GS Rana
Atheist ⚛️ humanist
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Nice updateUpdate 17
कहते है कामइच्छा को अगर पानी की बून्द भी मिले तो उसके बीज अंकुरित हो उठते है और पनपने लगते है.. बीज का पौधे और फिर पेड़ मे बदलना नेसर्गिक प्रकिया का भाग माना गया है.. औरत के साथ भी कुछ इसी तरह का उदाहरण दिया जा सकता है.. सालो से सुनी पड़ी सुरुताल मे कोई मलहार गाने लगे तो जोबन का रस छलक ही जाता है.. गोमती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था..
गोमती जो अपने दर्द का इलाज़ करवाने जाती थी अब डॉक्टर के साथ ही अवैध सम्बन्ध मे बंध चुकी थी और महीने मे 2-3 बार बार अपनी बाग़ की क्यारी मे डॉक्टर की पिचकारी का पानी डलवा कर आती थी.. नीतू और अंकुश को इसके बारे मे भनक भी ना लग सकी थी मगर नीतू गोमती के बदले हुए अंदाज और लिबाज़ से कुछ तो गड़बड़ है समझ गई थी मगर अंकुश ने उस पर ध्यान तक ना दिया था..
गोमती आज भी डॉक्टर के पास आई थी और अंकुश बाहर बैठा हुआ इंतजार कर रहा था कि कब गोमती अंदर से बाहर आये और वो दोनों घर के लिए निकल पड़े.. मगर अंकुश नहीं जानता था कि गोमती अंदर अपनी टाँगे चौड़ी करके डॉक्टर से चुद रही थी..
गोमती अंकुश को साथ नहीं लाइ थी मगर नीतू ने जब अंकुश को बताया कि गोमती डॉक्टर के पास गई है तो रास्ते मे होने के कारण अंकुश खुद से ही डॉक्टर के पास आ गया था जहा नर्स ने उसे बाहर बैठने को कहा और कहीं चली गई.. मगर अंकुश को बहुत अजीब लग रहा था वो पिछले 10 मिनट से बाहर बैठा हुआ था और डॉक्टर के क्लनिक मे अभी और कोई मरीज़ ना था..
अंकुश से रहा ना गया तो उसने अंदर जाकर गोमती को देखने कि इच्छा से अपनी जगह छोड़ दी और उठ गया.. नर्स आस पास ना थी तो अंकुश बिना किसी रोक टोक के ही अंदर दाखिल हो गया.. डॉक्टर के चैम्बर मे कोई भी ना था मगर उसके पीछे बने छोटे से केबिन जहा एक पेशेंट बेड रखा था वहा से कुछ आवाज आ रही थी.. मगर डोर लॉक था..
अंकुश ने दरवाजे के कान लगाकर आवाज के साफ सुनने कि कोशिश कि तो उसे अपने माँ गोमती कि आवाज सुनाई दी जो डॉक्टर से कह रही थी..
और जोर से.. और जोर से.. पूरा दम लगाकर.. आह्ह..
अंकुश के पैरों के निचे कि जमीन हिल चुकी थी उसे गोमती पर गुस्सा आ रहा था और वो बिना कुछ सोचे समझें दरवाजा बजाने लगा..
डॉक्टर ने सोचा नर्स दरवाजा पिट रही है तो उसने जोर से कहा.. बाद मे आना.. अभी नहीं..
अंकुश ने एक जोर कि लात दरवाजे पर मारी तो केबिन का दरवाजा कमजोर और प्लास्टिक का होने के कारण टूट गया और खुल गया..
दरवाजा खुलने के बाढ़ जो नज़ारा अंकुश के सामने था वो का ब्यान कुछ ऐसा है कि..
बेड पर अंकुश ने अपनी माँ गोमती को देखा जो अपनी टाँगे चौड़ी करके लेटी हुई थी और उसने अपनीसाडी को कमर तक उठाया हुआ था उसकी चड्डी ग्लूकोस टांगने वाली जगह लटकी हुई थी.. ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे और गोमती के दोनों भारी भरकम चुचे पूरी आजादी के साथ खुले मे विहार कर रहे थे.. और डॉक्टर अपनी पेंट उतारकर अपने लंड से गोमती कि चुत मार रहा था.. जो अंकुश के आने पर उसने गोमती कि चुत से बाहर निकाल लिया था और देखने से 4-5 इंच का साधारण ही लग रहा था..
अंकुश ने गुस्से मे आकर 3-4 लात गोंसे डॉक्टर के जमा दिए मगर डॉक्टर मौका पाकर अपनी पेंट सँभालते हुए वहा से भाग निकला.. गोमती बेड से खड़ी हो गई और अपना ब्लाउज बंद करने ही वाली थी कि अंकुश ने गुस्से मे दो करारे थप्पड़ गोमती के गाल पर भी धर ढिए जिससे गोमती शर्म, लाज, अपना भेद खुलने के कारण और अब अपने बेटे से थप्पड़ खाने के कारण मूर्ति बनकर खड़ी रह गई..
अंकुश ने गुस्से मे थप्पड़ मार तो दिए मगर उसके साथ ही उसे अहसास भी हो गया कि गोमती उसकी माँ है और वो भी अपने गुस्से को काबू मे करके वहा खड़ा हो गया..
गोमती के दोनों गाल पर अंकुश के थप्पड़ ने निशान बना दिए थे.. गोमती कि आँखों मे आंसू थे और उसने रोते हुए अपने आप को ठीक किया और अंकुश ने गोमती का हाथ पकड़ कर अपने साथ क्लिनिक से बाहर लाकर बाइक पर बैठते हुए गाडी चलाना शुरू किया मगर गोमती को ख्याल आया कि उसकी चड्डी वही टंगी हुई है और वो और ज्यादा शर्म से भर गई..
अंकुश के मन मे हज़ारो ख्यालों थे और गुस्सा बेहिसाब.. आज उसने अपनी माँ को चुदते हुए देखा था और वो भी किसीको गैर मर्द से.. मगर वो जानता था कि गोमती कि जवानी भी सवान का पानी चाहती थी जो उसे अब कोई देने वाला नहीं बचा था..
अंकुश और गोमती घर आ गए और दोनों अब अजीब निगाह से एक दूसरे को देख रहे थे दोनों मे बात बिलकुल भी ना हुई थी और होती भी कैसे दोनों एक दूसरे से शर्मिंदा थे मगर अंकुश ने गुस्सा नीतू कि चुत मे उतरा तो नीतू भी अंकुश से बोल पड़ी..
अक्कू आराम से.. बहन कि चुत प्यार से मारी जाती है गुस्से से नहीं.. और आज किस बात का गुस्सा है मेरे भाई को?
नीतू के खूबसूरत चेहरे और उस पर प्यार भरी मुस्कान के साथ पूछे गए सवाल पर अंकुश ने कुछ ना कहा और नीतू के होंठो को चुम लिया और फिर प्यार से नीतू के साथ सम्भोग करने लगा.. सम्भोग के बाद नीतू सो गई थी मगर अंकुश को नींद नहीं आई.. सुबह हो चुकी थी और अंकुश ऑफिस जाने को त्यार हो चूका था..
अक्कू.. मेरी बात क्यूँ नहीं सुन रहे तुम? तुम्हे समझ क्यूँ नहीं आता? क्या बुराई है छोटा काम करने मे?
नीतू छोडो यार मुझे ऑफिस जाना है.. हटो..
आज नहीं जाओगे तो ऑफिस पर ताला नहीं लग जाएगा.. चलो मेरे साथ.. मैंने घर देखा है.. एक बार तुम भी चलकर देख़ लो.. हमारे लिए बिलकुल परफेक्ट है.. निचे दूकान ऊपर हमारे सपनो का घर..
मैंने पापा कि तरह किराने कि दूकान खोलकर नहीं बैठना चाहता.. समझी?
अरे किराने कि दूकान और गिफ्ट्शॉप मे अंतर होता है अक्कू.. हमारी शॉप ऐसी होंगी कि पुरे उदयपुर मे किसीने ना देखि होंगी.. बड़ी मुश्किल से किसी से जुगाड़ लगा कर जगह ढूंढी है.. चलो ना प्लीज..
मैंने नहीं जाने वाला.. हटो ऑफिस के लिए लेट हो रहा है..
अच्छा.. तो आज से रात को अपना लंड हिलाके सो जाना.. मेरे पास आये ना तो देख लेना.. औजार ही काट दूंगी..
अरे गुस्सा मत हो.. ठीक है.. चलो..
नीतू खुश होते हुए अंकुश को गले लगा लेती है..
थैंक्स.. मेरे छोटे भाई.. ऐसे ही मेरी बात मानोगे तो अच्छे से खुश रखूंगी..
अब चलो.. वैसे कितना दूर है यहाँ से?
ज्यादा नहीं बस 20 km है.. शहर के दूसरी तरफ.. वहा ना कोई हमें जानता ना हम किसीको..
अंकुश और नीतू केब से शहर के दूसरी तरफ अपने लिए घर देखने आ गए थे जहा किसी ब्रोकर ने सालो से बंद पड़े मकान को दिखाया.. आस पास का इलाका मिडिल क्लास के लोगो से भरा था और बसावट भी अनुकूल थी..
नीतू को तो घर देखते ही पसंद आ गया था और नीतू के कहने पर अंकुश ने भी हाँमी भर दी थी..
नीतू के ज़िद करने पर अंकुश ने घर बदलकर, शादीशुदा लोगो कि तरह रहने और अपना काम शुरू करने का फैसला कर लिया था..
कुछ ही दिनों मे अंकुश ने घर बेचकर नया घर ले लिए और रेनोवशन करवाकर नीतू और गोमती के साथ यहाँ आ गया.. उसने जॉब छोड़ दी थी और अपने पिता कि तरह घर के निचे ही एक आकर्षक और बड़ी सी गिफ्ट शॉप भी खोल दी थी जिसमे नीतू ने बराबर का सहयोग किया था..
आसपास रहने वालों को नीतू ने अंकुश और उसके शादीशुदा होने कि बात बताई थी मगर उनकी शादी अबतक ना हो पाई थी और नीतू अब्ब जल्द से जल्द अंकुश से शादी करना चाहती थी..
गोमती और अंकुश के बीच तो जैसे उस दिन के बाद से बात होना ही बंद हो गया था.. दोनों एक दूसरे को देखकर नज़र चुरा लेते और बात करने से परहेज करते है यही सब कुछ दिनों से चल रहा था..
मगर जो जिस्मानी आग मे जल रहा हो उसके लिए मर्यादा मे रहना मुश्किल होता हैं यही गोमती के साथ भी होरहा था गोमती ने अपनी चुत को ऊँगली से ठंडा करना शुरू कर दिया था और अब लम्बे समय तक बाथरूम मे रहती और अंग क्रीड़ा से अपने अरमान को संतुष्ट करती.. वही अंकुश तो जैसे गोमती पर नज़र रखने का काम करने लगा था.. उसे शक था की कहीं गोमती वापस उस गठिया डॉक्टर के पास ना आने जाने लगे और डॉक्टर ठरकी और गठिया होने के साथ साथ बातूनी भी था अंकुश को लगता था की कहीं डॉक्टर गोमती के बारे मे किसीको कुछ बोल ना दे..
अंकुश ने इन कुछ दिनों मे कई बार अपनी माँ गोमती को चुत मे ऊँगली करते हुए छुपकर देखा था और वो इसी असमंजस मे था की क्या किया जाए? उसकी माँ गोमती के बदन की जरुरत उसे समझ आरही थी मगर वो खुद इसे पूरा करना पाप समझता था.. नीतू के साथ उसका सम्बद्ध मे इससे टूट सकता था और नीतू कुछ भी कर सकती थी..
नीतू निचे दूकान के अंदर बैठी किसीको लड़की को सामान दिखा रही थी और ऊपर गोमती हाथ मे पोछा लिए रसोई मे गैस के आस पास की जगह को साफ कर रही थी.. गोमती से कुछ दूर अंकुश खड़ा गोमती को देख रहा था और आज उसने अपनी माँ से बात करने और उस दिन क्लिनिक मे मारे थप्पड़ के बारे मे माफ़ी मांगने का तय किया था..
माँ...
गोमती के कानो मे अंकुश की आवाज पड़ी तो वो सहम गई और घबराते हुए हलकी से आवाज़ जे साथ मुड़कर बीबीना अंकुश को देखे बोली..
हम्म..
माँ.. वो मैं.. मैं... सॉरी... मतलब उस दिन जो हुआ.. मुझे आपके ऊपर हाथ नहीं उठाना चाहिए था..
गोमती अंकुश की बात सुनकर चुपचाप एक नज़र उसकी और देखकर वापस अपने काम मे लग गई और बोली..
कोई बात नहीं अक्कू.. मेरी गलती हैं ना अपनी उम्र देखि ना दुनिया.. बहक गई.. तूने जो किया गुस्से मे किया..
माँ.. एक बात बोलू.. अगर आप हां कहो तो मैंने आपकी दूसरी शादी..
अंकुश ने इतना बोला ही था की गोमती ने बात काटते हुए कहा..
इस उम्र मे शादी.. नहीं नहीं.. मुझसे नहीं होंगी शादी.. मैं रह लुंगी अक्कू.. तु बस अपना और नीतू का ख्याल रख.. अब जल्दी शादी करले उससे..
अंकुश ने आगे बढ़कर गोमती के हाथ से पोछा लेकर साइड मे रख दिया और गोमती को बाहो मे लेकर बोला..
बस एक बार सब अच्छे से सेट हो जाए फिर शादी और बच्चा दोनों कर दूंगा.. और आपकी अभी उम्र ही क्या हैं मुश्किल से 40 की लगती हो.. आप हाँ करो मे एक अच्छा सा लड़का ढूंढ़कर लाता हु आपके लिए..
गोमती कई दिनों बात आज खिलखिला कर हस्ती हैं और कहती हैं..
मुझे और लड़का? कोनसा लड़का करेगा मुझ 50 की औरत से शादी.. तु भी कुछ भी बोलता हैं अक्कू.. अब छोड़ मुझे पूरी रसोई साफ करनी हैं.. कितना काम बचा हैं.. नीतू भी ना.. जब से दूकान खुली हैं वही बैठी रहती हैं घर का काम धाम जैसे भूल ही गई..
तो आप झगड़ा क्यूँ नहीं करती उससे? आपकी बेटी के साथ आपकी होने वाली बहु भी तो हैं नीतू.. अब माँ बेटी वाला रिस्ता छोड़कर.. सास बहु वाला रिस्ता निभाओ.. मुझे भी आपकी और नीतू की खटपट देखकर अच्छा लगेगा..
गोमती अपने आप को अंकुश की बाहो से आजाद करवा कर कहती हैं..
हम्म.. ठीक हैं अब बताती हूं उसे.. तु बीच मे ना आना..
अंकुश जाते हुए मैं क्यूँ बीच मे आने लगा.. वैसे कल मूवी देखने चलोगी?
गोमती पीछे देखकर..
मैं? नीतू को ले जा..
उसे अपनी सहेली के पास जाना हैं शादी मे बताया था ना उसने.. आप भूल गई?
अरे हाँ.. मैं भी ना आज कल कुछ याद नहीं रहता..
अंकुश इशारे मे अपनी बात कहने की कोशिश करते हुए कहता हैं..
अब इतना टाइम बाथरूम मे रहोगी तो कैसे याद रहैगा?
गोमती को बात का मतलब समझ आ गया और शर्म से पानी पानी होकर आगे कुछ ना बोल पाई और अपने काम मे लगी रही वही अंकुश भी वहा से निचे आ गया और नीतू के साथ दूकान को सजाने और संवारने के साथ आने वाले कस्टमर को भी देखने लगा..
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हेलो..
हाँ भाभी.. बोलो..
आ गए क्या तुम?
नहीं बस पहुंचने वाला था..
मैं इंतजार कर रही हु सूरज..
बस आ गया भाभी.. थोड़ी देर और..
सूरज जयप्रकाश के साथ विनोद की शादी का कार्ड बांटने निकला था और आज गरिमा के शहर मे रिश्तेदार को कार्ड बाँट रहा था वही से बहाना बनाकर सूरज गरिमा के ज़िद करके बुलाने पर उससे मिलने जा रहा था.. गरिमा ने एक शहर से थोड़ा दूर बने एक वीरान महल मे जहाँ मुश्किल से अब कोई आता जाता होगा सूरज को बुलाया था..
गरिमा ने आज काला सलवार पहना था जो कि उसके गोरे बदन और उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहा था.. पतली कमर के ऊपर उभरे हुए स्तन और निचे निकले बाहर कि और निकले हुए नितम्ब उसकी शारीरिक बनावट का सुन्दर चित्रण कर रहै थे..
गरिमा ने आज अपनेआप को श्रंगार से अलंस्कृत किया था और वो एक अप्सरा सामान दिखाई पढ़ती थी जिसकी महक से ही व्यक्ति मदहोश हो सकता था..
गरिमा को बेसब्री से सूरज के आने का इंतजार था और सूरज भी अब पहुंचने वाला था दोनों के मन की मनोदशा अलग-अलग थी एक के मन में अपने प्रीतम को मिलने के ख्वाब थे और दूसरे के मन में अपने घर के नए सदस्य से मिलने का इंतजार..
गरिमा सूरज से अपने प्रेम का इजहार करने वाली थी ना जाने कितनी बार उसने इस बात का अभ्यास किया था और सूरज कि होने वाली प्रतिक्रिया के अनुरूप ही व्यवहार करने का मन बनाया था..
भाभी.. भाभी..
गरिमा सूरज के ख्यालों में इतनी मग्न थी कि उसे सूरज के आने का पता भी नहीं चला.. सूरज ने जब दो-चार बार उसे भाभी कह कर बुलाया तब जाकर उसका ध्यान टूटा और गरिमा ने पीछे मुड़कर सूरज को देखा और एक टक देखती ही रही..
जिस तरह सावन के मौसम मे एक प्रेमीका मिलन की बेला को तरसती हुई अपने प्रेमी का इंतजार करती है इसी तरह से गरिमा को भी सूरज का इंतजार था और जब सूरज उसके सामने खड़ा था तब गरिमा को समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से बर्ताव करें और क्या कहे?
भाभी... आप ठीक तो हो..
सूरज ने गरिमा के नजदीक आकर कहा तो गरिमा बिना कुछ बोले बस दो कदम आगे बढ़कर सूरज को अपनी बाहों मे भर लेती हैं और बिना कुछ बोले सूरज को गाले से लगाए खड़ी रहती हैं..
गरिमा के आकर्षण से हर कोई उसकी और खींचा चला जा सकता था मगर सूरज का मन सुमित्रा ने मोह लिया था सो गरिमा का आकर्षण अभी उस पर फीका था..
कुछ देर यूँही खड़े होने के बाद गरिमा ने बिना कुछ बोले या सोचे समझें बहकते हुए सूरज को चूमने कि कोशिश कि तो सूरज पीछे हटते हुए बोला..
भाभी.. क्या कर रही हो..
गरिमा के मन मे जो नदी अब तक बाँध के सहारे अपना प्रवाह रोक कर बैठी थी अब बाँध तोड़ कर बह चली थी..
तुम्हे चुम रही हूं सूरज..
गरिमा ने फिर से सूरज के करीब आते हुए कहा..
भाभी शादी हैं आपकी.. विनोद भैया से 10 दिन बाद..
और आप..
मैं ये शादी नहीं करना चाहती सूरज.. मैं तुमसे प्यार करती हूं..
भाभी..
हाँ सूरज.. जब से तुमने मुझसे बात करना छोडा था तब से तड़प रही हूं तुम्हारे लिए.. या कहु कि जब से तुमने पहली बार देखा था तब.. मैं अब समझ चुकी हूं कि तुम्हारे बिना मैं नहीं जी सकती..
भाभी.. होश मे तो हो.. चलो मे आपको घर छोड़ देता हूं.. अब आपको कुछ पता नहीं हैं आप क्या बोल रही हो..
अपने पुरे होश मे हु सूरज.. चलो हम भाग चलते हैं.. सबसे दूर..
आपका दिमाग घूम गया हैं.. सूरज ने चिल्लाते हुए कहा तो गरिमा कि आँख से आंसू छलक पड़ा..
समझ क्या रखा हैं आपने मुझे? और मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी.. शादी नहीं करनी थी पहले ही मना कर सकती थी आप.. अब चलो.. एक ऐसी जगह बुलाया हैं लगता जैसे कोई भूतिया महल हो..
गरिमा के आंसू उसकी आँखों से बह रहे थे और अब उसने सूरज का हाथ झटकते हुए रोना शुरू कर दिया था और रोते हुए कहने लगी..
जाओ तुम.. नहीं जाना मुझे यहाँ से कहीं भी..
भाभी.. पागल मन बनो.. चलो.. देखो पीछे घना जंगल हैं शाम होने वाली हैं कोई जानवर आ सकता हैं..
आने दो जिसे आना हैं.. जाओ तुम..
भाभी ज़िद मत करो..
क्या भाभी भाभी.. लगाया हुआ हैं.. गरिमा नाम हैं मेरा.. और सुन लो.. मैं शादी करूंगी तो तूमसे वरना सारी उम्र कुंवारी बनकर रह लुंगी.. कह देना अपने भैया से कोई जरुरत नहीं हैं मेरे घर बारात लाने की..
चाहती क्या हो आप?
तुम्हे चाहती हूं.. तुम्हे... गरिमा ने जोर से चीखते हुए कहा और आगे बोली.. अगर मैं तुम्हारी नहीं हुई तो मुझे किसीको और का भी नहीं होना..
पर मैं आपसे प्यार नहीं करता भाभी.. और विनोद भैया के लिए आपके जैसी 100 लड़किया कुर्बान..
सूरज.. मुझे मत ठुकराओ सूरज... मैं तुमसे दिल और जान से प्यार करती हूं.. तुम जो बोलो मैं करने को त्यार हूँ.. पर मुझे अपने दूर मत करो.. मैं तुम्हारे बिना क्या करुँगी..
सूरज ने एक कदम ठहरकर कहा.. मैं जो बोलूंगा वो करोगी आप?
आज़मा कर देख लो.. अगर ना किया तो कह दूंगी कि तुमसे झूठा प्यार किया था..
तो फिर ठीक हैं.. आप ये शादी नहीं तोड़ोगी और विनोद भैया कि पत्नी बनकर रहोगी.. और हमारे बीच जो बात आज हुई हैं उसका जिक्र भी किसीके सामने नहीं करोगी.. बोलो कर सकती हो आप ये सब?
तुम्हारे लिए मैं अपनी जान भी दे सकती हूं सूरज.. मगर मेरी एक शर्त हैं.. अगर तुम वो पूरी करोगे तो जो बोलोगे वो मैं करुँगी?
केसी शर्त?
मैंने आज तक किसीको अपने करीब नहीं आने दिया.. मैं चाहती हु मेरा पहला मिलन मेरे प्यार के साथ हो.. अगर तुम मेरी ये शर्त पूरी करोगे तो हम वादा करती हु जो बोलोगे वही करुँगी और कभी कोई शिकायत नहीं करुँगी..
आप क्या बोल रही हो आपको समझ आरहा हैं? होने वाली भाभी हो आप..
अभी शादी हुई नहीं हैं सूरज.. और होंगी भी नहीं.. जब तक तुम नहीं चाहोगे.. बोलो करोगे मेरी ये शर्त पूरी?
गरिमा ने कहते हुए अपनी कुर्ती पर से दुपट्टा उतार कर फेंक दिया और कसे हुई सूट मे अपने बदन कि बनावट सूरज को दिखाकर बोली तो सूरज भी एक पल को जैसे मेनका के भर्म मे पड़ गया.. गरिमा ने सूरज को बहकते देखा तो वो आगे बढ़कर अपनी छाती के दोनों उभारो को सूरज के सीने मे दबाते हुए उसके होंठो को अपने होंठो से खींचते हुए ऐसे चूमने लगी जैसे वो कब से इसी पल का इंतजार कर रही हो..
सूरज को एक पल के बाद होश आया तो उसने गरिमा को पीछे करते हुये खुद को अलग कर दिया और विनोद के बारे मे सोचते हुए वहा से बिना गरिमा को देखे वापस आने लगा..
गरिमा जिस प्रेम और अपने पन के साथ उम्मीद की नज़र से सूरज को देख रही थी उसका ब्यान मुश्किल हैं...