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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,638
35,014
219
jiski seal tootni hai............use hi faisla kar lene do
bechari payal ko to reader comment se aur writer poll se pressure mein le rahe hain

...........ja payal! ji le apni jindgi............tudwale apni seal.............jisse man kare
'kamdev' tere sath hai..............
 

Rahul

Kingkong
60,514
70,677
354
badhiya update
 
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Reactions: SANJU ( V. R. )

Mastrani

Member
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बस १५ मिनट और....अगला अपडेट आ रहा है.

-मस्तरानी
 

Mastrani

Member
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अपडेट १७:

पायल दौड़ती हुई अपने कमरे मैं आती है. आज जो उसने सोनू के कमरे में देखा था वो उसने सपने भी नहीं सोचा था. अपने ही छोटे भाई को उसकी बूर के लिए ऐसे तड़पते देख पायल का मन भी मचलने लगा था. अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर, पायल बिस्तर पर लेट जाती है. खुली हुई आँखों से वो सोनू को अपना लंड हाथ में लिए उसकी जवानी के लिए तड़पता देख रही है. उर्मिला ने उसे सीख दी थी की बूर को बस लंड चाहिए, फिर चाहे वो किसी का भी हो. लेकिन पायल अब उस से कहीं ज्यादा आगे बढ़ चुकी थी. लंड और बूर के बेनाम रिश्ते में अब नाम जुड़ने लगे थे. उसकी बूर को लंड तो चाहिए था पर वो लंड अब उसके पापा और भाई का था. समाज के लिए जो पाप था, पायल के लिए वो अब परमसुख पाने का आधार बन चूका था. अपने ही ख्यालों में खोयी हुई, पापा और सोनू की याद में, पायल की आँखे बंद होती है और वो नींद की आगोश में चली जाती है.

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शाम का समय : ६:३० बज रहे है.
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ड्राइंग रूम में हंसी-मज़ाक का माहोल है. ठहाकों से कमरा गूँज रहा है. सोफे पर पायल उमा के साथ बैठी हिया और ठीक सामने सोनू लेटा हुआ है. बगल वाले सोफे पर उर्मिला बैठी हुई है. पायल और उमा के बीच थोड़ी दुरी है. बीच-बीच मैं पायल मौका देख कर अपनी स्कर्ट ऊपर कर टाँगे हलकी सी खोल देती तो उसकी गोरी गोर जांघे और बुर पर कसी हुई पैन्टी देख कर सोनू की हालत खराब हो जाती. सोनू टांगो के बीच कुशन को दबाये लेटा हुआ है. पायल की बालोंवाली फूली बूर पर कसी हुई पैन्टी को घूरते हुए वो ख्याली पुलाव पका रहा है. कभी वो अपने आप को पायल की जांघो के बीच बैठे उसकी बूर चुसता हुआ देखता है तो कभी उसकी फैली हुई जांघो के बीच अपना लंड ठूँसते. अपने ख्यालों में वो कई बार पायल की बूर में झड़ चूका है. इन्हीं हंसी मजाक, ठहाकों और सपनों के बीच रमेश बाहर से टहलता हुआ वहाँ आता है.

रमेश : क्या हो रहा है भाई? हमे भी तो बताओ...

उमा : कुछ नहीं जी...बस ऐसे ही कल की शादी वाली बातें याद कर रहे थे...

रमेश : (हँसते हुए) वैसे उस शादी में ऐसा कुछ था तो नहीं ...... (फिर पायल की और देख कर) पर कुछ बातें तो याद की ही जा सकती है.

रमेश की बात सुन पायल थोडा शर्मा जाती है. रमेश पायल की आँखों में देखता है जैसे कुछ बात कर रहा हो और फिर घूम कर छत की सीढ़ियों की तरफ चल देता है. उर्मिला बाप-बेटी के इशारे खूब समझती है. वो पायल की तरफ देखती है तो पायल उठने को तैयार है. उर्मिला भी समझ जाती है की आगे क्या होने वाला है और वो चुप रहना ही ठीक समझती है. पायल उठ के उर्मिला से कहती है.

पायल : भाभी मैं जरा छत पर से ठंडी हवा खा कर आती हूँ. यहाँ बैठे बैठे गर्मी हो रही है.

उमा : अरे पायल तू छत पर जा ही रही है तो आते हुए अचार की बरनी ले कर आ जाना.

पायल : ठीक है मम्मी....

पायल धीरे धीरे छत पर जाने लगती है. छत पर पहुँचते ही पायल की नज़र पापा पर पड़ती है जो हाथ पीछे बांधे हुए टहल रहे है. पायल मुसकुराते हुए धीरे धीरे पापा के पास से गुजरती है तो पापा उसकी कलाई पकड़ लेते है.

रमेश : कहाँ जा रही है मेरी बिटिया रानी?

पायल : (शर्माते हुए) कहीं नहीं पापा...बस ऐसे ही छत पर ठंडी हवा खाने आई थी...

रमेश : पायल को धीरे से अपने पास खींचते है और अपना हाथ उसकी टॉप के निचे से उसकी नंगी कमर को सहलाते हुए घुमाने लगते है.

रमेश : कल रात मेरी बेटी बहुत थक गई थी ना?

पायल : हाँ पापा...बहुत थक गई थी. सारा बदन जैसे टूट सा गया था....

रमेश : तो मुझे बुला लेती ना बिटिया....पापा तेरे बदन को दबा कर दर्द मिटा देते (पायल की कमर को धीरे से दबाते हुए).

पायल : (शर्माते हुए) ठीक है पापा...अगली बार दर्द करेगा तो आपको बुला लुंगी...

रमेश : और कभी पेशाब जाना हो तो बुलाएगी अपने पापा को?

पायल : (रमेश की आँखों में देखती है फिर शर्माते हुए) पेशाब तो मैं करुँगी ना पापा, तो आप आ कर क्या करोगे ?

रमेश : (टॉप के अन्दर अपने हाथ को उसकी नंगी पीठ पर घुमाते हुए) बता दूँ की पापा क्या करेंगे?

पायल : (तेज़ साँसों से) हाँ पापा...बताइए ना...

रमेश छत पर नज़र दौडाते है. एक कोने में उन्हें लकड़ी का छोटा सा टेबल दिखाई देता है. वो पायल का हाथ पकड़ के टेबल के पास जाते है और बैठ जाते है.

रमेश : आजा बिटिया...पापा की गोद में बैठ जा...

पायल मुस्कुराते हुए अपनी चौड़ी चुतड पापा की गोदी में रख देती है. उसकी पीठ पापा की सक्त छाती पर चिपक जाती है, दोनों टाँगे पापा की टांगो के बीच है. रमेश धीरे से अपने हाथो को पायल की की जांघो के निचे डाल कर पकड़ लेते है.

रमेश : (निचे से पायल की जांघो को पकड़े हुए) मेरी पायल जब पेशाब करने जाएगी तो पापा उसे पीछे से पकड़ के अपनी गोद में उठा लेंगे...ऐसे...

कहते हुए रमेश पायल की जाँघों को पकड़ के ऊपर उठा लेते है. पायल की पीठ पापा के सीने पर रगड़ खाते हुए ऊपर हो जाती है और पायल का सर पापा के कन्धों पर आ जाता है. पायल अपनी गर्दन पापा के कंधो पर टिका देती है. पापा ने पायल को जांघो से पकड़ के ऊपर उठा रखा है. वो पायल के कान में धीरे से कहते है.

रमेश : फिर पापा अपनी बिटिया रानी की टाँगे खोल देंगे....ऐसे.....

कहते हुए रमेश पायल की जांघो को पकडे हुए खोल देते है. पायल की टाँगे हवा में पूरी खुल जाती है. उसकी स्कर्ट तो पहले ही कमर तक आ गई थी और अब टाँगे खुलने से बूर पर चिपकी पैन्टी सिमट कर बूर की फैली हुई दरार में घुस जाती है. उसकी पैन्टी अब बूर की फाकों के बीच घुसी हुई है और दोनों तरफ उभरी हुई फांकें और घने घुंगराले बाल दिख रहे है. पायल की टाँगे वैसे ही फैलाए पापा धीरे से उसके कान में कहते है.

रमेश : फिर मेरी पायल बेटी क्या करेगी?

पायल : (मस्ती में आँखे बंद किये हुए) पेशाब करेगी पापा....ढेर सारी पेशाब....!!

रमेश : (अपनी गर्म साँसे पायल की गर्दन पर छोड़ते हुए) आह्ह्ह....!! मोटी धार वाली पेशाब करेगी ना मेरी बिटिया रानी..?

पायल : (सिसकते हुए) सीईईईइस्स्स्स...!! हाँ पापा....!!

रमेश : और कभी पापा का दिल हुआ तो मेरी पायल पापा के सामने बैठ के टाँगे खोल कर पेशाब करेगी...?

पायल : (पायल आँहें भरते हुए) हाँ पापाsss..!! मैं अपनी टाँगे खोल कर बैठ जाउंगी और आपके सामने पेशाब करुँगी....आप खुद ही देख लेना की पेशाब की धार कितनी मोटी है....

रमेश : ओह मेरी बिटिया रानी...!!

रमेश पायल को निचे अपनी गोद में फिर से बिठा देते है और दोनों हाथों से उसकी जांघों को सहलाते हुए धीरे से उसकी टॉप में निचे से घुसा देते है. रमेश का हाथ पायल के नंगे पेट को सहलाता हुआ जैसे ही बड़े बड़े दूध के निचले हिस्से पर लगता है, पायल का बदन एक हलका झटका लेता है और चुचियाँ उच्छल जाती है.

रमेश : क्या हुआ पायल?

पायल : (तेज़ साँसों से) कुछ नहीं पापा....!!

रमेश अब पायल की बड़ी-बड़ी चुचियों के निचले हिस्से पर हाथ फेरने लगते है.

रमेश : मेरी पायल ने आजकल ब्रा पहनना बंद कर दिया है...है ना?

पायल : आह....!! हाँ पापा....! बहुत गर्मी होती है, और मेरी कुछ ब्रा छोटी हो गई है और कुछ ज्यादा ही बड़ी है. इसलिए मैं आजकल ब्रा नहीं पहनती...

पायल की बात सुन कर रमेश उसके बड़े-बड़े दूधों को पंजों में भर कर धीरे से दबा देते है ठीक वैसे ही जैसे कोई ग्वाला गाय के थानों को दूध निकालने से पहले दबाता है.

रमेश : बहुत गर्मी भर गई है मेरी पायल के बदन में. लगता है किसी दिन पापा को सारी गर्मी निकालनी पड़ेगी.

पायल : (पापा की इस हरकत से सिसिया जाती है) स्स्सीईईईइ....!! पापा....!!

रमेश : (पायल के दोनों दूधों पर हाथ घुमाते हुए) पापा अपनी बिटिया रानी के दोनों दूधों को ऐसे ही दबा के रोज मालिश करेंगे तो कुछ ही दिनों में वो सारी बड़ी ब्रा एकदम फिट आने लगेगी....करवाएगी ना मेरी पायल अपने पापा से रोज मालिश ?

पायल : (आँखें बंद करके) हाँ पापा...!! करवाउंगी....!!

बाप-बेटी की रासलीला अपने जोरो पर थी. दोनों उस अपूर्व आनंद में खोये हुए थे की तभी पापा को सामने वाली छत पर कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ आते हुए दिखाई देते है. रमेश झट से अपने हाथ पायल की टॉप से निकाल लेते है. पायल भी आँखे खोल देती है. सामने लोगों को छत पर देख वो झट से अपनी टॉप और स्कर्ट ठीक करती है. खड़ी हो कर अपने बालों को ठीक करते हुए वो छत के बीचों-बीच आ जाती है. रमेश भी धीरे से अपनी धोती ठीक कर, लंड को किसी तरह से छुपाते हुए वहां से उठ कर पायल से थोड़ी दुरी पर खड़े हो जाते है. पायल एक बार पास वाली छत पर आये लोगों को देख कर मन में गालियाँ देती है और फिर पास रखी अचार की बरनी उठा के जाने लगती है. पीछे से रमेश धीरे से कहते है.

रमेश : संभाल कर ले जाना पायल, कही बरनी टूट ना जाए....आगे तेरा ही मन करेगा खट्टा अचार खाने को.....

रमेश की बात सुन कर पायल मुस्कुराते हुए सीढ़ियों से उतरने लगती है की तभी पापा की कही बात उसकी समझ में आती है. "खट्टा अचार खाने का मन"...पायल सोचती है और उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ जाते है. वो अपने आप ही मुस्कुराते हुए निचे जाने लगती है.

निचे आकर पायल टेबल पर अचार की बरनी रखती है और उर्मिला के पास जा कर बैठ जाती है. पायल के दूसरी तरफ सोनू बैठा हुआ है.

उर्मिला : खा ली ठंडी हवा?

पायल : (मुस्कुराते हुए) हाँ खा ली...

उर्मिला और पायल इशारों में बातें करने लगते है और बाबूजी भी निचे आ जाते है.

रमेश : चलो भाई...अब मैं भी तुम लोगों के साथ थोड़ी गैप-शप कर लूँ....

रमेश जैसे ही सोनू के पास बैठने को होते है, घर की बिजली चली जाती है. घर में गुप्प अँधेरा छा जाता है.

उमा : धत्त..!! इसे भी अभी ही जानी थी...

सोनू : मम्मी ... लगता है सिर्फ हमारे घर की ही गई है. बाकी घरों में तो है.

सोनू अपना फ़ोन टेबल से उठाने के लिए हाथ बढ़ता है तो कांच का गिलास निचे गिर के फूट जाता है.

उमा : क्या हुआ ये?

सोनू : वो..वो..मम्मी...मेरे हाथ से कांच का गिलास गिर गया..

उमा : क्या कर रहा है लल्ला....अब कोई भी अपनी जगह से नहीं हिलेगा. पैर में काच चुभ गया तो बस....ढूढ़लो अँधेरे में दवाई. और आप कहाँ है जी?

रमेश : येही बैठा हूँ...

उमा : आप फिर से कहीं बिजली का बिल भरना तो नहीं भूल गए?

रमेश : याद नहीं उमा..

उमा : तो जाइये...बिजली विभाग में जा कर पता करिए...और ना भरा हो तो कुछ भी करवा के बिजली लाइए नहीं तो आज की रात तो बर्बाद हो गई समझो....

रमेश : हाँ..हाँ .. जाता हूँ...

उमा : संभल कर...कांच पड़ा होगा ज़मीन पर....

रमेश : चप्पल डाल रखी है मैंने उमा....

रमेश अँधेरे में सहारा लेते हुए बाहर निकल जाते है. सोनू धीमी आवाज़ में उमा से कहता है.

सोनू : मम्मी....मैं फ़ोन का टोर्च जला दूँ?

उमा : रहने दे लल्ला... कोई जरुरत नहीं है. पता नहीं फिर क्या तोड़ देगा. कुछ देर अँधेरे में रह लेने से कोई पहाड़ नहीं गिर जायेगा. बैठे रहो सब लोग...कोई कुछ नहीं करेगा.

उमा का आदेश मतलब पत्थर की लकीर. सभी चुप-चाप बैठ जाते है. कमरें में गुप्प अँधेरा है तभी सोनू का पैर गलती से पायल के पैर पर लग जाता है. पायल धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर दे मारती है.

सोनू : मम्मी...दीदी मुझे पैर मार रही है.

उमा : फिर शुरू हो गया तुम दोनों का? कम से कम अँधेरे में तो शांत रहो.

पायल : नहीं मम्मी...पहले इसने पैर मारा था...

उमा : जो करना है करो, लड़ो-मरो ...बस मेरा दिमाग मत खाओ तुम दोनों...

उमा आँखे बंद किया अपने सर पर हाथ रख के सोफे पर लेट जाती है. इधर पायल धीरे से अपना पैर सोनू के पैर पर घुमाने लगती है. पायल की इस हरकत से सोनू भी चुप-चाप हो जाता है. पायल अपने पैर को धीरे-धीरे सोनू के पैर पर रगड़ते हुए ऊपर ले जाने लगती है और उसकी जांघो के पास सहलाने लगती है. सोनू की पतलून टाइट होने लगती है. सामने मम्मी सो रही है पास में उसकी बहन की ये हरकत, उसके अन्दर डर और उत्त्साह की मिलीजुली अनुभूति जगती है. पायल अब अपना पैर सोनू की जांघो के बीच उसके खड़े लंड पर रख देती है. सोनू किसी तरह अपने मुहँ से पायल का नाम निकलने से रोकता है. धीरे-धीरे अपने पैरों से सोनू के लंड पर दबाव डालते हुए पायल लंड की कसावट को महसूस करती है.

उर्मिला ये सब देख तो नहीं पा रही लेकिन दोनों के बहुत करीब होने की वजह से समझ जरूर रही है. कुछ क्षण गौर से देखने के बाद उर्मिला सारा माजरा समझ जाती है. वो धीरे से पायल के कान में फुसफुसाती है.

उर्मिला : (पायल के कान में फुसफुसाते हुए) येही मौका है...चख ले अपने भाई का केला....(कहते हुए उर्मिला पायल का एक निप्पल मसल देती है)

पायल पहले से ही बदन में गर्मी लिए घूम रही थी. पापा ने उसकी आग भड़का दी थी और अब उर्मिला की इस हरकत ने तो मानो आग में घी का काम कर दिया था. वो धीरे से निचे उतर कर सोनू के पैरों के बीच जा कर बैठ जाती है. उसके हाथ सोनू के शॉर्ट्स को ऊपर से पकड़ लेते है. सोनू समझ जाता है की ये कोई और नहीं उसकी अपनी दीदी है. वो चुप-चाप सोफे पर सर रख के आँखे बंद कर लेता है और अपनी कमर ऊपर उठा देता है. पायल एक झटके से सोनू की शॉर्ट्स खींच के घुटनों तक उतार देती है. सोनू का लंड झटके के साथ ऊपर उठता हुआ उसके पेट से जा टकराता है और लंड से कुछ चिप-छिपे पानी की बूंदे पायल के चेहरे पर पड़ जाती है. पायल सोनू के लंड को हाथ से पकड़ कर आगे लाती है और चमड़ी को पूरी निचे कर देती है. अपनी नाक लंड पर ले जा कर वो पहले उसके मोटे टोपे को सूंघती है. तेज़ गंध से पायल मदहोश हो जाती है. अब पायल सोनू के लंड के टोपे पर जीभ घुमाने लगती है. सोनू तो मानो जन्नत की सैर ही करने लगता है. जो सपना वह हमेशा देखा करता था आज वो सच हो गया था. उसकी अपनी दीदी उसके लंड से प्यार कर रही थी. पायल सोनू के लंड पर अपने ओठों को रखती है और धीरे-धीरे उसके ओंठ लंड के टोपे पर फिसलते हुए उसे मुहँ के अन्दर लेने लगते है. अपनी आदत से मजबूर सोनू पायल का नाम लेने लगता है....

सोनू : पा.... (की तभी एक हाथ उसका मुहँ बंद कर देता है. वो हाथ उर्मिला का था)

उर्मिला सोनू के मुहँ पर हाथ रख कर सोफे के पीछे उसके सर के पास खड़ी है. सोनू आँखे खोल के गौर से देखता है तो उसे उर्मिला की एक छबी सी दिखाई देती है. वो समझ जाता है की वो उर्मिला भाभी ही है. उर्मिला धीरे-धीरे अपना हाथ उसके मुह पर से हटाती है. सोनू चुप-चाप मुहँ बंद किये उर्मिला को देखने की कोशिश करने लगता है. तभी उर्मिला उसे झुकती हुई दिखाई देती है और इस से पहले की वो कुछ समझ पाता उर्मिला की एक चूची उसके मुहँ में घुस जाती है. सोनू की आँखे बंद हो जाती है. ऊपर उसके मुहँ में भाभी की चूची और नीचे बहन के मुहँ में उसका लंड. सोनू की तो मानो आज लोटरी ही लग जाती है. वो उर्मिला की चूची किसी बच्चे की तरह चूसने लगता है.

निचे पायल पूरे जोश में है. वो सोनू के लंड को मुहँ में भर कर किसी लोलीपोप की तरह चुसे जा रही है. निचे हाथ को लंड पर घुमाते हुए वो चमड़ी निचे कर दे रही है और लंड को चूस रही है. बीच बीच में पायल अपने सर को स्थिर कर के धीरे-धीरे सोनू के लंड पर दबा देती और मुहँ की गहराई तक ले लेती. २-३ बार ऐसा करने के बाद पायल अब लंड को और ज्यादा मुहँ के अन्दर लेने लगी है. सोनू उर्मिला की चूची चूसते हुए कभी-कभी अपनी कमर उठा देता. पायल ने फिर से अपना सर स्थिर किया और उसके लंड को धीरे-धीरे मुहँ की गहराई में लेने लगी. पायल लंड को मुहँ में लेते हुए इतना निचे चली गई की उसका नाक सोनू के लंड की जड़ पर उगे बालों में घुस गई. अब सोनू का ९ इंच का लंड पायल के मुहँ में गले तक जा पहुंचा था. पायल कुछ क्षण वैसे ही लंड गले तक लिए रखती है फिर झटके से अपना सर उठा देती है. उसके मुहँ से लार और लंड का पानी बहने लगता है. अपने ही सगे भाई के लंड के साथ ऐसा कर के पायल को अजीब सा मज़ा आ रहा है और बूर तो बस पानी छोड़े जा रही है.

सोनू का तो बुरा हाल हो चूका था. अब वो अपने आप को और रोक नहीं सकता था. वो समझ गया था की उसका लंड अब कभी भी पानी छोड़ सकता है और दीदी के मुहँ में एक बूँद भी गिर गई तो उसकी खैर नहीं. वो अपने हाथ को निचे ले जा कर लंड पकड़ता है और उसे पायल के मुहँ से निकलने की कोशिश करता है. पायल समझ जाती है की सोनू अब झड़ने वाला है और इसलिए लंड निकालने की कोशिश कर रहा है. पायल अपने मुहँ में सोनू का लंड लिए, अन्दर की सारी हवा फेफड़ों में खींच लेती है. मुहँ के अन्दर 'वैक्यूम' बन जाने से सोनू का लंड पायल के मुहँ के अन्दर खीचता चला जाता है. सोनू एक बार फिर लंड निकालने की कोशिश करता है लेकिन लंड तो मानो पायल के मुहँ में फंस सा गया है. हार कर सोनू अपने लंड को जैसे ही ढीला छोड़ता है, उसका लंड पायल के मुहँ में पिचकारियाँ छोड़ने लगता है. लंड से निकलती हर पिचकारी पायल के गले से टकराती हुई अन्दर जाने लगती है. पायल गटा-गट हर पिचकारी को पीने लगती है. ८-१० पिचकारियाँ पायल के मुहँ में छोड़ने के बाद सोनू का लंड ढीला पड़ जाता है. पायल आखरी बार सोनू के लंड को जोर से चुसती है और बचा हुआ पानी भी पी लेती है. अपने मुहँ को पोंछते हुए पायल धीरे से अपनी जगह पर आ कर बैठ जाती है. उर्मिला भी धीरे से अपने ब्लाउज के हुक लगाते हुए पायल के साथ बैठ जाती है.

सोनू एक चुसे हुए आम की तरह सोफे पर पड़ा है. शॉर्ट्स के अन्दर उसका लंड खर्राटे भर रहा है. तभी बाबूजी की आवाज़ आती है.

रमेश : उमा...!! उमा..!!

उमा, जो अब तक सोफे पर पड़े हुए सो रही थी, उसकी आँखे खुल जाती है.

उमा : (हडबडाते हुए) आ...हाँ...क्या हुआ जी?

रमेश : अरे उमा...मैं बिजली का बिल भरना ही भूल गया था. बिजली विभाग में अभी बात कर के आ रहा हूँ. उन्होंने कहा है की बिजली तो आ जाएगी पर थोडा वक़्त लगेगा.

उमा : लो...!! देख लिया लापरवाही का नतीजा..? अब रहो अँधेरे में.

उर्मिला : रुकिए मम्मी जी...मैं बत्ती का कुछ इंतज़ाम करती हूँ.

उर्मिला किसी तरह टटोलते हुए रसोई में जा कर माचिस जलती है और एक मोमबत्ती जलाकर टेबल पर रख देती है. रूम में थोड़ी रौशनी हो जाती है. मोमबत्ती की रौशनी में सोनू पायल को देखता है. पायल के चेहरे पर चमक है और वो सोनू को देखते हुए धीरे से आँख मार देती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 
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