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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Bhai chedi ko manne padega. Behan ki sahmathi aane thak ruka he. Shayad uski aatra ki janam din ko hi usse pucha hoga. "Tera bhai ko degi kya apni jawani?"छेदी : (मुस्कुराते हुए) अब क्या कहूँ मैडम जी आपसे. बहुत वक़्त से खुशबू की जवानी ने परेशान कर रखा था. थोडा समय लगा इसे मनाने में पर आखिरकार मान गयी.
बूर किसी डबल रोटी की तरह फूल गई है
ऐसी बुर में मध लगा कर चाटना, किसी स्वर्ग पाने से कम नहींAisi lagrah hoga uski burr
आपको याद है पापा, जब मैं छोटी थी तो आप मुझे अपनी ऊँगली पकड़ा के मुझे चलना सिखाया था.
रमेश : हाँ याद है पायल.
पायल : और आज मुझे आप फिर एक बार अपना लंड पकड़ा कर चुदना सिखा रहे है.
पायल की बात सुन कर रमेश पायल का माथा चूम लेते है.
Madh ki kya jarurath ? jab madhushala hi risti ho uss chedh se.ऐसी बुर में मध लगा कर चाटना, किसी स्वर्ग पाने से कम नहीं
Bhai ye vyakya harr bap sunna chayegaपायल : आह...!! हाँ पापा..!! लेकिन आप मेरे दर्द की चिंता मत करिए.
Ye kaunsa series he kripiya karke koi bataye. Nagma ke Fareb ke bad uske aise series nahi deki he mene
bhut khub likha hअपडेट ५:
अगली सुबह उर्मिला अंगडाई लेते हुए आँखे खोलती है. बहुत दिनों के बाद उसे ऐसी नींद आई थी. ये सब पिछली शाम सोनू के मोटे लंड से चुदने का कमाल था. उर्मिला बिस्तर पर बैठ जाती है और अपनी नाइटी उठा के बूर को देख मुस्कुरा देती है. फिर वो उठ के बाथरूम में चली जाती है.
सुबह के ६:३० बज रहे है. उर्मिला रसोई में बर्तन धो रही है और गैस पर चाय चढ़ी है. तभी उसे पायल की आवाज़ आती है.
पायल : गुड मोर्निंग भाभी....
उर्मिला : (मुड़ के देखती है तो सामने पायल टॉप और पजामा पहने खड़ी है) अरे पायल ? आज सूरज किस दिशा से निकला है? तू आज इतनी सुबह कैसे उठ गई ?
पायल : पता नहीं भाभी ऐसा क्यूँ होता है ? कॉलेज था तो नींद आती थी. अब बंद है तो सुबह सुबह ही नींद खुल गई.
उर्मिला : (हँसते हुए) ऐसा सब के साथ होता है पायल. येही तो स्कूल और कॉलेज के हर स्टूडेंट की कहानी है. (उर्मिला की नज़र पायल की टॉप में कैद उसकी चुचियों पर जाती है. बिना ब्रा के ऐसी लग रही है की अगर किसी ने उसकी टॉप पर ब्लेड रख भी दी तो अभी टॉप फाड़ के बाहर आ जायेंगी. पायल फ्रिज खोल के पानी की बोतल उठाने के लिए झुकती है तो उसकी चुतड उठ के दिखने लगती है. "सोनू सही करता है. ऐसी चौड़ी चुतड के पीछे तो हर कोई लंड पकडे घूमता रहे", पायल मन में सोचती है)
पायल : (एक घूंट पानी पीने के बाद) लाईये भाभी... मैं बर्तन धो दूँ..
उर्मिला : अरे मैं धो लुंगी. तू एक काम कर. वाशिंग मशीन में कुछ कपड़े है. तू उन्हें छत पर ले जार कर डाल दे.
पायल : ओके भाभी... एज़ यू विश...
पायल वाशिंग मशीन से कपड़ों को निकाल के एक बाल्टी में डाल देती है और सीढ़ियों की और बढ़ने लगती है. पिछसे उर्मिला उसे आवाज़ देती है.
उर्मिला : और हाँ पायल... कपड़ों को पहले एक बार अच्छे से निचोड़ लेना....
पायल : हाँ भाभी... (और वो छत पर चली जाती है)
पायल के जाते ही रमेश रसोई में आता है.
रमेश : क्या कर रही हो बहु?
उर्मिला : (बाबूजी को देख कर) अरे बाबूजी आप? (वो आगे बढ़ कर पैर पढ़ने के लिए झुकती है. रमेश एक नज़र उर्मिला की नाईटी के ढील गले से दिख रही उसकी चुचियों के बीच की गली पर मार लेता है. उर्मिला पैर पढ़ के खड़ी हो जाती है) कुछ नहीं बाबूजी. बस बर्तन साफ़ कर रही थी. चाय बन जाएगी तो मैं छत पर ले कर आ जाउंगी.
रमेश : नहीं बहु. आज घुटनों में दर्द सा हो रहा है. आज कसरत नहीं करूँगा. तुम मेरी चाय ड्राइंग रूम में ही ला देना. वैसे बच्चे तो अभी सो ही रहे होंगे?
उर्मिला : सोनू तो सो रहा है बाबूजी लेकिन पायल उठ गई है.
रमेश : (आश्चर्यचकित होता हुआ) पायल उठ गई है? ये कैसे हो गया? अब तो उसका कॉलेज भी बंद है ना?
उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबूजी बंद है. मुझसे कह रही थी की जब कॉलेज था तो सुबह नींद आती थी, अब बंद है तो जल्दी खुल गई.
रमेश : (वो भी हसने लगता है) ये आजकल के बच्चे भी ना..! पायल है कहाँ? दिखाई नहीं दे रहीं?
उर्मिला : वो छत पर गई है बाबूजी कपड़े डालने. थोड़ी देर में आ जाएगी.
रमेश : (कुछ पल की ख़ामोशी के बाद) मैं सोच रहा हूँ बहु की कसरत कर ही लूँ. एक दिन ना करूँ तो कल दिक्कत हो जाएगी. तुम एक काम करो. मेरी चाय छत पर ही ला दो. (नज़रे उठा के गैस पर चढ़े बर्तन को देखते हुए) चाय बन गई या अभी वक़्त है?
उर्मिला : थोडा वक़्त लगेगा बाबूजी. आप जाइये, मैं आपकी चाय ले कर आ जाउंगी.
रमेश : हाँ...! तब तक मैं भी छत पर जा कर अपनी तैयारी कर लेता हूँ.
रमेश के जाते ही उर्मिला पीछे घुमती है तो चाय उबल के गिरने को है. वो दौड़ कर गैस बंद करती है. "अभी गिर जाती. लगता है गैस ज्यादा ही खोल दिया था मैंने". फिर उर्मिला चाय को कप में डालती है और सीढ़ियों पर चलते हुए छत पर जाने लगती है. चढ़ते हुए उर्मिला को छत के दरवाज़े के पास बाबूजी दिखाई पड़ते हैं. उनका चेहरा छत की तरफ है. वो सोचने लगती है की बाबूजी यहाँ क्या कर रहे हैं? वो दबे पाँव सीढ़ियों से थोडा और ऊपर जाती है. आगे का नज़ारा देख के उसके पैरो तले ज़मीन खिसक जाती है. छत पर पायल झुक के किसी कपड़े को दोनों हाथों से पकड़ के निचोड़ रही है. बिना ब्रा की टॉप और ढीला गला होने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियों की गोलाइयों के बीच गहरी घाटी साफ़ दिखाई दे रही है. सामने दरवाज़े के अन्दर की दीवार के पीछे खड़े हो कर बाबूजी पायल की चुचियों के बीच की गहराई में अपनी नज़रे गड़ाये हुए है. उनका एक हाथ धोती के अन्दर है और धोती के आगे का हिस्सा जोर जोर से ऊपर निचे हो रहा है. कुछ पल तो उर्मिला उस नज़ारे को आँखे फाड़ फाड़ के देखती है. फिर उससे होश आता है. "हे भगवान ...!! बाबूजी जी भी ? इस लड़की की जवानी ने तो घर में आग लगा रखी है. सोनू क्या कम था जो अब बाबूजी भी अपना लंड खड़ा किये इसके पीछे लग गए हैं", उर्मिला मन में सोचती है. तभी पायल शर्ट की कॉलर को दोनों हाथो से पकड़ के आपस में रगड़ने लगती है. जोर से रगड़ने से उसके कंधे हिलने लगते है और दोनों चूचियां भी टॉप के ऊपर से हिलने लगती है. ढीले गले से चुचियों की गोलाइयाँ बीच बीच में आपस में टकरा भी रही है. ये देख के बाबूजी का हाथ धोती के अन्दर और तेज़ी से हिलने लगता है. अचानक बाबूजी धोती के अन्दर तेज़ी से हाथ चलाते हुए अपनी कमर आगे की और उठाके दीवार के पीछे आ जाते है. दुसरे हाथ से धोती को आगे से हटाते ही बाबूजी का पहला हाथ लंड पकडे बाहर आता है. उर्मिला बाबूजी का लंड देख के घबरा जाती है. लगभग ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा. नसें फुल के उभरी हुई. बाबूजी पीछे झुक के एक नज़र पायल की हिलती हुई चुचियों पर डालते है, उनका हाथ और तेज़ी से चलने लगता है और लंड झटके खाता हुआ गाढ़ा सफ़ेद पानी उगलने लगता है. बाबूजी पीछे झुक के पायल को देखते हुए अपने लंड की चमड़ी जब जब पीछे करते है, उनका लंड झटका खा कर गाढ़ा सफ़ेद पानी फेंक देता है. ऐसे हे बाबूजी ८-१० बार लंड से पानी गिराते है और फिर लंड को धोती में छुपा लेते है. उर्मिला भी दबे पाँव सीढ़ियों से निचे आ जाती है. कुछ देर रुक कर वो सांस लेती है और फिर अपने पैरो को पटकते हुए सीढ़ियों से ऊपर जाने लगती है.
ऊपर बाबूजी अपनी धोती ठीक कर रहे हैं. जैसे ही उन्हें क़दमों की आहट सुनाई देती है वो सतर्क हो जाते है.
उर्मिला : बाबूजी आप यहाँ? अब तक कसरत की तैयारी नहीं की आपने?
रमेश : बस बस बहु..अभी करने ही वाला था. मैंने सोचा की पायल कपड़े डाल रही है. उसका हो जाए फिर मैं अराम से अपनी तैयारी कर लूँगा.
उर्मिला : ओह अच्छा...!! ये लीजिये बाबूजी आपकी चाय...
सामने पायल छत के दरवाज़े पर बाबूजी और उर्मिला को देख लेती है. पायल ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है. वो नहीं चाहती की बाबूजी के सामने वो इस तरह से बिना ब्रा की टॉप पहने जाए. वो झट से पास ही रस्सी पर टंगी एक ओढ़नी अपने कंधो पर दाल लेती है और खाली बाल्टी ले कर उनके पास आती है.
पायल : गुड मोर्निंग पापा..
रमेश : गुड मोर्निंग बेटा ... (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) आज मेरी बिटिया रानी इनती सुबह कैसे उठ गई?
पायल : बस पापा.. आज जल्दी नींद खुल गई.
रमेश : बहुत अच्छा है बेटी. ऐसे ही रोज जल्दी उठा करो. सेहत के लिए अच्छा होता है. और कॉलेज खुलने तक अपनी भाभी का काम में हाथ भी बटा दिया करना.
पायल : हाँ बाबूजी. अब तो मैं रोज ऐसे हे जल्दी उठ जाया करुँगी और घर का काम कर लिया करुँगी भाभी के साथ.
पायल की बात सुन के उर्मिला मन में सोचती है. "हाँ...ताकि रोज सुबह बाबूजी तेरी चुचियों को हिलते हुए देखें और अपने लंड का पानी निकालें"
पायल : भाभी... आप चल रहे हो निचे?
उर्मिला : हाँ रुक मैं भी चलती हूँ. अच्छा बाबूजी हम चलते है. आप कसरत करिए और हम दोनों घर का काम.
रमेश : (हँसते हुए) ठीक है बहु..
उर्मिला और पायल बातें करते हुए सीढ़ियों से निचे उतरने लगते है. ऊपर से रमेश बारी बारी दोनों की मटकती हुई चूतड़ों को देखते है फिर कसरत करने छत पर चले जाते हैं.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )