अपडेट १५:
रमेश और पायल पंडाल में आते है. भीड़ से होते हुए दोनों उर्मिला, उमा और सोनू के पास पहुँचते है. उर्मिला पायल का मुरझाया हुआ चेहरा देख कर धीरे से कहती है.
उर्मिला : (धीरे से) क्या हुआ पायल? ऐसा मुहँ क्यूँ बना रखा है? पापा ने कहीं पकड़ के तेरी गांड में तो लंड नहीं पेल दिया?
पायल : (मुहँ बनाते हुए) पेल हे देते भाभी....(फिर उमा की तरफ देख कर) पर कुछ लोगों को किसी की ख़ुशी देखि नहीं जाती..
उर्मिला : हम्म ...!! समझ गई... तेरा कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा...
पायल : (उर्मिला को देखते हुए) प्लीज कुछ करीये ना भाभी....बहुत खुजली होती है जांघो के बीच...
उर्मिला : (उर्मिला पायल के गालो को सहलाते हुए) सब्र कर मेरी बन्नो...करती हूँ कुछ...
तभी उमा सक्त आवाज़ में रमेश से कहती है...
उमा : १० बजने आ रहे हैं और ये लोग कह रहे हैं की अभी खाना आने में और वक़्त लगेगा. ऐसी घटिया व्यवस्था मैंने आज तक नहीं देखी.
रमेश : तुम्हारे ही रिश्तेदार हैं उमा....
रमेश की इस बात पर सभी को हंसी आ जाती है. गरम माहौल थोडा ठंडा हो जाता है.
उमा : हाँ बस बस...ठीक है...दूर के रिश्तेदार है. अब ये बताओ की करना क्या है?
उर्मिला : घर ही चलते है मम्मी जी...और ज्यादा रुके तो पता नहीं घर कब पहुँच पाएंगे....ज्यादा रात हो गई तो ठीक नहीं रहेगा...
उमा : तुम सही कह रही हो बहु...घर ही चलते है. वहीँ रास्ते में कुछ खाने के लिए ले लेंगे.
सभी चुप-चाप वहां से निकलने लगते है, तभी बाबूजी कहते हैं....
रमेश : अरे उमा, अपने रिश्तेदारों से तो मिल लो...
उमा : आप चुप रहिये जी....चलिए चुप-चाप....
सभी हँसते हुए वहां से निकल लेते है. पायल बार-बार पापा को घूरे जा रही है और पापा भी तिरछी नजरो से पायल के बदन को निहार रहे है. उर्मिला बड़े मजे से बाप-बेटी के नज़रों का ये खेल देख रही है. उनके दिमाग में कीड़ा रेंगने लगता है. बाबूजी के गाड़ी लाने पार्किंग में चले जाते है तो उर्मिला उमा से कहती है.
उर्मिला : मम्मी जी...बाबूजी को गाड़ी चलाने मत दीजियेगा...
उमा : क्यूँ बहु? ऐसा क्यूँ बोल रही हो?
उर्मिला : आपने देखा नहीं मम्मी जी. बाबूजी की आँखे कैसी नींद से भरी लग रही थीं. गाड़ी चलाते हुए उन्हें नींद आ गई तो?
उमा : हाँ बहु, ये बात तो है. एक काम करते है. गाड़ी सोनू चला लेगा और बाबूजी उसके साथ बैठ जायेंगे.
उमा की बात सुन कर पायल को काम बिगड़ता दीखता है. वो फिर से अपना दिमाग लगाती है.
उर्मिला : अरे नहीं मम्मी जी. बाबूजी सोनू के साथ बैठ कर सो गए तो उन्हें देख कर सोनू की भी आँख लग सकती है. उसके साथ तो किसी भरोसे वाले को ही बैठना चाहिए....जैसे की आप.
उमा : (अपनी तारीफ सुन के खुश होते हुए) हाँ बहु...येही ठीक रहेगा. (पायल के सर पर हाथ रखते हुए) कितनी समझदार और सुशील बहु मिली है मुझे.
तभी बाबूजी गाड़ी ले कर आते है.
उमा : सुनिए जी, आप उतरिये. गाड़ी सोनू चलाएगा...
रमेश : सोनू?? मैं इस गधे को अपनी गाड़ी नहीं चलने दूंगा....
उमा : कभी तो मेरी बात सुन लिया कीजिये...देखिये तो..आपकी आँखों में नींद साफ़ दिखाई दे रही है...
रमेश : नींद? मुझे कहाँ नी.... (तभी उर्मिला बीच में बोल पड़ती है)
उर्मिला : बाबूजी आप १०-१०:३० बजे सोने वाले, नींद तो आ ही रही होगी. गाड़ी सोनू चला लेगा और मम्मी जी उसके साथ बैठ जाएगी. आप और मैं पीछे बैठ जायेंगे और पायल बीच में. एक घंटे की ही तो बात है....
पायल के साथ बैठने की बात सुन कर रमेश के मन में लड्डू फूटने लगते है. वो अपनी ख़ुशी का इज़हार ना करते हुए कहता है.
रमेश : ठीक है उमा. अब तुम बोल रही हो तो मानना ही पड़ेगा...चलो कोई बात नहीं...मैं पीछे ही बैठ जाता हूँ.
बाबूजी के हाँ कहते ही उर्मिला पायल को देख कर आँख मार देती है और धीरे से उसकी चूची मसल देती है. पायल भी खुश हो जाती है भाभी की चुतड दबा देती है. सोनू गाड़ी स्टार्ट करता है. उमा उसके साथ जा कर बैठ जाती है. पीछे बाबूजी और उर्मिला के बीच पायल भी बैठ जाती है और गाड़ी निकल पड़ती है. कुछ देर तो सभी लोग दुल्हे और शादी में हुए किस्सों की बात करते हुए खूब हंसी-मजाक करते है. कुछ हे देर में गाड़ी एक भीड़-भाड़ से दूर पक्की सड़क पर आ जाती है. रात के १०:४० हो रहे है इसलिए ज्यादा ट्रैफिक भी नहीं है. सोनू गाड़ी चला रहा है और उमा की नज़र बराबर उसपर ध्यान रखे हुए है. रमेश और पायल बार-बार एक दुसरे को देख रहे है और मुस्कुरा रहे है. तभी पायल पापा से धीरे से कहती है.
पायल : (धीरे से) पापा...मुझे नींद आ रही है...
रमेश : (धीरे से) कोई बात नहीं बिटिया रानी...सो जा..
पायल : (धीरे से) पापा ...मैं आपकी गोद में सर रख के सो जाऊं?
पायल की बात सुन के रमेश के बदन में गुदगुदी होने लगती है. रमेश सोचता है की जंगल में जो काम अधुरा रह गया था वो पूरा करने का ये अच्छा मौका है.
रमेश : (धीरे से ) हाँ पायल बेटी...ये भी कोई पूछने वाली बात है. आ...सो जा सर रख कर....
पायल धीरे से बैठे हुए पापा की ओर झुकती है और अपना सर पापा की गोद में रख देती है. पायल का गाल जैसे ही बाबूजी की गोद से छूता है, उसे कुछ सक्त और मोटा महसूस होता है. पायल जानती है को वो उसके पापा का वो खिलौना है जिस से वो खेलना चाहती है. उर्मिला जैसे ही बाप-बेटी को इस स्तिथि में देखती है वो उमा से कहती है.
उर्मिला : मम्मी जी...पायल और बाबूजी तो सो रहे है और मुझे भी नींद आ रही है. (फिर सोनू से कहती है) सोनू....तू ऊपर लगे मिरर में हमें सोते हुए मत देख लेना नहीं तो तुझे भी नींद आ जाएगी...
उमा : हाँ बहु .. तुमने कहा और इसने मान लिया...हमेशा बेचैन सा रहता है...बार बार देखेगा...मैं इस मिरर को ही ऊपर कर देती हूँ....(उमा मिरर ऊपर की और घुमा देती है)
उर्मिला : मम्मी जी अन्दर की बत्ती भी बुझा दीजिये ना...आँखों पर पड़ रही है...
उमा : ठीक है बहु..अभी बुझा देती हूँ (उमा बत्ती बुझ देती है). ठीक है, तुम लोग सो जाओ. कुछ खाने-पीने के लिए दिखेगा तो मैं उठा दूंगी...
गाड़ी के अन्दर बत्ती बुझते ही बाबूजी पायल के चेहरे को देखते है. गाड़ी में अँधेरा है और चाँद की हलकी-हलकी रौशनी अन्दर आ रही है. पायल को अपनी गोद में इस तरह से सर रखा देख कर बाबूजी का लंड धोती में मचल रहा है जिसे पायल अपने गाल पर महसूस कर रही है. इधर उर्मिला भी आँखे बंद किये सोने का नाटक कर रही है और कनखियों से बाप-बेटी की रासलीला देख रही है. बाबूजी का लंड जब भी पायल के गाल से पड़ रहे दबाव से खड़ा होने की कोशिश करता, पायल का सर लंड के साथ हल्का सा ऊपर उठ जाता. बाबूजी पायल के सर पर हाथ फेरने लगते है और बीच बीच में धीरे से निचे की ओर दबा देते है जिस से उनका लंड पायल के गाल पर धोती के अन्दर से चिपक सा जाता है. तभी उर्मिला देखती है की बाबूजी ने अपना दूसरा हाथ निचे से धोती में घुसा दिया है. उसका दिल धड़कने लगता है.
बाबूजी धोती में हाथ डालते है और लंड की चमड़ी पूरी पीछे कर देते है. धोती के अन्दर लंड का मोटा लाल-लाल टोपा फूल के सक्त हो चूका है. टोपे पर लंड का रस लगा हुआ है. बाबूजी अपनी उँगलियों से टोपे को पकड़ के अच्छी तरह से मसलते है. कुछ देर बाद बाबूजी अपना हाथ धोती से निकालते है और पायल के नाक पर लगा देते है. पायल आँखें बंद किये बाबूजी जी गोद में सर रखे पड़ी है. तभी उसे एक तेज़ गंध आती है. वो आँखे खोल कर देखती है तो सामने बाबूजी का हाथ है. वो एक बार फिर से बाबूजी का हाथ सूंघती है. एक तेज़ गंध सीधे उसकी नाक में घुस जाती है. पायल को समझने में जरा भी देर नहीं लगती की ये गंध किसी और की नहीं बल्कि उसके अपने पापा के लंड की है. वो एक बार फिर से सूंघती है. पायल को अपना हाथ इस तरह से सूंघता देख बाबूजी हाथ पायल की नाक परा लगा देते है. अब पायल आँखें बंद किये हुए जोर जोर से साँसे लेने लगती है और बाबूजी के लंड की महक सूंघने लगती है. कुछ देर ऐसे ही उस महक का मज़ा लेने के बाद पायल अपने हाथ को धीरे से पीछे ले जाती है और लहंगे के नीचे से अन्दर डाल देती है.
उर्मिला गौर से देखती है की पायल क्या कर रही है. पायल अपनी दो उँगलियों को बूर के बीच की चिप-चिपी दरार में रगड़ने लगती है. कुछ पल ऐसे ही रगड़ने के बाद पायल अपना हाथ बाहर निकालती है और धीरे से बाबूजी की नाक के सामने रख देती है. बाबूजी पायल के हाथ के पास अपनी नाक ले जा कर सूंघते है. एक तेज़ गंध उनकी नाक में घुस जाती है. बाबूजी एक बार फिर से पायल के हाथ को अच्छे से सूंघते है. पेशाब और बूर की लार की वो घुलीमिली गंध सूंघ कर बाबूजी आँखे बंद किये अपना सर पीछे गाड़ी की सीट पर टिका देते है.
उर्मिला ये नज़ारा बड़े ध्यान से देख रही थी. "उफ़...!! ये बाप-बेटी एक दुसरे को अपने लंड और बूर की गंध सुंघा रहे है", उर्मिला मन में सोचती है. तभी बाबूजी धोती हटा के अपना लंड बाहर निकालते है और मोटा टोपा धीरे धीरे पायल के गाल पर रगड़ने लगते है. चीप-चीपा टोपा पायल के गाल पर फिसलने लगता है. बाबूजी लंड को पकड़ के टोपा पायल के गाल में दबा देते है तो गाल पर डिंपल पड़ जाता है. तभी पायल अपना सर उस तरफ घुमा लेती है तो लंड पायल के गुलाबी ओठों पर आ लगता है. पायल की गर्म साँसे लंड पर पड़ती है तो बाबूजी की आँखे झट से खुल जाती है. वो निचे देखते है तो उनका लंड पायल के रसीले ओठों पर दस्तख दे रहा है. ये देख कर तो बाबूजी पसीना-पसीना हो जाते है. बाबूजी का लंड झटके लेता हुआ ओठों पर इधर-उधर फिसल रहा है तो कभी दब रहा है. बाबूजी पायल को देखते है तो उसकी आँखे बंद है. तभी बाबूजी देखते है की पायल का मुहँ धीरे धीरे खुल रहा है. लंड के सामने अब पायल का मुहँ खुला हुआ है. ये देख कर बाबूजी के लंड में हरकत होती है. वो धीरे से अपना लंड पकड़ कर पायल के मुहँ पर रख देते है. लंड के मुहँ पर रखते ही बाबूजी को पायल की जीभ टोपे पर घुमती हुई जान पड़ती है. पायल अपनी जीभ पापा के लंड के टोपे पर फेरने लगती है. बाबूजी ये देखकर हाथ से अपना लंड पायल के मुहँ में हलके से ठेल देते है. पायल अपनी जीभ लंड के छेद पर ले जा कर घुमाने लगती है. बीच-बीच में वो अपनी जीभ लंड के छेद में घुसाने की कोशिश करती है. इस हरकत से तो बाबूजी के सब्र का बाँध टूट जाता है. वो अपने लंड को अब पायल के मुहँ में ठूंसने की कोशिश करने लगते है. पायल भी मानो पापा के लंड को मुहँ में भर लेना चाहती है. वो अपने मुहँ को पूरा खोलते हुए सर आगे कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड मुहँ में ले सके. कुछ ही क्षण में बाबूजी का एक चौथाई लंड पायल के मुहँ में चला जाता है. अब बाबूजी पीछे हो कर आँखे बंद कर लेते है. पायल के ओंठ लंड पर लपटे हुए है और सर धीरे धीरे आगे पीछे हो रहा है.
उर्मिला देखती है की पायल अपना सर आगे पीछे करते हुए बाबूजी का लंड मुहँ में ले रही है. बीच-बीच में बाबूजी अपनी कमर हलके से उठा के लंड को पायल के मुहँ में ठेल देते तो कभी पायल अपना मुहँ खोल कर आगे करते हुए लंड अन्दर ले लेती.
"सोनू..!! ज़रा गाड़ी सड़क के किनारे लेना" - उमा की आवाज़ सुनते ही उर्मिला हडबडा जाती है. पायल झट से लंड पर से मुहँ हटा के बैठ जाती है और आँखे बंद कर लेती है. पायल के ओठों पर और आसपास लंड का चिप-चीपा पानी लगा हुआ है. बाबूजी भी सतर्क हो कर बैठ जाते है.
[विलंभ के लिए क्षमा. आगे का हिस्सा जल्द ही आएगा....मतलब आज शाम तक]
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )