Bhut hi badhiya updateUpdate 14
आज भी बाहर जाना है? जरुरी काम होगा ना.. तितली ने मुस्कुराते हुए व्यंग भरे लहजे मे रमन से पूछा तो रमन ने तितली को अनदेखा करते हुए उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपने कमरे के बेड पर से तकिया उठाकर कमरे मे रखे सोफे पर फेंक कर सोफे की तरफ जाने लगा..
तितली समझ गई की रमन सोफे पर सोने जा रहा है उसने रमन का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ मोड़कर कहा - बिस्तर इतना भी छोटा नहीं है कि तुम मेरे साथ ना सो सको.. शादी की है हमने, बीवी हूं मैं तुम्हारी.. मेरे साथ सोने मे शर्म आ रही है? बोलो?
रमन अपना हाथ छुड़ा कर - शादी नहीं समझौता हुआ है हमारे बीच.. समझी तुम? तुम्हे जो करना है करो बस मेरा पीछा छोड़ दो..
छोड़ दू? ऐसे कैसे छोड़ दूँ? अब तो मरते दम तक तुम्हारे सर पर भूत बनकर मंडराती रहूंगी.. समझें? तुम मुझे अपनी बीवी समझो या नहीं वो तुम्हरी मर्ज़ी मगर मैं तुम्हे अपना पति मान चुकी हूं.. पहले तो तुम्हे सब कुछ चाहिए था अब जब सब तुम्हारे नाम कर दिया है तो लेने को त्यार ही नहीं हो.. हुआ क्या है तुम्हे? इतने बदले बदले क्यों हो तुम?
रमन तितली से अपना हाथ छुड़वा कर सोफे की तरफ जाता हुआ - मुझे नींद आ रही है.. गुड नाईट..
तितली ने आगे कुछ ना कहा और रमन को सोफे पर लेटते हुए देखकर कमरे का दरवाजा लगा दिया फिर लाइट्स ऑफ करके एक मध्यम रौशनी वाला इलेक्ट्रिकल दिवार लैंप जलाकर वो भी सोफे की तरफ बढ़ गई..
तितली ने बिना कुछ कहे रमन के ऊपर आते हुए उसे अपनी बाहो मे भर लिए और आँख बंद करके रमन के ऊपर लेट गई.. रमन ने तितली को अपने ऊपर लेटने से रोकना चाहा मगर तितली जबरदस्ती उसके ऊपर आ गई थी और अब रमन के ऊपर लेटकर आँख बंद कर सोने को थी..
रमन के मन मे तितली के प्रति कामुक ख्याल थे रमन तितली से आकर्षित था और अगर उसे इस बात का पता ना चलता कि तितली उसकी बहन है तो शायद आज वो तितली के साथ सम्भोग करने से नहीं चुकता.. मगर जब से उसे पता चला था कि तितली और उसका बाप सेठ पूरन माली ही है तब से रमन तितली के प्रति कामुकता की भावना को दबा रहा था और उसके मन मे तितली के प्रति प्रेम के साथ जिम्मेदारी का भाव भी जाग रहा था.. उसे लग रहा था की उसके पिता के मरने के बाद अब तितली की जिम्मेदारी उसकी है और वो तितली की ख्याल रखेगा मगर बहन होने का पता चलने के बाद वो तितली को अपनी पत्नी के रूप मे अपनाने को त्यार नहीं था..
तितली मे जहा पहले उसे कामरस से भरी हुई खूबसूरत लड़की नज़र आती थी जिसके नाम पर उसने कई बार लंड को हाथ मे लेकर जयकारा लगाया था अब रमन को तितली मे बहन नज़र आने लगी थी जिसकी जिम्मेदारी उसे लगता था अब उसी की है..
तितली कुछ देर तक आँख बंद करके रमन के ऊपर लेटी रही और रमन ने भी उसका विरोध नहीं किया और तितली को अपने ऊपर लेटे रहने दिया.. कुछ देर बाद जब तितली को लगा की रमन उसे कुछ नहीं बोलने वाला तब तितली ने अपने चेहरे को रमन के चेहरे के करीब लाकर रमन के होंठो के करीब आ गई मगर रमन तितली की चाल अच्छे से समझ रहा था..
सिगरेट पी है ना तुमने? कितनी स्मेल आ रही है?
तुम भी तो स्मोक करते हो..
कभी कभी करता हूं तुम्हारी तरह रोज़ रोज़ नहीं.. तुम तो स्मोक के बाद माउथ फ्रेशनर भी नहीं लेती.. पता नहीं डॉक्टर कैसे बन गई?
तितली मुस्कुराते हुए - किताबें पढ़कर बनी और कैसे? तुमने पढ़ाई नहीं कि तो मेरी क्या गलती? हर बार बस पासिंग मार्क आते थे तुम्हारे.. वो भी तुम्हारे पापा के कहने पर प्रिंसिपल करवा था.. बड़े आये मुझे सिखाने वाले..
मुझे ना चैन कि नींद चाहिए.. तुम्हारे मुँह नहीं लगना चाहता.. हटो मेरे ऊपर से.. एक तो इतनी भारी हो कि दर्द होने लगा है मुझे..
तितली अपनी जुल्फों को संवारती हुई - हाँ तो सो जाओ.. मैंने रोका है तुम्हे सोने से? उस दिन इतनी ऊपर से मुझे गोद मे उठाकर निचे तक ले आये तब तुम्हे दर्द नहीं हुआ अभी सिर्फ मेरे लेटने से तुम्हे दर्द होने लगा.. मैं ना सब चालाकियाँ समझ रही हूं तुम्हारी.. मैं तो मेरे पति के ऊपर ही सोऊंगी.. तुम्हारी तकलीफ का मैं कुछ नहीं कर सकती..
तुम भूल रही हो तुम्हारा पति मैं ही हूं.. तुमने मुझिसे शादी की है..
मुझे सब पता.. मैं तो बस तुम्हे ये बात याद दिलाने के लिए कह रही हूं कि तुम मेरे पति हो.. और चलो काम से काम तुमसे एक्सेप्ट तो किया तुम मेरे पति हो.. इस तरह मुझसे दूर भागने से कुछ नहीं होगा.. कभी तो तुम्हे मुझे अपनी बीवी मानना पड़ेगा.. फिर देखना जितने दिन तुम मुझसे दूर रहोगे पूरा गिन गिन के हिसाब लुंगी..
रमन तितली का मासूम चेहरा और उम्मीद से भरी हुई आँखे देखकर उसे चूमने ही वाला था कि उसकी अंतरात्मा ने उसे तितली मे उसकी बहन दिखा दी और वो खुदको तितली को चूमने से रोककर तितली को अपने ऊपर से हटाता हुआ सोफे से खड़ा हो गया और बिस्तर पर आकर पेट के बल लेटते हुए तितली से बोला - सो जाओ और मुझे भी सोने दो.. नौटंकी कहीं की..
तितली मुस्कुराते हुए सोफे से तकिया लेकर बिस्तर पर आते हुए रमन की पीठ के ऊपर लेटती हुई पीछे से रमन के कान मे बोली - नौटंकीबाज़ तो तुम हो.. इतनी खूबसूरत बीवी को प्यार के लिए कोई ऐसे तरसता है? मैंने तो अब तुम्हारी हर बात मान ली.. अब तो मान जाओ ना..
रमन मुस्कुराता हुआ - खूबसूरत और तुम? आईने मे शकल देख लो..
मैं तो रोज़ देखती हूं.. हीरोइन लगती हूं बिलकुल..
बंदरिया लगती हो..
अच्छा? तो जब घूमने गए थे तब गाडी के मिरर से तुम क्यों बार बार इस बंदरिया की कमर और शकल देख रहे थे?
बंदरिया रोज़ रोज़ देखने को थोड़ी मिलती है..
मगर अब तो रोज़ ही देखना पड़ेगा.. तुम्हे अच्छा लगे या बुरा..
रमन को अपनी पीठ पर तितली के सुडोल उन्नत उरोजो का स्पर्श हो रहा था जो उसे कामुक कर रहा था तितली भी जानबूझ कर अपने अंग की मादकता रमन के ऊपर बिखेर रही थी मगर ये रात दोनों ने बस यूँही निकाल दी.. रमन को नींद आ गई और तितली भी रमन के गाल को नींद मे चूमकर उससे लिपटकर सो गई..
रमन की जब आँख खुली तो उसने देखा की उसके सामने तितली किसी कामकला की आकृतियों से अलंस्कृत विभुषित सुंदरी के रूप मे हाथों मे कॉफी लिए खड़ी थी.. तितली ने काफी रमन के जागने पर बेड के किनारे टेबल पर रख दी और रमन से बोली - आज तो जगाने से पहले ही उठ गए.. लो.. तुम्हारी कॉफी..
इतना कहकर तितली बेड के करीब आईने के सामने बैठ गई और अपने उलझें गीले बाल को कंघी से सुलझा कर बनाने लगी.. तितली हलके हरे रंग की साडी पहने थी और तितली की नज़र आईने से होती हुई रमन के ऊपर थी जो कॉफी पीते हुए बार बार तितली की चिकनी कमर को देखकर नज़र घुमा रहा था.. तितली रमन की हालत देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और उसे यक़ीन था की रमन आज नहीं कल उसे अपना लेगा और दोनों एक साथ हमेशा के लिए खुश रहेंगे..
तितली ने बाल संवारकर रमन की और देखा और मुस्कान के साथ अपनी कमर को साड़ी के पल्लू से ढकते हुई कहा - शर्म नहीं आती? कैसे घूर कर मेरी कमर देख रहे हो..
रमन उठकर बाथरूम जाते हुए - साड़ी की जगह सलवार पहन लो.. कमर दिखेगी ही नहीं..
तितली - मेरी मर्ज़ी कुछ भी पहनू.. तुम्हारी बीवी हूं नौकरानी नहीं, जो मुझ पर हुकुम चलाओगे..
रमन मुस्कुराते हुए बाथरूम से - बीवी भी नहीं हो..
तितली जोर से - तुम्हारे कहने से कुछ नहीं होगा..
****************
काकी.. काकी..
सुबह सुबह शहर की एक गली के नुक्कड़ पर हेमलता बस के इंतजार मे खड़ी थी की सूरज ने उसे देखा तो बाइक रोकते हुए पुकार लगा दी जिसपर हेमलता ने मुड़कर पीछे से आरहे सूरज को देखा और मुस्कुराते हुए उसके पास चली गई.. हेमलता ने ऑफिस के फॉर्मल कपड़ो मे सूरज को देखकर कहा..
क्या बात है? ऐसे कपड़ो मे तो किसी बैंक का मैनेजर लगता है..
काकी आपके आशीर्वाद से मैनेजर तो कुछ टाइम मे बन ही जाऊँगा.. पर बैंक का नहीं.. वैसे आज आप बड़ी सजीधजी है.. किसका इंतजार कर रही है यहाँ पर? कही किसी के साथ चक्कर वक्कर तो नहीं चल रहा ना आपका? बेचारे काका..
चुप बदमाश.. कुछ भी बोलता है.. चौखट वाले मंदिर जा रही हूं.. बस के लिए खड़ी थी..
चलो मैं छोड़ देता हूं..
नहीं खामखा तू लेट होगा.. मैं चली जाउंगी तू जा..
काकी.. आओ ना.. मेरे लेट होने से कंपनी बंद नहीं हो जायेगी.. चलो बैठो..
हेमलता सूरज के बोलने पर बाइक के पीछे बैठ जाती है और अपना हाथ सूरज के कंधे पर रखकर मुस्कुराते हुए सूरज को देखती हुई मन मे कुछ सोच विचार करने लगती है.. कुछ देर बाद हेमलता कंधे से हाथ हटाकर सूरज की बाहो से निचे आगे लेजाकर अपने एक हाथ से सूरज को सीने से पकड़ लेती है और मुस्कुराते हुए रास्ते को एन्जॉय करती है..
लो काकी.. आ गये आपके चौखट वाले मंदिर..
अरे किनारे लगा दे ना गाडी को.. चल अंदर.. भगवान के दर्शन कर ले..
नहीं काकी.. आप जल्दी से जाकर आओ मैं उबर बुक कर देता हूं.. बस से मत आया जाया करो..
हेमलता सूरज का हाथ पकड़ कर - चुपचाप चल.. सुबह सुबह भगवान के दर्शन करने से दिन अच्छा जाता है और भगवान खुश भी होते है.. जो मन्नत हो वो भी मांग लेनी चाहिए.. पूरी हो जाती है.. क्या पता भगवान एक सुन्दर और सुशील लड़की से तेरी शादी करवा दे..
सूरज बाइक लगा कर चलते हुए - काकी सालो से आप जो मन्नत मांग रही हो वो तो आज तक पूरी हुई नहीं.. अब तक भी अजय और विजय भैया वापस नहीं आये..
हेमलता प्रसाद लेते हुए - किसने कहा तुझसे मेरी मन्नत पूरी नहीं हुई? अजय विजय नहीं है तो क्या? मैंने तो भगवान् से बेटा माँगा था और देख तू है मेरे पास.. हेमलता ने ये कहते हुए प्यार से सूरज के गाल खींचे और उसे मंदिर के अंदर ले गई..
हेमलता ने प्रसाद चढ़ाकर सूरज के साथ हाथ जोड़कर दर्शन किया और आँख बंद कर ली.. दर्शन के बाद जब दोनों वापस बाहर आये तो सुरज का फ़ोन जमीन पर गिर गया और टूट गया..
सूरज फ़ोन उठाकर - ये तो बंद हो गया.. लगता है रास्ते मे नया लेना ही पड़ेगा.. हेमलता अपने हाथ से सूरज को प्रसाद खिलाया और सूरज प्रसाद का लड्डू खाते हुए बोला - काकी आप दो मिनट रुको मैं रिक्शा ले आता हूं.. सूरज चला गया और हेमलता सूरज को जाते हुए देखकर मुस्करा रही थी उसे ये तक अहसास नहीं रहा की वो सडक पर खड़ी है..
सूरज रिक्शा लेने निकला गया और एक कार तेज़ी से आकर बिलकुल हेमलता के सामने रुकी..
अंधी हो क्या? दिखाई नहीं देता? सडक पर खड़ी हो..
हेमलता अचानक से घबरा गई मगर अगले ही पल कार और कार मे बैठी लड़की (गुनगुन) को देखकर शेरनी के अंदाज़ मे घूर्राते हुए जवाब दिया - अरे मैं अंधी हूं तो तेरी आँखों पर कोनसा चश्मा चढ़ा है? दीख नहीं रहा भीड़ भाड़ वाली जगह है.. सामने मंदिर है उधर स्कूल.. सडक पर लोग है बच्चे है.. फिर भी हवाई जहाज की तरह गाडी चला रही है..
इस बार लड़की हेमलता की बात सुनकर कार से उतर गई और हेमलता को करारा जवाब देने की कोशिश मे बोली - बुढ़िया.. भगवान का शुक्र कर जो मैंने टाइम पर ब्रेक मार दिया वरना हॉस्पिटल भी पास मे ही है? चल अब रास्ते से हट वरना गाडी चढ़ा के निकल जाउंगी.. सरकारी गाडी है कोई क्लेम भी नहीं मिलेगा.. तू जानती नहीं मुझे मैं कौन हूं..
हेमलता सडक से किनारे आती हुई - बड़ी आई गाडी चढ़ाने वाली.. जरा सा छू भी जाती तो तेरी ये कैची जैसी जुबान खीच लेती मैं..
लड़की कार चलाकर जाते हुए - अगर जल्दी ना होती तो तुझे बताती बुढ़िया..
लड़की कार लेकर वहा से आगे बढ़ जाती है मगर सिग्नल पर उसे गाड़ी रोकनी पड़ जाती है..
सूरज रिक्शा लेकर आया तो हेमलता का चेहरा गुस्से से लाल था..
क्या हुआ काकी?
हेमलता - कुछ नहीं हनी.. आज कल की लड़कियों को बात करने की तमीज नहीं है.. खैर.. तू जा ऑफिस आज बहुत लेट हो गया होगा..
सिग्नल पर कार मैं बैठी लड़की (गुनगुन) ने जब साइड मिरर मे पीछे देखा तो सूरज को हेमलता से बात करते हुए पाया.. लड़की की सांस जैसे अटक गई थी.. हेमलता रिक्शा मे बैठ कर चली गई और सूरज भी बाइक स्टार्ट करके जाने लगा था की लड़की सिग्नल पर गाड़ी छोड़कर सूरज के पीछे भागने लगी मगर सूरज भी वहा से जा चूका था..
गुनगुन ने सालो बाद सूरज को देखा मगर सिर्फ एक झलक देख पाई.. उसकी हालत अजीब हो गई थी.. सिग्नल खुल चूका था मगर गुनगुन की कार सिग्नल पर खड़ी थी.. गुनगुन ने मंदिर के बाहर लोगो से उस बुढ़िया और सूरज के बारे मे पूछा मगर किसी से भी कोई संतोजनक उत्तर नहीं मिला और गुनगुन को उदास होकर आज ऑफिस आना पड़ा..
गुनगुन उदास और अपने आप पर गुस्सा थी.. उसे लग रहा था की उसने सूरज की माँ के साथ बदतमीजी कर दी है और सूरज को अपने करीब पा कर वापस खो दिया है और अब ना जाने कब वो सूरज को देख पाएगी.. सुबह की मीटिंग जिसके लिए गुनगुन लेट हो गई थी उसने उस मीटिंग को अटेंड नहीं किया और आज ऑफिस मे सभीको गुनगुन के गुस्सै का शिकार बनना पड़ा था.. जयप्रकाश भी इससे अछूते नहीं रहे थे.. सुबह सुबह गुनगुन ने जयप्रकाश की भी लताड़ सिर्फ इतनी सी बात पर लगा दी कि जयप्रकाश ने बिना इज़ाज़त चपरासी को छुटी दे दी और आज गुनगुन को कॉफी नहीं मिली..
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शादी मे बस एक महीने का ही समय बचा है और इतने सारे काम बाकी है.. कोई हाथ बटाने वाला होता तो थोड़ा आराम मिलता.. अकेला मैं क्या क्या सँभालु?
लख्मीचंद ने अपनी पत्नी उर्मिला से कहा तो उर्मिला काम से ज्यादा काम का शोर करती हुई बोली - अब मैं क्या कहु? गरिमा ने अब तक अपना शादी का जोड़ा तक पसंद नहीं किया.. बोलती है आपको जो पसंद है ले लो.. अब भला मेरी शादी थोड़ी है जो मैं अपनी पसंद से खरीदू? लड़कियों को अपनी शादी का उत्साह होता है उनके पेट मे तितलियाँ नाचती है और एक ये है ना कोई उत्साह ना कोई भाव.. जैसे हम जबरदस्ती उसे किसी निकम्मे नाकारा के साथ ब्याह रहे है..
गरिमा अपने कमरे मे किसी ख्याल मे खोई हुई थी.. उसके हाथ मे कलम थी और कलम से सफ़ेद कागज़ के टुकड़े पर कुछ लिखने का जतन कर रही थी मगर उसके जज्बात को शब्दों की कमी पड़ रही थी..
आज उसका दिल अजीब कश्मकश से भरा हुआ था जैसे वो किसी तड़प से गुजर रही हो उलझन से घिर चुकी हो.. उसका मन पहले भी सूरज की याद से भरा हुआ था मगर आज तो उसके सब्र की इंतिहा थी.. पिछले 4-5 महीने से दोनों मे कोई बात ना हुई थी.. गरिमा सूरज से नाराज थी और सूरज गरिमा के प्यार और नाराज़गी से बेखबर.. अब शादी मे भी 1 महीने की ही देरी थी.. जो गुजरते वक़्त के साथ ख़त्म होती जा रही थी.. गरिमा का मन सबको अपने दिल का हाल कह सुनाने का था.. वो विनोद नहीं बल्कि सूरज को अपना पति मान चुकी थी अपने परिवार और पिता के मान सम्मान ने उसे अब तक काबू मे रखा था.. गरिमा सबको अपने दिल का हाल बताने मे नाकाम थी मगर उसने सूरज से इस बात का जिक्र करने का मन बना लिया था.. भले वो सूरज से नाराज़ थी मगर प्यार के हाथों मजबूर होकर उसने अपनी नाराज़गी छोड़ देने का और सूरज से अपने मन की बात कहने का निश्चय कर लिया था..
गरिमा ने काँपती हुई उंगलियों से अपनी सारी नाराजगी और अना को दरकिनार कर सूरज को आज 4-5 महीने बाद फ़ोन करने का फैसला किया था उसके मन की हालत वही जानती थी..
कोरपोरेट की कंपनी मे बने क्यूबकल्स के अंदर एक डेस्क के सामने अपनी चेयर पर बैठे हुए चेयर को दाए से बाय फिर बाए से दाए घुमाते हुए सूरज अपने सामने लेपटॉप की स्क्रीन देखकर कुछ सोच रहा था कि उसका फ़ोन बजने लगा जिसपर गरिमा का नंबर देखकर सूरज अचानक हैरान हो गया और सोचने लगा कि अचानक गरिमा उसे क्यों फोन कर रही है..
हेलो..
सूरज ने हेलो बोला मगर गरिमा शर्मिंदगी और प्यार कि उलझन से भरी कुछ ना बोल पाई.. उसका दिल सूरज की आवाज सुनकर जोर से धड़कने लगा..
हेलो.. भाभी.. सूरज ने फिर कहा..
गरिमा ने इस बार लरजतेहुए कहा..
हेलो..
हाँ.. भाभी बोलो.. आप ठीक हो ना?
हम्म..
क्या हुआ? आप इतनी चुप क्यों है? अभी तक माफ़ नहीं किया? नाराज़ है मुझसे?
गरिमा के होंठो पर मुस्कान और दिल को सुकून इस एक लाइन से आ गया और वो बोली - क्यूँ.. नहीं होना चाहिए नाराज़?
नहीं.. मतलब.. आपका हक़ बनता है भाभी नाराज़ होने का.. उस दिन मुझे लगा अगर मे आपसे मिला तो आप स्टेज पर ही मुझे ताने ना मारने लग जाओ इसीलिए मैं आपसे दूर था.. मगर मुझे कहा पता था आप इतना बुरा मान जाओगी कि बात करना भी बंद कर दोगी..
स्टेज के बाद भी तो मिलने आ सकते थे ना तुम? कितना इंतजार किया था मैंने तुम्हारा.. मगर तुम तो ना जाने कहा गुम थे.. पल भरके लिए नज़र आते फिर गायब हो जाते.. कोई अपना जब ऐसे करेगा तो गुस्सा तो आएगा ही..
माफ़ कर दो भाभी.. प्लीज..
ऐसे माफ़ी नहीं मिलेगी..
तो क्या करना पड़ेगा माफ़ी के लिए?
मिलना पड़ेगा.. और अपने घुटनो पर बैठके माफ़ी मांगनी पड़ेगी.. बोलो मंज़ूर है?
बस? भाभी बैठके क्या लेटके माफ़ी माँग लूंगा..
तो आ जाओ मिलने..
भाभी अभी नहीं आ सकता.. काम है और छुटी नहीं मिलेगी.. 8-10 दीन बाद रिस्तेदारो को शादी का कार्ड देने आऊंगा पापा के साथ आपके शहर मे.. तब आप जो बोलोगी वही होगा..
पक्का? वादा करते हो ना सूरज? मुकर तो नहीं जाओगे?
हां भाभी.. वादा.. अभी बहुत काम है.. नहीं किया तो आफत आ जायेगी.. शाम को बात करता हूं भाभी.. बाय..
अपना ख्याल रखना सूरज..
आप भी भाभी..
फ़ोन कट चूका था बात ख़त्म हो चुकी थी मगर गरिमा अब फोन कान से लगाए कमरे की दिवार पर लगी एक तस्वीर जिसमे एक कलाकार ने प्रेम की रचना को सर्जित किया था देख रही थी..
गरिमा अपने मन मे मचे तूफ़ान को सूरज के गले से लग कर सूरज को भी उसकी आंधी मे उड़ा कर ले जाना चाहती थी उसे महसूस नहीं हो पा रह था जो वो सोच रही है वो कितना गलत है.. मगर प्रेम गलत सही कहा जान पाता है उसे बस अपने प्रियतम से मिलने की तलब होती है..
गरिमा ने फोन बेड पर रख दिया और महीनों से उदासी भरी आँखों मे आज अचानक एक अनोखी चमक लेकर कमरे से बाहर आ गई..
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चलो अब हटो मेरे ऊपर से.. बेशर्म.. दिन ब दिन बहुत बिगड़ते जा रहे हो तुम.. आने दो बरखा को.. उसे कहूँगी वो अच्छे से खबर लेगी तुम्हारी.. तुम ऐसे नहीं मानोगे..
मैंने क्या किया आंटी? बस थोड़ा प्यार ही तो किया है आपसे अभी..
रोज़ रोज़ जो तुम ऑफिस के बाद सीधा मेरे पास प्यार करने आते हो ना.. सब उसकी बात बनाने लगे है.. घर से बाहर निकलती हूं तो सब ऐसे देखते है जैसे मैं कोई धंधे वाली हूं..
आंटी आप भी लोगो की सुनने लगी? आपने ही तो कहा था जब प्यार करने का मन हो आ जाना..
पर मुझे क्या पता था तुम रोज़ ही आने लगोगे.. तुम्हे क्या लगता है? कॉलोनी मे सब बेवकूफ है जो नहीं समझते की तुम 7बजे जब यहाँ आते हो और 8 साढ़े 8 यहाँ से जाते हो तो उस बीच क्या होता है? मेरे हस्बैंड ने भी कई बार मुझसे पूछा है तुम्हारे बारे मे..
तो आपने क्या जवाब दिया?
क्या जवाब देती? मैंने कहा भाई जैसा है डांस सिखने आता है और क्या? अब उठो ना बेबी.. मेरे हस्बैंड के आने का टाइम भी होने वाला है..
सूरज जैसे ही सपना के ऊपर से उठा उसका वीर्य से सना लंड सपना की चुत से निकल कर ढीला पड़ गया और सूरज लंड पर से कंडोम निकाल कर गाँठ लगा दी और कपडे पहनने लगा.. सपना भी ब्लाउज और घाघरा पहनकर इस्तेमाल किये कंडोम को डस्टबिन मे डालकर सूरज को मुस्कुराते हुए देखने लगी..
ऐसे क्या देख रही हो आप?
तुम्हे देख रही हूं.. काश 20 साल पहले तुम मिले होते..
क्या करती आप अगर मिला होता तो?
सपना सूरज के करीब आकर उसे अपनी बाहो मे भर लेती है..
शादी कर लेती मैं तुमसे.. और हमेशा अपने ब्लाउज मे बंद करके रखती..
सूरज सपना के एक बूब को ब्लाउज के ऊपर से ही पकड़कर मसल देता है..
अब भी कहा देर हुई है आंटी? मैंने तो रेडी हूं आपसे शादी के लिए..
सपना हस्ते हुए - धत.. पागल.. अपनी माँ की उम्र की औरत से शादी करेगा.. कोई लड़की ढूंढ़ शादी के लिए.. तुझे रोज़ प्यार करने वाली चाहिए तेरी भूख बढ़ रही है.. अब चलो.. जाओ..
ठीक है.. जाता हूं.. आखिरी किस्सी दे दो..
सूरज सपना को बाहो मे लेकर डीप किस करता है और कुछ देर बाद सपना के घर से निकल जाता है..
सपना सूरज के जाने के बाद एक सिगरेट जलाकर काश लेती है कि उसका फ़ोन बजने लगता है जिसे वो उठाकर बात करने लगती है..
हेलो..
भाभी क्या कर रही हो?
कुछ नहीं बरखा.. तेरे मुँह बोले भाई और मेरे जवान आशिक की इच्छा पूरी कर रही थी..
बरखा हंसकर - हनी आज भी आया था?
सपना सिगरेट का काश लेकर - हाँ.. बस अभी अभी निकला है.. मुझे तो लगता है उसे आदत हो गई है सेक्स की.. मैंने कहा लड़की ढूंढ़ के शादी कर ले तो बोला आपसे कर लेता हूं..
बरखा हँसते हुए - कमीना कहीं का..
अच्छा तुम कब आ रही हो?
इस शनिवार आ जाउंगी भाभी..
सब ठीक हुआ या अब भी सब वैसा का वैसा ही है?
सब वैसा ही है भाभी.. पता नहीं किस रंडी के चक्कर मे पड़ गया.. अगर बच्चा नहीं होता तो मैं ऐसे आदमी को लात मारके छोड़ देती..
समझ सकती हूं बरखा..
अच्छा भाभी सूरज ज्यादा परेशान तो नहीं करता? कहो तो फ़ोन करके अच्छे से खबर लेती हूं उसकी..
अरे नहीं बरखा.. उसके आने से तो मुझे अच्छा लगता है.. पर मैं तो उसीके लिए परवाह करती हूं.. लोगो का तुम जानती हो बात बनाते बनाते कितनी बदनामी कर देते है..
समझती हूं भाभी.. पर जवानी मे कौन इन बातो का ख्याल रखता है..
सपना सिगरेट आखिरी कश लेकर बुझाते हुए - अच्छा.. बरखा अभी कमरे की हालत सुधार लेती हूं वरना अगर उन्होंने यहाँ का हाल देख लिया तो फ़ौरन समझ जाएंगे यहाँ उनके पीछे से क्या होता है..
बरखा जोर का थहाका लगाते हुए - ठीक है भाभी.. बाद मे फुर्सत से बात करती हूं..
ठीक है बरखा..
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Titali ke man me titaliya ud rahi h , use kya pta Raman bechara apne apko kaise rok rakha h dekhte h kab tak in dono ka chipka chipki chalta hUpdate 14
आज भी बाहर जाना है? जरुरी काम होगा ना.. तितली ने मुस्कुराते हुए व्यंग भरे लहजे मे रमन से पूछा तो रमन ने तितली को अनदेखा करते हुए उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपने कमरे के बेड पर से तकिया उठाकर कमरे मे रखे सोफे पर फेंक कर सोफे की तरफ जाने लगा..
तितली समझ गई की रमन सोफे पर सोने जा रहा है उसने रमन का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ मोड़कर कहा - बिस्तर इतना भी छोटा नहीं है कि तुम मेरे साथ ना सो सको.. शादी की है हमने, बीवी हूं मैं तुम्हारी.. मेरे साथ सोने मे शर्म आ रही है? बोलो?
रमन अपना हाथ छुड़ा कर - शादी नहीं समझौता हुआ है हमारे बीच.. समझी तुम? तुम्हे जो करना है करो बस मेरा पीछा छोड़ दो..
छोड़ दू? ऐसे कैसे छोड़ दूँ? अब तो मरते दम तक तुम्हारे सर पर भूत बनकर मंडराती रहूंगी.. समझें? तुम मुझे अपनी बीवी समझो या नहीं वो तुम्हरी मर्ज़ी मगर मैं तुम्हे अपना पति मान चुकी हूं.. पहले तो तुम्हे सब कुछ चाहिए था अब जब सब तुम्हारे नाम कर दिया है तो लेने को त्यार ही नहीं हो.. हुआ क्या है तुम्हे? इतने बदले बदले क्यों हो तुम?
रमन तितली से अपना हाथ छुड़वा कर सोफे की तरफ जाता हुआ - मुझे नींद आ रही है.. गुड नाईट..
तितली ने आगे कुछ ना कहा और रमन को सोफे पर लेटते हुए देखकर कमरे का दरवाजा लगा दिया फिर लाइट्स ऑफ करके एक मध्यम रौशनी वाला इलेक्ट्रिकल दिवार लैंप जलाकर वो भी सोफे की तरफ बढ़ गई..
तितली ने बिना कुछ कहे रमन के ऊपर आते हुए उसे अपनी बाहो मे भर लिए और आँख बंद करके रमन के ऊपर लेट गई.. रमन ने तितली को अपने ऊपर लेटने से रोकना चाहा मगर तितली जबरदस्ती उसके ऊपर आ गई थी और अब रमन के ऊपर लेटकर आँख बंद कर सोने को थी..
रमन के मन मे तितली के प्रति कामुक ख्याल थे रमन तितली से आकर्षित था और अगर उसे इस बात का पता ना चलता कि तितली उसकी बहन है तो शायद आज वो तितली के साथ सम्भोग करने से नहीं चुकता.. मगर जब से उसे पता चला था कि तितली और उसका बाप सेठ पूरन माली ही है तब से रमन तितली के प्रति कामुकता की भावना को दबा रहा था और उसके मन मे तितली के प्रति प्रेम के साथ जिम्मेदारी का भाव भी जाग रहा था.. उसे लग रहा था की उसके पिता के मरने के बाद अब तितली की जिम्मेदारी उसकी है और वो तितली की ख्याल रखेगा मगर बहन होने का पता चलने के बाद वो तितली को अपनी पत्नी के रूप मे अपनाने को त्यार नहीं था..
तितली मे जहा पहले उसे कामरस से भरी हुई खूबसूरत लड़की नज़र आती थी जिसके नाम पर उसने कई बार लंड को हाथ मे लेकर जयकारा लगाया था अब रमन को तितली मे बहन नज़र आने लगी थी जिसकी जिम्मेदारी उसे लगता था अब उसी की है..
तितली कुछ देर तक आँख बंद करके रमन के ऊपर लेटी रही और रमन ने भी उसका विरोध नहीं किया और तितली को अपने ऊपर लेटे रहने दिया.. कुछ देर बाद जब तितली को लगा की रमन उसे कुछ नहीं बोलने वाला तब तितली ने अपने चेहरे को रमन के चेहरे के करीब लाकर रमन के होंठो के करीब आ गई मगर रमन तितली की चाल अच्छे से समझ रहा था..
सिगरेट पी है ना तुमने? कितनी स्मेल आ रही है?
तुम भी तो स्मोक करते हो..
कभी कभी करता हूं तुम्हारी तरह रोज़ रोज़ नहीं.. तुम तो स्मोक के बाद माउथ फ्रेशनर भी नहीं लेती.. पता नहीं डॉक्टर कैसे बन गई?
तितली मुस्कुराते हुए - किताबें पढ़कर बनी और कैसे? तुमने पढ़ाई नहीं कि तो मेरी क्या गलती? हर बार बस पासिंग मार्क आते थे तुम्हारे.. वो भी तुम्हारे पापा के कहने पर प्रिंसिपल करवा था.. बड़े आये मुझे सिखाने वाले..
मुझे ना चैन कि नींद चाहिए.. तुम्हारे मुँह नहीं लगना चाहता.. हटो मेरे ऊपर से.. एक तो इतनी भारी हो कि दर्द होने लगा है मुझे..
तितली अपनी जुल्फों को संवारती हुई - हाँ तो सो जाओ.. मैंने रोका है तुम्हे सोने से? उस दिन इतनी ऊपर से मुझे गोद मे उठाकर निचे तक ले आये तब तुम्हे दर्द नहीं हुआ अभी सिर्फ मेरे लेटने से तुम्हे दर्द होने लगा.. मैं ना सब चालाकियाँ समझ रही हूं तुम्हारी.. मैं तो मेरे पति के ऊपर ही सोऊंगी.. तुम्हारी तकलीफ का मैं कुछ नहीं कर सकती..
तुम भूल रही हो तुम्हारा पति मैं ही हूं.. तुमने मुझिसे शादी की है..
मुझे सब पता.. मैं तो बस तुम्हे ये बात याद दिलाने के लिए कह रही हूं कि तुम मेरे पति हो.. और चलो काम से काम तुमसे एक्सेप्ट तो किया तुम मेरे पति हो.. इस तरह मुझसे दूर भागने से कुछ नहीं होगा.. कभी तो तुम्हे मुझे अपनी बीवी मानना पड़ेगा.. फिर देखना जितने दिन तुम मुझसे दूर रहोगे पूरा गिन गिन के हिसाब लुंगी..
रमन तितली का मासूम चेहरा और उम्मीद से भरी हुई आँखे देखकर उसे चूमने ही वाला था कि उसकी अंतरात्मा ने उसे तितली मे उसकी बहन दिखा दी और वो खुदको तितली को चूमने से रोककर तितली को अपने ऊपर से हटाता हुआ सोफे से खड़ा हो गया और बिस्तर पर आकर पेट के बल लेटते हुए तितली से बोला - सो जाओ और मुझे भी सोने दो.. नौटंकी कहीं की..
तितली मुस्कुराते हुए सोफे से तकिया लेकर बिस्तर पर आते हुए रमन की पीठ के ऊपर लेटती हुई पीछे से रमन के कान मे बोली - नौटंकीबाज़ तो तुम हो.. इतनी खूबसूरत बीवी को प्यार के लिए कोई ऐसे तरसता है? मैंने तो अब तुम्हारी हर बात मान ली.. अब तो मान जाओ ना..
रमन मुस्कुराता हुआ - खूबसूरत और तुम? आईने मे शकल देख लो..
मैं तो रोज़ देखती हूं.. हीरोइन लगती हूं बिलकुल..
बंदरिया लगती हो..
अच्छा? तो जब घूमने गए थे तब गाडी के मिरर से तुम क्यों बार बार इस बंदरिया की कमर और शकल देख रहे थे?
बंदरिया रोज़ रोज़ देखने को थोड़ी मिलती है..
मगर अब तो रोज़ ही देखना पड़ेगा.. तुम्हे अच्छा लगे या बुरा..
रमन को अपनी पीठ पर तितली के सुडोल उन्नत उरोजो का स्पर्श हो रहा था जो उसे कामुक कर रहा था तितली भी जानबूझ कर अपने अंग की मादकता रमन के ऊपर बिखेर रही थी मगर ये रात दोनों ने बस यूँही निकाल दी.. रमन को नींद आ गई और तितली भी रमन के गाल को नींद मे चूमकर उससे लिपटकर सो गई..
रमन की जब आँख खुली तो उसने देखा की उसके सामने तितली किसी कामकला की आकृतियों से अलंस्कृत विभुषित सुंदरी के रूप मे हाथों मे कॉफी लिए खड़ी थी.. तितली ने काफी रमन के जागने पर बेड के किनारे टेबल पर रख दी और रमन से बोली - आज तो जगाने से पहले ही उठ गए.. लो.. तुम्हारी कॉफी..
इतना कहकर तितली बेड के करीब आईने के सामने बैठ गई और अपने उलझें गीले बाल को कंघी से सुलझा कर बनाने लगी.. तितली हलके हरे रंग की साडी पहने थी और तितली की नज़र आईने से होती हुई रमन के ऊपर थी जो कॉफी पीते हुए बार बार तितली की चिकनी कमर को देखकर नज़र घुमा रहा था.. तितली रमन की हालत देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और उसे यक़ीन था की रमन आज नहीं कल उसे अपना लेगा और दोनों एक साथ हमेशा के लिए खुश रहेंगे..
तितली ने बाल संवारकर रमन की और देखा और मुस्कान के साथ अपनी कमर को साड़ी के पल्लू से ढकते हुई कहा - शर्म नहीं आती? कैसे घूर कर मेरी कमर देख रहे हो..
रमन उठकर बाथरूम जाते हुए - साड़ी की जगह सलवार पहन लो.. कमर दिखेगी ही नहीं..
तितली - मेरी मर्ज़ी कुछ भी पहनू.. तुम्हारी बीवी हूं नौकरानी नहीं, जो मुझ पर हुकुम चलाओगे..
रमन मुस्कुराते हुए बाथरूम से - बीवी भी नहीं हो..
तितली जोर से - तुम्हारे कहने से कुछ नहीं होगा..
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काकी.. काकी..
सुबह सुबह शहर की एक गली के नुक्कड़ पर हेमलता बस के इंतजार मे खड़ी थी की सूरज ने उसे देखा तो बाइक रोकते हुए पुकार लगा दी जिसपर हेमलता ने मुड़कर पीछे से आरहे सूरज को देखा और मुस्कुराते हुए उसके पास चली गई.. हेमलता ने ऑफिस के फॉर्मल कपड़ो मे सूरज को देखकर कहा..
क्या बात है? ऐसे कपड़ो मे तो किसी बैंक का मैनेजर लगता है..
काकी आपके आशीर्वाद से मैनेजर तो कुछ टाइम मे बन ही जाऊँगा.. पर बैंक का नहीं.. वैसे आज आप बड़ी सजीधजी है.. किसका इंतजार कर रही है यहाँ पर? कही किसी के साथ चक्कर वक्कर तो नहीं चल रहा ना आपका? बेचारे काका..
चुप बदमाश.. कुछ भी बोलता है.. चौखट वाले मंदिर जा रही हूं.. बस के लिए खड़ी थी..
चलो मैं छोड़ देता हूं..
नहीं खामखा तू लेट होगा.. मैं चली जाउंगी तू जा..
काकी.. आओ ना.. मेरे लेट होने से कंपनी बंद नहीं हो जायेगी.. चलो बैठो..
हेमलता सूरज के बोलने पर बाइक के पीछे बैठ जाती है और अपना हाथ सूरज के कंधे पर रखकर मुस्कुराते हुए सूरज को देखती हुई मन मे कुछ सोच विचार करने लगती है.. कुछ देर बाद हेमलता कंधे से हाथ हटाकर सूरज की बाहो से निचे आगे लेजाकर अपने एक हाथ से सूरज को सीने से पकड़ लेती है और मुस्कुराते हुए रास्ते को एन्जॉय करती है..
लो काकी.. आ गये आपके चौखट वाले मंदिर..
अरे किनारे लगा दे ना गाडी को.. चल अंदर.. भगवान के दर्शन कर ले..
नहीं काकी.. आप जल्दी से जाकर आओ मैं उबर बुक कर देता हूं.. बस से मत आया जाया करो..
हेमलता सूरज का हाथ पकड़ कर - चुपचाप चल.. सुबह सुबह भगवान के दर्शन करने से दिन अच्छा जाता है और भगवान खुश भी होते है.. जो मन्नत हो वो भी मांग लेनी चाहिए.. पूरी हो जाती है.. क्या पता भगवान एक सुन्दर और सुशील लड़की से तेरी शादी करवा दे..
सूरज बाइक लगा कर चलते हुए - काकी सालो से आप जो मन्नत मांग रही हो वो तो आज तक पूरी हुई नहीं.. अब तक भी अजय और विजय भैया वापस नहीं आये..
हेमलता प्रसाद लेते हुए - किसने कहा तुझसे मेरी मन्नत पूरी नहीं हुई? अजय विजय नहीं है तो क्या? मैंने तो भगवान् से बेटा माँगा था और देख तू है मेरे पास.. हेमलता ने ये कहते हुए प्यार से सूरज के गाल खींचे और उसे मंदिर के अंदर ले गई..
हेमलता ने प्रसाद चढ़ाकर सूरज के साथ हाथ जोड़कर दर्शन किया और आँख बंद कर ली.. दर्शन के बाद जब दोनों वापस बाहर आये तो सुरज का फ़ोन जमीन पर गिर गया और टूट गया..
सूरज फ़ोन उठाकर - ये तो बंद हो गया.. लगता है रास्ते मे नया लेना ही पड़ेगा.. हेमलता अपने हाथ से सूरज को प्रसाद खिलाया और सूरज प्रसाद का लड्डू खाते हुए बोला - काकी आप दो मिनट रुको मैं रिक्शा ले आता हूं.. सूरज चला गया और हेमलता सूरज को जाते हुए देखकर मुस्करा रही थी उसे ये तक अहसास नहीं रहा की वो सडक पर खड़ी है..
सूरज रिक्शा लेने निकला गया और एक कार तेज़ी से आकर बिलकुल हेमलता के सामने रुकी..
अंधी हो क्या? दिखाई नहीं देता? सडक पर खड़ी हो..
हेमलता अचानक से घबरा गई मगर अगले ही पल कार और कार मे बैठी लड़की (गुनगुन) को देखकर शेरनी के अंदाज़ मे घूर्राते हुए जवाब दिया - अरे मैं अंधी हूं तो तेरी आँखों पर कोनसा चश्मा चढ़ा है? दीख नहीं रहा भीड़ भाड़ वाली जगह है.. सामने मंदिर है उधर स्कूल.. सडक पर लोग है बच्चे है.. फिर भी हवाई जहाज की तरह गाडी चला रही है..
इस बार लड़की हेमलता की बात सुनकर कार से उतर गई और हेमलता को करारा जवाब देने की कोशिश मे बोली - बुढ़िया.. भगवान का शुक्र कर जो मैंने टाइम पर ब्रेक मार दिया वरना हॉस्पिटल भी पास मे ही है? चल अब रास्ते से हट वरना गाडी चढ़ा के निकल जाउंगी.. सरकारी गाडी है कोई क्लेम भी नहीं मिलेगा.. तू जानती नहीं मुझे मैं कौन हूं..
हेमलता सडक से किनारे आती हुई - बड़ी आई गाडी चढ़ाने वाली.. जरा सा छू भी जाती तो तेरी ये कैची जैसी जुबान खीच लेती मैं..
लड़की कार चलाकर जाते हुए - अगर जल्दी ना होती तो तुझे बताती बुढ़िया..
लड़की कार लेकर वहा से आगे बढ़ जाती है मगर सिग्नल पर उसे गाड़ी रोकनी पड़ जाती है..
सूरज रिक्शा लेकर आया तो हेमलता का चेहरा गुस्से से लाल था..
क्या हुआ काकी?
हेमलता - कुछ नहीं हनी.. आज कल की लड़कियों को बात करने की तमीज नहीं है.. खैर.. तू जा ऑफिस आज बहुत लेट हो गया होगा..
सिग्नल पर कार मैं बैठी लड़की (गुनगुन) ने जब साइड मिरर मे पीछे देखा तो सूरज को हेमलता से बात करते हुए पाया.. लड़की की सांस जैसे अटक गई थी.. हेमलता रिक्शा मे बैठ कर चली गई और सूरज भी बाइक स्टार्ट करके जाने लगा था की लड़की सिग्नल पर गाड़ी छोड़कर सूरज के पीछे भागने लगी मगर सूरज भी वहा से जा चूका था..
गुनगुन ने सालो बाद सूरज को देखा मगर सिर्फ एक झलक देख पाई.. उसकी हालत अजीब हो गई थी.. सिग्नल खुल चूका था मगर गुनगुन की कार सिग्नल पर खड़ी थी.. गुनगुन ने मंदिर के बाहर लोगो से उस बुढ़िया और सूरज के बारे मे पूछा मगर किसी से भी कोई संतोजनक उत्तर नहीं मिला और गुनगुन को उदास होकर आज ऑफिस आना पड़ा..
गुनगुन उदास और अपने आप पर गुस्सा थी.. उसे लग रहा था की उसने सूरज की माँ के साथ बदतमीजी कर दी है और सूरज को अपने करीब पा कर वापस खो दिया है और अब ना जाने कब वो सूरज को देख पाएगी.. सुबह की मीटिंग जिसके लिए गुनगुन लेट हो गई थी उसने उस मीटिंग को अटेंड नहीं किया और आज ऑफिस मे सभीको गुनगुन के गुस्सै का शिकार बनना पड़ा था.. जयप्रकाश भी इससे अछूते नहीं रहे थे.. सुबह सुबह गुनगुन ने जयप्रकाश की भी लताड़ सिर्फ इतनी सी बात पर लगा दी कि जयप्रकाश ने बिना इज़ाज़त चपरासी को छुटी दे दी और आज गुनगुन को कॉफी नहीं मिली..
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शादी मे बस एक महीने का ही समय बचा है और इतने सारे काम बाकी है.. कोई हाथ बटाने वाला होता तो थोड़ा आराम मिलता.. अकेला मैं क्या क्या सँभालु?
लख्मीचंद ने अपनी पत्नी उर्मिला से कहा तो उर्मिला काम से ज्यादा काम का शोर करती हुई बोली - अब मैं क्या कहु? गरिमा ने अब तक अपना शादी का जोड़ा तक पसंद नहीं किया.. बोलती है आपको जो पसंद है ले लो.. अब भला मेरी शादी थोड़ी है जो मैं अपनी पसंद से खरीदू? लड़कियों को अपनी शादी का उत्साह होता है उनके पेट मे तितलियाँ नाचती है और एक ये है ना कोई उत्साह ना कोई भाव.. जैसे हम जबरदस्ती उसे किसी निकम्मे नाकारा के साथ ब्याह रहे है..
गरिमा अपने कमरे मे किसी ख्याल मे खोई हुई थी.. उसके हाथ मे कलम थी और कलम से सफ़ेद कागज़ के टुकड़े पर कुछ लिखने का जतन कर रही थी मगर उसके जज्बात को शब्दों की कमी पड़ रही थी..
आज उसका दिल अजीब कश्मकश से भरा हुआ था जैसे वो किसी तड़प से गुजर रही हो उलझन से घिर चुकी हो.. उसका मन पहले भी सूरज की याद से भरा हुआ था मगर आज तो उसके सब्र की इंतिहा थी.. पिछले 4-5 महीने से दोनों मे कोई बात ना हुई थी.. गरिमा सूरज से नाराज थी और सूरज गरिमा के प्यार और नाराज़गी से बेखबर.. अब शादी मे भी 1 महीने की ही देरी थी.. जो गुजरते वक़्त के साथ ख़त्म होती जा रही थी.. गरिमा का मन सबको अपने दिल का हाल कह सुनाने का था.. वो विनोद नहीं बल्कि सूरज को अपना पति मान चुकी थी अपने परिवार और पिता के मान सम्मान ने उसे अब तक काबू मे रखा था.. गरिमा सबको अपने दिल का हाल बताने मे नाकाम थी मगर उसने सूरज से इस बात का जिक्र करने का मन बना लिया था.. भले वो सूरज से नाराज़ थी मगर प्यार के हाथों मजबूर होकर उसने अपनी नाराज़गी छोड़ देने का और सूरज से अपने मन की बात कहने का निश्चय कर लिया था..
गरिमा ने काँपती हुई उंगलियों से अपनी सारी नाराजगी और अना को दरकिनार कर सूरज को आज 4-5 महीने बाद फ़ोन करने का फैसला किया था उसके मन की हालत वही जानती थी..
कोरपोरेट की कंपनी मे बने क्यूबकल्स के अंदर एक डेस्क के सामने अपनी चेयर पर बैठे हुए चेयर को दाए से बाय फिर बाए से दाए घुमाते हुए सूरज अपने सामने लेपटॉप की स्क्रीन देखकर कुछ सोच रहा था कि उसका फ़ोन बजने लगा जिसपर गरिमा का नंबर देखकर सूरज अचानक हैरान हो गया और सोचने लगा कि अचानक गरिमा उसे क्यों फोन कर रही है..
हेलो..
सूरज ने हेलो बोला मगर गरिमा शर्मिंदगी और प्यार कि उलझन से भरी कुछ ना बोल पाई.. उसका दिल सूरज की आवाज सुनकर जोर से धड़कने लगा..
हेलो.. भाभी.. सूरज ने फिर कहा..
गरिमा ने इस बार लरजतेहुए कहा..
हेलो..
हाँ.. भाभी बोलो.. आप ठीक हो ना?
हम्म..
क्या हुआ? आप इतनी चुप क्यों है? अभी तक माफ़ नहीं किया? नाराज़ है मुझसे?
गरिमा के होंठो पर मुस्कान और दिल को सुकून इस एक लाइन से आ गया और वो बोली - क्यूँ.. नहीं होना चाहिए नाराज़?
नहीं.. मतलब.. आपका हक़ बनता है भाभी नाराज़ होने का.. उस दिन मुझे लगा अगर मे आपसे मिला तो आप स्टेज पर ही मुझे ताने ना मारने लग जाओ इसीलिए मैं आपसे दूर था.. मगर मुझे कहा पता था आप इतना बुरा मान जाओगी कि बात करना भी बंद कर दोगी..
स्टेज के बाद भी तो मिलने आ सकते थे ना तुम? कितना इंतजार किया था मैंने तुम्हारा.. मगर तुम तो ना जाने कहा गुम थे.. पल भरके लिए नज़र आते फिर गायब हो जाते.. कोई अपना जब ऐसे करेगा तो गुस्सा तो आएगा ही..
माफ़ कर दो भाभी.. प्लीज..
ऐसे माफ़ी नहीं मिलेगी..
तो क्या करना पड़ेगा माफ़ी के लिए?
मिलना पड़ेगा.. और अपने घुटनो पर बैठके माफ़ी मांगनी पड़ेगी.. बोलो मंज़ूर है?
बस? भाभी बैठके क्या लेटके माफ़ी माँग लूंगा..
तो आ जाओ मिलने..
भाभी अभी नहीं आ सकता.. काम है और छुटी नहीं मिलेगी.. 8-10 दीन बाद रिस्तेदारो को शादी का कार्ड देने आऊंगा पापा के साथ आपके शहर मे.. तब आप जो बोलोगी वही होगा..
पक्का? वादा करते हो ना सूरज? मुकर तो नहीं जाओगे?
हां भाभी.. वादा.. अभी बहुत काम है.. नहीं किया तो आफत आ जायेगी.. शाम को बात करता हूं भाभी.. बाय..
अपना ख्याल रखना सूरज..
आप भी भाभी..
फ़ोन कट चूका था बात ख़त्म हो चुकी थी मगर गरिमा अब फोन कान से लगाए कमरे की दिवार पर लगी एक तस्वीर जिसमे एक कलाकार ने प्रेम की रचना को सर्जित किया था देख रही थी..
गरिमा अपने मन मे मचे तूफ़ान को सूरज के गले से लग कर सूरज को भी उसकी आंधी मे उड़ा कर ले जाना चाहती थी उसे महसूस नहीं हो पा रह था जो वो सोच रही है वो कितना गलत है.. मगर प्रेम गलत सही कहा जान पाता है उसे बस अपने प्रियतम से मिलने की तलब होती है..
गरिमा ने फोन बेड पर रख दिया और महीनों से उदासी भरी आँखों मे आज अचानक एक अनोखी चमक लेकर कमरे से बाहर आ गई..
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चलो अब हटो मेरे ऊपर से.. बेशर्म.. दिन ब दिन बहुत बिगड़ते जा रहे हो तुम.. आने दो बरखा को.. उसे कहूँगी वो अच्छे से खबर लेगी तुम्हारी.. तुम ऐसे नहीं मानोगे..
मैंने क्या किया आंटी? बस थोड़ा प्यार ही तो किया है आपसे अभी..
रोज़ रोज़ जो तुम ऑफिस के बाद सीधा मेरे पास प्यार करने आते हो ना.. सब उसकी बात बनाने लगे है.. घर से बाहर निकलती हूं तो सब ऐसे देखते है जैसे मैं कोई धंधे वाली हूं..
आंटी आप भी लोगो की सुनने लगी? आपने ही तो कहा था जब प्यार करने का मन हो आ जाना..
पर मुझे क्या पता था तुम रोज़ ही आने लगोगे.. तुम्हे क्या लगता है? कॉलोनी मे सब बेवकूफ है जो नहीं समझते की तुम 7बजे जब यहाँ आते हो और 8 साढ़े 8 यहाँ से जाते हो तो उस बीच क्या होता है? मेरे हस्बैंड ने भी कई बार मुझसे पूछा है तुम्हारे बारे मे..
तो आपने क्या जवाब दिया?
क्या जवाब देती? मैंने कहा भाई जैसा है डांस सिखने आता है और क्या? अब उठो ना बेबी.. मेरे हस्बैंड के आने का टाइम भी होने वाला है..
सूरज जैसे ही सपना के ऊपर से उठा उसका वीर्य से सना लंड सपना की चुत से निकल कर ढीला पड़ गया और सूरज लंड पर से कंडोम निकाल कर गाँठ लगा दी और कपडे पहनने लगा.. सपना भी ब्लाउज और घाघरा पहनकर इस्तेमाल किये कंडोम को डस्टबिन मे डालकर सूरज को मुस्कुराते हुए देखने लगी..
ऐसे क्या देख रही हो आप?
तुम्हे देख रही हूं.. काश 20 साल पहले तुम मिले होते..
क्या करती आप अगर मिला होता तो?
सपना सूरज के करीब आकर उसे अपनी बाहो मे भर लेती है..
शादी कर लेती मैं तुमसे.. और हमेशा अपने ब्लाउज मे बंद करके रखती..
सूरज सपना के एक बूब को ब्लाउज के ऊपर से ही पकड़कर मसल देता है..
अब भी कहा देर हुई है आंटी? मैंने तो रेडी हूं आपसे शादी के लिए..
सपना हस्ते हुए - धत.. पागल.. अपनी माँ की उम्र की औरत से शादी करेगा.. कोई लड़की ढूंढ़ शादी के लिए.. तुझे रोज़ प्यार करने वाली चाहिए तेरी भूख बढ़ रही है.. अब चलो.. जाओ..
ठीक है.. जाता हूं.. आखिरी किस्सी दे दो..
सूरज सपना को बाहो मे लेकर डीप किस करता है और कुछ देर बाद सपना के घर से निकल जाता है..
सपना सूरज के जाने के बाद एक सिगरेट जलाकर काश लेती है कि उसका फ़ोन बजने लगता है जिसे वो उठाकर बात करने लगती है..
हेलो..
भाभी क्या कर रही हो?
कुछ नहीं बरखा.. तेरे मुँह बोले भाई और मेरे जवान आशिक की इच्छा पूरी कर रही थी..
बरखा हंसकर - हनी आज भी आया था?
सपना सिगरेट का काश लेकर - हाँ.. बस अभी अभी निकला है.. मुझे तो लगता है उसे आदत हो गई है सेक्स की.. मैंने कहा लड़की ढूंढ़ के शादी कर ले तो बोला आपसे कर लेता हूं..
बरखा हँसते हुए - कमीना कहीं का..
अच्छा तुम कब आ रही हो?
इस शनिवार आ जाउंगी भाभी..
सब ठीक हुआ या अब भी सब वैसा का वैसा ही है?
सब वैसा ही है भाभी.. पता नहीं किस रंडी के चक्कर मे पड़ गया.. अगर बच्चा नहीं होता तो मैं ऐसे आदमी को लात मारके छोड़ देती..
समझ सकती हूं बरखा..
अच्छा भाभी सूरज ज्यादा परेशान तो नहीं करता? कहो तो फ़ोन करके अच्छे से खबर लेती हूं उसकी..
अरे नहीं बरखा.. उसके आने से तो मुझे अच्छा लगता है.. पर मैं तो उसीके लिए परवाह करती हूं.. लोगो का तुम जानती हो बात बनाते बनाते कितनी बदनामी कर देते है..
समझती हूं भाभी.. पर जवानी मे कौन इन बातो का ख्याल रखता है..
सपना सिगरेट आखिरी कश लेकर बुझाते हुए - अच्छा.. बरखा अभी कमरे की हालत सुधार लेती हूं वरना अगर उन्होंने यहाँ का हाल देख लिया तो फ़ौरन समझ जाएंगे यहाँ उनके पीछे से क्या होता है..
बरखा जोर का थहाका लगाते हुए - ठीक है भाभी.. बाद मे फुर्सत से बात करती हूं..
ठीक है बरखा..
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