- 242
- 2,394
- 139
♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Last edited:
♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
अति कामुक मजा आ गयाअपडेट ३९:
ऑटो में बैठकर उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू एक छोटे से बाज़ार में पहुँच जाते है जहाँ छोटी-छोटी दुकानों में बहुत सी औरतें और लडकियां अपने भाइयों के लिए राखी खरीद रहीं थी. ऑटो से उतरकर सभी एक दूकान के पास पहुँच जातीं है. दूकान में बहुत सी रंग-बिरंगी, बड़ी-छोटी राखियाँ और रेशमी धागे लटक रहे थे. सभी एक नज़र आस-पास डालते है तो लडकियां अपने हाथ में राखी ले कर देख रही थी और उनके चेहरे पर हलकी मुस्कान भी थी. उनकी मुस्कान के पीछे का रहस्य समझते ही उर्मिला, पायल और खुशबू एक दुसरे की ओर देखकर मुस्कुरा देती है. कम्मो उनके चेहरे की मुस्कान को देखकर समझने का प्रयत्न करती है पर कुछ समझ नहीं पाती है.
उर्मिला: अच्छा चलो, अब अपने-अपने भाइयों के लिए सभी राखी और रेशमी धागे पसंद कर लो.
सभी राखी और रेशमी धागे देखने में व्यस्थ हो जाते हैं. कम्मो दूकान में टंगी राखियाँ और धागे देखते हुए आस-पास भी नज़र दौड़ा रही थी. तभी उसकी नज़र कुछ दूर खड़ी एक २०-२१ साल की लड़की पर पड़ती है जो किसी १८-१९ साल के लड़के के साथ खड़ी थी और राखियाँ देख रही थी. वो लड़का देखने में उसका छोटा भाई लग रहा था. कम्मो गौर से देखती है तो वो लड़की एक बड़ी सी राखी उठाती है, कुछ सोचती है और फिर दुकानदार से उसका दाम पूछती है. कम्मो उस बड़ी सी राखी को देखती है और जोर-जोर से हँसने लगती है. साथ खड़ी उर्मिला, पायल और खुशबू जब उसे इस तरह से हँसते हुए देखती है तो वो सभी हैरान हो जाती है.
उर्मिला: क्या हुआ री कम्मो? ऐसे क्यूँ हँस रही है?
कम्मो: (अपनी हँसी पर काबू पाते हुए, धीरे से) भाभी, वो पास वाली लड़की को देख रहे हो? वही जो पीले रंग की सलवार में है.
उर्मिला: (देखते हुए) हाँ देख रही हूँ. तो क्या हुआ?
कम्मो: भाभी वो पतला सा लड़का जो उसके साथ खड़ा है वो शायद उसका भाई है.
उर्मिला: हाँ तो होगा उसका भाई. तुझे क्या हुआ?
कम्मो: भाभी, उस लड़की ने अपने भाई के लिए देखिये कितनी बड़ी राखी ली है, और उसके भाई की कलाई देखिये कितनी पतली है.
ये कहकर कम्मो फिर से अपने मुहँ पर हाथ रखे जोर-जोर से हँसने लगती है. उसकी बात सुनकर उर्मिला, पायल और खुशबू एक दुसरे की तरफ देखकर धीरे से मुस्कुरा देते है. उर्मिला कम्मो के कान में धीरे से कहती है.
उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) तुझे कैसे पता की वो लड़की उस बड़ी राखी को अपने भाई की पतली कलाई में ही बाँधेगी?
कम्मो: (हँसना बंद कर देती है और आश्चर्य के साथ उर्मिला को देखते हुए) राखी भाई की कलाई पर नहीं तो और कहाँ बाँधते है भाभी?
उर्मिला: होती है कुछ बहने तेरे जैसे बेवकूफ जो रक्षाबंधन जैसे भाई-बहन के पवित्र त्यौहार पर राखी भाइयों की कलाई पर बाँधती है.
कम्मो: (आँखे और भी ज्यादा बड़ी करते हुए) तो फिर राखी कहाँ बाँधनी चाहिए भाभी?
उर्मिला: (धीरे से कम्मो के कान में) भाइयों के लंड पर....!!
उर्मिला की बात सुनकर कम्मो सट्टे में आ जाती है. हालाकीं वो कई सालों से गोलू के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मना रही थी पर लंड पर राखी बाँधना ये वो पहली बार सुन रही थी.
कम्मो: (धीमी आवाज़ में) ये आप क्या कह रहे हो भाभी? भाई के लंड पर भला कोई बहन राखी बाँधती है क्या?
उर्मिला: (धीरे से कम्मो के कान में) क्यूँ? जब बहन दो भाइयों का लंड अपनी बूर और गांड में एक साथ ले सकती है तो लंड पर राखी बाँधने में क्या हर्ज़ है?
उर्मिला की बात सुनकर कम्मो शर्मा जाती है. कम्मो को शर्माता देख सभी हँस पड़ते है.
उर्मिला: चल अब जल्दी से गोलू के मोटे लंड को याद कर और एक अच्छी सी राखी देख.
सभी अपने-अपने भाइयों के लिए राखी और रेशम की डोर खरीद लेते है. दूकान वाले को पैसे दे कर सभी थोडा आगे जाते है. उर्मिला उन्हें एक रेडीमेड कपड़ो की दूकान में ले जाती है. उर्मिला ने पहले से ही सब कुछ सोच रखा था. अपने प्लान के मुताबीक सभी कपडे खरीद लेते है. दूकान से निकलकर सभी कुल्फी लेते है और पास ही एक पेड़ की छाओं में बैठ जाते है. सभी आपस में बातें करने लगती है.
खुशबू: भाभी मेरे दिल में एक बात है जो मैं आपसे पूछना चाहती हूँ.
उर्मिला: हाँ बोल क्या बात है.
खुशबू: भाभी, बहने अपने भाई की कलाई में राखी इसलिए बाँधती है क्यूंकि वो उसकी रक्षा कर सके.
उर्मिला: हाँ सही बात है.
खुशबू: तो फिर भाभी, बहने रक्षाबंधन के दिन अपने भाइयों के लंड पर राखी क्यूँ बाँधती है?
उर्मिला: सवाल तो तेरा सही है खुशबू. देख, हर भाई का फ़र्ज़ है की वो अपनी बहन की रक्षा करे. अब तू मुझे बता की भाई अपनी बहन की किस चीज़ की रक्षा करता है?
खुशबू: बहन की इज्ज़त...
उर्मिला: हाँ सही कहा. और बहन की इज्ज़त कहाँ होती है?
खुशबू: उनकी जाँघों के बीच भाभी.
उर्मिला: हाँ सही कहा. अब बहने जिस भाई की कलाई पर राखी बाँध कर उससे अपनी इज्ज़त की रक्षा करवाती है, वो उसी भाई के लंड पर राखी बाँध कर बूर नहीं चुदवा सकती?
खुशबू: बात तो आपने सही कही है भाभी. छेदी भैया के लंड पर राखी बाँधने का सोच कर ही मेरी बूर पानी छोड़ने लगी है.
उर्मिला: ये बात सोचकर तो हर बहन की बूर गीली हो जाती है.
इस बात पर सभी जोर-जोर से हंसने लगती है. अब उर्मिला उन्हें आज रात का प्लान बताती है.
उर्मिला: अब तुम सब मेरी बात ध्यान से सुनो. आज रात हमे अपने-अपने भाइयों को बूर के लिए अच्छी तरह से तरसाना है. रात भर हम उनके लंड को खड़ा रखेंगे ताकि कल, रक्षाबंधन के दिन जब वो हमारी चुदाई करे तो बस मजा ही आ जाए.
पायल: तो क्या भाभी आज रात हम अपने भाइयों का लंड नहीं लेंगी?
उर्मिला: ओहो...!! देखो तो इसे, कितनी बेताब हो रही है सोनू का लंड लेने के लिए.
पायल: (शर्माते हुए) भाभी....!!
उर्मिला: (हँसते हुए) आज रात नहीं. आज सिर्फ खड़ा करना है और तरसाना है. अब घर चले?
सभी हामी भर देती है और ऑटो कर के घर की ओर चल पड़ती है. वहां घर पर सभी भाई बैठ कर बातें कर रहे है.
छेदी: पर कुछ भी कहो, अपनी सगी बहन को चोदने का मजा ही कुछ और है.
राजू: सही कहा छेदी भैया आपने. बहन की बूर में लंड डालने का जो मजा है वो और किसी बूर में नहीं.
सोनू: आप सभी तो अपनी बहनों की बूर पेल चुके हो. मैं तो अब तक तरस रहा हूँ.
गोलू: अरे सोनू..!! चिंता क्यूँ करता है. आज रात ही पायल दीदी को पता ले और चोद ले उनकी बूर.
राजू: और नहीं तो क्या. पायल भी तो अपने भाई के लंड के लिए तरस रही होगी.
छेदी: भाई मैं तो आज रात अपनी बहन की पटक-पटक के लेने वाला हूँ. राजू, तुम्हारा क्या प्लान है? उर्मिला की लिए हुए तो तुम्हे भी काफी वक़्त हो गया होगा?
राजू: हाँ छेदी भैया. उर्मिला दीदी की लिए हुए एक साल से ज्यादा समय हो गया है. पहले तो रक्षाबंधन के दिन हम दोनों किसी बहाने घर से निकल जाते थे और पास के जंगल जा कर खूब चुदाई करते थे.
गोलू: लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया है कम्मो दीदी को याद कर के.
राजू: तो बस फिर क्या है. आज रात ही हम सब अपनी-अपनी बहनों की अच्छे से बूर चुदाई करेंगे.
छेदी: सही कहा राजू. आज रात तुम सब ध्यान से सुनना की कैसे खुशबू 'भैया-भैया' चिलाती है और मेरा लंड लेती है.
राजू: आज तो उर्मिला दीदी भी 'भैया-भैया' बोल कर मेरा लंड लेगी.
गोलू: तो ठीक है. आज रात कम्मो दीदी भी 'भैया-भैया' ही बोलेगी.
सोनू: मेरा भी वादा रहा. पायल दीदी भी 'भैया-भैया' बोलते हुए ही चुदेगी मुझसे.
सभी भाई एकसाथ हाथ मिलाते है और रात में अपनी-अपनी बहनों को चोदते वक़्त 'भैया-भैया' की चीखें निकलवाने का प्रण लेते है. बहनों के आने के पहले सभी भाई जल्दी से पास के बाज़ार जाते है और बहनों के लिए नाईटी खरीद कर ले आते है. राजू के प्लान के मुताबिक़ आज रात वो अपनी-अपनी बहनों को ये नाईटी पहनने देंगे और उनकी छलकती जवानी का लुफ्त उठाएंगे. यहाँ भाइयों ने आज रात ही अपनी-अपनी बहनों की चुदाई करने की ठान ली थी और वहाँ बहनों ने भाइयों से आज रात न चुदने का प्लान बना रखा था.
रात के ९ बज रहे थे. सभी खाना खाकर बंगले की छत पर अराम से बैठे थे. छत पर गद्दे बीचे हुए थे जिस पर एक तरफ सभी भाई बैठे थे तो दूसरी तरफ बहने. प्लान के मुताबीक भाइयों ने बहनों को नाईटी भेंट दी और उसे पहनने की जिद की जिसे बहनों ने मान लिया. सभी बहनों ने बिना बाहँ वाली, डीप-कट शोर्ट नाईटी पहनी हुई थी. सभी भाइयों की नज़रे अपनी बहनों के बड़े-बड़े दूध और उसके बीच छलकती गहराई पर टिकी हुई थी. बीच-बीच में जब बहने किसी बहाने से अपने हाथ उठा देती तो उनकी हलके बालोवाली बगल देखकर भाई शॉर्ट्स पर से अपने-अपने लंड मसल देते. बहने बातें करती हुई अच्छे से अपनी जवानी छलका रही थी. बातें करते हुए उर्मिला ने लड़कियों को इशारा किया तो सभी थोडा आगे झुक कर भाइयों को अपनी दूध के बीच की गहराई दिखाने लगी. सभी लडकियां आगे झुकी हुई ये नज़ारा अपने-अपने भाइयों को दिखा रही थी.
उर्मिला: भाई क्या जाने बहन का प्यार? सारे संसार में बहन का प्यार सबसे 'गहरा' होता है.
सभी भाई अपनी-अपनी बहनों के दूध के बीच की गहराई को आँखे फाड़े देखने लगते है. राजू भी उर्मिला की गहराई को घूरते हुए, ओंठ पर जीभ फेरते हुए कहता है.
राजू: ऐसी बात नहीं है दीदी. अगर बहन अपने प्यार की गहराई भाई को दिखाती है तो भाई भी उस गहराई को नज़र अंदाज़ नहीं करता.
उर्मिला लड़कियों को इशारा करती है तो सभी सीधी हो कर बैठ जाती है. सभी भाइयों के मुहँ अचानक से उतर जाते है. उनके चेहरे देखकर बहाने जोर-जोर से हंसने लगती है. लड़के समझ जाते है की आज लड़कियां उन्हें छेड़ने का प्लान बनाकर आई है. लड़के एक दुसरे की तरफ देखते है और आँखों में बातें हो जाती है. छेदी अपनी टाँगे खोलकर बैठ जाता है और खुशबू को अपने शॉर्ट्स में बने बड़े से उभार को दिखाते हुए कहता है.
छेदी: माना की भाइयों का प्यार 'सक्त' होता है पर जब बहने अपने प्यार की गहराई दिखाती है तो भाई भी बहन को पूरी गहराई तक प्यार देता है. वो इतना प्यार देता है है की बहन लेते-लेते थक जाती है पर भाई देते-देते नहीं थकता.
छेदी की इस बात पर खुशबू के साथ-साथ सभी बहनों के होश उड़ जाते है. छेदी के साथ सभी भाई भी अपनी टाँगे खोले अपने शॉर्ट्स में बने तम्बू को दिखा देते है. सभी बहनों की आँखे बड़ी-बड़ी हो जाती है और मुहँ खुल जाते है. ये देखकर सभी भाई जोर-जोर से हँसने लगते है. इस बार भाइयों का पलड़ा भारी हो गया था. कुछ क्षण तो उर्मिला भी राजू के शॉर्ट्स में उभरे हुए तम्बू को देखने में खो जाती है की तभी उसे अपना प्लान याद आता है. वो देखती है की पायल, खुशबू और कम्मो अपने भाइयों की टांगों के बीच आँखे फाड़े घुर रही है. वो समझ जाती है की अगर इन्हें अभी रोका नहीं गया तो ये सभी उच्छल कर अपने-अपने भाइयों की गोद में बैठ जायेंगी. वो जोर से खांस देती है. उसकी खांसी सुनकर सभी बहनों को होश आता है और वो संभल जाती है. अब उर्मिला के प्लान के मुताबीक सभी बहने भाइयों को रिझाने लगती है. शुरवात उर्मिला एक गाने से करती है.
उर्मिला: (राजू को देखकर अदा दिखाते हुए गाती है) चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
उर्मिला का गाना सुनकर सभी बहने भी अपने हाथों को उठा कर हलके बालोवाली बगल दिखाते हुए गाने में उर्मिला का साथ देती है और 'कोरस' में एक साथ गाती है.
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
उर्मिला: ला दिए नाईटी, भैया ला दिए नाईटीsss...!!
बहने: ला दिए नाईटी, भैया ला दिए नाईटीsss...!!
उर्मिला: किसम-किसम के वेराइटी रे, भैया ला दिए नाईटी....!!
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
सभी भाई जब ये गाना सुनते है और अपनी बहनों की बालोवाली बगल और उठे हुए दूध देखते है तो उनके मुहँ में पानी आ जाता है. सभी शॉर्ट्स के ऊपर से मुहँ खोले हुए अपने लंड को मसलने लगते है. बहने भी भाइयों को इस तरह से तरसता देख खुश हो जाती है. उर्मिला आगे गाती है.
उर्मिला: रोजे ऊ देखत रहे हमारा टॉप में, ठीक से ना जोबना भेटात रहे हाथ में....!!
बहने: रोजे ऊ देखत रहे हमारा टॉप में, ठीक से ना जोबना भेटात रहे हाथ में....!!
उर्मिला: भईले बा बिमारी कब विलाईती रे, भैया ला दिए नाईटीsss...!!
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
अब तो भाइयों की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है. शॉर्ट्स के अन्दर सभी के लंड अंगडाई लेने लगते है और टोपे से हल्का सफ़ेद पानी बहने लगता है जिससे उनकी शॉर्ट्स हलकी गीली हो जाती है. उर्मिला के साथ जब सभी बहने ये देखती है तो वो भी मस्ती में आ जाती है. सभी बहने अपने दूध हिलाने लगती है. उर्मिला आगे गाती है.
उर्मिला: नाईटी के भीतरी के देखी फूलगेंदा...!!
बहने: देखी फुलगेंदा हो देखी फुलगेंदाssss....!!
उर्मिला: भैया के छुटे पिचकारी से पसीना....!!
बहने: छुटेला पसीना हो छुटेला पसीना....!!
उर्मिला: नाईटी के भीतरी के देखी फूलगेंदा, भैया के छुटे पिचकारी से पसीना, फुचुर-फुचुर फेके रंग ' वाईटी ' रे, भैया ला दिए नाईटी....!!
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
**[छुटेला = छुठने लगा ; भीतरी = अन्दर का ; वाईटी = सफ़ेद जैसा ]
ये सुनकर और बहनों की कातिल अदाएं देखकर तो भाइयों को अपने-आप को रोकना मुश्किल हो जाता है. सभी आँखे फाड़े अपनी बहनों की नाईटी में उमड़ती हुई जवानी भूके भेड़िये की तरह देखने लगते है. मौका पा कर उर्मिला भी लड़कियों को इशारा करती है तो सभी अपने पैरों को घुटनों से मोड़े और थोडा फैलाकर बैठ जाती है. निचे, जाँघों के बीच सभी बहनों की बूर पर कसी हुई पैन्टी दिखने लगती है. सभी भाई एकसाथ निचे झुक कर अपनी-अपनी बहनों की फूली हुई बूर पर कसी पैन्टी देखने लगते है. अपने भाइयों को इस तरह से पैन्टी घूरते हुए देख उर्मिला के साथ सभी बहनों की बूर भी बहने लगती है. अब उनकी पैन्टी पर भी एक लम्बी गीली लकीर दिखने लगती है. बूर के पानी से बहनों की पैन्टी गीला होते देख सभी भाई शॉर्ट्स से अपने मोटे लंड निकाल लेते है और बहनों के सामने उनकी पैन्टी देखते हुए हिलाने लगते है. ये देखकर बहने का भी मन डोलने लगता है. सभी बहने अपने भाइयों का मोटा लंड देखते हुए हाथ से अपने दूध दबाने लगती है. बदन की गर्मी बढ़ने से उनकी बूर फड़कने लगती है जिसे निचे झुके हुए भाई पैन्टी के ऊपर साफ़ देख रहे थे. मामला गड़बड़ा गया था. उर्मिला, जो सभी लड़कियों का मार्गदर्शन किया करती थी, वो इस वक़्त खुद दिशाहीन हो चुकी थी. भाइयों के मोटे लंड अपना कमाल दिखा रहे थे.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bahut hi jordaar update hai ,, hamesha ki tarahअपडेट ३९:
ऑटो में बैठकर उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू एक छोटे से बाज़ार में पहुँच जाते है जहाँ छोटी-छोटी दुकानों में बहुत सी औरतें और लडकियां अपने भाइयों के लिए राखी खरीद रहीं थी. ऑटो से उतरकर सभी एक दूकान के पास पहुँच जातीं है. दूकान में बहुत सी रंग-बिरंगी, बड़ी-छोटी राखियाँ और रेशमी धागे लटक रहे थे. सभी एक नज़र आस-पास डालते है तो लडकियां अपने हाथ में राखी ले कर देख रही थी और उनके चेहरे पर हलकी मुस्कान भी थी. उनकी मुस्कान के पीछे का रहस्य समझते ही उर्मिला, पायल और खुशबू एक दुसरे की ओर देखकर मुस्कुरा देती है. कम्मो उनके चेहरे की मुस्कान को देखकर समझने का प्रयत्न करती है पर कुछ समझ नहीं पाती है.
उर्मिला: अच्छा चलो, अब अपने-अपने भाइयों के लिए सभी राखी और रेशमी धागे पसंद कर लो.
सभी राखी और रेशमी धागे देखने में व्यस्थ हो जाते हैं. कम्मो दूकान में टंगी राखियाँ और धागे देखते हुए आस-पास भी नज़र दौड़ा रही थी. तभी उसकी नज़र कुछ दूर खड़ी एक २०-२१ साल की लड़की पर पड़ती है जो किसी १८-१९ साल के लड़के के साथ खड़ी थी और राखियाँ देख रही थी. वो लड़का देखने में उसका छोटा भाई लग रहा था. कम्मो गौर से देखती है तो वो लड़की एक बड़ी सी राखी उठाती है, कुछ सोचती है और फिर दुकानदार से उसका दाम पूछती है. कम्मो उस बड़ी सी राखी को देखती है और जोर-जोर से हँसने लगती है. साथ खड़ी उर्मिला, पायल और खुशबू जब उसे इस तरह से हँसते हुए देखती है तो वो सभी हैरान हो जाती है.
उर्मिला: क्या हुआ री कम्मो? ऐसे क्यूँ हँस रही है?
कम्मो: (अपनी हँसी पर काबू पाते हुए, धीरे से) भाभी, वो पास वाली लड़की को देख रहे हो? वही जो पीले रंग की सलवार में है.
उर्मिला: (देखते हुए) हाँ देख रही हूँ. तो क्या हुआ?
कम्मो: भाभी वो पतला सा लड़का जो उसके साथ खड़ा है वो शायद उसका भाई है.
उर्मिला: हाँ तो होगा उसका भाई. तुझे क्या हुआ?
कम्मो: भाभी, उस लड़की ने अपने भाई के लिए देखिये कितनी बड़ी राखी ली है, और उसके भाई की कलाई देखिये कितनी पतली है.
ये कहकर कम्मो फिर से अपने मुहँ पर हाथ रखे जोर-जोर से हँसने लगती है. उसकी बात सुनकर उर्मिला, पायल और खुशबू एक दुसरे की तरफ देखकर धीरे से मुस्कुरा देते है. उर्मिला कम्मो के कान में धीरे से कहती है.
उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) तुझे कैसे पता की वो लड़की उस बड़ी राखी को अपने भाई की पतली कलाई में ही बाँधेगी?
कम्मो: (हँसना बंद कर देती है और आश्चर्य के साथ उर्मिला को देखते हुए) राखी भाई की कलाई पर नहीं तो और कहाँ बाँधते है भाभी?
उर्मिला: होती है कुछ बहने तेरे जैसे बेवकूफ जो रक्षाबंधन जैसे भाई-बहन के पवित्र त्यौहार पर राखी भाइयों की कलाई पर बाँधती है.
कम्मो: (आँखे और भी ज्यादा बड़ी करते हुए) तो फिर राखी कहाँ बाँधनी चाहिए भाभी?
उर्मिला: (धीरे से कम्मो के कान में) भाइयों के लंड पर....!!
उर्मिला की बात सुनकर कम्मो सट्टे में आ जाती है. हालाकीं वो कई सालों से गोलू के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मना रही थी पर लंड पर राखी बाँधना ये वो पहली बार सुन रही थी.
कम्मो: (धीमी आवाज़ में) ये आप क्या कह रहे हो भाभी? भाई के लंड पर भला कोई बहन राखी बाँधती है क्या?
उर्मिला: (धीरे से कम्मो के कान में) क्यूँ? जब बहन दो भाइयों का लंड अपनी बूर और गांड में एक साथ ले सकती है तो लंड पर राखी बाँधने में क्या हर्ज़ है?
उर्मिला की बात सुनकर कम्मो शर्मा जाती है. कम्मो को शर्माता देख सभी हँस पड़ते है.
उर्मिला: चल अब जल्दी से गोलू के मोटे लंड को याद कर और एक अच्छी सी राखी देख.
सभी अपने-अपने भाइयों के लिए राखी और रेशम की डोर खरीद लेते है. दूकान वाले को पैसे दे कर सभी थोडा आगे जाते है. उर्मिला उन्हें एक रेडीमेड कपड़ो की दूकान में ले जाती है. उर्मिला ने पहले से ही सब कुछ सोच रखा था. अपने प्लान के मुताबीक सभी कपडे खरीद लेते है. दूकान से निकलकर सभी कुल्फी लेते है और पास ही एक पेड़ की छाओं में बैठ जाते है. सभी आपस में बातें करने लगती है.
खुशबू: भाभी मेरे दिल में एक बात है जो मैं आपसे पूछना चाहती हूँ.
उर्मिला: हाँ बोल क्या बात है.
खुशबू: भाभी, बहने अपने भाई की कलाई में राखी इसलिए बाँधती है क्यूंकि वो उसकी रक्षा कर सके.
उर्मिला: हाँ सही बात है.
खुशबू: तो फिर भाभी, बहने रक्षाबंधन के दिन अपने भाइयों के लंड पर राखी क्यूँ बाँधती है?
उर्मिला: सवाल तो तेरा सही है खुशबू. देख, हर भाई का फ़र्ज़ है की वो अपनी बहन की रक्षा करे. अब तू मुझे बता की भाई अपनी बहन की किस चीज़ की रक्षा करता है?
खुशबू: बहन की इज्ज़त...
उर्मिला: हाँ सही कहा. और बहन की इज्ज़त कहाँ होती है?
खुशबू: उनकी जाँघों के बीच भाभी.
उर्मिला: हाँ सही कहा. अब बहने जिस भाई की कलाई पर राखी बाँध कर उससे अपनी इज्ज़त की रक्षा करवाती है, वो उसी भाई के लंड पर राखी बाँध कर बूर नहीं चुदवा सकती?
खुशबू: बात तो आपने सही कही है भाभी. छेदी भैया के लंड पर राखी बाँधने का सोच कर ही मेरी बूर पानी छोड़ने लगी है.
उर्मिला: ये बात सोचकर तो हर बहन की बूर गीली हो जाती है.
इस बात पर सभी जोर-जोर से हंसने लगती है. अब उर्मिला उन्हें आज रात का प्लान बताती है.
उर्मिला: अब तुम सब मेरी बात ध्यान से सुनो. आज रात हमे अपने-अपने भाइयों को बूर के लिए अच्छी तरह से तरसाना है. रात भर हम उनके लंड को खड़ा रखेंगे ताकि कल, रक्षाबंधन के दिन जब वो हमारी चुदाई करे तो बस मजा ही आ जाए.
पायल: तो क्या भाभी आज रात हम अपने भाइयों का लंड नहीं लेंगी?
उर्मिला: ओहो...!! देखो तो इसे, कितनी बेताब हो रही है सोनू का लंड लेने के लिए.
पायल: (शर्माते हुए) भाभी....!!
उर्मिला: (हँसते हुए) आज रात नहीं. आज सिर्फ खड़ा करना है और तरसाना है. अब घर चले?
सभी हामी भर देती है और ऑटो कर के घर की ओर चल पड़ती है. वहां घर पर सभी भाई बैठ कर बातें कर रहे है.
छेदी: पर कुछ भी कहो, अपनी सगी बहन को चोदने का मजा ही कुछ और है.
राजू: सही कहा छेदी भैया आपने. बहन की बूर में लंड डालने का जो मजा है वो और किसी बूर में नहीं.
सोनू: आप सभी तो अपनी बहनों की बूर पेल चुके हो. मैं तो अब तक तरस रहा हूँ.
गोलू: अरे सोनू..!! चिंता क्यूँ करता है. आज रात ही पायल दीदी को पता ले और चोद ले उनकी बूर.
राजू: और नहीं तो क्या. पायल भी तो अपने भाई के लंड के लिए तरस रही होगी.
छेदी: भाई मैं तो आज रात अपनी बहन की पटक-पटक के लेने वाला हूँ. राजू, तुम्हारा क्या प्लान है? उर्मिला की लिए हुए तो तुम्हे भी काफी वक़्त हो गया होगा?
राजू: हाँ छेदी भैया. उर्मिला दीदी की लिए हुए एक साल से ज्यादा समय हो गया है. पहले तो रक्षाबंधन के दिन हम दोनों किसी बहाने घर से निकल जाते थे और पास के जंगल जा कर खूब चुदाई करते थे.
गोलू: लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया है कम्मो दीदी को याद कर के.
राजू: तो बस फिर क्या है. आज रात ही हम सब अपनी-अपनी बहनों की अच्छे से बूर चुदाई करेंगे.
छेदी: सही कहा राजू. आज रात तुम सब ध्यान से सुनना की कैसे खुशबू 'भैया-भैया' चिलाती है और मेरा लंड लेती है.
राजू: आज तो उर्मिला दीदी भी 'भैया-भैया' बोल कर मेरा लंड लेगी.
गोलू: तो ठीक है. आज रात कम्मो दीदी भी 'भैया-भैया' ही बोलेगी.
सोनू: मेरा भी वादा रहा. पायल दीदी भी 'भैया-भैया' बोलते हुए ही चुदेगी मुझसे.
सभी भाई एकसाथ हाथ मिलाते है और रात में अपनी-अपनी बहनों को चोदते वक़्त 'भैया-भैया' की चीखें निकलवाने का प्रण लेते है. बहनों के आने के पहले सभी भाई जल्दी से पास के बाज़ार जाते है और बहनों के लिए नाईटी खरीद कर ले आते है. राजू के प्लान के मुताबिक़ आज रात वो अपनी-अपनी बहनों को ये नाईटी पहनने देंगे और उनकी छलकती जवानी का लुफ्त उठाएंगे. यहाँ भाइयों ने आज रात ही अपनी-अपनी बहनों की चुदाई करने की ठान ली थी और वहाँ बहनों ने भाइयों से आज रात न चुदने का प्लान बना रखा था.
रात के ९ बज रहे थे. सभी खाना खाकर बंगले की छत पर अराम से बैठे थे. छत पर गद्दे बीचे हुए थे जिस पर एक तरफ सभी भाई बैठे थे तो दूसरी तरफ बहने. प्लान के मुताबीक भाइयों ने बहनों को नाईटी भेंट दी और उसे पहनने की जिद की जिसे बहनों ने मान लिया. सभी बहनों ने बिना बाहँ वाली, डीप-कट शोर्ट नाईटी पहनी हुई थी. सभी भाइयों की नज़रे अपनी बहनों के बड़े-बड़े दूध और उसके बीच छलकती गहराई पर टिकी हुई थी. बीच-बीच में जब बहने किसी बहाने से अपने हाथ उठा देती तो उनकी हलके बालोवाली बगल देखकर भाई शॉर्ट्स पर से अपने-अपने लंड मसल देते. बहने बातें करती हुई अच्छे से अपनी जवानी छलका रही थी. बातें करते हुए उर्मिला ने लड़कियों को इशारा किया तो सभी थोडा आगे झुक कर भाइयों को अपनी दूध के बीच की गहराई दिखाने लगी. सभी लडकियां आगे झुकी हुई ये नज़ारा अपने-अपने भाइयों को दिखा रही थी.
उर्मिला: भाई क्या जाने बहन का प्यार? सारे संसार में बहन का प्यार सबसे 'गहरा' होता है.
सभी भाई अपनी-अपनी बहनों के दूध के बीच की गहराई को आँखे फाड़े देखने लगते है. राजू भी उर्मिला की गहराई को घूरते हुए, ओंठ पर जीभ फेरते हुए कहता है.
राजू: ऐसी बात नहीं है दीदी. अगर बहन अपने प्यार की गहराई भाई को दिखाती है तो भाई भी उस गहराई को नज़र अंदाज़ नहीं करता.
उर्मिला लड़कियों को इशारा करती है तो सभी सीधी हो कर बैठ जाती है. सभी भाइयों के मुहँ अचानक से उतर जाते है. उनके चेहरे देखकर बहाने जोर-जोर से हंसने लगती है. लड़के समझ जाते है की आज लड़कियां उन्हें छेड़ने का प्लान बनाकर आई है. लड़के एक दुसरे की तरफ देखते है और आँखों में बातें हो जाती है. छेदी अपनी टाँगे खोलकर बैठ जाता है और खुशबू को अपने शॉर्ट्स में बने बड़े से उभार को दिखाते हुए कहता है.
छेदी: माना की भाइयों का प्यार 'सक्त' होता है पर जब बहने अपने प्यार की गहराई दिखाती है तो भाई भी बहन को पूरी गहराई तक प्यार देता है. वो इतना प्यार देता है है की बहन लेते-लेते थक जाती है पर भाई देते-देते नहीं थकता.
छेदी की इस बात पर खुशबू के साथ-साथ सभी बहनों के होश उड़ जाते है. छेदी के साथ सभी भाई भी अपनी टाँगे खोले अपने शॉर्ट्स में बने तम्बू को दिखा देते है. सभी बहनों की आँखे बड़ी-बड़ी हो जाती है और मुहँ खुल जाते है. ये देखकर सभी भाई जोर-जोर से हँसने लगते है. इस बार भाइयों का पलड़ा भारी हो गया था. कुछ क्षण तो उर्मिला भी राजू के शॉर्ट्स में उभरे हुए तम्बू को देखने में खो जाती है की तभी उसे अपना प्लान याद आता है. वो देखती है की पायल, खुशबू और कम्मो अपने भाइयों की टांगों के बीच आँखे फाड़े घुर रही है. वो समझ जाती है की अगर इन्हें अभी रोका नहीं गया तो ये सभी उच्छल कर अपने-अपने भाइयों की गोद में बैठ जायेंगी. वो जोर से खांस देती है. उसकी खांसी सुनकर सभी बहनों को होश आता है और वो संभल जाती है. अब उर्मिला के प्लान के मुताबीक सभी बहने भाइयों को रिझाने लगती है. शुरवात उर्मिला एक गाने से करती है.
उर्मिला: (राजू को देखकर अदा दिखाते हुए गाती है) चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
उर्मिला का गाना सुनकर सभी बहने भी अपने हाथों को उठा कर हलके बालोवाली बगल दिखाते हुए गाने में उर्मिला का साथ देती है और 'कोरस' में एक साथ गाती है.
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
उर्मिला: ला दिए नाईटी, भैया ला दिए नाईटीsss...!!
बहने: ला दिए नाईटी, भैया ला दिए नाईटीsss...!!
उर्मिला: किसम-किसम के वेराइटी रे, भैया ला दिए नाईटी....!!
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
सभी भाई जब ये गाना सुनते है और अपनी बहनों की बालोवाली बगल और उठे हुए दूध देखते है तो उनके मुहँ में पानी आ जाता है. सभी शॉर्ट्स के ऊपर से मुहँ खोले हुए अपने लंड को मसलने लगते है. बहने भी भाइयों को इस तरह से तरसता देख खुश हो जाती है. उर्मिला आगे गाती है.
उर्मिला: रोजे ऊ देखत रहे हमारा टॉप में, ठीक से ना जोबना भेटात रहे हाथ में....!!
बहने: रोजे ऊ देखत रहे हमारा टॉप में, ठीक से ना जोबना भेटात रहे हाथ में....!!
उर्मिला: भईले बा बिमारी कब विलाईती रे, भैया ला दिए नाईटीsss...!!
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
अब तो भाइयों की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है. शॉर्ट्स के अन्दर सभी के लंड अंगडाई लेने लगते है और टोपे से हल्का सफ़ेद पानी बहने लगता है जिससे उनकी शॉर्ट्स हलकी गीली हो जाती है. उर्मिला के साथ जब सभी बहने ये देखती है तो वो भी मस्ती में आ जाती है. सभी बहने अपने दूध हिलाने लगती है. उर्मिला आगे गाती है.
उर्मिला: नाईटी के भीतरी के देखी फूलगेंदा...!!
बहने: देखी फुलगेंदा हो देखी फुलगेंदाssss....!!
उर्मिला: भैया के छुटे पिचकारी से पसीना....!!
बहने: छुटेला पसीना हो छुटेला पसीना....!!
उर्मिला: नाईटी के भीतरी के देखी फूलगेंदा, भैया के छुटे पिचकारी से पसीना, फुचुर-फुचुर फेके रंग ' वाईटी ' रे, भैया ला दिए नाईटी....!!
बहने: चोली में सामान देखी 'टाईटी' रे, भैया ला दिए नाईटी.....!!
**[छुटेला = छुठने लगा ; भीतरी = अन्दर का ; वाईटी = सफ़ेद जैसा ]
ये सुनकर और बहनों की कातिल अदाएं देखकर तो भाइयों को अपने-आप को रोकना मुश्किल हो जाता है. सभी आँखे फाड़े अपनी बहनों की नाईटी में उमड़ती हुई जवानी भूके भेड़िये की तरह देखने लगते है. मौका पा कर उर्मिला भी लड़कियों को इशारा करती है तो सभी अपने पैरों को घुटनों से मोड़े और थोडा फैलाकर बैठ जाती है. निचे, जाँघों के बीच सभी बहनों की बूर पर कसी हुई पैन्टी दिखने लगती है. सभी भाई एकसाथ निचे झुक कर अपनी-अपनी बहनों की फूली हुई बूर पर कसी पैन्टी देखने लगते है. अपने भाइयों को इस तरह से पैन्टी घूरते हुए देख उर्मिला के साथ सभी बहनों की बूर भी बहने लगती है. अब उनकी पैन्टी पर भी एक लम्बी गीली लकीर दिखने लगती है. बूर के पानी से बहनों की पैन्टी गीला होते देख सभी भाई शॉर्ट्स से अपने मोटे लंड निकाल लेते है और बहनों के सामने उनकी पैन्टी देखते हुए हिलाने लगते है. ये देखकर बहने का भी मन डोलने लगता है. सभी बहने अपने भाइयों का मोटा लंड देखते हुए हाथ से अपने दूध दबाने लगती है. बदन की गर्मी बढ़ने से उनकी बूर फड़कने लगती है जिसे निचे झुके हुए भाई पैन्टी के ऊपर साफ़ देख रहे थे. मामला गड़बड़ा गया था. उर्मिला, जो सभी लड़कियों का मार्गदर्शन किया करती थी, वो इस वक़्त खुद दिशाहीन हो चुकी थी. भाइयों के मोटे लंड अपना कमाल दिखा रहे थे.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Rakshabandhan bahut hot honewali haiअपडेट ३८:
दिन के ११:३० बज रहे थे. सभी लोग अस्पताल से आ चुके थे. मोहन का प्लास्टर निकल चूका था और वो धीरे-धीरे चल रहे थे. घर में आते ही मोहन कुर्सी पर बैठ जाते है. बिमला की नज़र कम्मो पर पड़ती है जो उच्छलती हुई आ रही थी.
कम्मो: आप लोग आ गए माँ...?
बिमला: हाँ बेटी. सब ठीक हो गया है.और तुम लोगो ने क्या किया घर पर? कोई बदमाशी तो नहीं की ना?
कम्मो: नहीं माँ. गोलू और सोनू आज 'सैंडविच' बनाया था?
बिमला: 'सैंडविच' ? ये क्या होता है?
ये सुनकर पास खड़ी उर्मिला के कान खड़े हो जाते है. वो झट से बिमला के पास आकर खड़ी हो जाती है.
उर्मिला: वो..वो ...मामी जी, दरसल 'सैंडविच' एक तरह का नाश्ता होता है शहरों में. दो ब्रेड के बीच सब्जी या ऐसा कुछ डाल कर लोग खाते है. कम्मो के लिए भी गोलू और सोनू ने मिलकर 'सैंडविच' बनाया होगा खाने के लिए. हैं ना कम्मो? सही कह रही हूँ ना मैं? (बड़ी-बड़ी आँख दिखाते हुए)
कम्मो: अ...हाँ हाँ माँ....भाभी सही कह रही है.
बिमला: (हँसते हुए) चलो अच्छा है. आज मेरी बिटिया रानी के लिए उसके दोनों भाइयों ने मिलकर 'सैंडविच' बना दिया. देखा उर्मिला...गोलू और सोनू कितना प्यार करते है अपनी दीदी से...
उर्मिला: हाँ...हाँ...मामी जी...बहुत प्यार करते है.
बिमला के जाते ही उर्मिला कम्मो का हाथ पकड़कर रसोई में ले जाती है.
उर्मिला: सच-सच बता कम्मो. गोलू और सोनू ने तेरे साथ क्या किया है?
कम्मो: (घबराते हुए) कु...कुछ तो नहीं भाभी...
उर्मिला: (आँखे दिखाते हुए) देख कम्मो, मुझसे झूठ मत बोल. मैं सब जानती हूँ. सच-सच बता क्या हुआ आज.
कम्मो भाभी से झूट नहीं बोल पाती है और सब कुछ बता देती है. कम्मो की बात सुनकर उर्मिला की आँखे बड़ी और मुहँ खुल जाता है.
उर्मिला: मतलब तुने दोनों का लंड एकसाथ अपनी गांड और बूर में ले लिया था?
कम्मो: हाँ भाभी. (भोलेपन से) और भाभी दोनों कह रहे थे की आज रात भी वो मुझे 'सैंडविच' बनायेंगे.
उर्मिला: उफ़.. कम्मो...!! इतनी कम उम्र में तुने वो कर दिया जो लड़कियां शादी के बाद भी नहीं कर पाती है.
कम्मो: क्या भाभी...?
उर्मिला: अ...कुछ नहीं. अच्छा सुन. ये गोली खा ले जल्दी से.
कम्मो: ये क्या है भाभी?
उर्मिला: माला-डी. रातभर जो तुने अपने भाई के लंड का पानी बूर में गिरवाया है ना, ये उसके लिए है. उसका बीज तेरे पेट में पनप गया तो गजब हो जायेगा.
कम्मो: (हँसते हुए) आप कुछ भी बोल रहे हो भाभी. बीज तो खेत में बोते है. पेट में तो खाना होता है ना?
कम्मो की बात सुनकर उर्मिला सर पर हाथ मार लेती है.
उर्मिला: मेरी माँ, जो कह रही हूँ वो कर.
कम्मो एक गिलास में पानी लेती है और गोली खा लेती है. फिर उर्मिला उसे जो बात बताती है वो सुनकर कम्मो की आँखों में पानी भर आता है.
कम्मो: (रोते हुए) नहीं भाभी...आप लोग मत जाइये ....
उर्मिला: जाना तो पड़ेगा कम्मो. अब मामाजी भी ठीक हो गये है और मम्मी भी घर जाना चाहती है. हमे आज दोपहर को ही निकलना पड़ेगा.
कम्मो रोते हुए उर्मिला से चिपक जाती है और साथ चलने की जिद करने लगती है.
कम्मो: मैं भी आपके साथ चलूंगी भाभी.
उर्मिला: पागल. इतनी जिद मत कर. अभी तो मामाजी का प्लास्टर निकला है. गोलू खेत का काम करेगा और फिर मामी जी भी अकेली पड़ जाएगी ना? तू रहेगी तो मामी जी का हाथ बटा देगी ना.
कम्मो: (आंसू पोछते हुए) पर भाभी मुझे आपसब की बहुत याद आएगी.
उर्मिला: याद तो हम सब को भी बहुत आएगी कम्मो. चल अब जल्दी से हस दे और देख तेरे बापू को कुछ चाहिये क्या...
कम्मो हस देती है और उच्छलती हुई वहाँ से चली जाती है. रास्ते में ही उमा ने बता दिया था की वो लोग आज दोपहर ही रामपुर के लिए निकल पडेंगे. उमा को रमेश की बहुत चिंता हो रही थी. मोहन और बिमला भी न चाहते हुए उमा की बात मान ली थी. उर्मिला ने गोलू को भी ये बात अच्छे से समझा दी. वो भी रोया पर अंत में बात समझ गया. अकेले में उर्मिला भी सोचती रही. गाँव में उसका भी मन गोलू और कम्मो से लग गया था. बहुत सोचने पर उसके गंदे दिमाग में एक तरकीब आ जाती है. वो उठकर बिमला के पास जाती है.
उर्मिला: क्या कर रही हो मामी जी?
बिमला: कुछ नहीं रे, इनके लिए हल्दी वाला दूध बना रही हूँ.
उर्मिला: ओह अच्छा. वैसे मामी जी, आज हम लोग जा रहे है तो गोलू और कम्मो बहुत उदास है.
बिमला: हाँ उर्मिला. तुम लोग के आने से बच्चे कितने खुश लग रहे थे. जाने पर दुःख तो होगा ही ना.
उर्मिला: हाँ मामी जी, अब पता नहीं कब मिलना होगा. (कुछ सोच कर) वैसे मामी जी एक बात कहूँ? आप मानोगे मेरी बात?
बिमला: (उर्मिला के गाल पर प्यार से हाथ रखते हुए) अरे मेरी प्यारी बहुरानी...! क्यूँ नहीं मानूंगी? तू बोल तो सही.
उर्मिला: मामी जी इस बार मैं रक्षाबंधन में अपने भाई के घर जा रही हूँ. मेरे साथ सोनू और पायल भी आ रहे है. हम सब वहीँ रक्षाबंधन मनाएंगे. क्यूँ ना आप गोलू और कम्मो को भी हमारे साथ १-२ दिनों के लिए भेज दीजिये? गोलू और कम्मो पायल से भी मिल लेंगे और रक्षाबंधन मन कर घर आ जायेंगे.
उर्मिला की बात सुनकर बिमला सोच में पड़ जाती है. गोलू का तो ठीक था पर कम्मो कभी ठीक से घर से बाहर भी नहीं गई थी. उसे कम्मो की ज्यादा चिंता थी.
बिमला: बात तो ठीक है उर्मिला पर मुझे कम्मो की चिंता है. तू तो जानती ही है की वो कैसी है.
उर्मिला: आप उसकी चिंता बिलकुल भी मत कीजिये मामी जी. वो मेरी जिम्मेदारी है. हम लोग खुद यहाँ आ जायेंगे. कम्मो और गोलू को लेकर यहाँ से मेरे भाई के घर निकल लेंगे. और फिर रक्षाबंधन के बाद दोनों को यहाँ छोड़ते हुए रामपुर चले जायेंगे.
बिमला: (कुछ सोच कर) अच्छा ठीक है. पर मैं पहले कम्मो के बापू से बात कर लेती हूँ फिर तुझे बताउंगी.
उर्मिला: ठीक है मामी जी.
और फिर दोनों अपने-अपने काम में लग जाते है.
दोपहर के २ बज रहे थे. सोनू गाड़ी शुरू करके चलने को तैयार था. उमा मोहन और बिमला से बातें कर रही थी. पास हे उर्मिला गोलू और कम्मो को धीरे से समझा रही थी.
उर्मिला: देख गोलू, कम्मो का ख्याल रखना और कुछ ऐसा वैसा मत कर देना की जिस से तुम दोनों की हरकते सबको पता चल जाए.
गोलू: हाँ भाभी. मैं याद रखूँगा आपकी बात.
उर्मिला: कम्मो, ये माला-डी की गोलियां अपने पास छुपा के रख. जब भी गोलू तेरी बूर में अपना पानी गिराएगा उसके ७२ घंटे होने से पहले तुझे एक गोली खा लेनी है. याद रखेगी ना?
कम्मो: हाँ भाभी...!
उर्मिला: अच्छा. मैं चलती हूँ. तुम दोनों अच्छे से रहना और खूब प्यार करना.
गोलू और कम्मो सर हिलाकर हामी भर देते है. दोनों से विदाई ले कर उर्मिला भी उमा के साथ गाड़ी में बैठ जाती है. सभी की आँखे नम थी. भीगी आँखों से विदाई लेकर उमा, उर्मिला और सोनू घर के लिए निकल पड़ते है.
शाम के ६ बज रहे थे. पायल के कमरे में रमेश पायल को नग्न अवस्था में पीछे से पकडे लेटा हुआ था. पायल भी नंगी, अपनी चुतड पापा से चिपकाए लेटी हुई थी. दोनों आँखे बंद किये आराम से लेते हुए थे. तभी अचानक गाड़ी का हॉर्न सुनकर पायल चोंक जाती है. वो हडबडा के खड़ी होती है और खिड़की के बीच से बाहर देखती है. बाहर सोनू, उर्मिला और उमा गाड़ी में बैठे, गेट के सामने थे. पायल घबरा के रमेश से कहती है.
पायल: प..पापा...!! सब लोग आ गए...
रमेश: अरे कौन आ गया?
पायल: मम्मी लोग, और कौन पापा....
पायल की बात सुनते ही रमेश उच्छल के बिस्तर से कूद पड़ते है. खिड़की से बाहर देखते ही रमेश की हवा खराब हो जाती है.
रमेश: अरे ये लोग बिना बताये इतनी जल्दी कैसे आ गए?
पायल: वो छोड़िये पापा. आप जल्दी से कपडे पहन लीजिये.
रमेश: हाँ हाँ....और तु भी कपडे पहन ले जल्दी से...
रमेश अपने कमरे की ओर भागते है. पायल भी झट से टॉप और पजामा पहन लेती है. कपडे पहन कर वो बाहर निकलती है तो रमेश अपने कमरे में धोती पहन रहे होते है. पायल रमेश को जल्दी करने का इशारा कर, आँगन में दौड़ जाती है. गेट खोलती है और गाड़ी अन्दर आ जाती है. सभी लोग गाड़ी से उतारते है.
उमा: इतनी देर लगा दी पायल गेट खोलने में?
पायल: वो..वो मम्मी, पता नहीं था की आप लोग आने वाले हो तो मैं अपने कमरे में आराम कर रही थी.
उमा: अरे हाँ, वो अचानक ही मन कर दिया घर आने का इसलिए बता नहीं पाए. तेरे पापा कहाँ है.
पायल: वो अपने कमरे में सो रहे है.
उमा: अच्छा..!! मैं थी तो पहलवानी करनी होती है. अभी सो रहे है.
ये बोलकर उमा घर में चली जाती है. उसके पीछे सोनू भी चला जाता है. उर्मिला टॉप में पायल के बड़े-बड़े दूध देखकर कर मुस्कुरा देती है और धीरे से उसके दूध दबाते हुए कहती है.
उर्मिला: वाह पायल. लगता है २ दिनों में ही बाबूजी ने इनका साइज़ बढ़ा दिया है.
पायल: (शर्माते हुए) धत्त भाभी..!! आप भी ना..! चलिए अन्दर....
दोनों एक दुसरे का हाथ पकडे घर में चले जाते है. रमेश और उमा भी आकर सोफे पर बैठ जाते है. उर्मिला, पायल और सोनू भी वही बैठ जाते है और गाँव की बातें शुरू हो जाती है. कुछ देर बाद उर्मिला सबके लिए चाय बना कर लाती है और बातों का सिलसिला शुरू हो जाता है. सभी लोग हंसी-मजाक करने लगते है. कुछ देर बाद सभी अपने-अपने कमरे में आराम करने चले जाते है.
रात के १० बज रहे थे. रमेश और उमा अपने कमरे में जा चुके थे. सोनू भी खाना खा कर अपने कमरे में लेट हुआ था. उर्मिला पायल के कमरे में उसके साथ बातें कर रही थी.
उर्मिला: सच बता पायल. २ दिन खूब लंड लिया है ना तूने बाबूजी का?
पायल: (शर्माते हुए) हाँ भाभी. पापा ने तो मेरा बुरा हाल कर रखा था. घंटो मेरी बुर चुदाई करते थे. पता है... मेरी बूर पूरी फैला दी है पापा ने....
उर्मिला: बापरे...!! जरा दिखा तो मुझे पायल...
पायल अपना स्कर्ट उठा के टाँगे फैला देती है. उसकी बालोवाली फैली हुई बूर दिखने लगती है. उर्मिला बूर देख कर ही समझ जाती है की इसकी दिन-रात जम के चुदाई हुई है.
उर्मिला: उफ़...सच पायल..!! बाबूजी ने तो पूरी फैला दी है तेरी बूर. खूब पटक-पटक के चोदा होगा ना तुझे?
पायल: हाँ भाभी. पापा मुझे बिस्तर पर पटक-पटक कर बुर चुदाई करते थे.
उर्मिला: तू यहाँ अपने पापा से चुद रही थी और वहां गोलू कम्मो की बूर चोद रहा था.
पायल: गोलू?? क्या बोल रही हो भाभी? गोलू कम्मो की चुदाई भी करता है?
उर्मिला: और नहीं तो क्या. और सिर्फ गोलू ही नहीं, सोने ने भी मिलकर कम्मो की चुदाई की है.
पायल: (बड़ी-बड़ी आँखों से) बापरे भाभी...!! मुझे बताइए ना क्या क्या हुआ.
उर्मिला शुरू से अंत तक सारी बात पायल को बता देती है. सुनकर पायल के जोश उड़ जाते है. कम्मो को कितना मजा आया होगा ये सोचकर वो अपने ओंठ काट लेती है.
पायल: भाभी...कम्मो ने तो कमाल कर दिया. एक साथ २-२ लंड...! बापरे...!!
उर्मिला: (पायल की बूर में २ उंगलिया घुसाते हुए) क्यूँ? तेरा भी दिल कर रहा है क्या २-२ लंड एकसाथ लेने का?
पायल: धत भाभी...आप भी ना....
उर्मिला: अच्छा..! मेरी बात सुन. परसों रक्षाबंधन है और मैंने एक प्लान बनाया है.
पायल: वो तो मुझे भी पता है भाभी. आप, मं और सोनू आपके भाई के घर जाने वाले है ना?
उर्मिला: हाँ बाबा, लेकिन मैंने गोलू और कम्मो को भी बुला लिया है.
पायल: वाह भाभी...फिर तो बड़ा मजा आएगा ना...
उर्मिला: हाँ. एक तरफ हम बहने और दूसरी तरफ वो तीनो भाई. खूब परेशान करेंगे हम उन्हें.
पायल: (हँसते हुए) वाओ भाभी...बड़ा मजा आएगा. भाभी..!! क्यूँ ना हम खुशबू को भी बुला लें? फिर एक तरफ ४ बहने और दूसरी तरफ ४ भाई हो जायेंगे.
उर्मिला: अरे वाह कम्मो...!! यह तो बहुत अच्छा सुझाव है तेरा. रुक मैं अभी खुशबू को कॉल करती हूँ.
उर्मिला झट से अपना फ़ोन निकालती है और खुशबू को कॉल करती है.
उर्मिला: हेलो खुशबू...!!
खुशबू: हाँ भाभी, खुशबू बोल रही हूँ. कैसे हो आप?
उर्मिला: मैं ठीक हूँ, और तू कैसी है?
खुशबू: मैं भी ठीक हूँ भाभी.
उर्मिला: अच्छा सुन. अभी तू कहाँ पर है?
खुशबू: स्टेशन पर हूँ भाभी.
उर्मिला: क्यूँ? कहीं जा रही है क्या?
खुशबू: नहीं भाभी. माँ को गाँव छोड़ने आये थे. बस वहीँ से वापस घर जा रहे हैं.
उर्मिला:क्यूँ क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?
खुशबू: हाँ भाभी. दरअसल परसों रक्षाबंधन है ना तो भैया ने कहा की माँ को गाँव छोड़ आते है.
उर्मिला: ओह अच्छा, तो रक्षाबंधन की तैयारी चल रही है.
खुशबू: (शर्माते हुए) हाँ भाभी.
उर्मिला: छेदी भी तेरे साथ हे है ना?
खुशबू: हाँ भाभी.
उर्मिला: तुम लोग जरा अकेले में जा कर स्पीकर ऑन करो, मुझे तुम दोनों से जरुरी बात करनी है.
खुशबू छेदी के साथ स्टेशन के एक कोने में जाती है और धीमी आवाज़ में फ़ोन का स्पीकर ऑन कर देती है.
खुशबू: हाँ भाभी, अब बोलिए.
उर्मिला: मेरी बात ध्यान से सुनो. परसों रक्षाबंधन है है मैंने एक बहुत ही मजेदार प्लान बनाया है. मैं अपने भाई के घर जा रही हूँ और मेरे साथ पायल, सोनू, कम्मो और गोलू भी आ रहे है. इस रक्षाबंधन में हम सभी मेरे भाई के घर मजे से रक्षाबंधन मनाने वाले है. तुम लोग भी आ जाओ.
छेदी: भाभी जी, छेदी बोल रहा हूँ.
उर्मिला: कैसे हो छेदी जी?
छेदी: अच्छा हूँ भाभी. रक्षाबंधन में तो हम आ भी जाएँ भाभी जी पर मेरा और खुशबू का रक्षाबंधन जरा हट के है.
उर्मिला: मैं सब जानती हूँ छेदी जी. आप जैसा रक्षाबंधन खुशबू के साथ मनाते हो वसा ही रक्षाबंधन आजकल सभी भाई-बहन मनाते है. मेरे भाई के घर भी 'स्पेशल' रक्षाबंधन होने वाला है.
छेदी: (चौंक कर) सच भाभी...??
उर्मिला: और नहीं तो क्या. आपने हमे कच्चा खिलाड़ी समझा है क्या?
छेदी: अरे नहीं भाभी. वो तो मैं बस में ही समझ गया था की इस मामले में आप बहुत पहुंची हुई खिलाड़ी हैं. आप चिंता मत करिए भाभी. हम दोनों आ जायेंगे. बस ये बता दीजिये की कब और कहाँ आना है.
उर्मिला: ये हुई ना बात. मैं आपको सब कुछ मेसेज कर दूंगी. आप दोनों तैयारी से आ जाना.
छेदी: जी भाभी.
उर्मिला: अच्छा चलिए, फिर मिलते है.
छेदी: ठीक है भाभी.
फ़ोन कट करके उर्मिला पायल से कहती है.
उर्मिला: ले...हो गया ये काम भी. वो दोनों भी आ रहे है.
पायल: रक्षाबंधन के बारें अभी से सोच-सोच कर मेरी बूर पानी छोड़ रही है भाभी.
उर्मिला: बदमाश...!! इतनी जल्दी हो रही है तुझे सोनू का लंड खाने की?
पायल: उफ़...!! हाँ भाभी. बाप के लंड से तो मजा ले चुकी हूँ. अब भाई के लंड के लिए मेरी बूर तरस रही है.
उर्मिला: पूरी चुदक्कड़ हो गई है तू.चल अब जरा अन्दर चलते है.
दोनों हंसी मजाक करते हुए निचे चले जाते है.
वहाँ स्टेशन पर उर्मिला की बात सुनकर छेदी और खुशबू दोनों गरमा चुके थे. उर्मिला की 'स्पेशल' रक्षाबंधन वाली बात ने दोनों के अन्दर आग सी लगा दी थी. स्टेशन के एक कोने में दोनों खड़े थे. छेदी खुशबू के बदन को गन्दी नजरो से ऊपर से निचे घूरे जा रहा था. खुशबू छेदी की गन्दी नज़रों को पहचान जाती है और धीरे से कहती है.
खुशबू: ऐसे मत देखिये भैया. मैं अच्छे से जानती हूँ की आप जब भी मुझे इस तरफ से घूरते हो, आपके मन में कोई गन्दी बात ही होती है.
छेदी: उफ़ खुशबू...!! दिल कर रहा है अभी तेरी जवानी लूट लूँ.
खुशबू: छी भैया. आप तो हमेशा मेरी जवानी लूटने के चक्कर में रहते हो. स्टेशन भी कोई जगह है भला अपनी बहन की जवानी लुटने की?
छेदी: आजकल तो भाई जहाँ मौका मिले अपनी बहनों की जवानी लूट लेते है, ये तो छोटा सा स्टेशन है जहाँ भीड़ न के बराबर है.
खुशबू: नहीं भैया. यहाँ नहीं. एक बार घर पहुँच जाएँ फिर जो दिल करे कर लीजियेगा.
छेदी: खुशबू. एक काम कर. वो पास वाले टॉयलेट में जा और अपनी ब्रा और पैन्टी उतार के आ. तेरे टॉप और इस घुटनों तक लम्बी स्कर्ट में किसी को पता भी नहीं चलेगा की तुने अन्दर कुछ नहीं पहना है.
खुशबू: नहीं भैया. थोडा सब्र कर लीजिये ना. एक बार घर.....
छेदी: (खुशबू की बात काटते हुए) जिद मत कर खुशबू. मेरी बात नहीं मानेगी तो सबके सामने तेरी चुचियाँ दबा दूंगा.
मुहँ बनाकर खुशबू चुपचाप टॉयलेट की तरफ जाने लगती है. उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी. असल में वो भी वही चाहती थी जो छेदी के दिल में था. पर बहन बिना नखरे किये अपने भाई को बूर कहाँ देती है. ५ मिनट के बाद खुशबू टॉयलेट से बाहर निकलती है. ब्रा और पैन्टी उतारके उसने अपने हैंडबैग में डाल लिया था. वो धीरे-धीरे चलते हुए छेदी के पास आती है. छेदी की नज़र उसकी टॉप पर पड़ती है. बिना ब्रा के उसके बड़े-बड़े मोटे दूध उभर के दिख रहे थे.
छेदी: उफ़.. खुशबू. दिल कर रहा है तेरी टॉप में हाथ डाल कर तेरे मोटे दूध दबा दूँ.
खुशबू: धत्त भैया. आपकी नज़र हमेशा मेरे दूध पर ही रहती है.
छेदी: तेरे दूध हैं ही इतने बड़े और मुलायम की मेरा दिल ही नहीं भरता खुशबू.
छेदी की नज़र अब खुशबू की चूतड़ों पर जाती है जो स्कर्ट के अन्दर, बिना पैन्टी के दो बड़े गोल तरबूजों की तरह उठी हुई दिख रही थी. छेदी ने एक नज़र यहाँ-वहाँ दौडाई और झट से अपना हाथ स्कर्ट के निचे से घुसा दिया. हाथ अन्दर डालकर छेदी खुशबू की गोल-मटोल चूतड़ों को दबोच लेता है.
खुशबू: ये क्या कर रहे हो भैया? छोड़िये न. कोई देख लेगा.
छेदी: यहाँ कोई नहीं देख रहा है खुशबू. जरा तेरी चूतड़ों का मजा तो लेने दे.
छेदी खुशबू की चूतड़ों को अच्छे से दबाता और मसलता है. फिर अपने पंजे से उसकी फूली हुई बालोंवाली बूर को दबोच लेता है. खुशबू कसमसा जाती है.
खुशबू: सीईई...! छोड़िये ना भैया. आप बहुत गंदे हो.
तभी सिटी बजाती हुई ट्रेन प्लेटफार्म में दाखिल होती है. ट्रेन के आते ही प्लेटफार्म में थोड़ी हलचल होने लगती है. छेदी और खुशबू भी जल्दी से अपनी बोगी की तलाश में दौड़ पड़ते है. ट्रेन रूकती है तो खुशबू जल्दी से डब्बे में प्रवेश कर जाती है और उसके पीछे छेदी भी चढ़ जाता है. डिब्बे में अँधेरा था और ज्यादातर लोग खा-पीकर सो रहे थे. दोनों अपना बर्थ ढूंढते हुए आगे बढ़ते है.दोनों एक कम्पार्टमेंट में आते जहाँ एक बत्ती जल रही थी जिसकी हलकी सी रौशनी से थोडा उजाला था.
खुशबू: भैया ये रहा हमारा कम्पार्टमेंट. आपका ऊपर वाला बर्थ है और मेरा सबसे निचे वाला.
छेदी ऊपर वाले बर्थ में अपना बैग रखता है. खुशबू के बर्थ में कोई आदमी चादर ताने सो रहा था. खुशबू जैसे ही उसे उठाने के लिए आगे बढती है, छेदी उसका हाथ पकड़ के रोक लेता है.
छेदी: सोने दे खुशबू. सोते हुए को नहीं जगाते.
खुशबू: भैया वो मेरी बर्थ पर सो रहा है. उसे नहीं उठाउंगी तो मैं भला कहाँ सोउंगी?
छेदी: (धीमी आवाज़ में) तू मेरे साथ ऊपर वाले बर्थ में सो जा.
खुशबू छेदी का इरादा समझ जाती है. उसके दिल में भी लड्डू फूटने लगते है पर वो नखरा दिखाते हुए कहती है.
खुशबू: (धीरे से) नहीं भैया. मैं आपके साथ ऊपर नहीं सोउंगी.
छेदी: (धीरे से) नखरे मत कर खुशबू. देख तेरे भैया का क्या हाल हो गया है.
छेदी खुशबू का हाथ पाकर कर पैंट के ऊपर से अपने लोहे जैसे सक्त लंड पर रख देता है. खुशबू अपने भैया के हथियार को पकड़ते ही मस्त हो जाती है.
खुशबू: उफ़ भैया..! ये तो पूरा तैयार है.
छेदी: हाँ खुशबू. चल, जल्दी से ऊपर चढ़ जा.
खुशबू बर्थ पर चड़ने के लिए एक पैर रॉड पर रखती है और दूसरा पैर ऊपर वाले रॉड पर. फिर जैसे ही वो दोनों हाथों को बर्थ पर रखकर एक पैर ऊपर करती है, पीछे से छेदी उसकी गांड के छेद में ऊँगली घुसा देता है. ऊँगली अन्दर जाते ही खुशबू उच्छल के बर्थ पर चढ़ जाती है.
खुशबू: (धीमी आवाज़ में) छी भैया. बहुत गंदे हो आप.
छेदी भी ऊपर चढ़ जाता है. बैग को सिरहाने रख कर खुशबू अंदर की ओर, उस तरफ पलट कर लेट जाती है. छेदी बैग से एक चादर निकाल कर खुशबू को ओढा देता है और फिर खुद भी वही चादर ओढ़ कर खुशबू के पीछे चिपक कर लेट जाता है. छेदी धीरे-धीरे अपना हाथ खुशबू की जांघों पर फेरने लगता है. तभी कोई कम्पार्टमेंट की एकमात्र बत्ती भी बुझा देता है और अन्दर अँधेरा छा जाता है. अँधेरा होते ही छेदी अपना हाथ खुशबू की टॉप में घुसा कर उसके मोटे दूध पकड़ लेता है और दबाने लगता है.तभी ट्रेन भी चल पड़ती है.
खुशबू: (धीमी आवाज़ में) सीईई....!! भैया. बहुत जोर से दबाते हो आप मेरे दूध.
छेदी: (धीमी आवाज़ में) बहनों के दूध दबाने में ही तो भाइयों को सबसे ज्यादा मजा आता है बहना (और छेदी अपनी कमर खुशबू की चूतड़ों में सटा देता है )
खुशबू: (धीमी आवाज़ में) उफ़ भैया...!!
छेदी खुशबू के गाल पर हाथ रखकर अपनी तरफ घुमा देता है और सर उठाकर उसके रसीले ओंठों को अपने मुहँ में भर कर चूसने लगता है. खुशबू भी छेदी के मुहँ में अपनी जीभ निकाल कर घुमाने लगती है तो छेदी भी अपनी जीभ खुशबू की जीभ से लड़ाने लगता है. कुछ देर दोनों भाई-बहन एक दुसरे के ओंठों का जी भर के रसपान करते है. फिर छेदी अपनी पैंट खोलकर निचे कर लेता है और खुशबू की स्कर्ट पीछे से उठाकर अपना मोटा लंड उसकी चूतड़ों के बीच रख देता है. खुशबू भी अपना एक पैर हल्का सा ऊपर उठा देती है तो छेदी लंड पकड़ कर उसकी बूर में घुसा देता है. कमर को एक झटका देते ही छेदी का लंड खुशबू की बूर में समां जाता है. ट्रेन तेज़ गति पकड़ चुकी थी और पटरी की तेज़ आवाज़ के साथ डिब्बा जोर-जोर से हिल रहा था. डब्बे के हिलने के साथ छेदी भी अपनी कमर जोर-जोर से हिलाने लगता है. उसका लंड खुशबू की बूर में तेज़ी से अन्दर बाहर होने लगता है. छेदी खुशबू की टॉप में हाथ डाले, उसके दूध दबाते हुए उसकी चुदाई कर रहा था. ट्रेन का डब्बा जितना ज्यादा हिलता, छेदी भी उतनी ही जोर से खुशबू की चुदाई कर देता. ३० मिनट तक खुशबू की अच्छी तरह से चुदाई करने के बाद छेदी अपना पानी उसकी बूर में गिरा देता है. दोनों भाई-बहन थक कर आँखे बंद कर लेते है. चादर ओढ़े धीरे-धीरे दोनों की आँख लग जाती है.
शाम के ५ बज रहे थे. अपने प्लान के मुताबीक उर्मिला सोनू और पायल के साथ माखनपुर से गोलू और कम्मो को साथ ले कर अपने भाई के घर की और निकल पड़ती है. सोनू गाड़ी चला रहा था और उसके साथ गोलू बैठा हुआ था. पीछे उर्मिला, पायल और कम्मो हंसी मजाक कर रहे थे. तीनों में कुछ इशारे होते है और फिर उर्मिला पायल से कहती है.
उर्मिला: अरे वाह पायल. आज तो तुने लाल रंग की कच्छी पहनी है.
पायल दीदी की लाल रंग की कच्छी का नाम सुनते ही सोनू झट से पीछे मुड़ कर देखता है. पायल अपने दोनों पैरों को सीट पर रखे हुए थी और उसकी उठी हुई स्कर्ट और जाँघों के बीच लाल रंग की पैन्टी दिख रही थी. सोनू आँखे फाड़े अपनी दीदी की बूर पर कसी हुई लाल पैन्टी को देखने लगता है. तभी उर्मिला चिल्ला पड़ती है.
उर्मिला: अरे सोनू...!! वो सामने गाड़ी देख...!!
सोनू हडबडा के आगे देखता है तो सड़क खाली होती है. पीछे उर्मिला, कम्मो और पायल खिलखिला कर हँसने लगती है.
उर्मिला: (हँसते हुए) बुद्धू...!! नज़रे अपनी दीदी की पैन्टी पर नहीं, आगे सड़क पर रख, नहीं तो एक्सीडेंट हो जायेगा.
पायल: वैसे भाभी, लाल कपड़ा देखकर तो सांड पागल हो जाता है ना? (तीनो फिर से हँसने लगते है)
उर्मिला: हाँ पायल, और अपने मोटे-मोटे सिंग खड़ा करके दौड़ा चला आता है.
तीनो फिर से खिलखिलाकर हंसने लगते है. गोलू जो चुपचाप सब सुन रहा था बोल पड़ता है.
गोलू: वो तो ठीक है भाभी. पर जब सांड अपने मोटे सिंग लिए दौड़कर आता है तो लाल कपडे को फाड़ देता है और फिर अपना मोटा सिंग अन्दर भी घुसा देता है.
गोलू की इस बात पर सोनू जोर-जोर से हंसने लगता है. सोनू को हँसता देख गोलू को भी हंसी आ जाती है. उर्मिला, पायल और कम्मो का मुहँ उतर जाता है. पायल अपनी स्कर्ट ठीक करती है और एक चपात गोलू के कंधे पर मारते हुए कहती है.
पायल: चुप कर गोलू....!! बड़ा आया सोनू की तरफदारी करने वाला. कम्मो भी अपने सांड को सफ़ेद कपडा दिखाने वाली थी पर अब कुछ नहीं देखने मिलेगा.
पायल की बात सुनकर गोलू का मुहँ उतर जाता है. वो पीछे घूमकर धीरे से कहता है.
गोलू: अरे वो तो मैं ऐसे ही बोल गया था पायल दीदी. मुझे माफ़ कर दो. (कम्मो की तरफ देखकर) कम्मो दीदी, एक बार दिखा दो ना सफ़ेद कपडा.
कम्मो: तू बहुत बोलता है ना. अब कुछ नहीं देखने को मिलेगा.
गोलू का मुहँ पूरा उतर जाता है और वो आगे देखने लगता है. गोलू की हालत देखकर तीनो फिर से हंसने लगती है. हंसी मज़ाक करते हुए गाड़ी अपनी मंजिल तक पहुँच जाती है. उर्मिला के भाई का बड़ा सा फार्महाउस था जो शहर से दूर था. गाड़ी फार्महाउस में आ कर रूकती है. सभी सामान ले कर निचे उतारते है. फार्महाउस ऊँची दीवार से घीरा हुआ था. आसपास बड़े-बड़े पेड़ थे और जगह काफी सुनसान और हरिभरी थी.
उर्मिला दरवाज़े की घंटी बजाती है तो कोई दरवाज़ा खोलता है. "अरे दीदी, आ गए आप लोग...!!"
पायल और सोनू उस आदमी को देखते है तो उनके होश उड़ जाते है.
पायल: भाभी...!! ये...ये तो आपके सगे भाई राजू भैया है....!
उर्मिला: (हँसते हुए) हाँ पायल, ये मेरा छोटा भाई राजू है.
पायल: पर आपने तो कहा था की वो ...जिसके साथ आप रक्षाबंधन में....वो...वो आपका चचेरा भाई था.
उर्मिला: (हँसते हुए) मेरा कोई चचेरा भाई नहीं है. मेरा एक ही भाई है और वो ये है, राजू. कभी-कभी कुछ पत्ते आखरी चाल के लिए छुपा कर रखने पड़ते है.
पायल: (हँसते हुए) आप बड़ी वो हो भाभी...
राजू: अरे आप लोग बाहर ही रहोगे या अन्दर भी आओगे.
सभी अन्दर चले जाते है. फार्महाउस काफी विशाल था जिसमे कई कमरे थे. सभी सामान एक तरफ रख कर हॉल में सोफे पर बैठ जाते है. उर्मिला राजू के पास जाती है.
उर्मिला: इसे तो सभी पहचान ही गए होगे? ये मेरा छोटा भाई है, राजू.
सोनू: हाँ भाभी याद है. आपकी शादी में ही तो मुलाकात हुई थी राजू भैया से.
उर्मिला: हाँ. हम दोनों हर रक्षाबंधन में साथ रहे है. शादी के बाद पिछले रक्षाबंधन में हमने एक दुसरे को बहुत मिस किया था. इस बार हम दोनों फिर से साथ है.
उर्मिला और राजू एक दुसरे को आहें भरते देखने लगते है. कुछ हे क्षण बाद पायल जोर से खांस देती है. पायल की खांसी सुनकर उर्मिला और राजू चौकन्ने हो जाते है.
पायल: लगता है दो बिछड़े भाई-बहन का प्यार उमड़ रहा है.
उर्मिला: क्यूँ? इसमें बुराई ही क्या है? दो भाई-बहन जब सालो बाद मिलते है तो भावुक तो होते ही हैं.
सोनू: हाँ भाभी. और दिल में कई अरमान भी तो होते है ना.
उर्मिला: हाँ हाँ, तू तो रहने ही दे सोनू. तेरे दिल के अरमान मैं अच्छी तरह से जानती हूँ.
उर्मिला की इस बात पर सभी लोग हँस पड़ते है. तभी उन्हें किसी गाड़ी की आवाज़ सुनाई पड़ती है. खिड़की से देखने पर उन्हें छेदी और खुशबू गाड़ी में बैठे दिखाई पड़ते है. उर्मिला दरवाज़ा खोलती है तो दोनों भी अन्दर आ जाते है. उर्मिला दोनों का परिचय राजू से करवाती है. सभी हाल में बैठकर हंसी मजाक करने लगते है. उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू की आपस में खूब जमने लगती है. दूसरी तरफ राजू, सोनू, गोलू और छेदी भी अच्छी तरह से घुल-मिल जाते है जैसे पुराने यार हों. कुछ ही देर में वहाँ दो गुट बन जाते है. एक गुट - उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू - यानी बहनों का और दूसरा गुट - राजू, सोनू, गोलू और छेदी - यानी भाइयों का. हंसी मजाक करते हुए ६ बज जाते है.
उर्मिला: अच्छा अब बहुत हंसी मज़ाक हुआ. अब हमे मार्किट जाना है.
सोनू: (उठते हुए) हाँ चलिए भाभी. मैं गाड़ी निकालता हूँ.
उर्मिला: (सोनू को रोकते हुए) आप कहाँ चल दिय सोनू जी? आप बैठिये अपने भाइयों वाले गुट में. ये काम हम बहनों का है.
राजू: क्या हुआ उर्मिला दीदी? कहाँ जा रही है ये बहनों की टोली.
उर्मिला: (अकड़ते हुए) ये बहनों की टोली रक्षाबंधन की शौपिंग करने जा रही है. वहां तुम भाइयों का कोई काम नहीं. ओके गर्ल्स...फॉलो में...!!
उर्मिला जान बुझकर मुहँ बनाये, राजू के सामने अपने दूध उठाकर इठलाते हुए जाने लगती है. उसके पीछे सभी लड़कियां अपना सीना उठाये, अपने-अपने भाई को देखकर मुहँ बनाते हुए चल देती है. सोफे पर बैठे सभी भाई अपनी-अपनी बहनों के टॉप में उठे हुए दूध देखकर लंड मसल देते है. उनके जाते ही सभी एक दुसरे को देखकर हँस पड़ते है. रक्षाबंधन कल था पर उस पर रंग अभी से चड़ने लगा था. सारे भाई जानते थे की ये रक्षाबंधन बड़ा ही रंगीला, रसीला और धमाकेदार होने वाला है.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )