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Adultery चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Napster

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अपडेट की प्रतिक्षा है जल्दी से दिजिएगा
 

rohnny4545

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पूनम अरे, ओ पूनम (इतना कहते हो गए संध्या पूनम के करीब पहुंच गई लेकिन फिर भी पूनम पर जैसे किसी बात का फर्क ही नहीं पड़ रहा था,,,, वह पूनम को कंधे से पकड़कर उसे झक जोड़ते हुए बोली,,,,)

कहां खोई हुई है तू तुझे कुछ सुनाई दे रहा है या नहीं,,,

( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम जैसी नींद से जागी हो इस तरह से हड़बड़ा सी गई,,,,,)

कककक,,, क्या हुआ चाची क्या हुआ,,,,,,

अरे होगा कुछ नहीं लेकिन तू कहां खोई हुई है कि तुझे कुछ पता ही नहीं चल रहा है।
( पूनम अपनी हालत पर खुद ही शर्मा गई,,, करे भी क्या वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, फिर भी बहाना बनाते हुए बोली,,,,।)

कुछ नहीं चाची थोड़ी थकान की वजह से नींद लग गई थी,,,,

अरे वाह रे आजकल की लड़कियां थोड़े से काम में ही इतना थक जाती है कि ऊन्हैं कहीं भी नींद आने लगती है।अच्छा,,, जाओ जाकर रसोई घर साफ कर दो मुझे रसोई तैयार करना है,,, सुजाता कहां रह गई कब से उसे सब्जी लाने भेजी हूं लेकिन कहीं पता ही नहीं है,,,,,, ( संध्या की बात सुनते ही पूनम झट से रसोई घर में जाकर सफाई करने लगी,,,, संध्या सुजाता का इंतजार करने लगी जिसे वह खेतों में हरी सब्जियां लेने भेजी थी।,,,, लेकिन सुजाता खेतों में सब्जी लेने ही नहीं बल्कि अपने आशिक से भी मिलने गई थी इसलिए तो उसे देर हो रही थी,,,,,। सोहन से वह कुछ महीनों से छुप-छुपकर मिलती थी सोहन उनके पड़ोस में ही रहता था। पढ़ाई लिखाई और ना तो कमाई,,, इन तीनों से उसका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था,,,, बाप शहर में अच्छे से कमाता था इसलिए बिना किसी चिंता फिक्र के वह सारा दिन गांव में आवारा गर्दी किया करता था। सुबह पूनम के वहां दूध लेने आया करता था और सुजाता से उसकी नजरें मिल गई.

सोहन सुजाता की खूबसूरती पर फिदा हो गया था,,,, खूबसूरती क्या चीज होती है यह उस लट्ठ के पल्ले कहां पड़ने वाला था वह तो औरतों के बदन के उतार चढ़ाव को ही देख कर मस्त हो जाया करता था,,,, ऐसा नहीं है कि पूनम के घर आकर उसे सिर्फ सुजाता ही अच्छी लगी वह तो पूनम के घर की सारी औरतों को पसंद करता था,,,, उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत,,,,, खूबसूरत क्या,,, अच्छे बदन वाली पुनम की संध्या चाची लगती थी। क्योंकि संध्या की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी नजर आती थी और उनकी बड़ी बड़ी गांड देखकर वह हमेशा मस्त हो जाया करता था। पूनम की ऋतु चाची भी उसे बेहद अच्छी लगती थी और उसी तरह से पूनम तो उसे चांद का टुकड़ा लगती थी लेकिन किसी के भी साथ उसकी दाल गलने जैसी नहीं थी यह उसे भी अच्छी तरह से मालूम था। इसलिए उन लोगों के साथ वह ज्यादा मेल जोल बड़ा ही नहीं पाया वह तो सुजाता से थोड़ा बहुत बातें करते करते,,,, उसके साथ उसका टांका भीड़ गया यह साफ तौर पर मोहब्बत नहीं थी बल्कि एक दूसरे के प्रति आकर्षण ही था। सुजाता के बदन में कामाग्नि भरी हुई थी जो की शादी की उम्र के बावजूद भी अभी तक कुंवारी थी इसलिए उसके बदन को एक मर्द की जरूरत थी। जो की उसके जवानी के रस को पूरी तरह से नीचोड़ सके,,,, इसलिए चुप चुप करो बाहर खेतों में सोहन से मिला करते थे और आज भी जब संध्या ने उसे खेतों से सब्जी लाने भेजी थी तो वह सब्जी लेने के बहाने सोहन से मिल रही थी। खेतों में जंगली झाड़ियां खूब ज्यादा उगी हुई थी जिसकी वजह से शाम के वक्त दूर-दूर तक किसी को कुछ नजर नहीं आ पाता था इसी का फायदा उठा कर के वह सोहन से मिल रही थी।
सोहन सुजाता के करीब आते ही ़ झट से उसके बदन से लिपटने लगता था। रोज की तरह आज भी वह सुजाता को अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने लगा,,,, कुंवारी सुजाता अपने होठों पर मर्द की फोटो का इस तरह से ही पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी। उत्तेजना के मारे वह भी शुभम के बदन से लिपट गई। शुभम तो मौका पाते ही अपनी हथेलियों को उसके पीठ से लेकर के उसके नितंबो तक फीराने लगा,,,, शुभम की दोनों हथेलियां जैसे ही सुजाता के नितंबों पर पहुंचती वैसे ही सोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो जाता और तुरंत सुजाता की गांड को जितना हो सकता था उतना अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए उसे नोचने खसोटने लगता,,,, सोहन की इस हरकत से सुजाता के बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगती,,,, वह पागलों की तरह सुजाता की गुलाबी होठों को चूसते हुए उसके पूरे बदन पर अपनी हथेली फीराता रहता। सोहन को पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था।पेंट मे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर के गदर मचा रहा था वह सुजाता को चोदना चाहता था। इसलिए वह सुजाता कि गुलाबी होठों पर से अपने होंठ को हटाता हुआ अपने हाथ से उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोला,,,

ओहहहह मेरी रानी आज तो खोल दो अपनी सलवार को (इतना कहने के साथ ही हुआ अपने हाथ नीचे ले जाकर के सलवार की डोरी पर रखकर खोलने को हुआ ही था की,,,, सुजाता झट से उसका हाथ पकड़ कर उसको रोते हुए बोली,,,,)

नहीं मेरे राजा अभी बिल्कुल नहीं सही समय और सही मौका आने पर मैं खुद ही अपनी सलवार खोल कर तुम्हें अपना खजाना सौंप दूंगी,,,,,


क्या रानी प्यार में ऐसा भी कोई करता है क्या जब भी मेरा मूड बनता है तब तुम कोई ना कोई बहाना बनाकर बात को टाल जाती होै देखो तो सही मेरा लंड कितना खड़ा हो गया है।

( लंड खड़ा होने की बात सुनते ही सुजाता के बदन में गुदगुदी होने लगी उसकी बुर में उत्तेजना का रस घुलने लगा,,, उसी से रहा नहीं गया और वह हाथ आगे बढ़ाकर पेंट के ऊपर से ही सोहन के खड़े लंड को टटोलने लगी। लंड के स्पर्श मात्र से ही उसकी बुर फुलने पिचकने लगी,,,, सुजाता बड़े अच्छे से पैंट के ऊपर से ही लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोली,,,)

वाहहह सोहन तेरा लंड,,, तो सच में एकदम से खड़ा हो गया है।


तो क्या इसीलिए तो कह रहा हूं कि,,,,, बस एक बार एक बार मुझे चोदने दे,,,,,
( इच्छा तो सुजाता की भी बहुत होती थी चुदवाने की लेकिन क्या करती परिवार वालों से अभी उसे बहुत डर लगता था उसका बस चलता तो इसी समय सोहन के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवा ले लेती,,,,, लेकिन इच्छा होने के बावजूद भी वह अपनी इच्छा को मारते हुए बोली,,,,,)

नहीं सोहन मेरे राजा मैं सच कह रही हूं सही मौका मिलने पर मैं तुझे अपना सब कुछ सौंप दूंगी,,,,


लेकिन अभी क्या अभी तो मेरी हालत एकदम खराब हो गई है एक काम करो तुम एक बार मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर हिला दो मुझे शांति मिल जाएगी,,,,


नहीं सुमन मुझे देर हो रही है मुझे सब्जी लेकर घर जाना है।


देखो कोई बहाना मत बनाओ बस एक बार एक बार इसे अपने हाथ से पकड़ लो मैं और कुछ करने को नहीं कहूंगा,,,
( इतना कहने के साथ ही सोहन जल्दी-जल्दी अपना पेंट की बटन खोलकर लंड को बाहर निकाल लिया,,,, हवा में लहरा रहे काले लंड को देखकर सुजाता की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा आज पहली बार वह लंड देख रही थी,,, उससे भी रहा नहीं गया औरं हांथ को आगे बढ़ाकर सोहन के लंड को जैसे ही पकड़ी और उसकी गर्मी जैसे ही उसकी हथेली में महसूस हुई,,,ही थी की अपने नाम की गुहार दूर से आती सुनाई देते ही वह एकदम से हड़बड़ा,,, गई,,,, और तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच ली,,, सोहन भी कुछ ही दूर से आती आवाज को सुनकर एकदम से सकते में आ गया था और जल्दी-जल्दी अपने पेंट को पहन लिया,,,,, सुजाता भी जल्दी जल्दी नीचे बिखरे हुए सब्जियों को उठाकर अपने,,, दुपट्टे में रखकर खेतों से बाहर आ गई,,,, खेतों के बाहर उसकी बड़ी भाभी खड़ी थी जो कि,,,, थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली,,,,,

इतनी देर कहां लगा दी सुजाता कब से संध्या इंतजार कर रही है।


कहीं नहीं बादी सब्जियां ठीक से नहीं मिल रही थी इसलिए अच्छी-अच्छी ढूंढने में समय लग गया।

अच्छा जा जल्दी जा कर अच्छे से सब्जियां काट दे,,,

जी भाभी,,,,( इतना कहते ही सुजाता भागते हुए घर में चली गई)


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rohnny4545

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कुछ दिन तक रास्ते में आते जाते पूनम को मनोज दिखाई नहीं दिया इसलिए वह मन ही मन में बेचैन होने लगी,,,, पूनम इतनी लाचार थी कि अपनी बेचैनी का हाल अपनी सहेलियों से भी नहीं बता सकती थी। वह मन ही मन तड़प रही थी मनोज को देखने के लिए,,,,, और मनोज जानबूझकर उसके सामने नहीं आ रहा था क्योंकि वह कुछ दिन पूनम की नोट्स को अपने पास ही रखें रहना चाहता था। मनोज की हालत तो पूनम से भी ज्यादा खराब थी पूनम की खूबसूरती का नाम था उसका के साथ आया था कि पूनम से जुड़ी हर एक चीज उसके लिए बेहद अनमोल लगने लगी थी यहां तक कि उसकी भी नोट्स को बार बार बार निकाल कर देखता उसके लिखे गए पन्नों पर उसके शब्दों पर अपने हॉठ रखकर उसे चूम लेता। पन्नों में से आ रही खुशबू को अपने अंदर उतार लेता ,,,, वह इंग्लिश के नोट्स को ही बार बार देखकर उत्तेजित हो जा रहा था। दो-चार दिन यूं ही गुजर गए लेकिन पूनम को मनोज का दीदार नहीं हो पाया तो परेशान होकर बातों ही बातों में वह बेला से बोली,,,,।

यार मेरा कुछ दिनों से मनोज नजर नहीं आ रहा है,,,,


अरे वाह देख में ईस लिए मैं कहती थी ना देख मैं तुझे भी ऊससे प्यार हो जाएगा और अब तो लगने लगा कि तुझे भी उससे प्यार हो गया तभी तो उसका इंतजार कर रही है।,,,

फिर पागलों जैसी बात शुरु कर दी अरे वाह मेरी नोट्स लिया है और अभी तक लौट आया नहीं और ना ही नजर आया है इसलिए पूछ रही हूं मुझे भी तो अपना काम पूरा करना है,,,,

देख पूनम तू चाहे जितना भी छिपा मुझे पक्का यकीन है कि तेरे दिल में भी उसके लिए कुछ ना कुछ जरूर होता है।,,,,

बस देना किसी ने में तुझसे कोई भी बात नहीं करती तो हर बात का बतंगड़ बनाने की पूरी कोशिश करती है। अरे तू भी अच्छी तरह से जानती है कि वह मेरी इंग्लिश की नोट्स लिया है और आज 4 दिन हो गए हैं। उसे मेरी नोट्स लौटाना तो चाहिए था ना,,, लौटाना तो दूर वह 4 दिनों से नजर तक नहीं आया है। कहीं वह मेरी दोस्त खो दिया सबका में परेशानी में आ जाऊंगा इसलिए तुझसे पूछ रही हूं,,,,,


अच्छा यह बात हे मुझे लगा कि कुछ और ही बात है,,,,,
( बेला पूनम की हालत को समझ सकती थी आखिरकार वह भी एक लड़की थी उसे भी लड़कियों के हाव भाव से पता चल जाता था कि उसके मन में क्या चल रहा है। और उसे पक्का यकीन था कि उसके मन में क्या चल रहा है। लेकिन वह बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे क्योंकि पूनम की आदत से वह बिल्कुल वाकीफ थी। धीरे-धीरे मनोज को पूनम की नोट्स लिए 1 सप्ताह गुजर गया लेकिन ना तो मनोज नजर आया और ना ही उसने नोट्स लौटाया।
इसलिए पूनम को और ज्यादा चिंता होने लगी एक तो जवाब दे जो कि आप मनोज के लिए हल्के हल्के धड़कने लगा था और ऊपर से उसके इंग्लिश की नोट उसका पता ठिकाना नहीं था। इसलिए उसकी चिंता करना बढ़ गया था।
ऐसे ही कड़ाके की सर्दी में 1 दिन उसे अकेले ही उस स्कूल जाना पड़ा लेकिन देना और सुलेखा किसी कारणवश स्कूल नहीं जा रही थी वह अकेले ही अपने रास्ते पर चले जा रही थी तभी आज उसे उसी मोड़ पर मनोज खड़ा नजर आया,,,, मनोज को देखते ही बहुत दिनों बाद उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर अाने लगे वह खुश हो गई,,,, और जल्द ही वह अपने आप को संभाल लीें और पहले की ही तरह सामान्य हो गई,,,, मनोज भी पूनम को देख लिया था वैसे तू कोहरे की वजह से सब कुछ साफ नहीं नजर आ रहा था लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे को मन की नजर से कहीं भी होते थे तो उनकी आहट सुनाई देने लगती थी। जैसे ही पूनम मनोज के करीब पहुंची वह बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,

मनोज कहां थे इतने दिन मैं तुम्हारा रोज इंतजार करती थी,,,

अरे तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कि मैं तुम्हारा प्रेमी और तुम मेरी प्रेमिका हो,,,,,
( मनोज की बात सुनते ही उसे अपनी कही बात पर ध्यान आया और वह अपनी बात को संभालते हुए बोली,,,।)

मेरे कहने का यह मतलब नहीं था मैं जो तुम्हें इंग्लिश की नोट्स दी हूं वह मुझे वापस चाहिए थी मुझे भी तो काम पूरा करना है इसलिए कह रही थी कि कुछ दिनों से नजर नहीं आए,,,,, कुछ दिनों से क्या पूरे 1 सप्ताह गुजर गए हैं।

अरे वाह पूनम तुम तो एक 1 दिन का पूरा लेखा जोखा रखी है ऐसा तो लड़कियां सिर्फ प्यार मे हीं करती हैं,,,,

तुम बड़े बदतमीज हो मैं तुमसे अपने नोट की बात कर रही हूं और तुम हो कि प्यार व्यार के चक्कर में पड़ गए ठीक-ठीक बताओ मेरी इंग्लिश की नोट्स लाए हो या नहीं,,,,,
( पूनम को गुस्सा करते हुए मनोज बड़े गौर से देख रहा था उसका गुस्सा भी कितना प्यारा है ऊसे,,, आज ही पता चला था,,,,ऊसके मुंह से गाली भी कितनी प्यारी लगती है। मनोज लगातार उसके चेहरे को घुरे जा रहा था इसलिए वहां बोली)
ऐसे क्या देख रहे हो जो पूछ रही हूं ऊसका जवाब दो,,,,

देखो पूनम मैं तुम्हें परेशान करना नहीं चाहता मैं जल्द से जल्द तुम्हारी नोट से कॉपी करके तुम्हें कॉपी लौटाने वाला ही था लेकिन,,,,

लेकिन क्या,,,,,,, (पूनम के मन में नोट्स काे लेकर डर सा लगने लगा की कहीं मनोज नोट्स खो तो नहीं दिया है,,,,,)

लेकिन पूनम वो क्या है कि मेरी तबियत कुछ ज्यादा ही खराब हो गई थी जिसकी वजह से ना तो में नोट कॉपी कर सका और ना ही स्कूल आ सका,,,,,
( तबीयत खराब होने की बात से पूनम थोड़ा चिंतित हो गई लेकिन चिंता के भाव अपने चेहरे पर वो जरा भी नहीं आने दी और सामान्य तौर पर ही बोली,,,।)

तबीयत खराब हो गई थी,,,,,, क्या हो गया था तुम्हें?

मलेरिया हो गया था बड़ी मुश्किल से में तुम्हें यही बताने आया हूं कि दो-चार दिन में ही तुम्हारी नोट्स पूरी करके तुम्हें लौटा दूंगा,,,,,, तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं,,,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम थोड़ा सोच कर बोली)

चलो कोई बात नहीं लेकिन जा नहीं तो मेरी इंग्लिश की नोट से मुझे लौटा देना मुझे भी अपने सब्जेक्ट पूरे करने हैं,,,,,

ठीक है पूनम तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

शुक्रिया किस बात की दूसरों की मदद करने में मुझे अच्छा लगता है,,,,( इतना कहने के साथ ही वजह से ही आगे बढ़ने के लिए अपना कदम बढ़ाई ही थी की उसने ध्यान नहीं दिया और उसकी सैंडल के नीचे बड़ा सा पत्थर आ गया जिसकी वजह से वह लड़खड़ा के एकदम से गिरने को हुई,,,, लेकिन तभी कुर्ती दिखाते हुए मनोज ने उसका हाथ थाम लिया लेकिन फिर भी हाथ थाम कर थाम थे पूनम उसके ऊपर ही गिर गई मनोज पूरी तरह से तैयार नहीं था इसलिए उसके वजन के नीचे खुद भी गिरते हुए जमीन पर गिर गया,,,,, वह जमीन पर गिर गया और पूनम उसके ऊपर गिरी जोंकि सीधे उसकी बाहों में ही आ गई,,,, मनोज के लिए तो यह कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा था जो अनजाने में ही उसकी झोली में आ गिरा था,,,, भला इस अनमोल सुनहरे मौके को वह अपने हाथ से कैसे जाने दे सकता था वह तो पूनम से सिर्फ बात करने के लिए ही तड़पता रहता था और यहां तो भगवान ने खुद पूनम को ही उस की झोली में गिरा दिया था,,,,
पूनम करते समय एकदम से घबरा गई थी लेकिन जब उसे पता चला कि वह मनोज के सीने पर गिरी है तब उसे इस बात पर तसल्ली हुई की उसे चोट नहीं लगी है,,,, पूनम का चेहरा मनोज के चेहरे से करीब करीब एक दम सटा हुआ ही था बस तो अंगूल की ही दूरी थी,,,, पूनम के गुलाबी होंठ मनोज के होठ के बिल्कुल करीब थे,,,, मनोज तो उसे देखता ही रह गया यही हाल पूनम का भी था पूनम की तो जैसे शुध बुध ही खो गई पहली बार किसी लड़के के बदन से एकदम सटी हुई थी,,,, मनोज के बदन से वह बिल्कुल सटी हुई थी,,,,
यहां तक की उसकी नथुनों से निकल रही सांसो की गर्मी भी मनोज के चेहरे पर साफ साफ महसूस हो रही थी,,,, इतनी जल्दी पूनम के बदन से सट जाएगा उसके इतने करीब आ जाएगा इस बारे में मनोज ने कभी कल्पना भी नहीं किया था।
कल्पना तो वह पूनम को ले करके बहुत कुछ कर चुका था लेकिन उसे विश्वास नहीं था। दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले जा रहे थे,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी थी तभी मनोज को अपने सीने पर हल्का सा नरम नरम और गोल गोल वस्तु का एहसास होने लगा,,, तभी उसके दिमाग में चमक हुई और उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,
योग्य सिग्नल पाते ही उसके टावर को बराबर संकेत मिलने लगा। उसके सोए लंड में तुरंत हरकत होने लगी,,,, उसे यह समझते बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि उसके सीने पर जो गोल गोल वस्तु का एहसास हो रहा था वह पूनम की चुचिया थी। इस बात का एहसास होते हीैं उसके पूरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा। उत्तेजना के मारे वह तड़पने लगा अपने प्यार को अपने सपनो की रानी को अपने इतने करीब पाकर उसका मन मचलने लगा,,,, वह पूनम की लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रखने वाला था कि तभी पूनम को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस हालत में है और जल्दी से हड़बड़ाहट में उसके बदन से उठने को हुई,,,,, मनोज समझ गया कि बड़ी मुश्किल से हाथ आया मौका उसकी मुट्ठी से सरकने लगा है वह जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहता था इसलिए वह पूनम के होठ को चूमने का आईडिया दिमाग से निकाल दिया,,, लेकिन पूनम को उठाने की कोशिश करते हुए वह अपने दोनों हथेलियों को उसकी कमर पर रखकर उसे उठाते उठाते अपनी हथेली को हल्के से नीचे की तरफ लाकर उसके गोल गोल नितंब पर अपनी हथेली रखकर दबाते हुए पूनम को उठाने लगा,,,, पूनम की गांड का नरम-नरम एहसास उसके तन बदन में आग सुलगा गया,,,, उठने की जल्दबाजी में पूनम को इस बात का पता ही नहीं चला कि मनोज ने उसके बदन पर कहा हाथ लगाया था वह जल्दी से खड़ी हो गई मनोज अभी भी पीठ के बल जमीन पर गिरा हुआ था,,,,, मनोज मौके का फायदा उठाते हुए जल्दी से अपना हाथ आगे बढ़ा दिया ताकि पूनम उसे सहारा देकर उठा सके,,,, पूनम भी औपचारिकतावश अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसे सहारा देकर उठाने लगी,,,, मनोज खड़ा होकर अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी को झाड़ने लगा,,,, पूनम भी अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी को झाड़ रही थी,,, मनोज फिर से उसे देखने लगा तो मिट्टी झाड़ती हुई पूनम बेहद खूबसूरत लग रही थी।
मिट्टी झाड़ते हुए पूनम अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर इस बात की तसल्ली कर रही थी कि,, कहीं कोई उसे इस हाल में देख तो नहीं लिया लेकिन सर्दी के मौसम में कोहरा इतना ज्यादा छाया हुआ था कि उसके आसपास कोई नजर नहीं आ रहा था। पूनम को इस बात की खुशी हुई कि इस हालत में उन दोनों को कोई भी नहीं देख पाया था वरना आज तो गजब हो जाता।,,,,
पूनम अब वहां रुकना नहीं चाहती थी इसलिए वह जाते हुए गिरने की वजह से जो तकलीफ हुई उसके लिए वह मनोज से सॉरी बोल कर आगे बढ़ गई,,,,,, पूनम का इस तरह से उसे सॉरी बोलना बेहद अच्छा लगा था उसे लगने लगा था कि वह अपनी मंजिल को पाने की पहली सीढ़ी पर अपने कदम को रख दिया है। पूनम को जाते हुए वह देखता रह गया खास करके वह पूनम की मटकती हुई गांड को ही देख रहा था,,,, पूनम की गांड को देखते ही वह अपनी दोनों हथेलियों की तरफ देखने लगा और इस बात की पुष्टि करने लगा कि कुछ पल पहले ही वह इन हथेलियों को पूनम की मदमस्त अनमोल और अतुल्य नितंबों पर रखकर उसे दबाने का शुख हासिल किया था। एक बार फिर से उस पल को याद करके मनोज के बदन में सुरसुरी सी फैल गई। मनोज कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा उसे आज बहुत ही अच्छा लग रहा था। और अच्छा लगता भी क्यों नहीं,,, उसके और पूनम के बीच प्यार का एक नया प्रकरण जोे शुरू हुआ था।

पूनम भी क्लास में बैठकर मनोज के बारे में ही सोचती रही,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह आज फिसल कर गिर गई और गीरी भी तो मनोज के ऊपर,,, और इस बात से खुशी भी थी कि अच्छा हुआ वहां मनोज मौजूद था। वरना वह जमीन पर ही गिरती और उसे चोट भी लग सकती थी। वह कभी सोची भी नहीं थी कि वह किसी लड़के के इतने करीब इतने करीब आएगी कि,,, उसके बदन से ही सट जाएगी जो कुछ भी हुआ था वह सब अनजाने में ही हुआ था,,,,, लेकिन पहली बार पूनम के मन में इस बात को लेकर गुस्सा यह ग्लानी नहीं बल्कि खुशी हो रही थी उसका मन आनंद से झूम रहा था।
उसे इस बात की भी खुशी थी की अच्छा हुआ कि आज बेला और सुलेखा उसके साथ नहीं आई वरना,,,, यह सब शायद ना होता।,,, धीरे-धीरे उसे भी इस बात का एहसास होने लगा कि वह मनोज के प्रति नरम होने लगी है। यह प्यार ही था लेकिन उसका मन अभी प्यार के चेप्टर तक पहुंचने से इंकार कर रहा था।,,,,

शाम को वह फिर से रोज की ही तरह घर की सफाई कर रही थी,,,, लेकिन आज उसे संध्या चाची नजर नहीं आ रही थी,,,
तभी उसे याद आया कि आज उसके चाचा के सर में थोड़ा दर्द था और वह अपने कमरे में चाची से सिर में मालिश करवा रहे थे,,,, पूनम को याद आते ही बस उसी की जाकर अपने चाचा की तबीयत के बारे में हाल समाचार ले ले यही सोचकर वह अपनी चाची की कमरे की तरफ जाने लगी,,, और अगले ही पल वो अपनी चाची के कमरे तक पहुंचने ही वाली थी कि,, अंदर से खिलखिलाकर हंसने की आवाज आ रही थी जो की चाची ही हंस रही थी,,,, उसे थोड़ा अजीब लगा दरवाजा बंद था लेकिन खिड़की हल्की सी खुली हुई थी इसलिए वह हल्की सी खुली खिड़की में झांककर अंदर की तरफ नजर दौड़ाई तो,,,, अंदर का नजारा देखकर उसके बदन में सुरसुरी सी फैल गई,,, उसके चाचा पलंग पर लेटे हुए थे और उनकी कमर तक चादर थी,,,, संध्या पलंग से नीचे उतर कर अपने ब्लाउज के बटन को बंद करना शुरु की थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पूनम को साफ नजर आ रही थी। वह हंस रही थी और उसके चाचा बार-बार उसके बदन से छेड़खानी कर रहे थे। पूनम अभी नादान थी लेकिन इतनी भी ना समझ नहीं थी कि वह कमरे के अंदर मर्द और औरत के बीच के रिश्ते के बारे में समझ ना सके वह पूरा मामला समझ गई और दबे पांव वहां से वापस लौट गई,,।

20210920-090833
 
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Sanju@

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नमस्कार दोस्तों आप सभी पाठक गण का ढेर सारा प्यार मुझे बार-बार नहीं कहानियां लिखने को प्रेरित करता है। ऐसे ही में एक कहानी को फिर से लिखने जा रहा हूं जो आप लोगों को उम्मीद है कि बेहद पसंद आएगी,,,,,
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है,,,,,, इसके सभी पात्र भी पूरी तरह से काल्पनिक है,,,,,,
यह कहानी एक लड़की के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है जिसका नाम पूनम है।
1,,,, रामदेवी,,,,, पूनम की मम्मी है,, जौकी दिखने में ठीक-ठाक ही है,,,, भरा हुआ बदन बस थोड़ा सा मोटी है बाकी इस उम्र में भी मर्दों के पानी निकालने में पूरी तरह से सक्षम है। मर्दों को आकर्षित करने लायक बड़ी बड़ी गोल चूचियां हां बस थोड़ा सा लटक सी गई है,,,,, बड़ी बड़ी गांड जो कि हमेशा थिरकते रहती है।
2,,,,, संध्या,,,,, पूनम की छोटी चाची,,,,, बेहद खूबसूरत एकदम गोरा रंग लाल लाल हॉठ,,, तनी हुई चुचीयां और उभरी हुई भरावदार गांड जिसे देखते ही सब का लंड खड़ा हो जाता था।
3,,,,, रितु चाची यह पूनम की सबसे छोटी चाची थी। एकदम मॉर्डन टाइप की उसके बदन पर चर्बी का कहीं भी नामोनिशान नहीं था,,,, कपड़े भी एकदम स्टाइलिस पहनती थी।
4,,,,,, सुजाता,,,,,, यह पूनम की बुआ थी जो की उम्र में पूनम से बस 5 साल ही बड़ी थी,,,, अभी तक शादी नहीं हुई थी लेकिन शादी की बात चल रही थी,,,,, सुजाता चुदास से भरी हुई थी लेकिन अभी तक उसने अपनी बुर में लंड डलवा कर उसका,,, अपनी जवानी का उद्घाटन नहीं करवाई थी।
इस कहानी के कुछ मुख्य किरदारो का उल्लेख यहां हो चुका है लेकिन अभी भी बहुत से किरदार आने बाकी है इसलिए उन कीरदारों से कहानी के अंतर्गत ही मुखातिब हो पाएगे,,,,,
अब कहानी का अपडेट जल्द ही देने की पूरी कोशिश करुंगा पर मुझे उम्मीद है कि आप लोग अपने कमेंट से मेरी इस कहानी को भी जबरदस्त रिस्पांस देंगे।
धन्यवाद।
यह कहानी हे एक छोटे से गांव की गांव ज्यादा भी छोटा नहीं था सुख सुविधाओं के सारे सामान उस गांव में मौजूद थे।
पंछियों ने कलर मचाना शुरु कर दिया था,,,, पंछियों की सु मधुर आवाज से गांव की सुबह का नजारा और भी ज्यादा बेहतर हो गया था। पक्षियों की आवाज और मुर्गे की बांग की आवाज सुनते ही गांव के लोग धीरे-धीरे कर के बिस्तर छोड़ना शुरू हो जाते थे,,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर पड़ते ही लगभग पूरा गांव आलस मरोड़ कर अपने अपने कामकाज में लग जाया करता था,,,, और यही उनकी दिनचर्या भी होती थी ऐसे ही रोज की ही तरह रमा देवी अपने कमरे से बाहर आते हुए,,,,, अपनी बेटी को जोर जोर से आवाज लगाकर बुलाने लगी,,,,,
पूनम,,,,,,,,ओ पूनम,,,,,,,, अरे धूप निकलने को आई है और यह लड़की है कि अभी तक सो रही है,,,,,, ना जाने इसे कब अक्ल आएगी इतनी बड़ी हो गई है लेकिन किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी का एहसास नहीं है,,,,।
( रमा देवी को इस तरह से रोज की ही तरह चिल्लाते देख कर संध्या जोकि पूनम की चाची थी वह झाड़ू लगाते लगाते,, बोली,, घर बहुत बड़ा था घर में सब के अलग-अलग कमरे बने हुए थे मेहमान के लिए भी अलग कमरा बना हुआ था और घर का आंगन भी काफी बड़ा था जिसमें रोज साफ सफाई करके झाड़ू लगाना पड़ता था और ज्यादा तर यह काम संध्या ही करतीे थी। आंगन के चारों तरफ दीवार खड़ी करके एक घेरा सा बनाया हुआ था। आंगन के सामने ही बड़ा सा तबेला बना हुआ था जिसमें गाय भैंस बंधी हुई थी। संध्या झाड़ू लगाते लगाते बोली)
क्या दीदी आप भी सुबह-सुबह नन्हीं सी जान पर इतना बरस रही है।
नन्ही सी जान नहीं वह तों शैतान की नानी है। स्कूल जाना है सूरज निकल गया लेकिन यह लड़की अभी तक उठी नहीं है।
( रमा गुस्सा दिखाते हुए बोली और रमा की बात सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
दीदी बेवजह आप परेशान हो रही हैं पूनम तो न जाने कब से उठ चुकी है और इस समय लगभग नहा रही होगी,,,,,,
( संध्या की बात सुनकर रमा देवी को थोड़ा सुकून मिला और वह चिंता के भाव दर्शाते हुए संध्या से बोली,,,)
संध्या तू भी उसको कुछ सिखाओ वरना अभी भी वह बच्चों जैसा ही बर्ताव करती है मेरी तो एक नहीं सुनती तुम्हारी ही बात मानती है इसलिए थोड़ा-बहुत उसे डांटा फटकारा करो,,,
दीदी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए पूनम मेरी बेटी जैसी है और मुझे अच्छे से पता है कि उसे कैसे संभालना है आप जाइए वहं अपने समय पर ही तैयार हो जाएगी,,,,,
( रामादेवी संध्या की बात सुनकर आश्वस्त हो कर चली गई,,,, संध्या पूनम की बड़ी चाची थी जो की चाची का एक दोस्त की तरह ज्यादा रहती थी बेहद खूबसूरत गोल मटोल चेहरा बड़ी बड़ी आंखें गुलाबी होठ,, सुबह सुबह उठने की वजह से बाल थोड़े अस्त व्यस्त थे जो कि बालों की लटे चेहरे पर आती थी जिसकी वजह से संध्या की खूबसूरती में चार चांद लग जाते थे। बड़ी बड़ी चूचियां जोकी ब्लाउज में शमा नहीं पाती थी और बैठ कर झाड़ू लगाने की वजह से चूची का आधे से भी ज्यादा भाग साफ तौर पर नजर आता था। ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जाहिर था कि रात में संध्या के पति ने संध्या के ब्लाउज खोलकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियो को मुंह में भर कर पिया होगा,,, और जी भर कर दोनों खरबूजे से खेल कर निश्चित तौर पर उसकी जमकर चुदाई भी की होगी,, क्योंकि संध्या चलते समय थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी ऐसा तभी होता था जब रात भर संध्या अपने पति से चुदवाती थी। वैसे भी घर का सारा काम काज करते हुए संध्या थक जाती थी लेकिन रात को अपने पति के साथ चुदवा कर अपनी सारी थकान मिटा लेतीे थी। सुबह काम करने की जल्दबाजी में शायद वह ठीक से अपने ब्लाउज के बटन बंद करना ही भूल गई थी इसलिए उपर के दो बटन खुले रह गए थे,,, जिसमें से संध्या के दोनों कबूतर फड़फड़ाते हुए नजर आ रहे थे। संध्या अधिकांश तौर पर बैठे-बैठे ही झाडू लगाया करती थी जब जल्दी झाड़ू लगाते हुए आगे पाव करके आगे की तरफ बढ़ती थी तो उसका पिछवाड़ा,,,, कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकल कर उभर जाता था,,, और देखने वालों की तो सांस ही अटक जाती थी। कुल मिलाकर संध्या के बदन में जवानी कूट कूट कर भरी हुई थी।
रमा देवी का पूनम के प्रति चिंतित रहना लाजमी था क्योंकि वह अक्सर अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह ही नजर आती थी उसके स्कूल का समय हो रहा था लेकिन इस समय वह बाथरुम में थी। बाथरूम में घुसते ही वह दरवाजे की कड़ी लगाकर दरवाजे को बंद कर ली,,,।
पूनम नहाने के लिए बाथरुम में प्रवेश कर के अंदर से बाथरूम की कड़ी लगा दी,,,, वह मन ही मन में कोई प्यारा सा गीत गुनगुनाते हुए अपने गले पर से दुपट्टा उतार कर पास में ही डोरी पर लटका दी,,,, वाह दुपट्टा दूरी पर लटकाने के बाद अपनी ड्रेस को नीचे से ऊपर की तरफ ले जाते हुए इतनी गोरी गोरी बाहों में से होते हुए ड्रेस को भी निकाल दि। उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उस स्कूल जाने के लिए उसे देरी हो रही है इसलिए जल्दी-जल्दी अपनी ब्रा के हुक को भी अपने हाथ को पीछे की तरफ ना कर खोल दी और अगले ही पल ब्रा को भी अपने बदन से अलग कर दी,,,,, ब्रा के अलग होते ही उसके छोटे छोटे नारंगी अपने पूरबहार मौसम को दिखाने लगे थे,,, ऊसकीे छोटी-छोटी और गोल नारंगीयो को देखकर साफ मालूम पड़ रहा था कि पूनम के बदन में अब जवानी चिकोटी काटने लगी थी । कब उसने सलवार की डोरी को खोल कर सलवार को उतार फेंकी पता ही नहीं चला,,, उसके बदन पर मात्र अब पेंटिं रह गई थी,,, जिसे अगले ही पल उंगलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे सरकाते हुए अपनी लंबी गोरी टांग से बाहर निकाल फेंकी,,,,। इस समय बाथरूम में वह संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र हो गई थी,,,, वैसे तो वह जब भी कुएं या हेड पंप पर नहाती थी तो पूरी तरह से अपने कपड़े नहीं निकालती थी लेकिन जब भी वह बाथरूम में नहाती थी तब एकदम नंगी होकर ही नहाती थी। इस तरह से उसे नहाने में बेहद मजा भी आता था क्योंकि बाथरूम के अंदर पूरी तरह से नंगी होकर नहाने में वह अपने बदन के कोने कोने पर साबुन लगा कर नहा पाती थी। इसलिए उसे नहाने में संपूर्ण संतुष्टि का एहसास होता था।
पूनम अपने सारे कपड़े उतार कर नहाना शुरू कर दी ठंडा पानी उसके बदन पर पड़ते हीैं उसका बदन पूरी तरह से गनगना जा रहा था। लेकिन ठंडे पानी में नहाने का सुकून; वह अपने बदन में पूरी तरह से अनुभव करती थी। ठंडा पानी उसके सिर पर पड़कर नीचे की तरफ किसी मोतियों की तरह फिसलते हुए जा रहा था,,,, उसकी गोल गोल चूचियों से होकर के ऊसके चिकने सपाट पेट से होकर के नाभी से गुजर कर पूनम की चिकनी जांघों के बीच से उस पतली सी दरार से होकर नीचे की तरफ गिर रही थी। यह नजारा सामान्य नहीं था बल्कि बड़ा ही उन्मादक और कामोतेजक था। पूनम के लिए तो इस तरह से नहाना बेहद सामान्य सी बात थी लेकिन पूनम को इस तरह से नहाते हुए किसी का देख लेना ही उसकी जिंदगी का बड़ा ही अमूल्य और उत्तेजक क्षण होगा। वैसे भी अक्सर लड़के जो आदमी लड़कियों और औरतों के अंगों को देखने का बहाना ही ढूंढते रहते हैं और ऐसे में अगर उनके सामने उनकी नजरों के सामने पूनम जैसी खूबसूरत लड़की संपूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में,,, जोकि एकदम गोरी खूबसूरत चिकने बदन वाली,,, और मर्दों की कामोत्तेजना का सबसे उत्तेजक प्रसार बिंदु उसकी दोनों गोलाइयां अपना संपूर्ण रूप लिए नजर आ रही हो, और नितंब जो कि ऐसा लगे कि कुदरत ने खुद किसी कैनवास पर अपनी जादुई पींछी से अंगों को ऊभारकर कर उस में रंग भरे हो,, जिसके बदन का हर कटाव एक अलग ही परिभाषा लिखता हो ऐसी लड़की को देखकर किसी भी मर्द का मन डोल जाए और देखने भर मात्र से ही कब उसका मर्दाना अंग ऊथनात्मक स्थिति में आकर कब पानी छोड़ दे शायद उसको भी पता ना चले,,,, पूनम अद्भुत खूबसूरती का खजाना थी।
देखते ही देखते उसने स्नान कर ली,,,, और नहाने के बाद जैसे ही उसने टॉवल लेने के लिए हाथ बढ़ाई तो उसे ज्ञात हुआ कि उसने तो बाथरूम में टॉवर लाना ही भूल गई थी।...

जवानी से भरपूर और मदमस्त जवानी की अंगड़ाई भर्ती हुई पूनम...


Bathrum k andar poonam apne kapde utarte huye..

:congrats:start a new story
 
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