पर जिसमे से पेशाब की मोती धार निकल रही थी. उर्मिला भी कम्मो की टाँगे और खोल देती है जिस से गोलू और सोनू को कम्मो की बूर का पूरा नज़ारा दिखने लागता है.
उर्मिला : और जोर लगा कम्मो...!! हरा दे इन दोनों बदमाशों को...
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो आँखे बंद करके जोर लगा कर पेशाब करने लगती है. कम्मो की आँखे बंद होते ही गोलू और सोनू का हाथ अपने अपने लंड पर चला जाता है और कम्मो की बूर को घूरते हुए दोनों लंड मुठीयाने लगते है. सामने कम्मो आँखे बंद किये जितने की पुरी कोशिश कर रही थी और उसके दोनों भाई उसकी बूर को देखते हुए लंड मुठिया रहे थे. दोनों की पेशाब ख़तम हो जाती है और दोनों थोडा आगे बढ़ के कम्मो की बूर पर नज़रे गड़ाए लंड हिलाने लगते है. उर्मिला भी कम्मो की टाँगे अब पूरी खोल देती है. कम्मो की बूर से निकलती मोती धर का वो नज़ारा देख कर गोलू और सोनू पुरे जोश में लंड मुठीयाने लगते है.
कम्मो अपनी आँखे बंद किये जोश में बडबडाने लगती है.
कम्मो : (आँखे बंद किये) नहीं हरुंगी मैं....राजकुमारी अपने गुलामो से नहीं हारेगी....
गोलू और सोनू अपनी कमर को झटके देते हुए लंड मुठीयाने लगते है और कुछ ही क्षण में दोनों के लंड झटके देते हुए सफ़ेद गढा पानी फेकने लगते है. कम्मो की बूर को देखते हुए दोनों के लंड सारा पानी कम्मो के सामने गिरा देते है और फिर थक कर वही पर गिर जाते है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो कम्मो से कहती है.
उर्मिला : आँखे खोल ले कम्मो...तू जीत गई..
कम्मो अपनी आँखे खोलती है. सामने गोलू और सोनू थके-हारे ज़मीन पर पड़े हुए है. वो खुश हो जाती है. उसकी बूर से पेशाब की आखरी धार निकलती है और फिर वो कुछ बूँद का रूप ले लेती है. अपनी जीत पर गर्व महसूस करते हुए कम्मो उर्मिला से कहती है.
कम्मो : देखा भाभी...माँ सही कहती है. लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती...
उर्मिला : हाँ री मेरी लड़ो कम्मो...लड़कियों का तो पता नहीं...पर तू किसी से कम नहीं है.
कम्मो उच्छालती हुई निचे पड़े गोलू और सोनू को जीभ दिखा कर चिढाने लगती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते है और अपने लंड को धोती में डाल कर खड़े हो जाते है. कम्मो भी अपनी कच्छी पहन लेती है.
उर्मिला : आज तो बड़ा मजा आया. कामो ने तो कमाल कर दिया.
गोलू : हाँ भाभी...कम्मो दीदी ने तो कमाल ही कर दिया.
उर्मिला : पर सब मेरी बात ध्यान से सुनो. ये सारी बातें घर में किसी से नहीं कहना नहीं तो हम दोबारा मौज-मस्ती नहीं कर पाएंगे....समझ गई ना कम्मो...
कम्मो : हाँ भाभी...मैं घर पर किसी से नहीं कहूँगी.
उर्मिला : वैसे मैं सोच रही हूँ की क्यूँ ना आज की रात हम हमारे खेतों में गुजारें....रात भर खेल और मस्ती करेंगे...
कम्मो : (उच्छालती हुई) हाँ भाभी हाँ...आज रात खेतों में ही सोयेंगे...
उर्मिला : पर ध्यान रहे...तुम लोग घर पर कुछ नहीं बोलोगे, मैं सब संभाल लुंगी...ठीक?
तीनो ख़ुशी से एक साथ हामी भर देते है.
खेत से निकल कर चारों घर की और चल पड़ते है. कम्मो खुश है क्यूंकि कई सालों के बाद आज उसे बाहर समय बिताने का मौका मिला था. उर्मिला खुश थी की उसे एक और भाई-बहन के रिश्ते को अपने अंजाम तक पहुंचा दिया था. सोनू खुश था क्यूंकि आज रात उसे कोई ना कोई बूर मिलने वाली थी और गोलू....गोलू सबसे ज्यादा खुश था क्यूंकि आज रात उसे अपनी सगी बहन की बूर चोदने मिलने वाली थी. आज रात वो एक भाई से बहनचोद बनने वाला था.
(समय की कमी का कारन मैं कुछ शब्धों को ठीक नहीं कर पाई. कोई गलती हो तो क्षमा करियेगा)
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )