Itne saare updates. Thak to ham bhi gaye padhte hue muth marte marte.उसकी कमर लगातार थरथरा रही थी, उसके पेट में उठ रही लहरों से जाहिर हो रहा था कि रजनी कितनी गरम हो चुकी है और अब उसकी चूत में फिर से सुनामी आने लगी थी- ओह्ह सोनू ओह मेरी जान…. उफफफफफ्फ़ और मत तड़फाओ अपनी गुलाम मालकिन को ओह्ह ओह्ह..
सोनू ने एक बार रजनी के कामुक चेहरे की ओर देखा।
उसका पूरा चेहरा पसीने के सुनहरी बूँदों से भीगा हुआ था और उसके रसीले होंठ थरथरा रहे थे।
फिर उसने अभी जीभ निकाल कर रजनी की नाभि में घुसा दी।
रजनी के बदन में करेंट सा दौड़ गया.. उसने तकिए को छोड़ कर सोनू के सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
‘ओह सोनू आह्ह.. सीईई नहियिइ ओह मत कर मेरे लालल्ल्ल ओह बसस्स्स उफफ्फ़ क्या कर रहा हाईईईई, ओह्ह छोड़ दे.. रा..जाआ…’
सोनू उसकी नाभि और पेट के निचले हिस्से को चूमता हुआ और नीचे उसकी चूत की तरफ जाने लगा..
जब रजनी को इस बात का अहसास हुआ, तो उसने अपनी जाँघों को भींचना शुरू कर दिया।
रजनी- ओह्ह सोनूऊऊ मत्तत्त कर नाआअ.. मैं मर जाऊँगी.. ओह ओह्ह सीईईईई ओह सोनू न.. नहीं ओह्ह ओह्ह ओह्ह..
रजनी की आवाज़ मानो उसके हलक में अटक गई हो, कुछ पलों के लिए उसकी साँस रुक गई और उसके पूरा बदन ऐसे अकड़ गया.. मानो जैसे उसको दौरा पड़ गया हो।
उसने अपने हाथों से सोनू के सर को पीछे करने के कोशिश की, पर उसको लगा जैसे उसके बदन ने उसका साथ छोड़ दिया हो।
कुछ पलों की खामोशी के बाद मानो जैसे कमरे में तूफान आ गया।
रजनी लगभग चीखते हुए सिसकारियाँ भरने लगी।
रजनी- ओह्ह ओह्ह आह्ह.. आह्ह.. आह्ह.. बेटा ओह छोड़ दे मुझे.. ओह मैं पागल हो जाऊँगी.. बेटा ओह मेरी फुद्दी को मत कर बेटा ओह्ह..
रजनी अपनी गाण्ड को बिस्तर से ऊपर उछालते हुए मछली के तरह तड़फ रही थी।
उसकी चूत के कामरस ने इस कदर उसकी चूत को गीला कर रखा था कि उसकी चूत से पानी निकल कर गाण्ड के छेद को नम कर रहा था।
जब मस्ती में आकर रजनी अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछालती, तो सोनू की जीभ रजनी की गाण्ड के छेद पर रगड़ खा जाती और रजनी के बदन में और मस्ती की लहर दौड़ जाती।
रजनी का पूरा बदन मस्ती में कांप रहा था।
जब रजनी से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने सोनू को कंधों से पकड़ कर ऊपर खींच लिया और अपना हाथ नीचे ले जाकर सोनू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया।
गरम सुपारा चूत के छेद पर लगते ही.. जो सुख की अनुभूति रजनी को हो रही थी, उसे शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल था।
सोनू को ऐसे लग रहा था, जैसे उसके लण्ड का सुपारा किसी दहकते लावा का नदी में चला गया हो।
‘ओह्ह मालकिन आपकी चूत बहुत गरम है.. मेरा लण्ड पिघल जाएगा..’
सोनू का बदन भी मस्ती में काँप रहा था, उसने अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला, सोनू के लण्ड का सुपारा रजनी की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर जा घुसा और रजनी के मुँह से मस्ती भरी ‘आहह’ निकल गई।
रजनी ने अपनी बाँहों को सोनू की पीठ पर कस लिया और उसके होंठों को जो कि उसकी चूत के कामरस से भीगे हुए थे, अपने होंठों में भर लिया।
सोनू ने भी अपनी रजनी के होंठों को चूसते हुए एक और जोरदार धक्का मार कर अपना पूरा का पूरा लण्ड रजनी की चूत की गहराईयों में उतार दिया।
रजनी के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई और सोनू की पीठ पर तेजी से अपने हाथों को फेरने लगी।
अब सोनू भी लगातार अपने लण्ड को रजनी की चूत की अन्दर-बाहर कर रहा था और रजनी भी अपनी गाण्ड को उछाल-उछाल कर अपनी चूत को सोनू के लण्ड पर पटक रही थी।
रजनी जो कि थोड़ी देर पहले मायूस हो गई थी, अब सब कुछ भूल कर एक बार फिर से अपनी जाँघों को फैलाए हुए, सोनू के लण्ड को अपनी चूत में ले रही थी।
चुदाई का ये दौर करीब 15 मिनट चला। झड़ने के बाद दोनों जब अलग हुए.. दोनों बहुत थक चुके थे।
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Bahut achi kahani hai isko continue karoजया के पति यानि रजनी के पिता की टाँग की हड्डी टूटी हुई थी.. जिसकी वजह से वो चल-फिर नहीं पाता था, इसलिए रजनी अपनी माँ का कुछ हाथ बटा सके, चाय और नास्ते के बाद रमेश अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल जाने के लिए निकल गया, उनके जाने के बाद रजनी ने अपनी माँ से अपने पिता के बारे में पूछा।
जया- वो अपने कमरे में हैं, जा.. जाकर मिल आ।
रजनी- अच्छा माँ मैं बाबा से मिलकर आती हूँ.. तुम मेरा सामान मेरे कमरे में रखवा दो।
जया- अच्छा सुन इसको कहाँ पर रखना है.. मेरा मतलब ये कहाँ सोएगा?
रजनी- माँ पहले तुम मेरा सामान तो रखवाओ। इसके बारे में बाद में बताती हूँ।
ये कह कर रजनी अपने पिता से मिलने के लिए उसके कमरे में चली गई और जया रजनी का सामान सोनू से उठवा कर दूसरी मंज़िल पर बने हुए उसके कमरे में रखवाने लगी।
रजनी जब भी अपने मायके आती थी, वो उसी कमरे में रुकती थी, उस कमरे के पीछे वाली खिड़की खेतों की तरफ खुलती थी।
अब रजनी की माँ और पिता के बारे में कुछ बता दूँ।
रजनी का बाप राजेश अपने माँ-बाप की इकलौती औलाद था.. जवानी के दिनों में वो बहुत ही घुम्मकड़ और अय्याश किस्म का इंसान था और वो शादी को बंधन मानता था इसलिए उसने काफ़ी दिनों तक शादी नहीं की..
पर उम्र के बढ़ने के बाद उसे परिवार की ज़रूरत महसूस होने लगी और आख़िर 30 साल की उम्र में उसने जया से शादी कर ली।
जया उससे उम्र में दस साल कम थी और रजनी उसकी अपनी बेटी नहीं थी।
रजनी जया की बहन की बड़ी बेटी थी.. जो उसकी शादी से 8 साल पहले पैदा हुई थी, पर रजनी के माँ-बाप चल बसे..
और जया ने रजनी को गोद ले लिया था, वो भी शादी के महज एक साल बाद और दूसरे साल रमेश पैदा हुआ था।
राजेश की शादी को अभी साल भी पूरा नहीं हुआ था।
जैसे ही रमेश 18 साल को हुआ तो उसकी शादी करवा दे गई थी, इसलिए 18 साल की उम्र का बेटा होने के बावजूद भी जया सिर्फ़ 38 साल की थी और रजनी की बड़ी बहन जैसी लगती थी।
भले ही रजनी उम्र में उससे कुछ साल छोटी थी.. पर दोनों को देख कर दोनों में एक साल का फर्क लगता था।
अपने पिता से मिलने के बाद रजनी बाहर आँगन में आकर अपनी माँ के साथ बैठ गई और इधर-उधर की बातें करने लगी।
सोनू आँगन के एक कोने में बैठा हुआ धूप का आनन्द ले रहा था।
जब जया की शादी को 3 साल बीत चुके थे, तब रजनी किशोर हो चुकी थी और जया का पति अपनी आदतों से निकल नहीं पाया था।
दिन भर दारू पीना, रण्डीबाजी करना और घूमते रहना यही उसका काम का था।
उन्हीं दिनों की बात है, एक दिन रजनी जब छोटी थी.. अपने कमरे में सो रही थी.. दोपहर का समय था।
अचानक से उसकी नींद खुली और वो उठ कर जया को खोजते हुए उसके कमरे की तरफ जाने लगी..
पर जैसे ही वो कमरे के दरवाजे पर पहुँची.. तो जो उसने देखा उसे कुछ समझ में नहीं आया।
उनके खेतों में काम करने वाला एक मजदूर बिस्तर के किनारे पर खड़ा हुआ था।
उसकी धोती उसके पैरों में पड़ी हुई थी और वो जया को पीछे से कमर से पकड़े हुए तेज़ी से अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था और जया, ‘ओह्ह..धीरे ओह्ह..’ जैसे मादक सिसकियाँ भर रही थी।
नादान रजनी समझ रही थी कि वो मजदूर उसकी माँ को मार रहा है और उसने वही खड़े-खड़े रोना शुरू कर दिया।
रजनी के रोने की आवाज़ सुनते ही, दोनों हड़बड़ा गए।
जया ने अपनी साड़ी को नीचे किया और उस मजदूर को घूरते हुए लुँगी को बांधने के लिए कहा और खुद रजनी को दूसरे कमरे में ले गई।
‘अरे मेरी प्यारी गुड़िया क्या हुआ तुझे..? रो क्यों रही है?’
रजनी (सुबकते हुए)- माँ वो कल्लू आपको मार रहा था?
जया- नहीं तो तुमसे किसने कहा.. वो तो मुझे चोट लग गई थी.. इसलिए दवाई लगा रहा था।
रजनी- माँ ऐसे भी कोई दवाई लगता है अपनी नूनी से।
जया- वो क्या है ना.. मेरे सूसू वाली जगह के अन्दर चोट लगी है ना.. अब चुप कर और ये बात अपने बाबा से मत कहना.. ठीक है, नहीं तो वो भी रोने लगेंगे।
रजनी- सच माँ.. ज्यादा चोट है।
जया- नहीं.. अब ठीक है..पर ध्यान रखना अपने बाबा से मत कहना।
रजनी- ठीक है माँ।
उस वक़्त नादान रजनी ना समझ सकी कि जया और कल्लू के बीच क्या हो रहा है..
पर जैसे-जैसे रजनी सयानी हुई तो उसे सब पता चजया गया।
कल्लू और जया की रंगरेलियाँ जारी थीं, पर रजनी ने अपना मुँह नहीं खोला।
कई बार तो कल्लू और जया को रजनी ने देखा और पकड़ा भी.. पर जया जान चुकी थी कि रजनी उससे बहुत प्यार करती है और वो कुछ नहीं बोलेगी।
दोनों के बीच आम सहेलियों जैसी बातें होने लगी थीं और जया रजनी को अपने और कल्लू के किस्से खूब सुनाया करती थी, पर रजनी की शादी के बाद कल्लू को खेतों में काम करते हुए साँप ने डस लिया और उसकी मौत हो गई।
उसके बाद से उसका पति ही उसकी महीने में एक-दो बार चोदता था.. पर जया जैसी गरम औरत को संतुष्ट नहीं कर पाता था।