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Incest घर की ज़िमेदारी

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 5 55.6%
  • पारुल

    Votes: 4 44.4%
  • नेहा

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
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Underground Life

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कहानी का प्रारंभ बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार हैं भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Waiting for update

एक लाजवाब अपडेट और एक सुंदर शुरुआत।
कहानी इस अपडेट में यह नही बताया गया है की सूरज के भाई की मौत कैसे हुई है तो यह प्रश्न बनाना लाजमी है की क्या सूरज का भाई अपनी मौत से मरा है या किसी दुश्मनी का शिकार।
अब भाभी के संग सूरज की शादी हो ही गई न चाहते हुए लेकिन ये भी सच है के मजबूरियां क्या नही करवा देती है।
अगला अपडेट देखना मजेद्दार होगा...........


Bahut hi lajawaab

Lovely start of story. Suraj do tao par samara hai.

Nice and sanandar updates....

Beautifully written ..waiting for next one ...🤞😊

Lovely update ❤️ plot achha hai


बहुत ही बेहतरीन अपडेट है........

बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट

Congratulations for new story.shuruaat bahut achhi hai story ki or aapke likhne ka tarika bhi shaandar hai.bas continue update dete rahiye aur story complete kijiye mera full support aapke sath hai

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

कहानी को आगे बढायें लेखक महोदय

Kahani ki romanchak shuruaat. Pratiksha agle rasprad update ki

Thank you
 

sunoanuj

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Waiting for next update….
 
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Underground Life

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Updated 03

सूरज कमरे से निकल के आंगन में आके बैठ गया और अपने पहले प्यार नेहा के बारे में अपने घर वालो को क्या बोले केसे बोले इस सोच में डूब गया...सूरज आंगन में बैठा था जहां सामने एक कोने में घर का कॉमन बाथरूम था...

पुराने दरवाजा खुलते हुए आवाज करता हुए खुला... गांव की सुबह शांति भरे वातावरण में इस आवाज ने सूरज का ध्यान अपनी ओर किया...आवाज का पीछा करते हुए सूरज की नजर दरवाजे तक पहुंच गई... सूरज की धड़कन जैसे रुक गई... वो सामने से आती खूबसूरत महिला को देख अपनीर नजर झुका कर शर्म से लाल हुआ ऐसे उठ के बाहर जाने लगा जैसे उसने कुछ न देखा हो...

उसके सामने का नजारा कुछ यूं था दोस्तो....

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पेटीकोट में खुद के नंगे बदन को छुपाती हुए सुमित्रा यानी सूरज की मां अपने गीले और कामुक दूध से जिस्म को संभालती हुए अपने कमरे की और चल दी... सूरज की मां के दो स्तन उसके चलने से उपर नीचे होते... गुलाबी पेटीकोट बस सूरज की मां के आधे जिस्म को छुपा पा रहा था आधा रेशमी मुलायम जिस्म पूरी तरह से खुली हवा में सांस ले पा रहा था....

सूरज बाहर निकल गया और दुपहर को आया... घर का माहोल एक दिन में इतना बदल जाएगा किसी ने सोचा नही था.. सिर्फ एक रिश्ते के बदल जाने से जैसे ये घर कोई नया ही घर मालूम होता था... जब भी पारुल और सूरज का सामना होता दोनो एक दूसरे से मुंह मोड़ लेते और बाकी घर के लोग भी अपनी बाते रोक देते और गंभीर हो जाते...और जैसे तैसे कर दोनो को मिलान ने तरीके करने पे लग जाते पर ये सब माहोल को और अधिक अजीब बना दे रहा था...

सूरज जब आया सब खाना लग गया था...

सुमित्रा – बहू सूरज आ गया है उसके लिए खाना लगा दे तो...

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सूरज टेबल पर बैठ कर और तभी सामने से पूरी तरह से सुहागन के रूप में पारुल आई... जैसा सूरज हमेशा से सोचता था कि उसकी पत्नी भी भाभी जेसी सुंदर होगी...आज उसकी वही भाभी उसकी पत्नी के रूप में खास उसके लिए सज संवर के घर में काम कर रही थी... सूरज का दिल फिर से जोर जोर से धडकने लगा...

सूरज थोड़ी देर बाद बोला...

सूरज – मां मुझे कुछ दिन के लिए मुंबई जाना होगा... वहा कुछ काम ही उसे खतम कर आता हु....

सुमित्रा – बेटा शादी को एक दिन नही हुआ बिचारी पारुल बहू का तो सोच... पहले तुम उसे ठीक से वक्त तो दो...

सूरज – बस कुछ दिन फिर तो यही से कुछ काम देख लूंगा और यहां का काम अब में ही संभाल लूंगा आप चिंता न करे...

सुमित्रा – अरे बेटा में क्या बोल रही हु तू क्या समझ रहा है... तू अब सिर्फ मेरा बेटा नही... इस पगली की और देख कैसे रहेगी तेरे बिना... ये कुछ बोल नही रही तो क्या तू अपनी मनमानी करेगा...जाना ही है तो बहु को साथ ले जा...

सूरज – मां ऑफिस का काम है भाभी क्या करेगी वहा...

सूरज के पापा – पुराने रिश्ते भूल नई सिरे से अपनी शादी सुदा जिंदगी की एक नई शुरुवात करो तुम दोनो... यही सही मौका है की तुम दोनो अकेले में एक दूसरे के साथ रहो और एक दुसरे को जानो....

सूरज – लेकिन पापा...

सूरज के पापा – लेकिन वेकीन कुछ नही जो बोल दिया सो बोल दिया...और बहु को खुस रख.. बाकी तुम दोनो बच्चे नही...

सुमित्रा धीरे से पारुल के कान में – बहू सब संभाल लेना.. पहल तुझे ही करनी है...इसी में सब की खुशी होगी....


सब के दबाव में आके मजबूरन सूरज अपनी पत्नी पारुल को भी साथ मुंबई ले आया...

किसी ने सही कहा है कि सफर सुरू तो करो में हमसफ़र अपने आप बन जाएंगे...

मुंबई जाते जाते ही दोनो देवर भाभी में कुछ कुछ बाते होने लगी... यहां न कोई तीसरा था तो था नहीं तो एक दुसरे से बात करना तो अनिवार्य होना ही था...

सूरज को यहां कोई टोकने वाला था नही और पारुल खुद से बोल नही पाई इस लिए अब सूरज पारुल को भाभी कह ke ही बाते करने लगा...उसे पता था कि उसकी भाभी कभी गांव से बाहर नही गई इस लिए वो हर बात उसकी पत्नी पारुल को समझा देता....और इस उनके बीच फिर से दूरी कम होने लगी पति पत्नी जितनी नही पर देवर भाभी वाली नजदीकिया आने लगी....

स्टेशन पे उतर के सूरज पारुल को एक होटल ले आया...और कमरे में समान रख अपनी भाभी को बेड पे बैठा के खुद जमीन पे बैठ...उसके पैरो पास बैठ बोलने लगा....

सूरज – भाभी मुझे माफ करना में आप को कभी अपनी पत्नी के रूप में नहीं देख सकते न आप मुझे... (आखों में आसू आ गए)

पारुल बस सुन रही थी....

सूरज – भाभी में नेहा के बिना नहीं रह सकता भाभी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा पापा को केसे बोलूं....और वो नेहा के बारे मे सब बोल देता है...

पारुल अपने आसू जैसे तैसे रोकती है...उसे आने वाले घर के माहोल का आदाजा हो रहा था.. कही न कही वो सूरज से प्यार तो करती थी पारुल का दिल बिना जुड़े ही फिर से टूट गया... पारुल फिर भी अपने देवर के साथ कोई रोमेंटिक वाला रिश्ता नही सोची थी... बस उसे सुरज पे एक विश्वाश हो गया था जब सूरज ने शादी के लिए हा बोला था उसे लगा जैसे परी को एक अच्छे पापा मिल रहे है...पारुल बड़ी हिम्मत के साथ अपने दुख को छुपा के हस के बोली...

पारुल – बस इतनी सी बात.... आप बिलकुल फिकर मत कीजिएगा में बात कर लूंगी ससुरजी से...(पारुल एक पतिव्रता स्त्री थी चाहे वो दिल से सूरज को पति का हक न दे पर... वो पत्नी का हर कर्तव्य पूरा करने को तैयार थी बस उसका पति उसे बोल के देखे.. पारुल के लिए सात फेरों और मगलसूत्र का अर्ध बहोत अथिक था दूसरी और सूरज के लिए जैसे ये बस एक रिवाज थे....उसे कोई ऐसा डर या आस्था नहीं थी शादी की क्समो रीति रिवाजों पे...और पारुल थी एक रूढ़िवादी समाज से रीति रिवाज का पूरी श्रद्धा से पालन करना ही खुद का धर्म मानती...)

सूरज – सच भाभी...आप बेस्ट हो भाभी....

और सूरज खूसी के मारे उठ खड़ा हुआ और अपनी भाभी को बाहों में भर उसके गालों को चूम लिया...

पारुल के लिए ये चुबन बड़ा उत्तेजक रहा...उसके उसे लगा जैसे उसका पति उसे चूम रहा हो...लेकिन ये उसका पति सूरज नही देवर सूरज था...पारुल शर्म से लाल हो गई..लेकिन अपने होस में थी...मन में बोली “ पारुल तुझे क्या हो रहा है वो बस अपनी भाभी को...तुझे नही...इतना क्या हो रहा है तूझे"

सूरज – भाभी आप भी चलोगे मेरे साथ उसके पापा से मिलने जाना है आज...(सूरज था तो 25 साल का ना समझ लड़का भोलेपन में ही अपनी पत्नी को बोल रहा था की उसकी प्रेमिका से मिलने आई... हा ये शादी बस समझोता ही थी पर पारुल के लिए शादी कोई खेल न थी पर सूरज जैसे अपनी भाभी का दुःख न देख अपनी खुशी में डूब गया था)

पारुल – ने नही आ सकती आप जाओ....

सुरज – भाभी आप मुझे आप आप मत बोला करो कितना अजीब लगता है...और आप को आना पड़ेगा भाभी...आप को मेरी कसम....

पारुल आगे माना नही कर पाई....

और दोनो अपना सामान ले कर सूरज के फ्लैट पे चले गई...

गेट पे खड़ा सिक्युरिटी वाला दोनों को घूर रहा था...

घर का दरवाजा खोल ही रहा था के पड़ोस आंटी पारुल को देख बोली...

आंटी – सूरज बेटा शादी कर के आई हो... कितने अच्छे हो साथ में...

सूरज – नही नही आंटी ये मेरी भाभी है...बस मुबई घूमने आई थी....

पारुल के दिल को फिर से थक्का सा लगा...लेकिन वो खुद समझा लि "सही तो बोल रहा है क्या गलत है" मन में...
 
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