अपडेट १६:
सोनू गाड़ी सड़क के किनार लेता है और खड़ी कर देता है. उमा अन्दर की बत्ती जला देती है और पीछे मुड़ के देखती है...
उमा : सामने वाले ढाबे से कुछ खाने के लिए ले लेते है. (तभी उसकी नज़र पायल के मुहँ पर लगे पानी पर पड़ती है). अरे पायल.... ये तेरे मुहँ पर क्या लगा है...
पायल : (नज़रे यहाँ वह घुमाते हुए) वो..वो...मम्मी...
उर्मिला : और क्या होगा मम्मी जी? सोते हुए बच्चों की तरह लार गिरा रही होगी...
उमा : (हँसते हुए) इतनी बड़ी घोड़ी हो गई है और हरकतें बिलकुल बच्चों वाली....अजी आप और सोनू जा कर कुछ पैक करवा लीजिये...और जल्दी करियेगा...
उमा की बात सुन कर पायल, रमेश और उर्मिला चैन की सांस लेते है. रमेश और सोनू ढाबे की तरफ बढ़ लेते है और गाड़ी में उर्मिला और पायल फुसफुसाने लगती है.
उर्मिला : (साड़ी के पल्लू से पायल का मुहँ साफ़ करते हुए) कैसा लगा बाबूजी का लोलीपोप?
पायल : (ओंठ काट ते हुए ) मज़ा आ गया भाभी. लेकिन बहुत मोटा है भाभी, और टोपा भी बहुत बड़ा. एक बार में तो मुहँ में जाता ही नहीं है.
उर्मिला : हुम्म...!! अब जरा सोच की मुहँ का ये हाल है तो तेरी बूर का क्या होगा?
पायल : सीईईईईईई ...भाभी...!! मत बोलिए ऐसा. पहले ही गीली हो पड़ी है, और भी गीली हो जाएगी....
उमा : आज कल देख रहीं हूँ की भाभी और ननद में खूब जम रही है...
पायल : हाँ .. और आप इस पर भी नज़र लगा दो...
उमा : (हँसते हुए) अरे नहीं पगली... मुझे तो अच्छा लगता है जब तुम दोनों ऐसे सहेलियों की तरह बातें करते हो. मैं तो भगवान से येही मानती हूँ की तुम दोनों का रिश्ता ऐसे हे बना रहे.
सास, बहु और बेटी के बीच गपशप का सिलसिला शुरू हो जाता है और थोड़ी देर में रमेश और सोनू भी ढाबे से खाना ले कर आ जाते है. रमेश जैसे से ही गाड़ी के पीछे का दरवाज़ा खोलने जाते है, उमा बोल पड़ती है.
उमा : अब आप गाड़ी चलिए जरा. मेरा बच्चा थक गया होगा. आपने एक नींद भी तो ले ली है.
इस बात पर ना उर्मिला कुछ कह पाती है और ना ही रमेश. पायल भी मुहँ बना के बैठ जाती है. उमा सोनू को रमेश के साथ बिठा के खुद पीछे आ कर बैठ जाती है. रमेश गाड़ी स्टार्ट करते है और गाड़ी चल पड़ती है. पीछे उर्मिला और पायल को अब सच में ही नींद आने लगी है. अन्दर की बत्ती बुझते ही दोनों की आँखे लग जाती है.
"उर्मिला..!! पायल..!! उठो बेटा...घर आ गया" - उमा की आवाज़ कानो में पड़ते ही उर्मिला और पायल की आँखे खुलती है और वो देखती है तो गाड़ी घर के आँगन में आ चुकी है. एक अंगडाई लेते हुए पायल गाड़ी से उतरती है. उसका बदन एक अनबुझी सी प्यास में तड़प रहा है. जांघो के बीच उसे गीलापन साफ़ महसुस हो रहा है. सभी के उतरने के बाद रमेश गाड़ी गराज में ले जाता है. घर में आते ही सभी अपने अपने कमरों में कपडे बदलने चले जाते है.
अपने कमरे में जाते ही पायल चोली खोल कर फेक देती है और झटके से ब्रा उतार देती है. उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ उच्छल कर बहार आ जाती है. लहंगे को खोल कर जब पायल अपनी पैन्टी उतरती है तो वो बूर की चिकनाहट से पूरी तरह से भीग चुकी है. अपनी बूर को सहलाती हुई जब वो बिस्तर पर लेट जाती है को पापा के साथ गाड़ी में हुई हर एक घटना उसकी आँखों के सामने आने लगती है. पापा के लंड का स्वाद अब भी उसके मुहँ में रह रह कर आ रहा है. तभी उर्मिला की आवाज़ आती है - "पायल..!! जल्दी आ.... खाना निकल गया है.". रात में भाभी की दी हुई किताब का ही सहारा है ये सोचते हुए पायल उठती है और कपडे पहनकर रूम से बहार चली जाती है.
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अगली सुबह : १० बजे :
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रात में पायल ने किताब पढ़ते हुए पापा को बहुत याद किया था. कल रात उसकी बूर ने इतना पानी कभी भिनाही छोड़ा था. यात्रा की थकान और बूर की शांति के बाद पायल को अच्छी नींद आई थी, इसलिए वो आज १० बजे सो कर उठी थी. घड़ी में समय देख कर पायल धीरे धीरे रसोई में जाती है. वहां उर्मिला और उमा पहले से ही काम में लगे है.
उर्मिला : लीजिये मम्मी जी...आ गई आपकी लाड़ली...
उमा : आज तो बड़ी देर लगा दी पायल उठने में? लगता है कल की थकान कुछ ज्यादा ही हो गई.
पायल : (आलस के साथ) हाँ मम्मी...कल तो वही हाल हुआ की खाया पिया कुछ नहीं और गिलास तोडा बारह आना....
पायल की इस बात पर उमा और उर्मिला हँसने लगती है. पायल फ्रिज से पानी निकालकर पीती है.
उमा : अच्छा पायल..अभी मैं और तेरे पापा बाज़ार जायेंगे. कुछ लाना हो तो बता देना..
पायल सर हिला कर हामी भरती है और अंगडाई लेते हुए ड्राइंग रूम में आती है. उसकी अंगडाई पूरी भी नहीं होती है की सामने अपने कमरे के बहार रमेश खड़े दिखाई देते है. रमेश को देख मुस्कुराते हुए पायल अपनी अंगडाई पूरी करती है. रमेश भी मुस्कुराते हुए पायल की टॉप में उभरे हुए बड़े बड़े खरबूजों को देखता है. पापा को अपनी चुचियों को इस तरह से घूरते देख पायल भी टॉप के ऊपर से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां हाथों से डजस्ट करती है. पायल को ऐसा करते देख रमेश दूर से ही उसकी चुचियों की सीध में दोनों हाथो को उठा कर पंजों को बंद और खोलते हुए चुचियों को दबाने का इशारा करता है. पायल शर्माते हुए बाथरूम में चली जाती है. रमेश भी मुस्कुराता हुआ खाने की टेबल पर बैठ जाता है.
रमेश : उमा..!! नाश्ता बन गया क्या?
उमा : जी बस २ मिनट....रोटियां बननी बाकी है...
रमेश : जल्दी करो भाई...बड़ी भूक लगी है...
पायल भी बाथरूम से निकलती है और रसोई में आ जाती है.
पायल : क्या कर रही हो मम्मी?
उमा : कुछ नहीं रे...सब्जी में तड़का लगा रही हूँ. तेरे पापा को भीक जो लगी है. उनके लिए रोटियाँ भी बनानी है.
पायल : भाभी कहाँ चली गई?
उमा : रौनक का फ़ोन आया था. उसी से बात कर रही है. अब इतना तो हक बनता है बेचारी का...
पायल : हाँ मम्मी...सही कहा आपने...लाईये...पापा के लिए रोटियां मैं बना देती हूँ.
उमा : ठीक है... तू रोटियाँ बना कर पापा को नाश्ता दे दे. तन तक मैं सोनू को उठा कर आती हूँ....
उमा वहां से चली जाती है. पायल मुड़ के पापा को देखती है तो पापा मुस्कुराते हुए पीछे से पायल की चौड़ी चुतड निहार रहे है. पायल भी मुस्कुराते हुए रोटियां बनाने लगती है.
पायल : रोटियाँ बन रही है पापा.... (फिर थोडा रुकने के बाद). आप तेल लगा कर लेंगे या बिना तेल के...?
रमेश : (पायल की बात समझते हुए) तेल लगा कर तो बहुत सी ली है बेटी, अब तो बिना तेल के ही लेने में मजा आता है....
पायल : पर पापा...आप मेरी...(पापा को रोटी दिखाते हुए) पहली बार लोगे ना...तो प्लीज तेल लगा के लीजिये...उसके बाद आपको मैं बिना तेल के ही दे दिया करुँगी...
रमेश : (मुस्कुराते हुए) ठीक है पायल बिटिया....पहली बार है तो तेल लगा के ही लूँगा, लेकिन उसके बाद मैं तुझे कभी भी तेल लगाने नहीं दूंगा....
दोनों बाप-बेटी एक दुसरे को देखते हुए मुस्कुरा रहे है. रमेश कुछ सोच के कहते है...
रमेश : वैसे पायल... तू मुझे डबल रोटी कब खिलाएगी ? (नज़रे पायल की टांगो के बीच है)
पायल : (पापा की नज़रों को भांपते हुए) पापा आप तो कसरत करते हैं ना...और डबल रोटी के बीच में तो हमेशा क्रीम लगी रहती है. फिर आप कहोगे की सेहत के लिए अच्छी नहीं है...
रमेश : कोई बात नहीं बेटी...क्रीम तो प्रोटीन वाली भी होती है ना? वप तो सेहत के लिए अच्छी भी है.
पायल : तो ठीक है...खिला दूंगी आपको डबल रोटी. लेकिन आप खाओगे कैसे?
रमेश : तू ही खुला देना बेटी. मैं मुहँ खोले रहूँगा और तू डबल रोटी मेरे मुहँ पर रख देना. फिर मैं धीरे-धीरे क्रीम को चाटता हुआ डबल रोटी खा लूँगा....
तभी वहां उमा और उर्मिला आ जाते है और बाप-बेटी की गरमा-गरम बातों पर विराम लग जाता है. रमेश अपना नाश्ता खत्म कर वहां से चले जाते है. पायल भी कुछ का कर अपने कमरे में चली जाती है. उमा और उर्मिला रसोई का बचा हुआ काम निपटा लेती है. रमेश और उमा भी बाज़ार के लिए निकल जाते है.
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दोपहर का समय : घड़ी में १२ बज रहे है.
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पायल अपने कमरें में बिस्तर पर लेटे हुए कुछ सोच रही है की तभी उर्मिला वहां आती है. दरवाज़ा बंद कर वो सीधा पायल के पास आ कर बैठ जाती है.
उर्मिला : क्या सोच रही है पायल? पापा के बारें में?
पायल : हाँ भाभी...पता नहीं कब मेरी तमन्ना पूरी होगी.
उर्मिला : (पायल के गाल पर चुटकी लेते हुए) हो जाएगी मेरी रानी.. बस तू लगे रह. (थोडा सोच कर) पायल तू सोनू पर ट्राय क्यूँ नहीं करती?
पायल : क्या फायेदा भाभी. वो तो पूरा भोंदू राम है.
उर्मिला : तू एक भोंदू राम को सयाना ना बना सकी तो तेरी ये जवानी किस काम की? (उर्मिला पायल की चुचिया दबाते हुए कहती है)
पायल : पर भाभी क्या ऐसा हो जायेगा? अगर उस मम्मी के लाडले ने घर में बात बता दी तो?
उर्मिला : अरे नहीं बताएगा...मैंने तो उसे कई बार तेरे चूतड़ों और चुचियों को घूरते हुए देखा है.
पायल : (आँखे बड़ी बड़ी करते हुए) क्या बोल रहे हो भाभी...??
उर्मिला : और क्या? एक दो बार तो मैंने उसे रंगे हाथों पकड़ा भी है. तेरी जवानी से परेशान हो कर बेचारा लंड मुठियाता रहता है.
पायल : (पायल बड़ी बड़ी आँखों से) सच भाभी? सोनू मेरी जवानी देख कर लंड मुठियाता है?
उर्मिला : हाँ पायल. तेरी जवानी ने उसे परेशान कर रखा है. तू उसे थोडा सा उकसा दे तो तेरे पीछे लंड पकडे आ जायेगा. और घर में एक लंड का इंतज़ाम तो लगभग हो ही गया है. दुसरे का भी हो जाए तो सोच तेरी तो दिन और रात दोनों रंगीन हो जाएगी. दिन में पापा और रात में सोनू....और कभी-कभी दोनों एक साथ....
पायल : (उर्मिला की बात काटते हुए) उफ़ ...भाभी....!! क्यूँ आग लगा रहीं हैं बदन में....
उर्मिला : आय हाय ...!! दो लंड का नाम सुनते ही देखो तो कैसे चेहरे पर लाली छा गई मेरी प्यारी ननद के...(पायल को छेड़ते हुए) बताना पायाल ...किसका आगे लेगी और किसका पीछे?
पायल : धत्त भाभी...!! मैं नहीं बताउंगी.....
उर्मिला : अरे बता ना...शर्मा क्यूँ रही है...
पायल : दोनों का एक साथ बूर में ले लुंगी...ऊऊऊऊऊ.....(उर्मिला को जीभ दिखाते हुए).
उर्मिला : हाय...!! ...अच्छा अब सुन. सोनू तो तुझे पर पहले से ही लट्टू है. तू बस उसे उकसा दे...समझ तेरा काम बन गया...
पायल : पर भाभी कैसे?
उर्मिला : देख अभी मम्मी पापा घर पर नहीं है और सोनू अपने कमरे में. तू वहां जा और उस से बातें कर. उसके सामने अपनी जवानी दिखा. माहौल तो गरम कर.
पायल : (हँसते हुए) भाभी आप तो जीनियस हो. आपके पास हर एक समस्या का हल होता है.
उर्मिला : मेरी तारीफ बंद कर और जल्दी से उसके कमरे में जा, कही मम्मी पापा आ गए तो सब धरा का धरा रह जायेगा. और हाँ... कुछ ऐसा पहन के जा जिस से बेचारे सोनू की आँखे चौंधियाँ जाए.
पायल : समझ गई भाभी...आप फ़िक्र मत कीजिये...
उर्मिला : चल अब मैं ड्राइंग रूम में जा रही हूँ. मम्मी पापा आ गए तो मैं तुझे बता दूंगी...
उर्मिला कमरे से बहार चली जाती है. पायल अपनी अलमारी में कुछ कपडे ढूढ़ती है और एक बिना बाहं की ढीली फ्रोक निकलती है. फ्रॉक पहन कर वो आईने में देखती और अपने जान ले लेने वाले हुस्न को देख कर मुस्कुरा देती है. पायल धीरे धीरे सोनू के कमरे की तरफ बढ़ने लगती है.
वहां सोनू अपने कमरे में पहले से ही भाई-बहन की कहानी में खोया हुआ है. शॉर्ट्स में उसका लंड कई बार पायल दीदी को याद कर के किसी नाग की तरह सर उठा चूका था. तभी उसके कानो में पायल की आवाज़ सुनी देती है. "सोनू...!! सोनू...!! सो रहा है क्या?". पायल की आवाज़ सुन के सोनू हडबडाते हुए किताब तकिये केनीचे छुपा देता है. लंड को शॉर्ट्स में किसी तरह से छुपता हुआ वो दरवाज़ा खोलता है. दरवाज़ा खुलते ही सामने पायल दिखाई देती है. बिना बाहं की ढीली फ्रॉक उसकी जांघो तक आ रही है. लम्बे बाल, उठा हुआ सीना, दूध सी गोरी और मोटी जांघे, चेहरे पर मुस्कान और एक हाथ में कंघी लिए पायल खड़ी है.
पायल : ऐसे क्या देख रहा है? सो रहा था क्या?
सोनू : न...नहीं...नहीं तो दीदी...ऐसे ही कुछ पढ़ रहा था...
पायल : (अन्दर आते हुए) भाभी भी सो गई है और मम्मी पापा भी घर में नहीं है. बोर हो रही थी तो सोचा तेरे साथ थोडा टाइम बिता लूँ...तू बिजी तो नहीं है ना?
सोनू : नहीं..नहीं दीदी...बिलकुल भी नहीं....
सोनू के शॉर्ट्स में लंड फिर से फुदकने लगता है तो वो उच्छल के बिस्तर पर चला जाता है और चादर ओढ़ लेता है. पायल उसे देख के हँसने लगती है.
पायल : (हँसते हुए) यहाँ गर्मी है और तू चादर ओढ़ रहा है.
पायल सोनू के सामने खड़ी हो कर दोनों हाथों को उठा के बाल बनाने लगती है. पायल के बगल के बाल सोनू को दिखने लगते है. वो आँखे फाड़ फाड़ के देखने लगता है. ये नज़ारा उसने कई बार देखने की कोशिश की थी लेकिन कभी देख नहीं पाया था. आज ये नज़ारा खुद उसके सामने आ कर खड़ा हो गया था.
पायल : (अपने बाल बनाते हुए) अच्छे है ना?
सोनू : (डरते हुए) क...क...क्या दीदी?
पायल : मेरे बाल, और क्या?
सोनू : (पायल की बगलों को घूरते हुए) क..कौनसे बाल दीदी?
पायल : मेरे सर के बाल और कहाँ के?
सोनू : (हडबडाते हुए बगलों से नज़र हटाते हुए पायल के सर के बालों पर नज़र डालता है) ह...हाँ ..हाँ दीदी...बहुत अच्छे है.
पायल सोनू की हालत देख कर धीरे धीरे मुस्कुरा रही है. तभी पायल जान बुझ कर हाथ से कंघी गिरा देती है और उठाने के लिए निचे झुकती है. निचे झुकने से पायल की आधी चूचियां और बीच की गहराई दिखने लगती है. सोनू की नज़र सीधे पायल के सीने पर जाती है और वो अपनी दीदी की गोरी गोरी चूचियां और बीच की गली को आँखों से नापने लगता है.
पायल : बड़े है ना मेरे 'बॉल'..?
सोनू : (पायल की चुचियों को देखने में खोया हुआ, जवाब देता है) हाँ दीदी...बहुत बड़े 'बॉल' है....
पायल : (झट से खड़ी हो जाती है) 'बॉल' ?? मैं बाल की बात कर रही हूँ और तू 'बॉल' बोल रहा है....तू क्या माराडोना या पेले है जो तुझे हर जगह 'बॉल' दिखाई दे रही है?
पायल की बात सुन कर सोनू का सर घूम जाता है. वो समझ नहीं पा रहा है की पायल करना क्या चाह रही है. उसकी हालत ऐसी है की सामने भुना हुआ मुर्गा रख कर कहा जा रहा हो की आज उपवास करना है. वो झट से बिस्तर पर उठ कर बैठ जाता है और अपने बाल एक बार खींच कर फिर लेट जाता है.
सोनू : दीदी आप क्या मुझे परेशान करने आई हैं?
पायल : मैं कहाँ तुझे परेशान कर रही हूँ? तू तो खुद ही परेशान हो रहा है....
तभी पायल जान बुझ के फिर से कंघी गिरा देती है और वो सीधे पास रखे सोफे के निचे चली जाती है.
पायल : देख...!! तेरी वजह से मेरी कंघी फिर से गिर गई. अब सोफे के निचे से निकालनी पड़ेगी मुझे...
यह बोल कर पायल सोफे के पास जाती है और निचे बैठ जाती है. वो घोड़ी की तरह झुक के सोफे के निचे कंघी देखने लगती है. पीछे से पायल की फ्रॉक चढ़ के कमर पर आ जाती है और उसकी गोल गोल चुतड और बीच में कसी हुई पैन्टी दिखने लगती है. पैन्टी के आस-पास हलके बाल भी दिखने लगते है.
ये नज़ारा देख कर सोनू तो मानो पागल हो जाता है. वो शॉर्ट्स के ऊपर से ही लंड को मसलने लगता है. उसकी नज़र पायल की सफ़ेद पैन्टी के अन्दर का नज़ारा देखने की कोशिश करने लगती है. तभी पायल उठ के खड़ी हो जाती है.
पायल : पता नहीं कहाँ चली गई कंघी. तेरे पास है कोई बड़े दांतों वाली कंघी?
सोनू : हाँ है...देता हूँ...
कहते हुए सोनू बिस्तर से हाथ बढ़ा के पास के शेल्फ से कंघी निकलने की कोशिश करता है. पायल इसे एक मौके के रूप में देखती है. वो झट से दौड़ के बिस्तर के पास पहुँच जाती है.
पायल : तू रहने दे...मैं खुद ही ले लुंगी...
कहते हुए पायल बिस्तर पर चढ़ जाती है और शेल्फ पर झुक कर कंघी देखने लगती है. निचे लेटे सोनू की नज़र सीधे पायल की फ्रॉक के अन्दर जाती है तो उसकी आँखे जैसे बाहर ही आ जाती है. पायल की पैन्टी साफ़ दिखने लगती है, चिकना पेट और उसकी गहरी नाभि, बीना ब्रा के बड़े बड़े भरे हुए सक्त दूध. अपनी बहन के बड़े बड़े दूध देख कर सोनू का लंड शॉर्ट्स में सलामी देने लगता है.
पायल भी जान बुझ कर कंघी ढूंडने में वक़्त लगाती है ताकि सोनू उसके फ्रॉक के निचे से अन्दर का पूरा नज़ारा अच्छे से देख ले. जब पायल को लगता है की सोनू ने पूरा मजा ले लिया है तो वो कंघी ले कर बिस्तर से निचे उतर जाती है.
पायल : तेरी कंघी मैं ले कर जा रही हूँ, तू मेरी सोफे के निचे से निकाल लेना.
पायल गाना गुनगुनाते हुए दरवाज़ा लगा कर बाहर चली जाती है. बाहर जाते ही वो चुपके से दरवाज़े के की-होल से अन्दर देखने लगती है की सोनू क्या कर रहा है.
पायल के बाहर जाते ही सोनू झट से अपनी शॉर्ट्स उतार के फेक देता है. उसका ९ इंच का लंड फनफनाता हुआ बाहर आ जाता है. वो अपने फ़ोन पर पायल की एक फोटो देखते हुए लंड को मुठीयाने लगता है. लंड मुठियाते हुए पायल की फोटो देख कर सोनू उसके नंगे बदन को याद कर रहा है जो अभी-अभी उसने देखा था. सोनू लंड हिलाते हुए पागलों की तरह बडबडाये जा रहा था, -"ओह मेरी पायल दीदी....!! अपनी जवानी मेरे नाम कर दीजिये...", "देखिये ना...आपका छोटा भाई कैसे लंड हिला रहा है", "पायल दीदी...एक बार अपनी बूर में डलवा लो मेरा", "अगर आपको कुछ नहीं करना तो मत करिए...एक बार...बस एक बार अपने भाई के साथ बाथरूम में नंगी हो कर नहा लीजिये दीदी....आह्ह्ह...!!".
बाहर पायल ये सब देख और सुन रही थी. उसे यकीन नहीं हो रहा था की जो भाई उसके साथ दिन-रात बच्चों की तरह झगड़ता रहता है वो असल में उसकी जवानी का इस कदर दीवाना है. पायल धीरे से अपनी चूची मसल देती है और फिर से अन्दर देखने लगती है.
अन्दर सोनू पूरे जोश में है. उसका हाथ लंड पर तेज़ रफ़्तार से चले जा रहा है. अब वो लंड हिलाते, फ़ोन पर पायल की फोटो देखते हुए सामने दिवार के पास पहुँच जाता है. दिवार के सामने वो २-३ बार लंड मुठियाते हुए अपनी कमर ऊपर उठता है और फिर अपने लंड से दिवार पर कुछ लिखने लगता है. वो लंड को पकड़ कर, उसके टोपे को दिवार पर रगड़ते हुए, लंड से निकलती लार से लिखने लगता है. कुछ ही पल में वो लिख कर थोडा पीछे होता है और जोर से - "पायल दीदी..आह्ह्ह....ओह पायल दीदी...आह्ह्ह्ह...." चिल्लाते हुए लंड से गाढ़े पानी की पिचकारियाँ दिवार पर उड़ाने लगता है. ८-१० पिचकारी पायल के नाम से दिवार पर उड़ाने के बाद वो थक कर बिस्तर पर गिर जाता है.
ये सब देख कर पायल की धड़कन बढ़ जाती है. वो किसी तरह से अपने ऊपर काबू पाती है और ध्यान से अन्दर देखती है. उसकी आँखे उस दिवार पर है जिस पर कुछ ही समय पहले सोनू अपने लंड से लिख रहा था. वो ध्यान से देखती है और उसकी आंखे बड़ी-बड़ी हो जाती है, धड़कने फिर से तेज़ और बूर लार छोड़ने लगती है. दिवार पर सोनू ने अपने लंड से लिखा था - "पायल दीदी... I love u ❤"....
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )