crucer97
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Update - 20
सतीश जब ये देखता है तो अपनी जीभ को सोनाली के मुह मे दाल देता है सोनाली को सतीश के मुह से हलकी बद्बू सी आ रही थी पर सोनाली भी अपने होठ खोल कर उसकी जीभ का स्वागत करती है और उसे अपने मुह मे लेकर चुस्ने लगती है.... सतीश अपने हाथ उसके चूतडो पर लेजाता है और उन्हें मसलने लगता है....
सोनाली ने नहि सोचा था की वो इतनी जल्दी हथियार दाल देगी अपने बेटे के सामने पर वो अपने बेटे की हरक़तों के आगे मजबूर हो जाती है, उसके बेटे ने तो जैसे उसपर कोई जादु कर दिया था, गुलाम बन गई थी वो तो अपने ही बेटे की...
सोनाली अब अपनी जीभ सतीश के मुह मे दाल देती है और सतीश उसे ऐसे चुस्ने लगता है जैसे की उसपर अमृत लगा हो... और वो उसे पूरा निचोड लेना चाहता था... साथ ही साथ वो अपने माँ के चूतडों को मसल रहा था.... अब वो अपना एक हाथ सोनाली की चुत पर रख कर उसे अपनी मुट्ठि मे भर लेता है.... सोनाली के मुह से एक सिसकि निकलती है और सतीश के मुह मे ही दम तोड़ देती है...
सतीश अब अपने हाथ से सोनाली की चुत रगड़ने लगा था और उसके हाथ सोनाली की चुत के पानी से भिग गए थे... सोनाली भी अब अपना कण्ट्रोल खोती जा रही थी वो सतीश को रोकना तो चाह रही थी पर अब वो सतीश की हरक़तों मे इतनी खो गई थी की अब वो सब कुछ भूल कर बस इस पल के मजे ले रही थी... सतीश अब अपने एक हाथ जोकि उसकी माँ की गांड पर था को ऊपर उसके स्तनो पर रख देता है और फिर वो अपनी माँ के जिस्म से उसकी टॉवल को अलग कर देता है... टॉवल खुल कर उन दोनों के पैरों मे गिर जाती है... सतीश अब अपनी माँ की नंगी चूचियों को अपने हाथ मे लेकर मसलने लगता है... और उसका दूसरा हाथ सोनाली की चुत से खेल रहा था...
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५ मिनट तक किस करने के बाद दोनों अलग होते है और अपनी साँसे कण्ट्रोल करने लगते है... सतीश अब सोनाली को अपनी गोद मे उठा लेता है और उसे बेड पर लीटा देता है, सोनाली जोकि अपनी आँखे बंद करे हुए गहरी साँसे ले रही थी बेड पर लेटते ही अपनी आँखे खोल कर सतीश की आँखों मे देखति है... सोनाली की आँखे सुर्ख लाल हो गई थी... सोनाली सतीश के गले मे अपनी बाँहें दाल कर उसे अपने ऊपर खिंच लेती है और उसके होंठो को अपने होठो मे भर कर चुस्ने लगती है और उसकी चुचिया सतीश के सीने मे गड रहे थी, सोनाली के निप्पल तन कर सतीश के सीने मे छेद करने को आतुर थे... थोड़ी देर तक किस करने के बाद सतीश किस तोड़ कर उसके गले पर किस करते हुए निचे उसके चूचियों तक आ जाता है और सोनाली की चूचियों को अपने हाथ मे भर लेता है.... सोनाली के बड़े सुडोल गोल स्तन ठीक से उसके हाथ मे नहि आ रहे थे पर सतीश जितना अपने हाथ मे ले सकता था लेकर स्तनो को मसलने लगता है...
सोनाली- आआह्ह्ह्ह थोड़ा जोर से बेटा.... मसल दे इन्हें, बहोत परेशान कर.रखा था इन्होंने....उफफफ्
सतीश अब जोर से उसके स्तन मसलने लगता है....
सोनाली- हम्म्म ऐसे ही आअह्ह्ह्हह... चुस ले बेटा पिले अपनी माँ का सारा दूध....
सतीश सोनाली की राईट स्तन को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगता है....
सोनाली भी धीरे धीरे सिसकियाँ लेते हुए अपना सर इधर उधर पटक रही थी.... अब वो अपना हाथ सतीश के सर पर रख कर उसे अपने स्तन पर दबाने लगती है.... सतीश भी जितना अपने मुह मे ले सकता था लेकर चुस्ने लगता है....
सोनाली- हम्म्म्म ऐसे ही चुस ले, खाजा इसे.... आह्ह्ह्ह बहोत समय से तड़प रही थी बेटा....
सतीश उसके राईट स्तन को छोड़ कर उसके लेफ्ट स्तन को मुह मे ले लेता है और राईट स्तन को अपने हाथ मे ले लेता है, राईट चूचि सतीश के थूक से गिली हो गई थी और सतीश अपने थूक को पूरी चूचि पर मसलने लगता है....
तभि दोनों एकदूसरे मे ही खोये हुए थे की तभी डोर पर नॉक होती है... गेट बजने से सोनाली होश मे आती है और सतीश को अपने ऊपर से धक्का देकर अपनी अल्मारी से मैक्सी निकाल कर पहन लेती है.... इस समय सतीश को शिप्रा पर बहोत गुस्सा आ रहा था अच्छा ख़ासा आज उसे अपनी माँ को चोदने का मौका मिला था पर उसने सब पर पाणी फेर दिया था.... सतीश बेड पर लेट कर अपने ऊपर चादर दाल कर सोने की एक्टिंग करने लगता है.... सोनाली डोर खोलती है...
शिप्रा- गुड़ मॉर्निंग मोम..
सोनाली झूटी स्माइल लाते हुये- गुड़ मॉर्निंग बेटा...
शिप्रा- हाउ आर यु फीलिंग नाउ माँ?
सोनाली- फिलिंग बेटर नाउ बेटा... आज तू इतनी जल्दी कैसे उठ गयी...
शिप्रा- वो मैंने सोचा की आपके लिए नाश्ता मे ही तैयार कर दु.... और मे चाय बनने को रख कर आपको उठाने आ गयी... पर आप तो नहा कर तैयार भी हो गयी..
सोनाली- तू तैयार होले, नाश्ता मे बना लेती हु...
शिप्रा- नहि माँ मे कर लुंगी आप आराम करलो...
सोनाली- मे ठीक हूँ अब और तू जाकर तैयार होजा, नाश्ता मे तैयार करती हु...
शिप्रा- ओके... आप कहती हो तो मे जाती हु...
शिप्रा चलि जाती है और सोनाली अपने बेटे के साथ हुए काण्ड के बारे मे सोचते हुए किचन की तरफ बढ़ जाती है.... सतीश उठ कर मुतने चला जाता है और फिर सोनाली के रूम से निकल कर किचन की तरफ बढ़ देता है क्युकी उसे पता था की उसकी माँ किचन मे ही है.... सोनाली किचन मे नाश्ते की तयारी कर रही थी.... सतीश जाकर उसे पीछे से अपनी बाँहों मे भर लेता है....
सोनाली एकदम चौक जाती है और फिर अपने को सँभालते हुये- ये क्या कर रहा है तु...
सतीश उसके गर्दन पर अपने होठ रख कर किस करते हुये- प्यार कर रहा हूँ अपनी सेक्सी माँ से...
सोनाली- बहोत शैतान हो गया है तु... शर्म नहि आती अपनी माँ को सेक्सी कहते हुये...
सतीश उसके उरोजों पर अपने हाथ रख कर उन्हें सहलाते हुये- अरे माँ इसमें शर्म कैसी, वैसे भी जिसकी आप जैस सेक्सी और हॉट माँ हो उसे शरम नहि करम करना चहिये...
सोनाली- आह्ह्ह्ह... शिप्रा आ जायेगी अभी मत कर बेटा
सतीश अपने लंड को उसकी गांड पर टीका कर गस्से मरते हुये- ओह्ह माँ अब कण्ट्रोल नहि होता, देख कैसे मेरा मुन्ना तुम्हारी मुनिया मे घूसने को बेताब हो रहा है....
सोनाली सीधी हो जाती है और अब सतीश का लंड उसकी मुनिया से रगड रहा था, सोनाली सतीश की आँखों मे देखते हुए उसके लंड को शार्ट के ऊपर से पकडते हुये- तो समझा अपने मुन्ने को की वो थोड़ा सबर करे और वैसे भी सबर का फल मीठा होता है....
सतीश अपने लंड पर अपनी माँ के हाथ रखने से एक सिसकि लेता है....
सतीश- आह्हः माँ सबर ही तो नहि होता अब, तुझे पता नहि कैसे ईसने इतने समय तक सबर किया है इस पल के लिए और अब तुझे पास पाकर इससे सबर नहि होता...
सोनाली- तो अब तक कैसे काम चलाया था तूने, अपनी गर्लफ्रेंड को चोद कर...
ओर इतना कह कर सोनाली उसके शार्ट मे अपना हाथ दाल कर उसकर लंड को पकड़ कर मुठियाने लगती है, सतीश पूरी मस्ती मे था अब...
सतीश- माँ मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहि है....
सोनाली- चल झूटा तूने क्या मुझे बेवक़ूफ़ समझ रखा है, इतना गबरू जवान है और स्मार्ट भी है और ऊपर से सबसे बड़ी ख़ासियत की इतना तगड़ा हथियार है तेरा... ऐसा हो ही नहि सकता की तेरी कोई गर्लफ्रेंड न हो...
सतीश सिसकते हुये- आहSSS ओहSS सच कह रहा हूँ माँ मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहि है...
सोनाली- पर क्यों तुझे पसंद नहि आई कोई क्या?
ये सब बाते करते हुए सोनाली अपना हाथ उसके शार्ट मे दाल कर उसके लंड को मुठिया रही थी....
सतीश- हा माँ कोई पसंद ही नहि आई...
सोनाली- कैसी लड़की चाहिए तुझी, तू मुझे बता मे ढूँढ़ती हूँ तेरे लिये...
सतीश- बिलकुल आपके जैसी गर्लफ्रेंड चाहिए मुझे बल्कि मे आपको ही पसंद करता हूँ माँ वो भी बहोत समय से शायद मेरा लंड भी तुझे देख कर ही खड़ा होना सिखा है...
सोनाली- धत्त पागल कहि का शर्म नहि आती तुझे ऐसी बात करते हुये...
सतीश- जो सच है मैंने आपको बता दिया अब आप जो चाहे सोचो..
सोनाली- तो अब तक इसको कैसे सम्भाले, ईसने तो बहोत तंग किया होगा तुझी...
सतीश- तंग तो बहोत किया माँ पर क्या करू कोई लड़की मिली ही नहि आप जैसी जिसकी चुत मे में अपना दाल कर इसे शांत कर सकू....
सोनाली को उसकी गन्दी लैंग्वेज से कोई आपत्ति नहि हो रही थी बल्कि वो अपने बेटे के मुह से चुत और लंड जैसे शब्द सुनकर गरम हो रही थी.... और अब और कसकर उसके लंड को मुठियाने लगी थी और ऊपर सतीश उसके स्तन अपने हाथो मे लेकर मसल रहा रहा था...
और दूसरा हाथ सोनाली की पेन्टी में डालकर उनकी चुत को रगड़ने लगा उनकी चुत में उंगली डालकर आगे पीछे करने लगा
सोनाली- मेरी जैसी कोई लड़की मिल ही नहि सकती क्युकी मेरी जैसी केवल औरते होती है....
सतीश- पर मुझे तो कोई औरत भी नहि मिली आप जैसी वरना उसके ऊपर ही चढ़ जाता.... और वैसे भी मेरे मुन्ने को सबसे पहले तेरी ही मुनिया का रस चखना था...
सोनाली- तो कैसे शांत करता था अपने मुन्ने को जब ये परेशान करता था....
सतीश- वो मे आपके बारे मे सोच कर ही मुट्ठि मारकर शांत करता था इसे...
सोनाली- हाय मेरे होते हुए मेरे बेटे को अपने हाथ से काम चलाना पड़ रहा था, तू पहले आ जाता न इसे लेकर मैं मना थोड़े ही करती अपने बेटे को.... पर तू परेशान न हो अब कभी तुझे अपने हाथ का यूज़ नही करना पड़ेगा तू मेरे पास ले आना इसे जब भी ये परेशान करे....
सतीश- हु अब लेकर आया हूँ तब तो कोई ख़याल कर नहि रही हो इसका और कह रही हो की आपके पास ले आऊ जब ये परेशान करे, अब लाया तो हूँ आपके पास करो इसका इलाज...
ओर इतना कहकर सतीश कपड़ो के ऊपर से ही उसकी तनी हुई निप्पल्स को लेकर जोर से मसल देता है.... और सोनाली के मुह से चीख निकल जाती है...
सोनाली- एआइइइइइ... थोड़ा आराम से कर बेटा मे कही भागे नहि जा रही हु...
सतीश- माँ क्यों तडपा रही हो ईसे, इसका हाथ से करोगी तो एक घंटा लग जायेगा पर झडेगा नहि...
जबकी सच ये था की सोनाली के लंड मुठियाने से सतीश बहोत उत्तेजिय हो गया था और उसे ऐसा लग रहा था की वो किसी भी पल झड जायेगा.... सतीश बहोत मुस्किल से अपने आप को झड़ने से रोक रहा था...
सोनाली- पर बेटा अभी घर मे शिप्रा है... तू थोड़ा सा कण्ट्रोल करले...
सतीश- वहि तो नहि होता मोम.....
सोनाली- प्लीज् बेटा अभी तू बाहर जा, शिप्रा किसी भी वक़्त आती होगी....
सतीश- ठीक है पर मे खाली हाथ नहि जाऊंगा....
सोनाली- मतलब...
सतीश सोनाली के होंठ पर अपना अँगूठा फिराते हुये...
सतीश- मतलब की कम से कम इन गुलाब की पंखुडियों का रस तो पीला दो...
सोनाली उसकी बात सुनकर मुस्कुराती है और फिर उसके सर पर हाथ रख कर उसके बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खिंचति है और उसके होंठो को अपने होंठो मे भरकर चुस्ने लगती है....
दोनो काफी टाइम तक एक दूसरे के होंठ चुसते रह्ते हैं फिर उनको सीडियों से शिप्रा के उतरने की आवाज आती है और वो दोनों अलग हो जाते है, सतीश तुरंत ही फ्रिज मे से पाणी की बोतल निकालता है और अपने लंड को एडजस्ट करते हुए किचन से बाहर निकल जाता है और सोफ़े पर बैठ कर टीवी ऑन कर लेता है...
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