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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
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Mastrani

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आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
पिछले अपडेट को पूरा करने के बाद जो अगला अपडेट आएगा वो शायद बहुत से पाठकों के दिल और लंड दोनों को ठंडक पहुंचाएगा.
जो लोग 'Groping' और 'माँ-बेटा' को पसंद करते है, तैयार रहिये.

-मस्तरानी
 

Mafiadon

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wow! phew! ah!! this one was extremely erotic and sensual.
Every moments of your writing is highly erotic Mastraniji
you really know where to press hard on the readers pulse you cunning writer!
all the little moments you mentioned along the update between dad and tdaughter are very interestingly written and narrated and it is really dick raises just by reading those parts which makes you successful with what you wanted to convey to us.
wonderful update dear , hats off and keep it going my dear.
:applause: :applause: :applause: :applause: :applause: :applause: :applause:
 
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Mastrani

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पीछे अपडेट का अगला हिस्सा बस १० मिनट में.

-मस्तरानी
 
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Mastrani

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अपडेट २२.५:

उर्मिला : आह्ह्हह्ह....बाबूजी..!! बहुत मोटा है आपका....

रमेश : तुम्हारी बूर भी कमाल की है बहु. कसी हुई है फिर भी पूरा अन्दर तक ले रही है....बहुत मजा देगी....

उर्मिला : (कसमसाते हुए) आह्ह्हह्ह...!! और अन्दर डालिए बाबूजी....उई माँ.....!!

रमेश : उफ़ बहु....!! मेरा बस चले तो मैं लंड के साथ-साथ अपनी दोनों गोटियाँ भी अन्दर डाल दूँ बहु....पर फिलहाल मेरे लंड से ही काम चला लो....

रमेश उर्मिला की दोनों टांगों को पकड़ कर मोड़ देते है और उर्मिला के सीना पर लगा देते है. उर्मिला की बूर अब बाबूजी के लंड के निचे अच्छी तरह से आ जाती है. बाबूजी लंड निकाल कर, उर्मिला की टाँगे पकडे हुए अपने घुटनों को मोड़ कर उसकी चुतड के पास बैठ जाते है. कमर उठा के बाबूजी अपना मोटा लंड उर्मिला की बूर पर रखते है. उर्मिला भी अब अपने पैरों को पकड़ के अपनी छाती से चिपका लेती है. बाबूजी भी थोडा सामने आते हुए उर्मिला की बूर के ठीक ऊपर अपने लंड को निचे किये हुए उसकी बूर पर रख देते है. एक हाथ उर्मिला की जांघ पर और दूसरा हाथ अपनी कमर पर रख कर रमेश अपनी कमर निचे करते है तो उनका लंड उर्मिला की बूर की गहराई में फिसलता हुआ घुस जाता है. २-३ बार रमेश ऐसे ही उर्मिला की बूर में धीरे-धीरे लंड घुसाते है फिर तेज़ रफ़्तार पकड़ लेते है. रमेश का लंड उर्मिला की बूर में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है.

पायल इस द्रिश्य को बड़े ध्यान से देख रही है. उसे देखने में ऐसा लग रहा है की उर्मिला बिस्तर अपर अपनी टाँगे मोड़ कर छाती से लगाए लेटी है और उसकी बूर पर बाबूजी जोर-जोर से दंड पेल रहे हैं. हर दंड पर एक जोरो की 'ठप्प' की आवाज़ आ रही है और कभी-कभी तो वो आवाज़ इतनी तेज़ हो जाती की पायल अपने सीने पर हाथ रख कर दिल की धडकनों को काबू करने की कोशिश करने लगती. उर्मिला की ऐसी घमासान चुदाई देख कर पायल सोचने लगी की कहीं भाभी को तकलीफ तो नहीं हो रही है? पापा जिस तरह से अपने गधे जैसे मोटे लंड को भाभी की बूर में पेल रहे है, कहीं भाभी को दर्द तो नहीं हो रहा है? तभी उर्मिला की आवाज़ ने उसके सारे सवालों के जवाब दे दिए....

उर्मिला : आह्ह्ह्ह.....!! बाबूजी...और जोर से चोदीये मेरी बूर....!! आपको देख कर बहुत पानी छोड़ती थी ये कामिनी....अच्छे से सबक सिखाइए इसे...आह...!!

उर्मिला द्वारा बाबूजी को दी गई इस ललकार ने तो मानो पायल को दिन में तारे ही दिखा दिए. "इतने मोटे तगड़े लंड को बूर में ले कर भाभी मजा ले रही है? दर्द का तो नामोनिशान भी नहीं है भाभी के चेहरे पर. उफ़ पापा..!! मैंने क्यूँ मन कर दिया आपका लंड लेने से....", पायल को अब अपने उस फैसले पर तरस आ रहा था. लेकिन इस बात की ख़ुशी भी थी की भाभी को पापा पूरा मजा दे रहे थे.

रमेश : हाँ बहु...आज तेरी बूर को अच्छे से सबक सिखाऊंगा. बहुत खुजली होती है ना इसे? आज इसकी सारी खुलजी मिटा दूंगा.

उर्मिला : हाँ बाबूजी...आह..!! सारी खुलजी मिटा दीजिये इसकी....

रमेश उर्मिला की बूर में सटा-सटा लंड पेलता हुआ....

रमेश : तुम्हे याद है बहु...जब हम पहली बार तुम्हे देखने तुम्हारे घर आये थे..?

उर्मिला : आह्ह्ह..!! हाँ बाबूजी याद है....आपने उस दिन गेरुयें रंग का कुरता और धोती पहनी हुई थी....अहह...!!

रमेश : हाँ बहु....!! जब तुम्हे पहली बार देखा था तब ही सोच लिया था की यही मेरे घर की बहु बनेगी...और जब तुम मुझे चाय देने के लिए झुकी थी और मैंने तुम्हारे बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई देख ली थी तब मेरा इरादा और भी पक्का हो गया था.

उर्मिला : याद है मुझे बाबूजी...आप कैसे मेरी गहराई में घूरे जा रहे थे और मैं शर्म से पानी-पानी हो गई थी. आपकी धोती में वो हलचल देख कर ही मैं समझ गई थी की ससुराल में पति का सुख मिले ना मिले, ससुर का सुख एक दिन जरूर मिलेगा....आह्ह्ह्ह...!!

रमेश : हाँ बहु...उस दिन घर आने के बाद मैंने तुम्हारी याद में अपना लंड बहुत मुठीआया था...

उर्मिला : ओह बाबूजी....सच कहूँ तो उस रात मैंने भी आपको याद कर अपनी बूर में मोटा बैगन खूब चलाया था....

उर्मिला की बात सुन कर रमेश के लंड एकदम से फड़फड़ाने लगता है. एक बार उनके मुहँ से, "ओह...बहु..!!", निकलता है और उनका का लंड उर्मिला की बूर में और भी तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है. देखने में ऐसा लग रहा है जैसे किसी कपडे पर सिलाई की मशीन चल रही हो, जिसकी सुई लगातार कपडे में छेद करती हुई अन्दर-बाहर हो रही है. पायल धीरे से बाबूजी के पीछे जा कर बैठ जाती है. निचे झुक कर जब वो रमेश के लंड को इतनी तेज़ी से उर्मिला की बूर में अन्दर-बाहर होते हुए देखती है तो उसकी साँसे ही रुक जाती है. पास जा कर वो बड़े ध्यान से ये नज़ारा देखने लगती है. रमेश के मोटे लंड से उर्मिला के बूर के ओंठ पूरे फ़ैल चुके थे. बूर के फैले हुए ओंठों ने रमेश के लंड को गोलाई में जकड़ा हुआ था. रमेश का मोटा लंड जब भी उर्मिला की बूर में जाता, सफ़ेद झाग के साथ कुछ छोटे-छोटे बुलबुले बूर के ओंठो पर उभर आते. पायल देखती है की बीच-बीच में पापा की गांड के दोनों पट आपस में भींच जाते और उनका पिछवाड़ा कस जाता. अपनी गांड को भींचे और पिछवाड़े को कसे हुए रमेश अपनी कमर को उर्मिला की जाँघों के बीच जोर से दबा देते और वैसे ही दबाव बनाये रखते. तब उनका लंड उर्मिला की बूर में पूरा जड़ तक घुस जाता. बूर के फैले हुए ओंठों पर रमेश की गोटियाँ दब कर चिपक जाती और बूर से सफ़ेद चिपचिपा पानी झाग के साथ बहने लगता. कुछ क्षण रमेश वैसे ही अपने लंड को दबाये रखते और फिर कमर उठा के एक जोर की ठाप बूर पर मार देते.

ऐसी घमासान चुदाई देखना तो दूर, पायल ने कभी किसी से सुनी भी नहीं थी. आज उसके अपने पापा घर की बहु को पटक-पटक कर बुरी तरह से उसकी चुदाई कर रहे थे. उसकी अपनी भाभी ससुर का लंड बूर में ठूँसवा के मजे ले रही थी. अपने ही परिवार में लंड और बूर का ये संगम देख कर पायल से अब रहा नहीं जा रहा था. वो धीरे से खड़ी होती है और बाबूजी के सामने जा कर अपने दोनों पैरो को उर्मिला के सर के दोनों तरफ रख कर खड़ी हो जाती है. बाबूजी नज़रे आगे करते है तो सामने पायल के जांघो के बीच उसकी बालोवाली बूर पानी छोड़ते हुए दिखाई देती है. रमेश नज़रे उठा कर पायल को देखते है तो वो अपने ओठों को काटते हुए खड़ी है. बाबूजी पायल को देखते हुए एक बार अपनी जीभ निकाल कर हवा में घुमा देते है तो पायल झट से अपने घुटनों को मोडे पीछे की तरफ झुक जाती है और दोनों हाथों को उर्मिला के सर के इर्द-गिर्द रख कर बाबूजी के सामने अपनी टाँगे खोल देती है. बाबूजी भी बिना कोई समय गवाएँ अपनी मोटी जीभ पायल की बूर में ठूँस देते है. रमेश जब अपनी जीभ पायल की बूर में गोल-गोल गुमाने शुरू करते है तो पायल आँखे बंद किये अपनी कमर को धीरे-धीरे ऊपर निचे करने लगती है.

उर्मिला भी बाबूजी का लंड अपनी बूर में पेलवाते हुए हुए पायल को देखती है तो धीरे से एक ऊँगली में थूक लगा कर उसकी चूतड़ों के बीच घुसा देती है जो पायल के छेद में हलकी सी घुस जाती है. पायल के मुहँ से , "उई माँ भाभी...!!", निकल जाता है. आगे रमेश उसकी बूर में जीभ ठूँस रहे है और निचे से भाभी चुतड के छेद में ऊँगली. इस नए अनुभव से पायल के तन बदन में आग लग जाती है.

पायल : उई माँ....सीईई....!!

उर्मिला : क्या हुआ पायल रानी? शादी हो कर ससुराल जाएगी तो वहां भी ऐसे ही 'डबल ड्यूटी' करनी पड़ेगी....

रमेश : ये क्या कह रही हो उर्मिला? मेरी प्यारी बिटिया ससुराल में 'डबल ड्यूटी' करेगी? तुमने मेरी पायल को ऐसी-वैसी समझ रखा है? ये तो ससुराल में 'चौकड़ी ड्यूटी' करेगी, 'चौकड़ी'...!!

और रमेश अपनी जीभ पायल की बूर में जोर से घुमा देते है. उर्मिला और पापा की बात से पायल पूरे जोश में आ जाती है. अपनी कमर को धीरे-धीरे गोल गोल घुमाते हुए पायल कहती है..

पायल : हाँ पापा...!! मैं 'चौकड़ी ड्यूटी' करुँगी ससुराल में.....आह्ह्ह...!!

उर्मिला : कैसे करेगी मेरी बन्नो 'चौकड़ी ड्यूटी' जरा वो भी तो बता...

पायल : (मस्ती में) एक आगे, एक पीछे...आह...!! और दो मेरे मुहँ पर...आह्ह्ह्हह्ह....!!

अपनी बेटी के मुहँ से ऐसी बात सुन कर रमेश को जोश आ जाता है. वो एक बार अच्छे से पायल की बूर को चाट लेते है फिर उर्मिला को उठ कर उनसे चिपक जाने का इशारा करते है. पायल भी वो इशारा समझ जाती है और एक तरफ खड़ी हो जाती है. उर्मिला अपने दोनों पैरों से बाबूजी की कमर को कास लेती है और अपनी दोनों बाहें उनके गले में डाल देती है. रमेश वैसे ही उर्मिला को जकड़े हुए बिस्तर पर खड़े हो जाते है. रमेश का लंड अब भी उर्मिला की बूर में धंसा हुआ है और उर्मिला उनसे लिपटी हुई है. अपने कमर को हिलाते हुए रमेश उर्मिला को गोद में उठाये उसकी की बूर की चुदाई करते हुए पास की खिड़की तक जाते है. खुली हुई खिड़की से बाहार देखते हुए रमेश कहते है.

रमेश : बहु...जरा बाहर देखो तो...कोई हट्टा-कट्ठा मर्द दिख रहा है?

उर्मिला बाबूजी का इशारा समझ जाती है. वो सर घुमा के खिड़की से बाहर देखने लगती है. सड़क के उस पार उसे ३-४ हट्टे-कट्ठे मर्द दिखाई देते है जो एक छोटी सी दूकान पर चाय की चुस्की ले रहे है. उर्मिला एक बार अच्छे से उन मर्दों को देखती है फिर सर बाबूजी की तरफ घुमा के अपने ओंठ काट लेती है. बाबूजी उर्मिला का इशारा समझ जाते है. अपने लंड को जोर के झटके से उर्मिला की बूर में ठेलते हुए बाबूजी कहते है.

रमेश : आह्ह्ह...!! तो मेरी बहु को ३-४ मोटे लंड चाहिए वो भी एक साथ...बहुत गरम है मेरी बहुरानी...

रमेश उर्मिला को वैसे ही गोद में उठाये कमरे में चलते हुए चोदने लगते है. उर्मिला भी अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेटे हुए और बाहों को उनके गले में डाले लंड पर उच्छल रही है. पायल ये नज़ारा आँखे फाड़-फाड़ के देख रही है. भाभी की वो 'डबल ड्यूटी', पापा की वो 'चौकड़ी ड्यूटी' और '३-४' मर्दों से चुदवाने वाली बात ने पायल की बूर में आग लगा थी. जिस लड़की ने अब तक एक भी लंड नहीं लिया था वो ३-४ लंड के सपने देखने लगी थी. अपने सपनो की दुनिया में खोई पायल की नज़र जैसे ही खिड़की पर जाती है, सामने एक गाड़ी आती हुई दिखाई देती है. उस गाड़ी को पहचानते ही वो चिल्ला उठती है...

पायल : पापा...!! भाभी...!! मम्मी और सोनू आ गए...!!

रमेश और उर्मिला दोनों ही पायल की बात सुन कर उच्छल जाते है. रमेश झट से उर्मिला को बिस्तर पर पटक देते है और उर्मिला अपनी टाँगे खोल देती है. रमेश उसकी बूर में लंड ठूँस कर उसकी जम कर चुदाई करने लगते है. एक मिनट से भी कम समय में ५०-६० धाके मारने के बाद रमेश अपनी कमर कस कर उर्मिला की जन्घो के बीच दबा देते है. उनके लंड से गाड़ा सफ़ेद पानी किसी बाढ़ की तरह उर्मिला की बच्चेदानी में बहने लगता है. अपनी टाँगे बाबूजी की कमर पर कसे हुए उर्मिला दोनों हाथों से बाबूजी की गांड को दबा देती है. लंड की एक-एक बूँद उर्मिला की बूर की गहराई में गिरने लगती है. अपना पूरा लंड उर्मिला की बूर में खाली कर रमेश झट से उठते है और कुरता पहनने लगते है. उर्मिला और पायल झट से अपनी-अपनी छोटी सी नाईटी हाथ में लिए जल्दी-जल्दी कमरे से बाहर जाने लगती है.

धोती पहनते हुए रमेश पायल की हिलती हुई चुतड को पीछे से देखते है. बेटी का नंगा बदन, हाथ में छोटी सी नाईटी और वो हिलती हुई चुतड देख कर रमेश मन में सोचते है, "हाय पायल...!! एक दिन तेरी भी ऐसी ही चुदाई करूँगा. एक दिन तू मेरे मोटे लंड पर 'पापा...पापा' कहती हुई उच्छालेगी".

तभी रमेश को घर का गेट खुलने की आवाज़ आती है और वो धीरे-धीरे बाहर की जाने लगते है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 

Vijay Sharma

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अपडेट २२.५:

उर्मिला : आह्ह्हह्ह....बाबूजी..!! बहुत मोटा है आपका....

रमेश : तुम्हारी बूर भी कमाल की है बहु. कसी हुई है फिर भी पूरा अन्दर तक ले रही है....बहुत मजा देगी....

उर्मिला : (कसमसाते हुए) आह्ह्हह्ह...!! और अन्दर डालिए बाबूजी....उई माँ.....!!

रमेश : उफ़ बहु....!! मेरा बस चले तो मैं लंड के साथ-साथ अपनी दोनों गोटियाँ भी अन्दर डाल दूँ बहु....पर फिलहाल मेरे लंड से ही काम चला लो....

रमेश उर्मिला की दोनों टांगों को पकड़ कर मोड़ देते है और उर्मिला के सीना पर लगा देते है. उर्मिला की बूर अब बाबूजी के लंड के निचे अच्छी तरह से आ जाती है. बाबूजी लंड निकाल कर, उर्मिला की टाँगे पकडे हुए अपने घुटनों को मोड़ कर उसकी चुतड के पास बैठ जाते है. कमर उठा के बाबूजी अपना मोटा लंड उर्मिला की बूर पर रखते है. उर्मिला भी अब अपने पैरों को पकड़ के अपनी छाती से चिपका लेती है. बाबूजी भी थोडा सामने आते हुए उर्मिला की बूर के ठीक ऊपर अपने लंड को निचे किये हुए उसकी बूर पर रख देते है. एक हाथ उर्मिला की जांघ पर और दूसरा हाथ अपनी कमर पर रख कर रमेश अपनी कमर निचे करते है तो उनका लंड उर्मिला की बूर की गहराई में फिसलता हुआ घुस जाता है. २-३ बार रमेश ऐसे ही उर्मिला की बूर में धीरे-धीरे लंड घुसाते है फिर तेज़ रफ़्तार पकड़ लेते है. रमेश का लंड उर्मिला की बूर में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है.

पायल इस द्रिश्य को बड़े ध्यान से देख रही है. उसे देखने में ऐसा लग रहा है की उर्मिला बिस्तर अपर अपनी टाँगे मोड़ कर छाती से लगाए लेटी है और उसकी बूर पर बाबूजी जोर-जोर से दंड पेल रहे हैं. हर दंड पर एक जोरो की 'ठप्प' की आवाज़ आ रही है और कभी-कभी तो वो आवाज़ इतनी तेज़ हो जाती की पायल अपने सीने पर हाथ रख कर दिल की धडकनों को काबू करने की कोशिश करने लगती. उर्मिला की ऐसी घमासान चुदाई देख कर पायल सोचने लगी की कहीं भाभी को तकलीफ तो नहीं हो रही है? पापा जिस तरह से अपने गधे जैसे मोटे लंड को भाभी की बूर में पेल रहे है, कहीं भाभी को दर्द तो नहीं हो रहा है? तभी उर्मिला की आवाज़ ने उसके सारे सवालों के जवाब दे दिए....

उर्मिला : आह्ह्ह्ह.....!! बाबूजी...और जोर से चोदीये मेरी बूर....!! आपको देख कर बहुत पानी छोड़ती थी ये कामिनी....अच्छे से सबक सिखाइए इसे...आह...!!

उर्मिला द्वारा बाबूजी को दी गई इस ललकार ने तो मानो पायल को दिन में तारे ही दिखा दिए. "इतने मोटे तगड़े लंड को बूर में ले कर भाभी मजा ले रही है? दर्द का तो नामोनिशान भी नहीं है भाभी के चेहरे पर. उफ़ पापा..!! मैंने क्यूँ मन कर दिया आपका लंड लेने से....", पायल को अब अपने उस फैसले पर तरस आ रहा था. लेकिन इस बात की ख़ुशी भी थी की भाभी को पापा पूरा मजा दे रहे थे.

रमेश : हाँ बहु...आज तेरी बूर को अच्छे से सबक सिखाऊंगा. बहुत खुजली होती है ना इसे? आज इसकी सारी खुलजी मिटा दूंगा.

उर्मिला : हाँ बाबूजी...आह..!! सारी खुलजी मिटा दीजिये इसकी....

रमेश उर्मिला की बूर में सटा-सटा लंड पेलता हुआ....

रमेश : तुम्हे याद है बहु...जब हम पहली बार तुम्हे देखने तुम्हारे घर आये थे..?

उर्मिला : आह्ह्ह..!! हाँ बाबूजी याद है....आपने उस दिन गेरुयें रंग का कुरता और धोती पहनी हुई थी....अहह...!!

रमेश : हाँ बहु....!! जब तुम्हे पहली बार देखा था तब ही सोच लिया था की यही मेरे घर की बहु बनेगी...और जब तुम मुझे चाय देने के लिए झुकी थी और मैंने तुम्हारे बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई देख ली थी तब मेरा इरादा और भी पक्का हो गया था.

उर्मिला : याद है मुझे बाबूजी...आप कैसे मेरी गहराई में घूरे जा रहे थे और मैं शर्म से पानी-पानी हो गई थी. आपकी धोती में वो हलचल देख कर ही मैं समझ गई थी की ससुराल में पति का सुख मिले ना मिले, ससुर का सुख एक दिन जरूर मिलेगा....आह्ह्ह्ह...!!

रमेश : हाँ बहु...उस दिन घर आने के बाद मैंने तुम्हारी याद में अपना लंड बहुत मुठीआया था...

उर्मिला : ओह बाबूजी....सच कहूँ तो उस रात मैंने भी आपको याद कर अपनी बूर में मोटा बैगन खूब चलाया था....

उर्मिला की बात सुन कर रमेश के लंड एकदम से फड़फड़ाने लगता है. एक बार उनके मुहँ से, "ओह...बहु..!!", निकलता है और उनका का लंड उर्मिला की बूर में और भी तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है. देखने में ऐसा लग रहा है जैसे किसी कपडे पर सिलाई की मशीन चल रही हो, जिसकी सुई लगातार कपडे में छेद करती हुई अन्दर-बाहर हो रही है. पायल धीरे से बाबूजी के पीछे जा कर बैठ जाती है. निचे झुक कर जब वो रमेश के लंड को इतनी तेज़ी से उर्मिला की बूर में अन्दर-बाहर होते हुए देखती है तो उसकी साँसे ही रुक जाती है. पास जा कर वो बड़े ध्यान से ये नज़ारा देखने लगती है. रमेश के मोटे लंड से उर्मिला के बूर के ओंठ पूरे फ़ैल चुके थे. बूर के फैले हुए ओंठों ने रमेश के लंड को गोलाई में जकड़ा हुआ था. रमेश का मोटा लंड जब भी उर्मिला की बूर में जाता, सफ़ेद झाग के साथ कुछ छोटे-छोटे बुलबुले बूर के ओंठो पर उभर आते. पायल देखती है की बीच-बीच में पापा की गांड के दोनों पट आपस में भींच जाते और उनका पिछवाड़ा कस जाता. अपनी गांड को भींचे और पिछवाड़े को कसे हुए रमेश अपनी कमर को उर्मिला की जाँघों के बीच जोर से दबा देते और वैसे ही दबाव बनाये रखते. तब उनका लंड उर्मिला की बूर में पूरा जड़ तक घुस जाता. बूर के फैले हुए ओंठों पर रमेश की गोटियाँ दब कर चिपक जाती और बूर से सफ़ेद चिपचिपा पानी झाग के साथ बहने लगता. कुछ क्षण रमेश वैसे ही अपने लंड को दबाये रखते और फिर कमर उठा के एक जोर की ठाप बूर पर मार देते.

ऐसी घमासान चुदाई देखना तो दूर, पायल ने कभी किसी से सुनी भी नहीं थी. आज उसके अपने पापा घर की बहु को पटक-पटक कर बुरी तरह से उसकी चुदाई कर रहे थे. उसकी अपनी भाभी ससुर का लंड बूर में ठूँसवा के मजे ले रही थी. अपने ही परिवार में लंड और बूर का ये संगम देख कर पायल से अब रहा नहीं जा रहा था. वो धीरे से खड़ी होती है और बाबूजी के सामने जा कर अपने दोनों पैरो को उर्मिला के सर के दोनों तरफ रख कर खड़ी हो जाती है. बाबूजी नज़रे आगे करते है तो सामने पायल के जांघो के बीच उसकी बालोवाली बूर पानी छोड़ते हुए दिखाई देती है. रमेश नज़रे उठा कर पायल को देखते है तो वो अपने ओठों को काटते हुए खड़ी है. बाबूजी पायल को देखते हुए एक बार अपनी जीभ निकाल कर हवा में घुमा देते है तो पायल झट से अपने घुटनों को मोडे पीछे की तरफ झुक जाती है और दोनों हाथों को उर्मिला के सर के इर्द-गिर्द रख कर बाबूजी के सामने अपनी टाँगे खोल देती है. बाबूजी भी बिना कोई समय गवाएँ अपनी मोटी जीभ पायल की बूर में ठूँस देते है. रमेश जब अपनी जीभ पायल की बूर में गोल-गोल गुमाने शुरू करते है तो पायल आँखे बंद किये अपनी कमर को धीरे-धीरे ऊपर निचे करने लगती है.

उर्मिला भी बाबूजी का लंड अपनी बूर में पेलवाते हुए हुए पायल को देखती है तो धीरे से एक ऊँगली में थूक लगा कर उसकी चूतड़ों के बीच घुसा देती है जो पायल के छेद में हलकी सी घुस जाती है. पायल के मुहँ से , "उई माँ भाभी...!!", निकल जाता है. आगे रमेश उसकी बूर में जीभ ठूँस रहे है और निचे से भाभी चुतड के छेद में ऊँगली. इस नए अनुभव से पायल के तन बदन में आग लग जाती है.

पायल : उई माँ....सीईई....!!

उर्मिला : क्या हुआ पायल रानी? शादी हो कर ससुराल जाएगी तो वहां भी ऐसे ही 'डबल ड्यूटी' करनी पड़ेगी....

रमेश : ये क्या कह रही हो उर्मिला? मेरी प्यारी बिटिया ससुराल में 'डबल ड्यूटी' करेगी? तुमने मेरी पायल को ऐसी-वैसी समझ रखा है? ये तो ससुराल में 'चौकड़ी ड्यूटी' करेगी, 'चौकड़ी'...!!

और रमेश अपनी जीभ पायल की बूर में जोर से घुमा देते है. उर्मिला और पापा की बात से पायल पूरे जोश में आ जाती है. अपनी कमर को धीरे-धीरे गोल गोल घुमाते हुए पायल कहती है..

पायल : हाँ पापा...!! मैं 'चौकड़ी ड्यूटी' करुँगी ससुराल में.....आह्ह्ह...!!

उर्मिला : कैसे करेगी मेरी बन्नो 'चौकड़ी ड्यूटी' जरा वो भी तो बता...

पायल : (मस्ती में) एक आगे, एक पीछे...आह...!! और दो मेरे मुहँ पर...आह्ह्ह्हह्ह....!!

अपनी बेटी के मुहँ से ऐसी बात सुन कर रमेश को जोश आ जाता है. वो एक बार अच्छे से पायल की बूर को चाट लेते है फिर उर्मिला को उठ कर उनसे चिपक जाने का इशारा करते है. पायल भी वो इशारा समझ जाती है और एक तरफ खड़ी हो जाती है. उर्मिला अपने दोनों पैरों से बाबूजी की कमर को कास लेती है और अपनी दोनों बाहें उनके गले में डाल देती है. रमेश वैसे ही उर्मिला को जकड़े हुए बिस्तर पर खड़े हो जाते है. रमेश का लंड अब भी उर्मिला की बूर में धंसा हुआ है और उर्मिला उनसे लिपटी हुई है. अपने कमर को हिलाते हुए रमेश उर्मिला को गोद में उठाये उसकी की बूर की चुदाई करते हुए पास की खिड़की तक जाते है. खुली हुई खिड़की से बाहार देखते हुए रमेश कहते है.

रमेश : बहु...जरा बाहर देखो तो...कोई हट्टा-कट्ठा मर्द दिख रहा है?

उर्मिला बाबूजी का इशारा समझ जाती है. वो सर घुमा के खिड़की से बाहर देखने लगती है. सड़क के उस पार उसे ३-४ हट्टे-कट्ठे मर्द दिखाई देते है जो एक छोटी सी दूकान पर चाय की चुस्की ले रहे है. उर्मिला एक बार अच्छे से उन मर्दों को देखती है फिर सर बाबूजी की तरफ घुमा के अपने ओंठ काट लेती है. बाबूजी उर्मिला का इशारा समझ जाते है. अपने लंड को जोर के झटके से उर्मिला की बूर में ठेलते हुए बाबूजी कहते है.

रमेश : आह्ह्ह...!! तो मेरी बहु को ३-४ मोटे लंड चाहिए वो भी एक साथ...बहुत गरम है मेरी बहुरानी...

रमेश उर्मिला को वैसे ही गोद में उठाये कमरे में चलते हुए चोदने लगते है. उर्मिला भी अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेटे हुए और बाहों को उनके गले में डाले लंड पर उच्छल रही है. पायल ये नज़ारा आँखे फाड़-फाड़ के देख रही है. भाभी की वो 'डबल ड्यूटी', पापा की वो 'चौकड़ी ड्यूटी' और '३-४' मर्दों से चुदवाने वाली बात ने पायल की बूर में आग लगा थी. जिस लड़की ने अब तक एक भी लंड नहीं लिया था वो ३-४ लंड के सपने देखने लगी थी. अपने सपनो की दुनिया में खोई पायल की नज़र जैसे ही खिड़की पर जाती है, सामने एक गाड़ी आती हुई दिखाई देती है. उस गाड़ी को पहचानते ही वो चिल्ला उठती है...

पायल : पापा...!! भाभी...!! मम्मी और सोनू आ गए...!!

रमेश और उर्मिला दोनों ही पायल की बात सुन कर उच्छल जाते है. रमेश झट से उर्मिला को बिस्तर पर पटक देते है और उर्मिला अपनी टाँगे खोल देती है. रमेश उसकी बूर में लंड ठूँस कर उसकी जम कर चुदाई करने लगते है. एक मिनट से भी कम समय में ५०-६० धाके मारने के बाद रमेश अपनी कमर कस कर उर्मिला की जन्घो के बीच दबा देते है. उनके लंड से गाड़ा सफ़ेद पानी किसी बाढ़ की तरह उर्मिला की बच्चेदानी में बहने लगता है. अपनी टाँगे बाबूजी की कमर पर कसे हुए उर्मिला दोनों हाथों से बाबूजी की गांड को दबा देती है. लंड की एक-एक बूँद उर्मिला की बूर की गहराई में गिरने लगती है. अपना पूरा लंड उर्मिला की बूर में खाली कर रमेश झट से उठते है और कुरता पहनने लगते है. उर्मिला और पायल झट से अपनी-अपनी छोटी सी नाईटी हाथ में लिए जल्दी-जल्दी कमरे से बाहर जाने लगती है.

धोती पहनते हुए रमेश पायल की हिलती हुई चुतड को पीछे से देखते है. बेटी का नंगा बदन, हाथ में छोटी सी नाईटी और वो हिलती हुई चुतड देख कर रमेश मन में सोचते है, "हाय पायल...!! एक दिन तेरी भी ऐसी ही चुदाई करूँगा. एक दिन तू मेरे मोटे लंड पर 'पापा...पापा' कहती हुई उच्छालेगी".

तभी रमेश को घर का गेट खुलने की आवाज़ आती है और वो धीरे-धीरे बाहर की जाने लगते है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Shandaar chudai bhara update mastrani ji maza aa gaya.........
 

Lutgaya

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