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Incest घर की मोहब्बत

ayush01111

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Update 15

अंकुश अपने कमरे की टेबल के आगे कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके सामने उसका लैपटॉप खुला हुआ था जिसमें उसकी मीटिंग अपने ऑफिस के किसी सीनियर से हो रही थी अंकुश बार-बार सीनियर को जी हूं जी सर हो जाएगा सर मैं करता हूं सर जैसे शब्दों से बोलकर समझ रहा था और यह जाता रहा था कि वह आज छुट्टी के दिन भी ऑफिस का सारा काम करने को तत्पर है.. अंकुश बार-बार लैपटॉप की स्क्रीन पर गूगल मीट के जरिए हो रही मीटिंग को अटेंड करता हुआ रेस्पॉन्ड कर रहा था और बार-बार अपने सीधे हाथ को नीचे ले जाकर किसी ऐसी चीज को पीछे की तरफ धकेल रहा था जो उसे मीटिंग अटेंड करने से परेशान कर रही थी.. कुछ देर बाद जब अंकुश मीटिंग से फ्री हुआ तो उसने लैपटॉप की स्क्रीन को बंद करके लैपटॉप को टेबल पर रख दिया और अपने नीचे देखा जहाँ उसकी बहन नीतू उसके लंड को मुँह मे लिए चूस रही थी..

अंकुश प्यार से अपनी बहन नीतू के सर पर हाथ रखते हुए कहा - चल बिस्तर पर चलते है..

मुझे नहीं जाना बिस्तर पर.. निचे जा रही हूं.. खाना बनाना है.. सिर्फ ब्लोजॉब के लिए बोला था.. और कुछ नहीं करने वाली..

अंकुश ने नीतू की कमर मे हाथ डाल कर उसे उठा लिया और लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया..

अक्कू मेरे साथ जोर जबरदस्ती की ना तो देख लेना.. बहुत मार खायेगा..

अंकुश अपनी टीशर्ट उतारकार नीतू के ऊपर आता हुआ - मैंने कभी जबरदस्ती की है जो आज करूंगा? मैंने तो बस अपनी बड़ी बहन से थोड़ा सा प्यार करूंगा..

बड़ा आया प्यार करने वाला.. 2 महीने हो गए मेरे तलाक़ को.. मगर अब भी यही इसी घर मे पहले की तरह रह रही हूं तेरे साथ.. एक घर नहीं ढूंढा जा रहा तुझसे.. ताकि घर बदल कर मुझसे शादी कर सके..

कोशिश कर रहा हूं ना नीतू.. सब कुछ इतना आसान थोड़ी है.. जॉब छोड़ दूंगा तो क्या करूंगा? अपना काम शुरू करने के लिए अभी और पैसा चाहिए.. कोई घर पसंद आये तब इस मकान को भी बेचना पड़ेगा.. उसमे भी समय जाएगा ना..

नीतू तकिये मे से एक कंडोम निकालकर फाड़ते हुए अंकुश के लंड पर चढ़ाते हुए कहती है - बड़ा काम शुरू करना जरुरी है? छोटा काम भी शुरू कर सकते है ना.. पापा की गिफ्ट शॉप थी वो सारा काम हमें भी तो आता है.. हम मिलकर फिर से गिफ्ट शॉप शुरू कर सकते है.. छोटा काम हुआ तो क्या हुआ हम एक साथ रहेंगे.. खुश रहेंगे..

नीतू उसके लिए तो घर के साथ दूकान भी देखनी पड़ेगी..

नीतू अंकुश के लंड को चुत मे डालती हुई - अलग अलग क्यूँ लेना है दोनों.. कहीं ऐसी जगह घर देखो जहा निचे दूकान हो और ऊपर मकान.. हमारा काम हो जाएगा.. और मैं साफ साफ कह देती हूं घर लेते ही शादी करनी पड़ेगी तुम्हे..

अंकुश नीतू को चोदना शुरू करते हुए - जैसा तु बोले मेरी मिया खलीफा..

अह्ह्ह.. अक्कू.. आराम से कर ना.. दर्द होता है..

गोमती अपनी आदत से मजबूर होकर अब रोज ही अपने बेटे और बेटी की इन हरकत को दरवाजे के बाहर खड़ी होकर दरवाजे में बने हॉल से देखा करती और कान से सुना करती ऐसा करते हुए उसके तन बदन में आग लग जाती है और वह भी अपने हाथ से अपनी गर्मी को शांत कर कर वापस अपने कमरे में चली जाती है और सोचती कि काश कोई उसके साथ भी होता जिसे वह प्यार करती और अपने जिस्मानी भूख को मिटाकर अपने जोबन का आनंद लेती..

गोमती का कमर दर्द ठीक हो चुका था मगर वह फिर भी डॉक्टर को दिखाने जाती रहती थी इसी बहाने वह डॉक्टर के साथ कुछ छेड़खानी और मस्करी कर लिया करती थी डॉक्टर भी इस काम को बड़ी रसिकता से करता था.. आज भी गोमती डॉक्टर के जाने वाली थी और आज उसके अरमान और भी उफान पर थे..

दिवार की घड़ी सुबह के 9 बजा रही थी और अंकुश बिस्तर पर अपनी बहन नीतू की एक चूची को चूस रहा था..

अक्कू बस ना.. पेट भरके खुश कर दिया मगर अब भी बच्चों की तरह मेरे बोबे चूसने मे लगे हो.. तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद मम्मी मुझे क्या क्या कहती है पता भी है? चलो हटो अब.. मुझे नहाने जाना है.. तुम भी ऑफिस जाओ..



*************


राहुल ने अपनी माँ सुधा की योनि मे अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया और बाहर होती बारिश की छप छप के साथ अपनी माँ की योनि और अपने लिंग के मिलन की थप थप की लयबद्ध सुरताल से सावन के इस मौसम को मधुर और कामुक बना दिया.. भयकर बारिश कुछ देर बाद जैसे ही रुकी राहुल भी अपनी माँ सुधा की योनि मे वीर्य बरसात कर सुकून से सो गया..

सुमित्रा अपने फ़ोन पर पारिवारिक चुदाई और सम्भोग से भरी कहानी पढ़ रही थी जो अब ख़त्म हो गई थी और सुमित्रा काम उतेजना से भरी हुई अपने फ़ोन को बेड पर पटक कर बाथरूम मे चली गई और अंदर से बाथरूम की कुण्डी लगा कर अपनी चुत मे उंगलियां करने लगी..

दोपहर के 2 बजे का समय था विनोद और जयप्रकाश अपने ऑफिस मे बैठे फाइल्स मे खोये थे और सूरज अभी अभी ऑफिस से हाफ डे लेकर घर आया था.. बाहर का दरवाजा खुला था जिसे सुमित्रा लगाना भूल गयी थी जिससे सूरज बिना आवाज के अंदर आ गया और अपना बेग सोफे पर रखकर पहले रसोई मे चला गया और पानी पीकर सीधा सुमित्रा के कमरे मे पहुंच गया जहा उसने देखा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सुमित्रा का फ़ोन ऑन स्क्रीन के साथ बेड पर रखा हुआ है सूरज ने फ़ोन उठा कर स्क्रीन बंद करने वाला था की उसकी नज़र कहानी के शीर्षक "बेटे की रखैल" पड़ गई.. सूरज ने कहानी को देखा और फिर उस कहानी के कुछ अंश जो माँ बेटे के मिलन से परिपूर्ण थे पढ़ने लगा.. सूरज अपनी माँ के फ़ोन मे ये सब पढ़कर हैरान था और सोच रहा था कीउसकी माँ सुमित्रा क्या वाकई मे ऐसी कहानी पढ़ती है? सूरज ने ब्रवोसिंग हिस्ट्री मे जाकर सुमित्रा के द्वारा सर्च की गई कहानी देखि जो सभी माँ बेटे के कामुक व्यभिचार से भरी थी उसके अलावा माँ बेटे के योन सम्बन्धो और काम कला पे आधारित मिम्स भी सूरज ने देखे जो तस्वीर मे अभद्र और असभ्य थे..

सूरज से रहा ना गया और उसने अपनी माँ के फ़ोन की गैलरी चेक करने का सोचा और जैसे ही गैलेरी खोली सूरज के सामने माँ बेटे के सेक्स रिलेशन से भरे वीडियो और मिम्स की बाढ़ आ गई.. सूरज ने एक मोटी नज़र उन पर डाली.. सूरज ने गैलरी मे अपनी भी बहुत सी तस्वीर देखि जो सुमित्रा ने उसके नींद मे होने और खींची थी जिसमे सूरज बिना शर्ट के था.. सूरज बाथरूम से आती आवाज को सुनकर सन्न रह गया जिसमे सुमित्रा सूरज का नाम लेकर अपनी चुत मे उंगलियां किये जा रही थी..

सूरज के मन की हालत वो खुद भी ब्यान नहीं कर सकता था.. सूरज ने कांपती उंगलियों के साथ वापस उसी तरह फ़ोन रखकर कमरे से बाहर का रास्ता ले लिया और अपना बेग उठाकर बिना आवाज के बाहर आ गया..

सूरज ने आज हाफ डे लेकर बदन मे उठते हलके से दर्द से निज़ात पाने के लिए घर आराम करने का फैसला किया था मगर अब वो घर के बाहर आ गया था और बाइक उठाकर कहीं जाने को निकल पड़ा था.. उसके बदन का दर्द अब उसके सर मे चढ़ गया था उसने जो देखा जो सुना सब कुछ सूरज की आँखों के सामने घूम रहा था..

सुमित्रा सूरज के नाम और अपने चुत से झरना बहा कर वापस आ गई थी और बेड पर लेट कर सिगरेट जलाकर और कश लेती हुई अपनी बहन सुशीला को फोन कर इधर उधर की बात करने लगी..

सूरज जाते हुए लक्मी पपैराडाइस गार्डन के पास से गुजरा ही था कि वही बाहर खड़ी फुलवा ने सूरज को देख कर आवाज लगाते हुए रोक लिया.. सूरज ख्यालो मे खोया हुआ फुलवा कि आवाज पर आवाक होकर रुका और बाइक अचानक रुकने से गिरती गिरती बच गई..

भैया जी.. भैया जी.. आराम से.. अभी गिर गए होते..

क्या हुआ फुलवा? सूरज ने खुदको सँभालते हुए कहा तो फुलवा ने मुस्कान के साथ सूरज के करीब आते हुए जवाब मे बोली..

अरे भैया जी.. आप तो हमें भूल ही गए.. पिछली बार उस रात मिले थे फिर तो हमारी याद ही नहीं आई आपको..

अभी कहीं जा रहा हूं फुलवा बाढ़ मे मिलता हूं..

ठीक है भैया जी.. जाइये.. हम छोटो लोगो के साथ वैसे भी आप क्यूँ बात करने लगे?

वो बात नहीं है फुलवा.. अभी सर दर्द हो रहा है.. धूप भी तेज़ है..

भैया जी.. आप हमारे साथ आइये ना.. हम अच्छे से मालिश किये देंगे.. आपका सारा दर्द छू मंतर हो जाएगा.. चलिए..

पर फुलवा..

फुलवा सूरज का हाथ पकड़ कर - पर वर कुछ नहीं भैया जी.. आज तो आपको अपने हाथ नीबू पानी पीला कर अच्छे से सर कि मालिश करके ही जाने देंगे..

सूरज फुलवा कि मनुहार को मना ना कर सका और बाइक खड़ी कर गार्डन के अंदर एक कोने मे हलवाई खाने के बाई तरफ दो खाली कमरों मे से एक मे ले आई जहा आस पास कोई ना था.. एक कुलर खिड़की पर लगा हुआ था जो फुलवा ने चलाया तो अंदर ठंडी हवा आने लगी.. सूरज कमरे मे चारपाई पर बैठ गया और बेग एक तरफ रख दिया..

फुलवा ने मटकी मे से पानी निकाल कर नीबूपानी बनाया और सूरज को देती हुई बोली - भैया जी.. लीजिये पिजिये..

सुक्रिया फुलवा..

फुलवा निचे जमीन पर सूरज के कदमो के पास बैठते हुए बोली - इसमें शुक्रिया केसा भैया जी? शुक्रिया सब आपका है.. ये कहते फुलवा चायपाई के सिरने से तेल कि शीशी निकली और सूरज को देखकर वापस बोली - भैया जी.. आइये मैंने आपके सर कि अच्छे से मालिश कर देती हूं.. ये कहकर फुलवा खड़ी होकर चारपाई के किनारे पर बैठी हुई सूरज के सर को अपनी तरफ झुकाने लगी..

फुलवा... तेरा पति?

होगा कहीं भैया जी.. शराबी का क्या ऐतबार? पड़ा होगा किसी नदी नाले मे..

सूरज अपना सर फुलवा कि गोद मे रखकर सुमित्रा के बारे मे सोचने लगा और अपने ख्यालों से बार बार निजात पाने कि असफल कोशिश करने लगा.. फुलवा किसीको प्रेमदिवानी की भाति सूरज के सर को पुरे प्रेम और आत्मीयता से सहलाकार सूरज के सर दर्द को काफूर करने मे लग गई.. सूरज का मन अशांत था उसकी दशा कह पाना मुश्किल होगा..

फुलवा ने अपनी चोली से आँचल हटा दिया और सूरज को रुझाने की कोशिश के साथ साथ उसके सर को सहलाते हुए अब उसने मीठी बातो का सहारा लेना शुरू कर दिया था..

कहा खोये हो भैया जी?

सूरज को फुलवा के सवाल ने ख्यालों के समंदर से निकाल की यथार्थ के धरातल पर लेकर खड़ा कर दिया और वो पहले फुलवा के चेहरे फिर उसके चोली से बाहर झांकते उरोजो को फिर वापस फुलवा के मुस्कान से भरे चेहरे को देखकर बोला..

कहीं नहीं फुलवा.. बस ऐसे ही.. थोड़ा मूंड खराब है..

आप कहो तो हम मूंड अच्छा करने मे मदद करे आपकी? कहते हुए फुलवा ने अपना एक हाथ सूरज के बालो से निकालकर चेहरे पर ले गई और गाल सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चोली के हुक खोलने लगी..

सूरज जिसतरह फुलवा की गोद मे था और फुलवा अपने एक हाथ से सूरज के चेहरे को सहला रही थी और दूसरे से अपनी चोली खोली रही थी.. उसे देखकई सूरज को फुलवा के चेहरे मे सुमित्रा नज़र आने लगी.. उसी तरह वातसल्य से सुमित्रा बचपन मे सूरज को दूध पिलाने के लिए ब्लाउज खोलती थी जो याद सूरज के मन मे ताज़ा हो गई थी..

फुलवा ने जैसे ही चोली के सारे बटन खोले उसके चुचे तने हुए चुचकों के साथ गेंद की तरफ ऊपर निचे हिलाते हुए सूरज के सामने आ गए और सूरज बिना किसी आमंत्रण के ही उन्हें अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा.. उसे लग रहा था जैसे वो फुलवा के नहीं सुमित्रा के बोबे चूस रहा हो..

फुलवा सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने मे लगी हुई थी और सूरज के मुँह मे अपने चुचे देने का काम अच्छे से कर रही थी.. सूरज भी फुलवा के चुचे चूसते हुए बार बार चुचक को डांत से पकड़ के खींच रहा था.. मगर फुलवा उस मीठे दर्द का आंनद लेते हुए सूरज को प्यार से अपना जोबन पिने दे रही थी..

सूरज के पेंट मे अकड़ते हुए लंड को देखकर फुलवा खिलखिलाकर हँसते हुए बोली..

भैया जी लगता है नाग को बिल से बाहर निकलना पड़ेगा.. अंदर घुटन हो रही है बेचारे को..

सूरज ने बोबे चूसते हुए एक हाथ से अपनी पेंट से बेल्ट और हुक खोलकर लंड हवा मे लहरा दिया..

सूरज का लंड देखकर फुलवा की आँख मे चमक आ गई और वो सूरज से बोली - भैया जी आपका हो गया हो तो अब हमें भी आपका रस पिने दो..

सूरज ने जैसे ही फुलवा के चुचे चूसना बंद किया फुलवा सूरज के सामने निचे बैठकर उसके लंड को एक दम से मुँह मे गले तक ले गई और ऐसे चूसने लगी जैसे वो सदियों से इसी इंतजार मे हो..

अह्ह्ह.. फुलवा आराम से..

फुलवा किसीको लॉलीपॉप हेसे लंड चूस रही थी और सूरज फुलवा को लंड चूसता देखकर कामसुःख मे मस्त था मगर उसके दिमाग मे अभी अभी उसके घर और घटी घटना भी घूम रही थी.. सुमित्रा के मुँह से सूरज ने अपना नाम सुना था और उसके फ़ोन मे माँ बेटे के बारे जो सब था उससे सूरज को समझ आ रहा था की उसकी माँ सुमित्रा उसके प्रति आकर्षित है..

सूरज का लंड फुलवा के मुँह मे था और दिमाग मे सुमित्रा के ख्याल घूम रहे थे दो पल के लिए जैसे ही सूरज की आँख बंद हुई उसे लगा जैसे उसके लंड को फुलवा नहीं सुमित्रा चूस रही हो.. सूरज का वीर्य इस ख्याल से अपने आप ही फुलवा के मुँह मे छुट गया और वो वीर्य की तेज़ धार मारता हुआ फुलवा के मुँह और चेहरे को भीगता हुआ चारपाई पर बैठ गया..

भैया जी हम अभी आते है...
कहते हुए फुलवा अपना चेहरा आँचल से साफ करती हुई कमरे से बाहर चली..


***************


Busy hu likhne ka time nhi mil paa rha. Koshish kr rha hu jaldi update dene ki.
Its ok take your time and this is not your way to write i think you are in stress pahle kaam nibta lo apna
 
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krish1152

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nice update
 
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AGRIM9INCH

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Bhai
Update 15

अंकुश अपने कमरे की टेबल के आगे कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके सामने उसका लैपटॉप खुला हुआ था जिसमें उसकी मीटिंग अपने ऑफिस के किसी सीनियर से हो रही थी अंकुश बार-बार सीनियर को जी हूं जी सर हो जाएगा सर मैं करता हूं सर जैसे शब्दों से बोलकर समझ रहा था और यह जाता रहा था कि वह आज छुट्टी के दिन भी ऑफिस का सारा काम करने को तत्पर है.. अंकुश बार-बार लैपटॉप की स्क्रीन पर गूगल मीट के जरिए हो रही मीटिंग को अटेंड करता हुआ रेस्पॉन्ड कर रहा था और बार-बार अपने सीधे हाथ को नीचे ले जाकर किसी ऐसी चीज को पीछे की तरफ धकेल रहा था जो उसे मीटिंग अटेंड करने से परेशान कर रही थी.. कुछ देर बाद जब अंकुश मीटिंग से फ्री हुआ तो उसने लैपटॉप की स्क्रीन को बंद करके लैपटॉप को टेबल पर रख दिया और अपने नीचे देखा जहाँ उसकी बहन नीतू उसके लंड को मुँह मे लिए चूस रही थी..

अंकुश प्यार से अपनी बहन नीतू के सर पर हाथ रखते हुए कहा - चल बिस्तर पर चलते है..

मुझे नहीं जाना बिस्तर पर.. निचे जा रही हूं.. खाना बनाना है.. सिर्फ ब्लोजॉब के लिए बोला था.. और कुछ नहीं करने वाली..

अंकुश ने नीतू की कमर मे हाथ डाल कर उसे उठा लिया और लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया..

अक्कू मेरे साथ जोर जबरदस्ती की ना तो देख लेना.. बहुत मार खायेगा..

अंकुश अपनी टीशर्ट उतारकार नीतू के ऊपर आता हुआ - मैंने कभी जबरदस्ती की है जो आज करूंगा? मैंने तो बस अपनी बड़ी बहन से थोड़ा सा प्यार करूंगा..

बड़ा आया प्यार करने वाला.. 2 महीने हो गए मेरे तलाक़ को.. मगर अब भी यही इसी घर मे पहले की तरह रह रही हूं तेरे साथ.. एक घर नहीं ढूंढा जा रहा तुझसे.. ताकि घर बदल कर मुझसे शादी कर सके..

कोशिश कर रहा हूं ना नीतू.. सब कुछ इतना आसान थोड़ी है.. जॉब छोड़ दूंगा तो क्या करूंगा? अपना काम शुरू करने के लिए अभी और पैसा चाहिए.. कोई घर पसंद आये तब इस मकान को भी बेचना पड़ेगा.. उसमे भी समय जाएगा ना..

नीतू तकिये मे से एक कंडोम निकालकर फाड़ते हुए अंकुश के लंड पर चढ़ाते हुए कहती है - बड़ा काम शुरू करना जरुरी है? छोटा काम भी शुरू कर सकते है ना.. पापा की गिफ्ट शॉप थी वो सारा काम हमें भी तो आता है.. हम मिलकर फिर से गिफ्ट शॉप शुरू कर सकते है.. छोटा काम हुआ तो क्या हुआ हम एक साथ रहेंगे.. खुश रहेंगे..

नीतू उसके लिए तो घर के साथ दूकान भी देखनी पड़ेगी..

नीतू अंकुश के लंड को चुत मे डालती हुई - अलग अलग क्यूँ लेना है दोनों.. कहीं ऐसी जगह घर देखो जहा निचे दूकान हो और ऊपर मकान.. हमारा काम हो जाएगा.. और मैं साफ साफ कह देती हूं घर लेते ही शादी करनी पड़ेगी तुम्हे..

अंकुश नीतू को चोदना शुरू करते हुए - जैसा तु बोले मेरी मिया खलीफा..

अह्ह्ह.. अक्कू.. आराम से कर ना.. दर्द होता है..

गोमती अपनी आदत से मजबूर होकर अब रोज ही अपने बेटे और बेटी की इन हरकत को दरवाजे के बाहर खड़ी होकर दरवाजे में बने हॉल से देखा करती और कान से सुना करती ऐसा करते हुए उसके तन बदन में आग लग जाती है और वह भी अपने हाथ से अपनी गर्मी को शांत कर कर वापस अपने कमरे में चली जाती है और सोचती कि काश कोई उसके साथ भी होता जिसे वह प्यार करती और अपने जिस्मानी भूख को मिटाकर अपने जोबन का आनंद लेती..

गोमती का कमर दर्द ठीक हो चुका था मगर वह फिर भी डॉक्टर को दिखाने जाती रहती थी इसी बहाने वह डॉक्टर के साथ कुछ छेड़खानी और मस्करी कर लिया करती थी डॉक्टर भी इस काम को बड़ी रसिकता से करता था.. आज भी गोमती डॉक्टर के जाने वाली थी और आज उसके अरमान और भी उफान पर थे..

दिवार की घड़ी सुबह के 9 बजा रही थी और अंकुश बिस्तर पर अपनी बहन नीतू की एक चूची को चूस रहा था..

अक्कू बस ना.. पेट भरके खुश कर दिया मगर अब भी बच्चों की तरह मेरे बोबे चूसने मे लगे हो.. तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद मम्मी मुझे क्या क्या कहती है पता भी है? चलो हटो अब.. मुझे नहाने जाना है.. तुम भी ऑफिस जाओ..



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राहुल ने अपनी माँ सुधा की योनि मे अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया और बाहर होती बारिश की छप छप के साथ अपनी माँ की योनि और अपने लिंग के मिलन की थप थप की लयबद्ध सुरताल से सावन के इस मौसम को मधुर और कामुक बना दिया.. भयकर बारिश कुछ देर बाद जैसे ही रुकी राहुल भी अपनी माँ सुधा की योनि मे वीर्य बरसात कर सुकून से सो गया..

सुमित्रा अपने फ़ोन पर पारिवारिक चुदाई और सम्भोग से भरी कहानी पढ़ रही थी जो अब ख़त्म हो गई थी और सुमित्रा काम उतेजना से भरी हुई अपने फ़ोन को बेड पर पटक कर बाथरूम मे चली गई और अंदर से बाथरूम की कुण्डी लगा कर अपनी चुत मे उंगलियां करने लगी..

दोपहर के 2 बजे का समय था विनोद और जयप्रकाश अपने ऑफिस मे बैठे फाइल्स मे खोये थे और सूरज अभी अभी ऑफिस से हाफ डे लेकर घर आया था.. बाहर का दरवाजा खुला था जिसे सुमित्रा लगाना भूल गयी थी जिससे सूरज बिना आवाज के अंदर आ गया और अपना बेग सोफे पर रखकर पहले रसोई मे चला गया और पानी पीकर सीधा सुमित्रा के कमरे मे पहुंच गया जहा उसने देखा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सुमित्रा का फ़ोन ऑन स्क्रीन के साथ बेड पर रखा हुआ है सूरज ने फ़ोन उठा कर स्क्रीन बंद करने वाला था की उसकी नज़र कहानी के शीर्षक "बेटे की रखैल" पड़ गई.. सूरज ने कहानी को देखा और फिर उस कहानी के कुछ अंश जो माँ बेटे के मिलन से परिपूर्ण थे पढ़ने लगा.. सूरज अपनी माँ के फ़ोन मे ये सब पढ़कर हैरान था और सोच रहा था कीउसकी माँ सुमित्रा क्या वाकई मे ऐसी कहानी पढ़ती है? सूरज ने ब्रवोसिंग हिस्ट्री मे जाकर सुमित्रा के द्वारा सर्च की गई कहानी देखि जो सभी माँ बेटे के कामुक व्यभिचार से भरी थी उसके अलावा माँ बेटे के योन सम्बन्धो और काम कला पे आधारित मिम्स भी सूरज ने देखे जो तस्वीर मे अभद्र और असभ्य थे..

सूरज से रहा ना गया और उसने अपनी माँ के फ़ोन की गैलरी चेक करने का सोचा और जैसे ही गैलेरी खोली सूरज के सामने माँ बेटे के सेक्स रिलेशन से भरे वीडियो और मिम्स की बाढ़ आ गई.. सूरज ने एक मोटी नज़र उन पर डाली.. सूरज ने गैलरी मे अपनी भी बहुत सी तस्वीर देखि जो सुमित्रा ने उसके नींद मे होने और खींची थी जिसमे सूरज बिना शर्ट के था.. सूरज बाथरूम से आती आवाज को सुनकर सन्न रह गया जिसमे सुमित्रा सूरज का नाम लेकर अपनी चुत मे उंगलियां किये जा रही थी..

सूरज के मन की हालत वो खुद भी ब्यान नहीं कर सकता था.. सूरज ने कांपती उंगलियों के साथ वापस उसी तरह फ़ोन रखकर कमरे से बाहर का रास्ता ले लिया और अपना बेग उठाकर बिना आवाज के बाहर आ गया..

सूरज ने आज हाफ डे लेकर बदन मे उठते हलके से दर्द से निज़ात पाने के लिए घर आराम करने का फैसला किया था मगर अब वो घर के बाहर आ गया था और बाइक उठाकर कहीं जाने को निकल पड़ा था.. उसके बदन का दर्द अब उसके सर मे चढ़ गया था उसने जो देखा जो सुना सब कुछ सूरज की आँखों के सामने घूम रहा था..

सुमित्रा सूरज के नाम और अपने चुत से झरना बहा कर वापस आ गई थी और बेड पर लेट कर सिगरेट जलाकर और कश लेती हुई अपनी बहन सुशीला को फोन कर इधर उधर की बात करने लगी..

सूरज जाते हुए लक्मी पपैराडाइस गार्डन के पास से गुजरा ही था कि वही बाहर खड़ी फुलवा ने सूरज को देख कर आवाज लगाते हुए रोक लिया.. सूरज ख्यालो मे खोया हुआ फुलवा कि आवाज पर आवाक होकर रुका और बाइक अचानक रुकने से गिरती गिरती बच गई..

भैया जी.. भैया जी.. आराम से.. अभी गिर गए होते..

क्या हुआ फुलवा? सूरज ने खुदको सँभालते हुए कहा तो फुलवा ने मुस्कान के साथ सूरज के करीब आते हुए जवाब मे बोली..

अरे भैया जी.. आप तो हमें भूल ही गए.. पिछली बार उस रात मिले थे फिर तो हमारी याद ही नहीं आई आपको..

अभी कहीं जा रहा हूं फुलवा बाढ़ मे मिलता हूं..

ठीक है भैया जी.. जाइये.. हम छोटो लोगो के साथ वैसे भी आप क्यूँ बात करने लगे?

वो बात नहीं है फुलवा.. अभी सर दर्द हो रहा है.. धूप भी तेज़ है..

भैया जी.. आप हमारे साथ आइये ना.. हम अच्छे से मालिश किये देंगे.. आपका सारा दर्द छू मंतर हो जाएगा.. चलिए..

पर फुलवा..

फुलवा सूरज का हाथ पकड़ कर - पर वर कुछ नहीं भैया जी.. आज तो आपको अपने हाथ नीबू पानी पीला कर अच्छे से सर कि मालिश करके ही जाने देंगे..

सूरज फुलवा कि मनुहार को मना ना कर सका और बाइक खड़ी कर गार्डन के अंदर एक कोने मे हलवाई खाने के बाई तरफ दो खाली कमरों मे से एक मे ले आई जहा आस पास कोई ना था.. एक कुलर खिड़की पर लगा हुआ था जो फुलवा ने चलाया तो अंदर ठंडी हवा आने लगी.. सूरज कमरे मे चारपाई पर बैठ गया और बेग एक तरफ रख दिया..

फुलवा ने मटकी मे से पानी निकाल कर नीबूपानी बनाया और सूरज को देती हुई बोली - भैया जी.. लीजिये पिजिये..

सुक्रिया फुलवा..

फुलवा निचे जमीन पर सूरज के कदमो के पास बैठते हुए बोली - इसमें शुक्रिया केसा भैया जी? शुक्रिया सब आपका है.. ये कहते फुलवा चायपाई के सिरने से तेल कि शीशी निकली और सूरज को देखकर वापस बोली - भैया जी.. आइये मैंने आपके सर कि अच्छे से मालिश कर देती हूं.. ये कहकर फुलवा खड़ी होकर चारपाई के किनारे पर बैठी हुई सूरज के सर को अपनी तरफ झुकाने लगी..

फुलवा... तेरा पति?

होगा कहीं भैया जी.. शराबी का क्या ऐतबार? पड़ा होगा किसी नदी नाले मे..

सूरज अपना सर फुलवा कि गोद मे रखकर सुमित्रा के बारे मे सोचने लगा और अपने ख्यालों से बार बार निजात पाने कि असफल कोशिश करने लगा.. फुलवा किसीको प्रेमदिवानी की भाति सूरज के सर को पुरे प्रेम और आत्मीयता से सहलाकार सूरज के सर दर्द को काफूर करने मे लग गई.. सूरज का मन अशांत था उसकी दशा कह पाना मुश्किल होगा..

फुलवा ने अपनी चोली से आँचल हटा दिया और सूरज को रुझाने की कोशिश के साथ साथ उसके सर को सहलाते हुए अब उसने मीठी बातो का सहारा लेना शुरू कर दिया था..

कहा खोये हो भैया जी?

सूरज को फुलवा के सवाल ने ख्यालों के समंदर से निकाल की यथार्थ के धरातल पर लेकर खड़ा कर दिया और वो पहले फुलवा के चेहरे फिर उसके चोली से बाहर झांकते उरोजो को फिर वापस फुलवा के मुस्कान से भरे चेहरे को देखकर बोला..

कहीं नहीं फुलवा.. बस ऐसे ही.. थोड़ा मूंड खराब है..

आप कहो तो हम मूंड अच्छा करने मे मदद करे आपकी? कहते हुए फुलवा ने अपना एक हाथ सूरज के बालो से निकालकर चेहरे पर ले गई और गाल सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चोली के हुक खोलने लगी..

सूरज जिसतरह फुलवा की गोद मे था और फुलवा अपने एक हाथ से सूरज के चेहरे को सहला रही थी और दूसरे से अपनी चोली खोली रही थी.. उसे देखकई सूरज को फुलवा के चेहरे मे सुमित्रा नज़र आने लगी.. उसी तरह वातसल्य से सुमित्रा बचपन मे सूरज को दूध पिलाने के लिए ब्लाउज खोलती थी जो याद सूरज के मन मे ताज़ा हो गई थी..

फुलवा ने जैसे ही चोली के सारे बटन खोले उसके चुचे तने हुए चुचकों के साथ गेंद की तरफ ऊपर निचे हिलाते हुए सूरज के सामने आ गए और सूरज बिना किसी आमंत्रण के ही उन्हें अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा.. उसे लग रहा था जैसे वो फुलवा के नहीं सुमित्रा के बोबे चूस रहा हो..

फुलवा सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने मे लगी हुई थी और सूरज के मुँह मे अपने चुचे देने का काम अच्छे से कर रही थी.. सूरज भी फुलवा के चुचे चूसते हुए बार बार चुचक को डांत से पकड़ के खींच रहा था.. मगर फुलवा उस मीठे दर्द का आंनद लेते हुए सूरज को प्यार से अपना जोबन पिने दे रही थी..

सूरज के पेंट मे अकड़ते हुए लंड को देखकर फुलवा खिलखिलाकर हँसते हुए बोली..

भैया जी लगता है नाग को बिल से बाहर निकलना पड़ेगा.. अंदर घुटन हो रही है बेचारे को..

सूरज ने बोबे चूसते हुए एक हाथ से अपनी पेंट से बेल्ट और हुक खोलकर लंड हवा मे लहरा दिया..

सूरज का लंड देखकर फुलवा की आँख मे चमक आ गई और वो सूरज से बोली - भैया जी आपका हो गया हो तो अब हमें भी आपका रस पिने दो..

सूरज ने जैसे ही फुलवा के चुचे चूसना बंद किया फुलवा सूरज के सामने निचे बैठकर उसके लंड को एक दम से मुँह मे गले तक ले गई और ऐसे चूसने लगी जैसे वो सदियों से इसी इंतजार मे हो..

अह्ह्ह.. फुलवा आराम से..

फुलवा किसीको लॉलीपॉप हेसे लंड चूस रही थी और सूरज फुलवा को लंड चूसता देखकर कामसुःख मे मस्त था मगर उसके दिमाग मे अभी अभी उसके घर और घटी घटना भी घूम रही थी.. सुमित्रा के मुँह से सूरज ने अपना नाम सुना था और उसके फ़ोन मे माँ बेटे के बारे जो सब था उससे सूरज को समझ आ रहा था की उसकी माँ सुमित्रा उसके प्रति आकर्षित है..

सूरज का लंड फुलवा के मुँह मे था और दिमाग मे सुमित्रा के ख्याल घूम रहे थे दो पल के लिए जैसे ही सूरज की आँख बंद हुई उसे लगा जैसे उसके लंड को फुलवा नहीं सुमित्रा चूस रही हो.. सूरज का वीर्य इस ख्याल से अपने आप ही फुलवा के मुँह मे छुट गया और वो वीर्य की तेज़ धार मारता हुआ फुलवा के मुँह और चेहरे को भीगता हुआ चारपाई पर बैठ गया..

भैया जी हम अभी आते है...
कहते हुए फुलवा अपना चेहरा आँचल से साफ करती हुई कमरे से बाहर चली..


***************


Busy hu likhne ka time nhi mil paa rha. Koshish kr rha hu jaldi update dene ki.
bahut late update aa raha hai......
Ager aap busy ho to pahle apna personal kaam nipta lo uske baad kam se kam 3 update do har week me......

Jaise suruaat me dete the....lamba aur thoda jaldi......

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Update 15

अंकुश अपने कमरे की टेबल के आगे कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके सामने उसका लैपटॉप खुला हुआ था जिसमें उसकी मीटिंग अपने ऑफिस के किसी सीनियर से हो रही थी अंकुश बार-बार सीनियर को जी हूं जी सर हो जाएगा सर मैं करता हूं सर जैसे शब्दों से बोलकर समझ रहा था और यह जाता रहा था कि वह आज छुट्टी के दिन भी ऑफिस का सारा काम करने को तत्पर है.. अंकुश बार-बार लैपटॉप की स्क्रीन पर गूगल मीट के जरिए हो रही मीटिंग को अटेंड करता हुआ रेस्पॉन्ड कर रहा था और बार-बार अपने सीधे हाथ को नीचे ले जाकर किसी ऐसी चीज को पीछे की तरफ धकेल रहा था जो उसे मीटिंग अटेंड करने से परेशान कर रही थी.. कुछ देर बाद जब अंकुश मीटिंग से फ्री हुआ तो उसने लैपटॉप की स्क्रीन को बंद करके लैपटॉप को टेबल पर रख दिया और अपने नीचे देखा जहाँ उसकी बहन नीतू उसके लंड को मुँह मे लिए चूस रही थी..

अंकुश प्यार से अपनी बहन नीतू के सर पर हाथ रखते हुए कहा - चल बिस्तर पर चलते है..

मुझे नहीं जाना बिस्तर पर.. निचे जा रही हूं.. खाना बनाना है.. सिर्फ ब्लोजॉब के लिए बोला था.. और कुछ नहीं करने वाली..

अंकुश ने नीतू की कमर मे हाथ डाल कर उसे उठा लिया और लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया..

अक्कू मेरे साथ जोर जबरदस्ती की ना तो देख लेना.. बहुत मार खायेगा..

अंकुश अपनी टीशर्ट उतारकार नीतू के ऊपर आता हुआ - मैंने कभी जबरदस्ती की है जो आज करूंगा? मैंने तो बस अपनी बड़ी बहन से थोड़ा सा प्यार करूंगा..

बड़ा आया प्यार करने वाला.. 2 महीने हो गए मेरे तलाक़ को.. मगर अब भी यही इसी घर मे पहले की तरह रह रही हूं तेरे साथ.. एक घर नहीं ढूंढा जा रहा तुझसे.. ताकि घर बदल कर मुझसे शादी कर सके..

कोशिश कर रहा हूं ना नीतू.. सब कुछ इतना आसान थोड़ी है.. जॉब छोड़ दूंगा तो क्या करूंगा? अपना काम शुरू करने के लिए अभी और पैसा चाहिए.. कोई घर पसंद आये तब इस मकान को भी बेचना पड़ेगा.. उसमे भी समय जाएगा ना..

नीतू तकिये मे से एक कंडोम निकालकर फाड़ते हुए अंकुश के लंड पर चढ़ाते हुए कहती है - बड़ा काम शुरू करना जरुरी है? छोटा काम भी शुरू कर सकते है ना.. पापा की गिफ्ट शॉप थी वो सारा काम हमें भी तो आता है.. हम मिलकर फिर से गिफ्ट शॉप शुरू कर सकते है.. छोटा काम हुआ तो क्या हुआ हम एक साथ रहेंगे.. खुश रहेंगे..

नीतू उसके लिए तो घर के साथ दूकान भी देखनी पड़ेगी..

नीतू अंकुश के लंड को चुत मे डालती हुई - अलग अलग क्यूँ लेना है दोनों.. कहीं ऐसी जगह घर देखो जहा निचे दूकान हो और ऊपर मकान.. हमारा काम हो जाएगा.. और मैं साफ साफ कह देती हूं घर लेते ही शादी करनी पड़ेगी तुम्हे..

अंकुश नीतू को चोदना शुरू करते हुए - जैसा तु बोले मेरी मिया खलीफा..

अह्ह्ह.. अक्कू.. आराम से कर ना.. दर्द होता है..

गोमती अपनी आदत से मजबूर होकर अब रोज ही अपने बेटे और बेटी की इन हरकत को दरवाजे के बाहर खड़ी होकर दरवाजे में बने हॉल से देखा करती और कान से सुना करती ऐसा करते हुए उसके तन बदन में आग लग जाती है और वह भी अपने हाथ से अपनी गर्मी को शांत कर कर वापस अपने कमरे में चली जाती है और सोचती कि काश कोई उसके साथ भी होता जिसे वह प्यार करती और अपने जिस्मानी भूख को मिटाकर अपने जोबन का आनंद लेती..

गोमती का कमर दर्द ठीक हो चुका था मगर वह फिर भी डॉक्टर को दिखाने जाती रहती थी इसी बहाने वह डॉक्टर के साथ कुछ छेड़खानी और मस्करी कर लिया करती थी डॉक्टर भी इस काम को बड़ी रसिकता से करता था.. आज भी गोमती डॉक्टर के जाने वाली थी और आज उसके अरमान और भी उफान पर थे..

दिवार की घड़ी सुबह के 9 बजा रही थी और अंकुश बिस्तर पर अपनी बहन नीतू की एक चूची को चूस रहा था..

अक्कू बस ना.. पेट भरके खुश कर दिया मगर अब भी बच्चों की तरह मेरे बोबे चूसने मे लगे हो.. तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद मम्मी मुझे क्या क्या कहती है पता भी है? चलो हटो अब.. मुझे नहाने जाना है.. तुम भी ऑफिस जाओ..



*************


राहुल ने अपनी माँ सुधा की योनि मे अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया और बाहर होती बारिश की छप छप के साथ अपनी माँ की योनि और अपने लिंग के मिलन की थप थप की लयबद्ध सुरताल से सावन के इस मौसम को मधुर और कामुक बना दिया.. भयकर बारिश कुछ देर बाद जैसे ही रुकी राहुल भी अपनी माँ सुधा की योनि मे वीर्य बरसात कर सुकून से सो गया..

सुमित्रा अपने फ़ोन पर पारिवारिक चुदाई और सम्भोग से भरी कहानी पढ़ रही थी जो अब ख़त्म हो गई थी और सुमित्रा काम उतेजना से भरी हुई अपने फ़ोन को बेड पर पटक कर बाथरूम मे चली गई और अंदर से बाथरूम की कुण्डी लगा कर अपनी चुत मे उंगलियां करने लगी..

दोपहर के 2 बजे का समय था विनोद और जयप्रकाश अपने ऑफिस मे बैठे फाइल्स मे खोये थे और सूरज अभी अभी ऑफिस से हाफ डे लेकर घर आया था.. बाहर का दरवाजा खुला था जिसे सुमित्रा लगाना भूल गयी थी जिससे सूरज बिना आवाज के अंदर आ गया और अपना बेग सोफे पर रखकर पहले रसोई मे चला गया और पानी पीकर सीधा सुमित्रा के कमरे मे पहुंच गया जहा उसने देखा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सुमित्रा का फ़ोन ऑन स्क्रीन के साथ बेड पर रखा हुआ है सूरज ने फ़ोन उठा कर स्क्रीन बंद करने वाला था की उसकी नज़र कहानी के शीर्षक "बेटे की रखैल" पड़ गई.. सूरज ने कहानी को देखा और फिर उस कहानी के कुछ अंश जो माँ बेटे के मिलन से परिपूर्ण थे पढ़ने लगा.. सूरज अपनी माँ के फ़ोन मे ये सब पढ़कर हैरान था और सोच रहा था कीउसकी माँ सुमित्रा क्या वाकई मे ऐसी कहानी पढ़ती है? सूरज ने ब्रवोसिंग हिस्ट्री मे जाकर सुमित्रा के द्वारा सर्च की गई कहानी देखि जो सभी माँ बेटे के कामुक व्यभिचार से भरी थी उसके अलावा माँ बेटे के योन सम्बन्धो और काम कला पे आधारित मिम्स भी सूरज ने देखे जो तस्वीर मे अभद्र और असभ्य थे..

सूरज से रहा ना गया और उसने अपनी माँ के फ़ोन की गैलरी चेक करने का सोचा और जैसे ही गैलेरी खोली सूरज के सामने माँ बेटे के सेक्स रिलेशन से भरे वीडियो और मिम्स की बाढ़ आ गई.. सूरज ने एक मोटी नज़र उन पर डाली.. सूरज ने गैलरी मे अपनी भी बहुत सी तस्वीर देखि जो सुमित्रा ने उसके नींद मे होने और खींची थी जिसमे सूरज बिना शर्ट के था.. सूरज बाथरूम से आती आवाज को सुनकर सन्न रह गया जिसमे सुमित्रा सूरज का नाम लेकर अपनी चुत मे उंगलियां किये जा रही थी..

सूरज के मन की हालत वो खुद भी ब्यान नहीं कर सकता था.. सूरज ने कांपती उंगलियों के साथ वापस उसी तरह फ़ोन रखकर कमरे से बाहर का रास्ता ले लिया और अपना बेग उठाकर बिना आवाज के बाहर आ गया..

सूरज ने आज हाफ डे लेकर बदन मे उठते हलके से दर्द से निज़ात पाने के लिए घर आराम करने का फैसला किया था मगर अब वो घर के बाहर आ गया था और बाइक उठाकर कहीं जाने को निकल पड़ा था.. उसके बदन का दर्द अब उसके सर मे चढ़ गया था उसने जो देखा जो सुना सब कुछ सूरज की आँखों के सामने घूम रहा था..

सुमित्रा सूरज के नाम और अपने चुत से झरना बहा कर वापस आ गई थी और बेड पर लेट कर सिगरेट जलाकर और कश लेती हुई अपनी बहन सुशीला को फोन कर इधर उधर की बात करने लगी..

सूरज जाते हुए लक्मी पपैराडाइस गार्डन के पास से गुजरा ही था कि वही बाहर खड़ी फुलवा ने सूरज को देख कर आवाज लगाते हुए रोक लिया.. सूरज ख्यालो मे खोया हुआ फुलवा कि आवाज पर आवाक होकर रुका और बाइक अचानक रुकने से गिरती गिरती बच गई..

भैया जी.. भैया जी.. आराम से.. अभी गिर गए होते..

क्या हुआ फुलवा? सूरज ने खुदको सँभालते हुए कहा तो फुलवा ने मुस्कान के साथ सूरज के करीब आते हुए जवाब मे बोली..

अरे भैया जी.. आप तो हमें भूल ही गए.. पिछली बार उस रात मिले थे फिर तो हमारी याद ही नहीं आई आपको..

अभी कहीं जा रहा हूं फुलवा बाढ़ मे मिलता हूं..

ठीक है भैया जी.. जाइये.. हम छोटो लोगो के साथ वैसे भी आप क्यूँ बात करने लगे?

वो बात नहीं है फुलवा.. अभी सर दर्द हो रहा है.. धूप भी तेज़ है..

भैया जी.. आप हमारे साथ आइये ना.. हम अच्छे से मालिश किये देंगे.. आपका सारा दर्द छू मंतर हो जाएगा.. चलिए..

पर फुलवा..

फुलवा सूरज का हाथ पकड़ कर - पर वर कुछ नहीं भैया जी.. आज तो आपको अपने हाथ नीबू पानी पीला कर अच्छे से सर कि मालिश करके ही जाने देंगे..

सूरज फुलवा कि मनुहार को मना ना कर सका और बाइक खड़ी कर गार्डन के अंदर एक कोने मे हलवाई खाने के बाई तरफ दो खाली कमरों मे से एक मे ले आई जहा आस पास कोई ना था.. एक कुलर खिड़की पर लगा हुआ था जो फुलवा ने चलाया तो अंदर ठंडी हवा आने लगी.. सूरज कमरे मे चारपाई पर बैठ गया और बेग एक तरफ रख दिया..

फुलवा ने मटकी मे से पानी निकाल कर नीबूपानी बनाया और सूरज को देती हुई बोली - भैया जी.. लीजिये पिजिये..

सुक्रिया फुलवा..

फुलवा निचे जमीन पर सूरज के कदमो के पास बैठते हुए बोली - इसमें शुक्रिया केसा भैया जी? शुक्रिया सब आपका है.. ये कहते फुलवा चायपाई के सिरने से तेल कि शीशी निकली और सूरज को देखकर वापस बोली - भैया जी.. आइये मैंने आपके सर कि अच्छे से मालिश कर देती हूं.. ये कहकर फुलवा खड़ी होकर चारपाई के किनारे पर बैठी हुई सूरज के सर को अपनी तरफ झुकाने लगी..

फुलवा... तेरा पति?

होगा कहीं भैया जी.. शराबी का क्या ऐतबार? पड़ा होगा किसी नदी नाले मे..

सूरज अपना सर फुलवा कि गोद मे रखकर सुमित्रा के बारे मे सोचने लगा और अपने ख्यालों से बार बार निजात पाने कि असफल कोशिश करने लगा.. फुलवा किसीको प्रेमदिवानी की भाति सूरज के सर को पुरे प्रेम और आत्मीयता से सहलाकार सूरज के सर दर्द को काफूर करने मे लग गई.. सूरज का मन अशांत था उसकी दशा कह पाना मुश्किल होगा..

फुलवा ने अपनी चोली से आँचल हटा दिया और सूरज को रुझाने की कोशिश के साथ साथ उसके सर को सहलाते हुए अब उसने मीठी बातो का सहारा लेना शुरू कर दिया था..

कहा खोये हो भैया जी?

सूरज को फुलवा के सवाल ने ख्यालों के समंदर से निकाल की यथार्थ के धरातल पर लेकर खड़ा कर दिया और वो पहले फुलवा के चेहरे फिर उसके चोली से बाहर झांकते उरोजो को फिर वापस फुलवा के मुस्कान से भरे चेहरे को देखकर बोला..

कहीं नहीं फुलवा.. बस ऐसे ही.. थोड़ा मूंड खराब है..

आप कहो तो हम मूंड अच्छा करने मे मदद करे आपकी? कहते हुए फुलवा ने अपना एक हाथ सूरज के बालो से निकालकर चेहरे पर ले गई और गाल सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चोली के हुक खोलने लगी..

सूरज जिसतरह फुलवा की गोद मे था और फुलवा अपने एक हाथ से सूरज के चेहरे को सहला रही थी और दूसरे से अपनी चोली खोली रही थी.. उसे देखकई सूरज को फुलवा के चेहरे मे सुमित्रा नज़र आने लगी.. उसी तरह वातसल्य से सुमित्रा बचपन मे सूरज को दूध पिलाने के लिए ब्लाउज खोलती थी जो याद सूरज के मन मे ताज़ा हो गई थी..

फुलवा ने जैसे ही चोली के सारे बटन खोले उसके चुचे तने हुए चुचकों के साथ गेंद की तरफ ऊपर निचे हिलाते हुए सूरज के सामने आ गए और सूरज बिना किसी आमंत्रण के ही उन्हें अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा.. उसे लग रहा था जैसे वो फुलवा के नहीं सुमित्रा के बोबे चूस रहा हो..

फुलवा सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने मे लगी हुई थी और सूरज के मुँह मे अपने चुचे देने का काम अच्छे से कर रही थी.. सूरज भी फुलवा के चुचे चूसते हुए बार बार चुचक को डांत से पकड़ के खींच रहा था.. मगर फुलवा उस मीठे दर्द का आंनद लेते हुए सूरज को प्यार से अपना जोबन पिने दे रही थी..

सूरज के पेंट मे अकड़ते हुए लंड को देखकर फुलवा खिलखिलाकर हँसते हुए बोली..

भैया जी लगता है नाग को बिल से बाहर निकलना पड़ेगा.. अंदर घुटन हो रही है बेचारे को..

सूरज ने बोबे चूसते हुए एक हाथ से अपनी पेंट से बेल्ट और हुक खोलकर लंड हवा मे लहरा दिया..

सूरज का लंड देखकर फुलवा की आँख मे चमक आ गई और वो सूरज से बोली - भैया जी आपका हो गया हो तो अब हमें भी आपका रस पिने दो..

सूरज ने जैसे ही फुलवा के चुचे चूसना बंद किया फुलवा सूरज के सामने निचे बैठकर उसके लंड को एक दम से मुँह मे गले तक ले गई और ऐसे चूसने लगी जैसे वो सदियों से इसी इंतजार मे हो..

अह्ह्ह.. फुलवा आराम से..

फुलवा किसीको लॉलीपॉप हेसे लंड चूस रही थी और सूरज फुलवा को लंड चूसता देखकर कामसुःख मे मस्त था मगर उसके दिमाग मे अभी अभी उसके घर और घटी घटना भी घूम रही थी.. सुमित्रा के मुँह से सूरज ने अपना नाम सुना था और उसके फ़ोन मे माँ बेटे के बारे जो सब था उससे सूरज को समझ आ रहा था की उसकी माँ सुमित्रा उसके प्रति आकर्षित है..

सूरज का लंड फुलवा के मुँह मे था और दिमाग मे सुमित्रा के ख्याल घूम रहे थे दो पल के लिए जैसे ही सूरज की आँख बंद हुई उसे लगा जैसे उसके लंड को फुलवा नहीं सुमित्रा चूस रही हो.. सूरज का वीर्य इस ख्याल से अपने आप ही फुलवा के मुँह मे छुट गया और वो वीर्य की तेज़ धार मारता हुआ फुलवा के मुँह और चेहरे को भीगता हुआ चारपाई पर बैठ गया..

भैया जी हम अभी आते है...
कहते हुए फुलवा अपना चेहरा आँचल से साफ करती हुई कमरे से बाहर चली..


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अंकुश अपने कमरे की टेबल के आगे कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके सामने उसका लैपटॉप खुला हुआ था जिसमें उसकी मीटिंग अपने ऑफिस के किसी सीनियर से हो रही थी अंकुश बार-बार सीनियर को जी हूं जी सर हो जाएगा सर मैं करता हूं सर जैसे शब्दों से बोलकर समझ रहा था और यह जाता रहा था कि वह आज छुट्टी के दिन भी ऑफिस का सारा काम करने को तत्पर है.. अंकुश बार-बार लैपटॉप की स्क्रीन पर गूगल मीट के जरिए हो रही मीटिंग को अटेंड करता हुआ रेस्पॉन्ड कर रहा था और बार-बार अपने सीधे हाथ को नीचे ले जाकर किसी ऐसी चीज को पीछे की तरफ धकेल रहा था जो उसे मीटिंग अटेंड करने से परेशान कर रही थी.. कुछ देर बाद जब अंकुश मीटिंग से फ्री हुआ तो उसने लैपटॉप की स्क्रीन को बंद करके लैपटॉप को टेबल पर रख दिया और अपने नीचे देखा जहाँ उसकी बहन नीतू उसके लंड को मुँह मे लिए चूस रही थी..

अंकुश प्यार से अपनी बहन नीतू के सर पर हाथ रखते हुए कहा - चल बिस्तर पर चलते है..

मुझे नहीं जाना बिस्तर पर.. निचे जा रही हूं.. खाना बनाना है.. सिर्फ ब्लोजॉब के लिए बोला था.. और कुछ नहीं करने वाली..

अंकुश ने नीतू की कमर मे हाथ डाल कर उसे उठा लिया और लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया..

अक्कू मेरे साथ जोर जबरदस्ती की ना तो देख लेना.. बहुत मार खायेगा..

अंकुश अपनी टीशर्ट उतारकार नीतू के ऊपर आता हुआ - मैंने कभी जबरदस्ती की है जो आज करूंगा? मैंने तो बस अपनी बड़ी बहन से थोड़ा सा प्यार करूंगा..

बड़ा आया प्यार करने वाला.. 2 महीने हो गए मेरे तलाक़ को.. मगर अब भी यही इसी घर मे पहले की तरह रह रही हूं तेरे साथ.. एक घर नहीं ढूंढा जा रहा तुझसे.. ताकि घर बदल कर मुझसे शादी कर सके..

कोशिश कर रहा हूं ना नीतू.. सब कुछ इतना आसान थोड़ी है.. जॉब छोड़ दूंगा तो क्या करूंगा? अपना काम शुरू करने के लिए अभी और पैसा चाहिए.. कोई घर पसंद आये तब इस मकान को भी बेचना पड़ेगा.. उसमे भी समय जाएगा ना..

नीतू तकिये मे से एक कंडोम निकालकर फाड़ते हुए अंकुश के लंड पर चढ़ाते हुए कहती है - बड़ा काम शुरू करना जरुरी है? छोटा काम भी शुरू कर सकते है ना.. पापा की गिफ्ट शॉप थी वो सारा काम हमें भी तो आता है.. हम मिलकर फिर से गिफ्ट शॉप शुरू कर सकते है.. छोटा काम हुआ तो क्या हुआ हम एक साथ रहेंगे.. खुश रहेंगे..

नीतू उसके लिए तो घर के साथ दूकान भी देखनी पड़ेगी..

नीतू अंकुश के लंड को चुत मे डालती हुई - अलग अलग क्यूँ लेना है दोनों.. कहीं ऐसी जगह घर देखो जहा निचे दूकान हो और ऊपर मकान.. हमारा काम हो जाएगा.. और मैं साफ साफ कह देती हूं घर लेते ही शादी करनी पड़ेगी तुम्हे..

अंकुश नीतू को चोदना शुरू करते हुए - जैसा तु बोले मेरी मिया खलीफा..

अह्ह्ह.. अक्कू.. आराम से कर ना.. दर्द होता है..

गोमती अपनी आदत से मजबूर होकर अब रोज ही अपने बेटे और बेटी की इन हरकत को दरवाजे के बाहर खड़ी होकर दरवाजे में बने हॉल से देखा करती और कान से सुना करती ऐसा करते हुए उसके तन बदन में आग लग जाती है और वह भी अपने हाथ से अपनी गर्मी को शांत कर कर वापस अपने कमरे में चली जाती है और सोचती कि काश कोई उसके साथ भी होता जिसे वह प्यार करती और अपने जिस्मानी भूख को मिटाकर अपने जोबन का आनंद लेती..

गोमती का कमर दर्द ठीक हो चुका था मगर वह फिर भी डॉक्टर को दिखाने जाती रहती थी इसी बहाने वह डॉक्टर के साथ कुछ छेड़खानी और मस्करी कर लिया करती थी डॉक्टर भी इस काम को बड़ी रसिकता से करता था.. आज भी गोमती डॉक्टर के जाने वाली थी और आज उसके अरमान और भी उफान पर थे..

दिवार की घड़ी सुबह के 9 बजा रही थी और अंकुश बिस्तर पर अपनी बहन नीतू की एक चूची को चूस रहा था..

अक्कू बस ना.. पेट भरके खुश कर दिया मगर अब भी बच्चों की तरह मेरे बोबे चूसने मे लगे हो.. तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद मम्मी मुझे क्या क्या कहती है पता भी है? चलो हटो अब.. मुझे नहाने जाना है.. तुम भी ऑफिस जाओ..



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राहुल ने अपनी माँ सुधा की योनि मे अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया और बाहर होती बारिश की छप छप के साथ अपनी माँ की योनि और अपने लिंग के मिलन की थप थप की लयबद्ध सुरताल से सावन के इस मौसम को मधुर और कामुक बना दिया.. भयकर बारिश कुछ देर बाद जैसे ही रुकी राहुल भी अपनी माँ सुधा की योनि मे वीर्य बरसात कर सुकून से सो गया..

सुमित्रा अपने फ़ोन पर पारिवारिक चुदाई और सम्भोग से भरी कहानी पढ़ रही थी जो अब ख़त्म हो गई थी और सुमित्रा काम उतेजना से भरी हुई अपने फ़ोन को बेड पर पटक कर बाथरूम मे चली गई और अंदर से बाथरूम की कुण्डी लगा कर अपनी चुत मे उंगलियां करने लगी..

दोपहर के 2 बजे का समय था विनोद और जयप्रकाश अपने ऑफिस मे बैठे फाइल्स मे खोये थे और सूरज अभी अभी ऑफिस से हाफ डे लेकर घर आया था.. बाहर का दरवाजा खुला था जिसे सुमित्रा लगाना भूल गयी थी जिससे सूरज बिना आवाज के अंदर आ गया और अपना बेग सोफे पर रखकर पहले रसोई मे चला गया और पानी पीकर सीधा सुमित्रा के कमरे मे पहुंच गया जहा उसने देखा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सुमित्रा का फ़ोन ऑन स्क्रीन के साथ बेड पर रखा हुआ है सूरज ने फ़ोन उठा कर स्क्रीन बंद करने वाला था की उसकी नज़र कहानी के शीर्षक "बेटे की रखैल" पड़ गई.. सूरज ने कहानी को देखा और फिर उस कहानी के कुछ अंश जो माँ बेटे के मिलन से परिपूर्ण थे पढ़ने लगा.. सूरज अपनी माँ के फ़ोन मे ये सब पढ़कर हैरान था और सोच रहा था कीउसकी माँ सुमित्रा क्या वाकई मे ऐसी कहानी पढ़ती है? सूरज ने ब्रवोसिंग हिस्ट्री मे जाकर सुमित्रा के द्वारा सर्च की गई कहानी देखि जो सभी माँ बेटे के कामुक व्यभिचार से भरी थी उसके अलावा माँ बेटे के योन सम्बन्धो और काम कला पे आधारित मिम्स भी सूरज ने देखे जो तस्वीर मे अभद्र और असभ्य थे..

सूरज से रहा ना गया और उसने अपनी माँ के फ़ोन की गैलरी चेक करने का सोचा और जैसे ही गैलेरी खोली सूरज के सामने माँ बेटे के सेक्स रिलेशन से भरे वीडियो और मिम्स की बाढ़ आ गई.. सूरज ने एक मोटी नज़र उन पर डाली.. सूरज ने गैलरी मे अपनी भी बहुत सी तस्वीर देखि जो सुमित्रा ने उसके नींद मे होने और खींची थी जिसमे सूरज बिना शर्ट के था.. सूरज बाथरूम से आती आवाज को सुनकर सन्न रह गया जिसमे सुमित्रा सूरज का नाम लेकर अपनी चुत मे उंगलियां किये जा रही थी..

सूरज के मन की हालत वो खुद भी ब्यान नहीं कर सकता था.. सूरज ने कांपती उंगलियों के साथ वापस उसी तरह फ़ोन रखकर कमरे से बाहर का रास्ता ले लिया और अपना बेग उठाकर बिना आवाज के बाहर आ गया..

सूरज ने आज हाफ डे लेकर बदन मे उठते हलके से दर्द से निज़ात पाने के लिए घर आराम करने का फैसला किया था मगर अब वो घर के बाहर आ गया था और बाइक उठाकर कहीं जाने को निकल पड़ा था.. उसके बदन का दर्द अब उसके सर मे चढ़ गया था उसने जो देखा जो सुना सब कुछ सूरज की आँखों के सामने घूम रहा था..

सुमित्रा सूरज के नाम और अपने चुत से झरना बहा कर वापस आ गई थी और बेड पर लेट कर सिगरेट जलाकर और कश लेती हुई अपनी बहन सुशीला को फोन कर इधर उधर की बात करने लगी..

सूरज जाते हुए लक्मी पपैराडाइस गार्डन के पास से गुजरा ही था कि वही बाहर खड़ी फुलवा ने सूरज को देख कर आवाज लगाते हुए रोक लिया.. सूरज ख्यालो मे खोया हुआ फुलवा कि आवाज पर आवाक होकर रुका और बाइक अचानक रुकने से गिरती गिरती बच गई..

भैया जी.. भैया जी.. आराम से.. अभी गिर गए होते..

क्या हुआ फुलवा? सूरज ने खुदको सँभालते हुए कहा तो फुलवा ने मुस्कान के साथ सूरज के करीब आते हुए जवाब मे बोली..

अरे भैया जी.. आप तो हमें भूल ही गए.. पिछली बार उस रात मिले थे फिर तो हमारी याद ही नहीं आई आपको..

अभी कहीं जा रहा हूं फुलवा बाढ़ मे मिलता हूं..

ठीक है भैया जी.. जाइये.. हम छोटो लोगो के साथ वैसे भी आप क्यूँ बात करने लगे?

वो बात नहीं है फुलवा.. अभी सर दर्द हो रहा है.. धूप भी तेज़ है..

भैया जी.. आप हमारे साथ आइये ना.. हम अच्छे से मालिश किये देंगे.. आपका सारा दर्द छू मंतर हो जाएगा.. चलिए..

पर फुलवा..

फुलवा सूरज का हाथ पकड़ कर - पर वर कुछ नहीं भैया जी.. आज तो आपको अपने हाथ नीबू पानी पीला कर अच्छे से सर कि मालिश करके ही जाने देंगे..

सूरज फुलवा कि मनुहार को मना ना कर सका और बाइक खड़ी कर गार्डन के अंदर एक कोने मे हलवाई खाने के बाई तरफ दो खाली कमरों मे से एक मे ले आई जहा आस पास कोई ना था.. एक कुलर खिड़की पर लगा हुआ था जो फुलवा ने चलाया तो अंदर ठंडी हवा आने लगी.. सूरज कमरे मे चारपाई पर बैठ गया और बेग एक तरफ रख दिया..

फुलवा ने मटकी मे से पानी निकाल कर नीबूपानी बनाया और सूरज को देती हुई बोली - भैया जी.. लीजिये पिजिये..

सुक्रिया फुलवा..

फुलवा निचे जमीन पर सूरज के कदमो के पास बैठते हुए बोली - इसमें शुक्रिया केसा भैया जी? शुक्रिया सब आपका है.. ये कहते फुलवा चायपाई के सिरने से तेल कि शीशी निकली और सूरज को देखकर वापस बोली - भैया जी.. आइये मैंने आपके सर कि अच्छे से मालिश कर देती हूं.. ये कहकर फुलवा खड़ी होकर चारपाई के किनारे पर बैठी हुई सूरज के सर को अपनी तरफ झुकाने लगी..

फुलवा... तेरा पति?

होगा कहीं भैया जी.. शराबी का क्या ऐतबार? पड़ा होगा किसी नदी नाले मे..

सूरज अपना सर फुलवा कि गोद मे रखकर सुमित्रा के बारे मे सोचने लगा और अपने ख्यालों से बार बार निजात पाने कि असफल कोशिश करने लगा.. फुलवा किसीको प्रेमदिवानी की भाति सूरज के सर को पुरे प्रेम और आत्मीयता से सहलाकार सूरज के सर दर्द को काफूर करने मे लग गई.. सूरज का मन अशांत था उसकी दशा कह पाना मुश्किल होगा..

फुलवा ने अपनी चोली से आँचल हटा दिया और सूरज को रुझाने की कोशिश के साथ साथ उसके सर को सहलाते हुए अब उसने मीठी बातो का सहारा लेना शुरू कर दिया था..

कहा खोये हो भैया जी?

सूरज को फुलवा के सवाल ने ख्यालों के समंदर से निकाल की यथार्थ के धरातल पर लेकर खड़ा कर दिया और वो पहले फुलवा के चेहरे फिर उसके चोली से बाहर झांकते उरोजो को फिर वापस फुलवा के मुस्कान से भरे चेहरे को देखकर बोला..

कहीं नहीं फुलवा.. बस ऐसे ही.. थोड़ा मूंड खराब है..

आप कहो तो हम मूंड अच्छा करने मे मदद करे आपकी? कहते हुए फुलवा ने अपना एक हाथ सूरज के बालो से निकालकर चेहरे पर ले गई और गाल सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चोली के हुक खोलने लगी..

सूरज जिसतरह फुलवा की गोद मे था और फुलवा अपने एक हाथ से सूरज के चेहरे को सहला रही थी और दूसरे से अपनी चोली खोली रही थी.. उसे देखकई सूरज को फुलवा के चेहरे मे सुमित्रा नज़र आने लगी.. उसी तरह वातसल्य से सुमित्रा बचपन मे सूरज को दूध पिलाने के लिए ब्लाउज खोलती थी जो याद सूरज के मन मे ताज़ा हो गई थी..

फुलवा ने जैसे ही चोली के सारे बटन खोले उसके चुचे तने हुए चुचकों के साथ गेंद की तरफ ऊपर निचे हिलाते हुए सूरज के सामने आ गए और सूरज बिना किसी आमंत्रण के ही उन्हें अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा.. उसे लग रहा था जैसे वो फुलवा के नहीं सुमित्रा के बोबे चूस रहा हो..

फुलवा सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने मे लगी हुई थी और सूरज के मुँह मे अपने चुचे देने का काम अच्छे से कर रही थी.. सूरज भी फुलवा के चुचे चूसते हुए बार बार चुचक को डांत से पकड़ के खींच रहा था.. मगर फुलवा उस मीठे दर्द का आंनद लेते हुए सूरज को प्यार से अपना जोबन पिने दे रही थी..

सूरज के पेंट मे अकड़ते हुए लंड को देखकर फुलवा खिलखिलाकर हँसते हुए बोली..

भैया जी लगता है नाग को बिल से बाहर निकलना पड़ेगा.. अंदर घुटन हो रही है बेचारे को..

सूरज ने बोबे चूसते हुए एक हाथ से अपनी पेंट से बेल्ट और हुक खोलकर लंड हवा मे लहरा दिया..

सूरज का लंड देखकर फुलवा की आँख मे चमक आ गई और वो सूरज से बोली - भैया जी आपका हो गया हो तो अब हमें भी आपका रस पिने दो..

सूरज ने जैसे ही फुलवा के चुचे चूसना बंद किया फुलवा सूरज के सामने निचे बैठकर उसके लंड को एक दम से मुँह मे गले तक ले गई और ऐसे चूसने लगी जैसे वो सदियों से इसी इंतजार मे हो..

अह्ह्ह.. फुलवा आराम से..

फुलवा किसीको लॉलीपॉप हेसे लंड चूस रही थी और सूरज फुलवा को लंड चूसता देखकर कामसुःख मे मस्त था मगर उसके दिमाग मे अभी अभी उसके घर और घटी घटना भी घूम रही थी.. सुमित्रा के मुँह से सूरज ने अपना नाम सुना था और उसके फ़ोन मे माँ बेटे के बारे जो सब था उससे सूरज को समझ आ रहा था की उसकी माँ सुमित्रा उसके प्रति आकर्षित है..

सूरज का लंड फुलवा के मुँह मे था और दिमाग मे सुमित्रा के ख्याल घूम रहे थे दो पल के लिए जैसे ही सूरज की आँख बंद हुई उसे लगा जैसे उसके लंड को फुलवा नहीं सुमित्रा चूस रही हो.. सूरज का वीर्य इस ख्याल से अपने आप ही फुलवा के मुँह मे छुट गया और वो वीर्य की तेज़ धार मारता हुआ फुलवा के मुँह और चेहरे को भीगता हुआ चारपाई पर बैठ गया..

भैया जी हम अभी आते है...
कहते हुए फुलवा अपना चेहरा आँचल से साफ करती हुई कमरे से बाहर चली..


***************


Busy hu likhne ka time nhi mil paa rha. Koshish kr rha hu jaldi update dene ki.

Nice update bro 👍 👍
 
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Update 15

अंकुश अपने कमरे की टेबल के आगे कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके सामने उसका लैपटॉप खुला हुआ था जिसमें उसकी मीटिंग अपने ऑफिस के किसी सीनियर से हो रही थी अंकुश बार-बार सीनियर को जी हूं जी सर हो जाएगा सर मैं करता हूं सर जैसे शब्दों से बोलकर समझ रहा था और यह जाता रहा था कि वह आज छुट्टी के दिन भी ऑफिस का सारा काम करने को तत्पर है.. अंकुश बार-बार लैपटॉप की स्क्रीन पर गूगल मीट के जरिए हो रही मीटिंग को अटेंड करता हुआ रेस्पॉन्ड कर रहा था और बार-बार अपने सीधे हाथ को नीचे ले जाकर किसी ऐसी चीज को पीछे की तरफ धकेल रहा था जो उसे मीटिंग अटेंड करने से परेशान कर रही थी.. कुछ देर बाद जब अंकुश मीटिंग से फ्री हुआ तो उसने लैपटॉप की स्क्रीन को बंद करके लैपटॉप को टेबल पर रख दिया और अपने नीचे देखा जहाँ उसकी बहन नीतू उसके लंड को मुँह मे लिए चूस रही थी..

अंकुश प्यार से अपनी बहन नीतू के सर पर हाथ रखते हुए कहा - चल बिस्तर पर चलते है..

मुझे नहीं जाना बिस्तर पर.. निचे जा रही हूं.. खाना बनाना है.. सिर्फ ब्लोजॉब के लिए बोला था.. और कुछ नहीं करने वाली..

अंकुश ने नीतू की कमर मे हाथ डाल कर उसे उठा लिया और लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया..

अक्कू मेरे साथ जोर जबरदस्ती की ना तो देख लेना.. बहुत मार खायेगा..

अंकुश अपनी टीशर्ट उतारकार नीतू के ऊपर आता हुआ - मैंने कभी जबरदस्ती की है जो आज करूंगा? मैंने तो बस अपनी बड़ी बहन से थोड़ा सा प्यार करूंगा..

बड़ा आया प्यार करने वाला.. 2 महीने हो गए मेरे तलाक़ को.. मगर अब भी यही इसी घर मे पहले की तरह रह रही हूं तेरे साथ.. एक घर नहीं ढूंढा जा रहा तुझसे.. ताकि घर बदल कर मुझसे शादी कर सके..

कोशिश कर रहा हूं ना नीतू.. सब कुछ इतना आसान थोड़ी है.. जॉब छोड़ दूंगा तो क्या करूंगा? अपना काम शुरू करने के लिए अभी और पैसा चाहिए.. कोई घर पसंद आये तब इस मकान को भी बेचना पड़ेगा.. उसमे भी समय जाएगा ना..

नीतू तकिये मे से एक कंडोम निकालकर फाड़ते हुए अंकुश के लंड पर चढ़ाते हुए कहती है - बड़ा काम शुरू करना जरुरी है? छोटा काम भी शुरू कर सकते है ना.. पापा की गिफ्ट शॉप थी वो सारा काम हमें भी तो आता है.. हम मिलकर फिर से गिफ्ट शॉप शुरू कर सकते है.. छोटा काम हुआ तो क्या हुआ हम एक साथ रहेंगे.. खुश रहेंगे..

नीतू उसके लिए तो घर के साथ दूकान भी देखनी पड़ेगी..

नीतू अंकुश के लंड को चुत मे डालती हुई - अलग अलग क्यूँ लेना है दोनों.. कहीं ऐसी जगह घर देखो जहा निचे दूकान हो और ऊपर मकान.. हमारा काम हो जाएगा.. और मैं साफ साफ कह देती हूं घर लेते ही शादी करनी पड़ेगी तुम्हे..

अंकुश नीतू को चोदना शुरू करते हुए - जैसा तु बोले मेरी मिया खलीफा..

अह्ह्ह.. अक्कू.. आराम से कर ना.. दर्द होता है..

गोमती अपनी आदत से मजबूर होकर अब रोज ही अपने बेटे और बेटी की इन हरकत को दरवाजे के बाहर खड़ी होकर दरवाजे में बने हॉल से देखा करती और कान से सुना करती ऐसा करते हुए उसके तन बदन में आग लग जाती है और वह भी अपने हाथ से अपनी गर्मी को शांत कर कर वापस अपने कमरे में चली जाती है और सोचती कि काश कोई उसके साथ भी होता जिसे वह प्यार करती और अपने जिस्मानी भूख को मिटाकर अपने जोबन का आनंद लेती..

गोमती का कमर दर्द ठीक हो चुका था मगर वह फिर भी डॉक्टर को दिखाने जाती रहती थी इसी बहाने वह डॉक्टर के साथ कुछ छेड़खानी और मस्करी कर लिया करती थी डॉक्टर भी इस काम को बड़ी रसिकता से करता था.. आज भी गोमती डॉक्टर के जाने वाली थी और आज उसके अरमान और भी उफान पर थे..

दिवार की घड़ी सुबह के 9 बजा रही थी और अंकुश बिस्तर पर अपनी बहन नीतू की एक चूची को चूस रहा था..

अक्कू बस ना.. पेट भरके खुश कर दिया मगर अब भी बच्चों की तरह मेरे बोबे चूसने मे लगे हो.. तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद मम्मी मुझे क्या क्या कहती है पता भी है? चलो हटो अब.. मुझे नहाने जाना है.. तुम भी ऑफिस जाओ..



*************


राहुल ने अपनी माँ सुधा की योनि मे अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया और बाहर होती बारिश की छप छप के साथ अपनी माँ की योनि और अपने लिंग के मिलन की थप थप की लयबद्ध सुरताल से सावन के इस मौसम को मधुर और कामुक बना दिया.. भयकर बारिश कुछ देर बाद जैसे ही रुकी राहुल भी अपनी माँ सुधा की योनि मे वीर्य बरसात कर सुकून से सो गया..

सुमित्रा अपने फ़ोन पर पारिवारिक चुदाई और सम्भोग से भरी कहानी पढ़ रही थी जो अब ख़त्म हो गई थी और सुमित्रा काम उतेजना से भरी हुई अपने फ़ोन को बेड पर पटक कर बाथरूम मे चली गई और अंदर से बाथरूम की कुण्डी लगा कर अपनी चुत मे उंगलियां करने लगी..

दोपहर के 2 बजे का समय था विनोद और जयप्रकाश अपने ऑफिस मे बैठे फाइल्स मे खोये थे और सूरज अभी अभी ऑफिस से हाफ डे लेकर घर आया था.. बाहर का दरवाजा खुला था जिसे सुमित्रा लगाना भूल गयी थी जिससे सूरज बिना आवाज के अंदर आ गया और अपना बेग सोफे पर रखकर पहले रसोई मे चला गया और पानी पीकर सीधा सुमित्रा के कमरे मे पहुंच गया जहा उसने देखा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सुमित्रा का फ़ोन ऑन स्क्रीन के साथ बेड पर रखा हुआ है सूरज ने फ़ोन उठा कर स्क्रीन बंद करने वाला था की उसकी नज़र कहानी के शीर्षक "बेटे की रखैल" पड़ गई.. सूरज ने कहानी को देखा और फिर उस कहानी के कुछ अंश जो माँ बेटे के मिलन से परिपूर्ण थे पढ़ने लगा.. सूरज अपनी माँ के फ़ोन मे ये सब पढ़कर हैरान था और सोच रहा था कीउसकी माँ सुमित्रा क्या वाकई मे ऐसी कहानी पढ़ती है? सूरज ने ब्रवोसिंग हिस्ट्री मे जाकर सुमित्रा के द्वारा सर्च की गई कहानी देखि जो सभी माँ बेटे के कामुक व्यभिचार से भरी थी उसके अलावा माँ बेटे के योन सम्बन्धो और काम कला पे आधारित मिम्स भी सूरज ने देखे जो तस्वीर मे अभद्र और असभ्य थे..

सूरज से रहा ना गया और उसने अपनी माँ के फ़ोन की गैलरी चेक करने का सोचा और जैसे ही गैलेरी खोली सूरज के सामने माँ बेटे के सेक्स रिलेशन से भरे वीडियो और मिम्स की बाढ़ आ गई.. सूरज ने एक मोटी नज़र उन पर डाली.. सूरज ने गैलरी मे अपनी भी बहुत सी तस्वीर देखि जो सुमित्रा ने उसके नींद मे होने और खींची थी जिसमे सूरज बिना शर्ट के था.. सूरज बाथरूम से आती आवाज को सुनकर सन्न रह गया जिसमे सुमित्रा सूरज का नाम लेकर अपनी चुत मे उंगलियां किये जा रही थी..

सूरज के मन की हालत वो खुद भी ब्यान नहीं कर सकता था.. सूरज ने कांपती उंगलियों के साथ वापस उसी तरह फ़ोन रखकर कमरे से बाहर का रास्ता ले लिया और अपना बेग उठाकर बिना आवाज के बाहर आ गया..

सूरज ने आज हाफ डे लेकर बदन मे उठते हलके से दर्द से निज़ात पाने के लिए घर आराम करने का फैसला किया था मगर अब वो घर के बाहर आ गया था और बाइक उठाकर कहीं जाने को निकल पड़ा था.. उसके बदन का दर्द अब उसके सर मे चढ़ गया था उसने जो देखा जो सुना सब कुछ सूरज की आँखों के सामने घूम रहा था..

सुमित्रा सूरज के नाम और अपने चुत से झरना बहा कर वापस आ गई थी और बेड पर लेट कर सिगरेट जलाकर और कश लेती हुई अपनी बहन सुशीला को फोन कर इधर उधर की बात करने लगी..

सूरज जाते हुए लक्मी पपैराडाइस गार्डन के पास से गुजरा ही था कि वही बाहर खड़ी फुलवा ने सूरज को देख कर आवाज लगाते हुए रोक लिया.. सूरज ख्यालो मे खोया हुआ फुलवा कि आवाज पर आवाक होकर रुका और बाइक अचानक रुकने से गिरती गिरती बच गई..

भैया जी.. भैया जी.. आराम से.. अभी गिर गए होते..

क्या हुआ फुलवा? सूरज ने खुदको सँभालते हुए कहा तो फुलवा ने मुस्कान के साथ सूरज के करीब आते हुए जवाब मे बोली..

अरे भैया जी.. आप तो हमें भूल ही गए.. पिछली बार उस रात मिले थे फिर तो हमारी याद ही नहीं आई आपको..

अभी कहीं जा रहा हूं फुलवा बाढ़ मे मिलता हूं..

ठीक है भैया जी.. जाइये.. हम छोटो लोगो के साथ वैसे भी आप क्यूँ बात करने लगे?

वो बात नहीं है फुलवा.. अभी सर दर्द हो रहा है.. धूप भी तेज़ है..

भैया जी.. आप हमारे साथ आइये ना.. हम अच्छे से मालिश किये देंगे.. आपका सारा दर्द छू मंतर हो जाएगा.. चलिए..

पर फुलवा..

फुलवा सूरज का हाथ पकड़ कर - पर वर कुछ नहीं भैया जी.. आज तो आपको अपने हाथ नीबू पानी पीला कर अच्छे से सर कि मालिश करके ही जाने देंगे..

सूरज फुलवा कि मनुहार को मना ना कर सका और बाइक खड़ी कर गार्डन के अंदर एक कोने मे हलवाई खाने के बाई तरफ दो खाली कमरों मे से एक मे ले आई जहा आस पास कोई ना था.. एक कुलर खिड़की पर लगा हुआ था जो फुलवा ने चलाया तो अंदर ठंडी हवा आने लगी.. सूरज कमरे मे चारपाई पर बैठ गया और बेग एक तरफ रख दिया..

फुलवा ने मटकी मे से पानी निकाल कर नीबूपानी बनाया और सूरज को देती हुई बोली - भैया जी.. लीजिये पिजिये..

सुक्रिया फुलवा..

फुलवा निचे जमीन पर सूरज के कदमो के पास बैठते हुए बोली - इसमें शुक्रिया केसा भैया जी? शुक्रिया सब आपका है.. ये कहते फुलवा चायपाई के सिरने से तेल कि शीशी निकली और सूरज को देखकर वापस बोली - भैया जी.. आइये मैंने आपके सर कि अच्छे से मालिश कर देती हूं.. ये कहकर फुलवा खड़ी होकर चारपाई के किनारे पर बैठी हुई सूरज के सर को अपनी तरफ झुकाने लगी..

फुलवा... तेरा पति?

होगा कहीं भैया जी.. शराबी का क्या ऐतबार? पड़ा होगा किसी नदी नाले मे..

सूरज अपना सर फुलवा कि गोद मे रखकर सुमित्रा के बारे मे सोचने लगा और अपने ख्यालों से बार बार निजात पाने कि असफल कोशिश करने लगा.. फुलवा किसीको प्रेमदिवानी की भाति सूरज के सर को पुरे प्रेम और आत्मीयता से सहलाकार सूरज के सर दर्द को काफूर करने मे लग गई.. सूरज का मन अशांत था उसकी दशा कह पाना मुश्किल होगा..

फुलवा ने अपनी चोली से आँचल हटा दिया और सूरज को रुझाने की कोशिश के साथ साथ उसके सर को सहलाते हुए अब उसने मीठी बातो का सहारा लेना शुरू कर दिया था..

कहा खोये हो भैया जी?

सूरज को फुलवा के सवाल ने ख्यालों के समंदर से निकाल की यथार्थ के धरातल पर लेकर खड़ा कर दिया और वो पहले फुलवा के चेहरे फिर उसके चोली से बाहर झांकते उरोजो को फिर वापस फुलवा के मुस्कान से भरे चेहरे को देखकर बोला..

कहीं नहीं फुलवा.. बस ऐसे ही.. थोड़ा मूंड खराब है..

आप कहो तो हम मूंड अच्छा करने मे मदद करे आपकी? कहते हुए फुलवा ने अपना एक हाथ सूरज के बालो से निकालकर चेहरे पर ले गई और गाल सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चोली के हुक खोलने लगी..

सूरज जिसतरह फुलवा की गोद मे था और फुलवा अपने एक हाथ से सूरज के चेहरे को सहला रही थी और दूसरे से अपनी चोली खोली रही थी.. उसे देखकई सूरज को फुलवा के चेहरे मे सुमित्रा नज़र आने लगी.. उसी तरह वातसल्य से सुमित्रा बचपन मे सूरज को दूध पिलाने के लिए ब्लाउज खोलती थी जो याद सूरज के मन मे ताज़ा हो गई थी..

फुलवा ने जैसे ही चोली के सारे बटन खोले उसके चुचे तने हुए चुचकों के साथ गेंद की तरफ ऊपर निचे हिलाते हुए सूरज के सामने आ गए और सूरज बिना किसी आमंत्रण के ही उन्हें अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा.. उसे लग रहा था जैसे वो फुलवा के नहीं सुमित्रा के बोबे चूस रहा हो..

फुलवा सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने मे लगी हुई थी और सूरज के मुँह मे अपने चुचे देने का काम अच्छे से कर रही थी.. सूरज भी फुलवा के चुचे चूसते हुए बार बार चुचक को डांत से पकड़ के खींच रहा था.. मगर फुलवा उस मीठे दर्द का आंनद लेते हुए सूरज को प्यार से अपना जोबन पिने दे रही थी..

सूरज के पेंट मे अकड़ते हुए लंड को देखकर फुलवा खिलखिलाकर हँसते हुए बोली..

भैया जी लगता है नाग को बिल से बाहर निकलना पड़ेगा.. अंदर घुटन हो रही है बेचारे को..

सूरज ने बोबे चूसते हुए एक हाथ से अपनी पेंट से बेल्ट और हुक खोलकर लंड हवा मे लहरा दिया..

सूरज का लंड देखकर फुलवा की आँख मे चमक आ गई और वो सूरज से बोली - भैया जी आपका हो गया हो तो अब हमें भी आपका रस पिने दो..

सूरज ने जैसे ही फुलवा के चुचे चूसना बंद किया फुलवा सूरज के सामने निचे बैठकर उसके लंड को एक दम से मुँह मे गले तक ले गई और ऐसे चूसने लगी जैसे वो सदियों से इसी इंतजार मे हो..

अह्ह्ह.. फुलवा आराम से..

फुलवा किसीको लॉलीपॉप हेसे लंड चूस रही थी और सूरज फुलवा को लंड चूसता देखकर कामसुःख मे मस्त था मगर उसके दिमाग मे अभी अभी उसके घर और घटी घटना भी घूम रही थी.. सुमित्रा के मुँह से सूरज ने अपना नाम सुना था और उसके फ़ोन मे माँ बेटे के बारे जो सब था उससे सूरज को समझ आ रहा था की उसकी माँ सुमित्रा उसके प्रति आकर्षित है..

सूरज का लंड फुलवा के मुँह मे था और दिमाग मे सुमित्रा के ख्याल घूम रहे थे दो पल के लिए जैसे ही सूरज की आँख बंद हुई उसे लगा जैसे उसके लंड को फुलवा नहीं सुमित्रा चूस रही हो.. सूरज का वीर्य इस ख्याल से अपने आप ही फुलवा के मुँह मे छुट गया और वो वीर्य की तेज़ धार मारता हुआ फुलवा के मुँह और चेहरे को भीगता हुआ चारपाई पर बैठ गया..

भैया जी हम अभी आते है...
कहते हुए फुलवा अपना चेहरा आँचल से साफ करती हुई कमरे से बाहर चली..


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Busy hu likhne ka time nhi mil paa rha. Koshish kr rha hu jaldi update dene ki.
बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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अंकुश अपने कमरे की टेबल के आगे कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके सामने उसका लैपटॉप खुला हुआ था जिसमें उसकी मीटिंग अपने ऑफिस के किसी सीनियर से हो रही थी अंकुश बार-बार सीनियर को जी हूं जी सर हो जाएगा सर मैं करता हूं सर जैसे शब्दों से बोलकर समझ रहा था और यह जाता रहा था कि वह आज छुट्टी के दिन भी ऑफिस का सारा काम करने को तत्पर है.. अंकुश बार-बार लैपटॉप की स्क्रीन पर गूगल मीट के जरिए हो रही मीटिंग को अटेंड करता हुआ रेस्पॉन्ड कर रहा था और बार-बार अपने सीधे हाथ को नीचे ले जाकर किसी ऐसी चीज को पीछे की तरफ धकेल रहा था जो उसे मीटिंग अटेंड करने से परेशान कर रही थी.. कुछ देर बाद जब अंकुश मीटिंग से फ्री हुआ तो उसने लैपटॉप की स्क्रीन को बंद करके लैपटॉप को टेबल पर रख दिया और अपने नीचे देखा जहाँ उसकी बहन नीतू उसके लंड को मुँह मे लिए चूस रही थी..

अंकुश प्यार से अपनी बहन नीतू के सर पर हाथ रखते हुए कहा - चल बिस्तर पर चलते है..

मुझे नहीं जाना बिस्तर पर.. निचे जा रही हूं.. खाना बनाना है.. सिर्फ ब्लोजॉब के लिए बोला था.. और कुछ नहीं करने वाली..

अंकुश ने नीतू की कमर मे हाथ डाल कर उसे उठा लिया और लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया..

अक्कू मेरे साथ जोर जबरदस्ती की ना तो देख लेना.. बहुत मार खायेगा..

अंकुश अपनी टीशर्ट उतारकार नीतू के ऊपर आता हुआ - मैंने कभी जबरदस्ती की है जो आज करूंगा? मैंने तो बस अपनी बड़ी बहन से थोड़ा सा प्यार करूंगा..

बड़ा आया प्यार करने वाला.. 2 महीने हो गए मेरे तलाक़ को.. मगर अब भी यही इसी घर मे पहले की तरह रह रही हूं तेरे साथ.. एक घर नहीं ढूंढा जा रहा तुझसे.. ताकि घर बदल कर मुझसे शादी कर सके..

कोशिश कर रहा हूं ना नीतू.. सब कुछ इतना आसान थोड़ी है.. जॉब छोड़ दूंगा तो क्या करूंगा? अपना काम शुरू करने के लिए अभी और पैसा चाहिए.. कोई घर पसंद आये तब इस मकान को भी बेचना पड़ेगा.. उसमे भी समय जाएगा ना..

नीतू तकिये मे से एक कंडोम निकालकर फाड़ते हुए अंकुश के लंड पर चढ़ाते हुए कहती है - बड़ा काम शुरू करना जरुरी है? छोटा काम भी शुरू कर सकते है ना.. पापा की गिफ्ट शॉप थी वो सारा काम हमें भी तो आता है.. हम मिलकर फिर से गिफ्ट शॉप शुरू कर सकते है.. छोटा काम हुआ तो क्या हुआ हम एक साथ रहेंगे.. खुश रहेंगे..

नीतू उसके लिए तो घर के साथ दूकान भी देखनी पड़ेगी..

नीतू अंकुश के लंड को चुत मे डालती हुई - अलग अलग क्यूँ लेना है दोनों.. कहीं ऐसी जगह घर देखो जहा निचे दूकान हो और ऊपर मकान.. हमारा काम हो जाएगा.. और मैं साफ साफ कह देती हूं घर लेते ही शादी करनी पड़ेगी तुम्हे..

अंकुश नीतू को चोदना शुरू करते हुए - जैसा तु बोले मेरी मिया खलीफा..

अह्ह्ह.. अक्कू.. आराम से कर ना.. दर्द होता है..

गोमती अपनी आदत से मजबूर होकर अब रोज ही अपने बेटे और बेटी की इन हरकत को दरवाजे के बाहर खड़ी होकर दरवाजे में बने हॉल से देखा करती और कान से सुना करती ऐसा करते हुए उसके तन बदन में आग लग जाती है और वह भी अपने हाथ से अपनी गर्मी को शांत कर कर वापस अपने कमरे में चली जाती है और सोचती कि काश कोई उसके साथ भी होता जिसे वह प्यार करती और अपने जिस्मानी भूख को मिटाकर अपने जोबन का आनंद लेती..

गोमती का कमर दर्द ठीक हो चुका था मगर वह फिर भी डॉक्टर को दिखाने जाती रहती थी इसी बहाने वह डॉक्टर के साथ कुछ छेड़खानी और मस्करी कर लिया करती थी डॉक्टर भी इस काम को बड़ी रसिकता से करता था.. आज भी गोमती डॉक्टर के जाने वाली थी और आज उसके अरमान और भी उफान पर थे..

दिवार की घड़ी सुबह के 9 बजा रही थी और अंकुश बिस्तर पर अपनी बहन नीतू की एक चूची को चूस रहा था..

अक्कू बस ना.. पेट भरके खुश कर दिया मगर अब भी बच्चों की तरह मेरे बोबे चूसने मे लगे हो.. तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद मम्मी मुझे क्या क्या कहती है पता भी है? चलो हटो अब.. मुझे नहाने जाना है.. तुम भी ऑफिस जाओ..



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राहुल ने अपनी माँ सुधा की योनि मे अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया और बाहर होती बारिश की छप छप के साथ अपनी माँ की योनि और अपने लिंग के मिलन की थप थप की लयबद्ध सुरताल से सावन के इस मौसम को मधुर और कामुक बना दिया.. भयकर बारिश कुछ देर बाद जैसे ही रुकी राहुल भी अपनी माँ सुधा की योनि मे वीर्य बरसात कर सुकून से सो गया..

सुमित्रा अपने फ़ोन पर पारिवारिक चुदाई और सम्भोग से भरी कहानी पढ़ रही थी जो अब ख़त्म हो गई थी और सुमित्रा काम उतेजना से भरी हुई अपने फ़ोन को बेड पर पटक कर बाथरूम मे चली गई और अंदर से बाथरूम की कुण्डी लगा कर अपनी चुत मे उंगलियां करने लगी..

दोपहर के 2 बजे का समय था विनोद और जयप्रकाश अपने ऑफिस मे बैठे फाइल्स मे खोये थे और सूरज अभी अभी ऑफिस से हाफ डे लेकर घर आया था.. बाहर का दरवाजा खुला था जिसे सुमित्रा लगाना भूल गयी थी जिससे सूरज बिना आवाज के अंदर आ गया और अपना बेग सोफे पर रखकर पहले रसोई मे चला गया और पानी पीकर सीधा सुमित्रा के कमरे मे पहुंच गया जहा उसने देखा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सुमित्रा का फ़ोन ऑन स्क्रीन के साथ बेड पर रखा हुआ है सूरज ने फ़ोन उठा कर स्क्रीन बंद करने वाला था की उसकी नज़र कहानी के शीर्षक "बेटे की रखैल" पड़ गई.. सूरज ने कहानी को देखा और फिर उस कहानी के कुछ अंश जो माँ बेटे के मिलन से परिपूर्ण थे पढ़ने लगा.. सूरज अपनी माँ के फ़ोन मे ये सब पढ़कर हैरान था और सोच रहा था कीउसकी माँ सुमित्रा क्या वाकई मे ऐसी कहानी पढ़ती है? सूरज ने ब्रवोसिंग हिस्ट्री मे जाकर सुमित्रा के द्वारा सर्च की गई कहानी देखि जो सभी माँ बेटे के कामुक व्यभिचार से भरी थी उसके अलावा माँ बेटे के योन सम्बन्धो और काम कला पे आधारित मिम्स भी सूरज ने देखे जो तस्वीर मे अभद्र और असभ्य थे..

सूरज से रहा ना गया और उसने अपनी माँ के फ़ोन की गैलरी चेक करने का सोचा और जैसे ही गैलेरी खोली सूरज के सामने माँ बेटे के सेक्स रिलेशन से भरे वीडियो और मिम्स की बाढ़ आ गई.. सूरज ने एक मोटी नज़र उन पर डाली.. सूरज ने गैलरी मे अपनी भी बहुत सी तस्वीर देखि जो सुमित्रा ने उसके नींद मे होने और खींची थी जिसमे सूरज बिना शर्ट के था.. सूरज बाथरूम से आती आवाज को सुनकर सन्न रह गया जिसमे सुमित्रा सूरज का नाम लेकर अपनी चुत मे उंगलियां किये जा रही थी..

सूरज के मन की हालत वो खुद भी ब्यान नहीं कर सकता था.. सूरज ने कांपती उंगलियों के साथ वापस उसी तरह फ़ोन रखकर कमरे से बाहर का रास्ता ले लिया और अपना बेग उठाकर बिना आवाज के बाहर आ गया..

सूरज ने आज हाफ डे लेकर बदन मे उठते हलके से दर्द से निज़ात पाने के लिए घर आराम करने का फैसला किया था मगर अब वो घर के बाहर आ गया था और बाइक उठाकर कहीं जाने को निकल पड़ा था.. उसके बदन का दर्द अब उसके सर मे चढ़ गया था उसने जो देखा जो सुना सब कुछ सूरज की आँखों के सामने घूम रहा था..

सुमित्रा सूरज के नाम और अपने चुत से झरना बहा कर वापस आ गई थी और बेड पर लेट कर सिगरेट जलाकर और कश लेती हुई अपनी बहन सुशीला को फोन कर इधर उधर की बात करने लगी..

सूरज जाते हुए लक्मी पपैराडाइस गार्डन के पास से गुजरा ही था कि वही बाहर खड़ी फुलवा ने सूरज को देख कर आवाज लगाते हुए रोक लिया.. सूरज ख्यालो मे खोया हुआ फुलवा कि आवाज पर आवाक होकर रुका और बाइक अचानक रुकने से गिरती गिरती बच गई..

भैया जी.. भैया जी.. आराम से.. अभी गिर गए होते..

क्या हुआ फुलवा? सूरज ने खुदको सँभालते हुए कहा तो फुलवा ने मुस्कान के साथ सूरज के करीब आते हुए जवाब मे बोली..

अरे भैया जी.. आप तो हमें भूल ही गए.. पिछली बार उस रात मिले थे फिर तो हमारी याद ही नहीं आई आपको..

अभी कहीं जा रहा हूं फुलवा बाढ़ मे मिलता हूं..

ठीक है भैया जी.. जाइये.. हम छोटो लोगो के साथ वैसे भी आप क्यूँ बात करने लगे?

वो बात नहीं है फुलवा.. अभी सर दर्द हो रहा है.. धूप भी तेज़ है..

भैया जी.. आप हमारे साथ आइये ना.. हम अच्छे से मालिश किये देंगे.. आपका सारा दर्द छू मंतर हो जाएगा.. चलिए..

पर फुलवा..

फुलवा सूरज का हाथ पकड़ कर - पर वर कुछ नहीं भैया जी.. आज तो आपको अपने हाथ नीबू पानी पीला कर अच्छे से सर कि मालिश करके ही जाने देंगे..

सूरज फुलवा कि मनुहार को मना ना कर सका और बाइक खड़ी कर गार्डन के अंदर एक कोने मे हलवाई खाने के बाई तरफ दो खाली कमरों मे से एक मे ले आई जहा आस पास कोई ना था.. एक कुलर खिड़की पर लगा हुआ था जो फुलवा ने चलाया तो अंदर ठंडी हवा आने लगी.. सूरज कमरे मे चारपाई पर बैठ गया और बेग एक तरफ रख दिया..

फुलवा ने मटकी मे से पानी निकाल कर नीबूपानी बनाया और सूरज को देती हुई बोली - भैया जी.. लीजिये पिजिये..

सुक्रिया फुलवा..

फुलवा निचे जमीन पर सूरज के कदमो के पास बैठते हुए बोली - इसमें शुक्रिया केसा भैया जी? शुक्रिया सब आपका है.. ये कहते फुलवा चायपाई के सिरने से तेल कि शीशी निकली और सूरज को देखकर वापस बोली - भैया जी.. आइये मैंने आपके सर कि अच्छे से मालिश कर देती हूं.. ये कहकर फुलवा खड़ी होकर चारपाई के किनारे पर बैठी हुई सूरज के सर को अपनी तरफ झुकाने लगी..

फुलवा... तेरा पति?

होगा कहीं भैया जी.. शराबी का क्या ऐतबार? पड़ा होगा किसी नदी नाले मे..

सूरज अपना सर फुलवा कि गोद मे रखकर सुमित्रा के बारे मे सोचने लगा और अपने ख्यालों से बार बार निजात पाने कि असफल कोशिश करने लगा.. फुलवा किसीको प्रेमदिवानी की भाति सूरज के सर को पुरे प्रेम और आत्मीयता से सहलाकार सूरज के सर दर्द को काफूर करने मे लग गई.. सूरज का मन अशांत था उसकी दशा कह पाना मुश्किल होगा..

फुलवा ने अपनी चोली से आँचल हटा दिया और सूरज को रुझाने की कोशिश के साथ साथ उसके सर को सहलाते हुए अब उसने मीठी बातो का सहारा लेना शुरू कर दिया था..

कहा खोये हो भैया जी?

सूरज को फुलवा के सवाल ने ख्यालों के समंदर से निकाल की यथार्थ के धरातल पर लेकर खड़ा कर दिया और वो पहले फुलवा के चेहरे फिर उसके चोली से बाहर झांकते उरोजो को फिर वापस फुलवा के मुस्कान से भरे चेहरे को देखकर बोला..

कहीं नहीं फुलवा.. बस ऐसे ही.. थोड़ा मूंड खराब है..

आप कहो तो हम मूंड अच्छा करने मे मदद करे आपकी? कहते हुए फुलवा ने अपना एक हाथ सूरज के बालो से निकालकर चेहरे पर ले गई और गाल सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चोली के हुक खोलने लगी..

सूरज जिसतरह फुलवा की गोद मे था और फुलवा अपने एक हाथ से सूरज के चेहरे को सहला रही थी और दूसरे से अपनी चोली खोली रही थी.. उसे देखकई सूरज को फुलवा के चेहरे मे सुमित्रा नज़र आने लगी.. उसी तरह वातसल्य से सुमित्रा बचपन मे सूरज को दूध पिलाने के लिए ब्लाउज खोलती थी जो याद सूरज के मन मे ताज़ा हो गई थी..

फुलवा ने जैसे ही चोली के सारे बटन खोले उसके चुचे तने हुए चुचकों के साथ गेंद की तरफ ऊपर निचे हिलाते हुए सूरज के सामने आ गए और सूरज बिना किसी आमंत्रण के ही उन्हें अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा.. उसे लग रहा था जैसे वो फुलवा के नहीं सुमित्रा के बोबे चूस रहा हो..

फुलवा सूरज को खुश करने के पुरे प्रयास करने मे लगी हुई थी और सूरज के मुँह मे अपने चुचे देने का काम अच्छे से कर रही थी.. सूरज भी फुलवा के चुचे चूसते हुए बार बार चुचक को डांत से पकड़ के खींच रहा था.. मगर फुलवा उस मीठे दर्द का आंनद लेते हुए सूरज को प्यार से अपना जोबन पिने दे रही थी..

सूरज के पेंट मे अकड़ते हुए लंड को देखकर फुलवा खिलखिलाकर हँसते हुए बोली..

भैया जी लगता है नाग को बिल से बाहर निकलना पड़ेगा.. अंदर घुटन हो रही है बेचारे को..

सूरज ने बोबे चूसते हुए एक हाथ से अपनी पेंट से बेल्ट और हुक खोलकर लंड हवा मे लहरा दिया..

सूरज का लंड देखकर फुलवा की आँख मे चमक आ गई और वो सूरज से बोली - भैया जी आपका हो गया हो तो अब हमें भी आपका रस पिने दो..

सूरज ने जैसे ही फुलवा के चुचे चूसना बंद किया फुलवा सूरज के सामने निचे बैठकर उसके लंड को एक दम से मुँह मे गले तक ले गई और ऐसे चूसने लगी जैसे वो सदियों से इसी इंतजार मे हो..

अह्ह्ह.. फुलवा आराम से..

फुलवा किसीको लॉलीपॉप हेसे लंड चूस रही थी और सूरज फुलवा को लंड चूसता देखकर कामसुःख मे मस्त था मगर उसके दिमाग मे अभी अभी उसके घर और घटी घटना भी घूम रही थी.. सुमित्रा के मुँह से सूरज ने अपना नाम सुना था और उसके फ़ोन मे माँ बेटे के बारे जो सब था उससे सूरज को समझ आ रहा था की उसकी माँ सुमित्रा उसके प्रति आकर्षित है..

सूरज का लंड फुलवा के मुँह मे था और दिमाग मे सुमित्रा के ख्याल घूम रहे थे दो पल के लिए जैसे ही सूरज की आँख बंद हुई उसे लगा जैसे उसके लंड को फुलवा नहीं सुमित्रा चूस रही हो.. सूरज का वीर्य इस ख्याल से अपने आप ही फुलवा के मुँह मे छुट गया और वो वीर्य की तेज़ धार मारता हुआ फुलवा के मुँह और चेहरे को भीगता हुआ चारपाई पर बैठ गया..

भैया जी हम अभी आते है...
कहते हुए फुलवा अपना चेहरा आँचल से साफ करती हुई कमरे से बाहर चली..


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Busy hu likhne ka time nhi mil paa rha. Koshish kr rha hu jaldi update dene ki.

Happy to see you , again
 
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