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Update 20
सूरज करवट बदलते हुए मन ही मन सुमित्रा के बारे मे सोच रहा था और उसके लिए सो पाना कठिन था वो धीरे धीरे सरकतें हुए बगल वाले गद्दे के बेहद करीब आ गया था जहाँ अब उसकी माँ सुमित्रा कि जगह बुआ अनुराधा सो रही थी..
अनुराधा और सुमित्रा के बदन कि बनावट एक सी ना थी मगर फिर भी अँधेरे मे दोनों के बदन को छू कर अंतर कर पाना कठिन था.. अनुराधा का बदन सुमित्रा की उतार चढ़ाव भरा भले ही ना था मगर फिर भी पचास की उम्र पार कर चुकी अनुराधा को देखकर कोई भी कामुक मर्द चोदने को त्यार हो सकता था..
सूरज ने अपना हाथ धीरे से अनुराधा के नंगे पेट पर रख दिया और अपना पायजामा निचे सरका कर लंड बाहर निकाल लिया.. सूरज ने अपना हाथ धीरे धीरे पेट सहलाते हुए ऊपर लाना शुरु कर दिया जिससे अनुराधा की नींद खुलने लगी थी.. सूरज ने जब अपना हाथ अनुराधा के चुचे पर रखा तब उसे हल्का सा महसूस हुआ की कुछ गड़बड़ हैं क्युकी सुमित्रा के स्तन उठे हुए और आकृति मे थे मगर अनुराधा के झुके हुए भारी थे..
अनुराधा की नींद सूरज की छेड़खानी से खुल चुकी थी और उसने जब सूरज के हाथ को अपने चुचे पर अटखेलिया करते पकड़ा तो उसने सोचा की सूरज नींद मे ऐसा कर रहा हैं और अनुराधा ने सूरज का हाथ पकड़ कर अपने चुचे से पर से हटा दिया.. मगर हटाते हुए अनुराधा का हाथ जाकर सूरज के खड़े हुए लंड पर जा टकराया और अनुराधा के मन मे तरंग बजने लगी.. उसे जमाना हो गया था कामक्रीड़ा का आनंद भोगे.. अनुराधा ने जब अपने हाथ से अँधेरे मे लंड के आस पास हाथ फेरा और उसे टाटोला तो अनुराधा को समझ आ गया था की सूरज का लंड अपनी पूरी औकात मे खड़ा हैं और जो उसके हाथ मे पूरा भी नहीं समा रहा था..
सूरज ने जब महसूस किया की उसके लंड पर छेड़खानी हो रही थी ह तो उसे लगा की सुमित्रा सम्बन्ध बनाने के लिए त्यार हैं और जानबूझ कर लंड को छेड़ रही हैं.. सूरज ने अपना हाथ वापस अनुराधा के चुचे पर रख दिया और चुचे पर चुचक को छेड़ने लगा..
सूरज के ऐसा करते ही अनुराधा को समझ आ चूका था की सूरज नींद मे नहीं हैं और उसने अपना हाथ सूरज के लंड पर से हटा लिया मगर सूरज ने आगे बढ़कर अनुराधा के ब्लाउज का हुक अँधेरे मे ऐसे खोला जैसे वो इसमें महारथी हो.. ब्लाउज का हुक खोलते ही सूरज ने अनुराधा के चुचक पर अपना मुँह लगा दिया और चुचा चूसने लगा..
अनुराधा के साथ ये सब इतना जल्दी हुआ की वो कुछ समझ ही ना पाई.. अनुराधा के मीठा मीठा मज़्ज़ा आने लगा था और अब सूरज को रोकने मे उसे झिझक हो रही थी वो जानती थी ये सब गलत हैं पर इस वक़्त सूरज को रोकना उसके लिए आसान नहीं था.. कुछ देर तक उसने कुछ ना कहा और सूरज ने अपनी मनमानी की.. कभी दाए बोबे को पकड़ के चूसता तो कभी बाए बोबे को पकड़ कर निप्पल दाँत से खींचते हुए चूसता..
थोड़ी ही देर मे अनुराधा को भी इसमें अनूठा आंनद और रोमांच का मज़ा आने लगा.. सूरज की लव बाईट को भी अनुराधा मोन रहकर सह रही थी.. सूरज ने अनुराधा के हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रगड़ा तो अनुराधा के मन मे अपने अतीत के सुखद पल दौर गए थे जब उसका जोबन उफान पर था.. अनुराधा के हाथ मे सूरज ने अपना लंड थमा दिया था और अपने हाथ से अनुराधा के हाथ को पकड़ कर अपने लंड को सहलावने लगा था.. अनुराधा असमंजस मे थी गलत होने पर भी ये सब रोक पाना उसके लिए मुश्किल था उसकी चुत से काम की धारा बहने लगी थी और सूरज अनुराधा को सुमित्रा समझ कर सबकुछ किये जा रहा था..
सूरज ने अनुराधा की साडी को धीरे धीरे उठाकर जांघ तक ला दिया था और अब कमर के ऊपर ला रहा था अनुराधा आगामी पल का सोचकर ये समझ नहीं पा रही थी की सूरज उसके साथ ऐसा कर रहा हैं? अनुराधा अपने भतीजे की इन हरकतो पर चुपी साध कर लेटी थी और जो हो रहा होने दे रही थी उसके लिए ये सब रोक पाना बहुत कठिन था..
सूरज ने अनुराधा के चुचे को चूसते हुए साडी को कमर तक उठा दिया था और अब उसके हाथ अनुराधा के जांघ के जोड़ पर थी उसने पाया की चड्डी ने शर्मगाह को वापस ढक लिया हैं जो उसने पहले उतार दी थी.. सूरज ने बिना चुचा चूसना छोड़े वापस चड्डी को निचे सरका दिया जिसमे अनुराधा ने दिखावटी विरोध जाताने का प्रयास किया पर नाकाम रही.. अनुराधा की चड्डी घुटनो से निचे आ गई थी और सूरज ने अब चढ़ाई की तयारी कर लीं लीं थी..
सूरज थोड़ा ऊपर आकर अनुराधा की गर्दन चूमने लगा और साथ ही उसके हाथ अनुराधा के चुचो और शर्मगाह से छेड़खानी कर रहे थे.. अनुराधा अब अपने अस्तित्व को भुलाकर काम के कुए मे कूद पड़ी थी और सूरज के लिए त्यार हो चुकी थी उसे भी अब वो चाहिए था जो सूरज सुमित्रा से चाहता था..
गर्दन चूमते हुए सूरज अनुराधा के ऊपर चढ़ गया जिससे सूरज के लंड और अनुराधा की चुत आपस मे बिना किसी परदे के मिल गए जिससे अनुराधा के मन मे बिजली कोंध गई.. अनुराधा ने बिना किसी आग्रह के अपने घुटने मोड़कर टांग चौड़ी कर लीं और चुत के द्वार को सूरज केलिए खोलकर परोस दिया..
सालो से लंड के बिना रही अनुराधा की चुत सिकुड़ चुकी थी मगर उसमे इतनी गुंजाईश थी की वो सूरज के लंड के टोपे को आसानी से अपने अंदर ले सके उसके बाद सूरज के धक्के आगे का काम कर सकते थे.. सूरज ने जब अपना लंड चुत पर सेट करके हल्का सा झटका मारा तो आधा लंड बिना किसी रोक टोक के चुत मे घुस गया और अनुराधा की आह निकलते निकलते रह गई.. अनुराधा ने अपने एक हाथ से अपने मुँह को दबा लिया था जो उसकी आवाज को मोन दे रहा था..
अनुराधा के बगल मे बुढ़िया और उसके आगे रचना और सुमित्रा सो रही थी.. बुढ़िया का उठाना तो नामुमकिन था और रचना और सुमित्रा भी गहरी नींद मे थी सुबह 4 का वक़्त था और सुबह की नींद और थकावट के कारण किसी भी दोनों के बीच दखल देना मुश्किल था..
सूरज ने धीरे धीरे चुदाई की शुरुआत कर दी थी उसे मालूम था वो खुलकर चुदाई नहीं कर पायेगा और उसे इस वक़्त जो सुखद अनुभव महसूस हो रहा था वैसा पहले बहुत काम हुआ था.. अनुराधा बिना कुछ बोले बस जो हो रहा था उसका आनंद ले रही थी सूरज को मन भरके दुआएं दे रही थी जिसने आज उसे ऐसे तृप्ति के पल महसूस करने का मौका दिया था..
सूरज आधे लंड से ही अनुराधा को जो सुख दे रहा था वो किसीने अनुराधा को पुरे लंड से भी नहीं दिए थे.. अनुराधा काम वासना मे डूब कर अपनी गर्दन चुम और चाट रहे सूरज के सर को पकड़ कर उसके होंठो को अपने होंठो मे भर कर चूमने लगी..
सूरज बिना चुदाई बंद किये अनुराधा के होंठो को चूमने लगा मगर पहले कुछ पल मे ही उसे ये एहसास हो गया की ये सुमित्रा के होंठ नहीं हैं.. सूरज ने अपनी माँ सुमित्रा के होंठो को पहले कई बार चूमा था और उसके साँसों की महक को भी महसूस किया था इसलिए उसे ये अहसास हो चूका था की ये सुमित्रा के होंठ नहीं हैं..
अनुराधा बड़े चाव से सूरज के होंठो को होंठो मे लेकर चूमे जा रही थी और सूरज भी चूमते हुए इसी अहसास से असमंजस मे पड़ा हुआ था..
सूरज और अनुराधा के होंठ और चुत लंड आपस मे कुस्ती कररहे थे दोनों काम क्रीड़ा मे मस्तथे मगर सूरज के जहाँ मे सुमित्रा के चेहरे को देखने की तलब था उसने बगल मे पड़े फ़ोन को उठा कर जैसे ही अनुराधा के चेहरे पर टोर्च किया सूरज के पैरो तले की ज़मीन खिसक गयी.. उसे समझ नहीं आया ये सब क्या हुआ और कैसे हो गया..
अनुराधा ने फ़ोन छीन कर बगल मे रखते हुए सूरज के गाल पर चुम्मा देकर कान मे कहा.. रुक क्यूँ गया बेटा.. कर ना..
सूरज का लंड सिकुड़ चूका था उसे डर और अपराधबोध हो रहा था मगर अब अनुराधा पुरे मूंड मे थी.. अनुराधा ने सूरज को पालात्कार अपने निचे ले लिया और अब उसके ऊपर आ गयी.. सूरज मे तो जैसे कुछ करने की हिम्मत ही नहीं बची थी अनुराधा ने जब देखा की सूरज का लंड सिकुड़ रहा हैं उसने थोड़ा निचे जाकर झट से उसे मुँह मे ले लिया और सूरज को जन्नत की सैर पर ले गई..
सूरज के सारे ख्याल डर और परवाह अनुराधा ने लोडा मुँह मे लेकर ख़त्म कर दिए थे.. अनुराधा लंड आंड और आस पास की जगह ऐसे चुम और चाट रही थी जैसे वो सालो से इसी के इंतजार मे हो उसपर हवस हावी थी.. कुछ ही मिनटों मे सूरज का लंड वापस अपनी औकात मे आ गया था..
अनुराधा कुछ देर बाद सूरज के लंड पर बैठकर लंड चुत मे ले गई और आगे झुक गई, अपनी कमर हिलाते हुए अनुराधा अब चुदाई के सुख को भोग रही थी सूरज तो जैसे कुछ बोलने या करने की हालत मे ही नहीं था.. वो अनुराधा के सुख का साधन बनकर लेटा हुआ था और अब उसके लिए सब बदल चूका था..
अनुराधा ने सूरज को चूमना शुरु किया.. सूरज बेमन से उसका साथ दे रहा था और जल्द से जल्द ये सब ख़त्म करने की कोशिश मे था..
थोड़ी देर बाद ही अनुराधा के झरने से पानी बह गया और वो काम तृप्ति के दरिया मे गोते खाकर लौट आई.. अनुराधा ने भी सूरज के लंड से धार निकाल कर उसे थोड़ा हल्का महसूस करवा दिया था..
सूरज धीरे धीरे अलग होकर अनुराधा से थोड़ा दूर हुआ तो अनुराधा ने सूरज का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और कान मे बोली..
बाहर चल..
बुआ..
कहा ना.. बाहर चल.. आजा जल्दी..
अनुराधा अपने को समेट कर खड़ी हुई और बाहर चली गई कुछ देर बाद सूरज भी ऐसा ही करके कमरे से बाहर आ गया जहाँ उसने देखा की अनुराधा थोड़ा दूर खड़ी थी.. शादी का घर था और कमरे के अलावा हर जगह की लाइट्स जल रही थी..
अनुराधा ने एक नज़र सूरज को देखा और अपने पीछे आने का इशारा करके सीढ़ियों से होते हुए ऊपर छत की तरफ बढ़ गई.. सूरज भी अनुराधा के पीछे पीछे चलने लगा.. अनुराधा छत पर जाने की जगह बिच मे ही रुक गई और सूरज के पास आते ही उसे अपनी तरफ खींचकर बोली..
हनी.. जो भी हुआ किसीको पता नहीं चलना चाहिए.. समझा?
मुझे माफ़ कर दो बुआ.. मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा.. सूरज ने लड़खड़ती जबान के साथ उत्तर दिया..
पहले पता होता तु इतना भरा बैठा हैं तो विनोद से पहले तेरी शादी करवा दी होती.. बेशर्मी ने अपनी बुआ के साथ ही मुँह काला कर लिया.. हे भगवान्.. मेरी भी मति मारी गयी थी जो तुझे रोकने की जगह खुद ही तेरे साथ लग गई.. अनुराधा को ग्लानी महसूस हो रही थी और वो सूरज के सामने अपनी गलती स्वीकार करते हुए अपनेआप को दोष दे रही थी..
बुआ मेरी गलती हैं.. मैं अपने को काबू मे नहीं रख पाया.. आप मुझे जो सजा दोगी मुझे मंज़ूर हैं.. सूरज ने शर्मिंदा होकर कहा तो अनुराधा बोली..
नहीं बेटा.. तेरी क्या गलती? तु जवान हैं नादान हैं तेरी उम्र मे गलती हो जाती हैं मगर मे तो पचास पार हूँ मुझसे ये सब कैसे हो गया.. गलती तो मेरी हैं..
सूरज अनुराधा के मन की दशा को समझ रहा था उसने अनुराधा के हाथों को पकड़ा और उसे अपनी बाहो मे भरते हुए बोला..
बुआ.. जो हुआ सो हुआ.. अब उसे भूल जाने मे सबका भला हैं.. मैं इस बात का जिक्र किसीसे नहीं करूँगा..
अनुराधा थोड़ा राहत महसूस करते हुए बोली.. सही कहा तूने बेटा.. मैं तो डर गई थी.. पता नहीं क्या होगा.. इस उम्र मे बदनामी.. हे भगवान.. मैं भी केसी निर्लज हूं अपने भतीजे के साथ अनर्थ कर डाला..
कुछ नहीं होगा बुआ.. आप फ़िक्र मत करो.. मैं हूं ना.. देखो मेरी तरफ.. गलती मेरी हैं मैं अपनेआप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया.. आपकी क्या गलती इसमें?
नहीं बेटा.. तु तो जवान हैं तेरी उम्र मे ये सब आम हैं मगर मैं? अनुराधा को पछतावा होने लगा था जिसे सूरज काम करने की कोशिश मे लगा था और बारबार समझा रहा था.. अनुराधा अब भी सूरज की बाहो मे थी और उदासी से रोने ही वाली थी की सूरज ने उसे वापस समझते हुए कहा..
बुआ यहा कोई भी हमारी बार सुन सकता हैं आप चलो.. सूरज अनुराधा का हाथ पकड़ कर छत पर बने कमरे मे आ गया और दरवाजा बंद कर मायूसी से भरे अनुराधा के चेहरे को अपने दोनों हाथ मे थाम कर बोला..
बुआ मैं जानता हूँ आप कितनी अकेली हो और हर औरत को मर्द की जरुरत होती हैं.. हमारे बीच निचे जो कुछ हुआ उसमे जितना कुसूर आपका हैं उतना मेरा भी हैं मगर आप सिर्फ अपने आपको उसका दोष नहीं दे शक्ति.. और सच कहु तो बुआ मुझे अपनी गलती का जरा सा भी पछतावा नहीं हैं.. और आपको भी नहीं होना चाहिए..
अनुराधा ने नज़र उठा कर सूरज की आँखों मे देखा तो पाया की सूरज की आँखों मे अब भी जिस्म की प्यास झलक रही थी दोनों के चेहरे करीब ही थे.. अनुराधा को समझते देर ना लगी कि सूरज उससे आगे क्या कहने वाला था.. अनुराधा बोली..
बेटा ये सब ठीक नहीं हैं.. हमारा रिश्ता और उम्र का फांसला.. किसीको भनक भी लगी तो अनर्थ हो जाएगा..
सूरज ने अनुराधा कि कमर मे हाथ डालाकर उसे अपनी तरफ खींचा और होंठ के करीब होंठ लाकर बोला.. किसीको तब भनक लगेगी ना जब हम इस बात का जिक्र करेंगे.. बुआ हमारे बीच जो हुआ उसे हम आज ही भूल जाएंगे..
ये कहने के बाद सूरज ने अनुराधा के होंठ चुम लिए और भर भर के चूमने लगा..
जो काम कुछ देर पहले अँधेरे मे हो रहा था वो अब रौशनी मे हो रहा था जो अनजाने मे हो रहा था वो अब जानबूझकर हो रहा था..
अनुराधा को सूरज ने इस क़दर मजबूर कर दिया था कि वो अब चाहकर भी खुदको रोक ना पा रही थी..
गुजरे वक़्त ने अनुराधा को अपने घुटनो पर ला दिया था और वो सूरज के लंड को मुँह मे लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे लॉलीपॉप चूस रही हो.. सूरज भी अपने दोनों हाथ अनुराधा के सर पर रखकर लंड चूसाईं का मज़ा ऐसे ले रहा था जेसे वो कब से इसीके इंतजार मे हो..
जो गद्दा सुमित्रा ने समेट कर रख दिया था उसे अनुराधा ने वापस बिछा दिया था और अपनी दोनों टांग खोलकर सूरज के आगे लेट गई थी..
सूरज ने आधे लंड से ही अनुराधा को जन्नत की सैर करवा दी थी मगर अब वो पूरे लण्ड का इस्तेमाल करने वाला था.. सूरज ने जैसे ही दूसरे-तीसरे झटके मे अपना पूरा लंड चुत मे डाला अनुराधा कि चीख और चुत से लहू कि बून्द साथ मे निकल गई..
सूरज बिना किसी परवाह के ऐसे अनुराधा कि चुत मार रहता जैसे अनुराधा उसकी बुआ ना होकर कोई कोठेवाली हो.. अनुराधा को आंनद के सागर ने वापस अपने आगोश मे ले लिया था और उसको पता लग चूका था कि उसकी चुत सूजने वाली हैं..
घोड़ी बनने के बाद अनुराधा के बाल सूरज के हाथ मे थे और सूरज बाल खींचते हुए झटके मार मार कर अनुराधा की सिसकियाँ सुनकर कामसुःख मे डूब रहा था..
अनुराधा की चुत ने वापस अपना झरना बहा दिया था और अब सूरज भी झड़ने वाला था उसने अनुराधा को पलट दिया और उसके मुँह मे लोडा डाल कर चूसने का इशारा किया तो अनुराधा उसी काम मे लग गई..
सूरज ने अपने फ़ोन अनुराधा की कई तस्वीरे खींची मगर अनुराधा ने सूरज का विरोध नहीं किया.. बस लंड चूसने मे मग्न रही और सूरज का वीर्य पी गई..
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सूरज करवट बदलते हुए मन ही मन सुमित्रा के बारे मे सोच रहा था और उसके लिए सो पाना कठिन था वो धीरे धीरे सरकतें हुए बगल वाले गद्दे के बेहद करीब आ गया था जहाँ अब उसकी माँ सुमित्रा कि जगह बुआ अनुराधा सो रही थी..
अनुराधा और सुमित्रा के बदन कि बनावट एक सी ना थी मगर फिर भी अँधेरे मे दोनों के बदन को छू कर अंतर कर पाना कठिन था.. अनुराधा का बदन सुमित्रा की उतार चढ़ाव भरा भले ही ना था मगर फिर भी पचास की उम्र पार कर चुकी अनुराधा को देखकर कोई भी कामुक मर्द चोदने को त्यार हो सकता था..
सूरज ने अपना हाथ धीरे से अनुराधा के नंगे पेट पर रख दिया और अपना पायजामा निचे सरका कर लंड बाहर निकाल लिया.. सूरज ने अपना हाथ धीरे धीरे पेट सहलाते हुए ऊपर लाना शुरु कर दिया जिससे अनुराधा की नींद खुलने लगी थी.. सूरज ने जब अपना हाथ अनुराधा के चुचे पर रखा तब उसे हल्का सा महसूस हुआ की कुछ गड़बड़ हैं क्युकी सुमित्रा के स्तन उठे हुए और आकृति मे थे मगर अनुराधा के झुके हुए भारी थे..
अनुराधा की नींद सूरज की छेड़खानी से खुल चुकी थी और उसने जब सूरज के हाथ को अपने चुचे पर अटखेलिया करते पकड़ा तो उसने सोचा की सूरज नींद मे ऐसा कर रहा हैं और अनुराधा ने सूरज का हाथ पकड़ कर अपने चुचे से पर से हटा दिया.. मगर हटाते हुए अनुराधा का हाथ जाकर सूरज के खड़े हुए लंड पर जा टकराया और अनुराधा के मन मे तरंग बजने लगी.. उसे जमाना हो गया था कामक्रीड़ा का आनंद भोगे.. अनुराधा ने जब अपने हाथ से अँधेरे मे लंड के आस पास हाथ फेरा और उसे टाटोला तो अनुराधा को समझ आ गया था की सूरज का लंड अपनी पूरी औकात मे खड़ा हैं और जो उसके हाथ मे पूरा भी नहीं समा रहा था..
सूरज ने जब महसूस किया की उसके लंड पर छेड़खानी हो रही थी ह तो उसे लगा की सुमित्रा सम्बन्ध बनाने के लिए त्यार हैं और जानबूझ कर लंड को छेड़ रही हैं.. सूरज ने अपना हाथ वापस अनुराधा के चुचे पर रख दिया और चुचे पर चुचक को छेड़ने लगा..
सूरज के ऐसा करते ही अनुराधा को समझ आ चूका था की सूरज नींद मे नहीं हैं और उसने अपना हाथ सूरज के लंड पर से हटा लिया मगर सूरज ने आगे बढ़कर अनुराधा के ब्लाउज का हुक अँधेरे मे ऐसे खोला जैसे वो इसमें महारथी हो.. ब्लाउज का हुक खोलते ही सूरज ने अनुराधा के चुचक पर अपना मुँह लगा दिया और चुचा चूसने लगा..
अनुराधा के साथ ये सब इतना जल्दी हुआ की वो कुछ समझ ही ना पाई.. अनुराधा के मीठा मीठा मज़्ज़ा आने लगा था और अब सूरज को रोकने मे उसे झिझक हो रही थी वो जानती थी ये सब गलत हैं पर इस वक़्त सूरज को रोकना उसके लिए आसान नहीं था.. कुछ देर तक उसने कुछ ना कहा और सूरज ने अपनी मनमानी की.. कभी दाए बोबे को पकड़ के चूसता तो कभी बाए बोबे को पकड़ कर निप्पल दाँत से खींचते हुए चूसता..
थोड़ी ही देर मे अनुराधा को भी इसमें अनूठा आंनद और रोमांच का मज़ा आने लगा.. सूरज की लव बाईट को भी अनुराधा मोन रहकर सह रही थी.. सूरज ने अनुराधा के हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रगड़ा तो अनुराधा के मन मे अपने अतीत के सुखद पल दौर गए थे जब उसका जोबन उफान पर था.. अनुराधा के हाथ मे सूरज ने अपना लंड थमा दिया था और अपने हाथ से अनुराधा के हाथ को पकड़ कर अपने लंड को सहलावने लगा था.. अनुराधा असमंजस मे थी गलत होने पर भी ये सब रोक पाना उसके लिए मुश्किल था उसकी चुत से काम की धारा बहने लगी थी और सूरज अनुराधा को सुमित्रा समझ कर सबकुछ किये जा रहा था..
सूरज ने अनुराधा की साडी को धीरे धीरे उठाकर जांघ तक ला दिया था और अब कमर के ऊपर ला रहा था अनुराधा आगामी पल का सोचकर ये समझ नहीं पा रही थी की सूरज उसके साथ ऐसा कर रहा हैं? अनुराधा अपने भतीजे की इन हरकतो पर चुपी साध कर लेटी थी और जो हो रहा होने दे रही थी उसके लिए ये सब रोक पाना बहुत कठिन था..
सूरज ने अनुराधा के चुचे को चूसते हुए साडी को कमर तक उठा दिया था और अब उसके हाथ अनुराधा के जांघ के जोड़ पर थी उसने पाया की चड्डी ने शर्मगाह को वापस ढक लिया हैं जो उसने पहले उतार दी थी.. सूरज ने बिना चुचा चूसना छोड़े वापस चड्डी को निचे सरका दिया जिसमे अनुराधा ने दिखावटी विरोध जाताने का प्रयास किया पर नाकाम रही.. अनुराधा की चड्डी घुटनो से निचे आ गई थी और सूरज ने अब चढ़ाई की तयारी कर लीं लीं थी..
सूरज थोड़ा ऊपर आकर अनुराधा की गर्दन चूमने लगा और साथ ही उसके हाथ अनुराधा के चुचो और शर्मगाह से छेड़खानी कर रहे थे.. अनुराधा अब अपने अस्तित्व को भुलाकर काम के कुए मे कूद पड़ी थी और सूरज के लिए त्यार हो चुकी थी उसे भी अब वो चाहिए था जो सूरज सुमित्रा से चाहता था..
गर्दन चूमते हुए सूरज अनुराधा के ऊपर चढ़ गया जिससे सूरज के लंड और अनुराधा की चुत आपस मे बिना किसी परदे के मिल गए जिससे अनुराधा के मन मे बिजली कोंध गई.. अनुराधा ने बिना किसी आग्रह के अपने घुटने मोड़कर टांग चौड़ी कर लीं और चुत के द्वार को सूरज केलिए खोलकर परोस दिया..
सालो से लंड के बिना रही अनुराधा की चुत सिकुड़ चुकी थी मगर उसमे इतनी गुंजाईश थी की वो सूरज के लंड के टोपे को आसानी से अपने अंदर ले सके उसके बाद सूरज के धक्के आगे का काम कर सकते थे.. सूरज ने जब अपना लंड चुत पर सेट करके हल्का सा झटका मारा तो आधा लंड बिना किसी रोक टोक के चुत मे घुस गया और अनुराधा की आह निकलते निकलते रह गई.. अनुराधा ने अपने एक हाथ से अपने मुँह को दबा लिया था जो उसकी आवाज को मोन दे रहा था..
अनुराधा के बगल मे बुढ़िया और उसके आगे रचना और सुमित्रा सो रही थी.. बुढ़िया का उठाना तो नामुमकिन था और रचना और सुमित्रा भी गहरी नींद मे थी सुबह 4 का वक़्त था और सुबह की नींद और थकावट के कारण किसी भी दोनों के बीच दखल देना मुश्किल था..
सूरज ने धीरे धीरे चुदाई की शुरुआत कर दी थी उसे मालूम था वो खुलकर चुदाई नहीं कर पायेगा और उसे इस वक़्त जो सुखद अनुभव महसूस हो रहा था वैसा पहले बहुत काम हुआ था.. अनुराधा बिना कुछ बोले बस जो हो रहा था उसका आनंद ले रही थी सूरज को मन भरके दुआएं दे रही थी जिसने आज उसे ऐसे तृप्ति के पल महसूस करने का मौका दिया था..
सूरज आधे लंड से ही अनुराधा को जो सुख दे रहा था वो किसीने अनुराधा को पुरे लंड से भी नहीं दिए थे.. अनुराधा काम वासना मे डूब कर अपनी गर्दन चुम और चाट रहे सूरज के सर को पकड़ कर उसके होंठो को अपने होंठो मे भर कर चूमने लगी..
सूरज बिना चुदाई बंद किये अनुराधा के होंठो को चूमने लगा मगर पहले कुछ पल मे ही उसे ये एहसास हो गया की ये सुमित्रा के होंठ नहीं हैं.. सूरज ने अपनी माँ सुमित्रा के होंठो को पहले कई बार चूमा था और उसके साँसों की महक को भी महसूस किया था इसलिए उसे ये अहसास हो चूका था की ये सुमित्रा के होंठ नहीं हैं..
अनुराधा बड़े चाव से सूरज के होंठो को होंठो मे लेकर चूमे जा रही थी और सूरज भी चूमते हुए इसी अहसास से असमंजस मे पड़ा हुआ था..
सूरज और अनुराधा के होंठ और चुत लंड आपस मे कुस्ती कररहे थे दोनों काम क्रीड़ा मे मस्तथे मगर सूरज के जहाँ मे सुमित्रा के चेहरे को देखने की तलब था उसने बगल मे पड़े फ़ोन को उठा कर जैसे ही अनुराधा के चेहरे पर टोर्च किया सूरज के पैरो तले की ज़मीन खिसक गयी.. उसे समझ नहीं आया ये सब क्या हुआ और कैसे हो गया..
अनुराधा ने फ़ोन छीन कर बगल मे रखते हुए सूरज के गाल पर चुम्मा देकर कान मे कहा.. रुक क्यूँ गया बेटा.. कर ना..
सूरज का लंड सिकुड़ चूका था उसे डर और अपराधबोध हो रहा था मगर अब अनुराधा पुरे मूंड मे थी.. अनुराधा ने सूरज को पालात्कार अपने निचे ले लिया और अब उसके ऊपर आ गयी.. सूरज मे तो जैसे कुछ करने की हिम्मत ही नहीं बची थी अनुराधा ने जब देखा की सूरज का लंड सिकुड़ रहा हैं उसने थोड़ा निचे जाकर झट से उसे मुँह मे ले लिया और सूरज को जन्नत की सैर पर ले गई..
सूरज के सारे ख्याल डर और परवाह अनुराधा ने लोडा मुँह मे लेकर ख़त्म कर दिए थे.. अनुराधा लंड आंड और आस पास की जगह ऐसे चुम और चाट रही थी जैसे वो सालो से इसी के इंतजार मे हो उसपर हवस हावी थी.. कुछ ही मिनटों मे सूरज का लंड वापस अपनी औकात मे आ गया था..
अनुराधा कुछ देर बाद सूरज के लंड पर बैठकर लंड चुत मे ले गई और आगे झुक गई, अपनी कमर हिलाते हुए अनुराधा अब चुदाई के सुख को भोग रही थी सूरज तो जैसे कुछ बोलने या करने की हालत मे ही नहीं था.. वो अनुराधा के सुख का साधन बनकर लेटा हुआ था और अब उसके लिए सब बदल चूका था..
अनुराधा ने सूरज को चूमना शुरु किया.. सूरज बेमन से उसका साथ दे रहा था और जल्द से जल्द ये सब ख़त्म करने की कोशिश मे था..
थोड़ी देर बाद ही अनुराधा के झरने से पानी बह गया और वो काम तृप्ति के दरिया मे गोते खाकर लौट आई.. अनुराधा ने भी सूरज के लंड से धार निकाल कर उसे थोड़ा हल्का महसूस करवा दिया था..
सूरज धीरे धीरे अलग होकर अनुराधा से थोड़ा दूर हुआ तो अनुराधा ने सूरज का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और कान मे बोली..
बाहर चल..
बुआ..
कहा ना.. बाहर चल.. आजा जल्दी..
अनुराधा अपने को समेट कर खड़ी हुई और बाहर चली गई कुछ देर बाद सूरज भी ऐसा ही करके कमरे से बाहर आ गया जहाँ उसने देखा की अनुराधा थोड़ा दूर खड़ी थी.. शादी का घर था और कमरे के अलावा हर जगह की लाइट्स जल रही थी..
अनुराधा ने एक नज़र सूरज को देखा और अपने पीछे आने का इशारा करके सीढ़ियों से होते हुए ऊपर छत की तरफ बढ़ गई.. सूरज भी अनुराधा के पीछे पीछे चलने लगा.. अनुराधा छत पर जाने की जगह बिच मे ही रुक गई और सूरज के पास आते ही उसे अपनी तरफ खींचकर बोली..
हनी.. जो भी हुआ किसीको पता नहीं चलना चाहिए.. समझा?
मुझे माफ़ कर दो बुआ.. मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा.. सूरज ने लड़खड़ती जबान के साथ उत्तर दिया..
पहले पता होता तु इतना भरा बैठा हैं तो विनोद से पहले तेरी शादी करवा दी होती.. बेशर्मी ने अपनी बुआ के साथ ही मुँह काला कर लिया.. हे भगवान्.. मेरी भी मति मारी गयी थी जो तुझे रोकने की जगह खुद ही तेरे साथ लग गई.. अनुराधा को ग्लानी महसूस हो रही थी और वो सूरज के सामने अपनी गलती स्वीकार करते हुए अपनेआप को दोष दे रही थी..
बुआ मेरी गलती हैं.. मैं अपने को काबू मे नहीं रख पाया.. आप मुझे जो सजा दोगी मुझे मंज़ूर हैं.. सूरज ने शर्मिंदा होकर कहा तो अनुराधा बोली..
नहीं बेटा.. तेरी क्या गलती? तु जवान हैं नादान हैं तेरी उम्र मे गलती हो जाती हैं मगर मे तो पचास पार हूँ मुझसे ये सब कैसे हो गया.. गलती तो मेरी हैं..
सूरज अनुराधा के मन की दशा को समझ रहा था उसने अनुराधा के हाथों को पकड़ा और उसे अपनी बाहो मे भरते हुए बोला..
बुआ.. जो हुआ सो हुआ.. अब उसे भूल जाने मे सबका भला हैं.. मैं इस बात का जिक्र किसीसे नहीं करूँगा..
अनुराधा थोड़ा राहत महसूस करते हुए बोली.. सही कहा तूने बेटा.. मैं तो डर गई थी.. पता नहीं क्या होगा.. इस उम्र मे बदनामी.. हे भगवान.. मैं भी केसी निर्लज हूं अपने भतीजे के साथ अनर्थ कर डाला..
कुछ नहीं होगा बुआ.. आप फ़िक्र मत करो.. मैं हूं ना.. देखो मेरी तरफ.. गलती मेरी हैं मैं अपनेआप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया.. आपकी क्या गलती इसमें?
नहीं बेटा.. तु तो जवान हैं तेरी उम्र मे ये सब आम हैं मगर मैं? अनुराधा को पछतावा होने लगा था जिसे सूरज काम करने की कोशिश मे लगा था और बारबार समझा रहा था.. अनुराधा अब भी सूरज की बाहो मे थी और उदासी से रोने ही वाली थी की सूरज ने उसे वापस समझते हुए कहा..
बुआ यहा कोई भी हमारी बार सुन सकता हैं आप चलो.. सूरज अनुराधा का हाथ पकड़ कर छत पर बने कमरे मे आ गया और दरवाजा बंद कर मायूसी से भरे अनुराधा के चेहरे को अपने दोनों हाथ मे थाम कर बोला..
बुआ मैं जानता हूँ आप कितनी अकेली हो और हर औरत को मर्द की जरुरत होती हैं.. हमारे बीच निचे जो कुछ हुआ उसमे जितना कुसूर आपका हैं उतना मेरा भी हैं मगर आप सिर्फ अपने आपको उसका दोष नहीं दे शक्ति.. और सच कहु तो बुआ मुझे अपनी गलती का जरा सा भी पछतावा नहीं हैं.. और आपको भी नहीं होना चाहिए..
अनुराधा ने नज़र उठा कर सूरज की आँखों मे देखा तो पाया की सूरज की आँखों मे अब भी जिस्म की प्यास झलक रही थी दोनों के चेहरे करीब ही थे.. अनुराधा को समझते देर ना लगी कि सूरज उससे आगे क्या कहने वाला था.. अनुराधा बोली..
बेटा ये सब ठीक नहीं हैं.. हमारा रिश्ता और उम्र का फांसला.. किसीको भनक भी लगी तो अनर्थ हो जाएगा..
सूरज ने अनुराधा कि कमर मे हाथ डालाकर उसे अपनी तरफ खींचा और होंठ के करीब होंठ लाकर बोला.. किसीको तब भनक लगेगी ना जब हम इस बात का जिक्र करेंगे.. बुआ हमारे बीच जो हुआ उसे हम आज ही भूल जाएंगे..
ये कहने के बाद सूरज ने अनुराधा के होंठ चुम लिए और भर भर के चूमने लगा..
जो काम कुछ देर पहले अँधेरे मे हो रहा था वो अब रौशनी मे हो रहा था जो अनजाने मे हो रहा था वो अब जानबूझकर हो रहा था..
अनुराधा को सूरज ने इस क़दर मजबूर कर दिया था कि वो अब चाहकर भी खुदको रोक ना पा रही थी..
गुजरे वक़्त ने अनुराधा को अपने घुटनो पर ला दिया था और वो सूरज के लंड को मुँह मे लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे लॉलीपॉप चूस रही हो.. सूरज भी अपने दोनों हाथ अनुराधा के सर पर रखकर लंड चूसाईं का मज़ा ऐसे ले रहा था जेसे वो कब से इसीके इंतजार मे हो..
जो गद्दा सुमित्रा ने समेट कर रख दिया था उसे अनुराधा ने वापस बिछा दिया था और अपनी दोनों टांग खोलकर सूरज के आगे लेट गई थी..
सूरज ने आधे लंड से ही अनुराधा को जन्नत की सैर करवा दी थी मगर अब वो पूरे लण्ड का इस्तेमाल करने वाला था.. सूरज ने जैसे ही दूसरे-तीसरे झटके मे अपना पूरा लंड चुत मे डाला अनुराधा कि चीख और चुत से लहू कि बून्द साथ मे निकल गई..
सूरज बिना किसी परवाह के ऐसे अनुराधा कि चुत मार रहता जैसे अनुराधा उसकी बुआ ना होकर कोई कोठेवाली हो.. अनुराधा को आंनद के सागर ने वापस अपने आगोश मे ले लिया था और उसको पता लग चूका था कि उसकी चुत सूजने वाली हैं..
घोड़ी बनने के बाद अनुराधा के बाल सूरज के हाथ मे थे और सूरज बाल खींचते हुए झटके मार मार कर अनुराधा की सिसकियाँ सुनकर कामसुःख मे डूब रहा था..
अनुराधा की चुत ने वापस अपना झरना बहा दिया था और अब सूरज भी झड़ने वाला था उसने अनुराधा को पलट दिया और उसके मुँह मे लोडा डाल कर चूसने का इशारा किया तो अनुराधा उसी काम मे लग गई..
सूरज ने अपने फ़ोन अनुराधा की कई तस्वीरे खींची मगर अनुराधा ने सूरज का विरोध नहीं किया.. बस लंड चूसने मे मग्न रही और सूरज का वीर्य पी गई..
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