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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Mastrani

Member
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Incest + adultery me maja ni aatA aage aap jaisa soche.

अगर आप छेदी को ले कर चिंतित है तो निश्चिन्त रहें. उसका किरदार सिर्फ कहानी हो दिशा ही देगा.
मेरी कहानियों में चाहे कितने भी किरदार आ जाएँ, इन्सेस्ट के रास्ते से ये कभी नहीं भटकेगी.

-मस्तरानी
 

Raj_Singh

Banned
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अपडेट २३.५ :

शाम के ७:४५ बज रहे थे. मोतीचूर के लड्डू का चढ़ावा चढ़ा कर रमेश, उर्मिला और पायल मंदिर से निकल कर गाड़ी के पास जा रहे है.

रमेश : ७:४५ हो गए है बहु. घर पहुँचते-पहुँचते ९ तो हो ही जायेंगे.

उर्मिला : हाँ बाबूजी...अब तो रास्ते में ज्यादा भीड़ भी नहीं होगी. हो सकता है और भी जल्दी पहुँच जाये...

पायल : हाँ पापा...रास्ता खाली होगा तो आप गाड़ी तेज़ चलाइयेगा...

उर्मला : हाँ बाबूजी...! पायल रहेगी ना आगे वाली सीट पर आपका 'गियर' बदलने के लिए...

उर्मिला की बात सुनकर पायल शर्मा जाती है, रमेश और उर्मिला जोर-जोर से हँसने लगते है. तीनो गाड़ी के पास पहुँचते है तभी कुछ देख कर रमेश का दिमाग घूम जाता है.

रमेश : धत्त तेरी की..!! इसे भी अभी ही होना था...

पायल : क्या हुआ पापा?

रमेश : (गाड़ी के पहिये की तरफ इशारा करते हुए) ये देखो बेटी....गाड़ी का टायर पंक्चर हुआ पड़ा है.

उर्मिला : हे भगवान बाबूजी...!! अब क्या करें?

रमेश : गाड़ी में स्टेपनी भी नहीं है बहु. सोनू को कितनी बार कहा था की जब कभी भी गाड़ी निकाले पंक्चर वाले के यहाँ से स्टेपनी उठा लेना. गधा किसी की सुने तब तो...

पायल : पर पापा अब क्या करेंगे हम लोग?

रमेश : रुको बेटा...मैं देखता हूँ. शायद कोई पंक्चर वाला मिल जाए. तुम दोनों यहीं रुको, मैं अभी आता हूँ.

रमेश पंक्चर वाले को देखने निकल पड़ते है. गाड़ी के पास उर्मिला और पायल खड़े है. एक दुसरे का उतरा हुआ चेहरा देखते हुए दोनों उस पंक्चर हुए टायर को कोसने लगते है.

उर्मिला : इस मुए की भी हवा अभी ही निकालनी थी.

उर्मिला की इस बात पर पायल को हंसी आ जाती है. तभी एक मनचला घूमता हुआ वहां से गुजरता है. उर्मिला और पायल को अकेला देख कर वो धीरे-धीरे उनके करीब आता है. थोड़ी दूर पर खड़े हो कर वो दोनों की मदमस्त जवानी को ऊपर से निचे तक निहारने लगता है. उर्मिला जब उसे देखती है तो अपनी कोहिनी पायल के हाथ पर मारते हुए उस मनचले की तरफ इशारा करती है. उर्मिला के इशारे पर पायल सामने देखती है तो एक सावंला सा दुबला पतला आदमी, जिसकी उम्र २८-३० साल तक होगी, गले में रुमाल डाले और मुहँ में पतली सी लकड़ी फ़साये मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देख रहा है. पायल जैसे ही उस आदमी की तरफ देखती है वो झट से अपना हाथ छाती पर रख कर दिल थामने के अंदाज़ में राजेश खन्ना की स्टाइल में सर हिलाने लगता है. पायल उर्मिला की तरफ घुमती है और दोनों मुहँ पर हाथ रखे हँसने लगती है. वो आदमी दोनों के हँसने से प्रोत्साहीत हो जाता है और उनके पास आ कर खड़ा हो जाता है. पास खड़ी गाड़ी पर अराम से हाथ रख कर और एक पैर को मोड़े हुए इस बार वो देव आनंद की तरह मुहँ बनाते हुए कहता है.

छेदी : बन्दे को लोग प्यार से...छेदी कहते है...

पायल थोडा उर्मिला के पीछे खड़ी हो जाती है और उर्मिला उस आदमी को बड़ी-बड़ी आँखे और मुहँ बनाते हुए कहती है.

उर्मिला : छेदी ??. क्यूँ? तुम्हारी चड्डी में कुछ ज्यादा ही छेद है क्या?

उर्मिला की बात सुन कर पायल को जोरो की हंसी आ जाती है. वो उर्मिला के कंधे पर सर रख कर हँसने लगती है. पहली ही बार में अपनी बेज्ज़ती होता देख वो आदमी सकपका जाता है. फिर संभलते हुए कहता है.

छेदी : हमारी चड्डी में ज्यादा छेद नहीं है मैडम जी...लोग तो हमें छेदी इसलिए कहते है क्यूंकि हम छेद भरने में माहिर हैं...

उर्मिला : ओह...अच्छा-अच्छा...!! तो मिस्त्री हो...दीवारों के छेद भरते हो...

उर्मिला की इस बात पर पायल अपने आप को रोक ही नहीं पाती है और अपने पेट पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपनी दूसरी बेज्ज़ती पर वो आदमी थोडा सहम जाता है. फिर संभलकर जवाब देता है.

छेदी : हम दीवारों के नहीं मैडम जी...खुबसूरत बलाओं के छेद भरते है....

उर्मिला : ओह अच्छा..!! तो आप यहाँ हमारे छेद भरने के इरादे से आयें है...

छेदी : (उर्मिला को ऊपर से निचे देखता हुआ) अब आपने सही समझा मैडम जी...

उर्मिला : चलो अच्छा है, कोई तो मिला. मेरे पति तो कभी मेरे छेद की तरफ देखते भी नहीं है. अब आप आ गए हो तो लग रहा है की मेरे छेद की भराई हो ही जाएगी.

उर्मिला की बात सुन कर पायल बड़े ही हैरानी से उसे देखने लगती है. उसे समझ नहीं आ रहा है की उर्मिला करना क्या चाहती है. उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी मुस्कुराते हुए अपने गले के रुमाल में गाँठ मारते हुए कहता है.

छेदी : (मुस्कुराते हुए) तो बताइए मैडम जी...कब भरा जाए आपका छेद...

उर्मिला : नेकी और पूछ-पूछ. अभी ही चलते है...लेकिन........

छेदी : (उत्सुकता से) लेकिन क्या मैडम जी ?

उर्मिला : मेरे पति अभी आते ही होंगे. थोडा इंतज़ार करना होगा...

छेदी : (थोडा सहमते हुए) आपके पति का इंतज़ार? वो क्या करेंगे? वो भी आपका छेद भरेंगे क्या?

उर्मिला : नहीं नहीं...वो तो मेरे छेद को देखेंगे तक नहीं. मेरा छेद तो आप ही भरोगे. वो तो बस आपका छेद भरेंगे...दरअसल उन्हें मर्दों के छेद जो पसंद है....

उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी लड़खड़ा जाता है. पायल फिर से अपने मुहँ पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपने आप को सँभालते हुए वो आदमी फिर से सीधा खड़ा हो जाता है.

छेदी : ये...ये आप क्या कह रही है मैडम ?

उर्मिला : वही जो आपने सुना. बस ५ मिनट रुकिए, वो आते ही होंगे.

तभी उर्मिला की नज़र सामने से आते हुए एक हट्टे-कट्ठे आदमी पर पड़ती है. देखते ही पता चल रहा था को वो जरुर जीम जाता है. उसके साथ एक और हट्टा-कट्ठा आदमी है और उसका बदन भी किसी जीम में बना हुआ लग रहा है. उर्मिला झट से उन दोनों की तरफ इशारा करते हुए कहती है.

उर्मिला : वो देखिये...मेरे पति आ रहे है. साथ में उनका साथी भी है. चलिए इसी बहाने से दोनों को आज छेद मिल जायेगा भरने के लिए.

वो आदमी मुड़ के दोनों को देखता है तो उसकी हवा निकल जाती है. उर्मिला भी गरम लोहे पर हतौड़ा मारते हुए उन दो आदमियों की तरफ हाथ उठा के हिला देती है. उनमें से एक उर्मिला को हाथ हिलाता देख अपना हाथ भी दिखा देता है. छेदी जब ये देखता है तो उसे यकीन हो जाता है की ये औरत सही कह रही है. वो तेज़ क़दमों से उन दो आदमियों को देखता हुआ जाने लगता है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.

उर्मिला : अरे छेदी जी...कहाँ चल दिए....अब मेरे छेद का क्या होगा ?

छेदी : (लगभग भागते हुए) अरे भाड़ में जाए आपका छेद. यहाँ मेरे छेद की जान पर बन आई है और वहां आपको अपने छेद की पड़ी है.

छेदी वहां से भाग निकलता है. उसके जाते ही उर्मिला और पायल एक दुसरे का हाथ पकडे जोर-जोर से हंसने लगती है.

पायल : बहुत अच्छा मज़ा चखाया आपने उस आदमी को भाभी. बड़ा राजेश खन्ना बना फिर रहा था. अब देखो कैसे दुम दबा कर भाग रहा है.

उर्मिला : और नहीं तो क्या? ऐसे बहुत से मनचलों को मैं स्कूल के वक़्त से ही ठीक करती आ रही हूँ...

पायल : सच भाभी...आपका भी जवाब नहीं...

पायल और उर्मिला छेदी का मजाक उड़ाती हँसे जा रही थी की तभी एक आवाज़ ने उनका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया. "एक्सक्यूज़ मी...!!". दोनों उस आवाज़ की दिशा में देखते है तो सामने वही दो हट्टे-कट्ठे मर्द खड़े हैं जिन्हें अभी-अभी उर्मिला ने हाथ दिखाया था. उर्मिला और पायल बिना कुछ कहे दोनों के शरीर की बनावट देखने में मगन हो जाती है. बड़ी और चौड़ी बाहें, चौड़ा निकला हुआ फौलादी सीना, मजबूत कंधे. उर्मिला दोनों को ऊपर से निचे तक देखने लगती है. पायल दोनों के गठीले शरीर को देखते हुए धीरे से उर्मिला के पीछे चुप जाती है और अपने ओंठ काटते हुए दोनों के बदन को निहारने लगती है.

पहला आदमी : जी मैंने कहा एक्स्क्युस मी....

उस आदमी के दोबारा कहने पर उर्मिला होश में आती है फिर संभलते हुए जवाब देती है.

उर्मिला : अ..जी..जी बोलिए...

पहला आदमी : आपने अभी-अभी हमे हाथ दिखाया था. क्या आप हमे जानती है.

उर्मिला : नहीं नहीं. मांफ करियेगा. दरअसल मैंने तो किसी और को हाथ दिखाया था. आपको जरुर कोई ग़लतफ़हमी हो गई है.

दूसरा आदमी : हो सकता है. वैसे आप लोगों को किस प्रकार की कोई मदद चाहिए तो आप बता सकती है.

उर्मिला : जी ऐसी कोई बात नहीं है. धन्यवाद...!

दूसरा आदमी : चलिए ठीक है......

दोनों आदमी पायल और उर्मिला को एक बार अच्छे से ऊपर से निचे देखते है और फिर मुस्कुराते हुए जाने लगते है. उनके जाते ही पायल अपने हाथ से चेहरे पर हवा करती हुई उर्मिला के सामने आती है.

पायल : बापरे भाभी....!! कितने हट्टे-कट्ठे थे ये दोनों. लगता है खूब कसरत करते हैं दोनों.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अच्छा? बुला लूँ उन्हें कसरत करवाने? एक तेरे निचे कसरत करेगा और दूसरा तेरे ऊपर.

पायल : धत्त भाभी. आप कुछ भी बोल देते हो. अभी तक तो बाबूजी भी ठीक से कसरत नहीं कर पाए हैं और आप तो दो-दो लोगों की एक साथ कसरत करवाने की बात कर रहीं है.

उर्मिला : (प्यार से पायल का गाल सहलाते हुए) ओह हो..!! तो अगर बाबूजी ने कसरत कर ली तो मेरी ननद एक साथ दो मर्दों से कसरत करवा लेगी....हैं ना?

पायल : (शर्माते हुए नज़रें झुका कर) तब की तब देखेंगे....

तभी रमेश आते दिखाई देते है तो दोनों उन्हें देख कर खुश हो जाते है. रमेश के साथ एक और आदमी चला आ रहा था जो देखने में ही कोई टायर ठीक करने वाला लग रहा था. दोनों गाड़ी के पास आते है.

रमेश : लो भाई. ये है गाड़ी. जरा जल्दी से टायर ठीक कर दो. बहुत देर हो चुकी है. (फिर उर्मिला और पायल को देख कर) तुम दोनों को कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?

उर्मिला : जी नहीं बाबूजी. हम दोनों तो बस बातें करते हुए वक़्त बिता रहे थे.

वो आदमी निचे बैठ कर टायर का निरक्षण करता है. कुछ देर निरक्षण करने के बाद वो खड़ा होता है और रमेश को एक बड़ी सी कील दिखाते हुए कहता है.

मेकानिक: बाउजी ... इसका ट्यूब तो गया. इस कील ने ट्यूब का काम तमाम कर दिया है. बदलनी पड़ेगी.

रमेश : अरे कोई बात नहीं भाई. बदलो दो. पर जो करना है जरा जल्दी करो.

मेकानिक : बाउजी जल्दी तो नहीं हो पायेगा. इसकी ट्यूब यहाँ मिलेगी नहीं. ४-५ किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा. मेरे पास तो साइकिल है. वक़्त लगेगा.

रमेश : (चिंतित होते हुए) कितना वक़्त?

मेकानिक : (सोचते हुए) उम्म... मान के चलिए कुल मिलकर १.३० से २ घंटे तो लग जायेंगे...

रमेश : अरे नहीं भाई...ऐसा मत बोलो...२ घंटे तो बहुत होते है. इतनी देर तो हम रुक नहीं पाएंगे. ८:१५ तो हो चुके, तुम कब टायर ठीक करोगे और कब हम घर पहुचेंगे....

मेकानिक : बाउजी इसके अलवा तो और कोई रास्ता नहीं है.

रमेश : कोई तो रास्ता होगा भाई. इतनी देर तो नहीं रुक पाएंगे.

मेकानिक : देखिये बाउजी ... आप भले लोग लग रहे है. और आपके साथ दो लेडीज़ भी है. अगर आपको इस गरीब पर विशवास है तो बस पकड़ के घर चले जाईये. ५००/- रुपये और अपना पता दे दीजिये. गाड़ी आज रात तक आपके घर पहुँच जाएगी.

रमेश उस आदमी की बात सुन कर कुछ सोचते है फिर पायल और उर्मिला की तरफ देखते है. उनके चेहरे पर भी परेशानी के भाव है. रमेश फिर उस आदमी से कहते है.

रमेश : भाई पर गाड़ी तो सही सलामत पहुँच जाएगी ना?

मेकानिक : आप उसकी चिंता मत करिए बाउजी. बस जो भी गाड़ी ले कर आये उसे २००/- रूपये दे देना वापस आने के लिए.

रमेश : ठीक है भाई. ये ही सही. और ये बस कहाँ से मिलेगी?

मेकानिक : वो सामने बाउजी...चाय की दूकान के दूसरी तरफ.

रमेश उस आदमी को अपना पता और ५००/- देते है. तीनो चलते हुए बस स्टॉप पर पहुँचते है. ८-९ लोग बस के इंतज़ार में खड़े है. रमेश भी पायल और उर्मिला के साथ एक कोने में खड़े हो जाते है और बस का इंतज़ार करने लगते है. कुछ ही देर में एक बस आती दिखाई पड़ती है तो रमेश, उर्मिला और पायल सड़क के किनार जा कर खड़े हो जाते है. बस आ कर रूकती है तो भीड़ के साथ तीनो धक्का-मुक्की करते हुए बस में घुस जाते है. बस के बीच वाले हिस्से में वो तीनो पहुँच जाते है. वहां सिर्फ एक सीट खाली है. उसके साथ वाली सीट पर एक औरत बैठी हुई है. रमेश झट से उस खाली सीट को घेर लेते है.

रमेश : आओ बहु...जल्दी से बैठ जाओ...

उर्मिला : नहीं बाबूजी...आप बैठ जाईये. आप तो इतना चले भी है और आपके घुटनों में भी दर्द रहता है.

पायल : हाँ पापा...आप बैठ जाईये. मैं और भाभी यहीं पर आपके पास ही खड़े हो जाते है.

पायल और उर्मिला की बात मान कर रमेश उस सीट पर बैठ जाते है. उर्मिला रमेश के बगल में उनके कंधे के पास खड़ी हो जाती है और पायल उनके सामने पैरो की तरफ. रमेश अपने साथ बैठी महिला से पूछते है.

रमेश : आप कहाँ तक जायेंगी?

महिला : जी बस दुसरे स्टॉप पर ही उतरना है.

रमेश : (पायल और उर्मिला को देख कर) इनका स्टॉप आएगा तो तुम दोनों में से कोई यहाँ बैठ जाना.

उर्मिला : पायल तू बाबूजी के साथ बैठ जाना. इतनी देर खड़े हो कर सफ़र करेगी तो परेशान हो जाएगी.

पायल भी सर हिला कर उर्मिला की बात मान लेती है. बस अगले स्टॉप की ओर बढती है. सामने बस स्टॉप का नज़ारा देखते ही उर्मिला और पायल की हालत खराब हो जाती है. बस स्टॉप पर बहुत सारे लोग बस का इंतज़ार कर रहे है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को मुहँ उतार कर देखते है. आने वाली भीड़ से निपटने की तैयारी करते हुए उर्मिला अपनी कमर रमेश की सीट पर टिका देती है और एक हाथ उठा के ऊपर लगे लोहे के रॉड को पकड़ लेती है. पायल भी रमेश की सामने वाली सीट पर अपनी कमर लगा कर ऊपर वाली रॉड को पकड़ लेती है. स्टॉप पर बस जैसे ही रूकती है, भीड़ जानवरों की तरह बस के दोनों दरवाजों से अन्दर घुसने लगती है. कुछ ही पल में पूरी बस भीड़ से खचा-खच भर जाती है. पायल और उर्मिला के तीनो तरफ लोग आपस में एक दुसरे से चिपके खड़े है. चौथी तरफ बाबूजी सीट पर बैठे है. रमेश भीड़ में उर्मिला और पायल की हालत देखते है पर वो कुछ भी नहीं कर पाते है. भीड़ को देखते हुए उर्मिला मुहँ बनती है. तभी उसकी नज़र पायल के पीछे खड़े एक आदमी पर जाती है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. वो वही दो हट्टे-कट्ठे आदमियों में से एक था जिसे उर्मिला ने मंदिर के बाहर हाथ दिखाया था. वो मुस्कुराता हुआ उर्मला को देखते हुए पायल के ठीक पीछे खड़ा था. उर्मिला भी उसे देख कर बनावटी मुस्कान दे देती है. तभी भीड़ में से उसका दूसरा साथी किसी तरह जगह बनता हुआ उर्मिला और पायल के ठीक पास आ कर खड़ा हो जाता है. वो भी उर्मिला को देख कर मुस्कुरा रहा था. उर्मिला की समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे. पायल भी दोनों को पहचान लेती है और आँखे बड़ी कर के उर्मिला को देखने लगती है. तभी उर्मिला के ठीक पीछे खड़ा एक आदमी कहता है. "और भाई...कैसे हो?". उर्मिला के कानो में जब वो आवाज़ पड़ती है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. ये आवाज़ उसने पहले भी सुन रखी थी. वो धीरे से अपनी गर्दन घुमा कर तिरछी नज़रों से पीछे देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो आदमी कोई और नहीं, बल्कि वही दुबला पतला मनचला छेदी थे. पायल देखती है तो छेदी उसे देख कर मुस्कुरा रहा है. छेदी की बात का जवाब देते हुए दूसरा हट्टा-कट्ठा मर्द कहता है. "बस भाई...सब बढियां है".

छेदी : भाई कमाल है. इतनी बढियाँ बाडी-शाडी बना राखी है आप दोनों ने और अब तक शादी नहीं हुई ?

दूसरा आदमी : (हँसते हुए) बस लड़की देख रहे है जी...

छेदी की बात सुन कर उर्मिला समझ जाती है की कुछ देर पहले जो उसने झूठ बोल कर छेदी को बेवक़ूफ़ बनाया था, अब वो चोरी पकड़ी गई है. वो चुप-चाप उनकी बाते सुनते हुए खड़ी हो जाती है. येही हाल पायल का भी था. छेदी आगे कहत है.

छेदी : (दोनों हट्टे-कट्ठे आदमियों से) भाई आप दोनों से बस स्टॉप पर बात-चीत करके बड़ा मजा आया. (पायल को घूरते हुए) कुछ लोगों को आपके बारें में गलतफहमी हो गई है. कोई बात नहीं...ठीक है...हो जाता है.

उर्मिला सारी बातें चुप-चाप खड़ी हो कर सुन रही थी. उसकी सारी होशियारी निकल कर हवा हो चुकी थी. पायल भी डरे हुए उर्मिला को देखने लगती है. इन सारी बातों से बेखबर रमेश चुप-चाप सीट पर बैठा है. उसे इस बात की जरा भी भनक नहीं थी की ये सब चल क्या रहा है.

तभी दूसरा बस स्टॉप आ जाता है और बस का ड्राईवर जोरो से ब्रेक लगा देता है. बस एक झटके से रुक जाती है तो उर्मिला के पीछे खड़ा छेदी, उर्मिला से पीछे से चिपक जाता है. पायल भी झटका खा कर पीछे खड़े तगड़े आदमी से टकरा जाती है. छेदी धीरे-धीरे उर्मिला से अलग होता हुआ कहता है.

छेदी : बहुत भीड़ है भाई...बहुत भीड़ है...

रमेश इस घटना को देख लेते है. जिस तरह से एक अनजान आदमी उर्मिला के पीछे से चिपक गया था और जिस तरह से पायल एक अनजान आदमी से पीछे हो कर चिपक गई थी, रमेश को इन बातों पर गुस्सा नहीं आ रहा था. बल्कि रमेश की धोती में सोये हुए लंड में एक हरकत सी होने लगी थी. अपनी ही बहु और बेटी को किसी अनजान मर्दों से चिपकता देख कर रमेश को मजा आया था. इस बात से उर्मिला और पायल दोनों ही अनजान थे.

उस स्टॉप पर भी कुछ लोग बस में घुस जाते है तो बस के अन्दर बुरा हाल हो जाता है. दोनों दरवाजों से घुसती भीड़ की वजह से बस के बीच की जगह का बुरा हाल हो जाता है. लोग एक दुसरे से चिपक जाते है और हिलने डुलने की भी जगह मुश्किल हो जाती है. इस बात का फ़ायदा उठा कर छेदी उर्मिला की बड़ी-बड़ी चुतड पर अपने आगे का हिस्सा चिपका कर खड़े हो जाता है. पायल के पीछे खड़ा तगड़ा आदमी भी पायल की चुतड से चिपक जाता है. दूसरा तगड़ा आदमी अब उर्मिला और पायल के बीच खड़ा हो जाता है और अपना चेहरा उर्मिला की तरफ कर देता है. उर्मिला के पीछे छेदी चिपका खड़ा है और आगे दूसरा तगड़ा आदमी. उर्मिला दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है. पायल के सामने दुसरे तगड़े आदमी की पीठ है और पीछे पहला तगड़ा आदमी. वो भी दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है.

रमेश जब उर्मिला और पायल को इस तरह मर्दों के के बीच फंसा देखते है तो उनके लंड में तनाव आने लगता है. वो बिना कुछ कहे चुप-चाप इस नज़ारे का मज़ा लेने लगते हैं. बस निकल पड़ती है और छेदी उर्मिला के पीछे अपना काम शुरू कर देता है. बस काफी पुरानी है और चलते हुए हिल रही है. बस के इस तरह से हिलने का पूरा फायेदा उठाते हुए छेदी उर्मिला की बड़ी चूतड़ों के बीच अपनी पैंट में बने बड़े से उभार को दबा देता है. अपनी चूतड़ों के बीच किसी मोटे और सक्त चीज़ का अहसास होते ही उर्मिला समझ जाती है की ये छेदी का लंड ही है. वो सोचती है की एक दुबले पतले आदमी का ऐसा मोटा लंड कैसे हो सकता है. लंड को परखने के लिए उर्मिला अपनी चुतड हल्का सा पीछे कर देती है. उर्मिला को इस तरह से चुतड पीछे करते देख छेदी भी अपनी कमर आगे कर देता है और उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबाव बना देता है. अब उर्मिला को यकीन हो जाता है की ये छेदी का लंड ही है जो मोटा होने के साथ-साथ लम्बा भी है.

सामने पायल का भी वैसा ही हाल था. उसके पीछे खड़ा तगड़ा आदमी पायल की चूतड़ों के बीच अपना लंड पैंट के अन्दर से चिपकाए खड़ा था. जब भी बस हिल जाती तो वो अपना लंड पायल की स्कर्ट के ऊपर से चूतड़ों पर रगड़ देता. रमेश अब उर्मिला और पायल के साथ हो रही इस घटना का पूरा मजा लेने लगा था. ये सब देख कर उसके लंड में हलचल हो रही थी. तभी बस के सामने एक गाय आ जाती है और ड्राईवर जोर से ब्रेक लगा देता है. ब्रेक लगने से उर्मिला पहले आगे होती है तो उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सामने वाले तगड़े आदमी के सीने पर पूरी तरह से दब जाती है. पीछे छेदी भी अपनी कमर आगे कर उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबा देता है. जैसे ही बस रूकती है तो उर्मिला झटका खाते हुए पीछे हो जाती है. पीछे छेदी अपने लंड का उभार लिए खड़ा था. जैसे ही उर्मिला पीछे हुई, छेदी ने अपने लंड का उभार उर्मिला की चूतड़ों के बीच झटके से घुसा दिया. झटका इतने जोर का था की लंड का उभार उर्मिला की साड़ी के साथ उसकी चूतड़ों के बीच घुस जाता है. अब छेदी का लंड उर्मिला की चूतड़ों में घुसी साड़ी के साथ अन्दर फस हुआ था. उर्मिला भी छेदी के लंड की मोटाई अच्छे से महसूस कर पा रही थी. अब उर्मिला भी मजा लेने लगी थी. छेदी अपने लंड को हल्का सा झटका देता तो उर्मिला भी अपनी चुतड भींच के उसके लंड को पकड़ सी लेती. छेदी भी समझ गया था की अब आगे का रास्ता असान हो गया है.

सामने पायल भी अब उसके साथ होने वाली मस्ती का मजा लेने लगी थी. तगड़े आदमी ने अब अपनी कमर पायल की चुतड से चिपकाए, एक हाथ से उसकी कमर को सहलाना भी शुरू कर दिया था. पैंट के अन्दर से अपने लंड को पायल की स्कर्ट में कैद चूतड़ों पर रगड़ते हुए वो अपने हाथ को कमर से उसके पेट पर लाने लगा था. धीरे-धीरे पायल का पेट सहलाते हुए वो अपनी कमर को पायल की चूतड़ों पर हिलाए जा रहा था. तभी बस के अन्दर जल रही तीन बत्तियों में से पीछे और बीच की बत्तियाँ बुझ जाती है और बस में लगभग अँधेरा सा छा जाता है. एक बत्ती जो ड्राईवर की सीट के पास है, वही जल रही है. बस में अँधेरा होने से रमेश अपनी आँखों पर जोर डालते हुए उर्मिला और पायल के साथ क्या हो रहा है वो देखने लगते है.

अँधेरे का फायेदा उठा के छेदी अब उर्मिला से पूरा चिपक गया था. उर्मिला की कमर में हाथ डाले वो उसके की पिछवाड़े पर निचे से ऊपर अपनी कमर रगड़े जा रहा था. उर्मिला के सामने वाले तगड़े मर्द ने थोडा झुक कर अपना मुहँ उर्मिला की बगल में घुसा दिया था. उर्मिला हाथ उठाये ऊपर रॉड पकडे खड़ी थी और वो मर्द अपना मुहँ उसकी बगल में घुसाए बाहं के निचे ब्लाउज के गीले हिस्से हो सूंघे जा रहा था. उर्मिला के ब्लाउज की बांह छोटी और हाथ ऊपर होने की वजह से उसकी बगल लगभग आधी बाहर दिख रही थी. वो आदमी बगल सूंघते हुए बीच-बीच में छोटी बाहं में जीभ घुसा कर उर्मिला की बालोवाली बगल चाट लेता. पीछे छेदी और आगे तगड़ा आदमी उर्मिला को पूरा मजा दे रहे थे.

सामने पायल की टॉप में तगड़े आदमी ने अपना हाथ घुसा दिया था. टॉप के अन्दर हाथ घुसा के वो पायल के एक दूध को दबोच कर मसले जा रहा था. पायल आँखे बंद किये अपना दूध उस अनजान मर्द से मसलवा रही थी. तेज़ साँसों के साथ पायल मस्ती में मजा ले रही थी की अचानक उसकी नज़र रमेश पर पड़ी. रमेश ये सब घुर के देख रहा था. पायल को सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई जब उसने देखा की पापा का एक हाथ धोती के अन्दर है और वो ये सब देखते हुए अपना लंड मसल रहें है. पायल इस बात से हैरान तो हुई लेकिन ना जाने क्यूँ उसे भी इसमें मजा आ रहा था. अपने ही पापा के सामने किसी अनजान मर्द से दूध दबवाने में उसे अब मजा आने लगा था और ये मजा दुगना हो गया था जब खुद उसके पापा भी अपना लंड मसल कर मजा ले रहे थे. पायल का बदन मस्ती में झूम उठा था. रमेश लंड मसलते हुए पायल को देख रहे थे और पायल अपना दूध पराये मर्द से दबवाते हुए पापा को. तभी पापा को देखते हुए पायल ने एक हाथ से अपनी टॉप आगे से थोड़ी ऊपर कर दी तो नीचे सीट पर बैठे रमेश को हलकी सी रौशनी में पायल के बड़े दूध पर एक हाथ घूमता हुआ दिख गया जो बीच-बीच में पायल के दूध को दबोच ले रहा था तो कभी निप्पल मसल दे रहा था. ये नज़ारा देख कर रमेश ने धोती के अन्दर अपने हाथ की गति बढ़ा दी.

तभी अगला बस स्टॉप आ गया और रमेश के साथ बैठी महिला ने चिल्ला कर कहा, "बस रोको भाई. मुझे उतरना है". उस महिला की आवाज़ से छेदी और तगड़े मर्द संभल जाते है और अपना काम छोड़ कर सीधे खड़े हो जाते है. फिर वो महिला रमेश से कहती है. "भाई साहब जरा हटिये. मेरा स्टॉप आ गया है". रमेश उठ जाते है तो वो वहां से बाहर निकलती है. उसके निकलते ही रमेश पायल को इशारा करते है तो पायल झट से अन्दर घुस कर खिड़की वाली सीट पर बैठ जाती है और रमेश अपनी सीट पर बैठ जाते है. पायल को सीट पर बैठता देख तगादा मर्द निराश हो जाता है लेकिन फिर सामने उर्मिला को देख कर मुस्कुराते हुए उसकी दूसरी तरफ खड़ा हो जाता है. अब उर्मिला के पीछे छेदी है, सामने और दूसरी तरफ तगड़े मर्द और एक तरफ बाबूजी बैठे है.

उर्मिला अपने आप को किसी चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाती है. उस चक्रव्यूह में कोई तलवार, तीर-कमान या भाले जैसे हथियार नहीं थे, बल्कि लंड और हाथ जैसे हथियार थे जो उर्मिला के बदन को घायल कर रहे थे. लंड और हाथ रुपी इन हथियारों के घाव उर्मिला को पीड़ा नहीं बल्कि उत्तेजना और आनंद से भर दे रहे थे. उसे इस चक्रव्यूह से निकालने वाले अभिमन्यु रुपी बाबूजी खुद इस का एक हिस्सा बने मजा ले रहे थे. जब उर्मिला बाबूजी की तरफ देखती है तो वो आँखे फाड़े धोती में अपना लंड मसलते हुए उसे देख रहे थे. उर्मिला बाबूजी को देखते हुए अपने ओंठ काट लेती है और आँखे बंद किये अपने शरीर को उस चक्रव्यूह के रचेता, छेदी और उन दो तगड़े आदमियों के सामने आत्मसमर्पित कर देती है.

(अगला भाग भी लिख ही रही हूँ. जब तक वो तैयार होता है तब तक इसका मजा लें. छेदी का किरदार कैसा लगा ये जरुर बतायें. आगे छेदी बड़े काम की चीज़ साबित होने वाला है)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )

Behtareen Update :applause:

MastRani Ji, jab Aapka vichar yahi hai ki PAYAL aur URMILA ko CHEDI aur Baki Sabhi ke seth hi CHUDWANA hai to INCEST ko badalkar ADULTARY kar dijea. :waiting1:
 
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Mastrani

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Behtareen Update :applause:

MastRani Ji, jab Aapka vichar yahi hai ki PAYAL aur URMILA ko CHEDI aur Baki Sabhi ke seth hi CHUDWANA hai to INCEST ko badalkar ADULTARY kar dijea. :waiting1:

ये एक इन्सेस्ट कहानी है और इन्सेस्ट कहानी ही रहेगी. एडल्टरी मेरे बस की बात नहीं.

-मस्तरानी
 

Nasn

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अपडेट २३.५ :

शाम के ७:४५ बज रहे थे. मोतीचूर के लड्डू का चढ़ावा चढ़ा कर रमेश, उर्मिला और पायल मंदिर से निकल कर गाड़ी के पास जा रहे है.

रमेश : ७:४५ हो गए है बहु. घर पहुँचते-पहुँचते ९ तो हो ही जायेंगे.

उर्मिला : हाँ बाबूजी...अब तो रास्ते में ज्यादा भीड़ भी नहीं होगी. हो सकता है और भी जल्दी पहुँच जाये...

पायल : हाँ पापा...रास्ता खाली होगा तो आप गाड़ी तेज़ चलाइयेगा...

उर्मला : हाँ बाबूजी...! पायल रहेगी ना आगे वाली सीट पर आपका 'गियर' बदलने के लिए...

उर्मिला की बात सुनकर पायल शर्मा जाती है, रमेश और उर्मिला जोर-जोर से हँसने लगते है. तीनो गाड़ी के पास पहुँचते है तभी कुछ देख कर रमेश का दिमाग घूम जाता है.

रमेश : धत्त तेरी की..!! इसे भी अभी ही होना था...

पायल : क्या हुआ पापा?

रमेश : (गाड़ी के पहिये की तरफ इशारा करते हुए) ये देखो बेटी....गाड़ी का टायर पंक्चर हुआ पड़ा है.

उर्मिला : हे भगवान बाबूजी...!! अब क्या करें?

रमेश : गाड़ी में स्टेपनी भी नहीं है बहु. सोनू को कितनी बार कहा था की जब कभी भी गाड़ी निकाले पंक्चर वाले के यहाँ से स्टेपनी उठा लेना. गधा किसी की सुने तब तो...

पायल : पर पापा अब क्या करेंगे हम लोग?

रमेश : रुको बेटा...मैं देखता हूँ. शायद कोई पंक्चर वाला मिल जाए. तुम दोनों यहीं रुको, मैं अभी आता हूँ.

रमेश पंक्चर वाले को देखने निकल पड़ते है. गाड़ी के पास उर्मिला और पायल खड़े है. एक दुसरे का उतरा हुआ चेहरा देखते हुए दोनों उस पंक्चर हुए टायर को कोसने लगते है.

उर्मिला : इस मुए की भी हवा अभी ही निकालनी थी.

उर्मिला की इस बात पर पायल को हंसी आ जाती है. तभी एक मनचला घूमता हुआ वहां से गुजरता है. उर्मिला और पायल को अकेला देख कर वो धीरे-धीरे उनके करीब आता है. थोड़ी दूर पर खड़े हो कर वो दोनों की मदमस्त जवानी को ऊपर से निचे तक निहारने लगता है. उर्मिला जब उसे देखती है तो अपनी कोहिनी पायल के हाथ पर मारते हुए उस मनचले की तरफ इशारा करती है. उर्मिला के इशारे पर पायल सामने देखती है तो एक सावंला सा दुबला पतला आदमी, जिसकी उम्र २८-३० साल तक होगी, गले में रुमाल डाले और मुहँ में पतली सी लकड़ी फ़साये मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देख रहा है. पायल जैसे ही उस आदमी की तरफ देखती है वो झट से अपना हाथ छाती पर रख कर दिल थामने के अंदाज़ में राजेश खन्ना की स्टाइल में सर हिलाने लगता है. पायल उर्मिला की तरफ घुमती है और दोनों मुहँ पर हाथ रखे हँसने लगती है. वो आदमी दोनों के हँसने से प्रोत्साहीत हो जाता है और उनके पास आ कर खड़ा हो जाता है. पास खड़ी गाड़ी पर अराम से हाथ रख कर और एक पैर को मोड़े हुए इस बार वो देव आनंद की तरह मुहँ बनाते हुए कहता है.

छेदी : बन्दे को लोग प्यार से...छेदी कहते है...

पायल थोडा उर्मिला के पीछे खड़ी हो जाती है और उर्मिला उस आदमी को बड़ी-बड़ी आँखे और मुहँ बनाते हुए कहती है.

उर्मिला : छेदी ??. क्यूँ? तुम्हारी चड्डी में कुछ ज्यादा ही छेद है क्या?

उर्मिला की बात सुन कर पायल को जोरो की हंसी आ जाती है. वो उर्मिला के कंधे पर सर रख कर हँसने लगती है. पहली ही बार में अपनी बेज्ज़ती होता देख वो आदमी सकपका जाता है. फिर संभलते हुए कहता है.

छेदी : हमारी चड्डी में ज्यादा छेद नहीं है मैडम जी...लोग तो हमें छेदी इसलिए कहते है क्यूंकि हम छेद भरने में माहिर हैं...

उर्मिला : ओह...अच्छा-अच्छा...!! तो मिस्त्री हो...दीवारों के छेद भरते हो...

उर्मिला की इस बात पर पायल अपने आप को रोक ही नहीं पाती है और अपने पेट पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपनी दूसरी बेज्ज़ती पर वो आदमी थोडा सहम जाता है. फिर संभलकर जवाब देता है.

छेदी : हम दीवारों के नहीं मैडम जी...खुबसूरत बलाओं के छेद भरते है....

उर्मिला : ओह अच्छा..!! तो आप यहाँ हमारे छेद भरने के इरादे से आयें है...

छेदी : (उर्मिला को ऊपर से निचे देखता हुआ) अब आपने सही समझा मैडम जी...

उर्मिला : चलो अच्छा है, कोई तो मिला. मेरे पति तो कभी मेरे छेद की तरफ देखते भी नहीं है. अब आप आ गए हो तो लग रहा है की मेरे छेद की भराई हो ही जाएगी.

उर्मिला की बात सुन कर पायल बड़े ही हैरानी से उसे देखने लगती है. उसे समझ नहीं आ रहा है की उर्मिला करना क्या चाहती है. उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी मुस्कुराते हुए अपने गले के रुमाल में गाँठ मारते हुए कहता है.

छेदी : (मुस्कुराते हुए) तो बताइए मैडम जी...कब भरा जाए आपका छेद...

उर्मिला : नेकी और पूछ-पूछ. अभी ही चलते है...लेकिन........

छेदी : (उत्सुकता से) लेकिन क्या मैडम जी ?

उर्मिला : मेरे पति अभी आते ही होंगे. थोडा इंतज़ार करना होगा...

छेदी : (थोडा सहमते हुए) आपके पति का इंतज़ार? वो क्या करेंगे? वो भी आपका छेद भरेंगे क्या?

उर्मिला : नहीं नहीं...वो तो मेरे छेद को देखेंगे तक नहीं. मेरा छेद तो आप ही भरोगे. वो तो बस आपका छेद भरेंगे...दरअसल उन्हें मर्दों के छेद जो पसंद है....

उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी लड़खड़ा जाता है. पायल फिर से अपने मुहँ पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपने आप को सँभालते हुए वो आदमी फिर से सीधा खड़ा हो जाता है.

छेदी : ये...ये आप क्या कह रही है मैडम ?

उर्मिला : वही जो आपने सुना. बस ५ मिनट रुकिए, वो आते ही होंगे.

तभी उर्मिला की नज़र सामने से आते हुए एक हट्टे-कट्ठे आदमी पर पड़ती है. देखते ही पता चल रहा था को वो जरुर जीम जाता है. उसके साथ एक और हट्टा-कट्ठा आदमी है और उसका बदन भी किसी जीम में बना हुआ लग रहा है. उर्मिला झट से उन दोनों की तरफ इशारा करते हुए कहती है.

उर्मिला : वो देखिये...मेरे पति आ रहे है. साथ में उनका साथी भी है. चलिए इसी बहाने से दोनों को आज छेद मिल जायेगा भरने के लिए.

वो आदमी मुड़ के दोनों को देखता है तो उसकी हवा निकल जाती है. उर्मिला भी गरम लोहे पर हतौड़ा मारते हुए उन दो आदमियों की तरफ हाथ उठा के हिला देती है. उनमें से एक उर्मिला को हाथ हिलाता देख अपना हाथ भी दिखा देता है. छेदी जब ये देखता है तो उसे यकीन हो जाता है की ये औरत सही कह रही है. वो तेज़ क़दमों से उन दो आदमियों को देखता हुआ जाने लगता है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.

उर्मिला : अरे छेदी जी...कहाँ चल दिए....अब मेरे छेद का क्या होगा ?

छेदी : (लगभग भागते हुए) अरे भाड़ में जाए आपका छेद. यहाँ मेरे छेद की जान पर बन आई है और वहां आपको अपने छेद की पड़ी है.

छेदी वहां से भाग निकलता है. उसके जाते ही उर्मिला और पायल एक दुसरे का हाथ पकडे जोर-जोर से हंसने लगती है.

पायल : बहुत अच्छा मज़ा चखाया आपने उस आदमी को भाभी. बड़ा राजेश खन्ना बना फिर रहा था. अब देखो कैसे दुम दबा कर भाग रहा है.

उर्मिला : और नहीं तो क्या? ऐसे बहुत से मनचलों को मैं स्कूल के वक़्त से ही ठीक करती आ रही हूँ...

पायल : सच भाभी...आपका भी जवाब नहीं...

पायल और उर्मिला छेदी का मजाक उड़ाती हँसे जा रही थी की तभी एक आवाज़ ने उनका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया. "एक्सक्यूज़ मी...!!". दोनों उस आवाज़ की दिशा में देखते है तो सामने वही दो हट्टे-कट्ठे मर्द खड़े हैं जिन्हें अभी-अभी उर्मिला ने हाथ दिखाया था. उर्मिला और पायल बिना कुछ कहे दोनों के शरीर की बनावट देखने में मगन हो जाती है. बड़ी और चौड़ी बाहें, चौड़ा निकला हुआ फौलादी सीना, मजबूत कंधे. उर्मिला दोनों को ऊपर से निचे तक देखने लगती है. पायल दोनों के गठीले शरीर को देखते हुए धीरे से उर्मिला के पीछे चुप जाती है और अपने ओंठ काटते हुए दोनों के बदन को निहारने लगती है.

पहला आदमी : जी मैंने कहा एक्स्क्युस मी....

उस आदमी के दोबारा कहने पर उर्मिला होश में आती है फिर संभलते हुए जवाब देती है.

उर्मिला : अ..जी..जी बोलिए...

पहला आदमी : आपने अभी-अभी हमे हाथ दिखाया था. क्या आप हमे जानती है.

उर्मिला : नहीं नहीं. मांफ करियेगा. दरअसल मैंने तो किसी और को हाथ दिखाया था. आपको जरुर कोई ग़लतफ़हमी हो गई है.

दूसरा आदमी : हो सकता है. वैसे आप लोगों को किस प्रकार की कोई मदद चाहिए तो आप बता सकती है.

उर्मिला : जी ऐसी कोई बात नहीं है. धन्यवाद...!

दूसरा आदमी : चलिए ठीक है......

दोनों आदमी पायल और उर्मिला को एक बार अच्छे से ऊपर से निचे देखते है और फिर मुस्कुराते हुए जाने लगते है. उनके जाते ही पायल अपने हाथ से चेहरे पर हवा करती हुई उर्मिला के सामने आती है.

पायल : बापरे भाभी....!! कितने हट्टे-कट्ठे थे ये दोनों. लगता है खूब कसरत करते हैं दोनों.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अच्छा? बुला लूँ उन्हें कसरत करवाने? एक तेरे निचे कसरत करेगा और दूसरा तेरे ऊपर.

पायल : धत्त भाभी. आप कुछ भी बोल देते हो. अभी तक तो बाबूजी भी ठीक से कसरत नहीं कर पाए हैं और आप तो दो-दो लोगों की एक साथ कसरत करवाने की बात कर रहीं है.

उर्मिला : (प्यार से पायल का गाल सहलाते हुए) ओह हो..!! तो अगर बाबूजी ने कसरत कर ली तो मेरी ननद एक साथ दो मर्दों से कसरत करवा लेगी....हैं ना?

पायल : (शर्माते हुए नज़रें झुका कर) तब की तब देखेंगे....

तभी रमेश आते दिखाई देते है तो दोनों उन्हें देख कर खुश हो जाते है. रमेश के साथ एक और आदमी चला आ रहा था जो देखने में ही कोई टायर ठीक करने वाला लग रहा था. दोनों गाड़ी के पास आते है.

रमेश : लो भाई. ये है गाड़ी. जरा जल्दी से टायर ठीक कर दो. बहुत देर हो चुकी है. (फिर उर्मिला और पायल को देख कर) तुम दोनों को कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?

उर्मिला : जी नहीं बाबूजी. हम दोनों तो बस बातें करते हुए वक़्त बिता रहे थे.

वो आदमी निचे बैठ कर टायर का निरक्षण करता है. कुछ देर निरक्षण करने के बाद वो खड़ा होता है और रमेश को एक बड़ी सी कील दिखाते हुए कहता है.

मेकानिक: बाउजी ... इसका ट्यूब तो गया. इस कील ने ट्यूब का काम तमाम कर दिया है. बदलनी पड़ेगी.

रमेश : अरे कोई बात नहीं भाई. बदलो दो. पर जो करना है जरा जल्दी करो.

मेकानिक : बाउजी जल्दी तो नहीं हो पायेगा. इसकी ट्यूब यहाँ मिलेगी नहीं. ४-५ किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा. मेरे पास तो साइकिल है. वक़्त लगेगा.

रमेश : (चिंतित होते हुए) कितना वक़्त?

मेकानिक : (सोचते हुए) उम्म... मान के चलिए कुल मिलकर १.३० से २ घंटे तो लग जायेंगे...

रमेश : अरे नहीं भाई...ऐसा मत बोलो...२ घंटे तो बहुत होते है. इतनी देर तो हम रुक नहीं पाएंगे. ८:१५ तो हो चुके, तुम कब टायर ठीक करोगे और कब हम घर पहुचेंगे....

मेकानिक : बाउजी इसके अलवा तो और कोई रास्ता नहीं है.

रमेश : कोई तो रास्ता होगा भाई. इतनी देर तो नहीं रुक पाएंगे.

मेकानिक : देखिये बाउजी ... आप भले लोग लग रहे है. और आपके साथ दो लेडीज़ भी है. अगर आपको इस गरीब पर विशवास है तो बस पकड़ के घर चले जाईये. ५००/- रुपये और अपना पता दे दीजिये. गाड़ी आज रात तक आपके घर पहुँच जाएगी.

रमेश उस आदमी की बात सुन कर कुछ सोचते है फिर पायल और उर्मिला की तरफ देखते है. उनके चेहरे पर भी परेशानी के भाव है. रमेश फिर उस आदमी से कहते है.

रमेश : भाई पर गाड़ी तो सही सलामत पहुँच जाएगी ना?

मेकानिक : आप उसकी चिंता मत करिए बाउजी. बस जो भी गाड़ी ले कर आये उसे २००/- रूपये दे देना वापस आने के लिए.

रमेश : ठीक है भाई. ये ही सही. और ये बस कहाँ से मिलेगी?

मेकानिक : वो सामने बाउजी...चाय की दूकान के दूसरी तरफ.

रमेश उस आदमी को अपना पता और ५००/- देते है. तीनो चलते हुए बस स्टॉप पर पहुँचते है. ८-९ लोग बस के इंतज़ार में खड़े है. रमेश भी पायल और उर्मिला के साथ एक कोने में खड़े हो जाते है और बस का इंतज़ार करने लगते है. कुछ ही देर में एक बस आती दिखाई पड़ती है तो रमेश, उर्मिला और पायल सड़क के किनार जा कर खड़े हो जाते है. बस आ कर रूकती है तो भीड़ के साथ तीनो धक्का-मुक्की करते हुए बस में घुस जाते है. बस के बीच वाले हिस्से में वो तीनो पहुँच जाते है. वहां सिर्फ एक सीट खाली है. उसके साथ वाली सीट पर एक औरत बैठी हुई है. रमेश झट से उस खाली सीट को घेर लेते है.

रमेश : आओ बहु...जल्दी से बैठ जाओ...

उर्मिला : नहीं बाबूजी...आप बैठ जाईये. आप तो इतना चले भी है और आपके घुटनों में भी दर्द रहता है.

पायल : हाँ पापा...आप बैठ जाईये. मैं और भाभी यहीं पर आपके पास ही खड़े हो जाते है.

पायल और उर्मिला की बात मान कर रमेश उस सीट पर बैठ जाते है. उर्मिला रमेश के बगल में उनके कंधे के पास खड़ी हो जाती है और पायल उनके सामने पैरो की तरफ. रमेश अपने साथ बैठी महिला से पूछते है.

रमेश : आप कहाँ तक जायेंगी?

महिला : जी बस दुसरे स्टॉप पर ही उतरना है.

रमेश : (पायल और उर्मिला को देख कर) इनका स्टॉप आएगा तो तुम दोनों में से कोई यहाँ बैठ जाना.

उर्मिला : पायल तू बाबूजी के साथ बैठ जाना. इतनी देर खड़े हो कर सफ़र करेगी तो परेशान हो जाएगी.

पायल भी सर हिला कर उर्मिला की बात मान लेती है. बस अगले स्टॉप की ओर बढती है. सामने बस स्टॉप का नज़ारा देखते ही उर्मिला और पायल की हालत खराब हो जाती है. बस स्टॉप पर बहुत सारे लोग बस का इंतज़ार कर रहे है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को मुहँ उतार कर देखते है. आने वाली भीड़ से निपटने की तैयारी करते हुए उर्मिला अपनी कमर रमेश की सीट पर टिका देती है और एक हाथ उठा के ऊपर लगे लोहे के रॉड को पकड़ लेती है. पायल भी रमेश की सामने वाली सीट पर अपनी कमर लगा कर ऊपर वाली रॉड को पकड़ लेती है. स्टॉप पर बस जैसे ही रूकती है, भीड़ जानवरों की तरह बस के दोनों दरवाजों से अन्दर घुसने लगती है. कुछ ही पल में पूरी बस भीड़ से खचा-खच भर जाती है. पायल और उर्मिला के तीनो तरफ लोग आपस में एक दुसरे से चिपके खड़े है. चौथी तरफ बाबूजी सीट पर बैठे है. रमेश भीड़ में उर्मिला और पायल की हालत देखते है पर वो कुछ भी नहीं कर पाते है. भीड़ को देखते हुए उर्मिला मुहँ बनती है. तभी उसकी नज़र पायल के पीछे खड़े एक आदमी पर जाती है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. वो वही दो हट्टे-कट्ठे आदमियों में से एक था जिसे उर्मिला ने मंदिर के बाहर हाथ दिखाया था. वो मुस्कुराता हुआ उर्मला को देखते हुए पायल के ठीक पीछे खड़ा था. उर्मिला भी उसे देख कर बनावटी मुस्कान दे देती है. तभी भीड़ में से उसका दूसरा साथी किसी तरह जगह बनता हुआ उर्मिला और पायल के ठीक पास आ कर खड़ा हो जाता है. वो भी उर्मिला को देख कर मुस्कुरा रहा था. उर्मिला की समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे. पायल भी दोनों को पहचान लेती है और आँखे बड़ी कर के उर्मिला को देखने लगती है. तभी उर्मिला के ठीक पीछे खड़ा एक आदमी कहता है. "और भाई...कैसे हो?". उर्मिला के कानो में जब वो आवाज़ पड़ती है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. ये आवाज़ उसने पहले भी सुन रखी थी. वो धीरे से अपनी गर्दन घुमा कर तिरछी नज़रों से पीछे देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो आदमी कोई और नहीं, बल्कि वही दुबला पतला मनचला छेदी थे. पायल देखती है तो छेदी उसे देख कर मुस्कुरा रहा है. छेदी की बात का जवाब देते हुए दूसरा हट्टा-कट्ठा मर्द कहता है. "बस भाई...सब बढियां है".

छेदी : भाई कमाल है. इतनी बढियाँ बाडी-शाडी बना राखी है आप दोनों ने और अब तक शादी नहीं हुई ?

दूसरा आदमी : (हँसते हुए) बस लड़की देख रहे है जी...

छेदी की बात सुन कर उर्मिला समझ जाती है की कुछ देर पहले जो उसने झूठ बोल कर छेदी को बेवक़ूफ़ बनाया था, अब वो चोरी पकड़ी गई है. वो चुप-चाप उनकी बाते सुनते हुए खड़ी हो जाती है. येही हाल पायल का भी था. छेदी आगे कहत है.

छेदी : (दोनों हट्टे-कट्ठे आदमियों से) भाई आप दोनों से बस स्टॉप पर बात-चीत करके बड़ा मजा आया. (पायल को घूरते हुए) कुछ लोगों को आपके बारें में गलतफहमी हो गई है. कोई बात नहीं...ठीक है...हो जाता है.

उर्मिला सारी बातें चुप-चाप खड़ी हो कर सुन रही थी. उसकी सारी होशियारी निकल कर हवा हो चुकी थी. पायल भी डरे हुए उर्मिला को देखने लगती है. इन सारी बातों से बेखबर रमेश चुप-चाप सीट पर बैठा है. उसे इस बात की जरा भी भनक नहीं थी की ये सब चल क्या रहा है.

तभी दूसरा बस स्टॉप आ जाता है और बस का ड्राईवर जोरो से ब्रेक लगा देता है. बस एक झटके से रुक जाती है तो उर्मिला के पीछे खड़ा छेदी, उर्मिला से पीछे से चिपक जाता है. पायल भी झटका खा कर पीछे खड़े तगड़े आदमी से टकरा जाती है. छेदी धीरे-धीरे उर्मिला से अलग होता हुआ कहता है.

छेदी : बहुत भीड़ है भाई...बहुत भीड़ है...

रमेश इस घटना को देख लेते है. जिस तरह से एक अनजान आदमी उर्मिला के पीछे से चिपक गया था और जिस तरह से पायल एक अनजान आदमी से पीछे हो कर चिपक गई थी, रमेश को इन बातों पर गुस्सा नहीं आ रहा था. बल्कि रमेश की धोती में सोये हुए लंड में एक हरकत सी होने लगी थी. अपनी ही बहु और बेटी को किसी अनजान मर्दों से चिपकता देख कर रमेश को मजा आया था. इस बात से उर्मिला और पायल दोनों ही अनजान थे.

उस स्टॉप पर भी कुछ लोग बस में घुस जाते है तो बस के अन्दर बुरा हाल हो जाता है. दोनों दरवाजों से घुसती भीड़ की वजह से बस के बीच की जगह का बुरा हाल हो जाता है. लोग एक दुसरे से चिपक जाते है और हिलने डुलने की भी जगह मुश्किल हो जाती है. इस बात का फ़ायदा उठा कर छेदी उर्मिला की बड़ी-बड़ी चुतड पर अपने आगे का हिस्सा चिपका कर खड़े हो जाता है. पायल के पीछे खड़ा तगड़ा आदमी भी पायल की चुतड से चिपक जाता है. दूसरा तगड़ा आदमी अब उर्मिला और पायल के बीच खड़ा हो जाता है और अपना चेहरा उर्मिला की तरफ कर देता है. उर्मिला के पीछे छेदी चिपका खड़ा है और आगे दूसरा तगड़ा आदमी. उर्मिला दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है. पायल के सामने दुसरे तगड़े आदमी की पीठ है और पीछे पहला तगड़ा आदमी. वो भी दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है.

रमेश जब उर्मिला और पायल को इस तरह मर्दों के के बीच फंसा देखते है तो उनके लंड में तनाव आने लगता है. वो बिना कुछ कहे चुप-चाप इस नज़ारे का मज़ा लेने लगते हैं. बस निकल पड़ती है और छेदी उर्मिला के पीछे अपना काम शुरू कर देता है. बस काफी पुरानी है और चलते हुए हिल रही है. बस के इस तरह से हिलने का पूरा फायेदा उठाते हुए छेदी उर्मिला की बड़ी चूतड़ों के बीच अपनी पैंट में बने बड़े से उभार को दबा देता है. अपनी चूतड़ों के बीच किसी मोटे और सक्त चीज़ का अहसास होते ही उर्मिला समझ जाती है की ये छेदी का लंड ही है. वो सोचती है की एक दुबले पतले आदमी का ऐसा मोटा लंड कैसे हो सकता है. लंड को परखने के लिए उर्मिला अपनी चुतड हल्का सा पीछे कर देती है. उर्मिला को इस तरह से चुतड पीछे करते देख छेदी भी अपनी कमर आगे कर देता है और उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबाव बना देता है. अब उर्मिला को यकीन हो जाता है की ये छेदी का लंड ही है जो मोटा होने के साथ-साथ लम्बा भी है.

सामने पायल का भी वैसा ही हाल था. उसके पीछे खड़ा तगड़ा आदमी पायल की चूतड़ों के बीच अपना लंड पैंट के अन्दर से चिपकाए खड़ा था. जब भी बस हिल जाती तो वो अपना लंड पायल की स्कर्ट के ऊपर से चूतड़ों पर रगड़ देता. रमेश अब उर्मिला और पायल के साथ हो रही इस घटना का पूरा मजा लेने लगा था. ये सब देख कर उसके लंड में हलचल हो रही थी. तभी बस के सामने एक गाय आ जाती है और ड्राईवर जोर से ब्रेक लगा देता है. ब्रेक लगने से उर्मिला पहले आगे होती है तो उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सामने वाले तगड़े आदमी के सीने पर पूरी तरह से दब जाती है. पीछे छेदी भी अपनी कमर आगे कर उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबा देता है. जैसे ही बस रूकती है तो उर्मिला झटका खाते हुए पीछे हो जाती है. पीछे छेदी अपने लंड का उभार लिए खड़ा था. जैसे ही उर्मिला पीछे हुई, छेदी ने अपने लंड का उभार उर्मिला की चूतड़ों के बीच झटके से घुसा दिया. झटका इतने जोर का था की लंड का उभार उर्मिला की साड़ी के साथ उसकी चूतड़ों के बीच घुस जाता है. अब छेदी का लंड उर्मिला की चूतड़ों में घुसी साड़ी के साथ अन्दर फस हुआ था. उर्मिला भी छेदी के लंड की मोटाई अच्छे से महसूस कर पा रही थी. अब उर्मिला भी मजा लेने लगी थी. छेदी अपने लंड को हल्का सा झटका देता तो उर्मिला भी अपनी चुतड भींच के उसके लंड को पकड़ सी लेती. छेदी भी समझ गया था की अब आगे का रास्ता असान हो गया है.

सामने पायल भी अब उसके साथ होने वाली मस्ती का मजा लेने लगी थी. तगड़े आदमी ने अब अपनी कमर पायल की चुतड से चिपकाए, एक हाथ से उसकी कमर को सहलाना भी शुरू कर दिया था. पैंट के अन्दर से अपने लंड को पायल की स्कर्ट में कैद चूतड़ों पर रगड़ते हुए वो अपने हाथ को कमर से उसके पेट पर लाने लगा था. धीरे-धीरे पायल का पेट सहलाते हुए वो अपनी कमर को पायल की चूतड़ों पर हिलाए जा रहा था. तभी बस के अन्दर जल रही तीन बत्तियों में से पीछे और बीच की बत्तियाँ बुझ जाती है और बस में लगभग अँधेरा सा छा जाता है. एक बत्ती जो ड्राईवर की सीट के पास है, वही जल रही है. बस में अँधेरा होने से रमेश अपनी आँखों पर जोर डालते हुए उर्मिला और पायल के साथ क्या हो रहा है वो देखने लगते है.

अँधेरे का फायेदा उठा के छेदी अब उर्मिला से पूरा चिपक गया था. उर्मिला की कमर में हाथ डाले वो उसके की पिछवाड़े पर निचे से ऊपर अपनी कमर रगड़े जा रहा था. उर्मिला के सामने वाले तगड़े मर्द ने थोडा झुक कर अपना मुहँ उर्मिला की बगल में घुसा दिया था. उर्मिला हाथ उठाये ऊपर रॉड पकडे खड़ी थी और वो मर्द अपना मुहँ उसकी बगल में घुसाए बाहं के निचे ब्लाउज के गीले हिस्से हो सूंघे जा रहा था. उर्मिला के ब्लाउज की बांह छोटी और हाथ ऊपर होने की वजह से उसकी बगल लगभग आधी बाहर दिख रही थी. वो आदमी बगल सूंघते हुए बीच-बीच में छोटी बाहं में जीभ घुसा कर उर्मिला की बालोवाली बगल चाट लेता. पीछे छेदी और आगे तगड़ा आदमी उर्मिला को पूरा मजा दे रहे थे.

सामने पायल की टॉप में तगड़े आदमी ने अपना हाथ घुसा दिया था. टॉप के अन्दर हाथ घुसा के वो पायल के एक दूध को दबोच कर मसले जा रहा था. पायल आँखे बंद किये अपना दूध उस अनजान मर्द से मसलवा रही थी. तेज़ साँसों के साथ पायल मस्ती में मजा ले रही थी की अचानक उसकी नज़र रमेश पर पड़ी. रमेश ये सब घुर के देख रहा था. पायल को सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई जब उसने देखा की पापा का एक हाथ धोती के अन्दर है और वो ये सब देखते हुए अपना लंड मसल रहें है. पायल इस बात से हैरान तो हुई लेकिन ना जाने क्यूँ उसे भी इसमें मजा आ रहा था. अपने ही पापा के सामने किसी अनजान मर्द से दूध दबवाने में उसे अब मजा आने लगा था और ये मजा दुगना हो गया था जब खुद उसके पापा भी अपना लंड मसल कर मजा ले रहे थे. पायल का बदन मस्ती में झूम उठा था. रमेश लंड मसलते हुए पायल को देख रहे थे और पायल अपना दूध पराये मर्द से दबवाते हुए पापा को. तभी पापा को देखते हुए पायल ने एक हाथ से अपनी टॉप आगे से थोड़ी ऊपर कर दी तो नीचे सीट पर बैठे रमेश को हलकी सी रौशनी में पायल के बड़े दूध पर एक हाथ घूमता हुआ दिख गया जो बीच-बीच में पायल के दूध को दबोच ले रहा था तो कभी निप्पल मसल दे रहा था. ये नज़ारा देख कर रमेश ने धोती के अन्दर अपने हाथ की गति बढ़ा दी.

तभी अगला बस स्टॉप आ गया और रमेश के साथ बैठी महिला ने चिल्ला कर कहा, "बस रोको भाई. मुझे उतरना है". उस महिला की आवाज़ से छेदी और तगड़े मर्द संभल जाते है और अपना काम छोड़ कर सीधे खड़े हो जाते है. फिर वो महिला रमेश से कहती है. "भाई साहब जरा हटिये. मेरा स्टॉप आ गया है". रमेश उठ जाते है तो वो वहां से बाहर निकलती है. उसके निकलते ही रमेश पायल को इशारा करते है तो पायल झट से अन्दर घुस कर खिड़की वाली सीट पर बैठ जाती है और रमेश अपनी सीट पर बैठ जाते है. पायल को सीट पर बैठता देख तगादा मर्द निराश हो जाता है लेकिन फिर सामने उर्मिला को देख कर मुस्कुराते हुए उसकी दूसरी तरफ खड़ा हो जाता है. अब उर्मिला के पीछे छेदी है, सामने और दूसरी तरफ तगड़े मर्द और एक तरफ बाबूजी बैठे है.

उर्मिला अपने आप को किसी चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाती है. उस चक्रव्यूह में कोई तलवार, तीर-कमान या भाले जैसे हथियार नहीं थे, बल्कि लंड और हाथ जैसे हथियार थे जो उर्मिला के बदन को घायल कर रहे थे. लंड और हाथ रुपी इन हथियारों के घाव उर्मिला को पीड़ा नहीं बल्कि उत्तेजना और आनंद से भर दे रहे थे. उसे इस चक्रव्यूह से निकालने वाले अभिमन्यु रुपी बाबूजी खुद इस का एक हिस्सा बने मजा ले रहे थे. जब उर्मिला बाबूजी की तरफ देखती है तो वो आँखे फाड़े धोती में अपना लंड मसलते हुए उसे देख रहे थे. उर्मिला बाबूजी को देखते हुए अपने ओंठ काट लेती है और आँखे बंद किये अपने शरीर को उस चक्रव्यूह के रचेता, छेदी और उन दो तगड़े आदमियों के सामने आत्मसमर्पित कर देती है.

(अगला भाग भी लिख ही रही हूँ. जब तक वो तैयार होता है तब तक इसका मजा लें. छेदी का किरदार कैसा लगा ये जरुर बतायें. आगे छेदी बड़े काम की चीज़ साबित होने वाला है)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
बेहद कामुक अपडेट था
 
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Nasn

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ये एक इन्सेस्ट कहानी है और इन्सेस्ट कहानी ही रहेगी. एडल्टरी मेरे बस की बात नहीं.

-मस्तरानी
मुझे पता है।
मस्त रानी जी
ये एक ट्विस्ट है
स्टोरी इन्सेस्ट ही रहेगी ।
ट्विस्ट में भी बेहद मज़ा आया
 

Mastrani

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मेरा नया अवतार....!!


mast1
 
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