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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
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Sarita

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रमेश फिर से उदास मुहँ से जाने लगते है. वो मन में सोचते है, "आज का दिन तो बर्बाद हो गया. सोच था मेरी बेटी और बहु आज कुछ मज़ा देगी. सब बेकार हो गया". तभी रमेश को पीछे से धीमी आवाज़ आती है...

उर्मिला : बाबूजी....!!
***************************************
रमेश पीछे मुड़ के देखते है तो उनकी आँखे बड़ी हो जाती है. सामने अमरुद की डाल की छाओं में बैठी उर्मिला पायल की टॉप उठा के उसके बड़े-बड़े दूध दिखा रही है. पायल भाभी की गोद में बैठी मुस्कुरा रही है और उर्मिला उसके दूध दबा कर बाबूजी को दिखा रही है. रमेश एक नज़र पड़ोस की छतों पर डालता है और झट से छत का दरवाज़ा बंद कर देते है. फिर रमेश दौड़ा कर पायल के पास बैठ जाते है
रमेश पायल के दूध को दबा दबा के चूसने लगते है. कभी दायाँ दूध तो कभी बायाँ. बारी-बारी दोनों दूध रमेश के मुहँ में फिसल के घुस जाते है और रमेश उन्हें दबा दबा के पीने लगते है. उर्मिला पायल के सर पर हाथ फेरते हुए उसे मस्ती में पापा से अपने दूध चुसवाते हुए देख रही है.
************************
बहु...जब मैंने तेरी सुहागरात में दरवाज़े पर से तेरी चिल्लाने की आवाज़े सुनी थी तब मैंने बाथरूम में जा कर ३ बार अपने लंड को मुठिया के पानी निकाला था. उस रात मैंने धोती में हाथ डाले रात भर तुझे याद किया था.

उर्मिला : (तेज़ साँसों के साथ) तो एक बार बोल देते ना बाबूजी...मैं खुद ही अपनी साड़ी उठा के आपके पास आ जाती...

रमेश : ओह बहु...मुझे पहले पता होता की मेरी बहु भी अपनी साड़ी उठाये तैयार है तो मैं कब का बोल देता...

उर्मिला : अब जब आपका दिल करे बोल दीजियेगा बाबूजी... मैं अपनी साड़ी उठाये दौड़ी चली आउंगी...
 

Lutgaya

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फाडू अपडेट मजा आ गया
 
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Sanjay dutt

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अपडेट ८:

शाम के ४:३० बज रहे हैं. उर्मिला सो कर उठती है. अंगडाई ले कर वो बाथरूम में जाती है और मुहँ धो कर फ्रेश हो जाती है.
"कुछ घंटो पहले मैंने जो तीर चलाया था, देखते है की सही निशाने पर लगा या नहीं". ये सोच कर वो पायल के कमरे की रताफ चल देती है.

उर्मिला : (पायल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हुए ) पायल...पायल..!! सो रही है क्या?

पायल : (आँखे खोलती है तो दरवाज़े पर कोई है. वो उठ कर दरवाज़ा खोलती है) अरे भाभी आप?

उर्मिला : हाँ... सो कर उठी तो सोचा की कुछ देर तेरे साथ बातें कर लूँ. मैंने तेरी नींद तो ख़राब नहीं कर दी ना?

पायल : अरे नहीं भाभी. मैं भी उठ हे गई थी. अन्दर आईये ना....

दोनों अंदर आ कर बिस्तर पर बैठ जाती है.

उर्मिला : कहाँ तक पढ़ ली किताब?

पायल : मेरा तो हो गया भाभी. आपको चाहिए तो आप ले जा सकती है.

उर्मिला : इतनी जल्दी पूरी किताब पढ़ ली तुने पायल? मैं तो एक हफ्ते से पढ़ रही हूँ लेकिन अब तक पूरी नहीं हुई.

पायल : (थोड़ी हिचकिचाते हुए) वो..वो..भाभी...ऐसे ही जो अच्छा लगा वो ऊपर ऊपर से पढ़ लिया ...पूरी किताब इतनी जल्दी कौन पढ़ सकता है?

उर्मिला : अच्छा चल छोड़ इस बात को. तू ये बता की अब ६ दिन गुजारेगी कैसे? तू तो अभी से ही बोर होने लगी है....

पायल : हाँ भाभी...मैं भी येही सोच रही हूँ. (कुछ देर चुप रहने के बाद). भाभी...आपके पास "मेरी सहेली" के और भी अंक होगें ना?

उर्मिला : (अपनी मुस्कान पर काबू पाते हुए) अरे कहाँ पायल. पिछली बार जब तेरे भईया आये थे तो उनके साथ बाज़ार से ले कर आई थी. उनके जाने के बाद कभी जाना नहीं हुआ. और तू तो जानती है की मैं अकेले उनके बिना कहीं जाती भी नहीं. अब तो वो एक हफ्ते बाद जब आयेंगे तब ही जाना होगा.

पायल : मेरा कॉलेज भी बंद है भाभी, नहीं तो मैं हीले आती.

दोनों कुछ देर वैसे ही खामोश रहते है. फिर उर्मिला कहती है.

उर्मिला : वैसे पायल मेरे पास वक़्त बिताने के लिए एक और किताब भी है.

पायल : (चेहरे पे उत्सुकता आते हुए) कौनसी किताब भाभी?

उर्मिला : है एक किताब. रात में जब भी तेरे भईया की याद आती है तो वो किताब पढ़ लेती हूँ.

पायल : (पायल आँखे बड़ी करते हुए) ऐसा क्या है उस किताब में भाभी?

उर्मिला : (दोनों हाथों से पायल के गाल खींचते हुए) मेरी डार्लिंग ननद जी....उस किताब में वो है जिसे पढ़ के .... वो क्या कहती है तू? हाँ....'कुछ कुछ होता है'.

पायल : (हँसते हुए) समझ गई भाभी...आपके दिल में 'कुछ कुछ होता है'. लगता है बहुत ही रोमांटिक किताब है....

उर्मिला : धत्त पगली...!! जिसकी नयी नयी शादी हुई हो और पति ज्यादातर घर से बाहर ही रहता हो उसके क्या दिल में कुछ कुछ होगा ? (मुस्कुराते हुए) वो किताब पढ़ के 'कुछ कुछ होता है' लेकिन दिल में नहीं, यहाँ ... बिल में...(उर्मिला अपनी ऊँगली से पायल की बूर तरफ इशारा करते हुए कहती है).

पायल : (भाभी का इशारा समझते ही शर्मा जाती है) धत्त भाभी... आप भी ना..!!

उर्मिला : क्या करूँ पायल? अब इसकी प्यास भी तो बुझाना जरुरी है ना? तेरे भैया नहीं तो ये किताब हे सही...

उर्मिला की बात सुन के पायल सर निचे झुका लेती है और धीरे धीरे मुस्कुराते हुए चादर पर ऊँगली घुमाने लगती है. कुछ क्षण की ख़ामोशी के बाद उर्मिला कहती है.

उर्मिला : तुझे वो किताब मैं दे सकती हूँ, लेकिन दूंगी नहीं...

पायल : (झट से भाभी की तरफ देखती है) क्यूँ भाभी?

उर्मिला : कहीं तुने मम्मी जी को बता दिया तो?

पायल छलांग लगा के उर्मिला के सामने आ जाती है...

पायल : नहीं बताउंगी भाभी...किसी को भी नहीं बताउंगी ...गॉड प्रॉमिस...!!

उर्मिला : (चेहरे पे मुस्कान आ जाती है) जानती हूँ मेरे लाडों ...तू किसी से नहीं कहेगी. मैं तो बस यूँ ही मज़ाक कर रही थी. ठीक है, रात में तुझे दे दूंगी वो किताब.

पायल : (झट से कहती है) अभी दीजिये ना भाभी.....

पायल की इस बात पर उर्मिला उसे मुस्कुराते हुए देखने लगती है. पायल समझ जाती है की भाभी ने उसकी उत्सुकता भांप ली है. वो बात को संभालने के लिए कहती है.

पायल : भाभी मेरा मतलब था ...की..वो.. मेरे पास अभी कुछ करने को नहीं हैं ना, तो मैं सोच रही थी की अभी पढ़ लेती हूँ. वैसे भी रात में मुझे कॉलेज का काम करना है.

उर्मिला : हाँ ...तेरी बात भी सही है. चल मेरे साथ. तुझे वो किताब दे दूँ.

दोनों उर्मिला के कमरे में आते हैं. उर्मिला अलमारी खोल के कपड़ों के निचे से एक किताब निकाल के पायल को देती है.

उर्मिला : जल्दी ले इसे और अपनी टॉप में छुपा ले. और याद रहे, किसी को पता ना चले...

पायल : (किताब झट से अपनी टॉप में छुपा लेती है) डोंट वरी भाभी...किसी को पता नहीं चलेगा...अब मैं चलूँ?

उर्मिला : हाँ ठीक है...

पायल किताब को अपनी टॉप में छुपाये दौड़ती हुई कमरे से बाहर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला कहती है, "ध्यान से पायल". पायल दौड़ते हुए जवाब देती है, "जी भाभी" और कमरे से निकल जाती है. उसके जाने के बाद उर्मिला के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. "पायल रानी...जब तू ये किताब पढ़ेगी तो तेरी बूर में वो आग लगेगी जो सिर्फ कोई लंड ही बुझा सकेगा और घर में अभी दो ही लंड है. एक सोनू का और एक बाबूजी का. मैं भी देखती हूँ की तेरी बूर में पहले किसका लंड जाता है, सोनू या बाबूजी का". उर्मिला मुस्कुराते हुए रसोई की ओर चल देती है.


वहां पायल अपने कमरे में घुसते ही दरवाज़ा बंद करती है और लॉक करके सीधा बिस्तर पर छलांग लगा देती है. अपनी टॉप के अन्दर से किताब निकाल कर वो बड़े ध्यान से देखती है. कवर पर एक अधनंगी लड़की की तस्वीर है. ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में "मचलती जवानी" लिखा हुआ है और निचे लेखक का नाम है - "मस्तराम".

[क्रमशः]

[ मस्तराम जी मेरे प्रेरणा सोत्र हैं. ये कहानी मैं उन्हें समर्पित करती हूँ. उस महान लेखक को मेरा शत शत प्रणाम ]

[जारी]

पायल किताब का पहला पन्ना उलटती है. सामने कहानियों के शीर्षिक लिखे हुए हैं. "१. गर्मी की एक रात, पापा के साथ", "२. पापा के लंड की सवारी", "३. भैया के लंड की प्यासी", "४. छोटे भाई का मोटा लंड". कहानियों के शीर्षक पढ़ के पायल को पसीना आने लगता है. उसने सोचा भी नहीं था की इस किताब में इस तरह की कहानियां होगी. पायल उन शीर्षकों को फिर से एक बार पढ़ती है. फिर कांपती हुई उँगलियों से वो पन्ना पलटती है. दुसरे पन्ने में बड़े अक्षरों में, "गर्मी की एक रात, पापा के साथ" लिखा हुआ है. वो धीरे धीरे नज़रों को निचे ले जा कर कहानी पढ़ने लगती है. कहानी एक १९ साल की एक लड़की की है जो गर्मी के मौसम में अलग अलग घटनाओं द्वारा धीरे धीरे अपने पापा के करीब आती है और गर्मी की एक रात पापा की हमबिस्तर हो कर चुद जाती है. पायल की नज़रें गौर से पन्ने पर छपे हर एक अक्षर को पढ़ने लगती है. हर एक पलटते पन्ने के साथ पायल का बुरा हाल होता जा रहा था. कहानी पढ़ते हुए कभी वो अपने ओठों को दांतों से दबा देती तो कभी अपनी बड़ी बड़ी चुचियों की घुंडीयों (nipples) को मसल देती. एक बार कहानी में ऐसा मोड़ आया की पायल ने सिसकारी भरते हुए पैन्टी के ऊपर से अपनी बूर को ही दबोच लिया. धीरे धीरे पायल अपने बदन से खेलते हुए कहानी पढ़ती जा रही थी. ३० मिनट के बाद पायल ने जैसे ही वो कहानी खत्म की, वो किताब को एक तरफ फेंक कर बिस्तर पर सीधा लेट गई. उसके एक हाथ ने टॉप के निचे से होते हुए एक चूची को अपनी गिरफ्त में ले लिया और दुसरे हाथ ने पैन्टी के अन्दर घुस के बूर के ओठों से खेलना शुरू कर दिया. पायल आँखे बंद किये हुए अपने ओठों को दांतों से काट रही थी. उसके हाथ चूची को कभी दबोच के दबा देते तो कभी मसल देते. पैन्टी के अन्दर हाथ की एक ऊँगली बूर के सुराक को तलाशने लगी. पायल की बूर बुरी तरह से रिसने लगी थी. उसके दिमाग में उस कहानी के कुछ मादक अंश घुमने लगे थे. उन्हें याद करके पायल और भी ज्यादा मचल जाती. तभी पायल के दिमाग में कहानी का एक अंश आया जिसने उसका बुरा हाल कर दिया. पायल ध्यान लगा के उस अंश को याद करती है. उसकी बंद आँखों के सामने कहानी का वो एक हिस्सा आ जाता है.....

"बिना कपड़ों के नंगे बदन कुसुम, अपने पापा के मोटे लंड पर ऐसे उच्छल रहीं थीं मानो किसी घोड़े की सवारी कर रही हो. घर की बिजली कटी थी और गर्मी की रात. इमरजेंसी लाइट की रौशनी में कुसुम का पसीने से भरा बदन चमक रहा था. दोनों हाथों को उठायें वो अपने बालों को चेहरे से हटा के पीछे कर रही थी. तभी निचे लेटे बूर में सटा सट लंड पलते हुए पापा की नज़र कुसुम के उठे हाथों की बगलों पर पड़ी. दोनों बगल में रेशमी बाल और बहता पसीना देख के पापा ने अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले जा कर उसे अपने ऊपर खींच लिया. कुसुम की भारी चूचियां पापा के सीने से पूरी तरह से चिपक गई और पापा ने सर उठा के उसकी बगल से निकलती पसीने की खुशबू को एक लम्बी सांस लेते हुए सूंघ लिया. पसीने की गंध सूंघते ही पापा ने निचे से जोर की ठाप लगायी तो कुसुम की चीख निकल गई - 'हाय...!! मर गई पापा...!!'...".

इस अंश को याद करते ही पायल के मुहँ से हलकी सी आवाज़ निकल जाती है, "उफ़ पापा". तभी उसके दोनों हाथ थम जाते है और आँखे झट से खुल जाती है. बड़ी बड़ी आँखों से वो ऊपर पंखे को देखने लगती है. दिल ऐसे धड़क रहा है मानो कोई ढोल बजा रहा हो. "ये मैंने क्या कह दिया? अपने ही पापा के बारें में....". इतना कहते ही पायल की ऊँगली हरकत में आ जाती है और बूर के दाने को रगड़ने लगती है. दूसरा हाथ चूची को मसलने लगता है. उसकी आँखे एक बार फिर से बंद हो जाती है और उसके मुहँ से फिर एक आवाज़ निकलती है, "हाय पापा....सीssss....उफ़ पापाssss". उसकी कमर ऊपर उठ जाती है और ऊँगली बूर के दाने को तेज़ी से रगड़ने लगती है. "बहुत गर्मी है पापा....ठंडा कर दीजिये ना....". पायल के मुहँ से अब अपने पापा के लिए वो शब्द निकलने लगते है जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. पापा के प्रति उसका प्यार अब धीरे धीरे हवस का रूप लेने लगा था. तभी पायल के कानो में दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. वो होश में आती है. किताब को तकिये के निचे झट से छुपा के पायल कड़ी हो जाती है और अपने कपड़े ठीक करते हुए दरवाज़े के पास जाती है.

पायल : (दरवाज़ा खोलती है) भाभी आप?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी है) मैडम ... आपकी आज की पढाई हो गई हो तो चाय पीने आ जाइये. सब आपका इंतज़ार कर रहे है.

पायल : (मुस्कुराते हुए) जी भाभी. ५ मिनट में आती हूँ.

उर्मिला : (जाते हुए) जल्दी आना, देर मत लगा देना.

पायल : जी भाभी ...

दरवाज़ा बंद करके पायल अन्दर आती है. उसके चेहरे पर मुस्कान है. सामने आईने में अपने आप को देखती है. अपनी सुन्दरता और गदराये बदन को देख के पायल की मुस्कान और ज्यादा खिल जाती है. तभी पायल को उस कहानी का एक छोटा सा अंश याद आता है. जिसे याद कर के वो हँस देती है. आईने के थोडा करीब जा कर वो झुक जाती है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई को वो आईने में देखते हुए वो एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहती है, "पापा आपकी चाय...". फिर वो एक हाथ से अपना चेहरा छुपा के मुस्कुराते हुए बाथरूम में भाग जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )

[समय की कमी के कारण हो सकता है की कुछ शब्द सही ना हो. इसके लिए मैं पहले ही क्षमा मांगती हूँ. जल्दी ही उन्हें ठीक कर दिया जायेगा]
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Sanjay dutt

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अपडेट १२:

छत पर रमेश तेज़ क़दमों से यहाँ वहां घूमते हुए टहल रहें है. उनकी नज़रें बार बार छत के दरवाज़े की तरफ जा रहीं है. थोड़ी सी भी आहट होती तो उन्हें लगता की पायल आ रही है. पायल के बारें में सोच कर ही उनका लंड बेचैन हो रहा है. तभी सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. रमेश दरवाज़े पर नज़रे गड़ाये खड़े हो जाता है. तभी पायल एक हाथ में चाय का प्याला और दुसरे हाथ में कपड़ो से भरी बाल्टी ले कर दरवाज़े से छत पर आती है. रमेश की नज़र सीधे पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर जाती है जो टाइट टॉप में कसी हुई है. पायल पापा की नज़र को भांप लेती है और अपना सीने हल्का सा उठा देती है. ये देखकर रमेश का लंड धोती में एक झटका खाता है.

रमेश : आ गई मेरी गुड़िया रानी....

पायल : जी पापा...!!

रमेश : ला ये बाल्टी मुझे दे...(पायल के हाथ से बाल्टी लेते हुए) कहाँ रखूँ इसे बेटी?

पायल : (पायल जानती है की पापा खटिया के पास हे कसरत करते है. वो झट से कहती है) यहाँ रख दीजिये पापा...खटिया के पास. मैं येही से कपडे निचोड़ के सूखने डाल दूंगी.

रमेश : ठीक है बेटी...

रमेश बाल्टी उठा के खटिया के पास रख देता है. पायल चाय का प्याला लिए खड़ी है. रमेश उसे देखते है और मुस्कुराते हुए खटिये पर बैठ जाते है.

रमेश : ला पायल...चाय दे दे....

पायल धीरे धीरे चल के पापा के पास आती है. हाथ बढ़ा के चाय का प्याला देते हुए वो आगे झुक जाती है.

पायल : लीजिये पापा....आपकी चाय...

पायल के झुकते ही रमेश की आँखों के सामने टॉप के बड़े गले से उसकी आधी चूचियां दिखने लगती है. बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई देख कर रमेश की हालात ख़राब हो जाती है.वो एक तक उस गहराई को घूरे जा रहा है. तभी उसके कानों में पायल की आवाज़ पड़ती है.

पायल : कहाँ खो गए पापा? चाय लीजिये....

रमेश : (हडबडाते हुए) अ..आ.. कहीं नहीं बिटिया....ला चाय दे मुझे...

चाय दे कर पायल खड़ी हो जाती है. रमेश पायल के हाथ से चाय लेकर एक चुस्की लेते है.

रमेश : वाह पायल...!! चाय भले ही बहु ने बनाई हो, पर तेरे हाथ लगते ही इसका स्वाद और उम्दा हो गया...

पायल : (पायल अपने हाथ के रुमाल को नखरे के साथ घुमाते हुए कहती है) थैंक्यू पापा... अगली बार मैं आपको अपने हाथों से बनी चाय पिलाउंगी

रमेश : हाँ पायल...मेरा भी दिल करता है की कभी मैं तेरे हाथ की चाय पियूं....

तभी पायल जान बुझ के अपने हाथ का रुमाल गिरा देती है.

पायल : मैं आपको स्पेशल चाय पिलाउंगी पापा... (रुमाल उठाने के लिए झुकती है. उसकी आधी नंगी चूचियां पापा की आँखों के सामने आ जाती है)...डबल दूध वाली....

सामने का नज़ारा देख के रमेश का लंड धोती के अन्दर झटके लेते हुए लार की २-३ बूंदें टपका देता है. पायल की आधी नंगी चूचियां और उसके मुहँ से डबल दूध वाली चाय की बात सुन कर रमेश के होश उड़ जाते है. वो कुछ सोच कर कहते है.

रमेश : पायल...तुझे तो पता है बेटी...मैं बाज़ार के पैकेट वाला दूध नहीं पीता हूँ. मुझे तो घर की गाय का दूध ही पसंद है.

रमेश की बात सुन के पायल मन हे मन मुस्कुरा देती है फिर कुछ सोच के कहती है.

पायल : लेकिन पापा...घर की गाय तो अभी दूध नहीं देती है ना....

रमेश खड़े होते है और पायल के सर पर हाथ फेरते हुए कहते है.

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) जानता हूँ पायल बेटी...घर की गाय अभी दूध नहीं देती, लेकिन वो दूध देने लायक तो हो गई हैं ना ?...तुझे तो पता है की पापा ने उसकी कितनी देख-भाल की है. कुछ दिन पापा के हाथ का चारा खाएगी तो हो सकता है की दूध भी देने लग जाए.

रमेश की बातें सुन के पायल के जिस्म के आग लग जाती है. उसका रोम रोम उस आग में जलने लगता है. उर्मिला ने पहले ही पायल के लाज-शर्म के कपडे उतार दिए थे. पापा की इस बात ने उसकी थोड़ी बहुत बची हुई लाज-शर्म को जैसे छु-मंतर कर दिया. अब पायल पापा के सामने एक ऐसी लड़की की तरह थी जो कपड़े पहन के भी पूरी नंगी हो.

पायल और रमेश की नज़रें आपस में मिलती है. दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में देखते रहते है मानो एक दुसरे का हाल समझने की कोशिश कर रहे हो. तभी पायल अपने ओठ काटते हुए कहती है.

पायल : अच्छा पापा...अब मैं कपडे डालने जाती हूँ.

रमेश : हाँ बेटी..ठीक है...

पायल घूम कर अपनी चौड़ी चुतड हिलाते हुए जाने लगती है. रमेश हिलती चूतड़ों को देखते हुए अपने लंड को धोती के ऊपर से एक बार जोर से मसल देता है. पायल कपड़ो की बाल्टी के पास पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाती है. रमेश ठीक उसके सामने खटिये पर बैठ जाता है. पायल बाल्टी से एक कपड़ा निकालती है और दोनों हाथों से जोर जोर से रगड़ने लगती है. पायल की बड़ी बड़ी चूचियां हिलने लगती है. चुचियों के बीच की खाई, चुचियों के हिलने से कभी छोटी तो कभी लम्बी होने लगती है. बीच बीच में पायल और रमेश की नज़रे मिलती है तो दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में घूरते ही रह जाते है. नज़रें हटते ही पायल की चुचियों का हिलना और तेज़ हो जाता है. पायल ३-४ कपड़ों को रगड़ के बाल्टी की दूसरी तरफ रख देती है. अब रमेश उठ के छत के दरवाज़े का पास जाता है और दरवाज़े को बंद करके बाहर से कुण्डी लगा देता है. फिर चलते हुए वो पायल के पास आता है और अपनी धोती को हाथों से जांघो तक चढ़ा के पायल के सामने पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाता है. रमेश के निचे बैठते ही उसकी नज़रे पायल की नज़रों से मिलती है. रमेश की आँखों में देखते हुए पायल अपने ओठो को दाँतों से काट लेती है. पायल के हाथ में एक कपड़ा है. रमेश उस कपड़े की और ऊँगली से इशारा करते हुए कहता है.

रमेश : (पायल को देखते हुए) पायल बिटिया...लगता है इस कपड़े पर चाय गिर गई थी. ठीक से साफ़ नहीं हुआ....

पायल : (कपड़े पर उस धब्बे को देखती है) हाँ पापा....ये तो वाशिंग मशीन में भी साफ़ नहीं हुआ. लगता है मुझे ही इसे अच्छे से इसे साफ़ करना पड़ेगा.

ये कह कर पायल उस कपडे को ज़मीन पर फैला देती है और घोड़ी के अंदाज़ में एक हाथ से कपडे के एक कोने को दबा देती है. वो घोड़ी बन के सामने झुकती है तो पायल की बड़ी बड़ी चूचियां रमेश की नजरो के ठीक सामने आ जाती है. घोड़ी बन के झुकने से अब टॉप के बड़े गले से चूचियां आधे से ज्यादा दिखने लगी है. चुचियों के बीच की गहराई अब सीध में दिखने लगी है. पायल एक बार पापा की आँखों में देखती है और फिर नज़रे कपडे पर डाले जोर जोर से रगड़ने लगती है. रमेश पायल की जोर जोर से हिलती चूचियां दखते है. रमेश गौर करते है तो देखते है की पायल के हाथों की गति धीमी है और चुचियों के हिलने की गति ज्यादा. ये देख कर रमेश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो कुछ देर वैसे ही पायल की हिलती बड़ी बड़ी चुचियों का मज़ा लेते है फिर पायल को देख कर कहते है.

रमेश : बेटी..लगता है ये दाग नहीं निकलेगा. देखो तो तुम्हें कितना पसीना आ गया है. पूरी टॉप भीग गई है.

पायल : हाँ पापा...लगता है ये दाग नहीं निकलेगा....

पायल खड़ी हो कर अपने माथे का पसीना पोंछती है. फिर दोनों हाथो को उठा के अपने बालों को पीछे ले जा कर बाँधने लगती है. रमेश की नज़र पायल की की बगलों पर पड़ती है. टॉप की छोटी बांहों से बगल के हलके काले रेशमी बाल दिख रहे है और निचे पसीने से गीला धब्बा. ये नज़ारा देख के रमेश का लंड और सक्त हो जाता है. वो पायल के पास जाता है. नज़रें पायल की बगलों पर है. पायल को समझने में देर नहीं लगती की पापा की नज़रें कहाँ है. वो वैसे ही हाथो से बालों को ठीक करते हुए खड़ी है.

रमेश : (पायल के पास जा कर एक लम्बी साँसे लेते हुए) पायल बेटी...ये खुशबू कहाँ से आ रही है? कौनसा परफ्यूम लगाया है?

पायल समझ जाती है की पापा किस खुशबू की बात कर रहे है. वो परफ्यूम सिर्फ कॉलेज जाते वक़्त लगाती थी. अब जब कॉलेज बंद हो गया था तो उसने दो दिनों से कोई परफ्यूम नहीं लगाया था.

पायल : (नखरा दिखाते हुए) हाँ पापा ....लगाया है. लेकिन मैं आपको उसका नाम नहीं बताउंगी. वो परफ्यूम तो आप भी इस्तेमाल करते हो. देखती हूँ की आप पहचान पाते हो या नहीं?

रमेश : (मुस्कुराते हुए) ये तो तुमने मुझे दुविधा में डाल दिया बिटिया. खैर...अब तुम मुझे परखना ही चाहती हो तो ठीक है, देखते है....

रमेश अपना सर पायल की टॉप के करीब ला कर जोर से सांस लेते है. २-३ बार साँसे लेने के बाद.

रमेश : यहाँ तो कुछ पता नहीं चल रहा पायल. तुम अपनी बगलों में ज्यादा परफ्यूम लगाती हो ना?

पायल : जी पापा....पसीने भी तो वही ज्यादा आता है ना....

रमेश : हाँ पायल बेटी...और तुझे तो और भी ज्यादा पसीने आता है. देख तो तेरी बगलों के निचे की टॉप कैसी भीगी पड़ी हैं. चलो...कोई बात नहीं. मैं अभी सूंघ के बताता हूँ की कौनसा परफ्यूम है.

रमेश अपनी नाक पायल की बाएं बगल की तरफ ले जाता है. पायल भी अपना हाथ और ऊपर उठा देती है.

रमेश : (जोर से सांस खींच कर) हम्म....!! खुशबू तो अच्छी है पायल लेकिन ये तेरे टॉप की बाहं सब खेल बिगाड़ रही है. इसकी वजह से मैं ठीक तरह से खुशबू नहीं ले पा रहा हूँ. तेरे पास कोई बिना बाहं वाली टॉप नहीं हैं क्या?

पायल : है तो पापा...लेकिन वो मैं सिर्फ सोते वक़्त ही पहनती हूँ...

रमेश : तो कोई बात नहीं बेटी...किसी दिन तेरे कमरें में आ कर उस खुशबू को पहचान ने की कोशिश कर लूँगा.

पायल : ठीक है पापा....

रमेश : अच्छा पायल तेरा काम हो गया हो तो अब तू जा. तेरी मम्मी का प्रवचन ना खत्म हो जाए.

पायल : हाँ पापा मैं चलती हूँ...नहीं तो टीवी का प्रवचन खत्म होगा और मम्मी का शुरू....

दोनों एक बार एक दुसरे को देख के मुस्कुरा देते है और पायल बाल्टी उठा के जाने लगती है. रमेश पीछे से उसकी चुतड को देखते हुए लंड मसलने लगता है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Dheere dheere pyar ko badhana hai,hadh se guzar jana hai
 
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Sanjay dutt

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अपडेट १३:

चहरे पर मुस्कराहट लिए पायल उच्चलती हुई सीढ़ियों से निचे उतर रही है. पापा के साथ हुई हर एक घटना को याद करके उसका दिल धड़क रहा है और एक मीठा सा दर्द उसके तन-बदन में एक अजीब सी प्यास जगा रहा है. कभी शर्माती तो कभी हँसती हुई वो निचे आती है. सामने सोफे पर बैठी उमा उसे देखती है.

उमा : अरी ओ, बेलगाम घोड़ी....!! संभल के. गिर गई और हड्डियाँ टूट गई तो हो गया सत्यानाश....

पायल ड्राइंग रूम में आती है और मुहँ बना कर उमा को लम्बी सी जीभ दिखा देती है.

उमा : बताऊँ तुझे मैं...? अपनी माँ को जीभ दिखाती है ? और....और ये क्या कपड़े पहन रखे हैं तुने ? घर में दो-दो मर्द है और इस लड़की को देखो... अभी बदल के आ ये टॉप...जा...

पायल : नहीं बदलूंगी...!! फैशन है ये आजकल... और मुझे गर्मी भी होती है....

उमा : फैशन गया तेल लेने...और गर्मी होगी तो क्या घर में नंगी घूमेगी तू?

पायल : हाँ ..! घुमुंगी नंगी... आपको क्या?

उमा गुस्से में सोफे पर से उठ के खड़ी हो जाती है और अपना हाथ उठा के....

उमा : चुप कर बदमाश..!! अभी एक तमाचा लगा दूंगी तुझे....

रसोई में खड़ी उर्मिला माँ-बेटी को नोक-झोंक बहुत देर से देख रही थीं. उमा का पारा चढ़ते ही वो वहां पहुँच जाती है.

उर्मिला : अरे अरे मम्मी जी...!! इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है ? (पायल को अपने सीने से लगा कर) इतनी प्यारी बच्ची है...(पायल के सर पर हाथ फेरना लगती है).

उमा : २१ साल की घोड़ी हो गई है और अक्कल नहीं है इस लड़की को जरा भी...देख तो उर्मिला इस लड़की को...अब तू ही समझा इसे..

उर्मिला : मम्मी जी..आप ऐसे ही गुस्सा कर रही है. (उर्मिला चुपके से अपनी ऊँगली पजामे के ऊपर से पायल की बूर पर रगड़ देती है और कहती है) बहुत गर्मी होती है बेचारी को...

उर्मिला की इस हरकत पर पायल भाभी को देखती है और अपने ओंठ काट लेती है.

उमा : बहु...गर्मी तक तो ठीक है...लेकिन इसे कुछ तो शर्म होनी चाहिए ना...?

उर्मिला : (पायल को देखते हुए) मम्मी जी की ये बात बिलकुल सही है पायल...थोड़ा ध्यान तो तुझे भी रखना होगा...(धीरे से पायल को आँख मारते हुए) अब चल...मम्मी जी को सॉरी बोल....

पायल : (धीरे से) आइ एम सॉरी मम्मी....

उमा : हाँ ठीक है...चल अब जा और पहले ये कपड़े बदल.... (अपने कमरे की तरफ जाते हुए) पता नहीं ये लड़की बाहर क्या कांड करेगी....

उमा के जाते ही पायल और उर्मिला धीरे धीरे हँसने लगते है.

उर्मिला : (धीरे से पायल से कहती है) ये लड़की बाहर नहीं मम्मी जी, घर में कांड करेगी....बोल करेगी ना पायल ?

पायल : (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी...करुँगी...!

उर्मिला : अब जल्दी से अपने कमरे में जा, मैं २ मिनट में आती हूँ.

पायल दौड़ती हुए अपने कमरे में चली जाती है. रसोई में बचा हुआ काम जल्दी जल्दी खत्म करके उर्मिला पायल के रूम में जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो पायल आईने के सामने खड़ी हो कर टॉप पर से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां पकडे हुए है. उर्मिला झट से दरवाज़ा अन्दर से बंद कर के पायल के पास पहुँच जाती है.

उर्मिला : (पीछे से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पकड़ के) और मेरी पायल रानी..!! बड़ी खुश लग रही है...पापा का लंड अपनी बूर में ठूंसवा के आ रही है क्या?

पायल : (मस्ती में) भाभी काश...!! पापा मेरी बूर में अपना मोटा लंड ठूँस देते...

उर्मिला : (पायल को अपनी तरफ घुमाते हुए) तो नहीं ठूँसा क्या?

पायल : (उदास होते हुए) नहीं भाभी....

उर्मिला : (पायल को सीने से लगाते हुए) कोई बात नहीं मेरी बन्नो...!! सब्र कर...फल जल्द ही मिलेगा...अच्छा ये तो बता क्या क्या हुआ छत पर..?

पायल की आँखों में चमक आ जाती है. वो भाभी का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले जाती है और दोनों बैठ जाते है.

पायल : (उत्सुकता के साथ) क्या बताऊँ भाभी....आज मैंने पापा को अपनी आधी चूचियां दिखा दी...

उर्मिला : सच..!! फिर तो पापा का बुरा हाल हो गया होगा ना?

पायल : हाँ भाभी... इधर मैं अपनी चूचियां जोर जोर से हिला रही थी और उधर पापा का लंड धोती में झटके ले ले कर उच्छल रहा था...

उर्मिला : हाय...!! बाबूजी तेरी चुचियों को घुर रहे थे क्या?

पायल : हाँ भाभी...खा जाने वाली नज़रों से....मेरा तो दिल किया की अभी पापा के पास जाऊं और टॉप उठा के अपनी बड़ी बड़ी चूचियां उनके मुहँ में दे दूँ...

उर्मिला : तो दे देती ना...किसने रोका था....

उर्मिला : (पायल मुहँ बना कर) हाँ भाभी...अगली बार पापा ऐसे देखेंगे तो सच में दे दूंगी....

उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा...और बता ना क्या हुआ...?

पायल : पापा ने मेरी पसीने से भरी बगलें सूंघ ली भाभी...कह रहे थे की टॉप की बांहे खेल बिगाड़ रही है. वो पूछ रहे थे की कोई बिना बांह वाली टॉप नहीं है क्या मेरे पास...

पायल की बात सुन के उर्मिला की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है. वो धीरे से गहरी सांस लेती है तो पायल के बदन से निकलती हलकी पसीने की खुशबू सीधे उसकी नाक में घुस जाती है. "उफ़"...उर्मिला के मुहँ से निकल जाता है.

पायल : क्या हुआ भाभी..?

उर्मिला : तेरे बदन की खुशबू ही इतनी मदहोश कर देने वाली है पायल, तो तेरी बगलों की महक तो सच में किसी को भी पागल कर देगी...एक बार अपना हाथ तो उठाना...

पायल एक हाथ ऊपर उठा देती है. उर्मिला गौर से देखती है. उसकी छोटी बांह से हलके रेशमी बाल दिख रहे है और निचे का टॉप भीगा हुआ है. उर्मिला अपनी नाक पायल की बगल के पास ले जाती है और एक जोरो की सांस लेती है....

उर्मिला : आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!! तेरी बगल की गंध से मेरा ये हाल हो रहा है तो बाकी मर्दों का क्या हाल होगा. पता नहीं इसे सूंघने के बाद तेरे पापा ने अपने आप पर कैसे काबू रखा होगा...

पायल : सच भाभी..? मेरी बगल की गंद इतनी अच्छी है?

उर्मिला : अच्छी ? बहुत अच्छी है पायल.. तू एक बार किसी को सुंघा दे तो वो अपना लंड थामे तेरे पीछे पीछे चला आये...

इस बात पर दोनों हँस पड़ते है...

उर्मिला : अच्छा अब आगे का कुछ सोचा है?

पायल : पता नहीं भाभी...आप ही कुछ बताइए ना...

उर्मिला : अच्छा...करती हूँ मैं कुछ....(कुछ सोच कर) अच्छा पायल एक बात तो बता...

पायल : जी भाभी..

उर्मिला : सोनू से तेरी कभी क्यूँ नहीं बनती? हमेशा दोनों झगड़ते रहते हो?

सोनू का नाम सुनते ही पायल को गुस्सा आ जाता है.

पायल : मेरे सामने उसका नाम भी मत लीजिये भाभी... एक नंबर का गधा है वो...

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा ठीक है...गधा है वो लेकिन फिर भी तेरा सगा भाई है...

पायल : भाई है तो क्या हुआ? उस गधे से तो मैं बात भी ना करूँ...

उर्मिला : पगली...भाई बहन में तो नोक-झोंक चलती ही रहती है...अब जैसे देख, मैं और मेरा चचेरा भाई....

पायल मुस्कुराते हुए बीच में उर्मिला की बात काट देती है.

पायल : वही ना भाभी...जिसने आपकी सबसे पहले बूर खोली थी..

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा...वही...!! तो हम दोनों भी पहले बहुत झगडा करते थे लेकिन सबसे पहले मेरी बूर में उसी का लंड गया ना?

पायल : लेकिन भाभी...मैं और सोनू तो एक दुसरे को फूटीं आँख नहीं भाते...

उर्मिला : तुझे कैसे पता? हो सकता है की सोनू तेरे लिए अपना लंड थामने खड़ा हो?

पायल : धत्त भाभी...वो तो मुझसे हमेशा लड़ते रहता है...

उर्मिला : इसी लड़ाई के पीछे तो भाई का असली प्यार छुपा होता है पायल...

पायल : (कुछ सोचती है फिर कहती है) अच्छा भाभी...एक बात बताइए....आप अपने भाई के साथ बहुत चुदाई करती होगी ना?

उर्मिला : पूछ मत पायल...! स्कूल में, स्कूल से घर आते वक़्त पास के जंगल में, घर की छत पर और ना जाने कहाँ कहाँ ... जब भी जहाँ भी मौका मिलता वो मुझ पर चढ़ाई कर देता था...

पायल : उफ़ भाभी...!! (वो फिर से कुछ सोचती है) पर भाभी..! रक्षाबंधन के दिन जब आप उसकी कलाई पर राखी बांधती होगी तब तो आपको थोडा अजीब लगता होगा ना?

उर्मिल : (मुस्कुराते हुए) अजीब? पगली...!! असली मज़ा तो उसी दिन आता था...

ये सुन कर पायल की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है.

पायल : हाय राम भाभी..!! रक्षाबंधन के दिन भी, आप दोनों...

उर्मिला : हाँ पायल..रक्षाबंधन के दिन भी...और उस दिन का तो हम दोनों बेसब्री से इंतज़ार करते थे...उस दिन मैं राखी की थाली ले कर आती थी. वो निचे बैठा रहता था. घरवालों के सामने मैं उसके माथे पर टिका लगाती थी, उसकी आरती उतरती थी. फिर हम एक दुसरे को मिठाई खिलाते. मैं उसकी कलाई पर राखी बांधती और वो मेरे हाथ में ५०/- रूपए का नोट थमा देता.

ये सब पायल बड़े गौर से सुन रही थी. उसकी आँखे बड़ी और मुहँ खुला हुआ था. साँसे धीरे धीरे तेज़ हो रही थी.

पायल : और फिर भाभी....?

उर्मिला : फिर क्या ?... हम दोनों किसी बहाने से घर से निकलते. वो मुझे अपनी साइकल पर बिठा के पास के जंगल ले जाता. जंगल में वो अपनी पैंट उतरता और मैं उसके मोटे लंड पर राखी बाँध देती. फिर वो मुझ पर चढ़ाई कर देता. वो 'बहना' 'बहना' कहते हुए मेरी बूर में लंड पेलता और मैं 'भैया' भैया' कहते हुए उसका लंड बूर में लेती.

अब पायल की हालत बुरी तरह से खराब हो चुकी थी. उसकी साँसे मानो किसी तूफ़ान सी आवाजें करती हुई बाहर आ रही थी. उर्मिला उसे गौर से देखती है. उसके मन में हो रही उथल पुथल को वो अच्छी तरह से समझ रही है.

उर्मिला : क्या हुआ पायल? कहाँ खो गई?

पायल : (झेंपते हुए) कु..कु..कुछ नहीं भाभी....पर क्या सच में रक्षाबंधन के दिन भाई का लंड लेने में इतना मज़ा आता है?

उर्मिला : हाँ पायल..!! बहुत मज़ा आता है. रक्षाबंधन के दिन तो बहुत से भाई-बहन चुदाई का मज़ा लेते है. और उस दिन उनके लंड और बुरे सबसे ज्यादा पानी छोड़ते है. वैसे पायल...रक्षाबंधन तो अभी आने ही वाला है ना?

पायल : (थोड़ी शर्माते हुए) हाँ भाभी... क्यूँ ?? आपको भाई की याद आ रही है क्या?

उर्मिला : अरे उसे तो मैं रोज ही याद करती हूँ. मैं तो ये सोच रही थी की अपने भाई से एक बार मिल ही आऊ. इसी बहाने रक्षाबंधन भी मना लुंगी.

उर्मिला की बात सुन के पायल पहले खुश हो जाती है फिर कुछ कर उदास हो जाती है.

पायल : मतलब भाभी आप इस बार रक्षाबंधन पर यहाँ नहीं रहोगे?

उर्मिला : अब भाई के घर रक्षाबंधन मनाने जाउंगी तो यहाँ कैसे रहूंगी....

पायल : (उदास सा चेहरा बनाते हुए)...उम्म्म्म भाभी...!! मैं अकेली पड़ जाउंगी यहाँ...

उर्मिला : हम्म...!! एक रास्ता है...लेकिन पता नहीं तुझे अच्छा लगेगा या नहीं...

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी.. बोलिए ना...

उर्मिला : तू भी मेरे साथ चल...मेरे भाई के घर....

पायल : हाँ भाभी ...मैं भी चलूंगी आपके साथ...

उर्मिला : लेकिन पायल... रक्षाबंधन का दिन होगा तो सोनू को भी साथ ले कर चलना पड़ेगा...(पायल की आँखों में देखते हुए) और तुझे भी तो उसे राखी बांधनी होगी ना..?

उर्मिला की बात सुन कर पायल शर्मा के नज़रे झुका लेती है है. फिर मुहँ बनाते हुए कहती है.

पायल : (मुहँ बना के) ठीक है भाभी...सोनू को भी साथ ले चलेंगे...

उर्मिला : फिर ठीक है...मेरे भाई के घर में बहुत से कमरे है. तू सोनू के साथ जहाँ चाहे वहां रक्षाबंधन मना लेना...

पायल : धत्त भाभी...!! (और अपना सर उर्मिला के सीने में छुपा लेती है)

उर्मिला : (पायल की ठोड़ी उठा के आँखों में देखते हुए) बोल पायल...!! सोनू के साथ रक्षाबंधन मनाएगी?

पायल : (धीरे से ) हाँ...मनाउंगी...

उर्मिला : और राखी कहाँ बांधेगी ?

पायल : (अपने ओंठ काट लेती है).... उसके लंड पर...!!

ये कहते ही पायल दौड़ के बाथरूम में घुस जाती है और दरवाज़ा बंद कर लेती है. उर्मिला हंसने लगती है. "उस बेहनचोद सोनू का भी काम बन गया. साला चूतिया कहीं रक्षाबंधन के दिन अपनी दीदी को देखते ही पानी ना छोड़ दे". मन में सोचते हुए पायल वहां से चली जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bhabhi ho tho aysee,
 
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