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Incest घर की मोहब्बत

Ajju Landwalia

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Update 13

छोडो ना अक्कू... तुम्हारा अब ये रोज़ का नाटक हो गया है.. पता है ना मम्मी की कमर में दर्द रहता है उनको टाइम पर चाय नहीं मिलती तो वो खुद बनाने लग जाती है.. तुम मूझे बिस्तर से जल्दी उठने ही नहीं देते.. कितनी शर्म आती है सुबह मम्मी के समाने.. पता है?.

अंकुश नीतू के बाल संवारता हुआ बोला - अभी सात ही तो बजे है सुबह के..

तो तुम क्या चाहते हो? पूरी रात के बाद अब पूरा दिन भी तुम्हारे साथ ऐसे ही बिना कपड़ो के लेटी रहु? मम्मी का डर क्या निकला तुम्हारे दिमाग से.. तुम तो अब पुरे बेशर्म बन गए हो.. कल रसोई में जो तुम कर रहे थे पीछे से मम्मी सब देख रही थी.. पता है? मुझे कितनी शर्म आ रही थी.. शर्म के मारे कुछ बोल ही नहीं पाई मैं तो.. और सुनो.. आज कोर्ट भी जाना है तलाक के लिए.. वकील का कॉल आया था.. अब चलो उठो मेरे ऊपर से.. जाने दो मूझे..

बस पांच मिनट और.. फिर चली जाना..

क्या करोगे पांच मिनट में?

प्यार करूंगा..

तुम ना नहीं सुधारने वाले..

अच्छा आज ऑफिस से ऑफ ले लू.. दोनों बाहर घूमके आयेंगे.. सनी लेओनी की नई मूवी लगी है वो भी देख कर लेंगे..

अच्छा? हॉल में मूवी देखने दोगे तुम मुझे? पिछली बार का सब याद मुझे.. पूरा टाइम बस blowjob करवाया था मूवी तो देखने ही नहीं दी.. ऑफ ले रहे हो तो मेरे साथ कोर्ट चलो..

यार कोर्ट में तेरी वो वकील मेरे गले ना पड़ जाए.. जब देखो चाय कॉफ़ी पर चलने के लिए कहती है.. बड़ी मुश्किल से जान छुड़ाता हूँ उससे.. मन तो करता है साली को घोड़ी बनाके बजा दूँ.. पर तेरा डर लगता है..

डर लगना भी चाहिए.. मेरे अलावा किसीके साथ कुछ किया ना तो देख लेना.. मार मार के इस चाँद सी शकल पर ग्रहण लगा दूंगी..

अंकुश नीतू की ये बात सुनकर उसकी कमर मे हाथ ड़ालते हुए कमर पकड़ के झटके से चुत मे लौड़ा घुसा देता है जिससे नीतू जोर से अह्ह्ह.. भरते हुए अंकुश के चेहरे को पकड़ कर जोर से कहती है - अक्कू धीरे..

घर की सीढ़ियों पर चाय की ट्रे हाथ मे लेकर ऊपर आ रही गोमती के कानो मे नीतू की आह और उसके बाद नीतू के बोले हुए शब्द पड़े तो वो एक पल के लिए ठहर गई और फिर धीरे धीरे नीतू के कमरे के करीब आने लगी.. गोमती नीतू के कमरे के दरवाजे के बाहर आकर खड़ी थी और अंदर से अपने बेटे और बेटी की चुदाई की मधुर आवाजे साफ साफ सुन सकती थी..

गोमती अपने बेटे अंकुश को चाय देने आई थी मगर अंकुश अपनी बहन नीतू की चुत ले रहा था जिसकी आवाज उसकी मा गोमती के कानो मे किसी संगीत की तरह थप-थप और घप-घप बनकर बज रही थी.. गोमती चाय की ट्रे हाथ मे लेकर खड़ी हुई थी और असमंजस की स्थिति मे थी...

गोमती ने लम्बे समय से काम सुख ना तो भोगा था ना ही भोगने का प्रयत्न किया था.. सालो से उसके जीवन मे कामकला का अकाल ही पड़ा था.. गोमती ने दोनों के डिसट्रब नहीं करने का फैसला लेते हुए वापस जाने को हुई तो नीतू अंकुश से बोल पड़ी..

अक्कू आराम से कर ना.. दर्द हो रहा है..

गोमती नीतू की बात सुनकर अपने जवानी के दिन याद करने लगी जब उसकी शादी के बाद उसके पति और उसके बीच सम्भोग होता था.. मगर कुछ साल पहले जब गोमती के पति का स्वर्गवास हुआ तो गोमती अकेली पड़ गई थी.. आज गोमती के मन मे दबी वासना को नीतू की चुदाई के शोर ने भड़का दिया था और गोमती ने अचानक अपनी चुत मे गिलापन महसूस किया और वो समझ गई कि उसके साथ क्या हो रहा है..

गोमती रुक गई और चाय की ट्रे एक तरफ रखकर दरवाजे के हंडल के पास वाले होल से अंदर का नज़रा देखने को बैठ गई..

गोमती ये करते हुए झिझक रही थी मगर जैसे ही उसने अंदर झांका तो देखा की बेड पर नीतू पीठ के बल नग्नता से लेटी हुई अपने भाई से चुदवा रही है और पुरे कमरे मे उसकी आन्हे गूंज रही है वही अंकुश भी नंगा अपने सख्त लंड से नीतू की चुत मे धक्के पर धक्का मारकर नीतू को चोद रहा है जैसे लोहार हाथोड़े से लोहे को पिटता है..

ये नज़ारा देखकर गोमती के हाथ खुदबखुद अपनी चुत पर चले गए और वो अपनी चुत सहलाती हुई अंदर अपने बेटे और बेटी की चुदाई देखने लगी..

अंकुश नीतू को चोदते हुए उसके मीठे लबों का रस पी रहा था और नीतू बीच बीच मे आहे भरते हुए अंकुश से धीरे और प्यार से चोदने की गुहार लगा रही थी मगर अंकुश नीतू की हर गुहार को नज़रअंदाज़ कर चुत मे ताबड़तोड़ झटके मार रह था..

गोमती ने नचाहते हुए भी अपनी नदी का पानी दरवाजे पर बहा दिया और शर्म के मारे उठाकर निचे आ गई मगर उसने जल्दीबाज़ी मे चाय की ट्रे वही छोड़ दी.. कुछ देर बाद अंकुश भी अपनी बहन की चुत मे झड़ कर खड़ा हो गया और नीतू के बाल पकड़ कर उसके मुँह मे लंड देकर लौड़ा साफ करवाने के बाद एक तौलिया लपेटकर पानी पिने के लिए कमरे से जैसे बाहर निकला उसका पैर अपनी मा की चुत के पानी मे पड़ कर गिला हो गया.. नीतू अंदर बाथरूम मे चली गई थी.. अंकुश ने आश्चर्य से देखा और फिर वहा चाय की ट्रे देखकर समझ गया कि क्या माजरा है..

अंकुश ने चाय कि ट्रे उठाई और निचे रसोई मे आकर रख दी फिर पानी पीकर जैसे ही रसोई से निकला गोमती रसोई मे आ रही थी और गोमती कि कलाई पर बंधे धागे मे अंकुश का तौलिया अड़ते ही उलझ गया और खुल गया जिससे अंकुश नंगा गोमती के सामने वापस आ गया और गोमती कि नज़र सीधे अंकुश के लंड पर पड़ गई जो अभी नीतू कि चुत चोद रहा था..

अंकुश ने जल्दी से तौलिया लिया और लपेट कर बिना कुछ बोले ऊपर चला गया..

अंकुश नहाकर बाहर नीतू को बाहों में भरके बोलता है..

कपड़ो के बिना ज्यादा अच्छी लगती है मेरी मिया खलीफा..

अपनी बहन को मिया खलीफा बोलता है शर्म नहीं आती तुझे?

शर्म करता तो अब तक बस तेरे नाम के जयकारे लगा रहा होता.. तेरी ले नहीं रहा होता.. समझी..

नीतू हसते हुए - ठीक है मेरे राजा भईया.. अब मुझे छोड़.. वरना तू वापस मुझे बिस्तर में ले जाएगा..

अंकुश नीतू को छोड़कर बाथरूम जाते हुए - ठीक है..

अंकुश नहाकर नीचे आकर गोमती के कमरे में आ जाता है..

माँ...

गोमती मुस्कुराते हुए - अक्कू...

हाँ.. माँ... नीतू ने बताया आपको डॉक्टर के पास जाना है.. मैंने ऑफ ले लिया है.. चलिए चलते है..

अक्कू..

क्या हुआ?

कुछ नहीं बेटा.. वो बस मेरी कमर...

आपको कितनी बार कहा है माँ आप इतना काम मत करिये मगर आप मानती नहीं.. मैं नीतू को कह दूंगा अब से आपको कोई काम ना करने दे..

उससे कहकर क्या होगा? उस बेचारी की क्या गलती? तू उसे छोड़े तब वो घर का काम करें ना.. अपनी बहन को कमरे से बाहर तो निकलने नहीं देता तू.. जब देखो उसके साथ चिपका रहता है.. फिर कौन काम करेगा..

माँ.. वो..

वो वो.. कर रहा है.. आधे बाल सफ़ेद हो गए मेरे.. मुझे सब समझ आता है.. जवानी मे इतना भी क्या अंधा होना कि किसी कि परवाह ही ना हो.. अब चल..

अंकुश रिक्शा में गोमती को लेकर डॉक्टर के पास आने के लिए निकल जाता है..

गोमती रिक्शा से बाहर देख रही थी और उसका पल्लू उसके ब्लाउज से सरका हुआ था रिक्शा ड्राइवर गोमती के बूब्स को मिरर से बार बार देख रहा था जिसे काफी देर के बाद अंकुश ने नोटिस किया तो उसने गोमती के कंधे पर हाथ रखकर उसके पल्लू को अनजान बनकर ठीक कर दिया जिसे गोमती ने देखा तो मुस्कराते हुए अंकुश के कंधे पर सर रखकर वापस बाहर देखने लगी..

गोमती अपनी जवानी के ख्यालों मे थी उसका बदन अब भी रस से भरा हुआ था मगर मन नीरस था जिसे कामुक ख्यालों ने हरा भरा करने का काम शुरू कर दिया था..

अब केसा दर्द है कमर का?

वैसा का वैसा ही है डॉक्टर साब.. कमर में एक ही जगह दर्द रहता है..

डॉक्टर - एक काम करिये आप अंदर पेट के बल लेट जाइये मैं देख लेता हूं..

गोमती - ठीक है..

गोमती अंदर छोटे से कबीन मे आकर पेशेंट बेड पर पेट के बल लेट जाती है और अंकुश बाहर कुर्सी पर बैठा हुआ कॉल पर नीतू से बात करने मे लग जाता है..

डॉक्टर गोमती की कमर पकड़कर सहलाते हुए - यहाँ दर्द है?

गोमती - नहीं थोड़ा निचे..

डॉक्टर और गोमती के बीच जो हो रहा था वो आसामन्य था गोमती डॉक्टर की भावनाओं को अच्छे से समझ रही थी.. मगर उसने डॉक्टर को थोड़ा बहुत यहां वहा छूने से नहीं रोका उलटे अनजान बनकर इस छुअन का मज़ा लेने लगी..

कुछ देर तक डॉक्टर ने गोमती की कमर और हलके से कूल्हे को सहलाते हुए बातचीत जारी रखी फिर किसी के अंदर आने की आहाट पाकर गोमती से बोला - चिंता की बात नहीं है.. मैं आयल लिख देता हूं आप मैसेज कीजियेगा.. धीरे धीरे दर्द ख़त्म हो जाएगा..

नर्स कबीन मे आते हुए - सर.. हॉस्पिटल से फ़ोन..

डॉक्टर - हाँ आ रहा हूं..

नर्स के जाने के बाद डॉक्टर गोमती से - चलिए..

गोमती हलकी सी मुस्कुराहट के साथ बाहर आते हुए - जी..

डॉक्टर - देखिये.. मैंने दवा और आयल लिख देता हूँ.. आप सुबह शाम कमर पर इससे मसाज करना और दवा टाइम पर खाना.. ज्यादा चलने फिरने कि जरुरत नहीं है और ना कोई काम करने कि जरुरत है.. ठीक है.. और आप बेटे है ना इनके.. इनका पूरा ख्याल रखिये.. अगले हफ्ते वापस दिखा दीजियेगा..

अंकुश - ओके...
गोमती - ठीक है डॉक्टर जी..

अंकुश गोतमी को लेकर वापस घर आ जाता है..

माँ.. नीतू ने खाना बना दिया है मैं ला दूँ?

नहीं मैं खा लुंगी.. तू जा उसके पास.. कोर्ट में उसको जरुरत होगी तेरी..

वकील है माँ उसके साथ.. आप खाना खा लो फिर मैं आपकी मालिश कर देता हूँ..

गोमती खाना खा लेती है और अंकुश उसे पीठ के बल बिस्तर में लेटने को कहता है और गोमती लेट जाती है और अपना पल्लू हटा देती है.. अंकुश आयल लेकर गोमती को कमर में लगा कर उसकी कमर कि मालिश करने लगता है..

अक्कू..

हां माँ..

तू नीतू को छोड़ने तो नहीं वाला ना..

मतलब?

तू शादी करके घर बसायेगा ना अपनी बहन के साथ?

माँ.. अगर ऐसा नहीं करूंगा तो नीतू मुझे जान से मार ही डालेगी..

सही करेगी.. इतना प्यार जो करती है तुझसे.. तेरे लिए कुछ भी कर सकती है.. पागल है तेरे प्यार में.. मुझे तुम दोनों के रिस्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है.. बस तुम जल्दी से शादी करके एक बच्चा कर लो.. जो मैं अपनी गोद में खिला सकूँ..

अंकुश गोमती कि कमर मसलते हुए - माँ.. बस नीतू का तलाक़ हो जाए फिर घर शिफ्ट करते ही सब हो जाएगा..

गोमती करवट लेकर पीठ के बल लेट जाती है और अंकुश से कहती है - अच्छा छोड़ अब.. हो गई मालिश.. जा तू नीतू के पास..

गोमती जैसे ही करवट लेती है उसके बूब्स सिर्फ ब्लाउज मे अंकुश के सामने आ जाते है जिसे देखकर अंकुश कामुक हो उठता है मगर अपनी वासना को मन मे ही दबा लेता है और गोमती से कहता है..
अंकुश मुस्कुराते हुए - ठीक है माँ.. आप आराम करो..


****************


क्या हुआ मेघा? क्या कहा जज ने?

नीतू जज आज आइ ही नहीं.. तारीख पड़ी है तुम नोट कर लो.. अरे तुम तो कह रही थी अक्कू डॉक्टर के गया है पर वो आ गया..

नीतू जल्दी फ्री हो गया होगा..

केसा है अक्कू?

ठीक हूँ वकील साहिबा...

अक्कू कितनी बार बोला है मेघा बोला कर मुझे.. और आज तो फ्री है ना तू.. थोड़ी देर बैठेगा ना मेरे साथ?

अंकुश नीतू को देखकर - जी वकील साहिबा.. कैंटीन चलिए.. बैठते है.. नीतू चलो..

मेघा - फिर से वकील साहिबा.. तुम नाम से नहीं बुलाओगे ना मुझे?

अंकुश कैंटीन चलकर नीतू और मेघा के साथ बैठकर कॉफ़ी पीते हुए - तलाक़ कब तक हो जाएगा?

मेघा - दोनों पार्टी तैयार है जल्दी हो जाएगा.. बस जज आ जाए.. वैसे तुम बताओ? इस संडे क्या कर रहे हो.. मेरे साथ डेट पर चलोगे?

नीतू - मेघा मेंने बताया था ना अक्कू..

मेघा - नीतू.. सब एक जैसे थोड़ी होते है? बताओ ना अक्कू.. डेट पर चलोगे?

अंकुश - वो वकील साहिबा कुछ ऐसा है संडे को मेरा कुछ और प्लान है.. तो सॉरी..

मेघा - सैटरडे को? नाईट शो देखते है.. न्यू मूवी लगी है..

अंकुश - वो सैटरडे को ऑफिस से फ्री नहीं हो पाऊंगा जल्दी.. तो.. सॉरी.

मेघा - तुम जानबुझ कर बहाने बना रहे हो ना.. इतना क्या नापसंदगी वकीलों और पुलिसवालो से... हम भी इंसान ही है..

नीतू - ऐसा नहीं है मेघा..

अंकुश - मैं जब फ्री होउगा कॉल करूंगा वकील साहिबा..

मेघा - फीस लाये हो?

नीतू - आज तो जज ही नहीं आई..

मेघा - पर मैं तो आई हूँ ना.. फ्री में काम करवाना है तो अपने भाई से बोलो मेरा बॉयफ्रेंड बन जाए.. फिर फीस भी नहीं देनी पड़ेगी और इसे सिंगल भी नहीं रहना पड़ेगा..

अक्कू पैसे देते हुए - लो..

मेघा पैसे लेकर - बस इतने ही.. अगली बार पूरी फीस लगेगी और अगली डेट पर टाइम से आ जाना..

नीतू - अच्छा अब चलते है मेघा.. चले अक्कू?

मेघा चली जाती है और अंकुश नीतू के साथ कोर्ट से बाहर आ जाता है..

मन तो कर रहा था कुतिया का मुंह तोड़ दू.. तुझे बॉयफ्रेंड बनाएगी साली रंडि छिनाल..

अरे शांत हो जाओ यार.. इतना गुस्सा क्यों कर रही हो.. बताओ अब घर चलाना है मूवी देखने का मन है?

तुमने ऑफ ले ही लिया है तो मूवी चलते है.. पर मैं blowjob नहीं देने वाली समझा ना..

अच्छा ठीक है.. चल बैठ..

सिनेमा हॉल के एक कोने में नीतू और अंकुश बैठ गए थे हॉल में कुछ ही लोग थे सामने किसी फ्लॉप एक्टर कि मूवी चल रही थी..

अंकुश ने अपना हाथ नीतू के गले में डाल लिया और उसके बूब्स पर अपना हाथ रखकर बूब्स दबाने लगा..
नीतू मुस्कुराते हुए दुप्पटा लेकर अंकुश के हाथ को ढक लेती है और अंकुश को चूमते हुए जवानी के मज़े लूटने लगती है..
कुछ देर बाद अंकुश के बिना कहे ही नीतू उसकी ज़िप खोलकर उसे blowjob देने लगती है..

अंकुश प्यार से नीतू के बाल पकड़ कर उसे लंड चुसवाता है और मूवी ख़त्म होते होते नीतू अंकुश के लंड का माल मुंह में झड़वा कर उसे खुश कर देती है..

घर चले?

बड़ी जल्दी है तुम्हे घर जाने की? मन नहीं भरा तुम्हरा?

जब इतनी खूबसूरत बहन पट जाए तो किस भाई का मन भरेगा?

तुमको ना जोनी सीन्स होना था खड़ा ही रहता है तुम्हारा..

अंकुश हसते हुए - और तुम्हे मिया खलीफा.. फिगर देखकर घोड़ी बनाने का मन करता है..

छी.. बेशर्म..


*************


क्या हुआ धरमु?

धरमु - वो दीदी.. वकील का फ़ोन आया था.. फैसला हमारे हक़ में हुआ है.. भईया को ये बताना था..

तितली - पर उसमें और ज्यादा समय लगने वाला था ना?

धरमु - दीदी वकील साहब कह रहे थे कि जज बदल गया और जो नया जज था वो बहुत फ़ास्ट काम करता है.. जैसे फ़ाइल देखी तुरंत हमारी और उनकी बात सुनकर फैसला कर दिया.. भईया कहा है?

तितली - वो अपने कमरे में होंगे..

धरमु - जब जाग जाए तो उन्हें बता दीजियेगा.. अच्छा चलता हूँ दीदी..

तितली ये खबर सुनकर खामोशी से भर गई.. वो पिछले दो महीने से रमन के साथ घूम रही थी और अपने लाइफ के सबसे खूबसूरत पल बिता रही थी मगर अब उसे लग रहा था कि रमन प्रॉपर्टी का बटवारा करके उससे अलग हो जाएगा और तितली उससे कभी नहीं मिल पाएगी..

तितली अपने मन में रमन से बेपहना प्यार करने लगी थी जिसकी खबर उसे थी वो अपने कमरे में जाकर रोने लगी थी और रमन से दूर होने कि सोचकर दुखी हो रही थी.. उसने तय कर लिया था कि वो रमन कि शर्त मान लेगी और उससे शादी कर लेगी भले ही रमन उससे प्यार करें या ना करें..

तितली ने अपने आंसू पोंछे और कुछ सोचकर अपने कमरे से निकलती हुई रमन के कमरे में कॉफी लेकर पहुंच गई और उसे देते हुए कहा..

अभी उठे ही लगते हो?

हाँ.. वो रात को दोस्तों के साथ ज्यादा हो गई थी.. कॉफी के लिए थैंक्स..

धरमु आया था.. कह रहा था वो केस जो चल रहा था हम जीत गए..

हाँ अभी पता चला.. वकील का फ़ोन आया था..

तो बताओ क्या करना है? कब कर रहे हो प्रॉपर्टी का बटवारा?

तुम्हे बड़ी जल्दी है? कहा जाओगी इतने पैसे लेकर?

इतने कहा है? सिर्फ 50 परसेंट हो तो दे रहे हो प्रॉपर्टी का.. बाकी तुम्ही रखने वाले हो.. मैंने पूछा तुम क्या करोगे?

50 परसेंट? पागल हो गई हो? भूल गई क्या तय हुआ था? 75:35 समझी?

इतने दिन पुरानी बात है कैसे याद होगी? मुझे आधी चाहिए.. तुम दो तो ठीक नहीं तो कोर्ट जाकर पूरी ले लुंगी... आखिर तुम्हारे पापा ने सब मेरे नाम ही तो किया था..

देखो तितली तुम अपने वादे से मुकर रहो हो.. ये अच्छा नहीं कर रही हो तुम..

चलो ठीक है.. तुमने एक ऑफर दिया था मुझे शादी का.. मैं भी तुम्हे एक ऑफर देती हूँ.. सेम शादी का.. मुझसे शादी कर लो.. और जो सारी प्रॉपर्टी बीसनेस तुम्हारे पापा ने मेरे नाम किया है.. उसे तुम संभाल लो..

मतलब तुम्हारा PA बन जाऊ? जैसा तुमने कहा था?

इसमें PA बनने वाली क्या बात है? अपने मर्ज़ी के मालिक जो चाहो सो करो.. कौन पूछने वाला है.. मैं भी तुमने कुछ नहीं बोलने वाली.. तुम अपनी इच्छा के मालिक हो..

तितली कितनी झूठी हो तुम.. सब तुम्हारे नाम पर रहेगा और मैं तुम्हारी जी हुज़ूरी करूंगा?छोटे मोठेकाम के लिए तुम्हे पूछने आऊंगा.. यही चाहती हो ना तुम? ऐसा कभी ही नहीं होगा..

अरे.. मैं हूँ ना तुम्हारी जी हुज़ूरी करने के लिए.. तुम्हे क्या जरुरत.. जब भी तुम मुझे याद करोगे मैंने आ जाउंगी.. तुमने ही कहा था मुझसे कौन शादी करेगा? सही कहा था मैंने बहुत सोचा इस बारे में.. सब लोग मुझे गोल्ड दिग्गर ही समझते है तो अब मेरे पास तुमसे शादी करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है.. तो अगर पुरी प्रॉपर्टी पर कंट्रोल चाहिए तो मुझे अपनी बीवी के रोले में लाना होगा.. मुझसे शादी करनी होगी..

तुम्हे समझने में बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे.. मुझे लगा था तुम दिल साफ हो मगर तुम्हरे दिल में तो चोर है.. ठीक है तुम्हे शादी करनी है ना.. तो करते है शादी.. वैसे भी सिर्फ नाम की शादी करने से क्या हो जाएगा..

तो ठीक है आज कोर्ट मैरिज कर लेते है चलकर.. तुम्हे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?

रमन बाथरूम जाते हुए - टाइम व्हाट्सप्प कर देना.. मैं पहुंच जाऊंगा..

व्हाट्सप्प क्यों करना है? साथ नहीं चलोगे?

मुझे कुछ काम है.. मैं अलग से आ जाऊंगा..

बहाना बना रहे हो ना? देखो चलना तो साथ पड़ेगा.. तुम ख़ुशी से चलो या मज़बूरी में.. वो तुम्हारी मर्ज़ी..

रमन - बाहार जाओ आता हूँ.. और दुबारा बिना दरवाजा खटखटाये अंदर आने की जरुरत नहीं है..

तुम्हारे पापा ने घर मेरे नाम पर किया है और मेरी मर्ज़ी मैं इस घर के किसी भी हिस्से में घुमु.. और आज शादी के बाद तो वैसे भी हम दोनों एक साथ यही इसी रूम मे रहने वाले है..

तितली इतना कहकर कमरे से बाहर आ जाती है और रमन बाथरूम में जाकर नहाने लगता है रमन बाथरूम में नहाते हुए यह सोच रहा था कि एक दम से अचानक तितली को क्या हुआ है और वह इतना बदल हुआ बर्ताव क्यों कर रही है..

तितली बाहर आकर कार में बैठ गई थी और सोच रही थी कि आज वह रमन से शादी करके अपनी ख्वाहिश पूरी कर लेगी और रमन का दिल जीत कर उसके साथ उसकी बीवी बनकर रहेगी. उसके मन से रमन की बहन होने का ख्याल निकल चूका था..

दोनों गाड़ी में बैठे हुए कोर्ट मैरिज करने के लिए निकल पड़े थे और दोनों ने पहले कोर्ट मैरिज की फिर किसी मंदिर मे सात फेरो के बंधन मे बंध गए..

शाम के 7:00 का वक्त था जब दोनों वापस घर लौटे तितली के चेहरे पर मुस्कान शादी के बाद से ही और ज्यादा बिखेर चुकी थी तितली रमन को देख देख कर इस तरह मुस्कुरा रही थी जैसे वह आने वाले फलों को देखकर या उनके बारे में सोचकर शर्मा रही हो..

वही रमन के मन में एक अजीब सी उदासी थी उसे तितली से इश्क हो चुका था मगर उसे इस बात का अहसास तक नहीं था वह बस यही चाहता था की तितली उसके आसपास रहे मगर इस तरह जिस तरह से वह अब तक रहती आई है लेकिन जिस तरह से तितली ने आज उससे प्रॉपर्टी की बात की थी और जिस तरह से उससे शादी के लिए उकसाया था उससे रमन के मन में तितली की एक अलग छवि वापस उसी रूप में बन गई जैसे पहले थी रमन को लगा की तितली पैसों के लिए उसके साथ रहना चाहती है..

शाम के 8:00 बजे थे और रमन आज घर की छत पर अपने हाथ में शराब का गिलास लिए खड़ा हुआ था और जाम लगा रहा था उसे तितली से शादी करनी थी मगर उसे इस तरह तितली से शादी नहीं करनी थी जिसमें उसकी सहमति जबरन हो उसने सोचा था की तितली अगर उससे शादी के लिए मान जाएगी तो धूमधाम से और पूरे रीति रिवाज से उसकी और तितली की शादी होगी मगर तितली ने आज अचानक से शर्त उसके सामने रख दी थी और उससे शादी की थी इसका उसे अफसोस था और इसी के साथ उसे तितली के बदले हुए अंदाज़ का भी अफसोस था.. जिसे वह इतने दिनों से ही खूबसूरत हसीन और प्यारी नाजुक से लड़की समझ रहा था अचानक से इतनी मतलबी और चालक कैसे हो गई उसे समझ नहीं आया..

रमन छत पर था कि एक घर का पुराना नौकर घर की छत पर आकर रमन से बोला - मालिक वो मेमसाब का पूरा सामान आपके कमरे मे रखवा दिया है.. मेमसाब ने आपको निचे आने के लिए कहा है..

रमन सुरूर मे - तुम जाओ..

रमन मन ही मन तितली के बारे में सोच रहा था कि अब तितली की कितनी हिम्मत हो गई है कि वह किसी नौकर से कहकर उसे छत से बुलावा भेज रही है.. रमन ने अपने हाथ का जाम खत्म किया और गिलास छत पर रखी टेबल पर गिराकर नीचे आ गया..

तितली को घर के दरवाजे पर किसी के आने का समाचार मिला तो वो रूम से बाहर चली आई और दरवाजे और किसी से बात करने लगी जो एक फ़ाइल तितली को देकर उससे बात कर रहा था..

रमन ने तितली को अपने कमरे में देखा मगर तितली उसे वहा नहीं मिली फिर रमन अपने रूम से बाहर निकल कर तितली के रूम में चला गया जहां भी उसे तितली नहीं मिली मगर उसकी नज़र एक स्टोरेज बॉक्स पर गई जो टेबल रखा था और जिसमे कुछ लिफाफे रखे हुए थे..

वह स्टोरेज बॉक्स इस तरह रखा हुआ था कि मानो किसी ने उन्हें किसी जल्दबाजी में यूं ही छोड़ दिया हो और किसी दूसरे काम में लग गई हो.. तितली उस स्टोरेज बॉक्स को सामने अलमीरा रखना चाहती थी मगर शायद उसे बीच में कोई काम आ गया था इसलिए उसने उसे बॉक्स को इसी तरह टेबल पर रख दिया और अलमारी को भी खुला छोड़कर कमरे से बाहर आकर कहीं चली गई..

रमन इस स्टोरेज बॉक्स के करीब आया तो उसने उसमें कई तरह के लिफाफे देखें जिनमें कुछ लिफाफों पर तितली का नाम लिखा था रमन से रहना गया और उसने एक लिफाफा उठाकर खोलते हुए एक खत को पढ़ाना शुरू कर दिया जो तितली की मा ने तितली के नाम पर लिखा था..

यह वही आखिरी ख़त था जो तितली की मां ने अपनी बीमारी के दिनों में तितली को लीखा था और जिसमें तितली को उसके पिता की सच्चाई बताई गई थी रमन को जब इस सच्चाई का पता लगा की तितली पर उसके पिता इसलिए ज्यादा ध्यान देते थे और उसकी हर ख्वाहिश को पूरी करते थे कि तितली उन्हीं की बेटी थी तो रमन के पैरों के नीचे की जमीन हिल गई.. और रमन को यह भी समझ आ गया कि उसके पिता ने मरते हुए सारी जायदाद तितली के नाम क्यों की थी.. मगर रमन को यह समझ में नहीं आ रहा था की तितली को इस बात की भनक होते हुए की रमन उसका भाई है तितली ने उससे शादी क्यों की?

रमन इतना सोच ही रहा था की तितली एक फाइल लिए वापस कमरे की तरफ आई और उसने रमन को इस तरह खड़े देखा तो मुस्कुराते हुए बोली - यहां किसे ढूंढ़ रहे हो? अब यहा कोई नहीं रहता..

तितली मुस्कुराते हुए रमन के और नजदीक आ गई और अपने हाथ में एक फाइल रमन की और बढ़ाते हुए बोली - लो.. यही चाहिए था ना तुम्हे? कर दिया सब तुम्हारे नाम.. अब खुश?

रमन आश्चर्य की निगाहों से तितली को देख रहा था और उसके दिमाग में कई सारे ख्याल एक साथ दौड़ रहे थे जिनका जवाब उसके पास नहीं था.. रमन ने वह लिफाफा अपनी जेब में छुपा लिया और इस तरह अभिनय किया जैसे उसे इस लिफाफे में लिखी हुई बात का कोई इल्म ही ना हो..

रमन के पास तितली को कहने के लिए कोई शब्द ही नहीं था उसे जो पाना था तितली ने अपनी इच्छा से उसके आगे परोस दिया था मगर रमन ने उस फाइल को इग्नोर करते हुए बिना तितली से कुछ बोले कमरे के बाहर आ गया और घर से बाहर की ओर जाने लगा तभी तितली ने रमन का हाथ पकड़ कर कहा - इतनी नाराज़गी? तुम्हें जो चाहिए था वो मिल तो गया.. अब किस बात की नाराज़गी?

रमन तितली को एक नज़र देखकर - मुझे कहीं जाना है.. हाथ छोडो..

तितली मुस्कुराते हुए करीब आकर - अब रात मे कहा जाना है? शादी के बाद पहली रात को ही बीवी से दूर जाओगे? ऐसा करोगे मेरे साथ?

रमन तितली से दूर हटते हुए - तितली.. छोडो मुझे.. तुम सो जाओ जाकर..

और तुम?

मुझे नींद नहीं आ रही..

नींद नहीं आ रही या मेरे साथ सोने का मन नहीं है? बोलो? तुम उन रस्सियन लड़कियों की पास जा रहे हो ना? क्या है उनमे जो मुझमे नहीं है? ऐसा क्या करती है वो जो मैं नहीं कर सकती तुम्हारे लिए? जवाब दो..

मुझे अभी तुम्हारे साथ कोई बात नहीं करनी.. रास्ते से हटो.. जाने दो मुझे..

नहीं हटूंगी.. क्या कर लोगे तुम? बोलो? इतने दिनों से अच्छे बनने का नाटक कर रहे थे.. मीठी और प्यारी प्यारी बाते कर रहे थे अब अचानक से इस तरह पेश आ रहे हो जैसे जानते तक नहीं..

हाँ.. नहीं जानता तुम्हे.. नहीं चाहिए मुझे प्रॉपर्टी.. रखो तुम अपने पास.. समझी.. हटो मेरे रास्ते से..

हुआ क्या है? बोलो तो कुछ? कहा जा रहे हो?

रमन तितली से इस बार कुछ नहीं कहता और घर से बाहर चला जाता है और तितली उदासी से भरा हुआ चेहरा लेकर वापस रूम मे आकर बेड पर बैठ जाती है और कुछ देर बाद धरमु को फ़ोन करके रमन के बारे मे पूछती है तो धरमु तितली को रमन के ऑफिस मे शराब पीकर सोफे पर सोने की खबर देता है और तितली के दिल को सुकून रहता है कि रमन किसी और लड़की से मिलने नहीं गया..


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हनी बिलाल की दूकान पर आकर कुर्सी पर बैठ जाता है..
बिल्ले ये कूलर रखने के लिए लाया है क्या? चला ना इसको.. कितनी गर्मी है..

दूकान में कोई नहीं था.. बिलाल ने हनी से कहा - भाई अंदर चला जा तेरी भाभी निम्बू पानी बनाके पीला देगी.. ये कूलर तो बिगड़ा हुआ है ठीक करवाकर लाना है..

सूरज बिलाल की बात का इशारा समझ रहा था उसने कहा - ठीक है मैं अंदर जाता हूँ..

हनी अंदर आकर नज़मा को अपनी बाहों में पकड़ लेता है..
अह्ह्ह.. क्या कर रहे हो सूरज.. कोई देख लेगा..

कोई नहीं है नज़मा.. जल्दी से अपनी सलवार उतारो.. इतने दिनों बाद मिला हूं.. आपसे दूर रहा नहीं जा रहा..

नज़मा सलवार नीचे करके बेड पर लेटती हुई - लो.. जल्दी करो.. जो करना है..

सूरज चुत में लंड घुसा कर - अह्ह्ह.. नज़मा.. दुनिया मे कहीं जन्नत है तो यही है..

नज़मा - आराम से बच्चा है पेट में..

सूरज - सच?

नज़मा - हम्म..

सूरज धीरे धीरे नज़मा को चोदने लगता है और कुछ देर में नज़मा की चुत में झड़ जाता है...

नज़मा मुस्कुराते हुए - खुश?

सूरज - बिलाल को बताया नहीं बच्चे के बारे में?

नज़मा - मैंने कब का बता दिया..

सूरज - फिर उसने मुझे अंदर क्यों आने दिया?

नज़मा हसते हुए - क्युकी मैंने बिलाल से साफ साफ कह दिया है.. अगर आपको मुझसे मिलने से रोका तो मैं सबको सच बता दूंगी.

सूरज - पर नज़मा ये गलत है..

नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - मेरे दिल में अपने लिए अपनापन जगा कर सही गलत समझा रहे हो सूरज?

सूरज - अब नहीं नज़मा.. मैं जाता हुँ..

नज़मा - वापस कब आओगे?

सूरज - अब आने की क्या जरुरत है? जो चाहिए था हो तो गया..

नज़मा सूरज को बाहों में लेकर - अगर यही बात तो मैं बच्चे को गिरा देती हूँ तब तो तुम आओगे मेरे पास वापस?

सूरज - पागल हो गई हो तुम? ऐसा किया तो कभी शकल भी नहीं देखूंगा तुम्हारी..

नज़मा - तो बताओ ना सूरज.. वापस कब मिलने आओगे?

सूरज - जब भी समय मिलेगा.. जैसे पहले आता था..

नज़मा सूरज का हाथ अपने बूब्स पर रखकर - देखो आपके हाथ लगने से साइज कितना बढ़ गया है..

सूरज बूब्स मसलते हुए - काफी.. बड़े हो गए है..

नज़मा - हाँ..

सूरज - अपना ख्याल रखना नज़मा..

नज़मा - अगली बार रातभर की मोहल्लतलेकर आना सूरज..

सूरज अंदर से वापस दूकान में आ जाता है और कुर्सी ओर बैठ जाता है.. बिलाल पहले की तरह उसके कंधे दबाने लगता है..

सूरज - बिल्ले मैं..

बिलाल - मैं जानता हूँ हनी.. नज़मा ने बता दिया है.. वो तुझे पसंद करने लगी है..

सूरज - बिल्ले पसंद नहीं प्यार करने लगी है भाभी मुझसे.. और वो चाहती है मैंने ऐसे ही उनसे मिले आता रहु..

बिलाल - मैं जानता हूँ हनी.. नज़मा को मैंने कोई खुशी नहीं दी है.. उसे तेरा साथ अच्छा लगता है.. अगर तू कभी कभी उसके पास आकर मिलना चाहे तो मैं नहीं रोकूंगा..

सूरज - बिल्ले नज़मा बीवी है तेरी.. तुझे जो चाहिए था तुझे मिल गया.. अब समझा भाभी को..

बिलाल - वो नहीं समझेगी हनी.. अब बात मेरे बस में नहीं है.. उसे बेपहना इश्क़ हो गया है तुझसे..

सूरज दूकान से निकल जाता है और अपने घर आ जाता है..


*************

Bahut hi umda update he moms_bachha Bro,

Mitu aur Akku ki chudayi dekhkar uski maa ke bhi arman jagne lage he........

Megha Vakil itni jaldi Akku ko chhodne wali nahi he............vo akku ke sath maje lekar rahegi.........

Titli aur Raman me sab kuch sahi chal raha tha..........lekin titli ka maa ki chhitthi ne sara khel bigad diya

Titli raman ko pakar hi rahegi........kisi na kisi tarah vo raman ko mana hi legi..........

Nazma aakhirkar pregnent ho gayi.........honey ki mehnat rang layi........

Lekin nazma ab honey se sachcha pyar karne lagi he............bilal ko bhi isase koi pareshani nahi he..........

Agli dhamakedar update ki pratiksha rahegi BRo
 

ayush01111

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Update 13

छोडो ना अक्कू... तुम्हारा अब ये रोज़ का नाटक हो गया है.. पता है ना मम्मी की कमर में दर्द रहता है उनको टाइम पर चाय नहीं मिलती तो वो खुद बनाने लग जाती है.. तुम मूझे बिस्तर से जल्दी उठने ही नहीं देते.. कितनी शर्म आती है सुबह मम्मी के समाने.. पता है?.

अंकुश नीतू के बाल संवारता हुआ बोला - अभी सात ही तो बजे है सुबह के..

तो तुम क्या चाहते हो? पूरी रात के बाद अब पूरा दिन भी तुम्हारे साथ ऐसे ही बिना कपड़ो के लेटी रहु? मम्मी का डर क्या निकला तुम्हारे दिमाग से.. तुम तो अब पुरे बेशर्म बन गए हो.. कल रसोई में जो तुम कर रहे थे पीछे से मम्मी सब देख रही थी.. पता है? मुझे कितनी शर्म आ रही थी.. शर्म के मारे कुछ बोल ही नहीं पाई मैं तो.. और सुनो.. आज कोर्ट भी जाना है तलाक के लिए.. वकील का कॉल आया था.. अब चलो उठो मेरे ऊपर से.. जाने दो मूझे..

बस पांच मिनट और.. फिर चली जाना..

क्या करोगे पांच मिनट में?

प्यार करूंगा..

तुम ना नहीं सुधारने वाले..

अच्छा आज ऑफिस से ऑफ ले लू.. दोनों बाहर घूमके आयेंगे.. सनी लेओनी की नई मूवी लगी है वो भी देख कर लेंगे..

अच्छा? हॉल में मूवी देखने दोगे तुम मुझे? पिछली बार का सब याद मुझे.. पूरा टाइम बस blowjob करवाया था मूवी तो देखने ही नहीं दी.. ऑफ ले रहे हो तो मेरे साथ कोर्ट चलो..

यार कोर्ट में तेरी वो वकील मेरे गले ना पड़ जाए.. जब देखो चाय कॉफ़ी पर चलने के लिए कहती है.. बड़ी मुश्किल से जान छुड़ाता हूँ उससे.. मन तो करता है साली को घोड़ी बनाके बजा दूँ.. पर तेरा डर लगता है..

डर लगना भी चाहिए.. मेरे अलावा किसीके साथ कुछ किया ना तो देख लेना.. मार मार के इस चाँद सी शकल पर ग्रहण लगा दूंगी..

अंकुश नीतू की ये बात सुनकर उसकी कमर मे हाथ ड़ालते हुए कमर पकड़ के झटके से चुत मे लौड़ा घुसा देता है जिससे नीतू जोर से अह्ह्ह.. भरते हुए अंकुश के चेहरे को पकड़ कर जोर से कहती है - अक्कू धीरे..

घर की सीढ़ियों पर चाय की ट्रे हाथ मे लेकर ऊपर आ रही गोमती के कानो मे नीतू की आह और उसके बाद नीतू के बोले हुए शब्द पड़े तो वो एक पल के लिए ठहर गई और फिर धीरे धीरे नीतू के कमरे के करीब आने लगी.. गोमती नीतू के कमरे के दरवाजे के बाहर आकर खड़ी थी और अंदर से अपने बेटे और बेटी की चुदाई की मधुर आवाजे साफ साफ सुन सकती थी..

गोमती अपने बेटे अंकुश को चाय देने आई थी मगर अंकुश अपनी बहन नीतू की चुत ले रहा था जिसकी आवाज उसकी मा गोमती के कानो मे किसी संगीत की तरह थप-थप और घप-घप बनकर बज रही थी.. गोमती चाय की ट्रे हाथ मे लेकर खड़ी हुई थी और असमंजस की स्थिति मे थी...

गोमती ने लम्बे समय से काम सुख ना तो भोगा था ना ही भोगने का प्रयत्न किया था.. सालो से उसके जीवन मे कामकला का अकाल ही पड़ा था.. गोमती ने दोनों के डिसट्रब नहीं करने का फैसला लेते हुए वापस जाने को हुई तो नीतू अंकुश से बोल पड़ी..

अक्कू आराम से कर ना.. दर्द हो रहा है..

गोमती नीतू की बात सुनकर अपने जवानी के दिन याद करने लगी जब उसकी शादी के बाद उसके पति और उसके बीच सम्भोग होता था.. मगर कुछ साल पहले जब गोमती के पति का स्वर्गवास हुआ तो गोमती अकेली पड़ गई थी.. आज गोमती के मन मे दबी वासना को नीतू की चुदाई के शोर ने भड़का दिया था और गोमती ने अचानक अपनी चुत मे गिलापन महसूस किया और वो समझ गई कि उसके साथ क्या हो रहा है..

गोमती रुक गई और चाय की ट्रे एक तरफ रखकर दरवाजे के हंडल के पास वाले होल से अंदर का नज़रा देखने को बैठ गई..

गोमती ये करते हुए झिझक रही थी मगर जैसे ही उसने अंदर झांका तो देखा की बेड पर नीतू पीठ के बल नग्नता से लेटी हुई अपने भाई से चुदवा रही है और पुरे कमरे मे उसकी आन्हे गूंज रही है वही अंकुश भी नंगा अपने सख्त लंड से नीतू की चुत मे धक्के पर धक्का मारकर नीतू को चोद रहा है जैसे लोहार हाथोड़े से लोहे को पिटता है..

ये नज़ारा देखकर गोमती के हाथ खुदबखुद अपनी चुत पर चले गए और वो अपनी चुत सहलाती हुई अंदर अपने बेटे और बेटी की चुदाई देखने लगी..

अंकुश नीतू को चोदते हुए उसके मीठे लबों का रस पी रहा था और नीतू बीच बीच मे आहे भरते हुए अंकुश से धीरे और प्यार से चोदने की गुहार लगा रही थी मगर अंकुश नीतू की हर गुहार को नज़रअंदाज़ कर चुत मे ताबड़तोड़ झटके मार रह था..

गोमती ने नचाहते हुए भी अपनी नदी का पानी दरवाजे पर बहा दिया और शर्म के मारे उठाकर निचे आ गई मगर उसने जल्दीबाज़ी मे चाय की ट्रे वही छोड़ दी.. कुछ देर बाद अंकुश भी अपनी बहन की चुत मे झड़ कर खड़ा हो गया और नीतू के बाल पकड़ कर उसके मुँह मे लंड देकर लौड़ा साफ करवाने के बाद एक तौलिया लपेटकर पानी पिने के लिए कमरे से जैसे बाहर निकला उसका पैर अपनी मा की चुत के पानी मे पड़ कर गिला हो गया.. नीतू अंदर बाथरूम मे चली गई थी.. अंकुश ने आश्चर्य से देखा और फिर वहा चाय की ट्रे देखकर समझ गया कि क्या माजरा है..

अंकुश ने चाय कि ट्रे उठाई और निचे रसोई मे आकर रख दी फिर पानी पीकर जैसे ही रसोई से निकला गोमती रसोई मे आ रही थी और गोमती कि कलाई पर बंधे धागे मे अंकुश का तौलिया अड़ते ही उलझ गया और खुल गया जिससे अंकुश नंगा गोमती के सामने वापस आ गया और गोमती कि नज़र सीधे अंकुश के लंड पर पड़ गई जो अभी नीतू कि चुत चोद रहा था..

अंकुश ने जल्दी से तौलिया लिया और लपेट कर बिना कुछ बोले ऊपर चला गया..

अंकुश नहाकर बाहर नीतू को बाहों में भरके बोलता है..

कपड़ो के बिना ज्यादा अच्छी लगती है मेरी मिया खलीफा..

अपनी बहन को मिया खलीफा बोलता है शर्म नहीं आती तुझे?

शर्म करता तो अब तक बस तेरे नाम के जयकारे लगा रहा होता.. तेरी ले नहीं रहा होता.. समझी..

नीतू हसते हुए - ठीक है मेरे राजा भईया.. अब मुझे छोड़.. वरना तू वापस मुझे बिस्तर में ले जाएगा..

अंकुश नीतू को छोड़कर बाथरूम जाते हुए - ठीक है..

अंकुश नहाकर नीचे आकर गोमती के कमरे में आ जाता है..

माँ...

गोमती मुस्कुराते हुए - अक्कू...

हाँ.. माँ... नीतू ने बताया आपको डॉक्टर के पास जाना है.. मैंने ऑफ ले लिया है.. चलिए चलते है..

अक्कू..

क्या हुआ?

कुछ नहीं बेटा.. वो बस मेरी कमर...

आपको कितनी बार कहा है माँ आप इतना काम मत करिये मगर आप मानती नहीं.. मैं नीतू को कह दूंगा अब से आपको कोई काम ना करने दे..

उससे कहकर क्या होगा? उस बेचारी की क्या गलती? तू उसे छोड़े तब वो घर का काम करें ना.. अपनी बहन को कमरे से बाहर तो निकलने नहीं देता तू.. जब देखो उसके साथ चिपका रहता है.. फिर कौन काम करेगा..

माँ.. वो..

वो वो.. कर रहा है.. आधे बाल सफ़ेद हो गए मेरे.. मुझे सब समझ आता है.. जवानी मे इतना भी क्या अंधा होना कि किसी कि परवाह ही ना हो.. अब चल..

अंकुश रिक्शा में गोमती को लेकर डॉक्टर के पास आने के लिए निकल जाता है..

गोमती रिक्शा से बाहर देख रही थी और उसका पल्लू उसके ब्लाउज से सरका हुआ था रिक्शा ड्राइवर गोमती के बूब्स को मिरर से बार बार देख रहा था जिसे काफी देर के बाद अंकुश ने नोटिस किया तो उसने गोमती के कंधे पर हाथ रखकर उसके पल्लू को अनजान बनकर ठीक कर दिया जिसे गोमती ने देखा तो मुस्कराते हुए अंकुश के कंधे पर सर रखकर वापस बाहर देखने लगी..

गोमती अपनी जवानी के ख्यालों मे थी उसका बदन अब भी रस से भरा हुआ था मगर मन नीरस था जिसे कामुक ख्यालों ने हरा भरा करने का काम शुरू कर दिया था..

अब केसा दर्द है कमर का?

वैसा का वैसा ही है डॉक्टर साब.. कमर में एक ही जगह दर्द रहता है..

डॉक्टर - एक काम करिये आप अंदर पेट के बल लेट जाइये मैं देख लेता हूं..

गोमती - ठीक है..

गोमती अंदर छोटे से कबीन मे आकर पेशेंट बेड पर पेट के बल लेट जाती है और अंकुश बाहर कुर्सी पर बैठा हुआ कॉल पर नीतू से बात करने मे लग जाता है..

डॉक्टर गोमती की कमर पकड़कर सहलाते हुए - यहाँ दर्द है?

गोमती - नहीं थोड़ा निचे..

डॉक्टर और गोमती के बीच जो हो रहा था वो आसामन्य था गोमती डॉक्टर की भावनाओं को अच्छे से समझ रही थी.. मगर उसने डॉक्टर को थोड़ा बहुत यहां वहा छूने से नहीं रोका उलटे अनजान बनकर इस छुअन का मज़ा लेने लगी..

कुछ देर तक डॉक्टर ने गोमती की कमर और हलके से कूल्हे को सहलाते हुए बातचीत जारी रखी फिर किसी के अंदर आने की आहाट पाकर गोमती से बोला - चिंता की बात नहीं है.. मैं आयल लिख देता हूं आप मैसेज कीजियेगा.. धीरे धीरे दर्द ख़त्म हो जाएगा..

नर्स कबीन मे आते हुए - सर.. हॉस्पिटल से फ़ोन..

डॉक्टर - हाँ आ रहा हूं..

नर्स के जाने के बाद डॉक्टर गोमती से - चलिए..

गोमती हलकी सी मुस्कुराहट के साथ बाहर आते हुए - जी..

डॉक्टर - देखिये.. मैंने दवा और आयल लिख देता हूँ.. आप सुबह शाम कमर पर इससे मसाज करना और दवा टाइम पर खाना.. ज्यादा चलने फिरने कि जरुरत नहीं है और ना कोई काम करने कि जरुरत है.. ठीक है.. और आप बेटे है ना इनके.. इनका पूरा ख्याल रखिये.. अगले हफ्ते वापस दिखा दीजियेगा..

अंकुश - ओके...
गोमती - ठीक है डॉक्टर जी..

अंकुश गोतमी को लेकर वापस घर आ जाता है..

माँ.. नीतू ने खाना बना दिया है मैं ला दूँ?

नहीं मैं खा लुंगी.. तू जा उसके पास.. कोर्ट में उसको जरुरत होगी तेरी..

वकील है माँ उसके साथ.. आप खाना खा लो फिर मैं आपकी मालिश कर देता हूँ..

गोमती खाना खा लेती है और अंकुश उसे पीठ के बल बिस्तर में लेटने को कहता है और गोमती लेट जाती है और अपना पल्लू हटा देती है.. अंकुश आयल लेकर गोमती को कमर में लगा कर उसकी कमर कि मालिश करने लगता है..

अक्कू..

हां माँ..

तू नीतू को छोड़ने तो नहीं वाला ना..

मतलब?

तू शादी करके घर बसायेगा ना अपनी बहन के साथ?

माँ.. अगर ऐसा नहीं करूंगा तो नीतू मुझे जान से मार ही डालेगी..

सही करेगी.. इतना प्यार जो करती है तुझसे.. तेरे लिए कुछ भी कर सकती है.. पागल है तेरे प्यार में.. मुझे तुम दोनों के रिस्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है.. बस तुम जल्दी से शादी करके एक बच्चा कर लो.. जो मैं अपनी गोद में खिला सकूँ..

अंकुश गोमती कि कमर मसलते हुए - माँ.. बस नीतू का तलाक़ हो जाए फिर घर शिफ्ट करते ही सब हो जाएगा..

गोमती करवट लेकर पीठ के बल लेट जाती है और अंकुश से कहती है - अच्छा छोड़ अब.. हो गई मालिश.. जा तू नीतू के पास..

गोमती जैसे ही करवट लेती है उसके बूब्स सिर्फ ब्लाउज मे अंकुश के सामने आ जाते है जिसे देखकर अंकुश कामुक हो उठता है मगर अपनी वासना को मन मे ही दबा लेता है और गोमती से कहता है..
अंकुश मुस्कुराते हुए - ठीक है माँ.. आप आराम करो..


****************


क्या हुआ मेघा? क्या कहा जज ने?

नीतू जज आज आइ ही नहीं.. तारीख पड़ी है तुम नोट कर लो.. अरे तुम तो कह रही थी अक्कू डॉक्टर के गया है पर वो आ गया..

नीतू जल्दी फ्री हो गया होगा..

केसा है अक्कू?

ठीक हूँ वकील साहिबा...

अक्कू कितनी बार बोला है मेघा बोला कर मुझे.. और आज तो फ्री है ना तू.. थोड़ी देर बैठेगा ना मेरे साथ?

अंकुश नीतू को देखकर - जी वकील साहिबा.. कैंटीन चलिए.. बैठते है.. नीतू चलो..

मेघा - फिर से वकील साहिबा.. तुम नाम से नहीं बुलाओगे ना मुझे?

अंकुश कैंटीन चलकर नीतू और मेघा के साथ बैठकर कॉफ़ी पीते हुए - तलाक़ कब तक हो जाएगा?

मेघा - दोनों पार्टी तैयार है जल्दी हो जाएगा.. बस जज आ जाए.. वैसे तुम बताओ? इस संडे क्या कर रहे हो.. मेरे साथ डेट पर चलोगे?

नीतू - मेघा मेंने बताया था ना अक्कू..

मेघा - नीतू.. सब एक जैसे थोड़ी होते है? बताओ ना अक्कू.. डेट पर चलोगे?

अंकुश - वो वकील साहिबा कुछ ऐसा है संडे को मेरा कुछ और प्लान है.. तो सॉरी..

मेघा - सैटरडे को? नाईट शो देखते है.. न्यू मूवी लगी है..

अंकुश - वो सैटरडे को ऑफिस से फ्री नहीं हो पाऊंगा जल्दी.. तो.. सॉरी.

मेघा - तुम जानबुझ कर बहाने बना रहे हो ना.. इतना क्या नापसंदगी वकीलों और पुलिसवालो से... हम भी इंसान ही है..

नीतू - ऐसा नहीं है मेघा..

अंकुश - मैं जब फ्री होउगा कॉल करूंगा वकील साहिबा..

मेघा - फीस लाये हो?

नीतू - आज तो जज ही नहीं आई..

मेघा - पर मैं तो आई हूँ ना.. फ्री में काम करवाना है तो अपने भाई से बोलो मेरा बॉयफ्रेंड बन जाए.. फिर फीस भी नहीं देनी पड़ेगी और इसे सिंगल भी नहीं रहना पड़ेगा..

अक्कू पैसे देते हुए - लो..

मेघा पैसे लेकर - बस इतने ही.. अगली बार पूरी फीस लगेगी और अगली डेट पर टाइम से आ जाना..

नीतू - अच्छा अब चलते है मेघा.. चले अक्कू?

मेघा चली जाती है और अंकुश नीतू के साथ कोर्ट से बाहर आ जाता है..

मन तो कर रहा था कुतिया का मुंह तोड़ दू.. तुझे बॉयफ्रेंड बनाएगी साली रंडि छिनाल..

अरे शांत हो जाओ यार.. इतना गुस्सा क्यों कर रही हो.. बताओ अब घर चलाना है मूवी देखने का मन है?

तुमने ऑफ ले ही लिया है तो मूवी चलते है.. पर मैं blowjob नहीं देने वाली समझा ना..

अच्छा ठीक है.. चल बैठ..

सिनेमा हॉल के एक कोने में नीतू और अंकुश बैठ गए थे हॉल में कुछ ही लोग थे सामने किसी फ्लॉप एक्टर कि मूवी चल रही थी..

अंकुश ने अपना हाथ नीतू के गले में डाल लिया और उसके बूब्स पर अपना हाथ रखकर बूब्स दबाने लगा..
नीतू मुस्कुराते हुए दुप्पटा लेकर अंकुश के हाथ को ढक लेती है और अंकुश को चूमते हुए जवानी के मज़े लूटने लगती है..
कुछ देर बाद अंकुश के बिना कहे ही नीतू उसकी ज़िप खोलकर उसे blowjob देने लगती है..

अंकुश प्यार से नीतू के बाल पकड़ कर उसे लंड चुसवाता है और मूवी ख़त्म होते होते नीतू अंकुश के लंड का माल मुंह में झड़वा कर उसे खुश कर देती है..

घर चले?

बड़ी जल्दी है तुम्हे घर जाने की? मन नहीं भरा तुम्हरा?

जब इतनी खूबसूरत बहन पट जाए तो किस भाई का मन भरेगा?

तुमको ना जोनी सीन्स होना था खड़ा ही रहता है तुम्हारा..

अंकुश हसते हुए - और तुम्हे मिया खलीफा.. फिगर देखकर घोड़ी बनाने का मन करता है..

छी.. बेशर्म..


*************


क्या हुआ धरमु?

धरमु - वो दीदी.. वकील का फ़ोन आया था.. फैसला हमारे हक़ में हुआ है.. भईया को ये बताना था..

तितली - पर उसमें और ज्यादा समय लगने वाला था ना?

धरमु - दीदी वकील साहब कह रहे थे कि जज बदल गया और जो नया जज था वो बहुत फ़ास्ट काम करता है.. जैसे फ़ाइल देखी तुरंत हमारी और उनकी बात सुनकर फैसला कर दिया.. भईया कहा है?

तितली - वो अपने कमरे में होंगे..

धरमु - जब जाग जाए तो उन्हें बता दीजियेगा.. अच्छा चलता हूँ दीदी..

तितली ये खबर सुनकर खामोशी से भर गई.. वो पिछले दो महीने से रमन के साथ घूम रही थी और अपने लाइफ के सबसे खूबसूरत पल बिता रही थी मगर अब उसे लग रहा था कि रमन प्रॉपर्टी का बटवारा करके उससे अलग हो जाएगा और तितली उससे कभी नहीं मिल पाएगी..

तितली अपने मन में रमन से बेपहना प्यार करने लगी थी जिसकी खबर उसे थी वो अपने कमरे में जाकर रोने लगी थी और रमन से दूर होने कि सोचकर दुखी हो रही थी.. उसने तय कर लिया था कि वो रमन कि शर्त मान लेगी और उससे शादी कर लेगी भले ही रमन उससे प्यार करें या ना करें..

तितली ने अपने आंसू पोंछे और कुछ सोचकर अपने कमरे से निकलती हुई रमन के कमरे में कॉफी लेकर पहुंच गई और उसे देते हुए कहा..

अभी उठे ही लगते हो?

हाँ.. वो रात को दोस्तों के साथ ज्यादा हो गई थी.. कॉफी के लिए थैंक्स..

धरमु आया था.. कह रहा था वो केस जो चल रहा था हम जीत गए..

हाँ अभी पता चला.. वकील का फ़ोन आया था..

तो बताओ क्या करना है? कब कर रहे हो प्रॉपर्टी का बटवारा?

तुम्हे बड़ी जल्दी है? कहा जाओगी इतने पैसे लेकर?

इतने कहा है? सिर्फ 50 परसेंट हो तो दे रहे हो प्रॉपर्टी का.. बाकी तुम्ही रखने वाले हो.. मैंने पूछा तुम क्या करोगे?

50 परसेंट? पागल हो गई हो? भूल गई क्या तय हुआ था? 75:35 समझी?

इतने दिन पुरानी बात है कैसे याद होगी? मुझे आधी चाहिए.. तुम दो तो ठीक नहीं तो कोर्ट जाकर पूरी ले लुंगी... आखिर तुम्हारे पापा ने सब मेरे नाम ही तो किया था..

देखो तितली तुम अपने वादे से मुकर रहो हो.. ये अच्छा नहीं कर रही हो तुम..

चलो ठीक है.. तुमने एक ऑफर दिया था मुझे शादी का.. मैं भी तुम्हे एक ऑफर देती हूँ.. सेम शादी का.. मुझसे शादी कर लो.. और जो सारी प्रॉपर्टी बीसनेस तुम्हारे पापा ने मेरे नाम किया है.. उसे तुम संभाल लो..

मतलब तुम्हारा PA बन जाऊ? जैसा तुमने कहा था?

इसमें PA बनने वाली क्या बात है? अपने मर्ज़ी के मालिक जो चाहो सो करो.. कौन पूछने वाला है.. मैं भी तुमने कुछ नहीं बोलने वाली.. तुम अपनी इच्छा के मालिक हो..

तितली कितनी झूठी हो तुम.. सब तुम्हारे नाम पर रहेगा और मैं तुम्हारी जी हुज़ूरी करूंगा?छोटे मोठेकाम के लिए तुम्हे पूछने आऊंगा.. यही चाहती हो ना तुम? ऐसा कभी ही नहीं होगा..

अरे.. मैं हूँ ना तुम्हारी जी हुज़ूरी करने के लिए.. तुम्हे क्या जरुरत.. जब भी तुम मुझे याद करोगे मैंने आ जाउंगी.. तुमने ही कहा था मुझसे कौन शादी करेगा? सही कहा था मैंने बहुत सोचा इस बारे में.. सब लोग मुझे गोल्ड दिग्गर ही समझते है तो अब मेरे पास तुमसे शादी करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है.. तो अगर पुरी प्रॉपर्टी पर कंट्रोल चाहिए तो मुझे अपनी बीवी के रोले में लाना होगा.. मुझसे शादी करनी होगी..

तुम्हे समझने में बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे.. मुझे लगा था तुम दिल साफ हो मगर तुम्हरे दिल में तो चोर है.. ठीक है तुम्हे शादी करनी है ना.. तो करते है शादी.. वैसे भी सिर्फ नाम की शादी करने से क्या हो जाएगा..

तो ठीक है आज कोर्ट मैरिज कर लेते है चलकर.. तुम्हे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?

रमन बाथरूम जाते हुए - टाइम व्हाट्सप्प कर देना.. मैं पहुंच जाऊंगा..

व्हाट्सप्प क्यों करना है? साथ नहीं चलोगे?

मुझे कुछ काम है.. मैं अलग से आ जाऊंगा..

बहाना बना रहे हो ना? देखो चलना तो साथ पड़ेगा.. तुम ख़ुशी से चलो या मज़बूरी में.. वो तुम्हारी मर्ज़ी..

रमन - बाहार जाओ आता हूँ.. और दुबारा बिना दरवाजा खटखटाये अंदर आने की जरुरत नहीं है..

तुम्हारे पापा ने घर मेरे नाम पर किया है और मेरी मर्ज़ी मैं इस घर के किसी भी हिस्से में घुमु.. और आज शादी के बाद तो वैसे भी हम दोनों एक साथ यही इसी रूम मे रहने वाले है..

तितली इतना कहकर कमरे से बाहर आ जाती है और रमन बाथरूम में जाकर नहाने लगता है रमन बाथरूम में नहाते हुए यह सोच रहा था कि एक दम से अचानक तितली को क्या हुआ है और वह इतना बदल हुआ बर्ताव क्यों कर रही है..

तितली बाहर आकर कार में बैठ गई थी और सोच रही थी कि आज वह रमन से शादी करके अपनी ख्वाहिश पूरी कर लेगी और रमन का दिल जीत कर उसके साथ उसकी बीवी बनकर रहेगी. उसके मन से रमन की बहन होने का ख्याल निकल चूका था..

दोनों गाड़ी में बैठे हुए कोर्ट मैरिज करने के लिए निकल पड़े थे और दोनों ने पहले कोर्ट मैरिज की फिर किसी मंदिर मे सात फेरो के बंधन मे बंध गए..

शाम के 7:00 का वक्त था जब दोनों वापस घर लौटे तितली के चेहरे पर मुस्कान शादी के बाद से ही और ज्यादा बिखेर चुकी थी तितली रमन को देख देख कर इस तरह मुस्कुरा रही थी जैसे वह आने वाले फलों को देखकर या उनके बारे में सोचकर शर्मा रही हो..

वही रमन के मन में एक अजीब सी उदासी थी उसे तितली से इश्क हो चुका था मगर उसे इस बात का अहसास तक नहीं था वह बस यही चाहता था की तितली उसके आसपास रहे मगर इस तरह जिस तरह से वह अब तक रहती आई है लेकिन जिस तरह से तितली ने आज उससे प्रॉपर्टी की बात की थी और जिस तरह से उससे शादी के लिए उकसाया था उससे रमन के मन में तितली की एक अलग छवि वापस उसी रूप में बन गई जैसे पहले थी रमन को लगा की तितली पैसों के लिए उसके साथ रहना चाहती है..

शाम के 8:00 बजे थे और रमन आज घर की छत पर अपने हाथ में शराब का गिलास लिए खड़ा हुआ था और जाम लगा रहा था उसे तितली से शादी करनी थी मगर उसे इस तरह तितली से शादी नहीं करनी थी जिसमें उसकी सहमति जबरन हो उसने सोचा था की तितली अगर उससे शादी के लिए मान जाएगी तो धूमधाम से और पूरे रीति रिवाज से उसकी और तितली की शादी होगी मगर तितली ने आज अचानक से शर्त उसके सामने रख दी थी और उससे शादी की थी इसका उसे अफसोस था और इसी के साथ उसे तितली के बदले हुए अंदाज़ का भी अफसोस था.. जिसे वह इतने दिनों से ही खूबसूरत हसीन और प्यारी नाजुक से लड़की समझ रहा था अचानक से इतनी मतलबी और चालक कैसे हो गई उसे समझ नहीं आया..

रमन छत पर था कि एक घर का पुराना नौकर घर की छत पर आकर रमन से बोला - मालिक वो मेमसाब का पूरा सामान आपके कमरे मे रखवा दिया है.. मेमसाब ने आपको निचे आने के लिए कहा है..

रमन सुरूर मे - तुम जाओ..

रमन मन ही मन तितली के बारे में सोच रहा था कि अब तितली की कितनी हिम्मत हो गई है कि वह किसी नौकर से कहकर उसे छत से बुलावा भेज रही है.. रमन ने अपने हाथ का जाम खत्म किया और गिलास छत पर रखी टेबल पर गिराकर नीचे आ गया..

तितली को घर के दरवाजे पर किसी के आने का समाचार मिला तो वो रूम से बाहर चली आई और दरवाजे और किसी से बात करने लगी जो एक फ़ाइल तितली को देकर उससे बात कर रहा था..

रमन ने तितली को अपने कमरे में देखा मगर तितली उसे वहा नहीं मिली फिर रमन अपने रूम से बाहर निकल कर तितली के रूम में चला गया जहां भी उसे तितली नहीं मिली मगर उसकी नज़र एक स्टोरेज बॉक्स पर गई जो टेबल रखा था और जिसमे कुछ लिफाफे रखे हुए थे..

वह स्टोरेज बॉक्स इस तरह रखा हुआ था कि मानो किसी ने उन्हें किसी जल्दबाजी में यूं ही छोड़ दिया हो और किसी दूसरे काम में लग गई हो.. तितली उस स्टोरेज बॉक्स को सामने अलमीरा रखना चाहती थी मगर शायद उसे बीच में कोई काम आ गया था इसलिए उसने उसे बॉक्स को इसी तरह टेबल पर रख दिया और अलमारी को भी खुला छोड़कर कमरे से बाहर आकर कहीं चली गई..

रमन इस स्टोरेज बॉक्स के करीब आया तो उसने उसमें कई तरह के लिफाफे देखें जिनमें कुछ लिफाफों पर तितली का नाम लिखा था रमन से रहना गया और उसने एक लिफाफा उठाकर खोलते हुए एक खत को पढ़ाना शुरू कर दिया जो तितली की मा ने तितली के नाम पर लिखा था..

यह वही आखिरी ख़त था जो तितली की मां ने अपनी बीमारी के दिनों में तितली को लीखा था और जिसमें तितली को उसके पिता की सच्चाई बताई गई थी रमन को जब इस सच्चाई का पता लगा की तितली पर उसके पिता इसलिए ज्यादा ध्यान देते थे और उसकी हर ख्वाहिश को पूरी करते थे कि तितली उन्हीं की बेटी थी तो रमन के पैरों के नीचे की जमीन हिल गई.. और रमन को यह भी समझ आ गया कि उसके पिता ने मरते हुए सारी जायदाद तितली के नाम क्यों की थी.. मगर रमन को यह समझ में नहीं आ रहा था की तितली को इस बात की भनक होते हुए की रमन उसका भाई है तितली ने उससे शादी क्यों की?

रमन इतना सोच ही रहा था की तितली एक फाइल लिए वापस कमरे की तरफ आई और उसने रमन को इस तरह खड़े देखा तो मुस्कुराते हुए बोली - यहां किसे ढूंढ़ रहे हो? अब यहा कोई नहीं रहता..

तितली मुस्कुराते हुए रमन के और नजदीक आ गई और अपने हाथ में एक फाइल रमन की और बढ़ाते हुए बोली - लो.. यही चाहिए था ना तुम्हे? कर दिया सब तुम्हारे नाम.. अब खुश?

रमन आश्चर्य की निगाहों से तितली को देख रहा था और उसके दिमाग में कई सारे ख्याल एक साथ दौड़ रहे थे जिनका जवाब उसके पास नहीं था.. रमन ने वह लिफाफा अपनी जेब में छुपा लिया और इस तरह अभिनय किया जैसे उसे इस लिफाफे में लिखी हुई बात का कोई इल्म ही ना हो..

रमन के पास तितली को कहने के लिए कोई शब्द ही नहीं था उसे जो पाना था तितली ने अपनी इच्छा से उसके आगे परोस दिया था मगर रमन ने उस फाइल को इग्नोर करते हुए बिना तितली से कुछ बोले कमरे के बाहर आ गया और घर से बाहर की ओर जाने लगा तभी तितली ने रमन का हाथ पकड़ कर कहा - इतनी नाराज़गी? तुम्हें जो चाहिए था वो मिल तो गया.. अब किस बात की नाराज़गी?

रमन तितली को एक नज़र देखकर - मुझे कहीं जाना है.. हाथ छोडो..

तितली मुस्कुराते हुए करीब आकर - अब रात मे कहा जाना है? शादी के बाद पहली रात को ही बीवी से दूर जाओगे? ऐसा करोगे मेरे साथ?

रमन तितली से दूर हटते हुए - तितली.. छोडो मुझे.. तुम सो जाओ जाकर..

और तुम?

मुझे नींद नहीं आ रही..

नींद नहीं आ रही या मेरे साथ सोने का मन नहीं है? बोलो? तुम उन रस्सियन लड़कियों की पास जा रहे हो ना? क्या है उनमे जो मुझमे नहीं है? ऐसा क्या करती है वो जो मैं नहीं कर सकती तुम्हारे लिए? जवाब दो..

मुझे अभी तुम्हारे साथ कोई बात नहीं करनी.. रास्ते से हटो.. जाने दो मुझे..

नहीं हटूंगी.. क्या कर लोगे तुम? बोलो? इतने दिनों से अच्छे बनने का नाटक कर रहे थे.. मीठी और प्यारी प्यारी बाते कर रहे थे अब अचानक से इस तरह पेश आ रहे हो जैसे जानते तक नहीं..

हाँ.. नहीं जानता तुम्हे.. नहीं चाहिए मुझे प्रॉपर्टी.. रखो तुम अपने पास.. समझी.. हटो मेरे रास्ते से..

हुआ क्या है? बोलो तो कुछ? कहा जा रहे हो?

रमन तितली से इस बार कुछ नहीं कहता और घर से बाहर चला जाता है और तितली उदासी से भरा हुआ चेहरा लेकर वापस रूम मे आकर बेड पर बैठ जाती है और कुछ देर बाद धरमु को फ़ोन करके रमन के बारे मे पूछती है तो धरमु तितली को रमन के ऑफिस मे शराब पीकर सोफे पर सोने की खबर देता है और तितली के दिल को सुकून रहता है कि रमन किसी और लड़की से मिलने नहीं गया..


***************

हनी बिलाल की दूकान पर आकर कुर्सी पर बैठ जाता है..
बिल्ले ये कूलर रखने के लिए लाया है क्या? चला ना इसको.. कितनी गर्मी है..

दूकान में कोई नहीं था.. बिलाल ने हनी से कहा - भाई अंदर चला जा तेरी भाभी निम्बू पानी बनाके पीला देगी.. ये कूलर तो बिगड़ा हुआ है ठीक करवाकर लाना है..

सूरज बिलाल की बात का इशारा समझ रहा था उसने कहा - ठीक है मैं अंदर जाता हूँ..

हनी अंदर आकर नज़मा को अपनी बाहों में पकड़ लेता है..
अह्ह्ह.. क्या कर रहे हो सूरज.. कोई देख लेगा..

कोई नहीं है नज़मा.. जल्दी से अपनी सलवार उतारो.. इतने दिनों बाद मिला हूं.. आपसे दूर रहा नहीं जा रहा..

नज़मा सलवार नीचे करके बेड पर लेटती हुई - लो.. जल्दी करो.. जो करना है..

सूरज चुत में लंड घुसा कर - अह्ह्ह.. नज़मा.. दुनिया मे कहीं जन्नत है तो यही है..

नज़मा - आराम से बच्चा है पेट में..

सूरज - सच?

नज़मा - हम्म..

सूरज धीरे धीरे नज़मा को चोदने लगता है और कुछ देर में नज़मा की चुत में झड़ जाता है...

नज़मा मुस्कुराते हुए - खुश?

सूरज - बिलाल को बताया नहीं बच्चे के बारे में?

नज़मा - मैंने कब का बता दिया..

सूरज - फिर उसने मुझे अंदर क्यों आने दिया?

नज़मा हसते हुए - क्युकी मैंने बिलाल से साफ साफ कह दिया है.. अगर आपको मुझसे मिलने से रोका तो मैं सबको सच बता दूंगी.

सूरज - पर नज़मा ये गलत है..

नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - मेरे दिल में अपने लिए अपनापन जगा कर सही गलत समझा रहे हो सूरज?

सूरज - अब नहीं नज़मा.. मैं जाता हुँ..

नज़मा - वापस कब आओगे?

सूरज - अब आने की क्या जरुरत है? जो चाहिए था हो तो गया..

नज़मा सूरज को बाहों में लेकर - अगर यही बात तो मैं बच्चे को गिरा देती हूँ तब तो तुम आओगे मेरे पास वापस?

सूरज - पागल हो गई हो तुम? ऐसा किया तो कभी शकल भी नहीं देखूंगा तुम्हारी..

नज़मा - तो बताओ ना सूरज.. वापस कब मिलने आओगे?

सूरज - जब भी समय मिलेगा.. जैसे पहले आता था..

नज़मा सूरज का हाथ अपने बूब्स पर रखकर - देखो आपके हाथ लगने से साइज कितना बढ़ गया है..

सूरज बूब्स मसलते हुए - काफी.. बड़े हो गए है..

नज़मा - हाँ..

सूरज - अपना ख्याल रखना नज़मा..

नज़मा - अगली बार रातभर की मोहल्लतलेकर आना सूरज..

सूरज अंदर से वापस दूकान में आ जाता है और कुर्सी ओर बैठ जाता है.. बिलाल पहले की तरह उसके कंधे दबाने लगता है..

सूरज - बिल्ले मैं..

बिलाल - मैं जानता हूँ हनी.. नज़मा ने बता दिया है.. वो तुझे पसंद करने लगी है..

सूरज - बिल्ले पसंद नहीं प्यार करने लगी है भाभी मुझसे.. और वो चाहती है मैंने ऐसे ही उनसे मिले आता रहु..

बिलाल - मैं जानता हूँ हनी.. नज़मा को मैंने कोई खुशी नहीं दी है.. उसे तेरा साथ अच्छा लगता है.. अगर तू कभी कभी उसके पास आकर मिलना चाहे तो मैं नहीं रोकूंगा..

सूरज - बिल्ले नज़मा बीवी है तेरी.. तुझे जो चाहिए था तुझे मिल गया.. अब समझा भाभी को..

बिलाल - वो नहीं समझेगी हनी.. अब बात मेरे बस में नहीं है.. उसे बेपहना इश्क़ हो गया है तुझसे..

सूरज दूकान से निकल जाता है और अपने घर आ जाता है..


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Gajab Raman ko ab ab suraj hi samjha sakta hai or Najma pagal hogey hai
 

ak143

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Update 13

छोडो ना अक्कू... तुम्हारा अब ये रोज़ का नाटक हो गया है.. पता है ना मम्मी की कमर में दर्द रहता है उनको टाइम पर चाय नहीं मिलती तो वो खुद बनाने लग जाती है.. तुम मूझे बिस्तर से जल्दी उठने ही नहीं देते.. कितनी शर्म आती है सुबह मम्मी के समाने.. पता है?.

अंकुश नीतू के बाल संवारता हुआ बोला - अभी सात ही तो बजे है सुबह के..

तो तुम क्या चाहते हो? पूरी रात के बाद अब पूरा दिन भी तुम्हारे साथ ऐसे ही बिना कपड़ो के लेटी रहु? मम्मी का डर क्या निकला तुम्हारे दिमाग से.. तुम तो अब पुरे बेशर्म बन गए हो.. कल रसोई में जो तुम कर रहे थे पीछे से मम्मी सब देख रही थी.. पता है? मुझे कितनी शर्म आ रही थी.. शर्म के मारे कुछ बोल ही नहीं पाई मैं तो.. और सुनो.. आज कोर्ट भी जाना है तलाक के लिए.. वकील का कॉल आया था.. अब चलो उठो मेरे ऊपर से.. जाने दो मूझे..

बस पांच मिनट और.. फिर चली जाना..

क्या करोगे पांच मिनट में?

प्यार करूंगा..

तुम ना नहीं सुधारने वाले..

अच्छा आज ऑफिस से ऑफ ले लू.. दोनों बाहर घूमके आयेंगे.. सनी लेओनी की नई मूवी लगी है वो भी देख कर लेंगे..

अच्छा? हॉल में मूवी देखने दोगे तुम मुझे? पिछली बार का सब याद मुझे.. पूरा टाइम बस blowjob करवाया था मूवी तो देखने ही नहीं दी.. ऑफ ले रहे हो तो मेरे साथ कोर्ट चलो..

यार कोर्ट में तेरी वो वकील मेरे गले ना पड़ जाए.. जब देखो चाय कॉफ़ी पर चलने के लिए कहती है.. बड़ी मुश्किल से जान छुड़ाता हूँ उससे.. मन तो करता है साली को घोड़ी बनाके बजा दूँ.. पर तेरा डर लगता है..

डर लगना भी चाहिए.. मेरे अलावा किसीके साथ कुछ किया ना तो देख लेना.. मार मार के इस चाँद सी शकल पर ग्रहण लगा दूंगी..

अंकुश नीतू की ये बात सुनकर उसकी कमर मे हाथ ड़ालते हुए कमर पकड़ के झटके से चुत मे लौड़ा घुसा देता है जिससे नीतू जोर से अह्ह्ह.. भरते हुए अंकुश के चेहरे को पकड़ कर जोर से कहती है - अक्कू धीरे..

घर की सीढ़ियों पर चाय की ट्रे हाथ मे लेकर ऊपर आ रही गोमती के कानो मे नीतू की आह और उसके बाद नीतू के बोले हुए शब्द पड़े तो वो एक पल के लिए ठहर गई और फिर धीरे धीरे नीतू के कमरे के करीब आने लगी.. गोमती नीतू के कमरे के दरवाजे के बाहर आकर खड़ी थी और अंदर से अपने बेटे और बेटी की चुदाई की मधुर आवाजे साफ साफ सुन सकती थी..

गोमती अपने बेटे अंकुश को चाय देने आई थी मगर अंकुश अपनी बहन नीतू की चुत ले रहा था जिसकी आवाज उसकी मा गोमती के कानो मे किसी संगीत की तरह थप-थप और घप-घप बनकर बज रही थी.. गोमती चाय की ट्रे हाथ मे लेकर खड़ी हुई थी और असमंजस की स्थिति मे थी...

गोमती ने लम्बे समय से काम सुख ना तो भोगा था ना ही भोगने का प्रयत्न किया था.. सालो से उसके जीवन मे कामकला का अकाल ही पड़ा था.. गोमती ने दोनों के डिसट्रब नहीं करने का फैसला लेते हुए वापस जाने को हुई तो नीतू अंकुश से बोल पड़ी..

अक्कू आराम से कर ना.. दर्द हो रहा है..

गोमती नीतू की बात सुनकर अपने जवानी के दिन याद करने लगी जब उसकी शादी के बाद उसके पति और उसके बीच सम्भोग होता था.. मगर कुछ साल पहले जब गोमती के पति का स्वर्गवास हुआ तो गोमती अकेली पड़ गई थी.. आज गोमती के मन मे दबी वासना को नीतू की चुदाई के शोर ने भड़का दिया था और गोमती ने अचानक अपनी चुत मे गिलापन महसूस किया और वो समझ गई कि उसके साथ क्या हो रहा है..

गोमती रुक गई और चाय की ट्रे एक तरफ रखकर दरवाजे के हंडल के पास वाले होल से अंदर का नज़रा देखने को बैठ गई..

गोमती ये करते हुए झिझक रही थी मगर जैसे ही उसने अंदर झांका तो देखा की बेड पर नीतू पीठ के बल नग्नता से लेटी हुई अपने भाई से चुदवा रही है और पुरे कमरे मे उसकी आन्हे गूंज रही है वही अंकुश भी नंगा अपने सख्त लंड से नीतू की चुत मे धक्के पर धक्का मारकर नीतू को चोद रहा है जैसे लोहार हाथोड़े से लोहे को पिटता है..

ये नज़ारा देखकर गोमती के हाथ खुदबखुद अपनी चुत पर चले गए और वो अपनी चुत सहलाती हुई अंदर अपने बेटे और बेटी की चुदाई देखने लगी..

अंकुश नीतू को चोदते हुए उसके मीठे लबों का रस पी रहा था और नीतू बीच बीच मे आहे भरते हुए अंकुश से धीरे और प्यार से चोदने की गुहार लगा रही थी मगर अंकुश नीतू की हर गुहार को नज़रअंदाज़ कर चुत मे ताबड़तोड़ झटके मार रह था..

गोमती ने नचाहते हुए भी अपनी नदी का पानी दरवाजे पर बहा दिया और शर्म के मारे उठाकर निचे आ गई मगर उसने जल्दीबाज़ी मे चाय की ट्रे वही छोड़ दी.. कुछ देर बाद अंकुश भी अपनी बहन की चुत मे झड़ कर खड़ा हो गया और नीतू के बाल पकड़ कर उसके मुँह मे लंड देकर लौड़ा साफ करवाने के बाद एक तौलिया लपेटकर पानी पिने के लिए कमरे से जैसे बाहर निकला उसका पैर अपनी मा की चुत के पानी मे पड़ कर गिला हो गया.. नीतू अंदर बाथरूम मे चली गई थी.. अंकुश ने आश्चर्य से देखा और फिर वहा चाय की ट्रे देखकर समझ गया कि क्या माजरा है..

अंकुश ने चाय कि ट्रे उठाई और निचे रसोई मे आकर रख दी फिर पानी पीकर जैसे ही रसोई से निकला गोमती रसोई मे आ रही थी और गोमती कि कलाई पर बंधे धागे मे अंकुश का तौलिया अड़ते ही उलझ गया और खुल गया जिससे अंकुश नंगा गोमती के सामने वापस आ गया और गोमती कि नज़र सीधे अंकुश के लंड पर पड़ गई जो अभी नीतू कि चुत चोद रहा था..

अंकुश ने जल्दी से तौलिया लिया और लपेट कर बिना कुछ बोले ऊपर चला गया..

अंकुश नहाकर बाहर नीतू को बाहों में भरके बोलता है..

कपड़ो के बिना ज्यादा अच्छी लगती है मेरी मिया खलीफा..

अपनी बहन को मिया खलीफा बोलता है शर्म नहीं आती तुझे?

शर्म करता तो अब तक बस तेरे नाम के जयकारे लगा रहा होता.. तेरी ले नहीं रहा होता.. समझी..

नीतू हसते हुए - ठीक है मेरे राजा भईया.. अब मुझे छोड़.. वरना तू वापस मुझे बिस्तर में ले जाएगा..

अंकुश नीतू को छोड़कर बाथरूम जाते हुए - ठीक है..

अंकुश नहाकर नीचे आकर गोमती के कमरे में आ जाता है..

माँ...

गोमती मुस्कुराते हुए - अक्कू...

हाँ.. माँ... नीतू ने बताया आपको डॉक्टर के पास जाना है.. मैंने ऑफ ले लिया है.. चलिए चलते है..

अक्कू..

क्या हुआ?

कुछ नहीं बेटा.. वो बस मेरी कमर...

आपको कितनी बार कहा है माँ आप इतना काम मत करिये मगर आप मानती नहीं.. मैं नीतू को कह दूंगा अब से आपको कोई काम ना करने दे..

उससे कहकर क्या होगा? उस बेचारी की क्या गलती? तू उसे छोड़े तब वो घर का काम करें ना.. अपनी बहन को कमरे से बाहर तो निकलने नहीं देता तू.. जब देखो उसके साथ चिपका रहता है.. फिर कौन काम करेगा..

माँ.. वो..

वो वो.. कर रहा है.. आधे बाल सफ़ेद हो गए मेरे.. मुझे सब समझ आता है.. जवानी मे इतना भी क्या अंधा होना कि किसी कि परवाह ही ना हो.. अब चल..

अंकुश रिक्शा में गोमती को लेकर डॉक्टर के पास आने के लिए निकल जाता है..

गोमती रिक्शा से बाहर देख रही थी और उसका पल्लू उसके ब्लाउज से सरका हुआ था रिक्शा ड्राइवर गोमती के बूब्स को मिरर से बार बार देख रहा था जिसे काफी देर के बाद अंकुश ने नोटिस किया तो उसने गोमती के कंधे पर हाथ रखकर उसके पल्लू को अनजान बनकर ठीक कर दिया जिसे गोमती ने देखा तो मुस्कराते हुए अंकुश के कंधे पर सर रखकर वापस बाहर देखने लगी..

गोमती अपनी जवानी के ख्यालों मे थी उसका बदन अब भी रस से भरा हुआ था मगर मन नीरस था जिसे कामुक ख्यालों ने हरा भरा करने का काम शुरू कर दिया था..

अब केसा दर्द है कमर का?

वैसा का वैसा ही है डॉक्टर साब.. कमर में एक ही जगह दर्द रहता है..

डॉक्टर - एक काम करिये आप अंदर पेट के बल लेट जाइये मैं देख लेता हूं..

गोमती - ठीक है..

गोमती अंदर छोटे से कबीन मे आकर पेशेंट बेड पर पेट के बल लेट जाती है और अंकुश बाहर कुर्सी पर बैठा हुआ कॉल पर नीतू से बात करने मे लग जाता है..

डॉक्टर गोमती की कमर पकड़कर सहलाते हुए - यहाँ दर्द है?

गोमती - नहीं थोड़ा निचे..

डॉक्टर और गोमती के बीच जो हो रहा था वो आसामन्य था गोमती डॉक्टर की भावनाओं को अच्छे से समझ रही थी.. मगर उसने डॉक्टर को थोड़ा बहुत यहां वहा छूने से नहीं रोका उलटे अनजान बनकर इस छुअन का मज़ा लेने लगी..

कुछ देर तक डॉक्टर ने गोमती की कमर और हलके से कूल्हे को सहलाते हुए बातचीत जारी रखी फिर किसी के अंदर आने की आहाट पाकर गोमती से बोला - चिंता की बात नहीं है.. मैं आयल लिख देता हूं आप मैसेज कीजियेगा.. धीरे धीरे दर्द ख़त्म हो जाएगा..

नर्स कबीन मे आते हुए - सर.. हॉस्पिटल से फ़ोन..

डॉक्टर - हाँ आ रहा हूं..

नर्स के जाने के बाद डॉक्टर गोमती से - चलिए..

गोमती हलकी सी मुस्कुराहट के साथ बाहर आते हुए - जी..

डॉक्टर - देखिये.. मैंने दवा और आयल लिख देता हूँ.. आप सुबह शाम कमर पर इससे मसाज करना और दवा टाइम पर खाना.. ज्यादा चलने फिरने कि जरुरत नहीं है और ना कोई काम करने कि जरुरत है.. ठीक है.. और आप बेटे है ना इनके.. इनका पूरा ख्याल रखिये.. अगले हफ्ते वापस दिखा दीजियेगा..

अंकुश - ओके...
गोमती - ठीक है डॉक्टर जी..

अंकुश गोतमी को लेकर वापस घर आ जाता है..

माँ.. नीतू ने खाना बना दिया है मैं ला दूँ?

नहीं मैं खा लुंगी.. तू जा उसके पास.. कोर्ट में उसको जरुरत होगी तेरी..

वकील है माँ उसके साथ.. आप खाना खा लो फिर मैं आपकी मालिश कर देता हूँ..

गोमती खाना खा लेती है और अंकुश उसे पीठ के बल बिस्तर में लेटने को कहता है और गोमती लेट जाती है और अपना पल्लू हटा देती है.. अंकुश आयल लेकर गोमती को कमर में लगा कर उसकी कमर कि मालिश करने लगता है..

अक्कू..

हां माँ..

तू नीतू को छोड़ने तो नहीं वाला ना..

मतलब?

तू शादी करके घर बसायेगा ना अपनी बहन के साथ?

माँ.. अगर ऐसा नहीं करूंगा तो नीतू मुझे जान से मार ही डालेगी..

सही करेगी.. इतना प्यार जो करती है तुझसे.. तेरे लिए कुछ भी कर सकती है.. पागल है तेरे प्यार में.. मुझे तुम दोनों के रिस्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है.. बस तुम जल्दी से शादी करके एक बच्चा कर लो.. जो मैं अपनी गोद में खिला सकूँ..

अंकुश गोमती कि कमर मसलते हुए - माँ.. बस नीतू का तलाक़ हो जाए फिर घर शिफ्ट करते ही सब हो जाएगा..

गोमती करवट लेकर पीठ के बल लेट जाती है और अंकुश से कहती है - अच्छा छोड़ अब.. हो गई मालिश.. जा तू नीतू के पास..

गोमती जैसे ही करवट लेती है उसके बूब्स सिर्फ ब्लाउज मे अंकुश के सामने आ जाते है जिसे देखकर अंकुश कामुक हो उठता है मगर अपनी वासना को मन मे ही दबा लेता है और गोमती से कहता है..
अंकुश मुस्कुराते हुए - ठीक है माँ.. आप आराम करो..


****************


क्या हुआ मेघा? क्या कहा जज ने?

नीतू जज आज आइ ही नहीं.. तारीख पड़ी है तुम नोट कर लो.. अरे तुम तो कह रही थी अक्कू डॉक्टर के गया है पर वो आ गया..

नीतू जल्दी फ्री हो गया होगा..

केसा है अक्कू?

ठीक हूँ वकील साहिबा...

अक्कू कितनी बार बोला है मेघा बोला कर मुझे.. और आज तो फ्री है ना तू.. थोड़ी देर बैठेगा ना मेरे साथ?

अंकुश नीतू को देखकर - जी वकील साहिबा.. कैंटीन चलिए.. बैठते है.. नीतू चलो..

मेघा - फिर से वकील साहिबा.. तुम नाम से नहीं बुलाओगे ना मुझे?

अंकुश कैंटीन चलकर नीतू और मेघा के साथ बैठकर कॉफ़ी पीते हुए - तलाक़ कब तक हो जाएगा?

मेघा - दोनों पार्टी तैयार है जल्दी हो जाएगा.. बस जज आ जाए.. वैसे तुम बताओ? इस संडे क्या कर रहे हो.. मेरे साथ डेट पर चलोगे?

नीतू - मेघा मेंने बताया था ना अक्कू..

मेघा - नीतू.. सब एक जैसे थोड़ी होते है? बताओ ना अक्कू.. डेट पर चलोगे?

अंकुश - वो वकील साहिबा कुछ ऐसा है संडे को मेरा कुछ और प्लान है.. तो सॉरी..

मेघा - सैटरडे को? नाईट शो देखते है.. न्यू मूवी लगी है..

अंकुश - वो सैटरडे को ऑफिस से फ्री नहीं हो पाऊंगा जल्दी.. तो.. सॉरी.

मेघा - तुम जानबुझ कर बहाने बना रहे हो ना.. इतना क्या नापसंदगी वकीलों और पुलिसवालो से... हम भी इंसान ही है..

नीतू - ऐसा नहीं है मेघा..

अंकुश - मैं जब फ्री होउगा कॉल करूंगा वकील साहिबा..

मेघा - फीस लाये हो?

नीतू - आज तो जज ही नहीं आई..

मेघा - पर मैं तो आई हूँ ना.. फ्री में काम करवाना है तो अपने भाई से बोलो मेरा बॉयफ्रेंड बन जाए.. फिर फीस भी नहीं देनी पड़ेगी और इसे सिंगल भी नहीं रहना पड़ेगा..

अक्कू पैसे देते हुए - लो..

मेघा पैसे लेकर - बस इतने ही.. अगली बार पूरी फीस लगेगी और अगली डेट पर टाइम से आ जाना..

नीतू - अच्छा अब चलते है मेघा.. चले अक्कू?

मेघा चली जाती है और अंकुश नीतू के साथ कोर्ट से बाहर आ जाता है..

मन तो कर रहा था कुतिया का मुंह तोड़ दू.. तुझे बॉयफ्रेंड बनाएगी साली रंडि छिनाल..

अरे शांत हो जाओ यार.. इतना गुस्सा क्यों कर रही हो.. बताओ अब घर चलाना है मूवी देखने का मन है?

तुमने ऑफ ले ही लिया है तो मूवी चलते है.. पर मैं blowjob नहीं देने वाली समझा ना..

अच्छा ठीक है.. चल बैठ..

सिनेमा हॉल के एक कोने में नीतू और अंकुश बैठ गए थे हॉल में कुछ ही लोग थे सामने किसी फ्लॉप एक्टर कि मूवी चल रही थी..

अंकुश ने अपना हाथ नीतू के गले में डाल लिया और उसके बूब्स पर अपना हाथ रखकर बूब्स दबाने लगा..
नीतू मुस्कुराते हुए दुप्पटा लेकर अंकुश के हाथ को ढक लेती है और अंकुश को चूमते हुए जवानी के मज़े लूटने लगती है..
कुछ देर बाद अंकुश के बिना कहे ही नीतू उसकी ज़िप खोलकर उसे blowjob देने लगती है..

अंकुश प्यार से नीतू के बाल पकड़ कर उसे लंड चुसवाता है और मूवी ख़त्म होते होते नीतू अंकुश के लंड का माल मुंह में झड़वा कर उसे खुश कर देती है..

घर चले?

बड़ी जल्दी है तुम्हे घर जाने की? मन नहीं भरा तुम्हरा?

जब इतनी खूबसूरत बहन पट जाए तो किस भाई का मन भरेगा?

तुमको ना जोनी सीन्स होना था खड़ा ही रहता है तुम्हारा..

अंकुश हसते हुए - और तुम्हे मिया खलीफा.. फिगर देखकर घोड़ी बनाने का मन करता है..

छी.. बेशर्म..


*************


क्या हुआ धरमु?

धरमु - वो दीदी.. वकील का फ़ोन आया था.. फैसला हमारे हक़ में हुआ है.. भईया को ये बताना था..

तितली - पर उसमें और ज्यादा समय लगने वाला था ना?

धरमु - दीदी वकील साहब कह रहे थे कि जज बदल गया और जो नया जज था वो बहुत फ़ास्ट काम करता है.. जैसे फ़ाइल देखी तुरंत हमारी और उनकी बात सुनकर फैसला कर दिया.. भईया कहा है?

तितली - वो अपने कमरे में होंगे..

धरमु - जब जाग जाए तो उन्हें बता दीजियेगा.. अच्छा चलता हूँ दीदी..

तितली ये खबर सुनकर खामोशी से भर गई.. वो पिछले दो महीने से रमन के साथ घूम रही थी और अपने लाइफ के सबसे खूबसूरत पल बिता रही थी मगर अब उसे लग रहा था कि रमन प्रॉपर्टी का बटवारा करके उससे अलग हो जाएगा और तितली उससे कभी नहीं मिल पाएगी..

तितली अपने मन में रमन से बेपहना प्यार करने लगी थी जिसकी खबर उसे थी वो अपने कमरे में जाकर रोने लगी थी और रमन से दूर होने कि सोचकर दुखी हो रही थी.. उसने तय कर लिया था कि वो रमन कि शर्त मान लेगी और उससे शादी कर लेगी भले ही रमन उससे प्यार करें या ना करें..

तितली ने अपने आंसू पोंछे और कुछ सोचकर अपने कमरे से निकलती हुई रमन के कमरे में कॉफी लेकर पहुंच गई और उसे देते हुए कहा..

अभी उठे ही लगते हो?

हाँ.. वो रात को दोस्तों के साथ ज्यादा हो गई थी.. कॉफी के लिए थैंक्स..

धरमु आया था.. कह रहा था वो केस जो चल रहा था हम जीत गए..

हाँ अभी पता चला.. वकील का फ़ोन आया था..

तो बताओ क्या करना है? कब कर रहे हो प्रॉपर्टी का बटवारा?

तुम्हे बड़ी जल्दी है? कहा जाओगी इतने पैसे लेकर?

इतने कहा है? सिर्फ 50 परसेंट हो तो दे रहे हो प्रॉपर्टी का.. बाकी तुम्ही रखने वाले हो.. मैंने पूछा तुम क्या करोगे?

50 परसेंट? पागल हो गई हो? भूल गई क्या तय हुआ था? 75:35 समझी?

इतने दिन पुरानी बात है कैसे याद होगी? मुझे आधी चाहिए.. तुम दो तो ठीक नहीं तो कोर्ट जाकर पूरी ले लुंगी... आखिर तुम्हारे पापा ने सब मेरे नाम ही तो किया था..

देखो तितली तुम अपने वादे से मुकर रहो हो.. ये अच्छा नहीं कर रही हो तुम..

चलो ठीक है.. तुमने एक ऑफर दिया था मुझे शादी का.. मैं भी तुम्हे एक ऑफर देती हूँ.. सेम शादी का.. मुझसे शादी कर लो.. और जो सारी प्रॉपर्टी बीसनेस तुम्हारे पापा ने मेरे नाम किया है.. उसे तुम संभाल लो..

मतलब तुम्हारा PA बन जाऊ? जैसा तुमने कहा था?

इसमें PA बनने वाली क्या बात है? अपने मर्ज़ी के मालिक जो चाहो सो करो.. कौन पूछने वाला है.. मैं भी तुमने कुछ नहीं बोलने वाली.. तुम अपनी इच्छा के मालिक हो..

तितली कितनी झूठी हो तुम.. सब तुम्हारे नाम पर रहेगा और मैं तुम्हारी जी हुज़ूरी करूंगा?छोटे मोठेकाम के लिए तुम्हे पूछने आऊंगा.. यही चाहती हो ना तुम? ऐसा कभी ही नहीं होगा..

अरे.. मैं हूँ ना तुम्हारी जी हुज़ूरी करने के लिए.. तुम्हे क्या जरुरत.. जब भी तुम मुझे याद करोगे मैंने आ जाउंगी.. तुमने ही कहा था मुझसे कौन शादी करेगा? सही कहा था मैंने बहुत सोचा इस बारे में.. सब लोग मुझे गोल्ड दिग्गर ही समझते है तो अब मेरे पास तुमसे शादी करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है.. तो अगर पुरी प्रॉपर्टी पर कंट्रोल चाहिए तो मुझे अपनी बीवी के रोले में लाना होगा.. मुझसे शादी करनी होगी..

तुम्हे समझने में बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे.. मुझे लगा था तुम दिल साफ हो मगर तुम्हरे दिल में तो चोर है.. ठीक है तुम्हे शादी करनी है ना.. तो करते है शादी.. वैसे भी सिर्फ नाम की शादी करने से क्या हो जाएगा..

तो ठीक है आज कोर्ट मैरिज कर लेते है चलकर.. तुम्हे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?

रमन बाथरूम जाते हुए - टाइम व्हाट्सप्प कर देना.. मैं पहुंच जाऊंगा..

व्हाट्सप्प क्यों करना है? साथ नहीं चलोगे?

मुझे कुछ काम है.. मैं अलग से आ जाऊंगा..

बहाना बना रहे हो ना? देखो चलना तो साथ पड़ेगा.. तुम ख़ुशी से चलो या मज़बूरी में.. वो तुम्हारी मर्ज़ी..

रमन - बाहार जाओ आता हूँ.. और दुबारा बिना दरवाजा खटखटाये अंदर आने की जरुरत नहीं है..

तुम्हारे पापा ने घर मेरे नाम पर किया है और मेरी मर्ज़ी मैं इस घर के किसी भी हिस्से में घुमु.. और आज शादी के बाद तो वैसे भी हम दोनों एक साथ यही इसी रूम मे रहने वाले है..

तितली इतना कहकर कमरे से बाहर आ जाती है और रमन बाथरूम में जाकर नहाने लगता है रमन बाथरूम में नहाते हुए यह सोच रहा था कि एक दम से अचानक तितली को क्या हुआ है और वह इतना बदल हुआ बर्ताव क्यों कर रही है..

तितली बाहर आकर कार में बैठ गई थी और सोच रही थी कि आज वह रमन से शादी करके अपनी ख्वाहिश पूरी कर लेगी और रमन का दिल जीत कर उसके साथ उसकी बीवी बनकर रहेगी. उसके मन से रमन की बहन होने का ख्याल निकल चूका था..

दोनों गाड़ी में बैठे हुए कोर्ट मैरिज करने के लिए निकल पड़े थे और दोनों ने पहले कोर्ट मैरिज की फिर किसी मंदिर मे सात फेरो के बंधन मे बंध गए..

शाम के 7:00 का वक्त था जब दोनों वापस घर लौटे तितली के चेहरे पर मुस्कान शादी के बाद से ही और ज्यादा बिखेर चुकी थी तितली रमन को देख देख कर इस तरह मुस्कुरा रही थी जैसे वह आने वाले फलों को देखकर या उनके बारे में सोचकर शर्मा रही हो..

वही रमन के मन में एक अजीब सी उदासी थी उसे तितली से इश्क हो चुका था मगर उसे इस बात का अहसास तक नहीं था वह बस यही चाहता था की तितली उसके आसपास रहे मगर इस तरह जिस तरह से वह अब तक रहती आई है लेकिन जिस तरह से तितली ने आज उससे प्रॉपर्टी की बात की थी और जिस तरह से उससे शादी के लिए उकसाया था उससे रमन के मन में तितली की एक अलग छवि वापस उसी रूप में बन गई जैसे पहले थी रमन को लगा की तितली पैसों के लिए उसके साथ रहना चाहती है..

शाम के 8:00 बजे थे और रमन आज घर की छत पर अपने हाथ में शराब का गिलास लिए खड़ा हुआ था और जाम लगा रहा था उसे तितली से शादी करनी थी मगर उसे इस तरह तितली से शादी नहीं करनी थी जिसमें उसकी सहमति जबरन हो उसने सोचा था की तितली अगर उससे शादी के लिए मान जाएगी तो धूमधाम से और पूरे रीति रिवाज से उसकी और तितली की शादी होगी मगर तितली ने आज अचानक से शर्त उसके सामने रख दी थी और उससे शादी की थी इसका उसे अफसोस था और इसी के साथ उसे तितली के बदले हुए अंदाज़ का भी अफसोस था.. जिसे वह इतने दिनों से ही खूबसूरत हसीन और प्यारी नाजुक से लड़की समझ रहा था अचानक से इतनी मतलबी और चालक कैसे हो गई उसे समझ नहीं आया..

रमन छत पर था कि एक घर का पुराना नौकर घर की छत पर आकर रमन से बोला - मालिक वो मेमसाब का पूरा सामान आपके कमरे मे रखवा दिया है.. मेमसाब ने आपको निचे आने के लिए कहा है..

रमन सुरूर मे - तुम जाओ..

रमन मन ही मन तितली के बारे में सोच रहा था कि अब तितली की कितनी हिम्मत हो गई है कि वह किसी नौकर से कहकर उसे छत से बुलावा भेज रही है.. रमन ने अपने हाथ का जाम खत्म किया और गिलास छत पर रखी टेबल पर गिराकर नीचे आ गया..

तितली को घर के दरवाजे पर किसी के आने का समाचार मिला तो वो रूम से बाहर चली आई और दरवाजे और किसी से बात करने लगी जो एक फ़ाइल तितली को देकर उससे बात कर रहा था..

रमन ने तितली को अपने कमरे में देखा मगर तितली उसे वहा नहीं मिली फिर रमन अपने रूम से बाहर निकल कर तितली के रूम में चला गया जहां भी उसे तितली नहीं मिली मगर उसकी नज़र एक स्टोरेज बॉक्स पर गई जो टेबल रखा था और जिसमे कुछ लिफाफे रखे हुए थे..

वह स्टोरेज बॉक्स इस तरह रखा हुआ था कि मानो किसी ने उन्हें किसी जल्दबाजी में यूं ही छोड़ दिया हो और किसी दूसरे काम में लग गई हो.. तितली उस स्टोरेज बॉक्स को सामने अलमीरा रखना चाहती थी मगर शायद उसे बीच में कोई काम आ गया था इसलिए उसने उसे बॉक्स को इसी तरह टेबल पर रख दिया और अलमारी को भी खुला छोड़कर कमरे से बाहर आकर कहीं चली गई..

रमन इस स्टोरेज बॉक्स के करीब आया तो उसने उसमें कई तरह के लिफाफे देखें जिनमें कुछ लिफाफों पर तितली का नाम लिखा था रमन से रहना गया और उसने एक लिफाफा उठाकर खोलते हुए एक खत को पढ़ाना शुरू कर दिया जो तितली की मा ने तितली के नाम पर लिखा था..

यह वही आखिरी ख़त था जो तितली की मां ने अपनी बीमारी के दिनों में तितली को लीखा था और जिसमें तितली को उसके पिता की सच्चाई बताई गई थी रमन को जब इस सच्चाई का पता लगा की तितली पर उसके पिता इसलिए ज्यादा ध्यान देते थे और उसकी हर ख्वाहिश को पूरी करते थे कि तितली उन्हीं की बेटी थी तो रमन के पैरों के नीचे की जमीन हिल गई.. और रमन को यह भी समझ आ गया कि उसके पिता ने मरते हुए सारी जायदाद तितली के नाम क्यों की थी.. मगर रमन को यह समझ में नहीं आ रहा था की तितली को इस बात की भनक होते हुए की रमन उसका भाई है तितली ने उससे शादी क्यों की?

रमन इतना सोच ही रहा था की तितली एक फाइल लिए वापस कमरे की तरफ आई और उसने रमन को इस तरह खड़े देखा तो मुस्कुराते हुए बोली - यहां किसे ढूंढ़ रहे हो? अब यहा कोई नहीं रहता..

तितली मुस्कुराते हुए रमन के और नजदीक आ गई और अपने हाथ में एक फाइल रमन की और बढ़ाते हुए बोली - लो.. यही चाहिए था ना तुम्हे? कर दिया सब तुम्हारे नाम.. अब खुश?

रमन आश्चर्य की निगाहों से तितली को देख रहा था और उसके दिमाग में कई सारे ख्याल एक साथ दौड़ रहे थे जिनका जवाब उसके पास नहीं था.. रमन ने वह लिफाफा अपनी जेब में छुपा लिया और इस तरह अभिनय किया जैसे उसे इस लिफाफे में लिखी हुई बात का कोई इल्म ही ना हो..

रमन के पास तितली को कहने के लिए कोई शब्द ही नहीं था उसे जो पाना था तितली ने अपनी इच्छा से उसके आगे परोस दिया था मगर रमन ने उस फाइल को इग्नोर करते हुए बिना तितली से कुछ बोले कमरे के बाहर आ गया और घर से बाहर की ओर जाने लगा तभी तितली ने रमन का हाथ पकड़ कर कहा - इतनी नाराज़गी? तुम्हें जो चाहिए था वो मिल तो गया.. अब किस बात की नाराज़गी?

रमन तितली को एक नज़र देखकर - मुझे कहीं जाना है.. हाथ छोडो..

तितली मुस्कुराते हुए करीब आकर - अब रात मे कहा जाना है? शादी के बाद पहली रात को ही बीवी से दूर जाओगे? ऐसा करोगे मेरे साथ?

रमन तितली से दूर हटते हुए - तितली.. छोडो मुझे.. तुम सो जाओ जाकर..

और तुम?

मुझे नींद नहीं आ रही..

नींद नहीं आ रही या मेरे साथ सोने का मन नहीं है? बोलो? तुम उन रस्सियन लड़कियों की पास जा रहे हो ना? क्या है उनमे जो मुझमे नहीं है? ऐसा क्या करती है वो जो मैं नहीं कर सकती तुम्हारे लिए? जवाब दो..

मुझे अभी तुम्हारे साथ कोई बात नहीं करनी.. रास्ते से हटो.. जाने दो मुझे..

नहीं हटूंगी.. क्या कर लोगे तुम? बोलो? इतने दिनों से अच्छे बनने का नाटक कर रहे थे.. मीठी और प्यारी प्यारी बाते कर रहे थे अब अचानक से इस तरह पेश आ रहे हो जैसे जानते तक नहीं..

हाँ.. नहीं जानता तुम्हे.. नहीं चाहिए मुझे प्रॉपर्टी.. रखो तुम अपने पास.. समझी.. हटो मेरे रास्ते से..

हुआ क्या है? बोलो तो कुछ? कहा जा रहे हो?

रमन तितली से इस बार कुछ नहीं कहता और घर से बाहर चला जाता है और तितली उदासी से भरा हुआ चेहरा लेकर वापस रूम मे आकर बेड पर बैठ जाती है और कुछ देर बाद धरमु को फ़ोन करके रमन के बारे मे पूछती है तो धरमु तितली को रमन के ऑफिस मे शराब पीकर सोफे पर सोने की खबर देता है और तितली के दिल को सुकून रहता है कि रमन किसी और लड़की से मिलने नहीं गया..


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हनी बिलाल की दूकान पर आकर कुर्सी पर बैठ जाता है..
बिल्ले ये कूलर रखने के लिए लाया है क्या? चला ना इसको.. कितनी गर्मी है..

दूकान में कोई नहीं था.. बिलाल ने हनी से कहा - भाई अंदर चला जा तेरी भाभी निम्बू पानी बनाके पीला देगी.. ये कूलर तो बिगड़ा हुआ है ठीक करवाकर लाना है..

सूरज बिलाल की बात का इशारा समझ रहा था उसने कहा - ठीक है मैं अंदर जाता हूँ..

हनी अंदर आकर नज़मा को अपनी बाहों में पकड़ लेता है..
अह्ह्ह.. क्या कर रहे हो सूरज.. कोई देख लेगा..

कोई नहीं है नज़मा.. जल्दी से अपनी सलवार उतारो.. इतने दिनों बाद मिला हूं.. आपसे दूर रहा नहीं जा रहा..

नज़मा सलवार नीचे करके बेड पर लेटती हुई - लो.. जल्दी करो.. जो करना है..

सूरज चुत में लंड घुसा कर - अह्ह्ह.. नज़मा.. दुनिया मे कहीं जन्नत है तो यही है..

नज़मा - आराम से बच्चा है पेट में..

सूरज - सच?

नज़मा - हम्म..

सूरज धीरे धीरे नज़मा को चोदने लगता है और कुछ देर में नज़मा की चुत में झड़ जाता है...

नज़मा मुस्कुराते हुए - खुश?

सूरज - बिलाल को बताया नहीं बच्चे के बारे में?

नज़मा - मैंने कब का बता दिया..

सूरज - फिर उसने मुझे अंदर क्यों आने दिया?

नज़मा हसते हुए - क्युकी मैंने बिलाल से साफ साफ कह दिया है.. अगर आपको मुझसे मिलने से रोका तो मैं सबको सच बता दूंगी.

सूरज - पर नज़मा ये गलत है..

नज़मा सूरज के होंठो को चूमकर - मेरे दिल में अपने लिए अपनापन जगा कर सही गलत समझा रहे हो सूरज?

सूरज - अब नहीं नज़मा.. मैं जाता हुँ..

नज़मा - वापस कब आओगे?

सूरज - अब आने की क्या जरुरत है? जो चाहिए था हो तो गया..

नज़मा सूरज को बाहों में लेकर - अगर यही बात तो मैं बच्चे को गिरा देती हूँ तब तो तुम आओगे मेरे पास वापस?

सूरज - पागल हो गई हो तुम? ऐसा किया तो कभी शकल भी नहीं देखूंगा तुम्हारी..

नज़मा - तो बताओ ना सूरज.. वापस कब मिलने आओगे?

सूरज - जब भी समय मिलेगा.. जैसे पहले आता था..

नज़मा सूरज का हाथ अपने बूब्स पर रखकर - देखो आपके हाथ लगने से साइज कितना बढ़ गया है..

सूरज बूब्स मसलते हुए - काफी.. बड़े हो गए है..

नज़मा - हाँ..

सूरज - अपना ख्याल रखना नज़मा..

नज़मा - अगली बार रातभर की मोहल्लतलेकर आना सूरज..

सूरज अंदर से वापस दूकान में आ जाता है और कुर्सी ओर बैठ जाता है.. बिलाल पहले की तरह उसके कंधे दबाने लगता है..

सूरज - बिल्ले मैं..

बिलाल - मैं जानता हूँ हनी.. नज़मा ने बता दिया है.. वो तुझे पसंद करने लगी है..

सूरज - बिल्ले पसंद नहीं प्यार करने लगी है भाभी मुझसे.. और वो चाहती है मैंने ऐसे ही उनसे मिले आता रहु..

बिलाल - मैं जानता हूँ हनी.. नज़मा को मैंने कोई खुशी नहीं दी है.. उसे तेरा साथ अच्छा लगता है.. अगर तू कभी कभी उसके पास आकर मिलना चाहे तो मैं नहीं रोकूंगा..

सूरज - बिल्ले नज़मा बीवी है तेरी.. तुझे जो चाहिए था तुझे मिल गया.. अब समझा भाभी को..

बिलाल - वो नहीं समझेगी हनी.. अब बात मेरे बस में नहीं है.. उसे बेपहना इश्क़ हो गया है तुझसे..

सूरज दूकान से निकल जाता है और अपने घर आ जाता है..


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तितली & रमन 💔
 
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Suprb update.....but thoda scene Suraj or Sumitra ka bhi hota to or zabardast hota ....keep it up brother ❤️..... Sunday ko bada update..
 

king1969

Well-Known Member
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Bahut hi mazedar update
 
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