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Incest घर की ज़िमेदारी

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 5 55.6%
  • पारुल

    Votes: 4 44.4%
  • नेहा

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    9

Underground Life

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34
पारुल
28 साल
पहला पति – रिषभ (अब नही रहा)
दूसरा पति – सूरज (जो उसका देवर था)

पहले पति की मूर्ति हो गई दूसरी शादी अपने देवर से की
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सूरज
25 साल
पारुल का दूसरा पति और पहले उसका देवर था

सुमित्रा
48 साल
पति 60 साल विक्रम सिंह
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Last edited:

Underground Life

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Update 01

सूरज अपनी ऑफिस में काम करने में व्यस्त अपनी कंप्यूटर स्क्रीन से एक पल पल के लिए भी नजरें नही हटा रहा था.. डेस्क पे पड़ा उसका फोन पिछले 5 मीन से बज रहा था.. आखिर में सूरज के सामने ही बैठे उसके मैनेजर ने तंग आले बोला..."सूरज अपना फोन साइलेंट करो या उठा लो परेशान कर दिया अब है आवाज ने..."

सूरज गड़बड़ाता हुआ फोन उठा लेता है और थोड़ा
गुस्सा करता हुआ बोला " मां आप को बोला था ना कि ऑफिस के समय कॉल मत किया करो बाद में बाद करता हू"

सामने से उसकी मां की रोती हुई आवाज आती है और मां के शब्द सुन सूरज सुन पड़ गया... उसकी आखों से अचानक आशु बहन लगे...वो फोन रख तुरत बाहर निकलने लगा...पीछे से मैनेजर उसे आवाज दे रहा था लेकिन सूरज को जैसे कुछ सुनाई ही न रहा हो वैसे वो ऑफिस से निकल गया...

सूरज ट्रेन में बैठे हुए गहरी सोच में चला गया...

कुछ साल पहले....

सूरज के बड़े भाई (चाचा के लड़के) – अरे छोटे ये क्या है...

सूरज के बड़े भाई रिषभ के हाथ में सूरज का ऑफर लेटर था...

सूरज – कुछ नहीं भईया बस एक कंपनी में इंटरव्यू हुआ था...

रिषभ – अरे तेरी जॉब लग गई...(पड़ के ) अरे क्या बात है छोटे मुंबई में और 15 LPA ... क्या बात है अभी सब को खुशखबरी देता हू...

सूरज – भईया रहने दो में नही जा रहा... वहा यही कुछ करने का सोच रहा हू...

रिषभ – अरे पागल है क्या इतना पड़ के यहां क्या करेगा..

सूरज की चुप्पी देख जैसे रिषभ सब समझ गया...दोनो भाई का रिश्ता ही ऐसा था की एक दूसरे की मन की बात समझ जाते थे... वो सूरज के पास एक उसके पास बैठ के उसे बोला....

रिसभ – अरे पागल तू यहां की कोई फिकर मत कर यहां में हु ना... छोटी मां और छोटे पापा की बिलकुल फिकर ना कर और वैसे अभी से इतना मत सोच अभी तू छोटा है कुछ साल आराम से अपनी लाइफ एंजॉय कर ले फिर तुझे जो सही लगे....

प्रेसेंट समय में.....

सूरज अपने गांव पहुंचा तब तक अंतिम संस्कार हो चुका था... सूरज को बड़ा अफसोस हो रहा था की वो एक आखरी बार भी उसके बड़े भाई से मिल न पाया... कास वो घर से इतना दूर न होता...

सूरज आंगन में ही गांव वालो के साथ बैठ गया और वहां उसे कुछ कुछ बाते पता चली लेकिन अभी तक वो कुछ ठीक से समझ पाने की हालत में नहीं था...रात हो गए...सब अपने अपने घर चले गई थे...

तभी परी (रिषभ की बेटी) सूरज घर में बुलाने आती है.. परी अपने चाचा से मिल उनके गले लग जाती है और सूरज के आखों से फिर से आसू बहने लगे... परी को गोद में उठा कर वो घर में आता है...अपनी मां के साथ बैठ सूरज भावुक हो उठा और मां की गोद में सर रख खुट खूट के रो पड़ा... छोटी सी परी को कुछ समझ नहीं आ रहा...

अगले दिन सुबह गांव वाले सूरज के घर कुछ खाने के लिए ले जाते है...जैसे तैसे सब को गांव वाले थोड़ा थोड़ा खाना खिला देते है...पर पारुल (सूरज की भाभी) ने कुछ नही खाया था...

सब के जाने के बाद सुमित्रा उसके पास गई कुछ खाना ले कर...सूरज भी अपनी मां के पीछे पीछे अपनी भाभी के कमरे में जाने लगा.... पारुल कमरे में सफेद सारी में एक कोने में बैठी थी...

(रिसभ के मा कुछ साल पहले ही चल बसी थी)

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पारुल सूरज से 4 साल बड़ी थी वो 28 की और सूरज 25 का होंगे.. दोनो के बीच बहुत गहरा और पवित्रा रिश्ता था... सूरज के लिए उसकी भाभी जैसे बड़ी बहन थी और पारुल तो सूरज को अपने बेटे जैसे प्यार करती...

हर वक्त हंसती खेलती चुलबुली भाभी को इसे देख सूरज वहा से जाने ही वाला था की उसकी मां बोली.."बेटा अब तू ही खिला अपनी भाभी को मेरी तो एक नही सुन रही पगली खाएंगी नही तो कैसे चलेगा...अपना नही तो परी के बारे में तो सोच उसे तो कुछ समझ भी नही रहा...और सुमित्रा के आखों से आसू निकल गई" और वो बाहर चली गई...

अब कमरे बस सूरज और उसकी भाभी थे...सूरज अपनी भाभी के पास जाता है और आगे क्या करे उसे कुछ सूझ नही रहा था की पारुल उठ खड़ी हुई और सूरज को कस के आलिंगन करते हुए रोने लगी...सूरज की हिम्मत न हुए की अपनी भाभी को वो अपनी बाहों me भर उन्हे सहला के शांत करे... वो बस किसी मूर्ति के जैसे खड़ा रहा... पारुल ने अपनी सारा दुख सूरज को फिर से कह सुनाया और सूरज भी रोने लगा और भावुक होके अपनी भाभी को अपनी बाहों में भर सहलाने लगा...दोनो के मन में कोई खोट न थी... दोनो अपना दुख साझा करने लगे... सूरज ने भाभी को बेड पे बैठा के खाने खिलाने की नाकाम कोशिश की... सूरज के साथ पारुल रिषभ के बाद सब से करीब थी...इन कुछ सालो में पारुल सूरज से एक पवित्र रिश्ते से जुड़ गई थी...भाभी को तंग करना मजाक मस्ती करना सूरज को बड़ा पसंद था और पारुल भी सूरज के साथ खुल ke मस्ती करती....पर न तो कभी सूरज के दिल दिमाग एम कोई गलत ख्याल आया ना तो पारुल के....

अपनी भाभी की न खाने की जिद से परेशान हो उठा...तभी वो बाहर गया और परी को ले आया...और परी के हाथो से खाना दिया तब जैसे तैसे पारुल को न चाहते हुए भी खाना पड़ा...

इसे ही कुछ दिन हफ्ते निकल गई और सारी विधि पूरी हो गई... पारुल भाभी अभितक गुमसुम रहती थी पर परी की वजह से थोड़ी चहर पहर रहती...

एक साम गांव के कुछ बड़े बुजुर्क और पारुल के माता पिता घर आई और सूरज के माता पिता और चाचा से बात की और बाद में सूरज को बुलाया गया...

सूरज के पिताजी बोले – देखिए ये ही मेरा बेटा सूरज अभी मुंबई में काम करता है.. अगर आप को सही लगे तो.. में पारुल बेटी को अपने घर की बहु बनाना चाहूगा...(पारुल के माता पिता की और देख)

सूरज का दिमाग घूम गया...जिस भाभी ने इतने साल उसे राखी बांधी थी उस के साथ शादी और वो भी अपन बड़े भाई की विधवा से...सूरज के हाथ पैर सुन पड़ गई...न वो अपने पिता को इसे सब के सामने टोक सकता था न उसके दिमाग में कुछ सूझ रहा था...

गांव वाले – देखिए आप की बेटी अभी जवान है पर उसकी बेटी को कोई दूसरा घर यहां जैसा प्यार नही सब का परी के साथ रिश्ता जुड़ गया है और रिषभ के पिताजी के पास तो बस उनकी पोती ही रही है..

पारुल के पिताजी – देखिए हमारे लिए तो ये खुशी की बात है की उसी घर में हमारी बेटी रहे पर क्या आप का लड़का जोकि पारुल से उम्र में छोटा है और बड़े सहर मै काम करता है वो...क्या वो एक गांव की विधवा लड़की से शादी करेगा...

सूरज के पिताजी – देखिए अब तो उसे यही रहना है...और रही बात पसंद न पसंद की तो सूरज अपने भाई और परी से बहोत प्यार करता है उनके लिए शादी तो बहुत छोटी बात है..और आप तो सब जानते ही हो ऐसा कोई पहली बार तो हो नहीं रहा गांव में... आप बिलकुल निश्चित रहिए...और बस हा बोलिए पारुल बेटियां हमारे घर की बहू थी और रहेगी....

पारुल के पिताजी और गांव वाले– सूरज बेटा आप को कोई एतराज़ तो नही???

सूरज बिचारा न वो हा बोलना चाहता था ना वो मना कर सकता था... पिताजी से पूछना तो संभव ही न था..वो अपनी मां की ओर किसी आश से दिखाता जो उसे इसारे में कह रही थी की हा बोल दे...और बिचारे को आखिर बोलना ही पड़ा..पर वो आखिरी कोसिस कर लेता है...

सूरज – जी मुझे कोई दिक्कत नही पर भाभी की का फैसला आखरी होगा.. अगर उनकी हा हो तो मुझे भी कोई दिक्कत नही....

सब चले जाते है... सूरज बस इस आश में था की उसकी भाभी कभी राजी नहीं होगी और शादी नही हो पाएगी...

लेकिन हुआ जो सूरज ने सोचा नही था.. पारुल भी अपनी मजबूरी में हा कर देती है...और वैसे भी उसकी हा या ना से ये शादी नही रुकने वाली थी... इस लिए पारुल को भी न चाहते हुए भी हा करनी पड़ी....पारुल का भी दिल दिमाग काम नही कर रहा था...

दोनो की ऐसी हालत में ही कुछ घर के बड़ो की मौजूदगी में शादी करवा दी गई...

और अब पारुल सूरज की भाभी से जीवनसंगिनी बन गई... दोनो की सुहागरात की रात भी आ गई और अभी तक दोनो ने एक दूसरे से बात तक नहीं की थी न दोनो मे से किसी ने हम्मत हो रही थी..

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पारुल कमरे में दुल्हन बनी बैठी थी...पारुल किसी अप्सरा सी खूबसूरत लग रही थी...
 

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सूरज अपनी ऑफिस में काम करने में व्यस्त अपनी कंप्यूटर स्क्रीन से एक पल पल के लिए भी नजरें नही हटा रहा था.. डेस्क पे पड़ा उसका फोन पिछले 5 मीन से बज रहा था.. आखिर में सूरज के सामने ही बैठे उसके मैनेजर ने तंग आले बोला..."सूरज अपना फोन साइलेंट करो या उठा लो परेशान कर दिया अब है आवाज ने..."

सूरज गड़बड़ाता हुआ फोन उठा लेता है और थोड़ा

गुस्सा करता हुआ बोला " मां आप को बोला था ना कि ऑफिस के समय कॉल मत किया करो बाद में बाद करता हू"

सामने से उसकी मां की रोती हुई आवाज आती है और मां के शब्द सुन सूरज सुन पड़ गया... उसकी आखों से अचानक आशु बहन लगे...वो फोन रख तुरत बाहर निकलने लगा...पीछे से मैनेजर उसे आवाज दे रहा था लेकिन सूरज को जैसे कुछ सुनाई ही न रहा हो वैसे वो ऑफिस से निकल गया...

सूरज ट्रेन में बैठे हुए गहरी सोच में चला गया...

कुछ साल पहले....

सूरज के बड़े भाई (चाचा के लड़के) – अरे छोटे ये क्या है...

सूरज के बड़े भाई रिषभ के हाथ में सूरज का ऑफर लेटर था...

सूरज – कुछ नहीं भईया बस एक कंपनी में इंटरव्यू हुआ था...

रिषभ – अरे तेरी जॉब लग गई...(पड़ के ) अरे क्या बात है छोटे मुंबई में और 15 LPA ... क्या बात है अभी सब को खुशखबरी देता हू...

सूरज – भईया रहने दो में नही जा रहा... वहा यही कुछ करने का सोच रहा हू...

रिषभ – अरे पागल है क्या इतना पड़ के यहां क्या करेगा..

सूरज की चुप्पी देख जैसे रिषभ सब समझ गया...दोनो भाई का रिश्ता ही ऐसा था की एक दूसरे की मन की बात समझ जाते थे... वो सूरज के पास एक उसके पास बैठ के उसे बोला....

रिसभ – अरे पागल तू यहां की कोई फिकर मत कर यहां में हु ना... छोटी मां और छोटे पापा की बिलकुल फिकर ना कर और वैसे अभी से इतना मत सोच अभी तू छोटा है कुछ साल आराम से अपनी लाइफ एंजॉय कर ले फिर तुझे जो सही लगे....

प्रेसेंट समय में.....

सूरज अपने गांव पहुंचा तब तक अंतिम संस्कार हो चुका था... सूरज को बड़ा अफसोस हो रहा था की वो एक आखरी बार भी उसके बड़े भाई से मिल न पाया... कास वो घर से इतना दूर न होता...

सूरज आंगन में ही गांव वालो के साथ बैठ गया और वहां उसे कुछ कुछ बाते पता चली लेकिन अभी तक वो कुछ ठीक से समझ पाने की हालत में नहीं था...रात हो गए...सब अपने अपने घर चले गई थे...

तभी परी (रिषभ की बेटी) सूरज घर में बुलाने आती है.. परी अपने चाचा से मिल उनके गले लग जाती है और सूरज के आखों से फिर से आसू बहने लगे... परी को गोद में उठा कर वो घर में आता है...अपनी मां के साथ बैठ सूरज भावुक हो उठा और मां की गोद में सर रख खुट खूट के रो पड़ा... छोटी सी परी को कुछ समझ नहीं आ रहा...

अगले दिन सुबह गांव वाले सूरज के घर कुछ खाने के लिए ले जाते है...जैसे तैसे सब को गांव वाले थोड़ा थोड़ा खाना खिला देते है...पर पारुल (सूरज की भाभी) ने कुछ नही खाया था...

सब के जाने के बाद सुमित्रा उसके पास गई कुछ खाना ले कर...सूरज भी अपनी मां के पीछे पीछे अपनी भाभी के कमरे में जाने लगा.... पारुल कमरे में सफेद सारी में एक कोने में बैठी थी...

(रिसभ के मा कुछ साल पहले ही चल बसी थी)

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पारुल सूरज से 4 साल बड़ी थी वो 28 की और सूरज 25 का होंगे.. दोनो के बीच बहुत गहरा और पवित्रा रिश्ता था... सूरज के लिए उसकी भाभी जैसे बड़ी बहन थी और पारुल तो सूरज को अपने बेटे जैसे प्यार करती...

हर वक्त हंसती खेलती चुलबुली भाभी को इसे देख सूरज वहा से जाने ही वाला था की उसकी मां बोली.."बेटा अब तू ही खिला अपनी भाभी को मेरी तो एक नही सुन रही पगली खाएंगी नही तो कैसे चलेगा...अपना नही तो परी के बारे में तो सोच उसे तो कुछ समझ भी नही रहा...और सुमित्रा के आखों से आसू निकल गई" और वो बाहर चली गई...

अब कमरे बस सूरज और उसकी भाभी थे...सूरज अपनी भाभी के पास जाता है और आगे क्या करे उसे कुछ सूझ नही रहा था की पारुल उठ खड़ी हुई और सूरज को कस के आलिंगन करते हुए रोने लगी...सूरज की हिम्मत न हुए की अपनी भाभी को वो अपनी बाहों me भर उन्हे सहला के शांत करे... वो बस किसी मूर्ति के जैसे खड़ा रहा... पारुल ने अपनी सारा दुख सूरज को फिर से कह सुनाया और सूरज भी रोने लगा और भावुक होके अपनी भाभी को अपनी बाहों में भर सहलाने लगा...दोनो के मन में कोई खोट न थी... दोनो अपना दुख साझा करने लगे... सूरज ने भाभी को बेड पे बैठा के खाने खिलाने की नाकाम कोशिश की... सूरज के साथ पारुल रिषभ के बाद सब से करीब थी...इन कुछ सालो में पारुल सूरज से एक पवित्र रिश्ते से जुड़ गई थी...भाभी को तंग करना मजाक मस्ती करना सूरज को बड़ा पसंद था और पारुल भी सूरज के साथ खुल ke मस्ती करती....पर न तो कभी सूरज के दिल दिमाग एम कोई गलत ख्याल आया ना तो पारुल के....

अपनी भाभी की न खाने की जिद से परेशान हो उठा...तभी वो बाहर गया और परी को ले आया...और परी के हाथो से खाना दिया तब जैसे तैसे पारुल को न चाहते हुए भी खाना पड़ा...

इसे ही कुछ दिन हफ्ते निकल गई और सारी विधि पूरी हो गई... पारुल भाभी अभितक गुमसुम रहती थी पर परी की वजह से थोड़ी चहर पहर रहती...

एक साम गांव के कुछ बड़े बुजुर्क और पारुल के माता पिता घर आई और सूरज के माता पिता और चाचा से बात की और बाद में सूरज को बुलाया गया...

सूरज के पिताजी बोले – देखिए ये ही मेरा बेटा सूरज अभी मुंबई में काम करता है.. अगर आप को सही लगे तो.. में पारुल बेटी को अपने घर की बहु बनाना चाहूगा...(पारुल के माता पिता की और देख)

सूरज का दिमाग घूम गया...जिस भाभी ने इतने साल उसे राखी बांधी थी उस के साथ शादी और वो भी अपन बड़े भाई की विधवा से...सूरज के हाथ पैर सुन पड़ गई...न वो अपने पिता को इसे सब के सामने टोक सकता था न उसके दिमाग में कुछ सूझ रहा था...

गांव वाले – देखिए आप की बेटी अभी जवान है पर उसकी बेटी को कोई दूसरा घर यहां जैसा प्यार नही सब का परी के साथ रिश्ता जुड़ गया है और रिषभ के पिताजी के पास तो बस उनकी पोती ही रही है..

पारुल के पिताजी – देखिए हमारे लिए तो ये खुशी की बात है की उसी घर में हमारी बेटी रहे पर क्या आप का लड़का जोकि पारुल से उम्र में छोटा है और बड़े सहर मै काम करता है वो...क्या वो एक गांव की विधवा लड़की से शादी करेगा...

सूरज के पिताजी – देखिए अब तो उसे यही रहना है...और रही बात पसंद न पसंद की तो सूरज अपने भाई और परी से बहोत प्यार करता है उनके लिए शादी तो बहुत छोटी बात है..और आप तो सब जानते ही हो ऐसा कोई पहली बार तो हो नहीं रहा गांव में... आप बिलकुल निश्चित रहिए...और बस हा बोलिए पारुल बेटियां हमारे घर की बहू थी और रहेगी....

पारुल के पिताजी और गांव वाले– सूरज बेटा आप को कोई एतराज़ तो नही???

सूरज बिचारा न वो हा बोलना चाहता था ना वो मना कर सकता था... पिताजी से पूछना तो संभव ही न था..वो अपनी मां की ओर किसी आश से दिखाता जो उसे इसारे में कह रही थी की हा बोल दे...और बिचारे को आखिर बोलना ही पड़ा..पर वो आखिरी कोसिस कर लेता है...

सूरज – जी मुझे कोई दिक्कत नही पर भाभी की का फैसला आखरी होगा.. अगर उनकी हा हो तो मुझे भी कोई दिक्कत नही....

सब चले जाते है... सूरज बस इस आश में था की उसकी भाभी कभी राजी नहीं होगी और शादी नही हो पाएगी...

लेकिन हुआ जो सूरज ने सोचा नही था.. पारुल भी अपनी मजबूरी में हा कर देती है...और वैसे भी उसकी हा या ना से ये शादी नही रुकने वाली थी... इस लिए पारुल को भी न चाहते हुए भी हा करनी पड़ी....पारुल का भी दिल दिमाग काम नही कर रहा था...

दोनो की ऐसी हालत में ही कुछ घर के बड़ो की मौजूदगी में शादी करवा दी गई...

और अब पारुल सूरज की भाभी से जीवनसंगिनी बन गई... दोनो की सुहागरात की रात भी आ गई और अभी तक दोनो ने एक दूसरे से बात तक नहीं की थी न दोनो मे से किसी ने हम्मत हो रही थी..

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पारुल कमरे में दुल्हन बनी बैठी थी...पारुल किसी अप्सरा सी खूबसूरत लग रही थी...
कहानी का प्रारंभ बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार हैं भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Kingbaby

🤪🤪🤪🤪
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सूरज अपनी ऑफिस में काम करने में व्यस्त अपनी कंप्यूटर स्क्रीन से एक पल पल के लिए भी नजरें नही हटा रहा था.. डेस्क पे पड़ा उसका फोन पिछले 5 मीन से बज रहा था.. आखिर में सूरज के सामने ही बैठे उसके मैनेजर ने तंग आले बोला..."सूरज अपना फोन साइलेंट करो या उठा लो परेशान कर दिया अब है आवाज ने..."

सूरज गड़बड़ाता हुआ फोन उठा लेता है और थोड़ा

गुस्सा करता हुआ बोला " मां आप को बोला था ना कि ऑफिस के समय कॉल मत किया करो बाद में बाद करता हू"

सामने से उसकी मां की रोती हुई आवाज आती है और मां के शब्द सुन सूरज सुन पड़ गया... उसकी आखों से अचानक आशु बहन लगे...वो फोन रख तुरत बाहर निकलने लगा...पीछे से मैनेजर उसे आवाज दे रहा था लेकिन सूरज को जैसे कुछ सुनाई ही न रहा हो वैसे वो ऑफिस से निकल गया...

सूरज ट्रेन में बैठे हुए गहरी सोच में चला गया...

कुछ साल पहले....

सूरज के बड़े भाई (चाचा के लड़के) – अरे छोटे ये क्या है...

सूरज के बड़े भाई रिषभ के हाथ में सूरज का ऑफर लेटर था...

सूरज – कुछ नहीं भईया बस एक कंपनी में इंटरव्यू हुआ था...

रिषभ – अरे तेरी जॉब लग गई...(पड़ के ) अरे क्या बात है छोटे मुंबई में और 15 LPA ... क्या बात है अभी सब को खुशखबरी देता हू...

सूरज – भईया रहने दो में नही जा रहा... वहा यही कुछ करने का सोच रहा हू...

रिषभ – अरे पागल है क्या इतना पड़ के यहां क्या करेगा..

सूरज की चुप्पी देख जैसे रिषभ सब समझ गया...दोनो भाई का रिश्ता ही ऐसा था की एक दूसरे की मन की बात समझ जाते थे... वो सूरज के पास एक उसके पास बैठ के उसे बोला....

रिसभ – अरे पागल तू यहां की कोई फिकर मत कर यहां में हु ना... छोटी मां और छोटे पापा की बिलकुल फिकर ना कर और वैसे अभी से इतना मत सोच अभी तू छोटा है कुछ साल आराम से अपनी लाइफ एंजॉय कर ले फिर तुझे जो सही लगे....

प्रेसेंट समय में.....

सूरज अपने गांव पहुंचा तब तक अंतिम संस्कार हो चुका था... सूरज को बड़ा अफसोस हो रहा था की वो एक आखरी बार भी उसके बड़े भाई से मिल न पाया... कास वो घर से इतना दूर न होता...

सूरज आंगन में ही गांव वालो के साथ बैठ गया और वहां उसे कुछ कुछ बाते पता चली लेकिन अभी तक वो कुछ ठीक से समझ पाने की हालत में नहीं था...रात हो गए...सब अपने अपने घर चले गई थे...

तभी परी (रिषभ की बेटी) सूरज घर में बुलाने आती है.. परी अपने चाचा से मिल उनके गले लग जाती है और सूरज के आखों से फिर से आसू बहने लगे... परी को गोद में उठा कर वो घर में आता है...अपनी मां के साथ बैठ सूरज भावुक हो उठा और मां की गोद में सर रख खुट खूट के रो पड़ा... छोटी सी परी को कुछ समझ नहीं आ रहा...

अगले दिन सुबह गांव वाले सूरज के घर कुछ खाने के लिए ले जाते है...जैसे तैसे सब को गांव वाले थोड़ा थोड़ा खाना खिला देते है...पर पारुल (सूरज की भाभी) ने कुछ नही खाया था...

सब के जाने के बाद सुमित्रा उसके पास गई कुछ खाना ले कर...सूरज भी अपनी मां के पीछे पीछे अपनी भाभी के कमरे में जाने लगा.... पारुल कमरे में सफेद सारी में एक कोने में बैठी थी...

(रिसभ के मा कुछ साल पहले ही चल बसी थी)

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पारुल सूरज से 4 साल बड़ी थी वो 28 की और सूरज 25 का होंगे.. दोनो के बीच बहुत गहरा और पवित्रा रिश्ता था... सूरज के लिए उसकी भाभी जैसे बड़ी बहन थी और पारुल तो सूरज को अपने बेटे जैसे प्यार करती...

हर वक्त हंसती खेलती चुलबुली भाभी को इसे देख सूरज वहा से जाने ही वाला था की उसकी मां बोली.."बेटा अब तू ही खिला अपनी भाभी को मेरी तो एक नही सुन रही पगली खाएंगी नही तो कैसे चलेगा...अपना नही तो परी के बारे में तो सोच उसे तो कुछ समझ भी नही रहा...और सुमित्रा के आखों से आसू निकल गई" और वो बाहर चली गई...

अब कमरे बस सूरज और उसकी भाभी थे...सूरज अपनी भाभी के पास जाता है और आगे क्या करे उसे कुछ सूझ नही रहा था की पारुल उठ खड़ी हुई और सूरज को कस के आलिंगन करते हुए रोने लगी...सूरज की हिम्मत न हुए की अपनी भाभी को वो अपनी बाहों me भर उन्हे सहला के शांत करे... वो बस किसी मूर्ति के जैसे खड़ा रहा... पारुल ने अपनी सारा दुख सूरज को फिर से कह सुनाया और सूरज भी रोने लगा और भावुक होके अपनी भाभी को अपनी बाहों में भर सहलाने लगा...दोनो के मन में कोई खोट न थी... दोनो अपना दुख साझा करने लगे... सूरज ने भाभी को बेड पे बैठा के खाने खिलाने की नाकाम कोशिश की... सूरज के साथ पारुल रिषभ के बाद सब से करीब थी...इन कुछ सालो में पारुल सूरज से एक पवित्र रिश्ते से जुड़ गई थी...भाभी को तंग करना मजाक मस्ती करना सूरज को बड़ा पसंद था और पारुल भी सूरज के साथ खुल ke मस्ती करती....पर न तो कभी सूरज के दिल दिमाग एम कोई गलत ख्याल आया ना तो पारुल के....

अपनी भाभी की न खाने की जिद से परेशान हो उठा...तभी वो बाहर गया और परी को ले आया...और परी के हाथो से खाना दिया तब जैसे तैसे पारुल को न चाहते हुए भी खाना पड़ा...

इसे ही कुछ दिन हफ्ते निकल गई और सारी विधि पूरी हो गई... पारुल भाभी अभितक गुमसुम रहती थी पर परी की वजह से थोड़ी चहर पहर रहती...

एक साम गांव के कुछ बड़े बुजुर्क और पारुल के माता पिता घर आई और सूरज के माता पिता और चाचा से बात की और बाद में सूरज को बुलाया गया...

सूरज के पिताजी बोले – देखिए ये ही मेरा बेटा सूरज अभी मुंबई में काम करता है.. अगर आप को सही लगे तो.. में पारुल बेटी को अपने घर की बहु बनाना चाहूगा...(पारुल के माता पिता की और देख)

सूरज का दिमाग घूम गया...जिस भाभी ने इतने साल उसे राखी बांधी थी उस के साथ शादी और वो भी अपन बड़े भाई की विधवा से...सूरज के हाथ पैर सुन पड़ गई...न वो अपने पिता को इसे सब के सामने टोक सकता था न उसके दिमाग में कुछ सूझ रहा था...

गांव वाले – देखिए आप की बेटी अभी जवान है पर उसकी बेटी को कोई दूसरा घर यहां जैसा प्यार नही सब का परी के साथ रिश्ता जुड़ गया है और रिषभ के पिताजी के पास तो बस उनकी पोती ही रही है..

पारुल के पिताजी – देखिए हमारे लिए तो ये खुशी की बात है की उसी घर में हमारी बेटी रहे पर क्या आप का लड़का जोकि पारुल से उम्र में छोटा है और बड़े सहर मै काम करता है वो...क्या वो एक गांव की विधवा लड़की से शादी करेगा...

सूरज के पिताजी – देखिए अब तो उसे यही रहना है...और रही बात पसंद न पसंद की तो सूरज अपने भाई और परी से बहोत प्यार करता है उनके लिए शादी तो बहुत छोटी बात है..और आप तो सब जानते ही हो ऐसा कोई पहली बार तो हो नहीं रहा गांव में... आप बिलकुल निश्चित रहिए...और बस हा बोलिए पारुल बेटियां हमारे घर की बहू थी और रहेगी....

पारुल के पिताजी और गांव वाले– सूरज बेटा आप को कोई एतराज़ तो नही???

सूरज बिचारा न वो हा बोलना चाहता था ना वो मना कर सकता था... पिताजी से पूछना तो संभव ही न था..वो अपनी मां की ओर किसी आश से दिखाता जो उसे इसारे में कह रही थी की हा बोल दे...और बिचारे को आखिर बोलना ही पड़ा..पर वो आखिरी कोसिस कर लेता है...

सूरज – जी मुझे कोई दिक्कत नही पर भाभी की का फैसला आखरी होगा.. अगर उनकी हा हो तो मुझे भी कोई दिक्कत नही....

सब चले जाते है... सूरज बस इस आश में था की उसकी भाभी कभी राजी नहीं होगी और शादी नही हो पाएगी...

लेकिन हुआ जो सूरज ने सोचा नही था.. पारुल भी अपनी मजबूरी में हा कर देती है...और वैसे भी उसकी हा या ना से ये शादी नही रुकने वाली थी... इस लिए पारुल को भी न चाहते हुए भी हा करनी पड़ी....पारुल का भी दिल दिमाग काम नही कर रहा था...

दोनो की ऐसी हालत में ही कुछ घर के बड़ो की मौजूदगी में शादी करवा दी गई...

और अब पारुल सूरज की भाभी से जीवनसंगिनी बन गई... दोनो की सुहागरात की रात भी आ गई और अभी तक दोनो ने एक दूसरे से बात तक नहीं की थी न दोनो मे से किसी ने हम्मत हो रही थी..

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पारुल कमरे में दुल्हन बनी बैठी थी...पारुल किसी अप्सरा सी खूबसूरत लग रही थी...
एक लाजवाब अपडेट और एक सुंदर शुरुआत।
कहानी इस अपडेट में यह नही बताया गया है की सूरज के भाई की मौत कैसे हुई है तो यह प्रश्न बनाना लाजमी है की क्या सूरज का भाई अपनी मौत से मरा है या किसी दुश्मनी का शिकार।
अब भाभी के संग सूरज की शादी हो ही गई न चाहते हुए लेकिन ये भी सच है के मजबूरियां क्या नही करवा देती है।
अगला अपडेट देखना मजेद्दार होगा...........
 

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पारुल कमरे में बैठी शादी के जोड़े में इतनी खूबसूरत दिख रही थी की कोई भी उसका दीवाना हो जाए...लाल सारी... गुलाबी होठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी...काली काली गहरी आखें... दूध सा गोरा बदन...कमर तक घने बाल....एक मासूमियत भरा चहरा...एक डर पारुल के चहरे पे साफ था... डर उसके ही देवर के साथ होने वाली उसकी सुहागरात का... उसे तो उसके देवर सूरज पे पुरा विश्वास था पर वो भी जानती थी आखिर में सूरज भी एक मर्द था और जवान था...और वो उसका पति था अब...

पारुल की आखों में सामने न चाहते हुए भी उसकी पहली सुहागरात के दृश्य आ रहे थे... पहले मिलन का दर्द उसे आज भी याद था... केसे रिसभ ने उसकी एक न सुनी थी ओर पहली ही रात में पारुल की योनि पटल की दीवार को चूर चूर कर उसे हसी मायनो में सुहागन बनाया था...केसे उसके पति ने उसे निचोड़ दिया था...क्या आज फिर वो सब होने वाला था....पारुल का दिल जोरो से धड़क रहा था जैसे पहली बार उसके साथ संभोग होने जा रहा हो....


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तभी दरवाजे पर दसक्तक हुए... आवाज सुन अंदर बैठी पारुल की योनि अपने आप सिकुड़ गई...आने वाले तूफान के डर से पारुल का शरीर अपने सारे द्वार बंद करने में लगा था...की उस की शास में सास आई....

सुमित्रा – सूरज सूरज.... अंदर हो क्या....

पारुल – नही सासुमा...वो नही आई...(औरत चाहे कितने ही छोटे उम्र के मर्द से शादी करे एक पतिव्रता घरेलू महिला अपने पति को अपने से ऊपर का दर्जा अपने आप देने लगती है)

ये सुन सुमित्रा अंदर आ गई...पहले तो पारुल को फिर से लाल सादी के जोड़े में.. सुहागरात के लिए तैयार बैठी अपनी बहु को देख...अपनी बहु की नजर उतारने लगी...फिर बोली

सुमित्रा – बहु सूरज नहीं मिल रहा... मुझे कुछ समझ नही आ रहा...कहा गया होगा...कही इस शादी से....(आगे नही बोलती क्यों की पारुल को यही बोल के शादी के लिए राजी किया था सुमित्रा ने की वो उसे पसंद करता है और शादी के लिए खुद से हा किया है)

पारुल – सासु मां कही आप सब ने उसे मजबूर तो नही किया था न...नही नही नही... पागल पारुल तूने केसे सोच लिया की सूरज अपनी मरजी से माना होगा...सारी गलती मेरी है....

पारुल सूरज को लेके इतना परेशान हो उठी की कमरे में यहा गया चलते हुए खुद को ही भला बुरा बोलने लगी...

पारुल – मेरा बच्चा (शादी से पहले इसे ही बुलाती थी) कहा गया होगा...सूरज...सारी गलती मेरी हे...

पारुल को इतना परेशान देख सुमित्रा इतना समझ आ गया की किसी भी रूप ने लेकिन पारुल के दिल में सूरज के लिए बहोत प्यार था...

सुमित्रा पारुल को एक जोर से थप्पड़ जड़ दी...पारुल वही थम सी गई...और खड़ी रही... तुरंत सुमित्रा ने पारुल को अपनी बाहों में भर लिया और उसे शांत करने लगी....

सुमित्रा – कुछ नहीं हुआ ही उसे... समझी कुछ नही...

पारुल – लेकिन सासुमा उनके साथ...और वो रोने लगी...

की तभी सूरज कमरे में आया...वो चल नही पा रहा था ठीक से.. पहली बार शराब पीकर आया था...सूरज...दोनो सास बहू चौक गई थे सूरज को इसे देख...

सुमित्रा अपने बेटे को संभाले उस से पहले पारुल दौड़ के सूरज अपने आलिंगन में जकड़ ली और फिर सूरज गालों को चूम लिया...

अपनी सास को खुद को घूरता देख अचानक पारुल अपने होश में आ गए और खुद को सूरज के इतना चिपका हुआ पा के वो शरम से पानी पानी हो गई... पारुल की आखें अब उसकी सास से मिल तक नही पा रही थी...बिचारी...

सूरज को लेटा के...

सुमित्रा – बहू में जानती हु तेरे लिए ये अभी भी तेरा छोटा सा प्यार सेतान भाई होगा... क्या तुम ने ये पहली बार मेरे सामने चूमा ही जो इतना शरमा रही हो...तुम पहले जैसे ही रहो जब तक तुम उसे अपने पति के रूप में न स्वीकार कर लो...और मुझे यकीन ही वो दिन भी जल्द आएगा...और मेरी उम्मीद तुम से ज्यादा है बेटी... हमें माफ कर दे लेकिन हमारे पास भी तुम दोनो (परी और पारुल) हमारे पास रखने का यही एक रास्ता था.... सायद हम इतने स्वार्थी हो चुके की तुम दोनों की खुशियां नही देख पाई...पर अब तू ही मेरे बेटे की खुशियां हो...

और सुमित्रा वहा से चली गई...

पारुल ने दरवाजा बंद किया और कुछ देर सोचने के बाद सूरज के पास बैठ सूरज के माथे को सहलाने लगी और उसके साथ बिताई हसी मज़क वाले पालो को याद करने लगी..... और फिर अपने गहने सब निकल... नीचे बिस्तर लगा के सो गई...

सुबह उठते ही सूरज को अपनी भाभी नीचे सोए हुए दिखी उसे अपनी भाभी पे पड़ा प्यार आया और वो नीचे आया और उनके पास लेट के उनके कानों में धीरे धीरे से बोला..."भाभी गुड मॉर्निंग कितना सोती हो यार आप"
और भाभी के गालों पे हाथ रख उन्हें मरोड़ दिया...

पारुल भी उठी थी और अपने प्यारे भतीजे को इसे पा के उसे अपनी गोद में भर लिया... पारुल के स्तन सूरज की सिरे में गड़ रहे थे... दोनों एक दूसरे को प्यार से सहलाने लगे...दोनो ने एक दुसरे को एक एक कर गालों पे चूम भी लिया... दोनों के देख ऐसा लग रहा था जैसे दोनो बस एक दूसरे के लिए बने हो....

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तभी अचानक दोनो को होस आया की अब दोनो शादी शुदा ही पति पत्नी है और ये सोच के ही दोनो एक दम से बेहत असहज होने लगे और बिना कुछ बोले बात किए शर्म और लाज से दोनो एक दूसरे से अलग हुए और अपना काम में लग गई....

पारुल मन ही मन खुद को कोस रही थी ये तूने क्या किया पारुल क्या सोच रहा सूरज अब... दूसरी और सूरज भी परेशान था.....


सूरज नहाने चला गया तभी उसके फोन पे एक नेहा नाम की लड़की का कॉल आया....पारुल ने फोन उठाया नही और जब तक सूरज आया 5 मिस कॉल आ गई थे... जैसे ही सूरज ने कॉल उठाया...

नेहा – कहा हो आप मिस्टर इंडिया... और कितने दिन...

सूरज उसकी भाभी के आगे बात नही करता और बालकोनी में चला गया... ओर धीरे धीरे बोला.... पारुल को कुछ कुछ तो समझ ही गई थी...लेकिन एक पत्नी वाले हक से अभी वो पूछ नहीं सकती थी....

सूरज – अरे बाबा कही नही गया... आ जाऊंगा मेरी जान...

नेहा – I really miss you na my baby....I really need you...(kiss kiss kiss)

Suraj – (kiss kiss) jald aa raha my darling bas yaha ka sab kam ho jai....

नेहा – देखो में और नही रुकने वाली दो दिन में यह आओ या में वहा आ रही हु... हमारे रिश्ते की बात भी कर लेंगे...

सूरज – नही नही में आ रहा हु...

नेहा – ठीक है पापा को तुम्हारे बारे में बताया मेने...वो बोला रहे ही... दो दिन बाद कॉफी शॉप हमारी वाली ठीक है...

सूरज की फट के चार हो गई...वो बुरी तरह से फस चुका था अब....


अब अगले अपडेट में....

नेहा....

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Premkumar65

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पारुल कमरे में बैठी शादी के जोड़े में इतनी खूबसूरत दिख रही थी की कोई भी उसका दीवाना हो जाए...लाल सारी... गुलाबी होठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी...काली काली गहरी आखें... दूध सा गोरा बदन...कमर तक घने बाल....एक मासूमियत भरा चहरा...एक डर पारुल के चहरे पे साफ था... डर उसके ही देवर के साथ होने वाली उसकी सुहागरात का... उसे तो उसके देवर सूरज पे पुरा विश्वास था पर वो भी जानती थी आखिर में सूरज भी एक मर्द था और जवान था...और वो उसका पति था अब...

पारुल की आखों में सामने न चाहते हुए भी उसकी पहली सुहागरात के दृश्य आ रहे थे... पहले मिलन का दर्द उसे आज भी याद था... केसे रिसभ ने उसकी एक न सुनी थी ओर पहली ही रात में पारुल की योनि पटल की दीवार को चूर चूर कर उसे हसी मायनो में सुहागन बनाया था...केसे उसके पति ने उसे निचोड़ दिया था...क्या आज फिर वो सब होने वाला था....पारुल का दिल जोरो से धड़क रहा था जैसे पहली बार उसके साथ संभोग होने जा रहा हो....


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तभी दरवाजे पर दसक्तक हुए... आवाज सुन अंदर बैठी पारुल की योनि अपने आप सिकुड़ गई...आने वाले तूफान के डर से पारुल का शरीर अपने सारे द्वार बंद करने में लगा था...की उस की शास में सास आई....

सुमित्रा – सूरज सूरज.... अंदर हो क्या....

पारुल – नही सासुमा...वो नही आई...(औरत चाहे कितने ही छोटे उम्र के मर्द से शादी करे एक पतिव्रता घरेलू महिला अपने पति को अपने से ऊपर का दर्जा अपने आप देने लगती है)

ये सुन सुमित्रा अंदर आ गई...पहले तो पारुल को फिर से लाल सादी के जोड़े में.. सुहागरात के लिए तैयार बैठी अपनी बहु को देख...अपनी बहु की नजर उतारने लगी...फिर बोली

सुमित्रा – बहु सूरज नहीं मिल रहा... मुझे कुछ समझ नही आ रहा...कहा गया होगा...कही इस शादी से....(आगे नही बोलती क्यों की पारुल को यही बोल के शादी के लिए राजी किया था सुमित्रा ने की वो उसे पसंद करता है और शादी के लिए खुद से हा किया है)

पारुल – सासु मां कही आप सब ने उसे मजबूर तो नही किया था न...नही नही नही... पागल पारुल तूने केसे सोच लिया की सूरज अपनी मरजी से माना होगा...सारी गलती मेरी है....

पारुल सूरज को लेके इतना परेशान हो उठी की कमरे में यहा गया चलते हुए खुद को ही भला बुरा बोलने लगी...

पारुल – मेरा बच्चा (शादी से पहले इसे ही बुलाती थी) कहा गया होगा...सूरज...सारी गलती मेरी हे...

पारुल को इतना परेशान देख सुमित्रा इतना समझ आ गया की किसी भी रूप ने लेकिन पारुल के दिल में सूरज के लिए बहोत प्यार था...

सुमित्रा पारुल को एक जोर से थप्पड़ जड़ दी...पारुल वही थम सी गई...और खड़ी रही... तुरंत सुमित्रा ने पारुल को अपनी बाहों में भर लिया और उसे शांत करने लगी....

सुमित्रा – कुछ नहीं हुआ ही उसे... समझी कुछ नही...

पारुल – लेकिन सासुमा उनके साथ...और वो रोने लगी...

की तभी सूरज कमरे में आया...वो चल नही पा रहा था ठीक से.. पहली बार शराब पीकर आया था...सूरज...दोनो सास बहू चौक गई थे सूरज को इसे देख...

सुमित्रा अपने बेटे को संभाले उस से पहले पारुल दौड़ के सूरज अपने आलिंगन में जकड़ ली और फिर सूरज गालों को चूम लिया...

अपनी सास को खुद को घूरता देख अचानक पारुल अपने होश में आ गए और खुद को सूरज के इतना चिपका हुआ पा के वो शरम से पानी पानी हो गई... पारुल की आखें अब उसकी सास से मिल तक नही पा रही थी...बिचारी...

सूरज को लेटा के...

सुमित्रा – बहू में जानती हु तेरे लिए ये अभी भी तेरा छोटा सा प्यार सेतान भाई होगा... क्या तुम ने ये पहली बार मेरे सामने चूमा ही जो इतना शरमा रही हो...तुम पहले जैसे ही रहो जब तक तुम उसे अपने पति के रूप में न स्वीकार कर लो...और मुझे यकीन ही वो दिन भी जल्द आएगा...और मेरी उम्मीद तुम से ज्यादा है बेटी... हमें माफ कर दे लेकिन हमारे पास भी तुम दोनो (परी और पारुल) हमारे पास रखने का यही एक रास्ता था.... सायद हम इतने स्वार्थी हो चुके की तुम दोनों की खुशियां नही देख पाई...पर अब तू ही मेरे बेटे की खुशियां हो...

और सुमित्रा वहा से चली गई...

पारुल ने दरवाजा बंद किया और कुछ देर सोचने के बाद सूरज के पास बैठ सूरज के माथे को सहलाने लगी और उसके साथ बिताई हसी मज़क वाले पालो को याद करने लगी..... और फिर अपने गहने सब निकल... नीचे बिस्तर लगा के सो गई...

सुबह उठते ही सूरज को अपनी भाभी नीचे सोए हुए दिखी उसे अपनी भाभी पे पड़ा प्यार आया और वो नीचे आया और उनके पास लेट के उनके कानों में धीरे धीरे से बोला..."भाभी गुड मॉर्निंग कितना सोती हो यार आप"
और भाभी के गालों पे हाथ रख उन्हें मरोड़ दिया...

पारुल भी उठी थी और अपने प्यारे भतीजे को इसे पा के उसे अपनी गोद में भर लिया... पारुल के स्तन सूरज की सिरे में गड़ रहे थे... दोनों एक दूसरे को प्यार से सहलाने लगे...दोनो ने एक दुसरे को एक एक कर गालों पे चूम भी लिया... दोनों के देख ऐसा लग रहा था जैसे दोनो बस एक दूसरे के लिए बने हो....

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तभी अचानक दोनो को होस आया की अब दोनो शादी शुदा ही पति पत्नी है और ये सोच के ही दोनो एक दम से बेहत असहज होने लगे और बिना कुछ बोले बात किए शर्म और लाज से दोनो एक दूसरे से अलग हुए और अपना काम में लग गई....

पारुल मन ही मन खुद को कोस रही थी ये तूने क्या किया पारुल क्या सोच रहा सूरज अब... दूसरी और सूरज भी परेशान था.....


सूरज नहाने चला गया तभी उसके फोन पे एक नेहा नाम की लड़की का कॉल आया....पारुल ने फोन उठाया नही और जब तक सूरज आया 5 मिस कॉल आ गई थे... जैसे ही सूरज ने कॉल उठाया...

नेहा – कहा हो आप मिस्टर इंडिया... और कितने दिन...

सूरज उसकी भाभी के आगे बात नही करता और बालकोनी में चला गया... ओर धीरे धीरे बोला.... पारुल को कुछ कुछ तो समझ ही गई थी...लेकिन एक पत्नी वाले हक से अभी वो पूछ नहीं सकती थी....

सूरज – अरे बाबा कही नही गया... आ जाऊंगा मेरी जान...

नेहा – I really miss you na my baby....I really need you...(kiss kiss kiss)

Suraj – (kiss kiss) jald aa raha my darling bas yaha ka sab kam ho jai....

नेहा – देखो में और नही रुकने वाली दो दिन में यह आओ या में वहा आ रही हु... हमारे रिश्ते की बात भी कर लेंगे...

सूरज – नही नही में आ रहा हु...

नेहा – ठीक है पापा को तुम्हारे बारे में बताया मेने...वो बोला रहे ही... दो दिन बाद कॉफी शॉप हमारी वाली ठीक है...

सूरज की फट के चार हो गई...वो बुरी तरह से फस चुका था अब....


अब अगले अपडेट में....

नेहा....

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Lovely start of story. Suraj do tao par samara hai.
 

Yasasvi3

Darkness is important 💀
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पारुल कमरे में बैठी शादी के जोड़े में इतनी खूबसूरत दिख रही थी की कोई भी उसका दीवाना हो जाए...लाल सारी... गुलाबी होठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी...काली काली गहरी आखें... दूध सा गोरा बदन...कमर तक घने बाल....एक मासूमियत भरा चहरा...एक डर पारुल के चहरे पे साफ था... डर उसके ही देवर के साथ होने वाली उसकी सुहागरात का... उसे तो उसके देवर सूरज पे पुरा विश्वास था पर वो भी जानती थी आखिर में सूरज भी एक मर्द था और जवान था...और वो उसका पति था अब...

पारुल की आखों में सामने न चाहते हुए भी उसकी पहली सुहागरात के दृश्य आ रहे थे... पहले मिलन का दर्द उसे आज भी याद था... केसे रिसभ ने उसकी एक न सुनी थी ओर पहली ही रात में पारुल की योनि पटल की दीवार को चूर चूर कर उसे हसी मायनो में सुहागन बनाया था...केसे उसके पति ने उसे निचोड़ दिया था...क्या आज फिर वो सब होने वाला था....पारुल का दिल जोरो से धड़क रहा था जैसे पहली बार उसके साथ संभोग होने जा रहा हो....


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तभी दरवाजे पर दसक्तक हुए... आवाज सुन अंदर बैठी पारुल की योनि अपने आप सिकुड़ गई...आने वाले तूफान के डर से पारुल का शरीर अपने सारे द्वार बंद करने में लगा था...की उस की शास में सास आई....

सुमित्रा – सूरज सूरज.... अंदर हो क्या....

पारुल – नही सासुमा...वो नही आई...(औरत चाहे कितने ही छोटे उम्र के मर्द से शादी करे एक पतिव्रता घरेलू महिला अपने पति को अपने से ऊपर का दर्जा अपने आप देने लगती है)

ये सुन सुमित्रा अंदर आ गई...पहले तो पारुल को फिर से लाल सादी के जोड़े में.. सुहागरात के लिए तैयार बैठी अपनी बहु को देख...अपनी बहु की नजर उतारने लगी...फिर बोली

सुमित्रा – बहु सूरज नहीं मिल रहा... मुझे कुछ समझ नही आ रहा...कहा गया होगा...कही इस शादी से....(आगे नही बोलती क्यों की पारुल को यही बोल के शादी के लिए राजी किया था सुमित्रा ने की वो उसे पसंद करता है और शादी के लिए खुद से हा किया है)

पारुल – सासु मां कही आप सब ने उसे मजबूर तो नही किया था न...नही नही नही... पागल पारुल तूने केसे सोच लिया की सूरज अपनी मरजी से माना होगा...सारी गलती मेरी है....

पारुल सूरज को लेके इतना परेशान हो उठी की कमरे में यहा गया चलते हुए खुद को ही भला बुरा बोलने लगी...

पारुल – मेरा बच्चा (शादी से पहले इसे ही बुलाती थी) कहा गया होगा...सूरज...सारी गलती मेरी हे...

पारुल को इतना परेशान देख सुमित्रा इतना समझ आ गया की किसी भी रूप ने लेकिन पारुल के दिल में सूरज के लिए बहोत प्यार था...

सुमित्रा पारुल को एक जोर से थप्पड़ जड़ दी...पारुल वही थम सी गई...और खड़ी रही... तुरंत सुमित्रा ने पारुल को अपनी बाहों में भर लिया और उसे शांत करने लगी....

सुमित्रा – कुछ नहीं हुआ ही उसे... समझी कुछ नही...

पारुल – लेकिन सासुमा उनके साथ...और वो रोने लगी...

की तभी सूरज कमरे में आया...वो चल नही पा रहा था ठीक से.. पहली बार शराब पीकर आया था...सूरज...दोनो सास बहू चौक गई थे सूरज को इसे देख...

सुमित्रा अपने बेटे को संभाले उस से पहले पारुल दौड़ के सूरज अपने आलिंगन में जकड़ ली और फिर सूरज गालों को चूम लिया...

अपनी सास को खुद को घूरता देख अचानक पारुल अपने होश में आ गए और खुद को सूरज के इतना चिपका हुआ पा के वो शरम से पानी पानी हो गई... पारुल की आखें अब उसकी सास से मिल तक नही पा रही थी...बिचारी...

सूरज को लेटा के...

सुमित्रा – बहू में जानती हु तेरे लिए ये अभी भी तेरा छोटा सा प्यार सेतान भाई होगा... क्या तुम ने ये पहली बार मेरे सामने चूमा ही जो इतना शरमा रही हो...तुम पहले जैसे ही रहो जब तक तुम उसे अपने पति के रूप में न स्वीकार कर लो...और मुझे यकीन ही वो दिन भी जल्द आएगा...और मेरी उम्मीद तुम से ज्यादा है बेटी... हमें माफ कर दे लेकिन हमारे पास भी तुम दोनो (परी और पारुल) हमारे पास रखने का यही एक रास्ता था.... सायद हम इतने स्वार्थी हो चुके की तुम दोनों की खुशियां नही देख पाई...पर अब तू ही मेरे बेटे की खुशियां हो...

और सुमित्रा वहा से चली गई...

पारुल ने दरवाजा बंद किया और कुछ देर सोचने के बाद सूरज के पास बैठ सूरज के माथे को सहलाने लगी और उसके साथ बिताई हसी मज़क वाले पालो को याद करने लगी..... और फिर अपने गहने सब निकल... नीचे बिस्तर लगा के सो गई...

सुबह उठते ही सूरज को अपनी भाभी नीचे सोए हुए दिखी उसे अपनी भाभी पे पड़ा प्यार आया और वो नीचे आया और उनके पास लेट के उनके कानों में धीरे धीरे से बोला..."भाभी गुड मॉर्निंग कितना सोती हो यार आप"
और भाभी के गालों पे हाथ रख उन्हें मरोड़ दिया...

पारुल भी उठी थी और अपने प्यारे भतीजे को इसे पा के उसे अपनी गोद में भर लिया... पारुल के स्तन सूरज की सिरे में गड़ रहे थे... दोनों एक दूसरे को प्यार से सहलाने लगे...दोनो ने एक दुसरे को एक एक कर गालों पे चूम भी लिया... दोनों के देख ऐसा लग रहा था जैसे दोनो बस एक दूसरे के लिए बने हो....

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तभी अचानक दोनो को होस आया की अब दोनो शादी शुदा ही पति पत्नी है और ये सोच के ही दोनो एक दम से बेहत असहज होने लगे और बिना कुछ बोले बात किए शर्म और लाज से दोनो एक दूसरे से अलग हुए और अपना काम में लग गई....

पारुल मन ही मन खुद को कोस रही थी ये तूने क्या किया पारुल क्या सोच रहा सूरज अब... दूसरी और सूरज भी परेशान था.....


सूरज नहाने चला गया तभी उसके फोन पे एक नेहा नाम की लड़की का कॉल आया....पारुल ने फोन उठाया नही और जब तक सूरज आया 5 मिस कॉल आ गई थे... जैसे ही सूरज ने कॉल उठाया...

नेहा – कहा हो आप मिस्टर इंडिया... और कितने दिन...

सूरज उसकी भाभी के आगे बात नही करता और बालकोनी में चला गया... ओर धीरे धीरे बोला.... पारुल को कुछ कुछ तो समझ ही गई थी...लेकिन एक पत्नी वाले हक से अभी वो पूछ नहीं सकती थी....

सूरज – अरे बाबा कही नही गया... आ जाऊंगा मेरी जान...

नेहा – I really miss you na my baby....I really need you...(kiss kiss kiss)

Suraj – (kiss kiss) jald aa raha my darling bas yaha ka sab kam ho jai....

नेहा – देखो में और नही रुकने वाली दो दिन में यह आओ या में वहा आ रही हु... हमारे रिश्ते की बात भी कर लेंगे...

सूरज – नही नही में आ रहा हु...

नेहा – ठीक है पापा को तुम्हारे बारे में बताया मेने...वो बोला रहे ही... दो दिन बाद कॉफी शॉप हमारी वाली ठीक है...

सूरज की फट के चार हो गई...वो बुरी तरह से फस चुका था अब....


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नेहा....

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Nice and sanandar updates....
 
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