Luckyloda
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
2 दिन तक पूनम ने मोबाइल से उस नंबर को डायल करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई,,,, हालांकि वह रोज रात को अपनी चाची से मोबाइल मांग कर अपने कमरे में आराम से गाना सुना करती थी,,, अब वो बड़े ही रोमांटिक गाना सुनना शुरू कर दी थी,,, पूनम के दिल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी हमारी ही मन सोच रही थी कि काश उसके पास उसका नंबर होता तो वह ऊसे फोन जरुर लगाता,,, लेकिन वह चाहती थी क्या कर उसके पास उसका नंबर होता तो घर में कोई भी मोबाइल उठा सकता था और एेसे मैं वह बेवजह परेशान हो सकती थी। लेकिन करती थी क्या दिन-ब-दिन पूनम की हालत खराब हुए जा रहे थे दिन रात उसके जेहन में बस मनोज को ही ख्याल घूमता रहता था। दूसरी तरफ मनोज की दया परेशान हो चुका था पूनम की तरफ से उसे अब तक कोई भी सहारा नहीं मिला था जिससे उसके मन में धारणा बंध चुकी थी कि, पूनम को उसका प्रेम वाला प्रस्ताव पसंद नहीं आया इसलिए उसकी भी बेचैनी बढ़ चुकी थी एक तरह से वहां पूनम के ऐसे व्यवहार को अपना हार समझता था उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था क्योंकि उसने जिसको भी जिस लड़की से प्यार करना चाहता उन्हें पाना चाहा था उसे हासिल करके ही रहा था लेकिन पूनम के मामले में उसे शिकस्त मिलती मालूम हो रही थी,,,, इस बात से मनोज के मन में यह बात और ज्यादा बैठ गई थी पूनम बेहद खूबसूरत और संस्कारी लड़की है इसलिए वह उसके प्यार को स्वीकार नहीं कर पाई,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में कहीं ना कहीं विश्वास कीजिए अभी भी पर बोली थी कि उसे पूनम जरूर सरकार करेगी और वह पूनम का प्यार और उसके खूबसूरत तन बदन की गर्मी अपने बदन में जरूर महसूस कर पाएगा,,,
पूनम की खूबसूरत सुडोल गोलाकार गांड,,,,, उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देखना भी किस्मत की बात थी
इसी कशमकश में दो-चार दिन और बीत गए दूसरी तरफ पूनम की बुआ सुजाता की बुर में चीटियां लगने लगी थी उसे अब अपनी बुर की अंदर कुछ ज्यादा ही खुजली महसूस होने लगी थी,,, जब तक वह बैगन और ककड़ी से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी तब तक वह ककड़ी या बेगन डालकर शांत हो जाती थी लेकिन जब से उसकी बुर ने सोहन का मोटा लंड खाया था तब से फिर से उसके लंड के लिए तड़प रही थी। और वह मौके की तलाश में हमेशा लगी रहती थी लेकिन सोहन कुछ दिनों से उसे नजर नहीं आया था वह रोज शाम को अंधेरा सोते समय खेतों में जाकर उसका इंतजार करती लेकिन उस का कहीं अता-पता नहीं लगता था इसलिए उसकी बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगती थी,,। और यही वास्तविकता भी थी क्योंकि भूख लगने पर भोजन करके कुछ घंटो तक भूख काबू में रहती है प्यास लगने पर पानी पीने के बाद भी यही हाल होता,,,, लेकिन चुदाई की भूख ऐसी होती है कि जितना भी बुझाओ उतनी ज्यादा भड़कती है,,,, ठीक ऐसा ही सुजाता के साथ हो रहा था दिन रात वह लंड के लिए तड़प रही थी लेकिन उस दिन की तरह कोई भी जुगाड़ हाथ नहीं लग रहा था,,,,।
पूनम सुबह उठकर बाथरूम में नहाने चली गई,,, बाथरूम में खुलते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में टांग दी,,, उसके गोरे बदन पर मात्र उसकी ब्रा और पैंटी ही रह गई थी बाकी के सारे कपड़े उसने उतार दी थी,,,,, उसके मन में अभी भी मनोज का ही ख्याल घूम रहा था इस वजह से वह दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई और जैसे ही वह मग में पानी लेकर अपने ऊपर डाली ही थी की तभी बाथरूम का दरवाजा धडा़क की आवाज के साथ खुल गया,,,, वह एक दम से चौंक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी,,,, एकाएक बाथरूम में उसकी संध्या चाची घुस गई थी और अंदर आते ही पूनम से बोली,,,,,
देख पुनम मैं जानती हूं कि तू अकेले ही नहाना पसंद करती है लेकिन आज मुझे बहुत जल्दी है इसलिए तुम मुझे कुछ मत कहना (इतना कहते हुए वह दरवाजे की कुंडी लगा दी)
चाची लेकिन इस तरह के बाथरूम में एक साथ दो औरतें कैसे नहा सकती हैं,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथों से ब्रा में कैद अपनी चूचियों छुपाने लगी,,,,
तू पूनम बिल्कुल बुध्धु है,,,, अरे कहां अपने गैर के सामने नहा रहे हैं,,,,( इतना कहते हुए वहां अपनी साड़ी को लेने लगी और अपनी चाची को इस तरह से उसके सामने साड़ी खोलते हुए देखकर पूनम बोली,,,,।)
ओह चाची तुम क्या कर रही हो इस तरह से मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार रही हो,,,,, तुम बिल्कुल भी शर्मा नहीं रही हो,,,,
संध्या की मदमस्त बड़ी-बड़ी चुचियां
porsche cayman 1 4 mile
अरे मेरी गुड़िया रानी इसमें शर्म की क्या बात है एक औरत के सामने कपड़े उतारने में शर्म किस बात की,,,हां अगर तेरी जगह कोई मर्द होता तो शायद उसके सामने शर्म आती ।( इतना कहते हो गए संध्या पूनम के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, पूनम वहीं बैठे बैठे ब्रा के ऊपर भी अपनी गोलाइयों को अपनी हथेली से ढके हुए थी,,,, अपनी चाची की इस हरकत पर वह झुंझलाते हुए बोली,,,,।)
चाची तुम्हें ऐसा कौन सा काम पड़ गया था कि तुम्हें इस तरह की बाथरुमं में आकर नहाना पड़ रहा है।
संध्या चाची की बड़ी-बड़ी गांड
अरे क्या बताऊं पूनम आज तेरे चाचा के साथ एक रिश्तेदार के वहां जाना है और वहां जाने के लिए वह बड़ी मुश्किल से तैयार हुए हैं और अगर में देर कर दी तो वहां जाना कैंसिल कर देंगे इसलिए मुझे बाथरूम में आकर तेरे साथ नहाना पड़ रहा है,,,,।
( पूनम अपनी चाची की बात समझ रही थी लेकिन उसे इस तरह से नहाना बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए वह बैठी रही तब तक संध्या ने अपने वतन से ब्लाउज उतारकर वही टांग दि थी,,,, पूनम अपनी चाची को ही देखे जा रही थी वह बड़े गौर से अपनी संध्या चाची की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रही थी जो कि उनकी साइज से ब्रा की साइज कम ही थी इस वजह से ऐसा लग रहा था कि संध्या की चूचियां ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगी,,,,,, पूनम अपनी चाची की तरह में के चुचियों के बारे में कुछ सोच ही रही थी कि तभी संध्या अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाते हुए हुक खोलने लगी और हुक खोलते हुए बोली,,,।)
संध्या चाची के एकाएक बाथरूम में घुस आने की वजह से पूनम से घबरा गई थी
2015 bmw 640i 0 60
क्या बताऊं पूनम मैं तो तेरे चाचा से तंग आ गया ह,,,ूं इतना परेशान करते हैं ना कि मुझे बहुत गुस्सा आता है।
अब पता नहीं चाचा परेशान करते हैं या तुम परेशान करती हो,,,, भगवान ही जाने,,,,( पूनम व्यंग्यात्मक स्वर में बोली।)
मैं जानती हूं तू मुझ पर विश्वास नहीं करेगी तु अपने चाचा पर ही विश्वास करेगी,,,( इतना कहते हुए संध्या अपनी ब्रा भी उतार दी और यह देखकर पूनम लगभग चिल्लाते हुए बोली,,।)
पूनम अपनी संध्या चाची की बड़ी बड़ी गांड को देखकर एकदम मंत्र मुग्ध हो गई
अरे अरे यह क्या कर रही हो चाची तुम अपनी ब्रा क्यों उतार दी,,,
नहाने के लिए और क्या करने के लिए,,,
तो ब्रा उतार कर,,,,
मुझे कपड़े पहन कर नहाना पसंद बिल्कुल भी नहीं है मैं तो बाथरूम में जब भी नहाती हुं पूरी नंगी होकर के नहाती हूं,,,
( इतना कहने के साथ ही वह पेटिकोट की डोरी भी खोलने लगी,,, जो देखकर पूनम उसे रोक पाती इससे पहले ही वहां पेटिकोट की दूरी खोलकर अपनी पेटीकोट को नीचे कदमों में गिरा दी,,,, अगले ही पल पूनम की आंखों के सामने उसकी चाची की नंगी मोटी मोटी दूधिया जांघें नजर आने लगी,,, धीरे-धीरे पूनम को यह सब अच्छा लगने लगा अपनी चाची की गोरी खूबसूरत नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौधीयानेे लगी थी,,, तभी वह अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी यह देखकर पूनम बोली,,,
पूनम भी मदहोश होकर अपनी पजामी में हाथ डाल देती थी
अरे चाची यह तो रहने दो थोड़ा तो शर्म करो,,,,
मैं बोली ना मेरी पूनम जानू तेरे सामने कैसी शर्म,,,,( इतना कहने के साथ ही अगले ही पल संध्या अपनी पैंटी उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई पूनम की नजर सीधे संध्या की जांघों के बीच अपने आप ही चली गई,,,, जहां पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि,,, उसने अभी हाल ही में अपने बालों की सफाई की है जिसे देख कर पूनम मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, संध्या की अनुभवी आंखों ने पूनम के मन की बात को भांप ली और जानबूझकर अपनी हथेली से बुर को मसलते हुए बोली,,,,
तू हंस क्यों रही है,,,,,
संध्या निश्चिंत होकर पूनम के सामने ही अपनी बुर र गड रही थी जिसे देखकर पूनम की हालत खराब हो रही थी
कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,,
ऐसे ही हंसी नहीं आ गई मैं तेरी हंसी का कारण जानती हूं,,,
नहीं चाहती सच में कुछ नहीं है मैं तो बस ऐसे ही,,,,
मुझसे मत छुपा मैं जानती हूं कि क्यों इन हल्के हल्के बालों को देखकर मुस्कुरा रही है।( वह लगातार अपनी बुर को मसलते हुए बोल रही थी यह देख कर पूनम के बदन में ना जाने कैसी हलचल मचने लगी,,, अपनी चाची की बात और उनकी हरकत को देखकर पूनम बोली,,,।)
चाचा जी ने हल्के हल्के बालों को देखकर ही मुस्कुरा रही हुं ।
लेकिन ऐसा क्यों,,,?
अरे ऐसा क्यों का क्या मतलब,,,,, मैं समझी कि तुम शायद नहीं बनाती होगी लेकिन अभी देखी तो पता चला कि तुम सफाई का काफी ख्याल रखती हो,,,,,
अरे मेरा बस चले तो मैं कभी भी ना बनाऊं,, लेकिन तेरे चाचा बहुत गुस्सा करते हैं उन्हें यह सब बाल वाल पसंद नहीं है,,,
बाल वाल पसंद नहीं है मैं कुछ समझी नहीं,,,,( पूनम आश्चर्य के साथ बोली,,,)
अभी रहने दे जब समय आएगा तब तू भी समझ जाएगी,,,
( इतना कहते हुए संध्या अपनी बुर पर से हथेलियां हटा ली और हथेली के हटाते ही पूनम की नजर बुर की गुलाबी पत्तियों पर पड़ी जो की बाहर की तरफ निकली हुई थी,,, उन्हें देखते ही पूनम का पूरा बदन अजीब से हलचल को महसूस कर के गनगना गया,,, संध्या अब नहाना शुरू कर दी जाड़े का मौसम होने की वजह से ठंडे पानी को बदन पर डालते ही उसका पूरा बदन गनगना गया,,, संध्या भी बैठ कर नहा रही थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आपस में रगड़ खाते हुए झूल रही थी,,, और झूल इस वजह से रही थी कि उसकी चूचियों का साईज काफी बड़ा था। लेकिन उसका कठोर पर बरकरार था इसलिए तो निप्पल तनी हुई थी। अपनी चाची की चुचियों का साइज देख कर पूनम की नजर अपनी चुचियों पर पड़ी तो उसे शर्म सी महसूस होने लगी क्योंकि वह भी जानती थी कि लड़की उसके बदन का सुगठित होना है,,,, खास करके उसकी चूचियों का साइज लेकिन फिर भी इस बात से उस को तसल्ली थी लड़कियों कि सूचियों का जितना साइज होता है उसका भी उतना ही साईज था और संध्या चाची तो एक पूरी औरत थी इसलिए उनकी चूची का साइज काफी बड़ा था,,,, देखते ही देखते संध्या नहाकर बाथरुम में ही कपड़े पहन कर तैयार होकर चली गई,,,,
पूनम को भी काफी देर हो चुकी थी इसलिए वह भी जल्दी से नहा कर तैयार हो गई,,,
स्कूल पहुंच कर उसकी नजरें मनोज को ही ढूंढ रही थी कुछ दिन से वहां उस मोड़ पर नहीं खड़ा होता था क्योंकि उसका दिल टूट चुका था,,,, और उस मोड़ पर मनोज को खड़ा ना पाकर पूनम भी अंदर ही अंदर छटपटाने लगती स्कूल छोड़ने के बाद जब वह वापस घर लौट रही थी तब रास्ते में उसे मनोज दिखाई दिया उसके चेहरे पर पहले की तरह प्रसन्नता बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके मन में एक डर सा बैठ गया था कि वह पुनम. जैसी खूबसूरत लड़की को खो चुका है। पूनम उसके चेहरे की उदासी देख कर दुखी होने लगी,,,, वह चाहती थी कि मनोज उससे कुछ बोले लेकिन वह उसे कुछ भी नहीं बोला वह बस खड़ा होकर पूनम की तरफ हसरत भरी निगाहों से देखता ही रहा पूनम भी उस पर एक नजर डाल कर अपने कदम आगे बढ़ा दी लेकिन जाते-जाते मनोज की आंखों में आए आंसू को वह पहचान गई,,,, उसकी आंखों में भरे आंसू उसके दिल में ठेस पहुंचाने लगे पूनम को इस बात को लेकर बहुत दुख हुआ लेकिन वह कर भी क्या सकती थी वह एक लड़की थी और वह भी इज्जत दार घराने की,, सामने से वह जाकर मनोज को अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकती थी,,,, हालांकि वह भी मनोज से अपने मुंह से प्यार का इज़हार करना चाहती थी लेकिन डर गई थी समाज से अपने परिवार से अपने इज्जत से इसलिए बोल नहीं पा रही थी,,,,, मनोज उसे वहीं खड़ा होकर तब तक देखता रहा जब तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गई और पूनम भी बार-बार पीछे मुड़कर मनोज को देख ले रही थी दोनों तरफ बेबसी दीवार बनकर खड़ी थी,,,,,,,,
रात को पूनम अपने कमरे में मोबाइल पर गाना सुनते हुए बहुत बेचैन नजर आ रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने मनोज का रुंआसा चेहरा आ जा रहा था,,, और वह उस चेहरे को याद करके अंदर तक तड़प उठ रही थी,,,, मोबाइल में बज रहा गाना उसे और ज्यादा बेचैन कर रहा था।
मुझे जीने नहीं देती है याद तेरी,,,
सुनके आजा तू आजा आवाज मेरी,,,,
यह गाना सुनकर पूनम से रहा नहीं गया और वहं एक बार फिर से मनोज का नंबर डायल करने लगी,,,, नंबर डायल करते ही जब कॉल का बटन दबाईं तो कुछ ही सेकंड में सामने रिंग बजने लगी,,, सामने बज रही रींग की आवाज सुनकर पूनम के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, ऊसकी सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,, एक बार तो उसके मन में हुअा कि फोन काट दे लेकिन तभी सामने से मनोज ने फोन उठा लिया,,, और वह फोन उठाकर हेलो हेलो बोलने लगा,,,, लेकिन पूनम डर के मारे और उसकी आवाज सुनकर एकदम खामोश हो गई यहां तक की मनोज को सिर्फ उसकी सांसो की आवाज़ सुनाई दे रही थी जो कि मनोज को भी बेचैन कर रही थी कुछ देर तक वहां यूं ही हेलो हेलो बोलता रहा लेकिन पूनम ने कोई जवाब नहीं दी तो सामने से वह बोला,,,
यार कौन है जो मुझे ऐसे ही परेशान करता है अरे जब फोन किए हो तो बात करने में क्या हर्ज है,,,, देखो मैं पहले से ही परेशान हूं और यह फोन की वजह से और ज्यादा परेशान हो जाता हूं इसलिए जल्दी से मुझे बता दो कि कौन है वरना मैं फोन कट कर दूंगा,,,,, लेकिन कुछ देर तक यूं ही खामोशी छाई रही,,,, मनोज फोन रखने ही वाला था कि पूनम कांपते श्वर में बोली,,,,
पपपपपप, ,,, पुनम
Dhanyawadबहुत ही बढिया और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
पुनम और मनोज का प्रेम परवान चढ रहा है
अब तो दोनों ओर से प्यार का इजहार भी हो गया अब देखते हैं आगे क्या होता है
Good startयह कहानी फिर से शुरू करने जा रहा हूं उम्मीद है. आप लोगों को जरूर पसंद आएगी
1रमादेवी(पूनम की मां)
2, संध्या (पूनम की बड़ी चाची)
3, रितु,(पूनम की छोटी चाची)
4, सुजाता,,( पूनम की बुआ)
5, बेला और सुलेखा(पूनम की सहेलियां)
6, मनोज
7, गुल्लु(मनोज का दोस्त)
8,सुरज ( पुनम की बुआ का लड़का
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयापूनम बेसब्र हुए जा रही थी मनोज से बात करने के लिए,,,, वह अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे मांगे क्योंकि इससे पहले वहं बार बार मोबाइल को नहीं मांगती थी,,,,,,
रात को खाना खाने के बाद यूंही सब गप्पे लड़ाते हुए छत पर बैठे थे,,,, पूनम इसी ताक में थे कि कब वह अपनी चाची से मोबाइल मांगे लेकिन उसे मोबाइल मांगने का मौका नहीं मिल रहा था,,, कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी और छत पर घर की औरतें लकड़ी जलाकर उस आग से अपने बदन को गर्माहट पहुंचाने की कोशिश कर रही थी,,, इन सबके साथ पूनम तो वहां बैठी थी लेकिन उसका ध्यान कहीं और था वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, काफी देर तक उन लोगों को बात करने की वजह से काफी समय बीत गया,,,, को धीरे-धीरे करके सब अपने कमरे में चले गए लेकिन संध्या और पूनम वहीं बैठ कर इधर-उधर की बातें कर रहे थे पूनम को अगर संध्या का मोबाइल मिल जाता तो वह भी तबका चली गई होती लेकिन वह मोबाइल लेने के लिए ही अपनी चाची के साथ वहां बैठीे रह गई,,,, तभी बात बात मैं संध्या नें पूनम के साथ सोहन का जिक्र करते हुए बोली,,,,
Sandhya doodh nikalti huyi
पूनम तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि अपने पास का लड़का सोहन दूध लेने के बहाने अपने घर की औरतों को कुछ ज्यादा ही ताक झांक करता रहता है,,,,
हां चाची मुझे भी ऐसा ही लगता है,,,, घर में आते ही उसकी नजरें इधर-उधर भटकती रहती हैं,,,,
( पूनम झट से संध्या की बात का जवाब देते हुए बोली क्योंकि पूनम को भी इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था कि सोहन की नजरें ठीक नहीं है,,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की जब वह दूध लेने आया था,,, तो उसकी बात करने का ढंग और उसका मतलब दो अर्थ वाला था और वह बार-बार उसके शरीर को ऊपर से नीचे की तरफ घूरता रहता था,,, और तो और वह बात करते समय अपने पेंट में बने तंबू को भी बिलकुल छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह जानबूझकर इस तरह से बर्ताव कर रहा था कि उसकी नजर उसके पेंट मैं बनी तंबू पर चली जाए,,, और ऐसा हुआ भी था पूनम की भी नजर उसके पैंट में बड़े तंबू कर चली गई थी और जिस पर नजर पड़ते ही पूनम शर्मा कर अपनी नजरें दूसरी तरफ फेर ली थी,,,, वह पल याद आते हैं पूनम के बदन में झनझनाहट से फैल गई,,,, लेकिन पूनम उस दिन वाली बात को अपनी चाची से बताई नहीं क्योंकि उस बात को बताने में उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह अपनी चाची से बोली,,,,।)
Ghar k kam karti huyi Sandhya
लेकिन चाची तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो क्या तुम्हें कभी कुछ ऐसा लगा है,,,,
( पूनम की यह बात सुनते ही संध्या को तबेले वाला नजारा याद आ गया जब सोहन के लंड के कड़कपन को वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस करके एकदम से गंनगना गई थी।
और जब वह है उसके पैंट में बने बहुत ही ऊंचे तंबू को देख कर अपने बदन में उत्तेजना की लहर को साफ-साफ महसूस करी थी,,,, एक पल के लिए उसका मन भी बहक सा गया था। लेकिन संध्या जी पूनम सरिता पहले वाली बात को ना बता कर उसे छुपाते हुए बोली,,,,।)
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन जब देखो तब जब भी वह घर में आता है,, तब ऊसकी नजरें घर की औरतों को ही ढूंढती रहती है,,,।खैर जाने दो हो सकता है कि अपना वहम भी हो,, पूनम रात काफी हो चुकी है अब हमें सोना चाहिए,,,,
हां चाची हो गई है और धीरे-धीरे करके घर के सभी लोग सो चुके हैं सिर्फ हम दोनों ही जग रहे हैं,,,,,( पूनम बार-बार अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन मांग नहीं पा रही थी।)
पूनम मुझे तो जोरों की पेशाब लगी हो,, ( खड़ी होकर छत पर से चारों तरफ देखते हुए और चारों तरफ धू्प्प अंधेरा छाया हुआ था,,,, अंधेरे से थोड़ा घबराते हुए संध्या बोली,,,।) पूनम चल पहले पेशाब कर लेते हैं उसके बाद आकर सो जाएंगे,,,
लेकिन चाची मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगी है मैं सोने जा रही हूं आप अकेले ही चली जाओ ऐसा क्यों नहीं करती बाथरूम में ही कर लो,,,,
( पूनम अच्छी तरह से जानती थी कि संध्या बाथरूम में जल्दी पेशाब नहीं करती क्योंकि ऊन्हे बड़ा अजीब लगता था। पूनम इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की इतनी रात को इतने घने अंधेरे में वह उसे लेकर गए बिना पेशाब नहीं करेंगी,,।)
अरे पूनम नहीं लगी है तो मेरे साथ तो चल तू तो अच्छी तरह से जानते हैं कि बाथरूम में मुझसे पेशाब नहीं होती,,,।
Sandhya apne pati se maje leti huyi
ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगी लेकिन तुम्हें मुझे मोबाइल देना होगा वह क्या है कितनी जल्दी मुझे नींद नहीं आने वाली इसलिए गाना सुनते सुनते सो जाऊंगी,,,,
( संध्या का प्रेशर धीरे-धीरे बढ़ रहा था और उसी से उस प्रेशर पर काबू कर पाना मुश्किल हो जा रहा था इसलिए वह अपना मोबाइल पूनम के हाथ में देते हुए बोली,,,।)
तो लेना मोबाइल मैं तुझे मना की हूं क्या अब चल जल्दी,,,
( पूनम के हाथ में मोबाइल थमाते हुए संध्या बोली और मोबाइल पाकर पूनम बहुत खुश हो गई,,,, इसके बाद दोनों घर के बाहर आ गए बाहर एकदम घना अंधेरा छाया हुआ था
और कोहरे की वजह से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था,,,।
संध्या घने कोहरे को देखकर बोली,,,।
चल यहीं बैठ कर कर लेते हैं,,,, इतने अंधेरे में कहां कोई देखने वाला है,,,,
चाची इतने अंधेरे में कोई देखने वाला नहीं है इस बात से मायूस हो रही हो कि इस अंधेरे पन का फायदा उठा रही हो,,,
Poonam ki chalakti huyi dono mastiya
बहुत बोलने लगी है तू,,,,
मैं ठीक ही कह रही हूं,,, अगर यहीं पर बैठकर के पैशाब करोगी तो सुबह किसी को भी पता चल जाएगा कि किसी ने यहां पर पेशाब किया है और घर के इतने नजदीक पैशाब करोगी तो अच्छा नहीं लगेगा,,,,
चल अच्छा दो कदम और चल लेते हैं एक तो मुझे इतनी जोरों की पेशाब लगी है कि चलना भी मुश्किल हुए जा रहा है,,,
चाची तुम इतना रोकती ही क्यों जब काम लगा रहता है तभी कर लेना चाहिए ना कहीं ऐसा ना हो कि तुम अपनी साडी गीली कर लो,,,
पूनम बोल ले बेटा आज तेरा दिन है तो बहुत मजाक उड़ा रही हैं मेरा भी वक्त आएगा तब तुझे बताऊंगी,,,,
( अपनी चाची की बात सुनकर और उनकी हालत को देखकर पूनम हंसने लगी और उसे शांत कराते हुए संध्या बोली,,,,।)
पागल हो गई है क्या इतनी जोर से हंस रही है अभी सारा घर उठ जाएगा और उन्हें पता चल जाएगा कि यह दोनों पेशाब करने जा रही हैं,,।
सॉरी चाची (पूनम हंसते हुए बोली,,,)
अरे अब मुझे कितनी दूर ले जाएगी तो इससे अच्छा तो घर के पीछे ही चले गए होते तो अच्छा था,,,
चले तो गए होते चाची लेकिन देख रही हो समय कितना हो रहा है और वहां पर इतनी रात को जाने से दादी ने सब को मना करके रखी है,,,
अरे कौन सा कोई वहां पर उठाकर लेकर चला जाएगा,,, हां मुझे तो नहीं लेकर जा पाएगा क्योंकि मेरा वजन कुछ भारी है लेकिन तुझे जरूर उठा ले जाएंगा,,,,
ऐसा मत बोलो चाची उठाने वाला तो तुम्हें भी उठाकर लेकर चला जाएगा बस उसे मौका मिलना चाहिए,,,,,
चल अब बहुत हो गया मैं तो यहीं बैठ कर मुंतने जा रही हूं,,,। अब मुझसे ज्यादा नहीं चला जाएगा,,,।
ठीक है चाची यही कर लो मैं नहीं चाहती थी इतनी रात को तुम्हें नहाना पड़े,,,,
हां अगर दो चार कदम और चलूंगी तो शायद मेरे कपड़े गीले हो जाए और मुझे नहाना ही पड़ेगा लेकिन ऐसी ठंड में नहाकर मुझे मरना नहीं है इसलिए मैं यही पर मुंतने जा रही हूं
( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम हंसने लगी और संध्या वहीं खड़ी होकर झट से अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा ली,,, अपनी चाची को इस तरह की जल्दबाजी दिखाते हुए पूनम चुटकी लेते हुए बोली,,,।)
देखना चाची ध्यान देना पेंटी भी पहन रखी हो ऐसा ना हो कि जल्दबाजी में बिना पैंटी निकाले ही बैठ जाओ,,,,
ले ले मजा पूनम रानी,,, वक्त आने पर गिन गिन कर तुझसे बदला लूंगी,,,,( इतना कहने के साथ ही संध्या अपनी काली रंग की पेंटिं को नीचे की तरफ खींच कर घुटनों तक कर दी इतने अंधेरे में भी संध्या की काली रंग की पेंटी एकदम साफ नजर आ रही थी क्योंकि,,, संध्या एकदम दूध की तरह गोरी थी जो कि इतने अंधेरे में भी उसका गोरापन एकदम चमक रहा था इसलिए उसकी काली रंग की चड्डी आराम से नजर आ रही थी,,,,,,, संध्या जैसे ही अपनी चड्डी को अपनी घुटनो सरकाई,,, वैसे ही तुरंत वहलमूतने के लिए बैठ गई,,,, पूनम अपनी चाची के उतावलेपन को देखकर फिर से हंस लेकिन इस बार संध्या पूनम को कुछ बोले बिना ही मूतने में मस्त हो गई वैसे तो यह नजारा एक औरत के लिए केवल एक औपचारिक ही होता है लेकिन यह नजारा एक मर्द के लिए पूरी तरह से बेहद उन्मादक और कामोत्तेजना से भरपूर होता है हर मर्द की यही लालसा और ख्वाहिश होती है कि वह खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखें,,,, क्योंकि पेशाब करते वक्त उन की सामान्य सी हरकत भी मर्दों के लिए उत्तेजना का साधन बन जाती है,,,, यही ख्वाहिश पूनम के चाचा के मन में भी बरसों से बनी हुई थी वह बार-बार संध्या को अपनी आंखों के सामने पेशाब करने के लिए मनाते रहते लेकिन संध्या शर्म के मारे आज तक उनकी आंखों के सामने कभी भी पेशाब करने के लिए नहीं बैठी,, और पूनम के चाचा की यही ख्वाहिश उनके मन में दबी की दबी रह गई थी,,, वास्तव में संध्या को बेहद जोरों से पेशाब लगी थी तभी तो वजह से ही पेशाब करने के लिए बैठी थी वैसे ही उसकी बुर से तेज फव्वारा छुट पड़ा,,, जिसकी आवाज एकदम सीटी की तरह सुनाई दे रही थी,,,, संध्या अभी मूतने बैठी ही थी कि पूनम भी अपने सलवार की डोरी खोलने लगी,,, लेकिन संध्या का ध्यान पूनम पर बिल्कुल भी नहीं था वहां तो बड़े मजे ले करके मुतने में व्यस्त थी उसे बेहद सुकून मिल रहा था तब तक पूनम अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी गुलाबी रंग की चड्ढ को अपनी जांघो तक खींचकर सरकादी , और बिना कुछ बोले बैठकर मुतने लगी,,, क्योंकि पूनम को भी बहुत जोरों से पेशाब लगी थी वह तो अपनी चाची को सिर्फ मोबाइल लेने के लिए झूठ बोल रही थी उसकी गुलाबी बुर की फांकों के बीज से नमकीन पानी का फव्वारा छूट पड़ा था,,, उसकी बुर से निकल रही पेशाब का फव्वारा इतनी तेज था की,,,
Sandhya ki madmast chut
उसमें से आ रही सीटी की आवाज रात के सन्नाटे को चीर दे रही थी संध्या को इस बात का कुछ भी पता नहीं चलता बातों उसके कानों में जब अपने पास से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई दी तब वह अपने बगल में बैठी पूनम को पेशाब करते हुए देखकर बोली,,,,
अरे तुम तो कह रही थी तुम्हें पेशाब नहीं लगी है और अब इतने जोरों से अपनी बुर से सीटी बजा रही होकी ऐसा लग रहा है कि पूरे गांव को जगा दोगी,,,,,
( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम बोली,,,।)
नहीं चाची ऐसी कोई भी बात नहीं है तुम्हें देखकर मुझे भी पैशाब लग गई इसलिए मैं भी बैठ गई,,,।
Poonam pesab karte huye
चल कोई बहाना मत मार मुझे सब पता है,,,
( इतना कहकर दोनों हंसने लगी,,, थोड़ी ही देर में दोनों के साथ करके मुक्त हो चुके थे दोनों खड़ी होकर के अपने अपने कपड़ों को दुरुस्त करके घर में आ गए,,,, पूनम अपने कमरे में आते ही घड़ी की तरफ देखी तो रात के 12:30 बज रहे थे,
उसे उम्मीद तो नहीं थी थी इतनी रात को मनोज जाग रहा होगा,,,, लेकिन फिर भी वह एक बार कोशिश करके देख लेना चाहती थी वह दरवाजे की कुंडी लगा कर आराम से अपने बिस्तर पर आ गई हो गद्दे की नरम नरम गर्माहट को अपने बदन पर महसूस करते हुए रजाई को अपने बदन पर डाल ली,,, और अपनी नोटबुक मैसेज मनोज का नंबर डायल करने लगी जैसे ही वह नंबर डायल करके कॉल वाली बटन दबाएं वैसे ही सामने घंटी की आवाज बजने लगी और उस घंटी की आवाज़ के साथ-साथ पूनम की दिल की धड़कन भी तेज होने लगी,,