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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
अपडेट ३४ :
रात के ८:३० बज रहे थे. घर के आँगन में सभी नीहे बैठ कर खाना खा रहे थे. गाँव में अक्सर सभी घरों में रात का खाना जल्दी खा लिया जाता है. मोहन अपनी कुर्सी पर बौठे कर खाना खा रहे थे और ज़मीन पर गोलू, सोनू, उमा, उर्मिला, बिमला और कम्मो. उर्मिला तालाब पर घुमने के झूठे किस्से सुना रही थी. मोहन, उमा और बिमला सुन कर मजे ले रहे थे. गोलू, सोनू और कम्मो, जो सच जानते थे खाते हुए मुस्कुरा रहे थे. कम्मो जिसे खेल समझ कर मुस्कुरा रही थी, गोलू और सोनू के लंड उस 'खेल' को याद कर के फुदक रहे थे. बातें करते हुए उर्मिला रात का इंतज़ाम करने लगी.
उर्मिला : मामी... हमारे खेत पास ही में हैं ना?
बिमला : हाँ उर्मिला. बस १० मिनट का रास्ता है.
उर्मिला :अभी तो फसल भी लगी हुई है. रात में उसकी रखवाली कौन करता है?
बिमला : तेरे मामाजी करते थे. पर जब से उनका पैर टुटा है, गोलू करता है.
उर्मिला : बापरे...!! वो रात भर वह अकेले रहता है?
बिमला : हाँ तो क्या हुआ? सिर्फ जंगली सूअर और गाय-भैंस का डर होता है. यहाँ कौनसा शेर आ रहा है.....
इस बात पर सभी हंसने लगते है.
उर्मिला : (हँसते हुए) वो बात तो ठीक है मामी पर फिर भी. कोई तो चाहिए ना उसका साथ देने के लिए. (सोनू की तरफ देखते हुए) सोनू...तू भी चेल जाने गोलू के साथ. दोनों भाई बातें करते हुए वक़्त बिता लेंगे.
सोनू : हाँ भाभी....वैसे भी खेतो में सोने का मजा ही कुछ और ही है.
गोलू : खेत में एक कुटिया भी है और मचान भी. हम कही भी सो सकते है.
सोनू : फिर तो मजा आएगा....
उर्मिला : मचान भी है???
गोलू : हाँ भाभी....
उर्मिला : (बिमला की और देखते हुए) मामी....मेरा बड़ा दिल करता है की मैं भी खेत में मचान पर सोऊ. अगर आप लोह इजाज़त दो तो मैं भी चले जाऊं इन दोनों के साथ?
उमा : (हँसते हुए) कभी-कभी तू एकदम बच्ची बन जाती है उर्मिला.
उर्मिला : प्लीज मम्मी जी...!! वैसे अगर आप मन करोगी तो नहीं जाउंगी.
उमा : अरे नहीं बाबा, मैंने कब मन किया. चल... तू भी मजा लेले मचान पर सोने का....
मोहन : बस बहु एक बात का ध्यान रखना. सुबह होते ही घर आ जाना. क्या है की गाँव की औरतें घर में ही सोती है. कोई देख लेगा तो लोग तरह-तरह की बाते करेंगे.
उर्मिला : समझ गई मामाजी. हम लोग सुबह होते ही दौड़ कर आ जायेंगे.
उर्मिला की बात पर सभी हंसने लगते है. तभी सब की नज़र कम्मो पर पड़ती है. ज़मीन पर बैठी कम्मो अपनी आँखों में आंसू थामे हुए गुस्से में बैठी है. उसके बंद ओंठों पर हलकी सी कपंन थी. ऐसा लग रहा था की मानो अभी आंसुओ का सैलाब फट पड़ेगा. मोहन देखते ही सारा माजरा समझ जाते है.
मोहन : अरे तुम लोग क्या मेरी कम्मो को घर में छोड़ दोगे ? कम्मो भी साथ जाएगी...
मोहन की बात सुनते ही कम्मो के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. आँखों से बहने को उतावले आंसू फुर्र से गायब हो जाते है.
कम्मो : और नहीं तो क्या बापू...!! ये लोग खेतों में खेलेंगे और मैं घर पर रहूंगी...
उर्मिला : नहीं मेरी नानी ... तू भी हमारे साथ ही चलेगी...अब खुश...?
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो दोनों हाथों को उठा कर जोर से चिल्ला देती है " हेये.........!!"
सभी जोर-जोर से हंसने लगते है. उर्मिला गोलू और सोनू को देख कर कम्मो की तरफ इशारा करती है. दोनों मुस्कुराते हुए चुपके से अपनी धोती पर से लंड को मसल देते है. खाना ख़तम करके थालियाँ धो कर उर्मिला और बिमला घर के आँगन में आते है.
बिमला : ध्यान रखना उर्मिला. वैसे तो रात में खेतों में कोई भी नहीं होता है पर फिर भी. सुबह जल्द ही निकल जाना.
उर्मिला : जी मामी जी. आप चिंता मत करिए. हम सभी भोर होते ही लौट आयेंगे.
गोलू लोटे में पानी ले कर आता है और सोनू एक लालटेन लिए. घर वालों से विदा ले कर गोलू, सोनू , कम्मो और उर्मिला खेतों की तरफ निकल पड़ते है. मोहन के कहने पर वो लोग घर के पीछे के रास्ते खेतों से होते हुए जाने लगते है ताकि कोई उन्हें देख ना ले. ३-४ मिनट में ही वो सभी घने खेतों के बीच बने छोटे से रास्ते पर आ जाते है. हमेश की तरह इस बार भी कम्मो सबसे आगे उछलती हुई चल रही थी. सोनू लालटेन उठा के उसकी रौशनी कम्मो की चूतड़ों पर डालता है तो गोलू का लंड धोती में तांडव करने लगता है. उर्मिला गोलू को देख कर आँख मार देती है तो गोलू भी अपनी धोती उठा के अपना खड़ा लंड कम्मो की चूतड़ों की तरफ कर के कमर को ४-५ झटके मार देता है.
ऐसे ही मौज मस्ती करते हुए चारों खेत में पहुँच जाते है. खेत के पास एक कुटिया बनी हुई है और घने खेत के बीच एक मचान. मचान को देख कर कम्मो उच्छालती हुई उर्मिला से कहती है.
कम्मो : वो देखिये भाभी, हमारे खेत की मचान.
उर्मिला : वाह कम्मो.... ये तो खेतो के बीचो-बीच है. हम रात एहिं पर गुजरेंगे ना?
कम्मो : हाँ भाभी... गोलू तो रात में मचान पर ही सोता है.
उर्मिला : तो फिर ठीक है. आज रात हम सब मचान पर ही सोयेंगे और रात भर खूब मस्ती करेंगे.
कम्मो : (खुश होते हुए ) हाँ भाभी.... खूब मस्ती करेंगे.
चरों खेतों के बीच से होते हुए मचान के पास पहुँच जाते है. सबसे पहले सोनू झट-पट लकड़ी की बनी सीढ़ी से ऊपर चढ़ जाता है. गोलू उसे लालटेन उठा के देता है तो सोनू उसे पास के खूंटे पर टांग देता है. फिर कम्मो लकड़ी की सीढ़ी पर चढ़ने लगती है तो उर्मिला गोलू को इशारा करती है. उर्मिला का इशारा समझ कर गोलू झट से सीढ़ी के नीचे खड़ा हो जाता है. कम्मो के घुटनों तक लंबे लहंगे के निचे गोलू अपनी आँखे फाड़े हुए खड़ा है. लहंगे के अन्दर का नज़ारा देख कर धोती में उसका लंड कसमसाने लगता है. वो धीरे-धीरे कम्मो के पीछे सीढ़ी पर चढ़ने लगता है और उसकी नज़र कम्मो के लहंगे के अन्दर टिकी हुई है. कम्मो ऊपर आकर अपने दोनों हाथों को मचान पर रख लेती है तो सोनू उसका हाथ पकड़ कर उसकी मदद करने लगता है. ये देख कर उर्मिला झट से गोलू से कहती है.
उर्मिला : देख क्या रहा है गोलू? अपनी दीदी की मदद कर.
गोलू उर्मिला की तरफ देखता है और उसके चेहरे के भाव पढ़ कर समझ जाता है. वो झट से अपने दोनों हाथों को कम्मो की बड़ी-बड़ी चूतड़ों पर रख देता है. अपनी बहन की चूतड़ों का स्पर्श पाते ही गोलू ताव में आ जाता है और हाथों से कम्मो की चूतड़ों को दबोचते हुए उसे आगे की ओर धकेल देता है. कम्मो मचान पर चढ़ जाती है. गोलू के बाद उर्मिला भी मचान पर आ जाती है. उर्मिला खड़ी हो कर चारों और देखती है. दूर-दूर तक घने खेत और गुप्प अँधेरा था. दूर खेतों में कुछ लालटेन जलते हुए प्रतीत हो रहे थे पर वो भी काफी दूर थे. उर्मिला समझ जाती है की अगर आज रात मचान पर चुदाई का नंगा नाच भी हो जाए तब भी किसी को पता नहीं चलेगा.
चरों निचे बैठ जाते है और यहाँ-वहां की बातों का सिलसिला शुरू होता है. खूब हँसी-मजाक और ठहाकों का दौर भी शुरू हो जाता है. कुछ देर बाद उर्मिला सोनू को इशारा करती है. खेत में आने से पहले उर्मिला ने सोनू और गोलू को सब कुछ अच्छे से समझा दिया था. उर्मिला का इशारा समझते ही सोनू कहता है.
सोनू : देखिये ना भाभी. मैं कब से गोलू से कह रहा हूँ की मुझे भी गाय का दूध दोहन सिखा दे पर ये मेरी एक नहीं सुनता.
गोलू : मैं क्या करूँ भाभी. ये गाय का दूध ठीक से नहीं दोहता है और गाय पैर मारने लगती है.
उर्मिला : गोलू ठीक ही तो कह रहा है. तू अगर ठीक से गाय के थन पकड़ कर दूध नहीं दोहेगा तो गाय तो पैर मारेगी ही ना.
गोलू : हाँ भाभी. जब तक सोनू को गाय के थन ठीक से पकड़ना नहीं आएगा वो गाय का दूध नहीं दोह पायेगा.
उर्मिला : ये बात तो एकदम सही है तेरी गोलू... क्यूँ कम्मो?
कम्मो : हाँ भाभी. अगर गाये के थन ठीक से नहीं पकड़ो तो उसे तकलीफ होती है और वो पैर मार देती है.
उर्मिला : देखा सोनू... ये बात तो सभी को पता है.
सोनू : पर भाभी मुझे गाय से डर लगता है और अगर मैं थन पकड़ना ही नहीं सीख पाया तो दूध दोहन कैसे सीख पाउँगा?
उर्मिला : मेरे पास एक उपाय है. इधर आ मेरे पास....
सोनू झट से उर्मिला के सामने जा कर बैठ जाता है. उर्मिला अपनी साड़ी का पल्लू निचे गिरा देती है और ऊँगली के इशारे से ब्लाउज के ऊपर से अपने एक दूध की और इशारा करते हुए कहती है.
उर्मिला : यहाँ ध्यान से देख. लड़कियों के दूध और गाये के थनों में ज्यादा अंतर नहीं होता है. और ये देख रहा है...(अपने निप्पल की तरफ इशारा करते हुए), जैसे गाये के थन होते है वैसे ही ये लड़कियों के थन है. इसे इस तरह से पकड़ कर धीरे-धीरे खींचते है तो दूध निकलता है.
उर्मिला ब्लाउज के उपर से अपना एक निप्पल धीरे-धीरे खींचते हुए कहती है. कम्मो आँखे फाड़े ये सब देख रही थी. उर्मिला तिरछी नज़रों से कम्मो को देखती है फिर सोनू से कहती है.
उर्मिला : समझ गया ना सोनू?
सोनू : कहाँ भाभी. ऐसे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा.
उर्मिला : धत्त...भोंदू कहीं का. रुक अब तुझे दुसरे तरीके से समझाना पड़ेगा. पर याद रहे यहाँ की बात घर पर मत कह देना. कम्मो....नहीं कहगी ना?
कम्मो : किसी से भी नहीं कहूँगी भाभी.
उर्मिला : ठीक है....
उर्मिला निचे बैठे हुए अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगती है. हुक खुलते ही वो झट से अपना ब्लाउज उतार कर पास में रख देती है. फिर कम्मो की तरफ देख कर.
उर्मिला : कम्मो.... जरा मेरी ब्रा का हुक खोल देना.
कम्मो उर्मिला के पीछे बैठ कर ब्रा का हुक खोलने लगती है.
उर्मिला : क्या करूँ कम्मो. अब सोनू जब घर जायेगा और अपने दोस्तों से कहेगा की वो गाँव आया और उसे गाय का दूध भी नहीं दोहन आता है तो सब उसकी हंसी उड़ायेंगे ना...
कम्मो : (ब्रा का हुक खोलते हुए) हाँ भाभी...जब मेरी भी कोई हंसी उडाता है तो मुझे भी बहुत बुरा लगता है.
कम्मो ब्रा का हुक खोल देती है. उर्मिला के मोटे दूध उच्छल के बहार आ जाते है जिसे देख कर गोलू और सोनू भी उच्छल पड़ते है. कम्मो भी उर्मिला के बड़े-बड़े दूध देख कर हैरान रह जाती है. उर्मिला दोनों हाथों को मचान पर रख कर किसी गाय की तरह चरों हाथ-पैरों पर बैठ जाती है. उसके मोटे दूध किसी गाय के थन की तरह दिखाई देने लगते है.
उर्मिला : गोलू अब जरा मेरा दूध दोह कर सोनू को दिखा की दूध कैसे दोहते है.
गोलू उर्मिला के दूध पर नज़रे गड़ाए हुए धीरे-धीरे उर्मिला के पास आता है और निचे बैठ कर दोनों हाथों से दूध के निप्पलों को पकड़ कर धीरे से बारी-बारी खींचने लगता है. निप्पलों को खींचते हुए गोलू की हालत ख़राब हो जाती है. जीवन में पहली बार वो किसी औरत के दूध को इस तरह से पकड़ कर खींच रहा था. कम्मो भी ये नज़ारा बड़े गौर से देख रही थी. कुछ देर बाद उर्मिला सोनू से कहती है.
उर्मिला : सोनू...अब जरा तू कोशिश कर...
सोनू उर्मिला के पास आता है और वो भी निप्पलों को पकड़ कर धीरे-धीरे खींचने लगता है. उर्मिला सोनू को डांटते हुए कहती है.
उर्मिला : तू बिलकुल भी ठीक से नहीं कर रहा है सोनू...तू नहीं सीख पायेगा.
सोनू : क्या करूँ भाभी.... गोलू ने जैसा किया था मैं भी वैसे ही कर रहा हूँ.
उर्मिला : अब क्या करें.... गाय एक और दूध दोहने वाले दो.... कैसे सिखाये तुझे...?
तभी पास बैठी कम्मो बोल पड़ती है.
कम्मो : भाभी...!! एक गाय मैं बन जाती हूँ.....
उर्मिला, गोलू और सोनू तीनो एक साथ कम्मो की तरफ देखते है. कम्मो ने तो उनके मन की बात बोल दी थी. गोलू और सोनू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. उर्मिला भी मुस्कुराते हुए कहती है.
उर्मिला : पर तू ठीक से गाय बन पायेगी?
कम्मो : और नहीं तो क्या भाभी. सभी मुझे ऐसा-वैसा समझते है. मैं राजकुमारी हूँ. कुछ भी कर सकती हूँ.
उर्मिला : हाँ बाबा तू राजकुमारी है. ठीक है. चल बन जा गाय. गोलू तेरा दूध दोहेगा और उसे देख कर सोनू मेरा.
कम्मो : (ख़ुशी से ) ठीक है भाभी.
कम्मो झट से अपनी चोली के हुक खोलने लगती है. कुछ ही क्षण में चोली खुल कर मचान पर गिर जाती है. कम्मो फिर अपनी ब्रा को झट से खोल कर बदन से अलग कर देती है. कम्मो के मोटे दूध उच्छल कर बाहर आ जाते है. गोलू आज पहली बार अपनी बहन के मोटे दूध को नंगा देख रहा था. कम्मो के मोटे दूध पर नज़रे गड़ाये गोलू धोती के ऊपर से अपना लंड मसल देता है. सोनू को भी कम्मो के दूध देख कर पायल की याद आ जाती है. उर्मिला भी हैरान थी. १९ साल के हिसाब से कम्मो के दूध काफी बड़े थे. कम्मो भी मचान पर दोनों हाथों को रखे किसी गाय की तरह चरों हाथ-पैरों पर बैठ जाती है. उसके मोटे दूध भी किसी गाय के थनों की भाँती दिखने लगते है.
उर्मिला : चल सोनू... कम्मो के दूध दोह कर बता सोनू को....
गोलू कम्मो के पास धोती उठा कर बैठ जाता है. अपनी हाथों से कम्मो के दोनों निप्पलों को पकड़ कर वो बारी-बारी उन्हें खींचने लगता है. कम्मो के लिए ये एक नयी चीज़ थी. गोलू के इस तरह से निप्पलों को पकड़ कर खींचने पर उसे अजीब सा महसूस हो रहा था. पर वो समझ नहीं पा रही थी की उसके बदन में ये अजीब से सिरहन किस लिए उठ रही है.
उर्मिला : ध्यान से देख सोनू. गोलू कैसे कम्मो का दूध दोह रहा है. देख और सीख की दूध कैसे दुहा जाता है.
सोनू : हाँ भाभी देख रहा हूँ.
तभी गोलू कम्मो के दोनों निप्पल जोर से खींच देता है. कम्मो सिंहर जाती है.
कम्मो : उई माँ..... सीईईईई....!!!
उर्मिला : क्या हुआ कम्मो?
कम्मो : देखो ना भाभी, गोलू मेरे दूध कैसे जोर से खींच रहा है.
गोलू : भाभी मैं तो बस गाय का दूध कैसे दोहते हैं वो बता रहा हूँ.
उर्मिला : हाँ बाबा.... पर कम्मो सच मुच की गाय थोड़ी ना है. वो तो तेरी सगी बहन है ना? जरा प्यार से कर....
ये कह कर उर्मिला आँख मार देती है तो गोलू समझ जाता है. फिर वो प्यार से कम्मो के दोनों दूधों को धीरे-धीरे दबाते हुए मसलने लगता है. गोलू की इस हरकत से कम्मो को भी मजा आने लगता है. गोलू के धीरे-धीरे दूध दबाने से कम्मो अपने ओंठ काटते हुए आँखे बंद कर लेती है. उर्मिला देख कर ही समझ जाती है की कम्मो को भी इस खेल में अब मजा आने लगा है.
उर्मिला : अच्छा गोलू. अब सोनू वो बता जब गाय अपना दूध रोक लेती है तब क्या करना चाहिए.
गोलू : हाँ भाभी.... ये देख सोनू....!!!
गोलू अब कम्मो के दूध की दोनों गोलाईयों को हाथों में भर लेता है और दबाने लगता है. दबाते हुए वो अपने हाथों को धीरे-धीरे निचे ले जा कर निप्पलों को हलके से खींच देता है. इस हरकत पर कम्मो सिसिया कर रह जाती है. अपनी बहन के दूध को दबाते हुए गोलू की हालत खराब हो रही थी. धोती में उसका लंड पानी फेकने लगा था.
उर्मिला : क्यूँ कम्मो... गोलू अच्छा दूध दोहता है ना?
कम्मो : सीईईइ...!! हाँ भाभी.... मुझे इतना अच्छा लग रहा है. अब समझ आया की गाय कभी गोलू को क्यूँ नहीं मारती.
कम्मो की बात पर उर्मिला को हंसी आ जाती है. फिर वो सोनू से कहती है.
उर्मिला : अब सीख गया ना सोनू की गाय का दूध कैसे दोहते हैं?
सोनू : हाँ भाभी.
सोनू उर्मिला के दूध पर से हाथ हटा लेता है. ये देख कर गोलू भी कम्मो के दूध छोड़ देता है. उर्मिला ब्लाउज बंद किये बिना ही पास में बैठ जाती है. कम्मो जैसे ही अपनी चोली उठाने के लिए हाथ बढ़ाती है, उर्मिला उसे रोक देती है.
उर्मिला : अरे रहने दे ना....!! सब घर के ही लोग तो है...
उर्मिला की बात पर कम्मो मुस्कुराते हुए नंगे दूध लिए पास ही बैठ जाती है. गोलू का सारा ध्यान अपनी बहन कम्मो के मोटे नंगे दूध पर ही था. उर्मिला कम्मो से नज़रे बचाते हुए गोलू की और देख कर मुस्कुरा देती है तो गोलू भी कम्मो के मोटे दूध की और इशारा करते हुए अपना हाथ धोती में दाल कर लंड मसल देता है. उर्मिला धीरे से गोलू और सोनू को इशारा करती है और दोनों समझ जाते है.
सोनू : अरे गोलू.... हम तो चादर लाना भूल ही गए...
गोलू : अरे हाँ...... वैसे निचे झोपड़े में चादर रखी है. चल ले कर आते है.
उर्मिला : अब दोनों निचे जा ही रहे हो तो जरा खेत का एक चक्कर भी लगा लेना. देख लेना कोई गाय तो नहीं घुस आई है.
गोलू : जी भाभी...
गोलू और सोनू दोनों मचान से निचे उतर जाते है. दोनों के जाने के बाद उर्मिला कम्मो से कहती है.
उर्मिला : कम्मो... इधर आ. मेरे पास आ कर बैठ.
कम्मो उठ कर उर्मिला के पास आ कर बैठ जाती है.
कम्मो : जी भाभी...!!
उर्मिला कम्मो के मोटे दूध पर हाथ फेरते हुए कहती है.
उर्मिला : कम्मो...!! तेरे दूध तो पुरे मोटे और भरे हुए है. किसी से दबवा रही है क्या?
कम्मो : ना भाभी...!! वो तो शादी के बाद मेरा पति ही करेगा ना? ये तो अपने आप ही मोटे हो गए हैं.
उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा समझ गई. अच्छा कम्मो...एक बात तो बता...तुझे अपनी बूर में भुट्टा डालने में बहुत मजा आता है क्या?
कम्मो : हाँ भाभी...!! सच में.... बहुत मजा आता है.
उर्मिला : जरा सोच कम्मो.... जब भुट्टा इतना मजा देता हैं तो असल का लंड कितना मजा देगा?
कम्मो : (खुश होते हुए) हाँ भाभी...!! मैं तो चाहती हूँ की मेरी शादी जल्दी से हो जाए और फिर मैं अपने पति का लंड अपनी बूर में झट से ले लूँ.
उर्मिला : तू तो एकदम पागल है कम्मो... असली मजे के बारें में तो तुझे पता ही नहीं है. इसलिए हमेशा शादी और पति की बात करती रहती है.
कम्मो : क्यूँ भाभी..? ये सब तो शादी के बाद सिर्फ पति ही करता हैं ना?
उर्मिला : (कम्मो की चूची मसलते हुए) अरे मेरी भोली कम्मो...!! तुझे किसने कहा की ये सब शादी के बाद सिर्फ पति ही करता है?
कम्मो : सीईईइ... भाभी...!! माँ ने कहा था...
उर्मिला : पगली..!! शादी के बाद पति तो करता ही है पर एक लंड ऐसा भी है जो पति के लंड से भी ज्यादा मजा देता है.
कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से) पति के लंड से भी ज्यादा मजा देने वाला लंड भाभी?
उर्मिला : हाँ मेरी कम्मो रानी....
कम्मो : भुट्टे और पति के लंड से भी ज्यादा मजा भाभी??
उर्मिला : (कम्मो के मोटे दूध को जोर से दबाते हुए) हाँ कम्मो...!! उस लंड के सामने तेरा वो भुट्टा और पति का लंड कुछ भी नहीं है.
कम्मो : बाप रे भाभी...!! इतना मजा? कहा मिलता है ये लंड?
उर्मिला : चुप पगली...!! ये लंड मिलता नहीं है. इस लंड वाला इंसान होता है जो हमारे साथ ही रहता है.
कम्मो : हमारे साथ ही रहता है? आप किसकी बात कर रहे हो भाभी?
उर्मिला : गोलू की....
उर्मिला के मुहँ से गोलू का नाम सुनते ही कम्मो की आँखे बड़ी हो जाती है और मुहँ खुला का खुला रह जाता है.
कम्मो : ब....बा...भाभी....!! गोलू मेरा सगा भाई है ना....मैं उसका लंड अपनी बूर में कैसे ले सकती हूँ? ये तो पाप हैं ना?
उर्मिला : पागल....!! कोई पाप नहीं है. अगर ये पाप है तो दुनिया के ९० % लोग पापी हो जायेंगे.
कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से) मतलब भाभी ?
उर्मिला : मतलब ये की कम्मो रानी, ये लगभग हर घर में होता है. घर की जवान बूरें घर के ही मोटे लंडों से खूब पेली जाती है.
कम्मो : (हैरानी से) मतलब भाभी ये सब हमारे गाँव में भी होता है? हमारे घर में भी?
उर्मिला : हाँ कम्मो....तेरे गाँव में तो होता ही है. और रही बात तेरे घर की तो तू हैं ना... तू ही शुरुवात कर दे इसकी. वैसे भी घर का जो सबसे समझदार होता है वही घर में हर नयी बात की शुरुवात करता है....
उर्मिला ने अब जो बात कही थी वो सुन कर कम्मो के अन्दर का राजकुमारी वाला भूत जाग गया था. गर्व से कम्मो के फेफड़ों में हवा भरती चली जाती है और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियाँ सीने के साथ ऊपर उठती चली जाती है. कम्मो के चेहरे पर अब चमक आ चुकी थी.
कम्मो : हाँ भाभी..!! इसकी शुरुवात मैं ही करुँगी.
उर्मिला : शाबाश मेरी कम्मो रानी...!!
कम्मो : (उठते हुए) मैं अभी गोलू को ले कर आती हूँ भाभी....
उर्मिला : (कम्मो का हाथ पकड़ कर उसे बिठाते हुए) अरे कहाँ जा रही है, बैठ इधर. ऐसे लेते है क्या अपने भाई का लंड? उसे आने दे, दोनों भाई-बहन आराम से बैठ कर बातें करो, प्यार करो, तभी तो असली मजा आएगा.
कम्मो : (मुहँ फुला कर बैठ जाती है) मुझे इसकी जल्द से जल्द शुरुवात करनी है भाभी. मुझसे पहले और कोई नहीं करेगा...
उर्मिला : हाँ बाबा... तू ही करेगी और कोई नहीं. बस गोलू को आने दे. उसके आने के बाद मैं सब संभाल लुंगी. बस तू मेरी किसी भी बात पर कोई सवाल नहीं करेगी, समझी?
कम्मो : हाँ भाभी, समझ गई.
उर्मिला और कम्मो बैठ कर बातें करने लगते है. कुछ देर बाद मचान हिलने लगती है. उर्मिला समझ जाती है की गोलू और सोनू ऊपर आ रहे है. सबसे पहले गोलू ऊपर आता है और हाथ बढ़ा कर सोनू की मदद करने लगता है. उसके दिमाग में पहले ही कम्मो की बूर चुदाई की बातें चल रही थी और मचान पर आते ही उसका लंड धोती में तन्ना गया था. उर्मिला कम्मो को गोलू की धोती में बने उभार को दिखाते हुए कहती है.
उर्मिला : देख कम्मो, गोलू ने धोती में कैसे अपना लंड खड़ा कर रखा है. देख रही है ना?
कम्मो : (गौर से देखते हुए) हाँ भाभी...उसकी धोती तो आगे से पूरी उठी हुई है.
उर्मिला : ध्यान से देख के बता, है ना तेरे उस भुट्टे से भी लम्बा और मोटा?
कम्मो : (फिर से ध्यान से देख कर) हाँ भाभी...आप सच कह रही हो. गोलू की धोती का उठाओ तो मेरे भुट्टे से भी बड़ा है.
तभी गोलू और सोनू वहां आ जाते है. गोलू की नज़रे कम्मो के नंगे मोटे दूधों पर ही गड़ी हुई थी. कम्मो के दूध देख कर एक बार फिर से गोलू का लंड अपना आकार बढ़ाने लगता है.
सोनू : क्या भुट्टे से भी बड़ा है भाभी, हमे भी तो बताइये...
उर्मिला प्यार से कम्मो के गाल खींचते हुए कहती है.
उर्मिला : है कोई चीज़ तो मेरी कम्मो को बहुत पसंद है. है ना कम्मो...?
उर्मिला की इस बात पर कम्मो भी मुस्कुरा देती है.
उर्मिला : अरे अब दोनों बैठ भी जाओ, खड़े ही रहोगे क्या?
सोनू झट से उर्मिला के सामने बैठ जाता है. गोलू जैसे ही बैठने जाता है उर्मिला उसे रोक देती है.
उर्मिला : यहाँ कहाँ बैठ रहा है गोलू? माना की तेरा कम्मो के साथ हमेशा झगडा होते रहता है पर अब तुम दोनों बड़े हो गए हो. चल...वहां बैठ, कम्मो के सामने.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू अपने गले से थूक निचे उतारता हुआ कम्मो के सामने बैठ जाता है. सामने अधनंगी कम्मो को देख कर उसे पसीना आने लगता है. कम्मो उसे देख कर राजकुमारी की तरह इठलाने लगती है. कम्मो के लिए तो वो आज घर में किसी नए और अनोखे चीज़ का उद्घाटन करने वाली थी. उधर गोलू कम्मो के आधे नंगे गोरे बड़ा को देख कर आहें भर रहा था. बड़े-बड़े दूध के दोनों तरफ, बंद बाहों के बीच से निकले हुए हलके काले घुंगराले बालों को देख कर गोलू गनगना जाता है. उसके दिल में कम्मो के खुली हुई बगलें देखने की इच्छा और बढ़ जाती है. पास बैठी उर्मिला गोलू की नज़रों को अच्छी तरह से समझ रही है. एक मंझी हुई खिलाड़ी थी उर्मिला. मर्दों को औरतों का कौनसा अंग मदहोश कर देता है वो अच्छी तरह से समझती थी. और यहाँ तो गोलू की नज़रें अपने आप ही सब बयान कर रही थी. कुछ देर बाद उर्मिला बोल पड़ती है.
उर्मिला : बापरे ..!! आज तो बड़ी गर्मी है. तुम दोनों ने बनियान पहन रखा है? गर्मी नहीं हो रही है क्या? ओ गोलू महाराज...आपसे भी बोल रही हूँ...!!
गोलू : (कम्मो के बदन में खोया हुआ, अचानक से चौंक जाता है) अ..आ...हाँ भाभी...!!
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) मैंने कहा की बनियान पहना हुआ है, गर्मी नहीं हो रही है क्या तुझे?
गोलू : (उर्मिला का इशारा समझते हुए) अ...आ..हाँ भाभी..हो रही है.
गोलू झट से अपनी बनियान उतार देता है और उसका थुल-थूला पसीने से भरा बदन लालटेन की रौशनी में चमकने लगता है. अब दोनों भाई-बहन आमने-सामने अधनंगे बैठे हुए थे. ये नज़ारा देख कर उर्मिला और सोनू एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देते है.
उर्मिला : देखो तो...एक साथ दोनों भाई-बहन कितने अच्छे लग रहे है. नहीं तो हमेशा लड़ते-झगड़ते रहते है दोनों. भाई-बहन के बीच कितना प्यार होता है, एक प्यार भरा संबंध होता है. अब दोनों चुप-चाप एक दुसरे के गले लगो.
उर्मिला की बात सुन कर कम्मो और गोलू आँखे फाड़े उर्मिला की तरफ देखने लगते है. दोनों को देख कर उर्मिला कहती है.
उर्मिला : दोनों मुझे ऐसे क्या देख रहे हो? झगड़ने से पहले तो ऐसे नहीं देखा कभी. अब प्यार से गले मिलने कह रही हूँ तो दोनों मुझे देख रहे है. चलो...!! गले लगो एक दुसरे के. और जब तक मैं ना कहूँ दोनों में से कोई भी अलग नहीं होगा.
उर्मिला की बात मान कर गोलू और कम्मो एक दुसरे की तरफ देखते है. जहाँ गोलू अपनी बहन के नंगे बदन से लिपटने के लिए तैयार बैठा था, वहीँ कम्मो को ये अजीब सा लग रहा था. कम्मो का पैदल दिमाग इस बात को मंजूरी नहीं दे रहा था पर ये उसकी प्यारी उर्मिला भाभी का आदेश था जो न चाहते हुए भी उसे मानना पड़ा. दोनों आमने-सामने बैठे हुए आगे झुक कर एक दुसरे की ओर बढ़ते है. जहां कम्मो के दोनों हाथ उठा कर गोलू के कन्धों को छुते हुए उसकी पीठ पर जाने लगते है, वहीँ गोलू के दोनों हाथ कम्मो की दोनों बगलों के निचे से होते हुए उसकी नंगी कमर पर जाने लगते है. कुछ ही क्षण में दोनों भाई-बहन एक दुसरे को आलिंगन में लिए मचान पर बैठे हुए थे. गोलू अपनी छाती पर कामो के भारी और मोटे दूधों को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था जो पूरी तरह से उसके सीने पर दबे हुए थे. गोलू का बड़ा सा पेट कम्मो के चिकने सपाट पेट पर चिपक जाता है. अपनी बहन के नंगे बदन को सीने से चिपकाए, गोलू की आँखे बंद हो जाती है. उस वक़्त गोलू को जिस आनंद की अनुभूति हो रही थी वो वही भाई समझ सकता है जिसने कभी अपनी बहन के नंगे शरीर की गर्माहट को इस तरह से अपने बदन पर महसूस किया होगा. गोलू के हाथ अब अपने आप ही कम्मो की नंगी पीठ पर घुमने लगते है. हाथ घुमाते हुए गोलू धीरे से कम्मो की पीठ पर जोर दाल देता है तो कम्मो के पहले से गोलू के सीने पर दबे हुए मोटे दूध और भी ज्यादा दब जाते है. कम्मो का हाल भी कुछ अलग नहीं था. उसका दिमाग भले ही पैदल था पर उसका शरीर नहीं. कम्मो के जवान शरीर को आज तक किसी मर्द ने इस तरह से छुआ नहीं था, आज वो नंगा, एक मर्द के नंगे शरीर से सटा हुआ था. गोलू के बदन की गर्मी ने कम्मो के शरीर में एक अजीब सी कशिश पैदा कर दी थी. उधर गोलू के हाथ कम्मो की नंगी पीठ पर घूम रहे थे और इधर कम्मो के उँगलियों के नाख़ून धीरे-धीरे गोलू की पीठ पर गढ़ रहे थे.
ये नज़ारा देख कर सोनू और उर्मिला भी अपने बदन में गर्माहट महसूस कर रहे थे. नज़ारा के कुछ ऐसा था. ये नज़ारा देखते हुए उर्मिला का हाथ सोनू की धोती के अन्दर जा कर उसके खड़े लंड को पकड़ लेता है. सोनू भी एक हाथ से उर्मिला के के दूध को दबोच लेता है. सामने भाई-बहन एक दुसरे से आधे नंगे लिपटे हुए थे और यहाँ देवर-भाभी की रासलीला भी शुरू हो चुकी थी.
कम्मो की नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए गोलू अपनी एक ऊँगली उसकी बगल के पास लाता है और धीरे से बगल में घुसा देता है. कम्मो की बगल के हलके काले घुंगराले बाल पसीने से भीग चुके थे. गोलू की ऊँगली अन्दर घुसते ही पसीने से भीग जाती है. ऊँगली निकाल कर गोलू जैसे ही उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सूँघता है, उसके मुहँ से 'आहssssss..!!' निकल जाती है. उसके दोनों हाथ कम्मो को दबोच कर अपने सीने पर जोर से दबा लेते है. उर्मिला ये नज़ारा देख कर सोनू के लंड को जोर से दबा देती है और एक झटके से लंड की चमड़ी को पूरा निचे कर देती है. आहें भरता सोनू, उर्मिला के दूध को जोर से दबा देता है. उर्मिला के हिसाब से अब आगे बढ़ने का सही वक़्त आ चूका था.
उर्मिला : हाँ ...!! अब बस करो. बहुत प्यार हो गया दोनों भाई-बहन का.
अपनी ही दुनिया में खोये गोलू और कम्मो को उर्मिला की आवाज़ सुनाई नहीं देती है. वो अब भी एक दुसरे से लिपटे हुए थे. उर्मिला मुस्कुराते हुए इस बार जोर से कहती है.
उर्मिला : हाँ...!! हो गया...अब बस करो दोनों. सारी रात एक दुसरे से ऐसे ही लिपटे हुए गुज़ार दोगे क्या?
इस बार उर्मिला की आवाज़ दोनों के कानो में पड़ती है और दोनों हडबडाते हुए एक दुसरे से अलग होते है.
कम्मो : भाभी मैं तो कब से अलग होना चाह रही थी. ये गोलू ही मुझे पकडे हुए था...
गोलू : नहीं भाभी...दीदी झूठ बोल रही है.
उर्मिला : अरे बस करो दोनों. सब समझती हूँ मैं. अभी तो एक दुसरे से ऐसे चिपके हुए थे की मानो किसी ने फेविकोल लगा दिया हो.
उर्मिला की बात सुन कर गोलू और कम्मो थोडा शर्माते हुए इधर-उधर देखने लगते है.
उर्मिला : गोलू एक काम कर. लालटेन बुझा दे. अब इसका कोई काम नहीं है.
गोलू झट से लालटेन बुझा देता है. अब चाँद की रौशनी में कम्मो का बदन और भी हसीन लग रहा था. गोलू की नज़र फिर से एक बार अपनी दीदी के नंगे बदन को घूरने लगी थी. उर्मिला अपनी जगह से उठती है और कम्मो के पीछे जा कर खड़ी हो जाती है.
उर्मिला : तू सच में बदमाश है गोलू. तू ही कम्मो को पकड़ के रखा था. क्या कर रहा था इतनी देर? मेरी राजकुमारी के बदन की खुशबू ले रहा था?
ये कहते हुए उर्मिला गोलू को देख कर आँख मार देती है. गोलू हडबडाते हुए जवाब देता है.
गोलू : अ..आ...हाँ भाभी...मैं राजकुमारी के बदन की खुशबू ले रहा था.
उर्मिला : हाँ फिर ठीक है. क्यूँ कम्मो ठीक है ना?
कम्मो : (खुश होते हुए) हाँ भाभी...राजकुमारियों के बदन की खुशबू होती ही ऐसी है.
उर्मिला : और नहीं तो क्या... !! गोलुजी.... राजकुमारी के बदन की खुशबू सूंघना है तो अभी सूंघ लीजिये, फिर दोबारा मौका नहीं मिलेगा. क्यूँ कम्मो, सही कहा ना?
कम्मो : (इठलाते हुए) हाँ..!! और क्या..!! राजकुमारी के बदन की खुशबू बार-बार थोड़े ना सूंघने मिलेगी.
उर्मिला : चल कम्मो...इस बेचारे को अपने बदन की थोड़ी खुशबू सुंघा दे...
ये कहकर उर्मिला कम्मो के दोनों हाथो को पकड़ कर सीधा ऊपर कर देती है. कम्मो की दोनों बगलें और उनमें भीगे बाल साफ़-साफ़ दिखने लगते है. सामने बैठे होने से हलकी पसीने की गंध गोलू की नाक तक पहुँचने लगती है जिसे सूंघ कर वो मदहोश सा होने लगता है. अपने आप को किसी तरह से संभालते हुए गोलू कम्मो की तरफ देखता है. सामने दो बड़े मोटे दूध और दोनों तरफ खुली बगलें जिनमें पसीने से गीले घुंगराले बाल. ये नज़ारा देख कर गोलू का लंड धोती में पानी की २-३ बूंदें टपका देता है. गोलू की हालत देख कर उर्मिला गोलू से कहती है.
उर्मिला : सूंघ ले अपनी दीदी .... मेरा मतलब है राजकुमारी के बदन की खुशबू.....
उर्मिला की बात दूँ कर गोलू आगे बढ़ता है और धीरे से अपनी नाक कम्मो के बड़े-बड़े दूध के पास ले जाता है. नाक से सांस अन्दर खींचते हुए गोलू पायल के पसीने से भरे बदन की गंध लेने लगता है. अपने सर को धीरे-धीरे घुमाते हुए गोलू कम्मो के बदन की गंध को सूंघने लगता है. फिर उसका चेहरा कम्मो की बगल के पास आ कर रुक जाता है. बड़ी-बड़ी आँखों से वो कम्मो की पसीने से भीगी बालोंवाली बगल को घूरने लगता है और अगले हे क्षण एक तेज़ सांस ले लेता है. कम्मो के बगल से निकलती पसीने की गंध उसकी नाक में घुसते ही गोलू बेकाबू सा हो जाता है. तेज़ सांस लेते हुए गोलू कभी दायें तो कभी बाएं बगल को सूंघने लगता है. कामो गोलू की इस हरकत को गौर से देख रही थी. गोलू को एक बार फिर अपने शरीर के इतने करीब देख कर उसके बदन में हलचल होने लगी थी.
उर्मिला कम्मो के चेहरे के भाव पढ़ लेती है. उसे समझने में देर नहीं लगती की आज रात भाई-बहन के इस खेल में बड़ा मजा आने वाला है. आज ये दोनों भाई-बहन मचान में भूचाल ला कर हे दम लेंगे.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )