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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Mah1983

Member
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58
अपडेट १३:

चहरे पर मुस्कराहट लिए पायल उच्चलती हुई सीढ़ियों से निचे उतर रही है. पापा के साथ हुई हर एक घटना को याद करके उसका दिल धड़क रहा है और एक मीठा सा दर्द उसके तन-बदन में एक अजीब सी प्यास जगा रहा है. कभी शर्माती तो कभी हँसती हुई वो निचे आती है. सामने सोफे पर बैठी उमा उसे देखती है.

उमा : अरी ओ, बेलगाम घोड़ी....!! संभल के. गिर गई और हड्डियाँ टूट गई तो हो गया सत्यानाश....

पायल ड्राइंग रूम में आती है और मुहँ बना कर उमा को लम्बी सी जीभ दिखा देती है.

उमा : बताऊँ तुझे मैं...? अपनी माँ को जीभ दिखाती है ? और....और ये क्या कपड़े पहन रखे हैं तुने ? घर में दो-दो मर्द है और इस लड़की को देखो... अभी बदल के आ ये टॉप...जा...

पायल : नहीं बदलूंगी...!! फैशन है ये आजकल... और मुझे गर्मी भी होती है....

उमा : फैशन गया तेल लेने...और गर्मी होगी तो क्या घर में नंगी घूमेगी तू?

पायल : हाँ ..! घुमुंगी नंगी... आपको क्या?

उमा गुस्से में सोफे पर से उठ के खड़ी हो जाती है और अपना हाथ उठा के....

उमा : चुप कर बदमाश..!! अभी एक तमाचा लगा दूंगी तुझे....

रसोई में खड़ी उर्मिला माँ-बेटी को नोक-झोंक बहुत देर से देख रही थीं. उमा का पारा चढ़ते ही वो वहां पहुँच जाती है.

उर्मिला : अरे अरे मम्मी जी...!! इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है ? (पायल को अपने सीने से लगा कर) इतनी प्यारी बच्ची है...(पायल के सर पर हाथ फेरना लगती है).

उमा : २१ साल की घोड़ी हो गई है और अक्कल नहीं है इस लड़की को जरा भी...देख तो उर्मिला इस लड़की को...अब तू ही समझा इसे..

उर्मिला : मम्मी जी..आप ऐसे ही गुस्सा कर रही है. (उर्मिला चुपके से अपनी ऊँगली पजामे के ऊपर से पायल की बूर पर रगड़ देती है और कहती है) बहुत गर्मी होती है बेचारी को...

उर्मिला की इस हरकत पर पायल भाभी को देखती है और अपने ओंठ काट लेती है.

उमा : बहु...गर्मी तक तो ठीक है...लेकिन इसे कुछ तो शर्म होनी चाहिए ना...?

उर्मिला : (पायल को देखते हुए) मम्मी जी की ये बात बिलकुल सही है पायल...थोड़ा ध्यान तो तुझे भी रखना होगा...(धीरे से पायल को आँख मारते हुए) अब चल...मम्मी जी को सॉरी बोल....

पायल : (धीरे से) आइ एम सॉरी मम्मी....

उमा : हाँ ठीक है...चल अब जा और पहले ये कपड़े बदल.... (अपने कमरे की तरफ जाते हुए) पता नहीं ये लड़की बाहर क्या कांड करेगी....

उमा के जाते ही पायल और उर्मिला धीरे धीरे हँसने लगते है.

उर्मिला : (धीरे से पायल से कहती है) ये लड़की बाहर नहीं मम्मी जी, घर में कांड करेगी....बोल करेगी ना पायल ?

पायल : (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी...करुँगी...!

उर्मिला : अब जल्दी से अपने कमरे में जा, मैं २ मिनट में आती हूँ.

पायल दौड़ती हुए अपने कमरे में चली जाती है. रसोई में बचा हुआ काम जल्दी जल्दी खत्म करके उर्मिला पायल के रूम में जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो पायल आईने के सामने खड़ी हो कर टॉप पर से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां पकडे हुए है. उर्मिला झट से दरवाज़ा अन्दर से बंद कर के पायल के पास पहुँच जाती है.

उर्मिला : (पीछे से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पकड़ के) और मेरी पायल रानी..!! बड़ी खुश लग रही है...पापा का लंड अपनी बूर में ठूंसवा के आ रही है क्या?

पायल : (मस्ती में) भाभी काश...!! पापा मेरी बूर में अपना मोटा लंड ठूँस देते...

उर्मिला : (पायल को अपनी तरफ घुमाते हुए) तो नहीं ठूँसा क्या?

पायल : (उदास होते हुए) नहीं भाभी....

उर्मिला : (पायल को सीने से लगाते हुए) कोई बात नहीं मेरी बन्नो...!! सब्र कर...फल जल्द ही मिलेगा...अच्छा ये तो बता क्या क्या हुआ छत पर..?

पायल की आँखों में चमक आ जाती है. वो भाभी का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले जाती है और दोनों बैठ जाते है.

पायल : (उत्सुकता के साथ) क्या बताऊँ भाभी....आज मैंने पापा को अपनी आधी चूचियां दिखा दी...

उर्मिला : सच..!! फिर तो पापा का बुरा हाल हो गया होगा ना?

पायल : हाँ भाभी... इधर मैं अपनी चूचियां जोर जोर से हिला रही थी और उधर पापा का लंड धोती में झटके ले ले कर उच्छल रहा था...

उर्मिला : हाय...!! बाबूजी तेरी चुचियों को घुर रहे थे क्या?

पायल : हाँ भाभी...खा जाने वाली नज़रों से....मेरा तो दिल किया की अभी पापा के पास जाऊं और टॉप उठा के अपनी बड़ी बड़ी चूचियां उनके मुहँ में दे दूँ...

उर्मिला : तो दे देती ना...किसने रोका था....

उर्मिला : (पायल मुहँ बना कर) हाँ भाभी...अगली बार पापा ऐसे देखेंगे तो सच में दे दूंगी....

उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा...और बता ना क्या हुआ...?

पायल : पापा ने मेरी पसीने से भरी बगलें सूंघ ली भाभी...कह रहे थे की टॉप की बांहे खेल बिगाड़ रही है. वो पूछ रहे थे की कोई बिना बांह वाली टॉप नहीं है क्या मेरे पास...

पायल की बात सुन के उर्मिला की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है. वो धीरे से गहरी सांस लेती है तो पायल के बदन से निकलती हलकी पसीने की खुशबू सीधे उसकी नाक में घुस जाती है. "उफ़"...उर्मिला के मुहँ से निकल जाता है.

पायल : क्या हुआ भाभी..?

उर्मिला : तेरे बदन की खुशबू ही इतनी मदहोश कर देने वाली है पायल, तो तेरी बगलों की महक तो सच में किसी को भी पागल कर देगी...एक बार अपना हाथ तो उठाना...

पायल एक हाथ ऊपर उठा देती है. उर्मिला गौर से देखती है. उसकी छोटी बांह से हलके रेशमी बाल दिख रहे है और निचे का टॉप भीगा हुआ है. उर्मिला अपनी नाक पायल की बगल के पास ले जाती है और एक जोरो की सांस लेती है....

उर्मिला : आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!! तेरी बगल की गंध से मेरा ये हाल हो रहा है तो बाकी मर्दों का क्या हाल होगा. पता नहीं इसे सूंघने के बाद तेरे पापा ने अपने आप पर कैसे काबू रखा होगा...

पायल : सच भाभी..? मेरी बगल की गंद इतनी अच्छी है?

उर्मिला : अच्छी ? बहुत अच्छी है पायल.. तू एक बार किसी को सुंघा दे तो वो अपना लंड थामे तेरे पीछे पीछे चला आये...

इस बात पर दोनों हँस पड़ते है...

उर्मिला : अच्छा अब आगे का कुछ सोचा है?

पायल : पता नहीं भाभी...आप ही कुछ बताइए ना...

उर्मिला : अच्छा...करती हूँ मैं कुछ....(कुछ सोच कर) अच्छा पायल एक बात तो बता...

पायल : जी भाभी..

उर्मिला : सोनू से तेरी कभी क्यूँ नहीं बनती? हमेशा दोनों झगड़ते रहते हो?

सोनू का नाम सुनते ही पायल को गुस्सा आ जाता है.

पायल : मेरे सामने उसका नाम भी मत लीजिये भाभी... एक नंबर का गधा है वो...

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा ठीक है...गधा है वो लेकिन फिर भी तेरा सगा भाई है...

पायल : भाई है तो क्या हुआ? उस गधे से तो मैं बात भी ना करूँ...

उर्मिला : पगली...भाई बहन में तो नोक-झोंक चलती ही रहती है...अब जैसे देख, मैं और मेरा चचेरा भाई....

पायल मुस्कुराते हुए बीच में उर्मिला की बात काट देती है.

पायल : वही ना भाभी...जिसने आपकी सबसे पहले बूर खोली थी..

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा...वही...!! तो हम दोनों भी पहले बहुत झगडा करते थे लेकिन सबसे पहले मेरी बूर में उसी का लंड गया ना?

पायल : लेकिन भाभी...मैं और सोनू तो एक दुसरे को फूटीं आँख नहीं भाते...

उर्मिला : तुझे कैसे पता? हो सकता है की सोनू तेरे लिए अपना लंड थामने खड़ा हो?

पायल : धत्त भाभी...वो तो मुझसे हमेशा लड़ते रहता है...

उर्मिला : इसी लड़ाई के पीछे तो भाई का असली प्यार छुपा होता है पायल...

पायल : (कुछ सोचती है फिर कहती है) अच्छा भाभी...एक बात बताइए....आप अपने भाई के साथ बहुत चुदाई करती होगी ना?

उर्मिला : पूछ मत पायल...! स्कूल में, स्कूल से घर आते वक़्त पास के जंगल में, घर की छत पर और ना जाने कहाँ कहाँ ... जब भी जहाँ भी मौका मिलता वो मुझ पर चढ़ाई कर देता था...

पायल : उफ़ भाभी...!! (वो फिर से कुछ सोचती है) पर भाभी..! रक्षाबंधन के दिन जब आप उसकी कलाई पर राखी बांधती होगी तब तो आपको थोडा अजीब लगता होगा ना?

उर्मिल : (मुस्कुराते हुए) अजीब? पगली...!! असली मज़ा तो उसी दिन आता था...

ये सुन कर पायल की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है.

पायल : हाय राम भाभी..!! रक्षाबंधन के दिन भी, आप दोनों...

उर्मिला : हाँ पायल..रक्षाबंधन के दिन भी...और उस दिन का तो हम दोनों बेसब्री से इंतज़ार करते थे...उस दिन मैं राखी की थाली ले कर आती थी. वो निचे बैठा रहता था. घरवालों के सामने मैं उसके माथे पर टिका लगाती थी, उसकी आरती उतरती थी. फिर हम एक दुसरे को मिठाई खिलाते. मैं उसकी कलाई पर राखी बांधती और वो मेरे हाथ में ५०/- रूपए का नोट थमा देता.

ये सब पायल बड़े गौर से सुन रही थी. उसकी आँखे बड़ी और मुहँ खुला हुआ था. साँसे धीरे धीरे तेज़ हो रही थी.

पायल : और फिर भाभी....?

उर्मिला : फिर क्या ?... हम दोनों किसी बहाने से घर से निकलते. वो मुझे अपनी साइकल पर बिठा के पास के जंगल ले जाता. जंगल में वो अपनी पैंट उतरता और मैं उसके मोटे लंड पर राखी बाँध देती. फिर वो मुझ पर चढ़ाई कर देता. वो 'बहना' 'बहना' कहते हुए मेरी बूर में लंड पेलता और मैं 'भैया' भैया' कहते हुए उसका लंड बूर में लेती.

अब पायल की हालत बुरी तरह से खराब हो चुकी थी. उसकी साँसे मानो किसी तूफ़ान सी आवाजें करती हुई बाहर आ रही थी. उर्मिला उसे गौर से देखती है. उसके मन में हो रही उथल पुथल को वो अच्छी तरह से समझ रही है.

उर्मिला : क्या हुआ पायल? कहाँ खो गई?

पायल : (झेंपते हुए) कु..कु..कुछ नहीं भाभी....पर क्या सच में रक्षाबंधन के दिन भाई का लंड लेने में इतना मज़ा आता है?

उर्मिला : हाँ पायल..!! बहुत मज़ा आता है. रक्षाबंधन के दिन तो बहुत से भाई-बहन चुदाई का मज़ा लेते है. और उस दिन उनके लंड और बुरे सबसे ज्यादा पानी छोड़ते है. वैसे पायल...रक्षाबंधन तो अभी आने ही वाला है ना?

पायल : (थोड़ी शर्माते हुए) हाँ भाभी... क्यूँ ?? आपको भाई की याद आ रही है क्या?

उर्मिला : अरे उसे तो मैं रोज ही याद करती हूँ. मैं तो ये सोच रही थी की अपने भाई से एक बार मिल ही आऊ. इसी बहाने रक्षाबंधन भी मना लुंगी.

उर्मिला की बात सुन के पायल पहले खुश हो जाती है फिर कुछ कर उदास हो जाती है.

पायल : मतलब भाभी आप इस बार रक्षाबंधन पर यहाँ नहीं रहोगे?

उर्मिला : अब भाई के घर रक्षाबंधन मनाने जाउंगी तो यहाँ कैसे रहूंगी....

पायल : (उदास सा चेहरा बनाते हुए)...उम्म्म्म भाभी...!! मैं अकेली पड़ जाउंगी यहाँ...

उर्मिला : हम्म...!! एक रास्ता है...लेकिन पता नहीं तुझे अच्छा लगेगा या नहीं...

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी.. बोलिए ना...

उर्मिला : तू भी मेरे साथ चल...मेरे भाई के घर....

पायल : हाँ भाभी ...मैं भी चलूंगी आपके साथ...

उर्मिला : लेकिन पायल... रक्षाबंधन का दिन होगा तो सोनू को भी साथ ले कर चलना पड़ेगा...(पायल की आँखों में देखते हुए) और तुझे भी तो उसे राखी बांधनी होगी ना..?

उर्मिला की बात सुन कर पायल शर्मा के नज़रे झुका लेती है है. फिर मुहँ बनाते हुए कहती है.

पायल : (मुहँ बना के) ठीक है भाभी...सोनू को भी साथ ले चलेंगे...

उर्मिला : फिर ठीक है...मेरे भाई के घर में बहुत से कमरे है. तू सोनू के साथ जहाँ चाहे वहां रक्षाबंधन मना लेना...

पायल : धत्त भाभी...!! (और अपना सर उर्मिला के सीने में छुपा लेती है)

उर्मिला : (पायल की ठोड़ी उठा के आँखों में देखते हुए) बोल पायल...!! सोनू के साथ रक्षाबंधन मनाएगी?

पायल : (धीरे से ) हाँ...मनाउंगी...

उर्मिला : और राखी कहाँ बांधेगी ?

पायल : (अपने ओंठ काट लेती है).... उसके लंड पर...!!

ये कहते ही पायल दौड़ के बाथरूम में घुस जाती है और दरवाज़ा बंद कर लेती है. उर्मिला हंसने लगती है. "उस बेहनचोद सोनू का भी काम बन गया. साला चूतिया कहीं रक्षाबंधन के दिन अपनी दीदी को देखते ही पानी ना छोड़ दे". मन में सोचते हुए पायल वहां से चली जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
मैने अपनी लाइफ में इस से अच्छी स्टोरी नही पड़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
 
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sharaabi

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Bahut hi umda sale baap ke to langot me hi nikal gaya hoga isi liye jane diya
 

sharaabi

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Direct rakhsha bandhan me na le jana story madam ji
 

sharaabi

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Intajar agle damakedaar update ka
 
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