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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Jawani se bari 21 sal ki beti ke mummon ko aise ghurna. Bhai wah maja ajaveसामने दरवाज़े के अन्दर की दीवार के पीछे खड़े हो कर बाबूजी पायल की चुचियों के बीच की गहराई में अपनी नज़रे गड़ाये हुए है.
Bahut hi uttejit Kara dene wala vyaakyaवो नहीं चाहती की बाबूजी के सामने वो इस तरह से बिना ब्रा की टॉप पहने जाए. वो झट से पास ही रस्सी पर टंगी एक ओढ़नी अपने कंधो पर दाल लेती है और खाली बाल्टी ले कर उनके पास आती है.
Ye din dekna he muje.घर के दोनों लंड उसकी बूर के लिए उतावले हो रहे है. उसकी गदराई जवानी देख कर किसी दिन बाप बेटे पगला गए तो दोनों एक साथ अपना लंड पायल की बूर में ठूँस देंगे.
Dono milke ghar ki laadli ko hamuch hamuch ke chodh dalana chayiye. Aage padunga .कभी हाय पापा तो कभी हाय भैया चिल्लाते हुए
Apko aapki iss honaar pe ek Salam. Mastraniji kaha ho aap ? Ajao darshan karo iss charamsuk ke pyasi bakth ko !!!! Danyawad iss rachana ke liye.अपडेट ८:
शाम के ४:३० बज रहे हैं. उर्मिला सो कर उठती है. अंगडाई ले कर वो बाथरूम में जाती है और मुहँ धो कर फ्रेश हो जाती है.
"कुछ घंटो पहले मैंने जो तीर चलाया था, देखते है की सही निशाने पर लगा या नहीं". ये सोच कर वो पायल के कमरे की रताफ चल देती है.
उर्मिला : (पायल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हुए ) पायल...पायल..!! सो रही है क्या?
पायल : (आँखे खोलती है तो दरवाज़े पर कोई है. वो उठ कर दरवाज़ा खोलती है) अरे भाभी आप?
उर्मिला : हाँ... सो कर उठी तो सोचा की कुछ देर तेरे साथ बातें कर लूँ. मैंने तेरी नींद तो ख़राब नहीं कर दी ना?
पायल : अरे नहीं भाभी. मैं भी उठ हे गई थी. अन्दर आईये ना....
दोनों अंदर आ कर बिस्तर पर बैठ जाती है.
उर्मिला : कहाँ तक पढ़ ली किताब?
पायल : मेरा तो हो गया भाभी. आपको चाहिए तो आप ले जा सकती है.
उर्मिला : इतनी जल्दी पूरी किताब पढ़ ली तुने पायल? मैं तो एक हफ्ते से पढ़ रही हूँ लेकिन अब तक पूरी नहीं हुई.
पायल : (थोड़ी हिचकिचाते हुए) वो..वो..भाभी...ऐसे ही जो अच्छा लगा वो ऊपर ऊपर से पढ़ लिया ...पूरी किताब इतनी जल्दी कौन पढ़ सकता है?
उर्मिला : अच्छा चल छोड़ इस बात को. तू ये बता की अब ६ दिन गुजारेगी कैसे? तू तो अभी से ही बोर होने लगी है....
पायल : हाँ भाभी...मैं भी येही सोच रही हूँ. (कुछ देर चुप रहने के बाद). भाभी...आपके पास "मेरी सहेली" के और भी अंक होगें ना?
उर्मिला : (अपनी मुस्कान पर काबू पाते हुए) अरे कहाँ पायल. पिछली बार जब तेरे भईया आये थे तो उनके साथ बाज़ार से ले कर आई थी. उनके जाने के बाद कभी जाना नहीं हुआ. और तू तो जानती है की मैं अकेले उनके बिना कहीं जाती भी नहीं. अब तो वो एक हफ्ते बाद जब आयेंगे तब ही जाना होगा.
पायल : मेरा कॉलेज भी बंद है भाभी, नहीं तो मैं हीले आती.
दोनों कुछ देर वैसे ही खामोश रहते है. फिर उर्मिला कहती है.
उर्मिला : वैसे पायल मेरे पास वक़्त बिताने के लिए एक और किताब भी है.
पायल : (चेहरे पे उत्सुकता आते हुए) कौनसी किताब भाभी?
उर्मिला : है एक किताब. रात में जब भी तेरे भईया की याद आती है तो वो किताब पढ़ लेती हूँ.
पायल : (पायल आँखे बड़ी करते हुए) ऐसा क्या है उस किताब में भाभी?
उर्मिला : (दोनों हाथों से पायल के गाल खींचते हुए) मेरी डार्लिंग ननद जी....उस किताब में वो है जिसे पढ़ के .... वो क्या कहती है तू? हाँ....'कुछ कुछ होता है'.
पायल : (हँसते हुए) समझ गई भाभी...आपके दिल में 'कुछ कुछ होता है'. लगता है बहुत ही रोमांटिक किताब है....
उर्मिला : धत्त पगली...!! जिसकी नयी नयी शादी हुई हो और पति ज्यादातर घर से बाहर ही रहता हो उसके क्या दिल में कुछ कुछ होगा ? (मुस्कुराते हुए) वो किताब पढ़ के 'कुछ कुछ होता है' लेकिन दिल में नहीं, यहाँ ... बिल में...(उर्मिला अपनी ऊँगली से पायल की बूर तरफ इशारा करते हुए कहती है).
पायल : (भाभी का इशारा समझते ही शर्मा जाती है) धत्त भाभी... आप भी ना..!!
उर्मिला : क्या करूँ पायल? अब इसकी प्यास भी तो बुझाना जरुरी है ना? तेरे भैया नहीं तो ये किताब हे सही...
उर्मिला की बात सुन के पायल सर निचे झुका लेती है और धीरे धीरे मुस्कुराते हुए चादर पर ऊँगली घुमाने लगती है. कुछ क्षण की ख़ामोशी के बाद उर्मिला कहती है.
उर्मिला : तुझे वो किताब मैं दे सकती हूँ, लेकिन दूंगी नहीं...
पायल : (झट से भाभी की तरफ देखती है) क्यूँ भाभी?
उर्मिला : कहीं तुने मम्मी जी को बता दिया तो?
पायल छलांग लगा के उर्मिला के सामने आ जाती है...
पायल : नहीं बताउंगी भाभी...किसी को भी नहीं बताउंगी ...गॉड प्रॉमिस...!!
उर्मिला : (चेहरे पे मुस्कान आ जाती है) जानती हूँ मेरे लाडों ...तू किसी से नहीं कहेगी. मैं तो बस यूँ ही मज़ाक कर रही थी. ठीक है, रात में तुझे दे दूंगी वो किताब.
पायल : (झट से कहती है) अभी दीजिये ना भाभी.....
पायल की इस बात पर उर्मिला उसे मुस्कुराते हुए देखने लगती है. पायल समझ जाती है की भाभी ने उसकी उत्सुकता भांप ली है. वो बात को संभालने के लिए कहती है.
पायल : भाभी मेरा मतलब था ...की..वो.. मेरे पास अभी कुछ करने को नहीं हैं ना, तो मैं सोच रही थी की अभी पढ़ लेती हूँ. वैसे भी रात में मुझे कॉलेज का काम करना है.
उर्मिला : हाँ ...तेरी बात भी सही है. चल मेरे साथ. तुझे वो किताब दे दूँ.
दोनों उर्मिला के कमरे में आते हैं. उर्मिला अलमारी खोल के कपड़ों के निचे से एक किताब निकाल के पायल को देती है.
उर्मिला : जल्दी ले इसे और अपनी टॉप में छुपा ले. और याद रहे, किसी को पता ना चले...
पायल : (किताब झट से अपनी टॉप में छुपा लेती है) डोंट वरी भाभी...किसी को पता नहीं चलेगा...अब मैं चलूँ?
उर्मिला : हाँ ठीक है...
पायल किताब को अपनी टॉप में छुपाये दौड़ती हुई कमरे से बाहर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला कहती है, "ध्यान से पायल". पायल दौड़ते हुए जवाब देती है, "जी भाभी" और कमरे से निकल जाती है. उसके जाने के बाद उर्मिला के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. "पायल रानी...जब तू ये किताब पढ़ेगी तो तेरी बूर में वो आग लगेगी जो सिर्फ कोई लंड ही बुझा सकेगा और घर में अभी दो ही लंड है. एक सोनू का और एक बाबूजी का. मैं भी देखती हूँ की तेरी बूर में पहले किसका लंड जाता है, सोनू या बाबूजी का". उर्मिला मुस्कुराते हुए रसोई की ओर चल देती है.
वहां पायल अपने कमरे में घुसते ही दरवाज़ा बंद करती है और लॉक करके सीधा बिस्तर पर छलांग लगा देती है. अपनी टॉप के अन्दर से किताब निकाल कर वो बड़े ध्यान से देखती है. कवर पर एक अधनंगी लड़की की तस्वीर है. ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में "मचलती जवानी" लिखा हुआ है और निचे लेखक का नाम है - "मस्तराम".
[क्रमशः]
[ मस्तराम जी मेरे प्रेरणा सोत्र हैं. ये कहानी मैं उन्हें समर्पित करती हूँ. उस महान लेखक को मेरा शत शत प्रणाम ]
[जारी]
पायल किताब का पहला पन्ना उलटती है. सामने कहानियों के शीर्षिक लिखे हुए हैं. "१. गर्मी की एक रात, पापा के साथ", "२. पापा के लंड की सवारी", "३. भैया के लंड की प्यासी", "४. छोटे भाई का मोटा लंड". कहानियों के शीर्षक पढ़ के पायल को पसीना आने लगता है. उसने सोचा भी नहीं था की इस किताब में इस तरह की कहानियां होगी. पायल उन शीर्षकों को फिर से एक बार पढ़ती है. फिर कांपती हुई उँगलियों से वो पन्ना पलटती है. दुसरे पन्ने में बड़े अक्षरों में, "गर्मी की एक रात, पापा के साथ" लिखा हुआ है. वो धीरे धीरे नज़रों को निचे ले जा कर कहानी पढ़ने लगती है. कहानी एक १९ साल की एक लड़की की है जो गर्मी के मौसम में अलग अलग घटनाओं द्वारा धीरे धीरे अपने पापा के करीब आती है और गर्मी की एक रात पापा की हमबिस्तर हो कर चुद जाती है. पायल की नज़रें गौर से पन्ने पर छपे हर एक अक्षर को पढ़ने लगती है. हर एक पलटते पन्ने के साथ पायल का बुरा हाल होता जा रहा था. कहानी पढ़ते हुए कभी वो अपने ओठों को दांतों से दबा देती तो कभी अपनी बड़ी बड़ी चुचियों की घुंडीयों (nipples) को मसल देती. एक बार कहानी में ऐसा मोड़ आया की पायल ने सिसकारी भरते हुए पैन्टी के ऊपर से अपनी बूर को ही दबोच लिया. धीरे धीरे पायल अपने बदन से खेलते हुए कहानी पढ़ती जा रही थी. ३० मिनट के बाद पायल ने जैसे ही वो कहानी खत्म की, वो किताब को एक तरफ फेंक कर बिस्तर पर सीधा लेट गई. उसके एक हाथ ने टॉप के निचे से होते हुए एक चूची को अपनी गिरफ्त में ले लिया और दुसरे हाथ ने पैन्टी के अन्दर घुस के बूर के ओठों से खेलना शुरू कर दिया. पायल आँखे बंद किये हुए अपने ओठों को दांतों से काट रही थी. उसके हाथ चूची को कभी दबोच के दबा देते तो कभी मसल देते. पैन्टी के अन्दर हाथ की एक ऊँगली बूर के सुराक को तलाशने लगी. पायल की बूर बुरी तरह से रिसने लगी थी. उसके दिमाग में उस कहानी के कुछ मादक अंश घुमने लगे थे. उन्हें याद करके पायल और भी ज्यादा मचल जाती. तभी पायल के दिमाग में कहानी का एक अंश आया जिसने उसका बुरा हाल कर दिया. पायल ध्यान लगा के उस अंश को याद करती है. उसकी बंद आँखों के सामने कहानी का वो एक हिस्सा आ जाता है.....
"बिना कपड़ों के नंगे बदन कुसुम, अपने पापा के मोटे लंड पर ऐसे उच्छल रहीं थीं मानो किसी घोड़े की सवारी कर रही हो. घर की बिजली कटी थी और गर्मी की रात. इमरजेंसी लाइट की रौशनी में कुसुम का पसीने से भरा बदन चमक रहा था. दोनों हाथों को उठायें वो अपने बालों को चेहरे से हटा के पीछे कर रही थी. तभी निचे लेटे बूर में सटा सट लंड पलते हुए पापा की नज़र कुसुम के उठे हाथों की बगलों पर पड़ी. दोनों बगल में रेशमी बाल और बहता पसीना देख के पापा ने अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले जा कर उसे अपने ऊपर खींच लिया. कुसुम की भारी चूचियां पापा के सीने से पूरी तरह से चिपक गई और पापा ने सर उठा के उसकी बगल से निकलती पसीने की खुशबू को एक लम्बी सांस लेते हुए सूंघ लिया. पसीने की गंध सूंघते ही पापा ने निचे से जोर की ठाप लगायी तो कुसुम की चीख निकल गई - 'हाय...!! मर गई पापा...!!'...".
इस अंश को याद करते ही पायल के मुहँ से हलकी सी आवाज़ निकल जाती है, "उफ़ पापा". तभी उसके दोनों हाथ थम जाते है और आँखे झट से खुल जाती है. बड़ी बड़ी आँखों से वो ऊपर पंखे को देखने लगती है. दिल ऐसे धड़क रहा है मानो कोई ढोल बजा रहा हो. "ये मैंने क्या कह दिया? अपने ही पापा के बारें में....". इतना कहते ही पायल की ऊँगली हरकत में आ जाती है और बूर के दाने को रगड़ने लगती है. दूसरा हाथ चूची को मसलने लगता है. उसकी आँखे एक बार फिर से बंद हो जाती है और उसके मुहँ से फिर एक आवाज़ निकलती है, "हाय पापा....सीssss....उफ़ पापाssss". उसकी कमर ऊपर उठ जाती है और ऊँगली बूर के दाने को तेज़ी से रगड़ने लगती है. "बहुत गर्मी है पापा....ठंडा कर दीजिये ना....". पायल के मुहँ से अब अपने पापा के लिए वो शब्द निकलने लगते है जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. पापा के प्रति उसका प्यार अब धीरे धीरे हवस का रूप लेने लगा था. तभी पायल के कानो में दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. वो होश में आती है. किताब को तकिये के निचे झट से छुपा के पायल कड़ी हो जाती है और अपने कपड़े ठीक करते हुए दरवाज़े के पास जाती है.
पायल : (दरवाज़ा खोलती है) भाभी आप?
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी है) मैडम ... आपकी आज की पढाई हो गई हो तो चाय पीने आ जाइये. सब आपका इंतज़ार कर रहे है.
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी भाभी. ५ मिनट में आती हूँ.
उर्मिला : (जाते हुए) जल्दी आना, देर मत लगा देना.
पायल : जी भाभी ...
दरवाज़ा बंद करके पायल अन्दर आती है. उसके चेहरे पर मुस्कान है. सामने आईने में अपने आप को देखती है. अपनी सुन्दरता और गदराये बदन को देख के पायल की मुस्कान और ज्यादा खिल जाती है. तभी पायल को उस कहानी का एक छोटा सा अंश याद आता है. जिसे याद कर के वो हँस देती है. आईने के थोडा करीब जा कर वो झुक जाती है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई को वो आईने में देखते हुए वो एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहती है, "पापा आपकी चाय...". फिर वो एक हाथ से अपना चेहरा छुपा के मुस्कुराते हुए बाथरूम में भाग जाती है.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
[समय की कमी के कारण हो सकता है की कुछ शब्द सही ना हो. इसके लिए मैं पहले ही क्षमा मांगती हूँ. जल्दी ही उन्हें ठीक कर दिया जायेगा]