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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .
288
619
109
M
अपडेट ४१:

'भैया मेरे....राखी के बंधन को निभानाssss...., भैया मेरे....छोटी बहन को न भुलानाssss......., देखो ये वादा निभाना, निभानाsssss.....भैया मेरे....राखी के बंधन को निभानाssss......!!'
सुबह के ८ बज रहे थे. ये सुबह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्यार की, मतलब रक्षाबंधन की थी. आस-पास के घरों से रक्षाबंधन के गीत की मधुर आवाज़ यहाँ तक आ रही थी. ऊपर वाले बड़े से बेडरूम में सारी बहने तैयार हो रही थी. उर्मिला, पायल और खुशबू ने रक्षाबंधन के लिए जो कपडे लिए थे वो बिस्तर पर रखे हुए थे. वहीँ पास बैठी कम्मो एक-एक हाथ में दो अलग-अलग कपडे लिए कुछ सोच रही थी. कुछ देर सोचने के बाद वो उर्मिला के पास दोंनो कपड़ो को ले कर पहुँच जाती है.

कम्मो: भाभी...!! मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. आप बताइए ना मैं कौनसी ड्रेस पहनू?
उर्मिला: (आईने में देखकर बाल बनाते हुए) अपने लिए खुद ही पसंद की थी तो अब इतना क्या सोच रही है?
कम्मो: पता नहीं भाभी. एक बार आप देखिये ना....
उर्मिला: (उसकी तरफ घूमकर) अच्छा ला, दिखा कौनसे कपडे है.

उर्मिला कम्मो के हाथों से कपड़ों को लेती है और ध्यान से देखने लगती है. कुछ देर गौर से देखने के बाद कहती है.

उर्मिला: तू आज ये कपडे पहनेगी?
कम्मो: (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ भाभी...क्या हुआ?
उर्मिला: (आँखे ऊपर चडाकर लम्बी सांस छोड़ते हुए) तू भी ना कम्मो...!! रक्षाबंधन के दिन बहने क्या ऐसे कपडे पहना करती है?
कम्मो: हाँ भाभी. मैं तो रक्षाबंधन के दिन ऐसे ही कपडे पहनती हूँ.
उर्मिला: वो इसलिए कम्मो क्यूंकि तू रक्षाबंधन अपने घर में सबके सामने मनाती है. यहाँ पर घर का कोई भी नहीं है. सिर्फ हम चार बहने और हमारे भाई हैं. यहाँ पर ऐसे कपडे नहीं चलेंगे.
कम्मो: (आश्चर्य से) वो क्यूँ भाभी?
उर्मिला: अब तुझे समझाने के वक़्त नहीं है मेरे पास. (खुशबू की तरफ घूमकर) खुशबू....!!
खुशबू: जी भाभी...?
उर्मिला: तेरे पास कम्मो महारानी के लिए कोई अच्छी सी डीप कट और बिना बाहं वाली चोली है?
खुशबू: (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी, है ना. बैकलेस वाली चलेगी ना?
उर्मिला: (खुश होते हुए) दौड़ेगी खुशबू रानी...ला दे मुझे....!

खुशबू अपने बैग से एक चोली निकालकर उर्मिला को देती है. उर्मिला उस चोली को देखकर खुश हो जाती है और फिर कम्मो को देते हुए कहती है.

उर्मिला: ये ले...ये पहन...
कम्मो: पर भाभी....ये...? ऐसे कपडे तो मैं कभी रक्षाबंधन के दिन नहीं पहनती हूँ.
खुशबू: (हँसते हुए) अरे पहन ले कम्मो. कम से कम तुझे ये तो पहनने मिल रहा है, अगर अभी मैं भैया के साथ अपने घर पर होती तो शायद कुछ भी नहीं पहनने मिलता मुझे.

खुसबू की इस बात पर सभी जोर-जोर से हंसने लगते है. उर्मिला कम्मो के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहती है...

उर्मिला: पहन ले कम्मो....! वैसे भी बाद में तो सब उतरने ही वाला है.

इस बात पर तो सभी लडकियां खिलखिला कर हँसने लगती है. फिर सभी अपने-अपने कपडे पहनने लगती है तो उर्मिला उन्हें याद दिलाती है.

उर्मिला: याद हैं न सबको? ब्रा और पैन्टी कोई नहीं पहनेगा.....

पायल, खुशबू और कम्मो एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा देती है और फिर एक साथ जवाब देती है, "हाँ भाभी...याद है...!!"

सभी बहने लहंगा और चोली पहन लेती है जो उन्होंने बाज़ार में पसंद किया था. शुक्र था की खुशबू की दी हुई चोली कम्मो को बिलकुल फिट आई थी और क्यूँ न आती. दोनों की चुचियाँ जो एक जैसी बड़ी-बड़ी थी. उर्मिला की नज़र पायल पर पड़ती है. उसकी चोली का डिजाईन और बनावट देखकर उर्मिला का मन प्रसन्न हो जाता है. वो पायल के पास जाती है और उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है.

उर्मिला: बहुत प्यारी लग रही है तू पायल. तेरी चोली तो कयामत ढा देगी. आज तो सोनू की खैर नहीं.
पायल: (शर्माते हुए) थैंक यू भाभी...!!

तभी खुशबू भी वहां आ जाती है और उर्मिला की चोली देखकर ताना मारते हुए कहती है.

खुशबू: पायल की चोली तो क़यामत ढा ही देगी भाभी, पर आज आपको क्या हुआ है?
उर्मिला: (मुहँ बनाते हुए) मुझे..? मुझे कुछ क्यूँ होने लगा..?
खुशबू: ये आपकी चोली बार-बार फिसली क्यूँ जा रही है भाभी?
उर्मिला: (शर्माकर अपनी चोली ठीक करते हुए) कहाँ फिसल रही है? कुछ भी बोलती है तू....

खुशबू की बात सुनकर अब पायल भी मैदान में कूद पड़ती है. उर्मिला भाभी को छेड़ने का उसके लिए ये अच्छा मौका था.

पायल: ओये-होय भाभी...!! आपके गालों पर ये लाली कैसी? (उर्मिला की चोली की डोर पकड़ते हुए) और ये तो देखो जरा...इतने भारी दूध का बोझ इस छोटी सी चोली पर और सबका बोझ इस अकेली पतली सी डोर पर. कहीं राजू भैया ने डोर की गाँठ छु भी दी तो चोली एक ही झटके में ज़मीन पर होगी.

पायल की बात सुनकर खुशबू, कम्मो और पायल हंसने लगती है. अब तो उर्मिला के गालो की लाली का रंग और भी गहरा हो जाता है. गालो का ऐसा लाल रंग तो शायद उसकी सुहागरात में भी नहीं हुआ होगा. शर्माकर उर्मिला अपना चेहरा दोनों हाथो से छुपा लेती है. वो उर्मिला जो सबके सामने नेतागिरी करते फिरती थी, आज शर्म से लाल हुए जा रही थी. रक्षाबंधन का दिन और अपने छोटे भाई से डेढ़ साल बाद मिलना उर्मिला को अपनी जवानी के दिनों में फिर एक बार ले आया था. उर्मिला हाथ हटाती है और चेहरे पर शर्म और हलकी सी मुस्कान लिए कहती है.

उर्मिला: तुम सब मिलकर मुझे छेड़ रहे हो ना? भगवान करे आज तुम्हारे भाई तुम्हे पटक-पटक कर चोदे.
खुशबू: आप तो हमे बद्दुआ देते-देते दुआ दे गई भाभी.....! (सभी हंसने लगती है)
पायल: और यही दुआ भाभी भगवान से अपने लिए रात भर मांग रही थी.

सभी फिर से हंसने लगती है. उर्मिला भी शर्मा कर हँसती है फिर अपने आप पर काबू पाते हुए कहती है.

उर्मिला: अच्छा चलो, बहुत हो गया हंसी-मजाक. अब जल्दी से तैयारी करो.

सभी लडकियां अपने-अपने काम में लग जाती है. यहाँ बहने तैयारी में लगी थी वहाँ सभी भाई धोती और कुरता पहन कर ड्राइंग रूम में आ चुके थे. सभी सोफे पर बैठ जाते है. राजू घड़ी की और देखता है.

राजू: बड़ी देर लगा दी इन लोगो ने.
सोनू: हाँ राजू भैया. लडकियां तो तैयार होने में देर लगाती ही है ना.
छेदी: अब आज के दिन इतना भी क्या तैयार होना? कुछ देर बाद तो सब कुछ उतरना ही है.

छेदी की बात पर सभी लड़के हँसने लगते है.

राजू: गोलू और सोनू का तो घर से बाहर ऐसा पहला रक्षाबंधन होगा ना?
सोनू: हाँ भैया. अब तक तो घर में ही दीदी के साथ रक्षाबंधन मनाया है.
गोलू: हाँ भैया, मैंने भी.
छेदी: अरे सूखे रक्षाबंधन में क्या मजा है भाई. असली मजा तो तब है जब भाई-बहन रक्षाबंधन के दिन घरवालों की नज़रों से बच के अकेले में रक्षाबंधन मनाये.
राजू: ये बात आपने बिलकुल ठीक कही है छेदी भैया. रक्षाबंधन के दिन जब बहने सज-धज कर भाइयों के सामने आती है तो उनकी जवानी पुरे जोश में होती है.
गोलू: सच छेदी भैया?
छेदी: और नहीं तो क्या. रक्षाबंधन के दिन जितनी गर्मी भाइयों के लंड में नहीं होती है उस से ज्यादा गर्मी बहनों की बूर में होती है. बहनों का बस चले तो रक्षाबंधन के दिन नंगी ही हाथ में राखी की थाल लिए भाइयों के सामने आ जाये.
सोनू: राजू भैया...! आपने तो उर्मिला भाभी के साथ ऐसा रक्षाबंधन बहुत बार मनाया होगा ना?
राजू: बहुत बार मनाया है. पर जब से दीदी की शादी हुई है तब से रक्षाबंधन के दिन दीदी को याद करके दिन भर हिलाता ही रहता था. सुबह से शाम तक न जाने कितनी बार दीदी की याद में पानी निकाल देता था.
सोनू: राजू भैया...! उर्मिला भाभी भी रक्षाबंधन के दिन पूरे जोश में रहती थी क्या?

राजू: अरे पूछ मत सोनू. रक्षाबंधन के दिन उर्मिला दीदी तो पागल हो जाती थी. एक बार माँ और बाबूजी घर पर ही थे. दीदी राखी बाँधने के बहाने मुझे अपने कमरे में ले गई. पीछे-पीछे माँ भी आ गई. दीदी ने किसी बहाने से माँ को कुछ लाने भेजा और माँ के जाते ही मेरा लंड मुहँ में भर लिया. दीदी इतने जोश में थी की लग रहा था मेरा लंड खा ही जाएगी. माँ आ रही थी और उर्मिला दीदी थी की मेरा लंड अपने मुहँ में भरे जा रही थी. मैं दीदी को मन कर रहा था और उन्हें अलग करने की कोशिश कर रहा था पर दीदी इतने जोश में थी की मेरा लंड मुहँ से निकाल हे नहीं रही थी. वो तो मैंने एन वक़्त पर दीदी कर सर पकड़ कर अलग कर दिया वरना उस दिन तो हम पकडे ही जाते.

गोलू: तो राजू भैया उस दिन आप उर्मिला भाभी की चुदाई नहीं कर पाए?
राजू: उर्मिला दीदी बिना चुदवाये मानने वाली थी क्या? अपनी सहेली के घर जाने के बहाने मुझे पास के जंगल में ले गई और नंगी हो कर करीब २ घंटे 'भैया, भैया' चिल्लाते हुए अच्छे से चुदी तब जा कर दीदी को ठंडक पहुंची.
छेदी: ये बात तो बिलकुल सच है की रक्षाबंधन के दिन बहने भाइयों के लंड के लिए पगला जाती है. जब तक बहने अपने भाइयों से पटक-पटक के 'भैया-भैया' चिल्लाते हुए अच्छे से चुदवा नहीं लेती, उनका रक्षाबंधन पूरा नहीं होता.

ये सारी बातें करते हुए भाइयों के लंड धोती में तन्ना गए थे. सोनू और गोलू तो २-३ बार धोती पर से अपने लंड को मसल भी चुके थे. बातों का दौर चल रहा था की अचानक सभी को क़दमों की आहट सुनाई देती है. सभी भाई एक साथ सीढ़ी की ओर देखते है तो उनकी नज़र बहनों पर पड़ती है जो सज-धज कर, हाथ में पूजा की थाल लिए, मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे सीढ़ियों से उतर रही थी. सभी अपनी-अपनी बहनों को देखकर भोंचक्के रह जाते है. सभी बहने घागरा और बिना बाहं वाली चोली में क़यामत ढा रही थी.

राजू गौर से उर्मिला को देखता है जो सबसे आगे थी. गोरे बदन पर पीले रंग की घागरा-चोली खिल के दिख रही थी. बड़े-बड़े दूध पर कसी हुई छोटी सी चोली जो एक पतली सी डोर के सहारे पीठ पर बंधी हुई थी. चोली का गला इतना गहरा था की उर्मिला के दूधों के बीच के गहराई साफ़ दिखाई दे रही थी. घगरा कमर के थोडा निचे बंधा होने से उर्मिला की गहरी नाभि भी साफ़ दिख रही थी. आँखों में काजल, माथे पर सोने का टीका, कानो में सोने का झुमका और गले में सोने का हार उर्मिला की सुन्दरता पर चार चाँद लगा रहे थे. सीढ़ियों से उतारते हुए उर्मिला ने जब अपने लाल लिपस्टिक वाले ओंठों को दांतों तले दबा दिया तो राजू की 'आह्ह्ह..!!' निकल गई.

सोनू भी पायल को मंत्रमुग्ध होकर देखे जा रहा था जो उर्मिला के पीछे सीढ़ियों से उतर रही थी. पायल ने लाल रंग का घागरा-चोली पहन रखा था. बिना बाहं वाली चोली पायल के बड़े-बड़े दूध पर कसी हुई थी और चोली के दोनों बड़े-बड़े कटोरे पतली सी डोर से पीठ पर बंधे हुए थे. चोली का निचला हिस्सा भी एक डोर से पीठ पर कसा हुआ था. बिना ब्रा की चोली पहने पायल जैसे एक कदम सीढ़ी पर निचे रखती, चोली में बंधे उसके दूध उच्छल जाते. दूध जैसे ही उच्छल कर निचे आते, चोली के गहरे गले से दूध के बीच के गहराई साफ़ दिख जाती. अपनी दीदी का ये रूप देखकर सोनू का लंड धोती में झटके खाने लगा था.

पायल के पीछे खुशबू चली आ रही थी. खुशबू को देखकर छेदी के मुहँ से पानी टपकने लगा था. हरे रंग का घागरा-चोली पहने खुशबू चली आ रही थी. गहरे गले की बिना बाहं वाली बेकलेस चोली क़यामत ढा रही थी. खुशबू अपने भैया की कमजोरी अच्छे से जानती थी. जैसे ही उसकी नज़र छेदी पर पड़ी वो एक हाथ से घागरा संभालने का नाटक करते हुए आगे झुक गई. बड़े-बड़े दूध के बीच के गहराई पर जैसे ही छेदी की नज़र पड़ी, उसने धोती पर से अपना लंड मसल दिया.

कम्मो अपनी ही मस्ती में सबसे पीछे चली आ रही थी. गुलाबी रंग के घागरा-चोली में कम्मो किसी अप्सरा की तरह दिख रही थी. उसकी चोली भी खुशबू की तरह गहरे गले, बिना बाहं वाली और बेकलेस थी. कम्मो के बड़े-बड़े दूध बिना ब्रा के चोली में किसी तरह समां रहे थे. मस्ती में सीढ़ियों से उतरती कम्मो के हर कदम पर उसके दूध उच्छलते हुए दाँये-बाँये हो रहे थे जिसे देखकर गोलू भी उच्छल पड़ा.

धीरे-धीरे मुस्कुराते हुए सारी बहने निचे आ जाती है. हाथ में पूजा की थाल लिए, चुतड हिलाती हुई सभी बहने भाइयों के पास आने लगती है. छेदी की नज़र खुशबू की हिलती हुई चौड़ी चुतड पर पड़ती है तो वो उसे छेड़ते हुए गाना गाने लगता है.

छेदी: (खुशबू की हिलती हुई चुतड देखते हुए) तौबा ये मतवाली चाल, झुक जाए फूलों की डाल.....
छेदी को गाता देख राजू, सोनू और गोलू भी अपनी-अपनी बहनों की चूतड़ों को देखते हुए छेदी के साथ गाने लगते है.
सभी भाई एक साथ : तौबा ये मतवाली चाल, झुक जाए फूलों की डाल.....चाँद और सूरज आकर माँगें तुझसे रँग-ए-जमाल....हसीना ! तेरी मिसालssssss कहाँsssss...!

भाइयों को चूतड़ों को घूरते हुए गाता देख, सभी बहने भी मस्ती में अपनी चूतड़ों को झटका देते हुए हिलाकर चलने लगती है. सारे भाई एक लम्बे से सोफे पर एक-साथ बैठे हुए थे. बहने चलते हुए उनके सामने थोड़ी दूर पर जा कर खड़ी हो जाती है. एक नजर अपने-अपने भाइयों को देखकर सभी एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा देती है. सभी बहनों का आपस में आँखों ही आँखों में इशारा होता है. एक हाथ से सभी पूजा की थाल उठाये अपने भाइयों को देखते हुए, कमर हिलाते हुए एक साथ रक्षाबंधन का गीत गाने लगती है.

सभी बहने : (पूजा की थाल उठाये, कमर को झटके देते हुए) रंग-बिरंगी राखी लेके आई बहनाsss......ओssss राखी..बँधवा लेss मेरे वीरssss ओssss राखी.. बँधवा लेss मेरे वीरssss

अपनी बहनों की झलकती जवानी और उनके मुहँ से रक्षाबंधन के गीत सुनके भाइयों के लंड भी धोती में डोलने लगते है.बड़ी-बड़ी आँखों से सभी अपनी बहनों के योवन को घूरने लगते है.

सभी बहने : मैं न चाँदी, न सोने के हार माँगूँsss, मैं न चाँदी न भैयाsss सोने के हार माँगू , (सभी अपने भाइयों की टांगो के बीच बने उभार को देखते हुए) अपने भैयाss का थोड़ा सा प्यार माँगू, थोड़ा सा प्यार माँगू.....(सभी बहने आगे झुक कर चोली में छुपे बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई दिखाते हुए) इस राखी में प्यार छुपा के लाई बहनाssss....ओssss...रंग-बिरंगी राखी लेके आई बहनाsss....राखी..बँधवा लेss मेरे वीरssss ओssss राखी.. बँधवा लेss मेरे वीरssss

बहनों की अदा और इस गीत ने तो भाइयों के होश उड़ा दिए थे. आँखे फाड़े और खुले मुहँ से सभी अपनी बहनों को घूरे जा रहे थे. बहने भी मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे चलते हुए आती है और थाल एक तरफ रखकर उनके सामने खड़ी हो जाती है.

उर्मिला: (मुस्कुराते हुए राजू से) ऐसे क्या देख रहा है अपनी दीदी को?
राजू: (ऊपर से निचे उर्मिला की जवानी को घूरते हुए) आप कितनी सुन्दर लग रही हो दीदी, किसी अप्सरा की तरह. आपको देखकर किसी का भी मन डोल जाए.
उर्मिला: (राजू की धोती में झटके लेते लंड को देखकर) वो तो मैं देख ही रही हूँ. मन के साथ-साथ कुछ और भी डोल रहा है.
राजू: आप हो ही इतनी सुन्दर तो ये बेचारा भी क्या करे दीदी? थोडा करीब आइये ना...

उर्मिला राजू के करीब आती है. राजू उर्मिला के नंगे गोर सपाट पेट पर हाथ फेरता है. उसकी गहरी नाभि पर अंगूठा फेरते हुए दो उँगलियों से फैला देता है. थोडा झुक कर राजू फैली हुई नाभि के अन्दर झांकता है और फिर सर उठकर उर्मिला को देखता है. उर्मिला भी राजू को देखकर अपने ओंठ काट लेती है. राजू फिर एक बार उँगलियों से फैलाकर उर्मिला की नाभि को देखता है और सर आगे बढ़ाकर अपने गर्म ओंठ नाभि पर रख देता है. उर्मिला सिंहर उठती है. राजू धीरे से अपनी जीभ निकालकर उर्मिला की गहरी नाभि में घुसा देता है. जीभ अन्दर घुमाते हुए एक बार जोर से चूस लेता है. उर्मिला आँखे बंद किये सिसिया देती है.

पास ही पायल भी सोनू के सामने खड़ी थी. निचे रखी थाल से वो कपूर का डिब्बा उठाने झुकती है तो सोनू उसके कंधे पर हाथ रख देता है. पायल वैसे ही आधी झुकी हुई सोनू को देखने लगती है. सोनू तेज़ साँसे लेता हुआ पायल की आँखों में देखने लगता है. पायल भी सोनू की आँखों में देखते हुए खो सी जाती है. अपने सगे छोटे भाई की आँखों में अपनी बहन के लिए प्यार और हवस वो साफ़ देख रही थी. सोनू की नज़र पायल के ओंठों पर पड़ती है जिसपर लाल लिपस्टिक का रंग चड़ा हुआ था. अपनी दीदी के लाल ओंठों को सोनू आंहे भरता हुआ देखता है. अपने अंगूठे को धीरे से पायल के निचले ओंठ पर रखकर सोनू धीरे-धीरे फेरने लगता है. सोनू के अंगूठे से पायल के ओंठ खुल जाते है. पायल सोनू की आँखों में देखते हुए धीरे से जीभ निकालकर उसका अंगूठा चाट लेती है. सोनू भी पायल की आँखों में देखते हुए अपने अंगूठे को पायल के ओंठों के बीच रोक देता है. पायल सोनू की आँखों में देखते हुए एक बार अपनी आँखे छोटी करती है और फिर धीरे से सोनू का अंगूठा अपने ओंठों में भर लेती है. दोनों भाई-बहन एक दुसरे की आँखों में खो से गए थे. पायल सोनू का अंगूठा मुहँ में भरकर चूसने लगी थी. सोनू तेज़ साँसों से पायल को देखे जा रहा था. वो धीरे से अपना अंगूठा पायल के मुहँ से निकालकर बीच वाली ऊँगली उसके मुहँ में डाल देता है जिसे पायल चूसने लगती है. अब सोनू धीरे-धीरे अपनी ऊँगली पायल के मुहँ में अंदर-बाहर करने लगता है. पायल ऊँगली के छोर पर अपनी जीभ घुमाती है तो सोनू दूसरी ऊँगली भी पायल के मुहँ में घुसा देता है. अब पायल भी मस्ती में सोनू की दो उँगलियों को मुहँ में भरे चूसने लगती है. अपने सर को आगे-पीछे करते हुए वो सोनू की दो उंगलियो को मुहँ में अंदर-बाहर करने लगती है.

पास ही खुशबू भी छेदी के सामने आ चुकी थी. छेदी खुशबू के बदन को घुर के देखता है. दोनों हाथों को खुशबू की कमर पर फेरते हुए उसकी चौड़ी चूतड़ों पर ले जाता है और पंजो से दबोच लेता है. सीसीयाते हुए खुशबू अपने हाथों को छेदी के कन्धों पर रख देती है और आगे झुक जाती है. खुशबू के दोनों बड़े-बड़े दूध छेदी के मुहँ के सामने आ जाते है. बिना ब्रा के चोली से उभरते हुए दोनों निप्पल को छेदी घुर के देखता है और फिर धीरे से सर आगे बढ़ा कर दांतों से चोली पर उभरे एक निप्पल को काट लेता है. अपने ओंठ काटते हुए खुशबू सिसिया जाती है. खुशबू के बदन को ऊपर से निचे सूँघता हुआ छेदी उसके जाँघों के बीच आ कर रुक जाता है. खुशबू ने पैन्टी नहीं पहनी थी और उसकी बूर तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी. अपनी सगी बहन की बूर से निकलती तेज़ गंध को घागरे के ऊपर से सूँघते ही छेदी पर नशा सा चढ़ जाता है.

कम्मो जैसे ही गोलू के सामने जाती है तो उसकी नज़र धोती में बने बड़े से तम्बू पर पड़ती है. कम्मो को धोती में खड़े लंड को घूरता देख गोलू कमर को एक हल्का सा झटका देता है तो टोपे से पानी की एक बूँद निकलकर धोती पर गीला धब्बा बना देती है. धोती पर गीला धब्बा देखकर कम्मो अपने ओंठ काट लेती है. गोलू कम्मो का एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख देता है. कम्मो गोलू का लंड हाथ में पकडे उसकी मोटाई नापने लगती है. आज गोलू का लंड पहले से भी ज्यादा मोटा जान पड़ रहा था. ये रक्षाबंदन और सामने खड़ी जवान बहन का असर था. गोलू आँखों के इशारे से कम्मो को अपना लंड दिखाता है और फिर एक हाथ उसकी चूतड़ों पर ले जा कर जोर से दबा देता है. कम्मो बड़ी-बड़ी आँखे किये गोलू के इशारे को समझने की कोशिश करने लगती है. कम्मो की दुविधा दूर करने के लिए गोलू अपनी कमर को हलके झटके देते हुए लंड उच्छालने लगता है और साथ ही साथ एक ऊँगली घागरे के ऊपर से कम्मो की चूतड़ों के बीच दबाने लगता है. इस बार कम्मो गोलू का इशारा समझ जाती है और उसका मुहँ खुल जाता है.

उधर राजू उर्मिला की नाभि चुसे जा रहा था. उर्मिला भी उसके सर पर हाथ रखे आँखे बंद किया मजा ले रही थी. तभी उसकी आँखे खुलती है और उसकी नज़र सोनू-पायल, छेदी-खुशबू और गोलू-कम्मो पर पड़ती है. उसे ध्यान आता है की अभी तो रक्षाबंधन की कोई रस्म भी नहीं हुई और उसके साथ-साथ बाकी सभी भी शुरू हो गए. वो राजू से अलग होते हुए कहती है.

उर्मिला: अरे अरे...!! रक्षाबंधन है तो बहन से टिका आरती ये सब नहीं करवाओगे क्या?

उर्मिला की बात पर बाकी लोग भी अलग हो जाते है. सभी बहने थाली से रुमाल उठाकर अपने भाइयों के सर पर ओढा देती है. उर्मिला थाल पर रखे लाल-टिके पर ऊँगली घुमाकर राजू के सर पर लगाती है. टिका लागाते वक़्त उर्मिला के हाथ ऊपर होते है और राजू को उसकी बिना बाहं वाली चोली से हलके बालोवाली बगल दिख जाती है. राजू की नज़रे उर्मिला की बगल पर ही रुक जाती है जिसे उर्मिला भी समझ जाती है. टिका लगाकर उर्मिला राजू के सर पर रखा रुमाल ठीक करने के बहाने से आगे झुकती है और दुसरे हाथ को धीरे से उठा देती है. मौका देखकर राजू झट से आगे बढ़कर अपनी नाक सीधे उर्मिला की बगल में घुसा देता है और पसीने की गंध सूंघ लेता है. एक दो बार अच्छे से सूंघने के बाद वो पीछे हो कर उर्मिला को देखता है तो वो भी मुस्कुराते हुए पीछे हो जाती है.

पायल जब सोनू के माथे पर टिका लगाती है तो सोनू की नज़रे पायल के बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई पर ठहर जाती है. पायल ये बात भांप लेती है. वो जानबूझ कर वैसे ही अपनी ऊँगली सोनू के माथे पर रखे हुए थोडा और झुक जाती है जिससे उसके दूध के बीच के गहराई और भी खुल के दिखने लगती है. सोनू भी थोड़ी गर्दन झुकाके पायल के दूध की गहराई में झांकने लगता है. पायल मस्ती में दुसरे हाथ की ऊँगली चोली के बड़े गले में फँसाकर एक तरफ खींचती है तो उसके दूध के एक निप्पल के इर्द-गिर्द का हलके ब्राउन रंग का हिस्सा दिखने लगता है. सोनू उसे देखकर अपने ओंठों पर जीभ फेरने लगता है. फिर पायल को देखकर इशारे से मिन्नत करता हुआ निप्पल दिखाने कहता है. पायल सर हिलाते हुए मन करती है और मुस्कुराते हुए चोली के गले से ऊँगली निकाल देती है. आगे झुक कर धीरे से सोनू के कान में कहती है, "रक्षाबंधन के दिन अपनी दीदी का निप्पल देखेगा....! तुझे शर्म नहीं आती". ये सुनकर सोनू का मुहँ उतर जाता है तो पायल हँस देती है.

खुशबू भी छेदी के माथे पर टिका लगाती है. छेदी खुशबू को देखकर अपनी लम्बी सी जीभ निकालकर उसे दिखाता है और फिर उसकी जांघो के बीच देखते हुए घुमाने लगता है. खुशबू ये देखकर मुस्कुरा देती है और शर्मा जाती है. छेद फिर से जीभ निकालकर खुशबू की जाँघों के बीच देखते हुए जीभ को किसी आईस-क्रीम चाटने के अंदाज़ में निचे से ऊपर करने लगता है. ये देखकर खुशबू को हंसी आ जाती है. फिर वो बनावटी गुस्सा दिखाते हुए धीरे से कहती है, "धत्त भैया....!! कम से कम टिका और आरती होने तक तो ये सब मत करिए...!"

कम्मो जैसे ही गोलू के माथे पर टिका लगाती है, गोलू धीरे से बोल पड़ता है, "दीदी....!! आज मैं आपकी बहुत जम के लूँगा". मुहँ बनाते हुए कम्मो कहती है, "क्या लेगा?". गोलू अपना हाथ धीरे से कम्मो के घागरे में घुसा देता है और एक ऊँगली उसकी चूतड़ों के बीच घुसा कर गांड के छेद पर दबाते हुए कहता है, "ये दीदी...!!". एक पल के लिए कम्मो की आँखे बड़ी और मुहँ खुल जाता है फिर वो धीरे से मुस्कुराते हुए कहती है, "भाभी ठीक ही कहती है. सारे भाई गंदे होते है. अभी ना ठीक से टिका किया और ना आरती और ये भाई है की कहीं और ही ध्यान है"

भाई-बहनों पर रक्षाबंधन का खुमार चड़ने लगा था. रस्मे अभी बाकी थी पर भाइयों के सब्र का बाँध कमजोर होता जा रहा था. रक्षाबंधन के दिन जब पूरे परिवार के सामने बहने सज-धज कर आती है तो भाइयों का वहाँ भी अपने लंड को संभालना मुश्किल हो जाता है. यहाँ तो ना कोई बंदिश थी और न ही कोई बंधन, ये था भाई बहन का असली रक्षाबंधन.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
मस्तराम की बहन मस्तरानी
 
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Mastrani

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कोरोना का १३ वां दिन. खतरे से बाहर हूँ.
सुन कर दुख हुआ, मैं आशा करता हू की आप जल्द ही पूरी तरह से ठीक हो जाए। और अपनी सेहत को पूरी तरह से वापिस ठीक करले, अपना ठीक से खयाल रखे, और साथ मे अपने अपनों का भी खयाल रखे।
सुरक्षित रहे, और ख्याल रखे।
 

lalaram

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Stay safe. Hope you will recover soon
 
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